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संयुक्त राजशाही की राजनीति

सूची संयुक्त राजशाही की राजनीति

ब्रिटेन की राजनीतिक संरचना एक एकात्मक राज्य और एक संवैधानिक राजतंत्र के सिद्धांतों पर आधारित है। ब्रिटिश राजतांत्रिक व्यवस्था में, अधिराट्(नरेश) को राष्ट्रप्रमुख का दर्ज दिया गया है, जबकि लोकतांत्रिक तौर पर निर्वाचित प्रधानमंत्री शासनप्रमुख होते हैं। ब्रिटेन में प्रचलित यह राजनीतिक तथा सरकार की शासन प्रणाली ब्रिटेन की स्वयं की प्रणाली है, जो ब्रिटेन में ही, हज़ारों वर्षों के कालावधि में, क्रमशः विकसित हुई है। इसे वेस्टमिंस्टर प्रणाली के रूप में जाना जाता है। १८वीं और १९वीं सदी के दौरान ब्रिटेन के औपनिवेशिक विस्तार के कारण यह शासन प्रणाली विश्व के अन्य कई कोनों में फैली। आज, इसे, तथा इस पर आधारित या प्रभावित शासन प्रणालियों को कनाडा, भारत, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, सिंगापुर, मलेशिया और जमैका तथा अन्य राष्ट्रमंडल देशों में देखा जा सकता है। ब्रिटिश संविधान संहिताबद्ध नहीं है और लिखित तथा गैर-लिखा स्रोतों पर आधारित है। इसमें संसदीया अधिनियम, अदालती फैसलों समेत विभिन्न ऐतिहासिक संधियाँ और सभागम समूह तथा अन्य तत्त्व जैसे यूरोपीय विधान भी शामिल हैं, जिन्हें आज सामूहिक रूप से यूनाइटेड किंगडम का संविधान कहा जाता है। राज्य के प्रमुख और शासन-अधिकार के स्रोत, ग्रेट ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैंड की संयुक्त राजशाही के एकादिदेव, पदविराजमान- महारानी एलिजाबेथ द्वितीय- हैं। परंपरा के मुताबिक नरेश, हाउस ऑफ कॉमन्स(आमसदन) में बहुमत प्राप्त करने वाली पार्टी के नेता को ही प्रधानमन्त्री नियुक्त करते हैं, हालांकि सैद्धांतिक रूप से इस पद के लिए कोई भी ब्रिटिश नागरिक जो संसद सदस्य है, चाहे वह हाउस ऑफ लॉर्ड्स या कॉमन्स में से किसी भी एक सदन का सदस्य हो, इस पद पर नियुक्त होने का अधिकार रखता है, बशर्ते की उसके पास आमसदन का समर्थन हासिल हो। सम्पूर्ण ब्रिटिश प्रभुसत्तात् प्रदेश में वैधिक नियमों को बनाने, बदलने तथा लागु करने का संपूर्ण तथा सर्वोच्च विधिवत अधिकार केवल तथा केवल संसद के ही अधिकारक्षेत्र के व्यय पर विद्यमान है(संसदीय सार्वभौमिकता)। ब्रिटिश विधान-प्रक्रिया के अनुसार, संसद द्वारा पारित अधिनियमों को सांविधिक होने के लिए, ब्रिटिश संप्रभु की शाही स्वीकृति प्राप्त करना अनिवार्य होता है, जिसे स्वीकृत या अस्वीकृत करने के लिए वे सैधिन्तिक तौर पर पूणतः स्वतंत्र हैं, परंतु वास्तविक तौर पर अस्वीकृति की घटना अतिदुर्लभ है(पिछली ऐसी घटना 11 मार्च 1708 को हुई थी)। संप्रभु, प्रधानमंत्री की सलाह पर संसद भंग भी कर सकते हैं, लेकिन विधि सम्मत रूप से उनके पास, प्रधानमंत्री की सहमति के बिना भी संसद को भंग करने की शक्ति है। राजमुकुट के अन्य शाही शक्तियों, जिन्हें शाही विशेषाधिकार कहा जाता है, को संप्रभु, प्रधानमंत्री या मंत्रिमंडल की सलाह के बिना, अपने विवेक पर कर सकते हैं। तततिरिक्त, राजमुकुट की सारी कार्यकारी शक्तियों को संप्रभु, ऎतिहासिक परंपरानुसार, प्रधानमंत्री और अपनी मंत्रिमंडल की सलाह पर उपयोग करते हैं। तथा सार्वजनिक नीति में सम्राट की भूमिका औपचारिक कार्यों तक सीमित है। अतः, वर्तमान काल में ब्रिटेन में वास्तविक राजनीतिक शक्तियां प्रधानमंत्री और मंत्रिमण्डल के हाथों में होती है, जबकि अधिराट्, केवल एक पारंपरिक राष्ट्रप्रमुखीय पद है। ब्रिटिश राजनीतिक लहज़े में, संप्रभुता के वास्तविक कार्यवाहक को "ससंसाद माहरानी" कहा जाता है। वर्त्तमान ब्रिटेन, एक बहुदलीय लोकतंत्र है, और १९२० के दशक से, यहाँ की दो वृहदतम् राजनैतिक दल हैं कंजर्वेटिव पार्टी और लेबर पार्टी। ब्रिटिश राजनीति में, लेबर पार्टी के उदय से पहले लिबरल पार्टी एक बड़ी राजनीतिक दल हुआ करती थी। यूके में अल्पसंख्यक या गठबंधन सरकारों का शासन एक प्रासंगिक और यदाकदा की दृश्य है। तथा आम चुनावों में उपयोग होने वाली फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट निर्वाचन पद्यति इस रुझान को बरकरार रखने में और भी सहभागी साबित होती है। बहरहाल, हाल ही में, २०१० से २०१५ तक कंजर्वेटिव पार्टी और लिबरल-डेमोक्रैट पार्टी की गठबंधन सरकार सत्ता पर विद्यमान थी, जोकि १९४५ के बाद पहली गठबंधन सरकार थी। हालाँकि, संयुक्त राजशाही में सर्वोच्च विधानाधिकार, लंदन-स्थित ब्रिटिश संसद को है, परंतु संयुक्त राजशाही के विभिन्न संघटक देशों:स्कॉटलैंड, उत्तरी आयरलैंड, वेल्स तथा लंदन क्षेत्र के लिए भी अनुक्रमित संसदों को स्थापित किया गया है, जिन्हें, संबंधित उपराष्ट्रीय इकाइयों के संदर्भ में सीमित विधानाधिकार प्रदान किया गया है, परंतु इस कारणवश संघीय या महासंघिया ढाँचे के विधानसभाओं के रूप में नहीं देखना चाहिए, ये केवल अनुक्रमित संसद हैं, और इनके द्वारा पारित किसी भी विधान को राष्ट्रीय संसद स्व-इच्छानुसार, कभी भी, पलट सकती है। वर्तमान में, ब्रिटेन, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, आठ के समूह(जी-८), आर्थिक सहयोग और विकास संगठन, राष्ट्रमण्डल तथा यूरोपीय संघ जैसे संगठनों का स्थायी सदस्य है, जिनमें से विशेष रूप से यूरोपीय संघ और उससे सम्बंधित मुद्दे, ब्रिटेन की राजनीती में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। .

सामग्री की तालिका

  1. 3 संबंधों: ब्रिटिश राजतंत्र, यूनाइटेड किंगडम में कराधान, कॅबिनेट मैन्युअल

ब्रिटिश राजतंत्र

ब्रिटिश एकराट्तंत्र अथवा ब्रिटिश राजतंत्र(British Monarchy, ब्रिटिश मोनार्की, ब्रिटिश उच्चारण:ब्रिठिश मॉंनाऱ्क़़ी), वृहत् ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैंड की संयुक्त राजशाही की संवैधानिक राजतंत्र है। ब्रिटिश एकाधिदारुक को संयुक्त राजशाही समेत कुल १५ राष्ट्रमण्डल प्रदेशों, मुकुटिया निर्भर्ताओं और समुद्रपार प्रदेशों के राजमुकुटों सत्ताधारक एकराजीय संप्रभु होने का गौरव प्राप्त है। वर्तमान सत्ता-विद्यमान शासक, ६ फरवरी वर्ष १९५२ से महारानी एलिजाबेथ द्वितीय हैं जब उन्होंने अपने पिता जॉर्ज षष्ठम् से राजगद्दी उत्तराधिकृत की थी। संप्रभु और उसके तत्काल परिवार के सदस्य देश के विभिन्न आधिकारिक, औपचारिक और प्रतिनिधि कार्यों का निर्वाह करते हैं। सत्ताधारी रानी/राजा पर सैद्धांतिक रूप से एक संवैधानिक शासक के अधिकार निहित है, परंतु सदियों पुराने आम कानून के कारण संप्रभु अपने अधिकतर शक्तियों का अभ्यास केवल संसद और सरकार के विनिर्देशों के अनुसार ही कार्यान्वित करने के लिए बाध्य हैं। इस कारण से, इसे वास्तविक तौर पर एक संसदीय सम्राज्ञता मानी जाता है। संसदीय शासक होने के नाते, शासक के अधिकतर अधिकार, निष्पक्ष तथा गैर-राजनैतिक कार्यों तक सीमित हैं। सम्राट, शासक और राष्ट्रप्रमुख होने के नाते उनके अधिकतर संवैधानिक शासन तथा राजनैतिक-शक्तियों का अभ्यय वे सरकार और अपने मंत्रियों की सलाह और विनिर्देशों पर ही करते हैं। परंपरानुसार शासक, ब्रिटेन के सशस्त्र बाल के अधिपति होते हैं। हालाँकि, संप्रभु के समस्त कार्य-अधिकारों का अभ्यय शासक के राज-परमाधिकार द्वारा होता है। वर्ष १००० के आसपास, इंग्लैंड और स्कॉटलैंड के राज्यों में कई छोटे प्रारंभिक मध्ययुगीन राज्य विकसित हुए थे। इस क्षेत्र में आंग्ल-सैक्सन लोगों का वर्चस्व इंग्लैंड पर नॉर्मन विजय के दौरान १०६६ में समाप्त हो गया, जब अंतिम आंग्ल-सैक्सन राजा हैरल्ड द्वितीय की मृतु हो गयी थी और अंग्रेज़ी सत्ता विजई सेना के नेता, विलियम द कॉंकरर और उनके वंशजों के हाथों में चली गयी। १३वीं सदी में इंग्लैंड ने वेल्स की रियासत को अवशोषित किया तथा मैग्ना कार्टा द्वारा संप्रभु के क्रमिक निःशक्तकरण की प्रक्रिया शुरू हुई। १६०३ में स्कॉटलैंड के राजा जेम्स चतुर्थ, अंग्रेजी सिंहासन पर जेम्स प्रथम के नाम से विराजमान होकर जो दोनों राज्यों को एक व्यक्तिगत संघ की स्थिति में ला खड़ा किया। १६४९ से १६६० के लिए अंग्रेज़ी राष्ट्रमंडल के नाम से एक क्षणिक गणतांत्रिक काल चला, जो तीन राज्यों के युद्ध के बाद अस्तिव में आया, परंतु १६६० के बाद राजशाही को पुनर्स्थापित कर दिया गया। १७०७ में परवर्तित एक्ट ऑफ़ सेटलमेंट, १७०१, जो आज भी परवर्तित है, कॅथॉलिक व्यक्तियों तथा कैथोलिक व्यक्ति संग विवाहित व्यक्तियों को अंग्रज़ी राजसत्ता पर काबिज़ होने से निष्कर्षित करता है। १७०७ में अंग्रेज़ी और स्कॉटियाई राजशाहियों के विलय से ग्रेट ब्रिटेन राजशही की साथपना हुई और इसी के साथ अंग्रज़ी और स्कोटिश मुकुटों का भी विलय हो गया और संयुक्त "ब्रिटिश एकराट्तंत्र" स्थापित हुई। आयरिश राजशही ने १८०१ में ग्रेट ब्रिटेन राजशाही के साथ जुड़ कर ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैंड की संयुक्त राजशाही की स्थापना की। ब्रिटिश एकराट्, विशाल ब्रिटिश साम्राज्य के नाममात्र प्रमुख थे, जो १९२१ में अपने वृहत्तम् विस्तार के समय विष के चौथाई भू-भाग पर राज करता था। १९२२ में आयरलैंड का पाँच-छ्याई हिस्सा आयरिश मुक्त राज्य के नाम से, संघ से बहार निकल गया। बॅल्फोर घोषणा, १९२६ ने ब्रिटिश डोमिनिओनों के औपनिवेशिक पद से राष्ट्रमंडल के भीतर ही विभक्त, स्वशासित, सार्वभौमिक देशों के रूप में परिवर्तन को मान्य करार दिया। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ब्रिटिश साम्राज्य सिमटता गया, और ब्रिटिश साम्राज्य के अधिकतर पूर्व उपनिवेश व प्रदेश स्वतंत्र हो गए। जो पूर्व उपनिवेश, ब्रिटिश शासक को अपना शासक मानते है, उन देशों को ब्रिटिश राष्ट्रमण्डल प्रमंडल या राष्ट्रमण्डल प्रदेश कहा जाता है। इन अनेक राष्ट्रों के चिन्हात्मक समानांतर प्रमुख होने के नाते, ब्रिटिश एकराट् स्वयं को राष्ट्रमण्डल के प्रमुख के ख़िताब से भी नवाज़ते हैं। हालांकि की शासक को ब्रिटिश शासक के नाम से ही संबोधित किया जाता है, परंतु सैद्धान्तिक तौर पर सारे राष्ट्रों का संप्रभु पर सामान अधिकार है, तथा राष्ट्रमण्डल के तमाम देश एक-दुसरे से पूर्णतः स्वतंत्र और स्वायत्त हैं। .

देखें संयुक्त राजशाही की राजनीति और ब्रिटिश राजतंत्र

यूनाइटेड किंगडम में कराधान

यूनाइटेड किंगडम में कराधान दो स्तरों पर बनाया गया है:स्थानीय सरकार और केंद्र सरकार(टैक्स कार्यालय के माध्यम से)। स्थानीय सरकारें, अपनी वित्तीय स्थिति सरकारी अनुदान, वाणिज्यिक संपत्ति पर करों, स्थानीय करों और विशेष कर हल के दिनों में सड़कों पर पार्किंग शुल्क और मुनाफा शुल्क द्वारा बनाए रखती है, जबकि केंद्र सरकार की कर सामग्री मुख्य रूप से ईंधन, तंबाकू और शराब पर कर, अनिवार्य राष्ट्रीय बीमा, आयकर भुगतान, वैट, कॉरपोरेट टैक्स तथा उत्पाद शुल्क है। .

देखें संयुक्त राजशाही की राजनीति और यूनाइटेड किंगडम में कराधान

कॅबिनेट मैन्युअल

कॅबिनेट मैन्युअल(अन्य वर्तनी:कैबिनेट मैनुअल), ब्रिटेन की एक सरकारी दस्तावेज़ है, जोकि शासन के आचार और कार्यान्वयन से संबंधित नियमों, विधानों और सभगमों को संहिताबद्ध रूप से अंकित करती है, जो आज, यूनाइटेड किंगडम की सरकार के आचरण और कार्यप्रक्रिया के मार्गदर्शक के रूप में कार्य करती है। इसे उनकी शाही शान की प्रशासनिक सेवाओं द्वारा, कैबिनेट सचिव सर गस ओ'डॉनेल के नेतृत्व में लिखा गया था। इसे मंत्रिमण्डलीय कार्यालय द्वारा १४ दिसंबर २०१० को प्रकाशित किया गया था। यह मैन्युअल, ब्रिटेन की शासन व्यवस्था के संबंध में एक विहंगावलोकन प्रदान करती है, जिसमे, संसद की महत्ता तथा मंत्रिमण्डलीय सरकार और ब्रिटिश संवैधानिक व्यवस्था के लोकतांत्रिक चरित्र को कार्यपालिका, विधानपालिका, राजमुकुट, अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों(विशेष कर यूरोपीय संघ), राजकीय निर्भर्ताओं, समुद्रपारिया प्रदेशों तथा विभिन्न अवक्रमित प्रशासनों की शक्तियों की व्याख्यित कर, दर्शाता किया गया है। इसे मंत्रिमण्डलीय सदस्यों, अन्य मंत्रियों तथा नौकरशाहों के लिए एक संदर्शिका के तौर पर लिखा गया था, जिसके मदद से उन्हें प्रशासनिक कार्यविधि को समझने में सरलता हो। साथ ही यह पूर्वतः अलिखित कार्यकारी-विधियों को भी अंकित करता है, जिनके मदद से सरकार कार्य करती है। इसकी लेखन शैली किसी लिखित संविधान के सामान है, क्योंकि इसे लिखे जाने के पीछे की वृहन्त योजना, ब्रिटेन के लिए एक सुलिखित संविधान स्थापित करना था। बहरहाल, २०११ में हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स की संविधान समिति ने यह फरमाया की इस मैन्युअल को "एक लिखित संविधान की दिशा में पहले कदम" के रूप में नहीं लिया जाये, क्योंकि यह केवल मौजूद नियमों को संगठित कर संहिताबद्ध करती है, उन नियमों को "पत्थर पर अंकित नहीं करती", अर्थात इसका मूल उद्देश्य चल रही नियमों व तरीकों को अंकित करना है, लिखित नियमों को स्थापित करना नहीं है। इसे वैधिक रूप से संसद द्वारा स्वीकृत होने के आवश्यकता नहीं है, और कैबिनेट सचिव इस स्वेच्छा से कभीभी परिवर्तित कर सकते हैं। .

देखें संयुक्त राजशाही की राजनीति और कॅबिनेट मैन्युअल

ब्रिटेन की राजनीति के रूप में भी जाना जाता है।