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सतत फलन

सूची सतत फलन

गणित में किसी चर राशी x पर परिभाषित फलन f(x) सतत फलन (Continuous function) कहलाता है यदि x में अल्प परिवर्तन करने पर f(x) के मान में भी केवल अल्प परिवर्तन हो अन्यथा यह असतत फलन कहलाता है। एक सतत फलन के प्रतिलोम फलन का सतत होना आवश्यक नहीं। .

10 संबंधों: चिह्न फलन, माध्यमान प्रमेय, सातत्य, सीमा (गणित), वर्ग माध्य मूल, वक्र, खण्डशः रैखिक फलन, इकाई पग-फलन, अवकल गणित, अवकलज

चिह्न फलन

चिह्न फलन (Signum function) y .

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माध्यमान प्रमेय

गणित में, माध्य मान प्रमेय के अनुसार किन्हीं दो बिन्दुओं के मध्य दिये गये किसी चाप पर कम से कम एक ऐसा बिन्दु विद्यमान होगा जिसपर चाप की स्पर्शरेखा अन्तकविन्दुओं को मिलाने वाली छेदक रेखा के समानान्तर होगी। यह प्रमेय किसी फलन के किसी दिये गये अन्तराल में, इसके बिन्दुओं के मध्य अवकलज की स्थानिक परिकल्पना से सम्बंधित वैश्विक कथन को सिद्ध करने के लिए काम में ली जाती थी। अधिक निश्चितता से, यदि कोई फलन f बंद अंतराल पर सतत है, जहाँ a f'(c) .

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सातत्य

'सातत्य' शब्द का प्रयोग निम्नलिखित अर्थों में हो सकता है-.

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सीमा (गणित)

गणित में सीमा (limit) की संकल्पना (कांसेप्ट) एक अत्यन्त मौलिक संकलपना है। सीमा की संकल्पना के विकास के परिणामस्वरूप ही कैलकुलस का जन्म सम्भव हुआ। सीमा का उपयोग किसी फलन का अवकलन निकालने तथा किसी फलन के किसी बिन्दु पर सातत्य (continuity) के परीक्षण में होता है। गणित में सीमा के दो अर्थ हैं -.

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वर्ग माध्य मूल

गणित में वर्ग माध्य मूल (root mean square / RMS or rms), किसी चर राशि के परिमाण (magnitude) को व्यक्त करने का एक प्रकार का सांख्यिकीय तरीका है। इसे द्विघाती माध्य (quadratic mean) भी कहते हैं। यह उस स्थिति में विशेष रूप से उपयोगी है जब चर राशि धनात्मक एवं ऋणात्मक दोनों मान ग्रहण कर रही हो। जैसे ज्यावक्रीय (sinusoids) का आरएमएस एक उपयोगी राशि है। 'वर्ग माध्य मूल' का शाब्दिक अर्थ है - दिये हुए आंकड़ों के "वर्गों के माध्य का वर्गमूल (root)".

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वक्र

बन्द वक्र का एक उदाहरण बोलचाल की भाषा में कोई भी टेढ़ी-मेढ़ी रेखा वक्र (Curve) कहलाती है। किन्तु गणित में, सामान्यतः, वक्र ऐसी रेखा है जिसके प्रत्येक बिंदु पर उसकी दिशा में किसी विशेष नियम से ही परिवर्तन होता हो। यह ऐसे बिंदु का पथ है जो किसी विशेष नियम से ही विचरण करता हो। उदाहरण के लिए, यदि किसी बिंदु की दूरी एक नियत बिंदु से सदा समान रहती हो, तो बिंदुपथ एक वक्र होता है जिसे वृत्त कहते हैं। नियत बिंदु इस वृत्त का केंद्र होता है। यदि वक्र के समस्त बिंदु एक समतल में हो तो उसे समतल वक्र (Plane curve) कहते हैं, अन्यथा उसे विषमतलीय (Skew) या आकाशीय (Space) वक्र कहा जाता है। .

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खण्डशः रैखिक फलन

एक खण्डशः रैखिक फलन का ग्राफ एक फलन (नीले रंग में) और उसका खण्डशः रैखिक सन्नीकटीकरण (piecewise linear approximation to it) दो बीमीय अवकाश में खण्डशः रैखिक फलन (ऊपर) तथा उत्तल पॉलीटोप्स जिनपर यह रैखिक है (नीचे).

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इकाई पग-फलन

इकाई पग-फलन इकाई पग-फलन (unit step function) या हेविसाइड पग-फलन (Heaviside step function) एक असतत फलन है, जिसका मान स्वतंत्र चर के ऋणात्मक मान के लिये शून्य होता है तथा धनात्मक मान के लिये एक होता है। इसे प्रायः H या u या θ से निरूपित किया जाता है। H(0) का मान क्या हो, इसका अधिक महत्व नहीं है। यह फलन नियंत्रण सिद्धान्त तथा संकेत प्रसंस्करण में बहुत प्रयुक्त होता है। इसके अलावा संरचना इंजीनियरी में भी विभिन्न प्रकार के लोड वितरणों के गणितीय निरूपण के लिये इसका उपयोग किया जाता है। किया जाता है। इसका नाम इंग्लैण्ड के बहुज्ञ ओलिवर हेविसाइड (Oliver Heaviside) के नाम पर रखा गया है। हेविसाइड फलन, डिरैक डेल्टा फलन का समाकल है: H′ .

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अवकल गणित

गणित में अवकल गणित (differential calculus) कैलकुलस का उपभाग है जिसमें परिवर्तन की दर का अध्ययन किया जाता है। कैलकुलस का दूसरा उपभाग समाकलन गणित (इटीग्रल कैलकुलस) है।; अवकलज की परिभाषा f'(x).

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अवकलज

एक वक्र के विभिन्न बिन्दुओं पर प्रवणता (स्लोप) वास्तव में उस बिन्दु पर '''x''' के सापेक्ष '''y''' का मान बढ़ने की दर के बराबर होता है। किसी चर राशि के किसी अन्य चर राशि के सम्बन्ध में तात्कालिक बदलाव की दर की गणना को अवकलन (Differentiation) कहते हैं तथा इस क्रिया द्वारा प्राप्त दर को अवकलज (Derivative) कहते हैं। यह किसी फलन को किसी चर राशि के साथ बढ़ने की दर को मापता है। जैसे यदि कोई फलन y किसी चर राशि x पर निर्भर है और x का मान x1 से x2 करने पर y का मान y1 से y2 हो जाता है तो (y2-y1)/(x2-x1) को y का x के सन्दर्भ में अवकलज कहते हैं। इसे dy/dx से निरूपित किया जाता है। ध्यान रहे कि परिवर्तन (x2 - x1) सूक्ष्म से सूक्ष्मतम (tend to zero) होना चाहिये। इसीलिये सीमा (limit) का अवकलन में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। किसी वक्र (curve) का किसी बिन्दु पर प्रवणता (slope) जानने के लिये उस बिन्दु पर अवकलज की गणना करनी पड़ती है।; परिभाषा फलन ƒ का बिन्दु a पर अवकलज निम्नलिखित सीमा के बराबर होता है (बशर्ते सीमा का अस्तित्व हो) - यदि सीमा का अस्तित्व है तो ƒ बिन्दु a पर अवकलनीय कहलाता है।; उदाहरण d/dx (ज्या(x)) .

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