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रवींद्र आंबेकर

सूची रवींद्र आंबेकर

IBN 7 महाराष्ट्र के अग्रणी पत्रकारों में रवीन्द्र आंबेकर का नाम लिया जाता हैं। रवींद्र आंबेकर ने नवशक्ती, लोकमत, वृत्तमानस इन न्यूजपेपर से अपने करिय़र की शुरूआत की। उसके बाद उन्होंने ई टीव्ही के माध्यम से सन २००० में टीव्ही पत्रकारीता की शुरूआत की। २००५ में उन्होंने हिंदी पत्रकारीता में कदम रखा॥ रवींद्र आंबेकर आईबीएन ७ चैनल के वरिष्ट सम्पादक भी रहे। दिसंबर २०१२ में रवींद्र आंबेकर ने IBN 7 इस न्यूज चैनल का इस्तीफा दिया और जय महाराष्ट्र चैनल ज्वाइन किया। रवींद्र आंबेकर ने जय महाराष्ट्र चॅनल के लाँचिंग में अहम भूमिका अंदाज करने के बाद मराठी के अग्रणी टीव्ही चैनल मी मराठी को बतौर मुख्य संपादक ज्वाइन किया। बेहतरीन टीम के साथ मी मराठी ने केवळ ८ महिनों में मराठी के सारे न्यूज चैनलों को पछाडते हुए पहिला नंबर हासिल किया। पत्रकारिता के मानदंड समझना जानेवाले श्री कुमार केतकर, निखिल वागले, भारत कुमार राऊत के साथ रवींद्र आंबेकर की ये इनिंग बेहतरीन रही। २०१६ में रवींद्र आंबेकर ने मी मराठी से इस्तीफा देकर मॅक्समहाराष्ट्र रिसर्च ग्रुप नामक खुद की कंपनी खोल ली। फिल्मालय मॅक्समहाराष्ट्र रिसर्च ग्रुप के माध्यम से मिडीया सर्विसेस मुहैय्या कराई जाती है। अपने पुरे करिअर के दौरान रवीन्द्र आंबेकर ने कई सामाजिक विषयों पर कवरेज किया। राजनितीक पत्रकारिता के साथ साथ पुरे महाराष्ट्र का दौरा कर वहां की स्थिती को लोगों के सामने रखने का अतुलनीय काम उन्होंने किया हैं। दलितों का मंदिरों में प्रवेश, मराठवाडा में अंधविश्वास के चलते मंदिरों के छतों से बच्चों को नीचे फेंका जाना और चद्दर में झेलना, विदर्भ के किसानों की समस्याएं आदि विषयों पर उन्होंने काफी काम किया हैं। हाल ही में आदर्श घोटाले के पर्दाफाश में उनका योगदान रहा हैं। महाराष्ट्र सरकार द्वारा गठीत जांच आयोग ने अपने अंतरिम रिपोर्ट में इस बात को स्वीकारा हैं कि आईबीएन ७ की वजह से ही ये पुरा घोटाला लोगों के सामने आया हैं। रवींद्र आंबेकर के नेतृत्व में उनके ब्यूरो ने इस पुरे घोटाले का पर्दाफाश किया जिसके चलते बाद में महाराष्ठ्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण को इस्तीफा देना पडा था। वक्फ की जमीनों के घोटाले पर रवींद्र आंबेकर के द्वारा किए गए कवरेज के बाद सरकार को इस घोटाले की जांच के लिए एक समिती बनानी पडा। शराब पर पाबंदी लगे इसलिए महिलाओं द्वारा चलाए जा रहे अभियानों को उनका हमेशा ही साथ रहा हैं। ग्रामीण इलाकों के पत्रकारों को राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिले इसलिए उन्होंने काफी काम किया हैं। पत्रकारों को नई टेक्नॉलॉजी से अवगत कराने के लिए भी वो हमेशा प्रयत्नरत रहते हैं। .

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