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वाष्पक

सूची वाष्पक

गैस बर्नर से चलने वाला उच्च क्षमता (धारिता) का वाष्पक वाष्पक या ब्वायलर (Boiler) एक बन्द पात्र होता है जिसमें जल या कोई अन्य द्रव गरम किया जाता है। इसमें गरम करने (उबालने) से उत्पन्न वाष्प को बाहर निकालने की समुचित व्यवस्था भी होती है जिससे वाष्प को विभिन्न प्रक्रमों या गर्म करने के लिये उपयोग में लाया जा सके। इसकी डिजाइन इस प्रकार की होती है कि गर्म करने पर कम से कम उष्मा बर्बाद हो तथा यह वाष्प का दाब भी सहन कर सके। इसमें गरम किया हुआ या वाष्पीकृत तरल को निकालकर विभिन्न प्रक्रमों में या ऊष्मीकरण के लिये प्रयुक्त किया जाता है, जैसे- जल का ऊष्मीकरण, केन्द्रीय ऊष्मीकरण, वाष्पक-आधारित शक्ति-उत्पादन, भोजन बनाने और सफाई आदि के लिये। .

सामग्री की तालिका

  1. 4 संबंधों: ऊष्मा विनिमायक, ऊष्मीय दक्षता, नाभिकीय ऊर्जा, बहिर्दहन इंजन

ऊष्मा विनिमायक

नलिकाकार ताप विनिमायक. ऊष्मा विनिमायक (हीट इक्सचेंजर) एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रभावी ऊष्मा अंतरण के लिए बनाया गया एक उपकरण है। माध्यम एक ठोस दीवार से अलग हो सकता है, ताकि वे कभी आपस में ना मिलें, या वे सीधे संपर्क में हो सकें.

देखें वाष्पक और ऊष्मा विनिमायक

ऊष्मीय दक्षता

यांत्रिक आउटपुट सदा ही इनपुट ऊर्जा से कम होता है। ऊष्मीय ऊर्जा प्रयोग करने वाले उपकरणों (उदाहरण के लिये, अन्तर्दहन इंजन, वाष्प-टरबाईन, वाष्प-इंजन, धमन-भट्ठी, बॉयलर और रेफ्रिजिरेटर आदि) की दक्षता मापने के लिए ऊष्मीय दक्षता (थर्मल एफिसिएन्सी) का उपयोग किया जाता है। दूसरे शब्दो में कहा जा सकता है कि उपकरण में ऊर्जा का स्थानान्तरण कितनी अच्छी तरह से किया जा पा रहा है, इसकी माप उसकी दक्षता के द्वारा किया जाता है। सामान्यतः किसी भी निकाय के सन्दर्भ में, उपयोगी आउटपुट ऊर्जा और इनपुट ऊर्जा के अनुपात को ऊर्जा दक्षता कहते हैं। जब ऊष्मीय ऊर्जा की बात करते हैं तब किसी युक्ति को दी गयी ऊष्मीय ऊर्जा या उस युक्ति द्वारा खपत की गयी कुल ऊर्जा Q_ उसका इनपुट होता है जबकि वांछित आउटपुट, उस युक्ति द्वारा किया गया यांत्रिक कार्य W_, या Q_, या दोनों होते हैं। हम जानते हैं कि ऊर्जा वैसे ही नहीं मिलती, उसका कुछ न कुछ वित्तीय मूल्य होता है, अतः ऊष्मीय दक्षता की सामान्य परिभाषा निम्नलिखित है- ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम के अनुसार, आउटपुट ऊर्जा कभी भी इनपुट ऊर्जा से अधिक नहीं हो सकती। अतः सामान्य रूप से किसी उपकरण में ऊर्जा की खपत का अनुपात उसके द्वारा उत्पादित बल (कार्य) की तुलना में कितना है इसको इस तरह से समझा जा सकता है कि किसी अंतर्दहन इंजन में ईंधन (पेट्रोल या डीजल) जलता है तो उससे न केवल जेनरेटर चल कर बिजली बनती है बल्कि इस प्रक्रिया में इंजन चलाने के लिए इंधन को जलाया जाता है जिससे इंजन चलेन के साथ जो गर्मी पैदा होती है वह भी उसके एक उत्पाद के रूप में उत्पन्न होती है, यह गर्मी जितनी अधिक होगी उतना ही बिजली बनाने की क्षमता को कम करेगी। .

देखें वाष्पक और ऊष्मीय दक्षता

नाभिकीय ऊर्जा

इकाटा परमाणु ऊर्जा संयंत्र, एक दबावयुक्त जल रिएक्टर जो समुद्र के साथ माध्यमिक शीतलक विनिमय द्वारा ठंडा करता है। सुसक्युहाना वाष्प विद्युत् केंद्र, एक उबलता जल रिएक्टर.

देखें वाष्पक और नाभिकीय ऊर्जा

बहिर्दहन इंजन

न्यूकमेन का इंजन: यह वाह्यदहन इंजन है जो वाष्प-इंजन का पूर्ववर्ती है। ध्यान दें कि बॉयलर को नीचे से गरम किया जा रहा है। उन उष्मा इंजनों को वहिर्दहन इंजन (external combustion engine) कहते हैं जिनके कार्यकारी तरल को गरम करने के लिये किसी वाह्य स्रोत का सहारा लिया जाता है। यह तरल वहिर्दहन इंजन में फैलता है और उसकी मेकैनिज्म से अन्तरक्रिया करके गति एवं उपयोगी कार्य करता है। स्टीम टर्बाइन बहिर्दहन इंजन का एक अच्छा उदाहरण है। समान शक्ति वाला वहिर्दहन इंजन प्रायः अन्तर्दहन इंजन से अधिक बड़ा होता है। किन्तु चूँकि इसमें दहन का कार्य अलग से स्वतंत्र रूप से होता है, उसे अधिक दक्ष बनाया जा सकता है या कम हानिकारक गैसे आदि पैदा करने के हिसाब से डिजाइन किया जा सकता है। .

देखें वाष्पक और बहिर्दहन इंजन

ब्वायलर, बॉयलर के रूप में भी जाना जाता है।