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संगीत नाटक अकादमी

सूची संगीत नाटक अकादमी

संगीत नाटक अकादमी भारत सरकार द्वारा स्थापित भारत की संगीत एवं नाटक की राष्ट्रीय स्तर की सबसे बड़ी अकादमी है। इसका मुख्यालय दिल्ली में है। .

59 संबंधों: एम॰ एस॰ सुब्बुलक्ष्मी, एलैन डेनियलोउ, तीजनबाई, दया प्रकाश सिन्हा, धर्मवीर भारती, नादिरा बब्बर, नेमिचन्द्र जैन, प्रताप सहगल, बाला साहेब पूछवाले, बिरजू महाराज, बैरी जॉन, भारत सारावली, भारत की संस्कृति, भारतीय साहित्य अकादमी, भारतीय संगीत, भुपेन हजारिका, मधुर कपिला, महाराज कृष्ण रैना, मायाधर राउत, मोहन राकेश, मोहन आगाशे, रसूलन बाई, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, रिजवान ज़हीर उस्मान, रंजना गौहर, ललिता पवार, लालगुडी जयरामन, शर्मा बन्धु, शिवकुमार शर्मा, शेखर सेन, सत्यदेव दुबे, सत्यजित राय को मिले सम्मान, सितारा देवी, संगीत नाटक अकादमी, सुलभा देशपांडे, स्वदेश दीपक, हरि उप्पल, हरिप्रसाद चौरसिया, हाओबाम ओंगबी निंगबी देवी, हिन्दी नाटक, हेस्नाम कन्हाईलाल, ज़िया फ़रीदुद्दीन डागर, जे० ऍन० कौशल, जीतेंद्र अभिषेकी, विजय तेंडुलकर, गुल बर्धन, आषाढ़ का एक दिन, इब्राहीम अलकाजी, कलामण्डलम सत्यभामा, कांठे महाराज, ..., कुँवर नारायण, क्षत्रियम ओन्गबी थोरैनीसबी देवी, अरविन्द गौड़, अर्जुनदेव चारण, अस्मिता, अजॉय चक्रबर्ती, उदय शंकर, उल्हास काशलकर, २०१४ में निधन सूचकांक विस्तार (9 अधिक) »

एम॰ एस॰ सुब्बुलक्ष्मी

श्रीमती मदुरै षण्मुखवडिवु सुब्बुलक्ष्मी (16 सितंबर, 1916-2004) कर्णाटक संगीत की मशहूर संगीतकार थीं। आप शास्तीय संगीत की दुनिया में एम.

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एलैन डेनियलोउ

एलैन डेनियलोउ (4 अक्टूबर 1907– 27 जनवरी 1994) एक फ़्रान्स इतिहासकार बुद्धजीवि संगीतशास्त्र भारतविद्या शैव और पश्चिमी को बदलने के लिए शैव हिन्दू धर्म के विशेषज्ञ थे। 1991 में, उन्हें संगीत नाटक अकादमी फैलोशिप, सर्वोच्च सम्मान भारत के राष्ट्रीय एकेडमी फॉर संगीत, नृत्य और नाटक संगीत नाटक अकादमी से सम्मानित किया गया। .

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तीजनबाई

तीजनबाई (जन्म- २४ अप्रैल १९५६) भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के पंडवानी लोक गीत-नाट्य की पहली महिला कलाकार हैं। देश-विदेश में अपनी कला का प्रदर्शन करने वाली तीजनबाई को बिलासपुर विश्वविद्यालय द्वारा डी लिट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया है। वे सन १९८८ में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री और २००३ में कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से अलंकृत की गयीं। उन्हें १९९५ में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार तथा २००७ में नृत्य शिरोमणि से भी सम्मानित किया जा चुका है। भिलाई के गाँव गनियारी में जन्मी इस कलाकार के पिता का नाम हुनुकलाल परधा और माता का नाम सुखवती था। नन्हीं तीजन अपने नाना ब्रजलाल को महाभारत की कहानियाँ गाते सुनाते देखतीं और धीरे धीरे उन्हें ये कहानियाँ याद होने लगीं। उनकी अद्भुत लगन और प्रतिभा को देखकर उमेद सिंह देशमुख ने उन्हें अनौपचारिक प्रशिक्षण भी दिया। १३ वर्ष की उम्र में उन्होंने अपना पहला मंच प्रदर्शन किया। उस समय में महिला पंडवानी गायिकाएँ केवल बैठकर गा सकती थीं जिसे वेदमती शैली कहा जाता है। पुरुष खड़े होकर कापालिक शैली में गाते थे। तीजनबाई वे पहली महिला थीं जो जिन्होंने कापालिक शैली में पंडवानी का प्रदर्शन किया।। देशबन्धु।६ अक्टूबर, २००९ एक दिन ऐसा भी आया जब प्रसिद्ध रंगकर्मी हबीब तनवीर ने उन्हें सुना और तबसे तीजनबाई का जीवन बदल गया। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी से लेकर अनेक अतिविशिष्ट लोगों के सामने देश-विदेश में उन्होंने अपनी कला का प्रदर्शन किया। प्रदेश और देश की सरकारी व गैरसरकारी अनेक संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत तीजनबाई मंच पर सम्मोहित कर देनेवाले अद्भुत नृत्य नाट्य का प्रदर्शन करती हैं। ज्यों ही प्रदर्शन आरंभ होता है, उनका रंगीन फुँदनों वाला तानपूरा अभिव्यक्ति के अलग अलग रूप ले लेता है। कभी दुःशासन की बाँह, कभी अर्जुन का रथ, कभी भीम की गदा तो कभी द्रौपदी के बाल में बदलकर यह तानपूरा श्रोताओं को इतिहास के उस समय में पहुँचा देता है जहाँ वे तीजन के साथ-साथ जोश, होश, क्रोध, दर्द, उत्साह, उमंग और छल-कपट की ऐतिहासिक संवेदना को महसूस करते हैं। उनकी ठोस लोकनाट्य वाली आवाज़ और अभिनय, नृत्य और संवाद उनकी कला के विशेष अंग हैं। भारत भवन भोपाल में पंडवानी प्रस्तुति के दौरान .

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दया प्रकाश सिन्हा

दया प्रकाश सिन्हा (जन्म: २ मई १९३५, कासगंज, जिला एटा, उत्तर प्रदेश) एक अवकाशप्राप्त आई०ए०एस० अधिकारी होने के साथ-साथ हिन्दी भाषा के प्रतिष्ठित लेखक, नाटककार, नाट्यकर्मी, निर्देशक व चर्चित इतिहासकार हैं। प्राच्य इतिहास, पुरातत्व व संस्कृति में एम० ए० की डिग्री तथा लोक प्रशासन में मास्टर्स डिप्लोमा प्राप्त सिन्हा जी विभिन्न राज्यों की प्रशासनिक सेवाओं में रहे। साहित्य कला परिषद, दिल्ली प्रशासन के सचिव, भारतीय उच्चायुक्त, फिजी के प्रथम सांस्कृतिक सचिव, उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी व ललित कला अकादमी के अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ के निदेशक जैसे अनेकानेक उच्च पदों पर रहने के पश्चात सन् १९९३ में भारत भवन, भोपाल के निदेशक पद से सेवानिवृत्त हुए। नाट्य-लेखन के साथ-साथ रंगमंच पर अभिनय एवं नाट्य-निर्देशन के क्षेत्र में लगभग ५० वर्षों तक सक्रिय रहे सिन्हा जी की नाट्य कृतियाँ निरन्तर प्रकाशित, प्रसारित व मंचित होती रही हैं। अनेक देशों में भारत के सांस्कृतिक प्रतिनिधि के रूप में भ्रमण कर चुके श्री सिन्हा को कई पुरस्कार व सम्मान भी मिल चुके हैं। .

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धर्मवीर भारती

धर्मवीर भारती (२५ दिसंबर, १९२६- ४ सितंबर, १९९७) आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रमुख लेखक, कवि, नाटककार और सामाजिक विचारक थे। वे एक समय की प्रख्यात साप्ताहिक पत्रिका धर्मयुग के प्रधान संपादक भी थे। डॉ धर्मवीर भारती को १९७२ में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। उनका उपन्यास गुनाहों का देवता सदाबहार रचना मानी जाती है। सूरज का सातवां घोड़ा को कहानी कहने का अनुपम प्रयोग माना जाता है, जिस श्याम बेनेगल ने इसी नाम की फिल्म बनायी, अंधा युग उनका प्रसिद्ध नाटक है।। इब्राहीम अलकाजी, राम गोपाल बजाज, अरविन्द गौड़, रतन थियम, एम के रैना, मोहन महर्षि और कई अन्य भारतीय रंगमंच निर्देशकों ने इसका मंचन किया है। .

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नादिरा बब्बर

thumb नादिरा जहीर बब्बर हिन्दी फ़िल्म व नाटकों में अभिनय के लिए जानी जाती हैं। उनकी अपनी एक नाट्य संस्था है जिसका नाम एकजुट है। वे हिन्दी फिल्मों के अभिनेता व राजनेता राज बब्बर की पत्नी हैं। राज से उनका एक पुत्र आर्य व पुत्री जूही हैं। नादिरा को २००१ में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से नवाज़ा जा चुका है। हाल ही में उन्होंने गुरिंदर चड्ढ़ा की फ़िल्म ब्राइड एंड प्रिजुडिस में एश्वर्य राय की माँ की भूमिका अदा की थी। श्रेणी:भारतीय रंगकर्मी श्रेणी:भारतीय अभिनेत्री.

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नेमिचन्द्र जैन

नेमिचन्द्र जैन नेमिचन्द्र जैन (16 अगस्त 1919 -- 24 मार्च 2005) हिन्दी के सुप्रसिद्ध कवि, समालोचक, नाट्य-समीक्षक, पत्रकार, अनुवादक, शिक्षक थे। वे भारत की स्वतंत्रता के संघर्ष में भी शामिल हुए थे। ये नटरंग प्रतिष्ठान के अध्यक्ष थे। वे 1959-76 राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में वरिष्ठ प्राध्यापक, 1976-82 जवाहरलाल नेरूह विश्वविद्यालय के कला अनुशीलन केन्द्र के फैलो एवं प्रभारी रहे। अंग्रेजी दैनिक ‘स्टेट्समैन’ के नाट्य-समीक्षक, ‘दिनमान’ तथा ‘नवभारत टाइम्स’ के स्तम्भकार एवं रंगमंच की विख्यात पत्रिका ‘नटरंग’ से संस्थापक संपादक रहे। नाट्य विशेषज्ञ के रूप में रूप, अमरीका, इंगलैंड, पश्चिम एवं पूर्वी जर्मनी, फ्रांस, यूगोस्लाविया, चेकोस्लोवाकिया, पौलेंड आदि देशों की यात्रा की। .

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प्रताप सहगल

प्रताप सहगल हिन्दी के कवि, नाटककार, कहानीकार और आलोचक हैं। .

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बाला साहेब पूछवाले

पं.

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बिरजू महाराज

पंडित बृजमोहन मिश्र (जिन्हें बिरजू महाराज भी कहा जाता है)(जन्म: ४ फ़रवरी १९३८) प्रसिद्ध भारतीय कथक नर्तक एवं शास्त्रीय गायक हैं। ये शास्त्रीय कथक नृत्य के लखनऊ कालिका-बिन्दादिन घराने के अग्रणी नर्तक हैं। पंडित जी कथक नर्तकों के महाराज परिवार के वंशज हैं जिसमें अन्य प्रमुख विभूतियों में इनके दो चाचा व ताऊ, शंभु महाराज एवं लच्छू महाराज; तथा इनके स्वयं के पिता एवं गुरु अच्छन महाराज भी आते हैं। हालांकि इनका प्रथम जुड़ाव नृत्य से ही है, फिर भी इनकी हिन्दुस्तानी शास्त्रीय गायन पर भी अच्छी पकड़ है, तथा ये एक अच्छे शास्त्रीय गायक भी हैं। इन्होंने कत्थक नृत्य में नये आयाम नृत्य-नाटिकाओं को जोड़कर उसे नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।।बीबीसी हिंदी। प्रीति मान, फ़ोटो पत्रकार।21 नवंबर 2015 इन्होंने कत्थक हेतु '''कलाश्रम''' की स्थापना भी की है। इसके अलावा इन्होंने विश्व पर्यन्त भ्रमण कर सहस्रों नृत्य कार्यक्रम करने के साथ-साथ कत्थक शिक्षार्थियों हेतु सैंकड़ों कार्यशालाएं भी आयोजित की हैं। अपने चाचा, शम्भू महाराज के साथ नई दिल्ली स्थित भारतीय कला केन्द्र, जिसे बाद में कत्थक केन्द्र कहा जाने लगा; उसमें काम करने के बाद इस केन्द्र के अध्यक्ष पर भी कई वर्षों तक आसीन रहे। तत्पश्चात १९९८ में वहां से सेवानिवृत्त होने पर अपना नृत्य विद्यालय कलाश्रम भी दिल्ली में ही खोला। .

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बैरी जॉन

बैरी जॉन (जन्म: १९४४) (Barry John) ब्रिटेन में जन्मे एक भारतीय थियेटर निर्देशक और शिक्षक हैं, जो कि दिल्ली में स्थित शुरुआती थियेटर समूहों में से एक, थिएटर एक्शन ग्रुप (टीएजी) (१९७३) के संस्थापक-निदेशक रह चुके हैं। १९९७ में उन्होंने संजय सुगितभ के साथ मिलकर दिल्ली में इमागो मीडिया कंपनी और इमागो एक्टिंग स्कूल खोला था; दोनों ही मार्च २००७ में मुंबई स्थानांतरित कर दिए गए। इस स्कूल से उन्हें काफी प्रसिद्धि मिली, क्योंकि उनके कुछ छात्र आगे चलकर बॉलीवुड अभिनेता बने, जिनमें शाहरुख खान, मनोज वाजपेयी, समीर सोनी, शाइनी आहूजा, और फ्रीडा पिंटो प्रमुख हैं। १९९३ में उन्हें संगीत नाटक अकादमी द्वारा साहित्य कला परिषद पुरस्कार और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वह १९६९ के बाद से ही भारत में रह रहे हैं। मुंबई के अंधेरी में उनका एक अभिनय स्कूल स्थित है, जिसका नाम 'द बैरी जॉन एक्टिंग स्टूडियो' है। .

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भारत सारावली

भुवन में भारत भारतीय गणतंत्र दक्षिण एशिया में स्थित स्वतंत्र राष्ट्र है। यह विश्व का सातवाँ सबसे बड़ देश है। भारत की संस्कृति एवं सभ्यता विश्व की सबसे पुरानी संस्कृति एवं सभ्यताओं में से है।भारत, चार विश्व धर्मों-हिंदू धर्म, सिख धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म के जन्मस्थान है और प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता का घर है। मध्य २० शताब्दी तक भारत अंग्रेजों के प्रशासन के अधीन एक औपनिवेशिक राज्य था। अहिंसा के माध्यम से महात्मा गांधी जैसे नेताओं ने भारत देश को १९४७ में स्वतंत्र राष्ट्र बनाया। भारत, १२० करोड़ लोगों के साथ दुनिया का दूसरे सबसे अधिक आबादी वाला देश और दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाला लोकतंत्र है। .

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भारत की संस्कृति

कृष्णा के रूप में नृत्य करते है भारत उपमहाद्वीप की क्षेत्रीय सांस्कृतिक सीमाओं और क्षेत्रों की स्थिरता और ऐतिहासिक स्थायित्व को प्रदर्शित करता हुआ मानचित्र भारत की संस्कृति बहुआयामी है जिसमें भारत का महान इतिहास, विलक्षण भूगोल और सिन्धु घाटी की सभ्यता के दौरान बनी और आगे चलकर वैदिक युग में विकसित हुई, बौद्ध धर्म एवं स्वर्ण युग की शुरुआत और उसके अस्तगमन के साथ फली-फूली अपनी खुद की प्राचीन विरासत शामिल हैं। इसके साथ ही पड़ोसी देशों के रिवाज़, परम्पराओं और विचारों का भी इसमें समावेश है। पिछली पाँच सहस्राब्दियों से अधिक समय से भारत के रीति-रिवाज़, भाषाएँ, प्रथाएँ और परंपराएँ इसके एक-दूसरे से परस्पर संबंधों में महान विविधताओं का एक अद्वितीय उदाहरण देती हैं। भारत कई धार्मिक प्रणालियों, जैसे कि हिन्दू धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म और सिख धर्म जैसे धर्मों का जनक है। इस मिश्रण से भारत में उत्पन्न हुए विभिन्न धर्म और परम्पराओं ने विश्व के अलग-अलग हिस्सों को भी बहुत प्रभावित किया है। .

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भारतीय साहित्य अकादमी

भारत की साहित्य अकादमी भारतीय साहित्य के विकास के लिये सक्रिय कार्य करने वाली राष्ट्रीय संस्था है। इसका गठन १२ मार्च १९५४ को भारत सरकार द्वारा किया गया था। इसका उद्देश्य उच्च साहित्यिक मानदंड स्थापित करना, भारतीय भाषाओं और भारत में होनेवाली साहित्यिक गतिविधियों का पोषण और समन्वय करना है। .

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भारतीय संगीत

हिन्दुस्तानी संगीत सभा का दुर्लभ चित्र संगीत का रसास्वादन करती हुए एक स्त्री (पंजाब १७५०) भारतीय संगीत प्राचीन काल से भारत मे सुना और विकसित होता संगीत है। इस संगीत का प्रारंभ वैदिक काल से भी पूर्व का है। इस संगीत का मूल स्रोत वेदों को माना जाता है। हिंदु परंपरा मे ऐसा मानना है कि ब्रह्मा ने नारद मुनि को संगीत वरदान में दिया था। पंडित शारंगदेव कृत "संगीत रत्नाकर" ग्रंथ मे भारतीय संगीत की परिभाषा "गीतम, वादयम् तथा नृत्यं त्रयम संगीतमुच्यते" कहा गया है। गायन, वाद्य वादन एवम् नृत्य; तीनों कलाओं का समावेश संगीत शब्द में माना गया है। तीनो स्वतंत्र कला होते हुए भी एक दूसरे की पूरक है। भारतीय संगीत की दो प्रकार प्रचलित है; प्रथम कर्नाटक संगीत, जो दक्षिण भारतीय राज्यों में प्रचलित है और हिन्दुस्तानी संगीत शेष भारत में लोकप्रिय है। भारतवर्ष की सारी सभ्यताओं में संगीत का बड़ा महत्व रहा है। धार्मिक एवं सामाजिक परंपराओं में संगीत का प्रचलन प्राचीन काल से रहा है। इस रूप में, संगीत भारतीय संस्कृति की आत्मा मानी जाती है। वैदिक काल में अध्यात्मिक संगीत को मार्गी तथा लोक संगीत को 'देशी' कहा जाता था। कालांतर में यही शास्त्रीय और लोक संगीत के रूप में दिखता है। वैदिक काल में सामवेद के मंत्रों का उच्चारण उस समय के वैदिक सप्तक या सामगान के अनुसार सातों स्वरों के प्रयोग के साथ किया जाता था। गुरू-शिष्य परंपरा के अनुसार, शिष्य को गुरू से वेदों का ज्ञान मौखिक ही प्राप्त होता था व उन में किसी प्रकार के परिवर्तन की संभावना से मनाही थी। इस तरह प्राचीन समय में वेदों व संगीत का कोई लिखित रूप न होने के कारण उनका मूल स्वरूप लुप्त होता गया। .

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भुपेन हजारिका

भुपेन हजारिका (ভূপেন হাজৰিকা भूपेन हाजोरिका) (8 सितंबर, 1926- ५ नवम्बर २०११) भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम से एक बहुमुखी प्रतिभा के गीतकार, संगीतकार और गायक थे। इसके अलावा वे असमिया भाषा के कवि, फिल्म निर्माता, लेखक और असम की संस्कृति और संगीत के अच्छे जानकार भी रहे थे। वे भारत के ऐसे विलक्षण कलाकार थे जो अपने गीत खुद लिखते थे, संगीतबद्ध करते थे और गाते थे। उन्हें दक्षिण एशिया के श्रेष्ठतम जीवित सांस्कृतिक दूतों में से एक माना जाता है। उन्होंने कविता लेखन, पत्रकारिता, गायन, फिल्म निर्माण आदि अनेक क्षेत्रों में काम किया। भूपेन हजारिका के गीतों ने लाखों दिलों को छुआ। हजारिका की असरदार आवाज में जिस किसी ने उनके गीत "दिल हूम हूम करे" और "ओ गंगा तू बहती है क्यों" सुना वह इससे इंकार नहीं कर सकता कि उसके दिल पर भूपेन दा का जादू नहीं चला। अपनी मूल भाषा असमिया के अलावा भूपेन हजारिका हिंदी, बंगला समेत कई अन्य भारतीय भाषाओं में गाना गाते रहे थे। उनहोने फिल्म "गांधी टू हिटलर" में महात्मा गांधी का पसंदीदा भजन "वैष्णव जन" गाया था। उन्हें पद्मभूषण सम्मान से भी सम्मानित किया गया था। .

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मधुर कपिला

'''मधुर''' कपिला मधुर कपिला (जन्म 15 अप्रैल, 1942) एक उपन्यासकार, पत्रकार, और हिन्दी साहित्य एवं कला की समीक्षक हैं। .

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महाराज कृष्ण रैना

महाराज कृष्ण रैना, या आम प्रचलित एम॰ के॰ रैना भारतीय रंगमंच के प्रसिद्ध निर्देशक, अभिनेता एवं जाने-माने चलचित्र कलाकार हैं। १९७० में उन्होंने राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से स्नातक किया और सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के रूप में सम्मानित किए गए। इसके बाद १९७२ से वे स्वतंत्र रंगकर्मी के रूप में सक्रीय हैं। उन्होंने फ़िल्मों सहित भारत की विभिन्न भाषाओं के नाटकों और पारंपरिक नाट्य रूपों पर काम किया है। भारतीय संगीत नाट्य अकादमी ने १९९५ ई. में उन्हें सर्वश्रेष्ठ निर्देशन का पुरस्कार प्रदान किया। श्रेणी:भारतीय रंगकर्मी श्रेणी:रंगमंच श्रेणी:संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार श्रेणी:रंग निर्देशक श्रेणी:1948 में जन्मे लोग श्रेणी:हिंदी रंगकर्मी श्रेणी:हिन्दी अभिनेता श्रेणी:भारतीय टेलिविज़न अभिनेता.

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मायाधर राउत

गुरु मायाधर राउत (Guru Mayadhar Raut) (जन्म 6 जुलाई, 1930) एक भारतीय शास्त्रीय ओडिसी नर्तक, कोरियोग्राफर और गुरु हैं। .

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मोहन राकेश

मोहन राकेश(८ जनवरी १९२५ - ३ जनवरी, १९७२) नई कहानी आन्दोलन के सशक्त हस्ताक्षर थे। पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए किया। जीविकोपार्जन के लिये अध्यापन। कुछ वर्षो तक 'सारिका' के संपादक। 'आषाढ़ का एक दिन','आधे अधूरे' और लहरों के राजहंस के रचनाकार। 'संगीत नाटक अकादमी' से सम्मानित। ३ जनवरी १९७२ को नयी दिल्ली में आकस्मिक निधन। मोहन राकेश हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और उपन्यासकार हैं। समाज के संवेदनशील व्यक्ति और समय के प्रवाह से एक अनुभूति क्षण चुनकर उन दोनों के सार्थक सम्बन्ध को खोज निकालना, राकेश की कहानियों की विषय-वस्तु है। मोहन राकेश की डायरी हिंदी में इस विधा की सबसे सुंदर कृतियों में एक मानी जाती है। .

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मोहन आगाशे

डॉ मोहन महादेव आगाशे (जन्म 23 जुलाई 1947) एक भारतीय रंगमंच और फिल्म अभिनेता और मनोचिकित्सक है। 1996 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। .

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रसूलन बाई

रसूलन बाई (1902 – 15 दिसम्बर, 1974) एक अग्रणी भारतीय हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत गायन संगीतकार है। बनारस घराने से संबंधित  वह विशेष रूप में रोमांटिक पूरब अंग की ठुमरी संगीत शैली और टप्पा में प्रबीन थी। .

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राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय

राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (National School of Drama, NSD), रंगमंच का प्रशिक्षण देने वाली सबसे महत्वपूर्ण संस्था है जो दिल्ली में है। इसकी स्थापना संगीत नाटक अकादमी ने 1959 में की थी। यह भारत सरकार के अंतर्गत एक स्वशासी संस्थान है। .

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रिजवान ज़हीर उस्मान

रिजवान ज़हीर उस्मान (12 अगस्त 1948- 03 नवंबर 2012) राजस्थान के एक भारतीय साहित्यकार और नाट्यकर्मी थे। वे हिंदी के आधुनिक नाटककारों में अपनी मौलिक नाटकीयता के कारण जाने जाते हैं। उन्होने 100 से अधिक कहानियों और 150 नाटकों के लेखन के अलावा कला, साहित्य, कहानी, और नाटक के क्षेत्र में जीवनभर योगदान दिया था। उन्होंने करीब डेढ़ सौ से अधिक नाटकों का मंचन व प्रदर्शन किया और स्वयं अभिनय करते 50 से अधिक नाटकों का निर्देशन भी किया। उन्हें संगीत नाटक अकादमी द्वारा नाट्य लेखन एवं निर्देशन के लिए 'लाइफ टाइम एचीवमेंट अवार्ड' से सम्मानित किया जा चुका है। साहित्य अकादमी द्वारा नाटक ’कल्पना पिशाच’ के लिये 'देवीलाल सामर नाट्य लेखन पुरस्कार’ दिया जा चुका है। जयपुर के जवाहर कला केन्द्र द्वारा आयोजित पूर्वांकी नाट्य-लेखन में सर्वश्रेष्ठ नाटक ‘वही हुआ जिसका डर था तितली कों‘ पुरस्कृत किया गया था। किडनी की समस्या के कारण लम्बी बीमारी के बाद उनके पैतृक निवास भूत-महल मोहल्ले में हाथीपोल उदयपुर में उनका निधन हो गया। उस्मान सही अर्थों में एक आधुनिक/ उत्तर-आधुनिक रंगकर्मी थे, जिनकी नाट्य-दृष्टि अगर आधुनिक साहित्य, खास तौर पर कविताओं से प्रेरणा लेती थी तो बहुधा उसका विसर्जन राजनीति के ज्वलंत सवालों से टकराहट में होता था । उस्मान मूलतः राजनैतिक मंतव्यों के नाट्य-शिल्पी थे और उनका पक्ष स्पष्ट – कि नाटक महज़ मनोरंजन की विधा नहीं, उसका एक सन्देश भी है, मानव-संवेदना के परिष्कार के पक्ष में एक साफ़-सुथरा उद्देश्य भी । मनुष्य की नियति और अवस्थिति की वह बड़े गहरी समझ वाले निर्देशक और लेखक थे । विडम्बना, असमानता, हिंसा, हत्या, शोषण, लालच, वासना, ईर्ष्या, पूंजीवाद, संहार, युद्ध उनके लिए सिर्फ शब्द नहीं थे- इन सब के नाट्य-प्रतीक उस्मान ने अपने नाटकों में इतनी भिन्नता से रचे कि देख कर ताज्जुब में पड़ जाना होता है। इतिहास, परंपरा और संस्कृति पर उनकी स्वयं की एक अंतर्दृष्टि थी और एक अल्पसंख्यक होते हुए भी उनका सम्पूर्ण लेखन हर तरह की सीमित साम्प्रदायिकता, ओछे धार्मिक-वैमनस्य और सामजिक-प्रतिहिंसा के कीटाणुओं से पूरी तरह मुक्त था। नाटक बनाने सोचने लिखने और मंच पर लाने की उनकी एक खास 'स्टाइल' थी, और उनकी शैली की नक़ल लगभग असंभव। उनके नाट्य-प्रयोग और उनके नाटकों के अनेकानेक दृश्यबंध ही नहीं, पात्र और उनके नाम तक उस्मान के अपने निहायत मौलिक हस्ताक्षरों की अप्रतिमता का इज़हार करते जान पड़ते हैं। तोता, कोरस, आद, छठी इन्द्रिय, हक्का, पैसे वाली पार्टी, लेबर, ईगो, योद्धा, दिवंगत दादाजान, मामा, बहुत बड़ा सांप........आदि उस्मान के‘पात्रों’ में शुमार हैं। हर पात्र की अपनी अंतर्कथा और चरित्र है- हर पात्र नाटक में ज़रूरी पात्र है और कथानक में उसकी अपनी जगह अप्रतिम। ‘राजस्थान साहित्य अकादमी’ उदयपुर ने इनके कुछ नाटकों- 'आखेट-कथा',,'अनहद नाद' दोनों सही, दोनों गलत', 'बंसी टेलर', 'भीड़', 'चन्द्रसिंह गढ़वाली', 'छलांग' 'दिन में आधी रात', 'एकतरफा यातायात', 'लोमड़ियाँ', ' माँ का बेटा और कटार वाले नर्तक', 'मेरे गुनाहों को बच्चे माफ़ करें', 'पुत्र', 'रहम दिल सौदागर', 'यहाँ एक जंगल था श्रीमान' को ‘मधुमती’ में समय-समय पर प्रकाशित किया है.

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रंजना गौहर

रंजना गौहर प्रसिद्ध ओडिसी नृत्यांगना, केरियोग्राफर तथा फिल्म निर्मात्री हैं। उन्हे पद्मश्री व संगीत नाटक अकादमी के पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है। वह ओडिसी नृत्य के संदर्भ में एक किताब ('ओडिसी द डांस डिवाइन') भी लिख चुकी हैं। .

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ललिता पवार

ललिता पवार हिन्दी फिल्मों की एक अभिनेत्री हैं। .

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लालगुडी जयरामन

लालगुडी जयराम अय्यर (லால்குடி ஜயராம ஐயர்) (जन्म - 17 सितम्बर 1930, भारत) एक प्रसिद्ध कर्नाटिक वायलिनवादक, गायक और संगीतकार हैं। .

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शर्मा बन्धु

उज्जैन निवासी गोपाल शर्मा, सुखदेव शर्मा, कौशलेन्द्र शर्मा और राघवेन्द्र शर्मा ये चारों भाई शर्मा बन्धु के नाम से जाने जाते हैं। भजन गायकी में एक नया ट्रेंड स्थापित करने का श्रेय इन्हीं भाईयों को जाता है। चारों मिलकर जब कोई भजन गाते हैं तो भक्ति भाव का बेहद अदभुत वातावरण बन जाता है। शर्मा बंधुओं की निर्झर कल-कल बहती अमृत वाणी से भगवान महादेव की स्‍तुति सुनना अविस्मर्णीय अनुभव है। 'सूरज की गर्मी से तपते हुए तन को मिल जाए तरुवर की छाया'......

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शिवकुमार शर्मा

पंडित शिवकुमार शर्मा (जन्म १३ जनवरी, १९३८, जम्मू, भारत) प्रख्यात भारतीय संतूर वादक हैं। संतूर एक कश्मीरी लोक वाद्य होता है। इनका जन्म जम्मू में गायक पंडित उमा दत्त शर्मा के घर हुआ था। १९९९ में रीडिफ.कॉम को दिये एक साक्षातकार में उन्होंने बताया कि इनके पिता ने इन्हें तबला और गायन की शिक्षा तब से आरंभ कर दी थी, जब ये मात्र पाँच वर्ष के थे। इनके पिता ने संतूर वाद्य पर अत्यधिक शोध किया और यह दृढ़ निश्चय किया कि शिवकुमार प्रथम भारतीय बनें जो भारतीय शास्त्रीय संगीत को संतूर पर बजायें। तब इन्होंने १३ वर्ष की आयु से ही संतूर बजाना आरंभ किया और आगे चलकर इनके पिता का स्वप्न पूरा हुआ। इन्होंने अपना पहला कार्यक्रम बंबई में १९५५ में किया था। १९८८ में वादन करते हुए शिवकुमार शर्मा संतूर के महारथी होने के साथ साथ एक अच्छे गायक भी हैं। एकमात्र इन्हें संतूर को लोकप्रिय शास्त्रीय वाद्य बनाने में पूरा श्रेय जाता है। इन्होंने संगीत साधना आरंभ करते समय कभी संतूर के विषय में सोचा भी नहीं था, इनके पिता ने ही निश्चय किया कि ये संतूर बजाया करें। इनका प्रथम एकल एल्बम १९६० में आया। १९६५ में इन्होंने निर्देशक वी शांताराम की नृत्य-संगीत के लिए प्रसिद्ध हिन्दी फिल्म झनक झनक पायल बाजे का संगीत दिया। १९६७ में इन्होंने प्रसिद्ध बांसुरी वादक पंडित हरिप्रसाद चौरसिया और पंडित बृजभूषण काबरा की संगत से एल्बम कॉल ऑफ द वैली बनाया, जो शास्त्रीय संगीत में बहुत ऊंचे स्थान पर गिना जाता है। इन्होंने पं.

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शेखर सेन

शेखर सेन हिन्दी नाट्य जगत के गायक, संगीतकार, गीतकार एवं अभिनेता हैं। वे अपने एक पात्रीय प्रस्तुतियों "तुलसी", "कबीर", "विवेकानन्द" और "साहेब" के लिये जाने जाते हैं। वे संगीत नाटक अकादमी के वर्तमान अध्यक्ष हैं। .

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सत्यदेव दुबे

सत्यदेव दुबे (19 मार्च 1936 -25 दिसम्बर 2011), भारतीय रंगमंच निर्देशक, अभिनेता, नाटककार, पटकथा लेखक और चलचित्र अभिनेता तथा निर्देशक थे। रंगमंच और चलचित्र से जुड़े महती कार्यों के लिए उन्हें १९७१ ई. में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। १९७८ में उन्होंने श्याम बेनेगल द्वारा निर्देशित हिंदी चलचित्र भूमिका के लिए सर्वश्रेष्ठ पटकथा का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्राप्त किया। १९८० ई. में उन्हें जुनून के लिए सर्वश्रेष्ठ संवाद का पुरस्कार मिला। २०११ में उन्हें भारत सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित किया। .

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सत्यजित राय को मिले सम्मान

निम्नांकित सूची विख्यात भारतीय फ़िल्म निर्देशक सत्यजित राय को मिले सम्मानों को प्रदर्शित करती है। इससे उनके विश्वव्यापी ख्याति, उनकी दृष्टि एव्ं उनके कार्यों का परिचय मिलता है़। .

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सितारा देवी

मोटे अक्षर'तिरछे अक्षर सितारा देवी (8 नवम्बर, 1920 – 25 नवम्बर, 2014)) भारत की प्रसिद्ध कत्थक नृत्यांगना थीं। जब वे मात्र १६ वर्ष की थीं, तब उनके नृत्य को देखकर रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने उन्हें 'नृत्य सम्राज्ञी' कहकर सम्बोधित किया था। उन्होने भारत तथा विश्व के विभिन्न भागों में नृत्य का प्रदर्शन किया। इनका जन्म 1920 के दशक की एक दीपावली की पूर्वसंध्या पर कलकत्ता हुआ था। इनका मूल नाम धनलक्ष्मी और घर में धन्नो था। इनको बचपन में मां-बाप के लाड-दुलार से वंचित होना पड़ा था। मुंह टेढ़ा होने के कारण भयभीत मां-बाप ने उसे एक दाई को सौंप दिया जिसने आठ साल की उम्र तक उसका पालन-पोषण किया। इसके बाद ही सितारा देवी अपने मां बाप को देख पाईं। उस समय की परम्परा के अनुसार सितारा देवी का विवाह आठ वर्ष की उम्र में हो गया। उनके ससुराल वाले चाहते थे कि वह घरबार संभालें लेकिन वह स्कूल में पढना चाहती थीं।|हिन्दुस्तान लाईव स्कूल जाने के लिए जिद पकड लेने पर उनका विवाह टूट गया और उन्हें कामछगढ हाई स्कूल में दाखिल कराया गया। वहां उन्होंने मौके पर ही नृत्य का उत्कृष्ट प्रदर्शन करके सत्यवान और सावित्री की पौराणिक कहानी पर आधारित एक नृत्य नाटिका में भूमिका प्राप्त करने के साथ ही अपने साथी कलाकारों को नृत्य सिखाने का उत्तरदायित्व भी प्राप्त कर लिया। .

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संगीत नाटक अकादमी

संगीत नाटक अकादमी भारत सरकार द्वारा स्थापित भारत की संगीत एवं नाटक की राष्ट्रीय स्तर की सबसे बड़ी अकादमी है। इसका मुख्यालय दिल्ली में है। .

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सुलभा देशपांडे

सुलभा देशपांडे (1937 – 4 जून 2016), हिन्दी फ़िल्मों की एक अभिनेत्री थीं। उन्होने विजय तेंदुलकर जैसे प्रख्यात नाट्य लेखकों द्वारा लिखे नाटकों में अभिनय के अलावा कई मराठी और हिंदी फिल्मों तथा टीवी सीरियलों में काम किया था। उन्होंने हिंदी सिनेमा में ‘भूमिका’, ‘अरविंद देसाई की अजीब दास्तान’,‘गमन’ आदि फिल्मों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने अपने पति अरविंद देशपांडे के साथ वर्ष 1971 में थियेटर ग्रुप ‘आविष्कार’ का गठन किया था। वर्ष 2012 में उन्होंने गौरी शिंदे निर्देशित फिल्म ‘इंग्लिश विंग्लिस’ में काम किया था। उन्हें वर्ष 1987 में हिंदी-मराठी थियेटर में अभिनय के लिए संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। .

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स्वदेश दीपक

स्वदेश दीपक (१९४२ -) एक भारतीय नाटककार, उपन्यासकार और लघु कहानी लेखक है। उन्होंने १५ से भी अधिक प्रकाशित पुस्तके लिखी हैं। स्वदेश दीपक हिंदी साहित्यिक परिदृश्य पर १९६० के दशक के मध्य से सक्रिय है। उन्होंने हिंदी और अंग्रेजी में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की थी। छब्बीस साल उन्होंने अम्बाला के गांधी मेमोरियल कालेज मे अंग्रेजी साहित्य पढ़ाया। उन्हें संगीत नाटक अकादमी सम्मान (२००४) से सम्मानिय किया गया। वे २ जून २००६ को, सुबह की सैर के लिए निकले और आज तक वापस नही आए। .

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हरि उप्पल

हरि उप्पल (Hari Uppal) (1926-2011) एक भारतीय शास्त्रीय नर्तक और एक शास्त्रीय नृत्य अकादमी भारतीय नृत्यिका मंदिर के संस्थापक थे। वह कथकली और मणिपुरी के नृत्य रूपों में अपनी विशेषज्ञता के लिए जाना जाता है। उन्हें भारत सरकार द्वारा 2010 में, देश के चौथे उच्चतम भारतीय नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। .

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हरिप्रसाद चौरसिया

thumb हरिप्रसाद चौरसिया (१९८८ में) हरिप्रसाद चौरसिया या पंडित हरिप्रसाद चौरसिया (जन्म: १ जुलाई १९३८इलाहाबाद) प्रसिद्ध बांसुरी वादक हैं। उन्हे भारत सरकार ने १९९२ में पद्म भूषण तथा सन २००० में पद्मविभूषण से सम्मानित किया था। .

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हाओबाम ओंगबी निंगबी देवी

हाओबाम ओंगबी निंगबी देवी (Haobam Ongbi Ngangbi Devi) (1 अगस्त 1924 - 12 जून 2014) एक भारतीय शास्त्रीय नृत्यांगना और संगीतकार थी जो ला हाराबा और रास मनीपुरी नृत्य रूपों में अपनी विशेषज्ञता के लिए जानी जाती थी। वह भारत सरकार द्वारा 2010 में देश के चौथे उच्चतम भारतीय नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। .

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हिन्दी नाटक

हिंदी में नाटकों का प्रारंभ भारतेन्दु हरिश्चंद्र से माना जाता है। उस काल के भारतेन्दु तथा उनके समकालीन नाटककारों ने लोक चेतना के विकास के लिए नाटकों की रचना की इसलिए उस समय की सामाजिक समस्याओं को नाटकों में अभिव्यक्त होने का अच्छा अवसर मिला। जैसाकि कहा जा चुका है, हिन्दी में अव्यावसायिक साहित्यिक रंगमंच के निर्माण का श्रीगणेश आगाहसन ‘अमानत’ लखनवी के ‘इंदर सभा’ नामक गीति-रूपक से माना जा सकता है। पर सच तो यह है कि ‘इंदर सभा’ की वास्तव में रंगमंचीय कृति नहीं थी। इसमें शामियाने के नीचे खुला स्टेज रहता था। नौटंकी की तरह तीन ओर दर्शक बैठते थे, एक ओर तख्त पर राजा इंदर का आसन लगा दिया जाता था, साथ में परियों के लिए कुर्सियाँ रखी जाती थीं। साजिंदों के पीछे एक लाल रंग का पर्दा लटका दिया जाता था। इसी के पीछे से पात्रों का प्रवेश कराया जाता था। राजा इंदर, परियाँ आदि पात्र एक बार आकर वहीं उपस्थित रहते थे। वे अपने संवाद बोलकर वापस नहीं जाते थे। उस समय नाट्यारंगन इतना लोकप्रिय हुआ कि अमानत की ‘इंदर सभा’ के अनुकरण पर कई सभाएँ रची गई, जैसे ‘मदारीलाल की इंदर सभा’, ‘दर्याई इंदर सभा’, ‘हवाई इंदर सभा’ आदि। पारसी नाटक मंडलियों ने भी इन सभाओं और मजलिसेपरिस्तान को अपनाया। ये रचनाएँ नाटक नहीं थी और न ही इनसे हिन्दी का रंगमंच निर्मित हुआ। इसी से भारतेन्दु हरिश्चन्द्र इनको 'नाटकाभास' कहते थे। उन्होंने इनकी पैरोडी के रूप में ‘बंदर सभा’ लिखी थी। .

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हेस्नाम कन्हाईलाल

हेस्नाम कन्हाईलाल (17 जनवरी 1941 – 6 अक्तूबर 2016)मणिपुर से एक प्रसिद्ध भारतीय रंगमंच निर्देशक थे। वे ‘कलाक्षेत्र मणिपुर’ के संस्थापक-निदेशक थे। ‘मेमायर्स ऑफ अफ्रीका’, ‘कर्ण’, ‘पेबेट’ ‘डाकघर’, ‘अचिन गायनेर गाथा’ तथा ‘द्रोपदी’ आदि उनकी चर्चित नाट्य प्रस्तुतियां हैं। महाश्वेता देवी की कहानी पर आधारित उनकी प्रस्तुति द्रोपदी अत्यंत प्रशंसित और विवादित रही है। उन्हें वर्ष 1985 में संगीत नाटक अकादमी, वर्ष 2004 में पद्मश्री तथा वर्ष 2016 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था। वे संगीत नाटक अकादमी के फेलो भी थे। उन्होंने अपने जीवनकाल में भारतीय रंगमंच की विविधिता को समृद्ध किया है। उनकी मृत्यु 6 अक्टूबर, 2016 को मणिपुर की राजधानी इम्फालमें हो गयी। .

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ज़िया फ़रीदुद्दीन डागर

ज़िया फ़रीदुद्दीन डागर (15 जून 1932 - 8 मई 2013) एक भारतीय ध्रुपद गायक थे। वे ध्रुपदिया गायक उस्ताद ज़ियाउददीन डागर के बेटे थे, जो उदयपुर के महाराणा भूपाल सिंह के दरबार में संगीतज्ञ थे। उन्हें मध्य प्रदेश सरकार द्वारा "तानसेन सम्मान" दिया गया। संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से वे सम्मानित किए गए। उन्हें भारत सरकार द्वारा 2012 में पद्म श्री से सम्मानित करने की घोषणा की गई पर उन्होंने सम्मान लेने से इंकार कर दिया। उनका कहना था कि सरकार ने सीनियरिटी को नजरअंदाज़ करते हुए उनसे जूनियर ध्रुपद गायकों यह सम्मान पहले ही दे दिया था। .

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जे० ऍन० कौशल

जे.एन.कौशल (जितेन्द्र नाथ कौशल)-(४ फरवरी,१९३६ - १९ अप्रैल २००४) सुप्रसिद्ध भारतीय रंगकर्मी, लेखक और नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा रंगमंडल के (रिपर्टरी कंपनी) के पूर्व प्रमुख थे। उन्होंने कई नाटकों का निर्देशन और हिन्दी अनुवाद भी किया। वे नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में अध्ययन फिर अध्यापन और कमला देवी चट्टोपाध्याय के साथ भारतीय नाट्य संघ से जुड़े थे। उनके निर्देशन में लोकप्रिय होने वाले प्रमुख नाटक थे अमीर खुसरो और दर्द आएगा दबे पाँव। उन्होंने हेनरिक इब्सन के नाटक एन एनेमी ऑफ़ द पीपुल (An Enemy of the People) का हिन्दी रूपांतर जनशत्रु के नाम से तथा ऊगो बेत्ती के नाटक द क्वीन ऐण्ड द रेबेल्ज़ का बेगम और बागी नाम से किया। इसके अतिरिक्त एक सेल्समेन की मौत, क्या करेगा काजी और जीन पॉल सार्त्र के नाटक मेन विदाउट शैडोज़ का हिन्दी रूपांतर मौत के साये में उनकी लोकप्रिय रूपांतरित कृतियाँ थी। किरण भटनागर द्वारा संपादित उनके संस्मरणों का संग्रह दर्द आया था दबे पाँव में जे.

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जीतेंद्र अभिषेकी

पंडित जितेंद्र अभिषेकी (जितेंद्र अभिषेकी; 21 सितंबर 1929 – 7 नवंबर 1998) एक भारतीय गायक, संगीतकार और भारतीय शास्त्रीय, अर्द्ध शास्त्रीय, भक्ति संगीत तथा हिन्दुस्तानी संगीत के प्रतिष्ठित विद्वान थे। इन्हें 1960 के दशक में मराठी थिएटर संगीत के पुनरुद्धार के लिए भी श्रेय दिया जाता है। .

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विजय तेंडुलकर

विजय तेंडुलकर विजय तेंडुलकर (६ जनवरी १९२८ - १९ मई २००८) प्रसिद्ध मराठी नाटककार, लेखक, निबंधकार, फिल्म व टीवी पठकथालेखक, राजनैतिक पत्रकार और सामाजिक टीपकार थे। भारतीय नाट्य व साहित्य जगत में उनका उच्च स्थान रहा है। वे सिनेमा और टेलीविजन की दुनिया में पटकथा लेखक के रूप में भी पहचाने जाते हैं। .

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गुल बर्धन

गुल बर्धन (Gul Bardhan) (1928 - 29 नवंबर 2010) भोपाल, मध्य प्रदेश, भारत स्थित कोरियोग्राफर और थियेटर व्यक्तित्व थी। वह भारतीय पीपुल्स थियेटर एसोसिएशन के साथ जुडी हुई थी। वह लिटिल बैलेट मंडली की सह-संस्थापक भी थी। लिटिल बैलेट मंडली 1952 में बॉम्बे में गठित एक नृत्य कंपनी थी। 1954 में अपने पति की मृत्यु के बाद, गुल बर्धन लिटिल बैलेट मंडली कंपनी की अध्यक्षता की। बाद में इसे "रंग श्री लिटिल बैलेट मंडली" का नाम दिया गया और जिसने विभिन्न देशों में अपना प्रदर्शन किया। उन्होंने 2010 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और पद्म श्री (भारत का चौथा उच्चतम नागरिक पुरस्कार) सहित कई पुरस्कार प्राप्त किए। .

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आषाढ़ का एक दिन

नाटककार मोहन राकेश ने ''आषाढ़ का एक दिन'' १९५८ में प्रकाशित किया आषाढ़ का एक दिन सन १९५८ में प्रकाशित और नाटककार मोहन राकेश द्वारा रचित एक हिंदी नाटक है। इसे कभी-कभी हिंदी नाटक के आधुनिक युग का प्रथम नाटक कहा जाता है। १९५९ में इसे वर्ष का सर्वश्रेष्ठ नाटक होने के लिए संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया और कईं प्रसिद्ध निर्देशक इसे मंच पर ला चुकें हैं। १९७१ में निर्देशक मणि कौल ने इस पर आधारित एक फ़िल्म बनाई जिसने आगे जाकर साल की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार जीत लिया। आषाढ़ का एक दिन महाकवि कालिदास के निजी जीवन पर केन्द्रित है, जो १०० ई॰पू॰ से ५०० ईसवी के अनुमानित काल में व्यतीत हुआ। .

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इब्राहीम अलकाजी

इब्राहीम अलकाजी-भारतीय रंगमंच निदेशक और नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के पूर्व निदेशक है। ऊन्होने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के साथ कई नाटकों का निर्देशन किया। प्रसिद्ध प्रस्तुतियों, गिरीश कर्नाड का तुगलक, मोहन राकेश का आश़ाड् का एक दिन और धर्मवीर भारती का अंधा युग .

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कलामण्डलम सत्यभामा

कलामण्डलम सत्यभामा (अँग्रेजी: Kalamandalam V. Satyabhama, लगभग 1937-13 सितंबर, 2015), एक भारतीय शास्त्रीय नर्तकी, शिक्षक और कोरियोग्राफर के साथ-साथ भारत के केरल राज्य की प्रसिद्ध मोहिनीअट्टम नृत्यांगना थीं। उन्होने मोहिनीअट्टम के साथ कई प्रयोगात्मक सुधार करके इस पारंपरिक नृत्य शैली को राज्य में लोकप्रिय बनाया। उन्हें कला के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए 2014 में भारत सरकार ने पद्मश्री से तथा वर्ष 1994 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया। वे केरल राज्य से हैं। उन्होने बारह वर्ष की उम्र में त्रिसूर स्थित कला प्रशिक्षण संस्थान कलामंडलम में दाखिला लिया। इस संस्थान की स्थापना मलयाली कवि वल्लाठोल नारायण मेनन ने की थी। बाद में वह इस संस्थान की वे प्राचार्य भी बनीं और 1992 में यहां से सेवानिवृत्त हुईं। उनका विवाह कथकली के नर्तक दिवंगत कलामंडलम पद्मनाभन नायर के साथ हुआ था। .

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कांठे महाराज

कांठे महाराज (१८८०-१ अगस्त १९७०) भारत के प्रसिद्ध तबला वादक रहे हैं। ये बनारस घराने से थे। इनका जन्म १८८० में कबीर चौराहा मोहल्ले, वाराणसी में हुआ था।-इन्क्रेडिबल पीपल इनके पिता पंडित दिलीप मिश्र भी जाने माने तबला वादक थे। इनकी आरंभिक संगीत शिक्षा बलदेव दहियाजी से आरंभ हुई थी। कांठे महाराज को प्रथम संगीतज्ञ माना जाता है, जिन्होंने तबला वादन द्वारा स्तुति प्रतुत की थी। लगभग ७० वर्ष तक इन्होंने सभी विख्यात गायकों एवं नर्तकों को अपने तबले पर संगति दी। १९५४ में इन्होंने ढाई घंटे लगातार तबला बजाने का विश्व कीर्तिमान स्थापित किया था। इन्हें सभी शैलियों में तबला वादन पर महारत प्राप्त थी, किंतु इनकी विशेषता बनारस बज में थी। १९६१ में इन्हें संगीत नाटक अकादमी द्वारा सम्मानित किया गया था। १ अगस्त, १९७० को ९० वर्ष की आयु में इनकी मृत्यु हो गयी। इनके भतीजे किशन महाराज भी विख्यात तबला वादक हैं।। बीबीसी-हिन्दी, ४ मई २००८ .

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कुँवर नारायण

कुँवर नारायण का जन्म १९ सितंबर १९२७ को हुआ। नई कविता आंदोलन के सशक्त हस्ताक्षर कुँवर नारायण अज्ञेय द्वारा संपादित तीसरा सप्तक (१९५९) के प्रमुख कवियों में रहे हैं। कुँवर नारायण को अपनी रचनाशीलता में इतिहास और मिथक के जरिये वर्तमान को देखने के लिए जाना जाता है। कुंवर नारायण का रचना संसार इतना व्यापक एवं जटिल है कि उसको कोई एक नाम देना सम्भव नहीं। यद्यपि कुंवर नारायण की मूल विधा कविता रही है पर इसके अलावा उन्होंने कहानी, लेख व समीक्षाओं के साथ-साथ सिनेमा, रंगमंच एवं अन्य कलाओं पर भी बखूबी लेखनी चलायी है। इसके चलते जहाँ उनके लेखन में सहज संप्रेषणीयता आई वहीं वे प्रयोगधर्मी भी बने रहे। उनकी कविताओं-कहानियों का कई भारतीय तथा विदेशी भाषाओं में अनुवाद भी हो चुका है। ‘तनाव‘ पत्रिका के लिए उन्होंने कवाफी तथा ब्रोर्खेस की कविताओं का भी अनुवाद किया है। 2009 में कुँवर नारायण को वर्ष 2005 के लिए देश के साहित्य जगत के सर्वोच्च सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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क्षत्रियम ओन्गबी थोरैनीसबी देवी

क्षत्रियम ओन्गबी थोरैनीसबी देवी एक भारतीय शास्त्रीय नर्तक और लेखक है, जो मणिपुरी के भारतीय शास्त्रीय नृत्य रूप में विशेषज्ञता है। उन्हें २००३ में भारत सरकार द्वारा पद्म श्री, चौथे उच्चतम भारतीय नागरिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उनका ३ नवंबर १९४६ को भारत के मणिपुर में एक छोटे से गांव सिंगजैमी सपम लेईकाई में पैदा हुई। उन्होंने ६ वर्ष की आयु में मंच प्रदर्शन शुरू कर दिया था। उन्होंने भारत और कनाडा, पश्चिम जर्मनी, लंदन, दुबई और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे अन्य देशों में कई कला त्योहारों में प्रदर्शन किया है। देवी महाराजा ओकद्रजीत सिंह से रॉयल बागे के प्राप्तकर्ता हैं और मणिपुर सरकार से स्वर्ण पदक प्राप्त किया है। मणिपुर राज्य कला अकादमी ने १९७७ में उन्हें वार्षिक पुरस्कार से सम्मानित किया। १९८० में संगीत नाटक अकादमी ने एक पुरस्कार से सम्मानित किया। १९९१ में मणिपुर सरकार से उन्हें प्रमाण पत्र का सम्मान मिला। उन्हें २००३ में भारत सरकार द्वारा पद्म श्री, चौथे उच्चतम भारतीय नागरिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। .

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अरविन्द गौड़

अरविन्द गौड़, भारतीय रंगमंच निदेशक, सामाजिक और राजनीतिक प्रासंगिक रंगमंच में अपने काम के लिए जाने जाते हैं। अरविंद गौड़ के नाटक समकालीन हैं। व्यापक सामाजिक राजनीतिक मुद्दों - सांप्रदायिकता, जातिवाद, सामंतवाद, घरेलू हिंसा, राज्य के अपराध, सत्ता की राजनीति, हिंसा, अन्याय, सामाजिक- भेदभाव और नस्लवाद उनके रंगमंच के प्रमुख विषय हैं। गौड़ एक अभिनेता प्रशिक्षक (ट्रेनर), सामाजिक कार्यकर्ता और एक अच्छे कथा -वाचक (स्टोरी टेलर) हैं। अरविन्द गौड़ ने भारत और विदेश के प्रमुख नाट्य महोत्सवो मैं भाग लिया है। ऊन्होने नाटक कार्यशालाओं का विभिन्न कॉलेजों, संस्थानों, स्कूलों, विश्वविद्यालयों में आयोजन किया है। वह बच्चों के लिए भी नाटक (थिएटर) कार्यशालाओं का आयोजन करते हैं। अरविन्द ने विभिन्न सामाजिक, राजनीतिक मुद्दों पर नुक्कड़ नाटकॉ के साथ- साथ दो दशकों में 60 से अधिक मंच नाटकों का निर्देशन किया है। अरविन्द गौड़ ने विदेशों में अमेरिका, रुस, फ्रांस, लंदन, ऑस्ट्रेलिया, एडिनबर्ग फेस्टिवल (ब्रिटेन), आर्मेनिया और संयुक्त अरब इमारात (यू ए ई) के साथ नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) महोत्सव (भारत रंग महोत्सव),संगीत नाटक अकादमी, साहित्य कला परिषद, दर्पणा अकादमी ऑफ आर्टस् (अहमदाबाद), नान्दिकार (कोलकाता), विवेचेना थिएटर महोत्सव (जबलपुर), ओल्ड वल्ड् थिएटर महोत्सव, टाइम्स महोत्सव, गजानन माधव 'मुक्तिबोध' नाट्य महोत्सव, वर्ल्ड सोशल फोरम और नेहरू सेंटर महोत्सव (मुम्बई) मे भी भाग लिया है। पद्मश्री हबीब तनवीर के नया थिएटर के प्रमुख नाटको के लिए अरविन्द ने प्रकाश व्यवस्था भी डिजाइन की। आजकल अरविन्द गौड़ अस्मिता थियेटर ग्रुप के निदेशक के रूप मैं कार्यरत है। कुछ प्रमुख सिनेमा अभिनेताओं - कंगना राणावत, दीपक डोबरियाल, शिल्पा शुक्ला(चक दे इंडिया (2007 फ़िल्म)), पीयूष मिश्र, लुशिन दुबे, बबल्रस सबरवाल, ऐशवरया निधि (सिडनी), तिलोत्त्त्त्मा शोम (मानसून वेडिंग), राशि बनि, रुथ शेअर्द् (ब्रिटिश अभिनेत्री),मनु ऋषि, सीमा आज़मी (चक दे इंडिया), सुसान बरार (फिल्म-समर 2007), चन्दन आनंद, जैमिनि कुमार, शक्ति आनंद आदि ने उसके साथ काम किया है। .

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अर्जुनदेव चारण

अर्जुनदेव चारण एक प्रसिद्ध राजस्थानी कवि, आलोचक, नाटककार, थियेटर निर्देशक और अनुवादक है। डॉ। चरण का जन्म 10 मई 1 9 54 को जोथपुर के मथानीया गांव में हुआ था। उनके पिता रेणवत दान चरण भी एक प्रख्यात राजस्थानी कवि और समाजवादी थे.चरन,जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर में राजस्थानी भाषा विभाग के प्रमुख रहे हैं। उन्हें 26 नवंबर 2011 को राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, जोधपुर के अध्यक्ष के रूप में तीन साल के लिए चुना गया है।जोधपुर के डॉ.

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अस्मिता

अस्मिता दिल्ली स्थित रंगमंच कर्मियों की एक नाट्य संस्था (थियेटर ग्रुप) है। अस्मिता नाट्य संस्था ने नुक्कड़ नाटकॉ के साथ- साथ दो दशकों में 60 से अधिक मंच नाटक किये है। संस्था सामाजिक-राजनीतिक दृष्टि से प्रासंगिक व समकालीन मुद्दों पर नाटक करने के लिए प्रतिबद्ध है। इन दिनो अरविन्द गौड़ अस्मिता थियेटर ग्रुप के निदेशक के रूप मे कार्यरत है। .

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अजॉय चक्रबर्ती

पण्डित अजॉय चक्रबर्ती (जन्म: २५ दिसम्बर १९५२) एक प्रतिष्ठित भारतीय हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीतकार, गीतकार, गायक और गुरु हैं। उन्हें हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीतकारी के विशिष्ठ व्यक्तित्वों में गिना जाता है। पटियाला कसूर घराना उनकी विशेष दक्षता है, तथा वे मूलतः उस्ताद बड़े ग़ुलाम अली साहब और उस्ताद बरकत अली खान की गायकी का प्रतिनिधित्व करता हैं। तथा हिन्दुस्तानी शास्त्रीय परम्परा के अन्य घराने, जैसे इंदौर, दिल्ली, जयपुर, ग्वालियर, आगरा, किराना, रामपुर तथा दक्षिण भारतीय कर्नाटिक संगीत की शैलियों का भी इनकी गायिकी पर प्रभाव पड़ता है। .

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उदय शंकर

उदय शंकर (8 दिसम्बर 1900 - 26 सितंबर 1977) (উদয় শংকর) भारत में आधुनिक नृत्य के जन्मदाता और एक विश्व प्रसिद्ध भारतीय नर्तक एवं नृत्य-निर्देशक (कोरियोग्राफर) थे जिन्हें अधिकतर भारतीय शास्त्रीय, लोक और जनजातीय नृत्य के तत्वों में पिरोये गए पारंपरिक भारतीय शास्त्रीय नृत्य में पश्चिमी रंगमंचीय तकनीकों को अपनाने के लिए जाना जाता है; इस प्रकार उन्होंने आधुनिक भारतीय नृत्य की नींव रखी और बाद में 1920 और 1930 के दशक में उसे भारत, यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका में लोकप्रिय बनाया और भारतीय नृत्य को दुनिया के मानचित्र पर प्रभावशाली ढंग से स्थापित किया। न्यूयॉर्क टाइम्स, 6 अक्टूबर 1985.

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उल्हास काशलकर

पंडित उल्हास काशलकर (Pandit Ulhas N Kashalkar) (जन्म 14 जनवरी 1955) एक हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायक है। उन्होंने ग्वालियर, जयपुर और आगरा घरानों में पहले से प्रशिक्षण प्राप्त किया है और वह इन तीनों स्कूलों के प्रतिनिधि के रूप में माने जाते है। भारत सरकार ने उन्हें 2010 में देश के चौथे उच्चतम नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया था। .

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२०१४ में निधन

निम्नलिखित सूची २०१४ में निधन हो गये लोगों की है। यहाँ पर सभी दिनांक के क्रमानुसार हैं और एक दिन की दो या अधिक प्रविष्टियाँ होने पर उनके मूल नाम को वर्णक्रमानुसार में दिया गया है। यहाँ लिखने का अनुक्रम निम्न है.

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