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विश्वास

सूची विश्वास

विश्वास १९६९ में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

सामग्री की तालिका

  1. 12 संबंधों: फलित ज्योतिष, बपतिस्मा, मनहर उधास, मानव कामुकता, रामदेव पीर, रक्त समूह, रक्त के प्रकार, संदेह, जीवन रवैया, गुणवत्ता नियंत्रण, ऑक्सीटॉसिन, अंक विद्या

फलित ज्योतिष

फलित ज्योतिष उस विद्या को कहते हैं जिसमें मनुष्य तथा पृथ्वी पर, ग्रहों और तारों के शुभ तथा अशुभ प्रभावों का अध्ययन किया जाता है। ज्योतिष शब्द का यौगिक अर्थ ग्रह तथा नक्षत्रों से संबंध रखनेवाली विद्या है। इस शब्द से यद्यपि गणित (सिद्धांत) ज्योतिष का भी बोध होता है, तथापि साधारण लोग ज्योतिष विद्या से फलित विद्या का अर्थ ही लेते हैं। ग्रहों तथा तारों के रंग भिन्न-भिन्न प्रकार के दिखलाई पड़ते हैं, अतएव उनसे निकलनेवाली किरणों के भी भिन्न भिन्न प्रभाव हैं। इन्हीं किरणों के प्रभाव का भारत, बैबीलोनिया, खल्डिया, यूनान, मिस्र तथा चीन आदि देशों के विद्वानों ने प्राचीन काल से अध्ययन करके ग्रहों तथा तारों का स्वभाव ज्ञात किया। पृथ्वी सौर मंडल का एक ग्रह है। अतएव इसपर तथा इसके निवासियों पर मुख्यतया सूर्य तथा सौर मंडल के ग्रहों और चंद्रमा का ही विशेष प्रभाव पड़ता है। पृथ्वी विशेष कक्षा में चलती है जिसे क्रांतिवृत्त कहते हैं। पृथ्वी फलित ज्योतिष उस विद्या को कहते हैं जिसमें मनुष्य तथा पृथ्वी पर, ग्रहों और तारों के शुभ तथा अशुभ प्रभावों का अध्ययन किया जाता है। ज्योतिष शब्द का यौगिक अर्थ ग्रह तथा नक्षत्रों से संबंध रखनेवाली विद्या है। इस शब्द से यद्यपि गणित (सिद्धांत) ज्योतिष का निवासियों को सूर्य इसी में चलता दिखलाई पड़ता है। इस कक्षा के इर्द गिर्द कुछ तारामंडल हैं, जिन्हें राशियाँ कहते हैं। इनकी संख्या है। मेष राशि का प्रारंभ विषुवत् तथा क्रांतिवृत्त के संपातबिंदु से होता है। अयन की गति के कारण यह बिंदु स्थिर नहीं है। पाश्चात्य ज्योतिष में विषुवत् तथा क्रातिवृत्त के वर्तमान संपात को आरंभबिंदु मानकर, 30-30 अंश की 12 राशियों की कल्पना की जाती है। भारतीय ज्योतिष में सूर्यसिद्धांत आदि ग्रंथों से आनेवाले संपात बिंदु ही मेष आदि की गणना की जाती है। इस प्रकार पाश्चात्य गणनाप्रणाली तथा भारतीय गणनाप्रणाली में लगभग 23 अंशों का अंतर पड़ जाता है। भारतीय प्रणाली निरयण प्रणाली है। फलित के विद्वानों का मत है कि इससे फलित में अंतर नहीं पड़ता, क्योंकि इस विद्या के लिये विभिन्न देशों के विद्वानों ने ग्रहों तथा तारों के प्रभावों का अध्ययन अपनी अपनी गणनाप्रणाली से किया है। भारत में 12 राशियों के 27 विभाग किए गए हैं, जिन्हें नक्षत्र कहते हैं। ये हैं अश्विनी, भरणी आदि। फल के विचार के लिये चंद्रमा के नक्षत्र का विशेष उपयोग किया जाता है। .

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बपतिस्मा

ईसाईयत में, बपतिस्मा (ग्रीक शब्द βαπτίζω baptizo से: "डुबोना", "प्रक्षालन करना", अर्थात् "धार्मिक स्नान") जल के प्रयोग के साथ किया जाने वाला एक धार्मिक कृत्य है, जिसके द्वारा किसी व्यक्ति को चर्च की सदस्यता प्रदान की जाती है। स्वयं ईसा मसीह का बपतिस्मा किया गया था। प्रारंभिक ईसाईयों में उम्मीदवार (अथवा "बपतिस्माधारी (Baptizand)") को पूरी तरह या आंशिक रूप से डुबोना बपतिस्मा का सामान्य रूप था। हालांकि बपतिस्मा-दाता जॉन (John the Baptist) द्वारा अपने बपतिस्मा के लिये एक गहरी नदी का प्रयोग निमज्जन का सुझाव दिया गया है, लेकिन ईसाई बपतिस्मा के संबंध में तीसरी शताब्दी और उसके बाद के चित्रात्मक तथा पुरातात्विक प्रमाण यह सूचित करते हैं कि सामान्य रूप से उम्मीदवार को पानी में खड़ा रखा जाता था और उसके शरीर के ऊपरी भाग पर जल छिड़का जाता था। बपतिस्मा के अब प्रयोग किये जाने वाले अन्य सामान्य रूपों में माथे पर तीन बार जल छिड़कना शामिल है। सोलहवीं सदी में हल्द्रिच ज़्विंगली (Huldrych Zwingli) द्वारा इसकी आवश्यकता को नकारे जाने तक बपतिस्मा को मोक्ष-प्राप्ति के लिये कुछ हद तक आवश्यक समझा जाता था। चर्च के प्रारंभिक इतिहास में शहादत को "खून से बपतिस्मा" के रूप में पहचाना जाता था, ताकि जिन शहीदों का बपतिस्मा जल के द्वारा न किया गया हो, उन्हें बचाया जा सके.

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मनहर उधास

अंगूठाकार मनहर उधास भारतीय भजन गायक और पार्श्ववगायक है। वह हिन्दी के अलावा अपनी मातृभाषा गुजराती के लिये भी गाते हैं। वह पंकज उधास और निरमल उधास के बड़े भाई है। 1960 में यांत्रिक इंजीनियरी की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह नौक्ररी की तलाश में मुम्बई गए। सबसे पहले उन्होंने 1969 की फिल्म विश्वास के लिये गीत गाया था। .

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मानव कामुकता

मानव कामुकता वह तरीका है जिससे लोग कामुक रूप से अपने आप को अनुभव और अभिव्यक्त करते हैं। इसमें जैविक, कामुक, शारीरिक, भावनात्मक, सामाजिक या आध्यात्मिक भावनाएँ और व्यवहार शामिल हैं। चूंकि यह व्यापक शब्द है, जो समय के साथ बदला हुआ है, इसकी कोई एक सटीक परिभाषा नहीं है। कामुकता के जैविक और शारीरिक पहलू मानव प्रजनन कार्यों से मुख्य रूप से सम्बन्धित हैं, जिसमें मानव कामुक अनुक्रिया चक्र शामिल है। किसी का यौन अभिविन्यास (सेक्सुअल ओरिएंटेशन) उस व्यक्ति के दूसरे व्यक्ति के लिए यौन रुचि और आकर्षण को प्रभावित कर सकता हैं। कामुकता के शारीरिक और भावनात्मक पहलुओं में व्यक्तियों के बीच बन्धन (बॉण्ड) होता हैं जो गहरी भावनाओं या प्रेम, विश्वास और देखभाल की शारीरिक अभिव्यक्तियों के माध्यम से व्यक्त किया जाता है। सामाजिक पहलुओं को किसी के कामुकता पर मानव समाज के प्रभाव से निपटना पड़ता है, जबकि अध्यात्म का संदर्भ एक व्यक्ति के दूसरे के साथ आध्यात्मिक संबंध से है। कामुकता जीवन के सांस्कृतिक, राजनीतिक, कानूनी, दार्शनिक, नैतिक, नीतिशास्त्रीय और धार्मिक पहलुओं को प्रभावित करती है और उनसे प्रभावित भी होती हैं। यौन गतिविधि में रुचि आमतौर पर बढ़ जाती है जब कोई व्यक्ति यौवनारम्भ (प्यूबर्टी) तक पहुंचता है। किसी व्यक्ति के यौन अभिविन्यास और यौन व्यवहार की उत्पत्ति पर राय भिन्न हैं। कुछ लोग तर्क देते हैं कि कामुकता आनुवांशिकी द्वारा निर्धारित होती है, जबकि दूसरों का मानना है कि यह पर्यावरण द्वारा ढाली जाती है, या ये दोनों कारक व्यक्तिगत यौन अभिविन्यास बनाने के लिए परस्पर क्रिया करते हैं। यह प्रकृति बनाम पोषण विवाद से संबंधित हैं। .

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रामदेव पीर

रामदेव जी राजस्थान के एक लोक देवता हैं। १५वीं शताब्दी के आरम्भ में भारत में लूट खसोट, छुआछूत, हिंदू-मुस्लिम झगडों आदि के कारण स्थितियाँ बड़ी अराजक बनी हुई थीं और भेरव नामक राक्षस का आतंक था। ऐसे विकट समय में पश्चिम राजस्थान के पोकरण नामक प्रसिद्ध नगर के पास रुणिचा नामक स्थान में तंवर वंशीय राजपूत और रुणिचा के शासक अजमाल जी के घर भादो शुक्ल पक्ष दूज के दिन विक्रम सम्वत् 1409 को बाबा रामदेव पीर अवतरित हुए (द्वारकानाथ ने राजा अजमल जी के घर अवतार लिया, जिन्होंने लोक में व्याप्त अत्याचार, वैर-द्वेष, छुआछूत का विरोध कर अछूतोद्धार का सफल आन्दोलन चलाया।जन्म स्थान-ग्राम उण्डू काश्मीर तहशिल शिव जिला बाडमेर राजस्थान .

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रक्त समूह

रक्त प्रकार (या रक्त समूह) भाग में, निर्धारित होता है, ABO रक्त समूह प्रतिजानो से जो लाल रक्त कोशिकाओं में मौजूद होता है। रक्त समूह या रक्त प्रकार, रक्त का एक वर्गीकरण है जो रक्त की लाल रक्त कोशिकाओं की सतह पर पर पाये जाने वाले पदार्थ मे वंशानुगत प्रतिजन की उपस्थिति या अनुपस्थिति पर आधारित होता है। रक्त प्रणाली के अनुसार यह प्रतिजन प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, ग्लाइकोप्रोटीन, या ग्लाइकोलिपिड हो सकते हैं और इनमे से कुछ प्रतिजन अन्य प्रकारों जैसे कि ऊतकों और कोशिकाओं की सतह पर भी उपस्थित हो सकते हैं। अनेक लाल रक्त कोशिका सतह प्रतिजन, जो कि एक ही एलील या बहुत नजदीकी रूप से जुड़े जीन से उत्पन्न हुए हैं, सामूहिक रूप से रक्त समूह प्रणाली की रचना करते हैं। रक्त प्रकार वंशानुगत रूप से प्राप्त होते हैं और माता व पिता दोनों के योगदान का प्रतिनिधित्व करते हैं। अंतरराष्ट्रीय रक्ताधान संस्था(ISBT).

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रक्त के प्रकार

रक्त प्रकार (जो रक्त समूह भी कहलाता है), लाल रक्त कोशिकाओं (RBCs) की सतह पर उपस्थित आनुवंशिक प्रतिजनी पदार्थों की उपस्थिति या अनुपस्थिति पर आधारित रक्त का वर्गीकरण है। ये प्रतिजन रक्त समूह तंत्र के आधार पर प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, ग्लाइकोप्रोटीन, या ग्लाइकोलिपिड होते हैं और कुछ प्रतिजन अन्य प्रकार के ऊतक की कोशिकाओं पर भी मौजूद हो सकते हैं इनमें से अनेक लाल रक्त कोशिकाओं की सतह के प्रतिजन, जो एक एलील (या बहुत नजदीकी से जुड़े हुआ जीन) से व्युत्पन्न होते हैं, सामूहिक रूप से एक रक्त समूह तंत्र बनाते हैं। रक्त के प्रकार वंशागत रूप से प्राप्त होते हैं और माता व पिता दोनों के योगदान का प्रतिनिधित्व करते हैं।अंतर्राष्ट्रीय रक्ताधन सोसाइटी (ISBT) के द्वारा अब कुल 30 मानव रक्त समूह तंत्रों की पहचान की जा चुकी है। बहुत गर्भवती महिलाओं में उपस्थित भ्रूण का रक्त समूह उनके अपने रक्त समूह से अलग होता है और मां भ्रूणीय लाल रक्त कोशिकाओं के विरुद्ध प्रतिरक्षियों का निर्माण कर सकती है। कभी कभी यह मातृ प्रतिरक्षी IgG होते हैं। यह एक छोटा इम्यूनोग्लोब्युलिन है, जो अपरा (प्लासेन्टा) को पार करके भ्रूण में चला जाता है और भ्रूणीय लाल रक्त कोशिकाओं के रक्त विघटन (हीमोलाइसिस) का कारण बन सकता है। जिसके कारण नवजात शिशु को रक्त अपघटन रोग हो जाता है, यहभ्रूणीय रक्ताल्पता की एक बीमारी है जो सौम्य से गंभीर हो सकती है। .

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संदेह

सन्देह (Doubt) मन की उस स्थिति का नाम है जिसमें मन दो या अधिक परस्पर विरोधी प्रतिज्ञप्तियों (propositions) के बीच में झूलता रहे और तय न कर पाये कि इनमें से सत्य क्या है।; उदाहरण.

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जीवन रवैया

कोई व्यक्ति किस चीज़ को परम महत्त्व वाली मानता है, उसका इस बात से संबंध जीवन रवैया कहलाता है। इसमें पूर्व-मान्यताएँ और सिद्धांत जिनके आधार पर ऐसा रवैया बनाया जा सकता है, एक विश्वास प्रणाली, और संभावित रूप से अपने जीवन में उसे लागू करने की वचनबद्धता शामिल होते हैं। .

देखें विश्वास और जीवन रवैया

गुणवत्ता नियंत्रण

इंजीनियरिंग और उत्पादन क्षेत्र में, गुणवत्ता नियंत्रण और गुणवत्ता इंजीनियरिंग का प्रयोग उत्पाद या सेवाएं ग्राहकों की आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु डिज़ाइन तथा उत्पादित की गई हैं या नहीं यह सुनिश्चित करने के लिए सिस्टम को विकसित करने के लिए किया जाता है। गुणवत्ता नियंत्रण इंजीनियरिंग और निर्माण की शाखा है जो ग्राहकों की जरूरतों को पूरा करने या उससे ज्यादा करने के लिए, उत्पाद या सेवाओं के उत्पादन और डिजाईन में विश्वसनीयता और विफलता परीक्षण लेने का कार्य करता है। .

देखें विश्वास और गुणवत्ता नियंत्रण

ऑक्सीटॉसिन

ऑक्सीटॉसिन (जिसे पाइटोसिन, सिन्टोसाइनॉन के रूप में बेचा जाता है), एक स्तनपायी संबंधी हार्मोन है जो मुख्य रूप से मस्तिष्क में तंत्रिका संबंधी प्रेषित्र का कार्य करता है। अल्फा-हाइफोफाइमिन (α-hypophamine) के रूप में भी जाना जाने वाला ऑक्सीटॉसिन को जैव रासायनिक रूप से विन्सेंट डू विग्नेऑड एट ऐल द्वारा 1953 में सर्वप्रथम अनुक्रमित और संश्लेषित किये जाने का श्रेय प्राप्त है। ऑक्सीटॉसिन महिला प्रजनन में अपनी भूमिकाओं के लिए सर्वश्रेष्ठ रूप से जाना जाता है: 1) यह प्रसव काल के दौरान गर्भाशय ग्रीवा और योनी के फैलाव और 2) स्तनाग्र (निपल) की उत्तेजना के बाद प्रचुर मात्रा में स्रावित होता है, जिससे क्रमश: प्रसव और स्तनपान सहज होता है। हाल के अध्ययनों ने कामोन्माद, सामाजिक मान्यता, युग्म संयोजन, चिंता, विश्वास, प्रेम और मातृ व्यवहारों सहित विभिन्न व्यवहारों में ऑक्सीटॉसिन की भूमिका की जांच आरंभ की है। .

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अंक विद्या

अनेक प्रणालियों, परम्पराओं (tradition) या विश्वासों (belief) में अंक विद्या, अंकों और भौतिक वस्तुओं या जीवित वस्तुओं के बीच एक रहस्यवाद (mystical) या गूढ (esoteric) सम्बन्ध है। प्रारंभिक गणितज्ञों जैसे पाइथागोरस के बीच अंक विद्या और अंकों से सम्बंधित शकुन लोकप्रिय थे, परन्तु अब इन्हें गणित का एक भाग नहीं माना जाता और आधुनिक वैज्ञानिकों द्वारा इन्हे छद्म गणित (pseudomathematics) की मान्यता दी जाती है। यह उसी तरह है जैसे ज्योतिष विद्या में से खगोल विद्या और रसविद्या (alchemy) से रसायन शास्त्र का ऐतिहासिक विकास है। आज, अंक विद्या को बहुत बार अदृश्य (occult) के साथ-साथ ज्योतिष विद्या और इसके जैसे शकुन विचारों (divinatory) की कलाओं से जोड़ा जाता है। इस शब्द को उनके लोगों के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है जो कुछ प्रेक्षकों के विचार में, अंक पद्धति पर ज्यादा विश्वास करते हैं, तब भी यदि वे लोग परम्परागत अंक विद्या को व्यव्हार में नहीं लाते। उदाहरण के लिए, उनकी १९९७ की पुस्तक अंक विद्या; या पाइथागोरस ने क्या गढ़ा, गणितज्ञ अंडरवुड डुडले (Underwood Dudley) ने शेयर बाजार (stock market) विश्लेषण के एलिअट के तरंग सिद्धांत (Elliott wave principle) के प्रयोगकर्ताओं की चर्चा करने के लिए इस शब्द का उपयोग किया है। .

देखें विश्वास और अंक विद्या