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वैज्ञानिक

सूची वैज्ञानिक

रूस शोधकर्ता नई पृथ्वी की खाड़ी में प्रयोगशाला अनुसंधान के लिए सामग्री इकट्ठा। कोई भी व्यक्ति जो ज्ञान प्राप्ति के लिये विधिवत (systematic) रूप से कार्यरत हो उसे वैज्ञानिक (scientist) कहते हैं। किन्तु एक सीमित परिभाषा के अनुसार वैज्ञानिक विधि का अनुसरण करते हुए किसी क्षेत्र में ज्ञानार्जन करने वाले व्यक्ति को वैज्ञानिक कहते हैं। .

152 संबंधों: चन्द्रशेखर वेंकटरमन, चार्ल्स हार्ड टाउन्स, चित्रा दत्ता, चिआकी मुकाई, चेन निंग यांग, ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम, डेनियल हिलाल, देवनागरी, नाम अभिक्रिया, निद्रा, न्यायिक खगोल विज्ञान, न्यायिक ऑडियो वृद्धि, नूर अंतर्राष्ट्रीय माइक्रोफिल्म केन्द्र, नेचर (पत्रिका), परमजीत खुराना, पराप्राकृतिक, पर्यावरण संरक्षण, पर्सी ब्रिजमन, पाइथागोरस, पुनर्जागरण, प्रभा चटर्जी, प्रसारण, प्रेसिडेन्सी विश्वविद्यालय, कोलकाता, प्रोबायोटिक, प्लैंक स्थिरांक, पी॰ के॰ अयंगार, फिलिप वारेन एन्डरसन, फ्रान्क विल्चेक, फ्रेडेरिक रेन्स, फोरेंसिक मौसमविज्ञान, बर्ट्रैंड रसल, बिग बैंग सिद्धांत, ब्रायन जोसेफसन, भारत में अन्धविश्वास, भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, भारतीय वैज्ञानिकों की सूची, भौतिक विज्ञानी, भूवैज्ञानिक, मशीन गन, मानव लिंग का आकार, मारिया गोपर्ट-मेयर, मार्गा फॉलस्टिच, माउंट सिन्हा, मिखाइल लोमोनोसोव, मगिंग, मंजू शर्मा, मंगल हो (फ़िल्म), मुजफ्फरपुर तकनीकी संस्थान, मैरी एलेन वेबर, मैरी तिन्देल, ..., मेरी क्युरी, मेल्विन श्वार्ट्ज, यास्मीन मोडसीर, यूरोपीय नाभिकीय अनुसंधान संगठन, यूजीन विग्नर, येल्लप्रगड सुब्बाराव, योशिरो नाकामत्सु, रसेल ए हल्से, राधेलाल हरदेव रिछारिया, रामा गोविंदराजन, रामेश्वरम तीर्थ, राजेन्द्र प्रसाद, राजेश्वरी चटर्जी, राजेंद्र प्रसाद (चिकित्सक), राकेश के॰ जैन, रेडियो, रेणु खन्ना चोपड़ा, रोबर्ट ए मिल्लिकन, रोबर्ट कोलमन रिचार्डसन, रोबेर्ट बी लाफलिन, रोजर बेकन, लास वेगास, लिंडा मैक्सिन गॉडविन, लेव लाण्डौ, लीयो एसाकी, लीयोन एम लीडरमन, लीयों नील कूपर, शंकर अबाजी भिसे, सागा २२०, साइंस (पत्रिका), सिन-इतिरो तोमोनागा, सिमडेगा, सुभाष काक, स्टीवन वैनबर्ग, स्नेह सिद्धान्त, स्प्रेडशीट, स्वयोजित कोलेस्ट्रॉल सिस्प्लैटिन २ आधारित नैनोकण, स्वर्ग गुफा, सूक्ष्मदर्शन, हरगोविन्द खुराना, हर्स्ट एल स्टोर्मर, हलायुध, हाथियों की बुद्धिमत्ता, हैंस क्रिश्चियन ग्रैम, होमो, होमी जहांगीर भाभा, जटिल तंत्र, जय सिंह द्वितीय, जल सर्वेक्षण, जानकी अम्माल, जाविर-इबन, जुलियन श्विंगर, ज्ञानचन्द्र घोष, जैविक कम्प्यूटर, जेन गुडाल, जेम्स फ्रान्क, जेम्स वेब खगोलीय दूरदर्शी, जेरोम इसाक फ्रीडमन, जे॰ जे॰ थॉमसन, जॉन नेपियर, जीनोम परियोजना, वनस्पती वर्गिकरण, वान डर वाल्स बल, विचारधारा, विनिता बल, वियना सर्कल, विलियम ए फोलर, विलियम डी फिलिप्स, विल्नुस विश्वविद्यालय का पुस्तकालय, विजय कुमार सारस्वत, विज्ञान पत्रकारिता, विक्टर स्कूमिन, वुल्फगांग केट्टेर्ले, वृत्ति, वैज्ञानिक साक्ष्य, वॉलफ्रेम अल्फा, वीणा टंडन, वीणा पर्नाइक, खनिज विज्ञान, गणितज्ञ, गाटफ्रीड लैबनिट्ज़, गुस्टाफ हर्ज़, ग्रेनाइट, ग्लेडविन जेब, आर्किमिडिज़, आलहिन्द, आशिमा आनंद, इमानुएल काण्ट, इवान गेलिस्ता टाँरीसेली, कमला कृष्णस्वामी, कम्प्यूटर विज्ञान, कर्म एवं उद्यमों की सूची, कल्पना चावला, काशी हिन्दू विश्‍वविद्यालय, कृष्णास्वामी कस्तूरीरंगन, अनुराधा टी॰ के॰, अमिता सहगल, अरुणा धथाथरेयन, अली इब्न अबी तालिब, अंतरतारकीय अंतरिक्ष उड़ान, अंतरिक्ष शटल, उद्धव भराली सूचकांक विस्तार (102 अधिक) »

चन्द्रशेखर वेंकटरमन

सीवी रमन (तमिल: சந்திரசேகர வெங்கடராமன்) (७ नवंबर, १८८८ - २१ नवंबर, १९७०) भारतीय भौतिक-शास्त्री थे। प्रकाश के प्रकीर्णन पर उत्कृष्ट कार्य के लिये वर्ष १९३० में उन्हें भौतिकी का प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार दिया गया। उनका आविष्कार उनके ही नाम पर रामन प्रभाव के नाम से जाना जाता है। १९५४ ई. में उन्हें भारत सरकार द्वारा भारत रत्न की उपाधि से विभूषित किया गया तथा १९५७ में लेनिन शान्ति पुरस्कार प्रदान किया था। .

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चार्ल्स हार्ड टाउन्स

चार्ल्स् हर्ड टाउन्स् अमेरिका के प्रसिद्द वैज्ञानिक हैं। 1964 में इन्हें भौतिक विज्ञान में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। श्रेणी:वैज्ञानिक श्रेणी:नोबेल पुरस्कार विजेता श्रेणी:1915 में जन्मे लोग.

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चित्रा दत्ता

चित्रा दत्ता एक भारतीय भौतिक विज्ञानी है, जो जैव सूचना विज्ञान और कम्प्यूटेशनल जीव विज्ञान में काम किया है। वह प्रमुख वैज्ञानिक हैं स्ट्रक्चरल जीव विज्ञान और जैव सूचना विज्ञान भारतीय रसायन विज्ञान संस्थान, कोलकाता मे। दत्ता ने स्नातक विज्ञान किया और स्नातकोत्तर भौतिक विज्ञान मे पश्चिम बंगाल में विश्वभारती विश्वविद्यालय से। उन्होंने १९८४ में कलकत्ता विश्वविद्यालय से भौतिकी विज्ञान में पीएचडी प्राप्त की, जिसके बाद वे एक वैज्ञानिक के रूप में भारतीय रसायन विज्ञान संस्थान में काम शुरु कर दिया। चित्रा दत्ता को १९९२ में नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज के फेलो के रूप में चुना गया था। .

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चिआकी मुकाई

चिआकी मुकाई एक जापानी डॉक्टर, और जक्स़ा की अंतरिक्ष यात्री है। वह अंतरिक्ष में जाने वाली पहली जापानी महिला थी जिन्होंने दो अंतरिक्ष उड़ानें भरी थीं। उनकी दोनों उड़ने अंतरिक्ष शटल मिशन थी। उनकी पहली उड़ान १९९४ जुलाई में अंतरिक्ष शटल कोलंबिया पर एसटीएस -65 स्पैकेलाब मिशन की थी। उनकी दूसरी अंतरिक्ष उड़ान १९९८ में अंतरिक्ष शटल डिस्कवरी पर एसटीएस -95 की थी। उन्होंने अंतरिक्ष में कुल २३ दिन बिताए हैं। उनका जन्म ६ मई १९५२ को तेटबायशी, गुनमा, जापान में हुआ था। उन्होंने अपनी स्कूल की शिक्षा १९७१ में टोक्यों के कीओ गर्ल्स सीनियर हाई स्कूल से प्राप्त की। उन्होंने चिकित्सा में अपनी डॉक्टरेट प्राप्त की कैओ यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिनस से १९७७ में, फिजियोलॉजी में डॉक्टरेट, केओ यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन से १९८८ में और वह बोर्ड कार्डियोवास्कुलर सर्जन के रूप में प्रमाणित जापान सर्जिकल सोसायटी से १९८९ में हुई। .

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चेन निंग यांग

चेन निंग यांग चीनी मूल के प्रसिद्द अमेरिकी वैज्ञानिक हैं। 1957 में इन्हें भौतिक विज्ञान में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। श्रेणी:वैज्ञानिक श्रेणी:नोबेल पुरस्कार विजेता.

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ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम

अबुल पकिर जैनुलाअबदीन अब्दुल कलाम अथवा ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम (A P J Abdul Kalam), (15 अक्टूबर 1931 - 27 जुलाई 2015) जिन्हें मिसाइल मैन और जनता के राष्ट्रपति के नाम से जाना जाता है, भारतीय गणतंत्र के ग्यारहवें निर्वाचित राष्ट्रपति थे। वे भारत के पूर्व राष्ट्रपति, जानेमाने वैज्ञानिक और अभियंता (इंजीनियर) के रूप में विख्यात थे। इन्होंने मुख्य रूप से एक वैज्ञानिक और विज्ञान के व्यवस्थापक के रूप में चार दशकों तक रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) संभाला व भारत के नागरिक अंतरिक्ष कार्यक्रम और सैन्य मिसाइल के विकास के प्रयासों में भी शामिल रहे। इन्हें बैलेस्टिक मिसाइल और प्रक्षेपण यान प्रौद्योगिकी के विकास के कार्यों के लिए भारत में मिसाइल मैन के रूप में जाना जाने लगा। इन्होंने 1974 में भारत द्वारा पहले मूल परमाणु परीक्षण के बाद से दूसरी बार 1998 में भारत के पोखरान-द्वितीय परमाणु परीक्षण में एक निर्णायक, संगठनात्मक, तकनीकी और राजनैतिक भूमिका निभाई। कलाम सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी व विपक्षी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस दोनों के समर्थन के साथ 2002 में भारत के राष्ट्रपति चुने गए। पांच वर्ष की अवधि की सेवा के बाद, वह शिक्षा, लेखन और सार्वजनिक सेवा के अपने नागरिक जीवन में लौट आए। इन्होंने भारत रत्न, भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त किये। .

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डेनियल हिलाल

डेनियल हिलाल (Daniel Hillel) इज़राइल के एक वैज्ञानिक हैं। १९३0 में लॉस एंजेल्स, कैलिफोर्निया में जन्मे हिलाल की ख्याति सूक्ष्म सिंचाई के क्षेत्र में उल्लेखनीय अनुसंधान के लिए है। जल और मृदा संबंधित इनके कार्यों के लिए खाद्य एवं कृषि संगठन द्वारा इन्हें २0१२ का विश्व खाद्य पुरस्कार प्रदान किया गया है। .

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देवनागरी

'''देवनागरी''' में लिखी ऋग्वेद की पाण्डुलिपि देवनागरी एक लिपि है जिसमें अनेक भारतीय भाषाएँ तथा कई विदेशी भाषाएं लिखीं जाती हैं। यह बायें से दायें लिखी जाती है। इसकी पहचान एक क्षैतिज रेखा से है जिसे 'शिरिरेखा' कहते हैं। संस्कृत, पालि, हिन्दी, मराठी, कोंकणी, सिन्धी, कश्मीरी, डोगरी, नेपाली, नेपाल भाषा (तथा अन्य नेपाली उपभाषाएँ), तामाङ भाषा, गढ़वाली, बोडो, अंगिका, मगही, भोजपुरी, मैथिली, संथाली आदि भाषाएँ देवनागरी में लिखी जाती हैं। इसके अतिरिक्त कुछ स्थितियों में गुजराती, पंजाबी, बिष्णुपुरिया मणिपुरी, रोमानी और उर्दू भाषाएं भी देवनागरी में लिखी जाती हैं। देवनागरी विश्व में सर्वाधिक प्रयुक्त लिपियों में से एक है। मेलबर्न ऑस्ट्रेलिया की एक ट्राम पर देवनागरी लिपि .

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नाम अभिक्रिया

रसायन विज्ञान में नाम अभिक्रिया (name reaction) उन रासायनिक अभिक्रियाओं को कहते हैं जिनका नाम उसकी खोज करने वाले वैज्ञानिक के नाम पर है। नाम अभिक्र्याओं के कुछ उदाहरण ये हैं- विटिग अभिक्रिया (Wittig reaction), फ्रिडेल-क्राफ्ट्स अभिक्रिया, डायल्स-अल्दर अभिक्रिया आदि। श्रेणी:रासायनिक अभिक्रिया.

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निद्रा

सोऐ हुए बच्चे बिल्ली का बच्चा सो रहा है नींद अपेक्षाकृत निलंबित संवेदी और संचालक गतिविधि की चेतना की एक प्राकृतिक बार-बार आनेवाली रूपांतरित स्थिति है, जो लगभग सभी स्वैच्छिक मांसपेशियों की निष्क्रियता की विशेषता लिए हुए होता है। इसे एकदम से जाग्रत अवस्था, जब किसी उद्दीपन या उत्तेजन पर प्रतिक्रिया करने की क्षमता कम हो जाती है और अचेतावस्था से भी अलग रखा जाता है, क्योंकि शीत नींद या कोमा की तुलना में नींद से बाहर आना कहीं आसान है। नींद एक उन्नत निर्माण क्रिया विषयक (एनाबोलिक) स्थिति है, जो विकास पर जोर देती है और जो रोगक्षम तंत्र (इम्यून), तंत्रिका तंत्र, कंकालीय और मांसपेशी प्रणाली में नयी जान डाल देती है। सभी स्तनपायियों में, सभी पंछियों और अनेक सरीसृपों, उभयचरों और मछलियों में इसका अनुपालन होता है। नींद के उद्देश्य और प्रक्रिया सिर्फ आंशिक रूप से ही स्पष्ट हैं और ये गहन शोध के विषय हैं। .

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न्यायिक खगोल विज्ञान

फोरेंसिक खगोल विज्ञान खगोल विज्ञान के उपयोग, आकाशीय पिंडों के वैज्ञानिक अध्ययन, पिछले आकाशीय नक्षत्रों का निर्धारण करने के लिए है। यह न्यायालयिक विज्ञान के क्षेत्र में इस्तेमाल किया जाता है जैसे की ऐतिहासिक समस्याय कला के इतिहास में अधिक आम तौर पर मुद्दों को हल करने और विशेष रूप से। .

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न्यायिक ऑडियो वृद्धि

फोरेंसिक ऑडियो वृद्धि वैज्ञानिक विश्लेषण और ऑडियो स्पष्टता के सुधार, आम तौर पर बोधगम्यता में सुधार करना है। .

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नूर अंतर्राष्ट्रीय माइक्रोफिल्म केन्द्र

नूर अंतर्राष्ट्रीय माइक्रोफिल्म केन्द्र, इस्लामिक गणराज्य ईरान नई दिल्ली, के कल्चर हाउस में स्थित है। नूर अंतर्राष्ट्रीय माइक्रोफिल्म केन्द्र पुरानी पाण्डुलिपि की मरम्मत, उनकी माइक्रोफिल्म व तस्वीर तैयार करना व मुद्रित पृष्ठों को प्रकाशित करना, जैसे कार्यो में लिप्त रहा है। मेहदी ख्वाजा पीरी द्वारा किये गए प्रयासों के परिणाम स्वरूप 1985 में इस सेंटर को स्थापित किया गया था। केन्द्र की शैक्षिक व सांस्कृतिक गतिविधियों की शुरुआत अल्लामा क़ाज़ी नूरुल्लाह शुस्तरी की पुण्यतिथि (बरसी) के साथ हुई। वह अपने समय के विधिवेत्ता होने के साथ-साथ एक विद्वान, मोहद्दिस, धर्मशास्त्री, कवि व साहित्यिक व्यक्ति भी थे। उन्हें शहीद-ए-सालिस से भी जाना जाता है। इस महान व्यक्ति की याद में नूर अंतर्राष्ट्रीय माइक्रोफिल्म केन्द्र का नाम रखा गया। .

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नेचर (पत्रिका)

नेचर - यह ब्रिटिश की एक प्रमुख वैज्ञानिक पत्रिका है जो पहली बार 4 नवम्बर 1869 को प्रकाशित की गयी थी। दुनिया की अंतर्विषय वैज्ञानिक पत्रिकाओं में इस पत्रिका का उल्लेख सबसे उच्च स्थान पर किया जाता है। अब तो अधिकांश वैज्ञानिक पत्रिकाएं अति-विशिष्ट हो गयीं हैं और नेचर उन गिनी-चुनी पत्रिकाओं में से है जो आज भी, वैज्ञानिक क्षेत्र की विशाल श्रेणी के मूल अनुसंधान लेख प्रकाशित करती है। वैज्ञानिक अनुसंधान के ऐसे अनेक क्षेत्र हैं जिनमें किये जाने वाले नए व महत्वपूर्ण विकासों की जानकारी तथा शोध-सम्बन्धी मूल-लेख या पत्र नेचर ' में प्रकाशित किये जाते हैं। हालांकि इस पत्रिका के प्रमुख पाठकगण अनुसंधान करने वाले वैज्ञानिक हैं, पर आम जनता और अन्य क्षेत्र के वैज्ञानिकों को भी अधिकांश महत्वपूर्ण लेखों के सारांश और उप-लेखन आसानी से समझ आते हैं। हर अंक के आरम्भ में सम्पादकीय, वैज्ञानिकों की सामान्य दिलचस्पी वाले मुद्दों पर लेख व समाचार, ताज़ा खबरों सहित विज्ञान-निधिकरण, व्यापार, वैज्ञानिक नैतिकता और अनुसंधानों में हुए नए-नए शोध सम्बन्धी लेख छापे जाते हैं। पुस्तकों और कला सम्बन्धी लेखों के लिए भी अलग-अलग विभाग हैं। पत्रिका के शेष भाग में ज़्यादातर अनुसंधान-सम्बन्धी लेख छापे जाते हैं, जो अक्सर काफ़ी गहरे और तकनीकी होते हैं। चूंकि लेखों की लम्बाई पर एक सीमा निर्धारित है, अतः पत्रिका में अक्सर अनेक लेखों का सारांश ही छापा जाता है और अन्य विवरणों को पत्रिका के वेबसाइट पर supplementary material (पूरक सामग्री) के तहत प्रकाशित किया जाता है। 2007 में, नेचर ' और सायंस ' - दोनों पत्रिकाओं को संचार व मानवता के लिए प्रिंस ऑफ़ अस्तुरियास अवार्ड प्रदान किया गया। .

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परमजीत खुराना

परमजीत खुराना (जन्म १५ अगस्त १९५६) संयंत्र जैव प्रौद्योगिकी, आणविक जीवविज्ञान, जीनोमिक्स में एक भारतीय वैज्ञानिक हैं। वह दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली में पौधे आणविक जीवविज्ञान विभाग में प्रोफेसर है। उन्हें कई पुरस्कार मिले हैं और १२५ से अधिक वैज्ञानिक पत्र प्रकाशित किए गए हैं। .

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पराप्राकृतिक

पराप्राकृतिक शब्द उन व्यक्तियों, वस्तुओं या घटनाओं के लिए प्रयुक्त होता है जिसे कुछ लोग वास्तविक मानते हैं, लेकिन जो प्रकृति का भाग नहीं होते या सामान्य प्रकृति से परे होते है। "अलौकिक" या "पारलौकिक" शब्द भी इसके लिए प्रयुक्त होता है। चूंकि इनके अस्तित्व को सिद्ध कर पाना संभव नहीं होता, इसलिए आमतौर पर लोग इनके बारे में असहमत रहते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि हमें पराप्राकृतिक के स्थान पर विषय (व्यक्ति, वस्तु, या घटना) पर बोलना चाहिए, क्योंकि हम यह सिद्ध नहीं कर सकते की पराप्राकृतिक विषय वास्तविक हैं। कुछ अन्य लोगों का मानना है कि यद्यपि पराप्राकृतिक विषयों का वैज्ञानिक प्रमाण नहीं होता, लेकिन ये वास्तविक हैं। बहुत से विषय जैसे धर्म, जादू, चमत्कार, आत्मा, भूत, देवदूत, शैतान, देव और ईश्वर पराप्राकृतिक या पारलौकिक हैं। .

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पर्यावरण संरक्षण

पर्यावरण शब्द परि+आवरण के संयोग से बना है। 'परि' का आशय चारों ओर तथा 'आवरण' का आशय परिवेश है। दूसरे शब्दों में कहें तो पर्यावरण अर्थात वनस्पतियों,प्राणियों,और मानव जाति सहित सभी सजीवों और उनके साथ संबंधित भौतिक परिसर को पर्यावरण कहतें हैं वास्तव में पर्यावरण में वायु,जल,भूमि,पेड़-पौधे, जीव-जन्तु,मानव और उसकी विविध गतिविधियों के परिणाम आदि सभी का समावेश होता हैं। .

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पर्सी ब्रिजमन

पर्सी ब्रिजमन अमेरिका के प्रसिद्द वैज्ञानिक थे। 1946 में इन्हें भौतिक विज्ञान में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। श्रेणी:वैज्ञानिक श्रेणी:नोबेल पुरस्कार विजेता.

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पाइथागोरस

सामोस के पाईथोगोरस (Ὁ Πυθαγόρας ὁ Σάμιος, ओ पुथागोरस ओ समिओस, "पाईथोगोरस दी समियन (Samian)," या साधारण रूप से; उनका जन्म 580 और 572 ई॰पू॰ के बीच हुआ और मृत्यु 500 और 490 ई॰पू॰ के बीच हुई), या फ़ीसाग़ोरस, एक अयोनिओयन (Ionian) ग्रीक (Greek)गणितज्ञ (mathematician) और दार्शनिक थे और पाईथोगोरियनवाद (Pythagoreanism) नामक धार्मिक आन्दोलन के संस्थापक थे। उन्हें अक्सर एक महान गणितज्ञ, रहस्यवादी (mystic) और वैज्ञानिक (scientist) के रूप में सम्मान दिया जाता है; हालाँकि कुछ लोग गणित और प्राकृतिक दर्शन में उनके योगदान की संभावनाओं पर सवाल उठाते हैं। हीरोडोट्स उन्हें "यूनानियों के बीच सबसे अधिक सक्षम दार्शनिक" मानते हैं। उनका नाम उन्हें पाइथिआ (Pythia) और अपोलो से जोड़ता है; एरिस्तिपस (Aristippus) ने उनके नाम को यह कह कर स्पष्ट किया कि "वे पाइथियन (पाइथ-) से कम सच (एगोर-) नहीं बोलते थे," और लम्ब्लिकास (Iamblichus) एक कहानी बताते हैं कि पाइथिआ ने भविष्यवाणी की कि उनकी गर्भवती माँ एक बहुत ही सुन्दर, बुद्धिमान बच्चे को जन्म देगी जो मानव जाती के लिए बहुत ही लाभकारी होगा। (The Savisier-) उन्हें मुख्यतः पाईथोगोरस की प्रमेय (Pythagorean theorem) के लिए जाना जाता है, जिसका नाम उनके नाम पर दिया गया है। पाइथोगोरस को "संख्या के जनक" के रूप में जाना जाता है, छठी शताब्दी ईसा पूर्व में धार्मिक शिक्षण और दर्शनमें उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा। पूर्व सुकराती (pre-Socratic) काल के अन्य लोगों की तुलना में उनके कार्य ने कथा कहानियों को अधिक प्रभावित किया, उनके जीवन और शिक्षाओं के बारे में अधिक विश्वास के साथ कहा जा सकता है। हम जानते हैं कि पाइथोगोरस और उनके शिष्य मानते थे कि सब कुछ गणित से सम्बंधित है और संख्याओं में ही अंततः वास्तविकता है और गणित के माध्यम से हर चीज के बारे में भविष्यवाणी की जा सकती है तथा हर चीज को एक ताल बद्ध प्रतिरूप या चक्र के रूप में मापा जा सकता है। लम्बलीकस (Iamblichus) के अनुसार, पाइथोगोरस ने कहा कि "संख्या ही विचारों और रूपों का शासक है और देवताओं और राक्षसों का कारण है।" वो पहले आदमी थे जो अपने आप को एक दार्शनिक, या बुद्धि का प्रेमी कहते थे, और पाइथोगोरस के विचारों ने प्लेटो पर एक बहुत गहरा प्रभाव डाला। दुर्भाग्य से, पाइथोगोरस के बारे में बहुत कम तथ्य ज्ञात हैं, क्योंकि उन के लेखन में से बहुत कम ही बचे हैं। पाइथोगोरस की कई उपलब्धियां वास्तव में उनके सहयोगियों और उत्तराधिकारियों की उपलब्धियां हैं। पाईथोगोरस का जन्म सामोस (Samos) में हुआ, जो एशिया माइनर (Asia Minor) के किनारे पर, पूर्वी ईजियन में एक यूनानी द्वीप है। उनकी माँ पायथायस (समोस की निवासी) और पिता मनेसार्चस (टायर (Tyre) के एक फोनिसियन (Phoenicia) व्यापारी) थे। जब वे जवान थे तभी उन्होंने, अपने जन्म स्थान को छोड़ दिया और पोलिक्रेट्स (Polycrates) की अत्याचारी (tyrannical) सरकार से बच कर दक्षिणी इटलीमें क्रोटोन (Croton) केलेब्रिया (Calabria) में चले गए। लम्ब्लिकस (Iamblichus) के अनुसार थेल्स (Thales) उनकी क्षमताओं से बहुत अधिक प्रभावित था, उसने पाइथोगोरस को इजिप्त में मेम्फिस (Memphis) को चलने और वहाँ के पुजारियों के साथ अध्ययन करने की सलाह दी जो अपनी बुद्धि के लिए जाने जाते थे। वे फोनेशिया में टायर और बैब्लोस में शिष्य बन कर भी रहे। इजिप्ट में उन्होंने कुछ ज्यामितीय सिद्धांतों को सिखा जिससे प्रेरित होकर उन्होंने अंततः प्रमेय दी जो अब उनके नाम से जानी जाती है। यह संभव प्रेरणा बर्लिन पेपाइरस (Berlin Papyrus) में एक असाधारण समस्या के रूप में प्रस्तुत है। समोस से क्रोटोन (Croton), केलेब्रिया (Calabria), इटली, आने पर उन्होंने एक गुप्त धार्मिक समाज की स्थापना की जो प्रारंभिक ओर्फिक कल्ट (Orphic cult) से बहुत अधिक मिलती जुलती थी और संभवतः उससे प्रभावित भी थी। Vatican) पाइथोगोरस ने क्रोटन के सांस्कृतिक जीवन में सुधर लाने की कोशिश की, नागरिकों को सदाचार का पालन करने के लिए प्रेरित किया और अपने चारों और एक अनुयायियों का समूह स्थापित कर लिया जो पाइथोइगोरियन कहलाते हैं। इस सांस्कृतिक केन्द्र के संचालन के नियम बहुत ही सख्त थे। उसने लड़कों और लड़कियों दोनों के liye सामान रूप से अपना विद्यालय खोला.जिन लोगों ने पाइथोगोरस के सामाज के अंदरूनी हिस्से में भाग लिए वे अपने आप को मेथमेटकोई कहते थे। वे स्कूल में ही रहते थे, उनकी अपनी कोई निजी संपत्ति नहीं थी, उन्हें मुख्य रूप से शाकाहारी भोजन खाना होता था, (बलि दिया जाने वाला मांस खाने की अनुमति थी) अन्य विद्यार्थी जो आस पास के क्षेत्रों में रहते थे उन्हें भी पाइथोगोरस के स्कूल में भाग लेने की अनुमति थी। उन्हें अकउसमेटीकोई के नाम से जाना जाता था और उन्हें मांस खाने और अपनी निजी सम्पति रखने की अनुमति थी। रिचर्ड ब्लेक्मोर ने अपनी पुस्तक दी ले मोनेस्ट्री (१७१४) में पाइथोगोरियनो के धार्मिक प्रेक्षणों को बताया, "यह इतिहास में दर्ज संन्यासी जीवन का पहला उदाहरण था। लम्ब्लिकास (Iamblichus) के अनुसार, पाइथोगोरस ने धार्मिक शिक्षण, सामान्य भोजन, व्यायाम, पठन और दार्शनिक अध्ययन से युक्त जीवन का अनुसरण किया। संगीत इस जीवन का एक आवश्यक आयोजन कारक था: शिष्य अपोलो के लिए नियमित रूप से मिल जुल कर भजन गाते थे; वे आत्मा या शरीर की बीमारी का इलाज करने के लिए वीणा (lyre) का उपयोग करते थे; याद्दाश्त को बढ़ाने के लिए सोने से पहले और बाद में कविता पठन किया जाता था। फ्लेवियस जोजेफस (Flavius Josephus), एपियन के विरुद्ध (Against Apion), यहूदी धर्म की रक्षा में ग्रीक दर्शनशास्त्र (Greek philosophy) के खिलाफ कहा कि समयरना के हर्मिपस (Hermippus of Smyrna) के अनुसार पाइथोगोरस यहूदी विश्वासों से परिचित था, उसने उनमें से कुछ को अपने दर्शन में शामिल किया। जिंदगी के अंतिम चरण में उसके और उसके अनुयायियों के खिलाफ क्रोतों के एक कुलीन सैलों (Cylon) द्वारा रचित शाजिश की वजह से वह मेतापोंतुम (Metapontum) भाग गया। वह अज्ञात कारणों से मेटापोंटम म में ९० साल की उम्र में मर गया। बर्ट्रेंड रसेल, ने पश्चिमी दर्शन के इतिहास (History of Western Philosophy), में बताया कि पाइथोगोरस का प्लेटो और अन्य लोगों पर इतना अधिक प्रभाव था कि वह सभी पश्चिमी दार्शनिकों में सबसे ज्यादा प्रभावी माना जाता था। .

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पुनर्जागरण

फ्लोरेंस पुनर्जागरण का केन्द्र था पुनर्जागरण या रिनैंसा यूरोप में मध्यकाल में आये एक संस्कृतिक आन्दोलन को कहते हैं। यह आन्दोलन इटली से आरम्भ होकर पूरे यूरोप फैल गया। इस आन्दोलन का समय चौदहवीं शताब्दी से लेकर सत्रहवीं शताब्दी तक माना जाता है।.

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प्रभा चटर्जी

प्रभा आर.

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प्रसारण

श्रब्य और/अथवा विडियो संकेतों को एक स्थान से सभी दिशाओं में, या किसी एक दिशा में फैलाना प्रसारण (Broadcasting) कहलाता है। दूरस्थ स्थानों पर इन संकेतों को उपयुक्त विधि से ग्रहण किया जाता है एवं आवश्यक परिवर्तनों (प्रवर्धन, डीमोडुलेशन आदि) के बाद कोई श्रब्य या विडियो आदि प्राप्त होता है। .

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प्रेसिडेन्सी विश्वविद्यालय, कोलकाता

प्रेसिडेंसी कॉलेज, कोलकाता (Presidency College; প্রেসিডেন্সি কলেজ) कोलकाता, पश्चिम बंगाल में कला, विज्ञान और मानविकी के क्षेत्रों में स्नातक तथा स्नातकोत्तर अध्ययन के लिए एक श्रेष्ठ भारतीय शिक्षा प्रतिष्ठान है। इस प्रतिष्ठान ने अनेक प्रसिद्ध भारतीय कलाकार, लेखक, वैज्ञानिक, राजनीतिज्ञ, दार्शनिक इत्यादि दिए है। .

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प्रोबायोटिक

लैक्टोबैसिलस जीवाणु प्रोबायोटिक जीवाणु है, जो दूध को दही में बदलता है। प्रोबायोटिक एक प्रकार के खाद्य पदार्थ होते हैं, जिसमें जीवित जीवाणु या सूक्ष्मजीव शामिल होते हैं। प्रोबायोटिक विधि रूसी वैज्ञानिक एली मैस्निकोफ ने २०वीं शताब्दी में प्रस्तुत की थी। इसके लिए उन्हें बाद में नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।। हिन्दुस्तान लाइव। १ दिसम्बर २००९ विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार प्रोबायोटिक वे जीवित सूक्ष्मजीव होते हैं जिसका सेवन करने पर मानव शरीर में जरूरी तत्व सुनिश्चित हो जाते हैं।। बिज़नेस भास्कर। २४ मई २००९। डॉ॰ रतन सागर खन्ना ये शरीर में अच्छे जीवाणुओं की संख्या में वृद्धि कर पाचन क्रिया को बेहतर बनाते हैं।। बिज्नेस स्टैण्डर्ड। नेहा भारद्वाज। १८ सितंबर २००८ इस विधि के अनुसार शरीर में दो तरह के जीवाणु होते हैं, एक मित्र और एक शत्रु। भोजन के द्वारा यदि मित्र जीवाणुओं को भीतर लें तो वे धीरे-धीरे शरीर में उपलब्ध शत्रु जीवाणुओं को नष्ट करने में कारगर सिद्ध होते हैं। मित्र जीवाणु प्राकृतिक स्रोतों और भोजन से प्राप्त होते हैं, जैसे दूध, दही और कुछ पौंधों से भी मिलते हैं। अभी तक मात्र तीन-चार ही ऐसे जीवाणु ज्ञात हैं जिनका प्रयोग प्रोबायोटिक रूप में किया जाता है। इनमें लैक्टोबेसिलस, बिफीडो, यीस्ट और बेसिल्ली हैं। इन्हें एकत्र करके प्रोबायोटिक खाद्य पदार्थ में डाला जाता है। वैज्ञानिकों के अब तक के अध्ययन के अनुसार इस तरह से शरीर में पहुंचने वाले जीवाणु किसी प्रकार की हानि भी नहीं पहुंचाते हैं। शोधों में रोगों के रोकथाम में इनकी भूमिका सकारात्मक पाई गई है तथा इनके कोई दुष्प्रभाव भी ज्ञात नहीं हैं। .

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प्लैंक स्थिरांक

प्लैंक स्थिरांक (Planck constant) प्रकृति का एक भौतिक नियतांक है। इसे रोमन लिपि के अक्षर h से प्रदर्शित करते हैं। वैज्ञानिक मैक्स प्लांक ने सर्वप्रथम सिद्धान्त दिया कि यह एक नियतांक है। यह क्वाण्टम यांत्रिकी में क्वान्त के आकार को प्रदर्शित करता है। .

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पी॰ के॰ अयंगार

पद्मनाभन कृष्णगोपाल अयंगार (29 जून 1931 – 21 दिसम्बर 2011) भारत के गणमान्य परमाणु वैज्ञानिक थे। वे भारत के प्रथम परमाणु बम परीक्षण के सूत्रधार थे। वे भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र (BARC) के निदेशक और उसके बाद परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष रहे। वे भारत-अमेरिका असैनिक नाभिकीय सहयोग के विरुद्ध बोलने वालों में अग्रणी थे। उनका मत था कि यह समझौता अमेरिका का अधिक हित साधता है। .

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फिलिप वारेन एन्डरसन

फिलिप वारेन एन्डरसन अमेरिका के प्रसिद्द वैज्ञानिक हैं। 1977 में इन्हें भौतिक विज्ञान में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। .

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फ्रान्क विल्चेक

फ्रान्क विल्चेक अमेरिका के प्रसिद्द वैज्ञानिक एवं गणितज्ञ हैं 2004 में इन्हें भौतिक विज्ञान में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। श्रेणी:वैज्ञानिक श्रेणी:नोबेल पुरस्कार विजेता.

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फ्रेडेरिक रेन्स

फ्रेडेरिक रेन्स अमेरिका के प्रसिद्द वैज्ञानिक थे। 1995 में इन्हें भौतिक विज्ञान में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। श्रेणी:वैज्ञानिक श्रेणी:नोबेल पुरस्कार विजेता.

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फोरेंसिक मौसमविज्ञान

फोरेंसिक मौसम विज्ञान, मौसम के वैज्ञानिक अध्ययन, एक निश्चित समय और स्थान के लिए मौसम की घटनाओं के पुनर्निर्माण की प्रक्रिया के लिए आवेदन किया है। इसे प्राप्त करने और ऐसी सतह टिप्पणियों, रडार और उपग्रह छवियों, अन्य डेटा, और चश्मदीद गवाहों के रूप में स्थानीय मौसम की रिपोर्ट का विश्लेषण करके किया जाता है। फोरेंसिक मौसम विज्ञान सबसे अधिक बार अदालती मामलों में इस्तेमाल किया जाता है, जिसमे शामिल है;.

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बर्ट्रैंड रसल

बर्ट्रेंड रसेल बर्ट्रेंड रसेल (18 मई 1872 - 3 फ़रवरी 1970) अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त ब्रिटिश दार्शनिक, गणितज्ञ, वैज्ञानिक, शिक्षाशास्त्री, राजनीतिज्ञ, समाजशास्त्री तथा लेखक थे। .

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बिग बैंग सिद्धांत

महाविस्फोट प्रतिरूप के अनुसार, यह ब्रह्मांड अति सघन और ऊष्म अवस्था से विस्तृत हुआ है और अब तक इसका विस्तार चालू है। एक सामान्य धारणा के अनुसार अंतरिक्ष स्वयं भी अपनी आकाशगंगाओं सहित विस्तृत होता जा रहा है। ऊपर दर्शित चित्र ब्रह्माण्ड के एक सपाट भाग के विस्तार का कलात्मक दृश्य है। ब्रह्मांड का जन्म एक महाविस्फोट के परिणामस्वरूप हुआ। इसी को महाविस्फोट सिद्धान्त या बिग बैंग सिद्धान्त कहते हैं।।अमर उजाला।। श्य़ामरत्न पाठक, तारा भौतिकविद, जिसके अनुसार से लगभग बारह से चौदह अरब वर्ष पूर्व संपूर्ण ब्रह्मांड एक परमाण्विक इकाई के रूप में था।।बीबीसी हिन्दी।। बीबीसी संवाददाता, लंदन:ममता गुप्ता और महबूब ख़ान उस समय मानवीय समय और स्थान जैसी कोई अवधारणा अस्तित्व में नहीं थी।।हिन्दुस्तान लाइव।।२७ अक्टूबर, २००९ महाविस्फोट सिद्धांत के अनुसार लगभग १३.७ अरब वर्ष पूर्व इस धमाके में अत्यधिक ऊर्जा का उत्सजर्न हुआ। यह ऊर्जा इतनी अधिक थी जिसके प्रभाव से आज तक ब्रह्मांड फैलता ही जा रहा है। सारी भौतिक मान्यताएं इस एक ही घटना से परिभाषित होती हैं जिसे महाविस्फोट सिद्धांत कहा जाता है। महाविस्फोट नामक इस महाविस्फोट के धमाके के मात्र १.४३ सेकेंड अंतराल के बाद समय, अंतरिक्ष की वर्तमान मान्यताएं अस्तित्व में आ चुकी थीं। भौतिकी के नियम लागू होने लग गये थे। १.३४वें सेकेंड में ब्रह्मांड १०३० गुणा फैल चुका था और क्वार्क, लैप्टान और फोटोन का गर्म द्रव्य बन चुका था। १.४ सेकेंड पर क्वार्क मिलकर प्रोटॉन और न्यूट्रॉन बनाने लगे और ब्रह्मांड अब कुछ ठंडा हो चुका था। हाइड्रोजन, हीलियम आदि के अस्तित्त्व का आरंभ होने लगा था और अन्य भौतिक तत्व बनने लगे थे। महाविस्फोट सिद्धान्त के आरंभ का इतिहास आधुनिक भौतिकी में जॉर्ज लिमेत्री ने लिखा हुआ है। लिमेत्री एक रोमन कैथोलिक पादरी थे और साथ ही वैज्ञानिक भी। उनका यह सिद्धान्त अल्बर्ट आइंसटीन के प्रसिद्ध सामान्य सापेक्षवाद के सिद्धांत पर आधारित था। महाविस्फोट सिद्धांत दो मुख्य धारणाओं पर आधारित होता है। पहला भौतिक नियम और दूसरा ब्रह्माण्डीय सिद्धांत। ब्रह्माण्डीय सिद्वांत के मुताबिक ब्रह्मांड सजातीय और समदैशिक (आइसोट्रॉपिक) होता है। १९६४ में ब्रिटिश वैज्ञानिक पीटर हिग्गस ने महाविस्फोट के बाद एक सेकेंड के अरबें भाग में ब्रह्मांड के द्रव्यों को मिलने वाले भार का सिद्धांत प्रतिपादित किया था, जो भारतीय वैज्ञानिक सत्येन्द्र नाथ बोस के बोसोन सिद्धांत पर ही आधारित था। इसे बाद में 'हिग्गस-बोसोन' के नाम से जाना गया। इस सिद्धांत ने जहां ब्रह्मांड की उत्पत्ति के रहस्यों पर से पर्दा उठाया, वहीं उसके स्वरूप को परिभाषित करने में भी मदद की।। दैट्स हिन्दी॥।१० सितंबर, २००८। इंडो-एशियन न्यूज सर्विस। .

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ब्रायन जोसेफसन

ब्रायन जोसेफसन अमेरिका के प्रसिद्द वैज्ञानिक हैं 1973 में इन्हें भौतिक विज्ञान में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। श्रेणी:वैज्ञानिक श्रेणी:नोबेल पुरस्कार विजेता.

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भारत में अन्धविश्वास

अंधविश्वासों के प्रथाओं हानिरहित हो सकते है, जैसे कि बुरी नजर दूर रखने वाली नींबुऔर मिर्च। मगर वे जल की तरह गंभीर भी हो सकते है। अंधविश्वासों को अच्छे तथा बुरे अंधविश्वासों में बांटा जा सकता है। .

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भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी

भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (अंग्रेज़ी:इण्डियन नेशनल साइंस अकादमी (आई.एन.एस.ए)), नई दिल्ली स्थित भारतीय वैज्ञानिकों की सर्वोच्च संस्था है, जो विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की सभी शाखाओं का प्रतिनिधित्व करती है। इसका उद्देश्य भारत में विज्ञान व उसके प्रयोग को बढ़ावा देना है। इसके मूल रूप की स्थापना १९३५ में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंसेज़ ऑफ इण्डिया नाम से हुई थी, जिसे बाद में १९७० में वर्तमान स्वरूप दिया गया है। भारत सरकार ने इसे १९४५ में भारत में विज्ञान की सभी शाखाओं का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था के रूप में दी थी। १९६८ में इसे भारत सरकार की ओर से अन्तर्राष्ट्रीय विज्ञान परिषद में भेजा गया था। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है। .

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भारतीय वैज्ञानिकों की सूची

कोई विवरण नहीं।

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भौतिक विज्ञानी

अल्बर्ट आइंस्टीन, जिन्होने सामान्य आपेक्षिकता का सिद्धान्त दिया भौतिक विज्ञानी अथवा भौतिक शास्त्री अथवा भौतिकीविद् वो वैज्ञानिक कहलाते हैं जो अपना शोध कार्य भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में करते हैं। उप-परवमाणविक कणों (कण भौतिकी) से लेकर सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड तक सभी परिघटनाओं का अध्ययन करने वाले लोग इस श्रेणी में माने जाते हैं। .

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भूवैज्ञानिक

भूवैज्ञानिक एक प्रकार के विज्ञान में अध्ययनरत व्यक्ति हैं जो पृथ्वी की चट्टानों और आतंरिक संरचना के विविध पहलुओं का अध्ययन करते हैं। संक्षेप में ये वे लोग हैं जो भूविज्ञान का अध्ययन करते हैं। .

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मशीन गन

एक अमेरिकी एम२-१ मशीन गन मशीन गन एक ऐसी बन्दूक है जो की स्वचालित रूप से एक के बाद कई गोलिया कई सो प्रति मिनट की रफ़्तार से एक साथ दाग सकती है। इन्हें मूल रूप से सब मशीन गन भी कहा जाता है। यह या तो किसी स्टैंड के उप्पर लगाके के व उस के सहयोग से प्रयोग में ली जाती है या इनके हलके प्रकार सीधे हाथ में लेकर प्रयोग में लिए जाते है। इसके लगातार गोली चलाने के दो तरीके है। कुछ मशीन गन सीधे पिस्टन का प्रयोग करती है व आजकल ज्यादातर गैस से स्वचालित पिस्टन का.

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मानव लिंग का आकार

एक प्रसिद्ध ब्रिटिश वैज्ञानिक रिचर्ड लिन ने मानव (पुरुष) के लिंग के आकार पर एक शोधपत्र प्रकाशित किया। इस शोध में 113 देशों के पुरुषों के प्राइवेट पार्ट के साइज का विश्लेषण किया गया है। इस आधार पर देशों की एक लिस्‍ट भी बनाई गई है। इस लिस्‍ट में भारत 110वें स्थान पर है। लिस्‍ट में 7.1 इंच के औसत 'साइज' के साथ कांगो सबसे ऊपर है। कोरिया और कंबोडिया (3.9 इंच) सबसे नीचे हैं। भारत इन्‍हीं दो देशों से ऊपर है। भारतीय पुरुषों का 'औसत साइज' 4 इंच बताया गया है। लेकिन इस पर सवाल उठ रहे हैं। साल 2006 में भारत में कंडोम का साइज तय करने के लिए किए गए 'साइज सर्वे' की रिपोर्ट आई थी। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) द्वारा कराए गए सर्वे 'स्डटी ऑन प्रापर लेंथ एंड ब्रेड्थ स्पेसिफिकेसंस फॉर कंडोम बेस्ड एंथ्रोपोमेट्रिक मेजरमेंट' के बाद यह नतीजा निकला था कि भारतीय बाजार में मिलने वाले कंडोम पुरुषों के लिंग के साइज के अनुपात में बड़े होते हैं। आईसीएमआर के लिए सर्वे करने वाले डॉ॰ शर्मा ने अपनी शोध रिपोर्ट साल 2006 में भारत सरकार को सौंप दी थी। हालांकि इसके बाद कंडोम बनाने वालों के लिए कोई भी दिशा निर्देश जारी नहीं किए गए थे। ड्रग्स एंड कास्मेटिक एक्ट 1940 के अनुच्छेद 'आर' के मुताबिक भारत में कंडोम का साइज कम से कम 6.7 इंच रखना अनिवार्य है। बहरहाल, सर्वे में 1400 पुरुषों का डाटा लिया गया था जिसमें 18-50 आयुवर्ग के पुरुष शामिल थे। इससे पहले साल 2001 तक मुंबई में इकट्ठा किए गए (200 लोगों के) डाटा के मुताबिक 60 प्रतिशत भारतीय पुरुषों के प्राइवेट पार्ट की औसत लंबाई 4.4 से 4.9 इंच के बीच और 30 प्रतिशत की लंबाई 4 से 4.9 इंच बताई गई थी। .

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मारिया गोपर्ट-मेयर

मारिया गोपर्ट-मेयर जर्मनी मूल की अमेरिकी वैज्ञानिक थीं। 1963 में इन्हें भौतिक विज्ञान में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। श्रेणी:वैज्ञानिक श्रेणी:नोबेल पुरस्कार विजेता.

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मार्गा फॉलस्टिच

मार्गा फॉलस्टिच (१६ जून १९१५ - १ फरवरी १९९८) जर्मन काँच रसायनज्ञ थी। उन्होंने ४४ साल तक स्कॉट एजी के लिए काम किया। वे स्कॉट एजी में पहली महिला कार्यकारी थीं। इस दौरान उन्होंने ३०० से अधिक प्रकार के दृश्य (ऑप्टिकल) चश्मों पर काम किया। ४० पेटेंट उनके नाम पंजीकृत थे। .

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माउंट सिन्हा

माउंट सिन्हा (75°4′S 136°9′W) एक पर्वत चोटी है जो अंटार्कटिका महाद्वीप पर स्थित है। यह अंटार्कटिका के मैरी बर्ड लैण्ड क्षेत्र में मैक डोनाल्डस उच्च भूमि के एरिक्सन ब्लफ्स के दक्षिणीपूर्वी छोर पर स्थित है। यह पर्वत चोटी ९९० मी ऊँची है। इसका नाम एक भारतीय-अमेरिकी वैज्ञानिक अखौरी सिन्हा के नाम पर रखा गया है।.

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मिखाइल लोमोनोसोव

मिखाइल वैसेल्यवीच लोमोनोसोव (Mikhail Vasilyevich Lomonosov), (p;(19 नवम्बर 1711-15 अप्रैल 1765), एक रूसी बहुश्रुत, वैज्ञानिक और लेखक थे। उन्होने साहित्य, शिक्षा और विज्ञान में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनकी खोजों में से एक शुक्र का वायुमंडल था। उनके विज्ञान के क्षेत्र प्राकृतिक विज्ञान, रसायनशास्त्र, भौतिकी, खनिज विज्ञान, इतिहास, भाषाशास्त्र, प्रकाशिकी उपकरण एवं अन्य थे। लोमोनोसोव एक कवि थे और उन्होने आधुनिक रूसी साहित्यिक भाषा के गठन को प्रभावित भी किया था। .

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मगिंग

न्यायालयिक विज्ञान में मगिंग हत्या का वह प्रकार है जिसमे गले को पैर, कुहनी, घुटने अथवा शारीर के अन्य कठोर अंग से दबा कर हत्या की जाती है। मगिंग गला घोंट कर मरने का ही अन्य तरीका है जो की अक्सर लोग दूसरे लोगों को हानि पहुचाने के लिए इस्तेमाल करते हैं। मगिंग करते समय कुहनी का सारा का सारा दबाव कुंठली पर होता है। व्यक्ति की मृत्यु की जांच के लिए जब न्यायालयिक वैज्ञानिक विश्लेषण के लिए आते है तो वह गले के आस पास की रगड़न देखकर पता लगाते है की मृत्यु गला घोटने से हुई है या फांसी लगाने से। मगिंग किसी भी व्यक्ति की हत्या के लिए की जाती है, इसमें व्यक्ति कोहनी से पूरा दबाव लगा देता है किसी मनुष्य की हत्या करने के लिए। .

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मंजू शर्मा

मंजू शर्मा (जन्म १३ फरवरी १९४०) एक भारतीय जैव प्रौद्योगिकीविद् है और भारत में कई वैज्ञानिक अनुसंधान और नीति बनाने वाली संस्थाओं के व्यवस्थापक है। वह हाल ही में गांधीनगर, गुजरात में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड रिसर्च के अध्यक्ष और कार्यकारी निदेशक है। वह भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय में सचिव, बायोटेक्नोलॉजी विभाग में थे और और २००७ में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। उन्होंने देश में कई संस्थानों की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसमें नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ प्लांट जीनोम रिसर्च, लखनऊ और मदुरै में बायोमास रिसर्च सेंटर, दिल्ली विश्वविद्यालय में प्लांट आण्विक जीवविज्ञान इकाई और डीएनए फिंगरप्रिंटिंग और डायग्नोस्टिक्स के लिए केंद्र शामिल है। .

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मंगल हो (फ़िल्म)

मंगल हो एक आगामी भारतीय विज्ञान-फाई कॉमेडी फिल्म है। यह प्रीतिश चक्रवर्ती के लेखक के रूप में दूसरी हिन्दी फीचर फिल्म है जिसे उन्होंने ही निर्देशित व निर्मित किया है। इस हिंदी फिल्म में एक अभिनेता के रूप में प्रीतिश चक्रवर्ती की पहली बार अभिनय करेंगे। फिल्म एसेंट प्राइवेट लिमिटेड और अभिनेता अनु कपूर द्वारा निर्मित है। जबकि बहुमुखी संजय मिश्रा एक दुख बंगाली व्यवसायी की भूमिका में है जो इस फ़िल्म में एक सनकी प्रतिभा वैज्ञानिक की भूमिका निभा रहे है। मंगल ग्रह पर प्रचलित भारतीय सभ्यता के बारे में एक पूरा हंसी-दंगा हो जाएगा और यही से कहानी आगे बढ़ती बढ़ती है। एक एनसेंबल कलाकारों के साथ फिल्म वर्तमान में उत्पादन के अंतर्गत है और फिल्मों की 'मंगल हो' श्रृंखला के पहले है। फिल्म के संगीत संगीत लेबल टी-सीरीज़ द्वारा अधिग्रहीत है। .

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मुजफ्फरपुर तकनीकी संस्थान

कोई विवरण नहीं।

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मैरी एलेन वेबर

मैरी एलेन वेबर एक अमेरिकी कार्यकारी, वैज्ञानिक, विमानवाहक, स्पीकर और पूर्व नासा के अंतरिक्ष यात्री हैं। वेबर का जन्म क्लीवलैंड, ओहियो के बेडफोर्ड हाइट्स में हुआ था। उन्होंने १९८० में बेडफ़ोर्ड हाई स्कूल से अपनी विद्यालय की शिक्षा पूरी की; एक बी.एस.

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मैरी तिन्देल

मैरी डगलस तिन्देल (१९ सितम्बर,१९२०-३१ मार्च,२०११) पेरेरिडोलॉजी (फर्न) और पीढ़ी बबूल और ग्लाइसिन में विशेषज्ञता वाले एक ऑस्ट्रेलियाई वनस्पति वैज्ञानिक थे। तिन्देल का जन्म रैंडविक, न्यू साउथ व्हलेस के रहने वाले जॉर्ज हेरोल्ड तिन्देल व ग्रेस मटिल्डा तिन्देल के घर में हुआ था। वह एक अकेली बच्ची थी। वह न्यू यॉर्क के प्रार्थमिक स्कूल में पढ़ी तथा उनके पिता ने यूनाइटेड स्टेट्स में ब्रिटिश राजदूत के रूप में सेवा की है। वह सिडनी, ऑस्ट्रेलिया वापस लौट आई अब्बोत्स्लेइघ में स्कूल की पढाई करने के लिए। तिन्देल ने सिडनी विश्वविद्यालय से वनस्पति विज्ञान में बीएस की डिग्री में ओनोर्स किया और इसी जगह से मास्टर डिग्री भी पूरी की। वह १९४४ में सिडनी के रॉयल बॉटनिकल गार्डन में सहायक वनस्पतिशास्त्री बन गई और बाद में १९४९-१९५१ के रॉयल बॉटनिकल गार्डन में ऑस्ट्रेलिया के वानस्पतिक संपर्क अधिकारी के रूप में कार्य किया। डॉक्टर ऑफ साइंस पूरा करने के बाद, उन्हें एनएसडब्ल्यू पब्लिक वर्क्स के पहले प्रिंसिपल रिसर्च साइंटिस्ट भी नियुक्त किया गया। १९८३ में सिडनी के गार्डन से ३९ साल की सेवा के बाद वह सेवानिवृत्त हुए। २०११ में तिन्देल की मृत्यु हुई। .

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मेरी क्युरी

मेरी क्युरी मैरी स्क्लाडोवका क्यूरी (लघु नाम: मैरी क्यूरी) (७ नवम्बर १८६७ - ४ जुलाई १९३४) विख्यात भौतिकविद और रसायनशास्त्री थी। मेरी ने रेडियम की खोज की थी। विज्ञान की दो शाखाओं (भौतिकी एवं रसायन विज्ञान) में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित होने वाली वह पहली वैज्ञानिक हैं। वैज्ञानिक मां की दोनों बेटियों ने भी नोबल पुरस्कार प्राप्त किया। बडी बेटी आइरीन को १९३५ में रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ तो छोटी बेटी ईव को १९६५ में शांति के लिए नोबेल पुरस्कार मिला। .

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मेल्विन श्वार्ट्ज

मेल्विन श्वार्ट्ज अमेरिका के प्रसिद्द वैज्ञानिक हैं। 1988 में इन्हें भौतिक विज्ञान में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। श्रेणी:वैज्ञानिक श्रेणी:नोबेल पुरस्कार विजेता.

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यास्मीन मोडसीर

डॉ.

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यूरोपीय नाभिकीय अनुसंधान संगठन

सर्न (Organisation Européenne pour la Recherche Nucléaire या CERN (फ़्रान्सीसी में) .

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यूजीन विग्नर

यूजीन विग्नर हंगरी मूल के अमेरिकी वैज्ञानिक थे। 1963 में इन्हें भौतिक विज्ञान में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। श्रेणी:वैज्ञानिक श्रेणी:नोबेल पुरस्कार विजेता.

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येल्लप्रगड सुब्बाराव

येल्लप्रगड सुब्बाराव (యెల్లప్రగడ సుబ్బారావు) (12 जनवरी 1895–9 अगस्त 1948) एक भारतीय वैज्ञानिक थे जिन्होंने कैंसर के उपचार में महत्वपूर्ण योगदान दिया। अपने कैरियर का अधिकतर भाग इन्होने अमेरिका में बिताया था लेकिन इसके बावजूद भी ये वहाँ एक विदेशी ही बने रहे और ग्रीन कार्ड नहीं लिया, हालांकि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका के कुछ सबसे महत्वपूर्ण चिकित्सा अनुसंधानों का इन्होने नेतृत्व किया था। एडीनोसिन ट्राइफॉस्फेट (ए.टी.पी.) के अलगाव के बावजूद इन्हें हार्वर्ड विश्वविद्यालय में प्राध्यापक पद नहीं दिया गया।.

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योशिरो नाकामत्सु

डा योशिरो नाकामत्सु (जन्म: 26 जून 1928) को मानव-इतिहास में जन्मे महान मस्तिष्कसमृद्ध लोगों में शुमार किया जाता है। 3000 से अधिक पेटेंट हासिल करने वाले योशिरो को 36 वर्षों तक निरंतर, किये गये हर भोजन की बाकायदा फोटोग्राफी के साथ हर तथ्य का रिकार्ड रखने के लिए पोषण श्रेणी का इग्नोबल पुरस्कार (Ig Nobel Prize) भी दिया गया। उन्हें अमेरिका की यूएस साइंस एकेडेमिक सोसायटी ने आर्कीमिडीज, माइकल फैराडे, मेरी क्यूरी, निकोल टेसला के बाद विश्व का पांचवा महान वैज्ञानिक घोषित भी किया। .

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रसेल ए हल्से

रसेल ए हल्से अमेरिका के प्रसिद्द वैज्ञानिक हैं। 1993 में इन्हें भौतिक विज्ञान में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। श्रेणी:वैज्ञानिक श्रेणी:नोबेल पुरस्कार विजेता.

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राधेलाल हरदेव रिछारिया

डॉ राधेलाल हरदेव रिछारिया (१९०९ - १९९६) छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक थे। वे केन्द्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, कटक (CRRI) के निदेशक (१९५९ में) भी रहे। वे भारत में धान पर अग्रणी विशेषज्ञों में से एक थे। उन्‍होने अपने कैरियर के दौरान एक चावल की 19,000 प्रजातियाँ एकत्र की थी। उनका अनुमान था कि भारत में चावल की 200,000 प्रजातियाँ होंगी। उन्होने जीवन भर छोटे किसानों को बड़े व्यापारिक कम्पनियों से बचाने एवं उनकी विरासत को बचाने के लिये कार्य किया। .

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रामा गोविंदराजन

राम गोविंदराजन, एक भारतीय वैज्ञानिक है जो द्रव डायनेमिक्स के क्षेत्र में विशेष है। वह पूर्व में इंजीनियरिंग मैकेनिक्स यूनिट जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च में काम कर रहे थे और अब टीआईएफआर हैदराबाद में एक प्रोफेसर है। .

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रामेश्वरम तीर्थ

रामेश्वरम हिंदुओं का एक पवित्र तीर्थ है। यह तमिल नाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित है। यह तीर्थ हिन्दुओं के चार धामों में से एक है। इसके अलावा यहां स्थापित शिवलिंग बारह द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। भारत के उत्तर मे काशी की जो मान्यता है, वही दक्षिण में रामेश्वरम् की है। रामेश्वरम चेन्नई से लगभग सवा चार सौ मील दक्षिण-पूर्व में है। यह हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी से चारों ओर से घिरा हुआ एक सुंदर शंख आकार द्वीप है। बहुत पहले यह द्वीप भारत की मुख्य भूमि के साथ जुड़ा हुआ था, परन्तु बाद में सागर की लहरों ने इस मिलाने वाली कड़ी को काट डाला, जिससे वह चारों ओर पानी से घिरकर टापू बन गया। यहां भगवान राम ने लंका पर चढ़ाई करने से पूर्व एक पत्थरों के सेतु का निर्माण करवाया था, जिसपर चढ़कर वानर सेना लंका पहुंची व वहां विजय पाई। बाद में राम ने विभीषण के अनुरोध पर धनुषकोटि नामक स्थान पर यह सेतु तोड़ दिया था। आज भी इस ३० मील (४८ कि.मी) लंबे आदि-सेतु के अवशेष सागर में दिखाई देते हैं। यहां के मंदिर के तीसरे प्राकार का गलियारा विश्व का सबसे लंबा गलियारा है। .

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राजेन्द्र प्रसाद

राजेन्द्र प्रसाद (3 दिसम्बर 1884 – 28 फरवरी 1963) भारत के प्रथम राष्ट्रपति थे। वे भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से थे जिन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में प्रमुख भूमिका निभाई। उन्होंने भारतीय संविधान के निर्माण में भी अपना योगदान दिया था जिसकी परिणति २६ जनवरी १९५० को भारत के एक गणतंत्र के रूप में हुई थी। राष्ट्रपति होने के अतिरिक्त उन्होंने स्वाधीन भारत में केन्द्रीय मन्त्री के रूप में भी कुछ समय के लिए काम किया था। पूरे देश में अत्यन्त लोकप्रिय होने के कारण उन्हें राजेन्द्र बाबू या देशरत्न कहकर पुकारा जाता था। .

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राजेश्वरी चटर्जी

राजेश्वरी चटर्जी (२४ जनवरी १९२२- ३ सितम्बर २०१०) एक भारतीय वैज्ञानिक और एक शिक्षिका थी। वह कर्नाटक से पहली महिला इंजीनियर थी। भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी), बंगलौर में उसके कार्यकाल के दौरान, चटर्जी एक प्रोफेसर थी और फिर बाद में इलेक्ट्रो-संचार इंजीनियरिंग विभाग के अध्यक्ष थी। .

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राजेंद्र प्रसाद (चिकित्सक)

डॉ० राजेंद्र प्रसाद एक भारतीय चिकित्सक एवं वैज्ञानिक है, चिकित्सा खासकर क्षय रोग के क्षेत्र में उकृष्ट योगदान के लिए जाना जाता है। वर्ष 2016 में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा डॉ बी सी रॉय राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इन्हें उत्तर प्रदेश में श्वसन चिकित्सा का जनक माना जाता है। .

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राकेश के॰ जैन

राकेश के॰ जैन भारतीय मूल के एक अमेरिकी वैज्ञानिक प्रोफेसर हैं। वे हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल में ट्यूमर बायोलॉजी के प्रोफेसर हैं। 19 मई, 2016 को उन्हें अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने ‘नेशनल मेडल ऑफ साइंस’ से सम्मानित किया। यह पुरस्कार प्रतिवर्ष विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं गणित के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान प्रदान करने वाले व्यक्तियों को दिया जाता है। आईआईटी कानपुर के छात्र रहे जैन को ट्यूमर बायोलोजी पर कार्य खासकर रसोली रक्त वाहिकाओं के बीच संबंध तथा कीमाथेरेपी एवं विकिरण उपचार के प्रभावों में सुधार पर अनुसंधान के लिए कई पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। उन्होंने 1972 में आईआईटी कानुपर में केमिकल इंजीनियरिंग में बी टेक की डिग्री ली थी। .

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रेडियो

कुछ पुराने रेडियो (रिसिवर) 24 दिसम्बर 1906 की शाम कनाडाई वैज्ञानिक रेगिनाल्ड फेसेंडेन ने जब अपना वॉयलिन बजाया और अटलांटिक महासागर में तैर रहे तमाम जहाजों के रेडियो ऑपरेटरों ने उस संगीत को अपने रेडियो सेट पर सुना, वह दुनिया में रेडियो प्रसारण की शुरुआत थी। इससे पहले जगदीश चन्द्र बसु ने भारत में तथा गुल्येल्मो मार्कोनी ने सन 1900 में इंग्लैंड से अमरीका बेतार संदेश भेजकर व्यक्तिगत रेडियो संदेश भेजने की शुरुआत कर दी थी, पर एक से अधिक व्यक्तियों को एक साथ संदेश भेजने या ब्रॉडकास्टिंग की शुरुआत 1906 में फेसेंडेन के साथ हुई। ली द फोरेस्ट और चार्ल्स हेरॉल्ड जैसे लोगों ने इसके बाद रेडियो प्रसारण के प्रयोग करने शुरु किए। तब तक रेडियो का प्रयोग सिर्फ नौसेना तक ही सीमित था। 1917 में प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत के बाद किसी भी गैर फौज़ी के लिये रेडियो का प्रयोग निषिद्ध कर दिया गया। .

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रेणु खन्ना चोपड़ा

रेणू खन्ना चोपड़ा एक भारतीय वैज्ञानिक हैं। .

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रोबर्ट ए मिल्लिकन

रोबर्ट ए मिल्लिकन अमेरिका के प्रसिद्द वैज्ञानिक थे। 1923 में इन्हें भौतिक विज्ञान में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। श्रेणी:1868 में जन्मे लोग श्रेणी:नोबेल पुरस्कार विजेता भौतिक विज्ञानी श्रेणी:१९५३ में निधन.

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रोबर्ट कोलमन रिचार्डसन

रोबर्ट कोलमन रिचार्डसन अमेरिका के प्रसिद्द वैज्ञानिक थे। 1996 में इन्हें भौतिक विज्ञान में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। श्रेणी:वैज्ञानिक श्रेणी:नोबेल पुरस्कार विजेता.

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रोबेर्ट बी लाफलिन

रोबेर्ट बी लाफलिन नोबल पुरस्कार विजेता एवं विख्यात वैज्ञानिक हैं। रोबेर्ट बी लाफलिन को भौतिकी में डैनियल सुई और हर्स्ट एल स्टोर्मर साथ " क्वांटम फ्लूइड के आंशिक चार्ज्ड उत्तेजित प्रकार की खोज" के लिए 1998 में नोबेल पुरस्कार मिला। श्रेणी:वैज्ञानिक श्रेणी:नोबेल पुरस्कार विजेता .

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रोजर बेकन

रोजर बेकन इंग्लैंड के प्रसिद्ध वैज्ञानिक और दार्शनिक थे। इन्होंने काँच की सहायता से सूक्ष्मदर्शी यंत्र बनाने की कोशिश की थी। इन्होंने तर्कवाद के आधार पर सत्य और धर्म की विवेचना करने पर जोर दिया। रॉजर बेकन के भूगोल, खगोल, गणित, विज्ञान आदि के क्षेत्र में यगदान को सराहनीय माना जाता है। .

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लास वेगास

लास वेगास; नेवादा का सबसे ज्‍़यादा आबादी वाला शहर है। क्‍लार्क काउंटी का स्थान है और जुआ, खरीदारी तथा शानदार खान-पान के लिए अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर जाना जाने वाला एक प्रमुख रिसोर्ट शहर है। स्‍वयं को दुनिया की मनोरंजन राजधानी के रूप में प्रचारित करने वाला लास वेगास, कसीनो रिसोर्ट्स की बड़ी संख्‍या और उनसे संबंधित मनोरंजन के लिए मशहूर है। अब यहां ज्‍़यादा-से-ज्‍़यादा लोग सेवानिवृत्ति के बाद और अपने परिवारों के साथ बस रहे हैं और यह संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका का 28वां सबसे ज्‍़यादा आबादी वाला शहर बन गया है। संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका के जनगणना ब्‍यूरो के अनुसार 2008 तक की इसकी जनसंख्‍या 558,383 थी। 2008 तक लास वेगास के महानगरीय क्षेत्र की अनुमानित जनसंख्‍या 1,865,746 थी। 1905 में स्‍थापित लास वेगास को 1911 में आधिकारिक रूप से शहर का दर्जा दिया गया। उसके बाद इतनी प्रगति हुई कि 20वीं शताब्‍दी में स्थापित किया गया यह शहर सदी के अंत तक अमेरिका का सबसे ज्‍़यादा आबादी वाला शहर बन गया (19 वीं शताब्‍दी में यह दर्जा शिकागो को हासिल था).

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लिंडा मैक्सिन गॉडविन

लिंडा मैक्सिन गॉडविन एक अमेरिकी वैज्ञानिक और सेवानिवृत्त नासा की अंतरिक्ष यात्री है। उनका जन्म २ जुलाई १९५२ में केप गिररदेउ, मिसौरी में, लेकिन उसका गृहनगर जैक्सन, मिसौरी में था। गॉडविन ने १९८० में नासा से जुड़कर जुलाई १९८६ में एक अंतरिक्ष यात्री बन गई। वह २०१० में सेवानिवृत्त हुए। अपने करियर के दौरान, गॉडविन ने चार अंतरिक्ष उड़ानें पूरी कीं और अंतरिक्ष में ३८ दिनों में लॉग इन किया। गॉडविन जॉनसन स्पेस सेंटर में अन्वेषण के लिए सहायक, फ्लाइट क्रू संचालन निदेशालय के सहायक हैं। सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने मिसौरी विश्वविद्यालय के भौतिकी और खगोल विज्ञान विभाग में प्रोफेसर की स्थिति को स्वीकार कर लिया। गॉडविन अमेरिकन फिजिकल सोसाइटी, नब्बे-निनेस, इंक., एसोसिएशन ऑफ़ स्पेस एक्सप्लोरर्स, एयरक्राफ्ट ओनर्स एंड पायलट एसोसिएशन का सदस्य है।दक्षिण पूर्व मिसौरी स्टेट यूनिवर्सिटी में भौतिकी और गणित में स्नातक अध्ययन पूरा करने के बाद,गॉडविन कोलंबिया, मिसौरी में मिसौरी विश्वविद्यालय में स्नातक स्कूल में भाग लिया। उस समय के दौरान उन्होंने स्नातक भौतिकी प्रयोगशालाओं को पढ़ाया और कई शोध सहायक कंपनियों के प्राप्तकर्ता थे उन्होंने भौतिकी में शोध किया, जिसमें इलेक्ट्रॉन सुरंग में अध्ययन और तरल हीलियम तापमान पर धातु सबस्ट्रेट्स (सतह) पर अवशोषित आणविक प्रजातियों के कंपन मोड शामिल हैं। उनके शोध के परिणाम कई पत्रिकाओं में प्रकाशित किए गए हैं। .

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लेव लाण्डौ

लेव लाण्डौ सोवियत संघ के प्रसिद्द वैज्ञानिक थे। 1962 में इन्हें भौतिक विज्ञान में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। श्रेणी:रूसी वैज्ञानिक श्रेणी:नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक श्रेणी:नोबेल पुरस्कार विजेता भौतिक विज्ञानी.

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लीयो एसाकी

लीयो एसाकी जापान के प्रसिद्द वैज्ञानिक हैं। 1973 में इन्हें भौतिक विज्ञान में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। श्रेणी:वैज्ञानिक श्रेणी:नोबेल पुरस्कार विजेता.

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लीयोन एम लीडरमन

लीयोन मैक्स लीडरमन अमेरिका के प्रसिद्द वैज्ञानिक हैं। 1988 में इन्हें भौतिक विज्ञान में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। श्रेणी:वैज्ञानिक श्रेणी:नोबेल पुरस्कार विजेता.

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लीयों नील कूपर

लीयों नील कूपर अमेरिका के प्रसिद्द वैज्ञानिक हैं। 1972 में इन्हें भौतिक विज्ञान में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। श्रेणी:वैज्ञानिक श्रेणी:नोबेल पुरस्कार विजेता.

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शंकर अबाजी भिसे

डॉ शंकर अबाजी भिसे (२९ अप्रैल १८६७ - ७ अप्रैल १९३५) भारत के एक वैज्ञानिक थे जिन्होने २०० के लगभग आविष्कार किये। उन्होने लगभग ४० आविष्कारों पर पेटेन्ट लिया था। उन्होने भारतीय मुद्रण प्रौद्योगिकी में महत्वपूर्ण योगदान दिया जिससे छपाई की गति पहले की अपेक्षा बहुत बढ़ायी जा सकी। .

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सागा २२०

सागा २२0सागा २२० भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा निर्मित एक महासंगणक है। इसकी क्षमता २२० टेराफ्लॉप है। वर्तमान में यह भारत का सर्वाधिक क्षमतावान महासंगणक है। नई ग्राफिक प्रोसेसिंग यूरिन द्वारा अंतरिक्ष वैज्ञानिक सागा-२२0 का प्रयोग जटिल अंतरिक्ष समस्याओं को सुलझाने में कर रहे हैं। .

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साइंस (पत्रिका)

साइन्स (Science) एक सहकर्मी-समीक्षित शैक्षिक पत्रिका (जर्नल) है। इसे प्रायः 'साइन्स मैग्जीन' कहते हैं। यह 'अमेरिकन एसोसिएशन फॉर ऐडवान्समेन्ट ऑफ़ साइन्स' (एएएएस) का जर्नल है और विश्व के सर्वश्रेष्ठ जर्नलों में से एक है। यह पहली बार १८८० में प्रकाशित हुआ था। वर्तमान में यह साप्ताहिक रूप में परिचालित किया जाता है और उनके पास लगभग १३०,००० प्रिंट ग्राहक हैं। इनकी अनुमानित पाठक संख्या लगभग ५७०,४०० है क्योंकि यह बहुत सारे लोगों तक संस्थागत सदस्यता और ऑनलाइन पहुंच के माध्यम से जाता है। पत्रिका का मुख्य केंद्र महत्वपूर्ण मूल वैज्ञानिक अनुसंधान और अनुसंधान समीक्षा को प्रकाशित करना है, लेकिन विज्ञान, विज्ञान संबंधी समाचार, विज्ञान नीति पर राय और वैज्ञानिकों और अन्य लोगों के लिए रूचि के अन्य पत्रिकाएं भी प्रकाशित करता है जो विज्ञान और प्रौद्योगिकी के व्यापक प्रभाव से संबंधित हैं। अधिकांश वैज्ञानिक पत्रिकाओं के विपरीत, जो एक विशिष्ट क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करते है। इसके अलावा विज्ञान इसके प्रतिद्वंद्वी प्रकृति और वैज्ञानिक विषयों की पूरी श्रृंखला को कवर करती है। जर्नल उद्धरण रिपोर्ट के अनुसार, विज्ञान का २०१५ प्रभाव कारक ३४.६६१ रहा था। हालांकि यह एएएएस का जर्नल है, लेकिन एएएएस में सदस्यता विज्ञान में प्रकाशित करने के लिए आवश्यक नहीं है। पत्रों को दुनिया भर के लेखकों से स्वीकार किया जाता है। विज्ञान में प्रकाशित होने की प्रतिस्पर्धा बहुत कड़ी है, क्योंकि इस पत्रिका के लिए बहुत सारे लेखक अपने लेख भेजते है। इस प्रकार प्रस्तुत लेखों में से सिर्फ ७% से कम लेख ही प्रकाशन के लिए स्वीकार किए जाते हैं। .

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सिन-इतिरो तोमोनागा

सिन-इतिरो तोमोनागा एक विख्यात वैज्ञानिक हैं। जापानी भौतिक विज्ञानी तोमोनागा को क्वांटम विद्युत के विकास में प्रभावशाली योगदान के लिए 1965 का संयुक्त रूप से रिचर्ड फेनमैन और जुलियन श्विंगर के साथ भौतिकी विज्ञान में नोबल पुरस्कार प्रदान किया गया। .

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सिमडेगा

सिमडेगा भारत में झारखंड प्रान्त का एक जिला है। यह राज्य के दक्षिण पश्चिम हिस्से में स्थित है। भौगोलिक रूप से यह उत्तर में गुमला, पूर्व में राँची एवं पश्चिमी सिंहभूम, दक्षिण में उड़ीसा, एवं पश्चिम में छत्तीसगढ से घिरा है। जिले का कुल क्षेत्रफल लगभग 3768.13 वर्ग किमी है। यहाँ की ज्यादातर आबादी, लगभग 71 प्रतिशत अनुसूचित जनजातियों की है जो झारखंड में किसी भी जिले से ज्यादा है। सिमडेगा जिले में दस प्रखंड हैं जिनमें - सिमडेगा, कोलेबिरा, बांसजोर, कुरडेग, केरसई, बोलबा, पाकरटांड, ठेठईटांगर, बानो एवं जलडेगा शामिल हैं। वैसे तो पूरा सिमडेगा जिला ही प्राकृतिक दृष्टि से पर्यटन क्षेत्र की तरह है, क्योंकि यह पूरी तरह से प्राकृति की गोद में बसा है, फिर भी सिमडेगा जिले के प्रमुख स्थल हैं - केलाघाघ डैम, अनजान शाह पीर बाबा, रामरेखा धाम, केतुन्गा धाम। इसके अलवा यहाँ हरीयाली, नदी, डैम, झरने, के लिहाज से पूरा सिमडेगा ही पर्यटन स्थल है। मेहनती किसान, यहाँ के लोग, यहाँ की संस्कृति काफी अलग और सुंदर है। .

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सुभाष काक

सुभाष काक सुभाष काक (जन्म 26 मार्च 1947) प्रमुख भारतीय-अमेरिकी कवि, दार्शनिक और वैज्ञानिक हैं। वे अमेरिका के ओक्लाहोमा प्रान्त में संगणक विज्ञान के प्रोफेसर हैं। उनके कई ग्रन्थ वेद, कला और इतिहास पर भी प्रकाशित हुए हैं। उनका जन्म श्रीनगर, कश्मीर में राम नाथ काक और सरोजिनी काक के यहाँ हुआ। उनकी शिक्षा कश्मीर और दिल्ली में हुई। .

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स्टीवन वैनबर्ग

स्टीवन वैनबर्ग संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रसिद्द वैज्ञानिक हैं। 1979 में इन्हें भौतिक विज्ञान में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। .

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स्नेह सिद्धान्त

स्नेह सिद्धान्त में जॉन बाल्बी ने मनुष्य की विशेष अन्यों से मज़बूत स्नेह बंधन बनाने की प्रवृत्ति को वैचारिक रूप दिया, तथा विरह से उत्पन्न व्यक्तित्व की समस्याओं व संवेगात्मक पीड़ा के साथ-साथ चिंता, गुस्से, उदासी तथा अलगाव की व्याख्या की। बच्चे के जन्म के समय उसके चारों ओर के वातावरण में माँ की अहम् भूमिका है। बच्चे का पहला सम्बन्ध माँ से आरम्भ होता है। स्मिथ कहते हैं कि कुदरत ने इस रिश्ते को मज़बूत बनाया है, तो समाज, धर्म और साहित्य ने माँ और बच्चे के स्नेह को पवित्रता प्रदान की। इस लेख में, समाजशास्त्रियों की मानव समाज में प्रेममूलक सम्बन्धों की दो अवधारणाओं की चर्चा के बाद, स्नेह की वैकल्पिक सोच के संदभ में, लारेन्ज़ के हंस, बतख आदि पक्षियों के चूज़ों, तथा हार्लो के बंदर के बच्चों, पर अध्ययनों का संक्षिप्त वर्णन देकर, बाल्बी के स्नेह सिद्धान्त को रखा गया है। और अंत में स्नेह सिद्धान्त के अन्य क्षेत्रों में बढ़ते दायरे पर नज़र डाली गयी है। .

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स्प्रेडशीट

स्प्रेडशीट एक कंप्यूटर अनुप्रयोग है जो कार्यपत्रक का हिसाब करने वाले एक कागज़ की नकल है। यह कई कक्षों को प्रदर्शित करता है जो एकसाथ मिलकर एक जाल बनाते हैं जिनमें पंक्तियां और स्तंभ शामिल होते हैं, प्रत्येक कक्ष में अल्फ़ान्यूमेरिक पाठ, संख्यात्मक मूल्य, या सूत्र शामिल होते हैं। एक सूत्र यह परिभाषित करता है कि उस कक्ष की अंतर्वस्तु की किसी अन्य कक्ष (या कक्षों के संयोजन) की अंतर्वस्तु से, जब भी कोई कक्ष अद्यतन किया जाता है तो कैसे गणना की जा सकती है। स्प्रेडशीट का इस्तेमाल वित्तीय जानकारी के लिए अक्सर किया जाता है इसका कारण है एक एकल कक्ष में बदले जाने के बाद भी संपूर्ण पत्रक की स्वतः ही पुन: गणना कर लेने की क्षमता.

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स्वयोजित कोलेस्ट्रॉल सिस्प्लैटिन २ आधारित नैनोकण

स्वयोजित कोलेस्ट्रॉल सिस्प्लैटिन २ आधारित नैनोकण (सैकन्स) (self assembling cholesterol cisplatin 2 based nanoparticles/ SACNs) कैंसर रोधी दवा निर्माण की एक तकनीक है। इस प्रणाली के अंतर्गत सिस्प्लैटिन, जो कि कीमोथैरेपी में प्रयोग होता है, को कोलेस्ट्रॉल के साथ जोड़कर नैनोकण के साथ रखा जाता है। इस दवा का प्रमुख उपयोग कैंसर के हानिरहित इलाज में किया जा सकता है। भारत में इस तकनीक का प्रयोग कर आईआईएसईआर, पुणे (IISER, Pune) के वैज्ञानिकों द्वारा हानिरहित कैंसर की दवा का निर्माण किया गया है। इस दवा में प्रयुक्त नैनोकणों की मोटाई बालों की मोटाई से भी ६00 गुणा कम है। .

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स्वर्ग गुफा

स्वर्ग गुफा स्वर्ग गुफा स्वर्ग गुफा वियतनाम में एक गुफा है, DongHoi के 60 किमी उत्तर पश्चिम और हनोई के 450 किमी दक्षिण.

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सूक्ष्मदर्शन

परागकणों का स्कैनिंग इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी द्वारा प्राप्त चित्र सूक्ष्मदर्शिकी या सूक्ष्मदर्शन (अंग्रेज़ी:माइक्रोस्कोपी) विज्ञान की एक शाखा होती है, जिसमें सूक्ष्म व अतिसूक्ष्म जीवों को बड़ा कर देखने में सक्षम होते हैं, जिन्हें साधारण आंखों से देखना संभव नहीं होता है। इसका मुख्य उद्देश्य सूक्ष्मजीव संसार का अध्ययन करना होता है। इसमें प्रकाश के परावर्तन, अपवर्तन, विवर्तन और विद्युतचुम्बकीय विकिरण का प्रयोग होता है। विज्ञान की इस शाखा मुख्य प्रयोग जीव विज्ञान में किया जाता है। विश्व भर में रोगों के नियंत्रण और नई औषधियों की खोज के लिए माइक्रोस्कोपी का सहारा लिया जाता है।|हिन्दुस्तान लाइव। ९ जून २०१० सूक्ष्मदर्शन की तीन प्रचलित शाखाओं में ऑप्टिकल, इलेक्ट्रॉन एवं स्कैनिंग प्रोब सूक्ष्मदर्शन आते हैं। ---- एक स्टीरियो सूक्ष्मदर्शी माइक्रोस्कोपी विषय का आरंभ १७वीं शताब्दी के आरंभ में हुआ माना जाता है। इसी समय जब वैज्ञानिकों और अभियांत्रिकों ने भौतिकी में लेंस की खोज की थी। लेंस के आविष्कार के बाद वस्तुओं को उनके मूल आकार से बड़ा कर देखना संभव हो पाया। इससे पानी में पाए जाने वाले छोटे और अन्य अति सूक्ष्म जंतुओं की गतिविधियों के दर्शन सुलभ हुए और वैज्ञानिकों को उनके बारे में नये तथ्यों का ज्ञान हुआ। इसके बाद ही वैज्ञानिकों को यह भी ज्ञात हुआ कि प्राणी जगत के बारे में अपार संसार उनकी प्रतीक्षा में है व उनका ज्ञान अब तक कितना कम था। माइक्रोस्कोपी की शाखा के रूप में दृष्टि संबंधी सूक्ष्मदर्शन (ऑप्टिकल माइक्रोस्कोपी) का जन्म सबसे पहले माना जाता है। इसे प्रकाश सूक्ष्मदर्शन (लाइट माइक्रोस्कोपी) भी कहा जाता है। जीव-जंतुओं के अंगों को देखने के लिए इसका प्रयोग होता है। प्रकाश सूक्ष्मदर्शी (ऑप्टिकल माइक्रोस्कोप) अपेक्षाकृत महंगे किन्तु बेहतर उपकरण होते हैं। सूक्ष्मदर्शन के क्षेत्र में इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी की खोज अत्यंत महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जाता है क्योंकि इसकी खोज के बाद वस्तुओं को उनके वास्तविक आकार से कई हजार गुना बड़ा करके देखना संभव हुआ था। इसकी खोज बीसवीं शताब्दी में हुई थी। हालांकि इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप अन्य सूक्ष्मदर्शियों से महंगा होता है और प्रयोगशाला में इसका प्रयोग करना छात्रों के लिए संभव नहीं होता, लेकिन इसके परिणाम काफी बेहतर होते हैं। इससे प्राप्त चित्र एकदम स्पष्ट होते हैं। सूक्ष्मदर्शन में एक अन्य तकनीक का प्रयोग होता है, जो इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शन से भी बेहतर मानी जाती है। इसमें हाथ और सलाई के प्रयोग से वस्तु का कई कोणों से परीक्षण होता है। ग्राहम स्टेन ने इसी प्रक्रिया में सबसे पहले जीवाणु को देखा था। .

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हरगोविन्द खुराना

हरगोविंद खुराना (जन्म: ९ जनवरी १९२२ मृत्यु ९ नवंबर २०११) एक नोबेल पुरस्कार से सम्मानित भारतीय वैज्ञानिक थे। हरगोविंद खुराना एक भारतीय अमेरिकी जैव रसायनज्ञ थे। विस्कॉन्सिन विश्वविद्यालय,अमरीका में अनुसन्धान करते हुए, उन्हें १९६८ में मार्शल डब्ल्यू निरेनबर्ग और रॉबर्ट डब्ल्यू होली के साथ फिजियोलॉजी या मेडिसिन के लिए नोबेल पुरस्कार सयुक्त रूप से मिला,उनके द्वारा न्यूक्लिक एसिड में न्यूक्लियोटाइड का क्रम खोजा गया, जिसमें कोशिका के अनुवांशिक कोड होते हैं और प्रोटीन के सेल के संश्लेषण को नियंत्रित करता है । हरगोविंद खुराना और निरेनबर्ग को उसी वर्ष कोलंबिया विश्वविद्यालय से लुइसा ग्रॉस हॉर्वित्ज़ पुरस्कार भी दिया गया था। ब्रिटिश भारत में पैदा हुए, हरगोविंद खुराना ने उत्तरी अमेरिका में तीन विश्वविद्यालयों के संकाय में कार्य किया। वह १९६६ में संयुक्त राज्य अमेरिका के नागरिक बन गए और १९८७ में विज्ञान का राष्ट्रीय पदक प्राप्त किया। .

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हर्स्ट एल स्टोर्मर

हर्स्ट लुडविग स्टोर्मर नोबल पुरस्कार विजेता एवं विख्यात वैज्ञानिक हैं। स्टोर्मर को भौतिकी में डैनियल सुई और रॉबर्ट लाफलिन साथ " क्वांटम फ्लूइड के आंशिक चार्ज्ड उत्तेजित प्रकार की खोज" के लिए १९९८ में नोबेल पुरस्कार मिला। श्रेणी:वैज्ञानिक श्रेणी:नोबेल पुरस्कार विजेता .

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हलायुध

हलायुध या भट्ठ हलायुध (समय लगभग १० वीं० शताब्दी ई०) भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषविद्, गणितज्ञ और वैज्ञानिक थे। उन्होने मृतसंजीवनी नामक ग्रन्थ की रचना की जो पिंगल के छन्दशास्त्र का भाष्य है। इसमें पास्कल त्रिभुज (मेरु प्रस्तार) का स्पष्ट वर्णन मिलता है। हलायुध द्वारा रचित कोश का नाम अभिधानरत्नमाला है, पर यह हलायुधकोश नाम से अधिक प्रसिद्ध है। इसके पाँच कांड (स्वर, भूमि, पाताल, सामान्य और अनेकार्थ) हैं। प्रथम चार पर्यायवाची कांड हैं, पंचम में अनेकार्थक तथा अव्यय शब्द संगृहीत है। इसमें पूर्वकोशकारों के रूप में अमरदत्त, वरुरुचि, भागुरि और वोपालित के नाम उद्धृत है। रूपभेद से लिंग-बोधन की प्रक्रिया अपनाई गई है। ९०० श्लोकों के इस ग्रंथ पर अमरकोश का पर्याप्त प्रभाव जान पड़ता है। कविरहस्य भी इनका रचित है जिसमें 'हलायुध' ने धातुओं के लट्लकार के भिन्न भिन्न रूपों का विशदीकरण भी किया है। .

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हाथियों की बुद्धिमत्ता

मानव, पायलट व्हेल और हाथी का दिमाग पैमाने पर (1)-प्रमस्तिष्क (सेरीब्रम) (1 क)-टेम्पोरल लोब और (2)-सेरिबैलम (अनुमस्तिष्क) हाथी दुनिया की सबसे बुद्धिमान प्रजातियों में से एक हैं। 5 किलोग्राम से अधिक वज़न का हाथी का मस्तिष्क (दिमाग) किसी भी स्थलीय जानवर की तुलना में बड़ा होता है। हालांकि सबसे बड़े आकार की व्हेल के शरीर का वज़न एक प्रारूपिक हाथी की तुलना में 20 गुना अधिक होता है, व्हेल के मस्तिष्क का वज़न एक हाथी के मस्तिष्क की तुलना में दोगुना होता है। सरंचना और जटिलता के आधार पर हाथी का मस्तिष्क मनुष्य के मस्तिष्क से समानता रखता है- जैसे एक हाथी के वल्कुट (cortex) में उतने ही न्यूरोन (तंत्रिका कोशिकाएं) होते हैं, जितने की मानव मस्तिष्क में, जो संसृत विकास (convergent evolution) को दर्शाता है। हाथी कई प्रकार के व्यवहार प्रदर्शित करते हैं, इनमें दुःख, सीखना, मातृत्व, अनुकरण (मिमिक्री या नक़ल करना), कला, खेल, हास्य, परोपकारिता, उपकरणों का उपयोग, करुणा और सहयोग इत्यादि भावनाएं शामिल हैं। इन व्यवहारों में आत्म जागरूकता, स्मृति और संभवतया भाषा भी शामिल हो सकती है। इनमें अत्यधिक बुद्धिमान प्रजातियों के वे सभी गुण पाए जाते हैं जिन्हें केटाशियन और प्राइमेट्स के समतुल्य माना जाता है। हाथियों की उच्च बुद्धिमत्ता और प्रबल पारिवारिक संबंधों के कारण, कुछ शोधकर्ता तर्क देते हैं कि मनुष्यों के लिए उन्हें चुनना नैतिक रूप से गलत है। अरस्तू ने एक बार कहा था कि हाथी "वे जानवर हैं जो मन और बुद्धि की दृष्टि से सभी अन्य जानवरों को पीछे छोड़ देते हैं".

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हैंस क्रिश्चियन ग्रैम

हैंस क्रिश्चियन जोअशिम ग्रैम (१३ सितंबर १८५३ - १४ नवम्बर १९३८) एक डेनिश जीवाणु वैज्ञानिक थे। श्रेणी:डेनमार्क के लोग श्रेणी:वैज्ञानिक श्रेणी:1853 births श्रेणी:1938 deaths श्रेणी:Danish scientists श्रेणी:Danish microbiologists.

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होमो

होमो लगभग २५ लाख वर्ष पहले ध्रुवीय हिमाच्छादन से जब पृथ्वी के बड़े-बड़े भाग बर्फ से ढक गए तो जलवायु तथा वनस्पति की स्थिति में भारी परिवर्तन आए ' जंगल कम हो गए तथा जंगलों में रहने के अभ्यस्त आस्ट्रेलोपिथिक्स के प्रारंभिक स्वरुप लुप्त होते गए तथा उनके स्थान पर उनकी दूसरी प्रजातियों का उद्भव हुआ जिनमें होमो के सबसे पुराने प्रतिनिधि सम्मिलित थे ' .

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होमी जहांगीर भाभा

होमी जहांगीर भाभा (30 अक्टूबर, 1909 - 24 जनवरी, 1966) भारत के एक प्रमुख वैज्ञानिक और स्वप्नदृष्टा थे जिन्होंने भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम की कल्पना की थी। उन्होने मुट्ठी भर वैज्ञानिकों की सहायता से मार्च 1944 में नाभिकीय उर्जा पर अनुसन्धान आरम्भ किया। उन्होंने नाभिकीय विज्ञान में तब कार्य आरम्भ किया जब अविछिन्न शृंखला अभिक्रिया का ज्ञान नहीं के बराबर था और नाभिकीय उर्जा से विद्युत उत्पादन की कल्पना को कोई मानने को तैयार नहीं था। उन्हें 'आर्किटेक्ट ऑफ इंडियन एटॉमिक एनर्जी प्रोग्राम' भी कहा जाता है। भाभा का जन्म मुम्बई के एक सभ्रांत पारसी परिवार में हुआ था। उनकी कीर्ति सारे संसार में फैली। भारत वापस आने पर उन्होंने अपने अनुसंधान को आगे बढ़ाया। भारत को परमाणु शक्ति बनाने के मिशन में प्रथम पग के तौर पर उन्होंने 1945 में मूलभूत विज्ञान में उत्कृष्टता के केंद्र टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआइएफआर) की स्थापना की। डा.

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जटिल तंत्र

जटिल तंत्र (complex system) ऐसा तंत्र (सिस्टम) होता है जो कई अंगों या भागो का बना हुआ हो जो अपनी गतिविधियों में एक-दूसरे को प्रभावित करते हों। ऐसे तंत्रों में पृथ्वी की वैश्विक जलवायु, मानव मस्तिष्क, सामाजिक और आर्थिक संगठन (जैसे कि नगर और देश), किसी स्थान का पारिस्थितिक तंत्र, जीवों की कोशिकाएँ और पूरा ब्रह्माण्ड शामिल हैं। जटिल तंत्रों को वैज्ञानिक रूप से समझना कठिन रहा है क्योंकि इन तंत्रों के विभिन्न भाग आपस में उलझी हुई गतिविधियाँ करते हैं। जटिल तंत्रों में कुछ विशेष गुण और लक्षण दिखते हैं, जैसे कि अरेखीयता (nonlinearity), उदगमन (emergence), स्वप्रसूत व्यवस्था (spontaneous order), पुनर्भरण (feedback loops)। .

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जय सिंह द्वितीय

सवाई जयसिंह या द्वितीय जयसिंह (०३ नवम्बर १६८८ - २१ सितम्बर १७४३) अठारहवीं सदी में भारत में राजस्थान प्रान्त के नगर/राज्य आमेर के कछवाहा वंश के सर्वाधिक प्रतापी शासक थे। सन १७२७ में आमेर से दक्षिण छः मील दूर एक बेहद सुन्दर, सुव्यवस्थित, सुविधापूर्ण और शिल्पशास्त्र के सिद्धांतों के आधार पर आकल्पित नया शहर 'सवाई जयनगर', जयपुर बसाने वाले नगर-नियोजक के बतौर उनकी ख्याति भारतीय-इतिहास में अमर है। काशी, दिल्ली, उज्जैन, मथुरा और जयपुर में, अतुलनीय और अपने समय की सर्वाधिक सटीक गणनाओं के लिए जानी गयी वेधशालाओं के निर्माता, सवाई जयसिह एक नीति-कुशल महाराजा और वीर सेनापति ही नहीं, जाने-माने खगोल वैज्ञानिक और विद्याव्यसनी विद्वान भी थे। उनका संस्कृत, मराठी, तुर्की, फ़ारसी, अरबी, आदि कई भाषाओं पर गंभीर अधिकार था। भारतीय ग्रंथों के अलावा गणित, रेखागणित, खगोल और ज्योतिष में उन्होंने अनेकानेक विदेशी ग्रंथों में वर्णित वैज्ञानिक पद्धतियों का विधिपूर्वक अध्ययन किया था और स्वयं परीक्षण के बाद, कुछ को अपनाया भी था। देश-विदेश से उन्होंने बड़े बड़े विद्वानों और खगोलशास्त्र के विषय-विशेषज्ञों को जयपुर बुलाया, सम्मानित किया और यहाँ सम्मान दे कर बसाया। .

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जल सर्वेक्षण

निजी सर्वेक्षण पोत-नेप्च्यून जल सर्वेक्षण या हाइड्रोग्राफिक सर्वे सागर का वैज्ञानिक मानचित्र होता है, जिसमें सागर की गहराई, उसकी आकृति, उसका तल, उसमें किस दिशा से और कितनी धाराएं बहती हैं, का ज्ञान होता है। इसके साथ ही उसमें आने वाले ज्वारों का समय और परिमाण भी पता लगाया जाता है। झीलों और नदियों का जल सर्वेक्षण केवल उस स्थिति में किया जाता है जब उनमें जहाज चलते हों। इससे अभियांत्रिकी और नौवहन के काम में सहायता मिलती है। जल सर्वेक्षण में पानी की वर्तमान मात्र और रिजर्वायर के के बारे में जानकारी मिलती है। जल सर्वेक्षण सागर की तह में होने वाले दैनिक परिवर्तनों के और इसके अंदर के रहस्यों के ज्ञान हेतु किया जाता है। इस सर्वेक्षण की सहायता से समुद्र में मौजूद खनिजों, धातुओं, गैस आदि के भंडार पता लगाने में मदद मिलती है। साथ-साथ ही समुद्र के भीतर केबल, पाइपलाइन बिछाने, ड्रेजिंग जैसे कार्यो के लिए उसमें लगातार होने वाले परिवर्तनों के बारे में जानकारी करना बेहद आवश्यक हो जाता है। भारत में पहली बार नौसैनिक जल सर्वेक्षण विभाग, जो मैरीन सर्वे ऑफ इंडिया के नियंत्रण में था, की स्थापना १७७० में ईस्ट इंडिया कंपनी ने की थी। १८७४ में कैप्टन डुंडस टेलर ने मेरीन सर्वे ऑफ इंडिया को कोलकाता में स्थापित किया। १९४७ में भारत की स्वतंत्रता उपरान्त इस विभाग को मेरीन सर्वे ऑफ इंडिया के अन्तर्गत्त कर दिया गया। इसके बाद इसे १९५४ में देहरादून में स्थापित किया गया और इसका नाम नौसैनिक जल सर्वेक्षण कार्यालय (नेवल हाइड्रोग्राफिक ऑफिस) कर दिया गया। इसके बाद में १९९६ में इसका नाम नेशनल हाइड्रोग्राफिक ऑफिस कर दिया गया। नेशनल हाइड्रोग्राफिक सर्वे मार्च १९९९ में आईएसओ ९००२ का स्तर प्रदान किया गया। .

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जानकी अम्माल

एडावलेठ कक्कट जानकी अम्माल (Edavaleth Kakkat Janaki Ammal) (१८९७-१९८४) भारत की एक महिला वैज्ञानिक थीं। अम्माल एक ख्यातिनाम वनस्पति और कोशिका वैज्ञानिक थीं जिन्होंने आनुवांशिकी, उद्विकास, वानस्पतिक भूगोल और नृजातीय वानस्पतिकी के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया। पद्म श्री से सम्मानित जानकी अम्माल भारतीय विज्ञान अकादमी की संस्थापक फेलो रहीं हैं। .

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जाविर-इबन

आवूसिना अरब के महान वैज्ञानिक थे। इन्होंने श्वेत-शीसा, एन्टिमनी, आर्सेनिक आदि धातुओं के निष्कासन के पद्धति का आविष्कार किया। श्रेणी:वैज्ञानिक श्रेणी:अरब के वैज्ञानिक श्रेणी:अरब के मनीषी.

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जुलियन श्विंगर

जुलियन श्विंगर जुलियन श्विंगर एक विख्यात वैज्ञानिक थे। अमेरिकी भौतिक विज्ञानी श्विंगर को क्वांटम विद्युत के विकास में प्रभावशाली योगदान के लिए 1965 का संयुक्त रूप से रिचर्ड फेनमैन और सिन-इतिरो तोमोनागा के साथ भौतिकी विज्ञान में नोबल पुरस्कार प्रदान किया गया। .

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ज्ञानचन्द्र घोष

ज्ञानचंद्र घोष (1894 - 1959 ई) भारत के एक अग्रगण्य वैज्ञानिक थे। .

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जैविक कम्प्यूटर

इज़राइल स्थित वेजमान इंस्टीट्यूट ऑफ़ साइंस के वैज्ञानिक इहुड शोप्रियो के नेतृत्व में पहला जैविक कम्प्यूटर तैयार किया गया। .

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जेन गुडाल

डेम जेन मॉरिस गुडाल डेम जेन मॉरिस गुडाल, एक अंग्रेजी प्राइमेटोलोजिस्ट, चरित्रशास्त्री, मनुष्य-शरीर-रचन-शास्त्री, और यू.एन.

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जेम्स फ्रान्क

जेम्स फ्रान्क जर्मनी के प्रसिद्द वैज्ञानिक थे। 1925 में इन्हें भौतिक विज्ञान में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। श्रेणी:वैज्ञानिक श्रेणी:नोबेल पुरस्कार विजेता.

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जेम्स वेब खगोलीय दूरदर्शी

100px जेम्स वेब अंतरिक्ष दूरदर्शी (James Webb Space Telescope (JWST)) एक प्रकार की अवरक्त अंतरिक्ष वेधशाला है। यह हबल अंतरिक्ष दूरदर्शी का वैज्ञानिक उत्तराधिकारी और आधुनिक पीढ़ी का दूरदर्शी है, जिसे जून २०१४ में एरियन ५ राकेट से प्रक्षेपित किया जाएगा। इसका मुख्य कार्य ब्रह्माण्ड के उन सुदूर निकायों का अवलोकन करना है जो पृथ्वी पर स्थित वेधशालाओं और हबल दूरदर्शी के पहुँच के बाहर है। JWST, नासा और यूनाइटेड स्टेट स्पेस एजेंसी की एक परियोजना है जिसे यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA), केनेडियन स्पेस एजेंसी (CSA) और पंद्रह अन्य देशों का अन्तराष्ट्रीय सहयोग प्राप्त है। इसका असली नाम अगली पीढ़ी का अंतरिक्ष दूरदर्शी (Next Generation Space Telescope (NGST)) था, जिसका सन २००२ में नासा के द्वितीय प्रशासक जेम्स एडविन वेब (१९०६-१९९२) के नाम पर दोबारा नामकरण किया गया। जेम्स एडविन वेब ने केनेडी से लेकर ज़ोंनसन प्रशासन काल (१९६१-६८) तक नासा का नेतृत्व किया था। उनकी देखरेख में नासा ने कई महत्वपूर्ण प्रक्षेपण किए, जिसमे जेमिनी कार्यक्रम के अंतर्गत बुध के सारे प्रक्षेपण एवं प्रथम मानव युक्त अपोलो उड़ान शामिल है। JWST की कक्षा पृथ्वी से परे पंद्रह लाख किलोमीटर दूर लग्रांज बिन्दु L2 पर होगी अर्थात पृथ्वी की स्थिति हमेंशा सूर्य और L2 बिंदु के बीच बनी रहेगी। चूँकि L2 बिंदु में स्थित वस्तुएं हमेंशा पृथ्वी की आड़ में सूर्य की परिक्रमा करती है इसलिए JWST को केवल एक विकिरण कवच की जरुरत होगी जो दूरदर्शी और पृथ्वी के बीच लगी होगी। यह विकिरण कवच सूर्य से आने वाली गर्मी और प्रकाश से तथा कुछ मात्रा में पृथ्वी से आने वाली अवरक्त विकिरणों से दूरदर्शी की रक्षा करेगी। L2 बिंदु के आसपास स्थित JWST की कक्षा की त्रिज्या बहुत अधिक (८ लाख कि.मी.) है, जिस कारण पृथ्वी के किसी भी हिस्से की छाया इस पर नहीं पड़ेगी। सूर्य की अपेक्षा पृथ्वी से काफी करीब होने के बावजूद JWST पर कोई ग्रहण नहीं लगेगा। .

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जेरोम इसाक फ्रीडमन

जेरोम इसाक फ्रीडमन अमेरिका के प्रसिद्द वैज्ञानिक हैं। 1990 में इन्हें भौतिक विज्ञान में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। श्रेणी:वैज्ञानिक श्रेणी:नोबेल पुरस्कार विजेता.

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जे॰ जे॰ थॉमसन

जोसेफ़ जॉन थॉमसन (१८ दिसम्बर १८५६ - ३० अगस्त १९४०) अंग्रेज़ भौतिक विज्ञानी थे। वो रॉयल सोसायटी ऑफ़ लंदन के निर्वाचित सदस्य थे। एक विख्यात वैज्ञानिक थे। उन्हौंने इलेक्ट्रॉन की खोज की थी। थॉमसन गैसों में बिजली के चालन पर अपने काम के लिए भौतिकी में 1906 नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किये गए। उनके सात छात्रों में उनके बेटे जॉर्ज पेजेट थॉमसन सहित सभी भौतिक विज्ञान में या तो रसायन शास्त्र में नोबेल पुरस्कार विजेता बने। उनका रिकॉर्ड केवल जर्मन भौतिकशास्त्री अर्नाल्ड सोम्मेरफील्ड के बराबर है। .

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जॉन नेपियर

जॉन नेपियर (John Napier) (१५५०-१६१७) एक स्कॉटिस गणितज्ञ थे। उन्होने संख्याओं से संबंधित कई महत्वपूर्ण खोजे की थी। नेपियर लघुगणक की खोज के कारण बहुत प्रसिध्द थे। लघुगणक ने जटिल गणनाओं को बहुत आसान बना दिया था। कई गणितज्ञ एवं वैज्ञानिक लघुगणक का उपयोग समस्याओ को हल करने और नये सिध्दांत बनाने में करते हैं। श्रेणी:गणितज्ञ श्रेणी:भौतिक विज्ञानी श्रेणी:स्कॉटलैण्ड के लोग.

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जीनोम परियोजना

जीनोमिक्स का चित्रण जीनोम परियोजना वह वैज्ञानिक परियोजना है, जिसका लक्ष्य किसी प्राणी के संपूर्ण जीनोम अनुक्रम का पता करना है। जीन हमारे जीवन की कुंजी है। हम वैसे ही दिखते या करते हैं, जो काफी अंश तक हमारे देह में छिपे सूक्ष्म जीन तय करते हैं। यही नहीं, जीन मानव इतिहास और भविष्य की ओर भी संकेत करते हैं। जीन वैज्ञानिकों का मानना है, कि यदि एक बार मानव जाति के समस्त जीनों की संरचना का पता लग जये, तो मनुष्य की जीन-कुण्डली के आधार पर, उसके जीवन की समस्त जैविक घटनाओं और दैहिक लक्षणों की भविष्यवाणी करना संभव हो जायेगा। यद्यपि यह कोई आसान काम नहीं है, क्योंकि मानव शरीर में हजारों लाखों जीवित कोशिकएं होतीं हैं। जीनों के इस विशाल समूह को जीनोम कहते हैं। आज से लगभग 136 वर्ष पूर्व, बोहेमियन भिक्षुक ग्रेगर जॉन मेंडल ने मटर के दानों पर किये अपने प्रयोगों को प्रकाशित किया था, जिसमें अनुवांशिकी के अध्ययन का एक नया युग आरंभ हुआ था। इन्हीं लेखों से कालांतर में आनुवांशिकी के नियम बनाए गए। उन्होंने इसमें एक नयी अनुवांशिकीय इकाई का नाम जीन रखा, तथा इसके पृथक होने के नियमों का गठन किया। थॉमस हंट मॉर्गन ने १९१० में ड्रोसोफिला (फलमक्खी) के ऊपर शोधकार्य करते हुए, यह सिद्ध किया, कि जीन गुणसूत्र में, एक सीधी पंक्ति में सजे हुए रहते हैं, तथा कौन सा जीन गुणसूत्र में किस जगह पर है, इसका भी पता लगाया जा सकता है। हर्मन मुलर ने १९२६ में खोज की, कि ड्रोसोफिला के जीन में एक्सरे से अनुवांशिकीय परिवर्तन हो जाता है, जिसे उत्परिवर्तन भी कहते हैं। सन १९४४ में यह प्रमाणित हुआ कि प्रोटीन नहीं, वरन डी एन ए ही जीन होता है। सन १९५३ में वॉटसन और क्रिक ने डी एन ए की संरचना का पता लगाया और बतया, कि यह दो तंतुओं से बना हुआ घुमावदार सीढ़ीनुमा, या दोहरी कुंडलिनी के आकार का होता है। .

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वनस्पती वर्गिकरण

कोई विवरण नहीं।

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वान डर वाल्स बल

वान डर वाल्स बल के कारण ही छिपकलियाँ दीवारों तथा छतों से सटकर चल पाती हैं। वान डर वाल्स बल एक क्षीण स्वभाव का असंयोजी रासायनिक बंध है जिसका नाम वैज्ञानिक योहानेस डिडरिक वान डर वाल्स से आता है। वान डर वाल्स बल, संयोजी आबन्ध से नहीं आता, न ही आयनिक आबन्ध से। वान डर वाल्स बल, शून्य-बिन्दु क्षेत्र (zero-point field) के साथ क्वाण्टम अन्तःक्रिया से उत्पन्न होता है। वान डर वाल्स बल, आकर्षण हो सकता है और प्रतिकर्ष भी हो सकता है। वान डर वाल्स बल में निम्नलिखित बल सम्मिलित हैं-.

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विचारधारा

विचारधारा, सामाजिक राजनीतिक दर्शन में राजनीतिक, कानूनी, नैतिक, सौंदर्यात्मक, धार्मिक तथा दार्शनिक विचार चिंतन और सिद्धांत प्रतिपादन की व्यवस्थित प्राविधिक प्रक्रिया है। विचारधारा का सामान्य आशय राजनीतिक सिद्धांत रूप में किसी समाज या समूह में प्रचलित उन विचारों का समुच्चय है जिनके आधार पर वह किसी सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक संगठन विशेष को उचित या अनुचित ठहराता है। विचारधारा के आलोचक बहुधा इसे एक ऐसे विश्वास के विषय के रूप में व्यवहृत करते हैं जिसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं होता। तर्क दिया जाता है कि किसी विचारधारा विशेष के अनुयायी उसे अपने आप में सत्य मानकर उसका अनुसरण करते हैं, उसके सत्यापन की आवश्यकता नहीं समझी जाती। वस्तुतः प्रत्येक विचारधारा के समर्थक उसकी पुष्टि के लिए किंचित सिद्धांत और तर्क अवश्य प्रस्तुत करते हैं और दूसरे के मन में उसके प्रति आस्था और विश्वास पैदा करने का प्रयत्न करते हैं। .

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विनिता बल

  विनीता बल नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी में एक वैज्ञानिक हैं और वे विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत विज्ञान में महिलाओं के लिए प्रधान मंत्री की टास्क फोर्स का सदस्य थी।  .

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वियना सर्कल

वियना सर्कल तार्किक प्रत्यक्षवाद का समर्थन और अनुसरण करने वाले दार्शनिकों और वैज्ञानिकों का एक समूह था जो 1924 से 1936 के बीच वियना विश्वविद्यालय में नियमित रूप से मिलता था। श्रेणी:दार्शनिक श्रेणी:विज्ञान का दर्शन श्रेणी:ऑस्ट्रिया के लोग.

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विलियम ए फोलर

विलियम ए फोलर अमेरिका के प्रसिद्द वैज्ञानिक थे। 1983 में इन्हें भौतिक विज्ञान में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। श्रेणी:वैज्ञानिक श्रेणी:नोबेल पुरस्कार विजेता श्रेणी:1911 में जन्मे लोग.

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विलियम डी फिलिप्स

विलियम डी फिलिप्स अमेरिका के प्रसिद्द वैज्ञानिक हैं। 1997 में इन्हें भौतिक विज्ञान में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। श्रेणी:वैज्ञानिक श्रेणी:नोबेल पुरस्कार विजेता.

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विल्नुस विश्वविद्यालय का पुस्तकालय

श्रेणी:पुस्तकालय विल्नुस विश्वविद्यालय का पुस्तकालय (VUB) - सब से पुराना पुस्तकालय लिथुआनिया में है। वह जेशूइट के द्वारा स्थापित किया गया था। पुस्तकालय विल्नुस विश्वविद्यालय से पुराना है - पुस्तकालय १५७० में और विश्वविद्यालय १५७९ में स्थापित किया गया था। कहने तो लायक है कि अभी तक पुस्तकालय समान निर्माण में रहा है।पहले पुस्तकालय वर्तमान भाषाशास्त्र (फ़िलोलोजी) के वाचनालय में रहा था। आज पुस्तकालय में लगभग ५४ लाख दस्तावेज रखे हैं। ताक़ों की लम्बाई - १६६ किलोमीटर ।अभी पुस्तकालय के २९ हज़ार प्रयोक्ते हैं। १७५३ में यहाँ लिथुआनिया की प्रथम वेधशाला स्थापित की गयी थी। प्रतिवर्ष विल्नुस विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में बहुत पर्यटक आते हैं - न केवल लिथुआनिया से बल्कि भारत, स्पेन, चीन, अमरीका से, वगैरह। विल्नुस विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में प्रसिद्ध व्यक्तित्व भी आते हैं। उदाहरण के लिये - राष्ट्रपति, पोप, दलाई लामा, वगैरह। विल्नुस विश्वविद्यालय के पुस्तकालय का सदर मकान उनिवेर्सितेतो ३ में, राष्ट्रपति भवन के पास स्थापित किया गया है। यहाँ १३ वाचनालय और ३ समूहों के कमरे हैं। दूसरे विल्नुस के स्थानों में अन्य पुस्तकालय के भाग मिलते हैं। .

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विजय कुमार सारस्वत

विजय कुमार सारस्वत भारतीय वैज्ञानिक है। सारस्वत ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन में महाप्रबंधक के रूप में और रक्षा मंत्रालय में वैज्ञानिक सलाहकार के सेवा की और वर्ष 2013 में सेवा निवृत्त हो गए। वर्तमान में नीति आयोग के सदस्य हैं।http://niti.gov.in/team-niti/shri-vk-saraswat .

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विज्ञान पत्रकारिता

विज्ञान पत्रकारिता वह पत्रकारिता है जो वैज्ञानिक विषयों से सम्बन्धित समाचार तथा फीचर आम जनता तक पहुँचाने का कार्य करती है। इस पत्रकारिता में वैज्ञानिकों, पत्रकारों तथा आम जनता के बीच अन्तःक्रिया (interaction) होती है। .

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विक्टर स्कूमिन

विक्टर एंड्रीविच स्कामिन (रूसी: Виктор Андреевич Скумин, आईपीए:, जन्म 30 अगस्त 1948) एक रूसी और सोवियत वैज्ञानिक, मनोचिकित्सक, मनोचिकित्सक और मनोवैज्ञानिक हैं। 1973 में खार्कीिव नेशनल मेडिकल विश्वविद्यालय से स्नातक होने के बाद, 1976 में, वह हृदय संस्थान के कीव संस्थान में एक मनोचिकित्सक बन गया। 1978 में, उन्होंने एक नई बीमारी, स्कूमिन सिंड्रोम का वर्णन किया। उन्होंने हृदय रोगों के मनोवैज्ञानिक पुनर्वास के लिए आशावादी आटोसोजन पर आधारित मनोचिकित्सा और आत्म सुधार की एक विधि की शुरुआत की (1979)। 1980 से 1990 तक, वह खार्किव मेडिकल अकेडमी ऑफ पोस्ट-ग्रेजुएट एजुकेशन में मनोचिकित्सा के प्रोफेसर थे। उनकी वैज्ञानिक गतिविधि का मुख्य परिणाम "दैहिक रोग के तंत्रिकात्मक प्रेत के सिंड्रोम" और "एक पुरानी दैहिक रोग के मानसिक घटकों की अवधारणा" की खोज थी। 1990 से 1994 तक, स्कुमिन ने मनोविज्ञान और अध्यापन के अध्यक्ष द्वारा प्रोफेसर के रूप में पदों की नियुक्ति की, और खार्किव स्टेट एकेडमी ऑफ कल्चर में शारीरिक शिक्षा और स्वास्थ्य जीवन के अध्यक्ष द्वारा प्रोफेसर। 1994 में, वह विश्व संस्कृति संगठन (मास्को) के राष्ट्रपति-संस्थापक के पद के लिए चुने गए थे। 1995 में, स्कुमिन संस्कृति के माध्यम से स्वास्थ्य के लिए पत्रिका का पहला संपादक-मुख्य बन गया। वह एक लोकप्रिय शब्द "स्वास्थ्य की संस्कृति" (1968) की खोज के लिए जाना जाता है मनोचिकित्सा और मनोविज्ञान के अतिरिक्त, स्कुमिन स्वस्थ जीवन शैली, योग और दर्शन पर लिखते हैं। वह लिथिंग एथिक्स, रीरिइखिज़्म, रूसी उपनिवेशवाद, ट्रांसह्यूमनिज्म, और न्यू एज पर सचित्र पुस्तकों और लेखों की सह-लेखक श्रृंखला। उन्होंने कई गाने के लिए उपन्यास और गीतों की पुस्तकें लिखीं। .

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वुल्फगांग केट्टेर्ले

वुल्फगांग केट्टेर्ले जर्मनी के प्रसिद्द वैज्ञानिक हैं। 2001 में इन्हें भौतिक विज्ञान में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। श्रेणी:वैज्ञानिक श्रेणी:नोबेल पुरस्कार विजेता.

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वृत्ति

ऐसे कार्य को व्यवसाय (Profession) कहते हैं जो एक विशेष प्रशिक्षण के बाद शुरू किया जाता है। व्यवसायिक प्रक्षिक्षण लिया हुआ व्यक्ति कुछ पैसा लेकर दूसरों को सलाह अथवा सेवा देता है। इंजीनियरी, वैद्यकी (डॉक्टर), प्रबन्धन, विधि आदि आधुनिक युग के कुछ व्यवसाय हैं। .

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वैज्ञानिक साक्ष्य

वैज्ञानिक साक्ष्य वह सबूत कहलाते है जो कथित घटना को विज्ञानं के साथ जोड़ते हैं। और न्यायालयिक विज्ञान में न्याल्यिक वैज्ञानिको को तथ्यों के बारे में आधारभूत जानकारी रहती है। और न्यायालयिक वैज्ञानिक अपने वैज्ञानिक ज्ञान के आधार पर हमेशा निश्च्यात्क राय देते है। वैज्ञानिक सबूत का आरम्भ हमेशा परिकल्पना से होता है परंतु प्रयोगात्मक परिक्षणों द्वारा यह स्वीकार किए जाते हैं। ऐसे भुत से वैज्ञानिकसाक्ष्य है जिन्हें प्रारम्भ में अविश्वसनीय मन जाता था किन्तु अब वह प्रमाणिक हो चुके है। वैज्ञानिक साक्ष्यों को प्रारम्भ में कमजोर एवम द्वितयिक साक्ष्यों के रूप में लिया जाता था, जिसका कारण उनकी विश्वसनीयता में कमी होने की वजह से था। परन्तु अब विशेषज्ञ न्यायालय एवम सामान्य लोगो को यह समझाने में न्यायालयिक विज्ञान ने वैज्ञानिक साक्ष्यों को सटीक साक्ष्य साबित किया है। न्यायालयिक विज्ञान में हर परिक्षण का परिणाम वैज्ञानिक साक्ष के रूप में दिया जाता है, जो की शतप्रतिशत न्यायालय में माना जाता है। .

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वॉलफ्रेम अल्फा

वॉलफ्रेम अल्फा एक गणकीय ज्ञान (कंम्प्यूटेशनल नॉलेज) सर्च इंजन है। इसका प्रयोग सटीक और संक्षिप्त सूचना प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इसमें गूगल की तरह एक जानकारी की मांग देने पर प्रतिक्रिया स्वरूप ढेरों परिणाम जालपृष्ठ नहीं दिखाई देते बल्कि संक्षिप्त व सटीक जानकारी प्राप्त होती है।। हिन्दुस्तान लाइव। २२ जुलाई २०१०। अभिगमन तिथि:२५ जुलाई २०१० ये आधुनिक समय में अंतरजाल पर जानकारी प्राप्त करने का सरल माध्यम है। अंतरजाल पर किसी विषय से संबंधित जानकारी प्राप्त करने के लिए सामान्त: किसी सर्च इंजन जैसे गूगल या ऐल्टाविस्टा आदि का प्रयोग किया जाता है। इन सर्च इंजनों पर किसी एक विषय से जुड़ी जानकारी ढूढ़ने पर बहुत-सी समान दिखने वाली व उस समय अनावश्यक सूचनाओं का भंडार भी खुल जाता है। ऐसे में कई बार सही जानकारी ढूंढना मुश्किल हो जाता है। इसी समस्या के समाधान रूप में वॉलफ्रेम अल्फा का प्रयोग किया जा सकता है। इस जालस्थल की सबसे बड़ी विशेषता ये है की जब इसके सर्च बार में कोई शब्द अंकित करते हैं तो इसमें उस शब्द के अर्थ को अलग-अलग भागो में बांटा जाता है, जैसे एप्पल टाइप करने पर फ्रूट, कंपनी, सॉफ्टवेयर आदि के विकल्प आते हैं। तब उपरोक्ता को जो भी जानकारी चाहिए उसके विकल्प को चुनने पर वह सामने होती है। अभी तक ये हिन्दी भाषा में उपलब्ध नहीं है, किन्तु अंग्रेज़ी में अच्छा काम करता है। इस नवीन सर्च इंजन का प्रारूप और आकार ब्रिटिश भौतिक वैज्ञानिक प्रोफेसर स्टीफन वॉलफ्रेम ने मार्च २००९ को तैयार किया था। इसको आधिकारिक तौर पर सार्वजनिक रूप से १५ मई २००९ को लॉन्च किया गया। इस कंम्प्यूटेशनल नॉलेज सर्च इंजन को लॉन्च करने से पहले इसकी कार्यक्षमता की जांच की जा चुकी है। वैज्ञानिक एंड इंटरनेट एंटरप्रेन्योर नोव स्पीवेक द्वारा वॉलफ्रेम एल्फा की कार्यदक्षता का हर पहलू से निरीक्षण किया गया। पॉपुलर साइंस द्वारा इसे वर्ष २००९न के लिये सर्वोच्च कंप्यूटर इनोवेशन घोषित किया गया था। वॉलफ्रेम एल्फा साइट पर हर विषय से जुड़ी सही और सटीक जानकारी प्राप्त की जा सकती है। इसके अलावा पाकशास्त्र, सैर-सपाटे, संगीत, व्यापार, भौगोलिक व ऐतिहासिक आंकड़े जैसे विषयों के बारे में भी संक्षिप्त ज्ञान प्राप्त किया ज सकता है। इस जालस्थल में चिट्ठे (ब्लॉग), डाउनलोड, उदाहरण (एग्जैम्पल), समाचार (न्यूज) जैसे विकल्प भी उपलब्ध हैं। वॉलफ्रेम एल्फा में विकिपीडिया की तरह किसी विषय से जुड़ी विस्तृत जानकारी नहीं मिलती, पर उस विषय से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य आंकड़ों के रूप में मिल सकते हैं। इसको विकसित करने वाले डॉ॰ वॉलफ्रेम के अनुसार इसकी एक और विशेषता यह है कि इससे प्राप्त सूचनाओं की गुणवत्ता अधिक होगी। उपयोक्ताओं को उपलब्ध कराने से पहले विशेषज्ञों द्वारा सूचनाओं की जाँच की जाती है। उन्होंने इसके लिए एक हजार लोगों की टीम बनाई गई है। टीम में सभी क्षेत्रों के विशेषज्ञों को शामिल करने का प्रयास किया गया है।। हिन्दी मीडिया.इन। १३ मई २००९ .

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वीणा टंडन

वीणा टंडन एक भारतीय परजीव विज्ञानी,शैक्षिक एवं बायोटेक पार्क,लखनऊ में एक नासी वरिष्ठ वैज्ञानिक है। वह नॉर्थ ईस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी में जूलॉजी की भूतपूर्व प्रोफेसर है एवं पूर्व भारत में पेट के परजीवी से जुड़ी जानकारी का डेटाबेस जुटाने में मुख्य रूप से कार्यरत है।  उन्हें उनके कीड़ा संक्रमण पर शोध के लिए जाना है जोकि भोजन के लिए मुल्यवान जानवरों को प्रभावित करते हैं। वह दो पुस्तकों की लेखिका हैं और परजीवी विज्ञान पर उनके काफी लेख है। भारत सरकार ने विज्ञान में योगदान के लिए उन्हें देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म श्री, से २०१६ में सम्मानित किया। .

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वीणा पर्नाइक

वीणा कृष्णजी पर्नाइक (जन्म १९५३) एक भारतीय कोशिका जीवविज्ञानी हैं और सेल्यूलर और आण्विक जीवविज्ञान के केंद्र में प्रमुख वैज्ञानिक हैं। १९७४ में वीणा परमाणिक ने मुंबई विश्वविद्यालय से एमएससी की डिग्री और ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी से पीएचडी प्राप्त की। उनकी पीएचडी एंजाइम डेक्सट्रॉसोक्रस पर थी। उन्होंने १९७९ में पीएचडी प्राप्त की और फिर १९८० में उन्होंने हैदराबाद में रिसर्च एसोसिएट के रूप में केंद्र में सेल्यूलर और आणविक जीवविज्ञान (सीसीएमबी) के केंद्र में काम करने के लिए भारत लौट आए। डॉ.

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खनिज विज्ञान

खनिज विज्ञान (अंग्रेज़ी:मिनरलॉजी) भूविज्ञान की एक शाखा होती है। इसमें खनिजों के भौतिक और रासायनिक गुणों का अध्ययन किया जाता है। विज्ञान की इस शाखा के अंतर्गत खनिजों के निर्माण, बनावट, वर्गीकरण, उनके पाए जाने के भौगोलिक स्थानों और उनके गुणों को भी शामिल किया गया है। इसके माध्यम से ही खनिजों के प्रयोग और उपयोग का भी अध्ययन इसी में किया जाता है। विज्ञान की अन्य शाखाओं की भांति ही इसकी उत्पत्ति भी कई हजार वर्ष पूर्व हुई थी। वर्तमान खनिज विज्ञान का क्षेत्र, कई दूसरी शाखाओं जैसे, जीव विज्ञान और रासायनिकी तक विस्तृत हो गया है। यूनानी दार्शनिक सुकरात ने सबसे पहले खनिजों की उत्पत्ति और उनके गुणों को सिद्धांत रूप में प्रतुत किया था, हालांकि सुकरात और उनके समकालीन विचारक बाद में गलत सिद्ध हुए लेकिन उस समय के अनुसार उनके सिद्धांत नए और आधुनिक थे। किन्तु ये कहना भी अतिश्योक्ति न होगा कि उनकी अवधारणाओं के कारण ही खनिज विकास की जटिलताओं को सुलझाने में सहयोग मिला, जिस कारण आज उसके आधुनिक रूप से विज्ञान समृद्ध है। १६वीं शताब्दी के बाद जर्मन वैज्ञानिक जॉर्जियस एग्रिकोला के अथक प्रयासों के चलते खनिज विज्ञान ने आधुनिक रूप लेना शुरू किया। .

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गणितज्ञ

लियोनार्ड यूलर को हमेशा से एक प्रसिद्ध गणितज्ञ माना गया है एक गणितज्ञ वह व्यक्ति होता है जिसके अध्ययन और अनुसंधान का प्राथमिक क्षेत्र गणित ही रहता है। .

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गाटफ्रीड लैबनिट्ज़

गाटफ्रीड विलहेल्म लाइबनिज (Gottfried Wilhelm von Leibniz / १ जुलाई १६४६ - १४ नवम्बर १७१६) जर्मनी के दार्शनिक, वैज्ञानिक, गणितज्ञ, राजनयिक, भौतिकविद्, इतिहासकार, राजनेता, विधिकार थे। उनका पूरा नाम 'गोतफ्रीत विल्हेल्म फोन लाइब्नित्स' था। गणित के इतिहास तथा दर्शन के इतिहास में उनका प्रमुख स्थान है। .

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गुस्टाफ हर्ज़

गुस्टाफ लुडविग हर्ज़ जर्मनी के प्रसिद्द वैज्ञानिक थे। 1925 में इन्हें भौतिक विज्ञान में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। श्रेणी:वैज्ञानिक श्रेणी:नोबेल पुरस्कार विजेता.

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ग्रेनाइट

ग्रेनाइट पाषाण का निकट दृश्य ग्रैनाइट (Granite, कणाशम) मणिभीय दानेदार शिला है, जिसके प्रमुख अवयव स्फटिक (quartz) और फेल्स्पार (feldspar) हैं। यह आग्नेय (इग्नेयस) पाषाण है। 'ग्रैनाइट' शब्द का सर्वप्रथम उपयोग प्राचीन इटालियन संग्रहकर्ताओं ने किया था। रोम के शिल्पकार फ्लेमिनियस वेका के एक वर्णन में इसका प्रथम सन्दर्भ मिलता है। ग्रैनाइट पृथ्वी के प्रत्येक में पाया जाता है। भारत में भी यह प्रचुरता से मिलता है। मैसूर, उत्तर आरकट, मद्रास, राजपूताना, सलेम, बुंदेलखंड और सिंहभूमि में पर्याप्त प्राप्त होता है। हिमालय प्रदेशों में भी ग्रैनाइट शिलाएँ विद्यमान हैं। तमिलनाडु के तंजावुर नगर में स्थित वृहदेश्वर मंदिर विश्व का पहला ऐसा मंदिर है जो ग्रेनाइट पत्थर से बनाया गया है। .

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ग्लेडविन जेब

हुबर्ट माईल्स ग्लेडविन जेब, प्रथम बैरन ग्लेडविन, सेंट माइकल और सेंट जॉर्ज के आदेश और रॉयल विक्टोरियन आदेश (GCVO) के आधार पर नामाकरण, जाने जाते हैं ग्लेडविन जेब के नाम से (जन्म: 25 अप्रैल 1900; मृत्यु: 24 अक्टूबर 1996), एक प्रमुख ब्रिटिश प्रशासनिक अधिकारी, राजनयिक और राजनेता के रूप में विश्वसनीय रहते हुये संयुक्त राष्ट्र के अगले प्रथम महासचिव के चुनाव तक कार्यवाहक। .

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आर्किमिडिज़

आर्किमिडिज़ (यूनानी: Ἀρχιμήδης; लगभग २८७ – २१२ ई.पू.) प्राचीन यूनान में रहने वाले गणितज्ञ, भौतिकज्ञ, इंजीनियर, आविष्कारक और खगोलशास्त्री थे। इनके जीवन के बारे में बहुत कुछ मालूम नहीं है, लेकिन इन्हें प्राचीन पाश्चात्य सभ्यता के महानतम वैज्ञानिकों में से एक माना जाता है। भौतिकी को इन्होंने स्थिति-विज्ञान, द्रव्य स्थिति-विज्ञान और लीवर के सिद्धान्त प्रदान किए। इन्होंने कई नई मशीनें भी ईजाद कीं, जिनमें शामिल हैं घेराबंदी तोड़ने के लिए यंत्र और आर्किमिडिज़ पेच। इसके अलावा इन्होंने ऐसी मशीनों की परिकल्पना की जो पानी से जहाजों को उठा सकती थीं और दर्पणों के प्रयोग से नावों पर आग लगा सकती थीं; आधुनिक प्रयोगों से इन मशीनों की वास्तविकता सामने आई है। आर्किमिडिज़ को प्राचीन संसार का महानतम गणितज्ञ माना जाता है और आजतक के महानतम गणितज्ञों में गिना जाता है। इन्होंने शून्यीकरण विधि का प्रयोग करके परवलय की चाप के नीचे का क्षेत्रफल निकाला और पाइ का अत्यंत सटीक परिमाण निकाला। इन्होंने आर्किमिडिज़ कुण्डली, परिक्रमण की सतह का घनफल और बहुत बड़ी संख्याओं को लिखने के नए तरीके निकाले। इनके बारे में प्रसिद्ध है कि स्नान करते हुए इन्हें अकस्माक विचार आया कि सोने में मिलावट कैसे पकड़ी जाए और ये नग्न ही "यूरेका! यूरेका!" (यूनानी: "εὕρηκα! εὕρηκα!," "मिल गया! मिल गया!") चिल्लाते हुए सिराक्यूज़ की सड़कों पर दौड़ने लगे। इनका यह भी कथन प्रसिद्ध है, "मुझे यदि खड़े होने की जगह मिल जाए तो मैं (लीवर की मदद से) पृथ्वी को हिला सकता हूँ।" सिराक्यूज़ की घेराबंदी में एक रोमन सैनिक ने आर्किमिडिज़ को मार डाला, जबकि सेना को आदेश थे कि इन्हें कोई क्षति नहीं पहुँचनी चाहिए। कहा जाता है कि इनके अंतिम शब्द थे, "मेरे वृत्तों को खराब मत करो" (यूनानी: "μή μου τούς κύκλους τάραττε"), जो इन्होंने उस रोमन सैनिक को कहे। सिसरो ने इनके मकबरे का वर्णन करते हुए बताया है कि उसपर एक वेलनाकार और उसके मध्य में समानाकार गेंद बने हुए थे। आर्किमिडीज़ ने प्रमाणित किया था कि गेंद का क्षेत्रफल और घनफल वेलनाकार का दो-तिहाई होता है और ये इसे अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि मानते थे। इनके आविष्कार तो बहुत प्रसिद्ध हुए, लेकिन इनके गणितीय रचनाओं को प्राचीन काल में अधिक महत्त्व नहीं मिला। अलेक्सेंड्रिया के गणितज्ञ इन्हें पढ़ते और उद्धृत भी करते थे, लेकिन इनकी कृतियों को सबसे पहले ५३० ईस्वी के लगभग ही एकत्रित किया जा सका। यह काम मिलेटस के इसीडोर ने किया और फिर छठी शताब्दी ईस्वी में ही यूटोसियस की टीकाओं के माध्यम से सारा संसार आर्किमिडिज़ की कृतियों से अवगत हुआ। इनकी कृतियों की कुछ पाण्डुलिपियाँ मध्ययुग तक बची रहीं और पुनर्जागरण के दौरान कई वैज्ञानिकों और दार्शनिकों की प्रेरणा का स्रोत बनीं। १९०६ में आर्किमिडिज़ पालिम्पसेस्ट के नाम से मिली अन्य कृतियों से पता लगा कि इन्होंने गणितीय फार्मूले कैसे निकाले। .

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आलहिन्द

आलहिन्द अरब के महान प्रकाश वैज्ञानिक थे। श्रेणी:वैज्ञानिक श्रेणी:अरब के वैज्ञानिक श्रेणी:अरब के मनीषी.

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आशिमा आनंद

डॉ.

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इमानुएल काण्ट

इमानुएल कांट (1724-1804) जर्मन वैज्ञानिक, नीतिशास्त्री एवं दार्शनिक थे। उसका वैज्ञानिक मत "कांट-लाप्लास परिकल्पना" (हाइपॉथेसिस) के नाम से विख्यात है। उक्त परिकल्पना के अनुसार संतप्त वाष्पराशि नेबुला से सौरमंडल उत्पन्न हुआ। कांट का नैतिक मत "नैतिक शुद्धता" (मॉरल प्योरिज्म) का सिद्धांत, "कर्तव्य के लिए कर्तव्य" का सिद्धांत अथवा "कठोरतावाद" (रिगॉरिज्म) कहा जाता है। उसका दार्शनिक मत "आलोचनात्मक दर्शन" (क्रिटिकल फ़िलॉसफ़ी) के नाम से प्रसिद्ध है। इमानुएल कांट अपने इस प्रचार से प्रसिद्ध हुये कि मनुष्य को ऐसे कर्म और कथन करने चाहियें जो अगर सभी करें तो वे मनुष्यता के लिये अच्छे हों। .

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इवान गेलिस्ता टाँरीसेली

इवान गेलिस्ता टाँरीसेली इवान गेलिस्ता टाँरीसेली इटली के वैज्ञानिक तथा गैलिलियो के शिष्य थे। इन्होंने बैरोमीटर का आविष्कार किया। श्रेणी:यूरोप के मनीषी.

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कमला कृष्णस्वामी

कमला कृष्णस्वामी पोषण में एक भारतीय वैज्ञानिक हैं। वह नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ न्यूट्रीशन के निदेशक थी। वह भारत के पोषण सोसाइटी की पूर्व राष्ट्रपति भी थी। .

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कम्प्यूटर विज्ञान

कम्प्यूटर विज्ञान संगणन और उसके उपयोग की ओर वैज्ञानिक और व्यवहारिक दृष्टिकोण है। यह जानकारी के पहुँच, सम्प्रेषण, संचय, प्रसंस्करण, प्रतिनिधित्व और अर्जन हेतु उपयोग में लाये जाने वाले व्यवस्थित प्रक्रियाओं (या कलन विधियों) के मशीनीकरण, अभिव्यक्ति, संरचना, और साध्यता का व्यवस्थित अध्ययन है। संगणक विज्ञान एक वैकल्पिक, संक्षिप्त परिभाषा के अनुसार यह मापने योग्य स्वचालित कलन विधियों का अध्ययन है। संगणक वैज्ञानिक संगणन के सिद्धांत और गणना योग्य प्रणालियों की योजना में विशेषज्ञता प्राप्त करते हैं। कंप्यूटर विज्ञान (कम्प्यूटर विज्ञान) के अन्तर्गत सूचना तथा संगणन (computation) के सैद्धान्तिक आधारों अध्ययन किया जाता है और साथ में इन सिद्धान्तों को कंप्यूटर प्रणालियों में व्यवहार में लाने की विधियों का अध्ययन किया जाता है। कंप्यूटर विज्ञान को प्राय: कलन विधियों के विधिवत (systematic) अध्ययन के रूप में देखा जाता है और कंप्यूटर विज्ञान का मूल प्रश्न यही है - कौन सा काम (दक्षतापूर्वक) स्वत: किया जा सकता है? (What can be (efficiently) automated?) .

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कर्म एवं उद्यमों की सूची

कोई विवरण नहीं।

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कल्पना चावला

कल्पना चावला (17 मार्च 1962 - 1 फ़रवरी 2003), एक भारतीय अमरीकी अंतरिक्ष यात्री और अंतरिक्ष शटल मिशन विशेषज्ञ थी और अंतरिक्ष में जाने वाली प्रथम भारतीय महिला थी। वे कोलंबिया अन्तरिक्ष यान आपदा में मारे गए सात यात्री दल सदस्यों में से एक थीं। .

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काशी हिन्दू विश्‍वविद्यालय

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय या बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (आम तौर पर बी.एच.यू.) वाराणसी में स्थित एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय है। इस विश्वविद्यालय की स्थापना (बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय एक्ट, एक्ट क्रमांक १६, सन् १९१५) महामना पंडित मदन मोहन मालवीय द्वारा सन् १९१६ में वसंत पंचमी के पुनीत दिवस पर की गई थी। दस्तावेजों के अनुसार इस विधालय की स्थापना मे मदन मोहन मालवीय जी का योगदान सिर्फ सामान्य संस्थापक सदस्य के रूप मे था,महाराजा दरभंगा रामेश्वर सिंह ने विश्वविद्यालय की स्थापना में आवश्यक संसाधनों की व्यवस्था दान ले कर की ।इस विश्वविद्यालय के मूल में डॉ॰ एनी बेसेन्ट द्वारा स्थापित और संचालित सेन्ट्रल हिन्दू कॉलेज की प्रमुख भूमिका थी। विश्वविद्यालय को "राष्ट्रीय महत्त्व का संस्थान" का दर्ज़ा प्राप्त है। संप्रति इस विश्वविद्यालय के दो परिसर है। मुख्य परिसर (१३०० एकड़) वाराणसी में स्थित है जिसकी भूमि काशी नरेश ने दान की थी। मुख्य परिसर में ६ संस्थान्, १४ संकाय और लगभग १४० विभाग है। विश्वविद्यालय का दूसरा परिसर मिर्जापुर जनपद में बरकछा नामक जगह (२७०० एकड़) पर स्थित है। ७५ छात्रावासों के साथ यह एशिया का सबसे बड़ा रिहायशी विश्वविद्यालय है जिसमे ३०,००० से ज्यादा छात्र अध्यनरत हैं जिनमे लगभग ३४ देशों से आये हुए छात्र भी शामिल हैं। इसके प्रांगण में विश्वनाथ का एक विशाल मंदिर भी है। सर सुंदरलाल चिकित्सालय, गोशाला, प्रेस, बुक-डिपो एवं प्रकाशन, टाउन कमेटी (स्वास्थ्य), पी.डब्ल्यू.डी., स्टेट बैंक की शाखा, पर्वतारोहण केंद्र, एन.सी.सी.

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कृष्णास्वामी कस्तूरीरंगन

कृष्णास्वामी कस्तूरीरंगन राज्यसभा के सांसद एवं प्रसिद्ध भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिक हैं। इन्हें भारत सरकार ने १९९२ में विज्ञान के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया था। ये कर्नाटक से हैं एवं वर्तमान में भारतीय योजना आयोग के सदस्य के रूप में अपनी सेवाएँ दे रहे हैं। .

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अनुराधा टी॰ के॰

अनुराधा टी.के. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में एक भारतीय वैज्ञानिक और परियोजना निदेशक हैं। वह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन में वरिष्ठ महिला वैज्ञानिक हैं, जो १९८२ में अंतरिक्ष एजेंसी में शामिल हो गए थे। वह एक उपग्रह प्रोजेक्ट डायरेक्टर बनने वाली पहली महिला है भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की। .

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अमिता सहगल

अमिता सहगल पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय में पेरेलमैन स्कूल ऑफ मेडिसिन में तंत्रिका विज्ञान विभाग में एक आणविक जीवविज्ञानी और क्रोनबायोलॉजिस्ट है। उन्होंने अपनी बीएससी दिल्ली विश्वविद्यालय और एमएससी जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, से की। उन्होंने १९८३ में कार्नेल विश्वविद्यालय में सेल बायोलॉजी और जेनेटिक्स से पीएचडी की। .

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अरुणा धथाथरेयन

अरुणा धथाथरेयन एक प्रोफेसर और एमेरिटस वैज्ञानिक है सीएसआईआर-केन्द्रीय चमड़ा अनुसंधान संस्थान, चेन्नई, भारत में। उनके काम और अनुसंधान के क्षेत्र है जीवभौतिकी, बायोफिजिकल रसायन और सतह विज्ञान। .

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अली इब्न अबी तालिब

अली इब्ने अबी तालिब (अरबी: علی ابن ابی طالب) का जन्‍म 17 मार्च 600 (13 रजब 24 हिजरी पूर्व) मुसलमानों के तीर्थ स्थल काबा के अन्दर हुआ था। वे पैगम्बर मुहम्मद (स.) के चचाजाद भाई और दामाद थे और उनका चर्चित नाम हज़रत अली है। वे मुसलमानों के खलीफा के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने 656 से 661 तक राशिदून ख़िलाफ़त के चौथे ख़लीफ़ा के रूप में शासन किया, और शिया इस्लाम के अनुसार वे632 to 661 तक पहले इमाम थे। इसके अतिरिक्‍त उन्‍हें पहला मुस्लिम वैज्ञानिक भी माना जाता है। उन्‍होंने वैज्ञानिक जानकारियों को बहुत ही रोचक ढंग से आम आदमी तक पहुँचाया था। .

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अंतरतारकीय अंतरिक्ष उड़ान

अंतरतारकीय अंतरिक्ष उड़ान (interstellar travel) दो भिन्न तारों या ग्रहीय मण्डलों के बीच की अंतरिक्ष उड़ान द्वारा करी गई यात्रा को कहते हैं। फ़िलहाल यह पूरी तरह काल्पनिक ही है। जहाँ सौर मंडल के ग्रहों के बीच की दूरी औसतन केवल ३० खगोलीय इकाईयों के लगभग ही होती है, वहाँ तारों के बीच की दूरी लाखों खगोलीय इकाईयों में गिनी जाती है। इतना अधिक फ़ासला तय करने के लिये या तो किसी अंतरिक्ष यान को प्रकाश की गति के एक बड़े भाग तक का वेग देने की आवश्यकता है या फिर यान को हमारी पृथ्वी से सूरज से अगले सबसे समीपी तारे प्रॉक्सिमा सेन्टॉरी तक भी पहुँचने के लिये दसियों हज़ार वर्ष लगेंगे। यदि यान को किसी तरह प्रकाश की गति का १०% भी गति दी जा सके तो उसे पहुँचने में ४० वर्षों से अधिक लगेंगे। फिर भी अभियान्त्रिक और वैज्ञानिक इस का प्रयास करने के लिये तकनीकों और नये वैज्ञानिक सिद्धांतों की खोज में हैं। .

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अंतरिक्ष शटल

अंतरिक्ष शटल संयुक्त राज्य अमरीका में नासा द्वारा मानव सहित या रहित उपग्रह यातायात प्रणाली को कहा जाता है। यह शटल पुन: प्रयोगनीय यान होता है और इसमें कंप्यूटर डाटा एकत्र करने और संचार के तमाम यंत्र लगे होते हैं।|हिन्दुस्तान लाइव|२७ दिसम्बर २००९ इसमें सवार होकर ही वैज्ञानिक अंतरिक्ष में पहुंचते हैं। अंतरिक्ष यात्रियों के खाने-पीने और यहां तक कि मनोरंजन के साजो-सामान और व्यायाम के उपकरण भी लगे होते हैं। अंतरिक्ष शटल को स्पेस क्राफ्ट भी कहा जाता है, किन्तु ये अंतरिक्ष यान से भिन्न होते हैं। इसे एक रॉकेट के साथ जोड़कर अंतरिक्ष में भेजा जाता है, लेकिन प्रायः यह सामान्य विमानों की तरह धरती पर लौट आता है। इसे अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए कई बार प्रयोग किया जा सकता है, तभी ये पुनःप्रयोगनीय होता है। इसे ले जाने वाले रॉकेट ही अंतरिक्ष यान होते हैं। आरंभिक एयरक्राफ्ट एक बार ही प्रयोग हो पाया करते थे। शटल के ऊपर एक विशेष प्रकार की तापरोधी चादर होती है। यह चादर पृथ्वी की कक्षा में उसे घर्षण से पैदा होने वाली ऊष्मा से बचाती है। इसलिए इस चादर को बचाकर रखा जाता है। यदि यह चादर न हो या किसी कारणवश टूट जाए, तो पूरा यान मिनटों में जलकर खाक हो जाता है। चंद्रमा पर कदम रखने वाले अभियान के अलावा, ग्रहों की जानकारी एकत्र करने के लिए जितने भी स्पेसक्राफ्ट भेजे जाते है, वे रोबोट क्राफ्ट होते है। कंप्यूटर और रोबोट के द्वारा धरती से इनका स्वचालित संचालन होता है। चूंकि इन्हें धरती पर वापस लाना कठिन होता है, इसलिए इनका संचालन स्वचालित रखा जाता है। चंद्रमा के अलावा अभी तक अन्य ग्रहों पर भेजे गये शटल इतने लंबे अंतराल के लिये जाते हैं, कि उनके वापस आने की संभावना बहुत कम या नहीं होती है। इस श्रेणी का शटल वॉयेजर १ एवं वॉयेजर २ रहे हैं। स्पेस शटल डिस्कवरी कई वैज्ञानिकों के साथ अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की मरम्मत करने और अध्ययन के लिए अंतरिक्ष में गया था। .

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उद्धव भराली

उद्धव भराली असम के लखिमपुर जिले के एक विज्ञानी और अभियन्ता है। सन २०१२ के जुलाई महीने के ५ तारीख को भराली को उनके द्वारा आविष्कृत अनार के बीज निकालने वाले यंत्र के लिए नासा द्वारा अयोजित क्रियेट द फ्यूचर डिज़ाइन प्रतियोगिता में दूसरे स्थान के लिये निर्वाचित किया गया। उद्धव के पास ३९ आविष्कारो का पेटेन्ट है। उन्होने लगभग ९८ यन्त्र उद्भावन किए हैं। सन १९८८ में उन्होने कम खर्चे में पोलिथिन निर्मान करने की मशीन बनाई। वे वार्ल्ड तेक्नोलोजी एवार्द के लिए भी मनोनित हुए था। .

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