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रायचूर

सूची रायचूर

रायचूर कर्नाटक प्रान्त का एक शहर है। श्रेणी:कर्नाटक श्रेणी:कर्नाटक के शहर.

14 संबंधों: चौदहवीं लोकसभा, डॉ शरण शिवराज पाटिल, पंडित नरसिंहलु वडवाटि, पक्कीरप्पा एस., बयालुसीमा, भारत में पर्यटन, भारत के शहरों की सूची, भारत के सर्वाधिक जनसंख्या वाले शहरों की सूची, भीमाशंकर मंदिर, सत्यात्म तीर्थ, जयसिंह द्वितीय (पश्चिमी चालुक्य), ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे, कर्नाटक, कर्नाटक/आलेख

चौदहवीं लोकसभा

भारत में चौदहवीं लोकसभा का गठन अप्रैल-मई 2004 में होनेवाले आमचुनावोंके बाद हुआ था। .

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डॉ शरण शिवराज पाटिल

शरण शिवराज पाटिल भारत के एक मानवातावादी और ऑर्थोपेडिक सर्जन हैं। .

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पंडित नरसिंहलु वडवाटि

पंडित नरसिम्हलु वडवाटि (जन्म २१ जनवरी, १९४२) एक प्रसिद्ध क्लारियोनेट संगीतज्ञ हैं।इनके जन्मदिवस २१ जनवरी को भारत में कलाकार दिवस के रूप में मनाया जाता है। .

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पक्कीरप्पा एस.

पक्कीरप्पा एस.

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बयालुसीमा

बयालुसीमा(कन्नड़ ಬಯಲುಸೀಮೆ) दक्षिण भारत के कर्नाटक राज्य के मालनाड क्षेत्र के पूर्वी ओर के क्षेत्र को कहा जाता है। यह फैला हुआ खुला मैदानी क्षेत्र है जिसमें कुछ टीले मिल जाते हैं। इसमें धारवाड़, बेलगाम, गडग, हवेरी, बीजापुर, बागलकोट, गुलबर्ग, रायचूर, कोप्पल, बेल्लारी, चित्र दुर्ग, देवनगिरी, तुमकुर, हस्सन और मांड्या जिले आते हैं। यह नाम संभवतः कन्नड़ भाषा से व्युत्पन्न है, जिसका अर्थ है समतल भूमि या खुली भूमि, क्योंकि यहां से पड़ोसी क्षेत्रों का निर्बाध दृश्य सुलभ होता है। इसी कारण से इसे कई बार मैदान भी कहा जाता है। बयालसीमा की स्थिति दक्खिन पठार में मालनाड क्षेत्र के पूर्वी ओर पश्चिमी घाट के पूर्वी छोर पर है। बयालुसीमा के खानपान, बोलियां और शैलियाम भिन्न स्थानों पर बदलते रहते हैं। बयालसीमा की स्थिति दक्खिन पठार में मालनाड क्षेत्र के पूर्वी ओर पश्चिमी घाट के पूर्वी छोर पर है। श्रेणी:कर्नाटक के क्षेत्र.

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भारत में पर्यटन

हर साल, 3 मिलियन से अधिक पर्यटक आगरा में ताज महल देखने आते हैं। भारत में पर्यटन सबसे बड़ा सेवा उद्योग है, जहां इसका राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 6.23% और भारत के कुल रोज़गार में 8.78% योगदान है। भारत में वार्षिक तौर पर 5 मिलियन विदेशी पर्यटकों का आगमन और 562 मिलियन घरेलू पर्यटकों द्वारा भ्रमण परिलक्षित होता है। 2008 में भारत के पर्यटन उद्योग ने लगभग US$100 बिलियन जनित किया और 2018 तक 9.4% की वार्षिक वृद्धि दर के साथ, इसके US$275.5 बिलियन तक बढ़ने की उम्मीद है। भारत में पर्यटन के विकास और उसे बढ़ावा देने के लिए पर्यटन मंत्रालय नोडल एजेंसी है और "अतुल्य भारत" अभियान की देख-रेख करता है। विश्व यात्रा और पर्यटन परिषद के अनुसार, भारत, सर्वाधिक 10 वर्षीय विकास क्षमता के साथ, 2009-2018 से पर्यटन का आकर्षण केंद्र बन जाएगा.

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भारत के शहरों की सूची

कोई विवरण नहीं।

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भारत के सर्वाधिक जनसंख्या वाले शहरों की सूची

यह सूचियों भारत के सबसे बड़े शहरों पर है। .

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भीमाशंकर मंदिर

भीमाशंकर मंदिर भोरगिरि गांव खेड़ से 50 कि.मि.

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सत्यात्म तीर्थ

श्री Satyatma तीर्थ के माध्यम से, Uttaradi गणित, प्रोत्साहित किया, जल संरक्षण और प्रबंधन विशेषज्ञ, डांडी के भारत और रेमन मैगसेसे पुरस्कार विजेता राजेंद्र सिंह को देने के लिए व्याख्यान पर जल संरक्षण और अन्य विषयों.

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जयसिंह द्वितीय (पश्चिमी चालुक्य)

जय सिंह द्वितीय से भ्रमित न हों। जयसिंह भी देखें। ---- पुरानी कन्नड में जयसिंह द्वितीय का एक अभिलेख जयसिंह द्वितीय (1015 - 1042), पश्चिमी भारत में प्रतीच्य चालुक्य राजवंश का राजा था। उसने "जगदेकमल्ल" की पदवी धारण की थी, इसलिए उसे जगदेकमल्ल प्रथम के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा उसे 'मल्लिकामोद' के नाम से भी जानते हैं। कल्याणि के चालुक्य घराने में विक्रमादित्य पंचम की मृत्यु के एक वर्ष के भीतर ही उसके दो छोटे भाई सिंहासन पर बैठे- अय्यन और उसके बाद जयसिंह द्वितीय। जयसिंह के विरुदों (पदवी) में 'जगदेकमल्ल' भी है और वह "जगदेकमल्ल प्रथम" के नाम से भी प्रसिद्ध है। जयसिंह का नाम सिंगदेव भी था और 'त्रैलोक्यमल्ल', 'मल्लिकामोद' और 'विक्रमसिंह' उसके दूसरे विरुद थे। जयसिंह द्वितीय का राज्यकाल सन् १०१५ से १०४३ ई. तक था। जयसिंह के राज्यकाल के पूर्वार्ध में अनेक युद्ध हुए। भोज परमार ने आक्रमण कर उत्तरी कोंकण की विजय कर ली थी और वह कोल्हापुर तक पहुँच गया था। उत्तर में उसकी दिग्विजय की योजनाएँ थी किन्तु उनके विषय में स्पष्टतः कुछ ज्ञात नहीं है। इन युद्धों में उसकी सफलता उसके सेनापति चावनरस, चट्टुग कदंब और कुंदमरस के कारण हुई थी। राजेन्द्र चोल प्रथम की व्यस्तता से लाभ उठाकर जयसिंह ने सत्याश्रय के समय चालुक्यों के विजित प्रदेशों को चोलों से फिर से लेने के लिए और वेंगि के सिंहासन पर चोल राजकन्या की संतान राजराज के स्थान पर अपने व्यक्ति को आसीन कराने का प्रयत्न किया। इन युद्धों में भी जयसिंह को अपने सेनापतियों के कारण प्रारंभ में सफलता प्राप्त हुई। उसने रायचूर द्वाब पर अधिकार कर लिया और उसकी सेना तुंगभद्रा पार करती हुई बेल्लारि और संभवत: गंगवाडि तक पहुँच तक गई थी। दूसरी ओर वेंगि में बेजवाड़ा पर उसकी सेना ने अधिकार कर लिया और राजराज दो-तीन वर्ष तक वेंगि के सिंहासन पर न बैठ सका। किंतु शीघ्र ही राजेंद्र चोल ने दोनों ही क्षेत्रों में विजय प्राप्त की। १०२२ ई. में राजराज का वेंगि के सिंहासन के लिये अभिषेक हुआ। दूसरी ओर राजेन्द्र की विजय करती हुई सेना का जयसिंह की सेना के साथ १०२०-२१ ई. में मुशंगि (मस्की) में घमासान युद्ध हुआ। विजय यद्यपि राजेंद्र की हुई और जयसिंह को युद्ध से भागना पड़ा किंतु शीघ्र ही दोनों राज्य की सीमा तुंगभद्रा बनी। जयसिंह के शासन के अंतिम २० वर्षों में उल्लेखनीय युद्ध नहीं हुआ। अभिलेखों से इस काल की शांत स्थिति का ज्ञान होता है। ऐसे तो कल्याणी, चालुक्य राज्य की राजधानी बन गई थी किंतु मान्यखेट का महत्व बना रहा। इसके अतिरिक्त कई उपराजधानियों के भी उल्लेख मिलते हैं यथा, एतगिरि, कोल्लिपाके होट्टलकेरे तथा घट्टदकेरे। उसके अधीन शासन करनेवाले कुछ सामंतों के नाम हैं, कुंदमरस, सत्याश्रय, षष्ठदेव कदंब, जगदेकमल्ल, नोलंब-पल्लव उदयादित्य, खेरस हैहय और नागादित्य सिंद। उसकी बहिन अक्कादेवी अपने पति मयूरवर्मन् के साथ बवासि, वेल्बोल और पुलिणेर पर राज्य करती थी। उसकी दो रानियों के नाम मालूम हैं- सुग्गलदेवी जिसके बारे में अनुश्रुति है कि उसने अपने जैन पति को शैव बनाया, और दूसरी नोलंब राजकुमारी देवलदेवी। उसकी पुत्री हंमा अथवा आवल्लदेवी का विवाह भिल्लम तृतीय से से हुआ था। जयसिंह के सोने के सिक्के दो शैलियों में मिलते हैं। उसके अभिलेख उस काल की शासन-व्यवस्था के ज्ञान के लिये महत्वपूर्ण हैं। एक अभिलेख में उल्लेख है कि उसने धर्मबोलल के सोलह सेट्टियों को छत्र, चामर और शासन देकर सम्मानित किया। पार्श्वनाथचरित और यशोधर चरित्र के रचयिता जैन विद्वान् वादिराज इसी के दरबार में थे। इनके मंत्री दुर्गसिंह ने कन्नड में पंचतंत्र नाम के चंपू की रचना की थी। श्रेणी: भारत का इतिहास श्रेणी: दक्षिण भारत का इतिहास.

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ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे

1870 में ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे की सीमायें ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे (हिन्दी अनुवाद: विशाल भारतीय प्रायद्वीप रेल), जिसे वर्तमान में भारतीय मध्य रेल के नाम से जाना जाता है और जिसका मुख्यालय बंबई (अब मुंबई) के बोरी बंदर (बाद में, विक्टोरिया टर्मिनस और वर्तमान में छत्रपति शिवाजी टर्मिनस) में था। ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे का गठन 1 अगस्त 1849 को ब्रिटिश संसद के एक अधिनियम द्वारा, 50,000 पाउंड की शेयर पूंजी के साथ किया गया था। 17 अगस्त 1849 को इसने ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ एक 56 किमी लंबी प्रयोगात्मक लाइन के निर्माण और संचालन के लिए एक औपचारिक अनुबंध किया, जिसके अंतर्गत बंबई को खानदेश, बेरार तथा अन्य प्रेसीडेंसियों के साथ जोड़ने के लिए एक ट्रंक लाइन बिछाई जानी थी। इस काम के लिए ईस्ट इंडिया कंपनी के निदेशक न्यायालय ने जेम्स जे बर्कली को मुख्य आवासीय अभियंता तथा उनके सहायकों के रूप में सी बी कार और आर डब्ल्यू ग्राहम को नियुक्त किया। 1 जुलाई 1925 को इसके प्रबंधन को सरकार ने अपने हाथों में ले लिया। 5 नवम्बर 1951 को इसे मध्य रेल के रूप में निगमित किया गया। .

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कर्नाटक

कर्नाटक, जिसे कर्णाटक भी कहते हैं, दक्षिण भारत का एक राज्य है। इस राज्य का गठन १ नवंबर, १९५६ को राज्य पुनर्गठन अधिनियम के अधीन किया गया था। पहले यह मैसूर राज्य कहलाता था। १९७३ में पुनर्नामकरण कर इसका नाम कर्नाटक कर दिया गया। इसकी सीमाएं पश्चिम में अरब सागर, उत्तर पश्चिम में गोआ, उत्तर में महाराष्ट्र, पूर्व में आंध्र प्रदेश, दक्षिण-पूर्व में तमिल नाडु एवं दक्षिण में केरल से लगती हैं। इसका कुल क्षेत्रफल ७४,१२२ वर्ग मील (१,९१,९७६ कि॰मी॰²) है, जो भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का ५.८३% है। २९ जिलों के साथ यह राज्य आठवां सबसे बड़ा राज्य है। राज्य की आधिकारिक और सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है कन्नड़। कर्नाटक शब्द के उद्गम के कई व्याख्याओं में से सर्वाधिक स्वीकृत व्याख्या यह है कि कर्नाटक शब्द का उद्गम कन्नड़ शब्द करु, अर्थात काली या ऊंची और नाडु अर्थात भूमि या प्रदेश या क्षेत्र से आया है, जिसके संयोजन करुनाडु का पूरा अर्थ हुआ काली भूमि या ऊंचा प्रदेश। काला शब्द यहां के बयालुसीम क्षेत्र की काली मिट्टी से आया है और ऊंचा यानि दक्कन के पठारी भूमि से आया है। ब्रिटिश राज में यहां के लिये कार्नेटिक शब्द का प्रयोग किया जाता था, जो कृष्णा नदी के दक्षिणी ओर की प्रायद्वीपीय भूमि के लिये प्रयुक्त है और मूलतः कर्नाटक शब्द का अपभ्रंश है। प्राचीन एवं मध्यकालीन इतिहास देखें तो कर्नाटक क्षेत्र कई बड़े शक्तिशाली साम्राज्यों का क्षेत्र रहा है। इन साम्राज्यों के दरबारों के विचारक, दार्शनिक और भाट व कवियों के सामाजिक, साहित्यिक व धार्मिक संरक्षण में आज का कर्नाटक उपजा है। भारतीय शास्त्रीय संगीत के दोनों ही रूपों, कर्नाटक संगीत और हिन्दुस्तानी संगीत को इस राज्य का महत्त्वपूर्ण योगदान मिला है। आधुनिक युग के कन्नड़ लेखकों को सर्वाधिक ज्ञानपीठ सम्मान मिले हैं। राज्य की राजधानी बंगलुरु शहर है, जो भारत में हो रही त्वरित आर्थिक एवं प्रौद्योगिकी का अग्रणी योगदानकर्त्ता है। .

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कर्नाटक/आलेख

कर्नाटक (उच्चारण), जिसे कर्णाटक भी कहते हैं, दक्षिण भारत का एक राज्य है। इस राज्य का सृजन १ नवंबर, १९५६ को राज्य पुनर्संगठन अधिनियम के अधीन किया गया था। मूलतः यह मैसूर राज्य कहलाता था और १९७३ में इसे पुनर्नामकरण कर कर्नाटक नाम मिला था। कर्नाटक की सीमाएं पश्चिम में अरब सागर, उत्तर पश्चिम में गोआ, उत्तर में महाराष्ट्र, पूर्व में आंध्र प्रदेश, दक्षिण-पूर्व में तमिल नाडु एवं दक्षिण में केरल से लगती हैं। राज्य का कुल क्षेत्रफल ७४,१२२ वर्ग मील (१,९१,९७६ कि॰मी॰²) है, जो भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का ५.८३% है। यह राज्य आठवां सबसे बड़ा राज्य है और इसमें २९ जिले हैं। राज्य की आधिकारिक और सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है कन्नड़। हालांकि कर्नाटक शब्द के उद्गम के कई सन्दर्भ हैं, फिर भी उनमें से सर्वाधिक स्वीकार्य तथ्य है कि कर्नाटक शब्द का उद्गम कन्नड़ शब्द करु, अर्थात काली या ऊंची और नाडु अर्थात भूमि या प्रदेश या क्षेत्र से आया है, जिसके संयोजन करुनाडु का पूरा अर्थ हुआ काली भूमि या ऊंचा प्रदेश। काला शब्द यहां के बयालुसीम क्षेत्र की काली मिट्टी से आया है और ऊंचा यानि दक्खन के पठारी भूमि से आया है। ब्रिटिश राज में यहां के लिये कार्नेटिक शब्द प्रयोग किया गया है, जो कृष्णा नदी के दक्षिणी ओर की प्रायद्वीपीय भूमि के लिये प्रयोग किया गया है और कर्नाटक शब्द का अपभ्रंश है। प्राचीन एवं मध्यकालीन इतिहास देखें तो कर्नाटक क्षेत्र कई बड़े शक्तिशाली साम्राज्यों का क्षेत्र रहा है। इन याज्यों के दरबारों के विचारक, दार्शनिक और भाट व कवियों के सामाजिक, साहित्यिक व धार्मिक संरक्षण में आज का कर्नाटक उपजा है। भारतीय शास्त्रीय संगीत के दोनों ही रूपों, कर्नाटक संगीत और हिन्दुस्तानी संगीत को इस राज्य का महत्त्वपूर्ण योगदान मिला है। आधुनिक युग के कन्नड़ लेखकों को सर्वाधिक ज्ञानपीठ सम्मान मिले हैं। राज्य की राजधानी बंगलुरु शहर है, जो भारत में हो रही त्वरित आर्थिक एवं प्रौद्योगिकी का अग्रणी योगदानकर्त्ता है। .

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