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रघुवीर चौधरी

सूची रघुवीर चौधरी

रघुवीर चौधरी रघुवीर चौधरी (पटेल) गुजराती के प्रसिद्ध उपन्यासकार, कवि एवं आलोचक हैं। वे अनेक समाचारपत्रों में स्तम्भलेखक भी रहे हैं। उन्होने गुजरात विश्वविद्यालय में अध्यापन किया और वहाँ से १९९८ में सेवानिवृत्त हुए। गुजराती के अलावा उन्होने हिन्दी में भी लेखन कार्य किया है। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास उपरवास कथात्रयी के लिये उन्हें सन् १९७७ में साहित्य अकादमी पुरस्कार (गुजराती) से सम्मानित किया गया। .

सामग्री की तालिका

  1. 6 संबंधों: साहित्य अकादमी पुरस्कार मैथिली, साहित्य अकादमी पुरस्कार गुजराती, साहित्य अकादमी फ़ैलोशिप, ज्ञानपीठ पुरस्कार, गुजराती साहित्यकार, उपरवास कथात्रयी

साहित्य अकादमी पुरस्कार मैथिली

साहित्य अकादमी पुरस्कार एक साहित्यिक सम्मान है जो कुल २४ भाषाओं में प्रदान किया जाता हैं और मैथिली भाषा इन में से एक भाषा हैं। अकादमी ने १९६६ से इस भाषा के लिए पुरस्कारों को पेश किया। .

देखें रघुवीर चौधरी और साहित्य अकादमी पुरस्कार मैथिली

साहित्य अकादमी पुरस्कार गुजराती

साहित्य अकादमी पुरस्कार एक साहित्यिक सम्मान है जो कुल २४ भाषाओं में प्रदान किया जाता हैं और गुजराती भाषा इन में से एक भाषा हैं। .

देखें रघुवीर चौधरी और साहित्य अकादमी पुरस्कार गुजराती

साहित्य अकादमी फ़ैलोशिप

साहित्य अकादमी फ़ैलोशिप भारत की साहित्य अकादमी द्वारा प्रदान किया जानेवाला सर्वोच्च सम्मान है। .

देखें रघुवीर चौधरी और साहित्य अकादमी फ़ैलोशिप

ज्ञानपीठ पुरस्कार

पुरस्कार-प्रतीकः वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा ज्ञानपीठ पुरस्कार भारतीय ज्ञानपीठ न्यास द्वारा भारतीय साहित्य के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार है। भारत का कोई भी नागरिक जो आठवीं अनुसूची में बताई गई २२ भाषाओं में से किसी भाषा में लिखता हो इस पुरस्कार के योग्य है। पुरस्कार में ग्यारह लाख रुपये की धनराशि, प्रशस्तिपत्र और वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा दी जाती है। १९६५ में १ लाख रुपये की पुरस्कार राशि से प्रारंभ हुए इस पुरस्कार को २००५ में ७ लाख रुपए कर दिया गया जो वर्तमान में ग्यारह लाख रुपये हो चुका है। २००५ के लिए चुने गये हिन्दी साहित्यकार कुंवर नारायण पहले व्यक्ति थे जिन्हें ७ लाख रुपए का ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ। प्रथम ज्ञानपीठ पुरस्कार १९६५ में मलयालम लेखक जी शंकर कुरुप को प्रदान किया गया था। उस समय पुरस्कार की धनराशि १ लाख रुपए थी। १९८२ तक यह पुरस्कार लेखक की एकल कृति के लिये दिया जाता था। लेकिन इसके बाद से यह लेखक के भारतीय साहित्य में संपूर्ण योगदान के लिये दिया जाने लगा। अब तक हिन्दी तथा कन्नड़ भाषा के लेखक सबसे अधिक सात बार यह पुरस्कार पा चुके हैं। यह पुरस्कार बांग्ला को ५ बार, मलयालम को ४ बार, उड़िया, उर्दू और गुजराती को तीन-तीन बार, असमिया, मराठी, तेलुगू, पंजाबी और तमिल को दो-दो बार मिल चुका है। .

देखें रघुवीर चौधरी और ज्ञानपीठ पुरस्कार

गुजराती साहित्यकार

गुजराती भाषा के प्रथम व्याकरण ग्रंथ की रचना जैन मुनि हेमचंद्राचार्य ने की थी। गुजराती भाषा के प्रथम कवि नरसिंह महेता हैं तथा प्रथम लेखक नर्मद हैं। .

देखें रघुवीर चौधरी और गुजराती साहित्यकार

उपरवास कथात्रयी

उपरवास कथात्रयी गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार रघुवीर चौधुरी द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1977 में गुजराती भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें रघुवीर चौधरी और उपरवास कथात्रयी

रघुवीर चौधुरी के रूप में भी जाना जाता है।