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विलियम शेक्सपीयर

सूची विलियम शेक्सपीयर

विलियम शेक्सपीयर विलियम शेक्सपीयर (William Shakespeare; 23 अप्रैल 1564 (बपतिस्मा हुआ) – 23 अप्रैल 1616) अंग्रेजी के कवि, काव्यात्मकता के विद्वान नाटककार तथा अभिनेता थे। उनके नाटकों का लगभग सभी प्रमुख भाषाओं में अनुवाद हुआ है। शेक्सपियर में अत्यंत उच्च कोटि की सर्जनात्मक प्रतिभा थी और साथ ही उन्हें कला के नियमों का सहज ज्ञान भी था। प्रकृति से उन्हें मानो वरदान मिला था अत: उन्होंने जो कुछ छू दिया वह सोना हो गया। उनकी रचनाएँ न केवल अंग्रेज जाति के लिए गौरव की वस्तु हैं वरन् विश्ववांमय की भी अमर विभूति हैं। शेक्सपियर की कल्पना जितनी प्रखर थी उतना ही गंभीर उनके जीवन का अनुभव भी था। अत: जहाँ एक ओर उनके नाटकों तथा उनकी कविताओं से आनंद की उपलब्धि होती है वहीं दूसरी ओर उनकी रचनाओं से हमको गंभीर जीवनदर्शन भी प्राप्त होता है। विश्वसाहित्य के इतिहास में शेक्सपियर के समकक्ष रखे जानेवाले विरले ही कवि मिलते हैं। .

102 संबंधों: टेलर स्विफ्ट, एडविन आस्टिन अबे, एनाग्रम, एम एंड द बिग हूम, एलिज़ाबेथ प्रथम, ऐज़ यू लाइक इट, तबु, तमाशा (2015 फ़िल्म), तंगुतुरी सूर्यकुमारी, तू फू, द वेस्ट लैंड, द कॉमेडी ऑफ एरर्स, दुखान्त नाटक, नोआम चाम्सकी, नीलाभ अश्क, पर्सी बिश शेली, प्रियम रेडिकान, प्रेयोक्ति, प्रीति ज़िंटा, पैलेस ऑफ़ वेस्ट्मिन्स्टर, फलित ज्योतिष, फ्रांसिस बेकन, बरॉक, भारतीय नाट्यशालाएँ, भारतीय सिनेमा, भिखारी ठाकुर, मान्तेन, माकबेथ, मुखपृष्ठ/सुसान जेनिफर लनेर, मैनहटन, मैकबेथ, मेगन फ़ॉक्स, यूनाइटेड किंगडम, रामवृक्ष बेनीपुरी, रंगमंच, रुडयार्ड किपलिंग, लाला हरदयाल, लंदन में पर्यटन, लॉरेंस फिशबर्न, शब्दकोश, शिवदान सिंह चौहान, शिवराम महादेव परांजपे, शेरलॉक होम्स, शेक्सपियर इन लव, सत्यजित राय, सरोज स्मृति, सारा बर्नहार्ट, साल्वातोर काज़ीमोदो, साहित्य, सुमन पोखरेल, ..., स्टेफनी मेयर, सेठ गोविंद दास, हरिवंश राय बच्चन, हैमलेट, जुलियस सीसर, जुलियस सीजर (नाटक), जूडस इस्कैरियट, जॉगिंग, जोन ऑफ़ आर्क, वाइटहॉल पैलस, विलियम, विशाल भारद्वाज, वी फॉर वेंडेट्टा, गुलाब खंडेलवाल, गुस्ताव फ्लोवेर, गोलियों की रासलीला रामलीला, ओमकारा, आईज़ैक असिमोव, इन दिनों, इंग्लैण्ड, कथासाहित्य (संस्कृत), करीना कपूर, कार्ल मार्क्स, किंग लीयर (शेक्सपीयर कृत), क्लाइव ओवेन, क्लियोपाट्रा ७, कृष्णाजी प्रभाकर खाडिलकर, केट विंसलेट, अट्टीपट कृष्णस्वामी रामानुजन, अनंत बंदर प्रमेय, अनुवाद, अपस्मार, अभिनय, अमेरिकी डॉलर, अरविन्द कुमार, अरुण (ग्रह), अरुण के प्राकृतिक उपग्रह, अलेक्ज़ंडर पोप, अगाथा क्रिस्टी, अंग्रेज़, अंग्रेज़ी भाषा, अंग्रेजी नाटक, अंग्रेजी साहित्य, अंग्रेजी गद्य, अंग्रेजी कविता, अंग्रेजी उपन्यास, अकेलापन, उपसंहार, ऋत्विक घटक, ११ फ़रवरी, १९७८, Goodnight Desdemona (Good Morning Juliet) सूचकांक विस्तार (52 अधिक) »

टेलर स्विफ्ट

टेलर एलिसन स्विफ्ट जन्म 13 दिसम्बर 1989 एक अमरीकी देश की पॉप गायिका-गीतकार, रिकार्ड निर्माता और अभिनेत्री है। 2008 में उसकी एल्बम की संयुक्त चालीस लाख प्रतियाँ बिकी और नीलसन साउंड स्केन के अनुसार वह उस वर्ष की सर्व श्रेष्ठ संगीतकार बनी। 2006 में उसने पहली एकल टीम मेक ग्रा जारी की फिर उसकी स्वयं शीर्षक पहली एल्बम, जो कि बाद में कई बार रेकार्डिंग उद्योग असोसिअशन ऑफ अमरीका द्वारा प्लेटिनम प्रमाणित की गयी। नवम्बर 2008 में स्विफ्ट ने अपना दूसरा एल्बम फिअरलेस जारी किया। फिअरलेस और टेलर स्विफ्ट 2008 के अंत तक 2.1 और 1.5 लाख की बिक्री के साथ क्रमश तीसरे और छठे स्थान पर रहे। फिअरलेस/0 लगातार 11 सप्ताह बिलबोर्ड 200 में सबसे ऊपर रही.

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एडविन आस्टिन अबे

एडविन आस्टिन अबे (Edwin Austin Abbey; १८५२ - १९११), संयुक्त राज्य अमरीका का चित्रकार था। वह फ़िलाडेल्फ़िया में उत्पन्न हुआ था। ललित कलाओं की पेंसिलवेनिया अकादमी से चित्रणकला सीखकर उसने पुस्तकों को सचित्र करने का कार्य शुरू किया। राबर्ट हेरिक, गोल्डस्मिथ, शेक्सपियर आदि की कृतियों को सचित्र करने से उसकी खासी ख्याति हुई। उसके जलचित्र और पेस्टलचित्र भी बड़े सफल हुए। १८९८ ई. में वह आर.ए. (रायल अकादमी) का सदस्य हो गया। उसके जलचित्रों में प्रधान 'टोनहिन आँख', 'अक्टूबर का गुलाब', 'पुराना गीत' हैं। वैसे ही पेस्टल चित्रों में प्रधान 'बीट्रिस' ओर 'फ़िलिस' हैं। उसके तैलचित्रों में सुंदरतम शायद 'मई की एक सुबह' है। उसने भित्तिचित्रण भी किए। बोस्टन संग्रहालय में सुरक्षित उसके चित्र 'पवित्र ग्रेलद की खोज' तो प्रभूत सुंदर बन पड़ा है। श्रेणी:चित्रकार श्रेणी:1852 में जन्मे लोग श्रेणी:१९११ में निधन.

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एनाग्रम

एनाग्रम शब्दों का एक खेल है, जिसमें किसी शब्द या वाक्यांश के अक्षरों को पुनः व्यवस्थित करके एक नया शब्द या वाक्यांश बनाना होता है और इस खेल में सभी मूल अक्षरों का केवल एकबार उपयोग करने की अनुमति होती है; उदा.

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एम एंड द बिग हूम

एम एंड द बिग हूम अंग्रेज़ी भाषा के विख्यात साहित्यकार जेरी पिन्टो द्वारा रचित एक उपन्यास है। इनके लिये उन्हें सन् २०१६ में अंग्रेज़ी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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एलिज़ाबेथ प्रथम

एलिज़ाबेथ प्रथम (Elizabeth I, जन्म: ७ सितम्बर १५३३, मृत्यु: २४ मार्च १६०३) इंग्लैंड और आयरलैंड की महारानी थीं, जिनका शासनकाल १७ नवम्बर १५५८ से उनकी मौत तक चला। यह ब्रिटेन के ट्युडर राजवंश की पाँचवी और आख़री सम्राट थीं। इन्होनें कभी शादी नहीं की और न ही इनकी कोई संतान हुई इसलिए इन्हें "कुंवारी रानी" (virgin queen, वर्जिन क्वीन) के नाम से भी जाना जाता था। यह ब्रिटेन के सम्राट हेनरी अष्टम की बेटी होने के नाते जन्म पर एक राजकुमारी थीं, लेकिन इनके जन्म के ढाई साल बाद ही इनकी माता, ऐन बोलिन (Anne Boleyn) को मार दिया गया और इन्हें नाजायज़ घोषित कर दिया गया। १५५३ तक इनके सौतेले भाई एडवर्ड ६ के शासनकाल के बाद इनकी बहन मैरी १ ने शासन संभाला। मैरी के संतानरहित होने के बाद एलिज़ाबेथ ने १७ नवंबर १५५८ को अंग्रेजी सिंहासन की बागडोर संभाली। इन्होने अपने इर्द-गिर्द बहुत से समझदार व्यक्तियों को मंत्री-परिषद में रखा जिस से ब्रिटेन सुव्यवस्थित हुआ। इन्होनें इंग्लैंड में "इंग्लिश प्रोटेस्टैंट चर्च" की नींव रखी और स्वयं को उसका अध्यक्ष बना लिया। इस से वे ब्रिटेन की राजनैतिक नेता और धार्मिक नेता दोनों बन गई। इस से रोमन कैथोलिक शाखा का पोप नाराज़ हो गया। वह ब्रिटेन को धार्मिक मामलों में अपने अधीन एक कैथोलिक राष्ट्र मानता था। उसने १५७० में यह आदेश दिया की ब्रिटेन के नागरिकों को एलिज़ाबेथ से वफ़ादारी करने की कोई आवश्यकता नहीं है। इस से ब्रिटेन के कैथोलिक समुदाय से एलिज़ाबेथ के ख़िलाफ़ बहुत से हमले हुए और कई विद्रोह भड़के, लेकिन एलिज़ाबेथ अपने मंत्रियों की गुप्तचर सेवा की मदद से सत्ता पर बनी रहीं। १५८८ में पोप के आग्रह पर स्पेन (जो एक कैथोलिक राष्ट्र था) ने ब्रिटेन पर एक समुद्री जहाज़ों का बड़ा लेकर आक्रमण करने की कोशिश करी। इस आक्रमण को "स्पेनी अर्माडा" कहा जाता है। एलिज़ाबेथ की नौसेना ने उसे हरा दिया और यह जीत इंग्लैण्ड की सब से ऐतिहासिक जीतों में से एक मानी जाती है। एलिज़ाबेथ के शासनकाल को एलिज़ाबेथेन एरा यानी एलिज़ाबेथ का युग के नाम से भी जाना जाता है। वो अपने शासन में अपने पिता व भाई बहन के मुकाबले ज्यादा उदार थीं। उनकी बहन मैरी ने सैकणों प्रोटेस्टैंटों को मरवा दिया था जिसकी वजह से उसे खूनी मैरी के नाम से भी जाना जाता है। एलिज़ाबेथ ने ऐसा कोई काम नहीं किया। वह लोकप्रिय शासक के रूप में जानी जाती थीं। एलिज़ाबेथ के काल में ब्रिटिश साहित्य और नाटककार फले-फूले, जिनमें विलियम शेक्सपीयर और क्रिस्टोफ़र मार्लोवे के नाम सब से नुमाया हैं। उनके दौर में ब्रिटेन के नौसैनिक दूर-दूर खोज-यात्राओं में निकले। फ़्रांसिस ड्रेक ने उत्तर अमेरिका की यात्रा करी। माना जाता है कि उनके ४४ साल के राज से ब्रिटेन में एक शक्तिशाली राष्ट्रीय भावना फैल गई जिसने आगे चलकर ब्रिटेन को विश्व का सब से शक्तिशाली देश बनने में योगदान दिया। वह ऐसे समय में अपना सिंहासन बचाते हुए लंबे समय तक एक सफल शासन दे सकीं जब पड़ोसी राज्यों के शासक अंदरूनी विवादों में उलझे रहे और अपनी सत्ता गंवाते रहे, जैसे कि उनकी भतीजी व स्कॉटलैंड की रानी मैरी जिसे उन्होंने अपने खिलाफ षडयंत्र रचने के अपराध में १५६८ में मृत्युदंड दे दिया। कुछ इतिहासकार उन्हें चिड़चिड़ा व जल्द कोई फैसला ना ले पाने वाला शासक मानते हैं और उन्हें उनकी काबिलियत से ज्यादा भाग्यशाली बताते हैं। .

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ऐज़ यू लाइक इट

1623 में प्रकाशित, फर्स्ट फोलिओ से ऐज़ यू लाइक इट के प्रथम पृष्ठ की प्रतिकृति. ऐज़ यू लाइक इट विलियम शेक्सपियर द्वारा लिखित एक पैस्टोरल कॉमेडी है, जिसे 1599 या 1600 की शुरूआत में लिखा हुआ मानते हैं और यह 1623 के फोलियो में पहली बार प्रकाशित हुआ। यह कृति थॉमस लॉज के गद्य प्रेम-कथा रॉसलिंड पर आधारित थी। हालांकि इस नाटक के पहले प्रदर्शन की जानकारी अनिश्चित है, परन्तु सुझावों के अनुसार, 1603 में विल्टन हाउस में इसके एक प्रदर्शन की संभावना जताई गई है। ऐज़ यू लाइक इट की कहानी नायिका रॉसलिंड के इर्द-गिर्द घूमती है, जो उत्पीड़न के डर से अपनी चचेरी बहन सीलिया और महल के विदूषक टचस्टोन के साथ, अपने चाचा के महल से आर्डेन के जंगल में सुरक्षा और अंततः प्यार पाने के लिए भाग जाती है। ऐतिहासिक रूप से, इस पर आलोचकों की राय भिन्न रही है, कुछ आलोचकों के अनुसार यह कृति शेक्सपियर की अन्य कृतियों की तुलना में कम उत्कृष्ट है जबकि कुछ इस नाटक को बेहद उत्कृष्ट कृति मानते हैं। शेक्सपियर की एक सर्वाधिक प्रसिद्ध और अक्सर-प्रयुक्त उक्ति "ऑल दी वर्लड इज़ अ स्टेज" इसी नाटक का हिस्सा है, साथ ही यह "टू मच ऑफ अ गुड थिंग" वाक्यांश का मूल भी है। यह नाटक दर्शकों की पसंदीदा बनी रही और रेडियो, फिल्म और संगीतमय रंगमंच के लिए रूपांतरित की गई। .

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तबु

तब्बू (तब्बू) (तबस्सुम हाशमी (తబస్సుం హష్మి) का जन्म 4 नवम्बर 1970 को हुआ) एक भारतीय फिल्म अभिनेत्री है। हालांकि उन्होंने कई तमिल, तेलुगू, मलयालम, बंगला भाषा एवं साथ ही एक अमरीकी फिल्म में भी काम किया है, लेकिन मुख्यतः उन्होंने हिंदी फिल्मों में ही अभिनय किया है। उन्हें दो बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय फिल्म अवॉर्ड मिल चुका है एवं उन्हें सबसे अधिक बार सर्वश्रेष्ठ महिला कलाकार की श्रेणी में फिल्मफेयर का समीक्षक अवॉर्ड, चार बार, जीतने का रिकॉर्ड भी हासिल हैं। कुछ अपवादों के बावजूद, तब्बू मुख्यतः कलात्मक एवं कम बजट फिल्मों में अपने अभिनय के लिए जानी जाती हैं, जो बॉक्स ऑफिस पर आंकड़े (रुपये) जुटाने की बजाय कहीं अधिक आलोचनात्मक सराहना जुटाती हैं। व्यावसायिक तौर पर सफल फिल्मों में उनकी उपस्थिति कम ही रही है और ऐसी फिल्मों में उनकी भूमिका भी बहुत छोटी रही हैं, मसलन-बॉर्डर (1997), साजन चले ससुराल (1996), बीवी नंबर वन Hum Saath-Saath Hain: We Stand United (1999) आदि फ़िल्में.

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तमाशा (2015 फ़िल्म)

तमाशा एक हिन्दी भाषा में बनी भारतीय बॉलीवुड फिल्म है। इस फिल्म को इम्तियाज़ अली ने निर्देशित किया है और इस फिल्म के निर्माता इम्तियाज़ अली और साजिद नाडियाडवाला हैं। इस फिल्म में मुख्य किरदार में दीपिका पादुकोण और रणबीर कपूर हैं। इसे फ़्रांस के कोरसिका में फिल्माना शुरू किया गया था। यह फिल्म 27 नवम्बर 2015 को सिनेमा घरों में प्रदर्शित होगी। .

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तंगुतुरी सूर्यकुमारी

तंगुतुरी सूर्यकुमारी एक भारतीय फिल्म गायक, अभिनेत्री और नृत्यांगना थी तेलुगू सिनेमा में। वह टंगुटूरी प्रकाशम की भतीजी थी। उन्होंने गीत मा तेलुगू तल्लिकि को गाया, जो आधिकारिक गीत है आंध्र प्रदेश,भारत का। उन्होंने १९६१ में रवींद्रनाथ टैगोर के ऑफ ब्रॉडवे प्ले द किंग ऑफ द डार्क चैंबर में रानी सुदर्शन के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए बाहरी क्रिटिक्स सर्कल पुरस्कार जीता। .

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तू फू

तू फू, चीन के तंग राजवंश के महान कवियों में से एक थे। चीन के अन्य लोगों की तरह अं लुशान का उनके जीवन पर अधिक प्रभाव पड़ा था। दू फू के जीवन के आखिरी पंद्रह साल अत्याधिक अशांति से घिरे रहे। .

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द वेस्ट लैंड

द वेस्ट लैंड टी एस एलियट के द्वारा लिखी गयी 434 पंक्तियों की एक आधुनिक कविता है जो पहले पहल सन 1922 में प्रकाशित हुई थी। इसे 20 वीं सदी की सबसे महत्वपूर्ण कविताओं में से एक भी कहा जाता है। कविता की दुर्बोधता के बावजूद 2010/08/08 को पुनः प्राप्त.

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द कॉमेडी ऑफ एरर्स

प्रदर्शन का पोस्टर द कॉमेडी ऑफ एरर्स विलियम शेक्सपियर के शुरूआती नाटकों में से एक है, ऐसा माना जाता है कि इसे 1592 से 1594 के बीच लिखा गया था। यह उनके सबसे छोटे और सबसे हास्यास्पद हास्य-नाटकों में से एक है, अनेकार्थी शब्दों और शब्दों के खेल के अतिरिक्त इसके हास्य का एक प्रमुख हिस्सा तमाशे और गलत पहचान से निकलकर आता है। दी कॉमेडी ऑफ़ एरर्स (दी टेमपेस्ट सहित) शेक्सपियर के उन दो नाटकों में से एक है जिनमें पारंपरिक एकता का अवलोकन किया जा सकता है। इसे ओपेरा, मंच, स्क्रीन और संगीत थिएटर के लिए अनुकूलित किया गया है। द कॉमेडी ऑफ एरर्स एक रूप वाले जुड़वां भाईयों के दो जो़ड़ों की कहानी बयान करता है, जो दुर्भाग्यएवश अपने जन्म के समय अलग हो गए थे। सि‍रैक्यूज का एंटीफॉलस और उसका नौकर, सि‍रैक्यूज का ड्रोमि‍यो, एफिसस पहुंचते हैं जहां उनके जुड़वां भाई, एफिसस का एंटिफॉलस और उसका नौकर एफिसस का ड्रोमि‍यो भी रहते हैं। जब सि‍रैक्यूजन का अपने जुड़वा भाईयों के मि‍त्रों और परि‍वार से सामना हुआ, तो गलत पहचान के कारण अजीबो-गरीब घटनाओं के क्रम ने गलत व्यक्ति के साथ मार-पि‍टाई और यौन व्यवहार, एफिसस के एंटीफॉलस की गि‍रफ्तारी तथा बेवफाई का आरोप, चोरी, पागलपन तथा प्रेतावि‍ष्ट आधि‍पत्य‍ की अनेक हास्यास्पद घटनाओं को जन्म हुआ। .

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दुखान्त नाटक

दु:खांत नाटक (ट्रेजेडी) ऐसे नाटकों को कहते हैं जिनमें नायक प्रतिकूल परिस्थितियों और शक्तियों से संघर्ष करता हुआ तथा संकट झेलता हुअ अंत में विनष्ट हो जाता है। .

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नोआम चाम्सकी

एवरम नोम चोम्स्की (हीब्रू: אברם נועם חומסקי) (जन्म 7 दिसंबर, 1928) एक प्रमुख भाषावैज्ञानिक, दार्शनिक, by Zoltán Gendler Szabó, in Dictionary of Modern American Philosophers, 1860–1960, ed.

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नीलाभ अश्क

नीलाभ अश्क (१६ अगस्त १९४५ - २३ जुलाई २०१६) एक भारतीय हिंदी कवि, पत्रकार और अनुवादक थे। उन्होंने विभिन्न कविता संग्रह प्रकाशित किए। वह कई उल्लेखनीय लेखकों के साहित्य के अनुवाद के लिए जाने जाते हैं, जैसे की अरुंधति राय, सलमान रुश्दी, विलियम शेक्सपीयर, बर्तोल्त ब्रेख्त, और मिखाइल लर्मोन्टोव। .

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पर्सी बिश शेली

पर्सी बयसी शेली (१७९२-१८२२) अंग्रेजी स्वच्छंदतावाद कविता के महान कवि थे। उन्हें आलोचकों द्वारा अंग्रेजी कविता के सर्वेशेष्ठ गीत कवि के रूप मैं माना जाता है। उनकी कविता में तत्कालीन राजनैतिक और सामाजिक दृश्य देखे जा सकते हैं। शेली ने अपने जीवनकाल में अधिक प्रशिद्धि प्राप्त नहीं की लेकिन मृत्यु के बाद उनकी प्रशिद्धि काफी बढ़ गयी।Isadora Duncan, "My Life ", W. W. Norton & Co.,1996, pp.

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प्रियम रेडिकान

प्रियम रेडिकान अपनी ‘स्पोकन वर्ड पोएट्री’ के लिए जानी जाती हैं। .

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प्रेयोक्ति

एक प्रेयोक्ति का अर्थ होता है, सुननेवाले को रुष्ट करने वाली या कोई अप्रिय अर्थ देने वाली अभिव्यक्ति को एक रुचिकर या कम अपमानजनक अभिव्यक्ति के साथ प्रतिस्थापित करना, या कहने वाले के लिए उसे कम कष्टकर बनाना, जैसा की द्विअर्थी के मामले में होता है। प्रेयोक्ति का परिनियोजन राजनीतिक विशुद्धता के सार्वजनिक उपयोग में केंद्रीय पहलू है। यह किसी वस्तु या किसी व्यक्ति के वर्णन को भी प्रतिस्थापित कर सकता है ताकि गोपनीय, पवित्र, या धार्मिक नामों को अयोग्य के समक्ष ज़ाहिर करने से बचा जा सके, या किसी वार्ता के विषय की पहचान को किसी संभावित प्रच्छ्न्न श्रोता से गुप्त रखा जा सके.

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प्रीति ज़िंटा

प्रीटी ज़िंटा (जन्म ३१ जनवरी १९७५) एक भारतीय फ़िल्म अभिनेत्री है। वे हिन्दी, तेलगू, पंजाबी व अंग्रेज़ी फ़िल्मों में कार्य कर चुकी है। मनोविज्ञान में उपाधी ग्रहण करने के बाद ज़िंटा ने अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत दिल से.. में १९९८ से की और उसी वर्ष फ़िल्म सोल्जर में पुनः दिखी। इन फ़िल्मों में अभिनय के लिए उन्हें फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ नई अदाकारा का पुरस्कार प्रदान किया गया और आगे चलकर उन्हें फ़िल्म क्या कहना में कुँवारी माँ के किरदार के लिए काफ़ी सराहा गया। उन्होंने आगे चलकर भिन्न-भिन्न प्रकार के किरदार अदा किए व उनके अभिनय व किरदारों ने हिन्दी फ़िल्म अभिनेत्रियों की एक नई कल्पना को जन्म दिया। जिंटा को २००३ में फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार कल हो ना हो फ़िल्म में उनके अभिनय के लिए प्रदान किया गया। उन्होंने सर्वाधिक कमाई वाली दो भारतीय फ़िल्मों में अभिनय किया जिनमे काल्पनिक विज्ञान पर आधारित फ़िल्म कोई... मिल गया (२००३) और रोमांस फ़िल्म वीर-ज़ारा (२००४) शमिल है जिसके लिए उन्हें समीक्षकों द्वारा बेहद सराहा गया। उन्होंने आधुनिक भारतीय नारी का किरदार फ़िल्म सलाम नमस्ते और कभी अलविदा ना कहना में निभाया जो अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में उच्च-कमाई वाली फ़िल्में रही। इन उपलब्धियों ने उन्हें हिन्दी सिनेमा के मुख्य अभिनेत्रियों में से एक बना दिया। उनका पहला अंतर्राष्ट्रीय किरदार कनेडियाई फ़िल्म हेवन ऑन अर्थ में था जिसके लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का सिल्वर ह्यूगो पुरस्कार २००८ के शिकागो अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म समारोह में प्रदान किया गया। फ़िल्मों में अभिनय के आलावा जिंटा ने बीबीसी न्यूज़ ऑनलाइन में कई लेख लिखे है, साथ ही वे एक सामाजिक कार्यकर्त्ता, टेलिविज़न मेज़बान और नियमित मंच प्रदर्शनकर्ता है। वे पीज़ेडएनज़ेड इण्डिया प्रोडक्शन कंपनी की संस्थापक भी है जिसकी स्थापना उन्होंने अपने पूर्व-साथी नेस वाडिया के साथ की है और दोनों साथ-ही-साथ इंडियन प्रीमियर लीग की क्रिकेट टीम किंग्स XI पंजाब के मालिक भी है। .

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पैलेस ऑफ़ वेस्ट्मिन्स्टर

पैलेस ऑफ वेस्टमिन्स्टर, जिसका अर्थ है वेस्टमिंस्टर का महल और जिसे हाउस ऑफ पार्लियामेंट या वेस्टमिन्स्टर पैलेस के नाम से भी जाना जाता है, ब्रिटेन की संसद के दो सदनों का सभा स्थल है। इनमें से एक है ''हाउस ऑफ लॉर्ड्स'' और दूसरा है ''हाउस ऑफ कॉमन्स''। यह लंदन शहर के हृदय माने जाने वाले वेस्टमिन्स्टर शहर में थेम्स नदी के उत्तरी किनारे पर स्थित है। यह सरकारी भवन वाइटहॉल और डाउन स्ट्रीट तथा ऐतिहासिक स्थल वेस्टमिन्स्टर ऐबी के करीब है। यह नाम निम्न दो में से किसी एक संरचना को संदर्भित कर सकता है, द ओल्ड पैलेस, जो एक मध्यकालीन इमारत है जो कि 1834 में ही नष्ट हो गई थी और उसके स्थान पर बनने वाला न्यू पैलेस जो आज भी मौजूद है। लेकिन इसकी मूल शैली और शाही ठाठबाट पूर्ववत बनी हुई है। इस जगह पर पहला शाही महल ग्यारहवीं शताब्दी में बनाया गया था और 1512 में इस इमारत के नष्ट होने से पहले वेस्टमिन्स्टर ही लंदन के राजा का प्राथमिक लंदन निवास था। इसके बाद से ही यह संसद भवन के रूप में कार्य कर रहा है। 13 वीं शताब्दी से यहां संसद की सभाएं होती हैं और शाही न्याय पीठ एवं वेस्टमिन्स्टर हॉल भी यहीं पर है। पुनः पूरी भव्यता से बनाये गये इस संसद भवन में 1834 में भयानक आग लग गई। इस आग से जो इमारते बच गईं उनमें शामिल हैं वेस्टमिन्स्टर हॉल, द क्लॉइस्टर्स ऑफ सेंट स्टीफन्स, चैपल ऑफ सेंट मैरी अंडरक्राफ्ट और जूअल टॉवर.

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फलित ज्योतिष

फलित ज्योतिष उस विद्या को कहते हैं जिसमें मनुष्य तथा पृथ्वी पर, ग्रहों और तारों के शुभ तथा अशुभ प्रभावों का अध्ययन किया जाता है। ज्योतिष शब्द का यौगिक अर्थ ग्रह तथा नक्षत्रों से संबंध रखनेवाली विद्या है। इस शब्द से यद्यपि गणित (सिद्धांत) ज्योतिष का भी बोध होता है, तथापि साधारण लोग ज्योतिष विद्या से फलित विद्या का अर्थ ही लेते हैं। ग्रहों तथा तारों के रंग भिन्न-भिन्न प्रकार के दिखलाई पड़ते हैं, अतएव उनसे निकलनेवाली किरणों के भी भिन्न भिन्न प्रभाव हैं। इन्हीं किरणों के प्रभाव का भारत, बैबीलोनिया, खल्डिया, यूनान, मिस्र तथा चीन आदि देशों के विद्वानों ने प्राचीन काल से अध्ययन करके ग्रहों तथा तारों का स्वभाव ज्ञात किया। पृथ्वी सौर मंडल का एक ग्रह है। अतएव इसपर तथा इसके निवासियों पर मुख्यतया सूर्य तथा सौर मंडल के ग्रहों और चंद्रमा का ही विशेष प्रभाव पड़ता है। पृथ्वी विशेष कक्षा में चलती है जिसे क्रांतिवृत्त कहते हैं। पृथ्वी फलित ज्योतिष उस विद्या को कहते हैं जिसमें मनुष्य तथा पृथ्वी पर, ग्रहों और तारों के शुभ तथा अशुभ प्रभावों का अध्ययन किया जाता है। ज्योतिष शब्द का यौगिक अर्थ ग्रह तथा नक्षत्रों से संबंध रखनेवाली विद्या है। इस शब्द से यद्यपि गणित (सिद्धांत) ज्योतिष का निवासियों को सूर्य इसी में चलता दिखलाई पड़ता है। इस कक्षा के इर्द गिर्द कुछ तारामंडल हैं, जिन्हें राशियाँ कहते हैं। इनकी संख्या है। मेष राशि का प्रारंभ विषुवत् तथा क्रांतिवृत्त के संपातबिंदु से होता है। अयन की गति के कारण यह बिंदु स्थिर नहीं है। पाश्चात्य ज्योतिष में विषुवत् तथा क्रातिवृत्त के वर्तमान संपात को आरंभबिंदु मानकर, 30-30 अंश की 12 राशियों की कल्पना की जाती है। भारतीय ज्योतिष में सूर्यसिद्धांत आदि ग्रंथों से आनेवाले संपात बिंदु ही मेष आदि की गणना की जाती है। इस प्रकार पाश्चात्य गणनाप्रणाली तथा भारतीय गणनाप्रणाली में लगभग 23 अंशों का अंतर पड़ जाता है। भारतीय प्रणाली निरयण प्रणाली है। फलित के विद्वानों का मत है कि इससे फलित में अंतर नहीं पड़ता, क्योंकि इस विद्या के लिये विभिन्न देशों के विद्वानों ने ग्रहों तथा तारों के प्रभावों का अध्ययन अपनी अपनी गणनाप्रणाली से किया है। भारत में 12 राशियों के 27 विभाग किए गए हैं, जिन्हें नक्षत्र कहते हैं। ये हैं अश्विनी, भरणी आदि। फल के विचार के लिये चंद्रमा के नक्षत्र का विशेष उपयोग किया जाता है। .

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फ्रांसिस बेकन

फ्रांसिस बेकन (1561-1626) अंग्रेज राजनीतिज्ञ, दार्शनिक और लेखक था। रानी एलिज़बेथ के राज्य में उसके परिवार का बड़ा प्रभाव था। कैंब्रिज और ग्रेज़ इन में शिक्षा प्राप्त की। 1577 में वह फ्रांस स्थित अंग्रेजी दूतावास में नियुक्त हुआ, किंतु पिता सर निकोलस बेकन की मृत्यु के पश्चात् 1579 में वापस लौट आया। उसने वकालत का पेशा अपनाने के लिए कानून का अध्ययन किया। प्रारंभ से ही उसकी रुचि सक्रिय राजनीतिक जीवन में थी। 1584 में वह ब्रिटिश लोकसभा का सदस्य निर्वाचित हुआ। संसद की, जिसमें वह 1614 तक रहा, कार्यप्रणाली में उसका योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण रहा। समय समय पर वह महत्वपूर्ण राजनीतिक प्रश्नों पर एलिज़बेथ को निष्पक्ष सम्मतियाँ देता रहा। कहते हैं, अगर उसकी सम्मतियाँ उस समय मान ली गई होतीं तो बाद में शाही और संसदीय अधिकारों के बीच होनेवाले विवाद उठे ही न होते। सब कुछ होते हुए भी उसकी योग्यता का ठीक ठीक मूल्यांकन नहीं हुआ। लार्ड बर्ले ने उसे अपने पुत्र के मार्ग में बाधक मानकर सदा उसका विरोध किया। रानी एलिज़ाबेथ ने भी उसका समर्थन नहीं किया क्योंकि उसने शाही आवश्यकता के लिए संसदीय धनानुदान का विरोध किया था। 1592 के लगभग वह अपने भाई एंथोनी के साथ अर्ल ऑव एसेक्स का राजनीतिक सलाहकार नियुक्त हुआ। किंतु 1601 में, जब एसेक्स ने लंदन की जनता को विद्रोह के लिए भड़काया तो बेकन ने रानी के वकील की हैसियत से एसेक्स को राजद्रोह के अपराध में दंड दिलाया। .

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बरॉक

पीटर पॉल रूबेंस द्वारा आराधना. जिआन लॉरेंजों बर्निनी द्वारा रूपांकित सैंट'एंड्रिया एल क्युरिनेल का चर्च. बरॉक (bə-), यूरोप में 16वीं सदी के अंत और 18वीं सदी के आरंभ में प्रचलित एक कलात्मक शैली है। इसे अधिकतर "मैनेरिस्ट और रोकोको युगों में यूरोप की एक प्रभावशाली शैली के रूप में परिभाषित किया जाता है, एक ऐसी शैली, जिसे गतिशील आन्दोलन, खुली भावना और आत्मविश्वासी अलंकार विद्या" के रूप में जाना जाता है। बरॉक शैली की लोकप्रियता और सफलता को रोमन कैथोलिक चर्च द्वारा प्रोत्साहित किया गया, जिसने प्रोटेस्टेंट सुधार की प्रतिक्रिया में, काउंसिल ऑफ ट्रेंट के समय यह निर्णय लिया था, कि कला को प्रत्यक्ष और भावनात्मक जुड़ाव के साथ धार्मिक प्रकरणों को संचारित करना चाहिए। अभिजात वर्ग ने भी बरॉक वास्तुकला की नाटकीय शैली और कला को आगंतुकों को प्रभावित करने और विजयी शक्ति और नियंत्रण को अभिव्यक्त करने वाले माध्यम के रूप में देखा। बरॉक महलों को परिसर के प्रवेश द्वार, भव्य सीढ़ियों और क्रमानुसार समृद्धि को बढ़ाने वाले स्वागत कक्ष के आस पास निर्मित किया जाता है। .

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भारतीय नाट्यशालाएँ

भरत मुनि ने अपने नाट्यशास्त्र के द्वितीय अध्याय में तीन प्रकार के प्रेक्षागृहों का विधान किया है - (1) विकृष्ट (लंबा आयताकार), (2) चतुरस्त्र (वर्गाकार) और (3) त्र्यस्त्र (तिकोना)। ये तीनों भी परिणाम के अनुसार तीन प्रकार के होते हैं - (1) ज्येष्ठ, (2) मध्यम और (3) अवर (कनीयस या कनिष्ठ)। इनमें से ज्येष्ठ (विकृष्ठ, चतुरस्त्र तथा त्र्यस्त्र) 108 हाथ लंबा होता है और कनिष्ठ (विकृष्ट, चतुरस्त्र तथा त्र्यस्त्र) 32 हाथ लंबा होता है। इनमें से ज्येष्ठ देवताओं का, मध्यम राजाओं का और कनीयस या छोटा साधारण लोगों का होता है। भरत ने इन तीनों प्रकार के प्रेक्षागृहों में मध्यम (विकृष्ट, चतुरस्त्र तथा त्र्यस्त्र) को ही प्रशस्त माना है क्योंकि उसमें पाठ्य और गेय सब कुछ अत्यंत सुविधा के साथ स्पष्ट सुनाई पड़ता है। हाथ की नाप का क्रम यह है - 8 अणु का रज, 8 रज का बाल, 8 बल का लिक्षा, 8 लिक्षा का यूक, 8 यूक का यव, 8 यव का अंगुल, 24 अंगुल का हाथ (लगभग डेढ़ फुट) और चार हाथ का दंड होता है। इस नाप के अनुसार तीनों प्रकार के प्रेक्षागृह इस प्रकार होंगे: विकृष्ट ज्येष्ठ प्रेक्षागृह 108व् 54 हाथ विकृष्ट मध्यम प्रेक्षागृह 64व् 32 हाथ विकृष्ट कनिष्ठ प्रेक्षागृह 32व् 16 हाथ चतुरस्त्र ज्येष्ठ प्रेक्षागृह 108व् 108 हाथ चतुरस्त्र मध्यम प्रेक्षागृह 64व् 64 हाथ चतुरस्त्र कनिष्ठ प्रेक्षागृह 32व् 32 हाथ त्र्यस्त्र ज्येष्ठ प्रेक्षागृह बीच से 108 हाथ लंबा त्र्यस्त्र मध्यम प्रेक्षागृह बीच से 64 हाथ लंबा त्र्यस्त्र कनिष्ठ प्रेक्षागृह बीच से 32 हाथ लंबा भरत के अनुसार 64 हाथ (96 फुट) लंबा और 32 हाथ (48 फुट) चौड़ा विकृष्ट मध्यम प्रेक्षागृह ही बनाना चाहिए। .

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भारतीय सिनेमा

भारतीय सिनेमा के अन्तर्गत भारत के विभिन्न भागों और भाषाओं में बनने वाली फिल्में आती हैं जिनमें आंध्र प्रदेश और तेलंगाना, असम, बिहार, उत्तर प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, जम्मू एवं कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और बॉलीवुड शामिल हैं। भारतीय सिनेमा ने २०वीं सदी की शुरुआत से ही विश्व के चलचित्र जगत पर गहरा प्रभाव छोड़ा है।। भारतीय फिल्मों का अनुकरण पूरे दक्षिणी एशिया, ग्रेटर मध्य पूर्व, दक्षिण पूर्व एशिया और पूर्व सोवियत संघ में भी होता है। भारतीय प्रवासियों की बढ़ती संख्या की वजह से अब संयुक्त राज्य अमरीका और यूनाइटेड किंगडम भी भारतीय फिल्मों के लिए एक महत्वपूर्ण बाजार बन गए हैं। एक माध्यम(परिवर्तन) के रूप में सिनेमा ने देश में अभूतपूर्व लोकप्रियता हासिल की और सिनेमा की लोकप्रियता का इसी से अन्दाजा लगाया जा सकता है कि यहाँ सभी भाषाओं में मिलाकर प्रति वर्ष 1,600 तक फिल्में बनी हैं। दादा साहेब फाल्के भारतीय सिनेमा के जनक के रूप में जाना जाते हैं। दादा साहब फाल्के के भारतीय सिनेमा में आजीवन योगदान के प्रतीक स्वरुप और 1969 में दादा साहब के जन्म शताब्दी वर्ष में भारत सरकार द्वारा दादा साहेब फाल्के पुरस्कार की स्थापना उनके सम्मान में की गयी। आज यह भारतीय सिनेमा का सबसे प्रतिष्ठित और वांछित पुरस्कार हो गया है। २०वीं सदी में भारतीय सिनेमा, संयुक्त राज्य अमरीका का सिनेमा हॉलीवुड तथा चीनी फिल्म उद्योग के साथ एक वैश्विक उद्योग बन गया।Khanna, 155 2013 में भारत वार्षिक फिल्म निर्माण में पहले स्थान पर था इसके बाद नाइजीरिया सिनेमा, हॉलीवुड और चीन के सिनेमा का स्थान आता है। वर्ष 2012 में भारत में 1602 फ़िल्मों का निर्माण हुआ जिसमें तमिल सिनेमा अग्रणी रहा जिसके बाद तेलुगु और बॉलीवुड का स्थान आता है। भारतीय फ़िल्म उद्योग की वर्ष 2011 में कुल आय $1.86 अरब (₹ 93 अरब) की रही। जिसके वर्ष 2016 तक $3 अरब (₹ 150 अरब) तक पहुँचने का अनुमान है। बढ़ती हुई तकनीक और ग्लोबल प्रभाव ने भारतीय सिनेमा का चेहरा बदला है। अब सुपर हीरो तथा विज्ञानं कल्प जैसी फ़िल्में न केवल बन रही हैं बल्कि ऐसी कई फिल्में एंथीरन, रा.वन, ईगा और कृष 3 ब्लॉकबस्टर फिल्मों के रूप में सफल हुई है। भारतीय सिनेमा ने 90 से ज़्यादा देशों में बाजार पाया है जहाँ भारतीय फिल्मे प्रदर्शित होती हैं। Khanna, 158 सत्यजीत रे, ऋत्विक घटक, मृणाल सेन, अडूर गोपालकृष्णन, बुद्धदेव दासगुप्ता, जी अरविंदन, अपर्णा सेन, शाजी एन करुण, और गिरीश कासरावल्ली जैसे निर्देशकों ने समानांतर सिनेमा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और वैश्विक प्रशंसा जीती है। शेखर कपूर, मीरा नायर और दीपा मेहता सरीखे फिल्म निर्माताओं ने विदेशों में भी सफलता पाई है। 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के प्रावधान से 20वीं सेंचुरी फॉक्स, सोनी पिक्चर्स, वॉल्ट डिज्नी पिक्चर्स और वार्नर ब्रदर्स आदि विदेशी उद्यमों के लिए भारतीय फिल्म बाजार को आकर्षक बना दिया है। Khanna, 156 एवीएम प्रोडक्शंस, प्रसाद समूह, सन पिक्चर्स, पीवीपी सिनेमा,जी, यूटीवी, सुरेश प्रोडक्शंस, इरोज फिल्म्स, अयनगर्न इंटरनेशनल, पिरामिड साइमिरा, आस्कार फिल्म्स पीवीआर सिनेमा यशराज फिल्म्स धर्मा प्रोडक्शन्स और एडलैब्स आदि भारतीय उद्यमों ने भी फिल्म उत्पादन और वितरण में सफलता पाई। मल्टीप्लेक्स के लिए कर में छूट से भारत में मल्टीप्लेक्सों की संख्या बढ़ी है और फिल्म दर्शकों के लिए सुविधा भी। 2003 तक फिल्म निर्माण / वितरण / प्रदर्शन से सम्बंधित 30 से ज़्यादा कम्पनियां भारत के नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध की गयी थी जो फिल्म माध्यम के बढ़ते वाणिज्यिक प्रभाव और व्यसायिकरण का सबूत हैं। दक्षिण भारतीय फिल्म उद्योग दक्षिण भारत की चार फिल्म संस्कृतियों को एक इकाई के रूप में परिभाषित करता है। ये कन्नड़ सिनेमा, मलयालम सिनेमा, तेलुगू सिनेमा और तमिल सिनेमा हैं। हालाँकि ये स्वतंत्र रूप से विकसित हुए हैं लेकिन इनमे फिल्म कलाकारों और तकनीशियनों के आदान-प्रदान और वैष्वीकरण ने इस नई पहचान के जन्म में मदद की। भारत से बाहर निवास कर रहे प्रवासी भारतीय जिनकी संख्या आज लाखों में हैं, उनके लिए भारतीय फिल्में डीवीडी या व्यावसायिक रूप से संभव जगहों में स्क्रीनिंग के माध्यम से प्रदर्शित होती हैं। Potts, 74 इस विदेशी बाजार का भारतीय फिल्मों की आय में 12% तक का महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है। इसके अलावा भारतीय सिनेमा में संगीत भी राजस्व का एक साधन है। फिल्मों के संगीत अधिकार एक फिल्म की 4 -5 % शुद्ध आय का साधन हो सकते हैं। .

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भिखारी ठाकुर

भोजपुरी के अमर कलाकार '''भिखारी ठाकुर''' भिखारी ठाकुर (१८ दिसम्बर १८८७ - १० जुलाई सन १९७१) भोजपुरी के समर्थ लोक कलाकार, रंगकर्मी लोक जागरण के सन्देश वाहक, लोक गीत तथा भजन कीर्तन के अनन्य साधक थे। वे बहु आयामी प्रतिभा के व्यक्ति थे। वे भोजपुरी गीतों एवं नाटकों की रचना एवं अपने सामाजिक कार्यों के लिये प्रसिद्ध हैं। वे एक महान लोक कलाकार थे जिन्हें 'भोजपुरी का शेक्शपीयर' कहा जाता है। वे एक ही साथ कवि, गीतकार, नाटककार, नाट्य निर्देशक, लोक संगीतकार और अभिनेता थे। भिखारी ठाकुर की मातृभाषा भोजपुरी थी और उन्होंने भोजपुरी को ही अपने काव्य और नाटक की भाषा बनाया। .

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मान्तेन

माइकेल डि मांतेन (Michel de Montaigne; १५३३-१५९२) फ्रांसीसी पुनर्जागरण का सबसे प्रभावी लेखक था। माना जाता है कि उसने ही निबन्ध को साहित्य की एक विधा के रूप में प्रचलित किया। उसे आधुनिक संशयवाद (skepticism) का जनक भी माना जाता है। .

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माकबेथ

ब्रिटेन का शासक। उनका जन्म १००५ में हुआ था। उन्होने अपने जीवन के ज्य़ादा वक्त मोरय में गुज़ारा था। वहाँ वे अपने चचेरा भाई डंकन को युद्ध में पराजित करने की कोशिश में लगे रहते थे। माकबेथ विल्लियम शेक्स्पियर की दुखद कहानी माकबेथ के विषय के रूप में जाना जाता है। .

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मुखपृष्ठ/सुसान जेनिफर लनेर

लेनियर की काव्य शिल्प के बारे में सबसे अधिक बार गौर की गई बात यह थी कि उन्होंने एक कल्पित तरीके से कविता की रचना की और अपने किसी भी काम को संशोधित नहीं किया; स्वांसोंग को प्रकाशक को पहली मसौदा प्रति के रूप में भेजा गया, और न्यूयॉर्क टाइम्स में उन्होंने उद्धृत किया, "'मैं सिर्फ कविताओं को सीधे बाहर लिखति हूं।सबसे पहले मैंने कुछ सुधारने की कोशिश की और मुझे सुधार पसंद नहीं आई, इसलिए मैं इसे और नहीं करती हूं।लॉस एंजिल्स टाइम्स ने "लिस्ट ऑफ वेस्ट में सबसे तेज़ स्क्रॉल" के रूप में उन्हें संदर्भित किया।उनकी पहली कविताएं, और विशेषकर जॉन न्यूटन की कविता की चैम्पियनशिप की तत्काल और प्रफुल्लित प्रशंसा की आलोचना की गई थी, डेविड होलब्रुक, जॉन न्यूटन, ब्लॉब्समी और पोएटिक स्वाद की पुस्तक में।.

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मैनहटन

न्यू जर्सी के हैमिल्टन पार्क से मैनहटन. मैनहटन न्यूयॉर्क शहर के नगरों में से एक है। हडसन नदी के मुंहाने पर मुख्य रूप से मैनहटन द्वीप पर स्थित, इस नगर की सीमाएं न्यूयॉर्क राज्य के न्यूयॉर्क प्रान्त नामक एक मूल प्रान्त की सीमाओं के समान हैं। इसमें मैनहटन द्वीप और कई छोटे-छोटे समीपवर्ती द्वीप: रूज़वेल्ट द्वीप, रंडाल्स द्वीप, वार्ड्स द्वीप, गवर्नर्स द्वीप, लिबर्टी द्वीप, एलिस द्वीप, 523 यू.एस.

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मैकबेथ

ए सी के लिए पोस्टर.1884 मैकबैथ का अमेरिकी निर्माण, थॉमस डब्ल्यू. कीन द्वारा अभिनीत. शीर्ष बाएँ से घड़ी की विपरीत दिशा में: मैकबेथ और बैंको चुड़ैलों से मिलते हुए.डंकन की हत्या के ठीक बाद, बैंको के भूत, मैकडफ मैकबैथ का द्वंद युद्ध द ट्रेजडी ऑफ मैकबेथ (जिसे आम तौर पर मैकबेथ कहा जाता है) एक राज-हत्या और उसके बाद की घटनाओं पर विलियम शेक्सपियर द्वारा लिखा गया एक नाटक है, या संक्षेप में कहें तो मैकबेथ शेक्सपियर की एक कृति है। यह शेक्सपियर का सबसे छोटा शोकान्त नाटक है और माना जाता है कि इसे 1603 और 1603 के बीच किसी समय लिखा गया था। शेक्सपियर के नाटक पर किसी अभिनय का सबसे पहला संदर्भ संभवतः अप्रैल 1611 का है जब साइमन फोरमैन ने ऐसे ही एक नाटक को ग्लोब थियेटर में रिकॉर्ड किया था। यह पहली बार 1623 के फोलियो में प्रकाशित हुआ था जो संभवतः एक विशिष्ट अभिनय के लिए एक संवाद बताने वाली पुस्तक (प्रॉम्प्ट बुक) थी। इस शोकान्त नाटक के लिए शेक्सपियर के स्रोत होलिंशेड्स क्रॉनिकल्स (1587) में स्कॉटलैंड, मैकडफ और डंकन के किंग मैकबेथ के संदर्भ हैं, यह रचना शेक्सपियर और उनके समकालीनों के लिए परिचित इंग्लैंड, स्कॉटलैंड और आयरलैंड का इतिहास है। हालांकि, शेक्सपियर द्वारा बतायी गयी मैकबेथ की कहानी का स्कॉटिश इतिहास की वास्तविक घटनाओं से कोई संबंध नहीं है क्योंकि मैकबेथ एक प्रशंसित और सक्षम सम्राट थे। रंगमंच के नेपथ्य की दुनिया में कुछ लोगों का मानना है कि यह नाटक अभिशप्त है और इसके शीर्षक का उल्लेख जोर देकर नहीं किया जाएगा, इसकी बजाय इसे "द स्कॉटिश प्ले" जैसे नामों से संदर्भित किया जाता है। सदियों से इस नाटक ने मैकबेथ और लेडी मैकबेथ की भूमिकाओं में कई महानतम अभिनेताओं को आकर्षित किया है। इसे फिल्म, टेलीविजन, ओपेरा, उपन्यास, हास्य पुस्तकें और अन्य मीडिया के लिए रूपांतरित किया गया है। .

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मेगन फ़ॉक्स

मेगन डेनिस फ़ॉक्स (जन्म - 16 मई 1986), एक अमेरिकी अभिनेत्री और मॉडल है। उसने अपने अभिनय कॅरियर की शुरूआत, सन् 2001 में कई छोटी-छोटी टेलीविज़न और फ़िल्मी भूमिकाओं से की और होप ऐंड फ़ेथ में एक आवर्ती भूमिका निभाई.

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यूनाइटेड किंगडम

वृहत् ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैण्ड का यूनाइटेड किंगडम (सामान्यतः यूनाइटेड किंगडम, यूके, बर्तानिया, UK, या ब्रिटेन के रूप में जाना जाने वाला) एक विकसित देश है जो महाद्वीपीय यूरोप के पश्चिमोत्तर तट पर स्थित है। यह एक द्वीपीय देश है, यह ब्रिटिश द्वीप समूह में फैला है जिसमें ग्रेट ब्रिटेन, आयरलैंड का पूर्वोत्तर भाग और कई छोटे द्वीप शामिल हैं।उत्तरी आयरलैंड, UK का एकमात्र ऐसा हिस्सा है जहां एक स्थल सीमा अन्य राष्ट्र से लगती है और यहां आयरलैण्ड यूके का पड़ोसी देश है। इस देश की सीमा के अलावा, UK अटलांटिक महासागर, उत्तरी सागर, इंग्लिश चैनल और आयरिश सागर से घिरा हुआ है। सबसे बड़ा द्वीप, ग्रेट ब्रिटेन, चैनल सुरंग द्वारा फ़्रांस से जुड़ा हुआ है। यूनाइटेड किंगडम एक संवैधानिक राजशाही और एकात्मक राज्य है जिसमें चार देश शामिल हैं: इंग्लैंड, उत्तरी आयरलैंड, स्कॉटलैंड और वेल्स. यह एक संसदीय प्रणाली द्वारा संचालित है जिसकी राजधानी लंदन में सरकार बैठती है, लेकिन इसमें तीन न्यागत राष्ट्रीय प्रशासन हैं, बेलफ़ास्ट, कार्डिफ़ और एडिनबर्ग, क्रमशः उत्तरी आयरलैंड, वेल्स और स्कॉटलैंड की राजधानी.जर्सी और ग्वेर्नसे द्वीप समूह, जिन्हें सामूहिक रूप से चैनल द्वीप कहा जाता है और मैन द्वीप (आईल ऑफ मान), यू के की राजत्व निर्भरता हैं और UK का हिस्सा नहीं हैं। इसके इलावा, UK के चौदह समुद्रपार निर्भर क्षेत्र हैं, ब्रिटिश साम्राज्य, जो १९२२ में अपने चरम पर था, दुनिया के तकरीबन एक चौथाई क्षेत्रफ़ल को घेरता था और इतिहास का सबसे बड़ा साम्रज्य था। इसके पूर्व उपनिवेशों की भाषा, संस्कृति और कानूनी प्रणाली में ब्रिटिश प्रभाव अभी भी देखा जा सकता है। प्रतीकत्मक सकल घरेलू उत्पाद द्वारा दुनिया की छठी बड़ी अर्थव्यवस्था और क्रय शक्ति समानता के हिसाब से सातवाँ बड़ा देश होने के साथ ही, यूके एक विकसित देश है। यह दुनिया का पहला औद्योगिक देश था और 19वीं और 20वीं शताब्दियों के दौरान विश्व की अग्रणी शक्ति था, लेकिन दो विश्व युद्धों की आर्थिक लागत और 20 वीं सदी के उत्तरार्ध में साम्राज्य के पतन ने वैश्विक मामलों में उसकी अग्रणी भूमिका को कम कर दिया फिर भी यूके अपने सुदृढ़ आर्थिक, सांस्कृतिक, सैन्य, वैज्ञानिक और राजनीतिक प्रभाव के कारण एक प्रमुख शक्ति बना हुआ है। यह एक परमाणु शक्ति है और दुनिया में चौथी सर्वाधिक रक्षा खर्चा करने वाला देश है। यह यूरोपीय संघ का सदस्य है, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक स्थायी सीट धारण करता है और राष्ट्र के राष्ट्रमंडल, जी8, OECD, नाटो और विश्व व्यापार संगठन का सदस्य है। .

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रामवृक्ष बेनीपुरी

रामवृक्ष बेनीपुरी (२३ दिसंबर, 1900 - ९ सितंबर, १९६८) भारत के एक महान विचारक, चिन्तक, मनन करने वाले क्रान्तिकारी साहित्यकार, पत्रकार, संपादक थे।वे हिन्दी साहित्य के शुक्लोत्तर युग के प्रसिद्ध साहित्यकार थे। .

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रंगमंच

न्यूयॉर्क स्टेट थिएटर के अन्दर का दृष्य रंगमंच (थिएटर) वह स्थान है जहाँ नृत्य, नाटक, खेल आदि हों। रंगमंच शब्द रंग और मंच दो शब्दों के मिलने से बना है। रंग इसलिए प्रयुक्त हुआ है कि दृश्य को आकर्षक बनाने के लिए दीवारों, छतों और पर्दों पर विविध प्रकार की चित्रकारी की जाती है और अभिनेताओं की वेशभूषा तथा सज्जा में भी विविध रंगों का प्रयोग होता है और मंच इसलिए प्रयुक्त हुआ है कि दर्शकों की सुविधा के लिए रंगमंच का तल फर्श से कुछ ऊँचा रहता है। दर्शकों के बैठने के स्थान को प्रेक्षागार और रंगमंच सहित समूचे भवन को प्रेक्षागृह, रंगशाला, या नाट्यशाला (या नृत्यशाला) कहते हैं। पश्चिमी देशों में इसे थिएटर या ऑपेरा नाम दिया जाता है। .

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रुडयार्ड किपलिंग

रुडयार्ड किपलिंग (30 दिसम्बर 1865 - 18 जनवरी 1936) एक ब्रिटिश लेखक और कवि थे। ब्रिटिश भारत में बंबई में जन्मे, किपलिंग को मुख्य रूप से उनकी पुस्तक द जंगल बुक(1894) (कहानियों का संग्रह जिसमें रिक्की-टिक्की-टावी भी शामिल है), किम 1901 (साहस की कहानी), द मैन हु वुड बी किंग (1888) और उनकी कविताएं जिसमें मंडालय (1890), गंगा दीन (1890) और इफ- (1910) शामिल हैं, के लिए जाने जाते हैं। उन्हें "लघु कहानी की कला में एक प्रमुख अन्वेषक" माना जाता हैरूदरफोर्ड, एंड्रयू (1987).

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लाला हरदयाल

लाला हरदयाल (१४ अक्टूबर १८८४, दिल्ली -४ मार्च १९३९) भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के उन अग्रणी क्रान्तिकारियों में थे जिन्होंने विदेश में रहने वाले भारतीयों को देश की आजादी की लडाई में योगदान के लिये प्रेरित व प्रोत्साहित किया। इसके लिये उन्होंने अमरीका में जाकर गदर पार्टी की स्थापना की। वहाँ उन्होंने प्रवासी भारतीयों के बीच देशभक्ति की भावना जागृत की। काकोरी काण्ड का ऐतिहासिक फैसला आने के बाद मई, सन् १९२७ में लाला हरदयाल को भारत लाने का प्रयास किया गया किन्तु ब्रिटिश सरकार ने अनुमति नहीं दी। इसके बाद सन् १९३८ में पुन: प्रयास करने पर अनुमति भी मिली परन्तु भारत लौटते हुए रास्ते में ही ४ मार्च १९३९ को अमेरिका के महानगर फिलाडेल्फिया में उनकी रहस्यमय मृत्यु हो गयी। उनके सरल जीवन और बौद्धिक कौशल ने प्रथम विश्व युद्ध के समय ब्रिटिश साम्राज्यवाद के विरुद्ध लड़ने के लिए कनाडा और अमेरिका में रहने वाले कई प्रवासी भारतीयों को प्रेरित किया। .

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लंदन में पर्यटन

सूर्योदय से पहले थेम्स नदी लंदन दुनिया के अग्रणी पर्यटन स्थलों में से एक है, इस शहर में कई प्रसिद्द पर्यटक आकर्षण के केंद्र बिंदु हैं। लंदन में हर साल लगभग 15 मिलियन से अधिक अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक आते हैं, इस दृष्टि से पर्यटकों के द्वारा दुनिया के सबसे ज्यादा अंतर्राष्ट्रीय दौरे यहीं पर किये जाते हैं। लंदन के लिए पर्यटन बोर्ड कहा जाता है लंदन पर जाएँ.

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लॉरेंस फिशबर्न

लॉरेंस जॉन फिशबर्न III (Laurence John Fishburne III, जन्म ३० जुलाई १९६१) एक अमरीकी फ़िल्म व रंगमंच अभिनेता, लेखक, निर्देशक व निर्माता है। वे द मेट्रिक्स में मॉर्फियस की भूमिका के लिए जाने जाते हैं। अन्य भूमिकाओं में पी-वी'ज़ प्लेहाउस में काउबॉय कर्टिस और टीना टर्नर की जीवनी पर बनी वाट्स लव गॉट टू डू विथ ईट में इके टर्नर शामिल है। वह पहले अफ़्रीकी अमरीकी अभिनेता है जिन्होंने ऑलिवर पार्कर की १९९५ में बनी शेक्सपियर के नाटक पर आधारित फ़िल्म में ऑथेलो की भूमिका साकरी है। फिश्बर्न ने "एक नाटक में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता" का टोनी पुरस्कार टू ट्रेन्स रनिंग में अपनी भूमिका के लिए जीता है व ड्रामा सिरीज़ गेस्ट ऐक्टर का एमी पुरस्कार ट्रिबेका में अपनी भूमिका के लिए जीता है। .

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शब्दकोश

शब्दकोश (अन्य वर्तनी:शब्दकोष) एक बडी सूची या ऐसा ग्रंथ जिसमें शब्दों की वर्तनी, उनकी व्युत्पत्ति, व्याकरणनिर्देश, अर्थ, परिभाषा, प्रयोग और पदार्थ आदि का सन्निवेश हो। शब्दकोश एकभाषीय हो सकते हैं, द्विभाषिक हो सकते हैं या बहुभाषिक हो सकते हैं। अधिकतर शब्दकोशों में शब्दों के उच्चारण के लिये भी व्यवस्था होती है, जैसे - अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक लिपि में, देवनागरी में या आडियो संचिका के रूप में। कुछ शब्दकोशों में चित्रों का सहारा भी लिया जाता है। अलग-अलग कार्य-क्षेत्रों के लिये अलग-अलग शब्दकोश हो सकते हैं; जैसे - विज्ञान शब्दकोश, चिकित्सा शब्दकोश, विधिक (कानूनी) शब्दकोश, गणित का शब्दकोश आदि। सभ्यता और संस्कृति के उदय से ही मानव जान गया था कि भाव के सही संप्रेषण के लिए सही अभिव्यक्ति आवश्यक है। सही अभिव्यक्ति के लिए सही शब्द का चयन आवश्यक है। सही शब्द के चयन के लिए शब्दों के संकलन आवश्यक हैं। शब्दों और भाषा के मानकीकरण की आवश्यकता समझ कर आरंभिक लिपियों के उदय से बहुत पहले ही आदमी ने शब्दों का लेखाजोखा रखना शुरू कर दिया था। इस के लिए उस ने कोश बनाना शुरू किया। कोश में शब्दों को इकट्ठा किया जाता है। .

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शिवदान सिंह चौहान

शिवदान सिंह चौहान (1918-2000) हिन्दी साहित्य के प्रथम मार्क्सवादी आलोचक के रूप में ख्यात हैं। लेखक होने के साथ-साथ वे सक्रिय राजनीतिक कार्यकर्ता भी थे। .

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शिवराम महादेव परांजपे

शिवराम महादेव परांजपे (1864-1929 ई.) मराठी के प्रतिभाशाली साहित्यकार, वक्ता, पत्रकार और ध्येयनिष्ठ राजनीतिज्ञ थे। उन्होने 'काल' नामक साप्ताहिक द्वारा महाराष्ट्र में ब्रितानी शासन के विरुद्ध जनचेतना के निर्माण में सफलता पायी। .

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शेरलॉक होम्स

शेरलॉक होम्स उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्ध और बीसवीं सदी के पूर्वार्ध का एक काल्पनिक चरित्र है, जो पहली बार 1887 में प्रकाशन में उभरा। वह ब्रिटिश लेखक और चिकित्सक सर आर्थर कॉनन डॉयल की उपज है। लंदन का एक प्रतिभावान 'परामर्शदाता जासूस ", होम्स अपनी बौद्धिक कुशलता के लिए मशहूर है और मुश्किल मामलों को सुलझाने के लिए अपने चतुर अवलोकन, अनुमिति तर्क और निष्कर्ष के कुशल उपयोग के लिए प्रसिद्ध है। कोनन डॉयल ने चार उपन्यास और छप्पन लघु कथाएं लिखी हैं जिसमें होम्स को चित्रित किया गया है। पहली दो कथाएं (लघु उपन्यास) क्रमशः 1887 में बीटन्स क्रिसमस ऐनुअल में और 1890 में लिपिनकॉट्स मंथली मैग्जीन में आईं.

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शेक्सपियर इन लव

शेक्सपियर इन लव (Shakespeare in Love) जॉन मैडेन द्वारा निर्देशित 1998 की एक रोमांटिक कॉमेडी फिल्म है जो मार्क नॉर्मन तथा नाटककार टॉम स्टॉप्पर्ड द्वारा लिखी गई है। फिल्म का उद्देश्य नाटककार विलियम शेक्सपियर के उस समय के प्रेम प्रसंग को चित्रित करना है जब वह रोमियो एंड जूलियट नामक नाटक लिख रहे थे, यह काफी हद तक काल्पनिक है, हालांकि कई पात्र वास्तविक लोगों पर आधारित हैं। इसके अलावा, अधिकांश पात्रों, पंक्तियों तथा कथानकों में शेक्सपियर के नाटकों का हवाला दिया गया है। शेक्सपियर इन लव (Shakespeare in Love) ने सर्वश्रेष्ठ फिल्म, सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री (ग्वेनेथ पाल्त्रो) तथा सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री (जूडी डेंच) सहित सात अकादमी पुरस्कार जीते हैं। एनी हॉल (Annie Hall) (1977) के बाद सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार जीतने वाली यह पहली कॉमेडी फिल्म थी। .

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सत्यजित राय

सत्यजित राय (बंगाली: शॉत्तोजित् राय्) (२ मई १९२१–२३ अप्रैल १९९२) एक भारतीय फ़िल्म निर्देशक थे, जिन्हें २०वीं शताब्दी के सर्वोत्तम फ़िल्म निर्देशकों में गिना जाता है। इनका जन्म कला और साहित्य के जगत में जाने-माने कोलकाता (तब कलकत्ता) के एक बंगाली परिवार में हुआ था। इनकी शिक्षा प्रेसिडेंसी कॉलेज और विश्व-भारती विश्वविद्यालय में हुई। इन्होने अपने कैरियर की शुरुआत पेशेवर चित्रकार की तरह की। फ़्रांसिसी फ़िल्म निर्देशक ज़ाँ रन्वार से मिलने पर और लंदन में इतालवी फ़िल्म लाद्री दी बिसिक्लेत (Ladri di biciclette, बाइसिकल चोर) देखने के बाद फ़िल्म निर्देशन की ओर इनका रुझान हुआ। राय ने अपने जीवन में ३७ फ़िल्मों का निर्देशन किया, जिनमें फ़ीचर फ़िल्में, वृत्त चित्र और लघु फ़िल्में शामिल हैं। इनकी पहली फ़िल्म पथेर पांचाली (পথের পাঁচালী, पथ का गीत) को कान फ़िल्मोत्सव में मिले “सर्वोत्तम मानवीय प्रलेख” पुरस्कार को मिलाकर कुल ग्यारह अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले। यह फ़िल्म अपराजितो (অপরাজিত) और अपुर संसार (অপুর সংসার, अपु का संसार) के साथ इनकी प्रसिद्ध अपु त्रयी में शामिल है। राय फ़िल्म निर्माण से सम्बन्धित कई काम ख़ुद ही करते थे — पटकथा लिखना, अभिनेता ढूंढना, पार्श्व संगीत लिखना, चलचित्रण, कला निर्देशन, संपादन और प्रचार सामग्री की रचना करना। फ़िल्में बनाने के अतिरिक्त वे कहानीकार, प्रकाशक, चित्रकार और फ़िल्म आलोचक भी थे। राय को जीवन में कई पुरस्कार मिले जिनमें अकादमी मानद पुरस्कार और भारत रत्न शामिल हैं। .

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सरोज स्मृति

सरोज स्मृति १९३५ ई. में सूर्यकांत त्रिपाठी निराला द्वारा लिखी लंबी कविता और एक शोकगीत है। निराला ने यह शोकगीत 1935 में अपनी 18 वर्षीया पुत्री सरोज के निधन के उपरांत लिखा था। इसका प्रथम प्रकाशन 1938 या 1939 में प्रकाशित "द्वितीय अनामिका" के प्रथम संस्करण में हुआ था। इस कविता में उन्होंने अपने शोक के साथ-साथ समाज के प्रति आक्रोश और व्यंग्य प्रकट किया है। इसकी तुलना रामविलास शर्मा ने विलियम शेक्सपीयर के किंग लियर से करते हुए लिखा है कि हिंदी में ही नहीं अंग्रेजी में भी ऐसे शोकगीत दुर्लभ है। यह कविता हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ शोकगीतों में से एक मानी जाती है। निराला ने इस कविता के विषय की गंभीरता के बावजूद इसके लेखन में हलके-फुल्के शब्दों का प्रयोग किया है। .

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सारा बर्नहार्ट

सारा बर्नहार्ट (22 या 23 अक्टूबर 1844 – 26 मार्च 1923) एक फ्रेंच अभिनेत्री थी जिन्होंने फ़्रांस के 19वीं और 20वीं सदियों के कई लोकप्रिय नाटकों में अभिनय किया, जैसे एलेक्जेंडर डूमास, fils के La Dame Aux Camelias, विक्टर ह्यूगो के Ruy Blas, Victorien Sardou के Fédora और La Tosca, तथा Edmund Rostand द्वारा L'Aiglon। उन्होंने शेक्सपीयर के हैमलेट सहित कई पुरुष किरदारों को भी निभाया। Rostand ने बर्नहार्ट को "पोज़ की रानी और इशारे की राजकुमारी" कहा और वहीं ह्यूगो ने उनकी "सुनहरी आवाज़" की प्रशंसा की। उसने विश्व-भर में बहुत सारे रंगमंच के लिए यात्राएँ की और वह सबसे पहले मुख्य अभीनेत्रियों में से एक थी जिन्होंने ध्वनि रिकॉर्डिंग की तथा चलचित्र में अभिनय किया। .

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साल्वातोर काज़ीमोदो

साल्वातोर काज़ीमोदो (Salvatore Quasimodo) इटली के कवि थे। 1959 ई० में साहित्य में नोबेल पुरस्कार विजेता। .

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साहित्य

किसी भाषा के वाचिक और लिखित (शास्त्रसमूह) को साहित्य कह सकते हैं। दुनिया में सबसे पुराना वाचिक साहित्य हमें आदिवासी भाषाओं में मिलता है। इस दृष्टि से आदिवासी साहित्य सभी साहित्य का मूल स्रोत है। .

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सुमन पोखरेल

सुमन पोखरेल (जन्म २१ सितम्बर, १९६७) नेपाली कवि, गीतकार, अनुवादक तथा कलाकार हैं। Ed.

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स्टेफनी मेयर

स्टेफनी मेयर (Stephenie Meyer, जन्म २४ दिसम्बर १९७३) एक अमरीकी लेखिका है जो अपनी पिशाच रोमांस शृंखला ट्वाइलाइट के लिए जानी जाती है। ट्वाइलाइट उपन्यासों ने विश्वभर में ख्याती बटोरी है व १०० मिलियन से अधिक प्रतियां बेची है जिसका ३७ भाषाओं में अनुवाद किया जा चूका है। मेयर अमरीका में २००८ और २००९ के अधिकतम बिक्री वाली लेखिका थी जिन्होंने २००८ में २९ मिलियन पुस्तकें व २००९ में २६.५ मिलियन पुस्तकें बेची थी। ट्वाइलाइट वर्ष की सर्वाधिक बिक्री वाली पुस्तक थी। .

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सेठ गोविंद दास

सेठ गोविंददास (1896 – 1974) भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, सांसद तथा हिन्दी के साहित्यकार थे। उन्हें साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में सन १९६१ में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। भारत की राजभाषा के रूप में हिन्दी के वे प्रबल समर्थक थे। सेठ गोविंददास हिन्दी के अनन्य साधक, भारतीय संस्कृति में अटल विश्वास रखने वाले, कला-मर्मज्ञ एवं विपुल मात्रा में साहित्य-रचना करने वाले, हिन्दी के उत्कृष्ट नाट्यकार ही नहीं थे, अपितु सार्वजनिक जीवन में अत्यंत स्वच्छ, नीति-व्यवहार में सुलझे हुए, सेवाभावी राजनीतिज्ञ भी थे। सन् १९४७ से १९७४ तक वे जबलपुर से सांसद रहे। वे महात्मा गांधी के निकट सहयोगी थे। उनको दमोह में आठ माह का कारावास झेलना पड़ा था जहाँ उन्होने चार नाटक लिखे- "प्रकाश" (सामाजिक), "कर्तव्य" (पौराणिक), "नवरस" (दार्शनिक) तथा "स्पर्धा" (एकांकी)। .

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हरिवंश राय बच्चन

हरिवंश राय श्रीवास्तव "बच्चन" (२७ नवम्बर १९०७ – १८ जनवरी २००३) हिन्दी भाषा के एक कवि और लेखक थे। इलाहाबाद के प्रवर्तक बच्चन हिन्दी कविता के उत्तर छायावाद काल के प्रमुख कवियों मे से एक हैं। उनकी सबसे प्रसिद्ध कृति मधुशाला है। भारतीय फिल्म उद्योग के प्रख्यात अभिनेता अमिताभ बच्चन उनके सुपुत्र हैं। उन्होने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अध्यापन किया। बाद में भारत सरकार के विदेश मंत्रालय में हिन्दी विशेषज्ञ रहे। अनन्तर राज्य सभा के मनोनीत सदस्य। बच्चन जी की गिनती हिन्दी के सर्वाधिक लोकप्रिय कवियों में होती है। .

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हैमलेट

हैमलेट (Hamlet) शेक्सपियर का एक दु:खांत नाटक है, जिसका अभिनय सर्वप्रथम सन् १६०३ ई. तथा प्रकाशन सन् १६०४ ई. के लगभग हुआ था। .

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जुलियस सीसर

सीज़र इतिहास प्रसिद्ध रोमन सैनिक एवं नीतिज्ञ गोयस जूलियस सीज़र (१०१-४४ ई. पू.) से लेकर सम्राट हैड्रियन (१३८ ई.) तक के सभी रोमन सम्राटों की उपाधि रही। गायस जूलियस सीज़र १०२ तथा १०० ई. पू.

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जुलियस सीजर (नाटक)

जूलियस सीज़र अंग्रेजी भाषा का एक दुःखान्त नाटक है। शेक्सपियर ने इसे अपने साहित्यिक जीवन के तीसरे काल सन् 1601 से 1604 ई. के बीच लिखा था, तथा उसमें निराशा, वेदना और तिक्तता अधिक मिलती है। .

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जूडस इस्कैरियट

जूडस इस्कैरियट (दाएं), द लास्ट सपर से जाते हुए, कार्ल ब्लोश की पेंटिंग, 19वीं सदी के उत्तरार्ध में जूडस इस्कैरियट, (יהודה איש־קריות,यहूदा) न्यू टेस्टामेंट के अनुसार यीशु के बारह मूल धर्मदूतों में से एक थे और प्रधान पादरी के कहने पर यीशु को धोखा देने के लिए उन्हें अधिक जाना जाता है। .

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जॉगिंग

महिला एक कुत्ते के साथ जॉगिंग करती हुई जॉगिंग दौड़ का ही एक रूप है जिसमें व्यक्ति धीमी गति से और इत्मीनान से लगातार दौड़ता रहता है। इसका मुख्य उद्देश्य शरीर की फिटनेस को बढ़ाना है। इससे शरीर पर वह तनाव उत्पन्न नहीं होता है जो तेज गति से दौड़ने के कारण पैदा होता है। .

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जोन ऑफ़ आर्क

संत जोन ऑफ़ आर्क या ऑर्लियन्स की कन्या (फ्रांसीसी: Jeanne d'Arc, ज़ॉन द'आर्क); लगभग १४१२ – ३० मई १४३१) फ्रांस की वीरांगना थीं, जिन्हें रोमन कैथोलिक चर्च में संत माना जाता है। ये पूर्वी फ्रांस के एक किसान परिवार में जन्मी थीं। १२ वर्ष की आयु से इन्हें ईश्वरीय संदेश मिलने शुरु हुए कि किस तरह फ्रांस से अंग्रेजों को निकाल बाहर किया जाए। इन्हीं दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए इन्होंने फ्रांस की सेना का नेतृत्व किया और कई महत्वपूर्ण लड़ाइयाँ जीतीं, जिनके चलते चार्ल्स सप्तम फ्रांस की राजगद्दी पर बैठ पाए। ये फ्रांस के संरक्षक संतों में से एक हैँ। जोन का कहना था कि इन्हें ईश्वर से आदेश मिले कि वे अपनी जन्मभूमि को अंग्रेजों से मुक्त कराएँ। सौ वर्षों के युद्ध के अंतिम वर्षों में इंग्लैण्ड ने फ्रांस के काफी भूभाग पर कब्जा कर लिया था। फ्रांस के वैध राजा चार्ल्स सप्तम का राज्याभिषेक भी नहीं हो पाया था। जोन ने जब चार्ल्स को बताया कि ईश्वरीय संदेश के अनुसार ऑर्लियन्स में फ्रांस की जीत निश्चित है, तो चार्ल्स ने जोन को ऑर्लियन्स की घेराबंदी तोड़ने के लिए भेज दिया। ऑर्लियन्स पहुँच कर जोन ने हतोत्साहित सेनापतियों को उत्साह दिलाया और नौ दिन के अंदर-अंदर घेराबंदी को तोड़ डाला। इसके बाद इन्होंने फ्रांस की सेना की सावधानी से काम लेने की नीति को बदल दिया और अपने स्फूर्त नेतृत्व से कई और लड़ाइयाँ जीतीं। अंततः इनके कहे अनुसार रैम में चार्ल्स सप्तम का राज्याभिषेक हुआ। कॉम्पियैन में इन्हें अंग्रेजों ने पकड़ लिया और चुड़ैल करार देते हुए जीवित जला दिया। उस समय ये केवल १९ साल की थीं। २४ साल बाद चार्ल्स सप्तम के अनुरोध पर पोप कॅलिक्स्टस तृतीय ने इन्हें निर्दोष ठहराया और शहीद की उपाधि से सम्मानित किया। १९०९ में इन्हें धन्य घोषित किया गया और १९२० में संत की उपाधि प्रदान की गई। पाश्चात्य संस्कृति में जोन ऑफ़ आर्क की बहुत महत्ता है। नेपोलियन से लेकर आधुनिक नेताओं तक, सब फ्रांसीसी राजनेता जोन का आह्वान करते आए हैं। बहुत से लेखकों ने इनके जीवन से प्रेरित हो साहित्य रचा है, जिनमें शामिल हैं- विलियम शेक्सपियर, वोल्टेयर, फ्रेडरिक शिलर, जिसेप वर्दी, प्योत्र ईलिच चाइकौव्स्की, मार्क ट्वेन, बर्तोल्त ब्रैच्त और जॉर्ज बर्नार्ड शॉ। इसके अलावा इनपर बहुत सी फिल्में, वृत्तचित्र, वीडियो गेम और नृत्य भी बने हैं। .

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वाइटहॉल पैलस

वाइटहॉल पैलेस या पैलेस ऑफ़ वाइटहॉल(Palace of Whitehall, ब्रिटिश उच्चारण:प़ॅलॆस् ऑफ़ व़ाइठ्हाॅल़्) (अर्थात, वाइटहॉल का महल), लंदन के वेस्टमिंस्टर शहर में स्थित एक पूर्व राजमहल था। यह महल 1530 से 1698 तक, अंग्रेजी राजाओं और, लंदन में, क्वींस का मुख्य राजनिवास हुआ करता था। दुर्भाग्यवश १६९८ में एक भीषण आग के कारण यह महल पूरी तरह से नष्ट हो गया था। उस आग में महल के इनिगो जोन्स के 1622 के बैंक्वेट हॉल(दावत घर) को छोड़कर पूरा महल नष्ट हो गया। आग से पहले, यह महल यूरोप में सबसे बड़ा महल हुआ करता था। उस समय, इस महल में कुल 1500 कमरे हुआ करते थे, और एक समय में यह दुनिया की सबसे बड़ी इमारत हुआ करता था। महल के स्थान पर आज अनेक सरकारी भवन व कार्यालय हैं, इतना की, ब्रिटेन में अक्सर सरकार का बोध करने के लिए "वाइटहॉल" शब्द को एक उपलक्षण के रूप में भी उपयोग किया जाता है। इन सरकारी इमारतों के अलावा इस स्थान से "वाइटहॉल रोड" नमक एक सड़क भी गुज़रती है, जिसका नाम इस पूवस्थित महल के नाम पर रखा गया है। .

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विलियम

विलियम निम्न लोगों का नाम है: .

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विशाल भारद्वाज

विशाल भारद्वाज भारतीय हिन्दी फिल्म उद्योग बॉलीवुड के एक प्रसिद्ध संगीतकार, गीतकार, पटकथा लेखक व निर्देशक हैं। उन्हे गॉडमदर और इश्किया के लिये सर्वश्रेष्ठ संगीत के राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। विशाल के शब्दों मे "गुलजार" उनके प्रेरणास्त्रोत रहे हैं। .

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वी फॉर वेंडेट्टा

वी फॉर वेंडेट्टा के एलन मूरद्वारा लिखित और डेविड लॉयड द्वारा चित्रों में व्याख्यायित हास्य पुस्तकों की दस अंकों वाली एक श्रृंखला है, जिसमें 1990 के दशकों के बारे में 1980 के दशकों में ही युनाइटेड किंगडम के मनहूस भविष्य की कल्पना सचित्र दर्शायी गई है। एक रहस्यमय क्रांतिकारी जो अपने आपको "वी" कहता है, अधिनायकवादी सरकार को तबाह कर देने के लिए काम करता है और उनलोगों को बुरी तरह प्रभावित करता है जिनसे उसका सामना होता है। यह श्रृंखला एक सीमित परमाणु युद्ध जिसने संसार के लगभग अधिकांश हिस्से को तबाह कर दिया है, के पश्चात् निकट-भविष्य वाले ब्रिटेन का चित्र दर्शाती हैं। इस भविष्य में, "नॉर्सफायर" नामक एक फासीवादी पार्टी सत्तारूढ़ शक्ति के रूप में उभर कर सामने आती है। "वी", एक अराजकतावादी क्रांतिकारी एक गाय फॉक्स के वेश में मुखौटा पहने, सरकार गिरा देने के लिए एक व्यापक, हिंसक, एवं नाटकीय अभियान आरंभ कर देता है। 2006 में वार्नर ब्रदर्स ने इस पर आधारित एक फ़िल्म रिलीज़ की। .

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गुलाब खंडेलवाल

गुलाब खण्डेलवाल एक भारतीय कवि हैं। .

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गुस्ताव फ्लोवेर

युवावस्था में गुस्ताव फ्लोवेर गुस्ताव फ्लोवेर (Gustave Flaubert; फ्रांसीसी उच्चारण:; 12 दिसम्बर 1821 – 8 मई 1880)) फ्रेंच उपन्यासकार थे। .

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गोलियों की रासलीला रामलीला

गोलियों की रासलीला रामलीला संजय लीला भंसाली द्वारा निर्देशित २०१३ की बॉलीवुड की हिन्दी रोमांटिक-नाटक फ़िल्म है। राम-लीला दुश्मनी, घृणा और ख़ून ख़राबे के बीच पनपी एक प्रेम कहानी है। गुजरात में सनेड़ा और रजाड़ी खानदानों के बीच पांच सौ सालों से दुश्मनी चली आ रही है। .

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ओमकारा

ओमकारा (उर्दू: امکارا) वर्ष 2006 की अपराध-ड्रामा पर आधारित हिंदी भाषा की भारतीय फिल्म है, जिसे विशाल भारद्वाज ने निर्देशन एवं सह-लेखन किया है। फिल्म शेक्सपियर की कृति 'ओथेलो' का आधुनिक सिनेरूपांतरण है। मुख्य भूमिकाओं में अजय देवगन, सैफ अली खान, विवेक ओबराॅय एवं करीना कपूर के साथ सह-भूमिकाओं में नसीरुद्दीन शाह, कोंकणा सेन शर्मा और बिपाशा बसु सम्मिलित हैं। निर्देशक विशाल भारद्वाज ने संगीत निर्देशन के साथ फिल्म की पार्श्वसंगीत भी तैयार किया है, और गीत दिए है गुलजार ने। फिल्म की शुटआउट राज्य उत्तरप्रदेश के पश्चिमी प्रांत, मेरठ में की गई है। फिल्म को मारशे-ड्यु फिल्म सेक्शन के सहयोग से कांस फिल्म उत्सव में ट्रेलर प्रदर्शन के साथ फिल्म ओमकारा के निर्माण पर किताब का विमोचन भी हुआ। कायरो अंतर्राष्ट्रीय फिल्म उत्सव में पर्दापर्ण के साथ ही भारद्वाज को बतौर सिनेमा निर्देशक का उत्कृष्ट कलात्मक सेवादान से शोभित किया गया। कारा फिल्म उत्सव में फिल्म को तीन पुरस्कार मिले फिर एशियन फेस्टिवल के प्रथम फिल्म के साथ तीन राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार एवं सात फिल्मफेयर पुरस्कार से भी विजयी हुई। भारद्वाज के लोकप्रिय शेक्सपियर के नाट्य-कृतियों के देशी रूपांतरण में यह उनका दूसरा संस्करण है। इससे पूर्व विशाल ने वर्ष 2003 में 'मकबूल' और 2014 में 'हैदर' का भी बतौर निर्माण-निर्देशन किया जो क्रमशः 'मेकबैथ' एवं 'हेमलेट' पर आधारित था। भारद्वाज ने अन्य कृतियों जैसे लेखक रस्किन बाॅण्ड की दो किताब पर आधारित क्रमशः 'द ब्लू अंब्रेला' और 'सात खून माफ' का भी निर्माण किया। .

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आईज़ैक असिमोव

आईज़ैक असिमोव (Айзек Азимов; जन्मतः आईज़ैक युडोविच ओज़िमोव, Исаак Юдович Озимов 2 जनवरी 1920 - 6 अप्रैल 1992), एक अमेरिकी लेखक और बोस्टन विश्वविद्यालय में जैव-रसायन (बायोकेमिस्ट्री) के प्रोफेसर थे जिन्हें अपने साइंस फिक्शन से संबंधित कार्यों तथा साइंस की लोकप्रिय किताबों के लिए जाना जाता है। असिमोव, लेखन के क्षेत्र में अब तक सर्वाधिक कार्य करने वाले लेखकों में से एक हैं जिन्होंने 500 से अधिक पुस्तकों तथा अनुमानतः 9000 पत्रों और पोस्टकार्डों को लिखा अथवा सम्पादित किया है। उनके कार्यों को ड्यूवी डेसिमल सिस्टम की दस में से नौ श्रेणियों में प्रकाशित किया जा चुका है (100s: फिलोसोफी एंड साइकोलोजी इसका एकमात्र अपवाद है).

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इन दिनों

कुंवर नारायण भारतीय परंपरा के उन प्रमुख कवियों में हैं जिनकी कविता मानवीय मूल्यों के अनुरूप परिवर्तन और निर्माण के लिए किसी बड़ी नदी की तरह हर बार मार्ग बदलती रही है। उनता छठा कविता संग्रह इन दिनों पढ़ते हुए जीवन के पचहत्तर वर्ष पूरे करने वाले कवि के जीवनाभुवों से मिलने-टकराने की भी अपेक्षा रहती है। जीवन के अनेकानेक पक्षों को जिस भाषिक संक्षिप्तता और अर्थ गहराई के साथ उन्होंने कविता का विषय बनया है उसे देखकर उन्हीं की कविता पंक्ति में ‘कभी’ की जगह ‘कवि’ को रखकर कहा जा सकता है कि – ‘कवि तुमने कविता की ऊंचाई से देखा शहर’ और अब इस ताजा संग्रह में उन्होंने कहा है कि ‘बाजार की चौंधिया देने वाली जगमगाहट, के बीच / अचानक संगीत की एक उदास ध्वनि में हम पाते हैं / उसके वैभव की एक ज्यादा सच्ची पहचान’। इन पंक्तियों में अर्थ की सारी चाभी ‘उदास’ विशेषण के पास है जिसका अन्वय बाजार, संगीत और ध्वनि तीनों के साथ करना पड़ेगा और समन्वय करना पड़ेगा ‘वैभव’ के साथ भी। इस संग्रह में कहीं किसी निरर्थक विशेषण का प्रयोग कवि ने नहीं किया है। इस सृजन संयम से भी बहुत कुछ सीखा जा सकता है। इन कविताओं में यदि कोई खोट या मैल दिखाई दे तो वह रचनाकार की दुनिया में विनम्र न होकर जाने का अहंकार है जो शायद ‘सादगी’ कविता की इन पंक्तियों से तुष्ट हो सके: ‘तुम्हारे कपड़ों का दोष है / मिट्टी का नहीं / जो उसे छूते ही मैले हो गये तुम /’ शुरू से ही उनकी कविताओं में ‘अलख’ (जो दिखाई नहीं देता है। वह यथार्थ) दिखाने के प्रति विशेष रुझाम रहा है जिसे पुराने मुहावरे में ‘अलख जगाना’ कहते थे जो कहने को व्यक्तिगत नहीं रहने देता और सहने की दुर्निवार अभिव्यक्ति को सामाजिक बना देता है। हम ऐसे समय में आ गये हैं जब बाजार वैकल्पिक अर्थव्यवस्था का साधन और सूत्रधार बनकर आधुनिकता और विकास को उदास और प्रसन्न दो चेहरों की तरह धारण किये हुए सब पर छा गया है। कवियों के लिए भले ही यह स्थायी भाव न रहा हो, लेकिन हिंदी कविता में यह बाजार-भाव नया नहीं है। पिछले सात सौ साल से तो यह चल ही रह है। प्राचीन जगत व्यापार से लेकर ‘कबिरा घड़ा बजार में’ और ‘धोति फटी सिलटी दुपटी’ से लेकर आज तक यह बाजार व्याप्त रहा है। बाजारवाद का जवाब देने के लिए आज जिस नयी दृष्ट की जरूरत है उससे उपजी हुई कविताएं कुंवर नारायण के इस नये कविता संग्रह में एकत्र हुई हैं। ‘इन दिनों’ में जो कुछ भी हमें घेरे, दबोचे और चिंतित किये हुए है वह किसी न किसी सूत्र के रूप में इस संग्रह की ८३ कविताओं में मौजूद है। इन कविताओं में दरअसल प्रेम के खो जाने का और बाजार के आतंक का मुकाबला मानवीय सहजता से व्यंग्य क्षमता के अनोखे अंदाज में किया गया है। न कवि ने स्वयं को कहीं परास्त माना है न विजेता, फिर भी जले हुए मकान की वास्तविकता के सामने अपने जीवित होने को कई कत्लों के बाद जीवित होना माना है। यह रूपक वहां तक जाता है जहां उसे कहना पड़ता है कि ‘ऐसे ही लोग थे, ऐसे ही शहर, रुकते ही नहीं किसी तरह मेरी हत्या के सिलसिले।‘ यह जला हुआ मकान हिंदुस्तान के सिवा आखिर हो भी कौन सकता है? इतने बड़े मकान में एक छोटा घर और इस ‘घर का दरवाजा जैसे गर्द से ढंकी एक पुरानी किताब’, जिसमें ‘लौटी हो एक कहानी अपने नायक के साथ छानकर दुनिया भर की खाक’। ‘जो रोज पढ़ता है अखबारों में कि अब वह नहीं रहा, अपनी शोकसभाओं में खड़ा है वह, आंखें बंद किये – दो मिनटों का मौन।‘ इस भयावह समय में कुंवर नारायण का कविता संग्रह व्यक्तिगत डायरी, कहानी, निबंध और नाटक का मिलाजुला स्वाद देने वाले किसी अलभ्य ऐलबम की तह अपनी जीवंत उपस्थिति के घेरे में ले लेता है: ‘आधी रात अपने घर में घुस रह हूं चोरों की तरह/...

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इंग्लैण्ड

इंग्लैण्ड (अंग्रेज़ी: England), ग्रेट ब्रिटेन नामक टापू के दक्षिणी भाग में स्थित एक देश है। इसका क्षेत्रफल 50,331 वर्ग मील है। यह यूनाइटेड किंगडम का सबसे बड़ा निर्वाचक देश है। इंग्लैंड के अलावा स्कॉटलैंड, वेल्स और उत्तर आयरलैंड भी यूनाइटेड किंगडम में शामिल हैं। यह यूरोप के उत्तर पश्चिम में अवस्थित है जो मुख्य भूमि से इंग्लिश चैनल द्वारा पृथकीकृत द्वीप का अंग है। इसकी राजभाषा अंग्रेज़ी है और यह विश्व के सबसे संपन्न तथा शक्तिशाली देशों में से एक है। इंग्लैंड के इतिहास में सबसे स्वर्णिम काल उसका औपनिवेशिक युग है। अठारहवीं सदी से लेकर बीसवीं सदी के मध्य तक ब्रिटिश साम्राज्य विश्व का सबसे बड़ा और शकितशाली साम्राज्य हुआ करता था जो कई महाद्वीपों में फैला हुआ था और कहा जाता था कि ब्रिटिश साम्राज्य में सूर्य कभी अस्त नहीं होता। उसी समय पूरे विश्व में अंग्रेज़ी भाषा ने अपनी छाप छोड़ी जिसकी वज़ह से यह आज भी विश्व के सबसे अधिक लोगों द्वारा बोले व समझे जाने वाली भाषा है। .

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कथासाहित्य (संस्कृत)

संस्कृत भाषा में निबद्ध कथाओं का प्रचुर साहित्य है जो सैकड़ों वर्षो से मनोरंजन करता हुआ उपदेश देता आ रहा है। कथासाहित्य से संबद्ध ग्रंथों के आलोचन से स्पष्ट हो जाता है कि संस्कृत साहित्य में तीनों प्रकार की कहानियों के उदाहरण मिलते हैं जो वर्तमान समय में पश्चिमी देशों में (१) फ़ेअरी टेल्स (परियों की कहानियाँ), (२) फ़ेबुल्स (जंतुकथाएँ) तथा (३) डायडेक्टिक टेल्स (उपदेशमयी कहानियाँ) कही जातीं हैं। .

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करीना कपूर

करीना कपूर (जन्म: २१ सितम्बर १९८०) बॉलीवुड फिल्मों में काम करने वाली एक भारतीय फ़िल्म अभिनेत्री हैं। कपूर फ़िल्म परिवार में जन्मी करीना ने अभिनय की शुरुआत साल २००० में रिलीज़ हुई फ़िल्म रिफ्युज़ी के साथ की। इस फ़िल्म में अपने अभिनय के लिए उन्हें फिल्मफेयर बेस्ट फीमेल डेब्यू यानि उस साल अपने अभिनय जीवन की शुरुआत करने वाली अभिनेत्रियों में से सर्वश्रेष्ठ अभिनत्री का पुरस्कार भी मिला। साल २००१ में, अपनी दूसरी फ़िल्म मुझे कुछ कहना है रिलीज़ होने के साथ ही, कपूर को अपनी पहली व्यावसायिक सफलता मिली। इसके बाद इसी साल आई करन जौहर की नाटक से भरपूर फ़िल्म कभी खुशी कभी ग़म में भी करीना नज़र आयीं। ये फ़िल्म उस साल विदेशों में सबसे ज़्यादा कमाई करने वाली भारतीय फ़िल्म बन गई और साथ ही करीना के लिए ये तब तक की सबसे बड़ी व्यावसायिक सफलता थी। २००२ और २००३ में लगातार कई फिल्मों की असफलता और एक जैसी भूमिकाएं करने की वजह से करीना को समीक्षालों से काफ़ी नकारात्मक प्रतिक्रियाएं मिलीं, उसके बाद करीना ने एक जैसी भूमिकाओं या टाईपकास्ट (typecast) से बचने के लिए ज्यादा मेहनत वाली और कठिन भूमिकाएं लेना शुरू कर दिया। फ़िल्म चमेली (Chameli) में देह व्यापार करने वाली एक लड़की की भूमिका ने उनके करियर की दिशा बदल दी। इस फ़िल्म में अपने अभिनय के लिए उन्हें फ़िल्मफेयर स्पेशल परफोर्मेंस अवार्ड या फ़िल्मफेयर विशिष्ट प्रदर्शन पुरस्कार (Filmfare Special Performance Award) भी मिला। इसके बाद, फ़िल्म समीक्षकों द्वारा बहुप्रशंसित फिल्मों देव और ओंकारा में अभिनय के लिए उन्हें फिल्मफेयर समारोह में आलोचकों की दृष्टि से दो सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार (Critics Awards for Best Actress) भी मिले। २००४ और २००६ के बीच अभिनय के क्षेत्र में इतनी अलग-अलग तरह की भूमिकाएं करने के बाद उन्हें बहुमुखी प्रतिभा की धनी अभिनेत्री के रूप में जाना जाने लगा। वर्ष २००७ में, कपूर ने व्यावसायिक दृष्टि से बेहद सफल रही कॉमेडी-रोमांस फ़िल्म जब वी मेट में अपने प्रदर्शन के लिए फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार जीता.बॉक्स ऑफिस पर कमाई करने के मामले में भले ही उनकी फिल्मों का प्रदर्शन काफी अलग अलग रहा हो लेकिन करीना ख़ुद को हिन्दी फ़िल्म उद्योग में आज कल की अग्रणी फ़िल्म अभिनेत्री के रूप में स्थापित करने में सफल रही हैं। .

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कार्ल मार्क्स

कार्ल हेनरिख मार्क्स (1818 - 1883) जर्मन दार्शनिक, अर्थशास्त्री और वैज्ञानिक समाजवाद का प्रणेता थे। इनका जन्म 5 मई 1818 को त्रेवेस (प्रशा) के एक यहूदी परिवार में हुआ। 1824 में इनके परिवार ने ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया। 17 वर्ष की अवस्था में मार्क्स ने कानून का अध्ययन करने के लिए बॉन विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। तत्पश्चात्‌ उन्होंने बर्लिन और जेना विश्वविद्यालयों में साहित्य, इतिहास और दर्शन का अध्ययन किया। इसी काल में वह हीगेल के दर्शन से बहुत प्रभावित हुए। 1839-41 में उन्होंने दिमॉक्रितस और एपीक्यूरस के प्राकृतिक दर्शन पर शोध-प्रबंध लिखकर डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। शिक्षा समाप्त करने के पश्चात्‌ 1842 में मार्क्स उसी वर्ष कोलोन से प्रकाशित 'राइनिशे जीतुंग' पत्र में पहले लेखक और तत्पश्चात्‌ संपादक के रूप में सम्मिलित हुआ किंतु सर्वहारा क्रांति के विचारों के प्रतिपादन और प्रसार करने के कारण 15 महीने बाद ही 1843 में उस पत्र का प्रकाशन बंद करवा दिया गया। मार्क्स पेरिस चला गया, वहाँ उसने 'द्यूस फ्रांजोसिश' जारबूशर पत्र में हीगेल के नैतिक दर्शन पर अनेक लेख लिखे। 1845 में वह फ्रांस से निष्कासित होकर ब्रूसेल्स चला गया और वहीं उसने जर्मनी के मजदूर सगंठन और 'कम्युनिस्ट लीग' के निर्माण में सक्रिय योग दिया। 1847 में एजेंल्स के साथ 'अंतराष्ट्रीय समाजवाद' का प्रथम घोषणापत्र (कम्युनिस्ट मॉनिफेस्टो) प्रकाशित किया 1848 में मार्क्स ने पुन: कोलोन में 'नेवे राइनिशे जीतुंग' का संपादन प्रारंभ किया और उसके माध्यम से जर्मनी को समाजवादी क्रांति का संदेश देना आरंभ किया। 1849 में इसी अपराघ में वह प्रशा से निष्कासित हुआ। वह पेरिस होते हुए लंदन चला गया जीवन पर्यंत वहीं रहा। लंदन में सबसे पहले उसने 'कम्युनिस्ट लीग' की स्थापना का प्रयास किया, किंतु उसमें फूट पड़ गई। अंत में मार्क्स को उसे भंग कर देना पड़ा। उसका 'नेवे राइनिश जीतुंग' भी केवल छह अंको में निकल कर बंद हो गया। कोलकाता, भारत 1859 में मार्क्स ने अपने अर्थशास्त्रीय अध्ययन के निष्कर्ष 'जुर क्रिटिक दर पोलिटिशेन एकानामी' नामक पुस्तक में प्रकाशित किये। यह पुस्तक मार्क्स की उस बृहत्तर योजना का एक भाग थी, जो उसने संपुर्ण राजनीतिक अर्थशास्त्र पर लिखने के लिए बनाई थी। किंतु कुछ ही दिनो में उसे लगा कि उपलब्ध साम्रगी उसकी योजना में पूर्ण रूपेण सहायक नहीं हो सकती। अत: उसने अपनी योजना में परिवर्तन करके नए सिरे से लिखना आंरभ किया और उसका प्रथम भाग 1867 में दास कैपिटल (द कैपिटल, हिंदी में पूंजी शीर्षक से प्रगति प्रकाशन मास्‍को से चार भागों में) के नाम से प्रकाशित किया। 'द कैपिटल' के शेष भाग मार्क्स की मृत्यु के बाद एंजेल्स ने संपादित करके प्रकाशित किए। 'वर्गसंघर्ष' का सिद्धांत मार्क्स के 'वैज्ञानिक समाजवाद' का मेरूदंड है। इसका विस्तार करते हुए उसने इतिहास की भौतिकवादी व्याख्या और बेशी मूल्य (सरप्लस वैल्यू) के सिद्धांत की स्थापनाएँ कीं। मार्क्स के सारे आर्थिक और राजनीतिक निष्कर्ष इन्हीं स्थापनाओं पर आधारित हैं। 1864 में लंदन में 'अंतरराष्ट्रीय मजदूर संघ' की स्थापना में मार्क्स ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। संघ की सभी घोषणाएँ, नीतिश् और कार्यक्रम मार्क्स द्वारा ही तैयार किये जाते थे। कोई एक वर्ष तक संघ का कार्य सुचारू रूप से चलता रहा, किंतु बाकुनिन के अराजकतावादी आंदोलन, फ्रांसीसी जर्मन युद्ध और पेरिस कम्यूनों के चलते 'अंतरराष्ट्रीय मजदूर संघ' भंग हो गया। किंतु उसकी प्रवृति और चेतना अनेक देशों में समाजवादी और श्रमिक पार्टियों के अस्तित्व के कारण कायम रही। 'अंतरराष्ट्रीय मजदूर संघ' भंग हो जाने पर मार्क्स ने पुन: लेखनी उठाई। किंतु निरंतर अस्वस्थता के कारण उसके शोधकार्य में अनेक बाधाएँ आईं। मार्च 14, 1883 को मार्क्स के तूफानी जीवन की कहानी समाप्त हो गई। मार्क्स का प्राय: सारा जीवन भयानक आर्थिक संकटों के बीच व्यतीत हुआ। उसकी छह संतानो में तीन कन्याएँ ही जीवित रहीं। .

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किंग लीयर (शेक्सपीयर कृत)

तूफान में किंग लियर और मूर्ख किंग लियर (King Lear), इंगलैंड के प्राचीन इतिहास से संबंधित शेक्स्पियर का एक दु:खांत नाटक (ट्रेजेडी) है। इसका प्रथम अभिनय सन् १६०६ ई. तथा प्रथम प्रकाशन सन् १६०८ ई. में हुआ। इस कृति में दैवी और आसुरी प्रवृत्तियों का घोर संघर्ष व्यक्त किया गया है। इस नाटक से करुणा और भय की तीव्र अनुभूति होती है। काव्यात्मक प्रभाव के लिए यह अनुपम है। .

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क्लाइव ओवेन

क्लाइव ओवेन (3 अक्टूबर 1964 को जन्में) एक ब्रिटिश अभिनेता हैं, जिन्होनें टेलीविजन, रंगमंच और फिल्मों में काम किया है। ITV श्रृंखला चान्सर में 1990 से 1991 तक मुख्य भूमिका निभाकर उन्होंने यूनाइटेड किंगडम में पहली बार अपनी पहचान बनाई। तत्पश्चात उन्होंने फिल्म क्लोज़ माई आइज़ (1991) में अपनी भूमिका के लिए प्रशंसा प्राप्त की इसके बाद उन्होंने फिल्म क्रोपियर (1998) में एक संघर्षरत लेखक की भूमिका के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया। 2005 में, ओवेन ने एक गोल्डन ग्लोब और एक BAFTA पुरस्कार जीता और वे क्लोज़र (2004) नामक नाटक में अपनी भूमिका के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता के अकादमी पुरस्कार के लिए नामित हुए.

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क्लियोपाट्रा ७

Cleopatra(1917) क्लियोपाट्रा (Greek: Κλεοπάτρα Φιλοπάτωρ; January 69 BC–November 30, 30 BC) पुरातन मिस्र की एक यूनानी वंश की रानी थी। .

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कृष्णाजी प्रभाकर खाडिलकर

कृष्णजी प्रभाकर खाडिलकर (1872 - 1948 ई.) मराठी साहित्यकार, नाट्याचार्य, पत्रकार तथा लोकमान्य बालगंगाधर तिलक के सहयोगी थे। वे काका साहब खाडिलकर के नाम से विशेष प्रसिद्ध थे। एक महान् देशभक्त के रूप में आज भी उनका पर्याप्त सम्मान है। मराठी नाटय-सृष्टि में उन्होंने बहुमूल्य कार्य किया। मराठी नाट्य प्रेमियों ने अत्यंत स्नेह भाव से उन्हें ‘नाट्याचार्य’ की पदवी से विभूषित किया। महाराष्ट्र में आधुनिक पत्रकारिता की नींव उन्हीं ने डाली थी। वे श्रेष्ठ चिंतक तथा वैदिक साहित्य के अभ्यासक थे। वे सादगी, सदाचार और ईमानदारी, देशभक्ति, स्वाभिमान व नेकी आदि गुणों की प्रत्यक्ष मूर्ति ही थे। .

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केट विंसलेट

केट एलिज़ाबेथ विंसलेट (जन्म, 5 अक्टूबर 1975), एक अंग्रेज़ अभिनेत्री और अनियमित गायिका हैं। विंसलेट ने अपने फ़िल्मी-जीवन की शुरूआत उन्नीस वर्ष की उम्र में पीटर जैक्सन की हेवेनली क्रीएचर्स (1994) से की.

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अट्टीपट कृष्णस्वामी रामानुजन

अट्टीपट कृष्णस्वामी रामानुजन (ಅತ್ತಿಪೇಟೆ ಕೃಷ್ಣಸ್ವಾಮಿ ರಾಮಾನುಜನ್) (அத்திப்பட்டு கிருஷ்ணசுவாமி ராமானுஜன்) (१६ मार्च १९२९ - १३ जुलाई १९९३) एक कवि, निबंधकार, शोधकर्ता, अनुवादक, भाषाविद्, नाटककार और लोककथाओं के विशेषज्ञ थे। उन्होंने तमिल, कन्नड़ और अंग्रेज़ी में कवितायें लिखी है जिन्होंने न केवल भारत में बल्कि अमेरिका में भी प्रभाव बनाया और आज भी बहुचर्चित कविताओं में से एक हैं। यद्यपि वह भारतीय थे और उनके अधिकांश काम भारत से संबंधित थे परन्तु उन्होंने अपने जीवन का दूसरा भाग, अपने मृत्यु तक अमेरिका में ही बिताया। विपुल निबंधकार और कवि, रामानुजन ने अनगिनत शैक्षिक और साहित्यिक पत्रिकाओं के लिए योगदान दिया। उन्होंने अपने कार्यों के द्वारा पूर्वी और पश्चिमी संस्कृतियों को पारस्परिक रूप से सुबोध्य बनाने की कोशिश की। उन्हें यह कहते हुए पाया गया है कि - "मैं भारत-अमेरिका में एक संबंधक (हायफेन) हूँ"। A.K. Ramanujan, University of Chicago, 1993 शैक्षिक और साहित्यिक टिप्पणीकारों ने रामानुजन की प्रतिभा, मानवता और विनम्रता को काफी सराहा है। उन्होंने अपने कन्नड़ और तमिल कविताओ के श्रमसाध्य अनुवादों में प्राचीन साहित्य की भव्यता और बारीकियों को दर्शाया है जिनमे तमिल साहित्य तो करीब २००० वर्ष पुराने थे। .

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अनंत बंदर प्रमेय

अगर पर्याप्त समय दिया जाए तो कोई काल्पनिक बंदर यादृच्छिक तौर पर टाइप करते हुए विलियम शेक्सपियर के सम्पूर्ण कार्य का निर्माण कर सकता है। इस चित्र में एक चिंपांज़ी इस कार्य को अजांम देने की कोशिश कर रहा है। अनंत बंदर प्रमेय के अनुसार अगर कोई बंदर अनंत काल के लिए टाइपराइटर कुँजीपटल की कुंजियाँ यादृच्छिक रूप से दबाता रहें तो वह दिये गये पाठ को लगभग निश्चित रूप से टाइप कर देगा, जैसे विलियम शेक्सपियर का पूरा काम। .

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अनुवाद

किसी भाषा में कही या लिखी गयी बात का किसी दूसरी भाषा में सार्थक परिवर्तन अनुवाद (Translation) कहलाता है। अनुवाद का कार्य बहुत पुराने समय से होता आया है। संस्कृत में 'अनुवाद' शब्द का उपयोग शिष्य द्वारा गुरु की बात के दुहराए जाने, पुनः कथन, समर्थन के लिए प्रयुक्त कथन, आवृत्ति जैसे कई संदर्भों में किया गया है। संस्कृत के ’वद्‘ धातु से ’अनुवाद‘ शब्द का निर्माण हुआ है। ’वद्‘ का अर्थ है बोलना। ’वद्‘ धातु में 'अ' प्रत्यय जोड़ देने पर भाववाचक संज्ञा में इसका परिवर्तित रूप है 'वाद' जिसका अर्थ है- 'कहने की क्रिया' या 'कही हुई बात'। 'वाद' में 'अनु' उपसर्ग उपसर्ग जोड़कर 'अनुवाद' शब्द बना है, जिसका अर्थ है, प्राप्त कथन को पुनः कहना। इसका प्रयोग पहली बार मोनियर विलियम्स ने अँग्रेजी शब्द टांंसलेशन (translation) के पर्याय के रूप में किया। इसके बाद ही 'अनुवाद' शब्द का प्रयोग एक भाषा में किसी के द्वारा प्रस्तुत की गई सामग्री की दूसरी भाषा में पुनः प्रस्तुति के संदर्भ में किया गया। वास्तव में अनुवाद भाषा के इन्द्रधनुषी रूप की पहचान का समर्थतम मार्ग है। अनुवाद की अनिवार्यता को किसी भाषा की समृद्धि का शोर मचा कर टाला नहीं जा सकता और न अनुवाद की बहुकोणीय उपयोगिता से इन्कार किया जा सकता है। ज्त्।छैस्।ज्प्व्छ के पर्यायस्वरूप ’अनुवाद‘ शब्द का स्वीकृत अर्थ है, एक भाषा की विचार सामग्री को दूसरी भाषा में पहुँचना। अनुवाद के लिए हिंदी में 'उल्था' का प्रचलन भी है।अँग्रेजी में TRANSLATION के साथ ही TRANSCRIPTION का प्रचलन भी है, जिसे हिंदी में 'लिप्यन्तरण' कहा जाता है। अनुवाद और लिप्यंतरण का अंतर इस उदाहरण से स्पष्ट है- इससे स्पष्ट है कि 'अनुवाद' में हिंदी वाक्य को अँग्रेजी में प्रस्तुत किया गया है जबकि लिप्यंतरण में नागरी लिपि में लिखी गयी बात को मात्र रोमन लिपि में रख दिया गया है। अनुवाद के लिए 'भाषांतर' और 'रूपांतर' का प्रयोग भी किया जाता रहा है। लेकिन अब इन दोनों ही शब्दों के नए अर्थ और उपयोग प्रचलित हैं। 'भाषांतर' और 'रूपांतर' का प्रयोग अँग्रेजी के INTERPRETATION शब्द के पर्याय-स्वरूप होता है, जिसका अर्थ है दो व्यक्तियों के बीच भाषिक संपर्क स्थापित करना। कन्नडभाषी व्यक्ति और असमियाभाषी व्यक्ति के बीच की भाषिक दूरी को भाषांतरण के द्वारा ही दूर किया जाता है। 'रूपांतर' शब्द इन दिनों प्रायः किसी एक विधा की रचना की अन्य विधा में प्रस्तुति के लिए प्रयुक्त है। जैस, प्रेमचन्द के उपन्यास 'गोदान' का रूपांतरण 'होरी' नाटक के रूप में किया गया है। किसी भाषा में अभिव्यक्त विचारों को दूसरी भाषा में यथावत् प्रस्तुत करना अनुवाद है। इस विशेष अर्थ में ही 'अनुवाद' शब्द का अभिप्राय सुनिश्चित है। जिस भाषा से अनुवाद किया जाता है, वह मूलभाषा या स्रोतभाषा है। उससे जिस नई भाषा में अनुवाद करना है, वह 'प्रस्तुत भाषा' या 'लक्ष्य भाषा' है। इस तरह, स्रोत भाषा में प्रस्तुत भाव या विचार को बिना किसी परिवर्तन के लक्ष्यभाषा में प्रस्तुत करना ही अनुवाद है।ज .

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अपस्मार

अपस्मार या मिर्गी (वैकल्पिक वर्तनी: मिरगी, अंग्रेजी: Epilepsy) एक तंत्रिकातंत्रीय विकार (न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर) है जिसमें रोगी को बार-बार दौरे पड़ते है। मस्तिष्क में किसी गड़बड़ी के कारण बार-बार दौरे पड़ने की समस्या हो जाती है।, हिन्दुस्तान लाइव, १८ नवम्बर २००९ दौरे के समय व्यक्ति का दिमागी संतुलन पूरी तरह से गड़बड़ा जाता है और उसका शरीर लड़खड़ाने लगता है। इसका प्रभाव शरीर के किसी एक हिस्से पर देखने को मिल सकता है, जैसे चेहरे, हाथ या पैर पर। इन दौरों में तरह-तरह के लक्षण होते हैं, जैसे कि बेहोशी आना, गिर पड़ना, हाथ-पांव में झटके आना। मिर्गी किसी एक बीमारी का नाम नहीं है। अनेक बीमारियों में मिर्गी जैसे दौरे आ सकते हैं। मिर्गी के सभी मरीज एक जैसे भी नहीं होते। किसी की बीमारी मध्यम होती है, किसी की तेज। यह एक आम बीमारी है जो लगभग सौ लोगों में से एक को होती है। इनमें से आधों के दौरे रूके होते हैं और शेष आधों में दौरे आते हैं, उपचार जारी रहता है। अधिकतर लोगों में भ्रम होता है कि ये रोग आनुवांशिक होता है पर सिर्फ एक प्रतिशत लोगों में ही ये रोग आनुवांशिक होता है। विश्व में पाँच करोड़ लोग और भारत में लगभग एक करोड़ लोग मिर्गी के रोगी हैं। विश्व की कुल जनसँख्या के ८-१० प्रतिशत लोगों को अपने जीवनकाल में एक बार इसका दौरा पड़ने की संभावना रहती है।, वेब दुनिया, डॉ॰ वोनोद गुप्ता। १७ नवम्बर को विश्व भर में विश्व मिरगी दिवस का आयोजन होता है। इस दिन तरह-तरह के जागरुकता अभियान और उपचार कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।।। द टाइम्स ऑफ इंडिया।, याहू जागरण, १७ नवम्बर २००९ .

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अभिनय

अभिनय करती हुई श्रीनिका पुरोहित अभिनय किसी अभिनेता या अभिनेत्री के द्वारा किया जाने वाला वह कार्य है जिसके द्वारा वे किसी कथा को दर्शाते हैं, साधारणतया किसी पात्र के माध्यम से। अभिनय का मूल ग्रन्थ नाट्यशास्त्र माना जाता है। इसके रचयिता भरतमुनि थे। जब प्रसिद्ध या कल्पित कथा के आधार पर नाट्यकार द्वारा रचित रूपक में निर्दिष्ट संवाद और क्रिया के अनुसार नाट्यप्रयोक्ता द्वारा सिखाए जाने पर या स्वयं नट अपनी वाणी, शारीरिक चेष्टा, भावभंगी, मुखमुद्रा वेषभूषा के द्वारा दर्शकों को, शब्दों को शब्दों के भावों का प्रिज्ञान और रस की अनुभूति कराते हैं तब उस संपूर्ण समन्वित व्यापार को अभिनय कहते हैं। भरत ने नाट्यकारों में अभिनय शब्द की निरुक्ति करते हुए कहा है: "अभिनय शब्द 'णीं' धातु में 'अभि' उपसर्ग लगाकर बना है। अभिनय का उद्देश्य होता है किसी पद या शब्द के भाव को मुख्य अर्थ तक पहुँचा देना; अर्थात्‌ दर्शकों या सामाजिकों के हृदय में भाव या अर्थ से अभिभूत करना"। कविराज विश्वनाथ ने सहित्य दर्पण के छठे परिच्छेद के आरम्भ में कहा है: 'भवेदभिनयोSवस्थानुकार:' अर्थात् अवस्था का अनुकरण ही अभिनय कहलाता है। अभिनय करने की प्रवृत्ति बचपन से ही मनुष्य में तथा अन्य अनेक जीवों में होती है। हाथ, पैर, आँख, मुंह, सिर चलाकर अपने भाव प्रकट करने की प्रवृत्ति सभ्य और असभ्य जातियों में समान रूप से पाई जाती है। उनके अनुकरण कृत्यों का एक उद्देश्य तो यह रहता है कि इससे उन्हें वास्तविक अनुभव जैसा आनंद मिलता है और दूसरा यह कि इससे उन्हें दूसरों को अपना भाव बताने में सहायता मिलती है। इसी दूसरे उद्देश्य के कारण शारीरिक या आंगिक चेष्टाओं और मुखमुद्राओं का विकास हुआ जो जंगली जातियों में बोली हुई भाषा के बदले या उसकी सहायक होकर अभिनय प्रयोग में आती है। .

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अमेरिकी डॉलर

एक अमेरिकी डॉलर का नोट अमेरिकी डॉलर संयुक्त राज्य अमेरिका की राष्ट्रीय मुद्रा है। एक डॉलर में सौ सेंट होते हैं। पचास सेंट के सिक्के को आधा डॉलर कहा जाता है। पच्चीस सेंट के सिक्के को क्वार्टर कहते हैं। दस सेंट का सिक्का डाइम कहलाता है और पाँच सेंट के सिक्के को निकॅल कहते हैं। एक सेंट को पैनी के नाम से पुकारा जाता है। डॉलर के नोट १,५,१०,२०,५० और १०० डॉलर में मिलते है। .

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अरविन्द कुमार

अरविन्द कुमार और उनकी पत्नी कुसुम कुमारअरविन्द कुमार (जन्म: 17 जनवरी 1930), अपनी धर्मपत्नी कुसुम कुमार (जन्म: 8 दिसंबर 1933) के साथ हिन्दी के प्रथम समान्तर कोश (थिसारस) के निर्माण करने के लिये जाने जाते हैं। अभी हाल में उन्होने संसार का सबसे अद्वितीय द्विभाषी थिसारस तैयार किया। द पेंगुइन इंग्लिश-हिन्दी/हिन्दी-इंग्लिश थिसॉरस ऍण्ड डिक्शनरी अपनी तरह एकमात्र और अद्भुत भाषाई संसाधन है। यह किसी भी शब्दकोश और थिसारस से आगे की चीज़ है और संसार में कोशकारिता का एक नया कीर्तिमान स्थापित करता है। इतना बड़ा और इतने अधिक शीर्षकों उपशीर्षकों वाला संयुक्त द्विभाषी थिसारस और कोश इस से पहले नहीं था। .

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अरुण (ग्रह)

अरुण (Uranus), या यूरेनस हमारे सौर मण्डल में सूर्य से सातवाँ ग्रह है। व्यास के आधार पर यह सौर मण्डल का तीसरा बड़ा और द्रव्यमान के आधार पर चौथा बड़ा ग्रह है। द्रव्यमान में यह पृथ्वी से १४.५ गुना अधिक भारी और अकार में पृथ्वी से ६३ गुना अधिक बड़ा है। औसत रूप में देखा जाए तो पृथ्वी से बहुत कम घना है - क्योंकि पृथ्वी पर पत्थर और अन्य भारी पदार्थ अधिक प्रतिशत में हैं जबकि अरुण पर गैस अधिक है। इसीलिए पृथ्वी से तिरेसठ गुना बड़ा अकार रखने के बाद भी यह पृथ्वी से केवल साढ़े चौदह गुना भारी है। हालांकि अरुण को बिना दूरबीन के आँख से भी देखा जा सकता है, यह इतना दूर है और इतनी माध्यम रोशनी का प्रतीत होता है के प्राचीन विद्वानों ने कभी भी इसे ग्रह का दर्जा नहीं दिया और इसे एक दूर टिमटिमाता तारा ही समझा। १३ मार्च १७८१ में विलियम हरशल ने इसकी खोज की घोषणा करी। अरुण दूरबीन द्वारा पाए जाने वाला पहला ग्रह था। हमारे सौर मण्डल में चार ग्रहों को गैस दानव कहा जाता है, क्योंकि इनमें मिटटी-पत्थर की बजाय अधिकतर गैस है और इनका आकार बहुत ही विशाल है। अरुण इनमे से एक है - बाकी तीन बृहस्पति, शनि और वरुण (नॅप्टयून) हैं। इनमें से अरुण की बनावट वरुण से बहुत मिलती-जुलती है। अरुण और वरुण के वातावरण में बृहस्पति और शनि के तुलना में बर्फ़ अधिक है - पानी की बर्फ़ के अतिरिक्त इनमें जमी हुई अमोनिया और मीथेन गैसों की बर्फ़ भी है। इसलिए कभी-कभी खगोलशास्त्री इन दोनों को "बर्फ़ीले गैस दानव" नाम की श्रेणी में डाल देते हैं। सौर मण्डल के सारे ग्रहों में से अरुण का वायुमण्डल सब से ठण्डा पाया गया है और उसका न्यूनतम तापमान -४९ कैल्विन (यानी -२२४° सेण्टीग्रेड) देखा गया है। इस ग्रह में बादलों की कई तहें देखी गई हैं। मानना है के सब से नीचे पानी के बादल हैं और सब से ऊपर मीथेन गैस के बादल हैं। यह भी माना जाता है कि यदि किसी प्रकार अरुण के बिलकुल बीच जाकर इसका केन्द्र देखा जा सकता तो वहाँ बर्फ़ और पत्थर पाए जाते। .

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अरुण के प्राकृतिक उपग्रह

ओबेरॉन हमारे सौर मण्डल के सातवे ग्रह अरुण (युरेनस) के २७ ज्ञात प्राकृतिक उपग्रह हैं।, ऍस ऍस शॅपर्ड, डेविड जॅविट, क्लेना जॅविट (२००५), खगोलशास्त्रिय पत्रिका (एस्ट्रोनॉमिकल जर्नल) १२९, पृष्ठ ५१८-५२५, Bibcode 2005AJ....129..518S.

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अलेक्ज़ंडर पोप

अलेक्ज़ंडर पोप, १७२७ में अलेक्जंडर पोप (Alexander Pope; 21 मई 1688 – 30 मई 1744) आंग्ल कवि थे। वे अपने व्यंगात्मक काव्य तथा होमर की कृतियों के अनुवाद के लिये प्रसिद्ध हैं। 'ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी ऑफ कोटेशन्स' में विलियम शेक्सपीयर और टेन्नीसन के बाद तीसरे सर्वाधिक उद्धृत लेखक हैं। .

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अगाथा क्रिस्टी

अगाथा क्रिस्टी (1890-1976) (पूरा नाम अगाथा मैरी क्लरिस्सा क्रिस्टी, लेडी मैलोवैन/डेम अगाथा क्रिस्टी; Agatha Mary Clarissa, Lady Mallowan/Dame Agatha Christie) विश्वप्रसिद्ध अंग्रेज़ी उपन्यासकार थीं। वो अंग्रेजी अपराध उपन्यासकार, लघु कथा लेखिका, और नाटक रचनाकार थी। वह अपने 66 जासूसी उपन्यासों के लिए विशेष तौर पर जानी जाती हैं। इनके द्वारा रचित दो मुख्य पात्र हैं एर्क्यूल प्वारो और मिस मार्पल। इनकी प्रसिद्धि इस बात से ज़ाहिर होती है कि इनकी लिखित किताबें विलियम शेक्सपियर के अतिरिक्त विश्व के किसी और लखक की किताबों से अधिक बिकी हैं। 2006 तक विश्व की महानतम महिला लेखिकाओं में से एक गिनी जाने वाली अगाथा के उपन्यासों की एक अरब से भी अधिक प्रतिलिपियाँ बिक चुकी हैं, तथा 100 से भी अधिक भाषाओं में अनुवादित की गई हैं। .

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अंग्रेज़

अंग्रेज़ (या फिरंगी) इंग्लैण्ड मूल अंग्रेज़ी भाषी लोगों को कहा जाता है। .

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अंग्रेज़ी भाषा

अंग्रेज़ी भाषा (अंग्रेज़ी: English हिन्दी उच्चारण: इंग्लिश) हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार में आती है और इस दृष्टि से हिंदी, उर्दू, फ़ारसी आदि के साथ इसका दूर का संबंध बनता है। ये इस परिवार की जर्मनिक शाखा में रखी जाती है। इसे दुनिया की सर्वप्रथम अन्तरराष्ट्रीय भाषा माना जाता है। ये दुनिया के कई देशों की मुख्य राजभाषा है और आज के दौर में कई देशों में (मुख्यतः भूतपूर्व ब्रिटिश उपनिवेशों में) विज्ञान, कम्प्यूटर, साहित्य, राजनीति और उच्च शिक्षा की भी मुख्य भाषा है। अंग्रेज़ी भाषा रोमन लिपि में लिखी जाती है। यह एक पश्चिम जर्मेनिक भाषा है जिसकी उत्पत्ति एंग्लो-सेक्सन इंग्लैंड में हुई थी। संयुक्त राज्य अमेरिका के 19 वीं शताब्दी के पूर्वार्ध और ब्रिटिश साम्राज्य के 18 वीं, 19 वीं और 20 वीं शताब्दी के सैन्य, वैज्ञानिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव के परिणाम स्वरूप यह दुनिया के कई भागों में सामान्य (बोलचाल की) भाषा बन गई है। कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों और राष्ट्रमंडल देशों में बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल एक द्वितीय भाषा और अधिकारिक भाषा के रूप में होता है। ऐतिहासिक दृष्टि से, अंग्रेजी भाषा की उत्पत्ति ५वीं शताब्दी की शुरुआत से इंग्लैंड में बसने वाले एंग्लो-सेक्सन लोगों द्वारा लायी गयी अनेक बोलियों, जिन्हें अब पुरानी अंग्रेजी कहा जाता है, से हुई है। वाइकिंग हमलावरों की प्राचीन नोर्स भाषा का अंग्रेजी भाषा पर गहरा प्रभाव पड़ा है। नॉर्मन विजय के बाद पुरानी अंग्रेजी का विकास मध्य अंग्रेजी के रूप में हुआ, इसके लिए नॉर्मन शब्दावली और वर्तनी के नियमों का भारी मात्र में उपयोग हुआ। वहां से आधुनिक अंग्रेजी का विकास हुआ और अभी भी इसमें अनेक भाषाओँ से विदेशी शब्दों को अपनाने और साथ ही साथ नए शब्दों को गढ़ने की प्रक्रिया निरंतर जारी है। एक बड़ी मात्र में अंग्रेजी के शब्दों, खासकर तकनीकी शब्दों, का गठन प्राचीन ग्रीक और लैटिन की जड़ों पर आधारित है। .

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अंग्रेजी नाटक

इब्सन के प्रचार ने अंग्रेजी नाटक को नई दिशा दी। उसके नाटकों की कुछ विशेषताएँ ये थीं- समाज और व्यक्ति की साधारण समस्याएँ; पुरानी नैतिकता की आलोचना; बाहरी संघर्षों के स्थान पर आंतरिक संघर्ष; रंगमंच पर यथार्थवाद; विवरणात्मक साज-सज्जा; स्वगत का बहिष्कार; बोलचाल की भाषा से निकटता; प्रतीकवाद। इब्सन के नाटक समस्या नाटक हैं। 20वीं शताब्दी के प्रारंभिक नाटककारों पर इब्सन के अतिरिक्त चेखव का भी गहरा असर पड़ा। ऐसे नाटककारों में सबसे प्रमुख शॉ और गाल्सवर्दी के अतिरिक्त ग्रैनबिल बार्कर, सेंट जॉन हैंकिन, जॉन मेसफील्ड, सेंट जॉन अर्विन, आर्नल्ड बेनेट इत्यादि हैं। इस युग में कॉमेडी ऑव मैनर्स की परंपरा भी विकसित हुई है। 19वीं शताब्दी के अंत में ऑस्कर वाइल्ड ने इसको पुनरुज्जीवित किया था। 20वीं शताब्दी में इसके प्रमुख लेखकों में शॉ, मॉम, लांसडेल, सेंट अर्विन, मुनरो, नोएल काअर्ड, ट्रैवर्स, रैटिगन इत्यादि हैं। समस्या नाटकों की परंपरा भा आगे बढ़ी है। उनके लेखकों में सबसे प्रसिद्ध ओफ़ कैसी के अतिरिक्त शेरिफ, मिल्न, प्रीस्टले और जॉन व्हॉन ड्रटेन हैं। इस युग के ऐतिहासिक नाटककारों में सबसे प्रसिद्ध डिं्रकवाटर, बैक्स और जेम्स ब्रिडी हैं। काव्य नाटकों का विकास भी अनेक लेखकों ने किया है। उनमें स्टीफेन फिलिप्स, येट्स, मेसफील्ड, डिं्रकवाटर, बाम्ली, फ्लेकर, अबरक्रुंबी, टी.एस.

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अंग्रेजी साहित्य

अंग्रेजी साहित्य के प्राचीन एवं अर्वाचीन काल कई आयामों में विभक्त किए जा सकते हैं। यह विभाजन केवल अध्ययन की सुविधा के लिए किया जाता है; इससे अंग्रेजी साहित्य प्रवाह को अक्षुण्णता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए। प्राचीन युग के अंग्रेजी साहित्य के तीन स्पष्ट आयाम है: ऐंग्लो-सैक्सन; नार्मन विजय से चॉसर तक; चॉसर से अंग्रेजी पुनर्जागरण काल तक। .

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अंग्रेजी गद्य

अंग्रेजी गद्य ने अंग्रेजी कविता, नाटक और उपन्यास के समान ही अंग्रेजी साहित्य को समृद्ध किया है। बाइबिल के अनेक वाक्य अंग्रेजी राष्ट्र के मानस पर सदा के लिए गहरे अंकित हो गए हैं। इसी प्रकार शेक्सपियर, मिल्टन, गिबन, जॉन्सन, न्यूमैन, कार्लाइल और रस्किन के वाक्य अंग्रेज जाति को स्मृति में गूंजते हैं। अंग्रेजी गद्य अनेक साहित्यिक विधाओं द्वारा समृद्ध हुआ है। इनमें उपन्यास, कहानी और नाटक के अतिरिक्त निबंध, जीवनी, आत्मकथा, आलोचना, इतिहास, दर्शन और विज्ञान भी सम्मिलित हैं। अंग्रेजी गद्य का संगीत अनेक शताब्दियों से पाठकों को मोहता रहा है। यह संगीत बहुधा रोमांसवादी और भावना प्रधान रहा है। इस गद्य में काव्य का गुण प्रचुर मात्रा में मिलता है। अंग्रेजी गद्य की तुलना में फ्रेंच गद्य की गति अधिक संतुलित और संयत रही है। एक आलोचक का कहना है कि कविता भावना को भाषा देती है, किंतु गद्य विवेक और बुद्धि की वाणी है। अंग्रेजी गद्य ऐंग्लो-सैक्सन साहित्य की परंपरा का ही विकास है। मध्य युग के बीड (672-735) अंग्रेजी गद्य के पितामह कहे जा सकते हैं। बीड की ‘एक्सेज़िएस्टिकल हिस्ट्री’ जूलियस सीज़र के आक्रमण से लेकर 731 ई. तक के इंग्लैंड का प्राय: आठ सौ वर्षों का इतिहास प्रस्तुत करती है। अंग्रेजी गद्य का सर्वप्रथम महत्त्वपूर्ण ग्रंथ सर जॉन मेंडेविल की यात्राएँ हैं। यात्रा वर्णन के रूप में यह पुस्तक वास्तव में काल्पनिक गाथा है। सन् 1377 में मूल फ्रांसीसी से अनूदित होकर यह अंग्रेजी में प्रकाशित हुई। अंग्रेजी कविता के जनक चॉसर (1340-1400) का गद्य साहित्य भी परिमाण में काफी है। उनकी कैटरबरी टेल्स में दो कहानियाँ गद्य में लिखी है। अंग्रेजी गद्य को विक्लिफ (1324-1384) की रचनाओं से बहुत प्रेरणा मिली। विक्लिफ अंधविश्वासों पर कठोर आघात करता है। उसने सर्वप्रथम बाइबिल का सन् 1611 का विख्यात संस्करण तैयार हुआ। विक्लिफ धर्म के क्षेत्र में स्वतंत्र विचारक था। उसके गद्य में बड़ी शक्ति है। 15वीं शताब्दी तक इंग्लैंड के लेखक लातीनी गद्य में ही लिखना पसंद करते थे और शक्ति तथा प्रतिभा से संपन्न कम गद्य अंग्रेजी में लिखा गया। ऐसे लेखकों में सर जॉन फॉर्टेस्क्यू (1394-1476) का नाम उल्लेखनीय है। इन्होंने अंग्रेजी विधान की प्रशंसा में एक पुस्तक ‘दि गवर्नेन्स ऑव इंग्लैंड’ लिखी। अंग्रेजी गद्य के इतिहास में कैक्स्टन (1421-91) का नाम विशेष महत्त्वपूर्ण है। उन्होंने 1476 में मुद्रण कार्य आरंभ किया और अंग्रेजी गद्य को स्थानीय बोलियों के प्रभाव से मुक्त करके एक निश्चित रूप देने में बड़ी मदद की। कैक्स्टन ने मध्य युग के अनेक रोमांस अंग्रेजी गद्य में अनुवाद करके प्रकाशित किए। उन्होंने फ्रेंच गद्य को अपना आदर्श बनाया और अंग्रेजी गद्य के विकास में बड़ा हिस्सा लिया। कैक्स्टन के महत्त्वपूर्ण प्रकाशनों में सर टॉमस मैलोरी का ‘मार्त द आर्थर’भी था। मैलोली की पुस्तक अंग्रेजी गद्य के इतिहास में एक स्मरणीय मील स्तंभ है। अंग्रेजी पुनर्जागरण के पहले बड़े लेखक सर टॉमस मोर (1478-1535) है। उनकी पुस्तक युटोपिया विश्वविख्यात है, किंतु दुर्भाग्य से इस पुस्तक को उन्होंने लातीनी में लिखा। अंग्रेजी में उनकी केवल कुछ मामूली रचनाएँ हैं। उन्हीं के बाद इलियट, चीक, एैस्कम और विल्सन ने अपनी शिक्षा संबंधी पुस्तकें लिखीं। विलियम टिंडेल (1484-1536) ने सन् 1522 से बाइबिल का अनुवाद अंग्रेजी में करना शु डिग्री किया। इस प्रशंसनीय कार्य के बदले टिंडेल को निर्वासन और मत्युदंड मिला। एलिज़ाबेथ के युग का गद्य कविता के स्वर का ही है। इसके उदाहरण लिलि (1554-1606) और सर फिलिप सिडनी (1554-86) की रचनाओं में हो पाते हैं। लिली की ‘यूफुइस’और सिडनी की ‘आर्केडिया’काव्य के गुणों से समन्वित रचनाएं हैं। सिडनी की ‘डिफेंस ऑव पोएजी’अंग्रेजी आलोचनाओं की पहली महत्त्वपूर्ण पुस्तक है। अंग्रेजी गद्य के विकास में अगला कदम ग्रीन, लॉज, नैश, डैलूनी आदि के उपन्यासों का प्रकाशन है। इन लेखकों ने आत्मकथाएँ और अनेक विवादपूर्ण पुस्तकें भी लिखीं। उदाहरण के लिए ग्रीन के ‘कन्फेशंस’ का उल्लेख हो सकता है। ‘ओबरवरी’और अर्ल नाम के लेखकों ने चारित्रिक स्केच लिखे, जिसकी प्रेरणा उन्हें ग्रीक लेखक थियोफ्रॉस्तस से मिली। अंग्रेजी गद्य साहित्य का एक महत्त्वपूर्ण अंश हमें एलिज़ाबेथकालीन नाटकों में मिलता है। भावना के गहरे क्षणों में शेक्सपियर के पात्र गद्य में बोलने लगते हैं। ग्रीन, जॉन्सन, मालों आदि के नाम भी अंग्रेजी गद्य के इतिहास में महत्त्वपूर्ण है। अंग्रेजी गद्य के महान लेखकों में पहला बड़ा नाम रिचर्ड हूकर (1554-1600) का है। उनकी पुस्तक ‘दि लॉज ऑव एक्लेजिएस्टिकल पॉलिटी’अंग्रेजी गद्य की उन्नायक हैं। इसी समय (1611) बाइबिल का सुप्रसिद्ध अंग्रेजी अनुवाद भी प्रकाशित हुआ। बाइबिल की भाषा अंग्रेजी गद्य के अनुपम साँचों में ढालती है। वास्तव में यह गद्य काव्य के संगीत से अनुप्राणित है। प्रांसिस बेकन (1561-1626) अंग्रेजी निबंध के जनक तथा इतिहास के दर्शन के गंभीर लेखक थे। उनकी रचनाओं में ‘दि ऐडवांस्मेंट ऑव लर्निंग’, ‘दि न्यू ऐटलैंटिस’, ‘हेनरी सेवेंथ’, ‘दि एसेज़ नोवं ओगनिम’आदि सुप्रसिद्ध है। बेकन की भाषा ठोस, गंभीर और सूत्र शैली की है। रिचर्ड बर्टन (1576-1640) की पुस्तक ‘दि एनाटॉमी ऑव मेलैकली’अंग्रेजी गद्य के इतिहास में एक विख्यात रचना है। इसका पाडित्य अपूर्व है और एक गहरी उदासी पुस्तक भर में छाई रहती है। इस युग के एक महान गद्य लेखक ‘सर टॉमस ब्राउन’(1605-82) है। इनके गद्य का संगीत पाठकों को शताब्दियों से मुग्ध करता रहा है। इनकी महत्त्वपूर्ण रचनाओं में ‘रिलीजिओ मेडिसी’और ‘हाइड्रोटैफिया’उल्लेखनीय है। जैरेमी टेलर (1613-77) प्रसिद्ध धर्म शिक्षक और वक्ता थे। उनकी उपमाएँ बहुत सुंदर होती थीं, उनका गद्य कल्पना और भावना से अनुरंजित है। उनकी पुस्तकों में ‘होली लिविंग’और ‘होली डाइंग’प्रसिद्ध है। इस काल के लेखकों में मिल्टन का जन्म अग्रगण्य है। तीस से लेकर पचास वर्ष की आयु तक मिल्टन ने केवल गद्य लिखा और तत्कालीन राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक विवादों में जमकर भाग लिया। अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘एरोपाजिटिका’में वे विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के प्रश्न को ऊँचे धरातल पर उठाते हैं और आज भी उनके विचारों में सत्य की गूँज है। मिल्टन के गद्य में शक्ति और ओज का अद्भुत संयोग है। 17वीं शताब्दी के गद्य लेखकों में अन्य उल्लेखनीय नाम फुलर (1608-61) और वाल्टन (1593-1683) के हैं। फुलर धार्मिक विषयों पर लिखते थे। उनकी पुस्तक, ‘दि बर्दीज ऑव इंग्लैंड’प्रसिद्ध है। वाल्टन की पुस्तक, ‘दि कंप्लीट ऐंग्लर’अंग्रेजी साहित्य की अमर रचनाओं में से है। ड्राइडन (1631-1700) अंग्रेजी के प्रमुख गद्यकारों में थे। उनकी आलोचना शैली सुलझी हुई और सुव्यवस्थित थी। उनकी गद्य शैली भी फ्रेंच परंपरा के निकट है। वह चिंतन को सहज और तर्कसंगत अभिव्यक्ति देते हैं। ड्राइडन की भूमिकाओं के अतिरिक्त उनकी पुस्तक, ‘एसे ऑव ड्रैमेटिक पोएज़ी’सुप्रसिद्ध है। हॉब्स (1588-1679) के राजनीतिक विचारों का ऐतिहासिक महत्व है और उनकी पुस्तक ‘दि लेवायथान’अंग्रेजी भाषा की एक सुप्रसिद्ध रचना है। पेपीज़ (1632-1704) और एवलिन (1632-1706) की डायरियाँ अंग्रेजी साहित्य की निधि हैं। हॉब्स के समान ही लॉक (1623-1704) के राजनीतिक विचारों का भी ऐतिहासिक महत्व बहुत है। 18वीं शताब्दी में अंग्रेजी गद्य जीवन की गति के सबसे अधिक निकट आया। इसका कारण फ्रेंच साहित्य का बढ़ता हुआ प्रभाव था। स्विफ़्ट (1667-1745) अपनी अमर कृति ‘गुलिबर्ग ट्रैवेल्स’में अपने समय के मानवीय व्यापारों पर कठोर व्यंग करते हैं। उनके गद्य में बड़ा ओज और बल है। उनकी अन्य प्रसिद्ध रचनाओं में ‘ए टेल ऑव ए टब’और ‘दि बैटिल ऑव दि बुक्स’भी उल्लेखनीय है। 18वीं शताब्दी का साहित्य उठते हुए मध्य वर्ग की भावनाओं को व्यक्त करता है और इसके गद्य की शैली भी इस वर्ग की आवश्यकताओं के अनुरूप सरल और स्पष्ट है। इस युग के सफल गद्यकारों में डिफो, एडिसन और स्टील हैं। डिंफो (1660-1731) का उपन्यास ‘रॉबिन्सन कूसो’अंग्रेजी भाषा की विशेष लोकप्रिय रचनाओं में से हैं। उनके अन्य उपन्यास ‘मॉल फ्लैंडर्स’, ‘ए जर्नल ऑव दि प्लेग ईगर’आदि यथार्थवादी शैली में ढले हैं। एडिसन (1672-1719) और स्टील (1672-1729) मुख्यत: निबंधकार है। उन्होंने ‘दि टैटलर’ और ‘दि स्पेक्टेटर’ नाम के पत्र निकाल कर अंग्रेजी साहित्य में उच्च कोटि की पत्रकारिता की भी नींव रखी। अंग्रेजी साहित्य के इतिहास में डॉ॰ जॉन्सन (1709-84) का नाम अविस्मरणीय रहेगा। वे इतिहासकार, निबंधकार, आलोचक, कवि और उपन्यासकार थे। उन्होंने एक कोश की भी रचना की। इनकी गद्य कृतियों में ‘लाइव्ज़ ऑव दि पोएट्स’, ‘रासेलस’और ‘प्रीफेसेज़ टु शेक्सपियर’ अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। जॉन्सन की बातचीत भी, जो बॉजवेल लिखित जीवनी में संकलित है, उनके लेखन से कम महत्व की नहीं होती थी। 18वीं शताब्दी में अंग्रेजी उपन्यास का अपूर्व विकास हुआ। इस काल के उपन्यासकारों में गोल्डस्मिथ (1728-1774) भी थे जिन्होंने जल के समान तरल गति का गद्य लिखा और अनेक सुंदर निबंधों की रचना की। इनकी रचनाओं में ‘दि सिटिज़न ऑव दि वर्ल्ड’, ‘दि विकार ऑव बेकफील्ड’आदि सुविख्यात है। इतिहासकारों में हयूम, रॉबर्टसन और गिबन के नाम महत्त्वपूर्ण है। गिबन (1737-1784) अंग्रेजी गद्य के इतिहास के अमर हैं। शैली और निर्माण शक्ति की दृष्टि से उनका ग्रंथ ‘डिक्लाइन ऐंड फ़ाल ऑव दि रोमन एम्पायर’ एक स्मरणीय कृति है। इसी श्रेणी में प्रसिद्ध विचारक और वक्ता वर्क (1729-1797) का नाम भी आता है। उनके गद्य में बड़ी प्रवहमान शक्ति थी। उनकी सबसे प्रसिद्ध पुस्तक ‘रिफ्लेक्शंस ऑन दि फ्रेंच रिवल्यूशन’है। फ्रांसीसी क्रांति से प्रभावित रोमैंटिक साहित्य में मूलत: कविता प्रमुख है। रोमैंटिक कवियों ने अपने कृतित्व के बचाव में भूमिकाएँ आदि लिखीं। उनमें सबसे महत्त्वपूर्ण वक्तव्य वर्ड सवर्थ का ‘प्रीफेस टु दि लिरिकल बैलड्स’, कोलरिज की ‘बायोग्रैफिया लिटरेरिया’और शेली की पुस्तक ‘ए डिफ़ेंस ऑव पोएट्री’है। रोमैंटिक युग का गद्य भावना और कल्पना से अनुरंजित है। समाजशास्त्र और अर्थशास्त्र पर जेरेमी बेंथम, रिकार्डो और एडस स्मिथ ने ग्रंथ लिखे। 19वीं शताब्दी में ‘एडिनबरा रिव्यू’, ‘क्वार्टर्ली’और ‘ब्लैकबुड’ के समान पत्रिकाओं का जन्म हुआ जिन्होंने गद्य साहित्य के बहुमुखी विकास में मदद की। 19वीं शताब्दी के प्रमुख निबंधकारों और आलोचकों में लैंब, हैज़लिट, ली हंट और डी क्विंसी के नाम अग्रगण्य है। लैंब (1775-1834) अंग्रेजी साहित्य के सर्वश्रेष्ठ निबंधकार हैं। उनके निबंध ‘एसेज़ ऑव इलिया’के नाम से प्रकाशित हुए। हैज़लिट (1778-1830) उच्च कोटि के निबंधकार और आलोचक थे। डी क्विंसी (1785-1859) की पुस्तक ‘कन्फेशंस ऑव ऐन ओपियम ईटर’ अंग्रेजी साहित्य का अनुपम रत्न है। विक्टोरिया युग के प्रारंभ से अंग्रेजी साहित्य अधिक संतुलन और संयम की ओर अग्रसर होता है और गद्य की शैली भी अधिक संयत हो जाती है, यद्यपि कार्लाइल और रस्किन के से गद्यकारों की रचना में हम रोमांटिक शैली का प्रभाव फिर देखते हैं। मिल (1806-1873) ने अनेक ग्रंथ लिखकर दार्शनिक गद्य को समृद्ध किया। इतिहासकारों में मैकाले (1800-1859) का गद्य बहुरंगी और सबल था। उनके ऐतिहासिक निबंध बहुत ही लोकप्रिय हैं। साहित्यालोचन के क्षेत्र में मैथ्यू आर्नल्ड (1822-88) का कार्य विशेष महत्व का है। आर्नल्ड का चिंतन सुस्पष्ट था और यही स्पष्टता उनकी गद्य शैली की भी विशेषता है। विचारों के क्षेत्र में भी डारविन, हक्सले और हर्बर्ट स्पैंसर की कृतियाँ अंग्रेजी गद्य को महत्त्वपूर्ण देन है। 19वीं शताब्दी के गद्यकारों में कार्लाइल, न्यूमैन और रस्किन का उल्लेख अनिवार्य है। इनके लेखन में हमें अंग्रेजी गद्य की सर्वोच्च उड़ानें मिलती हैं। कार्लाइल (1795-1881) इतिहासकार और विचारक थे। उनके ग्रंथ ‘दि फ्रेंच रिवल्यूशन, पास्ट ऐंड प्रेज़ंट, हिरोज़ ऐंड हिरो वर्शिप’अंग्रेजी साहित्य के उत्कृष्ट नमूने हैं। उनकी आत्मकथा अंग्रेजी गद्य का उत्कृष्ट रूप प्रस्तुत करती है। रस्किन कलात्मक और सामाजिक प्रश्नों पर विचार करते हैं। उनकी कृतियों में ‘मॉडर्न पेंटर्स’, ‘दि सेविन लैप्स ऑव आर्किटेक्चर’, ‘दि स्टोन्स ऑव वनिस अंटू दिस लास्ट’, आदि विख्यात है। सन् 1890 के लगभग अंग्रेजी साहित्य एक नया मोड़ लेता है। इस युग के पितामह पेटर (1839-94) थे। उनके शिष्य ऑस्कर वाइल्ड (1856-1900) ने कलावाद के सिद्धांत को विकसित किया। उनका गद्य सुंदर और भड़कीला था और उनके अनेक वाक्य अविस्मरणीय होते थे। इस युग के लेखक इतिहास में ह्रासवादी कहे जाते हैं। आयरिश गद्य के जनक येट्स (1865-1939) थे। उनका गद्य अनुपम साँचों में ढला है। उनके अनुगामी सिंज की देन भी महत्त्वपूर्ण है। नाटक के क्षेत्र में इन दोनों का बड़ा महत्व है। येट्स उच्च कोटि के कवि और चिंतक भी थे। 20वीं शताब्दी युद्ध, आर्थिक संकट और विद्रोही विचारधाराओं की शताब्दी है। विद्रोही स्वरों में सबसे सशक्त स्वर इस युग के प्रमुख नाटककार बर्नाड शा (1856-1950) का था। शा और वेल्स (1866-1946) दोनों को ही समाजवादी कहा गया है। इनके विपरीत चेस्टरटन, (1874-1936) और बेलॉक (1870-1953) वैज्ञानिक दर्शन के विरुद्ध खड़े हुए। वे दोनों ही उच्च कोटि के निबंधकार और आलोचक थे। आधुनिक अंग्रेजी गद्य अनेक दिशाओं में विकसित हो रहा है। उपन्यास, नाटक, आलोचना, निबंध, जीवनी, विविध साहित्य, विज्ञान और दर्शन सभी क्षेत्रों में हम जागृति और प्रगति के लक्षण देखते हैं। लिटन स्ट्रैची (1880-1932) के समान जीवनी लेखक और टी.एस.

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अंग्रेजी कविता

इंग्लैंड में इटली, फ्रांस, स्पेन और जर्मनी के काफी बाद आने के कारण यहाँ का पुनर्जागरण इन देशों, विशेषतः इटली, से अत्यधिक प्रभावित हुआ। पुनर्जागरण के प्रथम दो कवियों में सर टॉमस वायट (1503-42) और अर्ल ऑव सरे (1517-47) हैं। वायलट ने पेत्रार्क के आधार पर अंग्रेजी में सॉनेट लिखे और इटली से अनेक छंद उधार लिए। सरे ने सॉनेट के अतिरिक्त इटली से अतुकांत छंद लिया। इन कवियों ने प्राचीन यूनानी साहित्य और पेत्रार्क इत्यादि को पैस्टरल कविता की रूढ़ियों को अंग्रेजी में आत्मसात् किया तथा अनेक सुंदर और तरल गीत लिखे। इस तरह उन्होंने एलिज़ाबेथ के शासनकाल के अनेक बड़े कवियों के लिए जमीन तैयार की। इनमें सबसे पहले एडमंड स्पेंसर (1552-99) और सर फिलिप सिडनी उल्लेखनीय हैं। मृत्यु के बाद प्रकाशित सिडनी की रचना फ़ ऐसट्रोफेल ऐंड स्टेलाफ़ (1591) ने कथाबद्ध सॉनेट की परंपरा को जन्म दिया। इसके पश्चात् तो ऐसे सॉनेटों की एक परंपरा चल निकली और डेनियल, लॉज, ड्रेटन, स्पेंसर, शेक्सपियर और अन्य कवियों ने इसे अपनाया। इनमें रूढ़ियों के कारण वास्तविक और काल्पनिक प्रेमी-प्रेमिकाओं का भेद करना आसान नहीं, लेकिन सिडनी और कई अन्य कवियों, जैसे ड्रेटन, स्पेंसर और शेक्सपियर का प्रेम केवल वायवी प्रेम नहीं है। सिडनी ने लिखाः फूलफ़, सेड माइ म्यूज टु मीफ़, लुक इन दाइ हार्ट ऐंड राइट.

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अंग्रेजी उपन्यास

अंग्रेजी उपन्यास विश्व के महान साहित्य का विशिष्ट अंग है। फील्डिंग, जेन ऑस्टिन, जार्ज इलियट, मेरेडिथ, टॉमस हार्डी, हेनरी जेम्स, जॉन गाल्सवर्दी और जेम्स ज्वॉयस के समान उत्कृष्ट कलाकारों की कृतियों ने उसे समृद्ध किया है। अंग्रेजी उपन्यास जीवन पर मर्मभेदी दृष्टि डालता है, उसकी समुचित व्याख्या करता है, सामाजिक अनाचारों पर कठोर आघात करता है और जीवन के मर्म को ग्रहण करने का अप्रतिम प्रयास करता है। अंग्रेजी उपन्यास ने अमर पात्रों को एक लंबी पंक्ति भी विश्व साहित्य को दी है। वह इंग्लैंड के सामाजिक इतिहास को एक अपूर्व झाँकी प्रस्तुत करता है। अंग्रेजी उपन्यास की प्रेरणा के स्रोत मध्यकालीन ऐंग्लो-सैक्सन रोमांस थे, जिनकी अद्भुत घटनाओं और कथाओं ने परवर्ती कथाकारों की कल्पना को उड़ने के लिए पंख दिए। यह रोमांस जीवन की वास्तविकताओं के अतिरंजित चित्र थे और अलेक्सांदर अथवा ट्रॉय आदि के युद्धों से संबंध होते थे। ऐसे प्राचीन रोमांस आगे चलकर गद्य रूप में भी प्रस्तुत हुए। इनमें सर टॉमस मैलरी का ‘मौर्त द आर्थर’ (1484) विशेष उल्लेखनीय है। गद्य में कथा कहने का इंग्लैंड में यह पहला प्रयास था। अंग्रेजी उपन्यास के इतिहास में इसी प्रकार की अन्य कृतियाँ सर टॉमस मोर की ‘यूटोपिया’(1516) और सर फिलिप सिडनी की ‘आर्केडिया’(1590) थी। कुछ इतिहासकार जॉन लिली (1554-1606) के उपन्यास ‘यूफुइस’ (1580) को पहला अंग्रेजी उपन्यास कहते हैं। किस रचना को पहला अंग्रेजी उपन्यास कहा जाय, इस संबंध में बहुत कुछ मतभेद संभव है, किंतु अंग्रेजी उपन्यास के इतिहास में युफुइस का उल्लेख अनायास हो जाता है। इस उपन्यास की भाषा बहुत कुछ कृत्रिम और आलंकारिक है तथा अँग्रेजी गद्य के विकास पर इस शैली का बहुत प्रभाव पड़ा था। अंग्रेजी दरबारी जीवन का इस उपन्यास में सजीव और यथार्थ चित्रण है। एलिज़ाबेथ के युग में शेक्सपियर के पूर्ववर्ती लेखकों ने अनेक उपन्यास लिखे, जिनमें से कुछ ने शेक्सपियर को उनके नाटकों के कथानक भी प्रदान किए। ऐसी रचनाओं में रॉबर्ट ग्रीन (1562-92) को ‘पैडोस्टो’और टॉमस लॉज (1558-1625) की ‘रोज़ेलिंड’उल्लेखनीय है। टॉमस नैश (1567-1601) पहले अंग्रेजी कथाकार थे जिन्होंने यथार्थवाद और व्यंग को अपनाया। उनके उपन्यास ‘दि अन्फार्चुनेट ट्रैवेलर ऑर दि लाइफ ऑव जैक विल्टन’में जीवन के बहुरंगी चित्र हैं। कथा का नायक विल्टन देश-विदेशों में घूमता-फिरता है और कथानक घटनाओं के विचित्र जाल में गुँथा है। एलिज़ाबेथ युगीन लेखकों में टॉमस डेलानी (1543-1600) को भी उपन्यासकार कहा गया है। उनके उपन्यास ‘जैक ऑव न्यूवरी’में एक तरुण जुलाहे का वर्णन है जो अपने स्वामी की विधवा से विवाह करके समृद्ध जीवन बिताता है। 17वीं शताब्दी में रोमांस का पुनरुत्थान हुआ, ऐसी कथाओं का जिनका उपहास ‘डॉन क्विग्ज़ोट ’ में किया गया है। अंग्रेजी उपन्यास की इन रचनाओं का कोई विशेष महत्व नहीं है। अंग्रेजी उपन्यास में एक महत्त्वपूर्ण कदम जॉन बन्यन (1628-1688) का उपन्यास ‘दि पिलग्रिम्स प्रोग्रेस’था। यह कथा रूपक है जिसमें कथा नायक क्रिश्चियन अनेक बाधाओं का सामना करता हुआ अपने लक्ष्य तक पहुँचता है। डिफो (1661-1731) की रचनाओं का अंग्रेजी उपन्यास के विकास पर बहुत प्रभाव पड़ा। उन्होंने यथार्थवादी शैली को अपनाया और जीवन की गति की भाँति ही उनके उपन्यासों की गति थी। उनका उपन्यास ‘रॉबिन्सन क्रूसो’अत्यंत लोकप्रिय हुआ। इसके अतिरिक्त भी उन्होंने अनेक महत्त्वपूर्ण रचनाओं की सृष्टि की। स्विफ्ट (1667-1745) अपने उपन्यास ‘गुलिवर्स ट्रैवेल्स’में मानव जाति पर कठोर व्यंग प्रहार करते हैं, यद्यपि उस व्यंग को अनदेखा करके अनेक पीढ़ियों के पाठकों ने उनकी कथाओं का रस लिया है। 18वीं शताब्दी में इंग्लैंड में चार उपन्यासकारों ने अंग्रेजी उपन्यास को प्रगति का मार्गं दिखाया। रिचर्ड्सन (1689-1761) ने अपने उपन्यासों से मध्यम वर्ग के नए पाठकों को परितोष प्रदान किया। इनके तीन उपन्यासों के नाम हैं-‘पैमेला’, ‘क्लैरिसा हालों’और ‘सर चार्ल्स ग्रांडीसन’। रिचर्ड्सन की रचनाएँ भावुकता से भरी थीं और उनकी नैतिकता संदिग्ध थी। इन त्रुटियों की आलोचना के लिए फील्डिंग (1707-1754) ने अपने उपन्यास, ‘जोजेफ ऐंड्र्यूज’, ‘टाम जोन्स’, ‘एमिलिया’और ‘जोनेथन वाइल्ड’लिखे। इन रचनाओं ने अंग्रेजी उपन्यास को दृढ़ धरातल और विकास के लिए ठोस परंपरा प्रदान की। 18वीं शताब्दी में जिन चार उपन्यासकारों ने अंग्रेजी उपन्यास की विशेष समृद्ध किया उनमें दो अन्य नाम स्मॉलेट (1721-1771) और स्टर्न (1713-1768) के हैं। इस शताब्दी का एक और महत्त्वपूर्ण उपन्यास था गोल्डस्मिथ (1728-1774) का ‘दि विकार ऑव वेकफील्ड’। सर वाल्टर स्कॉट (1771-1832) और जेन मास्टिन (1775-1817) की कृतियाँ अंग्रेजी उपन्यास की निधि है। स्कॉट ने अंग्रेजी इतिहास का कल्पनारंजित और रोमानी चित्रण अपने उपन्यासों में किया। स्काटलैंड के जनजीवन का अनुपम अंकन भी हमें उनकी कृतियों में मिलता है। स्कॉट इंग्लैंड के सबसे सफल ऐतिहासिक उपन्यासकार है। उनकी रचनाओं में ‘आइवनहो’, ‘केनिथवर्थ’और ‘दि टैलिस्मान’की बहुत ख्याति है। जेन आस्टिन मध्यवर्गीय नारी जीवन की कुशल कलाकार हैं। वे व्यंग और निर्ममता से पात्रों को प्रस्तुत करती है। बाह्य जीपन का इतना सजीव अंकन साहित्य में दुर्लभ है। जेन ऑस्टिन की रचनाओं में ‘प्राइड ऐंड प्रेजुडिस’, ‘एमा’और ‘पर्सुएशन’ की विशेष ख्याति है। 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में अंग्रेजी उपन्यास प्रगति के शिखर पर पहुँचा। यह डिफेन्स (1812-1870) और थैकरे (1811-1863) का युग है। इस युग के अन्य महान उपन्यासकार जॉर्ज इलियट, जॉर्ज मेरेडिक, ट्रोलोप, हेनरी जेम्स आदि है। डिकेन्स इंग्लैंड के सबसे अधिक लोकप्रिय उपन्यासकार है। उन्होंने पिकविक के समान अमर पात्रों की सृष्टि की जो अंग्रेजी के पाठकों की स्मृति में सदा के लिए घर कर चुके हैं। डिकेन्स ने अपने काल की कुरीतियों पर भी अपने साहित्य में कठोर प्रहार किया। उन्होंने बच्चों की वेदना को अपनी कृतियों में मार्मिक अभिव्यक्ति दी। कानून की उलझनों, सरकारी दफ्तरों केचक्र, फ़ैक्टरियों में मजदूरों के कष्ट आदि विषयों का भी डिकेन्स की कृतियों में सशक्त अंकन है। उनके उपन्यासों में ‘पिकनिक पेपर्स’, ‘ऑलिवर ट्विस्ट’, ‘ओल्ड क्यूरिऑसिटी शॉप’, ‘डेविड कॉपरफील्ड’, ‘ए टेल ऑव टू सिटीज’, ‘ग्रेट एक्सपेक्टेशन्स’, आदि विशेष महत्त्वपूर्ण है। डिकेन्स के समकालीन थैकरे ने अपने युग के महत्वाकांक्षी और पाखंडी लोगों पर अपनी कृतियों में कठोर प्रहार किए। थैकरे का साहित्य परिमाण में अपेक्षाकृत कम है, किंतु आधे दर्जन स्मरणीय उपन्यासों में उन्होंने बेकी शार्प और बिट्रिक्स जैसे पात्रों की विफलता का मार्मिक अंकन किया। थैैकरे के उपन्यासों में गहरी वेदना छिपी है। संसार उन्हें एक विराट् मेला प्रतीत होता था। उनके उपन्यासों में ‘वैनिटी फेयर’, ‘हेनरी एस्मंड’, ‘पेन्डेनिस’ तथा ‘दि न्यूकम्स’विशेष महत्त्वपूर्ण के हैं। विक्टोरिया युग में अनेक महत्त्वपूर्ण कलाकारों ने अंग्रेजी उपन्यास को समृद्ध किया। डिज़रेली (1804-1881) ने राजनीतिक उपन्यास लिखे, बुलबर लिटन (1803-1873) ने ‘दि लास्ट डेज़ ऑव पांपेई’के से सफल ऐतिहासिक उपन्यास लिखे। चार्ल्स किंग्सली (1891-1875) ने ‘वेस्टवर्ड’हो और ‘हिपैशिया’के से उत्कृष्ट ऐतिहासिक उपन्यास अंग्रेजी को दिए। इसी प्रकार चार्ल्स रोड (1814-1884), चार्लेट ब्रौन्टे (1816-1855), ऐमिली ब्रौन्टे (1818-1848), मिसेज गैस्केल (1810- 1865), विल्की कॉलिन्स (1824-1889) आदि के नाम अंग्रेजी उपन्यास के इतिहास में स्मरणीय है। जार्ज इलियट (1819-1880) की गणना इंग्लैंड के महान उपन्यासकारों में है, यद्यपि काल के प्रवाह ने आज उनकी कला का मूल्य कम कर दिया है। उनके विशेष सफल उपन्यासों में ‘साइलस मार्नर’, ‘ऐडम बीड’, ‘दि मिल ऑन दि फ्लास’और ‘रामोला’के नाम हैं। ऐंटनीट्रौलौप (1815-82) ने बारसेट नाम के क्षेत्र का अंतरंग चित्रण अपने उपन्यासों में किया और स्थानीय रंग का महत्व उपन्यास साहित्य में प्रतिष्ठित किया। मेरेडिथ (1828-1909) ने अपने पात्रों की मानसिक उलझनों की विशद व्याख्या अपने उपन्यासों में प्रस्तुत की। इनमें ‘इगोइस्ट’की बहुत ख्याति हुई। मनोवैज्ञानिक गुत्थियों को सुलझाने का प्रयास हेनरी जेम्स (1843-1916) की कला में उपन्यास को अंतर्मुखी रूप देता है। टॉमस हार्डी (1840-1928) विश्व के विधान पर कठोर आघात करते हैं और मनुष्य को जीवन शक्तियों के असहाय शिकार के रूप में प्रस्तुत करते हैं। हार्डी ने अंग्रेजी उपन्यास को गाढ़े क्षेत्रीय रंग में भी रँगा। उनके उपन्यासों में ‘दि रिटर्न ऑव दि नेटिव’, ‘दि मेयर ऑव कैस्टरब्रिज’, ‘टेस’ और ‘ज्यूड दि आब्सक्योर’ महत्त्वपूर्ण है। आधुनिक काल में एक ओर तो मनोविश्लेषणवाद का महत्व बढ़ा जिसके कारण अंग्रेजी उपन्यास में ‘चेतना के प्रवाह’नाम की प्रवृत्ति का उदय हुआ। दूसरी ओर जीवन के सूक्ष्म किंतु व्यापक रूप को समझने के प्रयास, का भी विकास हुआ। जेम्स ज्वॉयस (1882-1942) रचित ‘यूलिसीज़’उपन्यास मन के सूक्ष्म और महान व्यापारों का अध्ययन प्रस्तुत करता है। उन्हीं के समान वर्जीनिया वुल्फ (1882-1941) और डॉरोथी रिचर्ड्सन भी ‘चेतना के प्रवाह’की शैली को अपनाती है। एच.

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अकेलापन

अकेलापन एक ऐसी भावना है जिसमें लोग बहुत तीव्रता से खालीपन और एकान्त का अनुभव करते हैं। अकेलेपन की तुलना अक्सर खाली, अवांछित और महत्वहीन महसूस करने से की जाती है। अकेले व्यक्ति को मजबूत पारस्परिक संबंध बनाने में कठिनाई होती है। "अकेला" शब्द का पहले पहल दर्ज उपयोग विलियम शेक्सपियर की कॉरिओलेनस में मिलता है, "Though I go alone, like a lonely dragon..." .

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उपसंहार

अचछा उपसंहार् बेन जॉनसन सामान्यत: किसी रचना (विशेष रूप से गद्य अथवा नाटकीय) के अन्त में प्रस्तुत किया जानेवाला वह हिस्सा जिसमें सम्पूर्ण कृति का सार, उसका अभिप्राय और स्पष्टीकरण (कभी-कभी निबंध के लिए॰प्रसंगेतर लेकिन तत्संबंधी आवश्यक, अतिरिक्त सूचनाएँ) समाविष्ट हों, उपसंहार (या, पुश्तलेख, या अन्त्यलेख; अंग्रेजी में - ए॰िलॉग) कहलाता है। मूलत: इसका उपयोग नाटकों में होता था जिनमें प्राय: नाटक के अन्त में नाटक का सूत्रधार अथवा कोई पात्र नाटक के बारे में श्रोताओं की धारणा को अनुकूल बनाने के लिए॰ए॰ संक्षिप्त वक्तव्य प्रस्तुत करता था। शेक्सपियर के ए॰ाध नाटकों में इस प्रकार के उपसंहारों का महत्वपूर्ण स्थान है। बेन जानसन के नाटकों में इस पद्धति के नियमित व्यवहार का ए॰ कारण यह भी कहा जा सकता है कि वह प्राय: श्रोताओं के सामने नाटक के दोषों को छिपाने के लिए॰ही इनकी योजना करता था। 1660 तक आते-आते जब नाटकों की परंपरा का ह्रास होने लगा तो इनका महत्व बहुत ज्यादा हो गया-यहाँ तक कि प्राय: नाटककार अथवा नाट्यनिर्देशक प्रसिद्ध कवियों से यह भाग लिखवाने लगे। इस स्थिति में की अच्छी समीक्षा ड्राइडन ने अपने विख्यात निबंध 'डिफेंस ऑव ए॰ीलोग' में की है। वर्तमान समय के नाटककारों ने इसे इतना महत्व नहीं दिया। वर्तमान साहत्य में इसने नाटकों की अपेक्षा विचारात्मक और विवेचनात्मक और गवेषणात्मक निबंधों में वैज्ञानिकों, दार्शनिकों और अन्य विचारकों ने इसका पर्याप्त उपयोग किया है। कोश साहित्य और वैज्ञानिक अथवा गणनाप्रधान आलेखों में नए तथ्यों को बिना समूची पुस्तक को बदले अतिरिक्त पृष्ठों में सामग्री का आकलन कर सकना सहज हो गया है। सामान्यत: उपसंहार का उपयोग विवेचनात्मक साहित्य में अधिक होता है और अन्त्यलेख अथवा पुश्तलेख का उपयोग कोश अथवा अन्य तकनीकी साहित्य में। श्रेणी:साहित्य.

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ऋत्विक घटक

ऋत्विक घटक (ঋত্বিক (কুমার) ঘটক, ऋतिक (कुमार) घोटोक; 4 नवम्बर 1925 से 6 फ़रवरी 1976) एक बंगाली भारतीय फिल्म निर्माता और पटकथा लेखक थे। भारतीय फिल्म निर्देशकों के बीच घटक का स्थान सत्यजीत रे और मृणाल सेन के समान है। .

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११ फ़रवरी

11 फरवरी ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 42वॉ दिन है। साल में अभी और 323 दिन बाकी है (लीप वर्ष में 324)। .

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१९७८

१९७८ ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

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Goodnight Desdemona (Good Morning Juliet)

इस नाटक में साहित्य की एक डरपोक किस्म की प्रोफ़ेसर को अपने शोध कार्य के दौरान लगता है कि शेक्सपीयर के दो नाटक 'Romeo and Juliet' और Othello दुखांत नहीं बल्कि हास्य नाटक थे। और वे दोनों उसने खुद नहीं लिखे थे, बल्कि चुराये थे। उसे लगता है कि इस तरह के किरदारों का अंत मौत नहीं होना चाहिये था। लेकिन वह इतनी डरपोक है कि वह ये सब अपने काईयां प्रोफ़ेसर के सामने बोलने की हिम्मत नहीं रखती। तभी वह कम चेतना की अवस्था में भूत काल में चली जाती है और दोनों नाटकों की नायिकाओं Desdemona और Juliet को मिलती है। फिर शुरु होती है दोनों कहानियों में उथल पुथल। रोमियो और जुलियट दोनों उसी से प्यार करने लगते हैं (क्योंकि वह लड़के और लड़की का भेस बदलती रहती है)। उधर Othello की नायिका डेस्डेमोना उसकी जान के पीछे पड़ जाती है। इस समय के दौरान वह साहस करना सीखती है, प्यार करना सीखती है, अपना बचाव करना सीखती है। श्रेणी:चित्र जोड़ें.

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