सामग्री की तालिका
22 संबंधों: तेल (पुरातत्वशास्त्र), दानीलोवा क्रेटर (शुक्र ग्रह), द्वितीय विश्व युद्घ, प्रायोगिक सूक्ष्मतरंग इलेक्ट्रॉनिक अभियांत्रिकी तथा अनुसंधान संस्था, बम, ब्रह्मोस प्रक्षेपास्त्र, मैसाचुसेट्स प्रौद्योगिकी संस्थान, मैग्नेट्रॉन, याबलोचकिना क्रेटर (शुक्र ग्रह), यूनाइटेड किंगडम, रेडार का तुल्य परिच्छेद, लॉकहीड मार्टिन एफ-35 लाइटनिंग II, शुक्र, शुक्र का भूविज्ञान, शुक्र का वायुमंडल, साइमन हॅकिन, सकेसर, सुखोई एसयू-15, जॉर्ज कार्लिन, जीपीएस ऐडेड जियो ऑगमेंटिड नैविगेशन, क्रैकन सागर, अर्कनोइड (खगोलभूविज्ञान)।
तेल (पुरातत्वशास्त्र)
इस्राइल की जेज़रील वादी में तेल कशीश इस्राइल में तेल बे'एर शेव का खुदाई स्थल तेल या तॆल (अंग्रेज़ी: tell या tel अरबी: से) पुरातत्वशास्त्र में ऐसे टीले को कहते हैं जो किसी स्थान पर कई सदियों से मानवों के बसने और फिर छोड़ देने से बन गया हो। जब लोगों की कई पुश्तें एक ही जगह पर रहें और बार-बार वहाँ निर्माण और पुनर्निर्माण करती जाएँ तो सैंकड़ों सालों में उस जगह पर एक पहाड़ी जैसा टीला बन जाता है। इस टीले का अधिकाँश भाग मिटटी की बनी ईंटें होता है जो जल्दी ही टूटकर वापस मिटटी बन जाती हैं। अक्सर किसी टेल में ऊपर एक समतल भाग और उसके इर्द-गिर्द ढलानें होती हैं।, Nicholas Clapp, pp.
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दानीलोवा क्रेटर (शुक्र ग्रह)
मैजलन यान के रेडार द्वारा लिया गया दानीलोवा क्रेटर का चित्र दानीलोवा (अंग्रेज़ी: Danilova, रूसी: Данилова) शुक्र ग्रह (वीनस) पर स्थित एक प्रहार क्रेटर है। इसका व्यास ४९ किमी है। यह एक तीन क्रेटरों के समुह में से एक है। शुक्र पर घने बादल हमेशा उस ग्रह को ढके रहते हैं इसलिए दानीलोवा क्रेटर के बारे में जानकारी केवल मेघ-भेदी रेडार द्वारा ही मिल पाई है। .
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द्वितीय विश्व युद्घ
विश्व युद्ध II, अथवा द्वितीय विश्व युद्ध, (इसको संक्षेप में WWII या WW2 लिखते हैं), ये एक वैश्विक सैन्य संघर्ष था जिसमें, सभी महान शक्तियों समेत दुनिया के अधिकांश देश शामिल थे, जो दो परस्पर विरोधी सैन्य गठबन्धनों में संगठित थे: मित्र राष्ट्र एवं धुरी राष्ट्र.इस युद्ध में 10 करोड़ से ज्यादा सैन्य कर्मी शामिल थे, इस वजह से ये इतिहास का सबसे व्यापक युद्ध माना जाता है।"पूर्ण युद्ध" की अवस्था में, प्रमुख सहभागियों ने नागरिक और सैन्य संसाधनों के बीच के अंतर को मिटा कर युद्ध प्रयास की सेवा में अपनी पूरी औद्योगिक, आर्थिक और वैज्ञानिक क्षमताओं को झोक दिया। इसमें सात करोड़ से अधिक लोग मारे गए थे, जिनमें से अधिकांश साधारण नागरिक थे, इसलिए इसको मानव इतिहास का सबसे खूनी संघर्ष माना जाता है। युद्ध की शुरुआत को आम तौर पर 1 सितम्बर 1939 माना जाता है, जर्मनी के पोलैंड के ऊपर आक्रमण करने और परिणामस्वरूप ब्रिटिश साम्राज्य और राष्ट्रमंडल के अधिकांश देशों और फ्रांस द्वारा जर्मनी पर युद्ध की घोषणा के साथ.
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प्रायोगिक सूक्ष्मतरंग इलेक्ट्रॉनिक अभियांत्रिकी तथा अनुसंधान संस्था
प्रायोगिक सूक्ष्मतरंग इलेक्ट्रॉनिक अभियांत्रिकी तथा अनुसंधान संस्था (Society for Applied Microwave Electronics Engineering & Research / समीर / SAMEER) टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान (टीआईएफआर), मुंबई में स्थापित विशेष माइक्रोवेव उत्पाद इकाई (एसएमपीयू) की एक शाखा है। इसकी स्थापना मुंबई में माइक्रोवेव इंजीनियरिंग एवं विद्युतचुम्बकीय इंजीनियरिंग प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में अनुसंधान एवं विकास कार्य को पूरा करने के लिए एक व्यापक अधिदेश के साथ तत्कालीन इलेक्ट्रॉनिकी विभाग, भारत सरकार के अंतर्गत एक स्वायत्त अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला के रूप में की गई थी। समीर (SAMEER) मुंबई की स्थापना 1984 में की गई थी। 1987 में चेन्नई के तत्कालीन इलेक्ट्रॉनिकी विभाग (डीओई) के इलेक्ट्रोमैग्नेटिक केंद्र का समीर (SAMEER) में विलय कर दिया गया था। समीर, कोलकाता की स्थापना 1994 में मिलीमीटरवेव प्रौद्योगिकी में अनुसंधान एवं विकास के लिए की गई थी। इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों की सीई मार्किंग हेतु ईएमआई/ईएमसी सुविधा के बढ़ाने के लिए समीर के नवी मुंबई परिसर में एक नए केंद्र की स्थापना की जा रही है। .
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बम
विशाल आयुध एयर ब्लास्ट (मोआब) संयुक्त राज्य अमेरिका में उत्पादित बम दुनिया का एक सबसे शक्तिशाली गैर-परमाणु बमें हैं। बम विस्फोटक उपकरणों का कोई एक प्रकार है, जो आमतौर पर एक अत्यंत तेज और प्रबल उर्जा निर्गमन उत्पन्न करने के लिए विस्फोटक सामग्री की उष्माक्षेपी (एक्सोथर्मिक) रासायनिक प्रतिक्रिया पर निर्भर करता है। यह शब्द ग्रीक शब्द βόμβος (बम्बोस) से आया है, यह एक अनुकरणात्मक शब्द है, जिसका अर्थ अंग्रेजी के 'बूम' शब्द के लगभग समान है। एक परमाणु हथियार बहुत बड़े परमाणु-आधारित विस्फोट को करने के लिए रसायनिक-आधारित विस्फोटकों का प्रयोग करता है। "बम" शब्द को आमतौर पर नागरिक उद्देश्यों जैसे निर्माण या खनन के लिए प्रयोग की जाने वाली विस्फोटक उपकरणों पर लागू नहीं किया जाता है, यद्यपि लोग इन उपकरणों का इस्तेमाल करते हुए इसे बम के रूप में संदर्भित करते हैं। सैन्य में "बम" या विशेष रूप से हवाई बम इस शब्द का प्रयोग आमतौर पर हवा से गिराये गए बम के संदर्भ में होता है, यह एक संचालनरहित विस्फोटक हथियार है जिसका सबसे ज्यादा प्रयोग वायु सेना और नौसेना के विमानन द्वारा किया जाता हैं। अन्य सैन्य विस्फोटक हथियार जिन्हें "बम" के रूप में वर्गीकृत नहीं किया गया हैं उनमें ग्रेनेड, गोला (शेल्स), जलबम (पानी में प्रयुक्त), स्फोटक शीर्ष जब मिसाइलों में रहती हैं, या बारूदी सुरंग शामिल हैं। अपरंपरागत युद्ध में, "बम" को आक्रामक हथियार के रूप में या विस्फोटक उपकरणों के असीमित कोई एक प्रकार के रूप में संदर्भित किया जा सकता है। .
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ब्रह्मोस प्रक्षेपास्त्र
'''ब्रह्मोस''' विश्व की सबसे तीव्रगामी मिसाइल है। ब्रह्मोस एक कम दूरी की रैमजेट, सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है। इसे पनडुब्बी से, पानी के जहाज से, विमान से या जमीन से भी छोड़ा जा सकता है। रूस की एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया (NPO Mashinostroeyenia) तथा भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने संयुक्त रूप से इसका विकास किया है। यह रूस की पी-800 ओंकिस क्रूज मिसाइल की प्रौद्योगिकी पर आधारित है। ब्रह्मोस के समुद्री तथा थल संस्करणों का पहले ही सफलतापूर्वक परीक्षण किया जा चुका है तथा भारतीय सेना एवं नौसेना को सौंपा जा चुका है। ब्रह्मोस भारत और रूस के द्वारा विकसित की गई अब तक की सबसे आधुनिक प्रक्षेपास्त्र प्रणाली है और इसने भारत को मिसाइल तकनीक में अग्रणी देश बना दिया है। .
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मैसाचुसेट्स प्रौद्योगिकी संस्थान
मैसाचुसेट्स प्रौद्योगिकी संस्थान (मैसाचुसेट्स इन्स्टिट्यूट ऑफ टैक्नोलॉजी - एमआईटी) (Massachusetts Institute of Technology) कैम्ब्रिज, मैसाचुसेट्स में स्थित एक निजी शोध विश्वविद्यालय है। एमआईटी में 32 शैक्षणिक विभागों से युक्त पांच विद्यालय और एक महाविद्यालय है, जिसमें वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी अनुसंधान पर विशेष जोर दिया जाता है। एमआईटी दो निजी भूमि अनुदान विश्वविद्यालयों में से एक है और वह समुद्री-अनुदान और अंतरिक्ष-अनुदान विश्वविद्यालय भी है। विलियम बार्टन रोजर्स द्वारा 1861 में संयुक्त राज्य अमेरिका के औद्योगिकीकरण की जरुरतो को ध्यान में रख कर स्थापित किए गए इस विश्वविद्यालय ने यूरोपीय विश्वविद्यालय प्रतिमान को अपनाया और इसमें प्रारंभ से ही प्रयोगशाला शिक्षा पर जोर दिया गया। इसका मौजूदा परिसर 1916 में खुला, जो चार्ल्स नदी घाटी के उत्तरी किनारे पर फैला हुआ है। एमआईटी शोधकर्ता द्वितीय विश्वयुद्ध और शीतयुद्ध के दौरान सुरक्षा अनुसंधान के संबंध में कम्प्यूटर, रडार और इनर्टिअल (inertial) मार्गदर्शन रचने के प्रयत्नो में जुड़े हुए थे। पिछले 60 वर्षों में, एमआईटी के शिक्षात्मक कार्यक्रम भौतिक विज्ञान और अभियांत्रिकी से परे अर्थशास्त्र, दर्शन, भाषा विज्ञान, राजनीति विज्ञान और प्रबंधन जैसे सामाजिक विज्ञान तक भी विस्तरीत हुए है। एमआईटी में वर्ष 2009-2010 के पतझड़ के सत्र के लिए अवरस्नातक स्तर पर 4,232 और स्नातक स्तर पर 6,152 छात्रों को प्रवेश दिया गया है। इसमें करीबन 1,009 संकाय सदस्यों को रोजगार प्रदान किया है। इसकी बंदोबस्ती और अनुसंधान पर वार्षिक व्यय अन्य किसी भी अमेरिकी विश्वविद्यालयो में से सबसे अधिक है। अब तक 75 नोबल पुरस्कार विजेता, 47 राष्ट्रीय विज्ञान पदक प्रापक और 31 मैकआर्थर अध्येता इस विश्वविद्यालय के साथ वर्तमान या भूतपूर्व समय में सम्बद्ध रहे है। एमआईटी के पूर्व छात्रों द्वारा स्थापित कंपनियों का एकत्रित राजस्व विश्व की सबसे बड़ी सत्तरहवीं अर्थव्यवस्था है। इंजिनीयर्स द्वारा 33 खेल प्रायोजित है, जिनमें से ज्यादातर NCAA श्रेणी III के न्यू इंग्लैंड महिला और पुरुषों के व्यायामी सम्मेलन में भाग लेते है, श्रेणी I के नौकायन कार्यक्रम EARC और EAWRC प्रतिस्पर्धा के भाग है। .
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मैग्नेट्रॉन
सूक्ष्मतरंग भट्ठी (माइक्रोवेव ओवेन) में लगने वाला मैग्नेट्रॉन; इसमें हीटसिंक एवं असेम्ब्ली के अन्य साधन भी जुड़े हुए हैं। मैग्नेट्रॉन का कटा हुआ चित्र; इसमें चुम्बक को नहीं दिखाया गया है (निकाल दिया गया है)। मैग्नेट्रॉन अधिक शक्ति की सूक्ष्मतरंगें पैदा करने वाली एक निर्वात नलिका (वैक्युम ट्यूब) है। इसमें एलेक्ट्रॉनों की धारा (स्ट्रीम) पर चुम्बकीय क्षेत्र की संक्रिया से सूक्ष्मतरंगें उत्पन्न की जातीं हैं। आजकल इनका उपयोग माइक्रोवेव ओवेन, एवं रडार के विभिन्न रूपों में प्रयुक्त होती है। .
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याबलोचकिना क्रेटर (शुक्र ग्रह)
मैजलन यान के रेडार द्वारा लिया गया याबलोचकिना क्रेटर का चित्र याबलोचकिना (अंग्रेज़ी: Yablochkina, रूसी: Яблочкина) शुक्र ग्रह (वीनस) पर स्थित एक प्रहार क्रेटर है। इसका व्यास (डायामीटर) ६४ किमी है। शुक्र पर घने बादल हमेशा उस ग्रह को ढके रहते हैं इसलिए याबलोचकिना क्रेटर के बारे में जानकारी केवल मेघ-भेदी रेडार द्वारा ही मिल पाई है। .
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यूनाइटेड किंगडम
वृहत् ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैण्ड का यूनाइटेड किंगडम (सामान्यतः यूनाइटेड किंगडम, यूके, बर्तानिया, UK, या ब्रिटेन के रूप में जाना जाने वाला) एक विकसित देश है जो महाद्वीपीय यूरोप के पश्चिमोत्तर तट पर स्थित है। यह एक द्वीपीय देश है, यह ब्रिटिश द्वीप समूह में फैला है जिसमें ग्रेट ब्रिटेन, आयरलैंड का पूर्वोत्तर भाग और कई छोटे द्वीप शामिल हैं।उत्तरी आयरलैंड, UK का एकमात्र ऐसा हिस्सा है जहां एक स्थल सीमा अन्य राष्ट्र से लगती है और यहां आयरलैण्ड यूके का पड़ोसी देश है। इस देश की सीमा के अलावा, UK अटलांटिक महासागर, उत्तरी सागर, इंग्लिश चैनल और आयरिश सागर से घिरा हुआ है। सबसे बड़ा द्वीप, ग्रेट ब्रिटेन, चैनल सुरंग द्वारा फ़्रांस से जुड़ा हुआ है। यूनाइटेड किंगडम एक संवैधानिक राजशाही और एकात्मक राज्य है जिसमें चार देश शामिल हैं: इंग्लैंड, उत्तरी आयरलैंड, स्कॉटलैंड और वेल्स.
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रेडार का तुल्य परिच्छेद
A-26 इनवेडर का सामान्य RCS आरेख किसी गतिमान वस्तु (जैसे बमवर्षक वायुयान) का रेडार का तुल्य परिच्छेद (Radar cross-section (RCS)) एक संख्यात्मक मान है जो बताती है कि किसी रेडार की सहायता से उस वस्तु का पता लगाना कितना सरल या कठिन है। तुल्य परिच्छेद का मान अधिक हो तो इसका अर्थ यह है कि वस्तु का ऱेडार से पता लगाना अधिक आसान है। श्रेणी:रेडार.
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लॉकहीड मार्टिन एफ-35 लाइटनिंग II
combat aircrafts लॉकहीड_मार्टिन_एफ-35_लाइटनिंग_II लॉकहीड मार्टिन एफ-३५ लाइटनिंग २ (Lockheed Martin F-35 Lightning II) एक अकेली सीट व इंजन का पांचवी पीड़ी का विभिन् उपयोग अमेरिकी लड़ाकू विमान है जो की फिलहाल विकास में है। यह विशेष तोर पे टोह लेने, जमीन व हवा पे माँर करने व रडार को बिना दिखे दुश्मान के इलाके में जाने में सक्षम विमान के रूप में विकसित किया जा रहा है। इसके मूल रूप से ३ प्रकार होंगे.
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शुक्र
शुक्र (Venus), सूर्य से दूसरा ग्रह है और प्रत्येक 224.7 पृथ्वी दिनों मे सूर्य परिक्रमा करता है। ग्रह का नामकरण प्रेम और सौंदर्य की रोमन देवी पर हुआ है। चंद्रमा के बाद यह रात्रि आकाश में सबसे चमकीली प्राकृतिक वस्तु है। इसका आभासी परिमाण -4.6 के स्तर तक पहुँच जाता है और यह छाया डालने के लिए पर्याप्त उज्जवलता है। चूँकि शुक्र एक अवर ग्रह है इसलिए पृथ्वी से देखने पर यह कभी सूर्य से दूर नज़र नहीं आता है: इसका प्रसरकोण 47.8 डिग्री के अधिकतम तक पहुँचता है। शुक्र सूर्योदय से पहले या सूर्यास्त के बाद केवल थोड़ी देर के लए ही अपनी अधिकतम चमक पर पहुँचता है। यहीं कारण है जिसके लिए यह प्राचीन संस्कृतियों के द्वारा सुबह का तारा या शाम का तारा के रूप में संदर्भित किया गया है। शुक्र एक स्थलीय ग्रह के रूप में वर्गीकृत है और समान आकार, गुरुत्वाकर्षण और संरचना के कारण कभी कभी उसे पृथ्वी का "बहन ग्रह" कहा गया है। शुक्र आकार और दूरी दोनों मे पृथ्वी के निकटतम है। हालांकि अन्य मामलों में यह पृथ्वी से एकदम अलग नज़र आता है। शुक्र सल्फ्यूरिक एसिड युक्त अत्यधिक परावर्तक बादलों की एक अपारदर्शी परत से ढँका हुआ है। जिसने इसकी सतह को दृश्य प्रकाश में अंतरिक्ष से निहारने से बचा रखा है। इसका वायुमंडल चार स्थलीय ग्रहों मे सघनतम है और अधिकाँशतः कार्बन डाईऑक्साइड से बना है। ग्रह की सतह पर वायुमंडलीय दबाव पृथ्वी की तुलना मे 92 गुना है। 735° K (462°C,863°F) के औसत सतही तापमान के साथ शुक्र सौर मंडल मे अब तक का सबसे तप्त ग्रह है। कार्बन को चट्टानों और सतही भूआकृतियों में वापस जकड़ने के लिए यहाँ कोई कार्बन चक्र मौजूद नही है और ना ही ज़ीवद्रव्य को इसमे अवशोषित करने के लिए कोई कार्बनिक जीवन यहाँ नज़र आता है। शुक्र पर अतीत में महासागर हो सकते हैलेकिन अनवरत ग्रीनहाउस प्रभाव के कारण बढ़ते तापमान के साथ वह वाष्पीकृत होते गये होंगे |B.M.
देखें रडार और शुक्र
शुक्र का भूविज्ञान
शुक्र एक खरोचदार सतही लक्षणों वाला ग्रह है। इसकी अधिकांश सतह जिसके बारे में जानकारी हुई है रडार प्रेक्षणों की उपज है। इसकी ज्यादातर छवियां मैगलन यान द्वारा 16 अगस्त 1990 और अपने छठे कक्षीय चक्र के समाप्ति अर्थात सितम्बर,1994 के मध्य भेजी गई है। ग्रह की 98 % भूमि मापी जा चुकी है जिनमें से 22% त्रिविमीय स्टीरियोस्कोपी छवियां है। श्रेणी:खगोलशास्त्र श्रेणी:शुक्र ग्रह.
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शुक्र का वायुमंडल
शुक्र का वायुमंडल (Atmosphere of Venus), पृथ्वी की तुलना में ज्यादा सघन और गर्म है। सतह पर तापमान 740 K (467 °C, 872 °F) है, जबकि दबाव 93 बार है। शुक्र का वातावरण सल्फ्यूरिक एसिड से बने अपारदर्शी बादलों का पोषण करता है, जो सतह के पृथ्वी-आधारित प्रकाशिकी और कक्षीय अवलोकन को असंभव बनाती है। स्थलाकृति के बारे में सूचना रडार इमेजिंग द्वारा विशेष रूप से प्राप्त की गई है। मुख्य वायुमंडलीय गैसें कार्बन डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन हैं। अन्य रासायनिक यौगिक केवल थोड़ी मात्रा में मौजूद हैं। मिखाइल लोमोनोसोव अपने घर के पास की एक छोटी सी वेधशाला में 1761 के शुक्र पारगमन के अपने प्रेक्षण के आधार पर शुक्र के वायुमंडल के अस्तित्व की परिकल्पना करने वाले पहले व्यक्ति थे। .
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साइमन हॅकिन
साइमन हॅकिन एक ब्रिटिश विद्युत (इलेक्ट्रिकल) इंजीनियर हैं, जो अपने रडार व संचार में अनुप्रयोगों की प्रमुखता वाले अनुकूली संकेत प्रसंस्करण संबंधित अग्रणी कार्य के लिए विख्यात हैं। .
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सकेसर
सकेसर (Sakesar) पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त के मध्य भाग में सून वादी के छोर पर स्थित एक १,५२२ मीटर ऊँचा पहाड़ है। यह नमक कोह पर्वतमाला का सबसे ऊँचा पहाड़ भी है। क्योंकि यह आसपास के सभी इलाक़ों से ऊँचा है इसलिए यहाँ पाकिस्तान टेलिविज़न ने एक प्रसारण स्तंभ लगाया हुआ है और १९५० के दशक में पाकिस्तानी वायु सेना ने भी आते-जाते विमानों पर निगरानी रखने के लिए यहाँ एक रेडार लगाया था।, Salman Rashid, Sang-e-Meel Publications, 2001, ISBN 978-969-35-1257-1,...
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सुखोई एसयू-15
सुखोई एसयू-15 (Sukhoi Su-15) (नाटो रिपोर्टिंग नाम: फ्लैगन) सोवियत संघ द्वारा विकसित एक दो जेट वाला सुपरसोनिक इंटरसेप्टर विमान था। इसने 1965 में सेवा में प्रवेश किया और 1990 के दशक तक फ्रंट लाइन विमानो मे से एक रहा। सुखोई एसयू-15 को सुखोई एसयू-11 और सुखोई एसयू-9 की जगह लेने के लिए बनाया गया था। .
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जॉर्ज कार्लिन
जॉर्ज डेनिस पैट्रिक कार्लिन (12 मई 1937 - 22 जून 2008) एक अमेरिकी मान्य हास्य अभिनेता, सामाजिक आलोचक, अभिनेता और लेखक थे, जिन्होंने अपने हास्य एल्बमों के लिए पांच ग्रैमी अवार्ड्स जीते.
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जीपीएस ऐडेड जियो ऑगमेंटिड नैविगेशन
गगन के नाम से जाना जाने वाला यह भारत का उपग्रह आधारित हवाई यातायात संचालन तंत्र है। अमेरिका, रूस और यूरोप के बाद 10 अगस्त 2010 को इस सुविधा को प्राप्त करने वाला भारत विश्व का चौथा देश बन गया। .
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क्रैकन सागर
क्रैकन सागर (Kraken Mare) सौर मंडल के शनि ग्रह के सबसे बड़े चन्द्रमा टाइटन के उत्तर ध्रुवीय क्षेत्र में स्थित एक झील है। यह टाइटन पर सबसे बड़ी ज्ञात झील है (दूसरा स्थान लाइजीया सागर का है)। सन् २००७ में कैसिनी-होयगेन्स अंतरिक्ष यान ने इसे खोज निकला था और इसका नाम २००८ में एक काल्पनिक समुद्री दानव (क्रैकन) पर रखा गया। इसका आकार पृथ्वी के कैस्पियन सागर के आसपास अनुमानित किया जाता है। टाइटन की अन्य झीलों की तरह इसमें भी पानी की जगह मीथेन जैसे हाइड्रोकार्बन द्रवावस्था में भरे हैं।, pp.
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अर्कनोइड (खगोलभूविज्ञान)
अर्कनोइड (arachnoid), खगोलभूविज्ञान में अज्ञात मूल की एक बड़ी संरचना है और वे मात्र शुक्र ग्रह की सतह पर ही पाई गई हैं। अर्कनोइड ने अपना नाम मकड़ी के जाले से समानता से पाया है। वे ऐसी दिखाई देती है जैसे संकेंद्रित अंडे को दरारों के एक जटिल नेटवर्क ने चारों ओर से घेर रखा हों और यह 200 किलोमीटर तक फैली हो सकती हैं। शुक्र पर अब तक तीस से अधिक अर्कनोइड की पहचान की जा चुकी है। अर्कनोइड ज्वालामुखी के अनोखे संबंधी हो सकते है, लेकिन संभवतः अलग अलग अर्कनोइड विभिन्न प्रक्रियाओं से बनते हैं।This article contains text from the Astronomy Picture of the Day.
देखें रडार और अर्कनोइड (खगोलभूविज्ञान)
रेडार के रूप में भी जाना जाता है।