13 संबंधों: डेहरी आन सोन, प्रवीर, पृथ्वीराज चौहान, मन्वन्तर, मार्कण्डेय पुराण, राजा हरिश्चन्द्र (फ़िल्म), रोहतास दुर्ग, रोहित (नाम), शनि (ज्योतिष), सत्य हरिश्चन्द्र, सुखदेव(राजा), हिन्दी सिनेमा, कछवाहा।
डेहरी आन सोन
डेहरी आन सोन (स्थिति: 240 55' उ0 अ0 तथा 840 11' पू0 दे0) बिहार के शाहाबाद जिले का एक छोटा सा सुंदर कस्बा है। यह सोन नदी के बाएँ किनारे पर ग्रैंड ट्रंक रोड पर बसा हुआ है। यहाँ यातायात की भरमार और सरकारी कार्यालयों की बहुलता है। व्यापारिक और औद्योगिक क्षेत्र होने से यह नगर सा जान पड़ता है। यहाँ सोन नदी पर बाँध बाँधकर नहरें निकाली गई हैं। नहरों के कारण स्थान की रमणीयता बढ़ गई है। जहाँ से नहर निकाली है उसके पास ही 'अपलैंड पार्क' नामक एक सुंदर उद्यान लगा है। यहाँ वर्ष में दो उल्लेखनीय मेले लगते हैं - एक माघ संक्रांति के अवसर पर, दूसरा कार्तिक में छठ के अवसर पर। छठवाला मेला कुछ घंटों के लिए ही लगता है पर 15-20 मीलों से स्त्री-पुरुष, बच्चे बूढ़े, रंग बिरंगी पोशाक पहनकर हजारों की संख्या में एकत्र होते हैं। डिहरी-ऑन-सोन स्वास्थ्यकर स्थान है, यहाँ जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक दृश्यों की छटा देखने के लिए हजारों व्यक्ति प्रतिवर्ष, विशेषत: अक्टूबर से मार्च के बीच, आते हैं। रोहतासगढ़ का किला डिहरी-ऑन-सोन की प्रसिद्धि उत्तर में बसे डालमियानगर के कारण बढ़ गयी है। डालमियानगर में चीनी, कागज, सीमेंट, वनस्पति घी, दाहक सोडा आदि के निर्माण के कारखाने हैं, जिनमें हजारों व्यक्ति काम करते हैं। इनकी सुविधा के लिए अनेक वासस्थान, क्वार्टर, अस्पताल, स्कूल, खेल के मैदान आदि बने हैं। यहाँ से लगभग 12 मील पश्चिम में ससराम नामक स्थान है, जहाँ शेरशाह का मकबरा स्थित है। इसके 30 मील दक्षिण में सोन नदी के बहाव पर पहाड़ी पर स्थित रोहतास गढ़ का प्राचीन और मजबूत किला है। ऐसा कहा जाता है कि राजा सत्य हरिश्चंद्र के पुत्र रोहिताश्व ने इसे बनवाया था। यह बहुत दिनों तक हिन्दू राजाओं के अधिकार में रहा किंतु 16वीं सदी में मुसलमानों के अधिकार में चला गया और अनेक वर्षों तक उनके अधीन रहा। .
नई!!: राजा हरिश्चन्द्र और डेहरी आन सोन · और देखें »
प्रवीर
वीरबाहु नामक काशी का चाँडाल जिसने सत्यवादी हरिश्चंद्र को क्रय किया था। प्राचीन वंशावली श्रेणी:पौरवकुल श्रेणी:प्राचीन पौराणिक राजवंश.
नई!!: राजा हरिश्चन्द्र और प्रवीर · और देखें »
पृथ्वीराज चौहान
पृथ्वीराज चौहान (भारतेश्वरः पृथ्वीराजः, Prithviraj Chavhan) (सन् 1178-1192) चौहान वंश के हिंदू क्षत्रिय राजा थे, जो उत्तर भारत में १२ वीं सदी के उत्तरार्ध में अजमेर (अजयमेरु) और दिल्ली पर राज्य करते थे। वे भारतेश्वर, पृथ्वीराजतृतीय, हिन्दूसम्राट्, सपादलक्षेश्वर, राय पिथौरा इत्यादि नाम से प्रसिद्ध हैं। भारत के अन्तिम हिन्दूराजा के रूप में प्रसिद्ध पृथ्वीराज १२३५ विक्रम संवत्सर में पंद्रह वर्ष (१५) की आयु में राज्य सिंहासन पर आरूढ हुए। पृथ्वीराज की तेरह रानीयाँ थी। उन में से संयोगिता प्रसिद्धतम मानी जाती है। पृथ्वीराज ने दिग्विजय अभियान में ११७७ वर्ष में भादानक देशीय को, ११८२ वर्ष में जेजाकभुक्ति शासक को और ११८३ वर्ष में चालुक्य वंशीय शासक को पराजित किया। इन्हीं वर्षों में भारत के उत्तरभाग में घोरी (ग़ोरी) नामक गौमांस भक्षण करने वाला योद्धा अपने शासन और धर्म के विस्तार की कामना से अनेक जनपदों को छल से या बल से पराजित कर रहा था। उसकी शासन विस्तार की और धर्म विस्तार की नीत के फलस्वरूप ११७५ वर्ष से पृथ्वीराज का घोरी के साथ सङ्घर्ष आरंभ हुआ। उसके पश्चात् अनेक लघु और मध्यम युद्ध पृथ्वीराज के और घोरी के मध्य हुए।विभिन्न ग्रन्थों में जो युद्ध सङ्ख्याएं मिलती है, वे सङ्ख्या ७, १७, २१ और २८ हैं। सभी युद्धों में पृथ्वीराज ने घोरी को बन्दी बनाया और उसको छोड़ दिया। परन्तु अन्तिम बार नरायन के द्वितीय युद्ध में पृथ्वीराज की पराजय के पश्चात् घोरी ने पृथ्वीराज को बन्दी बनाया और कुछ दिनों तक 'इस्लाम्'-धर्म का अङ्गीकार करवाने का प्रयास करता रहा। उस प्रयोस में पृथ्वीराज को शारीरक पीडाएँ दी गई। शरीरिक यातना देने के समय घोरी ने पृथ्वीराज को अन्धा कर दिया। अन्ध पृथ्वीराज ने शब्दवेध बाण से घोरी की हत्या करके अपनी पराजय का प्रतिशोध लेना चाहा। परन्तु देशद्रोह के कारण उनकी वो योजना भी विफल हो गई। एवं जब पृथ्वीराज के निश्चय को परिवर्तित करने में घोरी अक्षम हुआ, तब उसने अन्ध पृथ्वीराज की हत्या कर दी। अर्थात्, धर्म ही ऐसा मित्र है, जो मरणोत्तर भी साथ चलता है। अन्य सभी वस्तुएं शरीर के साथ ही नष्ट हो जाती हैं। इतिहासविद् डॉ.
नई!!: राजा हरिश्चन्द्र और पृथ्वीराज चौहान · और देखें »
मन्वन्तर
हिन्दू मापन प्रणाली में मन्वन्तर, लघुगणकीय पैमाने पर मन्वन्तर, मनु, हिन्दू धर्म अनुसार, मानवता के प्रजनक, की आयु होती है। यह समय मापन की खगोलीय अवधि है। मन्वन्तर एक संस्कॄत शब्द है, जिसका संधि-विच्छेद करने पर .
नई!!: राजा हरिश्चन्द्र और मन्वन्तर · और देखें »
मार्कण्डेय पुराण
मार्कण्डेय पुराण प्राचीनतम पुराणों में से एक है। यह लोकप्रिय पुराण मार्कण्डेय ऋषि ने क्रौष्ठि को सुनाया था। इसमें ऋग्वेद की भांति अग्नि, इन्द्र, सूर्य आदि देवताओं पर विवेचन है और गृहस्थाश्रम, दिनचर्या, नित्यकर्म आदि की चर्चा है। भगवती की विस्तृत महिमा का परिचय देने वाले इस पुराण में दुर्गासप्तशती की कथा एवं माहात्म्य, हरिश्चन्द्र की कथा, मदालसा-चरित्र, अत्रि-अनसूया की कथा, दत्तात्रेय-चरित्र आदि अनेक सुन्दर कथाओं का विस्तृत वर्णन है। .
नई!!: राजा हरिश्चन्द्र और मार्कण्डेय पुराण · और देखें »
राजा हरिश्चन्द्र (फ़िल्म)
राजा हरिश्चन्द्र १९१३ में बनी भारतीय मूक फ़िल्म थी। इसके निर्माता निर्देशक दादासाहब फालके थे और यह भारतीय सिनेमा की प्रथम पूर्ण लम्बाई की नाटयरूपक फ़िल्म थी। फ़िल्म भारत की कथाओं में से एक जो राजा हरिश्चन्द्र की कहानी पर आधारित है। यद्यपि फ़िल्म मूक है लेकिन इसमें दृश्यों के भीतर अंग्रेज़ी और हिन्दी में कथन लिखकर समझाया गया है। चूँकि फ़िल्म में अभिनय करने वाले सभी कलाकार मराठी थे अतः फ़िल्म को मराठी फ़िल्मों की श्रेणी में भी रखा जाता है। फ़िल्म ने भारतीय फिल्म उद्योग में ऐतिहासिक नींव स्थापित की। .
नई!!: राजा हरिश्चन्द्र और राजा हरिश्चन्द्र (फ़िल्म) · और देखें »
रोहतास दुर्ग
रोहतासगढ़ दुर्ग या रोहतास दुर्ग, बिहार के रोहतास जिले में स्थित एक प्राचीन दुर्ग है। यह भारत के सबसे प्राचीन दुर्गों में से एक है। यह बिहार के रोहतास जिला मुख्यालय सासाराम से लगभग 55 और डेहरी आन सोन से 43 किलोमीटर की दूरी पर सोन नदी के बहाव वाली दिशा में पहाड़ी पर स्थित है। यह समुद्र तल से 1500 मीटर ऊँचा है। कहा जाता है कि इस प्राचीन और मजबूत किले का निर्माण त्रेता युग में अयोध्या के सूर्यवंशी राजा त्रिशंकु के पौत्र व राजा हरिश्चंद्र के पुत्र रोहिताश्व ने कराया था। बहुत दिनों तक यह हिन्दू राजाओं के अधिकार में रहा, लेकिन 16वीं सदी में मुसलमानों के अधिकार में चला गया और अनेक वर्षों तक उनके अधीन रहा। इतिहासकारों का मत है कि किले की चारदीवारी का निर्माण शेरशाह ने सुरक्षा के दृष्टिकोण से कराया था, ताकि कोई किले पर हमला न कर सके। बताया जाता है कि स्वतंत्रता संग्राम की पहली लड़ाई (1857) के समय अमर सिंह ने यहीं से अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह का संचालन किया था। रोहतास गढ़ का किला काफी भव्य है। किले का घेरा ४५ किमी तक फैला हुआ है। इसमें कुल 83 दरवाजे हैं, जिनमें मुख्य चार- घोड़ाघाट, राजघाट, कठौतिया घाट व मेढ़ा घाट हैं। प्रवेश द्वार पर निर्मित हाथी, दरवाजों के बुर्ज, दीवारों पर पेंटिंग अद्भुत है। रंगमहल, शीश महल, पंचमहल, खूंटा महल, आइना महल, रानी का झरोखा, मानसिंह की कचहरी आज भी मौजूद हैं। परिसर में अनेक इमारतें हैं जिनकी भव्यता देखी जा सकती है। .
नई!!: राजा हरिश्चन्द्र और रोहतास दुर्ग · और देखें »
रोहित (नाम)
रोहित एक नाम है जो दक्षिण एशिया में प्रयुक्त किया जाता है। यह एक पुरुष नाम है। इसका हिन्दी में अर्थ है गहरा लाल रंग। यह राजहंस नाम के पक्षी के लिए मराठी नाम भी है। यह भारतीय चलचित्रों में एक बहुत लोकप्रिय नाम भी है। .
नई!!: राजा हरिश्चन्द्र और रोहित (नाम) · और देखें »
शनि (ज्योतिष)
बण्णंजी, उडुपी में शनि महाराज की २३ फ़ीट ऊंची प्रतिमा शनि ग्रह के प्रति अनेक आखयान पुराणों में प्राप्त होते हैं।शनिदेव को सूर्य पुत्र एवं कर्मफल दाता माना जाता है। लेकिन साथ ही पितृ शत्रु भी.शनि ग्रह के सम्बन्ध मे अनेक भ्रान्तियां और इस लिये उसे मारक, अशुभ और दुख कारक माना जाता है। पाश्चात्य ज्योतिषी भी उसे दुख देने वाला मानते हैं। लेकिन शनि उतना अशुभ और मारक नही है, जितना उसे माना जाता है। इसलिये वह शत्रु नही मित्र है।मोक्ष को देने वाला एक मात्र शनि ग्रह ही है। सत्य तो यह ही है कि शनि प्रकृति में संतुलन पैदा करता है, और हर प्राणी के साथ उचित न्याय करता है। जो लोग अनुचित विषमता और अस्वाभाविक समता को आश्रय देते हैं, शनि केवल उन्ही को दण्डिंत (प्रताडित) करते हैं। वैदूर्य कांति रमल:, प्रजानां वाणातसी कुसुम वर्ण विभश्च शरत:। अन्यापि वर्ण भुव गच्छति तत्सवर्णाभि सूर्यात्मज: अव्यतीति मुनि प्रवाद:॥ भावार्थ:-शनि ग्रह वैदूर्यरत्न अथवा बाणफ़ूल या अलसी के फ़ूल जैसे निर्मल रंग से जब प्रकाशित होता है, तो उस समय प्रजा के लिये शुभ फ़ल देता है यह अन्य वर्णों को प्रकाश देता है, तो उच्च वर्णों को समाप्त करता है, ऐसा ऋषि महात्मा कहते हैं। .
नई!!: राजा हरिश्चन्द्र और शनि (ज्योतिष) · और देखें »
सत्य हरिश्चन्द्र
सत्य हरिश्चंद्र भारतेन्दु हरिश्चन्द्र द्वारा लिखित चार अंकों का नाटक है। काशी पत्रिका नामक पाक्षिक हिन्दी पत्र में प्रकाशित यह नाटक पहली बार १८७६ ई. में बनारस न्यु मेडिकल हाल प्रेस में पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया गया। .
नई!!: राजा हरिश्चन्द्र और सत्य हरिश्चन्द्र · और देखें »
सुखदेव(राजा)
इसी नाम से प्रसिद्ध एक भारतीय क्रांतिकारी के बारे में जानने के लिए यहां जाँय - सुखदेव महाभारत के पश्चात के कुरु वंश के राजा।.
नई!!: राजा हरिश्चन्द्र और सुखदेव(राजा) · और देखें »
हिन्दी सिनेमा
हिन्दी सिनेमा, जिसे बॉलीवुड के नाम से भी जाना जाता है, हिन्दी भाषा में फ़िल्म बनाने का उद्योग है। बॉलीवुड नाम अंग्रेज़ी सिनेमा उद्योग हॉलिवुड के तर्ज़ पर रखा गया है। हिन्दी फ़िल्म उद्योग मुख्यतः मुम्बई शहर में बसा है। ये फ़िल्में हिन्दुस्तान, पाकिस्तान और दुनिया के कई देशों के लोगों के दिलों की धड़कन हैं। हर फ़िल्म में कई संगीतमय गाने होते हैं। इन फ़िल्मों में हिन्दी की "हिन्दुस्तानी" शैली का चलन है। हिन्दी और उर्दू (खड़ीबोली) के साथ साथ अवधी, बम्बईया हिन्दी, भोजपुरी, राजस्थानी जैसी बोलियाँ भी संवाद और गानों में उपयुक्त होते हैं। प्यार, देशभक्ति, परिवार, अपराध, भय, इत्यादि मुख्य विषय होते हैं। ज़्यादातर गाने उर्दू शायरी पर आधारित होते हैं।भारत में सबसे बड़ी फिल्म निर्माताओं में से एक, शुद्ध बॉक्स ऑफिस राजस्व का 43% का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि तमिल और तेलुगू सिनेमा 36% का प्रतिनिधित्व करते हैं,क्षेत्रीय सिनेमा के बाकी 2014 के रूप में 21% का गठन है। बॉलीवुड भी दुनिया में फिल्म निर्माण के सबसे बड़े केंद्रों में से एक है। बॉलीवुड कार्यरत लोगों की संख्या और निर्मित फिल्मों की संख्या के मामले में दुनिया में सबसे बड़ी फिल्म उद्योगों में से एक है।Matusitz, जे, और पायानो, पी के अनुसार, वर्ष 2011 में 3.5 अरब से अधिक टिकट ग्लोब जो तुलना में हॉलीवुड 900,000 से अधिक टिकट है भर में बेच दिया गया था। बॉलीवुड 1969 में भारतीय सिनेमा में निर्मित फिल्मों की कुल के बाहर 2014 में 252 फिल्मों का निर्माण। .
नई!!: राजा हरिश्चन्द्र और हिन्दी सिनेमा · और देखें »
कछवाहा
कछवाहा(कुशवाहा) वंश सूर्यवंशी राजपूतों की एक शाखा है। कुल मिलाकर बासठ वंशों के प्रमाण ग्रन्थों में मिलते हैं। ग्रन्थों के अनुसार: अर्थात दस सूर्य वंशीय क्षत्रिय दस चन्द्र वंशीय,बारह ऋषि वंशी एवं चार अग्नि वंशीय कुल छत्तिस क्षत्रिय वंशों का प्रमाण है,बाद में भौमवंश नागवंश क्षत्रियों को सामने करने के बाद जब चौहान वंश चौबीस अलग अलग वंशों में जाने लगा तब क्षत्रियों के बासठ अंशों का प्रमाण मिलता है। इन्हीं में से एक क्षत्रिय शाखा कछवाहा (कुशवाहा) निकली। यह उत्तर भारत के बहुत से क्षेत्रों में फ़ैली। .
नई!!: राजा हरिश्चन्द्र और कछवाहा · और देखें »
यहां पुनर्निर्देश करता है:
हरिश्चन्द्र, हरिश्चन्द्र (अयोध्या के सूर्यवंशी राजा), हरिश्चंद्र।