3 संबंधों: चिरसम्मत भौतिकी, दृढ़ पिण्ड गतिकी, हेमिल्टोनीय यांत्रिकी।
चिरसम्मत भौतिकी
आधुनिक भौतिकी के चार प्रमुख क्षेत्र चिरसम्मत भौतिकी (क्लासिकल फिजिक्स) भौतिक विज्ञान की वह शाखा है जिसमें द्रव्य और ऊर्जा दो अलग अवधारणाएं हैं। प्रारम्भिक रूप से यह न्यूटन के गति के नियम व मैक्सवेल के विद्युतचुम्बकीय विकिरण सिद्धान्त पर आधारित है। चिरसम्मत भौतिकी को सामान्यतः विभिन्न क्षेत्रों में विभाजित किया जाता है। इनमें यांत्रिकी (इसमें पदार्थ की गति तथा उस पर आरोपित बलों का अध्ययन किया जाता है।), गतिकी, स्थैतिकी, प्रकाशिकी, उष्मागतिकी (ऊर्जा और उष्मा का अध्ययन) और ध्वनिकी शामिल हैं तथा इसी प्रकार विद्युत व चुम्बकत्व के परिसर में दृष्टिगोचर अध्ययन। द्रव्यमान संरक्षण का नियम, ऊर्जा संरक्षण का नियम और संवेग संरक्षण का नियम भी चिरसम्मत भौतिकी में महत्वपूर्ण हैं। इसके अनुसार द्रव्यमान और ऊर्जा को ना ही तो बनाया जा सकता है और ना ही नष्ट किया जा सकता और केवल बाह्य असन्तुलित बल आरोपित करके ही संवेग को परिवर्तित किया जा सकता है। .
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दृढ़ पिण्ड गतिकी
दृढ़ पिण्ड गतिकी बाह्य बलों की उपस्थिति में परस्पर पिण्डो के मध्य गति का अध्ययन है। यहाँ यह माना जाता है कि किसी भी बल के प्रभाव में पिण्ड में किसी प्रकार की विकृति उत्पन्न नहीं होगी। अतः इसका अध्ययन इस आधार पर सरल हो जाता है कि गति के दौरान पिण्ड के विन्यास का ज्ञान होना आवश्यक नहीं है। पिण्ड में किसी भी तरह की स्थानांतरण अथवा घूर्णन गति, पिण्ड में समाहित सभी कणों में समान होगी। दृढ़ पिण्ड गतिकी को गति के समीकरणों में परिभाषित किया जाता है जिन्हें न्यूटन के गति नियमों तथा लाग्रांजीय यांत्रिकी की सहायता से व्युत्पित किया जाता है। इन गति की समीकरणों के हल की सहायता से दृढ़ पिण्ड निकाय के विन्यास का समय के फलन के रूप में परिवर्तन को समझा जाता है। दृढ़ पिण्ड गतिकी का हल एवं सूत्रीकरण, यांत्रिक निकायों के संगणक अनुकरण में महत्वपूर्ण उपकरण है। .
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हेमिल्टोनीय यांत्रिकी
हेमिल्टोनीय यांत्रिकी अथवा हेमिल्टोनियन यांत्रिकी चिरसम्मत यांत्रिकी के पुनःसूत्रिकरण पर आधारित एक विकसित सिद्धान्त है जो चिरसम्मत यांत्रिकी के समान परिणाम देता है। इसमें विभिन्न गणितीय सूत्रों का उपयोग होता है, जो सिद्धांतो को अधिक अमूर्त रूप में समझने में सहायक हैं। ऐतिहासिक रूप से यह चिरसम्मत यांत्रिकी के सूत्रों का पुनःसूत्रिकरण है, जिसने बाद में क्वांटम यान्त्रिकी के सूत्रिकरण में योगदान किया। हेमिल्टोनीय यांत्रिकी १८३३ में विलियम रोवन हेमिल्टन ने लाग्रांजियन यांत्रिकी से आरम्भ करते हुए प्रथम सूत्रीकरण किया, इससे पूर्व १७८८ में जोसेफ लुई लाग्रांज ने चिरसम्मत यांत्रिकी का पुनःसूत्रिकरण प्रस्तुत किया। .
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