8 संबंधों: प्राण सुख यादव, यादव, राव रूड़ा सिंह, रेवाडी शहर, हरियाणा का इतिहास, अफरइया, अहीरवाल, ९ दिसम्बर।
प्राण सुख यादव
प्राण सुख यादव (1802–1888) एक सेना नायक, 1857 की क्रांति में भागीदार क्रांतिकारी तथा सिख कमांडर हरी सिंह नलवा के मित्र थे। अपने पूर्व के समय में वह सिख खालसा सेना व फ्रेंच आर्म्स की तरफ से लड़ते थे। महाराजा रणजीत सिंह के निधन के बाद उन्होने प्रथम व द्वितीय ब्रिटिश-सिख संघर्ष में भागीदारी निभाई।.
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यादव
यादव (अर्थ- महाराज यदु के वंशज)) प्राचीन भारत के वह लोग जो पौराणिक नरेश यदु के वंशज होने का दावा करते रहे हैं। यादव वंश प्रमुख रूप से आभीर (वर्तमान अहीर), अंधक, व्रष्णि तथा सत्वत नामक समुदायों से मिलकर बना था, जो कि भगवान कृष्ण के उपासक थे। यह लोग प्राचीन भारतीय साहित्य मे यदुवंश के प्रमुख अंगों के रूप मे वर्णित है।Thapar, Romila (1978, reprint 1996). Ancient Indian Social History: Some Interpretations, नई दिल्ली: Orient Longman, ISBN 978-81-250-0808-8, p.223 प्राचीन, मध्यकालीन व आधुनिक भारत की कई जातियाँ तथा राज वंश स्वयं को यदु का वंशज बताते है और यादव नाम से जाने जाते है। .
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राव रूड़ा सिंह
एक जंगली इलाके की जागीर को तिजारा के कुलीन अहीर शासक राव रुडा सिंह ने रेवाड़ी राज्य के रूप मे स्थापित किया था। यह जागीर उन्हें मुगल शासक हुमायूँ को मेधावी सैन्य सेवाओं के बदले में वर्ष 1555 में प्राप्त हुयी थी। राव रुडा सिंह ने रेवाड़ी से 12 किलोमीटर दूर दक्षिण पूर्व म स्थित एक छोटे से गाँव बोलनी को अपना मुख्यालय बनाया। उन्होने जंगलों की सफाई करवा के कई नए गाँव स्थापित किए थे। Man Singh, Abhirkuladipika Urdu (1900) Delhi, p.105 .
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रेवाडी शहर
रेवाड़ी भारत के हरियाणा प्रान्त के समनामक रेवाड़ी जिले का प्रशासकीय केंद्र है। .
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हरियाणा का इतिहास
हालाँकि हरियाणा अब पंजाब का एक हिस्सा नहीं है पर यह एक लंबे समय तक ब्रिटिश भारत में पंजाब प्रान्त का एक भाग रहा है और इसके इतिहास में इसकी एक महत्वपूर्ण भूमिका है। हरियाणा के बानावाली और राखीगढ़ी, जो अब हिसार में हैं, सिंधु घाटी सभ्यता का हिस्सा रहे हैं, जो कि ५,००० साल से भी पुराने हैं। .
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अफरइया
अफरइया (अफरिया) (अन्य उच्चारण- अफ़्फरिया, फरिया या फरइया) यदुवंशी अहीर जाति का एक कुल (गोत्र) है। राजपूताना गजेटियर के अनुसार रेवाड़ी के अफरिया अहीर जाति के यदु वंश से हैं। रेवाड़ी राज्य पर अफरिया कुल ने ही शासन किया है। रेवाड़ी के राजा राव नंदराम इसी गोत्र के थे। .
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अहीरवाल
अहीरवाल एक ऐसा क्षेत्र है जो दक्षिणी हरियाणा और उत्तर-पूर्वी राजस्थान के हिस्सों में फैला हुआ है, जो भारत के वर्तमान राज्य हैं। यह क्षेत्र एक बार रेवाडी के शहर से नियंत्रित रियासत थी और मुगल साम्राज्य के पतन के समय से अहीर समुदाय के सदस्यों द्वारा नियंत्रित था। नाम "अहीर की भूमि" के रूप में अनुवादित है। जेई श्वार्ट्ज़बर्ग ने इसे "लोक क्षेत्र" और लुसिया माइकलुट्टी को "सांस्कृतिक-भौगोलिक क्षेत्र" के रूप में वर्णित किया है।..
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९ दिसम्बर
9 दिसंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 343वॉ (लीप वर्ष मे 344 वॉ) दिन है। साल में अभी और 22 दिन बाकी है। .
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