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7 संबंधों: डॅल्टा सॅफ़ॅई तारा, परिध्रुवी तारा, बेटा सॅफ़ॅई तारा, सॅफ़ॅई परिवर्ती तारा, खगोलशास्त्र से सम्बन्धित शब्दावली, अयन गति, अल्फ़ा सॅफ़ॅई तारा।
डॅल्टा सॅफ़ॅई तारा
डॅल्टा सॅफ़ॅई, जिसका बायर नाम भी यही (δ Cephei या δ Cep) है, वृषपर्वा तारामंडल में स्थित एक द्वितारा मंडल है जो पृथ्वी से क़रीब ८८७ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है। पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) उसके और पृथ्वी के बीच गैस और धूल की मौजूदगी के कारण ०.२३ कम दिखता है। इसमें ५.३६६३४१ दिनों के काल में चमक ३.४८ से ४.३७ मैग्निट्यूड के बीच बदलती रहती है, यानि यह एक परिवर्ती तारा है। इस तारे के आधार पर परिवर्ती तारों की एक विशेष श्रेणी बनाई गई थी जिसे सॅफ़ॅई परिवर्ती कहा जाता है। .
देखें वृषपर्वा तारामंडल और डॅल्टा सॅफ़ॅई तारा
परिध्रुवी तारा
पृथ्वी के उत्तरी भाग में नज़र आने वाले कुछ परिध्रुवी तारों का आकाश में मार्ग - ध्रुव तारा बीच में है और उसके मार्ग का चक्र बहुत ही छोटा है कैमरे के लेंस को पूरी रात खुला रख के लिया गया चित्र जिसमें बहुत से तारों के मार्ग साफ़ नज़र आ रहे हैं पृथ्वी पर किसी अक्षांश रेखा के लिए परिध्रुवी तारा ऐसे तारे को बोलते हैं जो उस रेखा पर स्थित देखने वाले के लिए कभी भी क्षितिज से नीचे अस्त न हो। यह केवल ऐसे तारों के साथ होता है को खगोलीय गोले के किसी ध्रुव के पास होते हैं। अगर किसी स्थान के लिए कोई तारा परिध्रुवी हो तो वह उस स्थान से हर रात को पूरे रात्रिकाल के लिए नज़र आता है। वास्तव में अगर किसी तरह सुबह के समय सूरज की रोशनी को रोका जा सके तो वह तारा सुबह भी नज़र आए (यानि चौबीसों घंटे दृष्टिगत हो)। .
देखें वृषपर्वा तारामंडल और परिध्रुवी तारा
बेटा सॅफ़ॅई तारा
वृषपर्वा (सिफ़ियस) तारामंडल में 'β' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है बेटा सॅफ़ॅई, जिसका बायर नाम भी यही (β Cephei या β Cep) है, वृषपर्वा तारामंडल में स्थित एक तारा है। यह हमसे क़रीब ६९० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) लगभग +३.१४ है, हालांकि यह एक परिवर्ती तारा है जिसकी चमक ऊपर-नीचे होती रहती है। इस तारे के नाम पर परिवर्ती तारों की एक विशेष श्रेणी का नामकरण किया गया है जिसके सददास्यों को बेटा सॅफ़ॅई परिवर्ती तारे बुलाया जाता है। .
देखें वृषपर्वा तारामंडल और बेटा सॅफ़ॅई तारा
सॅफ़ॅई परिवर्ती तारा
सॅफ़ॅई परिवर्ती तारा एक विशेष प्रकार के परिवर्ती तारे को कहा जाता है जिसकी (निरपेक्ष कान्तिमान) चमक बहुत अधिक हो। इन तारो की चमक के तीखेपन और उसमें आने वाले बदलावों के काल में सीधा सम्बन्ध होता है, जिस वजह से इन्हें हमारी गैलेक्सी के लम्बे फ़ासले और गैलेक्सियों के बीच की दूरियों को मापने के लिए मानक समझा जाता है। इस श्रेणी का नाम वृषपर्वा तारामंडल में स्थित डॅल्टा सॅफ़ॅई तारे पर पड़ा है जिसकी पृथ्वी से देखी जाने वाली चमक (सापेक्ष कान्तिमान) ५.३६६३४१ दिनों के काल +३.४८ से +४.३७ मैग्निट्यूड के बीच बदलती रहती है। इस तारे के अध्ययन से सन् १७८४ में यह परिवर्ती ज्ञात हुआ था और अपनी श्रेणी का यह पहला ज्ञात तारा था।de Zeeuw, P.
देखें वृषपर्वा तारामंडल और सॅफ़ॅई परिवर्ती तारा
खगोलशास्त्र से सम्बन्धित शब्दावली
यह पृष्ठ खगोलशास्त्र की शब्दावली है। खगोलशास्त्र वह वैज्ञानिक अध्ययन है जिसका सबंध पृथ्वी के वातावरण के बाहर उत्पन्न होने वाले खगोलीय पिंडों और घटनाओं से होता है। .
देखें वृषपर्वा तारामंडल और खगोलशास्त्र से सम्बन्धित शब्दावली
अयन गति
पृथ्वी घूर्णन करती हुई (गोले के बीच के सफ़ेद तीर) हर दिन एक चक्कर पूरा कर लेती है। लेकिन साथ-साथ पृथ्वी झूमती भी है जिस से उसके अक्ष का रुझाव धीरे-धीरे बदलता रहता है। लगभग २६,००० वर्ष में अक्ष वापास उसी रुझाव पर आ जाता है जहाँ शुरू हुआ था - अगर ध्रुव के ऊपर अक्ष पर एक काल्पनिक बिंदु को देखा जाए तो वह २६ हज़ार साल में ऊपर का वृत्त पूरा कर लेगा काल्पनिक खगोलीय गोले के अन्दर पृथ्वी का अयन चलन - देखा जा सकता है कि उत्तर ध्रुव से निकलती हुई काल्पनिक अक्ष रेखा समय के साथ-साथ भिन्न तारों की तरफ़ जाती है, जिस से हज़ारों सालों के स्तर पर पृथ्वी का ध्रुव तारा बदलता रहता है अयन गति या अयन चलन किसी घूर्णन (रोटेशन) करती खगोलीय वस्तु में गुरुत्वाकर्षक प्रभावों से अक्ष (ऐक्सिस) की ढलान में धीरे-धीरे होने वाले बदलाव को कहा जाता है। अगर किसी लट्टू को चलने के बाद उसकी डंडी को हल्का सा हिला दिया जाए तो घूर्णन करने के साथ-साथ थोड़ा सा झूमने भी लगता है। इस झूमने से उसकी डंडी (जो उसका अक्ष होता है) तेज़ी से घुमते हुए लट्टू के ऊपर दो कोण-जैसा अकार बनाने का भ्रम पैदा कर देती है। लट्टू कभी एक तरफ़ रुझान करके घूमता है और फिर दूसरी तरफ़। उसी तरह पृथ्वी भी सूरज के इर्द-गिर्द अपनी कक्षा (अर्बिट) में परिक्रमा करती हुई अपने अक्ष पर घूमती है लेकिन साथ-साथ इधर-उधर झूमती भी है। लेकिन पृथ्वी का यह झूमना बहुत ही धीमी गति से होता है और किसी एक रुझान से झूमते हुए वापस उस स्थिति में आने में पृथ्वी को २५,७११ वर्ष (यानि लगभग २६ हज़ार वर्ष) लगते हैं। अगर पृथ्वी का अक्ष पृथ्वी के ऊपर काल्पनिक रूप से निकला जाए और अंतरिक्ष से २६,००० वर्षों के काल तक देखा जाए तो कभी वह पहले एक दिशा में दिखेगा फिर धीरे-धीरे पृथ्वी टेढ़ी होती हुई दिखेगी जिस से अक्ष की दिशा बदलेगी और क़रीब २६,००० वर्ष बाद वहीँ पहुँच जाएगी जहाँ से शुरू हुई थी। .
देखें वृषपर्वा तारामंडल और अयन गति
अल्फ़ा सॅफ़ॅई तारा
वृषपर्वा (सिफ़ियस) तारामंडल में 'α' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है अल्फ़ा सॅफ़ॅई, जिसका बायर नाम भी यही (α Cephei या α Cep) है, वृषपर्वा तारामंडल में स्थित एक तारा है जो पृथ्वी से दिखने वाले सबसे रोशन तारों में से एक है। यह हमसे क़रीब ४९ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) लगभग +२.५ है। .