3 संबंधों: भारतीय गैस प्राधिकार लिमिटेड, गोंडवाना, अवसादी शैल।
भारतीय गैस प्राधिकार लिमिटेड
भारतीय गैस प्राधिकार लिमिटेड (संक्षेप में गेल GAIL) भारत में गैस उत्खनन करने वाली शीर्ष तकनीकी संस्था है। गेल की स्थापना १९८४ में हुई तथा इसका मुख्यालय नई दिल्ली में बनाया गया। गेल द्वारा भारत के साथ साथ विदेशों में भी कई परियोजनाएँ संचालित की जा रही हैं। म्यांमार, वेनेजुएला व ईरान में जारी परियोजनाएँ आर्थिक तथा सामरिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। .
नई!!: शेल गैस और भारतीय गैस प्राधिकार लिमिटेड · और देखें »
गोंडवाना
लॉरेसिया एवं गोंडवाना लैंड गोण्डवाना (पूर्वनाम 'गोंडवाना लैंड ') प्राचीन वृहत महाद्वीप (अंग्रेज़ी:super continent) पैन्जिया का दक्षिणी भाग था। उत्तरी भाग को लॉरेशिया कहा जाता है। गोंडवाना लैंड का नाम एडुअरड सुएस ने भारत के गोंडवाना क्षेत्र के नाम पर रखा था। गोंडवाना भूभाग आज के समस्त दक्षिणी गोलार्ध के अलावा भारतीय उप महाद्वीप और अरब प्रायद्वीप जो वर्तमान मे उत्तरी गोलार्ध मे है का उद्गम स्थल है। गोंडवाना नाम नर्मदा नदी के दक्षिण स्थित प्राचीन गोंड राज्य से व्युत्पन्न है, जहाँ से गोंडवाना काल की शिलाओं का पहले पहल विज्ञानजगत् को बोध हुआ था। इनका निक्षेपण पुराकल्प के अंतिम काल से अर्थात् अंतिम कार्बन युग (Carboniferous) से आरंभ होकर मध्यकल्प के अधिकांश समय तक, अर्थात् जुरैसिक (Jurassic) युग के अंत तक, चलता रहा। एक पूर्वकालीन विशाल दक्षिणी प्रायद्वीप के निम्न स्थलों अथवा विभंजित द्रोणियों में जो संभवत: मंद गति से निमजित हो रही थीं, नदी द्वारा निक्षिप्त अवसादों से इन शिलाओं का निर्माण हुआ। गोंडवाना काल में मुख्यत: मृत्तिका, शेलशिला (Shell), बलुआ पत्थर (sandstone), कंकरला मिश्रपिंडाश्म (conglomerate), सकोणाश्म (braccia) इत्यादि शिलाओं का निक्षेपण हुआ। स्वच्छ जल में निर्मित होने के कारण इन शिलाओं में स्वच्छ जलीय एवं स्थलीय जीवों तथा वनस्पतियों के जीवाश्म का बाहुल्य और महासागरीय जीवों एवं वनस्पतियों के जीवाश्म का अभाव है। .
नई!!: शेल गैस और गोंडवाना · और देखें »
अवसादी शैल
अवसादी शैल जिसके स्तर स्पष्ट दृष्टिगोचर हैं अपक्षय एवं अपरदन के विभिन्न साधनों द्वारा मौलिक चट्टनों के विघटन, वियोजन और टूटने से परिवहन तथा किसी स्थान पर जमाव के परिणामस्वरुप उनके अवसादों से निर्मित शैल को अवसादी शैल (sedimentary rock) कहा जाता हैं। वायु, जल और हिम के चिरंतन आघातों से पूर्वस्थित शैलों का निरंतर अपक्षय एवं विदारण होता रहता है। इस प्रकार के अपक्षरण से उपलब्ध पदार्थ कंकड़, पत्थर, रेत, मिट्टी इत्यादि, जलधाराओं, वायु या हिमनदों द्वारा परिवाहित होकर प्राय: निचले प्रदेशों, सागर, झील अथवा नदी की घाटियों में एकत्र हो जाते हैं। कालांतर में संघनित होकर वे स्तरीभूत हो जाते हैं। इन स्तरीभूत शैलों को अवसाद शैल (सेडिमेंटरी रॉक्स) कहते हैं। .
नई!!: शेल गैस और अवसादी शैल · और देखें »