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2 संबंधों: बाजपेयी, इलाहाबाद विश्वविद्यालय।
बाजपेयी
"बाजपेयी" या "वाजपेयी" विशेष रूप से उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश का एक प्रमुख उत्तर भारतीय ब्राह्मण उपनाम है| यह ब्राह्मणों के कान्यकुब्ज उपवर्ग में अवस्थी, दीक्षित,, त्रिपाठी, अग्निहोत्री आदि उपनामों के साथ आता है| बाजपेयी व्यापक रूप से वाजपेयी के पर्याय समझा जाता उपनाम| बाजपेयी या वाजपेयी वो हैं जो वाजपेय यज्ञ करते हैं (यज्ञ)| वाजपेय यज्ञ का विशिष्ट धार्मिक एवं वैदिक महत्व है| यह सोमा यज्ञों का सबसे महत्वपूर्ण है| यज्ञ आमतौर पर उच्च स्तर और बड़े पैमाने पर किया जाता है| भारतीय इतिहास के अध्ययन से पता चलता है कि सवाई जय सिंह ने कम से कम दो यज्ञ प्रदर्शन किये जो कि वैदिक साहित्य में "वाजपेय" तथा "अश्वमेध" नामों से वर्णित हैं| 'ईश्वरविलाश महाकाव्य' के अनुसार 'जय सिंह प्रथम वाजपेय यज्ञ किया और "सम्राट" सम्राट उपाधि धारण की| आधुनिक भारत में बाजपेयी लोगों ने अभिनय शिक्षा, साहित्य, कूटनीति, राजनीति में महत्वपूर्ण सम्मान अर्जित किया है| दुनिया भर में बाजपेयी एक ही गोत्र, "उपमन्यु" से है और इसी नाम से एक ऋषि के वंशज माने जाते है| एक ही गोत्र के होने के कारण ये आपस में भाई और बहन माने जाते हैं और इनका आपस में विवाह नहीं किया जा सकता| .
देखें राजेंद्र कुमारी बाजपेयी और बाजपेयी
इलाहाबाद विश्वविद्यालय
इलाहाबाद विश्वविद्यालय भारत का एक प्रमुख विश्वविद्यालय है। यह एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय है। यह आधुनिक भारत के सबसे पहले विश्वविद्यालयों में से एक है। इसे 'पूर्व के आक्सफोर्ड' नाम से जाना जाता है। इसकी स्थापना सन् 1887 ई को एल्फ्रेड लायर की प्रेरणा से हुयी थी। इस विश्वविद्यालय का नक्शा प्रसिद्ध अंग्रेज वास्तुविद इमरसन ने बनाया था। १८६६ में इलाहाबाद में म्योर कॉलेज की स्थापना हुई जो आगे चलकर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के रूप में विकसित हुआ। आज भी यह इलाहाबाद विश्वविद्यालय का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। म्योर कॉलेज का नाम तत्कालीन संयुक्त प्रांत के गवर्नर विलियम म्योर के नाम पर पड़ा। उन्होंने २४ मई १८६७ को इलाहाबाद में एक स्वतंत्र महाविद्यालय तथा एक विश्वविद्यालय के निर्माण की इच्छा प्रकट की थी। १८६९ में योजना बनी। उसके बाद इस काम के लिए एक शुरुआती कमेटी बना दी गई जिसके अवैतनिक सचिव प्यारे मोहन बनर्जी बने। ९ दिसम्बर १८७३ को म्योर कॉलेज की आधारशिला टामस जार्ज बैरिंग बैरन नार्थब्रेक ऑफ स्टेटस सीएमएसआई द्वारा रखी गई। ये वायसराय तथा भारत के गवर्नर जनरल थे। म्योर सेंट्रल कॉलेज का आकल्पन डब्ल्यू एमर्सन द्वारा किया गया था और ऐसी आशा थी कि कॉलेज की इमारतें मार्च १८७५ तक बनकर तैयार हो जाएँगी। लेकिन इसे पूरा होने में पूरे बारह वर्ष लग गए। १८८८ अप्रैल तक कॉलेज के सेंट्रल ब्लॉक के बनाने में ८,८९,६२७ रुपए खर्च हो चुके थे। इसका औपचारिक उद्घाटन ८ अप्रैल १८८६ को वायसराय लार्ड डफरिन ने किया। २३ सितंबर १८८७ को एक्ट XVII पास हुआ और कलकत्ता, बंबई तथा मद्रास विश्वविद्यालयों के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय उपाधि प्रदान करने वाला भारत का चौथा विश्वविद्यालय बन गया। इसकी प्रथम प्रवेश परीक्षा मार्च १८८९ में हुई। .
देखें राजेंद्र कुमारी बाजपेयी और इलाहाबाद विश्वविद्यालय
राजेन्द्र कुमारी वाजपेयी, राजेन्द्र कुमारी वाजपेयी के रूप में भी जाना जाता है।