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विराट

सूची विराट

बिराटनगर हाल की नेपालमे है उसी स्थान के राजा थे। अभि भि कुछ अबशेष वहा माैजुद है.

सामग्री की तालिका

  1. 10 संबंधों: दशहरा, महाभारत, शंख, हिन्दू धर्म की शब्दावली, विराट (शब्द), विराटपर्व, अभिमन्यु (अर्जुनपुत्र), अलवर, उत्तरा (महाभारत), उद्योगपर्व

दशहरा

दशहरा (विजयादशमी या आयुध-पूजा) हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। अश्विन (क्वार) मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को इसका आयोजन होता है। भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध किया था तथा देवी दुर्गा ने नौ रात्रि एवं दस दिन के युद्ध के उपरान्त महिषासुर पर विजय प्राप्त किया था। इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है। इसीलिये इस दशमी को 'विजयादशमी' के नाम से जाना जाता है (दशहरा .

देखें विराट और दशहरा

महाभारत

महाभारत हिन्दुओं का एक प्रमुख काव्य ग्रंथ है, जो स्मृति वर्ग में आता है। कभी कभी केवल "भारत" कहा जाने वाला यह काव्यग्रंथ भारत का अनुपम धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ हैं। विश्व का सबसे लंबा यह साहित्यिक ग्रंथ और महाकाव्य, हिन्दू धर्म के मुख्यतम ग्रंथों में से एक है। इस ग्रन्थ को हिन्दू धर्म में पंचम वेद माना जाता है। यद्यपि इसे साहित्य की सबसे अनुपम कृतियों में से एक माना जाता है, किन्तु आज भी यह ग्रंथ प्रत्येक भारतीय के लिये एक अनुकरणीय स्रोत है। यह कृति प्राचीन भारत के इतिहास की एक गाथा है। इसी में हिन्दू धर्म का पवित्रतम ग्रंथ भगवद्गीता सन्निहित है। पूरे महाभारत में लगभग १,१०,००० श्लोक हैं, जो यूनानी काव्यों इलियड और ओडिसी से परिमाण में दस गुणा अधिक हैं। हिन्दू मान्यताओं, पौराणिक संदर्भो एवं स्वयं महाभारत के अनुसार इस काव्य का रचनाकार वेदव्यास जी को माना जाता है। इस काव्य के रचयिता वेदव्यास जी ने अपने इस अनुपम काव्य में वेदों, वेदांगों और उपनिषदों के गुह्यतम रहस्यों का निरुपण किया हैं। इसके अतिरिक्त इस काव्य में न्याय, शिक्षा, चिकित्सा, ज्योतिष, युद्धनीति, योगशास्त्र, अर्थशास्त्र, वास्तुशास्त्र, शिल्पशास्त्र, कामशास्त्र, खगोलविद्या तथा धर्मशास्त्र का भी विस्तार से वर्णन किया गया हैं। .

देखें विराट और महाभारत

शंख

नक्कासी किये हुए शंख शंख एक सागर के जलचर का बनाया हुआ ढाँचा है, जो कि ज्यादातर पेचदारवामावर्त या दक्षिणावर्त में बना होता है। यह हिन्दु धर्म में अति पवित्र माना जाता है। यह धर्म का प्रतीक माना जाता है। यह भगवान विष्णु के दांए ऊपरी हाथ में शोभा पाता दिखाया जाता है। धर्मिक अवसरों पर इसे फूँक कर बजाया भी जाता है। (२) महाभारत में वर्णित राजा विराट के एक पुत्र का नाम भी शंख था। .

देखें विराट और शंख

हिन्दू धर्म की शब्दावली

यहाँ हिन्दू धर्म (सनातन धर्म) से सम्बन्धित धार्मिक एवं दार्शनिक अवधारणाओं को व्यक्त करने वाले शब्दों की संक्षेप में व्याख्या की गयी है। अधिकांश शब्द संस्कृत के हैं, किन्तु कुछ शब्द हिन्दी या अन्य प्रादेशिक भाषाओं के भी हो सकते हैं। .

देखें विराट और हिन्दू धर्म की शब्दावली

विराट (शब्द)

विराट का अर्थ होता है विशाल या बड़ा। यह शब्द, आकार की विशालता के साथ महानता भी व्यक्त करता है। .

देखें विराट और विराट (शब्द)

विराटपर्व

विराट पर्व के अन्तर्गत ५ उपपर्व और ७२ अध्याय हैं। .

देखें विराट और विराटपर्व

अभिमन्यु (अर्जुनपुत्र)

अभिमन्यु चक्रव्यूह में। हिंदुओं की पौराणिक कथा महाभारत के एक महत्त्वपूर्ण पात्र अभिमन्यु पूरु कुल के राजा व पंच पांडवों में से अर्जुन के पुत्र थे। कथा में उनका छल द्वारा कारुणिक अंत बताया गया है। अभिमन्यु महाभारत के नायक अर्जुन और सुभद्रा, जो बलराम व कृष्ण की बहन थीं, के पुत्र थे। उन्हें चंद्र देवता का पुत्र भी माना जाता है। धारणा है कि समस्त देवताओ ने अपने पुत्रों को अवतार रूप में धरती पर भेजा था परंतु चंद्रदेव ने कहा कि वे अपने पुत्र का वियोग सहन नही कर सकते अतः उनके पुत्र को मानव योनि में मात्र सोलह वर्ष की आयु दी जाए। अभिमन्यु का बाल्यकाल अपनी ननिहाल द्वारका में ही बीता। उनका विवाह महाराज विराट की पुत्री उत्तरा से हुआ। अभिमन्यु के पुत्र परीक्षित, जिसका जन्म अभिमन्यु के मृत्योपरांत हुआ, कुरुवंश के एकमात्र जीवित सदस्य पुरुष थे जिन्होंने युद्ध की समाप्ति के पश्चात पांडव वंश को आगे बढ़ाया। अभिमन्यु एक असाधारण योद्धा थे। उन्होंने कौरव पक्ष की व्यूह रचना, जिसे चक्रव्यूह कहा जाता था, के सात में से छह द्वार भेद दिए थे। कथानुसार अभिमन्यु ने अपनी माता की कोख में रहते ही अर्जुन के मुख से चक्रव्यूह भेदन का रहस्य जान लिया था। पर सुभद्रा के बीच में ही निद्रामग्न होने से वे व्यूह से बाहर आने की विधि नहीं सुन पाये थे। अभिमन्यु की म्रृत्यु का कारण जयद्रथ था जिसने अन्य पांडवों को व्यूह में प्रवेश करने से रोक दिया था। संभवतः इसी का लाभ उठा कर व्यूह के अंतिम चरण में कौरव पक्ष के सभी महारथी युद्ध के मानदंडों को भुलाकर उस बालक पर टूट पड़े, जिस कारण उसने वीरगति प्राप्त की। अभिमन्यु की मृत्यु का प्रतिशोध लेने के लिये अर्जुन ने जयद्रथ के वध की शपथ ली थी। .

देखें विराट और अभिमन्यु (अर्जुनपुत्र)

अलवर

अलवर भारत के राजस्थान प्रान्त का एक शहर है। यह नगर राजस्थान के मेवात अंचल के अंतर्गत आता है। दिल्ली के निकट होने के कारण यह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में शामिल है। राजस्थान की राजधानी जयपुर से करीब १६० कि॰मी॰ की दूरी पर है। अलवर अरावली की पहाडियों के मध्य में बसा है। अलवर का प्राचीन नाम 'शाल्वपुर' था। चारदीवारी और खाई से घिरे इस शहर में एक पर्वतश्रेणी की पृष्ठभूमि के सामने शंक्वाकार छन्द की पहाड़ी पर स्थित बाला क़िला इसकी विशिष्टता है। 1775 में इसे अलवर रजवाड़े की राजधानी बनाया गया था। वर्तमान में अलवर राजस्थान का महत्त्वपूर्ण औधोगिक नगर हैं तथा आठवाँ बड़ा नगर हैं। अलवर को राजस्थान का सिंह द्वार भी कहते हैं। अलवर यादव बाहुल्य जिला है। मतस्य प्रदेश अथवा अलवर का राठ क्षेत्र(बहरोड तथा नीमराना का क्षेत्र)पूरे जिले में अपना अलग ही प्रभाव रखता है। राठ के बारे में एक बात कही जाती है "ना राठ नवै, ना राठ मनै"। अर्थात राठ ना तो झुकाने से झुकता है और ना ही मनाने से मानता है,राठ क्षेत्र अपनी मर्जी से चलता है। .

देखें विराट और अलवर

उत्तरा (महाभारत)

उत्तरा राजा विराट की पुत्री थीं। जब पाण्डव अज्ञातवास कर रहे थे, उस समय अर्जुन वृहनलला नाम ग्रहण करके रह रहे थे। वृहनलला ने उत्तरा को नृत्य, संगीत आदि की शिक्षा दी थी। जिस समय कौरवों ने राजा विराट की गायें हस्तगत कर ली थीं, उस समय अर्जुन ने कौरवों से युद्ध करके अपूर्व पराक्रम दिखाया था। अर्जुन की उस वीरता से प्रभावित होकर राजा विराट ने अपनी कन्या उत्तरा का विवाह अर्जुन से करने का प्रस्ताव रखा था किन्तु अर्जुन ने यह कहकर कि उत्तरा उनकी शिष्या होने के कारण उनकी पुत्री के समान थी, उस सम्बन्ध को अस्वीकार कर दिया था। कालान्तर में उत्तरा का विवाह अभिमन्यु के साथ सम्पन्न हुआ था। चक्रव्यूह तोड़ने के लिए जाने से पूर्व अभिमन्यु अपनी पत्नी से विदा लेने गया था। उस समय उसने अभिमन्यु से प्रार्थना की थी हे उत्तरा के धन रहो तुम उत्तरा के पास ही। परीक्षित का जन्म इन्हीं की कोख से अभिमन्यु की मृत्यु के बाद हुआ था। उत्तरा के भाई का नाम उत्तर था। .

देखें विराट और उत्तरा (महाभारत)

उद्योगपर्व

उद्योग पर्व के अन्तर्गत १० उपपर्व हैं और इसमें कुल १९६ अध्याय हैं। .

देखें विराट और उद्योगपर्व