सामग्री की तालिका
3 संबंधों: एलेन गिन्सबर्ग, विलियम एस बरोज, गैरी स्नाइडर।
एलेन गिन्सबर्ग
इर्विन एलेन गिन्सबर्ग (Irwin Allen Ginsberg; 3 जून 1926 – 5 अप्रैल 1997), अमेरिका के बीटनिक आंदोलन के प्रख्यात कवि हैं। इनके द्वारा लिखित लंबी कविता हाउल (१९५६) को बीट आंदोलन की महाकविता कहा जाता है। इस कविता को पूंजीवाद और नियन्त्रणवाद के खिलाफ अमेरिकी की नयी पीढ़ी की आवाज माना जाता है जिस समय अमेरिकी समाज को साम्यवादी भय ने जकड़ लिया था। प्रकाशित होते ही इसकी हजारों प्रतियां बिक गयीं और गिंसबर्ग रातों रात नयी पीढ़ी के मसीहा बन गये, जिस पीढ़ी को आज बीटनिक पीढ़ी कहा जाता है। आज तक इस काव्यग्रन्थ की लाखों प्रतियां बिक चुकी हैं। गिंसबर्ग द्वारा निवेदित हाउल की वीसीडी, सीडी और डीवीडी भी खूब बिकी हैं और आज तक उनकी यह पुस्तक और डीवीडी बिक रही हैं। अपनी इस कविता के लिये उन्होने एक नयी लेखन प्रणाली अपनायी जो सांस लेने और सांस छोड़ने के समय पर आधारित थी। यद्यपि उनके पिता एक गीतकार थे, पर गिंसबर्ग ने अपने पिता द्वारा दिखाये गये मार्ग पर चलना उचित नहीं समझा क्योंकि उन्हें महसूस हुआ कि अमेरिकी समाज बदल चुका है। गिंसबर्ग की माता नायोमी गिंसबर्ग का मानसिक सन्तुलन ठीक नहीं था और इसका प्रभाव किशोर गिंसबर्ग पर भी रहा। हाउल प्रकाशित होने के बाद उन्होने अपनी मां के याद मे कैडिश नाम की एक लंबी कविता हाउल के ही अनुरूप लिखी थी। ख्याति मिलने के बाद उन्हें बहुत सारे देशों में कविता पढ़ने के लिये आमंत्रित किया गया और वह भारत भी आये। भारत आकर वह दो साल तक यहीं रहे। बनारस, पटना, कोलकाता, चाइबासा आदि जगहों पर इन्होने कई दिन बिताये एवं यह स्थानीय कवियों से काफी घुलमिल गये। वह हिन्दु और बौद्ध साधुओं से भी मिले। अमेरिका लौटने के बाद गिंसबर्ग ने बौद्धधर्म अपना लिया। भारत से लौटने के बाद जो कवितायें इन्होने लिखीं उन पर भारतीय प्रभाव साफ झलकता है, यहां तक की उनकी किताबों-दस्तावेजों में दिये गये प्रतीक चिह्न असल में अकबर के मकबरे में अंकित तीन मछलियों का चित्र है। .
देखें लारेन्स फेर्लिंघेट्टि और एलेन गिन्सबर्ग
विलियम एस बरोज
विलियम एस बरोज विलियम सेवर्ड बरोज (५ फरवरि १९१४ - २ अगस्त १९९७) अमेरिका के बीट आंदोलनके प्रख्यात उपन्यासकार, कवि, आलोचक तथा शब्द-कारीगर हैं। उनको २०वीं सदी का सबसे प्रभावी पाप कलचर चिन्तक माना जाता है। उनहोने गद्य लिखने का एक नायाब तरिका आविष्कार किया था जिसे कट-अप मेथड कहा जाता है। लिखने के बाद पाण्डुलिपि कैंचि से काट कर वे फिरसे उसे उलटफेर करके सजाते थी और वहिंसे एक नया गद्य निकाल लेते थे। नये-नये मादकों का सेवन करके उसके प्रभावमें लिखने का प्रयास करते थे एवम मादक संग्रह कर्ने के लिये दक्षिण अमेरिका और अफ्रिका में जा कर बहुत दिन तक बस जाते थे। मिसौरीके धनी परिवार में जन्मे बरोज साहित्यिक बनने कि इच्चा से १९४३ में निउ यार्क जा बसें जहां उनसे ऐलन गिंसबर्ग तथा जैक केरुयकसे परिचय हुया। फिर क्या कहना था। तिनों मिल कर जो आंदोलन शुरु किये उसे ही बीट आंदोलनके नाम से जाना जत है। १९५१ में उनकी दुसरी पत्नीको हत्या के आरोपमें वे फंस गये थे। इस दुखद घटना से उनका लेखन मुक्त नहीं हो पाया। .
देखें लारेन्स फेर्लिंघेट्टि और विलियम एस बरोज
गैरी स्नाइडर
गैरी स्नाइडर (८ मई १९३०) अमेरिकी बीट जनरेशन तथा सनफ्रान्सिसको रेनेसाँस के कवि, आलोचक और परिवेशवादी हैं। कविताके लिये उनको पुलित्जर पुरस्कारसे नवाजा गया है। वे प्राचीन चीनि भाषा तथा आधुनिक जापानि कविताके आनुवादक भी हैं। उनका मनन-चिन्तन जेन बौद्ध धर्मसे प्रभावित है। ऐलन गिंसबर्गसे पहले वे भारत आ चुके हैं। भारत भ्रमण पर उनके पुस्तक का नाम है पैसेज थ्रु इनडिया। उनके उस समय के पत्नी जोयाने कयगर ने भी एक स्मृतिलेख लिखे हैं जिसका नाम है स्ट्रेंज बिग मुन: जापान ऐन्ड इनडिया जर्नलस। .