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शिंजियांग

सूची शिंजियांग

चीन का नक़्शा, शिंजियांग गहरे लाल रंग में शिन्जियांग में काराकोरम राजमार्ग के नज़दीक का दृश्य तियांची सरोवर बुरचिन ज़िले में एक नदी शिंजियांग (उइग़ुर:, अंग्रेज़ी: Xinjiang, चीनी: 新疆) जनवादी गणराज्य चीन का एक स्वायत्तशासी क्षेत्र है। ये एक रेगिस्तानी और शुष्क इलाक़ा है इसलिए इस की आबादी बहुत कम है। शिंजियांग की सरहदें दक्षिण में तिब्बत और भारत, दक्षिण-पूर्व में चिंग हई और गांसू, पूर्व में मंगोलिया, उत्तर में रूस और पश्चिम में क़ाज़क़स्तान, किरगिज़स्तान, ताजिकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान से मिलती हैं। भारत का अक्साई चिन का इलाका भी, जिसपर चीन का क़ब्ज़ा है, प्रशासनिक रूप से शिंजियांग में शामिल है।, S. Frederick Starr, M.E. Sharpe, 2004, ISBN 978-0-7656-1318-9 शिंजियांग की राजधानी उरुमची नाम का शहर है, जबकि इसका सबसे बड़ा नगर काश्गर है। .

126 संबंधों: चोंग्तर कांगरी, चीन के प्रशासनिक प्रभाग, चीन-पाक आर्थिक गलियारा, चीन-पाकिस्तान समझौता, चीनी बौद्ध धर्म, चीनी जनवादी गणराज्य, चीनी गणराज्य, तारिम नदी, ताशक़ुरग़ान​, ताशक़ुरग़ान​ ताजिक स्वशासित ज़िला, ताजिकी भाषा, तियाँ शान, तिरमिज़, तुरफ़ान, तुरफ़ान द्रोणी, तुर्किस्तान, तुषारी भाषाएँ, तुंगुसी भाषा-परिवार, तुंगुसी लोग, तूमन चानयू, तेरम कांगरी, नगर (गिलगित-बल्तिस्तान), न्गारी विभाग, पश्चिमी शिया, पामीरी भाषाएँ, पुरानी तुर्की लिपि, प्युनिंग मंदिर, पूर्व तुर्किस्तान, पूर्व क़ज़ाख़स्तान प्रांत, पूर्वी ईरानी भाषाएँ, बदख़्शान प्रान्त, बायिनग़ोलिन मंगोल स्वशासित विभाग, बाल्तोरो मुज़ताग़, बासमाची विद्रोह, बाईचेंग ज़िला, ब्रिटिशकालीन भारत के रियासतों की सूची, बोस्तेन झील, बोगदा पर्वत शृंखला, भारत-चीन युद्ध, भारतीय उपमहाद्वीप, मध्य एशिया, मा परिवार सेना, मांचु भाषा, मांचु लिपि, मंगोल भाषा-परिवार, मंगोल लिपि, मुज़ताग़ अता, मुज़ार्त नदी, मोदू चानयू, यारकन्द नदी, ..., यारकन्द ज़िला, युएझ़ी लोग, यूटीसी+०६:००, यूरेशियाई स्तेपी, योरुंगकाश नदी, राष्ट्रीय राजमार्ग २१९ (चीन), रुतोग ज़िला, लिन त्सेशु, लोप नुर, शायदुल्ला, शियोंगनु लोग, श्याओ'अरजिंग, सरिकोली भाषा, सिंघी कांगरी, सुम्गल, स्कर्दू ज़िला, सोस्त, हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार, हिन्दूताश दर्रा, हुन्ज़ा-नगर ज़िला, ज़ुन्गारिया, जातीय समूह, ईदगाह मस्जिद, काशगर, वाख़ान, विश्व के सर्वोच्च पर्वतों की सूची, वख़जीर दर्रा, वेस्म पर्वतमाला, ख़ुंजराब दर्रा, ख़ोतान, ख़ोतान विभाग, खुतन राज्य, ग़िज़र ज़िला, ग़ोरी राजवंश, गिलगित-बल्तिस्तान, गूमा ज़िला, गोजाल, ओश प्रांत, ओइरत भाषा, आक़्सू विभाग, इरतिश नदी, इली नदी, इसिक कुल प्रांत, क़ाराक़ोरम दर्रा, क़ारग़िलिक ज़िला, क़ुरग़ोनतेप्पा, काराशहर, काराख़ानी ख़ानत, काराकाश नदी, काराकोरम, काराकोरम राजमार्ग, कारेज़, काश्गर, काश्गर विभाग, काइदू नदी, किरगिज़ लोग, किर्गिज़ भाषा, किज़िल गुफ़ाएँ, कज़ाख़ भाषा, कज़ाख़ लोग, कुनलुन देवी, कुनलुन पर्वत, क्राउन पर्वत, कूहिस्तोनी-बदख़्शान स्वशासित प्रान्त, के२, कोंगका दर्रा, कोंगुर ताग़, अप्सरासस कांगरी, अलमाती प्रांत, अक्टूबर २०१५ हिन्दू कुश भूकंप, अक्साई चिन, अक्साई चिन झील, उरुमची, उरुमची विस्फोट – मई २०१४, उज़बेक लोग, उइगुर भाषा, २००५ कश्मीर भूकम्प सूचकांक विस्तार (76 अधिक) »

चोंग्तर कांगरी

चोंग्तर कांगरी (Chongtar Kangri) काराकोरम पर्वतमाला की बाल्तोरो मुज़ताग़ उपश्रेणी का एक ऊँचा पर्वत है। यह चीन द्वारा अधिकृत शक्सगाम घाटी क्षेत्र में आता है और पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बल्तिस्तान क्षेत्र के समीप है। यह के२ से लगभग १० किमी दूर है। चीन इसे प्रशासनिक रूप से शिंजियांग प्रान्त में डालता है लकिन भारत के अनुसार यह क्षेत्र उसकी सम्प्रभुता में आता है। यह विश्व का ८१वाँ सर्वोच्च पर्वत है। .

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चीन के प्रशासनिक प्रभाग

चीन के कुल ३३ प्रशासनिक विभाग हैं और इसके अतिरिक्त यह ताइवान (चीनी गणराज्य) को अपना एक प्रान्त मानता है, पर इसपर उसका नियन्त्रण नहीं है। ताइवान को छोड़ दिया जाय तो चीन के कुल २२ प्रान्त, ५ स्वायत्त क्षेत्र, ४ नगरपालिका तथा २ विशेष प्रशासनिक प्रदेश हैं। इनका विवरण नीचे दिया गया है -.

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चीन-पाक आर्थिक गलियारा

नक़्शा चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा या उर्दू में पाकिस्तान-चीन इक़तिसादी राहदारी (चीनी: 中国 - 巴基斯坦 经济 走廊) एक बहुत बड़ी वाणिज्यिक परियोजना है, जिसका उद्देश्य दक्षिण-पश्चिमी पाकिस्तान से चीन के उत्तर-पश्चिमी स्वायत्त क्षेत्र शिंजियांग तक ग्वादर बंदरगाह, रेलवे और हाइवे के माध्यम से तेल और गैस की कम समय में वितरण करना है। आर्थिक गलियारा चीन-पाक संबंधों में केंद्रीय महत्व रखता है, गलियारा ग्वादर से काशगर तक लगभग 2442 किलोमीटर लंबा है। यह योजना को सम्पूर्ण होने में काफी समय लगेगा। इस योजना पर 46 बिलियन डॉलर लागत का अनुमान किया गया है। यह गलियारा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर, गिलगित-बाल्टिस्तान और बलूचिस्तान होते हुए जायेगा। विविध सूचनाओं के अनुसार ग्वादर बंदरगाह को इस तरह से विकसित किया जा रहा है, ताकि वह 19 मिलियन टन कच्चे तेल को चीन तक सीधे भेजने में सक्षम होगा। .

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चीन-पाकिस्तान समझौता

शक्स्गाम वादी कश्मीर के इस नक़्शे के मध्य उत्तर में देखी जा सकती है चीन-पाकिस्तान समझौता (Sino-Pakistan Agreement), जिसे चीन-पाकिस्तान सीमा समझौता (Sino-Pak Boundary Agreement) भी कहा जाता है, चीन और पाकिस्तान के बीच 1963 में हस्ताक्षरित करा गया एक दस्तावेज़ है जो उन दोनों देशों द्वारा कश्मीर में नियंत्रित क्षेत्रों के बीच की सीमा निर्धारित करता है। भारत इस समझौते का खण्डन करता है और उसके अनुसार पूरा जम्मू और कश्मीर राज्य भारत का अटूट अंग है और किसी भी अन्य देश को उसे बांटने का अधिकार नहीं। भारत के अनुसार पाकिस्तान और चीन में आधिकारिक रूप से कोई सीमा है ही नहीं क्योंकि भारतीय क्षेत्र बीच में आता है। .

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चीनी बौद्ध धर्म

चीनी बौद्ध धर्म (हान चीनी बौद्ध धर्म) बौद्ध धर्म की चीनी शाखा है। बौद्ध धर्म की परम्पराओं ने तक़रीबन दो हज़ार वर्षों तक चीनी संस्कृति एवं सभ्यता पर एक गहरा प्रभाव छोड़ा, यह बौद्ध परम्पराएँ चीनी कला, राजनीति, साहित्य, दर्शन तथा चिकित्सा में देखी जा सकती हैं। दुनिया की 65% से अधिक बौद्ध आबादी चीन में रहती हैं। भारतीय बौद्ध धर्मग्रन्थों का चीनी भाषा में अनुवाद ने पूर्वी एशिया व दक्षिण पूर्व एशिया में बौद्ध धर्म को बहुत बढ़ावा दिया, इतना कि बौद्ध धर्म कोरिया, जापान, रयुक्यु द्वीपसमूह और वियतनाम तक पहुँच पाया था। चीनी बौद्ध धर्म में बहुत सारी ताओवादी और विभिन्न सांस्कृतिक चीनी परम्पराएँ मिश्रित हैं। .

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चीनी जनवादी गणराज्य

चीनी जनवादी गणराज्य (चीनी: 中华人民共和国) जिसे प्रायः चीन नाम से भी सम्बोधित किया जाता है, पूर्वी एशिया में स्थित एक देश है। १.३ अरब निवासियों के साथ यह विश्व का सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश है और ९६,४१,१४४ वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ यह रूस और कनाडा के बाद विश्व का तीसरा सबसे बड़ा क्षेत्रफल वाला देश है। इतना विशाल क्षेत्रफल होने के कारण इसकी सीमा से लगते देशों की संख्या भी विश्व में सर्वाधिक (रूस के बराबर) है जो इस प्रकार है (उत्तर से दक्षिणावर्त्त): रूस, मंगोलिया, उत्तर कोरिया, वियतनाम, लाओस, म्यान्मार, भारत, भूटान, नेपाल, तिबत देश,पाकिस्तान, अफ़्गानिस्तान, ताजिकिस्तान, किर्गिस्तान और कज़ाख़िस्तान। उत्तर पूर्व में जापान और दक्षिण कोरिया मुख्य भूमि से दूरी पर स्थित हैं। चीनी जनवादी गणराज्य की स्थापना १ अक्टूबर, १९४९ को हुई थी, जब साम्यवादियों ने गृहयुद्ध में कुओमिन्तांग पर जीत प्राप्त की। कुओमिन्तांग की हार के बाद वे लोग ताइवान या चीनी गणराज्य को चले गए और मुख्यभूमि चीन पर साम्यवादी दल ने साम्यवादी गणराज्य की स्थापना की। लेकिन चीन, ताईवान को अपना स्वायत्त क्षेत्र कहता है जबकि ताइवान का प्रशासन स्वयं को स्वतन्त्र राष्ट्र कहता है। चीनी जनवादी गणराज्य और ताइवान दोनों अपने-अपने को चीन का वैध प्रतिनिधि कहते हैं। चीन विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक है जो अभी भी अस्तित्व में है। इसकी सभ्यता ५,००० वर्षों से अधिक भी पुरानी है। वर्तमान में यह एक "समाजवादी गणराज्य" है, जिसका नेतृत्व एक दल के हाथों में है, जिसका देश के २२ प्रान्तों, ५ स्वायत्तशासी क्षेत्रों, ४ नगरपालिकाओं और २ विशेष प्रशासनिक क्षेत्रों पर नियन्त्रण है। चीन विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य भी है। यह विश्व का सबसे बड़ा निर्यातक और दूसरा सबसे बड़ा आयातक है और एक मान्यता प्राप्त नाभिकीय महाशक्ति है। चीनी साम्यवादी दल के अधीन रहकर चीन में "समाजवादी बाज़ार अर्थव्यवस्था" को अपनाया जिसके अधीन पूंजीवाद और अधिकारवादी राजनैतिक नियन्त्रण सम्मित्लित है। विश्व के राजनैतिक, आर्थिक और सामाजिक ढाँचे में चीन को २१वीं सदी की अपरिहार्य महाशक्ति के रूप में माना और स्वीकृत किया जाता है। यहाँ की मुख्य भाषा चीनी है जिसका पाम्परिक तथा आधुनिक रूप दोनों रूपों में उपयोग किया जाता है। प्रमुख नगरों में बीजिंग (राजधानी), शंघाई (प्रमुख वित्तीय केन्द्र), हांगकांग, शेन्ज़ेन, ग्वांगझोउ इत्यादी हैं। .

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चीनी गणराज्य

चीनी गणराज्य या ताइवान (अंग्रेज़ी:Taiwan, चीनी:台灣) पूर्वी एशिया का एक देश है। यह ताइवान द्वीप तथा कुछ अन्य द्वीपों से मिलकर बना है। इसका प्रशासनिक मुख्यालय ताइवान द्वीप है। इसके पश्चिम में चीनी जनवादी गणराज्य (चीन), उत्तर-पूर्व में जापान, दक्षिण में फिलीपींस है। 1949 में चीन के गृहयुद्ध के बाद ताइवान चीन से अलग हो गया था लेकिन चीन अब भी इसे अपना ही एक असंतुष्ट राज्य कहता है और आज़ादी के ऐलान होने पर चीन ने हमले की धमकी दे रखी है। ताइवान वह देश है जो विश्व का सबसे अधिक जनसंख्या तथा सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक होते हुए भी संयुक्त राष्ट्र संघ का सदस्य नहीं है। यूं तो नाम से ऐसा प्रतीत होता है कि यह चीन का सरकारी नाम है पर वास्तव में ये चीन की लगभग सम्पूर्ण भूमि पर समाजवादियों के अधिपत्य हो जाने के बाद बचे शेष चीन का प्रशासनिक नाम है। यह चीन के वास्तविक भूभाग के बहुत कम भाग में फैला है और महज कुछ द्वीपों से मिलकर बना है। चीन के मुख्य भूभाग पर स्थपित प्रशासन का आधिकारिक नाम जनवादी गणराज्य चीन है और यह लगभग सम्पूर्ण चीन के अलावा तिब्बत, पूर्वी तुर्किस्तान तथा आंतरिक मंगोलिया पर भी शासन करता है तथा ताईवान पर भी अपना दावा करता है। .

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तारिम नदी

तारिम नदी के जलसम्भर क्षेत्र का नक़्शा तारिम नदी (उईग़ुर:, तारिम दरियासी; चीनी: 塔里木河, तालीमु हे; अंग्रेजी: Tarim River) चीन के शिंजियांग प्रांत की मुख्य नदी है। इसी नदी के नाम पर महान तारिम द्रोणी का नाम पड़ा है, जो मध्य एशिया में कुनलुन पर्वतों और तियान शान पर्वतों के बीच और तिब्बत के पठार से उत्तर में स्थित है। १,३२१ किलोमीटर लम्बा यह दरिया चीन की सबसे लम्बी नदी है जो समुद्र में नहीं बहती, यानि जो एक बन्द जलसम्भर वाली नदी है।, Yue-man Yeung, Jianfa Shen, Chinese University Press, 2004, ISBN 978-962-996-157-2,...

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ताशक़ुरग़ान​

ताशक़ुरग़ान​ (सरिकोली:, तॉशक़ुरग़ॉन​; उइग़ुर:, ताशक़ूरग़ान बाज़िरी; चीनी: 塔什库尔干镇, ताशिकु'एरगन; अंग्रेज़ी: Tashkurgan) मध्य एशिया में चीन द्वारा नियंत्रित शिनजियांग प्रान्त के ताशक़ुरग़ान​ ताजिक स्वशासित ज़िले की राजधानी है। पाकिस्तान से पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बल्तिस्तान क्षेत्र से आने वाले काराकोरम राजमार्ग पर यह पहला महत्वपूर्ण चीनी पड़ाव है। इस राजमार्ग पर सरहद पर स्थित ख़ुंजराब दर्रे की चीनी तरफ़ ताशक़ुरग़ान​ है और पाकिस्तानी तरफ़ सोस्त है।, Andrew Burke, pp.

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ताशक़ुरग़ान​ ताजिक स्वशासित ज़िला

ताशक़ुरग़ान​ ताजिक स्वशासित ज़िला जनवादी गणतंत्र चीन द्वारा नियंत्रित शिंजियांग प्रान्त के काश्गर विभाग का एक ज़िला है। इसकी ८०% से अधिक आबादी ताजिक समुदाय की है। इस ज़िले की राजधानी ताशक़ुरग़ान​ शहर है जहाँ से पाक-अधिकृत कश्मीर से गुज़रकर पाकिस्तान व चीन को जोड़ने वाला काराकोरम राजमार्ग निकलता है।, Andrew Burke, pp.

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ताजिकी भाषा

द्वार पर ताजिकी में सिरिलिक लिपि में लिखा है 'बाग़-ए उस्तोद रुदाकी' (उस्ताद रुदाकी का बाग़) ताजिकी या ताजिकी फ़ारसी (тоҷикӣ,, तोजिकी) मध्य एशिया में बोली जाने वाली आधुनिक फ़ारसी भाषा का एक रूप है। ताजिकी बोलने वाले ज़्यादातर ताजिकिस्तान और उज़बेकिस्तान में रहते हैं, हालांकि ताजिकी मातृभाषियों के कुछ समुदाय अफ़्ग़ानिस्तान, रूस और चीन के शिनजियांग प्रान्त में भी मिलते हैं। अनुमानित किया गया है कि कुल मिलकर सन् १९९१ में ताजिकी बोलने वालों की संख्या ४४.६ लाख थी। वैसे तो ताजिकी ईरान में बोली जाने वाली फ़ारसी से काफ़ी मिलती है लेकिन ईरानी फ़ारसी में अरबी भाषा का प्रभाव अधिक है जबकि ताजिकी में तुर्की भाषाओँ और कुछ हद तक उज़बेक भाषा का असर ज़्यादा दिखता है।, Raymond Hickey, John Wiley and Sons, 2010, ISBN 978-1-4051-7580-7,...

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तियाँ शान

सूर्यास्त के वक़्त ख़ान तेन्ग्री की चोटी तियान शान (अंग्रेज़ी: Tian Shan या Tien Shan; मंगोल: Тэнгэр уул, तेंगेर उउल; उइग़ुर:, तेन्ग्री ताग़; चीनी: 天山, तियान शान) मध्य एशिया का एक पहाड़ी सिलसिला है। .

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तिरमिज़

सुल्तान साओदात का महल तिरमिज़ (उज़बेक: Термиз, तेरमिज़; अंग्रेज़ी: Termez) मध्य एशिया के उज़बेकिस्तान देश के दक्षिणी भाग में स्थित सुरख़ानदरिया प्रान्त की राजधानी है। यह उज़बेकिस्तान की अफ़्ग़ानिस्तान के साथ सरहद के पास प्रसिद्ध आमू दरिया के किनारे बसा हुआ है। इसकी आबादी सन् २००५ में १,४०,४०४ थी। .

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तुरफ़ान

१४४ फ़ुट ऊंची एमीन मीनार अंगूर की लताओं से ढकी चलने की एक सड़क तुरफ़ान (अंग्रेज़ी: Turfan) या तुरपान (उईग़ुर:, अंग्रेज़ी: Turpan, चीनी: 吐魯番) चीन द्वारा नियंत्रित शिनजियांग प्रान्त के तुरफ़ान विभाग में स्थित एक ज़िले-स्तर का शहर है जो मध्य एशिया की प्रसिद्ध तुरफ़ान द्रोणी में स्थित एक नख़लिस्तान (ओएसिस) भी है। सन् २००३ में इसकी आबादी २,५४,९०० गिनी गई थी। यह शहर उत्तरी रेशम मार्ग पर एक महत्वपूर्ण पड़ाव हुआ करता था।, Julie Hill, AuthorHouse, 2006, ISBN 978-1-4259-7280-6,...

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तुरफ़ान द्रोणी

अंतरिक्ष से तुरफ़ान द्रोणी बोगदा पर्वत शृंखला के चरणों में दिखती है तुरफ़ान द्रोणी (अंग्रेज़ी: Turfan Depression) या तुरपान द्रोणी (उईग़ुर:, तुरपान ओयमानलीक़ी; अंग्रेज़ी: Turpan Depression) चीन द्वारा नियंत्रित मध्य एशिया के शिनजियांग क्षेत्र में स्थित ज़मीन में एक भ्रंश (फ़ॉल्ट​) के कारण बनी एक द्रोणी है। मृत सागर और जिबूती की असल झील के बाद तुरफ़ान द्रोणी में स्थित अयदिंग​ झील (Lake Ayding) पृथ्वी का तीसरा सब से निचला ज़मीनी क्षेत्र है।, www.nasa.gov, Accessed 2009-10-09 यह सूखी झील समुद्र ताल से १५४ मीटर नीचे स्थित है (यानि इसकी ऊँचाई -१५४ मीटर है)। कुछ मापों के हिसाब से यह चीन का सबसे गरम और शुष्क इलाक़ा भी है।, Shanghai Daily तुरफ़ान द्रोणी तुरफ़ान शहर के इर्द-गिर्द और उस से दक्षिण में विस्तृत है। .

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तुर्किस्तान

सन् १९१४ के नक़्शे में रूसी तुर्किस्तान दर्शाया गया है तुर्किस्तान (अंग्रेज़ी: Turkistan या Turkestan, फ़ारसी) मध्य एशिया के एक बड़ा भूभाग का पारम्परिक नाम है जहाँ तुर्की भाषाएँ बोलने वाले तुर्क लोग रहते हैं। इस नाम द्वारा परिभाषित इलाक़े की सीमाएँ समय के साथ बदलती रहीं हैं और इसका प्रयोग भी तुर्किस्तान से बाहर रहने वाले लोग ही अधिक करते थे।, Anita Sengupta, Lexington Books, 2009, ISBN 978-0-7391-3606-5,...

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तुषारी भाषाएँ

एक तख़्ती पर ब्राह्मी लिपि में लिखी हुई तुषारी 'बी' भाषा (कूचा, आक़्सू विभाग, शिनजियांग प्रान्त, चीन से मिली) तुषारी पांडुलिपि का अंश तुषारी या तुख़ारी (अंग्रेज़ी: Tocharian, टोचेरियन; यूनानी: Τόχαροι, तोख़ारोई) मध्य एशिया की तारिम द्रोणी में बसने वाले तुषारी लोगों द्वारा बोली जाने वाली हिन्द-यूरोपीय भाषा परिवार की भाषाएँ थीं जो समय के साथ विलुप्त हो गई। एक तुर्की ग्रन्थ में तुषारी को 'तुरफ़ानी भाषा' भी बुलाया गया था। इतिहासकारों का मानना है कि जब तुषारी-भाषी क्षेत्रों में तुर्की भाषाएँ बोलने वाली उईग़ुर लोगों का क़ब्ज़ा हुआ तो तुषारी भाषाएँ ख़त्म हो गई। तुषारी की लिपियाँ भारत की ब्राह्मी लिपि पर आधारित थीं और उन्हें तिरछी ब्राह्मी (Slanted Brahmi) कहा जाता है।, Florian Coulmas, Wiley-Blackwell, 1999, ISBN 978-0-631-21481-6,...

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तुंगुसी भाषा-परिवार

उत्तर-पूर्वी एशिया में तुंगुसी भाषाओं का विस्तार एवेंकी भाषा में कुछ लिखाई, जो साइबेरिया में बोली जाने वाली एक तुंगुसी भाषा है मांचु भाषा में, जो एक तुंगुसी भाषा है तुंगुसी भाषाएँ (अंग्रेज़ी: Tungusic languages, तुन्गुसिक लैग्वेजिज़) या मांचु-तुंगुसी भाषाएँ पूर्वी साइबेरिया और मंचूरिया में बोली जाने वाली भाषाओं का एक भाषा-परिवार है। इन भाषाओं को मातृभाषा के रूप में बोलने वालुए समुदायों को तुंगुसी लोग कहा जाता है। बहुत सी तुंगुसी बोलियाँ हमेशा के लिए विलुप्त होने के ख़तरे में हैं और भाषावैज्ञानिकों को डर है कि आने वाले समय में कहीं यह भाषा-परिवार पूरा या अधिकाँश रूप में ख़त्म ही न हो जाए। बहुत से विद्वानों के अनुसार तुंगुसी भाषाएँ अल्ताई भाषा-परिवार की एक उपशाखा है। ध्यान दीजिये कि मंगोल भाषाएँ और तुर्की भाषाएँ भी इस परिवार कि उपशाखाएँ मानी जाती हैं इसलिए, अगर यह सच है, तो तुंगुसी भाषाओँ का तुर्की, उज़बेक, उइग़ुर और मंगोल जैसी भाषाओं के साथ गहरा सम्बन्ध है और यह सभी किसी एक ही आदिम अल्ताई भाषा की संतानें हैं।, Martine Irma Robbeets, Otto Harrassowitz Verlag, 2005, ISBN 978-3-447-05247-4 तुंगुसी भाषाएँ बोलने वाली समुदायों को सामूहिक रूप से तुंगुसी लोग कहा जाता है। .

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तुंगुसी लोग

सन् १९१५ में खींची गई कुछ मान्छु लोगों की तस्वीर तुंगुसी भाषाओँ के फैलाव का नक़्शा तुंगुसी लोग उत्तर-पूर्वी एशिया की उन जातियों को कहा जाता है जिनकी मातृभाषा तुंगुसी भाषा-परिवार की सदस्य हो। यह लोग साइबेरिया, मंचूरिया, कोरिया और मंगोलिया के क्षेत्रों में पाए जाते हैं, हालांकि कुछ तुंगुसी समुदाय इस क्षेत्र से भाहर भी मौजूद हैं। इनका नाम साइबेरिया के 'तुंगुस्का' नामक एक इलाक़े से पड़ा है।, Ronald Wixman, M.E. Sharpe, 1984, ISBN 978-0-87332-506-6,...

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तूमन चानयू

२०० ईसापूर्व में शियोंगनु साम्राज्य तूमन (चीनी: 頭曼, मंगोल: Түмэн, अंग्रेज़ी: Touman) मध्य एशिया और चीन पर प्राचीनकाल में अधिकार रखने वाले शियोंगनु लोगों का सबसे पहला चानयू (सम्राट) था। उसका शासनकाल २२० ईसापूर्व से २०९ ईसापूर्व अनुमानित किया गया है। इतिहासकारों का मानना है कि तूमन का नाम शब्द मंगोल भाषा के 'तुमेन' शब्द से लिया गया है, जिसका मतलब 'दस हज़ार' होता है। .

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तेरम कांगरी

तेरम कांगरी (Teram Kangri) काराकोरम की सियाचिन मुज़ताग़ उपश्रेणी में एक पर्वतीय पुंजक है। तेरम कांगरी १ इसका सर्वोच्च पर्वत है और यह विश्व का ५६वाँ सर्वोच्च पर्वत भी है। तेरम कांगरी भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य में स्थित है और इसका कुछ भाग चीन के क़ब्ज़े वाली शक्सगाम घाटी में स्थित है जिसे चीन शिंजियांग प्रान्त के अधीन प्रशासित करता है। .

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नगर (गिलगित-बल्तिस्तान)

नगर (Nagar) पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बलतिस्तान क्षेत्र के हुन्ज़ा-नगर ज़िले में स्थित एक शहर है। यह हुन्ज़ा नदी के किनारे २,६८८ मीटर (८,८२२ फ़ुट) की ऊँचाई पर बसा हुआ है। चीन-द्वारा नियंत्रित शिंजियांग प्रान्त को ख़ुंजराब दर्रे के ज़रिये पाकिस्तान से जोड़ने वाला प्रसिद्ध काराकोरम राजमार्ग नगर से भी गुज़रकर निकलता है। यह जिस वादी में स्थित है उसका नाम भी नगर वादी है और यह किसी ज़माने में नगर रियासत का क्षेत्र हुआ करता था। नगर शहर को वादी से अलग बताने के लिये कभी-कभी नगर ख़ास भी कहते हैं। यहाँ के अधिकतर लोग बुरुशस्की बोलते हैं हालांकि स्थानीय लोगों को शीना भाषा भी आती है।, pp.

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न्गारी विभाग

न्गारी विभाग (तिब्बती: མངའ་རིས་ས་ཁུལ་, अंग्रेज़ी: Ngari Prefecture), जिसे आली विभाग (चीनी: 阿里地区, अंग्रेज़ी: Ali Prefecture) भी कहते हैं, तिब्बत का एक प्रशासनिक विभाग है जो वर्तमान में जनवादी गणतंत्र चीन द्वारा नियंत्रित तिब्बत स्वशासित प्रदेश का हिस्सा है। इसमें अक्साई चिन क्षेत्र का एक भाग आता है जिसे भारत अपना भाग समझता है लेकिन जो चीन के क़ब्ज़े में है। शिन्जियांग-तिब्बत राजमार्ग इस विभाग से गुज़रता है। .

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पश्चिमी शिया

सन् ११११ ईसवी में पश्चिमी शिया राजवंश का क्षेत्र (हरे रंग में) तान्गूत सरकार द्वारा जारी यह कांसे के अधिकारपत्र धारक को 'घोड़े जलाने' (यानि आपातकाल में सरकारी घोड़े तेज़ी से दोड़ाकर थका डालने) की अनुमति देते थे पश्चिमी शिया राजवंश (चीनी: 西夏, शी शिया; अंग्रेजी: Western Xia) जिसे तान्गूत साम्राज्य (Tangut Empire) भी कहा जाता है पूर्वी एशिया का एक साम्राज्य था जो आधुनिक चीन के निंगशिया, गांसू, उत्तरी शान्शी, पूर्वोत्तरी शिनजियांग, दक्षिण-पश्चिमी भीतरी मंगोलिया और दक्षिणी मंगोलिया पर सन् १०३८ से १२२७ ईसवी तक विस्तृत था। तान्गूत लोग तिब्बती लोगों से सम्बंधित माने जाते हैं और उन्होंने चीनी लोगों का पड़ोसी होने के बावजूद चीनी संस्कृति नहीं अपनाई। तिब्बती और तान्गूत लोग इस साम्राज्य को मिन्याक साम्राज्य (Mi-nyak) बुलाते थे। तान्गुतों ने कला, संगीत, साहित्य और भवन-निर्माण में बहुत तरक्की की थी। सैन्य क्षेत्र में भी वे सबल थे - वे शक्तिशाली लियाओ राजवंश, सोंग राजवंश और जिन राजवंश (१११५–१२३४) का पड़ोसी होते हुए भी डट सके क्योंकि उनका फ़ौजी बन्दोबस्त बढ़िया था। रथी, धनुर्धर, पैदल सिपाही, ऊँटों पर लदी तोपें और जल-थल दोनों पर जूझने को तैयार टुकड़ियाँ सभी उनकी सेना का अंग थीं और एक-साथ आयोजित तरीक़े से लड़ना जानती थीं।, David Hartill, Trafford Publishing, 2005, ISBN 978-1-4120-5466-9,...

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पामीरी भाषाएँ

पामीरी भाषाएँ पामीर पर्वत क्षेत्र में बोली जाती हैं पामीरी भाषाएँ (फ़ारसी:, ज़बानहा-ए-पामीरी; अंग्रेज़ी: Pamir languages) पूर्वी ईरानी भाषा-परिवार की एक उपशाखा हैं जिसकी सदस्य भाषाएँ पामीर पर्वत क्षेत्र में बसने वाले बहुत से समुदाय बोलते हैं, विशेषकर वह समुदाय जो पंज नदी और उसकी उपनदियों के किनारे वास करते हैं। इसे बोलने वाले इलाक़ों में पूर्वोत्तरी अफ़्ग़ानिस्तान का बदख़्शान प्रान्त और पूर्वी ताजिकिस्तान के कूहिस्तोनी-बदख़्शान स्वशासित प्रान्त हैं। इनके अलावा एक सरिकोली नामक भाषा अफ़्ग़ानिस्तान और चीन के शिनजियांग प्रान्त के सीमावर्ती इलाक़ों में बोली जाती है। सरिकोली को चीन में 'ताजिकी भाषा' कहा जाता है लेकिन ध्यान दें कि यह ताजिकिस्तान में बोली जाने वाली ताजिकी भाषा से बिलकुल अलग है।, Frank Bliss, Psychology Press, 2006, ISBN 978-0-415-30806-9,...

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पुरानी तुर्की लिपि

किज़िल में पुरानी तुर्की लिपि में तराशा हुआ एक शिलालेख विल्हेल्म तोमसेन द्वारा बनाई पुरानी तुर्की लिपि के वर्णों की फ़हरिस्त पुरानी तुर्की लिपि (Old Turkic script), जिसे ओरख़ोन लिपि (Orkhon script), ओरख़ोन-येनिसेय लिपि (Orkhon-Yenisey script) और गोएकतुर्क लिपि (Göktürk script) भी कहते हैं, गोएकतुर्क और अन्य तुर्की-भाषी ख़ानतों द्वारा पुरानी तुर्की भाषा को लिखने के लिए ८वीं से लेकर १०वीं सदी तक प्रयोग होने वाली एक वर्णमाला थी। इसे कभी-कभी रूनीनुमा तुर्की लिपि (Runiform Turkish script) भी कहते हैं क्योंकि दिखने में यह यूरोप की जर्मैनी भाषाएँ लिखने के लिए प्रयोग होने वाली रूनी लिपि जैसी थी, हालांकि इन दोनों लिपियों का वैसे कोई वास्तविक सम्बन्ध नहीं है। पुरानी तुर्की लिपि उर्दू और अरबी-फ़ारसी लिपि की तरह दाएँ से बाएँ पढ़ी जाती थी।, Wolfgang-Ekkehard Scharlipp, Kantzilaris Centre, 1994, ISBN 978-9963-8124-0-0 .

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प्युनिंग मंदिर

प्युनिंग मंदिर() जिसे वस्तुतः विशाल बुद्ध मंदिर कहा जाता है, बौद्ध चेंगडे हेबै प्रांत, चीन में मंदिर परिसर है। यह किंग राजवंश में क्वानानोंग सम्राट के शासनकाल के दौरान १७५५ में बनाया गया था। यह चेंग्डे माउंटेन रिज़ॉर्ट के पास है और पुटुओ ज़ोंगचेंग मंदिर के समान प्रसिद्ध है, प्युनिंग मंदिर चेंगडे के "आठ बाहरी मंदिरों" में से एक है। पिंगिंग मंदिर का सामे मठ के बाद, तिब्बत में पवित्र लामावादी स्थल ल्हासा में पोटोला पैलेस के बाद का पुटुओ ज़ोंगचेंग मंदिर का चित्रण किया गया था। सामने का मंदिर चीनी शैली में बनाया गया था, हालांकि मंदिर परिसर में चीनी और तिब्बती स्थापत्य शैली का प्रयोग किया गया हैं। प्युनिंग मंदिर में बोधिसत्व अवलोकितेश्वर (२२.२८ मीटर ऊंचा और ११० टन) की दुनिया की सबसे ऊंची लकड़ी की मूर्ति है।, इसलिए इसे अक्सर विशाल बुद्ध मंदिर नामक उपनाम दिया जाता है। मंदिर के जटिल वैशिष्टय इस प्रकार हैं - सभामण्डप, मंडप, मृदंग मीनार और घंटी मीनार। .

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पूर्व तुर्किस्तान

पूर्वी तुर्किस्तान (उइग़ुर:, शर्क़ी तुर्किस्तान; अंग्रेज़ी: East Turkestan) मध्य एशिया का एक ऐतिहासिक इलाक़ा है जिसमें तारिम द्रोणी और उइग़ुर लोगों की पारम्परिक मातृभूमि के अन्य क्षेत्र सम्मिलित हैं।, G. Patrick March, pp.

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पूर्व क़ज़ाख़स्तान प्रांत

पूर्व क़ज़ाख़स्तान प्रांत (कज़ाख़: Шығыс Қазақстан облысы, अंग्रेज़ी: East Kazakhstan Province) मध्य एशिया के क़ज़ाख़स्तान देश का एक प्रांत है। इसकी राजधानी ओसकेमेन (Oskemen) नाम का शहर है, जिसे उस्त-कमेनोगोर्स्क (Ust-Kamenogorsk) भी कहा जाता है। इस प्रांत की उत्तरी सीमाएँ रूस से और पूर्वी सीमाएँ जनवादी गणतंत्र चीन के शिनजियांग प्रांत से लगती हैं। इसका सूदूर पूर्व छोर मंगोलिया से केवल ५० किमी दूर है लेकिन बीच में चीन और रूस का ज़रा से हिस्सा क़ज़ाख़स्तान और मंगोलिया के बीच आ जाता है। .

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पूर्वी ईरानी भाषाएँ

पूर्वी ईरानी भाषाएँ ईरानी भाषा-परिवार की एक उपशाखा हैं जो मध्य ईरानी काल (लगभग चौथी शताब्दी ईसापूर्व) से उभरीं। अवस्ताई भाषा अक्सर इस शाखा की एक प्राचीनतम सदस्या मानी जाती है। आधुनिक काल में सब से ज़्यादा बोली जाने वाली पूर्वी ईरानी भाषा पश्तो है, जिसके दुनिया में लगभग ५ करोड़ मातृभाषी हैं। यह अफ़्ग़ानिस्तान और पश्चिमोत्तरी पाकिस्तान के ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रान्त में बोली जाती है। इसके अलावा पूर्वी ताजिकिस्तान के कूहिस्तोनी-बदख़्शान स्वशासित प्रान्त और चीन के सुदूर पश्चिमी शिनजियांग प्रान्त में भी पूर्वी ईरानी भाषाएँ बोली जाती हैं। प्राचीन सोग़दाई से विकसित हुई पश्चिमोत्तरी ताजिकिस्तान की यग़नोबी भाषा और स्किथी-सरमती से विकसित हुई कॉकस क्षेत्र की ओसेती भाषा भी दोनों पूर्वी ईरानी भाषाएँ मानी जाती हैं।, Thomas Albert Sebeok, Walter de Gruyter, 1970,...

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बदख़्शान प्रान्त

बदख़्शान (फ़ारसी) अफ़्ग़ानिस्तान का एक प्रांत है जो उस देश के उत्तर-पूर्वी भाग में हिन्दु कुश पर्वतों और आमू दरिया के बीच स्थित है। यह ऐतिहासिक बदख़्शान क्षेत्र का हिस्सा है। इसका क्षेत्रफल ४४,०५९ वग किमी है और इसकी आबादी सन् २०१२ में लगभग १० लाख अनुमानित की गई थी।, Central Intelligence Agency (सी आइ ए), Accessed 27 दिसम्बर 2011 अफ़्ग़ानिस्तान को चीन द्वारा नियंत्रित तिब्बत व शिंजियांग क्षेत्रों से जोड़ने वाला दुर्गम वाख़ान गलियारा भी इसी प्रान्त में आता है। .

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बायिनग़ोलिन मंगोल स्वशासित विभाग

बायिनग़ोलिन मंगोल स्वशासित विभाग (उईग़ुर:, अंग्रेजी: Bayingolin Mongol Autonomous Prefecture) जनवादी गणतंत्र चीन द्वारा नियंत्रित शिंजियांग प्रांत का एक प्रशासनिक विभाग है। क्षेत्रफल के हिसाब से यह चीन का सबसे बड़ा और यूरोप के फ़्रान्स देश से भी बड़ा है। इसकी प्रशासनिक राजधानी कोरला है। मंगोल भाषा में 'बायिनग़ोलिन' का मतलब 'समृद्ध नदी' होता है। .

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बाल्तोरो मुज़ताग़

बाल्तोरो मुज़ताग़ काराकोरम पर्वतमाला की एक उपश्रृंखला है। विश्व की दूसरी सबसे ऊंची चोटी के2 इसी श्रृंखला में ही स्थित है। प्रशासनिक रूप से यह पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बल्तिस्तान क्षेत्र में और चीन द्वारा नियंत्रित शिनजिआंग प्रान्त में आता है। भारत लगभग इस पूरे क्षेत्र को अपना भाग मानता है। .

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बासमाची विद्रोह

ऍनवर पाशा एक तुर्की सिपहसालार थे जिन्होंने बासमाची विद्रोहियों को अपने नेतृत्व में संगठित करने का असफल प्रयास किया बासमाची विद्रोह (रूसी: Басмачество, बासमाचेस्त्वो, Basmachi) सोवियत संघ और, सोवियत संघ के बनने से पहले, रूस की शाही सरकार के विरुद्ध मध्य एशिया में बसने वाले तुर्की भाषाएँ बोलने वाले मुस्लिम समुदायों के विद्रोहों के एक सिलसिले को कहते हैं जो सन् १९१६ से १९३१ तक चले। 'बासमाची' शब्द उज़बेक भाषा से लिया गया है, जिसमें इसका अर्थ 'डाकू' होता है और यह हिन्दी भाषा में पाए जाने वाले 'बदमाश' शब्द का एक रूप है।, Dilip Hiro, Penguin, 2009, ISBN 978-1-59020-221-0,...

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बाईचेंग ज़िला

चीन के शिंजियांग प्रांत के आक़्सू विभाग (पीला रंग) के अन्दर स्थित बईचेंग ज़िला (गुलाबी रंग) बाईचेंग ज़िला (चीनी: 拜城县, अंग्रेज़ी: Baicheng County) या बाई ज़िला (उइग़ुर) जनवादी गणतंत्र चीन के शिंजियांग राज्य के आक़्सू विभाग का एक ज़िला है। इसका क्षेत्रफल १५,८८९ वर्ग किमी है और सन् २००२ की जनगणना में इसकी आबादी लगभग २ लाख थी। यह ज़िला आक्सू विभाग के उत्तरी क्षेत्र में मुज़ात नदी की घाटी में तियाँ शान पर्वतों से बिलकुल दक्षिण में स्थित है। .

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ब्रिटिशकालीन भारत के रियासतों की सूची

सन १९१९ में भारतीय उपमहाद्वीप की मानचित्र। ब्रितिश साशित क्षेत्र व स्वतन्त्र रियासतों के क्षेत्रों को दरशाया गया है सन १९४७ में स्वतंत्रता और विभाजन से पहले भारतवर्ष में ब्रिटिश शासित क्षेत्र के अलावा भी छोटे-बड़े कुल 565 स्वतन्त्र रियासत हुआ करते थे, जो ब्रिटिश भारत का हिस्सा नहीं थे। ये रियासतें भारतीय उपमहाद्वीप के वो क्षेत्र थे, जहाँ पर अंग्रेज़ों का प्रत्यक्ष रूप से शासन नहीं था, बल्कि ये रियासत सन्धि द्वारा ब्रिटिश राज के प्रभुत्व के अधीन थे। इन संधियों के शर्त, हर रियासत के लिये भिन्न थे, परन्तु मूल रूप से हर संधि के तहत रियासतों को विदेश मामले, अन्य रियासतों से रिश्ते व समझौते और सेना व सुरक्षा से संबंधित विषयों पर ब्रिटिशों की अनुमति लेनी होती थी, इन विषयों का प्रभार प्रत्यक्ष रूप से अंग्रेजी शासन पर था और बदले में ब्रिटिश सरकार, शासकों को स्वतन्त्र रूप से शासन करने की अनुमती देती थी। सन १९४७ में भारत की स्वतंत्रता व विभाजन के पश्चात सिक्किम के अलावा अन्य सभी रियासत या तो भारत या पाकिस्तान अधिराज्यों में से किसी एक में शामिल हो गए, या उन पर कब्जा कर लिया गया। नव स्वतंत्र भारत में ब्रिटिश भारत की एजेंसियों को "दूसरी श्रेणी" के राज्यों का दर्जा दिया गया (उदाहरणस्वरूप: "सेंट्रल इण्डिया एजेंसी", "मध्य भारत राज्य" बन गया)। इन राज्यों के मुखिया को राज्यपाल नहीं राजप्रमुख कहा जाता था। १९५६ तक "राज्य पुनर्गठन अयोग" के सुझाव पर अमल करते हुए भारत सरकार ने राज्यों को पुनर्गठित कर वर्तमान स्थिती में लाया। परिणामस्वरूप सभी रियासतों को स्वतंत्र भारत के राज्यों में विलीन कर लिया गया। इस तरह रियासतों का अंत हो गया। सन १९६२ में प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के शासनकाल के दौरान इन रियासतों के शासकों के निजी कोशों को एवं अन्य सभी ग़ैर-लोकतान्त्रिक रियायतों को भी रद्ध कर दिया गया .

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बोस्तेन झील

बोस्तेन झील (चीनी: 博斯騰湖, बोसितेंग हू, Bosten Lake) या बाग़राश झील (उईग़ुर:, बाग़राश कोली, Baghrash Lake) मध्य एशिया में जनवादी गणतंत्र चीन द्वारा नियंत्रित शिंजियांग प्रान्त के बायिनग़ोलिन मंगोल स्वशासित विभाग में स्थित मीठे पानी की एक झील है। यह तारिम द्रोणी के पूर्वोत्तरी छोर पर स्थित है और शिंजियांग प्रान्त की सबसे बड़ी झील है। बोस्तेन झील काराशहर (यान्ची) से २० किमी पूर्व में और बायिनग़ोलिन विभाग की प्रशासनिक राजधानी कोरला से ५७ किमी पूर्वोत्तर में स्थित है। काइदू नदी इस झील में पानी लाती है और झील में पहुँचने वाला ८३% जल इसी एक नदी से आता है। झील में बहुत-सी मछलियाँ रहती है और कुछ स्थानीय निवासी उन्हें व्यावसायिक रूप से पकड़ते हैं। .

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बोगदा पर्वत शृंखला

बोगदा पर्वतों के उत्तरी भाग में तिआनची झील (अर्थ:स्वर्ग झील) बोगदा पर्वत शृंखला (मंगोल: Богд уул, बोग्द ऊल; चीनी: 博格达山, बोगेदा शान; अंग्रेज़ी: Bogda Mountains) तियान शान पर्वत शृंखला की एक पूर्वी शाखा है जो जनवादी गणराज्य चीन की वर्तमान शिनजियांग प्रान्त में उरुम्ची शहर से ६० किमी पूर्व में स्थित है। इसका सबसे ऊँचा पहाड़ ५४४५ मीटर ऊँचा 'बोगदा पर्वत' (चीनी में 'बोगेदा फ़न्ग', मंगोल में 'बोग्द ऊल') है। यह शृंखला शिनजियांग प्रान्त के दाबानचंग रायोन (उईग़ुर:, अंग्रेज़ी: Dabancheng District) और जिम्सार ज़िले (Jimsar County) की सरहद पर खड़ी है और दोनों तरफ़ इन्ही पहाड़ियों के नदी-झरने कृषि के लिए पानी प्रदान करते हैं। शृंखला की उत्तरी तरफ़ तियानची (Tianchi, अर्थ: स्वर्ग झील) नामक एक सुन्दर झील है।, Michael R. Kelsey, Kelsey Pub., 1990, ISBN 978-0-944510-02-5,...

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भारत-चीन युद्ध

भारत-चीन युद्ध जो भारत चीन सीमा विवाद के रूप में भी जाना जाता है, चीन और भारत के बीच 1962 में हुआ एक युद्ध था। विवादित हिमालय सीमा युद्ध के लिए एक मुख्य बहाना था, लेकिन अन्य मुद्दों ने भी भूमिका निभाई। चीन में 1959 के तिब्बती विद्रोह के बाद जब भारत ने दलाई लामा को शरण दी तो भारत चीन सीमा पर हिंसक घटनाओं की एक श्रृंखला शुरू हो गयी। भारत ने फॉरवर्ड नीति के तहत मैकमोहन रेखा से लगी सीमा पर अपनी सैनिक चौकियाँ रखी जो 1959 में चीनी प्रीमियर झोउ एनलाई के द्वारा घोषित वास्तविक नियंत्रण रेखा के पूर्वी भाग के उत्तर में थी। चीनी सेना ने 20 अक्टूबर 1962 को लद्दाख में और मैकमोहन रेखा के पार एक साथ हमले शुरू किये। चीनी सेना दोनों मोर्चे में भारतीय बलों पर उन्नत साबित हुई और पश्चिमी क्षेत्र में चुशूल में रेजांग-ला एवं पूर्व में तवांग पर अवैध कब्ज़ा कर लिया। चीन ने 20 नवम्बर 1962 को युद्ध विराम की घोषणा कर दी और साथ ही विवादित दो क्षेत्रों में से एक से अपनी वापसी की घोषणा भी की, हलाकिं अक्साई चिन से भारतीय पोस्ट और गश्ती दल हटा दिए गए थे, जो संघर्ष के अंत के बाद प्रत्यक्ष रूप से चीनी नियंत्रण में चला गया। भारत-चीन युद्ध कठोर परिस्थितियों में हुई लड़ाई के लिए उल्लेखनीय है। इस युद्ध में ज्यादातर लड़ाई 4250 मीटर (14,000 फीट) से अधिक ऊंचाई पर लड़ी गयी। इस प्रकार की परिस्थिति ने दोनों पक्षों के लिए रसद और अन्य लोजिस्टिक समस्याएँ प्रस्तुत की। इस युद्ध में चीनी और भारतीय दोनों पक्ष द्वारा नौसेना या वायु सेना का उपयोग नहीं किया गया था। .

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भारतीय उपमहाद्वीप

भारतीय उपमहाद्वीप का भौगोलिक मानचित्र भारतीय उपमहाद्वीप, एशिया के दक्षिणी भाग में स्थित एक उपमहाद्वीप है। इस उपमहाद्वीप को दक्षिण एशिया भी कहा जाता है भूवैज्ञानिक दृष्टि से भारतीय उपमहाद्वीप का अधिकांश भाग भारतीय प्रस्तर (या भारतीय प्लेट) पर स्थित है, हालाँकि इस के कुछ भाग इस प्रस्तर से हटकर यूरेशियाई प्रस्तर पर भी स्थित हैं। .

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मध्य एशिया

मध्य एशिया एशिया के महाद्वीप का मध्य भाग है। यह पूर्व में चीन से पश्चिम में कैस्पियन सागर तक और उत्तर में रूस से दक्षिण में अफ़ग़ानिस्तान तक विस्तृत है। भूवैज्ञानिकों द्वारा मध्य एशिया की हर परिभाषा में भूतपूर्व सोवियत संघ के पाँच देश हमेशा गिने जाते हैं - काज़ाख़स्तान, किरगिज़स्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज़बेकिस्तान। इसके अलावा मंगोलिया, अफ़ग़ानिस्तान, उत्तरी पाकिस्तान, भारत के लद्दाख़ प्रदेश, चीन के शिनजियांग और तिब्बत क्षेत्रों और रूस के साइबेरिया क्षेत्र के दक्षिणी भाग को भी अक्सर मध्य एशिया का हिस्सा समझा जाता है। इतिहास में मध्य एशिया रेशम मार्ग के व्यापारिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए जाना जाता है। चीन, भारतीय उपमहाद्वीप, ईरान, मध्य पूर्व और यूरोप के बीच लोग, माल, सेनाएँ और विचार मध्य एशिया से गुज़रकर ही आते-जाते थे। इस इलाक़े का बड़ा भाग एक स्तेपी वाला घास से ढका मैदान है हालाँकि तियान शान जैसी पर्वत शृंखलाएँ, काराकुम जैसे रेगिस्तान और अरल सागर जैसी बड़ी झीलें भी इस भूभाग में आती हैं। ऐतिहासिक रूप मध्य एशिया में ख़ानाबदोश जातियों का ज़ोर रहा है। पहले इसपर पूर्वी ईरानी भाषाएँ बोलने वाली स्किथी, बैक्ट्रियाई और सोग़दाई लोगों का बोलबाला था लेकिन समय के साथ-साथ काज़ाख़, उज़बेक, किरगिज़ और उईग़ुर जैसी तुर्की जातियाँ अधिक शक्तिशाली बन गई।Encyclopædia Iranica, "CENTRAL ASIA: The Islamic period up to the Mongols", C. Edmund Bosworth: "In early Islamic times Persians tended to identify all the lands to the northeast of Khorasan and lying beyond the Oxus with the region of Turan, which in the Shahnama of Ferdowsi is regarded as the land allotted to Fereydun's son Tur.

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मा परिवार सेना

ज़िबे सान मा का पताका मा परिवार सेना (पुराना चीना भाषा: 馬家軍, नया चीना भाषा: 马家军, पिनयिन: Mǎ Jiājūn, अंग्रेज़ी: Ma clique) चीन मे योद्धाओं का एक परिवार था। इस परिवार ने चीन के चिंग-है, शिंजांग गांसू और निंग्सिया प्रदेशों में १९१० से १९४९ तक राज किया था। .

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मांचु भाषा

तिब्बती लिपि में लिखा है और किनारों पर मांचु में, जो एक तुन्गुसी भाषा है मांचु या मान्चु (मांचु: ᠮᠠᠨᠵᡠ ᡤᡳᠰᡠᠨ, मांजु गिसुन) पूर्वोत्तरी जनवादी गणतंत्र चीन में बसने वाले मांचु समुदाय द्वारा बोली जाने वाली तुन्गुसी भाषा-परिवार की एक भाषा है। भाषावैज्ञानिक इसके अस्तित्व को ख़तरे में मानते हैं क्योंकि १ करोड़ से अधिक मांचु नसल के लोगों में से सिर्फ ७० हज़ार ही इसे अपनी मातृभाषा के रूप में बोलते हैं। बाक़ियों ने चीनी भाषा को अपनाकर उसमें बात करना आरम्भ कर दिया है। मांचु भाषा की 'शिबे भाषा' नाम की एक अन्य क़िस्म चीन के दूर पश्चिमी शिनजियांग प्रान्त में भी मिलती है, जहाँ लगभग ४०,००० लोग उसे बोलते हैं। शिबे बोलने वाले लोग उन मांचुओं के वंशज हैं जिन्हें १६४४-१९११ ईसवी के काल में चलने वाले चिंग राजवंश के दौरान शिनजियांग की फ़ौजी छावनियों में तैनात किया गया था।, Edward J. M. Rhoads, University of Washington Press, 2001, ISBN 978-0-295-98040-9 मांचु एक जुरचेन नाम की भाषा की संतान है। जुरचेन में बहुत से मंगोल और चीनी शब्दों के मिश्रण से मांचु भाषा पैदा हुई। अन्य तुन्गुसी भाषाओँ की तरह मांचु में अभिश्लेषण (अगलूटिनेशन) और स्वर सहयोग (वावल हार्मोनी) देखे जाते हैं। मांचु की अपनी एक मांचु लिपि है, जिसे प्राचीन मंगोल लिपि से लिया गया था। इस लिपि की ख़ासियत है की यह ऊपर से नीचे लिखी जाती है। मांचु भाषा में वैसे तो लिंग-भेद नहीं किया जाता लेकिन कुछ शब्दों में स्वरों के इस्तेमाल से लिंग की पहचान होती है, मसलन 'आमा' का मतलब 'पिता' है जबकि 'एमे' का मतलब 'माता' है। .

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मांचु लिपि

मांचु लिपि में 'मांचु' (मान्जु') शब्द लिखा हुआ एक पुरानी फ़्रांसिसी पुस्तक में मांचु वर्णमाला मांचु लिपि पूर्वोत्तर एशिया में बासनी वाले मांचुओं की मांचु भाषा को लिखने के लिए प्रयोग किया जाता है। यह एक वर्णमाला भी है। ठीक ऐसी ही लिपि का प्रयोग सुदूर-पश्चिमी चीन के शिनजियांग प्रान्त में बसने वाले शिबू लोग भी अपनी भाषा (जो मांचु की एक अन्य क़िस्म है) के लिए करते हैं। यह लिपि प्राचीन मंगोल लिपि में थोड़ा फेर-बदल कर के ली गई है। इसकी एक बड़ी ख़ासियत है कि इसे ऊपर-से-नीचे की ओर लिखा जाता है और इसकी पंक्तियाँ बाएँ से दाएँ चलती हैं। तुलना के लिए देवनागरी में लिखी गई हिंदी को बाएँ-से-दाएँ लिखा जाता है और इसकी पंक्तियाँ ऊपर से नीचे चलती हैं। मांचु भाषा को भाषावैज्ञानिक ख़तरे में मानते हैं और मांचु लिपि अब ज़्यादा ऐतिहासिक ग्रंथों-किताबों, इमारतों और धार्मिक लिखाइयों पर ही नज़र आती है।, Gertraude Roth Li, University of Hawaii Press, 2000, ISBN 978-0-8248-2206-4 .

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मंगोल भाषा-परिवार

मोंगोल भाषाओँ का विस्तार मंगोल भाषाएँ (अंग्रेज़ी: Mongolic languages, मोंगोलिक लैग्वेजिज़) पूर्वी एशिया और मध्य एशिया में बोली जाने वाली भाषाओँ का एक भाषा-परिवार है। इसकी सब से नुमाया भाषा मंगोल भाषा है, जो मंगोलिया और चीन के भीतरी मंगोलिया प्रान्त के मंगोल समुदाय कि प्रमुख भाषा है और जिसे लगभग ५२ लाख लोग बोलते हैं। कुछ भाषावैज्ञानिकों के हिसाब से मंगोल भाषाएँ अल्ताई भाषा-परिवार की एक उपशाखा है। मंगोल के अलावा मंगोल भाषा-परिवार में कई अन्य भाषाएँ भी आती हैं, जैसे कि रूस के साइबेरिया क्षेत्र में बोली जाने वाली बुर्यात भाषा, चीन के चिंग हई प्रान्त में बोली जाने वाली कन्गजिआ भाषा और चीन के ही शिनजियांग प्रान्त में बोली जाने वाली दोंगशियांग भाषा।, Juha Janhunen, Psychology Press, 2003, ISBN 978-0-7007-1133-8 .

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मंगोल लिपि

मंगोल लिपि में गुयुक ख़ान का सन् १२४६ का राजचिह्न इस सिक्के पर मंगोल लिपि में लिखा है कि यह 'रिन्छिन्दोर्जी ग​एख़ातू ने ख़ागान के नाम पर ज़र्ब किया' मंगोल लिपि (मंगोल: ᠮᠣᠩᠭᠣᠯ ᠪᠢᠴᠢᠭ᠌, सिरिलिक लिपि: Монгол бичиг, मोंगयोल बिचिग), जिसे उईग़ुरजिन भी कहते हैं, मंगोल भाषा को लिखने की सर्वप्रथम लिपि और वर्णमाला थी। यह उईग़ुर भाषा के लिए प्रयोग होने वाली प्राचीन लिपि को लेकर विकसित की गई थी और बहुत अरसे तक मंगोल भाषा लिखने के लिए सब से महत्वपूर्ण लिपि का दर्जा रखती थी।, Urgunge Onon, Brill Archive, 1990, ISBN 978-90-04-09236-5,...

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मुज़ताग़ अता

काराकोरम राजमार्ग से मुज़ताग़ अता का नज़ारा इस नक़्शे में मुज़ताग़ अता संख्यांक ४३ है (बाएँ, ऊपर की तरफ़​) मुज़ताग़ अता या मुज़ताग़ाता (उइग़ुर:, अंग्रेज़ी: Muztagh Ata) तिब्बत के पठार के उत्तरी छोर की पहाड़ियों का दूसरा सबसे ऊँचा पर्वत है। इसकी ऊँचाई ७,५४६ मीटर है और उइग़ुर भाषा में इसके नाम 'मुज़' (बर्फ़), 'ताग़' (पर्वत) और 'अता' (पिता) जोड़कर बना है, यानि इसका पूरा मतलब 'पिता बर्फ़-पर्वत' है। मुज़ताग़ अता को कभी-कभी कुनलुन शान पर्वत-शृंखला का हिस्सा माना जाता है हालांकि भौगोलिक दृष्टि से यह पामीर पर्वतों के ज़्यादा समीप है। अपनी पश्चिमी मुख की आसान ढलान और शिनजियांग के शुष्क वातावरण की वजह से यह विश्व के ७,००० मीटर से ऊँचे पहाड़ों में चढ़ने में सबसे आसान वालों में से एक माना जाता है। यह कोंगुर ताग़ से ज़रा दक्षिण में है, जो कुनलुन शान का सबसे ऊँचा पहाड़ है।, Gyurme Dorje, Footprint Travel Guides, 1999, ISBN 978-1-900949-33-0,...

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मुज़ार्त नदी

तारिम नदी के जलसम्भर क्षेत्र के इस नक़्शे में मुज़ार्त / मुज़ात नदी का मार्ग भी देखा जा सकता है मुज़ार्त नदी (उईग़ुर:, मुज़ार्त दरियासी; अंग्रेज़ी: Muzart River; चीनी: 木扎尔特河), जिसे कभी-कभी मुज़ात नदी भी कहते हैं, जनवादी गणतंत्र चीन द्वारा नियंत्रित शिंजियांग प्रान्त के आक़्सू विभाग में बहने वाली एक नदी का नाम है। यह तारिम नदी की एक उपनदी है और उसमें बाई तरफ़ से विलय होती है। २०वीं सदी की शुरुआत के कुछ स्रोतों में इसका नाम शाह यार दरिया भी मिलता है। .

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मोदू चानयू

मोदू के शासनकाल के आरम्भ में शियोंगनु साम्राज्य का विस्तार मोदू चानयू (चीनी: 冒頓單于, मंगोल: Модун шаньюй, अंग्रेज़ी: Modu Chanyu) मध्य एशिया, मंगोलिया और उत्तरी चीन के कई इलाक़ों पर प्राचीनकाल में अधिकार रखने वाले शियोंगनु लोगों का एक चानयू (सम्राट) था। मोदू को शियोंगनु साम्राज्य का निर्माता भी कहा जाता है और उसका शासनकाल २०९ ईसापूर्व से १७४ ईसापूर्व तक चला। मोदू ने अपने अधीन मंगोलिया के स्तेपी क्षेत्र के ख़ानाबदोश क़बीलों को संगठित किया और चीन के चिन राजवंश के लिए ख़तरा बन गया। उसका शियोंगनु साम्राज्य पूर्व में लियाओ नदी से लेकर पश्चिम में पामीर पर्वतों तक और उत्तर में साइबेरिया की बायकल झील तक विस्तृत था। .

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यारकन्द नदी

तारिम नदी के जलसम्भर क्षेत्र का नक़्शा जिसमें यारकन्द नदी नज़र आ रही है यारकन्द नदी (उईग़ुर:, चीनी: 叶尔羌河, अंग्रेजी: Yarkand River) मध्य एशिया में चीन के शिनजियांग प्रांत में बहने वाली एक नदी है। यह शिनजियांग के काश्गर विभाग में काराकोरम पहाड़ों में उत्पन्न होती है। कुछ दूरी में इसमें शक्सगाम नदी (जिसे केलेचिन नदी और मुज़ताग़ नदी के नामों से भी जाना जाता है) आकर विलय करती है। यहाँ के स्थानीय किरगिज़ लोग इस इलाक़े की यारकन्द नदी को रस्काम नदी के नाम से जानते हैं। आगे चलकर यह नदी तारिम नदी में विलय हो जाती है। अपनी शुरुआत से तारिम नदी में विलय तक यारकन्द नदी लगभग ९७० किमी (६०० मील) लम्बी है।, Jun Ma, EastBridge, 2004, ISBN 978-1-891936-27-2,...

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यारकन्द ज़िला

चीन के शिंजियांग प्रांत के काश्गर विभाग (पीला रंग) के अन्दर स्थित यारकन्द ज़िला (गुलाबी रंग) यारकन्द शहर में एक सड़क यारकन्द ज़िला (उइग़ुर:, चीनी: 莎车县, अंग्रेज़ी: Yarkand) चीन के शिंजियांग प्रांत के काश्गर विभाग में स्थित एक ज़िला है। इसका क्षेत्रफल ८,९६९ वर्ग किमी है और सन् २००३ की जनगणना में इसकी आबादी ३,७३,४९२ अनुमानित की गई थी। इसकी राजधानी यारकंद नाम का ही एक ऐतिहासिक शहर है जिसका भारतीय उपमहाद्वीप के साथ गहरा सांस्कृतिक और व्यापारिक सम्बन्ध रहा है। यारकन्द तारिम द्रोणी और टकलामकान रेगिस्तान के दक्षिणी छोर पर स्थित एक नख़लिस्तान (ओएसिस) क्षेत्र है जो अपना जल कुनलुन पर्वतों से उत्तर की ओर उतरने वाली यारकन्द नदी से प्राप्त करता है। इसके मरूद्यान (ओएसिस) का क्षेत्रफल लगभग ३,२१० वर्ग किमी है लेकिन कभी इस से ज़्यादा हुआ करता था। तीसरी सदी ईस्वी में यहाँ रेगिस्तान के फैलने से यह उपजाऊ इलाक़ा थोड़ा घट गया। यारकन्द में अधिकतर उइग़ुर लोग बसते हैं। यहाँ कपास, गेंहू, मक्की, अनार, ख़ुबानी, अख़रोट और नाशपाती उगाए जाते हैं। इस ज़िले के ऊँचे इलाक़ों में याक और भेड़ पाले जाते हैं। यहाँ की धरती के नीचे बहुत से मूल्यवान खनिज मौजूद हैं, जैसे की पेट्रोल, प्राकृतिक गैस, सोना, ताम्बा, सीसा और कोयला। .

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युएझ़ी लोग

समय के साथ मध्य एशिया में युएझ़ी लोगों का विस्तार, १७६ ईसापूर्व से ३० ईसवी तक यूइची (Yue-Tche) या युएझ़ी, युएज़ी या रुझ़ी (अंग्रेज़ी: Yuezhi, चीनी: 月支, 'झ़' के उच्चारण पर ध्यान दें, यह 'झ' से भिन्न है) प्राचीन काल में मध्य एशिया में बसने वाली एक जाति थी। माना जाता है कि यह एक हिन्द-यूरोपीय लोग थे जो शायद तुषारी लोगों से सम्बंधित रहें हों। शुरू में यह तारिम द्रोणी के पूर्व के शुष्क घास के मैदानी स्तेपी इलाक़े के वासी थे, जो आधुनिक काल में चीन के शिंजियांग और गांसू प्रान्तों में पड़ता है। समय के साथ वे मध्य एशिया के अन्य इलाक़ों, बैक्ट्रिया और भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी क्षेत्रों में फैल गए। संभव है कि भारत के कुशान साम्राज्य की स्थापना में भी उनका हाथ रहा हो।, Madathil Mammen Ninan, 2008, ISBN 978-1-4382-2820-4,...

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यूटीसी+०६:००

यूटीसी+०६:०० UTC+06:00 यूटीसी से छ: घंटे आगे का समय मंडल है। यानी जब ग्रीनविच में दिन के १२ बज रहे होते हैं तो यूटीसी+६ वाले समय क्षेत्रों जैसे बांग्लादेश में शाम के ६ बज रहे होते हैं। .

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यूरेशियाई स्तेपी

यूरेशियाई स्तेपी (Eurasian Steppe), जो महान स्तेपी भी कहलाती है, यूरेशिया के समशीतोष्ण कटिबन्ध क्षेत्र में विस्तृत एक विशाल स्तेपी घासभूमि और क्षुपभूमि क्षेत्र है। यह पश्चिम में पूर्वी यूरोप के मोल्दोवा देश से आरम्भ होकर युक्रेन, रूस, कज़ाख़स्तान, शिंजियांग और मंगोलिया से गुज़रता हुआ पूर्वी एशिया के मंचूरिया क्षेत्र तक फैला हुआ है। पूर्वी यूरोप के हंगरी देश में इसका एक अलग हुआ भाग भी है, जो पुस्ता कहलाता है। .

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योरुंगकाश नदी

योरुंगकाश नदी चीन के शिंजियांग प्रांत की कुनलुन पहाड़ी क्षेत्र से उत्पन्न होने वाली एक नदी का नाम है। यह २०० किमी तक पूर्व की ओर बहती है और फिर २०० किमी उत्तर की तरफ, जिसके बाद यह प्रसिद्ध ख़ोतान नगर से उत्तर में निकलती है। इसके बाद यह टकलामकान रेगिस्तान में काराकाश नदी के साथ मिलकर फिर रेगिस्तानी रेतों में सूख जाती है, हालाँकि किसी-किसी मौसम में इसको पार करके इसका कुछ पानी तारिम नदी में जाकर विलय हो जाता है। इसके पूरे जलसम्भर का क्षेत्रफल लगभग १४,५७५ वर्ग किमी है। योरुंगकाश और काराकाश नदियाँ ख़ोतान शहर के लिए मुख्य पानी का स्रोत हैं।, Sir Aurel Stein, Archaeological Survey of India, Clarendon Press, 1907,...

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राष्ट्रीय राजमार्ग २१९ (चीन)

तिब्बत के रुतोग ज़िले में तिब्बत-शिंजियांग राजमार्ग पर लगी एक शिला राजमार्ग २१९ अक्साई चिन (गुलाबी रंग वाला क्षेत्र) से निकलता हुआ शिंजियांग और तिब्बत को जोड़ता है राष्ट्रीय राजमार्ग २१९, जिसे तिब्बत-शिंजियांग राजमार्ग भी कहा जाता है, चीन द्वारा निर्मित एक राजमार्ग है जो भारत की सीमा के नज़दीक शिंजियांग प्रान्त के कारगिलिक शहर से लेकर तिब्बत के शिगात्से विभाग के ल्हात्से शहर तक जाता है। इसकी कुल लम्बाई २,७४३ किलोमीटर है। इसका निर्माण सन् १९५१ में शुरू किया गया था और यह सड़क १९५७ तक पूरी हो गई। यह राजमार्ग भारत के अक्साई चिन इलाक़े से निकलता है जिसपर चीन ने १९५० के दशक में क़ब्ज़ा कर लिया था और जिसको लेकर १९६२ का भारत-चीन युद्ध भी भड़क गया। .

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रुतोग ज़िला

रुतोग ज़िला (तिब्बती: རུ་ཐོག་རྫོང་, Rutog County) तिब्बत का एक ज़िला है जो उस देश के पश्चिमी हिस्से में भारत की सीमा के साथ स्थित है। तिब्बत पर चीन का क़ब्ज़ा होने के बाद यह चीनी प्रशासनिक प्रणाली में तिब्बत स्वशासित प्रदेश के न्गारी विभाग में पड़ता है। रुतोग ज़िले की राजधानी रुतोग शहर है जो तिब्बत की राजधानी ल्हासा से १,१४० किमी पश्चिम-पश्चिमोत्तर में पड़ता है। रुतोग ज़िला अक्साई चिन क्षेत्र से लगा हुआ है, जिसे भारत अपना इलाक़ा मानता है लेकिन जिसपर चीन का नियंत्रण है और जिसपर १९६२ में भारत-चीन युद्ध छिड़ा था। चीनी राष्ट्रीय राजमार्ग २१९, जो अक्साई चिन क्षेत्र से गुज़रता हुआ शिंजियांग को तिब्बत से जोड़ता है, ३४० किमी की दूरी रुतोग ज़िले में तय करता है।, George B. Schaller, pp.

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लिन त्सेशु

लिन त्सेशु (अथवा ज़ेशु, ज़ीजू; 林则徐, Lin Zexu) एक चीनी अधिकारी और सेनापति थे जिन्होंने दक्षिण-पूर्वी चीन के अफ़ीम युद्धों में एक महत्वपूर्ण चीनी पक्ष रखा। इस कारण चीनी सम्राट ने उनको कैंटन भेजा था। उन्होंने वहाँ कई टन अफ़ीम समुद्र में बहा दिया, और चीन में उन्होंने ब्रिटेन का अफ़ीम व्यापार पर प्रतिबंध लगवाया था। पर सामरिक विजय न पाने के कारण उन्हें उत्तर-पश्चिम चीन (मध्य एशिया) के शिनजियांग में पदस्थापित कर दिया गया जो उस समय बहिर्वास के बराबर समझा जाता था। 1850 में उनकी मृत्यु हुई। आज उनको एक चीनी देश-नायक के रूप में चीन में याद किया जाता है। श्रेणी:अफ़ीम युद्ध.

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लोप नुर

लोप नुर के उपग्रह चित्र पूर्व लोप नुर सागर, वर्तमान लोप नुर मरुस्थल के उपग्रह चित्र लोप नुर (चीनी: 罗布泊, पिनयिन: Luóbù Pō) या लोप झील वर्तमान में छोटी-छोटी खारी (नमकीन) झीलों का एक समूह है, जो टकलामकान एवं कुरुकताग और दक्षिण में शिंजियांग से घिरा हुआ है। यह चीन में स्थित है। .

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शायदुल्ला

शायदुल्ला या शाहीदुल्लाह (उइग़ुर:; अंग्रेज़ी: Xaidulla या Shahidulla) काराकाश नदी के किनारे स्थित एक स्थान है। यहाँ भारत के लद्दाख़ क्षेत्र से काराकोरम दर्रा पार करके पूर्व तुर्किस्तान में तारिम द्रोणी के शहरों को आने वाले व्यापारिक कारवान ठहरकर खेमे लगाया करते थे। वर्तमान काल में राजनैतिक दृष्टि से यह जनवादी गणतंत्र चीन द्वारा नियंत्रित शिंजियांग राज्य के दक्षिणपश्चिमी भाग में पड़ता है और काश्गर से तिब्बत जाने वाली सड़क के किनारे स्थित है। यह मज़ार नामक बस्ती से २५ किमी पूर्व, बाज़ार दारा से १३९ किमी पश्चिम और काराकोरम दर्रे से ११० किमी उत्तर में है।, P. L. Bhola, R.B.S.A. Publishers, 1986,...

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शियोंगनु लोग

२५० ईसापूर्व में शियोंगनु क्षेत्र शियोंगनु (चीनी: 匈奴, अंग्रेज़ी: Xiongnu) एक प्राचीन ख़ानाबदोश क़बीलों की जाती थी जो चीन के हान राजवंश के काल में हान साम्राज्य से उत्तर में रहती थी। इतिहास में उनका वर्णन सीमित है, इसलिए यह ठीक से ज्ञात नहीं है कि उनकी नस्ल क्या थी। अलग-अलग इतिहासकार उन्हें तुर्की, मंगोली, ईरानी, तुन्गुसी और तुषारी जातियों का बताते हैं। उनके नामों और रीति-रिवाजों के बारे में जितना पता है वह प्राचीन चीनी सूत्रों से आता है। शियोंगनु भाषा हमेशा के लिए खोई जा चुकी है। यह संभव है कि 'शियोंगनु' शब्द 'हूण' के लिए एक सजातीय शब्द हो लेकिन इसका भी कोई पक्का प्रमाण नहीं है।, Valerie Hansen, Kenneth Curtis, Kenneth R. Curtis, Cengage Learning, 2008, ISBN 978-0-618-07723-6,...

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श्याओ'अरजिंग

श्याओ'अरजिंग लिखाई में चीनी भाषा में मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा का प्रथम अनुच्छेद एक शब्दकोश का अंश जिसमें ऊपर चीनी भाषा में, बीच की पंक्ति में अरबी में और सबसे नीचे श्याओ'अरजिंग लिखाई में चीनी भाषा में शब्द श्याओ'अरजिंग या श्याओजिंग (रोमन: Xiao'erjing; चीनी: 本经, अर्थ: 'बच्चों की लिखाई' या 'कमतर लिखाई') उस लिखावट को कहा जाता है जहाँ चीनी भाषा को अरबी लिपि के प्रयोग से लिखा जाए।, Howard Yuen Fung Choy, BRILL, 2008, ISBN 978-90-04-16704-9 यह चीन के उन मुस्लिम समुदायों द्वारा इस्तेमाल होती है जो चीनी या उस से मिलती भाषाएँ अपनी मातृभाषा के रूप में प्रयोग करते हैं। इनमें पूर्वी और मध्य चीन के हुई लोग प्रमुख हैं, लेकिन पश्चिम चीन के शिनजियांग प्रान्त के दोंगशियांग लोग और चिंग हई और गांसू प्रान्तों के सालार लोग भी हैं। उर्दू, फ़ारसी और अरबी की तरह श्याओ'अरजिंग भी दाएँ से बाएँ लिखी जाती है, लेकिन उन भाषाओँ में जो मात्राओं को न लिखने की प्रथा है (जिसमें पाठक से सन्दर्भ देखकर मात्रा समझ जाने की उपेक्षा की जाती है) वह श्याओ'अरजिंग में नहीं है। उइग़ुर भाषा की तरह श्याओ'अरजिंग में भी इन मात्राओं को लिखने का कड़ा नियम है। संभव है कि चीनी में स्वरों के भारी महत्व की वजह से यह रिवायत शुरू हुई हो। .

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सरिकोली भाषा

शिंजियांग प्रान्त - हल्के नीले इलाक़ों में सरिकोली बोली जाती है सरिकोली भाषा, जिसे ताशक़ूरग़ानी भाषा भी कहते हैं, एक पामीरी भाषा-परिवार की बोली है जो चीन द्वारा नियंत्रित शिनजियांग प्रान्त के ताशक़ुरग़ान​ क्षेत्र में बोली जाती है। यह इलाक़े ताजिकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान के वाख़ान​ गलियारे और पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बल्तिस्तान क्षेत्र के पास स्थित हैं। अन्य पामीरी भाषाओं की तरह यह भी एक पूर्वी ईरानी भाषा है। इसे चीन में अक्सर 'ताजिक भाषा' कहा जाता है हालांकि यह ताजीकिस्तान व अफ़ग़ानिस्तान में बोली जाने वाली ताजिक भाषा के काफ़ी भिन्न है। यह पूर्वी अफ़ग़ानिस्तान की वाख़ी भाषा में मिलती-जुलती है हालांकि इन दोनों भाषाओं के बोलने वाले आसानी से एक-दूसरे को समझ नहीं पाते।Outline of the Tajik language (塔吉克语简志/Tǎjíkèyǔ Jiǎnzhì), Gawarjon (高尔锵/Gāo Ěrqiāng), Nationalities Publishing House, Beijing, 1985 .

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सिंघी कांगरी

सिंघी कांगरी (Singhi Kangri) काराकोरम की सियाचिन मुज़ताग़ उपश्रेणी में एक पर्वत है। यह विश्व का १०८वाँ सर्वोच्च पर्वत भी है। यह भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य में स्थित है और इसका एक अंग चीन के क़ब्ज़े वाली शक्सगाम घाटी में स्थित है जिसे चीन शिंजियांग प्रान्त के अधीन प्रशासित करता है। .

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सुम्गल

अंतरिक्ष से ली गई इस तस्वीर में लद्दाख़ का सुम्गल बस्ती, ख़ोतान क्षेत्र की पूषा बस्ती और उन्हें जोड़ता हुआ हिन्दूताश दर्रा (लाल रंग में) देखा जा सकता है सन् १९११ में बनाए भारतीय भौगोलिक निरीक्षण में ओरल स्टाइन द्वारा बनाये गए इस नक़्शे में सुम्गल और हिन्दूताश दवान देखे जा सकते हैं सुम्गल लद्दाख़ के अक्साई चीन क्षेत्र में काराकाश नदी की वादी में स्थित एक उजड़ी हुई बस्ती है। यह उस क्षेत्र में पड़ता है जिसे भारत अपना अंग मानता है लेकिन जिसपर चीन का क़ब्ज़ा है। चीन ने इसे शिनजियांग प्रान्त का हिस्सा घोषित कर दिया है। लद्दाख़ क्षेत्र के सुम्गल से लगभग उत्तर में हिन्दूताश दर्रा है जिस से कुनलुन पर्वत शृंखला पार करके ऐतिहासिक ख़ोतान क्षेत्र पहुँचा जा सकता है, इसलिए सुम्गल भारत की मुख्यभूमि को ख़ोतान राज्य से जोड़ने वाले महत्वपूर्ण मार्ग पर एक अहम पड़ाव हुआ करता था। .

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स्कर्दू ज़िला

स्कर्दू ज़िला​ पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बलतिस्तान क्षेत्र का एक ज़िला है। इसकी राजधानी स्कर्दू नामक शहर ही है, जो बलतिस्तान के सबसे महत्वपूर्ण शहरों में से एक है। दक्षिण में इस ज़िले की सीमाएँ भारत के जम्मू व कश्मीर राज्य के करगिल ज़िले से लगती हैं। उत्तर में इसकी सरहद शक्सगाम वादी से लगती हैं जिसे भारत अपना भाग मानता है लेकिन जिसे पाकिस्तान ने चीन के नियंत्रण में दे दिया है - चीन इस शिनजियांग प्रान्त का भाग मानकर प्रशासित करता है। .

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सोस्त

सोस्त या सूस्त या सुस्त (Sost या Sust) पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बलतिस्तान क्षेत्र के हुन्ज़ा-नगर ज़िले की गोजाल तहसील का एक गाँव है। काराकोरम राजमार्ग से चीन-नियंत्रित इलाक़े में दाख़िल होते हुए सोस्त अंतिम पाकिस्तानी चौकी है।, Brian H. Jones, pp.

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हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार

हिन्द - यूरोपीय भाषाओं देश बोल रही हूँ. गाढ़े हरे रंग के देश में जो बहुमत भाषा हिन्द - यूरोपीय परिवार हैं, लाइट ग्रीन एक देश वह जिसका आधिकारिक भाषा हिंद- यूरोपीय है, लेकिन अल्पसंख्यकों में है। हिन्द-यूरोपीय (या भारोपीय) भाषा-परिवार संसार का सबसे बड़ा भाषा परिवार (यानी कि सम्बंधित भाषाओं का समूह) हैं। हिन्द-यूरोपीय (या भारोपीय) भाषा परिवार में विश्व की सैंकड़ों भाषाएँ और बोलियाँ सम्मिलित हैं। आधुनिक हिन्द यूरोपीय भाषाओं में से कुछ हैं: हिन्दी, उर्दू, अंग्रेज़ी, फ़्रांसिसी, जर्मन, पुर्तगाली, स्पैनिश, डच, फ़ारसी, बांग्ला, पंजाबी, रूसी, इत्यादि। ये सभी भाषाएँ एक ही आदिम भाषा से निकली है, उसे आदिम-हिन्द-यूरोपीय भाषा का नाम दे सकता है। यह संस्कृत से बहुत मिलती-जुलती थी, जैसे कि वह सांस्कृत का ही आदिम रूप हो। .

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हिन्दूताश दर्रा

अंतरिक्ष से ली गई इस तस्वीर में कंगशेवार​ बस्ती को पूषा बस्ती से जोड़ता हुआ हिन्दूताश दर्रा दर्शाया गया है सन् १८७३ के इस नक्शे में हिन्दूताग़ दर्रा दिखाया गया है हिन्दूताश दर्रा (अंग्रेजी: Hindutash Pass) या हिन्दूताग़​ दर्रा मध्य एशिया में चीन द्वारा नियंत्रित शिनजियांग क्षेत्र में स्थित कुनलुन पर्वतों का एक ऐतिहासिक पहाड़ी दर्रा है। यह काराकाश नदी की घाटी में स्थित कंगशेवार​ नामक एक उजड़ी हुई बस्ती को योरुंगकाश नदी की घाटी में स्थित पूषा नामक शहर से जोड़ता है और आगे चलकर यही सड़क महत्वपूर्ण ख़ोतान तक जाती है।, Sir Aurel Stein, Archaeological Survey of India, B. Blom, 1968,...

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हुन्ज़ा-नगर ज़िला

हुन्ज़ा-नगर ज़िला​ पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बलतिस्तान क्षेत्र का एक ज़िला है। इसकी राजधानी अलियाबाद शहर है। २०१० तक यह ज़िला गिलगित ज़िले का हिस्सा हुआ करता था। यह हुन्ज़ा रियासत और नगर रियासत नामक दो भूतपूर्व रियासतों को मिलाकर बना है। .

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ज़ुन्गारिया

चीन के शिनजियांग प्रांत का उत्तरी भाग (लाल रंग) ऐतिहासिक ज़ुन्गारिया क्षेत्र का अधिकाँश भाग था; नीला भाग तारिम द्रोणी का क्षेत्र है ज़ुन्गारिया (Dzungaria या Zungaria) मध्य एशिया का एक ऐतिहासिक क्षेत्र है जिसमें चीन द्वारा नियंत्रित शिनजियांग प्रांत का उत्तरी भाग, मंगोलिया का कुछ पश्चिमी अंश और काज़ाख़स्तान का थोड़ा पूर्वी हिस्सा शामिल है। कुल मिलकर ऐतिहासिक ज़ुन्गारिया का क्षेत्रफल लगभग ७,७७,००० वर्ग किमी है। .

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जातीय समूह

जातीय समूह मनुष्यों का एक ऐसा समूह होता है जिसके सदस्य किसी वास्तविक या कल्पित सांझी वंश-परंपरा के माध्यम से अपने आप को एक नस्ल के वंशज मानते हैं।1987 स्मिथ यह सांझी विरासत वंशक्रम, इतिहास, रक्त-संबंध, धर्म, भाषा, सांझे क्षेत्र, राष्ट्रीयता या भौतिक रूप-रंग (यानि लोगों की शक्ल-सूरत) पर आधारित हो सकती है। एक जातीय समूह के सदस्य अपने एक जातीय समूह से संबंधित होने से अवगत होते हैं; इसके अलावा जातीय पहचान दूसरों द्वारा उस समूह की विशिष्टता के रूप में पहचाने जाने से भी चिह्नित होती है।"एन्थ्रोपोलोजी.

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ईदगाह मस्जिद, काशगर

काश्गर की ईदगाह मस्जिद ईदगाह मस्जिद (उइग़ुर:, हेतगाह मॅसचिती; अंग्रेज़ी: Id Kah Mosque, ईद काह मॉस्क) पश्चिमी जनवादी गणतंत्र चीन के शिन्जियांग प्रान्त के काश्गर शहर में स्थित एक मस्जिद है। यह चीन की सबसे बड़ी मस्जिद है, जिसमें १०,००० से २०,००० नमाज़ी समा सकते हैं। रमज़ान के दौरान यहाँ कभी-कभी १ लाख लोगों तक का जमावड़ा हो जाता है। इसका निर्माण सन् १४४२ (अनुमानित) में शक़सिज़ मिर्ज़ा ने करवाया, जो उस समय काश्गर के शासक थे।, Eugene Law, China Intercontinental Press, 2004, ISBN 978-7-5085-0429-2 यहाँ पहले से सन् ९९६ से बने हुए कुछ हिस्से थे जिन्हें मस्जिद में शामिल कर लिया गया। .

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वाख़ान

वाख़ान का एक नज़ारा वाख़ान, स्थानीय नक़्शे में वाख़ान (पश्तो और फ़ारसी) सुदूर उत्तर-पूर्वी अफ़्ग़ानिस्तान में एक अत्यंत पर्वतीय और दुर्गम क्षेत्र है जहाँ काराकोरम और पामीर पर्वत शृंखलाएं आकर मिलती हैं। वाख़ान अफ़्ग़ानिस्तान के बदख़्शान प्रांत में एक ज़िले का नाम भी है। नक़्शे पर वाख़ान अफ़्ग़ानिस्तान के मुख्य भाग से एक ऊँगली की तरह पूर्व को निकलकर चीन के शिनजियांग प्रान्त को छूता है। यह तंग सा इलाका प्राचीनकाल में तारिम द्रोणी जाने वाले यात्रियों का मार्ग हुआ करता था। इसी क्षेत्र में उन धाराओं की भी शुरुआत होती है जो आगे चलकर मशहूर आमू दरिया बन जाती हैं।, David Loyn, Macmillan, 2009, ISBN 978-0-230-61403-1,...

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विश्व के सर्वोच्च पर्वतों की सूची

पृथ्वी पर कम-से-कम 109 पर्वत हैं जिनकि ऊँचाई समुद्रतल से 7,200 मीटर (23,622 फ़ुट) से अधिक है। इनमें से अधिकांश भारतीय उपमहाद्वीप और तिब्बत की सीमा पर स्थित हैं, और कुछ मध्य एशिया में हैं। इस सूचि में केवल ऐसे ही शिखर सम्मिलित हैं जिन्हें अकेला खड़ा पर्वत माना जा सकता है, यानि एक ही पर्वत के अलग-अलग शिखरों को नहीं गिना गया है। .

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वख़जीर दर्रा

वख़जीर दर्रा (Wakhjir Pass), जिसे फ़ारसी में कोतल-ए-वख़जीर कहते हैं, अफ़ग़ानिस्तान के वाख़ान गलियारे और चीन-नियंत्रित शिंजियांग प्रान्त के ताशक़ुरग़ान​ ताजिक स्वशासित ज़िले के बीच हिन्दु कुश या पामीर पर्वतों में एक ४,९२३ मीटर (१६,१५२ फ़ुट) ऊँचा पहाड़ी दर्रा है। यह वाख़ान गलियारे के सुदूर पूर्वी छोर पर स्थित है जहाँ अफ़ग़ानिस्तान की चीन के साथ एक छोटी-सी सरहद है। इस दर्रे से कोई सड़क नहीं गुज़रती और यह आम-यातायात के लिए बंद है। .

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वेस्म पर्वतमाला

वेस्म पर्वतमाला (Wesm Mountains) काराकोरम पर्वतमाला की एक उपश्रेणी है जो शक्सगाम घाटी के ऊपरी भाग में पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बल्तिस्तान क्षेत्र के समीप स्थित है। यह पर्वतमाला बाल्तोरो मुज़ताग़ के पश्चिमी छोर और पनमाह मुज़ताग़ के पूर्वी छोर से उत्तर में स्थित है। यह क्षेत्र चीन के क़ब्ज़े में है जो इसे शिंजियांग प्रान्त की प्रशासनिक व्यवस्था के तहत वर्गीकृत करता है, लेकिन इस पूरे क्षेत्र को भारत अपने जम्मू और कश्मीर राज्य का अंग मानता है। चीन इस पर्वतमाला को येंगीसोगत (Yengisogat) नाम देता है। इसी क्षेत्र में वेस्म हिमानी (ग्लेशियर) और वेस्म दर्रा स्थित है। .

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ख़ुंजराब दर्रा

खुंजर्ब राष्ट्रीय उद्यान में विलुप्तप्राय प्रजाति का हिम तेंदुआ ख़ुंजराब दर्रा (चीनी भाषा:红其拉甫山口, अंग्रेजी: Khunjerab Pass, उर्दु) (ऊँचाई) काराकोरम पर्वतमाला में स्थित एक दर्रा है। यह पाक अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बल्तिस्तान क्षेत्र और चीन द्वारा नियंत्रित शिंजियांग प्रान्त के बीच स्थित है। .

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ख़ोतान

ख़ोतान मस्जिद के सामने का नज़ारा ख़ोतान या होतान (उईग़ुर:, ख़ोतेन; चीनी: 和田, हेतियान; अंग्रेजी: Hotan या Khotan) मध्य एशिया में चीन के शिनजियांग प्रांत के दक्षिण-पश्चिमी भाग में स्थित एक शहर है जो ख़ोतान विभाग की राजधानी भी है। इसकी आबादी सन् २००६ में १,१४,००० अनुमानित की गई थी। ख़ोतान तारिम द्रोणी में कुनलुन पर्वतों से ठीक उत्तर में स्थित है। कुनलुन शृंखला में ख़ोतान पहुँचने के लिए तीन प्रमुख पहाड़ी दर्रे हैं - संजु दर्रा, हिन्दु-ताग़ दर्रा और इल्ची दर्रा - जिनके ज़रिये ख़ोतान हज़ारों सालों से भारत के लद्दाख़ क्षेत्र से व्यापारिक और सांस्कृतिक सम्बन्ध बनाए हुए था।, James Bell, A. Fullarton and co., 1831,...

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ख़ोतान विभाग

चीन के शिंजियांग प्रांत (नारंगी रंग) में स्थित ख़ोतान विभाग (लाल रंग) गूमा (पिशान) ज़िला (५) लोप ज़िला (६) चिरा ज़िला (७) केरीया ज़िला (८) निये (मिनफ़ेंग) ज़िला ख़ोतान विभाग या होतान विभाग (उईग़ुर:, ख़ोतेन विलायती; चीनी: 和田, हेतियान दीचू; अंग्रेजी: Hotan Prefecture, होटान प्रीफ़ॅक्चर) चीन के शिंजियांग प्रांत का एक प्रशासनिक विभाग है।, James A. Millward, Columbia University Press, 2007, ISBN 978-0-231-13924-3 ख़ोतान विभाग का कुल क्षेत्रफल २,४७,८०० लाख वर्ग किमी है (यानी भारत के उत्तर प्रदेश राज्य से ज़रा बड़ा)। सन् २००३ की जनगणना में इस विभाग की आबादी १८.५ लाख अनुमानित की गई थी (यानी इन्दौर शहर की आबादी से ज़रा कम)। ख़ोतान विभाग की राजधानी ख़ोतान शहर है। इस विभाग का कुछ इलाक़ा भारत के अक्साई चिन क्षेत्र का भाग है, जो १९५० के दशक से चीन के क़ब्ज़े में है लेकिन जिसे भारत अपनी धरती का अंग मानता है।, Theodore Shabad, Taylor & Francis, 1972 .

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खुतन राज्य

खुतन से प्राप्त कनिष्क काल का कांसे का सिक्का खुतन राज्य (The Kingdom of Khotan) रेशम पथ पर स्थित प्राचीन बौद्ध राज्य था। ख़ुतन (ख़ोतन, ख़ोतान) मध्य एशिया में चीनी तुर्किस्तान (सिंकियांग) की मरुभूमि (तकलामकान) के दक्षिणी सिरे पर स्थित नखलिस्तान के एक नगर (स्थिति: ३७० १८’ उ., ८०० २’ पूर्व)। जिस नखलिस्तान में यह स्थित है, वह यारकंद से २०० मील दक्षिण पूर्व है और अति प्राचीन काल से ही तारिम उपत्यका के दक्षिणी किनारे वाले नखलिस्तान में सबसे बड़ा है। खुतन जिले को स्थानीय लोग 'इल्वी' कहते हैं तथा इस नखलिस्तान के दो अन्य नगर युरुंगकाश और काराकाश तीनों एक ४० मील हरियाली लंबी पट्टी के रूप में कुन-लुन पर्वत के उत्तरी पेटे में हैं। इसकी हरियाली के साधन भुरुंगकाश और काराकाश नदियाँ हैं जो मिलकर खुतन नदी का रूप ले लेती है। खुतन नाम के संबंध में कहा जाता है कि वह कुस्तन (भूमि है स्तन जिसका) के नाम पर पड़ा है जिसे मातृभूमि से निर्वासित हो कर धरती माता के सहारे जीवनयापन करना पड़ा था। खुतन पूर्ववर्ती हनवंश के काल में एक सामान्य सा राज्य था। किंतु प्रथम शती ई. के उत्तरार्ध में, जिस समय चीन तारिम उपत्यका पर अधिकर करने के लिए जोर लगा रहा था, अपनी भौगोलिक स्थिति-अर्थात्‌ सबसे बड़ा नखलिस्तान होने तथा पश्चिम जाने वाले दो मार्गों में अधिक दक्षिणी मार्ग पर स्थित होने के कारण मध्य एशिया और भारत के बीच एक जोड़नेवाली कड़ी के रूप में इसे विशेष महत्व प्राप्त हुआ। भारत के साथ इसका अत्यंत घनिष्ठ संबंध बहुत दिनों तक बना रहा। खुतन के मार्ग से ही बौद्ध धर्म चीन पहुँचा। एक समय खुतन बौद्ध धर्म की शिक्षा का बहुत बड़ा केंद्र था। वहाँ भारतीय लिपि तथा प्राकृत भाषा प्रचलित थी। वहाँ गुप्तकालीन अनेक बौद्ध विहार मिले हैं जिनकी भित्ति पर अजंता शैली से मिलती जुलती शैली के चित्र पाए गए हैं। काशगर से चीन तथा चीन से भारत आनेवाले सार्थवाह, व्यापारी खुतन होकर ही आते जाते थे। फाह्यान, सुंगयुन, युवानच्वांग और मार्कोपालो ने इसी मार्ग का अनुसरण किया था। यह सुप्रसिद्ध बौद्ध विद्वान्‌ बुद्धसेना का निवासस्थान था। अपनी समृद्धि और अनेक व्यापार मार्गों का केंद्र होने के कारण इस नगर को अनेक प्रकार के उत्थान पतन का सामना करना पड़ा। ७० ई. में सेनापति पानचाउ ने इसे विजित किया। और उत्तरवर्ती हनवंश के अधीन रहा। उसके बाद पुन: सातवीं शती में टांग वंश का इसपर अधिकार था। आठवीं शती में पश्चिमी तुर्किस्तान से आनेवाले अरबों ने और दसवीं शती में काशगरवासियों ने इसपर अधिकार किया। १३वीं शती में चंगेज खाँ ने उसपर कब्जा किया। पश्चात्‌ वह मध्य एशिया में मंगोलों के अधीन हुआ। इसी काल में मार्कोपोलो इस मार्ग से गुजरा था और उसने यहाँ की खेती, विशेष रूप से कपास की खेती तथा इसके व्यापारिक महत्व और निवासियों के वीर चरित्र की चर्चा की है। हाल की शताब्दियों में यह चीनी मध्य एशिया में मुस्लिम सक्रियता का केंद्र रहा और १८६४-६५ में चीन के विरुद्ध हुए डंगन विद्रोह में इस नगर की प्रमुख भूमिका थी। १८७८ में काशगर और खुतन ने प्रख्यात कृषि सेना को आत्मसमर्पण किया। फलस्वरूप वह पुन: चीन के अधिकार में चला गया। आजकल सिंकियांग प्रांत के अंतर्गत हैं। यह क्षेत्र आज भी कृषि की दृष्टि से अपना महत्व रखता है। गेहूँ, चावल, जई, बाजरा और मक्का की यहाँ खेती होती है। कपास भी काफी मात्रा में उपजता है। फलों, में जैतुन, लूकाट, नाशपाती और सेब होते हैं। मेवे का भी काफी मात्रा में निर्यात होता है। रेशम के उद्योग के आनुषंगिक साधन के रूप में शहतूत की भी खेती की जाती है। इसके अतिरिक्त यहाँ कालीन और नमदे का भी उद्योग है। नदियों से लोग सोना छानते हैं। बहुत दिनों तक खुतन के यशद भी बहुत प्रसिद्ध थे। .

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ग़िज़र ज़िला

ग़िज़र ज़िले का नक़्शा जिसमें गाँव-बस्तियाँ दिखाएँ गए हैं ग़िज़र​ पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बलतिस्तान क्षेत्र का पश्चिमतम ज़िला है। इसकी राजधानी गाहकूच शहर है। यहाँ कई जातियाँ रहती हैं और तीन मुख्य भाषाएँ बोली जाती हैं - खोवार, शीना और बुरूशसकी। इनके अलावा इस ज़िले के इश्कोमन क्षेत्र में कुछ वाख़ी और ताजिक बोलने वाले भी यहाँ रहते हैं। कुछ गुज्जर लोग भी इस जिले में बसे हुए हैं। .

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ग़ोरी राजवंश

ग़ोरी राजवंश या ग़ोरी सिलसिला (फ़ारसी:, अंग्रेज़ी: Ghurids), जो अपने-आप को शनसबानी राजवंश (Shansabānī) बुलाया करते थे, एक मध्यकालीन राजवंश था जिसने ईरान, अफ़ग़ानिस्तान, पश्चिमोत्तर भारत (दिल्ली तक), ख़ुरासान और आधुनिक पश्चिमी चीन के शिनजियांग क्षेत्र के कई भागों पर ११४८-१२१५ ईसवी काल में राज किया। यह राजवंश ग़ज़नवी राजवंश के पतन के बाद उठा था। यह राजवंश अफ़ग़ानिस्तान के ग़ोर प्रान्त में केन्द्रित था और इतिहासकारों का मानना है कि इसका राजपरिवार ताजिक मूल का था। ग़ोरी राजवंश की सर्वप्रथम राजधानी ग़ोर प्रान्त का फ़िरोज़कोह शहर था लेकिन बाद में हेरात बन गया। इसके अलावा ग़ज़नी और लाहौर को भी राजधानियों की तरह इस्तेमाल किया जाता था, विशेषकर सर्दियों में। दिल्ली का प्रसिद्द क़ुतुब मीनार इसी वंश के क़ुतुब-उद-दीन ऐबक का बनवाया हुआ है, जिसने दिल्ली सल्तनत की स्थापना भी की।, Nicholas Ostler, pp.

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गिलगित-बल्तिस्तान

गिलगित-बल्तिस्तान (उर्दू:, बलती: གིལྒིཏ་བལྟིསྟན), पाक-अधिकृत कश्मीर के भीतर एक स्वायत्तशासी क्षेत्र है जिसे पहले उत्तरी क्षेत्र या शुमाली इलाक़े (शुमाली इलाक़ाजात) के नाम से जाना जाता था। यह पाकिस्तान की उत्तरतम राजनैतिक इकाई है। इसकी सीमायें पश्चिम में खैबर-पख़्तूनख्वा से, उत्तर में अफ़ग़ानिस्तान के वाख़ान गलियारे से, उत्तरपूर्व में चीन के शिन्जियांग प्रान्त से, दक्षिण में और दक्षिणपूर्व में भारतीय जम्मू व कश्मीर राज्य से लगती हैं। गिलगित-बल्तिस्तान का कुल क्षेत्रफल 72,971 वर्ग किमी (28,174 मील²) और अनुमानित जनसंख्या लगभग दस लाख है। इसका प्रशासनिक केन्द्र गिलगित शहर है, जिसकी जनसंख्या लगभग 2,50,000 है। 1970 में "उत्तरी क्षेत्र” नामक यह प्रशासनिक इकाई, गिलगित एजेंसी, लद्दाख़ वज़ारत का बल्तिस्तान ज़िला, हुन्ज़ा और नगर नामक राज्यों के विलय के पश्चात अस्तित्व में आई थी। पाकिस्तान इस क्षेत्र को विवादित कश्मीर के क्षेत्र से पृथक क्षेत्र मानता है जबकि भारत और यूरोपीय संघ के अनुसार यह कश्मीर के वृहत विवादित क्षेत्र का ही हिस्सा है। कश्मीर का यह वृहत क्षेत्र सन 1947 के बाद से ही भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद का विषय है। .

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गूमा ज़िला

गूमा ज़िला (अंग्रेज़ी: Guma County, उइग़ुर) या पीशान ज़िला (अंग्रेज़ी: Pishan County, चीनी: 皮山县) चीन द्वारा नियंत्रित शिंजियांग प्रान्त के काश्गर विभाग का एक ज़िला है। यह एक रेगिस्तानी इलाक़ा है जिसमें ५३ नख़लिस्तानी (ओएसिस) क्षेत्र गिने गए हैं।, Longjun Ci, pp.

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गोजाल

गोजाल (Gojal) पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बलतिस्तान क्षेत्र के हुन्ज़ा-नगर ज़िले की एक तहसील है। क्षेत्रफल के हिसाब से यह गिलगित-बलतिस्तान की सबसे बड़ी तहसील भी है। गोजाल में कई बड़ी व छोटी वादियाँ हैं जो दक्षिण में हुन्ज़ा क्षेत्र से, पश्चिमोत्तर में अफ़ग़ानिस्तान के वाख़ान गलियारे से और पूर्वोत्तर में चीन द्वारा नियंत्रित शिंजियांग क्षेत्र से लगती हैं। शिमशाल, मिस्गर और चिपुरसान की वादियों को छोड़कर गोजाल तहसील के बाक़ी सभी गाँव ख़ुंजराब दर्रे से उतरने के बाद काराकोरम राजमार्ग से देखे जा सकते हैं। गोजाल के अधिकतर लोग वाख़ी भाषा बोलते हैं।, Lindsay Brown, Paul Clammer, Rodney Cocks, John Mock, pp.

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ओश प्रांत

ओश (किरगिज़: Ош; अंग्रेज़ी: Osh) किर्गिज़स्तान के दक्षिण-पूर्व में स्थित उस देश का एक ओब्लास्त (यानि प्रांत) है। इस प्रांत की राजधानी का नाम भी ओश शहर ही है। इस प्रांत की चीन के शिनजियांग प्रांत, ताजिकिस्तान के कूहिस्तोनी-बदख़्शान स्वशासित प्रांत और गणतंत्र-अधीन ज़िलों और उज़बेकिस्तान के अन्दीझ़ान प्रांत और फ़रग़ना प्रांत से सीमाएँ लगती हैं। .

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ओइरत भाषा

ओइरत मंगोल भाषा-परिवार की एक सदस्य है। विद्वानों में मतभेद है कि यह एक अलग भाषा है या फिर मंगोल भाषा की एक मुख्य उपभाषा है। यह मंगोलिया के सुदूर पश्चिमी इलाक़ों, चीन के सुदूर पश्चिमोत्तरी शिन्जियान्ग प्रान्त और रूस में कैस्पियन सागर के तट पर (विषेशकर कालमिकिया में) बोली जाती है। कालमिकिया में इसकी 'कालमिक' नामक उपभाषा बोली जाती है। .

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आक़्सू विभाग

चीन के शिंजियांग प्रांत (नारंगी रंग) में स्थित आक़्सू विभाग (लाल रंग) बाईचेंग (७) उचतुरपान (८) आवात (९) कालपिन आक़्सू विभाग (उईग़ुर:, आक़्सू विलायती; चीनी: 阿克苏地区, आकेसू दीचू; अंग्रेजी: Aksu Prefecture, आक्सू प्रीफ़ॅक्चर) चीन के शिंजियांग प्रांत का एक प्रशासनिक विभाग है। इस विभाग का कुल क्षेत्रफल १,३२,५०० वर्ग किमी है। सन् २००३ की जनगणना में इस विभाग की आबादी २१.९ लाख अनुमानित की गई थी। आक़्सू विभाग की राजधानी आक़्सू शहर है। .

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इरतिश नदी

इरतिश नदी का जलसम्भर क्षेत्र ओम्स्क शहर के पास इरतिश नदी इरतिश नदी (रूसी: Иртыш, अंग्रेज़ी: Irtysh) उत्तरी एशिया के साइबेरिया क्षेत्र की एक नदी है और ओब नदी की प्रमुख उपनदी है। इसके नाम का अर्थ 'सफ़ेद नदी' है। ओब-इरतिश का मिलाजुला क्षेत्र एशिया का एक विशाल जलसम्भर है जिसमें पश्चिमी साइबेरिया और अल्ताई पर्वत आते हैं। इसकी कुल लम्बाई ४,२४८ किलोमीटर (२,६४० मील) है। इरतिश नदी का मार्ग चीन, कज़ाख़स्तान, मंगोलिया और रूस के देशों से होकर निकलता है।, Britannica Educational Publishing, The Rosen Publishing Group, 2011, ISBN 978-1-61530-411-0,...

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इली नदी

इली नदी का एक दृश्य बलख़श झील जलसम्भर क्षेत्र का नक़्शा जिसमें इली नदी और उसकी उपनदियाँ देखी जा सकती हैं इली नदी (कज़ाख़: Іле, इले; अंग्रेज़ी: Ili River) मध्य एशिया की एक नदी है जो चीन के शिनजियांग प्रांत के इली कज़ाख़ स्वशासित विभाग में तियान शान पहाड़ों से उत्पन्न होकर दक्षिणपूर्वी कज़ाख़स्तान के अलमाती प्रांत से गुज़रकर बलख़श झील के ख़ाली होती है। इसकी कुल लम्बाई १,४३९ किमी है जिसमें से ८१५ किमी कज़ाख़स्तान की भूमि में आता है। बलख़श झील से मिलते हुए इली नदी एक बड़ा नदीमुख (डेल्टा) क्षेत्र बनाती है जिसमें झीलें, दलदली ज़मीन और सरकंडों से भरपूर जलग्रस्त इलाक़े आते हैं। कुल मिलकर इली नदी का जलसम्भर क्षेत्र १,४०,००० वर्ग किमी है। इली नदी स्तेपी की तीन सबसे महत्वपूर्ण नदियों में से एक है - अन्य दो चुय नदी और तलास नदी हैं। .

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इसिक कुल प्रांत

सूर्यास्त के वक़्त इसिक कुल झील इसिक कुल प्रांत (किरगिज़: Ысык-Көл областы, अंग्रेज़ी: Issyk Kul Province) मध्य एशिया के किर्गिज़स्तान देश का पूर्वतम प्रांत है। इस प्रांत राजधानी काराकोल शहर है। इसिक कुल प्रांत का नाम प्रसिद्ध इसिक कुल झील पर पड़ा है। इस प्रांत की सीमाएँ काज़ाख़स्तान से और चीन के शिनजियांग प्रांत से लगती हैं। .

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क़ाराक़ोरम दर्रा

क़ाराक़ोरम दर्रा काराकोरम पर्वतमाला में भारत के जम्मू व कश्मीर राज्य और जनवादी गणतंत्र चीन द्वारा नियंत्रित शिंजियांग प्रदेश के बीच ४,६९३ मीटर (१५,३९७ फ़ुट) की ऊँचाई पर स्थित एक पहाड़ी दर्रा है। यह लद्दाख़ के लेह शहर और तारिम द्रोणी के यारकन्द क्षेत्र के बीच के प्राचीन व्यापिरिक मार्ग का सबसे ऊँचा स्थान है। .

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क़ारग़िलिक ज़िला

चीन के शिंजियांग प्रांत के काश्गर विभाग (पीला रंग) के अन्दर स्थित क़ारग़िलिक ज़िला (गुलाबी रंग) क़ारग़िलिक ज़िला (उइग़ुर:, चीनी: 叶城县, अंग्रेज़ी: Kargilik) चीन के शिंजियांग प्रांत के काश्गर विभाग में स्थित एक ज़िला है। इसका क्षेत्रफल २८,६०० वर्ग किमी है और सन् २००२ की जनगणना में इसकी आबादी ३,७०,००० अनुमानित की गई थी। तिब्बत-शिंजियांग राजमार्ग (चीन राष्ट्रीय राजमार्ग २१९) यहीं से शुरू होकर तिब्बत की ओर जाता है। .

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क़ुरग़ोनतेप्पा

क़ुरग़ोनतेप्पा (ताजिक: Қурғонтеппа,, Qurghonteppa), जिसे सोवियत संघ के ज़माने में कुर्गान-त्युबे (ताजिक: Курган-Тюбе, Kurgan-Tyube) कहा जाता था, दक्षिणपश्चिमी ताजिकिस्तान में स्थित एक शहर है जो उस देश के ख़तलोन प्रान्त की राजधानी भी है। यह ताजिकिस्तान की राष्ट्रीय राजधानी दूशान्बे से १०० किमी दूर वख़्श नदी के किनारे बसा हुआ है। क़ुरग़ोनतेप्पा ताजिकिस्तान का चौथा सबसे बड़ा नगर है और एक आधुनिक ओद्योगिक केन्द्र है।, Rafis Abazov, pp.

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काराशहर

काराशहर (Karasahr, उईग़ुर) या यान्ची (Yanqi, चीनी: 焉耆), जिसे संस्कृत में अग्नि या अग्निदेश कहते थे, रेशम मार्ग पर स्थित एक प्राचीन शहर है। यह मध्य एशिया में जनवादी गणतंत्र चीन द्वारा नियंत्रित शिंजियांग प्रान्त के बायिनग़ोलिन मंगोल स्वशासित विभाग के यान्ची हुई स्वशासित ज़िले में स्थित है। काराशहर काइदू नदी के किनारे बसा हुआ है। .

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काराख़ानी ख़ानत

१००० ईसवी में काराख़ानी ख़ानत अर्सलान ख़ान द्वारा ११२७ में आज़ान के लिए बनवाई गई बुख़ारा की कलयन मीनार काराख़ानी ख़ानत (Kara-Khanid Khanate) मध्यकाल में एक तुर्की क़बीलों का परिसंघ था जिन्होंने मध्य एशिया के आमू-पार क्षेत्र और कुछ अन्य भूभाग में ८४० से १२१२ ईसवी तक अपनी ख़ानत (साम्राज्य) चलाई। इसमें कारलूक, यग़मा, चिग़िल​ और कुछ अन्य क़बीले शामिल थे जो पश्चिमी तियान शान और आधुनिक शिनजियांग इलाक़ों के रहने वाले थे। काराख़ानियों ने मध्य एशिया में ईरानी मूल के सामानी साम्राज्य का ख़ात्मा कर दिया और इसके बाद मध्य एशिया में तुर्की-भाषियों का अधिक बोलबाला रहा। काराख़ानी दौर में ही महमूद काश्गरी ने अपनी प्रसिद्ध 'दीवान-उ-लुग़ात​-उत-तुर्क' नामक तुर्की भाषा के कोष की रचना की।, Rafis Abazov, pp.

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काराकाश नदी

तिब्बत-शिंजियांग राजमार्ग से पश्चिमी कुनलुन पर्वतों में काराकाश नदी का नज़ारा काराकाश नदी भारत के अक्साई चिन क्षेत्र के कराकोरम पर्वतों में सुम्दे इलाक़े से उत्पन्न होकर चीन के शिंजियांग प्रांत की कुनलुन पहाड़ी क्षेत्र से गुज़रकर टकलामकान रेगिस्तान में जाने वाली एक नदी का नाम है। वर्तमान में अक्साई चिन पर चीन का क़ब्ज़ा है इसलिए वह इस पूरी नदी को अपना ही मानता है। इस नदी में हरे और सफ़ेद रंग के हरिताश्म (जेड) के मूल्यवान पत्थर मिलते हैं, जिस से इसका नाम भी पड़ा है। कुछ दूरी पर इसके साथ-साथ एक योरुंगकाश नाम की अन्य नदी भी चलती है। यह दोनों नदियाँ प्रसिद्ध ख़ोतान नगर के लिए मुख्य पानी का स्रोत हैं।, Sir Aurel Stein, Archaeological Survey of India, Clarendon Press, 1907,...

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काराकोरम

काराकोरम एक विशाल पर्वत श्रृंखला है जिसका विस्तार पाकिस्तान, भारत और चीन के क्रमश: गिलगित-बल्तिस्तान, लद्दाख़ और शिन्जियांग क्षेत्रों तक है। यह एशिया की विशाल पर्वतमालाओं में से एक है और हिमालय पर्वतमाला का एक हिस्सा है। काराकोरम किर्गिज़ भाषा का शब्द है जिस का मतलब है 'काली भुरभुरी मिट्टी'। विश्व के किसी भी स्थान की अपेक्षा, काराकोरम पर्वतमाला में पाँच मील से भी ऊँची सबसे अधिक चोटियों स्थित हैं (60 से ज़्यादा), जिनमें दुनिया की दूसरी सबसे ऊँची चोटी के2, (8611 मी / 28251 फुट) भी शामिल है। के2 की ऊँचाई विश्व के सर्वोच्च शिखर एवरेस्ट पर्वत (8848 मी / 29029 फुट) से सिर्फ 237 मीटर (778 फीट) कम है। काराकोरम श्रृंखला का विस्तार 500 किमी (311 मील) तक है और ध्रुवीय क्षेत्रों को छोड़कर दुनिया के सबसे अधिक हिमनद इसी इलाके में हैं। ध्रुवीय क्षेत्रों से बाहर सियाचिन ग्लेशियर 70 किमी और बिआफो ग्लेशियर 63 किमी की लंबाई के साथ दुनिया के दूसरे और तीसरे सबसे लंबे हिमनद हैं। काराकोरम, पूर्वोत्तर में तिब्बती पठार के किनारे और उत्तर में पामीर पर्वतों से घिरा है। काराकोरम की दक्षिणी सीमा, पश्चिम से पूर्व, गिलगित, सिंधु और श्योक नदियों से बनती है, जो इसे पश्चिमोत्तर हिमालय श्रृंखला के अंतिम किनारे से अलग कर दक्षिणपश्चिम दिशा में पाकिस्तान के मैदानी इलाकों की ओर बहती हैं। काराकोरम श्रृंखला का सब से ऊंचा पहाड़ के टू .

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काराकोरम राजमार्ग

काराकोरम राजमार्ग काराकोरम राजमार्ग (अंग्रेजी: Karakoram Highway या KKH; उर्दू:, शाहराह-ए-काराकोरम'; चीनी: 喀喇昆仑 公路, के ला कून लुन गोन्ग लु) दुनिया की सबसे अधिक ऊँचाई पर स्थित एक पक्की अंतरराष्ट्रीय सड़क है। यह काराकोरम पर्वत श्रृंखला से होकर गुज़रता है तथा चीन और पाकिस्तान को ख़ुंजराब दर्रे के माध्यम से आपस में जोड़ता है। यहाँ इसकी ऊँचाई समुद्र तल से 4693 मी (15397 फुट) है और इसकी पुष्टि एसआरटीएम और जीपीएस के एकाधिक पाठ्यांकों द्वारा होती है। यह पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बाल्तिस्तान के साथ चीन के शिंजियांग क्षेत्र को जोड़ता है। इसके साथ ही यह एक लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण भी है। काराकोरम राजमार्ग को आधिकारिक तौर पर पाकिस्तान में N-35 और चीन में चीन का राष्ट्रीय राजमार्ग 314 (G314) के नाम से जाना जाता है। .

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कारेज़

कारेज़ (फ़ारसी:, karez), कारीज़ या क़नात (अरबी:, qanat) शुष्क या अर्ध-शुष्क और गरम इलाक़ों में नियमित रूप से लगातार पानी उपलब्ध कराने की एक व्यवस्था है। .

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काश्गर

ईद गाह मस्जिद, काशगर काश्गर, कशगार, काशगुर या काशी (उईगुर:, चीनी: 喀什, फारसी) मध्य एशिया में चीन के शिनजियांग प्रांत के पश्चिमी भाग में स्थित एक नख़लिस्तान (ओएसिस) शहर है, जिसकी जनसंख्या लगभग ३,५०,००० है। काश्गर शहर काश्गर विभाग का प्रशासनिक केंद्र है जिसका क्षेत्रफल १,६२,००० किमी² और जनसंख्या लगभग ३५ लाख है। काश्गर शहर का क्षेत्रफल १५ किमी² है और यह समुद्र तल से १,२८९.५ मीटर (४,२८२ फ़ुट) की औसत ऊँचाई पर स्थित है। यह शहर चीन के पश्चिमतम क्षेत्र में स्थित है और तरीम बेसिन और तकलामकान रेगिस्तान दोनों का भाग है, जिस वजह से इसकी जलवायु चरम शुष्क है।, S. Frederick Starr, M.E. Sharpe, 2004, ISBN 978-0-7656-1318-9 पुराकाल से ही काश्गर व्यापार तथा राजनीति का केंद्र रहा है और इसके भारत से गहरे सांस्कृतिक, धार्मिक और व्यापारिक सम्बन्ध रहे हैं। भारत से शिनजियांग का व्यापार मार्ग लद्दाख़ के रस्ते से काश्गर जाया करता था।, Prakash Charan Prasad, Abhinav Publications, 1977, ISBN 978-81-7017-053-2 ऐतिहासिक रेशम मार्ग की एक शाखा भी, जिसके ज़रिये मध्य पूर्व, यूरोप और पूर्वी एशिया के बीच व्यापार चलता था, काश्गर से होकर जाती थी। काश्गर अमू दरिया वादी से खोकंद, समरकंद, अलमाटी, अक्सू, और खोतान मार्गो के बीच स्थित है। .

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काश्गर विभाग

चीन के शिंजियांग प्रांत (नारंगी रंग) में स्थित काश्गर विभाग (लाल रंग) क़ारग़िलिक (८) माकित (९) योपूरग़ा (१०) पेज़िवात (११) मारालबेख़ी (१२) ताश्कोरगान काश्गर विभाग (उईग़ुर:, क़ाश्क़ार विलायती; चीनी: 喀什地区, काशी दीचू; अंग्रेजी: Kashgar Prefecture, काश्गर प्रीफ़ॅक्चर) चीन के शिंजियांग प्रांत का एक प्रशासनिक विभाग है।, James A. Millward, Columbia University Press, 2007, ISBN 978-0-231-13924-3 इसका कुछ इलाक़ा भारत के अक्साई चिन क्षेत्र का भाग है, जो १९५० के दशक से चीन के क़ब्ज़े में है लेकिन जिसे भारत अपनी धरती का अंग मानता है।, Theodore Shabad, Taylor & Francis, 1972 काश्गर विभाग का कुल क्षेत्रफल १,१२,०५७ वर्ग किमी है (यानी भारत के बिहार राज्य से ज़रा बड़ा)। सन् २०१० की जनगणना में इस विभाग की आबादी ३९,७९,३६२ अनुमानित की गई थी (यानी पटना शहर की आबादी का केवल दो-तिहाई)। काश्गर विभाग की राजधानी काश्गर शहर है। .

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काइदू नदी

काइदू नदी (चीनी: 开都河, अंग्रेज़ी: Kaidu River) मध्य एशिया में जनवादी गणतंत्र चीन द्वारा नियंत्रित शिंजियांग प्रान्त की एक नदी है। यह नदी तियान शान पर्वतमाला की दक्षिण-मध्य ढलानों में युल्दुज़ द्रोणी से उत्पन्न होती है और यान्ची द्रोणी से होती हुई बोस्तेन झील में विलय हो जाती है। झील का ८३% जल इसी नदी से आता है। झील से फिर यह नदी 'कोन्ची दरिया' के नाम से निकलती है और लौह द्वार दर्रे से होती हुई तारिम द्रोणी में चली जाती है। ऐतिहासिक रेशम मार्ग पर स्थित काराशहर इसी नदी के किनारे बसा हुआ है। .

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किरगिज़ लोग

काराकोल में एक मनासची कथाकार पारम्परिक किरगिज़ वेशभूषा में एक किरगिज़ परिवार किरगिज़ मध्य एशिया में बसने वाली एक तुर्की-भाषी जाति का नाम है। किरगिज़ लोग मुख्य रूप से किर्गिज़स्तान में रहते हैं हालाँकि कुछ किरगिज़ समुदाय इसके पड़ौसी देशों में भी मिलते हैं, जैसे कि उज़्बेकिस्तान, चीन, ताजिकिस्तान, अफ़्ग़ानिस्तान और रूस। .

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किर्गिज़ भाषा

किर्गिज़ एक तुर्की भाषा है और रूसी भाषा के अतिरिक्त यह किर्गिज़स्तान की आधिकारिक भाषा है। कुल के हिसाब से यह अल्तेय से बहुत निकट से और कज़ाख से दूर से जुड़ती है। हालाँकि वर्तमान समय में भाषीय सम्मिलन की वजह से किर्गिज़ और कज़ाख के बीच ज्यादा निकटता नजर आती है। किर्गिज़ भाषा किर्गिज़स्तान, चीन, अफ़गानिस्तान, कज़ाख़िस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्की, उज़्बेकिस्तान, पाकिस्तान और रूस में करीबन 40 लाख लोगों द्वारा बोली जाती है। किर्गिज़ २०वीं शताब्दी तक मूलतः संशोधित अरबी-फ़ारसी लिपि में लिखी जाती थी, जिसके बाद कुछ समय के लिए रोमन लिपि का इस्तेमाल किया जाने लगा। बाद में सोवियत संघ के प्रभाव की वजह से सिरिलिक वर्णमाला मानक बन गई और आज तक चलन में है। हालाँकि कुछ लोग आज भी अरबी लिपि का उपयोग करते हैं। सोवियत संघ के 1991 में विघटन और देश के स्वतंत्र होने के बाद से किर्गिज़ भाषा को पुनः रोमन लिपि में कुछ किर्गिज राजनीतिज्ञ बात कह रहे हैं, लेकिन इस योजना को मूर्त रूप नहीं दिया जा सका। आजकल, यह अभी भी मुख्य भाषा मुख्य शहरों में, इस तरह के रूप में बिश्केक जबकि किरगिज़ जारी है जमीन खोने विशेष रूप से युवा पीढ़ी के बीच। .

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किज़िल गुफ़ाएँ

किज़िल गुफ़ाएँ (उईग़ुर:, अंग्रेज़ी: Kizil Caves) या क़िज़िल गुफ़ाएँ (Qizil Caves) जनवादी गणतंत्र चीन द्वारा नियंत्रित शिंजियांग प्रान्त में एक बौद्ध गुफ़ाओं का समूह है जहाँ प्राचीनकाल में तारिम द्रोणी में तुषारी लोगों और बौद्ध धर्म से सम्बन्धित चित्र, मूर्तियाँ, लिखाईयाँ व अन्य पुरातन चीज़ें मिली हैं। यह गुफ़ाएँ शिंजियांग प्रान्त के आक़्सू विभाग के बाईचेंग ज़िले में मुज़ात नदी के उत्तरी किनारे पर कूचा से ६५ किमी दूर स्थित हैं। यह इलाक़ा ऐतिहासिक रेशम मार्ग पर स्थित हुआ करता था और तीसरी से आठवी शताब्दी ईसवी के बीच विकसित हुआ। .

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कज़ाख़ भाषा

कज़ाख़स्तान में कज़ाख़ भाषा को बढ़ावा देने का सिरिलिक लिपि में एक विज्ञापन: '(एक) कज़ाख़ को (दूसरे) कज़ाख़ से कज़ाख़ (भाषा) में बात करने दो कज़ाख़ (Қазақ тілі,, क़ाज़ाक़ तिलि) भाषा मध्य एशिया में कज़ाख़ लोगों द्वारा बोली जाने वाली एक तुर्की भाषा है। यह तुर्की भाषा-परिवार की पश्चिमी या किपचक शाखा की भाषा है और क़ाराक़ालपाक़ और नोगाई भाषाओँ से मिलती-जुलती है। २००९ की जनगणना के अनुसार इसे कज़ाख़स्तान में लगभग १ करोड़ लोग बोलते हैं और २००० में इसे कज़ाख़स्तान से बाहर बोलने वालों की संख्या ३० लाख अनुमानित की गई थी। कज़ाख़ को कज़ाख़स्तन में राष्ट्रभाषा होने का दर्जा हासिल है। कज़ाख़स्तान के अलावा इसे चीन, मंगोलिया, अफ़्ग़ानिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्की, तुर्कमेनिस्तान, युक्रेन, रूस और ईरान के कुछ समुदाय भी बोलते हैं। भौगोलिक दृष्टि से कज़ाख़ तियन शान पर्वतों से लेकर कैस्पियन सागर तक के विशाल क्षेत्र में बोली जाती है। .

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कज़ाख़ लोग

चीन के शिनजियांग प्रांत में एक कज़ाख़ परिवार कज़ाख़ मध्य एशिया के उत्तरी भाग में बसने वाली एक तुर्की-भाषी जाति का नाम है। कज़ाख़स्तान की अधिकाँश आबादी इसी नस्ल की है, हालाँकि कज़ाख़ समुदाय बहुत से अन्य देशों में भी मिलते हैं, जैसे कि उज़बेकिस्तान, मंगोलिया, रूस और चीन के शिनजियांग प्रान्त में। विश्व भर में १.३ से लेकर १.५ करोड़ कज़ाख़ लोग हैं और इनमें से अधिकतर की मातृभाषा कज़ाख़ भाषा है। कज़ाख़ लोग बहुत से प्राचीन तुर्की जातियों के वंशज हैं, जैसे कि अरग़िन, ख़ज़र, कारलुक, किपचक और कुमन। माना जाता है कि इनमें कुछ हद तक मध्य एशिया की कुछ ईरानी भाषाएँ बोलने वाली जातियाँ (जैसे कि शक, स्किथाई और सरमती) भी शामिल हो गई। कज़ाख़ लोग साइबेरिया से लेकर कृष्ण सागर तक फैले हुए थे और जब इस क्षेत्र में तुर्की-मंगोल लोगों का राज चला तब भी वे मध्य एशिया में ही बसे रहे। .

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कुनलुन देवी

कुनलुन शान शृंखला के पश्चिमी भाग में स्थित है कुनलुन देवी (अंग्रेज़ी: Kunlun Goddess, कुनलुन गॉडॅस), जिसे चीनी भाषा में लिउशी शान भी कहा जाता है मध्य एशिया की कुनलुन पर्वत शृंखला का सब से ऊँचा पर्वत है। यह चीन द्वारा नियंत्रित तिब्बत और शिंजियांग प्रान्तों की सीमा पर स्थित है। कुनलुन देवी की ऊँचाई ७,१६७ मीटर (२३,५१४ फ़ुट) है।http://www.peakbagger.com/peak.aspx?pid.

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कुनलुन पर्वत

तिब्बत-शिंजियांग राजमार्ग से पश्चिमी कुनलुन पर्वतों में काराकाश नदी का नज़ारा चिंग हई प्रांत में दूर से कुनलुन पर्वतों का दृश्य कुनलुन पर्वत शृंखला (चीनी: 昆仑山, कुनलुन शान; मंगोलियाई: Хөндлөн Уулс, ख़ोन्दलोन ऊल्स) मध्य एशिया में स्थित एक पर्वत शृंखला है। ३,००० किलोमीटर से अधिक चलने वाली यह शृंखला एशिया की सब से लम्बी पर्वतमालाओं में से एक गिनी जाती है। कुनलुन पर्वत तिब्बत के पठार के उत्तर में स्थित हैं और उसके और तारिम द्रोणी के बीच एक दीवार बनकर खड़े हैं। पूर्व में यह उत्तर चीन के मैदानों में वेई नदी के दक्षिण-पूर्व में जाकर ख़त्म हो जाते हैं। कुनलुन पर्वत भारत के अक्साई चिन इलाक़े को भी तारिम द्रोणी से अलग करते हैं, हालांकि वर्तमान में अक्साई चिन क्षेत्र चीन के क़ब्ज़े में है। इस पर्वतमाला में कुछ ज्वालामुखी भी स्थित हैं। .

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क्राउन पर्वत

क्राउन पर्वत (The Crown) काराकोरम पर्वतमाला की वेस्म पर्वतमाला (येंगीसोगत) नामक उपश्रेणी का सर्वोच्च पर्वत है। यह शक्सगाम घाटी में स्थित है जहाँ चीन का क़ब्ज़ा है लेकिन जिसे भारत अपने जम्मू और कश्मीर राज्य का अंग मानता है। चीन ने इस पर्वत का नाम हुआंग गुआन शान (Huang Guan Shan) रखा है और इस क्षेत्र को शिंजियांग प्रान्त के तहत प्रशासित करता है। क्राउन पर्वत 7,295 मीटर (23,934 फ़ुट) ऊँचा है और विश्व का 84वाँ सर्वोच्च पर्वत है। .

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कूहिस्तोनी-बदख़्शान स्वशासित प्रान्त

कूहिस्तोनी-बदख़्शान की राजधानी ख़ोरूग़ से एक नज़ारा कूहिस्तोनी-बदख़्शान स्वशासित प्रान्त (ताजिकी: Кӯҳистони Бадахшон) या विलोयत-इ मुख़्तोर-इ कूहिस्तोनी-बदख़्शान ताजिकिस्तान की एक स्वशासित (ऑटोनोमस) विलायत (प्रान्त) है। यह प्रान्त ताजिकिस्तान के दक्षिण-पूर्व में स्थित है। इसका कुल क्षेत्रफल ६४,२०० वर्ग किमी है और सन् २००८ में इसकी आबादी २.१८ लाख अनुमानित कि गई थी। कूहिस्तोनी-बदख़्शान की राजधानी ख़ोरूग़ शहर है। इस प्रान्त का पुराना नाम गोर्नो-बदख़्शान हुआ करता था।, Bradley Mayhew, Greg Bloom, Paul Clammer, Lonely Planet, 2010, ISBN 978-1-74179-148-8 .

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के२

के२ (K2, के-टू) विश्व का दूसरा सबसे ऊँचा पर्वत है। यह पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बल्तिस्तान क्षेत्र चीन द्वारा नियंत्रित शिनजिआंग प्रदेश की सीमा पर काराकोरम पर्वतमाला की बाल्तोरो मुज़ताग़ उपश्रृंखला में स्थित है। 8,611 मीटर (28,251 फ़ुट) की ऊँचाई वाली यह चोटी माउंट एवरेस्ट के बाद पृथ्वी की दूसरी उच्चतम पर्वत चोटी है। .

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कोंगका दर्रा

कोंगका दर्रा या कोंगका ला भारत के जम्मू व कश्मीर राज्य के लद्दाख़ क्षेत्र में स्थित एक पहाड़ी दर्रा है। यह हिमालय की छंग-चेम्नो शृंखला में स्थित है। भारत के अनुसार यह पूर्णत: भारत की भूमि पर है लेकिन चीन-द्वारा नियंत्रित अक्साई चिन क्षेत्र और लद्दाख़ के अन्य भाग के बीच में चीन-भारत वास्तविक नियंत्रण रेखा पर होने के नाते यह इन दो देशों के नियंत्रित क्षेत्रों के बीच आता है। प्रशासनिक रूप से दर्रे-पार का क्षेत्र चीनी सरकार ने शिंजियांग प्रान्त के ख़ोतान विभाग मे विलय किया हुआ है। .

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कोंगुर ताग़

कोंगुर ताग़ का नज़ारा कोंगुर ताग़ (उइग़ुर:, मंगोल: Хонгор Таг, अंग्रेज़ी: Kongur Tagh) कुनलुन शान पर्वतमाला का सबसे ऊँचा पहाड़ है। वैसे तो यह ७,६४९ मीटर (२५,०९५ फ़ुट) ऊँचा पर्वत अपने समीपी मुज़ताग़ अता पहाड़ (जो कुनलुन शान का दूसरा सबसे ऊँचा पहाड़ है) के बहुत पास है, लेकिन अधिक दुर्गम स्थल में होने से कम जाना जाता है। आधुनिक काल में काराकोरम राजमार्ग के बन जाने से अब कोंगुर ताग़ तक पहुँचना आसान हो गया है। यह चीन के शिनजियांग प्रांत का सबसे ऊँचा पर्वत भी है। पामीर पर्वतों के नज़दीक होने से कोंगुर ताग़ को कभी-कभी उस पर्वतमाला का हिस्सा भी माना जाता है।, Gyurme Dorje, Footprint Travel Guides, 1999, ISBN 978-1-900949-33-0,...

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अप्सरासस कांगरी

अप्सरासस कांगरी (Apsarasas Kangri) काराकोरम की सियाचिन मुज़ताग़ उपश्रेणी में एक पर्वत है। यह विश्व का ९६वाँ सर्वोच्च पर्वत भी है। यह भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य में स्थित है और इसका एक अंग चीन के क़ब्ज़े वाली शक्सगाम घाटी में स्थित है जिसे चीन शिंजियांग प्रान्त के अधीन प्रशासित करता है। .

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अलमाती प्रांत

अलमाती प्रांत (कज़ाख़: Алматы облысы, अंग्रेज़ी: Almaty Province) मध्य एशिया के क़ाज़ाख़स्तान देश का एक प्रांत है। इसकी राजधानी तालदीकोरग़ान नाम का शहर है। अलमाती प्रांत का क्षेत्र क़ाज़ाख़स्तान की राष्ट्रीय राजधानी अलमाती को घेरे हुए है। .

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अक्टूबर २०१५ हिन्दू कुश भूकंप

२६ अक्टूबर २०१५ को, १४:४५ पर (०९:०९ यूटीसी), हिंदू कुश के क्षेत्र में, एक 7.5 परिमाण के भूकंप ने दक्षिण एशिया को प्रभावित किया। मुख्य भूकंप के 40 मिनट बाद 4.8 परिमाण के पश्चात्वर्ती आघात ने फिर से प्रभावित किया; 4.1 परिमाण या उससे अधिक के तेरह और अधिक झटकों ने 29 अक्टूबर की सुबह को प्रभावित किया। मुख्य भूकंप 210 किलोमीटर की गहराई पर हुआ। 5 नवम्बर तक, यह अनुमान लगाया गया था कि कम से कम 398 लोगों की मौत हो गयी हैं, ज्यादातर पाकिस्तान में। http://abcnews.go.com/International/wireStory/latest-strong-afghan-earthquake-felt-south-asia-34730075 भूकंप के झटके अफगानिस्तान, पाकिस्तान, भारत, ताजिकिस्तान, और किर्गिस्तान में महसूस किए गए। भूकंप के झटके भारतीय शहरों नई दिल्ली, श्रीनगर, अमृतसर, चंडीगढ़ लखनऊ आदि और चीन के जनपदों झिंजियांग, आक़्सू, ख़ोतान तक महसूस किए गए जिनकी सूचना अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में भी दिया गया। कंपन नेपालियों की राजधानी काठमांडू में भी महसूस किया गया, जहां लोगों ने शुरू में सोचा कि यह अप्रैल 2015 में आए भूकंप के कई मायनों आवर्ती झटकों में से एक था। दैनिक पाकिस्तानी "द नेशन" ने सूचित किया कि यह भूकंप पाकिस्तान में 210 किलोमीटर पर होने वाला सबसे बड़ा भूकंप है। .

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अक्साई चिन

अक्साई चिन या अक्सेचिन (उईग़ुर:, सरलीकृत चीनी: 阿克赛钦, आकेसैचिन) चीन, पाकिस्तान और भारत के संयोजन में तिब्बती पठार के उत्तरपश्चिम में स्थित एक विवादित क्षेत्र है। यह कुनलुन पर्वतों के ठीक नीचे स्थित है। ऐतिहासिक रूप से अक्साई चिन भारत को रेशम मार्ग से जोड़ने का ज़रिया था और भारत और हज़ारों साल से मध्य एशिया के पूर्वी इलाकों (जिन्हें तुर्किस्तान भी कहा जाता है) और भारत के बीच संस्कृति, भाषा और व्यापार का रास्ता रहा है। भारत से तुर्किस्तान का व्यापार मार्ग लद्दाख़ और अक्साई चिन के रास्ते से होते हुए काश्गर शहर जाया करता था।, Prakash Charan Prasad, Abhinav Publications, 1977, ISBN 978-81-7017-053-2 १९५० के दशक से यह क्षेत्र चीन क़ब्ज़े में है पर भारत इस पर अपना दावा जताता है और इसे जम्मू और कश्मीर राज्य का उत्तर पूर्वी हिस्सा मानता है। अक्साई चिन जम्मू और कश्मीर के कुल क्षेत्रफल के पांचवें भाग के बराबर है। चीन ने इसे प्रशासनिक रूप से शिनजियांग प्रांत के काश्गर विभाग के कार्गिलिक ज़िले का हिस्सा बनाया है। .

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अक्साई चिन झील

अक्साई चिन झील (अंग्रेज़ी: Aksai Chin Lake; चीनी: 阿克赛钦湖, Akesaiqin Hu, अकेसाईचिन हू) लद्दाख़ के अक्साई चिन क्षेत्र में स्थित एक बन्द जलसम्भर झील है। इस इलाक़े को भारत अपने जम्मू व कश्मीर राज्य का अभिन्न अंग मानता है, लेकिन इसपर चीन का नियंत्रण है जो इसे शिंजियांग प्रान्त के ख़ोतान विभाग के भाग के रूप में प्रशासित करता है। झील १५ किमी लम्बी और ६-८ किमी चौड़ी है और कुनलुन पर्वत शृंखला से दक्षिण में स्थित है। कारगिलिक (शिंजियांग) से ल्हात्से (तिब्बत) जाने वाला चीनी राष्ट्रीय राजमार्ग २१९ झील से लगभग २० किमी दक्षिण से गुज़रता है। .

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उरुमची

अरोमची शहर के विभिन्न दृश्य, सब से ऊपर अरोमची के केंद्रीय व्यापारिक क्षेत्र का एक ताइरा ना दृश्य, नीचे बाईं ओर लाल पहाड़ (हाँग शान) और दायीं तरफ अरोमची का शबीना बाज़ार और नीचे अरोमची से कोह तयानि शान का एक दृश्य अरोमची (अवीग़ौर: ئۈرۈمچی‎‎, सादा चीनी: 乌鲁木齐, रवायती चीनी: 烏魯木齊, अंग्रेज़ी: Ürümqi या Ürümchi) शुमाल मग़रिबी चीन के शिंज्यांग प्रांत का दारुलहकूमत है। ये क़ाज़क़सतान की सीमा के निकट खनिज तेल से भरपूर ख़ित्ते का सनअती ओ- सक़ाफ़ती केंद्र है। 2007 के अनुमान के अनुसार शहर की जनसंख्या 15 लाख 90 हज़ार है। ये कोह तयानि शान के शुमाली क्षेत्र में समुंद्र की सतह से 3 हज़ार फुट (900 मीटर) की उँचाई पर एक मरुस्थलीय मरुद्यान में क़दीम रेशम का मार्ग पर स्थित है और वुस़्त एशिया में महत्वपूर्ण रहा है। यहां की सनअतों में लोहा, सीमेंट, ज़रई मशीनरी, कीमीयाई मादे और पारचा जात तैयार किए जाते हैं। कोइलह और ख़ाम लोहे के ज़ख़ाइर क़रीब ही पाए जाते हैं। इस की बीशुत्र आबादी हाँ नस्ल के चीनी बाशनदों पर मुशतमिल है जबकि तर्क क़बीले अवीग़ौर मुस्लमान बाशिंदे सब से बड़ी अक़लीयत हैं। अलावा अज़ीं काज़क़ और करगज़ अक़लीयत भी पाई जाती है। इस शहर की मसाजिद आज भी इस्लाम के वाज़िह असरात की गवाही देती हैं। यहां जामा सन्कियानग भी वाक़िअ है। .

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उरुमची विस्फोट – मई २०१४

चीन के शिनजियांग प्रान्त की राजधानी उरुमची के बाज़ार में २२ मई २०१४ को कुछ हमलावरों ने खरीददारी कर रहे लोगों के बीच दो गाडियों को टकरा दिया और लोगों पर विस्फोटक फेंकें। इस घटना में कम से कम ३१ लोग मारे गये और ९० से अधिक लोग घायल हो गये। .

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उज़बेक लोग

दो उज़बेक बच्चे उज़बेक मध्य एशिया में बसने वाली एक तुर्की-भाषी जाति का नाम है। उज़बेकिस्तान की अधिकाँश आबादी इसी नसल की है, हालाँकि उज़बेक समुदाय बहुत से अन्य देशों में भी मिलते हैं, जैसे कि अफ़्ग़ानिस्तान, ताजिकिस्तान, किर्गिज़स्तान, तुर्कमेनिस्तान, काज़ाख़स्तान, रूस, पाकिस्तान, मंगोलिया और चीन के शिनजियांग प्रान्त में। विश्व भर में लगभग २.३ करोड़ उज़बेक लोग हैं और यह पूरे विश्व की मनुष्य आबादी का लगभग ०.३% हैं। भारत में मुग़ल सलतनत की स्थापना करने वाला बाबर भी नसल से उज़बेक जाति का ही था।, Suryakant Nijanand Bal, Lancer Publishers, 2004, ISBN 978-81-7062-273-4,...

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उइगुर भाषा

मान्छु में लिखा हुआ है - इसमें उइग़ुर लिखाई 'रोशन अवतरादाक़ी दारवाज़ा' कह रही है, यानि 'रोशन सुन्दर दरवाज़ा' - हिंदी और उइग़ुर में बहुत से समान शब्द मिलते हैं उइग़ुर, जिसे उइग़ुर में उइग़ुर तिलि या उइग़ुरचे कहा जाता है, चीन का शिंच्यांग प्रांत की एक प्रमुख भाषा है, जिसे उइग़ुर समुदाय के लोग अपनी मातृभाषा के रूप में बोलते हैं। उइग़ुर भाषा और उसकी प्राचीन लिपि पूरे मध्य एशिया में और कुछ हद तक भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी भाग में भी, बहुत प्रभावशाली रहे हैं। सन् २००५ में अनुमानित किया गया था कि उइग़ुर मातृभाषियों कि संख्या लगभग १ से २ करोड़ के बीच है।, Peter Austin, University of California Press, 2008, ISBN 978-0-520-25560-9,...

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२००५ कश्मीर भूकम्प

२००५ कश्मीर भूकम्प ८ अक्तूबर २००५ में उत्तरी पाकिस्तान के ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रान्त, पाक-अधिकृत कश्मीर और भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य में आने वाला एक भूकम्प था। यह भारतीय मानक समय के अनुसार सुबह के ०९:२०:३९ बजे घटा और इसका उपरिकेंद्र पाक-अधिकृत कश्मीर की राजधानी मुज़फ़्फ़राबाद के पास स्थित था। भारत व पाकिस्तान के अन्य क्षेत्रों के अलावा इसके झटके अफ़्ग़ानिस्तान, ताजिकिस्तान और चीन के शिंजियांग प्रान्त में भी महसूस करे गए। .

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