राष्ट्रीय अंटार्कटिक एवं समुद्री अनुसंधान केंद्र (National Centre for Antarctic & Ocean Research / एनसीएओआर) भारतीय ध्रुवीय (आर्कटिक, अंटार्कटिक और दक्षिणी महासागर) कार्यक्रम को समन्वित करने और लागू करने वाली केंद्रीय एजेंसी है। भारत में यह एकमात्र ऐसा संस्थान है जिसके पास ध्रुवीय प्रदेशों से हिमखंड के संग्रहण और प्रसंस्करण की क्षमता है। अब तक भारत सफलतापूर्वक अंटार्कटिका के लिए 30 वैज्ञानिक अभियानों और आर्कटिक तथा दक्षिणी महासागर प्रत्येक के लिए पांच अभियानों को प्रारंभ कर चुका है। एनसीएओआर की स्थापना २५ मई, १९९८ में डॉ॰ प्रेम चंद पाण्डेय के निदेशक पद पर बने रहते हुए हुई थी जबकि पूर्व में इसे अंटार्कटिक अध्ययन केंद्र के नाम से जाना जाता था जिसकी नीव डॉ॰ प्रेम चंद पाण्डेय की नियुक्ति के साथ १२ मई, १९९७ पडी और इस प्रकार इसका अस्तित्व १२ मई, १९९७ से माना जा सकता है। वर्ष 2010-11 में, एनसीएओआर ने दक्षिण ध्रुव के लिए सर्वप्रथम भारतीय अभियान की शुरुआत की। अंटार्कटिका में 'मैत्री' के अलावा भारत के पास अब आर्कटिक में अनुसंधान बेस 'हिमाद्रि' है। पूर्वी अंटार्कटिका में नवीन अनुसंधान बेस 'भारती' के निर्माण का प्रथम चरण पूरा हो चुका है और संभावना है कि 2012-13 में स्टेशन को अधिकृत कर दिया जाएगा। बर्फ तोड़ने वाले एक नए ध्रुवीय अनुसंधान पोत के अधिग्रहण की प्रक्रिया उन्नत चरण में है। .
डॉ॰ प्रेम चंद पाण्डेय भारतीय वैज्ञानिक और शिक्षाविद हैं। वे राष्ट्रीय अंटार्कटिक एवं समुद्री अनुसंधान केंद्र के संस्थापक निदेशक है और वर्तमान में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर में आचार्य के पद पर कार्यरत हैं। पाण्डेय भारतीय विज्ञान के सर्वोच्च पुरस्कार, शांतिस्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित हैं। उन्होने सुदूर संवेदन, उपग्रह महासागरीय विज्ञान, वायुमण्डलीय विज्ञान, अंटार्कटिक और जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में कार्य किया है। .