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विविध भारती

सूची विविध भारती

आकाशवाणी मुख्यालय, नई दिल्ली विविध भारती भारत मे सार्वजनिक क्षेत्र के रेडियो चैनल आकाशवाणी की एक प्रमुख प्रसारण सेवा है। भारत में रेडियो के श्रोताओं के बीच ये सर्वाधिक सुनी जाने वाली और बहुत लोकप्रिय सेवा है। इस पर मुख्यत: हिन्दी फ़िल्मी गीत सुनवाये जाते हैं। इसकी शुरुआत 3 अक्टूबर 1957 को हुई थी। वर्ष 2006-2007, विविध भारती के स्वर्ण जयंती वर्ष के रूप मे भी मनाया। प्रारम्भ मे इसका प्रसारण केवल दो केन्द्रों, बम्बई तथा मद्रास से होता था। बाद मे धीरे धीरे लोकप्रियता के चलते आकाशवाणी के और भी केन्द्र इसका प्रसारण करने लगे। वर्तमान मे अनेकानेक केन्द्र आकाशवाणी की विज्ञापन प्रसारण सेवा के रूप मे अपने श्रोताओं को विविध भारती के कार्यक्रम सुनवाते हैं। यह भारत के असंख्य हिन्दी भाषियों का चहेता रेडियो चैनल वर्षों तक रहा। तब भी जब कि ना तो दूरदर्शन भारत आया था, या आने के बाद भी इतना चहेता नहीं बना था, जितना कि यह चैनल रहा है। अब भी यह चैनल अखिल भारत में प्रसारित होता है। .

सामग्री की तालिका

  1. 10 संबंधों: झुमरी तिलैया, डीडी फ्री डिश, त्रिवेणी कार्यक्रम, बिनाका गीत माला, मुंबई के रेडियो स्टेशनों की सूची, संगीत सरिता, हवा महल (रेडियो कार्यक्रम), हवामहल, इन्दौर, छाया गीत

झुमरी तिलैया

झुमरी तिलैया भारत के पूर्वांचल में स्थित झारखंड प्रांत के कोडरमा जिले का एक छोटा लेकिन मशहूर कस्‍बा है। झुमरी तिलैया को झुमरी तलैया के नाम से भी जाना जाता है। यहां की आबादी करीब 70 हजार है और स्‍थानीय निवासी मूलत: मगही बोलते हैं। झुमरी तलैया कोडरमा जिला मुख्‍यालय से करीब छ: किमी दूर स्थित है। झुमरी तलैया में करीब दो दर्जन स्‍कूल और कॉलेज हैं। इनमें से एक तलैया सैनिक स्‍कूल भी है। दामोदर नदी में आने वाली विनाशकारी बाढ़ को रोकने के लिए बनाए गए तलैया बांध के कारण इसके नाम के साथ तलैया जुड़ा है। इस बांध की ऊंचाई करीब 100 फीट और लंबाई 1200 फीट है। इसका रिजरवायर करीब 36 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ है। काफी हरा-भरा क्षेत्र होने के कारण यह एक अच्‍छे पिकनिक स्‍थल के रूप में भी जाना जाता है। झरना कुंड, तलैया बांध और ध्‍वजाधारी पर्वत सहित यहां कई पर्यटन स्‍थल भी हैं। इसके अलावा राजगिर, नालंदा और हजारीबाग राष्‍ट्रीय पार्क अन्‍य नजदीकी पर्यटन स्‍थल हैं। झुमरी तलैया पहुंचने के लिए नजदीकी रेलवे स्‍टेशन कोडरमा है जो नई दिल्‍ली-कोलकाता रेलमार्ग पर स्थित है। झुमरी तलैया को अक्‍सर एक काल्‍पनिक स्‍थान समझने की भूल कर दी जाती है लेकिन इसकी ख्‍याति की प्रमुख वजह एक जमाने में यहां की अभ्रक खदानों के अलावा यहां के रेडियो प्रेमी श्रोताओं की बड़ी संख्‍या भी है। झुमरी तलैया के रेडियो प्रेमी श्रोता विविध भारती के फरमाइशी कार्यक्रमों में सबसे ज्‍यादा चिट्ठियां लिखने के लिए जाने जाते हैं। .

देखें विविध भारती और झुमरी तिलैया

डीडी फ्री डिश

डीडी फ्री डिश प्रसार भारती के स्वामित्व में निःशुल्क उपग्रह टेलीविजन सेवा प्रदान करने वाली भारत की पहली उपग्रह सेवा है। डीडी फ्री डिश को पहले डीडी डायरेक्ट+ के नाम से भी जाना जाता था। यह सुविधा भारत के सभी राज्यों में उपलब्ध है और इसने ग्रामीण इलाकों में मनोरंजन की एक बाढ़ सी ला दी है, जिससे लोगों में एक नई जिज्ञासा जगी है। .

देखें विविध भारती और डीडी फ्री डिश

त्रिवेणी कार्यक्रम

त्रिवेणी विविध भारती का बहुत पुराना कार्यक्रम नहीं है और न ही नया-नवेला है। छोटे से इस कार्यक्रम की जिसने भी कल्पना की वो वाकई तारीफ़ के काबिल है। यथा नाम तथा गुण है इस कार्यक्रम के। शायद पूरे पन्द्रह मिनट का भी नहीं है यह कार्यक्रम पर है गागर में सागर। वैसे भी विविध भारती की सुबह की सभा में विशुद्ध भारतीय संस्कृति झलकती है। वन्देमातरम के बाद मंगल ध्वनि फिर भक्ति गीत जिसके बाद देश भक्ति गीत फिर पुराने गीत जो जिसके बाद शास्त्रीय संगीत और उसके बाद त्रिवेणी। .

देखें विविध भारती और त्रिवेणी कार्यक्रम

बिनाका गीत माला

अमीन सयानी; बिनाका गीत माला के उद्धोषक जिनके मनमोहक अंदाज़ ने सबको दीवाना बना दिया था बिनाका गीतमाला भारतीय फिल्मी संगीत का सबसे पहला काउंट डाउन (count down) कार्यक्रम था रेडियो पर| 1950 और 1960 के दशक फिल्म, फिल्म संगीत और रेडियो के दशक थे| फिल्म और रेडियो के अलावा कोई और विशेष साधन नहीं था उन दिनों मनोरंजन का| लोकप्रिय फिल्मी गीतों पर आधारित एक कार्यक्रम प्रसारित होता था उन दिनों रेडियो सीलोन से - बिनाका गीतमाला| फिल्मी गीतों से सम्बंधित सबसे लोकप्रिय कार्यक्रम था ये उस समय का| हर बुधवार को रात 8 बजे से 9 बजे तक बिनाका गीतमाला सुनने के लिये लोग रेडियो से चिपक जाया करते थे| मेलोडियस धुनों और मधुर कंठस्वरों का संगम श्रोताओं को पूरे एक घंटे तक भाव विभोर बनाये रखता था। .

देखें विविध भारती और बिनाका गीत माला

मुंबई के रेडियो स्टेशनों की सूची

मुंबई में कुल बारह रेडियो चैनल हैं। इनमें से ८ एफ़ एम प्रसारण चैनल हैं, जिनमें से २ ऑल इंडिया रेडियो के चैनल हैं। शेष तीन स्टेशन ए एम प्रसारण(मीडियम वेव) करते हैं। .

देखें विविध भारती और मुंबई के रेडियो स्टेशनों की सूची

संगीत सरिता

सुबह साढ़े सात बजे प्रसारित होने वाले कार्यक्रम संगीत सरिता के माध्यम से विविध भारती ने अपने तमाम श्रोताओं के भीतर संगीत की समझ कायम करने का प्रयास किया है। संगीत सरिता में आमंत्रित विशेषज्ञ संगीत की बारीकियों को बहुत सरल शब्‍दों में समझाते हैं। मिसालें देते हैं, गायन की बानगी पेश करते हैं और किसी राग पर आधारित फिल्‍मी गीत सुनवाकर श्रोताओं को उस राग से पूरी तरह परिचित करा देते हैं। बरसों बरस से ये विविध भारती के बेहद लोकप्रिय कार्यक्रमों में से एक है। संगीत और फिल्‍म जगत की अनगिनत बड़ी हस्तियां इसमें शामिल हो चुकी हैं। राहुल देव बर्मन, आशा भोसले और गुलज़ार की सहभागिता वाली एक श्रृंखला थी 'मेरी संगीत यात्रा'। जो बेहद लोकप्रिय हुई थी। इसी तरह संगीतकार अनिल बिस्‍वास और उनकी पत्‍नी गायिका मीना कपूर के सहभाग वाली श्रृंखला 'रसिकेशु' को भी लोग बहुत याद करते हैं। एक श्रृंखला इस कार्यक्रम में संगीतकार-द्वय 'शिव-हरि' ने भी की थी। नाम था 'मेरी संगीत यात्रा'। श्रेणी:रेडियो श्रेणी:विविध भारती.

देखें विविध भारती और संगीत सरिता

हवा महल (रेडियो कार्यक्रम)

हवा महल भारत के विविध भारती रेडियो चैनल पर एक लोकप्रीय दैनिक कार्यक्रम है जो हर रात को प्रसारित होता है। इसके प्रत्येक प्रसारण में किसी एक लेखक की कहानी का नाटकीय रूपांतर करके उसे प्रदर्शित किया जाता है। "मोदी के मतवाले राही" जैसे कुछ अन्य रेडियो कार्यक्रमों के साथ-साथ यह उन चंद-एक प्रोग्रैमों में था जिसे ऐसी कम्पनियों के विज्ञापनों के लिए अनुकूल माना जाता था जो देश-भर में अपनी छवि बनाना चाहती थीं। इसपर इश्तेहार देने की इतनी होड़ लगी रहती थी कि कभी-कभी छह मास तक के लिए सारा विज्ञापन समय बिक चुका होता था। .

देखें विविध भारती और हवा महल (रेडियो कार्यक्रम)

हवामहल

हवामहल हवा महल भारतीय राज्य राजस्थान की राजधानी जयपुर में एक राजसी-महल है। इसे सन 1798 में महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने बनवाया था और इसे किसी 'राजमुकुट' की तरह वास्तुकार लाल चंद उस्ता द्वारा डिजाइन किया गया था। इसकी अद्वितीय पांच-मंजिला इमारत जो ऊपर से तो केवल डेढ़ फुट चौड़ी है, बाहर से देखने पर मधुमक्खी के छत्ते के समान दिखाई देती है, जिसमें ९५३ बेहद खूबसूरत और आकर्षक छोटी-छोटी जालीदार खिड़कियाँ हैं, जिन्हें झरोखा कहते हैं। इन खिडकियों को जालीदार बनाने के पीछे मूल भावना यह थी कि बिना किसी की निगाह पड़े "पर्दा प्रथा" का सख्ती से पालन करतीं राजघराने की महिलायें इन खिडकियों से महल के नीचे सडकों के समारोह व गलियारों में होने वाली रोजमर्रा की जिंदगी की गतिविधियों का अवलोकन कर सकें। इसके अतिरिक्त, "वेंचुरी प्रभाव" के कारण इन जटिल संरचना वाले जालीदार झरोखों से सदा ठंडी हवा, महल के भीतर आती रहती है, जिसके कारण तेज़ गर्मी में भी महल सदा वातानुकूलित सा ही रहता है। चूने, लाल और गुलाबी बलुआ पत्थर से निर्मित यह महल जयपुर के व्यापारिक केंद्र के हृदयस्थल में मुख्य मार्ग पर स्थित है। यह सिटी पैलेस का ही हिस्सा है और ज़नाना कक्ष या महिला कक्ष तक फैला हुआ है। सुबह-सुबह सूर्य की सुनहरी रोशनी में इसे दमकते हुए देखना एक अनूठा एहसास देता है। .

देखें विविध भारती और हवामहल

इन्दौर

इन्दौर (अंग्रेजी:Indore) जनसंख्या की दृष्टि से भारत के मध्य प्रदेश राज्य का सबसे बड़ा शहर है। यह इन्दौर ज़िला और इंदौर संभाग दोनों के मुख्यालय के रूप में कार्य करता है। इंदौर मध्य प्रदेश राज्य की वाणिज्यिक राजधानी भी है। यह राज्य के शिक्षा हब के रूप में माना जाता है। इंदौर भारत का एकमात्र शहर है, जहाँ भारतीय प्रबन्धन संस्थान (IIM इंदौर) व भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT इंदौर) दोनों स्थापित हैं। मालवा पठार के दक्षिणी छोर पर स्थित इंदौर शहर, राज्य की राजधानी से १९० किमी पश्चिम में स्थित है। भारत की जनगणना,२०११ के अनुसार २१६७४४७ की आबादी सिर्फ ५३० वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में वितरित है। यह मध्यप्रदेश में सबसे अधिक घनी आबादी वाले प्रमुख शहर है। यह भारत में के तहत आता है। इंदौर मेट्रोपोलिटन एरिया (शहर व आसपास के इलाके) की आबादी राज्य में २१ लाख लोगों के साथ सबसे बड़ी है। इंदौर अपने स्थापना के इतिहास में १६वीं सदी क डेक्कन (दक्षिण) और दिल्ली के बीच एक व्यापारिक केंद्र के रूप में अपने निशान पाता है। मराठा पेशवा बाजीराव प्रथम के मालवा पर पूर्ण नियंत्रण ग्रहण करने के पश्चात, १८ मई १७२४ को इंदौर मराठा साम्राज्य में सम्मिलित हो गया था। और मल्हारराव होलकर को वहाँ का सुबेदार बनाया गया। जो आगे चल कर होलकर राजवंश की स्थापना की। ब्रिटिश राज के दिनों में, इन्दौर रियासत एक १९ गन सेल्यूट (स्थानीय स्तर पर २१) रियासत था जो की उस समय (एक दुर्लभ उच्च रैंक) थी। अंग्रेजी काल के दौरान में भी यह होलकर राजवंश द्वारा शासित रहा। भारत के स्वतंत्र होने के कुछ समय बाद यह भारत अधिराज्य में विलय कर दिया गया। इंदौर के रूप में सेवा की राजधानी मध्य भारत १९५० से १९५६ तक। इंदौर एक वित्तीय जिले के समान, मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी के रूप में कार्य करता है। और भारत का तीसरा सबसे पुराने शेयर बाजार, मध्यप्रदेश स्टॉक एक्सचेंज इंदौर में स्थित है। यहाँ का अचल संपत्ति (रीयल एस्टेट) बज़ार, मध्य भारत में सबसे महंगा है। यह एक औद्योगिक शहर है। यहाँ लगभग ५,००० से अधिक छोटे-बडे उद्योग हैं। यह सारे मध्य प्रदेश में सबसे अधिक वित्त पैदा करता है। पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में ४०० से अधिक उद्योग हैं और इनमे १०० से अधिक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के उद्योग हैं। पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र के प्रमुख उद्योग व्यावसायिक वाहन बनाने वाले व उनसे सम्बन्धित उद्योग हैं। व्यावसायिक क्षेत्र में मध्य प्रदेश की प्रमुख वितरण केन्द्र और व्यापार मंडीयाँ है। यहाँ मालवा क्षेत्र के किसान अपने उत्पादन को बेचने और औद्योगिक वर्ग से मिलने आते है। यहाँ के आस पास की ज़मीन कृषि-उत्पादन के लिये उत्तम है और इंदौर मध्य-भारत का गेहूँ, मूंगफली और सोयाबीन का प्रमुख उत्पादक है। यह शहर, आस-पास के शहरों के लिए प्रमुख खरीददारी का केन्द्र भी है। इन्दौर अपने नमकीनों व खान-पान के लिये भी जाना जाता है। प्र.म.

देखें विविध भारती और इन्दौर

छाया गीत

विविध भारती पर आने वाला हिन्दी चलचित्रो के गीत। छाया गीत - विविध भारती से प्रसारित होने वाला फ़िल्मी गीतों का एक अनूठा कार्यक्रम। वैसे फ़िल्मी गीत तो विविध भारती पर बजते ही रहते है, जिनमें अधिकतर गीत श्रोता अपनी पसन्द से ही सुनते है पर छाया गीत ही एक ऐसा कार्यक्रम है जिसमें उदघोषक अपनी पसन्द के गीत सुनवाते है और इन गीतों को मेरे अलावा शायद और भी बहुत से ऐसे श्रोता होंगे जो अन्य कार्यक्रमों में बजने वाले गीतों से ज्यादा पसन्द करते है। .

देखें विविध भारती और छाया गीत