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विद्युत

सूची विद्युत

वायुमण्डलीय विद्युत विद्युत आवेशों के मौजूदगी और बहाव से जुड़े भौतिक परिघटनाओं के समुच्चय को विद्युत (Electricity) कहा जाता है। विद्युत से अनेक जानी-मानी घटनाएं जुड़ी है जैसे कि तडित, स्थैतिक विद्युत, विद्युतचुम्बकीय प्रेरण, तथा विद्युत धारा। इसके अतिरिक्त, विद्युत के द्वारा ही वैद्युतचुम्बकीय तरंगो (जैसे रेडियो तरंग) का सृजन एवं प्राप्ति सम्भव होता है? विद्युत के साथ चुम्बकत्व जुड़ी हुई घटना है। विद्युत आवेश वैद्युतचुम्बकीय क्षेत्र पैदा करते हैं। विद्युत क्षेत्र में रखे विद्युत आवेशों पर बल लगता है। समस्त विद्युत का आधार इलेक्ट्रॉन हैं। इलेक्ट्रानों के हस्तानान्तरण के कारण ही कोई वस्तु आवेशित होती है। आवेश की गति ही विद्युत धारा है। विद्युत के अनेक प्रभाव हैं जैसे चुम्बकीय क्षेत्र, ऊष्मा, रासायनिक प्रभाव आदि। जब विद्युत और चुम्बकत्व का एक साथ अध्ययन किया जाता है तो इसे विद्युत चुम्बकत्व कहते हैं। विद्युत को अनेकों प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है किन्तु सरल शब्दों में कहा जाये तो विद्युत आवेश की उपस्थिति तथा बहाव के परिणामस्वरूप उत्पन्न उस सामान्य अवस्था को विद्युत कहते हैं जिसमें अनेकों कार्यों को सम्पन्न करने की क्षमता होती है। विद्युत चल अथवा अचल इलेक्ट्रान या प्रोटान से सम्बद्ध एक भौतिक घटना है। किसी चालक में विद्युत आवेशों के बहाव से उत्पन्न उर्जा को विद्युत कहते हैं। .

106 संबंधों: ऊर्मिका, ऊर्जा (वैशेशिक दर्शन के अनुसार), चुंबकत्व, चूल्हा, चेर्नोबिल परमाणु दुर्घटना, टाटा पावर, एनरॉन, एल्युमिनियम, झारखण्ड के आदिवासी त्योहार, तड़ित चोंटे, तापविद्युत प्रभाव, धातु, धातु संसूचक, ध्वनि संचालित एक्स्चेंज, धीरूभाई अंबानी, नाभिकीय ऊर्जा, निजीकरण, न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, नौकायन, पशु बीमा, पिनांग, पवन ऊर्जा, प्रचलित गलत धारणाओं की सूची, प्रतापगढ़, राजस्थान, प्रतिबाधा, प्राकृतिक आपदा, प्रकाशस्तम्भ, प्रोग्रैमेबल लाजिक कंट्रोलर, प्लैटीपुस, प्लूटोनियम, फ़ोस्फ़र, बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान, बृहन्मुंबई विद्युत आपूर्ति एवं यातायात, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुम्बई, भग्न, भौतिक शास्त्र, भौतिक विज्ञानी, भीनमाल, महापुरा, महाराष्ट्र राज्य विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, मापन एवं जाँच के एलेक्ट्रानिक उपकरण, यंत्र, राष्ट्रीय विद्युत प्रशिक्षण प्रतिष्ठान, रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी समूह, रेल, लाउडस्पीकर, लोरेन्ट्स शक्ति, शुक्र, श्रेणीक्रम और समानांतरक्रम परिपथ, सारस (पक्षी), ..., संचार व्यवस्था, संकेतन, सुशील कुमार शिंदे, सुई पदच्युत, स्पर्श पटल, सौर ऊर्जा, सौर पवन, सौर शक्ति, सेम्युल एफ.बी. मोर्स, सीएमओएस (CMOS), हरित वाहन, हाइब्रिड वाहन, हूवर बांध, हेंड्रिक लारेंज़, होमी जहांगीर भाभा, होर्नबोस्तेल-साक्स, हीरा, जनरल इलेक्ट्रिक, जलना (चिकित्सा), जलशक्ति, जलविद्युत ऊर्जा, जैव ईंधन, जीप, जीववाद, ई-मित्र, ईंधन सेल, वस्त्र निपीडक, वायरलेस उर्जा हस्तांतरण, वित्तिय प्रबन्धक, विद्युत ऊर्जा, विद्युत संयंत्र, विद्युत स्पर्शाघात, विद्युत वाहन, विद्युत इंजीनियरी का इतिहास, विद्युत अभियान्त्रिकी, विद्युत उपकरण, विद्युतभान, वैश्विक सेल फोन चार्जर, ग्रेफाइट, औद्योगिक क्रांति, आईफ़ोन 6, आइएसओ ३१, इमेज सेंसर, इलेक्ट्रॉन, इजराइल पोस्ट कंपनी, कल्याणपुर गांव सारण जिला, कार्बन माइक्रोफोन, क्लाउड कंप्यूटिंग, कौषीतकि ब्राह्मणोपनिषद, कोशिकीय श्वसन, अपशिष्ट प्रबंधन, अपस्मार, अबाधित विद्युत आपूर्ति, अग्निशमन, अंतरराष्ट्रीय तापनाभिकीय प्रायोगिक संयंत्र, छद्मनगरीकरण सूचकांक विस्तार (56 अधिक) »

ऊर्मिका

ऊर्मिका विद्युत के सन्दर्भ में ऊर्मिका या रिपिल (ripple) का अर्थ है - किसी पॉवर सप्लाई से प्राप्त डीसी आउटपुट में विद्यमान अवांछित एसी सिगनल। हम जानते हैं कि प्रायः एसी को ऋजुकृत करके डीसी बनाते हैं। इस 'डीसी' में एसी की मात्रा (अर्थात ऊर्मिका) अधिक होती है जिसको कम करने के लिये इसको लो-पास फिल्टर से गुजारते हैं। फिल्टरिंग से ऊर्मिका की मात्रा कम हो जाती है किन्तु बिल्कुल शून्य नहीं हो पाती। ऊर्मिका की मात्रा को 'रिपिल फैक्टर' से मापते हैं। प्रायः रिपिल फैक्टर का मान जितना ही कम होता है, लोड की दृष्टि से उतना ही अच्छा होता है। किन्तु ऊर्मिका को कम करने के लिये लगायी जाने वाली अतिरिक्त सर्किट के रूप में इसका मूल्य चुकाना पड़ता है। .

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ऊर्जा (वैशेशिक दर्शन के अनुसार)

वैशेषिक दर्शनके अनुसार 'ऊर्जा' (तेज) एक तीव्र चाकचक्य (चमक) युक्त पदार्थ है। प्रकृति से यह आणविक होती है। ऊर्जा का एक महत्त्वपूर्ण गुण ऊष्ण उत्तेजना प्रदान करना है, अत: कोई भी पिण्ड जो इसके साथ संयोग करता है उच्चतापमान प्रदर्शित करता है। तेज का संयोग कर्म (Motion) में परिवर्तन ले आता है। रासायनिक अभिक्रियाएँ, ऊर्जा (तेज) की मात्रा के संयोग के कारण होती है। द्रव्य अवरोध दो प्रकार (material obstructions) के होते हैं- १. शोषण व २. आवर्तन जैसे लकड़ी शोषण के द्वारा इसके मार्ग को अवरुद्ध कर देती है। उसी प्रकार काँच जैसे द्रव्य आवर्तन के द्वारा अपने अन्दर से तेज गुजर जाने की अनुमति प्रदान करते हैं। पिण्ड में तेज के संयोगिक प्रभाव के कारण जो रंग का प्रत्यक्ष होता है, वह उसके छितराए हुए (scattering) तेजोघन (photon) के कारण दिखाई देता है। अंशुबोधिनी के अध्ययन से ज्ञात होता है कि प्राचीन भारत में वर्ण-क्रम-मापन-विज्ञान (spectroscopy) का अस्तित्व रहा है। हम इस विषय पर अलग से अष्टादश अध्याय में विचार करेंगे। .

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चुंबकत्व

चुंबकत्व प्रायोगिक चुंबकीय क्षेत्र के परमाणु या उप-परमाणु स्तर पर प्रतिक्रिया करने वाले तत्वों का गुण है। उदाहरण के लिए, चुंबकत्व का ज्ञात रूप है जो की लौह चुंबकत्व है, जहां कुछ लौह-चुंबकीय तत्व स्वयं अपना निरंतर चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करते रहते हैं। हालांकि, सभी तत्व चुंबकीय क्षेत्र की उपस्थिति से कम या अधिक स्तर तक प्रभावित होते हैं। कुछ चुंबकीय क्षेत्र (अणुचंबकत्व) के प्रति आकर्षित होते हैं; अन्य चुंबकीय क्षेत्र (प्रति-चुंबकत्व) से विकर्षित होते हैं; जब कि दूसरों का प्रायोगिक चुंबकीय क्षेत्र के साथ और अधिक जटिल संबंध होता है। पदार्थ है कि चुंबकीय क्षेत्रों द्वारा नगण्य रूप से प्रभावित पदार्थ ग़ैर-चुंबकीय पदार्थ के रूप में जाने जाते हैं। इनमें शामिल हैं तांबा, एल्यूमिनियम, गैस और प्लास्टिक.

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चूल्हा

इण्डोनेशिया का पारम्परिक चूल्हा। भारत में भी कुछ इसी प्रकार के चूल्हें ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी उपयोग किये जाते हैं। गैस चूल्हा चूल्हा उष्मा का वह स्रोत है जिससे प्राप्त उष्मा का प्रयोग भोजन पकाने में किया जाता है। चूल्हे कई प्रकार के होते हैं जैसे, मिट्टी का चूल्हा, अंगीठी या सिगड़ी, गैस का चूल्हा और सूक्ष्मतरंग चूल्हा, सौर चूल्हा आदि और इनमे प्रयोग होने वाले ऊर्जा के स्रोत भी भिन्न हो सकते हैं, जैसे लकड़ी, गोबर के उपले, कोयला, द्रवित पेट्रोलियम गैस सौर ऊर्जा और बिजली आदि। OffeneHerdstelleMainfränkischesMuseumWürzburgL1050585 (3).jpg|जर्मनी के एक संग्रहालय में रखा हुआ खुला चूल्हा Noć muzeja 2015, Čakovec - stari štednjak iz 19.st.jpg|right|thumb|300px|बुडापेस्ट में निर्मित १९वीं शताब्दी का एक चूल्हा। इस चूल्हे को २०१५ में क्रोशिया में प्रदर्शित किया गया था। .

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चेर्नोबिल परमाणु दुर्घटना

चेर्नोबिल परमाणु दुर्घटना 26 अप्रैल 1986 को युक्रेन के चेर्नोबिल में हुई अब तक की सबसे भयानक परमाणु दुर्घटना है। यह आपदा शनिवार, २६ अप्रैल १९८६ को एक प्रणाली के परीक्षण के दौरान चेरनोबिल परमाणु संयंत्र, के चौथे हिस्से से शुरु हुई। वहाँ अचानक विद्युत उत्पादन में वृद्धि हो गई थी और जब उसे आपात्कालीन स्थिति के कारण बंद करने की कोशिश की गई तो उल्टे विद्युत के उत्पादन में अत्यधिक वृद्धि हो गई। इससे एक संयंत्र टूट गया और अनियंत्रित नाभकीय विस्फोट श्रृंखला शुरु हो गई। ये घटनाएं संयंत्र के ग्रेफाइट में आग लगने का कारण हो सकती हैं। तेज हवा और आग के साथ रेडियोधर्मी पदार्थ तेजी से आस-पास के क्षेत्रों में फैल गए। इसमें भारी संख्या में जान माल की क्षती हुई और लगभग 350,400 लोग विस्थापित कर आलग स्थानों पर बसाए गए। इस दुर्घटना से सर्वाधिक प्रभावित बेलारूस हुआ। श्रेणी:परमाणु दुर्घटना श्रेणी:सोवियत संघ श्रेणी:बेलारूस.

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टाटा पावर

टाटा पावर टाटा घराने की एक कम्पनी है जो निजी क्षेत्र में विद्युत का उत्पादन, संप्रेषण एवं वितरण का काम करती है। बिजली वितरण के क्षेत्र में तो यह पहले से कार्यरत थी लेकिन बिजली उत्पादने के क्षेत्र में इसकी विस्तार की महत्वाकांक्षी योजना है। जमशेदपुर के छोटागोविंदपुर से लगे जोजोबेड़ा में प्रायोगिक तौर पर बिजली के उत्पादन के बाद पहले चरण में धनबाद के मैथन, गुजरात के मुनरा व उड़ीसा के कटक (नारजमाथापुर) में नयी यूनिट लगा रही है। .

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एनरॉन

एनरॉन कॉर्पोरेशन (पूर्व में NYSE टिकर प्रतीक ENE) एक अमेरिकी ऊर्जा कम्पनी थी जो मूलतः टेक्सास के डाउनटाउन ह्यूस्टन में एनरॉन कॉम्प्लेक्स में स्थित थी। 2001 में अपने दिवालिया होने से पहले एनरॉन में लगभग 22,000 कर्मचारी कार्यरत थे और यह विश्व की एक अग्रणी विद्युत्, प्राकृतिक गैस, संचार और लुगदी और काग़ज़ की कंपनियां थीं, वर्ष 2000 में जिसका दावाकृत राजस्व लगभग $101 बिलियन था। फॉर्च्यून ने एनरॉन को लगातार छह वर्षों के लिए "अमेरिका की सर्वाधिक नवोन्मेषी कंपनी" का नाम दिया। 2001 के अंत में यह खुलासा हुआ कि इसकी सूचित वित्तीय स्थिति मूल रूप से संस्थागत, व्यवस्थित और रचनात्मक रूप से नियोजित लेखांकन धोखाधड़ी के कारण निरंतर बनी हुई थी, जो "एनरॉन घोटाले" के रूप में विख्यात है। तब से एनरॉन स्वैच्छिक निगमित धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार की लोकप्रिय प्रतीक बन गई। इस घोटाले ने संयुक्त राज्य के कई अन्य निगमों के लेखांकन प्रणालियों पर सवाल खड़े किए और 2002 के सारबेंस-ऑक्स्ले अधिनियम की स्थापना का एक मुख्य कारण बना। इस घोटाले ने व्यापक व्यापार जगत को भी प्रभावित किया जिसके परिणाम स्वरूप आर्थर एंडरसन लेखांकन फर्म का विघटन हुआ। 2001 के उत्तरार्ध में एनरॉन ने न्यूयॉर्क के सदर्न डिस्ट्रिक्ट में दिवालियापन संरक्षण मुकदमा दायर करवाया और अपने दिवालियेपन के वकीलों के रूप में वेइल, गॉट्शल एंड मैन्जेस को चुना। अमेरिका के इतिहास में एक सबसे बड़ा और सबसे जटिल दिवालियापन मुकदमा चलने के बाद, वह पुनर्गठन की एक न्यायालय-अनुमोदित योजना के अनुसार, नवंबर 2004 में दिवालियापन से उभरी.

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एल्युमिनियम

एलुमिनियम एक रासायनिक तत्व है जो धातुरूप में पाया जाता है। यह भूपर्पटी में सबसे अधिक मात्रा में पाई जाने वाली धातु है। एलुमिनियम का एक प्रमुख अयस्क है - बॉक्साईट। यह मुख्य रूप से अलुमिनियम ऑक्साईड, आयरन आक्साईड तथा कुछ अन्य अशुद्धियों से मिलकर बना होता है। बेयर प्रक्रम द्वारा इन अशुद्धियों को दूर कर दिया जाता है जिससे सिर्फ़ अलुमिना (Al2O3) बच जाता है। एलुमिना से विद्युत अपघटन द्वारा शुद्ध एलुमिनियम प्राप्त होता है। एलुमिनियम धातु विद्युत तथा ऊष्मा का चालक तथा काफ़ी हल्की होती है। इसके कारण इसका उपयोग हवाई जहाज के पुर्जों को बनाने में किया जाता है। भारत में जम्मू कश्मीर, मुंबई, कोल्हापुर, जबलपुर, रांची, सोनभद्र, बालाघाट तथा कटनी में बॉक्साईट के विशाल भंडार पाए जाते है। उड़ीसा स्थित नाल्को (NALCO) दुनिया की सबसे सस्ती अलुमिनियम बनाने वाली कम्पनी है। .

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झारखण्ड के आदिवासी त्योहार

झारखंड में कुल ३२ जनजातिया मिलकर रह्ती है। एक विशाल सांस्कृतिक प्रभाव होने के साथ साथ, झारखंड यहाँ के मनाये जाने वाले त्योहारों की मेजबानी के लिए जाना जाता है। इसके उत्सव प्रकृति के कारण यह भारत की ज्वलंत आध्यात्मिक कैनवास पर भी कुछ अधिक रंग डालता है। यह राज्य प्राचीन काल के संदर्भ में बहुत मायने रखता है। झारखंड में पूरे मज़ा और उल्लास के साथ सभी त्योहारो को मनाया जाता है। देशभर में मनाये जाने वाले सभी त्योहारों को भी झारखंड में पूरे उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस राज्य में मनाये जाने वाले त्योहारों से झारखंड का भारत में सांस्कृतिक विरासत के अद्भुत उपस्थिति का पता चलता है। हालाकि झारखंड के मुख्य आकर्षण आदिवासी त्योहारों के उत्सव में होता है। यहाँ की सबसे प्रमुख, उल्लास के साथ मनायी जाने वाली त्योहारो में से एक है सरहुल। .

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तड़ित चोंटे

तड़ित चोंटे वह चोंटे होती है जो की बिजली के गिरने से होती है। बिजली के अचानक गिरने से व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है क्यूंकि बिजली की वोल्टेज बहुत ही अधिक होती है। तड़ित चोंटे होने के बहुत से कारण होते है जिनमे से बिजली के नुकसान, तीव्र गर्मी और इनसे उत्पन्न होने वाली यांत्रिक ऊर्जा का परिणाम है। तड़ित चोंटे व्यक्ति को या तो सीधे लगती है, या किसी वस्तु से टकराने के बाद या फिर धरती से टकराके। तड़ित चोंटे लगने के कारण कुछ व्यक्तियों की मृत्यु हो जाती है और कुछ व्यक्ति जो मरते तो नहीं है अपितु उम्रभर के लिए अपाहिज हो जाते हैं। सबसे ज्यादा संकटपूर्ण चोंट संचार प्रणाली पर हुई चोंट से होती है, और बिजली के झटके से जब फेफड़े तक पीड़ित होते हैं। तड़ित चोंटे शारीर के बाकि अंगो पर भी प्रहार करती है और कभी-कभी बिजली का वोल्टेज ज्यादा होने के कारण इंसान की मृत्यु भी हो जाती है। .

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तापविद्युत प्रभाव

तापविद्युत का मापन तापविद्युत् (thermoelectricity) वह विद्युत है जो दो असमान धातुओं के तारों की संधि को गर्म करने पर इन तारों के परिपथ में प्रवाहित होने लगती है। इस तथ्य को सर्वप्रथम सीबेक (Seebeck) ने सन् 1821 में ताँबे एवं बिस्मथ के तारों की संधि को गर्म कर आविष्कृत किया। उपर्युक्त परिपथ में उत्पन्न विद्युतवाहक बल (Electromotive force) न्यून होता है और इसकी तीव्रता निम्नलिखित बातों पर निर्भर करती है-.

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धातु

'धातु' के अन्य अर्थों के लिए देखें - धातु (बहुविकल्पी) ---- '''धातुएँ''' - मानव सभ्यता के पूरे इतिहास में सर्वाधिक प्रयुक्त पदार्थों में धातुएँ भी हैं लुहार द्वारा धातु को गर्म करने पर रसायनशास्त्र के अनुसार धातु (metals) वे तत्व हैं जो सरलता से इलेक्ट्रान त्याग कर धनायन बनाते हैं और धातुओं के परमाणुओं के साथ धात्विक बंध बनाते हैं। इलेक्ट्रानिक मॉडल के आधार पर, धातु इलेक्ट्रानों द्वारा आच्छादित धनायनों का एक लैटिस हैं। धातुओं की पारम्परिक परिभाषा उनके बाह्य गुणों के आधार पर दी जाती है। सामान्यतः धातु चमकीले, प्रत्यास्थ, आघातवर्धनीय और सुगढ होते हैं। धातु उष्मा और विद्युत के अच्छे चालक होते हैं जबकि अधातु सामान्यतः भंगुर, चमकहीन और विद्युत तथा ऊष्मा के कुचालक होते हैं। .

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धातु संसूचक

अमरीकी सैनिक ईराक में धातु संसूचक के प्रयोग से हथियार आदि ढूंढते हुए धातु संसूचक से जमीन पर खोज करते हुए धातु संसूचक (अंग्रेज़ी:मेटल डिटेक्टर) का प्रयोग धातु से जुड़े सामानों का पता लगाने में किया जाता है। इसके अलावा लैंड माइंस का पता लगाने, हथियारों, बम, विस्फोटक आदि का पता लगाने जैसे कई कामों में भी किया जाता है।। हिन्दुस्तान लाइव।१६ नवंबर, २००९ एक सरलतम धातु संसूचक में एक विद्युत दोलक होता है जो प्रत्यावर्ती धारा उत्पन्न करता है। यह धारा एक तार की कुंडली में से प्रवाहित होकर अलग चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करती है। इसमें एक कुंडली का प्रयोग चुंबकीय क्षेत्र को मापने के लिए किया जाता है। चुंबकीय पदार्थ के होने पर चुंबकीय क्षेत्र में होने वाले परिवर्तन के आधार पर इसको मापा जाता है। इसमें लगे माइक्रोप्रोसेसर धातु की प्रकार का पता लगाते हैं। धातु संसूचक वैद्युत चुंबकत्व के सिद्धांत पर काम करते हैं। अलग-अलग कार्यो के प्रयोग के अनुसार धातु संसूचकों की संवेदनशीलता अलग होती है। उन्नीसवीं शताब्दी में वैज्ञानिक ऐसे यंत्र की खोज करने में लगे थे जिससे धातुओं को खोजा जा सके। आरंभ में धातुओं की खोज के लिए जो उपकरण बनाए गए, उनकी क्षमता सीमित थी और वह ऊर्जा का प्रयोग अधिक करते थे। ऐसे में वे हर जगह कारगर नहीं होते थे। १८८१ में ग्राहम बेल ने इस प्रकार के यंत्र की मूल खोज की थी।। समय लाइव। २ मार्च २००९। रमेश चंद्र १९३७ में जेरार्ड फिशर ने इस प्रकार की युक्ति का विकास कर धातु वेक्षक या संसूचक का अन्वेषण किया जिसमें यदि रेडियो किसी धातु को खोजने में खराब हो जाए तो उसे उसकी रेडियो आवृत्ति के आधार पर खोज सकने की क्षमता थी। वह सफल हुए और उन्होंने इसका पेटेंट करवा लिया। .

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ध्वनि संचालित एक्स्चेंज

आवाज क्रासिंग में से एक नोट यहाँ दिखाया गया है। ध्वनिसंचालित एक्स्चेंज (अंग्रेज़ी: वॉयस ऑपरेटेड एक्सचेंज, लघुरूप: वीओएक्स या वॉक्स) एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण होता है, एक वॉकी-टॉकी जैसा होता है। इस प्रणाली द्वारा बहुत हल्की सी ध्वनि या मानव वार्तालाप को पकड़कर स्पीकर में संवर्धित कर सुनाया जा सकता है।। हिन्दुस्तान लाइव। २९ नवम्बर २००९ ये ध्वनि संकेत मिलते ही स्वतः ही कार्य चालू कर देता है। जब उपभोक्ता इसमें बोलता है, सिर्फ उतनी देर तक ही ट्रांसमीटर चालू रहता है और बोलना रूकते ही यह भी स्वतः ही बंद हो जाता है। यह प्रयोग किए जाने वाले पी.टी.टी (प्रेस टू टॉक) बटन से कहीं बेहतर होता है। इसके साथ ही इसे मैनुअल तरीके से भी प्रयोग किया जा सकता है। मोबाइल फोन उपकरणों में वी.ओ.एक्स का प्रयोग बैटरी चार्ज बचाने के किये किया जाता है। कुछ मोबाइल फोन, टू वे रेडियो, फोन रिकॉर्डर और टेप रिकॉर्डर आदि में भी वीओएक्स का विकल्प होता है। वीओएक्स में एक ट्रांसमीटर लगा होता है, जो कि सूचनाओं को ग्रहण करता है। इसका ध्वनि पकड़ने वाला माइक्रोफोन जिसे ईयरपीस भी कहते हैं, ये सिर के पास होता है और सेंसर चेहरे के पास, ताकि आवाज की जसा सी भी फुसफुसाहट को भी सुना जा सकें। ध्वनि के समाप्त होने के कुछ अंतराल तक इसका सर्किट सक्रिय रहता है, इस निश्चित अंतराल में कोई ध्वनि न मिलने की दशा में स्वत: ही बंद हो जाता है। दोबारा थोड़ी सी भी आवाज होते ही यह स्वतः ही सक्रिय हो जाता है। इसका प्रणाली का प्रयोग हाल ही में २६ नवम्बर २००८ मुंबई में श्रेणीबद्ध गोलीबारी में राष्ट्रीय सुरक्षा समूह की टीम ने किया था। नासा के अभियानों में भी दौरान वीओएक्स का प्रयोग बहुत हुआ था, जिसने इस तकनीक को चलन में ला दिया। बम कांड या गोलीबारी आदि की स्थिति में इस स्विच के लिए एक बड़ी समस्या होती है। भीषण गोलाबारी और फायरिंग के समय यह स्विच उसकी आवाज से भी सक्रिय हो जाता है, जो इस उपकरण की प्रमुख कमी है। .

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धीरूभाई अंबानी

धीरजलाल हीरालाल अंबानी (२८ दिसम्बर, १९३३, - ६ जुलाई, २००२) जिन्हें धीरुभाई भी कहा जाता है) भारत के एक चिथड़े से धनी व्यावसायिक टाइकून बनने की कहानी है जिन्होनें रिलायंस उद्योग की स्थापना मुम्बई में अपने चचेरे भाई के साथ की। कई लोग अंबानी के अभूतपूर्व/उल्लेखनीय विकास के लिए अन्तरंग पूंजीवाद और सत्तारूढ़ राजनीतिज्ञों तक उनकी पहुँच को मानते हैं क्योंकि ये उपलब्धि अति दमनकारी व्यावसायिक वातावरण में पसंदीदा वर्ताव द्वारा प्राप्त की गई थी। (लाइसेंस राज ने भारतीयों को दबाया। १९९० तक भारतीय व्यवसाय का गला घोंट दिया और उन्हीं को राजनीतिज्ञों ने लाइसेंस प्रदत्त किया जो की उनके इष्ट थे, जिसने प्रतियोगिता के कोई आसार नहीं छोड़े)। अंबानी ने अपनी कंपनी रिलायंस को १९७७ में सार्वजानिक क्षेत्र में सम्मिलित किया और २००७ तक परिवार (बेटे अनिल और मुकेश) की सयुंक्त धनराशी १०० अरब डॉलर थी, जिसने अम्बानियों को विश्व के धनी परिवारों में से एक बना दिया। .

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नाभिकीय ऊर्जा

इकाटा परमाणु ऊर्जा संयंत्र, एक दबावयुक्त जल रिएक्टर जो समुद्र के साथ माध्यमिक शीतलक विनिमय द्वारा ठंडा करता है। सुसक्युहाना वाष्प विद्युत् केंद्र, एक उबलता जल रिएक्टर. रिएक्टर, शीतलक टावरों के सामने की ओर आयताकार रोकथाम इमारतों के अंदर स्थित हैं। परमाणु ऊर्जा चालित तीन जहाज, (ऊपर से नीचे) परमाणु क्रूजर USS बेनब्रिज और USS लोंग ब्रिज, USS इंटरप्राइज़ के साथ जो 1964 में पहला परमाणु संचालित विमान वाहक. चालक दल के सदस्य, उड़ान डेक पर आइंस्टीन के द्रव्यमान-ऊर्जा तुल्यता सूत्र को लिख रहे हैं E.

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निजीकरण

निजीकरण व्यवसाय, उद्यम, एजेंसी या सार्वजनिक सेवा के स्वामित्व के सार्वजनिक क्षेत्र (राज्य या सरकार) से निजी क्षेत्र (निजी लाभ के लिए संचालित व्यवसाय) या निजी गैर-लाभ संगठनों के पास स्थानांतरित होने की घटना या प्रक्रिया है। एक व्यापक अर्थ में, निजीकरण राजस्व संग्रहण तथा कानून प्रवर्तन जैसे सरकारी प्रकार्यों सहित, सरकारी प्रकार्यों के निजी क्षेत्र में स्थानांतरण को संदर्भित करता है। शब्द "निजीकरण" का दो असंबंधित लेनदेनों के वर्णन के लिए भी उपयोग किया गया है। पहला खरीद है, जैसे किसी सार्वजनिक निगम या स्वामित्व वाली कंपनी के स्टॉक के सभी शेयर बहुमत वाली कंपनी द्वारा खरीदा जाना, सार्वजनिक रूप से कारोबार वाले स्टॉक का निजीकरण है, जिसे प्रायः निजी इक्विटी भी कहते हैं। दूसरा है एक पारस्परिक संगठन या सहकारी संघ का पारस्परिक समझौता रद्द कर के एक संयुक्त स्टॉक कंपनी बनाना.

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न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड

न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (अंग्रेजी: Nuclear Power Corporation of India Limited (NPCIL)), भारत सरकार के परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत एक सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है। सितंबर 1987 में कंपनी अधिनियम 1956 के अंतर्गत इस कंपनी को सार्वजनिक लिमिटेड कंपनी के तौर पर पंजीकृत किया गया था। इस कंपनी का उद्देश्य परमाणु ऊर्जा अधिनियम-1962 के तहत भारत सरकार की योजनाएं और कार्यक्रमों के अनुसरण में बिजली का उत्पादन करने हेतु परमाणु बिजली घर का परिचालन तथा नाभिकीय शक्ति परियोजनाएं कार्यान्वित करना है। एनपीसीआईएल, परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) के साथ ज्ञापन पत्र हस्ताक्षरित करनेवाली कंपनी है। वर्तमान में एनपीसीआईएल 4120 एमडब्ल्युई की कुल संस्थापित क्षमता के साथ 17 नाभिकीय उर्जा संयंत्र का प्रचालन कर रहा है जिसमें 5 रिएक्टर निर्माणाधीन है; दोनों की कुल क्षमता 2660 एमडब्ल्युई है। एनपीसीएल को 285 रिएक्टर वर्ष से अधिक वर्ष सुरक्षित तरीके से न्युक्लियर पावर प्लांट का प्रचालन करने का अनुभव प्राप्त है। “पहले संरक्षा फिर उत्पादन” के आदर्श के साथ एनपीसीआईएल अपने प्लांट का परिचालन करता है। एनपीसीआईएल ने एक्स योजना (2002 - 2007) में करीबन 90 अरब युनिट बिज़ली का उत्पादन किया है जोकि तय किये गये लक्ष्य से 10% अधिक था और 1300 एमडब्ल्युई क्षमता के लक्ष्य के समक्ष 1180 एमडब्ल्युई का लक्ष्य प्राप्त किया जिससे जाहिर है कि तय किये गये क्षमता से 91% अधिक बढोत्तरी की है। सरकार द्वारा निजी कंपनियों को परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में आने की अनुमति देने के फैसले के बाद से निगम अपने कर्मचारियों को निजी कंपनियों द्वारा प्रलोभन दिये जाने की समस्या से जूझ रहा है। .

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नौकायन

एक डॉक्ड नौका शौकिया तौर पर या मनोरंजन के लिए अथवा खेल के उद्देश्य से नाव चलाने या अन्य प्रकार के जलयानों के उपयोग को नौकायन कहा जाता है। .

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पशु बीमा

परवरिश पशुओ और बेचने के लिए पोल्ट्री अप्रत्याशित और जोखिम भरा हो सकता है। यही कारण है कि एक ठोस और पशुधन या मुर्गी बीमा पॅलिसी एक आवश्यकता है वह है। यह बीमा उन अप्रत्याशित घटनाओं और दुर्घटनाओं कि अपने जानवरों और अपनी आजीविका तबाह कर सकते हैं से अपने निवेश की सुरक्षा करता है। फ़ार्म पशु बीमा अपने विशेष पशु समूह को कवर के लिए अनुकूलित किया जा सकता है, तो पशु, सूअर, भेड, एमु, बकरी, मुर्गी या अपने खेत पर इनमें से किसी भी संयोजन है या नहीं। भारतीय कृषि उद्योग, एक और हरित क्रांति कि इसे और अधिक आकर्षक और लाभदायक बनाता के कगार पर भारत में कुल कृषि उत्पादन के रूप में अगले दस साल में दोगुना होने की संभावना है और वह भी एक जैविक तरीके से| पशु बीमा पॉलिसी अपने मवेशियों है, जो एक ग्रामीण समुदाय की सबसे मूल्यवान संपत्ति है कि मृत्यु के कारण वित्तीय नुकसान से भारतीय ग्रामीन लोगों की सुरक्षा के लिए प्रदान की जाती है। नीति होने गाय, बैल या तो सेक्स एक पशु चिकित्सक/ सर्जन द्वारा ध्वनि और उत्तम स्वास्थ्य और चोट या रोग से मुक्त होने के रूप में प्रमाणित की भैंस और जो माइक्रो फ़ाइनेंस संस्थानों, गैर सरकारी संगठनों के सदस्य कर रहे हैं व्यक्तियों को शामिल किया, सरकार प्रायोजित संगठनों और इस तरह के संबंध समूहों/ ग्रामीण और सामाजिक क्षेत्र में संस्थानों| पशु बीमा .

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पिनांग

पिनांग मलेशिया का एक राज्य है जो मलक्का के जलडमरुमध्य के साथ प्रायद्वीपीय मलेशिया के पश्चिमोत्तर तट पर स्थित है। क्षेत्र के हिसाब से पिनांग पेर्लिस के बाद मलेशिया का दूसरा सबसे छोटा और आठवां सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य है। पिनांग के निवासी को बोलचाल की भाषा में पेननगाइट के रूप में जाना जाता है। .

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पवन ऊर्जा

बहती वायु से उत्पन्न की गई उर्जा को पवन ऊर्जा कहते हैं। वायु एक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है। पवन ऊर्जा बनाने के लिये हवादार जगहों पर पवन चक्कियों को लगाया जाता है, जिनके द्वारा वायु की गतिज उर्जा, यान्त्रिक उर्जा में परिवर्तित हो जाती है। इस यन्त्रिक ऊर्जा को जनित्र की मदद से विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जा सकता है। पवन ऊर्जा (wind energy) का आशय वायु से गतिज ऊर्जा को लेकर उसे उपयोगी यांत्रिकी अथवा विद्युत ऊर्जा के रूप में परिवर्तित करना है। .

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प्रचलित गलत धारणाओं की सूची

यहाँ पर उन धारणाओं का विवरण दिया गया है जो जनसाधारण में व्यापक रूप से प्रचलित हैं किन्तु गहराई से विचार करने पर पता चलता है कि उनमें त्रुटि है। .

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प्रतापगढ़, राजस्थान

प्रतापगढ़, क्षेत्रफल में भारत के सबसे बड़े राज्य राजस्थान के ३३वें जिले प्रतापगढ़ जिले का मुख्यालय है। प्राकृतिक संपदा का धनी कभी इसे 'कान्ठल प्रदेश' कहा गया। यह नया जिला अपने कुछ प्राचीन और पौराणिक सन्दर्भों से जुड़े स्थानों के लिए दर्शनीय है, यद्यपि इसके सुविचारित विकास के लिए वन विभाग और पर्यटन विभाग ने कोई बहुत उल्लेखनीय योगदान अब तक नहीं किया है। .

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प्रतिबाधा

विद्युत के सन्दर्भ में, किसी परिपथ पर वोल्टता आरोपित करने पर उसमें धारा के प्रवाह के विरोध की माप का नाम प्रतिबाधा (impedance) है। संख्यात्मक मान की दृष्टि से किसी परिपथ की प्रतिबाधा उस परिपथ के सिरों के बीच समिश्र वोल्टता तथा समिश्र धारा के अनुपात के बराबर होती है। प्रतिबाधा को एसी के लिए प्रतिरोध के विस्तार के रूप में समझा जा सकता है। अर्थात् डीसी में जो भूमिका प्रतिरोध की है वही भूमिका एसी में प्रतिबाधा की है। प्रतिबाधा एक समिश्र संख्या है जिसका परिमाण (magnitude) और कला (phase) दोनों होते हैं। श्रेणी:विद्युत.

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प्राकृतिक आपदा

एक प्राकृतिक आपदा एक प्राकृतिक जोखिम (natural hazard) का परिणाम है (जैसे की ज्वालामुखी विस्फोट (volcanic eruption), भूकंप, या भूस्खलन (landslide) जो कि मानव गतिविधियों को प्रभावित करता है। मानव दुर्बलताओं को उचित योजना और आपातकालीन प्रबंधन (emergency management) का आभाव और बढ़ा देता है, जिसकी वजह से आर्थिक, मानवीय और पर्यावरण को नुकसान पहुँचता है। परिणाम स्वरुप होने वाली हानि निर्भर करती है जनसँख्या की आपदा को बढ़ावा देने या विरोध करने की क्षमता पर, अर्थात उनके लचीलेपन पर। ये समझ केंद्रित है इस विचार में: "जब जोखिम और दुर्बलता (vulnerability) का मिलन होता है तब दुर्घटनाएं घटती हैं". जिन इलाकों में दुर्बलताएं निहित न हों वहां पर एक प्राकृतिक जोखिम कभी भी एक प्राकृतिक आपदा में तब्दील नहीं हो सकता है, उदहारण स्वरुप, निर्जन प्रदेश में एक प्रबल भूकंप का आना.बिना मानव की भागीदारी के घटनाएँ अपने आप जोखिम या आपदा नहीं बनती हैं, इसके फलस्वरूप प्राकृतिक शब्द को विवादित बताया गया है। .

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प्रकाशस्तम्भ

सन् १९०९ में फिनलैण्ड में दीपस्तम्भों के विभिन्न शिल्प दीपस्तंभ, दीपघर, या प्रकाशस्तंभ (Light house), समुद्रतट पर, द्वीपों पर, चट्टानों पर, या नदियों और झीलों के किनारे प्रमुख स्थानों पर जहाजों के मार्गदर्शन के लिए बनाए जाते हैं। इनसे रात के समय प्रकाश निकलता है। यह किसी भी प्रणाली से प्रकाश किरण प्रसारित करती है। पुराने समय में आग जला कर यह काम होते थे, क्योंकि वर्तमान समय में विद्युत एवं अन्य कई साधन हैं। इसका उद्देश्य सागर में जहाजों के चालकों या नाविकों को खतरनाक चट्टानों से आगाह करना होता है। ये पथरीली तटरेखा, खतरनाक चट्टानों व बंदरगाहों की सुरक्षित प्रवेश को सूचित करने के लिए होते हैं। पहले काफी प्रयोग होते रहे इन प्रकाश दीपों का प्रयोग इनके महंगे अनुरक्षण एवं जी पी आर एस तकनीक सहित अन्य उन्नत सुविधाओं के आने से बहुत ही कम हो गया है। .

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प्रोग्रैमेबल लाजिक कंट्रोलर

PLC और निवेश/निर्गम व्यवस्था प्रोग्रैमेबल लाजिक कंट्रोलर (PLC) या प्रोग्राम कंट्रोलर एक डिजिटल कंप्यूटर है जो विद्युत-यांत्रिक प्रक्रिया को स्वचालित बनाने के लिए उपयोग किया जाता है। यह फैक्टरी समायोजन लाइन पर मशीनरी के नियंत्रण, मनोरंजन सवारीयों, या प्रकाश स्थिरता आदि विद्युतयांत्रिक प्रक्रमों के स्वचालन में काम मेंलिया जा सकता है। PLC कई उद्योगों और मशीनों में इस्तेमाल किया जाता है। सामान्य कंप्यूटर के विपरीत, PLC एकाधिक निवेश और निर्गम व्यवस्था, विस्तृत तापमान श्रृंखला, बिजली के शोर से उन्मुक्ति के लिए और कम्पन और प्रभाव के प्रतिरोध के लिए डिजाइन किया गया होता है। मशीन ऑपरेशन नियंत्रित करने वाले प्रोग्राम आमतौर पर बैटरी-समर्थित या स्थिर मैमोरी में जमा किये जाते हैं। एक PLC वास्तविक समयसिस्टम का एक उदहारण है क्यूंकि निर्गम परिणाम निवेश शर्तों के जवाब में एक समय सीमा में प्रस्तुत किये जाने चाहिए अन्यथा परिणाम अनियमित ऑपरेशन होगा। .

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प्लैटीपुस

प्लैटीपुस (Platypus), जो बत्तखमुँह प्लैटीपस (duck-billed platypus) भी कहलाता है, पूर्वी ऑस्ट्रेलिया में रहने वाला एक स्तनधारी प्राणी है। यह स्तनधारियों के मोनोट्रीम गण की पाँच ज्ञात जातियों में से एक है (अन्य चार एकिडना की जातियाँ हैं), जो स्तनधारी होने के नाते अपने शिशुओं को दूध तो पिलाते हैं लेकिन जिनमें माता गर्भ धारण करने की बजाए अण्डे देती है। पूरे स्तनधारी समुदाय में अण्डे देने वाली केवल यही पाँच जातियाँ है। क्रमविकास (एवोल्यूशन) की दृष्टि से यह बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह जातियाँ उस समय का संकेत हैं जब स्तनधारी नये-नये विकसित हो रहे थे और उनमें गर्भ में शिशु विकसित करने की क्षमता उत्पन्न नहीं हुई थी। इसलिए इन्हें जीवित जीवाश्म की श्रेणी में भी डाला जाता है। .

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प्लूटोनियम

प्लूटोनियम एक दुर्लभ ट्रांसयूरेनिक रेडियोधर्मी तत्त्व है। इसका रासायनिक प्रतीक Pu और परमाणु भार ९४ होता है। प्लूटोनियम के छः अपरूप होते हैं। यह एक ऐक्टिनाइड तत्त्व है जो दिखने में रुपहले श्वेत (सिल्वर व्हाइट) रंग का होता है। प्लूटोनियम-२३८ का अर्धायु काल ८७.७४ वर्ष होता है।। हिन्दुस्तान लाइव। १० दिसम्बर २००९ प्लूटोनियम-२३९, प्लूटोनियम का एक महत्वपूर्ण समस्थानिक है जिसकी अर्धायु काल २४,१०० वर्ष होता है। प्लूटोनियम-२४४, प्लूटोनियम का सर्वाधिक स्थाई समस्थानिक होता है। इसका अर्धायु काल ८ करोड़ वर्ष होता है। .

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फ़ोस्फ़र

फ़ोस्फ़र (phosphor) ऐसे पदार्थ को कहा जाता है जिसमें संदीप्ति (luminescence) का गुण हो, यानि विद्युत, तापमान, प्रकाश, इलेक्ट्रान या अन्य किसी तरह से उत्तेजित होने पर वह प्रकाश की किरणें छोड़े। बहुत से फ़ोस्फ़री पदार्थ उत्तेजित होने पर कुछ समय के लिये प्रज्वलित रहते हैं इसलिये उनका प्रयोग कैथोड किरण नलिका (सी आर टी) और प्रकाश उत्सर्जक डायोड (एल ई डी) जैसी उपयोगी चीज़ों में बहुत किया जाता है। .

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बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान

बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान मेसरा (अंग्रेज़ी: Birla Institute of Technology Mesra; जो बीआईटी मेसरा या बीआईटी राँची के नाम से भी प्रसिद्ध है) झारखंड के राँची में स्थित भारत का अग्रणी स्वायत्त अभियांत्रिकी और प्रौद्योगिकी उन्मुख संस्थान है। इसे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम १९५६ के अनुभाग ३ के तहत एक डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्ज़ा हासिल है। मुख्य परिसर के अतिरिक्त लालपुर (रांची), इलाहाबाद, कोलकाता, नोएडा, जयपुर, चेन्नई, पटना और देवघर में बीआईटी के भारतीय विस्तार पटल हैं। इनके अतिरिक्त बहरीन, मस्कट, संयुक्त अरब अमीरात और मॉरिशस में बीआईटी के अंतरराष्ट्रीय केंद्र हैं। जून २००५ में एसी निलसन एवं इंडिया टुडे द्वारा किये गये एक सर्वेक्षण के अनुसार इसे देश के दस श्रेष्ठ तकनीकी संस्थानों में शुमार किया गया था। .

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बृहन्मुंबई विद्युत आपूर्ति एवं यातायात

बृहन्मुंबई विद्युत आपूर्ति एवं यातायात (बेस्ट) (मराठी: बृहन्मुंबई विद्युतपुरवठा आणि परिवहन उपक्रम / बेस्ट) मुंबई की लोक परिवहन और विद्युत प्रदाय संस्था है। इसकी स्थापना १८७३ में हुई थी। यह भारत का सबसे बड़ा लोक परिवहन बस-सेवा संचालक है। इसकी स्थापना के समय बंबई विद्युत आपूर्ति एवं ट्रामवेज़ कंपनी (बेस्ट) के नाम से बनाया था। यह वाडी बंदर में स्थित एक विद्युत ताप गृह की १९०५ में स्थापना के समय बनाया गया था। यह ट्राम और शहर हेतु विद्युत उत्पादन करता था। Image:BEST-first-bus-1926.jpg| Image:Best cbd wad.jpg|टाटा स्टारबस Image:India.Mumbai.02.jpg|आधुनिक डबल-डेकर Image:Mumbai 03-2016 48 bus in Mahim.jpg|सी एन जी बस चित्र:Pylon-gorai.jpg चित्र:BEST-ferry.jpg|फेरी-सेवा, मनौरी क्रीक .

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भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुम्बई

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुम्बई मुम्बई शहर के उत्तर-पश्चिम में पवई झील के किनारे स्थित भारत का अग्रणी स्वशासी अभियांत्रिकी विश्वविद्यालय है। यह भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान श्रृंखला का दूसरा सबसे बड़ा परिसर और महाराष्ट्र राज्य का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय है। आई.

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भग्न

मैंडलब्रॉट सेट भग्न का एक प्रसिद्ध उदाहरण है भग्न एक "विषम या खंडित ज्यामितीय आकार है जिसे हिस्से में विभाजित किया जा सकता है, जिनमें से प्रत्येक (कम से कम लगभग) संपूर्ण की लघु-आकार प्रतिलिपि है," एक गुण जो स्व-समानता कहलाता है। भग्न के गणितीय सख्त उपचार की जड़ें कार्ल वेइर्स्ट्रास, जार्ज कैंटर और फ़ेलिक्स हौसड्राफ़ द्वारा किए गए प्रकार्यों के अध्ययन में खोजी जा सकती हैं, जिन्होंने ऐसे प्रकार्यों का अध्ययन किया जो विश्लेषणात्मक थे, पर विभेदक नहीं; तथापि, 1975 में भग्न के लिए अंग्रेज़ी शब्द fractal बेनोइट मेंडेलब्रॉट ने गढ़ा और यह लैटिन के fractus से व्युत्पन्न है, जिसका तात्पर्य है "टूटा हुआ" या "खंडित".

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भौतिक शास्त्र

भौतिकी के अन्तर्गत बहुत से प्राकृतिक विज्ञान आते हैं भौतिक शास्त्र अथवा भौतिकी, प्रकृति विज्ञान की एक विशाल शाखा है। भौतिकी को परिभाषित करना कठिन है। कुछ विद्वानों के मतानुसार यह ऊर्जा विषयक विज्ञान है और इसमें ऊर्जा के रूपांतरण तथा उसके द्रव्य संबन्धों की विवेचना की जाती है। इसके द्वारा प्राकृत जगत और उसकी आन्तरिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। स्थान, काल, गति, द्रव्य, विद्युत, प्रकाश, ऊष्मा तथा ध्वनि इत्यादि अनेक विषय इसकी परिधि में आते हैं। यह विज्ञान का एक प्रमुख विभाग है। इसके सिद्धांत समूचे विज्ञान में मान्य हैं और विज्ञान के प्रत्येक अंग में लागू होते हैं। इसका क्षेत्र विस्तृत है और इसकी सीमा निर्धारित करना अति दुष्कर है। सभी वैज्ञानिक विषय अल्पाधिक मात्रा में इसके अंतर्गत आ जाते हैं। विज्ञान की अन्य शाखायें या तो सीधे ही भौतिक पर आधारित हैं, अथवा इनके तथ्यों को इसके मूल सिद्धांतों से संबद्ध करने का प्रयत्न किया जाता है। भौतिकी का महत्व इसलिये भी अधिक है कि अभियांत्रिकी तथा शिल्पविज्ञान की जन्मदात्री होने के नाते यह इस युग के अखिल सामाजिक एवं आर्थिक विकास की मूल प्रेरक है। बहुत पहले इसको दर्शन शास्त्र का अंग मानकर नैचुरल फिलॉसोफी या प्राकृतिक दर्शनशास्त्र कहते थे, किंतु १८७० ईस्वी के लगभग इसको वर्तमान नाम भौतिकी या फिजिक्स द्वारा संबोधित करने लगे। धीरे-धीरे यह विज्ञान उन्नति करता गया और इस समय तो इसके विकास की तीव्र गति देखकर, अग्रगण्य भौतिक विज्ञानियों को भी आश्चर्य हो रहा है। धीरे-धीरे इससे अनेक महत्वपूर्ण शाखाओं की उत्पत्ति हुई, जैसे रासायनिक भौतिकी, तारा भौतिकी, जीवभौतिकी, भूभौतिकी, नाभिकीय भौतिकी, आकाशीय भौतिकी इत्यादि। भौतिकी का मुख्य सिद्धांत "उर्जा संरक्षण का नियम" है। इसके अनुसार किसी भी द्रव्यसमुदाय की ऊर्जा की मात्रा स्थिर होती है। समुदाय की आंतरिक क्रियाओं द्वारा इस मात्रा को घटाना या बढ़ाना संभव नहीं। ऊर्जा के अनेक रूप होते हैं और उसका रूपांतरण हो सकता है, किंतु उसकी मात्रा में किसी प्रकार परिवर्तन करना संभव नहीं हो सकता। आइंस्टाइन के सापेक्षिकता सिद्धांत के अनुसार द्रव्यमान भी उर्जा में बदला जा सकता है। इस प्रकार ऊर्जा संरक्षण और द्रव्यमान संरक्षण दोनों सिद्धांतों का समन्वय हो जाता है और इस सिद्धांत के द्वारा भौतिकी और रसायन एक दूसरे से संबद्ध हो जाते हैं। .

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भौतिक विज्ञानी

अल्बर्ट आइंस्टीन, जिन्होने सामान्य आपेक्षिकता का सिद्धान्त दिया भौतिक विज्ञानी अथवा भौतिक शास्त्री अथवा भौतिकीविद् वो वैज्ञानिक कहलाते हैं जो अपना शोध कार्य भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में करते हैं। उप-परवमाणविक कणों (कण भौतिकी) से लेकर सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड तक सभी परिघटनाओं का अध्ययन करने वाले लोग इस श्रेणी में माने जाते हैं। .

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भीनमाल

भीनमाल (English:Bhinmal) राजस्थान राज्य के जालौर जिलान्तर्गत भारत का एक ऐतिहसिक शहर है। यहाँ से आशापुरी माताजी तीर्थ स्थल मोदरान स्टेशन भीनमाल के पास स्थित है जिसकी यहां से दूरी 28 किलोमीटर है। शहर प्राचीनकाल में 'श्रीमाल' नगर के नाम से जाना जाता था। "श्रीमाल पुराण" व हिंदू मान्यताओ के अनुसार विष्णु भार्या महालक्ष्मी द्वारा इस नगर को बसाया गया था। इस प्रचलित जनश्रुति के कारण इसे 'श्री' का नगर अर्थात 'श्रीमाल' नगर कहा गया। प्राचीनकाल में गुजरात राज्य की राजधानी रहा भीनमाल संस्कृत साहित्य के प्रकाण्ड विद्वान महाकवि माघ एवँ खगोलविज्ञानी व गणीतज्ञ ब्रह्मगुप्त की जन्मभूमि है। यह शहर जैन धर्म का विख्यात तीर्थ है। .

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महापुरा

महापुरा, राजस्थान की राजधानी से कोई दस किलोमीटर दूर (जयपुर-अजमेर रोड से करीब एक किलोमीटर दक्षिण-दिशा में) जयपुर जिले की सांगानेर तहसील का एक ऐतिहासिक ग्राम है जो शिवानन्द गोस्वामी जैसे उद्भट विद्वान को आमेर नरेश महाराजा बिशन सिंह / महाराजा विष्णुसिंह ने अन्य चार गांवों के साथ उनका शिष्यत्व स्वीकारने के उपलक्ष्य में जागीर के रूप में भेंट दिया था। महापुरा अनेक कारणों से भारत के विलक्षण ग्रामों में से एक है, क्योंकि इस गाँव के साथ इतिहास और संस्कृति के कई अनजाने पहलू सम्बद्ध हैं। .

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महाराष्ट्र राज्य विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड

महावितरण या महाडिस्कॉम (महाराष्ट्र राज्य विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड - MSEDCL) महाराष्ट्र सरकार की विद्युत वितरण कंपनी है। यह पूरे राज्य भर में, मुंबई शहर और उसके कुछ उपनगरों के अलावा, विद्युत वितरण देखती है। उन क्षेत्रों में बेस्ट, रिलायंस एनर्जी, टाटा पावर आदि वितरण कार्य करते हैं। .

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मापन एवं जाँच के एलेक्ट्रानिक उपकरण

एक डिजिटल ऑसिलोस्कोप विद्युत एवं एलेक्ट्रानिक कार्य के लिये बहुत से उपकरण लगते हैं जो मापन, जाँच, सिगनल पैदा करने (संकेत-जनक), सिगनल का स्वरूप देखने आदि के काम आते हैं। .

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यंत्र

जेम्स अल्बर्ट बोनसैक द्वारा सन् १८८० में विकसित मशीन; यह मशीन प्रति घण्टे लगभग २०० सिगरेट बनाती थी। कोई भी युक्ति जो उर्जा लेकर कुछ कार्यकलाप करती है उसे यंत्र या मशीन (machine) कहते हैं। सरल मशीन वह युक्ति है जो लगाये जाने वाले बल का परिमाण या दिशा को बदल दे किन्तु स्वयं कोई उर्जा खपत न करे। .

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राष्ट्रीय विद्युत प्रशिक्षण प्रतिष्ठान

राष्ट्रीय विद्युत प्रशिक्षण प्रतिष्ठान (National Power Training Institute (NPTI)) विद्युत क्षेत्र में मानव संसाधन विकास एवं प्रशिक्षण के लिए भारत का राष्ट्रीय शीर्ष निकाय है। यह एक ISO 9001 तथा ISO 14001 संगठन है। यह भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय के अन्तर्गत एक स्वायत्त संस्था है। इसका कारपोरेट कार्यालय फरीदाबाद में है। इसके अलावा भारत के विभिन्न विद्युत क्षेत्रों में इसकी इकाइयाँ हैं, जैसे नेवेली (1965), दुर्गापुर (1968), बदरपुर, नई दिल्ली (1974), नागपुर (1975), बंगलौर, गुवाहाटी, नांगल आदि। .

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रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी समूह

रिलायंस अनिल धीरूभाई अम्बानी समूह कई कम्पनियों वाला एक औद्योगिक घराना या समूह है। अनिल अंबानी इसके मालिक हैं। मुकेश अंबानी एवं अनिल अम्बाणी के आपसी झगड़े के कारण रिलायंस इण्डस्ट्रीज के विभाजन हुआ और यह समूह अस्तित्व में आया। इसके लगभग ८० लाख शेयर धारक हैं जिससे यह विश्व का सबसे अधिक अंशधारकों वाला समूह बन गया है। इस समूह के अन्तर्गत निम्नलिखित कम्पनियाँ हैं.

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रेल

रेल अमेरिका में कोलम्बिया नदी के किनारे पटरी पर रेलगाड़ी खींचते हुए चार इंजन पहाड़ों में रेल सुरंग और पुल रेल (Rail) परिवहन का एक ज़रिया है जिसमें यात्रियों और माल को पटरियों पर चलने वाले वाहनों पर एक स्थान से दुसरे स्थान ले जाया जाता है। पारम्परिक रूप से रेल वाहनों के नीचे पहियें होते हैं जो इस्पात (स्टील) की बनी दो पटरियों पर संतुलित रूप से चलते हैं, लेकिन आधुनिक काल में चुम्बकीय प्रभाव से पटरी के ऊपर लटककर चलने वाली 'मैगलेव' (maglev) और एक पटरी पर चलने वाली 'मोनोरेल' जैसी व्यवस्थाएँ भी रेल व्यवस्था में गिनी जाती हैं। रेल की पटरी पर चलने वाले वाहन अक्सर एक लम्बी पंक्ति में एक दुसरे से ज़ंजीरों से जुड़े हुए डब्बे होते हैं जिन्हें एक या एक से अधिक कोयले, डीज़ल, बिजली या अन्य ऊर्जा से चलने वाला इंजन (engine) खेंचता है। इस तरह से जुड़े हुए डब्बों और इंजनों को 'रेलगाड़ी' या 'ट्रेन' (train) बुलाया जाता है।, Dennis Hamley, Oxford University Press, 2001, ISBN 978-0-19-910653-0 .

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लाउडस्पीकर

एक सस्ता, कम विश्वस्तता 3½ इंच स्पीकर, आमतौर पर छोटे रेडियो में पाया जाता है। एक चतुर्मार्गी, उच्च विश्वस्तता लाउडस्पीकर सिस्टम. एक लाउडस्पीकर (या "स्पीकर") एक विद्युत-ध्वनिक ऊर्जा परिवर्तित्र है, जो वैद्युत संकेतों को ध्वनि में परिवर्तित करता है। स्पीकर वैद्युत संकेतों के परिवर्तनों के अनुसार चलता है तथा वायु या जल के माध्यम से ध्वनि तरंगों का संचार करवाता है। श्रवण क्षेत्रों की ध्वनिकी के बाद, लाउडस्पीकर (तथा अन्य विद्युत-ध्वनि ऊर्जा परिवर्तित्र) आधुनिक श्रव्य प्रणालियों में सर्वाधिक परिवर्तनशील तत्व हैं तथा ध्वनि प्रणालियों की तुलना करते समय प्रायः यही सर्वाधिक विरूपणों और श्रव्य असमानताओं के लिए उत्तरदायी होते हैं। .

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लोरेन्ट्स शक्ति

भौतिक विज्ञान में, विशेष रूप से विद्युत में, लोरेन्ट्स बल एक बिंदु आरोप पर बिजली और चुंबकीय बल के संयोजन विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र के कारण है। प्रभारी क्यू के एक कण एक बिजली के क्षेत्र ई की उपस्थिति और एक चुंबकीय क्षेत्र बी में वेग वी के साथ चलता है, तो यह एक शक्ति का अनुभव होगा। इस बुनियादी फार्मूला पर बदलाव एक वर्तमान ले जाने के तार (कभी कभी कहा जाता लाप्लास बल), एक तार पाश में इलेक्ट्रोमोटिव बल एक चुंबकीय क्षेत्र (प्रेरण के फैराडे के कानून का एक पहलू) के माध्यम से चलती है, और बल एक आरोप पर चुंबकीय बल का वर्णन कण जो प्रकाश की गति (लोरेन्ट्स् बल के relativistic प्रपत्र) के पास यात्रा हो सकती है। लोरेन्ट्स बल की पहली व्युत्पत्ति आमतौर पर 1889 में ओलिवर हेविसैड को जिम्मेदार ठहराया है, हालांकि अन्य इतिहासकारों 1865 कागज जेम्स क्लर्क मैक्सवेल द्वारा में पहले के मूल सुझाव देते हैं। हेंड्रिक लोरेन्ट्स् यह हेविसैड कुछ वर्षों के बाद निकाली गई .

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शुक्र

शुक्र (Venus), सूर्य से दूसरा ग्रह है और प्रत्येक 224.7 पृथ्वी दिनों मे सूर्य परिक्रमा करता है। ग्रह का नामकरण प्रेम और सौंदर्य की रोमन देवी पर हुआ है। चंद्रमा के बाद यह रात्रि आकाश में सबसे चमकीली प्राकृतिक वस्तु है। इसका आभासी परिमाण -4.6 के स्तर तक पहुँच जाता है और यह छाया डालने के लिए पर्याप्त उज्जवलता है। चूँकि शुक्र एक अवर ग्रह है इसलिए पृथ्वी से देखने पर यह कभी सूर्य से दूर नज़र नहीं आता है: इसका प्रसरकोण 47.8 डिग्री के अधिकतम तक पहुँचता है। शुक्र सूर्योदय से पहले या सूर्यास्त के बाद केवल थोड़ी देर के लए ही अपनी अधिकतम चमक पर पहुँचता है। यहीं कारण है जिसके लिए यह प्राचीन संस्कृतियों के द्वारा सुबह का तारा या शाम का तारा के रूप में संदर्भित किया गया है। शुक्र एक स्थलीय ग्रह के रूप में वर्गीकृत है और समान आकार, गुरुत्वाकर्षण और संरचना के कारण कभी कभी उसे पृथ्वी का "बहन ग्रह" कहा गया है। शुक्र आकार और दूरी दोनों मे पृथ्वी के निकटतम है। हालांकि अन्य मामलों में यह पृथ्वी से एकदम अलग नज़र आता है। शुक्र सल्फ्यूरिक एसिड युक्त अत्यधिक परावर्तक बादलों की एक अपारदर्शी परत से ढँका हुआ है। जिसने इसकी सतह को दृश्य प्रकाश में अंतरिक्ष से निहारने से बचा रखा है। इसका वायुमंडल चार स्थलीय ग्रहों मे सघनतम है और अधिकाँशतः कार्बन डाईऑक्साइड से बना है। ग्रह की सतह पर वायुमंडलीय दबाव पृथ्वी की तुलना मे 92 गुना है। 735° K (462°C,863°F) के औसत सतही तापमान के साथ शुक्र सौर मंडल मे अब तक का सबसे तप्त ग्रह है। कार्बन को चट्टानों और सतही भूआकृतियों में वापस जकड़ने के लिए यहाँ कोई कार्बन चक्र मौजूद नही है और ना ही ज़ीवद्रव्य को इसमे अवशोषित करने के लिए कोई कार्बनिक जीवन यहाँ नज़र आता है। शुक्र पर अतीत में महासागर हो सकते हैलेकिन अनवरत ग्रीनहाउस प्रभाव के कारण बढ़ते तापमान के साथ वह वाष्पीकृत होते गये होंगे |B.M. Jakosky, "Atmospheres of the Terrestrial Planets", in Beatty, Petersen and Chaikin (eds), The New Solar System, 4th edition 1999, Sky Publishing Company (Boston) and Cambridge University Press (Cambridge), pp.

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श्रेणीक्रम और समानांतरक्रम परिपथ

एक श्रेणीक्रम परिपथ बहुत से विद्युत या इलेक्ट्रॉनिक घटकों या अवयवों को जोड़कर विद्युत परिपथ बनते हैं। परिपथों में घटक दो प्रकार से जोड़े जा सकते हैं: श्रेणीक्रम और समानांतरक्रम में। जिस परिपथ में सभी घटक श्रेणीक्रम में जुड़े हों, उसे श्रेणी परिपथ और जिस परिपथ में सभी घटक समानांतर क्रम में जुड़े हों उसे समानांतर परिपथ कहा जा सकता है। श्रेणी परिपथ में हरेक घटक से समान धारा प्रवाहित होती हैरेस्निक, रॉबर्ट एवं हलिडे, डेविड, फ़िज़िक्स, अध्याय ३२, उदाहरण १(खण्ड I एवं II, संयुक्त संस्करण), जबकि समानांतर परिपथ में हरेक घटक पर समान वोल्टता उपलब्ध होती है।रेस्निक, रॉबर्ट एवं हलिडे, डेविड, फ़िज़िक्स, अध्याय ३२, उदाहरण ४ (खण्ड I एवं II, संयुक्त संस्करण) श्रेणी परिपथों में प्रत्येक घटक का कार्यरत रहना आवश्यक है, अन्यथा परिपथ टूट जायेगा। श्रेणीक्रम परिपथों में कोई भी घटक खराब होने पर भी शेष घटक कार्य करते रहेंगे, किन्तु किसी भी घटक को शॉर्ट सर्किट होने पर पूरा परिपथ शॉर्ट-सर्किट हो सकता है। यदि किसी परिपथ में किसी स्थान पर १० ओम के प्रतिरोध की आवश्यकता है किन्तु वह उपलब्ध नहीं है किन्तु ५-५ ओम के दो प्रतिरोध सुलभ हैं तो इनको श्रेणीक्रम में जोड़कर लगाया जा सकता है। इसी प्रकार यदि २०-२० ओम के दो प्रतिरोध उपलब्ध होने पर उन्हें समान्तरक्रम में जोड़ देने से १० ओम का तुल्य प्रतिरोध प्राप्त हो जाता है। डेढ़-दो वोल्ट सहन कर सकने वाले सैकड़ों बल्बों को श्रेणीक्रम में जोड़कर २३० वोल्ट से घरेलू बिजली से उनको जगमगाया जाता है। कहीं पर २४ वोल्ट की जरूरत हो तो १२ वोल्ट वाली दो बैटरियों को श्रेणीक्रम में जोड़कर २४ वोल्ट प्राप्त किया जा सकता है। परिपथों में भिन्न प्रकार के अवयव भी श्रेणीक्रम या समान्तरक्रम में जुड़े हो सकते हैं उदाहरण के लिये डायोड की रक्षा के लिये उसके श्रेणीक्रम में उपयुक्त मान का फ्यूज लगा दिया जाता है; या पंखे को चालू/बंद करने के लिये उसके श्रेणीक्रम में एक स्विच डाला जाता है। इसी तरह किसी विद्युत-अपघट्टीय संधारित्र में उल्टी दिशा में वोल्टता न लग जाये इसके लिये उसके समान्तरक्रम में एक डायोड (उचित पोलैरिटी में) डाल दिया जाता है। किसी स्थान पर २ अम्पीयर धारा वहन कर सकने वाला डायोड लगाना हो तो १ एम्पीयर धारा वहन कर सकने वाले दो डायोड समान्तरक्रम में लगा देने से भी काम चल सकता है। .

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सारस (पक्षी)

सारस विश्व का सबसे विशाल उड़ने वाला पक्षी है। इस पक्षी को क्रौंच के नाम से भी जानते हैं। पूरे विश्व में भारतवर्ष में इस पक्षी की सबसे अधिक संख्या पाई जाती है। सबसे बड़ा पक्षी होने के अतिरिक्त इस पक्षी की कुछ अन्य विशेषताएं इसे विशेष महत्व देती हैं। उत्तर प्रदेश के इस राजकीय पक्षी को मुख्यतः गंगा के मैदानी भागों और भारत के उत्तरी और उत्तर पूर्वी और इसी प्रकार के समान जलवायु वाले अन्य भागों में देखा जा सकता है। भारत में पाये जाने वाला सारस पक्षी यहां के स्थाई प्रवासी होते हैं और एक ही भौगोलिक क्षेत्र में रहना पसंद करते हैं। सारस पक्षी का अपना विशिष्ट सांस्कृतिक महत्व भी है। विश्व के प्रथम ग्रंथ रामायण की प्रथम कविता का श्रेय सारस पक्षी को जाता है। रामायण का आरंभ एक प्रणयरत सारस-युगल के वर्णन से होता है। प्रातःकाल की बेला में महर्षि वाल्मीकि इसके द्रष्टा हैं तभी एक आखेटक द्वारा इस जोड़े में से एक की हत्या कर दी जाती है। जोड़े का दूसरा पक्षी इसके वियोग में प्राण दे देता है। ऋषि उस आखेटक को श्राप देते हैं। अर्थात्, हे निषाद! तुझे निरंतर कभी शांति न मिले। तूने इस क्रौंच के जोड़े में से एक की जो काम से मोहित हो रहा था, बिना किसी अपराध के हत्या कर डाली। .

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संचार व्यवस्था

संचार सूचना के संप्रेषण की क्रिया है। इस संसार का प्रत्येक प्राणी, अपने चारों ओर के संसार के अन्य प्राणियों से लगभग निरंतर ही सूचनाओं के आदान-प्रदान की आवश्यकता का अनुभव करता है। किसी सफल संचार के लिए यह आवश्यक है कि प्रेषक एवं ग्राही दोनों ही किसी सर्वसामान्य भाषा को समझते हों। मानव निरंतर ही यह प्रयत्न करता रहा है कि उसका मानव जाति से संचार गुणता में उन्नत हो। मानव प्रागैतिहासिक काल से आधुनिक काल तक, संचार में उपयोग होने वाली नयी-नयी भाषाओं एवं विधियों की खोज करने के लिए प्रयत्नशील रहा है, ताकि संचार की गति एवं जटिलताओं के पदों में बढती आवश्यकताओं की पूर्ति हो सके। संचार प्रणाली के विकास को प्रोन्नत करने वाली घटनाओं एवं उपलब्धियों के विषय में जानकारी होना लाभप्रद है। आधुनिक संचार की जड़ें 19 वी तथा 20 वीं शताब्दियों में सर जगदीश चन्द्र बोस, सेम्युल एफ.बी. मोर्स, जी मार्कोंनी तथा अलेक्जेंडर ग्राह्म बेल के कार्य द्वारा डाली गई। 20 वी शताब्दी के पहले पचास वर्षों के पश्चात इस क्षेत्र में विकास की गति नाटकीय रूप से बढी प्रतीत होती है। आगामी दशकों में हम बहुत सी अन्य महत्वपूर्ण उपलब्धियों देख सकते है। .

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संकेतन

संकेतन (Signalling), या संकेत संप्रेषण, का युद्ध में दीर्घ काल से प्रयोग हो रहा है। साधारण जीवन में भी संदेश भेजने की आवश्यकता बहुधा पड़ती ही है, पर सेना की एक टुकड़ी से दूसरी को, अथवा एक पोत से अन्य को, सूचनाएँ, आदेश आदि भेजने के कार्य का महत्व विशेष है। इसके लिए प्रत्येक संभव उपाय काम में लाए जाते हैं। पैदल और घुड़सवार, संदेशवाहकों के सिवाय, प्राचीन काल में झंडियों, प्रकाश तथा धुएँ द्वारा संकेतों से संदेश भेजने के प्रमाण मिलते हैं। अफ्रीका में यही कार्य नगाड़ों से लिया जाता रहा है। आधुनिक काल में संकेतन का उपयोग सड़कों पर आवागमन तथा रेलगाड़ियों के नियंत्रण में भी किया जा रहा है। .

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सुशील कुमार शिंदे

सुशील कुमार शिंदे (जन्म: 4 सितम्बर 1941) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से संबंद्ध एक भारतीय राजनीतिज्ञ है। पूर्व में भारत गणराज्य के केन्द्रीय गृह मंत्री थे तथा पंद्रहवीं लोकसभा के महाराष्ट्र से सांसद है। वे पूर्व में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और आन्ध्र प्रदेश के राज्यपालरह चुके है। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार में केन्द्रीय बिजली मंत्री भी रह चुके है। .

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सुई पदच्युत

एक दीवार घुड़सवार शार्प्स कंटेनर सुई पदच्युत सिरिंज से एक सुई को शारीरिक रूप से हटाने का उपकरण है। विकासशील देशों में, अभी भी अस्पताल सेटिंग्स में सुई सुरक्षा को सुधारने की जरूरत है क्योंकि अधिकांशतः सुई को हटाने की प्रक्रिया मैन्युअल रूप से की जाती है और गंभीर जोखिम के तहत त्वचा में छिद्र करती सुई और संक्रमण से अनुमति देता है। ये देश सुई के साथ व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों के साथ संलग्न सुई नहीं खरीद पाते हैं, तो सिरिंज से सुई निकालने के लिए सुई-पदच्युत का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। यह सिरिंजों के पुन: उपयोग के द्वारा प्रसार होते रोगज़नक़ को कम करता हैं, सुई, छड़ी से आकस्मिक घटनाएं कम संभव होती हैं और सिरिंज निपटान की सुविधा हो सकती हैं। .

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स्पर्श पटल

निन्टेण्डो का टचस्क्रीन (निचला फलक) कंप्यूटर। स्पर्श-पटल (अंग्रेज़ी: टचस्क्रीन) एक ऐसी विद्युतीय दृश्य प्रादर्शी है जो प्रादर्श क्षेत्र में किसी स्पर्श की उपस्थिति और अवस्थिति की पहचान करने में सक्षम होती है। आसान शब्दों में स्पर्श-पटल एक ऐसा पटल या मॉनीटर होता है, जिसमें स्पर्श के माध्यम से भी डाटा भरा जा सकता है, और ऐसा करने में किसी कुंजीपटल की आवश्यकता नहीं होती। ये पटल उस निश्चित क्षेत्र में स्पर्श और उसकी स्थिति (स्थान) का ज्ञान कर लेने में सक्षम होता है। प्रायः ये शब्द पटल पर अंगुली या हाथ के स्पर्श के लिये भी प्रयोग किया जाता है। ये पटल अन्य निष्क्रिय वस्तुओं जैसे पेन आदि को भी पहचान लेता है। कंप्यूटर पर इसकी मदद से वह सारे काम हो सकते हैं जिनको करने के लिए एक माउस की आवश्यकता पड़ती है।|हिन्दुस्तान लाइव। ३ फ़रवरी २०१० प्रतिदिन विकसित हो रही स्पर्श-पटल प्रौद्योगिकी ने मोबाइल, कंप्यूटर, टैबलेट पीसी, पर्सनल मल्टीमीडिया प्लेयर, गेमिंग कंसोल में इसका प्रयोग काफी बढ़ा दिया है। कुछ आईफोन और उसके बाद आए आईपैड और कई पर्सनल कंप्यूटर निर्माता कंपनियों ने स्पर्श-पटल इंटरफेस तकनीक का आरंभ कर दिया है। माइक्रोसॉफ्ट का प्रोटोटाइप सरफेस कंप्यूटर एक टैबलेट पीसी है जो अंगुली के स्पर्श का उत्तर तो देगा ही साथ ही हाथ के प्राकृतिक संचालन के आधार पर भी काम करेगा। माइक्रोसॉफ्ट इसकी वस्तु पहचान (ऑब्जेक्ट रिकॉग्निशन) तकनीक पर काम कर रहा है। .

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सौर ऊर्जा

विश्व के विभिन्न भागों का औसत सौर विकिरण (आतपन, सूर्यातप)। इस चित्र में जो छोटे-छोटे काले बिन्दु दिखाये गये हैं, यदि उनके ऊपर गिरने वाले सम्पूर्ण सौर विकिरण का उपयोग कर लिया जाय तो विश्व में उपयोग की जा रही सम्पूर्ण ऊर्जा (लगभग 18 टेरावाट) की आपूर्ति इससे ही हो जायेगी। यूएसए के कैलिफोर्निया के सान बर्नार्डिनो में 354 MW वाला SEGS सौर कम्प्लेक्स सौर ऊर्जा वह उर्जा है जो सीधे सूर्य से प्राप्त की जाती है। सौर ऊर्जा ही मौसम एवं जलवायु का परिवर्तन करती है। यहीं धरती पर सभी प्रकार के जीवन (पेड़-पौधे और जीव-जन्तु) का सहारा है। वैसे तो सौर उर्जा के विविध प्रकार से प्रयोग किया जाता है, किन्तु सूर्य की उर्जा को विद्युत उर्जा में बदलने को ही मुख्य रूप से सौर उर्जा के रूप में जाना जाता है। सूर्य की उर्जा को दो प्रकार से विदुत उर्जा में बदला जा सकता है। पहला प्रकाश-विद्युत सेल की सहायता से और दूसरा किसी तरल पदार्थ को सूर्य की उष्मा से गर्म करने के बाद इससे विद्युत जनित्र चलाकर। .

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सौर पवन

प्लाज़्मा हेलियोपॉज़ से संगम करते हुए सौर वायु (अंग्रेज़ी:सोलर विंड) सूर्य से बाहर वेग से आने वाले आवेशित कणों या प्लाज़्मा की बौछार को नाम दिया गया है। ये कण अंतरिक्ष में चारों दिशाओं में फैलते जाते हैं।। हिन्दुस्तान लाइव। २७ नवम्बर २००९ इन कणों में मुख्यतः प्रोटोन्स और इलेक्ट्रॉन (संयुक्त रूप से प्लाज़्मा) से बने होते हैं जिनकी ऊर्जा लगभग एक किलो इलेक्ट्रॉन वोल्ट (के.ई.वी) हो सकती है। फिर भी सौर वायु प्रायः अधिक हानिकारक या घातक नहीं होती है। यह लगभग १०० ई.यू (खगोलीय इकाई) के बराबर दूरी तक पहुंचती हैं। खगोलीय इकाई यानि यानि एस्ट्रोनॉमिकल यूनिट्स, जो पृथ्वी से सूर्य के बीच की दूरी के बराबर परिमाण होता है। १०० ई.यू की यह दूरी सूर्य से वरुण ग्रह के समान है जहां जाकर यह अंतरतारकीय माध्यम (इंटरस्टेलर मीडियम) से टकराती हैं। अमेरिका के सैन अंटोनियो स्थित साउथ वेस्ट रिसर्च इंस्टिट्यूट के कार्यपालक निदेशक डेव मैक्कोमास के अनुसार सूर्य से लाखों मील प्रति घंटे के वेग से चलने वाली ये वायु सौरमंडल के आसपास एक सुरक्षात्मक बुलबुला निर्माण करती हैं। इसे हेलियोस्फीयर कहा जाता है। यह पृथ्वी के वातावरण के साथ-साथ सौर मंडल की सीमा के भीतर की दशाओं को तय करती हैं।। नवभारत टाइम्स। २४ सितंबर २००८ हेलियोस्फीयर में सौर वायु सबसे गहरी होती है। पिछले ५० वर्षों में सौर वायु इस समय सबसे कमजोर पड़ गई हैं। वैसे सौर वायु की सक्रियता समय-समय पर कम या अधिक होती रहती है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है। .

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सौर शक्ति

यह लेख सौर ऊर्जा का उपयोग करते हुए विद्युत के उत्पादन के बारे में है। सौर ऊर्जा के अन्य उपयोगों के लिये सौर ऊर्जा देखें। ---- सौर ऊर्जा सूर्य से प्राप्त शक्ति को कहते हैं। इस ऊर्जा को ऊष्मा या विद्युत में बदल कर अन्य प्रयोगों में लाया जाता है। उस रूप को ही सौर ऊर्जा कहते हैं। घरों, कारों और वायुयानों में सौर ऊर्जा का प्रयोग होता है। ऊर्जा का यह रूप साफ और प्रदूषण रहित होता है।। हिन्दुस्तान लाइव। १२ जनवरी २०१० सूर्य से ऊर्जा प्राप्त कर उसे प्रयोग करने के लिए सोलर पैनलों की आवश्यकता होती है। सोलर पैनलों में सोलर सेल होते हैं जो सूर्य की ऊर्जा को प्रयोग करने लायक बनाते हैं। यह कई तरह के होते हैं। जैसे पानी गर्म करने वाले सोलर पैनल बिजली पहुंचाने वाले सोलर पैनलों से भिन्न होते हैं। .

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सेम्युल एफ.बी. मोर्स

सेम्युल फिनले ब्रीज मोर्स (27 अप्रैल 1791 - 2 अप्रैल 1872) एक अमेरिकी थे जिन्होंने एकल-तार टेलीग्राफ प्रणाली और मोर्स कोड का निर्माण किया। और उन्हें (कम विख्यात रूप से) ऐतिहासिक दृश्यों के एक चित्रकार के रूप में भी जाना जाता है। .

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सीएमओएस (CMOS)

CMOS इनवर्टर (NOT लॉजिक गेट) संपूरक धातु-आक्साइड-अर्धचालक (CMOS) एकीकृत परिपथों के निर्माण के लिए एक प्रौद्योगिकी है। CMOS प्रौद्योगिकी का प्रयोग माइक्रोप्रोसेसर्स, माइक्रोकंट्रोलर्स, स्थैतिक RAM तथा अन्य डिजिटल तर्क परिपथों में किया जाता है। CMOS प्रौद्योगिकी का प्रयोग एनालॉग परिपथों की एक व्यापक श्रेणी, जैसे प्रतिबिंब संवेदकों, डाटा परिवर्तकों, तथा अत्यधिक एकीकृत ट्रांसीवर्स, में भी अनेक प्रकार के संप्रेषणों के लिए किया जाता है। सन 1967 में फ्रैंक वान्लास (Frank Wanlass) ने सफलतापूर्वक CMOS का पेटेंट (US पेटेंट 3,356,858) करवाया.

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हरित वाहन

एक प्रकार का हरित वाहन। हरित वाहन ऐसे वाहनों को कहते हैं, जिससे बहुत कम प्रदूषण होता है और पर्यावरण पर बहुत कम दुष्प्रभाव पड़ता है। यह पेट्रोल आदि से चलते हैं, लेकिन इनसे उतना अधिक प्रदूषण नहीं होता है। कुछ हरित वाहन वैकल्पिक स्रोत से चलते हैं। जैसे विद्युत, प्राकृतिक गैस द्वारा आदि। .

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हाइब्रिड वाहन

होंडा इनसाइट हाइब्रिड NYPD आवागमन प्रवर्तन द्वारा उपयोग किया जाने वाला प्रियूस एक हाइब्रिड वाहन एक ऐसा वाहन है, जो वाहन को चलाने के लिए दो या दो से अधिक भिन्न ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करता है। यह शब्द सबसे अधिक हाइब्रिड इलेक्ट्रिक व़ीइकल्स अर्थात् संकर विद्युत वाहन (HEVs), के रूप में जाना जाता है, जिसमें एक आंतरिक दहन इंजन और एक या एक से अधिक विद्युत मोटर होते हैं। .

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हूवर बांध

हूवर बांध, जो कभी बौल्डर बांध के नाम से जाना जाता था, एक कंक्रीट गुरुत्वाकर्षण-चाप बांध है, जो अमेरिकी राज्यों एरिज़ोना और नेवादा की सीमा के बीच स्थित कोलोराडो नदी के ब्लैक कैनियन पर है.

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हेंड्रिक लारेंज़

हेंड्रिक ऐंतूँ लारेंज़ (Hendrik Antoon Lorentz, सन् १८५३-१९२८) प्रसिद्ध डच भौतिकीविद् थे जिन्हें १९०२ का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार दिया गया। .

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होमी जहांगीर भाभा

होमी जहांगीर भाभा (30 अक्टूबर, 1909 - 24 जनवरी, 1966) भारत के एक प्रमुख वैज्ञानिक और स्वप्नदृष्टा थे जिन्होंने भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम की कल्पना की थी। उन्होने मुट्ठी भर वैज्ञानिकों की सहायता से मार्च 1944 में नाभिकीय उर्जा पर अनुसन्धान आरम्भ किया। उन्होंने नाभिकीय विज्ञान में तब कार्य आरम्भ किया जब अविछिन्न शृंखला अभिक्रिया का ज्ञान नहीं के बराबर था और नाभिकीय उर्जा से विद्युत उत्पादन की कल्पना को कोई मानने को तैयार नहीं था। उन्हें 'आर्किटेक्ट ऑफ इंडियन एटॉमिक एनर्जी प्रोग्राम' भी कहा जाता है। भाभा का जन्म मुम्बई के एक सभ्रांत पारसी परिवार में हुआ था। उनकी कीर्ति सारे संसार में फैली। भारत वापस आने पर उन्होंने अपने अनुसंधान को आगे बढ़ाया। भारत को परमाणु शक्ति बनाने के मिशन में प्रथम पग के तौर पर उन्होंने 1945 में मूलभूत विज्ञान में उत्कृष्टता के केंद्र टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआइएफआर) की स्थापना की। डा.

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होर्नबोस्तेल-साक्स

होर्नबोस्तेल-साक्स (Hornbostel–Sachs) संगीत वाद्य यंत्रों को वर्गीकृत करने की एक प्रणाली है। इसका संगठन एरिख़ मोरित्ज़ फ़ोन होर्नबोस्तेल और कर्ट साक्स ने किया था और इसका प्रथम प्रकाशन सन् १९१४ में "ज़ाइट्श्रिफ़्ट फ़्युएर एत्नोलोजी" (Zeitschrift für Ethnologie) में हुआ था। .

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हीरा

कोहिनूर की काँच प्रति कोहिनूर की एक और प्रति हीरों की आकृतियां हीरा एक पारदर्शी रत्न है। यह रासायनिक रूप से कार्बन का शुद्धतम रूप है। हीरा में प्रत्येक कार्बन परमाणु चार अन्य कार्बन परमाणुओं के साथ सह-संयोजी बन्ध द्वारा जुड़ा रहता है। कार्बन परमाणुओं के बाहरी कक्ष में उपस्थित सभी चारों इलेक्ट्रान सह-संयोजी बन्ध में भाग ले लेते हैं तथा एक भी इलेक्ट्रान संवतंत्र नहीं होता है। इसलिए हीरा ऊष्मा तथा विद्युत का कुचालन होता है। हीरा में सभी कार्बन परमाणु बहुत ही शक्तिशाली सह-संयोजी बन्ध द्वारा जुड़े होते हैं, इसलिए यह बहुत कठोर होता है। हीरा प्राक्रतिक पदार्थो में सबसे कठोर पदा‍र्थ है इसकी कठोरता के कारण इसका प्रयोग कई उद्योगो तथा आभूषणों में किया जाता है। हीरे केवल सफ़ेद ही नहीं होते अशुद्धियों के कारण इसका शेड नीला, लाल, संतरा, पीला, हरा व काला होता है। हरा हीरा सबसे दुर्लभ है। हीरे को यदि ओवन में ७६३ डिग्री सेल्सियस पर गरम किया जाये, तो यह जलकर कार्बन डाइ-आक्साइड बना लेता है तथा बिल्कूल ही राख नहीं बचती है। इससे यह प्रमाणित होता है कि हीरा कार्बन का शुद्ध रूप है। हीरा रासायनिक तौर पर बहुत निष्क्रिय होता है एव सभी घोलकों में अघुलनशील होता है। इसका आपेक्षिक घनत्व ३.५१ होता है। बहुत अधिक चमक होने के कारण हीरा को जवाहरात के रूप में उपयोग किया जाता है। हीरा उष्मीय किरणों के प्रति बहुत अधिक संवेदनशील होता है, इसलिए अतिशुद्ध थर्मामीटर बनाने में इसका उपयोग किया जाता है। काले हीरे का उपयोग काँच काटने, दूसरे हीरे के काटने, हीरे पर पालिश करने तथा चट्टानों में छेद करने के लिए किया जाता है। .

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जनरल इलेक्ट्रिक

जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी, या GE, न्यूयॉर्क राज्य में निगमित एक बहुराष्ट्रीय अमेरिकी प्रौद्योगिकी और सेवा समूह है। 2009 में, फोर्ब्स ने GE को दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी के रूप में स्थान दिया। दुनिया भर में कंपनी के 323,000 कर्मचारी हैं। .

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जलना (चिकित्सा)

हाथ में द्वितीय श्रेणी (2a) का दाह शरीर के किसी एक या अनेक अंगों का जलना एक प्रकार की दुर्घटना है जो उष्मा, विद्युत, रसायन, प्रकाश, विकिरण या घर्षण आदि से हो सकती है। बहुत ठण्डी चीजों के सम्पर्क में आने से भी शरीर "जल" सकता है जिसे "शीत-जलन" (कोल्ड बर्न) कहते हैं। विश्व में प्रति वर्ष सहस्त्रों व्यक्ति दाह से मरते हैं और इससे बहुत अधिक संख्या में अपंग होकर समाज के भार बन जाते हैं। दाह रोग प्राय: असाध्य नहीं होता। .

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जलशक्ति

गिरते हुए जल या तेज गति से प्रवाहित जल से जो शक्ति (ऊर्जा) प्राप्त की जाती है उसे जलशक्ति (Hydropower) कहते हैं। प्राचीन काल से ही जलचक्की का उपयोग करके जलशक्ति प्राप्त की जाती रही है और इससे आरा मशीने, कपड़ा बुनने की मशीनें आदि चलायी जातीं थीं। आधुनिक युग में जलशक्ति से विद्युत का उत्पादन किया जाता है जिसे दूर-दूर तक भेजा जा सकता है और अनेकों प्रकार से इसका उपयोग किया जा सकता है। .

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जलविद्युत ऊर्जा

'''थ्री जार्ज बांध''' - विश्व का सबसे बड़ा जलविद्युत स्टेशन गिरते हुए या बहते हुए जल की उर्जा से जो विद्युत उत्पन्न की जाती है उसे जलविद्युत (Hydroelectricity) कहते हैं। सन् २००५ में विश्व भर में लगभग ८१६ GWe (जिगावाट एलेक्ट्रिकल) जलविद्युत उत्पन्न की जाती थी जो कि विश्व की सम्पूर्ण विद्युत उर्जा का लगभग २०% है। यह बिजली प्रदूषण रहित है। एवं यह पर्यावरण के अनुकूल है। .

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जैव ईंधन

गन्ने की खोई और पत्तियों का उपयोग ईंधन के रूप में करके बिजली उत्पादन किया जाता है। रतनज्योत (जत्रोफा) के फल जिनसे बायोडीजल बनता है फसलों, पेडों, पौधों, गोबर, मानव-मल आदि जैविक वस्तुओं (बायोमास) में निहित उर्जा को जैव ऊर्जा कहते हैं। इनका प्रयोग करके उष्मा, विद्युत या गतिज ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है। धरातल पर विद्यमान सम्पूर्ण वनस्पति और जन्तु पदार्थ को 'बायोमास' कहते हैं। जैव ईंधन का प्रयोग सरल है। यह प्राकृतिक तौर से नष्ट होने वाला तथा सल्फर तथा गंध से पूर्णतया मुक्त है। पौधे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के द्वारा सौर उर्जा को जैव ऊर्जा में बदलते हैं। यह जैव ऊर्जा, विभिन्न प्रक्रियायों से गुज़रते हुए विविध ऊर्जा स्रोतों का उत्पादन करती है। उदाहरण के लिए पशुओं को चारा, जिसके बदले हमें गोबर प्राप्त होता है, कृषि अवशेष के द्वारा खाना पकाना आदि। यद्यपि कोयला एवं पेट्रोलियम भी पेड-पौधों के परिवर्तित रूप हैं, किन्तु इन्हे जैव-ऊर्जा के स्रोत की तरह नहीं माना जाता है क्योंकि ये प्रक्रिया हजारों वर्ष पहले हुई होगी। .

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जीप

जीप क्रिसलर का एक ऑटोमोबाइल मार्क (और पंजीकृत ट्रेडमार्क) है। यह एक सबसे पुराना ऑफ-रोड वाहन (खेल उपयोगिता वाहन - एसयूवी भी) ब्रांड है। इसने कई अन्य हल्की सैन्य उपयोगिता वाहनों को प्रेरित किया है जैसे कि लैंड रोवर जो दूसरा सबसे पुराना 4-पहियों वाला चालक ब्रांड है। मूल जीप वाहन जो सबसे पहले प्रोटोटाइप बैंटम बीआरसी के रूप में सामने आया, द्वितीय विश्व युद्ध के साथ-साथ युद्ध के बाद की अवधि के दौरान अमेरिकी सेना और मित्र राष्ट्रों के लिए मुख्य रूप से हल्का 4-पहियों वाला चालक वाहन बन गया। तब से अन्य देशों में इसी तरह की सैन्य और नागरिक भूमिकाओं वाले जीप के कई अलग-अलग स्वरूप तैयार किये गए हैं। .

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जीववाद

जीववाद या सर्वात्मवाद (Animism) वह दार्शनिक, धार्मिक या आध्यात्मिक विचार है कि आत्मा न केवल मनुष्यों में होती है वरन् सभी जन्तुओं, वनस्पतियों, चट्टानों, प्राकृतिक परिघटनाओं (बिजली, वर्षा आदि) में भी होती है। इससे भी आगे जाकर कभी-कभी शब्दों, नामों, उपमाओं, रूपकों आदि में भी आत्मा के अस्तित्व की बात कही जाती है। सर्वात्मवाद का दर्शन मुख्यतया आदिवासी समाजों में पाया जाता है परन्तु यह शिन्तो एवं हिन्दुओं के कुछ सम्प्रदायों में भी पाया जाता है। .

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ई-मित्र

emitra rajasthan ई-मित्र, राजस्थान सरकार की एक महत्वाकांक्षी ई-शासन पहल है, जिसमे सरकार की विभिन्न सेवाओं का लाभ लेने के लिए नागरिकों को सुविधा और पारदर्शिता हेतु राज्य सर्कार द्वारा सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल का उपयोग करके राज्य के सभी 33 जिलों में कार्यान्वित किया जा रहा है। ई-मित्र राजस्थान सरकार ने सरकार के विभिन्न कार्यों का फायदा उठाने के लिए सभी 33 ज़िलों में ऑनलाइन तथा ऑफलाइन कार्य करने के लिए बनाई गयी एक ई-गवर्नेंस है। ई-मित्र में मूलनिवास,जाति प्रमाण पत्र,जन्म प्रमाण पत्र,राशन कार्ड भामाशाह कार्ड इत्यादि बनाये तथा सुधारे जाते है। इनके अलावा ई-मित्र से पानी का बिल, बिजली का बिल, मोबाईल तथा टेलिविज़न ऑनलाइन अर्थात सीधे ही भर सकते है। .

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ईंधन सेल

मिथेनॉल से सीधे विद्युत उत्पादन करने वाले ईंधन से का मॉडल ईंधन सेल (fuel cell) एक विद्युतरासायनिक युक्ति है जो ईंधन से प्राप्त रासायनिक ऊर्जा को सीधे विद्युत में परिवर्तित करती है। यह परिवर्तन एक रासायनिक अभिक्रिया के द्वारा होता है जिसमें धनावेशित हाइड्रोजन ऑयन, आक्सीजन या किसी अन्य आक्सीकारक से क्रिया करते हैं। ईंधन सेल, परम्परागत बैटरियों से इस दृष्टि से भिन्न हैं कि इनकी रासायनिक अभिक्रिया को चलते हुए बनाये रखने के लिये ईंधन और आक्सीजन के अविराम स्रोत आवश्यक होता है। ईंधन सेल तब तक ही विद्युत उत्पादन कर सकते हैं जब तक ईंधन और आक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित बनी रहे। फ्यूल सेल दिष्ट धारा के रूप मे विहात उत्पादन करते है।.

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वस्त्र निपीडक

विविध प्रकार के प्रेस वस्त्र निपीडक या वस्त्र प्रेस (clothes iron) हाथ से पकड़कर युक्ति है जिसे गरम करके वस्त्रों की सलवटें हटाने के काम में लिया जाता है। यह कई आकार-प्रकार की होती है और ऊष्मा के स्रोत के आधार पर भी कई प्रकार की होती है। वर्तमान समय में प्रायः विद्युत से चलने वाली प्रेस ही अधिक प्रचलन में है। .

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वायरलेस उर्जा हस्तांतरण

वायरलेस उर्जा हस्तांतरण (WPT) या वायरलेस ऊर्जा संचरण विद्युत् उर्जा का प्रवाह है उर्जा के स्तोर्त से विद्युत् से विद्यतभार या फिर उर्जा खर्च करने वाले यन्त्र पर इस संचरण में मानव निर्मित सुचालकों का इस्तेमाल नहीं होता ताररहित उर्जा संचरण उन सभी मामलों में बहुत उपयोगी होता है जहाँ बहुत सारे तारों के चलते दुर्घटना की सम्भावना बहुत रहती है वायरलेस उर्जा हस्तांतरण की तन्किन दो प्रकार की होती हैं- गैर विकिरण और विकिरण। .

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वित्तिय प्रबन्धक

वित्तिय प्रबन्धक अंगूठाकार संगठन के उद्देश्यों को पूरा करने के लिये वित्तीय प्रबंधन कहते है। इस तरीके से पैसे की कुशल और प्रभावी प्रबंधन फंड के रूप में दर्शाया है। यह सीधे शीर्ष प्रबंधन से जुड़े विशेष समारोह है। इस समारोह का महत्व 'लाइन' में है, लेकिन यह भी एक कंपनी की समग्र में ' स्टाफ ' की हैसियत से नहीं देखा जाता है। इस क्षेत्र में विभिन्न विशेषज्ञों ने अलग ढंग से परिभाषित किया गया है। व्यक्तिगत वित्त या वित्तीय जीवन प्रबंधन के एक व्यक्ति के प्रबंधन रणनीति को दर्शाता है, जबकि अवधि आम तौर पर है, एक संगठन या कंपनी की वित्तीय रणनीति लागू होता है। यह राजधानी और कैसे पूंजी का आवंटन करने के लिए, यानी पूंजी बजट को बढ़ाने के लिए कैसे भी शामिल होते है। इतना ही नहीं लंबी अवधि के बजट के लिए भी है, लेकिन यह भी मौजूदा देनदारियों की तरह कम अवधि के संसाधनों के आवंटन के लिए है। यह भी शेयर धारकों का लाभांश की नीतियों के साथ संबंधित है।वित्तीय प्रबंधन, आयोजन निर्देशन और इस तरह की खरीद और उद्यम के धन के उपयोग के रूप में वित्तीय गतिविधियों को नियंत्रित करने की योजना बनाना है। यह उद्यम के वित्तीय संसाधनों के लिए सामान्य प्रबंधन सिद्धांतों को लागू करने का मतलब है।वित्तीय प्रबंधन वित्त समारोह के एक संबंधित पहलू है। वर्तमान व्यवसाय प्रशासन में वित्तीय प्रबंधन एक महत्वपूर्ण शाखा है। कोई भी वित्त निहितार्थ बिना बारे व्यापार गतिविधि पर सोचना होगा। वित्तीय प्रबंधन वित्तीय कार्यान्वयन के लिए सामान्य प्रबंधन के सिद्धांतों के गोद लेने में शामिल हैं। निम्नलिखित उपस्थित कार्यान्वयन और वित्तीय लेखांकन, लागत लेखांकन, बजट और खाता की मदद से भविष्य के घटनाक्रम को नियंत्रित कर सकते है। लाभ के इन फंडों की भविष्य की गतिविधियों की योजना बनाने का उपयोग करके धन के वित्तीय प्रबंधन को ऊयह निवेश के लिए और अधिक अवसर उपलब्ध है, जहां मार्गदर्शन के रूप में कार्य करता है। वित्तीय प्रबंधन उनके महत्व और पुनर्भुगतान क्षमता के आधार पर विभिन्न परियोजनाओं के संसाधनों के आवंटन के लिए एक उपकरण के रूप में उपयोगी है। .

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विद्युत ऊर्जा

विद्युत शक्ति एक प्रणाली के भीतर पारम्परिक आवेशित कणों के बीच कूलम्ब बल से जुडी़ स्थितिज ऊर्जा होती है। यहाँ अपरिमित स्थित कणों के बीच सन्दर्भित विभवीय ऊर्जा शून्य होती है। इसकी परिभाषा है: कार्य की मात्रा, जो आवेशित भार रहित कणों पर लगायी जाये, जिससे वे अपरिमित दूरी से किसी निश्चित दूरी तक लाये जा सकें। .

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विद्युत संयंत्र

विद्युत संयंत्र, विद्युत चालित संयंत्र होते है।.

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विद्युत स्पर्शाघात

विद्युत दुर्घटना होने पर सहायता तथा प्राथमिक उपचार विद्युत के किसी स्रोत से सम्पर्क में आने के कारण त्वचा, मांसपेशियों अथवा बाल से होकर पर्याप्त विद्युत धारा प्रवाहित हो जाती है तो इसे विद्युत स्पर्शाघात (Electric shock) कहते हैं। यह जानबूझकर किया गया हो सकता है या दुर्घटनावश हो सकता है। किन्तु प्रायः 'स्पर्शाघात' से आशय शरीर के किसी अंग से अवांछित धारा-प्रवाह से ही लिया जाता है। विद्युत स्पर्शाघात से त्वचा जल सकती है, आदमी बेहोश हो सकता है, या मृत्यु हो सकती है। .

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विद्युत वाहन

विद्युतीय वाहन या विद्युत वाहन एक प्रकार के विद्युत से चलने वाले वाहन होते हैं। यह वाहन अपने बैटरी द्वारा चलते हैं या कोई बाहरी स्रोत द्वारा विद्युत दिये जाने पर। इसमें विद्युत से चलने वाले रेल भी शामिल हैं। यह ऊपर दिये गए तार द्वारा उच्च विद्युत प्रवाह किए जाने पर चलते हैं। लेकिन कभी कभी इसमें गलती से इसके ऊपर चले जाते हैं और विद्युत प्रवाह के कारण उनकी मृत्यु हो जाती है। लेकिन यह रेल कई प्रकार से उपयोगी है। इसके द्वारा पर्यावरण प्रदूषण में कमी आती है और इसमें बहुत से लोग अपनी यात्रा कर सकते हैं। जिससे लागत में कमी आती है। .

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विद्युत इंजीनियरी का इतिहास

Blathy wattmeter विद्युत के संबन्ध में प्राचीन काल से ही कुछ काम हुए थे किन्तु इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण विकास उन्नीसवीं शदी में ही आरम्भ हुआ। .

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विद्युत अभियान्त्रिकी

विद्युत अभियन्ता, वैद्युत-शक्ति-तन्त्र का डिजाइन करते हैं; और … … जटिल एलेक्ट्रानिक तन्त्रों का डिजाइन भी करते हैं। नियंत्रण तंत्र आधुनिक सभ्यता का अभिन्न अंग है। यह विद्युत अभियान्त्रिकी का भी प्रमुख विषय है। विद्युत अभियान्त्रिकी विद्युत और विद्युतीय तरंग, उनके उपयोग और उनसे जुड़ी तमाम तकनीकी और विज्ञान का अध्ययन और कार्य है। प्रायः इसमें इलेक्ट्रॉनिक्स भी शामिल रहता है। इसमे मुख्य रूप से विद्युत मशीनों की कार्य विधि एवं डिजाइन; विद्युत उर्जा का उत्पादन, संचरण, वितरण, उपयोग; पावर एलेक्ट्रानिक्स; नियन्त्रण तन्त्र; तथा एलेक्ट्रानिक्स का अध्ययन किया जाता है। एक अलग व्यवसाय के रूप में वैद्युत अभियांत्रिकी का प्रादुर्भाव उन्नीसवीं शताब्दी के अन्तिम भाग में हुआ जब विद्युत शक्ति का व्यावसायिक उपयोग होना आरम्भ हुआ। आजकल वैद्युत अभियांत्रिकी के अनेकों उपक्षेत्र हो गये हैं। .

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विद्युत उपकरण

एक वोल्टमापी, जिसके सभी अवयव स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं। किसी पॉवर सप्लाई में लगे हुए अमीटर और वोल्टमीटर वर्तमान समय में अधिकांश उपकरण डिजिटल हो गये हैं। एक '''डिजिटल बहुमापी''' (मल्टीमीटर) विद्युत का उपयोग बहुत समय से होता आ रहा है और निरंतर अन्वेषण कार्य के फलस्वरूप आज के युग में अनेक प्रकार के विद्युत् उपकरणों (Electrical Instruments) का प्रयोग होने लगा है। .

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विद्युतभान

विद्युतभान (Electroreception) कुछ जीवों में अपने वातावरण में उपस्थित विद्युतक्षेत्रों व अन्य विद्युत प्रभावों को बोध करने की क्षमता होती है। यह लगभग हमेशा जल में रहने वाले प्राणियों में ही पाई जाती है क्योंकि खारा पानी वायु से कहीं अधिक अच्छा विद्युत चालक होता है। इस शक्ति के द्वारा कई परभक्षी जलीय प्राणी शिकार करते हैं क्योंकि मांसपेशी-प्रयोग में विद्युत प्रयोग होती है और परभक्षी अपने ग्रास में उपस्थित इस विद्युत प्रभाव को खोज लेती हैं। .

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वैश्विक सेल फोन चार्जर

यह ऐसा चार्जर है जिससे सभी कंपनी के मोबाइल चार्ज किए जा सकते हैं। संयुक्त राष्ट्र दूरसंचार इकाई द्वारा वैश्विक स्तर पर एक ही प्रकार के मोबाइल चार्जर से संबद्ध प्रौद्योगिकी को मंजूरी दे दी गई है। नई प्रौद्योगिकी पर आधारित यह चार्जर कम बिजली खपत करेगा। इस चार्जर में माइक्रो यूएसबी प्लग का इस्तेमाल होगा, जो डिजिटल कैमरे में इस्तेमाल होने वाले प्लग के समान है। आईटीयू ने कहा है कि सभी मोबाइल फोन उपयोगकर्ता नए यूनिवर्सल चार्जिंग सोल्यूशन से लाभान्वित होंगे। भविष्य के सभी हैंडसेट में इस चार्जर का इस्तेमाल होगा। .

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ग्रेफाइट

ग्रेफाइट ग्रेफाइट कार्बन का एक बहुरूप है। काले भूरे रंग का यह अधातु सिंहल, साइबेरिया, अमेरिका के केलिफोर्निया, कोरिया, न्यूजीलैण्ड तथा इटली में पाया जाता है। इसमें एक विशेष प्रकार की चमक पायी जाती है एवं यह विद्युत तथा ताप का सुचालक होता है। इसका आपेक्षिक घनत्व 2.25 है। यह 7000C पर जलकर कार्बन डाई-आक्साइड बनाता है। .

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औद्योगिक क्रांति

'''वाष्प इंजन''' औद्योगिक क्रांति का प्रतीक था। अट्ठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध तथा उन्नीसवीं शताब्दी के पूर्वार्ध में कुछ पश्चिमी देशों के तकनीकी, सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक स्थिति में काफी बड़ा बदलाव आया। इसे ही औद्योगिक क्रान्ति (Industrial Revolution) के नाम से जाना जाता है। यह सिलसिला ब्रिटेन से आरम्भ होकर पूरे विश्व में फैल गया। "औद्योगिक क्रांति" शब्द का इस संदर्भ में उपयोग सबसे पहले आरनोल्ड टायनबी ने अपनी पुस्तक "लेक्चर्स ऑन दि इंड्स्ट्रियल रिवोल्यूशन इन इंग्लैंड" में सन् 1844 में किया। औद्योगिक क्रान्ति का सूत्रपात वस्त्र उद्योग के मशीनीकरण के साथ आरम्भ हुआ। इसके साथ ही लोहा बनाने की तकनीकें आयीं और शोधित कोयले का अधिकाधिक उपयोग होने लगा। कोयले को जलाकर बने वाष्प की शक्ति का उपयोग होने लगा। शक्ति-चालित मशीनों (विशेषकर वस्त्र उद्योग में) के आने से उत्पादन में जबरदस्त वृद्धि हुई। उन्नीसवी सदी के प्रथम् दो दशकों में पूरी तरह से धातु से बने औजारों का विकास हुआ। इसके परिणामस्वरूप दूसरे उद्योगों में काम आने वाली मशीनों के निर्माण को गति मिली। उन्नीसवी शताब्दी में यह पूरे पश्चिमी यूरोप तथा उत्तरी अमेरिका में फैल गयी। अलग-अलग इतिहासकार औद्योगिक क्रान्ति की समयावधि अलग-अलग मानते नजर आते हैं जबकि कुछ इतिहासकार इसे क्रान्ति मानने को ही तैयार नहीं हैं। अनेक विचारकों का मत है कि गुलाम देशों के स्रोतों के शोषण और लूट के बिना औद्योगिक क्रान्ति सम्भव नही हुई होती, क्योंकि औद्योगिक विकास के लिये पूंजी अति आवश्यक चीज है और वह उस समय भारत आदि गुलाम देशों के संसाधनों के शोषण से प्राप्त की गयी थी। .

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आईफ़ोन 6

आईफोन ६ .

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आइएसओ ३१

आइएसओ ३१ अन्तर्राष्ट्रीय मानक ISO 31 (भौतिक मात्रा और इकाइयाँ, अन्तर्राष्ट्रीय मानक संगठन, 1992) यह भौतिक इकाइयों के प्रयोग और मापन की इकाइयों की, एवं उनमें संलग्न सूत्रों की सर्वाधिक प्रशंसित शैली संदर्शिका है। यह वैज्ञानिक और शैक्षिक प्रलेखों में विश्वव्यापी प्रयुक्त होती है। अधिकतर देशों में गणित विज्ञान की पाठ्य पुस्तकों एवं विश्वविद्यालयों में इसका पूर्ण पालन किया जाता है जो ISO 31 द्वारा मार्गदर्शित हैं। .

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इमेज सेंसर

एक छवि संवेदक एक इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल में एक ऑप्टिकल छवि धर्मान्तरित एक युक्ति है। यह ज्यादातर डिजिटल कैमरा, कैमरा मॉड्यूल और अन्य इमेजिंग उपकरणों में प्रयोग किया जाता है। प्रारंभिक अनुरूप सेंसर वीडियो कैमरा ट्यूब थे; वर्तमान में इस्तेमाल किया प्रकार सेमीकंडक्टर कपल्डडीवैसेस (CCD) या एक्टिव पिक्सेल सैंसर जिस मे कॉम्प्लिमेंटरी मेटल ऑक्साइड सेमीकंडक्टर या N-टाइप मेटल ऑक्साइड सेमीकंडक्टर (NMOS, Live MOS) हैं। .

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इलेक्ट्रॉन

इलेक्ट्रॉन या विद्युदणु (प्राचीन यूनानी भाषा: ἤλεκτρον, लैटिन, अंग्रेज़ी, फ्रेंच, स्पेनिश: Electron, जर्मन: Elektron) ऋणात्मक वैद्युत आवेश युक्त मूलभूत उपपरमाणविक कण है। यह परमाणु में नाभिक के चारो ओर चक्कर लगाता हैं। इसका द्रव्यमान सबसे छोटे परमाणु (हाइड्रोजन) से भी हजारगुना कम होता है। परम्परागत रूप से इसके आवेश को ऋणात्मक माना जाता है और इसका मान -१ परमाणु इकाई (e) निर्धारित किया गया है। इस पर 1.6E-19 कूलाम्ब परिमाण का ऋण आवेश होता है। इसका द्रव्यमान 9.11E−31 किग्रा होता है जो प्रोटॉन के द्रव्यमान का लगभग १८३७ वां भाग है। किसी उदासीन परमाणु में विद्युदणुओं की संख्या और प्रोटानों की संख्या समान होती है। इनकी आंतरिक संरचना ज्ञात नहीं है इसलिए इसे प्राय:मूलभूत कण माना जाता है। इनकी आंतरिक प्रचक्रण १/२ होती है, अतः यह फर्मीय होते हैं। इलेक्ट्रॉन का प्रतिकणपोजीट्रॉन कहलाता है। द्रव्यमान के अलावा पोजीट्रॉन के सारे गुण यथा आवेश इत्यादि इलेक्ट्रॉन के बिलकुल विपरीत होते हैं। जब इलेक्ट्रॉन और पोजीट्रॉन की टक्कर होती है तो दोंनो पूर्णतः नष्ट हो जाते हैं एवं दो फोटॉन उत्पन्न होती है। इलेक्ट्रॉन, लेप्टॉन परिवार के प्रथम पीढी का सदस्य है, जो कि गुरुत्वाकर्षण, विद्युत चुम्बकत्व एवं दुर्बल प्रभाव सभी में भूमिका निभाता है। इलेक्ट्रॉन कण एवं तरंग दोनो तरह के व्यवहार प्रदर्शित करता है। बीटा-क्षय के रूप में यह कण जैसा व्यवहार करता है, जबकि यंग का डबल स्लिट प्रयोग (Young's double slit experiment) में इसका किरण जैसा व्यवहार सिद्ध हुआ। चूंकि इसका सांख्यिकीय व्यवहार फर्मिऑन होता है और यह पॉली एक्सक्ल्युसन सिध्दांत का पालन करता है। आइरिस भौतिकविद जॉर्ज जॉनस्टोन स्टोनी (George Johnstone Stoney) ने १८९४ में एलेक्ट्रों नाम का सुझाव दिया था। विद्युदणु की कण के रूप में पहचान १८९७ में जे जे थॉमसन (J J Thomson) और उनकी विलायती भौतिकविद दल ने की थी। कइ भौतिकीय घटनाएं जैसे-विध्युत, चुम्बकत्व, उष्मा चालकता में विद्युदणु की अहम भूमिका होती है। जब विद्युदणु त्वरित होता है तो यह फोटान के रूप मेंऊर्जा का अवशोषण या उत्सर्जन करता है।प्रोटॉन व न्यूट्रॉन के साथ मिलकर यह्परमाणु का निर्माण करता है।परमाणु के कुल द्रव्यमान में विद्युदणु का हिस्सा कम से कम् 0.0६ प्रतिशत होता है। विद्युदणु और प्रोटॉन के बीच लगने वाले कुलाम्ब बल (coulomb force) के कारण विद्युदणु परमाणु से बंधा होता है। दो या दो से अधिक परमाणुओं के विद्युदणुओं के आपसी आदान-प्रदान या साझेदारी के कारण रासायनिक बंध बनते हैं। ब्रह्माण्ड में अधिकतर विद्युदणुओं का निर्माण बिग-बैंग के दौरान हुआ है, इनका निर्माण रेडियोधर्मी समस्थानिक (radioactive isotope) से बीटा-क्षय और अंतरिक्षीय किरणो (cosmic ray) के वायुमंडल में प्रवेश के दौरान उच्च ऊर्जा टक्कर के कारण भी होता है।.

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इजराइल पोस्ट कंपनी

इजराइल पोस्ट कंपनी है कि पोस्ट और बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराने में माहिर एक सरकारी कंपनी है। देश में इजराइल में डाक सेवाओं पत्रों चलते, संकुल, बिजली, इसे बाहर.

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कल्याणपुर गांव सारण जिला

कल्याणपुर (English: Kalyanpur) एक छोटा गांव है और यह भारत के बिहार राज्य के सारण जिला के सोनपुर प्रखंड (ब्लॉक) में स्थित है। यह 43 मीटर (141 फीट) की ऊंचाई पर है कल्याणपुर गांव सोनपुर के उप-जिला मुख्यालय से 8 किमी (4 मील) दूर और छपरा जिला मुख्यालय से 47 किमी (2 9 मील) दूर स्थित है। 2009 के आंकड़ों के मुताबिक, कल्याणपुर गांव कल्याणपुर गांव का ग्राम पंचायत है। कल्याणपुर गांव में गुलरिया चौक के निकट का छोटा बाजार है। सोनपुर सबसे नज़दीकी शहर है जो कल्याणपुर से लगभग 8 किमी दूर है। .

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कार्बन माइक्रोफोन

कार्बन माइक्रोफोन अथवा बटन माइक्रोफोन एक प्रकार का माइक्रोफोन, अर्थात् एक ऐसा यंत्र है जो ध्वनि तरंगों को विद्युत संकेतों में बदलता है। एक कार्बन माइक्रोफोन एक कैप्सूल या बटन का प्रयोग करता है, जिसमें धातु की दो प्लेटों के बीच कार्बन कणिकाएं दबी हुई होती हैं। धातु की इन प्लेटों के पार एक वोल्टेज लागू किया जाता है, जिससे विद्युत-प्रवाह की एक छोटी-सी मात्रा कार्बन से होकर प्रवाहित होती है। इनमें से एक प्लेट, मध्यपट, संयोगित ध्वनि तरंगों के साथ कंपित होती है और कार्बन में बदलता हुआ दाब लागू करती है। यह बदलता हुआ दाब इन कणिकाओं को विरुपित कर देता है, जिससे आसन्न कणिकाओं के प्रत्येक जोड़े के बीच का संपर्क-क्षेत्र में परिवर्तित होता है और जिससे कणिकाओं के द्रव्यमान के विद्युतीय प्रतिरोध में परिवर्तन करता है। प्रतिरोध में परिवर्तन माइक्रोफोन से होकर प्रवाहित हो रहे संबंधित विद्युत-प्रवाह में परिवर्तन करता है, जिससे विद्युतीय संकेत उत्पन्न होते हैं। किसी समय कार्बन माइक्रोफोनों का प्रयोग टेलीफोनों में आम था। इनमें ध्वनि पुनरुत्पादन की गुणवत्ता बहुत ही निम्न होती है और इसकी आवृत्ति प्रतिक्रिया श्रेणी बहुत सीमित होती है, लेकिन ये बहुत शक्तिशाली उपकरण होते हैं। कार्बन की गेंदों का प्रयोग करनेवाला 1880 का बॉडेट माइक्रोफोन कणिका कार्बन बटन माइक्रोफोन जैसा ही एक आविष्कार था। यद्यपि इसका पेटेंट एडिसन को १८७७ के मध्य में मिला था, डेविड हॉजेज़ इसका सफल उदाहरण कई वर्षों पूर्व कर प्रदर्शित कर चुके थे और विज्ञान के इतिहासकार उन्हें जी इसका आविष्कारक मानते हैं। .

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क्लाउड कंप्यूटिंग

क्लाउड कंप्यूटिंग सेवाएं प्रदान करने वाले कुछ विक्रेता क्लाउड कंप्यूटिंग कंप्यूटिंग की एक शैली है जिसमें गतिक रूप से परिमाप्य और अक्सर आभासी संसाधनों को इंटरनेट पर एक सेवा के रूप में उपलब्ध कराया जाता है। उपयोगकर्ताओं को उनकी मदद करने वाले "क्लाउड" के तकनीकी ढांचे के ज्ञान, उसमें विशेषज्ञता या उस पर नियंत्रण की कोई आवश्यकता नहीं होती है। इस अवधारणा में आमतौर पर निम्नलिखित के संयोजन शामिल किये जाते हैं.

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कौषीतकि ब्राह्मणोपनिषद

कौषीतकि ब्राह्मणोपनिषद कौषीतकि उपनिषद का पूरा नाम है। यह एक ऋग्वेदीय उपनिषद है।कौषीतकि उपनिषद ॠग्वेद के कौषीतकि ब्राह्मण का अंश है। इसमें कुल चार अध्याय हैं। इस उपनिषद में जीवात्मा और ब्रह्मलोक, प्राणोपासना, अग्निहोत्र, विविध उपासनाएं, प्राणतत्व की महिमा तथा सूर्य, चन्द्र, विद्युत मेघ, आकाश, वायु, अग्नि, जल, दर्पण और प्रतिध्वनि में विद्यमान चैतन्य तत्व की उपासना पर प्रकाश डाला गया है। अन्त में 'आत्मतत्त्व' के स्वरूप और उसकी उपासना से प्राप्त फल पर विचार किया गया है। .

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कोशिकीय श्वसन

सजीव कोशिकाओं में भोजन के आक्सीकरण के फलस्वरूप ऊर्जा उत्पन्न होने की क्रिया को कोशिकीय श्वसन कहते हैं। यह एक केटाबोलिक क्रिया है जो आक्सीजन की उपस्थिति या अनुपस्थिति दोनों ही अवस्थाओं में सम्पन्न हो सकती है। इस क्रिया के दौरान मुक्त होने वाली ऊर्जा को एटीपी नामक जैव अणु में संग्रहित करके रख लिया जाता है जिसका उपयोग सजीव अपनी विभिन्न जैविक क्रियाओं में करते हैं। यह जैव-रासायनिक क्रिया पौधों एवं जन्तुओं दोनों की ही कोशिकाओं में दिन-रात हर समय होती रहती है। कोशिकाएँ भोज्य पदार्थ के रूप में ग्लूकोज, अमीनो अम्ल तथा वसीय अम्ल का प्रयोग करती हैं जिनको आक्सीकृत करने के लिए आक्सीजन का परमाणु इलेक्ट्रान ग्रहण करने का कार्य करता है। कोशिकीय श्वसन एवं श्वास क्रिया में अभिन्न सम्बंध है एवं ये दोनों क्रियाएँ एक-दूसरे की पूरक हैं। श्वांस क्रिया सजीव के श्वसन अंगों एवं उनके वातावरण के बीच होती है। इसके दौरान सजीव एवं उनके वातावरण के बीच आक्सीजन एवं कार्बन डाईऑक्साइड गैस का आदान-प्रदान होता है तथा इस क्रिया द्वारा आक्सीजन गैस वातावरण से सजीवों के श्वसन अंगों में पहुँचती है। आक्सीजन गैस श्वसन अंगों से विसरण द्वारा रक्त में प्रवेश कर जाती है। रक्त परिवहन का माध्यम है जो इस आक्सीजन को शरीर के विभिन्न भागों की कोशिकाओं में पहुँचा देता है। वहाँ इसका उपयोग कोशिकाएँ अपने कोशिकीय श्वसन में करती हैं। श्वसन की क्रिया प्रत्येक जीवित कोशिका के कोशिका द्रव्य (साइटोप्लाज्म) एवं माइटोकाण्ड्रिया में सम्पन्न होती है। श्वसन सम्बन्धित प्रारम्भिक क्रियाएँ साइटोप्लाज्म में होती है तथा शेष क्रियाएँ माइटोकाण्ड्रियाओं में होती हैं। चूँकि क्रिया के अंतिम चरण में ही अधिकांश ऊर्जा उत्पन्न होती हैं। इसलिए माइटोकाण्ड्रिया को कोशिका का श्वसनांग या शक्ति-गृह (पावर हाउस) कहा जाता है। .

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अपशिष्ट प्रबंधन

बर्कशायर, इंग्लैंड में पहियों वाला कचरे का डब्बा अपशिष्ट प्रबंधन परिवहन (transport), संसाधन (processing), पुनर्चक्रण (recycling) या अपशिष्ट (waste) के काम में प्रयोग की जाने वाली सामग्री का संग्रह है। यह शब्द आम तौर पर उस सामग्री को इंगित करता है जो मानव गतिविधियों से बनती हैं और ये इसलिए किया जाता है ताकि मानव पर उस के स्वस्थ, पर्यावरण (environment) या सौंदर्यशास्त्र.

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अपस्मार

अपस्मार या मिर्गी (वैकल्पिक वर्तनी: मिरगी, अंग्रेजी: Epilepsy) एक तंत्रिकातंत्रीय विकार (न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर) है जिसमें रोगी को बार-बार दौरे पड़ते है। मस्तिष्क में किसी गड़बड़ी के कारण बार-बार दौरे पड़ने की समस्या हो जाती है।, हिन्दुस्तान लाइव, १८ नवम्बर २००९ दौरे के समय व्यक्ति का दिमागी संतुलन पूरी तरह से गड़बड़ा जाता है और उसका शरीर लड़खड़ाने लगता है। इसका प्रभाव शरीर के किसी एक हिस्से पर देखने को मिल सकता है, जैसे चेहरे, हाथ या पैर पर। इन दौरों में तरह-तरह के लक्षण होते हैं, जैसे कि बेहोशी आना, गिर पड़ना, हाथ-पांव में झटके आना। मिर्गी किसी एक बीमारी का नाम नहीं है। अनेक बीमारियों में मिर्गी जैसे दौरे आ सकते हैं। मिर्गी के सभी मरीज एक जैसे भी नहीं होते। किसी की बीमारी मध्यम होती है, किसी की तेज। यह एक आम बीमारी है जो लगभग सौ लोगों में से एक को होती है। इनमें से आधों के दौरे रूके होते हैं और शेष आधों में दौरे आते हैं, उपचार जारी रहता है। अधिकतर लोगों में भ्रम होता है कि ये रोग आनुवांशिक होता है पर सिर्फ एक प्रतिशत लोगों में ही ये रोग आनुवांशिक होता है। विश्व में पाँच करोड़ लोग और भारत में लगभग एक करोड़ लोग मिर्गी के रोगी हैं। विश्व की कुल जनसँख्या के ८-१० प्रतिशत लोगों को अपने जीवनकाल में एक बार इसका दौरा पड़ने की संभावना रहती है।, वेब दुनिया, डॉ॰ वोनोद गुप्ता। १७ नवम्बर को विश्व भर में विश्व मिरगी दिवस का आयोजन होता है। इस दिन तरह-तरह के जागरुकता अभियान और उपचार कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।।। द टाइम्स ऑफ इंडिया।, याहू जागरण, १७ नवम्बर २००९ .

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अबाधित विद्युत आपूर्ति

अबाधित विद्युत आपूर्ति (अंग्रेज़ी:Uninterruptible power supply) या यूपीएस एक ऐसा उपकरण होता है जो विद्युत से चलने वाले किसी उपकरण को उस स्थिति में भी सीमित समय के लिये विद्युत की समुचित आपूर्ति सुनिश्चित करता है जब आपूर्ति के मुख्य स्रोत (मेन्स) से विद्युत आपूति उपलब्ध नहीं होती। यूपीएस कई प्रकार के बनाये जाते हैं और सीमित समय के लिये आपूर्ति उपलब्ध कराने के अलावा ये कुछ और भी काम कर सकते हैं - जैसे वोल्टता-नियंत्रण, आवृत्ति-नियंत्रण, शक्ति गुणांक वर्धन एवं उसकी गुणवत्ता को बेहतर करके उपकरण को देना, आदि। यूपीएस में उर्जा-संचय करने का कोई एक साधन होता है, जैसे बैटरी, तेज गति से चालित फ्लाईह्वील, आवेशित किया हुआ संधारित्र या एक अतिचालक कुण्डली में प्रवाहित अत्यधिक धारा। यूपीएस, सहायक ऊर्जा-स्रोत जैसे- स्टैण्ड-बाई जनरेटर आदि से इस मामले में भिन्न हैं कि विद्युत जाने पर वे सम्बन्धित उपकरण को मिलने वाली विद्युत में नगण्य समय के लिये व्यवधान करते हैं जिससे उस उपकरण के काम में बाधा या रूकावट नहीं आती।|हिन्दुस्तान लाइव। २७ जनवरी २०१०। पूनम जैन यूपीएस का उपयोग कम्प्यूटरों, आंकड़ा केन्द्र, संचार उपकरणों, आदि के साथ प्राय: किया जाता है जहाँ कि विद्युत जाने से कोई दुर्घटना हो सकती है; महत्त्वपूर्ण आंकड़े नष्ट होने का डर हो; व्यापार का नुकसान आदि हो सकता हो। .

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अग्निशमन

सन् २००६ में कनाडा में एक आग से जूझते अग्निशमक अग्निशमन (firefighting) आग पर नियंत्रण पाकर उसे बुझाने के कार्य को कहते हैं। अधिकतर समाजों में, विशेषकर शहरी क्षेत्रों में, अनियंत्रित आग जीवन और माल के लिए एक बड़ा संकट बन सकती है और अग्निशमक (firefighters) इस ख़तरे से बचाव करते हैं। विभिन्न परिस्थितियों में आग पर काबू पाकर उसे बंद करने के लिए बहुत सी तकनीकें सीखनी पड़ती हैं और उन कठिन परिस्थितियों में जाकर उन्हें झेलने के लिए शारीरिक-क्षमता भी ज़रूरी है। अग्निशमन के लिए विशेष सामान और यंत्रों का प्रयोग भी होता है। इनमें पानी, आग-निरोधक रसायन, भिन्न प्रकार के अग्नि-कवच, अग्निशमकों की आग-निरोधक पोशाकें, जल गिराने वाले विमान, अग्निशमकों के विशेष वाहन, वग़ैराह शामिल हैं। अलग-अलग तरह की आगों के लिए अग्निशमक भिन्न चीज़ें प्रयोग करते हैं, मसलन बिजली से लगी आग के लिए पानी का प्रयोग नहीं किया जाता।, Workplace Law Group, pp.

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अंतरराष्ट्रीय तापनाभिकीय प्रायोगिक संयंत्र

आई। टी.ई.आर निर्वात वैसल के प्रतिरूप का चित्र; जिसमें डाईवर्टर कैसेट्स की अंदरूनी सतहों पर ४४० ब्लैंकेट्स जुड़े दिख रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय तापनाभिकीय प्रायोगिक संयंत्र (अंग्रेज़ी:इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर (आईटीईआर)) ऊर्जा की कमी की समस्या से निबटने के लिए भारत सहित विश्व के कई राष्ट्रों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के सहयोग से मिलकर बनाया जा रहा संलयन नाभिकीय प्रक्रिया पर आधारित ऐसा विशाल रिएक्टर है, जो कम ईंधन की सहायता से ही अपार ऊर्जा उत्पन्न करेगा। सस्ती, प्रदूषणविहीन और असीमित ऊर्जा पैदा करने की दिशा में हाइड्रोजन बम के सिद्धांत पर इस नाभिकीय महापरियोजना को प्रयोग के तौर पर शुरू किया गया है। इसमें संलयन से उसी प्रकार से ऊर्जा मिलेगी जैसे पृथ्वी को सूर्य या अन्य तारों से मिलती है। .

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छद्मनगरीकरण

जब किसी स्थान पर कोई बड़ा शहर बन जाता है किन्तु उस शहर की जनसंख्या के अनुरूप अधोसंरचना का विकास नहीं हो पाता तो इसे छद्मनगरीकरण (Pseudo-urbanization) या छद्म-शहरीकरण कहते हैं। छद्मनगरीकरण की स्थिति में नगर की जनसंख्या तो बढ़ जाती है किन्तु आवास, शिक्षा, स्वच्छ जल, यातायात, विद्युत तथा सफाई आदि कि समुचित व्यवस्था का अभाव ही बना रह जाता है (जैसा कि गाँवों में होता है)। ऐसी स्थिति प्राय: विकाशशील या अविकसित देशों के नगरों में पायी जाती है। श्रेणी:विकास श्रेणी:सभ्यता.

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

बिजली, विध्युत

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