सामग्री की तालिका
9 संबंधों: ऊर्ध्वपातन (रसायन), ऊष्माशोषी, द्रव्यमान अन्तरण, राजस्थान की झीलें, संघनन, वाष्प शीतक, वाष्पीकरण, विभिन्न प्रकार के संतुलन, गुप्त ऊष्मा।
ऊर्ध्वपातन (रसायन)
ऊर्ध्वपातन वह प्रक्रिया है जिसमें कोई पदार्थ ठोस अवस्था से वाष्प अवस्था में बिना तरल अवस्था ग्रहण किए परिवर्तित हो जाता है। जैसे कपूर का ठोस अवस्था से सीधे वाष्प के रूप में उड़ जाना। .
देखें वाष्पन और ऊर्ध्वपातन (रसायन)
ऊष्माशोषी
ऊष्मागतिकी में ऊष्माशोषी (Endothermic) का अर्थ ऐसे प्रक्रम या रासायनिक अभिक्रिया से है जो उष्मीय उर्जा का शोषण करती है। इस प्रक्रिया की बिलोम प्रक्रिया का नाम 'ऊष्माक्षेपी' (exothermic) है। इस शब्द का उपयोग रासायनिक अभिक्रियाओं के सन्दर्भ में बहुत होता है। ऊष्माशोषी रासायनिक क्रियाओं में ऊष्मीय उर्जा, बन्ध उर्जा में परिवर्तित हो जाती है। .
देखें वाष्पन और ऊष्माशोषी
द्रव्यमान अन्तरण
एक स्थान से दूसरे स्थान पर द्रव्यमान के आने-जाने को द्रव्यमान अंतरण (Mass transfer) कहते हैं। द्रव्यमान अन्तरण अनेकों प्रक्रमों में होता है, जैसे शोषण (absorption), वाष्पन (evaporation), अधिशोषण (adsorption), सुखाने में, अवक्षेपण (precipitation), झिल्ली द्वारा फिल्टर करने पर, तथा आसवन (distillation) आदि। इंजीनियरी में प्रायः विसरण तथा संवहन के माध्यम से रसायनों के अन्तरण के सन्दर्भ में 'द्रव्यमान अन्तरण' का उपयोग होता है। .
देखें वाष्पन और द्रव्यमान अन्तरण
राजस्थान की झीलें
प्राचीन काल से ही राजस्थान में अनेक प्राकृतिक झीलें विद्यमान है। मध्य काल तथा आधुनिक काल में रियासतों के राजाओं ने भी अनेक झीलों का निर्माण करवाया। राजस्थान में मीठे और खारे पानी की झीलें हैं जिनमें सर्वाधिक झीलें मीठे पानी की है। .
देखें वाष्पन और राजस्थान की झीलें
संघनन
गैस से द्रव बनने की परिघटना को संघनन कहते हैं। यह वाष्पन की उल्टी है। प्रायः जल-चक्र के सन्दर्भ में ही इसका प्रयोग होता है। वर्षा भी एक प्रकार का संघनन ही है। .
देखें वाष्पन और संघनन
वाष्प शीतक
वाष्प शीतक, जो विश्व के शुष्क भागों में कम खर्चीली ठन्डक प्रदान करने के लिये प्रयुक्त होता है। वाष्प शीतक (अंग्रेजी: Evaporative cooler) एक युक्ति है जो जल के वाष्पन का उपयोग करके हवा को ठण्डा करती है। इसको 'डेजर्ट कूलर' भी कहते हैं। इस शीतक की क्रियाविधि आमतौर से उपयोग आने वाले वातानुकूलन यंत्रों से भिन्न होती है जो वाष्प-संपीडन (vapor-compression) या शोषण प्रशीलन चक्रों के प्रयोग पर आधारित होती हैं। जल के वाष्पन की तापीय धारिता बहुत अधिक होती है और वाष्प शीतक इसी का सदुपयोग करता है। जब जल (द्रव) को वाष्प में बदलते हैं तो यह आसपास की शुष्क हवा से ऊष्मा का शोषण करती है जिससे हवा ठण्डी हो जाती है। इस क्रिया में प्रशीतन (refrigeration) की अपेक्षा बहुत कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है। ठण्डा करने के अलावा यह हवा में आर्द्रता की मात्रा को भी बढ़ाता है जो अति शुष्क क्षेत्रों में अतिरिक्त आराम देती है। वाष्प शीतक में बन्द-चक्र प्रशीतन नहीं होता बल्कि इसमें जल का लगातार ह्रास होता है। एयर वाशर और वेट-कूलिंग टॉवर भी इसी सिद्धान्त पर काम करते हैं। .
देखें वाष्पन और वाष्प शीतक
वाष्पीकरण
अवस्था परिवर्तन के विभिन्न रूप किसी तत्त्व या यौगिक का द्रव अवस्था से गैस अवस्था में परिवर्तन वाष्पीकरण (Vaporization या vaporisation) कहलाता है। वाष्पीकरण दो प्रकार का होता है- वाष्पन, तथा क्वथन। .
देखें वाष्पन और वाष्पीकरण
विभिन्न प्रकार के संतुलन
तुला के दोनों पलड़ों का द्रव्यमान समान हो, तथा दोनो पलड़े अवलम्ब से समान दूरी पर टंगे हों तो वह '''संतुलित''' कहलाता है। संतुलन शब्द का प्रयोग अनेकोंक्षेत्रों में होता है। यहाँ पर विभिन्न क्षेत्रों में प्रयुक्त 'संतुलन' (तथा 'साम्य' एवं 'साम्यावस्था') की सूची दी गई है- .
देखें वाष्पन और विभिन्न प्रकार के संतुलन
गुप्त ऊष्मा
जब कोई पदार्थ एक भौतिक अवस्था (जैसे ठोस) से दूसरी भौतिक अवस्था (जैसे द्रव) में परिवर्तित होता है तो एक नियत ताप पर उसे कुछ उष्मा प्रदान करनी पड़ती है या वह एक नियत ताप पर उष्मा प्रदान करता है। किसी पदार्थ की गुप्त उष्मा (latent heat), उष्मा की वह मात्रा है जो उसके इकाई मात्रा द्वारा अवस्था परिवर्तन (change of state) के समय अवषोषित की जाती है या मुक्त की जाती है। इसके अलावा पदार्थ जब अपनी कला (फेज) बदलते हैं तब भी गुप्त उष्मा के बराबर उष्मा का अदान/प्रदान करना पड़ता है। इस शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग सन् १७५० के आसपास जोसेफ ब्लैक ने किया था। आजकल इसके स्थान पर "इन्थाल्पी ऑफ ट्रान्सफार्मेशन" का प्रयोग किया जाता है। .
देखें वाष्पन और गुप्त ऊष्मा
वाष्पीभवन के रूप में भी जाना जाता है।