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शिल्पकर्म

सूची शिल्पकर्म

काष्ठकारी शिल्पकर्म या शिल्पकारी (craft) एक व्यवसाय है जिसमें विशेष प्रकार के कौशल की आवश्यकता होती है। हिन्दी में इसे हस्तकौशल, शिल्प, कारीगरी, शिल्प दस्‍तकारी आदि भी कहते हैं। ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में, छोटे स्तर पर हाथ से सामान बनाने वाले लोगों को शिल्पकार कहते थे। .

7 संबंधों: चावल चित्रकला, निर्माण, प्रस्तर मूर्तिकला, लघु चित्रकला, शिल्प (साहित्य), विशाखा उत्सव, गौरीदत्त

चावल चित्रकला

चावल पर चित्रकला चावल पर अक्षरांकनवाला गले का हार चावल चित्रकला एक प्राचीन भारतीय शिल्प है जिसमें चावल के दाने पर चित्रकारी की जाती है। चावल के अत्यंत छोटे दाने पर भी इस कला के शिल्पकार कुशलता से देवी-देवता, पशु-पक्षी का चित्र बनाते हैं या किसी के नाम के अक्षर लिखते हैं। इस कला का माँगलिक अवसरों पर बहुत उपयोग होता है। श्रेणी:चित्रकला श्रेणी:भारतीय शिल्प.

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निर्माण

बड़े निर्माण परियोजनाओं में गगनचुंबी इमारतों, जैसे क्रेन आवश्यक हैं। वास्तुकला और सिविल इंजीनियरिंग के क्षेत्रों में निर्माण एक प्रक्रिया है, जिसमें निर्माण या बुनियादी सुविधाओंका एकत्रीकरण किया जाता है। एकल गतिविधि से दूर, बड़े पैमाने पर निर्माण का अर्थ कई तरह के कार्य पूरे करना है। सामान्य रूप से काम का प्रबंध परियोजना प्रबंधक करता है और निर्माण प्रबंधक, डिजाइन इंजीनियर, निर्माण इंजीनियर या परियोजना वास्तुकार की देखरेख में संपन्न होता है। परियोजना के सफल निष्पादन के लिए एक प्रभावी योजना बनाना आवश्यक है। उस खास बुनियादी सुविधाओं और डिजाइन के निष्पादन में जो लगे होते हैं, उन्हें अवश्य ही काम के पर्यावरण संबंधी प्रभाव सफल समयबद्धता, बजट बनाना, स्थल की सुरक्षा, सामग्रियों की उपलब्धता, निर्माण सामग्रियों व श्रमिकों के रख्ररखाव (लॉजिस्टिक), निर्माण में देर के कारण लोगों को होने वाली असुविधा, निविदा दस्तावेजों की तैयारी आदि का विचार करना चाहिए.

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प्रस्तर मूर्तिकला

पत्थर की मूर्तियाँ प्रागैतिहासिक काल से ही अनेक कारणों से बनाई जा रही हैं। पत्थर की मूर्तियाँ केवल सुंदरता का ही नहीं, बलकी और भी बहुत चीज़ों का प्रतीक है। इस बात को इस लेख में समझाया गया है। और यह भी दिखाया है कि सालों से विकास करती यह कला अत्यंत आकर्शक और महत्वपूर्ण है। पत्थर की मूर्तियाँ पत्थर को तीन आयमों में काटने से बनती हैं। इनकी आधारभूत संकलपना एक ही होने पर भी हमें लाखों तरह की रचनाएँ देखने को मिलती हैं। यह एक प्राचीन कला है जिसमें प्राकृतिक पत्थर को नियंत्रित रीति से काटा जाता हैं। कलाकार अपनी क्शमता को पथ्थर को काटने में दिखाता हैं, जैसे वह उसकी कुशलता का प्रतीक हो। सुबह शाम, दिन रात एक करके वे पत्थर को विभिन्न आकृतियों में काँट कर, उसको एक मूर्ती का रूप देता हैं। .

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लघु चित्रकला

लघु चित्रकारी (Miniature painting) भारतीय शास्त्रीय परम्परा के अनुसार बनाई गई चित्रकारी शिल्प है। “समरांगण सूत्रधार” नामक वास्तुशास्त्र में इसका विस्तृत रूप से उल्लेख मिलता है। इस शिल्प की कलाकृतियाँ सैंकड़ों वर्षों के बाद भी अब तक इतनी नवीन लगती हैं मानो ये कुछ वर्ष पूर्व ही चित्रित की गई हों। .

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शिल्प (साहित्य)

'शिल्प' का शाब्दिक अर्थ है निर्माण अथवा गढ़न के तत्व। किसी साहित्यिक कृति के संदर्भ में 'शिल्प' की दृष्टि से मूल्यांकन का बड़ा महत्व है। शिल्प के अंतर्गत निम्न छः बिन्दुओं की चर्चा की जाती है: .

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विशाखा उत्सव

विशाखा उत्सव एक हिन्दू त्यौहार हैं। अन्य त्योहारों की नसों मे, विशाख उत्सव एक और त्योहार है जो आंध्र प्रदेश पर्यटन विकास निगम द्वारा आयोजित किया जाता है, ताकि राज्य मे पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सके। यह त्योहार सबसे विशिष्ट घटना है, जो कला, शिल्प, संगीत, नृत्य और कई सांसकृतिक के कार्यक्रमों के रूप मे परंपराओं और संस्कृति को मनाता है। विशाखापत्तनम, बंदरगाह शहर, इस भव्य चार दिवसीय त्योहार के लिये महान स्थल बनाता है। विशाख उत्सव में भाग लेते हुए आंध्र प्रदेश की सांसकृतिक विरासत की एक पूरी झलक देखने का एक आदर्श तरीका है। देश के सभी हिस्सो और दुनिया के लोग विशाखा के त्योहार का आनंद लेते हैं। श्रेणी:संस्कृति श्रेणी:हिन्दू त्यौहार श्रेणी:धार्मिक त्यौहार .

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गौरीदत्त

पंडित गौरीदत्त (1836 - 8 फ़रवरी 1906), देवनागरी के प्रथम प्रचारक व अनन्य भक्त थे। बच्चों को नागरी लिपि सिखाने के अलावा आप गली-गली में घूमकर उर्दू, फारसी और अंग्रेजी की जगह हिंदी और देवनागरी लिपि के प्रयोग की प्रेरणा दिया करते थे। कुछ दिन बाद आपने मेरठ में ‘नागरी प्रचारिणी सभा‘ की स्थापना भी की और सन् 1894 में उसकी ओर से सरकार को इस आशय का एक ज्ञापन दिया कि अदालतों में नागरी-लिपि को स्थान मिलना चाहिए। हिंदी भाषा और साहित्य के विकास में पंडित गौरीदत्त जी ने जो उल्लेखनीय कार्य किया था उससे उनकी ध्येयनिष्ठा और कार्य-कुशलता का परिचय मिलता है। नागरी लिपि परिषद ने उनके सम्मान में उनके नाम पर 'गौरीदत्त नागरी सेवी सम्मान' आरम्भ किया है। .

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