3 संबंधों: पीपा क्षत्रिय, बांसवाड़ा जिला, मीणा।
पीपा क्षत्रिय
पीपा क्षत्रिय राजपूत मूलतः राजस्थान तथा भारत के अन्य राज्यों जैसे की गुजरात और मध्य प्रदेश इत्यादि के निवासी हैं। पीपा क्षत्रिय राजपूत समाज के अनुसार उनका उद्भव राजपूत (प्रथम उच्चतम जाति / योद्धा) या क्षत्रिय वर्ण से ही हैं। राजा प्रताप राव खींची चौहान को जगतगुरु रामानंद संप्रदाय के रामानंद जी ने अपना शिष्य बनाया था जब से उनका नाम संत पीपा हो गया संत पीपा राजपाट त्याग करके धर्म की रक्षा के लिए संत बन गए थे और पीपा जी के अनुयाई राजपूत राजाओं ने पीपाजी महाराज को अपना गुरु माना वही समुदाय आज विख्यात है पीपा क्षत्रिय राजपूत समाज के के नाम से यह समुदाय राजपूतों का अहिंसक समुदाय है धर्म की रक्षा के लिए राजपूत राजाओं ने राजपाट को त्याग कर के अहिंसक जीवन यापन करने का मार्ग को चुना और आज भी यह समुदाय किसी भी प्रकार का हिंसा का कार्य नहीं करता है मांस एवं मदिरा का उपयोग यह राजपूत समुदाय जो पीपा क्षत्रिय राजपूत समाज के नाम से विख्यात है यह लोग नहीं करते यह अहिंसक राजपूत हैं .
नई!!: वागडी भाषा और पीपा क्षत्रिय · और देखें »
बांसवाड़ा जिला
बासंवाडा जिला राजस्थान के दक्षिणी भाग मे गुजरात/मध्य प्रदेश की सीमा से लगता हुआ जिला है। इसे राजस्थान का चेरापूंजी भी कहा जाता है। यहा का मुख्य आकर्षण माही नदी है, जो मध्य प्रदेश से होती हुई माही बांध तक आती हॆ, माही नदी बासंवाडा जिला की जीवन वाहिनी हॆ। यहां पे मुख्यतः वागडी भाषा बोली जाती हॆ, जिले के प्रमुख कस्बे कुशलगढ़, परतापुर, बागीदौरा, घाटोल, अरथुना हॆ.
नई!!: वागडी भाषा और बांसवाड़ा जिला · और देखें »
मीणा
मीणा अथवा मीना मुख्यतया भारत के राजस्थान व मध्य प्रदेशराज्यों में निवास करने वाली एक जनजाति है। इन्हे वैदिक युग के मत्स्य गणराज्य के मत्स्य जन-जाति का वंशज कहा जाता है, जो कि छठी शताब्दी बी॰सी॰ में पल्लवित हुये। मीणा भारत कि अनुसूचित जन जाति वर्ग से संबन्धित है व राजस्थान राज्य में वे सभी हिन्दू है, परंतु मध्य प्रदेश में मीणा (क्रम -21) विदिशा जिले कि सिरोंज तहसील में अनुसूचित जन जाति में सम्मिलित है जबकि मध्य प्रदेश के अन्य 44 जिलों में वे अन्य पिछड़ा वर्ग के अंतर्गत आते हैं। वर्तमान में भारत कि केंद्र सरकार के समक्ष यह प्रस्ताव रखा गया है कि मध्य प्रदेश की समूची मीणा जाति को भारत की अनुसूचित जन जाति के रूप में मान्यता दी जाए।। पुराणों के अनुसार चैत्र शुक्ला तृतीया को कृतमाला नदी के जल से मत्स्य भगवान प्रकट हुए थे। इस दिन को मीणा समाज में जहाँ एक ओर मत्स्य जयन्ती के रूप में मनाया जाता है, वहीं दूसरी ओर इसी दिन संम्पूर्ण राजस्थान में गणगौर का त्योहार बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है। .
नई!!: वागडी भाषा और मीणा · और देखें »