व्याधगीता (शाब्दिक अर्थ: शिकारी के गीत), महाभारत का एक भाग है। इसमें एक बहेलिया (शिकारी) ने एक ब्राह्मण संयासी को शिक्षा दी है। यह कथा महाभारत के वाण पर्व में है और मार्कण्डेय ऋषि ने इसे युधिष्ठिर को सुनाया है। इस कथा में घमण्डी संन्यासी को ब्याध ने सही धर्म की शिक्षा दी है। व्याध की मुख्य शिक्षा यह है कि कोई भी काम नीच नहीं है; कोई भी काम अधुद्ध नहीं है। वास्तव में काम कैसे किया जाता है उसी से उसका महत्व कम या अधिक होता है। .