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लड़ाकू विमान

सूची लड़ाकू विमान

एफ-१६ लड़ाकू विमान उड़ान भरता हुआ लड़ाकू विमान एक ऐसा सेन्य विमान होता है जो किसी अन्य सेना के विमानों के साथ हवा से हवा में लड़ाई करने के लिए उपयोग में लाया जाता है। ऐसे विमान का प्रयोग अमूमन किसी देश की वायुसेना या नौसेना के वायु बेड़े द्वारा होता है। वैसे लड़ाकू विमान ऐसे कई सारे विमानों के परिवार को भी कह सकते है जो की जंग या ऐसी ही परिस्थितियों में दुश्मन पे हमला करने के लिए काम में लाए जाये, चाहे हवा से हवा में, हवा से जमीन पर या किसी अन्य टोही रूप में.

39 संबंधों: चेंगदू जे-10, एच 2 सोव, एच 4 सोव, ऐसीऐजेड सी.२, तहरीर चौक, द्वितीय विश्व युद्घ, पराध्वनिक विमान, ब्रह्मोस प्रक्षेपास्त्र, ब्रिस्टल स्काउट, बीदर एयर फ़ोर्स स्टेशन, मित्सुबिशी एक्स-2 शीनशीन, मिकोयान मिग-27, मिकोयान मिग-29एम, मिकोयान-गुरेविच डीआईएस, मिकोयान-गुरेविच मिग-1, मिकोयान-गुरेविच मिग-19, मिकोयान-गुरेविच मिग-23, मिकोयान-गुरेविच मिग-3, मिकोयान-गुरेविच मिग-9, मिकोयान-गुरेविच मिग-१५, मिकोयान-गुरेविच मिग-१७, मोरेन सौल्निएर एल, लॉकहीड मार्टिन एफ-35 लाइटनिंग II, शियान जेएच-7, शेनयांग जे-11, शेनयांग जे-16, शेनयांग जे-8, सुखोई टी-3, सुखोई एसयू-1, सुखोई एसयू-24, सुखोई एसयू-30एमकेएम, सुखोई एसयू-30एमकेके, सुखोई एसयू-34, सुखोई एसयू-5, सुखोई एसयू-7, सुखोई एसयू-9 (1946), जेएफ-17 थंडर, वायुसेना, २०१६ पठानकोट हमले

चेंगदू जे-10

चेंगदू जे-10 (Chengdu J-10) (नाटो रिपोर्टिंग नाम: फायरबर्ड) एक हल्का बहुउपयोगी लड़ाकू विमान है जो सभी मौसम में संचालन के लिए सक्षम है। इसे डेल्टा विंग और कैनर्ड डिज़ाइन के साथ कॉन्फ़िगर किया गया है। यह फ्लाई-बाय-वायर उड़ान नियंत्रण के लिए भी सक्षम है। और इसका उत्पादन चीनी वायुसेना के लिए चीन की चेंगदू विमान निगम ने किया हैं। .

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एच 2 सोव

एच 2 सोव (H-2 SOW या H-2 Stand-Off Weapon) एक परिशुद्धता निर्देशित ग्लाइड बम है। इसे पाकिस्तान द्वारा बनाया गया है। यह 60 किलोमीटर की मारक क्षमता रखता है इसे लड़ाकू विमान द्वारा छोड़ा जाता है। .

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एच 4 सोव

एच 4 सोव (H-4 SOW या H-4 Stand-Off Weapon) एक परिशुद्धता निर्देशित ग्लाइड बम है। इसे पाकिस्तान द्वारा बनाया गया है। यह 120 किलोमीटर की मारक क्षमता रखता है इसे लड़ाकू विमान द्वारा छोड़ा जाता है। .

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ऐसीऐजेड सी.२

असली ऐसीऐजेड सी. २ विमान ऐसीऐजेड सी.२ (ACZA C.2 / Ateliers de Contructions Aeronautique de Zeebruge) एक बेल्जियन मूलरूप शुरुवाती लड़ाकू विमान था। यह पूर्ण रूप से ड्यूरालुमिन धातु से बनाया गया था। यह अपने समय की हिसाब से सन १९२६ में एक उन्नत विमान था। इसका बेल्जियन वायु सेना ने परिक्षण बेशक किया पर इस विमान को बनाने का कभी कोई आदेश प्राप्त नहीं हुआ। २५ जनवरी १९३३ को प्रथम और आखरी बचा ऐसीऐजेड सी.२ टक्कर से नष्ट हो गया। .

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तहरीर चौक

तहरीर चौक (ميدان التحرير,, Liberation Square., मुक्ति/आज़ाद चौक. जो की लिबरेशन स्क़्वाएर (बलिदानी चौराहा) के नाम से भी जाना जाता है, मिस्र की राजधानी काहिरा में स्थित शहर का एक बहुत बड़ा चौराहा है। यह काहिरा में राजनीतिक प्रदर्शनों व क्राँतियों का मुख्य केन्द्र है। यहीं पर २०११ में राष्ट्रपति होस्नी मुबारक के खिलाफ विद्रोह व उनका सत्ता से निर्वासन, और मिस्र में सैन्य तख्तापलट २०१३ हुआ। यह चौराहा इन क्रान्तियों का प्रमुख केन्द्र व गवाह रहा। .

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द्वितीय विश्व युद्घ

विश्व युद्ध II, अथवा द्वितीय विश्व युद्ध, (इसको संक्षेप में WWII या WW2 लिखते हैं), ये एक वैश्विक सैन्य संघर्ष था जिसमें, सभी महान शक्तियों समेत दुनिया के अधिकांश देश शामिल थे, जो दो परस्पर विरोधी सैन्य गठबन्धनों में संगठित थे: मित्र राष्ट्र एवं धुरी राष्ट्र.इस युद्ध में 10 करोड़ से ज्यादा सैन्य कर्मी शामिल थे, इस वजह से ये इतिहास का सबसे व्यापक युद्ध माना जाता है।"पूर्ण युद्ध" की अवस्था में, प्रमुख सहभागियों ने नागरिक और सैन्य संसाधनों के बीच के अंतर को मिटा कर युद्ध प्रयास की सेवा में अपनी पूरी औद्योगिक, आर्थिक और वैज्ञानिक क्षमताओं को झोक दिया। इसमें सात करोड़ से अधिक लोग मारे गए थे, जिनमें से अधिकांश साधारण नागरिक थे, इसलिए इसको मानव इतिहास का सबसे खूनी संघर्ष माना जाता है। युद्ध की शुरुआत को आम तौर पर 1 सितम्बर 1939 माना जाता है, जर्मनी के पोलैंड के ऊपर आक्रमण करने और परिणामस्वरूप ब्रिटिश साम्राज्य और राष्ट्रमंडल के अधिकांश देशों और फ्रांस द्वारा जर्मनी पर युद्ध की घोषणा के साथ.

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पराध्वनिक विमान

मिग-२५, जिनकी अधिकतम चाल ३.२ मैक तक है। पराध्वनिक विमान (सुपरसॉनिक एयरक्राफ्ट) उन विमानों को कहते हैं जो ध्वनि के वेग से भी अधिक वेग से उड़ सकते हैं। ऐसे विमानों का विकास २०वीं शदी के उत्तरार्ध में हुआ। इनका उपयोग प्रायः अनुसंधान एवं सैनिक उपयोग के लिये हुआ है। लड़ाकू विमान, पराध्वनिक विमान के सबसे सामान्य उदाहरण हैं। जो विमान ध्वनि के वेग के पाँच गुना से भी अधिक वेग (५ मैक से अधिक) से उड़ते हैं उन्हें प्रायः अतिपराध्वनिक विमान (hypersonic aircraft) कहते हैं। .

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ब्रह्मोस प्रक्षेपास्त्र

'''ब्रह्मोस''' विश्व की सबसे तीव्रगामी मिसाइल है। ब्रह्मोस एक कम दूरी की रैमजेट, सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है। इसे पनडुब्बी से, पानी के जहाज से, विमान से या जमीन से भी छोड़ा जा सकता है। रूस की एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया (NPO Mashinostroeyenia) तथा भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने संयुक्त रूप से इसका विकास किया है। यह रूस की पी-800 ओंकिस क्रूज मिसाइल की प्रौद्योगिकी पर आधारित है। ब्रह्मोस के समुद्री तथा थल संस्करणों का पहले ही सफलतापूर्वक परीक्षण किया जा चुका है तथा भारतीय सेना एवं नौसेना को सौंपा जा चुका है। ब्रह्मोस भारत और रूस के द्वारा विकसित की गई अब तक की सबसे आधुनिक प्रक्षेपास्त्र प्रणाली है और इसने भारत को मिसाइल तकनीक में अग्रणी देश बना दिया है। .

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ब्रिस्टल स्काउट

ब्रिस्टल स्काउट एक सादा, एकल सीट, रोटरी इंजन वाला बाईप्लेन था जो की मूलतः नागरिक दौड के लिए बनाया गया था व बाद मे जिसका की प्रयोग हलके लड़ाकू व टोही विमान के रूप में हुआ। इसे ब्रिटिश और कोलोनिअल एरोप्लेन कंपनी के चित्रणकरता फ्रंक बार्नवेल ने बनाया था। इस विमान ने पहली उड़ान २३ फ़रवरी १९१४ को भरी.

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बीदर एयर फ़ोर्स स्टेशन

बिदर एयर फॉर स्टेशन एक भारतीय वायु सेना का एयर फॉर स्टेशन है जो भारत के कर्नाटक राज्य के बीदर ज़िले में स्थित है। इसे द्वितीय विश्व युद्ध के समय स्थापित किया गया था और यह भारतीय वायु सेना का प्रशिक्षण कमान भी है। .

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मित्सुबिशी एक्स-2 शीनशीन

मित्सुबिशी एक्स-2 शीनशीन (Mitsubishi X-2 Shinshin) (पूर्व में एटीडी-एक्स) उन्नत गुप्तता लड़ाकू विमान प्रौद्योगिकियों का परीक्षण करने के लिए बनाया गया एक जापानी प्रयोगात्मक विमान है। यह अनुसंधान उद्देश्यों के लिए जापानी रक्षा तकनीकी अनुसंधान एवं विकास संस्थान द्वारा विकसित किया जा रहा है। इस परियोजना का मुख्य ठेकेदार मित्सुबिशी हेवी इंडस्ट्रीज है। कई लोग इस विमान को जापान के पहले घरेलू रूप से बने गुप्तता लड़ाकू विमान मानते हैं। एटीडी-एक्स "उन्नत प्रौद्योगिकी प्रदर्शनकारक- एक्स" के लिए एक संक्षिप्त शब्द है। यह विमान जापान में शिनशिन के रूप में व्यापक रूप से जाना जाता है। यद्यपि नाम स्वयं जापान स्व-रक्षा बलों के भीतर प्रारंभिक कोड नाम है और आधिकारिक तौर पर उपयोग में नहीं है। विमान की पहली उड़ान 22 अप्रैल 2016 को थी। .

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मिकोयान मिग-27

मिकोयान मिग-27 (Mikoyan MiG-27, Микоян МиГ-27) एक रुसी लड़ाकू विमान है। मूल रूप से इसे सोवियत संघ में मिकोयान-गुरेविच ब्यूरो द्वारा डिज़ाइन और निर्मित किया गया था। बाद में लाइसेंस पर भारत में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स द्वारा बहादुर विमान के रूप में भी इसे निर्मित किया गया था। यह मिकोयान-गुरेविच मिग-23 लड़ाकू विमानों पर आधारित है लेकिन मिग-23 के विपरीत यह एयर-टू-ग्राउंड हमले करने के लिए अनुकूलित है। मिग-27 का रूस के बाहर व्यापक उपयोग नहीं देखा गया है। चूंकि ज्यादातर देशों ने मिकोयान-गुरेविच मिग-23बीएन और सुखोई एसयू-22 का विकल्प चुना है। यह ग्राउंड अटैक की भूमिका में भारतीय, कज़ाख और श्रीलंका के एयर फोर्स मे अभी भी सेवा में मे बना हुआ है। सभी रूसी और यूक्रेनी मिग-27 सेवानिवृत्त हो चुके हैं। .

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मिकोयान मिग-29एम

मिकोयान मिग-29एम (Mikoyan MiG-29M) (नाटो रिपोर्टिंग नाम: फुल्रुम-ई) एक मल्टीरोल लड़ाकू विमान है जिसे मिकोयान मिग-29 का एक उन्नत संस्करण के रूप में विकसित किया गया था। पूर्व में इसका नाम "मिग-33" था। यह मूलतः 1980 के मध्य के दौरान सोवियत संघ में मिकोयैन द्वारा डिजाइन किया गया था। .

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मिकोयान-गुरेविच डीआईएस

मिकोयान-गुरेविच डीआईएस (Mikoyan-Gurevich DIS) द्वितीय विश्व युद्ध का एक सोवियत एस्कॉर्ट लड़ाकू विमान प्रोटोटाइप था। सर्विस पदनाम मिग-5 को विमान के उत्पादन संस्करण के लिए आरक्षित किया गया था। सोवियत संघ में समकालीन डिजाइनों की प्रतिस्पर्धा में ग्रुशिन जीआर-1, पोलिकारपोव टीआईएस और टेरोव टा-3 शामिल थे। इसका जासूसी और बॉम्बर संस्करण को भी विकसित करने का इरादा किया गया था लेकिन ये योजना जून 1941 में जर्मन आक्रमण द्वारा बाधित हुई थी। कम से कम दो प्रोटोटाइप बनाने के बाद इसे 1943 में रद्द कर दिया गया था। .

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मिकोयान-गुरेविच मिग-1

मिकोयायन-गुरेविच मिग-1 (रूसी: Микоян-Гуревич МиГ-1) द्वितीय विश्व युद्ध का एक सोवियत लड़ाकू विमान था, जिसे 1939 में जारी एक उच्च ऊंचाई वाले लड़ाकू विमान के लिए आवश्यकता को पूरा करने के लिए बनाया गया था। एल्यूमीनियम जैसे सामरिक सामग्रियों पर मांग को कम करने के लिए, विमान को ज्यादातर स्टील टयूबिंग और लकड़ी से बनाया गया था। उड़ान परीक्षण में कई कमी देखी गईं, लेकिन इन्हे ठीक करने से पहले विमान के उत्पादन का आदेश दिया गया था। हालांकि इसे संभालना मुश्किल हो गया था। इसके डिजाइन को संशोधित करने से पहले एक सौ मिग-1 का निर्माण किया गया था। इसके संशोधित डिजाइन को मिग-3 विमान कहा जाता है। 1941 में सोवियत वायु सेना की लड़ाकू रेजिमेंट के लिए विमान को जारी किया गया था, लेकिन ज्यादातर ऑपरेशन बारबारोसा के शुरुआती दिनों में जाहिरा तौर पर नष्ट हुए थे। ऑपरेशन बारबारोसा जून 1941 में सोवियत संघ का जर्मन पर आक्रमण था। .

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मिकोयान-गुरेविच मिग-19

मिकोयान-गुरेविच मिग-19 (Mikoyan-Gurevich MiG-19) (रूसी: Микоян и Гуревич МиГ-19; नाटो रिपोर्टिंग नाम: किसान) एक सोवियत संघ का दूसरी पीढ़ी का सिंगल सीट, दो जेट-इंजन वाला लड़ाकू विमान है। यह स्तर उड़ान में सुपरसोनिक गति के लिए सक्षम पहला सोवियत उत्पादन विमान था। अमेरिका के पास इसका तुलनीय विमान अमेरिकी एफ-100 सुपर साबर था। हालांकि मिग-19 मुख्य रूप से उत्तरी वियतनाम मे अधिक आधुनिक मैकडोननेल डगलस एफ-4 फैंटम II और गणराज्य एफ-105 थंडरचिप का मुक़ाबला कर रहा था। .

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मिकोयान-गुरेविच मिग-23

मिकोयान-गुरेविच मिग-23 (Mikoyan-Gurevich MiG-23) (रूसी: Микоян и Гуревич МиГ-23; नाटो रिपोर्टिंग नाम: फ्लॉगर) एक चर-ज्यामिति लड़ाकू विमान है, जो कि सोवियत संघ में मिकोयान-गुरेविच डिज़ाइन ब्यूरो द्वारा डिजाइन किया गया है। यह सोवियत संघ के तीसरी पीढ़ी के जेट लड़ाकू वर्ग से संबंधित है। यह सोवियत संघ द्वारा नीचे-देखने/शूट-डाउन रडार डिजाइन करने का पहला प्रयास था। और पहला दृश्य रेंज मिसाइलों के साथ हथियारों से लैस होने वाला विमान भी। मिकोयान-गुरेविच मिग-23 का उत्पादन 1970 में शुरू हुआ और 5,000 से ज्यादा विमानों के निर्माण के साथ बड़ी संख्या में इसका उत्पादन किया गया। आज मिग-23 कुछ निर्यात ग्राहकों की सेना मे सीमित सेवा में कर रहे है।Lake 1992, pp.

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मिकोयान-गुरेविच मिग-3

मिकोयान-गुरेविच मिग-3 (Mikoyan-Gurevich MiG-3) (रूसी: Микоян и Гуревич Миг-3) द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इस्तेमाल किया गया सोवियत लड़ाकू और इंटरसेप्टर विमान था। मिग-1 के विकास और संचालन के दौरान मिली समस्याओं का समाधान करने के बाद इसे ओकेओ द्वारा बनाया गया था। इसे मिकोयान-गुरेविच मिग-1 को बदलने के लिए बनाया गया था। जिसे उस समय बड़ी मात्रा मे बनाया जा रहा था। .

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मिकोयान-गुरेविच मिग-9

मिकोयान-गुरेविच मिग-9 (Mikoyan-Gurevich MiG-9) (नाटो रिपोर्टिंग नाम: फ़ार्गो) द्वितीय विश्व युद्ध के तुरंत बाद के वर्षों में मिकोयान-गुरेविच द्वारा विकसित पहला टर्बोजेट लड़ाकू विमान था। इसमे रिवर्स इंजीनियरिंग वाला जर्मन बीएमडब्लू 003 इंजन का उपयोग किया गया था। इस जेट को पहली पीढ़ी के विमान के रूप में वर्गीकृत किया गया है। यह मामूली सफल रहा था लेकिन फायर गैस घूस के कारण ऊंची ऊंचाई पर अपनी बंदूकें फायरिंग करते समय इंजन फ्लैमाउट्स के साथ लगातार समस्याओं का सामना करना पड़ता था। प्रोटोटाइप सहित कुल 610 विमान का निर्माण किया गया था। और उन्होंने 1948 में सोवियत वायु सेना के सेवा में प्रवेश किया। कम से कम 372 को चीनी वायु सेना को 1950 में स्थानांतरित किया गया ताकि राष्ट्रवादी चीनी द्वारा हवाई छापे के खिलाफ चीनी शहरों का बचाव किया जा सके और जेट संचालन में चीनी पायलटों को प्रशिक्षित किया जा सके। .

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मिकोयान-गुरेविच मिग-१५

मिग-१५ सोवियत संघ काल मे उनके द्वारा बानाया गया मिग शृंखला का पहला युद्धक जेट विमान था। यह अत्यन्त सफल रहा और भावी विकास को प्रेरणा दी। .

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मिकोयान-गुरेविच मिग-१७

मिकोयान-गुरेविच मिग-17 (Mikoyan-Gurevich MiG-17) (नाटो रिपोर्टिंग नाम: फ्रेस्को) एक उच्च-सबसोनिक लड़ाकू विमान है जिसे 1952 से सोवियत संघ में उत्पादित किया गया था और कई रूपों में कई वायु सेना द्वारा संचालित किया गया था। यह कोरियाई युद्ध के मिग-15 के समान का एक उन्नत विकास है। मिग-17 को चीन में लाइसेंस के साथ शेनयांग जे-5 और पोलैंड मे पीजेडएल लिम-6 के रूप में बनाया गया था। मिग-17 को सबसे पहले 1998 में दूसरे ताइवान स्ट्रेट संकट में युद्ध देखा गया था। और बाद में वियतनाम युद्ध में संयुक्त राज्य के अधिक आधुनिक सुपरसोनिक लड़ाकू विमान के खिलाफ एक प्रभावी खतरा साबित हुआ। नाटो कोड के विकास से पूर्व संयुक्त राज्य वायु सेना के पदों के अनुसार इसे टाइप 38 के रूप में संक्षिप्त रूप में जाना जाता है। .

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मोरेन सौल्निएर एल

एक जेर्मन वायु सेना का पकड़ा गया मोरेन सौल्निएर एल मोरेन सौल्निएर एल एक फ्रेंच छत्र पंख, एक या दो सीट वाला प्रथम विश्व युद्ध का लड़ाकू विमान था। जब इनमे एकल मशीन गन लगाईं गयी जो की प्रोपेल्लर के चाप के माध्यम से गोलिया दागती थी, एल प्रकार के विमान कुछ पहले सफल लड़ाकू विमानों में शामिल हो गए। अपनी इस प्रभाव के वजह से इसने लड़ाकू विमानों के विकास में हथियारों की दौड़ शुरू कर दी और इस प्रकार एल तेजी से अप्रचलित भी हो गया क्यों की इससे उन्नत विमान पहले से भी तेजी से आने लगे.

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लॉकहीड मार्टिन एफ-35 लाइटनिंग II

combat aircrafts लॉकहीड_मार्टिन_एफ-35_लाइटनिंग_II लॉकहीड मार्टिन एफ-३५ लाइटनिंग २ (Lockheed Martin F-35 Lightning II) एक अकेली सीट व इंजन का पांचवी पीड़ी का विभिन् उपयोग अमेरिकी लड़ाकू विमान है जो की फिलहाल विकास में है। यह विशेष तोर पे टोह लेने, जमीन व हवा पे माँर करने व रडार को बिना दिखे दुश्मान के इलाके में जाने में सक्षम विमान के रूप में विकसित किया जा रहा है। इसके मूल रूप से ३ प्रकार होंगे.

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शियान जेएच-7

शियान जेएच-7 (Xian JH-7) नाटो रिपोर्टिंग नाम फ्लॉन्डर चीनी नौसेना और चीनी वायुसेना में सेवा कर रहा दो सीट और दो-इंजन वाला बमवर्षक लड़ाकू विमान है। इस विमान का मुख्य ठेकेदार शियान विमान उद्योग निगम हैं। पहले जेएच-7 को मूल्यांकन के लिए 1990 के दशक के मध्य में चीनी नौसेना को वितरित किया गया था। 2004 में बेहतर जेएच-7ए ने चीनी नौसेना में सेवा आरंभ कर दी। .

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शेनयांग जे-11

शेनयांग जे-11 (Shenyang J-11) नाटो रिपोर्टिंग नाम फ्लैंकर बी+ एक दो इंजन वाला जेट लड़ाकू विमान है जिसका एयरफ्रेम सोवियत-डिजाइन सुखोई एसयू-27 हवाई श्रेष्ठता लड़ाकू विमान पर आधारित है। यह वर्तमान में शेनयांग विमान निगम द्वारा निर्मित है। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी वायु सेना इस विमान का एकमात्र ऑपरेटर है। .

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शेनयांग जे-16

शेनयांग जे-16 (Shenyang J-16) एक अग्रानुक्रम सीट, दो इंजिन व सभी मौसम में काम करने वाला बहुउपयोगी लड़ाकू विमान है जिसे शेनयांग विमान निगम, चीन द्वारा डिजाइन और निर्मित किया गया है। जे-16 की पहली कुछ तस्वीरें जून 2012 के आसपास चीनी इंटरनेट वेबसाइटों पर प्रकाशित हुई थीं। अप्रैल 2014 तक, चीनी वायुसेना ने जे-16 की रेजिमेंट की डिलीवरी ली है। .

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शेनयांग जे-8

शेनयांग जे-8 (Shenyang J-8; नाटो रिपोर्टिंग नाम: फिनबैक) एक उच्च स्पीड और उच्च-ऊंचाई पर उड़ने वाला चीनी निर्मित सिंगल सीट वाला इंटरसेप्टर लड़ाकू विमान है। .

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सुखोई टी-3

सुखोई टी-3 (Sukhoi T-3) एक सोवियत लड़ाकू विमान प्रोटोटाइप था। प्रोटोटाइप पहली बार 26 मई 1956 को उड़ गया। .

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सुखोई एसयू-1

सुखोई एसयू-1 या आई-330 (Sukhoi Su-1 or I-330) द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत में सोवियत संघ द्वारा निर्मित उच्च ऊंचाई वाला लड़ाकू विमान का एक प्रोटोटाइप था। इसका बेहतर संस्करण जिसे सुखोई एसयू-3 (आई-360) के नाम से जाना जाता है, को भी उसी वर्ष निर्माण और परीक्षण किया गया था। दोनों संस्करण का बड़े पैमाने पर उत्पादन नहीं किया गया था। .

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सुखोई एसयू-24

सुखोई एसयू-24 (Sukhoi Su-24) (नाटो रिपोर्टिंग नाम: फेन्सर) सोवियत संघ में विकसित एक सुपरसोनिक, सभी मौसम मे काम करने वाला लड़ाकू विमान हैं। विमान में एक चर-स्वीप पंख, दो इंजन और उसके दो दल के लिए एक साइड-बाय-साइड बैठने की व्यवस्था है। यह सोवियत संघ का एकीकृत डिजिटल नेविगेशन/हमला प्रणाली का उपयोग करने वाला पहला विमान था। यह रूसी वायु सेना, यूक्रेनी वायु सेना और विभिन्न वायु सेना मे सेवा कर रहा है जिसमे इसे निर्यात किया गया था। .

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सुखोई एसयू-30एमकेएम

सुखोई एसयू-30एमकेएम (Sukhoi Su-30MKM) (नाटो रिपोर्टिंग नाम: फ्लैकर-एच) रॉयल मलेशियाई वायु सेना का एक सुपरमैन्युएरेबल लड़ाकू विमान है। यह सुखोई एसयू-30 लड़ाकू विमान श्रृंखला का एक प्रकार है जिसे मूल सुखोई एसयू-30 से निर्यात संस्करण के लिए महत्वपूर्ण सुधारों के साथ बनाया गई है। सुखोई एसयू-30 एमकेएम को सुखोई डिजाइन ब्यूरो द्वारा विकसित किया गया था और यह भारतीय वायु सेना के सुखोई एसयू-30एमकेआई पर आधारित है। दोनों विमानों में सामान्य एयरफ्रेम, थ्रास्ट व्क्टरिंग इंजन और डिजिटल फ़्लाई-बाय-वायर सिस्टम हैं, हालांकि एमकेएम संस्करण मुख्य रूप से विमान की संरचना के कारण एमकेआई से अलग है। यह 8,000 किग्रा/17,650 पौंड हथियार तक ले जा सकता है और 700 नॉटिकल मील से अधिक अनफ़िल्टेड लड़ाकू त्रिज्या से पेलोड ले कर जा सकता है। .

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सुखोई एसयू-30एमकेके

सुखोई एसयू-30एमकेके (Sukhoi Su-30MKK) (नाटो रिपोर्टिंग नाम: फ्लेंकर-जी) सुखोई एसयू-30 का एक संशोधन है, जिसमें सुखोई एसयू-35 संस्करण से उन्नत तकनीक शामिल की गई है।MKK stands for Russian Mnogofunktzionniy Kommercheskiy Kitayski (Cyrillic: Многофунктзионний Коммерческий Китайски), "Multifunctional Commercial for China".

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सुखोई एसयू-34

सुखोई एसयू-34 (Sukhoi Su-34) (नाटो रिपोर्टिंग का नाम: फुलबैक) एक रूसी दो इंजन वाला, दो सीट वाला, सभी मौसम मे काम करने वाला मध्यम रेंज का सुपरसोनिक बमवर्षक और स्ट्राइक लड़ाकू विमान है। यह सुखोई ब्यूरो द्वारा विकसित किया गया है। सुखोई एसयू-34 के पहले प्रोटोटाइप की 1990 मे पहली उड़ान की। और 2014 में सुखोई एसयू-34 ने रूसी वायु सेना की सेवा में प्रवेश किया। सुखोई एसयू-27 फ्लैन्कर एयर श्रेष्ठता सेनानी के आधार पर, सुखोई एसयू-34 मे दो-आदमी दल के साइड-बाय-साइड बैठने के लिए एक बख्तरबंद कॉकपिट है। सुखोई एसयू-34 मुख्य रूप से जमीन और नौसेना लक्ष्य के खिलाफ सामरिक तैनाती के लिए बनाया गया है। .

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सुखोई एसयू-5

सुखोई एसयू-5 या आई-102 (Sukhoi Su-5 or I-107) सोवियत संघ द्वारा निर्मित मिश्रित शक्ति (प्रोपेलर और मोटरजेट) वाला लड़ाकू विमान का प्रोटोटाइप था। जो द्वितीय विश्व युद्ध के अंत मे बनाया गया था। .

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सुखोई एसयू-7

सुखोई एसयू-7 (Sukhoi Su-7) (नाटो पदनाम नाम: फिटर-ए) 1955 में सोवियत संघ द्वारा विकसित एक स्वस्त्र पंख, सुपरसोनिक लड़ाकू विमान था। यह सामरिक, निम्न स्तरीय डॉफफायटर के रूप में डिजाइन किया गया था, लेकिन इस भूमिका में यह सफल नहीं हुआ। दूसरी ओर, सुखोई एसयू-7 के बाद 1960 के दशक की शुरू सुखोई एसयू-7बी श्रृंखला मुख्य सोवियत लड़ाकू-बमवर्षक और जमीन पर हमले वाला विमान बन गया। सुखोई एसयू-7 अपनी सादगी में असभ्य था, लेकिन इसकी कमियों में कम दूरी और कम हथियार लोड शामिल थे। .

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सुखोई एसयू-9 (1946)

सुखोई एसयू-9 (Sukhoi Su-9 या Samolyet K) द्वितीय विश्व युद्ध के कुछ समय बाद सोवियत संघ में बनाया गया एक जेट था। डिजाइन 1944 में शुरू हुआ और इसका उद्देश्य सोवियत डिजाइन टर्बोजेट इंजन का उपयोग करना था। इसका डिजाइन पर कब्जा किए गए जर्मन जेट का प्रभाव दिखता है। सुखोई एसयू-9 प्रतिस्पर्धी सोवियत विमान से धीमी था और जिसके परिणामस्वरूप इसे रद्द कर दिया गया था। इसका आधार पर विभिन्न इंजनों के साथ एक संशोधित संस्करण और एक संशोधित पंख सुखोई एसयू-11 बन गया। लेकिन इसका उत्पादन नहीं किया गया। .

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जेएफ-17 थंडर

जेएफ-17 थंडर (JF-17 Thunder) पाकिस्तान के एयरोनॉटिकल कॉम्प्लेक्स (पीएसी) और चीन के चेंगदू एयरक्राफ्ट कॉरपोरेशन (सीएसी) द्वारा संयुक्त रूप से विकसित एक हल्का, एकल इंजन, मल्टीरोल लड़ाकू विमान है। जेएफ-17 का इस्तेमाल हवाई जासूसी, जमीन पर हमले और विमान के अवरोधन के लिए किया जा सकता है। माना जाता है कि 2016 तक, पाकिस्तान के पास 25 जेएफ-17 प्रति वर्ष स्वयं उत्पादन करने की उत्पादन क्षमता है जिसमे 58% विमान के भाग पाकिस्तानी और 42% चीनी/रूसी मूल के होते हैं। दिसंबर 2016 तक पाकिस्तान एयरोनॉटिकल कॉम्प्लेक्स ने पाकिस्तान वायुसेना के ब्लॉक 1 प्रकार के उपयोग के लिए देश में 70 जेट्स और ब्लॉक 2 प्रकार के 33 जेट्स निर्मित किए हैं। .

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वायुसेना

एक वायुसेनिक अड्डा, चित्र में उड़नपट्टी पे गोर करे वायुसेना एक राष्ट्र की सैन्य संगठन की एक शाखा होती है जिसका मुख्य कार्य उस देश की वायु सुरक्षा, वायु चौकसी एव जरूरत होने पर वायु युद्ध करना होता है। इस सेन्य संगठन की संरचना थलसेना, नौसेना या अन्य शाखाओं से अलग और स्वतंत्र होती है। आमतौर पर वायुसेना अपना कर्तव्य पालन करने के लिए वायु नियंत्रण करती है जिसमे की दुश्मन सेना के विमान विशेष तोर पर लड़ाकू विमानों को नष्ट करना, शत्रु पर बमबारी और सतेही सेना को सामरिक सहायता प्रदान करना होता है। वायुसेना कई प्रकार के साजो सामान काम में लेती है व जिसमे विभिन्न प्रकार के हथियार व विमान शामिल होते है। किसी भी वायुसेना के बेड़े में कई प्रकार के लड़ाकू, बम डोही, टोही, तेल टेंकर व सेन्य परिवहन विमान शामिल हो सकते है। सुखोई एसयु-३० एमकेआई लड़ाकू विमान .

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२०१६ पठानकोट हमले

2 जनवरी 2016 को तड़के सुबह 3:30 बजे पंजाब के पठानकोट में पठानकोट वायु सेना स्टेशन पर भारी मात्रा में असलहा बारूद से लैस आतंकवादियों ने आक्रमण कर दिया। संभवत: जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों से मुठभेड़ में 2 जवान शहीद हो गये जबकि 3 अन्य घायल सिपाहियों ने अस्पताल में दम तोड़ दिया। सभी आतंकवादी भी मारे गये। हालांकि किसी संभावित बचे हुए आतंकी के छुपे होने की स्थित में खोज अभियान 5 जनवरी को भी चल रहा था। .

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