6 संबंधों: एलिस एक्का, एलिस एक्का की कहानियां, रोज केरकेट्टा, आदिवासी साहित्य, आदिवासी साहित्य, अश्विनी कुमार पंकज।
एलिस एक्का
एलिस एक्का (8 सिंतबर 1917 - 5 जुलाई 1978) हिंदी कथा-साहित्य में भारत की पहली महिला आदिवासी कहानीकार हैं । हिंदी की पहली दलित कहानी लिखने का श्रेय भी एलिस एक्का को है। .
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एलिस एक्का की कहानियां
एलिस एक्का की कहानियां हिंदी की पहली महिला आदिवासी कथाकार एलिस एक्का की कहानियों का एकमात्र संकलन है। एलिस एक्का की कहानियां हिंदी की पहली महिला आदिवासी कथाकार एलिस एक्का की कहानियों का एकमात्र संकलन है। हिंदी कथा साहित्य के ज्ञात इतिहास में एलिस एक्का से पूर्व किसी आदिवासी महिला कहानीकार का जिक्र नहीं मिलता। अविभाजित बिहार-झारखंड में चालीस-पचास के दशक में कथा लेखन की शुरुआत एलिस एक्का की कहानियों से होती है। .
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रोज केरकेट्टा
रोज केरकेट्टा (5 दिसंबर, 1940) आदिवासी भाषा खड़िया और हिन्दी की एक प्रमुख लेखिका, शिक्षाविद्, आंदोलनकारी और मानवाधिकारकर्मी हैं। आपका जन्म सिमडेगा (झारखंड) के कइसरा सुंदरा टोली गांव में खड़िया आदिवासी समुदाय में हुआ। झारखंड की आदि जिजीविषा और समाज के महत्वपूर्ण सवालों को सृजनशील अभिव्यक्ति देने के साथ ही जनांदोलनों को बौद्धिक नेतृत्व प्रदान करने तथा संघर्ष की हर राह में आप अग्रिम पंक्ति में रही हैं। आदिवासी भाषा-साहित्य, संस्कृति और स्त्री सवालों पर डा.
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आदिवासी साहित्य
आदिवासी साहित्य से तात्पर्य उस साहित्य से है जिसमें आदिवासियों का जीवन और समाज उनके दर्शन के अनुरूप अभिव्यक्त हुआ है। आदिवासी साहित्य को विभिन्न नामों से पूरी दुनिया में जाना जाता है। यूरोप और अमेरिका में इसे, कलर्ड लिटरेचर, स्लेव लिटरेचर और, अफ्रीकन देशों में ब्लैक लिटरेचर और ऑस्ट्रेलिया मेें एबोरिजिनल लिटरेचर, तो अंग्रेजी में इंडीजिनस लिटरेचर, फर्स्टपीपुल लिटरेचर और ट्राइबल लिटरेचर कहते हैं। भारत में इसे हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषाओं में सामान्यतः ‘आदिवासी साहित्य’ ही कहा जाता है। .
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आदिवासी साहित्य
आदिवासी साहित्य दिल्ली से प्रकाशित होने वाली आदिवासी लेखन की पहली राष्ट्रीय पत्रिका है जिसके संपादक डॉ॰ गंगा सहाय मीणा हैं। पत्रिका की संपादकीय टीम में देशभर के सभी प्रमुख आदिवासी साहित्यकार शामिल हैं, जिनमें प्रमुख नाम हैं- वाहरू सोनवणे, मोतीरावण कंगाली, रोज केरकेट्टा, तेमसुला आओ, वाल्टर भेंगरा 'तरुण', वंदना टेटे, शांति खलखो, अनुज लुगुन आदि। सौ पृष्ठों की यह त्रैमासिक पत्रिका निम्न स्तंभों में बॅंटी हुई है- कहन-गायन, मुंहामुंही, दर्शन-वैचारिकी, रंग-रोगन, देस-दिसुम, सकम और अखड़ा.
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अश्विनी कुमार पंकज
अश्विनी कुमार पंकज (जन्मः 9 अगस्त 1965) एक भारतीय कवि, कथाकार, उपन्यासकार, पत्रकार, नाटककार, रंगकर्मी और आंदोलनकारी संस्कृतिकर्मी हैं। वे हिन्दी और झारखंड की देशज भाषा नागपुरी में लिखते हैं और रंगमंच एवं प्रदर्श्यकारी कलाओं की त्रैमासिक पत्रिका ‘रंगवार्ता’ और नागपुरी मासिक पत्रिका ‘जोहार सहिया’ का संपादन तथा बहुभाषिक आदिवासी-देशज समाचार पत्र पाक्षिक ‘जोहार दिसुम खबर’ के प्रकाशक-संपादक हैं। मूलतः बिहार के रहने वाले पंकज बचपन से रांची में रहते हैं और आरंभिक एवं माध्यमिक शिक्षा रांची में प्राप्त की है तथा रांची विश्वविद्यालय, रांची से ही हिन्दी में स्नातकोत्तर किया है। डॉ॰ एम.