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शैलीविज्ञान

सूची शैलीविज्ञान

शैलीविज्ञान (stylistics) शब्द दो शब्दो से मिलकर बना है- शैली और विज्ञान जिसका शाब्दिक अर्थ है 'शैली का विज्ञान' अर्थात‌‌‌‌ जिस विज्ञान में शैली का वैज्ञानिक एवं व्यवस्थित रूप सें अध्ययन किया जाए वह शैलीविज्ञान है। ’शैली’ शब्द अंग्रेजी के स्टाइल (Style) शब्द का हिन्दी रूपान्तर है। उसी प्रकार 'शैलीविज्ञान' अंग्रेजी के स्टाइलिस्टिक्स (Stylistics) है। शैलीविज्ञान भाषाविज्ञान एवं साहित्यशास्त्र दोनों की सहायता लेता हुआ भी दोनों से अलग स्वतंत्र विज्ञान है। शैलीविज्ञान एक ओर भाषाशैली का अध्ययन साहित्यशास्त्र के सिद्धांतों के आधार पर करता है, जिसमें रस, अलंकार, वक्रोक्ति, ध्वनि, रीति, वृत्ति, प्रवृत्ति, शब्द-शक्ति, गुण, दोष, बिंब, प्रतीक आदि आते हैं। दूसरी ओर शैलीविज्ञान के अंतर्गत भाषा-शैली का अध्ययन भाषाविज्ञान के सिद्धांतों के आधार पर किया जाता है, जिसमें भाषा की प्रकृति और संरचना के अनुशीलन को महत्त्व दिया जाता है। शैलीविज्ञान के अध्ययन की मुख्यत: दो दिशाएँ प्रचलित है.

25 संबंधों: चोका, ट्रान्स संगीत, ऐज़ यू लाइक इट, द ट्राइऐंगल (अख़बार), नेतृत्व की शैलियाँ, नेदीम, पिशाच, बाल गोविन्द द्विवेदी, बाइबिल, भारत में ज्वैलरी डिजाइन, भाषाविज्ञान, महाकाव्य (एपिक), राजपूत शैली, श्याम नारायण पाण्डेय, श्रीसीतारामकेलिकौमुदी, साहित्य सिद्धान्त, जादुई यथार्थवाद, गॉथिक वास्तुकला, कामशास्त्र, कैथरीन मैन्सफील्ड, अतियथार्थवाद, अनुसंधान, अमेरिकी साहित्य, अंग्रेज़ी भाषा, उलटा पिरामिड शैली

चोका

चोका जापानी कविता की एक शैली है। ये लम्बी कविताएँ हैं। जापान के सबसे पहले कविता-संकलन मान्योशू में २६२ चोका कविताएँ संकलित हैं, जिनमें सबसे छोटी कविता ९ पंक्तियों की है। चोका कविताओं में ५ और ७ वर्णों की आवृत्ति मिलती है। अन्तिम पंक्तियों में प्रायः ५, ७, ५, ७, ७ वर्ण होते हैं। चोका पहली से तेरहवीं शताब्दी में जापानी काव्य विधा में महाकाव्य की कथाकथन शैली रही है। मूलत; चोका गाए जाते रहे हैं। इनका वाचन उच्च स्वर में किया जाता रहा है। यह प्राय: वर्णनात्मक रहा है। इसको एक ही कवि रचता है। .

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ट्रान्स संगीत

ट्रान्स 1990 के दशक में विकसित एक इलेक्ट्रॉनिक नृत्य संगीत शैली है। ट्रान्स संगीत में आमतौर पर 130 और 155 BPM के बीच गति की विशेषता होती है, जिसमें लघु सिंथेसाइज़र शैली के मधुर गीत और संगीतात्मक रूप होते हैं जो पूरे ट्रैक में उतार-चढ़ाव करते रहते हैं। यह संगीत के विभिन्न रूपों का एक मिश्रण है जैसे इंडस्ट्रियल, टेक्नो और हाउस.

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ऐज़ यू लाइक इट

1623 में प्रकाशित, फर्स्ट फोलिओ से ऐज़ यू लाइक इट के प्रथम पृष्ठ की प्रतिकृति. ऐज़ यू लाइक इट विलियम शेक्सपियर द्वारा लिखित एक पैस्टोरल कॉमेडी है, जिसे 1599 या 1600 की शुरूआत में लिखा हुआ मानते हैं और यह 1623 के फोलियो में पहली बार प्रकाशित हुआ। यह कृति थॉमस लॉज के गद्य प्रेम-कथा रॉसलिंड पर आधारित थी। हालांकि इस नाटक के पहले प्रदर्शन की जानकारी अनिश्चित है, परन्तु सुझावों के अनुसार, 1603 में विल्टन हाउस में इसके एक प्रदर्शन की संभावना जताई गई है। ऐज़ यू लाइक इट की कहानी नायिका रॉसलिंड के इर्द-गिर्द घूमती है, जो उत्पीड़न के डर से अपनी चचेरी बहन सीलिया और महल के विदूषक टचस्टोन के साथ, अपने चाचा के महल से आर्डेन के जंगल में सुरक्षा और अंततः प्यार पाने के लिए भाग जाती है। ऐतिहासिक रूप से, इस पर आलोचकों की राय भिन्न रही है, कुछ आलोचकों के अनुसार यह कृति शेक्सपियर की अन्य कृतियों की तुलना में कम उत्कृष्ट है जबकि कुछ इस नाटक को बेहद उत्कृष्ट कृति मानते हैं। शेक्सपियर की एक सर्वाधिक प्रसिद्ध और अक्सर-प्रयुक्त उक्ति "ऑल दी वर्लड इज़ अ स्टेज" इसी नाटक का हिस्सा है, साथ ही यह "टू मच ऑफ अ गुड थिंग" वाक्यांश का मूल भी है। यह नाटक दर्शकों की पसंदीदा बनी रही और रेडियो, फिल्म और संगीतमय रंगमंच के लिए रूपांतरित की गई। .

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द ट्राइऐंगल (अख़बार)

द ट्राइऐंगल  पेनसिल्वेनिया में ड्रक्सेल यूनिवर्सिटी का स्वतंत्र छात्र समाचार पत्र है। कागज के संस्करण प्रत्येक शुक्रवार की सुबह जल्दी मुद्रित होते हैं। वे ड्रेक्सेल के परिसर में प्रस्तुत इमारतों और विश्वविद्यालय सिटी, फिलाडेल्फिया में चयनित स्थानों में वितरित किए जाते हैं। द ट्राइऐंगल को पहली बार १ फरवरी १९२६ को  केवल सलाह देने के लिए कार्य करने वाले विश्वविद्यालय सलाहकारों के साथ छात्रों की दिशा में प्रकाशित किया गया था। यह प्रकाशन अकादमिक स्कूल वर्ष के दौरान गर्मियों में बाई-साप्ताहिक प्रकाशन के साथ साप्ताहिक कार्यक्रम पर रहा है। दी ट्राइऐंगल २००४ की गर्मियों में रंग में प्रकाशित करना शुरू कर दिया २००७ की गर्मियों के दौरान अखबारों से ब्रॉडशीट प्रारूप में स्विच किया गया। समाचार, खेल, जनमत, कला और मनोरंजन, और शैली आदि धाराएं शामिल हैं।  द ट्राइऐंगल ने उत्कृष्टता पुरस्कार के कई मार्क जीते हैं जो सोसायटी ऑफ़ प्रोफेशनल पत्रकारों के छात्र पत्रकारिता में सर्वश्रेष्ठ का सम्मान करते हैं। संपादकीय लेखन (२०००), में पहली जगह, जनरल कॉलम लेखन (२०००), संपादकीय लेखन (२००१) में दूसरा स्थान, और खेल स्तंभ लेखन (२००१) में तीसरा स्थान। २००४ में महाविद्यालय के समाचार पत्रों में उत्कृष्टता के लिए दो राष्ट्रीय पेसमेकर पुरस्कार जीते हैं। चक बैरिस पेपर के सबसे उल्लेखनीय पूर्व कॉलमिस्ट्स में से एक हैं। ड्रेक्सल, बैरिस के एक १९५३ के स्नातक, द गोंग शो की मेजबानी की और मेजबानी की, फ्रेडी कैनन की १९६२ की हिट सिंगल "पलीसेड्स पार्क" ने लिखा था मूवी कन्फेशन्स ऑफ ए डेंजरस माइंड का विषय जॉन ग्रुबर, द्रियरिंग फ़ायरबॉल के निर्माता भी एक पूर्व स्तंभकार और पिछले संपादक-इन-चीफ थे।बोस्कोव डिपार्टमेंट स्टोर के चेयरमैन और मुख्य कार्यकारी अधिकारी अल्बर्ट बोस्कोव १९४८ में एक खेल लेखक थे। .

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नेतृत्व की शैलियाँ

भटनागर.आर.पी.(2010) शैक्षिक प्रशाशन.इंटरनेशनल पब्लिशिंग हॉउस मेरठ.पृष्ठ संख्या -138 श्रेणी:प्रबन्धन.

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नेदीम

नेदीम (1681? – 1730) अठारहवीं शताब्दी का एक प्रसिद्ध तुर्की कवि थे। इसका मूल नाम 'अहमद' था और उपनाम 'नेदीम'। जीवन के अंतिम दिनों में इसके पोषक सदरेआजम इब्राहीम पाश ने इसको अने द्वारा स्थापित पुस्तकालय का प्रबंधक नियुक्त किया था। अब वह प्राचीन शैली के कवियों में सबसे ऊँचा तुर्की कवि माना जाता है। नेदीम का जन्म कुस्तुंतुनिया, जिसे अब इस्तांबुल कहते हैं में हुआ था। यहीं उसने शिक्षा प्राप्त की। शिक्षा प्राप्ति के बाद इसने अध्यापन का कार्य ग्रहण किया और नगर के प्रतिष्ठित शिक्षा संस्थानों में अध्यापन किया। नेदीम को कविता से बचपन से ही लगाव था; लेकिन तुर्की के उस्मानी सुलतान अहमद सोयम (१७०३-१७३०) के राज्यकाल में प्रसिद्धि इसे प्राप्त हुई। इसका दीवान, कसीदा, गजल और गीत से युक्त है। इसकी रचनाओं में वर्णनात्मकता के स्थान पर आत्मनिष्ठ रोमानी दिखाई देती है, जो दूसरे तुर्की कवियों में सामान्यतयी नहीं पायी जाती। इसने अपने गजलों और गीतों में अपने जमाने की आम बोलचाल की भाषा का प्रयोग किया है और अनेक अछूते विषयों, अर्थोद्घाटक शैली और सुपरिचित शब्दों द्वारा वह अपने पूर्ववर्तियों और प्रभावकों से बढ़ गया है। इसके युग में तुर्क कवि अरबी, फारसी छंदों का ही प्रयोग किया करते थे। तुर्की की प्राचीन लोकप्रिय बहर हिजाई (हिजाई नामक छंद) का प्रयोग दोष माना जाता था। लेकिन नेदीम ने इस छंद का भी प्रयोग एक गीत में किया है और वह गीत आज लोकप्रिय है। श्रेणी:तुर्की साहित्यकार.

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पिशाच

फिलिप बर्न-जोन्स द्वारा पिशाच, 1897 पिशाच कल्पित प्राणी है जो जीवित प्राणियों के जीवन-सार खाकर जीवित रहते हैं आमतौर पर उनका खून पीकर.

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बाल गोविन्द द्विवेदी

काव्य.

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बाइबिल

बाइबिल (अथवा बाइबल, Bible, अर्थात "किताब") ईसाई धर्म(मसीही धर्म) की आधारशिला है और ईसाइयों (मसीहियों) का पवित्रतम धर्मग्रन्थ है। इसके दो भाग हैं: पूर्वविधान (ओल्ड टेस्टामैंट) और नवविधान (न्यू टेस्टामेंट)। बाइबिल का पूर्वार्ध अर्थात् पूर्वविधान यहूदियों का भी धर्मग्रंथ है। बाइबिल ईश्वरप्रेरित (इंस्पायर्ड) है किंतु उसे अपौरुषेय नहीं कहा जा सकता। ईश्वर ने बाइबिल के विभिन्न लेखकों को इस प्रकार प्रेरित किया है कि वे ईश्वरकृत होते हुए भी उनकी अपनी रचनाएँ भी कही जा सकती हैं। ईश्वर ने बोलकर उनसे बाइबिल नहीं लिखवाई। वे अवश्य ही ईश्वर की प्रेरणा से लिखने में प्रवृत्त हुए किंतु उन्होंने अपनी संस्कृति, शैली तथा विचारधारा की विशेषताओं के अनुसार ही उसे लिखा है। अत: बाइबिल ईश्वरीय प्रेरणा तथा मानवीय परिश्रम दोनों का सम्मिलित परिणाम है। मानव जाति तथा यहूदियों के लिए ईश्वर ने जो कुछ किया और इसके प्रति मनुष्य की जो प्रतिक्रिया हुई उसका इतिहास और विवरण ही बाइबिल का वण्र्य विषय है। बाइबिल गूढ़ दार्शनिक सत्यों का संकलन नहीं है बल्कि इसमें दिखलाया गया है कि ईश्वर ने मानव जाति की मुक्ति का क्या प्रबंध किया है। वास्तव में बाइबिल ईश्वरीय मुक्तिविधान के कार्यान्वयन का इतिहास है जो ओल्ड टेस्टामेंट में प्रारंभ होकर ईसा के द्वारा न्यू टेस्टामेंट में संपादित हुआ है। अत: बाइबिल के दोनों भागों में घनिष्ठ संबंध है। ओल्ड टेस्टामेंट की घटनाओं द्वारा ईसा के जीवन की घटनाओं की पृष्ठभूमि तैयार की गई है। न्यू टेस्टामेंट में दिखलाया गया है कि मुक्तिविधान किस प्रकार ईसा के व्यक्तित्व, चमत्कारों, शिक्षा, मरण तथा पुनरुत्थान द्वारा संपन्न हुआ है; किस प्रकार ईसा ने चर्च की स्थापना की और इस चर्च ने अपने प्रारंभिक विकास में ईसा के जीवन की घटनाओं को किस दृष्टि से देखा है कि उनमें से क्या निष्कर्ष निकाला है। बाइबिल में प्रसंगवश लौकिक ज्ञान विज्ञान संबंधी बातें भी आ गई हैं; उनपर तात्कालिक धारणाओं की पूरी छाप है क्योंकि बाइबिल उनके विषय में शायद ही कोई निर्देश देना चाहती है। मानव जाति के इतिहास की ईश्वरीय व्याख्या प्रस्तुत करना और धर्म एवं मुक्ति को समझना, यही बाइबिल का प्रधान उद्देश्य है, बाइबिल की तत्संबंधी शिक्षा में कोई भ्रांति नहीं हो सकती। उसमें अनेक स्थलों पर मनुष्यों के पापाचरण का भी वर्णन मिलता है। ऐसा आचरण अनुकरणीय आदर्श के रूप में नहीं प्रस्तुत हुआ है किंतु उसके द्वारा स्पष्ट हो जाता है कि मनुष्य कितने कलुषित हैं और उनको ईश्वर की मुक्ति की कितनी आवश्यकता है। .

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भारत में ज्वैलरी डिजाइन

ज्वैलरी डिजाइन कला या डिजाइन और आभूषण बनाने का पेशा है। यह सभ्यता की सजावट की जल्द से जल्द रूपों में से एक है, मेसोपोटामिया और मिस्र का सबसे पुराना ज्ञात मानव समाज के लिए कम से कम सात हजार साल पहले डेटिंग। कला परिष्कृत धातु और मणि काटने आधुनिक दिन में ज्ञात करने के लिए प्राचीन काल की साधारण पोत का कारचोबी से सदियों भर में कई रूपों ले लिया है। इससे पहले कि आभूषणों के एक लेख बनाई गई है, डिजाइन अवधारणाओं विस्तृत तकनीकी एक आभूषण डिजाइनर, जो सामग्री, निर्माण तकनीक, संरचना, पहनने और बाजार के रुझान के स्थापत्य और कार्यात्मक ज्ञान में प्रशिक्षित किया जाता है एक पेशेवर द्वारा उत्पन्न चित्र द्वारा पीछा किया गाया जाता है। पारंपरिक हाथ ड्राइंग और मसौदा तैयार करने के तरीकों अभी भी विशेष रूप से वैचारिक स्तर पर, आभूषण डिजाइन में उपयोग किया जाता है। हालांकि, एक पारी गैंडा 3 डी और मैट्रिक्स की तरह कंप्यूटर एडेड डिजाइन कार्यक्रमों के लिए हो रही है। जबकि परंपरागत रूप से हाथ से सचित्र गहना आम तौर पर एक कुशल शिल्पकार द्वारा मोम या धातु सीधे में अनुवाद किया है, एक सीएडी मॉडल आम तौर पर रबर मोल्डिंग में इस्तेमाल किया है या मोम खो दिया जा एक सीएनसी कट या 3 डी मुद्रित 'मोम' पैटर्न के लिए आधार के रूप में इस्तेमाल किया जाता है कास्टिंग प्रक्रियाओं। .

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भाषाविज्ञान

भाषाविज्ञान भाषा के अध्ययन की वह शाखा है जिसमें भाषा की उत्पत्ति, स्वरूप, विकास आदि का वैज्ञानिक एवं विश्लेषणात्मक अध्ययन किया जाता है। भाषा विज्ञान के अध्ययेता 'भाषाविज्ञानी' कहलाते हैं। भाषाविज्ञान, व्याकरण से भिन्न है। व्याकरण में किसी भाषा का कार्यात्मक अध्ययन (functional description) किया जाता है जबकि भाषाविज्ञानी इसके आगे जाकर भाषा का अत्यन्त व्यापक अध्ययन करता है। अध्ययन के अनेक विषयों में से आजकल भाषा-विज्ञान को विशेष महत्त्व दिया जा रहा है। .

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महाकाव्य (एपिक)

वृहद् आकार की तथा किसी महान कार्य का वर्णन करने वाली काव्यरचना को महाकाव्य (epic) कहते हैं। .

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राजपूत शैली

निहाल चन्द द्वारा १८वीं शताब्दी में चित्रित राजपूत शैली का चित्र रापूत चित्रशैली, भारतीय चित्रकला की प्रमुख शैली है। राजस्थान में लोक चित्रकला की समृद्धशाली परम्परा रही है। मुगल काल के अंतिम दिनों में भारत के विभिन्न क्षेत्रों में अनेक राजपूत राज्यों की उत्पत्ति हो गई, जिनमें मेवाड़, बूंदी, मालवा आदि मुख्य हैं। इन राज्यों में विशिष्ट प्रकार की चित्रकला शैली का विकास हुआ। इन विभिन्न शैलियों में की विशेषताओं के कारण उन्हे राजपूत शैली का नाम प्रदान किया गया। राजस्थानी चित्रशैली का पहला वैज्ञानिक विभाजन आनन्द कुमार स्वामी ने किया था। उन्होंने 1916 में ‘राजपूत पेन्टिंग’ नामक पुस्तक लिखी। उन्होंने राजपूत पेन्टिंग में पहाड़ी चित्रशैली को भी शामिल किया। परन्तु अब व्यवहार में राजपूत शैली के अन्तर्गत केवल राजस्थान की चित्रकला को ही स्वीकार करते हैं। वस्तुतः राजस्थानी चित्रकला से तात्पर्य उस चित्रकला से है, जो इस प्रान्त की धरोहर है और पूर्व में राजपूताना में प्रचलित थी। विभिन्न शैलियों एवं उपशैलियों में परिपोषित राजस्थानी चित्रकला निश्चय ही भारतीय चित्रकला में महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है। अन्य शैलियों से प्रभावित होने के उपरान्त भी राजस्थानी चित्रकला की मौलिक अस्मिता है। .

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श्याम नारायण पाण्डेय

वीर रस के कवि श्याम नारायण पाण्डेय (1907-1991) श्याम नारायण पाण्डेय (1907 - 1991) वीर रस के सुविख्यात हिन्दी कवि थे। वह केवल कवि ही नहीं अपितु अपनी ओजस्वी वाणी में वीर रस काव्य के अनन्यतम प्रस्तोता भी थे। .

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श्रीसीतारामकेलिकौमुदी

श्रीसीतारामकेलिकौमुदी (२००८), शब्दार्थ: सीता और राम की (बाल) लीलाओं की चन्द्रिका, हिन्दी साहित्य की रीतिकाव्य परम्परा में ब्रजभाषा (कुछ पद मैथिली में भी) में रचित एक मुक्तक काव्य है। इसकी रचना जगद्गुरु रामभद्राचार्य (१९५०-) द्वारा २००७ एवं २००८ में की गई थी।रामभद्राचार्य २००८, पृष्ठ "क"–"ड़"काव्यकृति वाल्मीकि रामायण एवं तुलसीदास की श्रीरामचरितमानस के बालकाण्ड की पृष्ठभूमि पर आधारित है और सीता तथा राम के बाल्यकाल की मधुर केलिओं (लीलाओं) एवं मुख्य प्रसंगों का वर्णन करने वाले मुक्तक पदों से युक्त है। श्रीसीतारामकेलिकौमुदी में ३२४ पद हैं, जो १०८ पदों वाले तीन भागों में विभक्त हैं। पदों की रचना अमात्रिका, कवित्त, गीत, घनाक्षरी, चौपैया, द्रुमिल एवं मत्तगयन्द नामक सात प्राकृत छन्दों में हुई है। ग्रन्थ की एक प्रति हिन्दी टीका के साथ जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय, चित्रकूट, उत्तर प्रदेश द्वारा प्रकाशित की गई थी। पुस्तक का विमोचन ३० अक्टूबर २००८ को किया गया था। .

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साहित्य सिद्धान्त

साहित्य सिद्धान्त (Literary theory) साहित्य की प्रकृति का क्रमबद्ध अध्ययन एवं साहित्य के विश्लेषण की विधि है। वह विद्या या शास्त्र जिसमें रचनाओं के साहित्य पक्ष तथा स्वरूप पर शास्त्रीय ढंग से विचार किया जाता है। प्राचीन काव्यशास्त्र, जिसमें रसों, अलंकारों रीतियों आदि पर विचार किया जाता था, भी साहित्यशास्त्र है। .

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जादुई यथार्थवाद

जादुई यथार्थवाद सौंदर्य या फिक्शन की एक शैली है जिस में असली दुनिया के साथ जादुई तत्वों का मिश्रण होता है। हालाँकि यह सबसे अधिक एक साहित्यिक शैली के रूप में प्रयोग किया जाता है, जादुई यथार्थवाद फिल्म और दृश्य कला के लिए भी लागू होता है। .

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गॉथिक वास्तुकला

रीम्स कैथेड्रल (फ्रांस) गॉथिक वास्तुकला (Gothic architecture) वास्तुकला की एक शैली है जो यूरोप में उत्तर मध्यकाल में प्रचलित थी। गॉथिक शैली 'रोमनेस्क वास्तुकला' से जन्मी। यह शैली फ्रांस में १२वीं शती में जन्मी तथा १६वीं शती तक प्रचलित रही। उस काल में इसे 'फ्रांसीसी कर्म' (Opus Francigenum) कहा जाता था। 'गॉथिक' शब्द का प्रयोग पुनर्जागरण के बाद के काल में प्रचलित हुआ। गोथिक शैली के बाद पुनरुद्धार वास्तुकला (Renaissance architecture) का जन्म हुआ। इस शैली की मुख्य विशेषताएँ हैं- बिन्दुमय चाप (pointed arch), रिब किया हुआ गुम्बद, अर्धचाप वप्र (flying buttress)। यूरोप के अनेक महान गिरिजाघरों एवं अन्य ईसाई धार्मिक भवन इसी शैली में बने हैं। .

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कामशास्त्र

विभिन्न जन्तुओं में संभोग का चित्रण (ऊपर); एक सुन्दर युवती का विविध प्राणियों से संभोग का चित्रण (नीचे) मानव जीवन के लक्ष्यभूत चार पुरुषार्थों में "काम" अन्यतम पुरुषार्थ माना जाता है। संस्कृत भाषा में उससे संबद्ध विशाल साहित्य विद्यमान है। .

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कैथरीन मैन्सफील्ड

कैथरीन मैन्सफील्ड (Katherine Mansfield) (१४ अक्टूबर, १८८८ - ९ जनवरी, १९२३) न्यूज़ीलैण्ड मूल की अत्यधिक ख्यातिप्राप्त आधुनिकतावादी अंग्रेजी कहानीकार थी। बैंकर पिता तथा अपेक्षाकृत संकीर्ण स्वभाव वाली माता की पुत्री कैथरीन नैसर्गिक रूप से ही स्वच्छंद स्वभाव वाली हुई। परंपरागत रूप से स्त्रियों का अनिश्चित भविष्य वाला जीवन उसमें आरंभ से ही विद्रोह का बीज-वपन करते रहा। अपने जीवन को अपेक्षित मोड़ न दे पाने के कारण उसका स्वभाव असंतुलित और जीवन अव्यवस्थित होते रहा। आरंभ में जीवन की कठोरताओं ने उसकी रचनाओं को भी कटुता तथा तीखे व्यंग्य से पूर्ण बनाया। काफी समय तक वह जीवन में उत्तमता एवं व्यवस्था के औचित्य को स्वीकार नहीं कर पायी। काफी बाद में चेखव के प्रभाव से उसने लेखन के साथ लेखक के जीवन में भी अच्छाई का महत्व समझा। कैथरीन आधुनिकतावादी कहानीकार थी तथा अपनी रचनाओं की भावात्मक शैली एवं प्रयुक्त प्रतीकात्मकता को यथासंभव यथार्थवादिता से किनारा नहीं करने देती थी। इसके साथ ही उसकी रचनाओं में आद्यन्त विद्यमान पठनीयता भी अतिरिक्त वैशिष्ट्य प्रदान करती है। .

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अतियथार्थवाद

मैक्स अर्न्स्ट की रचना - 'द एलिफैण्ट सेलिबिस' (सन् १९२१) अतियथार्थवाद (सर्रियलिज्म / Surrealism), कला और साहित्य के क्षेत्र में प्रथम महायुद्ध के लगभग प्रचलित होने वाली शैली और आंदोलन था। चित्रण और मूर्तिकला में तो (चित्रपट के चित्रों में भी) यह आधुनिकतम शैली और तकनीक हैं। इसके प्रचारकों और कलाकारों में चिरिको, दालों, मोरो, आर्प, ब्रेतों, मासं आदि प्रधान हैं। कला में इस सृष्टि का दार्शनिक निरूपण 1924 में आंद्रे ब्रेतों ने अपनी अतियथार्थवादी घोषणा (सर्रियलिस्ट मैनिफेस्टो) में किया। अतियथार्थवाद कला की, सामाजिक यथार्थवाद के अतिरिक्त, नवीनतम शैली है और इधर, मनोविज्ञान की प्रगति से प्रभावित, प्रभूत लोकप्रिय हुई है। .

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अनुसंधान

जर्मनी का 'सोन' (Sonne) नामक अनुसन्धान-जलयान व्यापक अर्थ में अनुसंधान (Research) किसी भी क्षेत्र में 'ज्ञान की खोज करना' या 'विधिवत गवेषणा' करना होता है। वैज्ञानिक अनुसंधान में वैज्ञानिक विधि का सहारा लेते हुए जिज्ञासा का समाधान करने की कोशिश की जाती है। नवीन वस्तुओं कि खोज और पुराने वस्तुओं एवं सिद्धान्तों का पुन: परीक्षण करना, जिससे की नए तथ्य प्राप्त हो सके, उसे शोध कहते हैं। गुणात्मक तथा मात्रात्मक शोध इसके प्रमुख प्रकारों में से एक है। वैश्वीकरण के वर्तमान दौर में उच्च शिक्षा की सहज उपलब्धता और उच्च शिक्षा संस्थानों को शोध से अनिवार्य रूप से जोड़ने की नीति ने शोध की महत्ता को बढ़ा दिया है। आज शैक्षिक शोध का क्षेत्र विस्तृत और सघन हुआ है। .

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अमेरिकी साहित्य

आधुनिक काल के अमेरिकी साहित्य ने विश्व साहित्य पर अपनी छाप डाल दी है। विशेषतः शैली और प्रयोग पर यहाँ से नए विचार निकल पूरे विश्व के साहित्य में अपनाए गए। 'अमरीका' से यहाँ तात्पर्य संयुक्त राज्य अमरीका से है जहाँ की भाषा अंग्रेजी है। अमरीका की तरह उसका साहित्य भी नया है। .

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अंग्रेज़ी भाषा

अंग्रेज़ी भाषा (अंग्रेज़ी: English हिन्दी उच्चारण: इंग्लिश) हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार में आती है और इस दृष्टि से हिंदी, उर्दू, फ़ारसी आदि के साथ इसका दूर का संबंध बनता है। ये इस परिवार की जर्मनिक शाखा में रखी जाती है। इसे दुनिया की सर्वप्रथम अन्तरराष्ट्रीय भाषा माना जाता है। ये दुनिया के कई देशों की मुख्य राजभाषा है और आज के दौर में कई देशों में (मुख्यतः भूतपूर्व ब्रिटिश उपनिवेशों में) विज्ञान, कम्प्यूटर, साहित्य, राजनीति और उच्च शिक्षा की भी मुख्य भाषा है। अंग्रेज़ी भाषा रोमन लिपि में लिखी जाती है। यह एक पश्चिम जर्मेनिक भाषा है जिसकी उत्पत्ति एंग्लो-सेक्सन इंग्लैंड में हुई थी। संयुक्त राज्य अमेरिका के 19 वीं शताब्दी के पूर्वार्ध और ब्रिटिश साम्राज्य के 18 वीं, 19 वीं और 20 वीं शताब्दी के सैन्य, वैज्ञानिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव के परिणाम स्वरूप यह दुनिया के कई भागों में सामान्य (बोलचाल की) भाषा बन गई है। कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों और राष्ट्रमंडल देशों में बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल एक द्वितीय भाषा और अधिकारिक भाषा के रूप में होता है। ऐतिहासिक दृष्टि से, अंग्रेजी भाषा की उत्पत्ति ५वीं शताब्दी की शुरुआत से इंग्लैंड में बसने वाले एंग्लो-सेक्सन लोगों द्वारा लायी गयी अनेक बोलियों, जिन्हें अब पुरानी अंग्रेजी कहा जाता है, से हुई है। वाइकिंग हमलावरों की प्राचीन नोर्स भाषा का अंग्रेजी भाषा पर गहरा प्रभाव पड़ा है। नॉर्मन विजय के बाद पुरानी अंग्रेजी का विकास मध्य अंग्रेजी के रूप में हुआ, इसके लिए नॉर्मन शब्दावली और वर्तनी के नियमों का भारी मात्र में उपयोग हुआ। वहां से आधुनिक अंग्रेजी का विकास हुआ और अभी भी इसमें अनेक भाषाओँ से विदेशी शब्दों को अपनाने और साथ ही साथ नए शब्दों को गढ़ने की प्रक्रिया निरंतर जारी है। एक बड़ी मात्र में अंग्रेजी के शब्दों, खासकर तकनीकी शब्दों, का गठन प्राचीन ग्रीक और लैटिन की जड़ों पर आधारित है। .

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उलटा पिरामिड शैली

उलटा पिरामिड शैली एक लेखन शैली है जिसकी मदद से खबरें बुनी जाती है। इसे अंग्रेजी में इन्वर्टेड पिरामिड मैथोड कहा जाता है। .

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शैली

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