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युद्ध

सूची युद्ध

वर्ष १९४५ में कोलोन युद्ध एक लंबे समय तक चलने वाला आक्रामक कृत्य है जो सामान्यतः राज्यों के बीच झगड़ों के आक्रामक और हथियारबंद लड़ाई में परिवर्तित होने से उत्पन्न होता है। .

135 संबंधों: चन्द्रवंशी, चर कार्य, चौथ का बरवाड़ा, चीन-नेपाल युद्ध, चीनी दर्शन, टैंक, टेंक, एम ४६ पेटन, झांसी की रानी (टीवी धारावाहिक), तटस्थता, तानाशाही, तृतीय आंग्ल-मराठा युद्ध, द लकी वन (उपन्यास), द लोर्ड ऑफ द रिंग्स फिल्म ट्रिलॉजी, दानस्तुति, द्रोणाचार्य, द्वितीय प्यूनिक युद्ध, द्वितीय विश्व युद्घ, द्वितीय विश्वयुद्ध, धनुर्विद्या, धरती का वीर योद्धा पृथ्वीराज चौहान, धर्मयुद्ध, नारायण दास ग्रोवर, निराशावाद, न्यूनोक्‍ति, परमाणु युद्ध, पृथ्वी का इतिहास, पूर्व आधुनिक युद्ध, फ़ॉकलैंड युद्ध, फास्फोरस, फ्रांसिस प्रथम (फ्रांस का राजा), बर्मी युद्ध, बैटलशिप, बूमरैंग, भारतीय राजनय का इतिहास, भारतीय संविधान का इतिहास, भूत नगर, मतभेद समाधान, मतीरे की राड़, मनोबल-ह्रास, मशाल दुर्रानी, महाकाव्य (एपिक), मार्शल आर्ट, मार्वल कॉमिक्स, मार्कस पोर्सियस कातो, माल्कम २, मोहनमंत्र, यथापूर्व स्थापन, युद्ध, युद्ध विधि, ..., युद्ध कलाएँ, युद्धपोत राजनय, युद्धविराम, युद्धकालीन अर्थव्यवस्था, रणक्षेत्र, राम प्रसाद 'बिस्मिल', राष्ट्र संघ, राष्ट्रीय हित, राज्य, राव गोपाल सिंह खरवा, रक्षा शरीरक्रिया एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान, रोमांच यात्रा, लाला हरदयाल, लूटपाट, लोलार्ड, शस्त्र, शान्तिवाद, शिवाजी, शक्‍ति-संतुलन, शुम्भ और निशुम्भ, शुक्रनीति, श्रीदेवनारायण, सच्चियाय माता मन्दिर, समर-विद्या, समाजवाद, समुद्री युद्ध, सर्वेक्षण, संव्याध, संगीत, संगीत का इतिहास, संकेतन, स्टार ट्रेक, सैनिक सिद्धान्त, सैन्य नीति, सैन्य विज्ञान, सूर्य देवता, सूखा, हिन्दी पुस्तकों की सूची/य, हिन्दी पुस्तकों की सूची/श, हैन्रिख़ हिम्म्लर, हेमा उपाध्याय, जल संसाधन, जामा का युद्ध, ज्वारासुर, जैगुआर कारें, जॉन डेविस (अंग्रेज नाविक), जोखिम प्रबंधन, वनोन्मूलन, वर्मा, वामदेव, वायुसेना, विल्नुस विश्वविद्यालय का पुस्तकालय, विल्फ्रेड ओवेन, विजय, वज्र, खाकी चुनाव, गिरियुद्ध, गोनन्द, ओड़िशा का इतिहास, आतंकवाद, आत्महत्या, आपदा, आबाजी सोनदेव, आयरन मेडेन, आर्थिक शिथिलता, आवर्न, इन्फेंट्री, कल्ला जी राठौड़, कार्बधातुक यौगिक, कार्ल फॉन क्लाउज़विट्स, कावालम माधव पणिक्कर, किरातार्जुनीयम्, कुम्भलगढ़ दुर्ग, कुर्स्क युद्ध, क्रान्ति, कोल्ड स्टार्ट, अधिप्रचार, अभिमन्यु (अर्जुनपुत्र), अमेरिकी गृहयुद्ध, अहस्तक्षेपवाद, अवतार (२००९ फ़िल्म), अंतर्वैयक्तिक संबंध, उत्तर प्रदेश के लोकनृत्य, उमराव सिंह (स्वतंत्रता संग्राम सेनानी), १९४३ का बंगाल का अकाल सूचकांक विस्तार (85 अधिक) »

चन्द्रवंशी

चंद्रवंश एक प्रमुख प्राचीन भारतीय क्षत्रियकुल। आनुश्रुतिक साहित्य से ज्ञात होता है। कि आर्यों के प्रथम शासक (राजा) वैवस्वत मनु हुए। उनके नौ पुत्रों से सूर्यवंशी क्षत्रियों का प्रारंभ हुआ। मनु की एक कन्या भी थी - इला। उसका विवाह बुध से हुआ जो चंद्रमा का पुत्र था। उनसे पुरुरवस्‌ की उत्पत्ति हुई, जो ऐल कहलाया और चंद्रवंशियों का प्रथम शासक हुआ। उसकी राजधानी प्रतिष्ठान थी, जहाँ आज प्रयाग के निकट झूँसी बसी है। पुरुरवा के छ: पुत्रों में आयु और अमावसु अत्यंत प्रसिद्ध हुए। आयु प्रतिष्ठान का शासक हुआ और अमावसु ने कान्यकुब्ज में एक नए राजवंश की स्थापना की। कान्यकुब्ज के राजाओं में जह्वु प्रसिद्ध हुए जिनके नाम पर गंगा का नाम जाह्नवी पड़ा। आगे चलकर विश्वरथ अथवा विश्वामित्र भी प्रसिद्ध हुए, जो पौरोहित्य प्रतियोगिता में कोसल के पुरोहित वसिष्ठ के संघर्ष में आए।ततपश्चात वे तपस्वी हो गए तथा उन्होंने ब्रह्मर्षि की उपाधि प्राप्त की। आयु के बाद उसका जेठा पुत्र नहुष प्रतिष्ठान का शासक हुआ। उसके छोटे भाई क्षत्रवृद्ध ने काशी में एक राज्य की स्थापना की। नहुष के छह पुत्रों में यति और ययाति सर्वमुख्य हुए। यति संन्यासी हो गया और ययाति को राजगद्दी मिली। ययाति शक्तिशाली और विजेता सम्राट् हुआ तथा अनेक आनुश्रुतिक कथाओं का नायक भी। उसके पाँच पुत्र हुए - यदु, तुर्वसु, द्रुह्यु, अनु और पुरु। इन पाँचों ने अपने अपने वंश चलाए और उनके वंशजों ने दूर दूर तक विजय कीं। आगे चलकर ये ही वंश यादव, तुर्वसु, द्रुह्यु, आनव और पौरव कहलाए। ऋग्वेद में इन्हीं को पंचकृष्टय: कहा गया है। यादवों की एक शाखा हैहय नाम से प्रसिद्ध हुई और दक्षिणापथ में नर्मदा के किनारे जा बसी। माहिष्मती हैहयों की राजधानी थी और कार्तवीर्य अर्जुन उनका सर्वशक्तिमान्‌ और विजेता राजा हुआ। तुर्वसुके वंशजों ने पहले तो दक्षिण पूर्व के प्रदेशों को अधीनस्थ किया, परंतु बाद में वे पश्चिमोत्तर चले गए। द्रुह्युओं ने सिंध के किनारों पर कब्जा कर लिया और उनके राजा गांधार के नाम पर प्रदेश का नाम गांधार पड़ा। आनवों की एक शाखा पूर्वी पंजाब और दूसरी पूर्वी बिहार में बसी। पंजाब के आनव कुल में उशीनर और शिवि नामक प्रसिद्ध राजा हुए। पौरवों ने मध्यदेश में अनेक राज्य स्थापित किए और गंगा-यमुना-दोआब पर शासन करनेवाला दुष्यंत नामक राजा उनमें मुख्य हुआ। शकुंतला से उसे भरत नामक मेधावी पुत्र उत्पन्न हुआ। उसने दिग्विजय द्वारा एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की और संभवत: देश को भारतवर्ष नाम दिया। चंद्रवंशियों की मूल राजधानी प्रतिष्ठान में, ययाति ने अपने छोटे लड़के पुरु को उसके व्यवहार से प्रसन्न होकर - कहा जाता है कि उसने अपने पिता की आज्ञा से उसके सुखोपभोग के लिये अपनी युवावस्था दे दी और उसका बुढ़ापा ले लिया - राज्य दे दिया। फिर अयोध्या के ऐक्ष्वाकुओं के दबाव के कारण प्रतिष्ठान के चंद्रवंशियों ने अपना राज्य खो दिया। परंतु रामचंद्र के युग के बाद पुन: उनके उत्कर्ष की बारी आई और एक बार फिर यादवों और पौरवों ने अपने पुराने गौरव के अनुरूप आगे बढ़ना शुरू कर दिया। मथुरा से द्वारका तक यदुकुल फैल गए और अंधक, वृष्णि, कुकुर और भोज उनमें मुख्य हुए। कृष्ण उनके सर्वप्रमुख प्रतिनिधि थे। बरार और उसके दक्षिण में भी उनकी शाखाएँ फैल गई। पांचाल में पौरवों का राजा सुदास अत्यंत प्रसिद्ध हुआ। उसकी बढ़ती हुई शक्ति से सशंक होकर पश्चिमोत्तर भारत के दस राजाओं ने एक संघ बनाया और परुष्णी (रावी) के किनारे उनका सुदास से युद्ध हुआ, जिसे दाशराज्ञ युद्ध कहते हैं और जो ऋग्वेद की प्रमुख कथाओं में एक का विषय है। किंतु विजय सुदास की ही हुई। थोड़े ही दिनों बाद पौरव वंश के ही राजा संवरण और उसके पुत्र कुरु का युग आया। कुरु के ही नाम से कुरु वंश प्रसिद्ध हुआ, उस के वंशज कौरव कहलाए और आगे चलकर दिल्ली के पास इंद्रप्रस्थ और हस्तिनापुर उनके दो प्रसिद्ध नगर हुए। कौरवों और पांडवों का विख्यात महाभारत युद्ध भारतीय इतिहास की विनाशकारी घटना सिद्ध हुआ। सारे भारतवर्ष के राजाओं ने उसमें भाग लिया। पांडवों की विजय तो हुई, परंतु वह नि:सार विजय थी। उस युद्ध का समय प्राय: 1400 ई.पू.

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चर कार्य

चर कार्य या गुप्तचरी या खुफियागिरी या जासूसी अर्थात् भेद निकालने का कार्य गुप्तचरों और भेदियों द्वारा किया जाता है। विशेषकर युद्धकाल में सब देश अपने भेदियों को भेजकर दूसरे देशों की सेना, सरकार, उत्पादन, वैज्ञानिक उन्नति आदि के तथ्यों के विषय में सूचना प्राप्त करने का प्रयत्न करते हैं। चर कार्य नैतिकता की दृष्टि से आपत्तिजनक है और बहुधा ये लोग ही इस कार्य को सफलता से कर सकते हैं जिनको अच्छे बुरे का विचार न हो। .

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चौथ का बरवाड़ा

चौथ का बरवाड़ा राजस्थान राज्य में सवाई माधोपुर जिले का एक छोटा सा शहर है और इसी नाम से तहसील मुख्यालय है। यह शहर राजस्थान के टोंक-सवाई माधोपुर लोकसभा क्षेत्र में आता है एवं इस शहर का विधान सभा क्षेत्र खण्डार लगता है। यहाँ का चौथ माता का मंदिर पूरे राजस्थान में प्रसिद्ध है ! चौथ का बरवाड़ा शहर अरावली पर्वत श़ृंखला की गोद में बसा हुआ मीणा व गुर्जर बाहुल्य क्षेत्र है ! बरवाड़ा के नाम से मशहूर यह छोटा सा शहर संवत 1451 में चौथ माता के नाम पर चौथ का बरवाड़ा के नाम से प्रसिद्ध हो गया जो वर्तमान तक बना हुआ है ! चौथ माता मंदिर के अलावा इस शहर में मीन भगवान का भव्य मंदिर है ! वहीं चौथ माता ट्रस्ट धर्मशाला सभी धर्मावलंबियों के लिए ठहरने का महत्वपूर्ण स्थान है ! चौथ का बरवाड़ा तहसील में पड़ने वाले बड़े गाँव इस प्रकार है:- चौथ का बरवाड़ा भगवतगढ़ शिवाड़ झोंपड़ा ईसरदा सारसोपआदि.

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चीन-नेपाल युद्ध

चीन-नेपाल युद्ध या गोरखा-चीन युद्ध (चीनी: 平 定 廓 爾 喀, pacification of Gorkha) नेपालीयों द्वारा 1788-1792 में तिब्बत के ऊपर एक चढाई थी। यह युद्ध पुरी तरह नेपाली और तिब्बती आर्मीयों के बीच सिक्का के विवाद को लेकर लड़ा गया। नेपालीयों द्बारा सस्ते धातुओं के मिश्रण को ढालकर बनाये गये सिक्के जो लम्बे समय से तिब्बत के लिए परेशानी का सबब बना हुआ था। नेपालियों ने तिब्बतियों को वश में कर रखा था, जो चीन के अधिन थें। तिब्बत ने केरुङकि सन्धि की और शान्ति सम्झौता के अनुरूप वार्षिक सलामी देनेका वादा किया। बाद में तिब्बत ने झूठ बोला और चीन के राजा को न्यौता दिया। कमाण्डर फुकागन नेपालके बेत्रावती तक आगए लेकिन जबरदस्त काउन्टरअटैक के कारण चीन ने शान्ति सम्झौता के प्रस्ताव स्वीकार किया। .

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चीनी दर्शन

Yin Yang symbol and ''Ba gua'' paved in a clearing outside of Nanning City, Guangxi province, China's. चीनी भाषा में लिखे हुए पारम्परिक चीनी विचार को चीनी दर्शन कहा जाता है। इसका इतिहास कई हजार वर्षों पुराना है। .

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टैंक

टी-९० भीष्म टैंक कवचयान या टैंक (Tank) एक प्रकार का कवचित, स्वचालित, अपना मार्ग आप बनाने तथा युद्ध में काम आनेवाला ऐसा वाहन है जिससे गोलाबारी भी की जा सकती है। युद्धक्षेत्र में शत्रु की गोलाबारी के बीच भी यह बिना रुकावट आगे बढ़ता हुआ किसी समय तथा स्थान पर शत्रु पर गोलाबारी कर सकता है। गतिशीतला एवं शत्रु को व्याकुल करने का सामर्थ्य है और जो कबचित होने के कारण स्वयं सुरक्षित है। .

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टेंक

एक जेर्मन लेपर्ड २ टेंक फिनिश सेना की सेवा में टेंक एक ऐसे सेन्य बख्तरबंध वाहन को कहते है जो की विशेष तोर से युद्ध में सेना के द्वारा गोले दागने के कार्य में लिया जाता है। टेंक अट्ठारवी सदी की तोपों का बेहद ही उन्नत व चालित आधुनिक रूप है जिनसे की आज की सेन्य तोपे भी प्रेरित है। टेंक विशेष तोर से अपने एक ट्रेक पे चलता है व इसके पहिये कभी भी जमीन से सीधे संपर्क में नहीं आते व हमेशा अपने ट्रेकों पर ही चलते है, इस खास वजह से यह किसी भी प्रकार की बेहद ही दुर्गम जगह पे भी आसानी से चल सकता है व अपनी ही जगह खड़े खड़े एक से दूसरी और मुड सकता है। इसका खास एवं बेहद मजबूत बख्तर दुश्मन सेना की और से दागे गोले बारूद को सहन करने में सक्षम होता है। टेंक में मुख्य तोर पे दो हिस्से होते है, एक निचे का चलित हिस्सा जिसमे की ट्रेक, पहिये, इंजन व सेन्य दल होते है व उप्पर का जिसे की टेरत कहते है जिसमे की तोप, मशीन गन व टेंक के अन्य उपकरण होते है। इसके सेन्य दल में ३ या ४ सदस्य हो सकते है जो की टेंक चलाने, गोले दागने, मशीन गन चलाने व टेंक कमांडर की भूमिका निभाते है। टेंक का मुख्य कार्य गोले दागना होता है। इसे सेनाओं द्वारा युद्ध में दुश्मन पर विशेष तोर से बने कई प्रकार के गोले दागने, इस पर लगी मशीन गन से गोली मारने व पैदल सेना को सहायता उपलब्ध कराने के लिए भेजा जाता है। टेंक का उपयोग प्रथम विश्वयुद्ध में सर्वप्रथम ब्रिटिश सेना के द्वारा किया गया था व तबसे ही इसकी उपयोगता की वजह से इसमें लगातार बदलाव कर एक के बाद एक उन्नत प्रकार विश्व की सेनाओं द्वारा काम में लाये जा रहे है। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद बने टेंको को उनकी पीड़ी में बाटा जाता है। .

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एम ४६ पेटन

एम ४६ टैंक एम ४६ पेटन एक अमेरिकी मध्यम टैंक था। यह पहला ऐसा टैंक था जिसका की नाम द्वितीय विश्वयुद्ध की तीसरी अमेरिकी आर्मी के कमांडर जनरल व युद्धों में टैंको के उपयोग के हिमायती जिओर्ज एस. पेटन के नाम पर रखा गया। एम ४६ पेटन मूल रूप से पुराने एम २६ पेर्शिंग टैंक का उन्नत रूप था। इसे अमरीकी सेना ने शीतयुद्ध के प्रारंभिक वर्ष १९४९ से १९५० तक काम में लिया। ऐसे करीब ११६० टैंक बनाये गए थे जीनेमें ३६० एम ६४ ऐ१ भी शामिल है। इसका उत्पादन सन १९५० से लेकर १९५० वे दशक के मध्य से अंत तक हुआ। इसे डेट्रोइट आर्सनल टैंक प्लांट ने बनाया था। एम ४६ पेटन ४८ किलोमीटर की गति की साथ १३० किलोमीटर के क्षेत्र में युद्ध कर सकता था। अमेरिकी सेना ने इसे कोरियाई युद्ध में मुख्य तौर से काम में लिया। इसके अलावा यह बेल्जियम, फ़्रांस व इटली की सेनाओं की सेवाओं में भी रहा। .

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झांसी की रानी (टीवी धारावाहिक)

झांसी की रानी एक भारतीय ऐतहासिक धारावाहिक है जो झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के जीवन पर आधारित है। यह धारावाहिक जितेन्द्र श्रीवास्तव के निर्देशन में बना है। इसका प्रथम प्रसारण ज़ी टीवी पर 18 अगस्त 2009 को किया गया था। रानी लक्ष्मीबाई के बाल जीवन की भूमिका उल्का गुप्ता नामक बाल अभिनेत्री ने निभाई। 08 जून 2010 को धारावाहिक की कहानी ने कई साल बाद का मोड़ लिया। तत्पश्चात् कृतिका सेंगर ने युवा रानी की भूमिका निभाई। कार्यक्रम का अंतिम अध्याय 19 जून 2011 को प्रसारित हुआ। .

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तटस्थता

तटस्थ देश प्रत्येक युद्ध में जो राज्य एक दूसरे के विरुद्ध युद्ध करते हैं, वे "युद्धरत" राज्य कहे जाते हैं। जो राज्य किसी ओर से नहीं लड़ते अथवा युद्ध में कोई भाग नहीं लेते, वे तटस्थ (न्यूट्रल) राज्य कहे जाते हैं। अत: तटस्थता वह निप्पक्ष अथवा तटस्थ रहने का भाव है, जो युद्ध में सम्मिलित न होनेवाले तीसरे राज्य युद्धरत दोनों पक्ष के राज्यों के प्रति धारण करते हैं और युद्धरत राज्य इस भाव को अपनी मान्यता प्रदान करते हैं। निष्पक्षता अथवा तटस्थता का यह भाव तटस्थ राज्यों और युद्धरत राज्यों के बीच कुछ कर्तव्यों और कुछ अधिकारों की सृष्टि करता है। .

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तानाशाही

वर्तमान समय में तानाशाही या अधिनायकवाद (डिक्टेटरशिप) उस शासन-प्रणाली को कहते हैं जिसमें कोई व्यक्ति (प्रायः सेनाधिकारी) विद्यमान नियमों की अनदेखी करते हुए डंडे के बल से शासन करता है। एकाधिनायकत्व, अधिनायकवाद या डिक्टेटरशिप उस एक व्यक्ति की सरकार है जिसने शासन उत्तराधिकार के फलस्वरूप नहीं वरन् बलपूर्वक प्राप्त किया हो तथा जिसे पूर्ण संप्रभुत्ता प्राप्त हो-अर्थात् संपूर्ण राजनीतिक शक्ति न केवल उसी के संकल्प से उद्भूत हो वरन् कार्यक्षेत्र और समय की दृष्टि से असीमित तथा किसी अन्य सत्ता के प्रति उत्तरदायी नहीं-और वह उसका प्रयोग बहुधा अनियंत्रित ढंग से विधान के बदले आज्ञप्तियों द्वारा करता हो। .

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तृतीय आंग्ल-मराठा युद्ध

तृतीय आंग्ल-मराठा युद्ध (1817–1818), ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी और मराठा साम्राज्य के बीच सम्पन्न निर्णायक अन्तिम युद्ध था। श्रेणी:भारत के युद्ध श्रेणी:मराठा साम्राज्य श्रेणी:आंग्ल-मराठा युद्ध श्रेणी:महाराष्ट्र का इतिहास.

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द लकी वन (उपन्यास)

द लकी वन (The Lucky One) अमेरिकी लेखक निकोलस स्पार्क्स द्वारा लिखित उपन्यास है जिसे ३० सितंबर २००८ में रिलीज़ किया गया था। इसकी कहानी एक अमेरिकी मरीन लोगन थिबौल्ट पर केंद्रित है जिसे इराक में एक मुस्कुराती हुई युवा महिला का चित्र मिलता है। अपने इराक के तिन दौरों के दौरान वह उस चित्र को अपने अच्छे नसीब की कुंजी के तौर पर ले जाता है। अपने दौरों में वह कई नसीब-पूर्ण घटनाओं से गुज़रता है और अंततः वापस लौटने पर उस महिला को धन्यवाद करने के लिए खोजता है। इस उपन्यास को २०१२ में स्कॉट हिक्स द्वारा इसी नाम की फ़िल्म में परिवर्तित किया गया है।.

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द लोर्ड ऑफ द रिंग्स फिल्म ट्रिलॉजी

द लोर्ड ऑफ द रिंग्स फिल्म ट्रियोलॉजी, काल्पनिक महाकाव्य पर आधारित तीन एक्शन फिल्में हैं जिसमें द फेलोशिप ऑफ द रिंग (2001), द टू टावर्स(2002) और द रिटर्न ऑफ द किंग(2003) शामिल हैं। यह ट्रियोलॉजी तीन खंडों में विभाजित है और जे.आर.आर. टोलकिन द्वारा लिखित द लोर्ड ऑफ द रिंग्स किताब पर आधारित है। हालांकि ये फिल्में पुस्तक की सामान्य कहानी का ही अनुसरण करती है लेकिन साथ ही स्रोत सामग्री से कुछ अलग भी इसमें शामिल किया गया है। मध्य धरती के काल्पनिक दुनियां में सेट ये तीन फिल्में होब्बिट फ्रोडो बग्गीन्स के ईर्द-गिर्द ही घूमती हैं जिसमें वह और फेलोशिप एक रिंग को नष्ट करने की तलाश में निकलते हैं और उसके निर्माता डार्क लोर्ड सौरोन के विनाश को सुनिश्चित करते हैं। लेकिन फैलोशिप विभाजित हो जाता है और फ्रोडो अपने वफादार साथी सैम और विश्वासघाती गोल्लुम के साथ खोज जारी रखता है। इसी बीच, देश निकाला झेल रहे जादूगर गैंडाल्फ़ और एरागोर्न, जो गोन्डोर के सिंहासन के असल वारिस होते हैं, वे मध्य धरती के आजाद लोगों को एकजुट करते हैं और वे अंततः रिंग के युद्ध में विजयी होते हैं। पीटर जैक्सन इन तीनों फिल्म के निर्देशक हैं और इनका वितरण न्यू लाइन सिनेमा द्वारा की गई है। इसे आज तक के विशालतम और महत्वाकांक्षी फिल्म परियोजनाओं में से एक माना जाता है, जिसका बजट कुल मिलाकर 285 करोड़ डॉलर था और इस परियोजना को पूरा होने में लगभग आठ वर्ष लगे और सभी तीन फिल्मों को एक साथ प्रदर्शित करने के लिए जैक्शन के जन्मस्थान न्यूजीलैंड में बनाया गया। ट्रियोलॉजी के प्रत्येक फिल्म का विशेष वर्धित संस्करण भी था जिसे सिनेमाघरों में जारी होने के एक साल बाद डीवीडी में जारी किया गया था। सर्वकालीक फिल्मों के बीच इस ट्रियोलॉजी को सबसे ज्यादा वित्तीय सफलता प्राप्त हुई थी। इन फिल्मों की समीक्षकों ने खूब प्रशंसा की और कुल 30 अकादमी पुरस्कार में इनका नामांकन हुआ था जिसमें से कुल 17 पुरस्कार मिले और इसके कलाकारों के चरित्रों और अभिनव के लिए काफी सराहना की गई और साथ ही डिजिटल विशेष प्रभाव के लिए भी व्यापक रूप में प्रशंसा की गई। 2011 और 2012 में रिलीज़ होने वाली द होब्बिट एक फिल्म रुपांतर है जिसे दो भागोंमें बनाया जा रहा है, इसमें गिलर्मो डेल टोरो का जैक्सन सहयोग कर रहे हैं। .

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दानस्तुति

भगवान इंद्र; जिनकी स्तुति ऋगवेद के दानस्तुति में मौजूद है ऋग्वेद में कतिपय ऐसे सूक्त तथा मंत्र हैं, जिनकी संज्ञा 'दानस्तुति' है। दानस्तुति का शाब्दिक अर्थ है 'दान की प्रशंसा में गाए गए मंत्र'। व्यापक अर्थ में दान के उपलब्ध में राजाओं तथा यज्ञ के आश्रयदाताओं की स्तुति में ऋषियों द्वारा गाई गई ऋचाएँ 'दानस्तुति' हैं। ऋग्वेद में दानस्तुति से संबद्ध सूक्तों की संख्या लगभग ४० है। उपर्युक्त सूक्तों में एक संपूर्ण सूक्त (१-१२६) दानस्तुति का है, किंतु शेष अन्य सूक्तों में सामान्यत: कुछ इनी-गिनी ऋचाएँ ही दानस्तुति के रूप में मिलती हैं। इन सूक्तों में कुछ वस्तुत: विजय-प्रशस्ति-सूक्त हैं, जिनमें पहले इंद्र की स्तुति रहती है, क्योंकि इंद्र की सहायता से कुछ राजा अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करते हैं। तदनंतर देवस्तुति के साथ विजयी राजा की प्रशस्ति भी संबद्ध हो गई है। आखिर में स्तोता के द्वारा अपने उस आश्रयदाता की स्तुति की जाती है, जिससे उसे बैल, घोड़े तथा युद्ध में विजित धन का दान मिला है। दूसरे प्रकार के सूक्त यज्ञ संबंधी हैं जो बहुत बड़े हैं और अधिकतर इंद्र देवता के हैं। ये सूक्त यज्ञ के अवसर पर पढ़े जाते हैं। इन सूक्तों के अंतिम भाग में कतिपय दानस्तुति परक ऋचाएँ उपलब्ध होती हैं। इनमें स्तोता यज्ञ के आश्रयदाता की स्तुति करता है, क्योंकि उसने स्तोता को यज्ञ की दक्षिणा प्रदान की है। जर्मन विद्वान् विंटरनित्स की सम्मति में ये दानस्तुतियाँ अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये धार्मिक दाताओं के पूर्ण नामों का उल्लेख करती हैं और ऐतिहासिक तथ्यों अथवा वास्तविक घटनाओं की सूचना देती हैं। एक भारतीय विद्वान् का विचार है कि ऋग्वेदिक युग में महायज्ञ का अनुष्ठान कई राजा मिलकर किया करते थे, इसी लिए दानस्तुति में प्राय: अनेक आश्रयदाताओं का उल्लेख एक साथ मिलता है। इसके अतिरिक्त, दानस्तुतियों में जिस नदी का नाम पाया जाता है उससे उस नदी के किनारे यज्ञ के अनुष्ठान होने की सूचना मिलती है। ('भारतीय अनुशीलन' नामक ओझा अभिनंदन ग्रंथ) वेदों को अपौरुषेय माननेवाले विशेषरूप से मीमोसकों की दृष्टि में इन दानस्तुतियों में या वेद में अन्यत्र ऐतिहासिक झलक आभासमात्र है। ऋग्वेद के दशम मंडल का ११७वाँ सूक्त उत्कृष्ट अर्थ में दानस्तुति है। इसमें धन एवं अन्न के दान की महिमा गाई गई है। यह सूक्त ऋग्वेदिक युग की महान् उदात्त भावना क परिचायक है; उदाहरण के लिए इस सूक्त की पाँचवीं ऋचा का, जिसमें धनी पुरुष को दान के महत्व की प्रेरणा निहित है, भावार्थ नीचे प्रस्तुत किया जाता है- श्रेणी:वेद श्रेणी:चित्र जोड़ें.

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द्रोणाचार्य

द्रोणाचार्य ऋषि भरद्वाज तथा घृतार्ची नामक अप्सरा के पुत्र तथा धर्नुविद्या में निपुण परशुराम के शिष्य थे। कुरू प्रदेश में पांडु के पाँचों पुत्र तथा धृतराष्ट्र के सौ पुत्रों के वे गुरु थे। महाभारत युद्ध के समय वह कौरव पक्ष के सेनापति थे। गुरु द्रोणाचार्य के अन्य शिष्यों में एकलव्य का नाम उल्लेखनीय है। उसने गुरुदक्षिणा में अपना अंगूठा द्रोणाचार्य को दे दिया था। कौरवो और पांडवो ने द्रोणाचार्य के आश्रम मे ही अस्त्रो और शस्त्रो की शिक्षा पायी थी। अर्जुन द्रोणाचार्य के प्रिय शिष्य थे। वे अर्जुन को विश्व का सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर बनाना चाहते थे। महाभारत की कथा के अनुसार महर्षि भरद्वाज एकबार नदी ने स्नान करने गए। स्नान के समाप्ति के बाद उन्होंने देखा की अप्सरा घृताची नग्न होकर स्नान कर रही है। यह देखकर वह कामातुर हो परे और उनके शिश्न से बीर्ज टपक पड़ा। उन्हीने ये बीर्ज एक द्रोण कलश में रखा, जिससे एक पुत्र जन्मा। दूसरे मत से कामातुर भरद्वाज ने घृताची से शारीरिक मिलान किया, जिनकी योनिमुख द्रोण कलश के मुख के समान थी। द्रोण (दोने) से उत्पन्न होने का कारण उनका नाम द्रोणाचार्य पड़ा। अपने पिता के आश्रम में ही रहते हुये वे चारों वेदों तथा अस्त्र-शस्त्रों के ज्ञान में पारंगत हो गये। द्रोण के साथ प्रषत् नामक राजा के पुत्र द्रुपद भी शिक्षा प्राप्त कर रहे थे तथा दोनों में प्रगाढ़ मैत्री हो गई। उन्हीं दिनों परशुराम अपनी समस्त सम्पत्ति को ब्राह्मणों में दान कर के महेन्द्राचल पर्वत पर तप कर रहे थे। एक बार द्रोण उनके पास पहुँचे और उनसे दान देने का अनुरोध किया। इस पर परशुराम बोले, "वत्स! तुम विलम्ब से आये हो, मैंने तो अपना सब कुछ पहले से ही ब्राह्मणों को दान में दे डाला है। अब मेरे पास केवल अस्त्र-शस्त्र ही शेष बचे हैं। तुम चाहो तो उन्हें दान में ले सकते हो।" द्रोण यही तो चाहते थे अतः उन्होंने कहा, "हे गुरुदेव! आपके अस्त्र-शस्त्र प्राप्त कर के मुझे अत्यधिक प्रसन्नता होगी, किन्तु आप को मुझे इन अस्त्र-शस्त्रों की शिक्षा-दीक्षा देनी होगी तथा विधि-विधान भी बताना होगा।" इस प्रकार परशुराम के शिष्य बन कर द्रोण अस्त्र-शस्त्रादि सहित समस्त विद्याओं के अभूतपूर्व ज्ञाता हो गये। शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात द्रोण का विवाह कृपाचार्य की बहन कृपी के साथ हो गया। कृपी से उनका एक पुत्र हुआ। यह महाभारत का वह महत्त्वपूर्ण पात्र बना जिसका नाम अश्वत्थामा था। द्रोणाचार्य ब्रह्मास्त्र का प्रयोग जानते थे जिसके प्रयोग करने की विधि उन्होंने अपने पुत्र अश्वत्थामा को भी सिखाई थी। द्रोणाचार्य का प्रारंभिक जीवन गरीबी में कटा उन्होंने अपने सहपाठी द्रु, पद से सहायता माँगी जो उन्हें नहीं मिल सकी। एक बार वन में भ्रमण करते हुए गेंद कुएँ में गिर गई। इसे देखकर द्रोणाचार्य का ने अपने धनुषर्विद्या की कुशलता से उसको बाहर निकाल लिया। इस अद्भुत प्रयोग के विषय में तथा द्रोण के समस्त विषयों मे प्रकाण्ड पण्डित होने के विषय में ज्ञात होने पर भीष्म पितामह ने उन्हें राजकुमारों के उच्च शिक्षा के नियुक्त कर राजाश्रय में ले लिया और वे द्रोणाचार्य के नाम से विख्यात हुये। .

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द्वितीय प्यूनिक युद्ध

द्वितीय प्यूनिक युद्ध (Second Punic War) कार्थेज तथा रोमन गणराज्य के बीच द्वितीय प्रमुख युद्ध था जो ईसा पूर्व २१८ से ईसापूर्व २०१ के बीच चला। इन दोनो राज्यों के बीच कुल तीन युद्ध हुए जिन्हें 'प्यूनिक युद्ध' कहा जाता है क्योंकि कार्थेज लोग रोम को 'प्यूनिसी' (Punici) कहते थे। इसे 'कार्थेजी युद्ध' (Carthaginian War) भी कहते हैं। जामा का युद्ध इसका अंतिम और निर्णायक युद्ध था। .

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द्वितीय विश्व युद्घ

विश्व युद्ध II, अथवा द्वितीय विश्व युद्ध, (इसको संक्षेप में WWII या WW2 लिखते हैं), ये एक वैश्विक सैन्य संघर्ष था जिसमें, सभी महान शक्तियों समेत दुनिया के अधिकांश देश शामिल थे, जो दो परस्पर विरोधी सैन्य गठबन्धनों में संगठित थे: मित्र राष्ट्र एवं धुरी राष्ट्र.इस युद्ध में 10 करोड़ से ज्यादा सैन्य कर्मी शामिल थे, इस वजह से ये इतिहास का सबसे व्यापक युद्ध माना जाता है।"पूर्ण युद्ध" की अवस्था में, प्रमुख सहभागियों ने नागरिक और सैन्य संसाधनों के बीच के अंतर को मिटा कर युद्ध प्रयास की सेवा में अपनी पूरी औद्योगिक, आर्थिक और वैज्ञानिक क्षमताओं को झोक दिया। इसमें सात करोड़ से अधिक लोग मारे गए थे, जिनमें से अधिकांश साधारण नागरिक थे, इसलिए इसको मानव इतिहास का सबसे खूनी संघर्ष माना जाता है। युद्ध की शुरुआत को आम तौर पर 1 सितम्बर 1939 माना जाता है, जर्मनी के पोलैंड के ऊपर आक्रमण करने और परिणामस्वरूप ब्रिटिश साम्राज्य और राष्ट्रमंडल के अधिकांश देशों और फ्रांस द्वारा जर्मनी पर युद्ध की घोषणा के साथ.

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द्वितीय विश्वयुद्ध

द्वितीय विश्वयुद्ध १९३९ से १९४५ तक चलने वाला विश्व-स्तरीय युद्ध था। लगभग ७० देशों की थल-जल-वायु सेनाएँ इस युद्ध में सम्मलित थीं। इस युद्ध में विश्व दो भागों मे बँटा हुआ था - मित्र राष्ट्र और धुरी राष्ट्र। इस युद्ध के दौरान पूर्ण युद्ध का मनोभाव प्रचलन में आया क्योंकि इस युद्ध में लिप्त सारी महाशक्तियों ने अपनी आर्थिक, औद्योगिक तथा वैज्ञानिक क्षमता इस युद्ध में झोंक दी थी। इस युद्ध में विभिन्न राष्ट्रों के लगभग १० करोड़ सैनिकों ने हिस्सा लिया, तथा यह मानव इतिहास का सबसे ज़्यादा घातक युद्ध साबित हुआ। इस महायुद्ध में ५ से ७ करोड़ व्यक्तियों की जानें गईं क्योंकि इसके महत्वपूर्ण घटनाक्रम में असैनिक नागरिकों का नरसंहार- जिसमें होलोकॉस्ट भी शामिल है- तथा परमाणु हथियारों का एकमात्र इस्तेमाल शामिल है (जिसकी वजह से युद्ध के अंत मे मित्र राष्ट्रों की जीत हुई)। इसी कारण यह मानव इतिहास का सबसे भयंकर युद्ध था। हालांकि जापान चीन से सन् १९३७ ई. से युद्ध की अवस्था में था किन्तु अमूमन दूसरे विश्व युद्ध की शुरुआत ०१ सितम्बर १९३९ में जानी जाती है जब जर्मनी ने पोलैंड पर हमला बोला और उसके बाद जब फ्रांस ने जर्मनी पर युद्ध की घोषणा कर दी तथा इंग्लैंड और अन्य राष्ट्रमंडल देशों ने भी इसका अनुमोदन किया। जर्मनी ने १९३९ में यूरोप में एक बड़ा साम्राज्य बनाने के उद्देश्य से पोलैंड पर हमला बोल दिया। १९३९ के अंत से १९४१ की शुरुआत तक, अभियान तथा संधि की एक शृंखला में जर्मनी ने महाद्वीपीय यूरोप का बड़ा भाग या तो अपने अधीन कर लिया था या उसे जीत लिया था। नाट्सी-सोवियत समझौते के तहत सोवियत रूस अपने छः पड़ोसी मुल्कों, जिसमें पोलैंड भी शामिल था, पर क़ाबिज़ हो गया। फ़्रांस की हार के बाद युनाइटेड किंगडम और अन्य राष्ट्रमंडल देश ही धुरी राष्ट्रों से संघर्ष कर रहे थे, जिसमें उत्तरी अफ़्रीका की लड़ाइयाँ तथा लम्बी चली अटलांटिक की लड़ाई शामिल थे। जून १९४१ में युरोपीय धुरी राष्ट्रों ने सोवियत संघ पर हमला बोल दिया और इसने मानव इतिहास में ज़मीनी युद्ध के सबसे बड़े रणक्षेत्र को जन्म दिया। दिसंबर १९४१ को जापानी साम्राज्य भी धुरी राष्ट्रों की तरफ़ से इस युद्ध में कूद गया। दरअसल जापान का उद्देश्य पूर्वी एशिया तथा इंडोचायना में अपना प्रभुत्व स्थापित करने का था। उसने प्रशान्त महासागर में युरोपीय देशों के आधिपत्य वाले क्षेत्रों तथा संयुक्त राज्य अमेरीका के पर्ल हार्बर पर हमला बोल दिया और जल्द ही पश्चिमी प्रशान्त पर क़ब्ज़ा बना लिया। सन् १९४२ में आगे बढ़ती धुरी सेना पर लगाम तब लगी जब पहले तो जापान सिलसिलेवार कई नौसैनिक झड़पें हारा, युरोपीय धुरी ताकतें उत्तरी अफ़्रीका में हारीं और निर्णायक मोड़ तब आया जब उनको स्तालिनग्राड में हार का मुँह देखना पड़ा। सन् १९४३ में जर्मनी पूर्वी युरोप में कई झड़पें हारा, इटली में मित्र राष्ट्रों ने आक्रमण बोल दिया तथा अमेरिका ने प्रशान्त महासागर में जीत दर्ज करनी शुरु कर दी जिसके कारणवश धुरी राष्ट्रों को सारे मोर्चों पर सामरिक दृश्टि से पीछे हटने की रणनीति अपनाने को मजबूर होना पड़ा। सन् १९४४ में जहाँ एक ओर पश्चिमी मित्र देशों ने जर्मनी द्वारा क़ब्ज़ा किए हुए फ़्रांस पर आक्रमण किया वहीं दूसरी ओर से सोवियत संघ ने अपनी खोई हुयी ज़मीन वापस छीनने के बाद जर्मनी तथा उसके सहयोगी राष्ट्रों पर हमला बोल दिया। सन् १९४५ के अप्रैल-मई में सोवियत और पोलैंड की सेनाओं ने बर्लिन पर क़ब्ज़ा कर लिया और युरोप में दूसरे विश्वयुद्ध का अन्त ८ मई १९४५ को तब हुआ जब जर्मनी ने बिना शर्त आत्मसमर्पण कर दिया। सन् १९४४ और १९४५ के दौरान अमेरिका ने कई जगहों पर जापानी नौसेना को शिकस्त दी और पश्चिमी प्रशान्त के कई द्वीपों में अपना क़ब्ज़ा बना लिया। जब जापानी द्वीपसमूह पर आक्रमण करने का समय क़रीब आया तो अमेरिका ने जापान में दो परमाणु बम गिरा दिये। १५ अगस्त १९४५ को एशिया में भी दूसरा विश्वयुद्ध समाप्त हो गया जब जापानी साम्राज्य ने आत्मसमर्पण करना स्वीकार कर लिया। .

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धनुर्विद्या

किसी निश्चित लक्ष्य पर धनुष की सहायता से बाण चलाने की कला को धनुर्विद्या (Archery) कहते हैं। विधिवत् युद्ध का यह सबसे प्राचीन तरीका माना जाता है। धनुर्विद्या का जन्मस्थान अनुमान का विषय है, लेकिन ऐतिहासिक सूत्रों से सिद्ध होता है कि इसका प्रयोग पूर्व देशों में बहुत प्राचीन काल में होता था। संभवत: भारत से ही यह विद्या ईरान होते हुए यूनान और अरब देशों में पहुँची थी। .

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धरती का वीर योद्धा पृथ्वीराज चौहान

धरती का वीर योद्धा पृथ्वीराज चौहान एक टेलीविजन कार्यक्रम था जो भारतीय टेलीविजन चैनल स्टार प्लस पर प्रसारित सागर आर्ट्स द्वारा प्रारंभ किया गया जिन्होंने पहले रामायण, महाभारत और हातिम टेलीविजन शृंखला शुरू किया है। यह हिंदी टीवी धारावाहिक मध्यकालीन भारतीय इतिहास के सबसे मशहूर हिन्दू राजाओं में से एक राजा पृथ्वीराज चौहान, उसका प्रारम्बिक जीवन, उसके साहसिक कार्य, राजकुमारी संयोगिता के लिए उसका प्रेम की कहानी को दर्शाता है। ज्यादातर यह प्रारम्बिक हिंदी/अपभ्रंश कवि चन्दवरदाई का महाकाव्य पृथ्वीराज रासो, से आता है लेकिन निर्माताओं ने इस प्रेम कथा को दर्शाने के लिए बहुत अधिक छुट ली है। यह मोहक गाथा मार्च 15, 2009 को दुखद अंत के साथ समाप्त हुआ। .

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धर्मयुद्ध

प्राचीन भारतीय ग्रन्थों के अनुसार धर्मयुद्ध से तात्पर्य उस युद्ध से है जो कुछ आधारभूत नियमों का पालन करते हुए लड़ा जाता है। श्रेणी:युद्ध श्रेणी:भारतीय संस्कृति.

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नारायण दास ग्रोवर

महात्मा नारायण दास ग्रोवर (15 नवम्बर 1923 - 6 फ़रवरी 2008) भारत के महान शिक्षाविद थे। वे आर्य समाज के कार्यकर्ता थो जिन्होने 'दयानन्द ऐंग्लो-वैदिक कालेज आन्दोलन' (डीएवी आंदोलन) के प्रमुख भूमिका निभायी। उन्होने अपना पूरा जीवन डीएवी पब्लिक स्कूलों के विकास में लगा दिया। उन्होंने इस संस्था की आजीवन अवैतनिक सेवा प्रदान की। वे डीएवी पब्लिक स्कूल पटना प्रक्षेत्र के क्षेत्रीय निदेशक के साथ-साथ डीएवी कालेज मैनेजिंग कमेटी नई दिल्ली के उपाध्यक्ष थे। .

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निराशावाद

प्रश्न "गिलास आधा खाली या आधा भरा हुआ है?" के उत्तर मेंनिराशावादी दृष्टिकोण आधा खाली का विकल्प चुनेगा, जबकि आशावादी दृष्टिकोण आधा भरा का विकल्प चुनेगा. निराशावाद मन की एक अवस्था को सूचित करता है, जिसमें व्यक्ति जीवन को नकारात्मक दृष्टि से देखता है। मूल्य निर्णय के संदर्भ में व्यक्तियों के बीच नाटकीय अंतर हो सकता है, यहां तक कि तब भी, जब तथ्यों के निर्णय निर्विवाद हों.

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न्यूनोक्‍ति

राजनयिक क्षेत्र में ऐसे कथनों का प्रयोग किया जाता है जिनके फलस्वरूप कटु वातावरण में सरसता आ सके और उत्तेजनात्मक बात भी नम्रता का रूप धारण कर सके। ऐसे कथनों को न्यूनोक्ति (न्यून + उक्ति; understatement) कहते हैं। .

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परमाणु युद्ध

जिस युद्ध में शत्रु को नुकसान पहुँचाने के लिये परमाणु हथियारों का उपयोग किया जाता है उसे परमाणु युद्ध या नाभिकीय युद्ध (atomic warfare या Nuclear warfare) कहते हैं। श्रेणी:युद्ध.

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पृथ्वी का इतिहास

पृथ्वी के इतिहास के युगों की सापेक्ष लंबाइयां प्रदर्शित करने वाले, भूगर्भीय घड़ी नामक एक चित्र में डाला गया भूवैज्ञानिक समय. पृथ्वी का इतिहास 4.6 बिलियन वर्ष पूर्व पृथ्वी ग्रह के निर्माण से लेकर आज तक के इसके विकास की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं और बुनियादी चरणों का वर्णन करता है। प्राकृतिक विज्ञान की लगभग सभी शाखाओं ने पृथ्वी के इतिहास की प्रमुख घटनाओं को स्पष्ट करने में अपना योगदान दिया है। पृथ्वी की आयु ब्रह्माण्ड की आयु की लगभग एक-तिहाई है। उस काल-खण्ड के दौरान व्यापक भूगर्भीय तथा जैविक परिवर्तन हुए हैं। .

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पूर्व आधुनिक युद्ध

पूर्व आधुनिक काल के युद्ध की प्रमुख विशेषता बारूद का अधिकाधिक उपयोग था। इसके साथ ही विस्फोटकों के उपयोग करने वाले अस्त्र जैसे बन्दूक तथा तोप आदि का भी विकास हो गया था। इस कारण इस युग को बारूदी युद्ध काल (age of gunpowder warfare) भी कहते हैं। श्रेणी:युद्ध.

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फ़ॉकलैंड युद्ध

फ़ॉकलैंड युद्ध (अंग्रेज़ी: Falklands War, स्पेनी: Guerra de las Malvinas) सन् १९८२ में ब्रिटेन और आर्जेन्टीना के बीच दस-सप्ताह तक चलने वाला एक युद्ध था, जो प्रशांत महासागर के दक्षिणी भाग में फ़ॉकलैंड द्वीपसमूह तथा दक्षिण जॉर्जिया एवं दक्षिण सैंडविच द्वीप समूह के दो ब्रिटिश-अधीन क्षेत्रों पर क़ब्ज़ा प्राप्त करने के लिए लड़ा गया। आर्जेन्टीना सदा से ही इन द्वीपों को अपना भाग बताता रहा है, हालांकि इनपर ब्रिटिश क़ब्ज़ा एक शताब्दी से भी अधिक रहा है। शुक्रवार २ अप्रैल १९८२ को आर्जेन्टीना के दस्तों ने इन द्वीपों पर हमला बोलकर उनपर नियंत्रण कर लिया और अगले ही दिन पास के दक्षिण जॉर्जिया एवं दक्षिण सैंडविच द्वीप समूह पर भी नियंत्रण कर लिया। ब्रिटेन ने इसका विरोध करा और अपने युद्धी जहाज़ वहाँ के लिए रवाना कर दिये। कई झड़पों के बाद १४ जून को द्वीपों पर स्थित आर्जेन्टीनी सैनिकों ने अपने हथियार डाल दिये और ब्रिटेन का वहाँ शासन फिर से बहाल हो गया। युद्ध में कुल मिलाकर २२५ ब्रिटिश और ६४९ आर्जेन्टीनी लोगों की मृत्यु हुई। .

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फास्फोरस

‎भास्वर (फ़ॉस्फ़ोरस) एक रासायनिक तत्व है जिसका संकेत या P है तथा परमाणु संख्या 15। यह शब्द ग्रीक (यूनानी) भाषा के फॉस (प्रकाश) तथा फोरस (धारक) से मिलकर बना है जिसका शाब्दिक अर्थ हुआ प्रकाश का धारक। ये फॉस्फेट चट्टानों में पाया जाता है। इसकी संयोजकता 1, 3 और 5 होती है। तत्वों की आवर्त सारणी में ये भूयाति के समूह में आता है। ‎फ़ॉस्फ़ोरस एक अभिक्रियाशील तत्व है इसकारण ये मुक्त अवस्था में नहीं पाया जाता है। कुछ खनिजों में धातुओं के फॉस्फेट मिलते हैं। पशुओं की हड्डियों में 56% कैल्शियम फॉस्फेट पाया जाता है। जन्तुओं तथा पौधों के लिए यह एक अनिवार्य तत्व है। इसका अस्तित्व कई जैव अवयवों में मिलता है। .

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फ्रांसिस प्रथम (फ्रांस का राजा)

फ्रांसिस प्रथम (१४९४-१५४७) फ्रांस का राजा जो वैलोई के चार्ल्स का पुत्र था। सन् १४९८ में लूई बारहवें के सिंहासनारूढ़ होने पर फ्रांसिस राज्य का संभावित उत्तराधिकारी मान लिया गया। सन् १५१९ में वह रोमन साम्राज्य के सिंहासन के लिए उम्मीदवार बना। इस पद पर चार्ल्स पंचम के चुन लिए जाने पर दोनों नरेशों में जो प्रतिद्वंद्विता प्रारंभ हुई, उसके परिणामस्वरूप १५२१-२९, १५३६-३८ और १५४२-४४ के युद्ध हुए। १५२५ के इटैलियन अभियान में बहादुरी से लड़ने के बाद पेविया नामक स्थान में उसे गहरी शिकस्त उठानी पड़ी। वह बंदी बना लिया गया और अपमानजनक संधि पर हस्ताक्षर होने के बाद ही उसे छुटकारा मिला। वह बड़ी ही ढुलमुल नीति और अस्थिर विचारों का व्यक्ति था। उसके शासन काल में राज्य के अधिकारों और शक्ति में वृद्धि हुई। स्टेट्स जनरल (जनता, अमीरों तथा चर्च के प्रतिनिधियों की सभा) की बैठक बुलाई नहीं जाती थी और 'पार्लमेंट' के विरोध की परवाह नहीं की जाती थी। उसके खर्चीलेपन पर कोई नियंत्रण न था और अपनी प्रेमिकाओं तथा कृपापात्रों को उपहार तथा पेंशन आदि देकर वह मनमाना द्रव्य उड़ाया करता था जिससे प्रजा पर शासन का भार बढ़ता जाता था। वह साहित्यप्रेमी अवश्य था और विद्वानों का आदर करता था जिनमें उसके प्रशंसकों की कमी न थी। श्रेणी:फ्रांस के राजा.

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बर्मी युद्ध

बर्मी युद्ध। बर्मा पर अधिकार स्थापित करने के लिए अंग्रेजों ने तीन युद्ध किए जिन्हें बर्मी युद्ध के नाम से जाना जाता है। .

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बैटलशिप

बैटलशिप (Battleship) एक २०१२ में बनी अमेरिकी काल्पनिक विज्ञान पर आधारित नौसेना युद्ध फ़िल्म है जो बच्चों के खेल पर आधारित है जिसका निर्माण हास्ब्रो द्वारा किया गया है। यह वही कंपनी है जिन्होंने ट्राँसफ़ॉर्मर्स का निर्माण किया था। फ़िल्म को १८ मई २०१२ को रिलीज़ किया गया है। .

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बूमरैंग

बूमरैंग (Boomerang) एक प्रकार का अस्त्र है, जिसका उपयोग प्राचीन मिस्र निवासी युद्ध और शिकार के लिए करते थे और ऑस्ट्रेलिया के आदिवासी आज भी इसी रूप में इसका उपयोग करते हैं। .

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भारतीय राजनय का इतिहास

यद्यपि भारत का यह दुर्भाग्य रहा है कि वह एक छत्र शासक के अन्तर्गत न रहकर विभिन्न छोटे-छोटे राज्यों में विभाजित रहा था तथापि राजनय के उद्भव और विकास की दृष्टि से यह स्थिति अपना विशिष्ट मूल्य रखती है। यह दुर्भाग्य उस समय और भी बढ़ा जब इन राज्यों में मित्रता और एकता न रहकर आपसी कलह और मतभेद बढ़ते रहे। बाद में कुछ बड़े साम्राज्य भी अस्तित्व में आये। इनके बीच पारस्परिक सम्बन्ध थे। एक-दूसरे के साथ शांति, व्यापार, सम्मेलन और सूचना लाने ले जाने आदि कार्यों की पूर्ति के लिये राजा दूतों का उपयोग करते थे। साम, दान, भेद और दण्ड की नीति, षाडगुण्य नीति और मण्डल सिद्धान्त आदि इस बात के प्रमाण हैं कि इस समय तक राज्यों के बाह्य सम्बन्ध विकसित हो चुके थे। दूत इस समय राजा को युद्ध और संधियों की सहायता से अपने प्रभाव की वृद्धि करने में सहायता देते थे। भारत में राजनय का प्रयोग अति प्राचीन काल से चलता चला आ रहा है। वैदिक काल के राज्यों के पारस्परिक सम्बन्धों के बारे में हमारा ज्ञान सीमित है। महाकाव्य तथा पौराणिक गाथाओं में राजनयिक गतिविधियों के अनेकों उदाहरण मिलते हैं। प्राचीन भारतीय राजनयिक विचार का केन्द्र बिन्दु राजा होता था, अतः प्रायः सभी राजनीतिक विचारकों- कौटिल्य, मनु, अश्वघोष, बृहस्पति, भीष्म, विशाखदत्त आदि ने राजाओं के कर्तव्यों का वर्णन किया है। स्मृति में तो राजा के जीवन तथा उसका दिनचर्या के नियमों तक का भी वर्णन मिलता है। राजशास्त्र, नृपशास्त्र, राजविद्या, क्षत्रिय विद्या, दंड नीति, नीति शास्त्र तथा राजधर्म आदि शास्त्र, राज्य तथा राजा के सम्बन्ध में बोध कराते हैं। वेद, पुराण, रामायण, महाभारत, कामन्दक नीति शास्त्र, शुक्रनीति, आदि में राजनय से सम्बन्धित उपलब्ध विशेष विवरण आज के राजनीतिक सन्दर्भ में भी उपयोगी हैं। ऋग्वेद तथा अथर्ववेद राजा को अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिये जासूसी, चालाकी, छल-कपट और धोखा आदि के प्रयोग का परामर्श देते हैं। ऋग्वेद में सरमा, इन्द्र की दूती बनकर, पाणियों के पास जाती है। पौराणिक गाथाओं में नारद का दूत के रूप में कार्य करने का वर्णन है। यूनानी पृथ्वी के देवता 'हर्मेस' की भांति नारद वाक चाटुकारिता व चातुर्य के लिये प्रसिद्ध थे। वे स्वर्ग और पृथ्वी के मध्य एक-दूसरे राजाओं को सूचना लेने व देने का कार्य करते थे। वे एक चतुर राजदूत थे। इस प्रकार पुरातन काल से ही भारतीय राजनय का विशिष्ट स्थान रहा है। .

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भारतीय संविधान का इतिहास

किसी भी देश का संविधान उसकी राजनीतिक व्यवस्था का वह बुनियादी सांचा-ढांचा निर्धारित करता है, जिसके अंतर्गत उसकी जनता शासित होती है। यह राज्य की विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका जैसे प्रमुख अंगों की स्थापना करता है, उसकी शक्तियों की व्याख्या करता है, उनके दायित्यों का सीमांकन करता है और उनके पारस्परिक तथा जनता के साथ संबंधों का विनियमन करता है। इस प्रकार किसी देश के संविधान को उसकी ऐसी 'आधार' विधि (कानून) कहा जा सकता है, जो उसकी राज्यव्यवस्था के मूल सिद्धातों को निर्धारित करती है। वस्तुतः प्रत्येक संविधान उसके संस्थापकों एवं निर्माताओं के आदर्शों, सपनों तथा मूल्यों का दर्पण होता है। वह जनता की विशिष्ट सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक प्रकृति, आस्था एवं आकांक्षाओं पर आधारित होता है। भारत में नये गणराज्य के संविधान का शुभारंभ 26 जनवरी, 1950 को हुआ और भारत अपने लंबे इतिहास में प्रथम बार एक आधुनिक संस्थागत ढांचे के साथ पूर्ण संसदीय लोकतंत्र बना। 26 नवम्बर, 1949 को भारतीय संविधान सभा द्वारा निर्मित ‘भारत का संविधान’ के पूर्व ब्रिटिश संसद द्वारा कई ऐसे अधिनियम/चार्टर पारित किये गये थे, जिन्हें भारतीय संविधान का आधार कहा जा सकता है। .

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भूत नगर

भूत नगर (Ghost town) एक परित्यक्त गाँव, नगर, या शहर होता है, आमतौर पर वह जिसमें पर्याप्त दृश्यमान अवशेष शामिल हो। कोई नगर अक्सर एक भूत नगर बन जाता है क्योंकि इसका समर्थन करने वाला आर्थिक क्रियाकलाप विफल हो गया हो, या बाढ़, लंबे समय तक सूखे, सरकारी कार्यों, अनियंत्रित अराजकता, युद्ध, प्रदूषण या परमाणु आपदाओं जैसी प्राकृतिक या मानव-कारक आपदाओं के कारण। .

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मतभेद समाधान

मतभेद समाधान (Conflict resolution या Reconciliation) से तात्पर्य किसी संघर्ष (कानफ्लिक्ट) को शान्तिपूर्ण ढंग से अन्त कर देने की विधि या प्रक्रिया से है। .

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मतीरे की राड़

मतीरे की राड़ एक युद्ध था जो नागौर के अमरसिंह व बीकानेर के कर्णसिंह के मध्य १६४४ ई। में लड़ा गया था। .

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मनोबल-ह्रास

द्वितीय विश्वयुद्ध के समय अमेरिकी सैनिकों का मनोबल गिराने के उद्देश्य से गिराये गये नाजी सेना के प्रोपेगैण्डा-पत्रक का प्रथम पृष्ठ युद्ध तथा राष्ट्रीय सुरक्षा के सन्दर्भ में मनोबल-ह्रासीकरण (Demoralization) मनोवैज्ञानिक युद्ध की वह प्रक्रिया है जिसका उद्देश्य शत्रु के सैनिकों का मनोबल गिराना तथा उन्हें युद्ध करके पराजित करने के बजाय उन्हें पीछे हटने, आत्मसमर्पण करने, या भाग जाने के लिये उत्साहित करना होता है। श्रेणी:युद्ध.

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मशाल दुर्रानी

मशाल दुर्रानी (जन्म: 11 जनवरी 1993) अभिनेता हैं, जो बॉलीवुड में अभिनय प्रदर्शन करते हैं। मशाल दुर्रानी, बॉलीवुड के महान लेखक इकबाल दुर्रानी के पुत्र हैं। उन्होंने अपना फ़िल्मी करियर अभिनेता के रूप में बॉलीवुड फ़िल्म हम तुम दुश्मन दुश्मन से शुरू किया जिसमे उन्होंने मुख्य किरदार निभाया। फ़िल्म काफी हद तक प्रसिद्द हुई और बॉक्स ऑफिस पर फायदेमंद साबित हुई। .

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महाकाव्य (एपिक)

वृहद् आकार की तथा किसी महान कार्य का वर्णन करने वाली काव्यरचना को महाकाव्य (epic) कहते हैं। .

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मार्शल आर्ट

मार्शल आर्ट या लड़ाई की कलाएं विधिबद्ध अभ्यास की प्रणाली और बचाव के लिए प्रशिक्षण की परंपराएं हैं। सभी मार्शल आर्ट्स का एक समान उद्देश्य है: ख़ुद की या दूसरों की किसी शारीरिक ख़तरे से रक्षा । मार्शल आर्ट को विज्ञान और कला दोनों माना जाता है। इनमें से कई कलाओं का प्रतिस्पर्धात्मक अभ्यास भी किया जाता है, ज़्यादातर लड़ाई के खेल में, लेकिन ये नृत्य का रूप भी ले सकती हैं। मार्शल आर्ट्स का मतलब युद्ध की कला से है और ये लड़ाई की कला से जुड़ा पंद्रहवीं शताब्दी का यूरोपीय शब्द है जिसे आज एतिहासिक यूरोपीय मार्शल आर्ट्स के रूप में जाना जाता है। मार्शल आर्ट के एक कलाकार को मार्शल कलाकार के रूप में संदर्भित किया जाता है। मूल रूप से 1920 के दशक में रचा गया ये शब्द मार्शल आर्ट्स मुख्य तौर पर एशिया के युद्ध के तरीके के संदर्भ में था, विशेष तौर पर पूर्वी एशिया में जन्मे लड़ाई के तरीके के.

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मार्वल कॉमिक्स

मार्वेल वर्ल्डवाइड, इंक (Marvel Worldwide, Inc.) या साधारणतः मार्वल कॉमिक्स एक अमरीकी कंपनी है जो कॉमिक्स पुस्तकें प्रकाशित करती है। २००९ में द वाल्ट डिज़्नी कंपनी ने मार्वल इंटरटेनमेंट को खरीद लिया जो मार्वल वर्ल्डवाइड की मातृ कंपनी है। मार्वेल की शुरुआत १९३९ में टाइमली पब्लिकेशंस के नाम से हुई और शुतुआत १९५० में यह एटलस कॉमिक्स बन गई। मार्वल के आधुनिक युग की शुरुआत १९६१ में हुई और आगे चलकर इसने फैंटास्टिक फोर व स्टेन ली, जैक किर्बी और स्टीव डीटको द्वारा बनाए गए अन्य सुपरहीरो के शीर्षकों वाले कॉमिक्स जारी किए। मार्वल में स्पाइडर-मैन, द एक्स मैन, आयरन मैन, द हल्क, द फैंटास्टिक फोर, थॉर, कैप्टन अमेरिका जैसे सुपरहीरो व डॉक्टर डूम, ग्रीन गोब्लिन, मैगनेटो, गलैकटस और रेड स्कल जैसे खलनायक शामिल है। इसके अधिकतर पात्र एक काल्पनिक विश्व मार्वल ब्रह्मांड में वास्तविक शहरों जैसे न्यूयॉर्क, लॉस ऐन्जेलिस और शिकागो में स्थित है। .

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मार्कस पोर्सियस कातो

मार्कस पोर्सियस कातो (९५ - ९ ई० पू०) रोमन दार्शनिक जो राजनीति और युद्ध में भी रूचि लेता था। पांपे और जूलियस सीजर के बीच हुए युद्ध में उसने पांपे का पक्ष लिया जिसकी पराजय होने पर उसने आत्महत्या कर ली। बताया जाता है कि मरते समय तक प्लेटो के 'डायलागॅ' के आत्मा की अमरता वाला भाग पढ़ता रहा, यद्यपि स्वंय उसने भविष्य की अपेक्षा तात्कालिक कर्त्तव्य को सदैव अधिक महत्वपूर्ण समझा। इसी तरह राजनीति में तो वह अराजकवादी था किंतु सिद्धांतत: स्वतंत्र राज्य का समर्थक था। मृत्यु के उपरांत उसका चरित्र चर्चा का विषय बना। सिसरो ने 'कातो' लिखा और सीजर ने 'एंटाकातो'। ब्रूटस ने कातो को सद्गुणों और आत्मत्याग का आदर्श बताया।.

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माल्कम २

ब्रिटेन का शासक।.

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मोहनमंत्र

मोहनमंत्र वह मंत्र है जिसके द्वारा किसी व्यक्ति को या समुदाय को मोहित किया जाता है। इसके द्वारा मनुष्य की मानसिक क्रियाओं पर प्रभाव डालकर उसको वश में किया जाता है। राज्याभिषेक के समय राजा को एक मणि, जो पर्ण वृक्ष की बनाई जाती थी, मोहनमंत्र से अभिमंत्रित करके पहिनाई जाती थी। इससे जो भी राजा के सामने जाता था वह मोहित और प्रभावित हो जाता था। युद्ध के समय मोहनमंत्र का प्रयोग शत्रु की सेना पर किया जाता था। रणदुदंभी पर मोहनमंत्र किया जाता था जिससे उसको सुनने वाले विपक्ष के सैनिक मोहित और भयभीत हो जाते थे। किसी व्यक्ति विशेष पर मोहनमंत्र करने के लिये भी उसी प्रकार पुतला बनाया जाता था जैसे बशीकरण मंत्र में किया जाता है। साँप को मोहनमंत्र द्वारा निष्क्रिय किया जाता है। .

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यथापूर्व स्थापन

यथापूर्व स्थापन (Postliminium) विधि से संबन्धित अधिकार है। 'पोस्टलीमिनियम' शब्द पोस्ट (बाहर) और लाइमन (दहलीज) से मिलकर बना है। प्राचीन काल में, जब कोई रोम निवासी किसी विदेशी राज्य में बंदी बना लिया जाता था, उसके वहाँ से छूटने और रोम साम्राज्य की सीमा में पुन: प्रवेश करने पर, यथार्पूव स्थापना द्वारा, उसको फिर वही अधिकर प्राप्त हो जाते थे जो पहले मिले हुए थे। रोमन विधि का यह सिद्धांत इस परिकल्पना पर आधारित था, मानो वह मनुष्य कभी बंदी बनाया ही न गया हो। वर्तमान अन्तरराष्ट्रीय विधि और जनपदीय विधि में, यथापूर्व स्थापन इस तथ्य का द्योतक है कि कोई प्रदेश, व्यक्ति और संपत्ति, युद्ध के समय शत्रु के अधिकार में आने के पश्चात्‌, युद्धकालीन समय में ही या उसकी समाप्ति पर, फिर अपनी मूल सत्ता (original sovereign) की पुन: मिल गए हैं। अगर कोई प्रदेश शांति-संधि द्वारा समर्तित को पुन: मिल गए हैं। अगर कोई प्रदेश शांति-संधि द्वारा समर्पित (ceded) कर दिया गया है, अथवा युद्ध में जीते जोने के पश्चात्‌ अनुबद्ध (annexed) कर लिया गया है, तब, अगर कुछ समय पश्चात्‌ यह प्रदेश फिर अपने पहले राज्य के पास वापस आ जाता है, तो यथापूर्व स्थापन का प्रश्न नहीं उठता। इस प्रकार यथापूर्व स्थापन का अधिकर केवल युद्ध की अवस्था में ही उत्पन्न होता है। इस अस्थायी सैनिक परिभोग (military occupation) के बीच यदि शत्रु देश कोई ऐसा काम करता है जो न्यायानुकूल है, जो यथापूर्ण स्थापन के अधिकार का उपयोग संभव नहीं है, उदाहरणार्थ यदि वह कोई साधारण कर लगाये, अथवा किसी दंडनीय व्यक्ति को दंड दे। फिर भी यह अवस्था केवल उस समय तक लागू है जब तक कि वह प्रदेश उस परिभोगी के अधिकार में हैं। परंतु यदि परिभोगी कोई ऐसा काम करता है, जो अंतरराष्ट्रीय विधि के प्रतिकूल है, तो यथापूर्व स्थापना की दृष्टि से ऐसे कोर्य को वास्तव में प्रभावहीन हो माना जाता है, उदाहरणार्थ, यदि परिभागी राज्य की अचल संपत्ति को बेच दे। .

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युद्ध

वर्ष १९४५ में कोलोन युद्ध एक लंबे समय तक चलने वाला आक्रामक कृत्य है जो सामान्यतः राज्यों के बीच झगड़ों के आक्रामक और हथियारबंद लड़ाई में परिवर्तित होने से उत्पन्न होता है। .

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युद्ध विधि

युद्ध विधि (law of war) एक कानूनी शब्द है जिसका सम्बन्ध युद्ध आरम्भ करने के स्वीकार्य कारणों (jus ad bellum) से से है और युद्ध के समय के आचरण की स्वीकार्य सीमा (jus in bello or International humanitarian law) से है। .

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युद्ध कलाएँ

चीन में लोग आज भी युद्ध कलाओं का अभ्यास करते हैं युद्ध कलाएँयुद्ध की कूट एवं पारम्परिक पद्धतियाँ हैं जिन्हे विविध कारणों से व्यवहार में लाया जाता रहा है। इन्हें आत्मरक्षा, प्रतिस्पर्धा, शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक एवं आध्यात्मिक विकास आदि के लिये व्यवहार में लाया जाता है। विश्व में विभिन्न प्रकार की युद्ध कलाएँ हैं जैसे भारत में युद्धकला चीन में कुंग फू और जापान में कराते। .

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युद्धपोत राजनय

जर्मन गनबोट डिप्लोमैसी का प्रसिद्ध उदाहरण: '''एस एम एस पैन्थर''' अंतरराष्ट्रीय राजनीति में, नौसैनिक शक्ति का प्रदर्शन करके विदेश नीति के लक्ष्यों को प्राप्त करना युद्धपोत राजनय (gunboat diplomacy या अमेरिकी इतिहास में "big stick diplomacy") कहलाता है। दूसरे शब्दों में, सीधे युद्ध का भय दिखाकर अपनी बातें मनवाना युद्धपोत राजनय है। .

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युद्धविराम

सीनाई में इस्राइल और मिस्र के सिपहसालारों का मिलना युद्धविराम या अवहार या जंगबंदी (ceasefire या truce) किसी युद्ध में जूझ रहे पक्षों में आपसी समझौते से लड़ाई रोक देने को कहते हैं। जंग की यह रुकावट स्थाई या अस्थाई रूप से की गई हो सकती है। अक्सर युद्धविराम पक्षों में किसी औपचारिक संधि का हिस्सा होते है लेकिन यह अनौपचारिक रूप से बिना किसी समझौते पर हस्ताक्षर करे भी हो सकते हैं।, British Broadcasting Corporation Monitoring Service, British Broadcasting Corporation, 1986,...

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युद्धकालीन अर्थव्यवस्था

जर्मन भाषा में लिखा एक पोस्टर जिसमें जनता को समझाया गया है कि युद्धकाल में किस तरह से साबुन और तेल का उपयोग कम किया जाय। आधुनिक राज्य, युद्ध की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये उत्पादन करने हेतु जो अल्पकालिक व्यय करता है और जो आर्थिक कदम उठाता है, उनको युद्धकालीन अर्थव्यवस्था ((वार इकनॉमी)) कहते हैं। फिलिप ली बिलों (Philippe Le Billon) के अनुसार, "युद्धकालीन अर्थव्यवस्था, हिंसा को जारी रखने के लिये आवश्यक संसाधनों के उत्पादन की, उनको गतिशील बनाने की और उनके नियतन की प्रणाली है।" कई देश युद्धकाल में कार्य को अधिक योजनापूर्वक करना शुरू कर देते हैं, कई बार राशनव्यवस्था लागू करनी पड़ती है, अनिवार्य सैनिक सेवा चालू कर देते हैं (जैसे- द्वितीय विश्वयुद्ध के समय युनाइटेड किंगडम में महिला सेना, और बेविन बॉय्स (Bevin Boys) शुरू किये गये थे।) श्रेणी:अर्थव्यवस्था.

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रणक्षेत्र

रणक्षेत्र का एक दृश्यरणक्षेत्र वैसी जगह है जहाँ युद्ध (लड़ाई) हो रहा हो, होना निश्चित हो, या फिर युद्ध हो चुका हो। जैसे की हम सब जानते है की जब पृथ्वीराज चौहान और मोहम्मद गौरी के बीच जिस जगह पे युद्ध हुई थी उसे भी हम रणक्षेत्र ही कहते है, अगर किसी वजह से उस भूमि पे पृथ्वीराज चौहान और मोहम्मद गौरी के भी लड़ाई न हुई होती या किसी और स्थान पे युद्ध हुई होती तो आज हम सब किसी और जगह को रणक्षेत्र कहते। .

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राम प्रसाद 'बिस्मिल'

राम प्रसाद 'बिस्मिल' (११ जून १८९७-१९ दिसम्बर १९२७) भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की क्रान्तिकारी धारा के एक प्रमुख सेनानी थे, जिन्हें ३० वर्ष की आयु में ब्रिटिश सरकार ने फाँसी दे दी। वे मैनपुरी षड्यन्त्र व काकोरी-काण्ड जैसी कई घटनाओं में शामिल थे तथा हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के सदस्य भी थे। राम प्रसाद एक कवि, शायर, अनुवादक, बहुभाषाभाषी, इतिहासकार व साहित्यकार भी थे। बिस्मिल उनका उर्दू तखल्लुस (उपनाम) था जिसका हिन्दी में अर्थ होता है आत्मिक रूप से आहत। बिस्मिल के अतिरिक्त वे राम और अज्ञात के नाम से भी लेख व कवितायें लिखते थे। ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी (निर्जला एकादशी) विक्रमी संवत् १९५४, शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर में जन्मे राम प्रसाद ३० वर्ष की आयु में पौष कृष्ण एकादशी (सफला एकादशी), सोमवार, विक्रमी संवत् १९८४ को शहीद हुए। उन्होंने सन् १९१६ में १९ वर्ष की आयु में क्रान्तिकारी मार्ग में कदम रखा था। ११ वर्ष के क्रान्तिकारी जीवन में उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं और स्वयं ही उन्हें प्रकाशित किया। उन पुस्तकों को बेचकर जो पैसा मिला उससे उन्होंने हथियार खरीदे और उन हथियारों का उपयोग ब्रिटिश राज का विरोध करने के लिये किया। ११ पुस्तकें उनके जीवन काल में प्रकाशित हुईं, जिनमें से अधिकतर सरकार द्वारा ज़ब्त कर ली गयीं। --> बिस्मिल को तत्कालीन संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध की लखनऊ सेण्ट्रल जेल की ११ नम्बर बैरक--> में रखा गया था। इसी जेल में उनके दल के अन्य साथियोँ को एक साथ रखकर उन सभी पर ब्रिटिश राज के विरुद्ध साजिश रचने का ऐतिहासिक मुकदमा चलाया गया था। --> .

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राष्ट्र संघ

राष्ट्र संघ (लंदन) पेरिस शांति सम्मेलन के परिणामस्वरूप संयुक्त राष्ट्र संघ के पूर्ववर्ती के रूप में गठित एक अंतर्शासकीय संगठन था। 28 सितम्बर 1934 से 23 फ़रवरी 1935 तक अपने सबसे बड़े प्रसार के समय इसके सदस्यों की संख्या 58 थी। इसके प्रतिज्ञा-पत्र में जैसा कहा गया है, इसके प्राथमिक लक्ष्यों में सामूहिक सुरक्षा द्वारा युद्ध को रोकना, निःशस्त्रीकरण, तथा अंतर्राष्ट्रीय विवादों का बातचीत एवं मध्यस्थता द्वारा समाधान करना शामिल थे। इस तथा अन्य संबंधित संधियों में शामिल अन्य लक्ष्यों में श्रम दशाएं, मूल निवासियों के साथ न्यायपूर्ण व्यवहार, मानव एवं दवाओं का अवैध व्यापार, शस्त्र व्यपार, वैश्विक स्वास्थ्य, युद्धबंदी तथा यूरोप में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा थे। संघ के पीछे कूटनीतिक दर्शन ने पूर्ववर्ती सौ साल के विचारों में एक बुनियादी बदलाव का प्रतिनिधित्व किया। चूंकि संघ के पास अपना कोई बल नहीं था, इसलिए इसे अपने किसी संकल्प का प्रवर्तन करने, संघ द्वारा आदेशित आर्थिक प्रतिबंध लगाने या आवश्यकता पड़ने पर संघ के उपयोग के लिए सेना प्रदान करने के लिए महाशक्तियों पर निर्भर रहना पड़ता था। हालांकि, वे अक्सर ऐसा करने के लिए अनिच्छुक रहते थे। प्रतिबंधों से संघ के सदस्यों को हानि हो सकती थी, अतः वे उनका पालन करने के लिए अनिच्छुक रहते थे। जब द्वित्तीय इटली-अबीसीनिया युद्ध के दौरान संघ ने इटली के सैनिकों पर रेडक्रॉस के मेडिकल तंबू को लक्ष्य बनाने का आरोप लगाया था, तो बेनिटो मुसोलिनी ने पलट कर जवाब दिया था कि “संघ तभी तक अच्छा है जब गोरैया चिल्लाती हैं, लेकिन जब चीलें झगड़ती हैं तो संघ बिलकुल भी अच्छा नहीं है”.

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राष्ट्रीय हित

राष्ट्रीय हित (national interest, फ्रेंच: raison d'État) से आशय किसी देश के आर्थिक, सैनिक, साम्स्कृतिक लक्ष्यों एवं महत्वाकाक्षाओं से है। राष्ट्रीय हित अंतरराष्ट्रीय राजनीति में महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है, क्योंकि राज्यों के आपसी संबंधों को बनाने में इनकी विशेष भूमिका होती है। किसी भी राष्ट्र की विदेश नीति मूलतः राष्ट्रीय हितों पर ही आधारित होती है, अतः उसकी सफलताओं एवं असफलताओं का मूल्यांकन भी राष्ट्रीय हितों में परिवर्तन आता है जिसके परिणामस्वरूप विदेश नीति भी बदलाव के दौर से गुजरती है। .

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राज्य

विश्व के वर्तमान राज्य (विश्व राजनीतिक) पूँजीवादी राज्य व्यवस्था का पिरामिड राज्य उस संगठित इकाई को कहते हैं जो एक शासन (सरकार) के अधीन हो। राज्य संप्रभुतासम्पन्न हो सकते हैं। इसके अलावा किसी शासकीय इकाई या उसके किसी प्रभाग को भी 'राज्य' कहते हैं, जैसे भारत के प्रदेशों को भी 'राज्य' कहते हैं। राज्य आधुनिक विश्व की अनिवार्य सच्चाई है। दुनिया के अधिकांश लोग किसी-न-किसी राज्य के नागरिक हैं। जो लोग किसी राज्य के नागरिक नहीं हैं, उनके लिए वर्तमान विश्व व्यवस्था में अपना अस्तित्व बचाये रखना काफ़ी कठिन है। वास्तव में, 'राज्य' शब्द का उपयोग तीन अलग-अलग तरीके से किया जा सकता है। पहला, इसे एक ऐतिहासिक सत्ता माना जा सकता है; दूसरा इसे एक दार्शनिक विचार अर्थात् मानवीय समाज के स्थाई रूप के तौर पर देखा जा सकता है; और तीसरा, इसे एक आधुनिक परिघटना के रूप में देखा जा सकता है। यह आवश्यक नहीं है कि इन सभी अर्थों का एक-दूसरे से टकराव ही हो। असल में, इनके बीच का अंतर सावधानी से समझने की आवश्यकता है। वैचारिक स्तर पर राज्य को मार्क्सवाद, नारीवाद और अराजकतावाद आदि से चुनौती मिली है। लेकिन अभी राज्य से परे किसी अन्य मज़बूत इकाई की खोज नहीं हो पायी है। राज्य अभी भी प्रासंगिक है और दिनों-दिन मज़बूत होता जा रहा है। यूरोपीय चिंतन में राज्य के चार अंग बताये जाते हैं - निश्चित भूभाग, जनसँख्या, सरकार और संप्रभुता। भारतीय राजनीतिक चिन्तन में 'राज्य' के सात अंग गिनाये जाते हैं- राजा या स्वामी, मंत्री या अमात्य, सुहृद, देश, कोष, दुर्ग और सेना। (राज्य की भारतीय अवधारण देखें।) कौटिल्य ने राज्य के सात अंग बताये हैं और ये उनका "सप्तांग सिद्धांत " कहलाता है - राजा, आमात्य या मंत्री, पुर या दुर्ग, कोष, दण्ड, मित्र । .

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राव गोपाल सिंह खरवा

राव गोपालसिंह खरवा (1872–1939), राजपुताना की खरवा रियासत के शासक थे। अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह करने के आरोप में उन्हें टोडगढ़ दुर्ग में ४ वर्ष का कारावास दिया गया था। .

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रक्षा शरीरक्रिया एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान

रक्षा शरीरक्रिया एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान (Defence Institute of Physiology & Allied Sciences (DIPAS)) भारत की एक रक्षा प्रयोगशाला है और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के अन्तर्गत है। यह दिल्ली में स्थित है। इसमें चरम परिस्थितियों में तथा युद्ध की अवस्था में मानव के कार्य करने की क्षमता बढ़ाने के लिये शरीरक्रिया और जैवचिकित्सीय अनुसंधान किये जाते हैं। 'दिपास' डीआरडीओ के जीवन विज्ञान निदेशालय के अन्तर्गत आता है। .

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रोमांच यात्रा

रोमांच यात्रा (adventure travel) या साहसिक पर्यटन एक प्रकार का पर्यटन होता है जिसमें यात्री रोमांच के लिए खोजयात्रा करता है या जोखिम अनुभव करने की चेष्टा में संकटजनक (वास्तविक या प्रतीत होने वाले) गतिविधियों में भाग लेता है। इस श्रेणी में पर्वतारोहण, कुछ प्रकार के वनभ्रमण, गहरी-अंधेरी गुफ़ाओं में प्रवेश, युद्धग्रस्त क्षेत्रों का भ्रमण, इत्यादि शामिल हैं। .

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लाला हरदयाल

लाला हरदयाल (१४ अक्टूबर १८८४, दिल्ली -४ मार्च १९३९) भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के उन अग्रणी क्रान्तिकारियों में थे जिन्होंने विदेश में रहने वाले भारतीयों को देश की आजादी की लडाई में योगदान के लिये प्रेरित व प्रोत्साहित किया। इसके लिये उन्होंने अमरीका में जाकर गदर पार्टी की स्थापना की। वहाँ उन्होंने प्रवासी भारतीयों के बीच देशभक्ति की भावना जागृत की। काकोरी काण्ड का ऐतिहासिक फैसला आने के बाद मई, सन् १९२७ में लाला हरदयाल को भारत लाने का प्रयास किया गया किन्तु ब्रिटिश सरकार ने अनुमति नहीं दी। इसके बाद सन् १९३८ में पुन: प्रयास करने पर अनुमति भी मिली परन्तु भारत लौटते हुए रास्ते में ही ४ मार्च १९३९ को अमेरिका के महानगर फिलाडेल्फिया में उनकी रहस्यमय मृत्यु हो गयी। उनके सरल जीवन और बौद्धिक कौशल ने प्रथम विश्व युद्ध के समय ब्रिटिश साम्राज्यवाद के विरुद्ध लड़ने के लिए कनाडा और अमेरिका में रहने वाले कई प्रवासी भारतीयों को प्रेरित किया। .

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लूटपाट

लूटपाट सैन्य या राजनीतिक जीत, युद्ध, प्राकृतिक आपदा या दंगे में तबाही के दौरान, बल द्वारा जान-माल का अंधाधुंध लेना होता है। लूटपाट या लूट शब्द का प्रयोग साधारण चोरी या गबन के लिये भी होता है। .

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लोलार्ड

लोलार्ड (Lollard, Lollardi या Loller) चौदहवीं शताब्दी में उत्पन्न इंग्लैंड के सामाजिक तथा धार्मिक आंदोलन के अनुयायियों का अपमानजनक (मुँहबोला)नाम है। ये लोग प्रायः अशिक्षित थे या केवल अंग्रेजी भाषा में शिक्षित थे। वे जान विक्लिफ की शिक्षा से प्रेरणा लेकर चर्च की भू-संपत्ति, पुरोहितों के ब्रह्मचर्य, पूजापद्धति के आडंबर, पापस्वीकरण (कनफेशन) की प्रथा आदि के विरोध में प्रचार करने लगे। उनकी शिक्षा थी कि प्रत्येक युद्ध, बाइबिल की शिक्षा के विरुद्ध, अन्यायपूर्ण है और राजा की महिमा बढ़ाने के उद्देश्य से हत्या तथा गरीबों के शोषण का साधनमात्र है। विक्लिफ (सन् १३२०-१३८४ ई.) की मृत्यु के बाद यह आंदोलन विशेष रूप से सफल रहा और चर्च के संगठन को चुनौती देने लगा। सन् १४०१ ई. से राजा मृत्युदंड, कैद आदि के द्वारा उसे मिटाने का प्रयास करने लगा। इसके फलस्वरूप लोलार्डों का प्रकट आंदोलन तो समाप्तप्राय हो गया किंतु वह लुके छिपे जारी रहा और १६वीं शताब्दी में प्रोटेस्टैंट विचारों के प्रचार में सहायक सिद्ध हुआ। श्रेणी:इंग्लैण्ड में धर्मसुधार.

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शस्त्र

भारत में प्रयुक्त मध्ययुगीन हथियार कोई भी उपकरण जिसका प्रयोग अपने शत्रु को चोट पहुँचाने, वश में करने या हत्या करने के लिये किया जाता है, शस्त्र या आयुध (weapon) कहलाता है। शस्त्र का प्रयोग आक्रमण करने, बचाव करने अथवा डराने-धमकाने के लिये किया जा सकता है। शस्त्र एक तरफ लाठी जितना सरल हो सकता है तो दूसरी तरफ बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र जितना जटिल भी। .

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शान्तिवाद

शांतिवाद (Pacifism) वह दर्शन है जो युद्ध एवं हिंसा का विरोध करती है। भारतीय धर्मों (हिन्दू, बौद्ध धर्म, जैन धर्म) में 'अहिंसा' का जो दर्शन है वही शान्तिवाद है। आधुनिक युग में फ्रांस के एमाइल अर्नाद (Émile Arnaud (1864–1921)) ने १९०१ में सबसे पहले यह शब्द उछाला था। .

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शिवाजी

छत्रपति शिवाजी महाराज या शिवाजी राजे भोसले (१६३० - १६८०) भारत के महान योद्धा एवं रणनीतिकार थे जिन्होंने १६७४ में पश्चिम भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी। उन्होंने कई वर्ष औरंगज़ेब के मुगल साम्राज्य से संघर्ष किया। सन १६७४ में रायगढ़ में उनका राज्याभिषेक हुआ और छत्रपति बने। शिवाजी महाराज ने अपनी अनुशासित सेना एवं सुसंगठित प्रशासनिक इकाइयों की सहायता से एक योग्य एवं प्रगतिशील प्रशासन प्रदान किया। उन्होंने समर-विद्या में अनेक नवाचार किये तथा छापामार युद्ध (Gorilla War) की नयी शैली (शिवसूत्र) विकसित की। उन्होंने प्राचीन हिन्दू राजनीतिक प्रथाओं तथा दरबारी शिष्टाचारों को पुनर्जीवित किया और फारसी के स्थान पर मराठी एवं संस्कृत को राजकाज की भाषा बनाया। भारत के स्वतन्त्रता संग्राम में बहुत से लोगों ने शिवाजी के जीवनचरित से प्रेरणा लेकर भारत की स्वतन्त्रता के लिये अपना तन, मन धन न्यौछावर कर दिया। .

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शक्‍ति-संतुलन

शक्‍ति-संतुलन का सिद्धान्त (balance of power theory) यह मानता है कि कोई राष्ट्र तब अधिक सुरक्षित होता है जब सैनिक क्षमता इस प्रकार बंटी हुई हो कि कोई अकेला राज्य इतना शक्तिशाली न हो कि वह अकेले अन्य राज्यों को दबा दे। .

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शुम्भ और निशुम्भ

शुम्भ और निशुम्ब से युद्ध करतीं हुईं देवी दुर्गा हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार शुम्भ और निशुम्भ दो भाई थे जो महर्षि कश्यप और दनु के पुत्र तथा नमुचि के भाई थे। देवीमहात्म्य में इनकी कथा वर्णित है। इंद्र ने एक बार नमुचि को मार डाला। रुष्ट होकर शुंभ-निशुंभ ने उनसे इंद्रासन छीन लिया और शासन करने लगे। इसी बीच दुर्गा ने महिषासुर को मारा और ये दोनों उनसे प्रतिशोध लेने को उद्यत हुए। इन्होंने दुर्गा के सामने शर्त रखी कि वे या तो इनमें किसी एक से विवाह करें या मरने को तैयार हो जाऐं। दुर्गा ने कहा कि युद्ध में मुझे जो भी परास्त कर देगा, उसी से मैं विवाह कर लूँगी। इस पर दोनों से युद्ध हुआ और दोनों मारे गए। .

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शुक्रनीति

शुक्रनीति एक प्रसिद्ध नीतिग्रन्थ है। इसकी रचना करने वाले शुक्र का नाम महाभारत में 'शुक्राचार्य' के रूप में मिलता है। शुक्रनीति के रचनाकार और उनके काल के बारे में कुछ भी पता नहीं है। शुक्रनीति में २००० श्लोक हैं जो इसके चौथे अध्याय में उल्लिखित है। उसमें यह भी लिखा है कि इस नीतिसार का रात-दिन चिन्तन करने वाला राजा अपना राज्य-भार उठा सकने में सर्वथा समर्थ होता है। इसमें कहा गया है कि तीनों लोकों में शुक्रनीति के समान दूसरी कोई नीति नहीं है और व्यवहारी लोगों के लिये शुक्र की ही नीति है, शेष सब 'कुनीति' है। शुक्रनीति की सामग्री कामन्दकीय नीतिसार से भिन्न मिलती है। इसके चार अध्यायों में से प्रथम अध्याय में राजा, उसके महत्व और कर्तव्य, सामाजिक व्यवस्था, मन्त्री और युवराज सम्बन्धी विषयों का विवेचन किया गया है। .

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श्रीदेवनारायण

श्रीदेवनारायण, राजस्थान के गुर्जर योद्धा थे जिन्होने गुर्जर समाज की स्थापना की। वे भगवान विष्णु के अवतार हैं। इनकी पूजा मुख्यत: राजस्थान, हरियाणा तथा मध्यप्रदेश में होती है। इनका भव्य मंदिर आसीन्द में है। .

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सच्चियाय माता मन्दिर

सच्चियाय माता (सचिया माता) के नाम से भी जानी जाती है इनका मंदिर जोधपुर से 63 किमी दूर ओसियां में स्थित है। यह मंदिर जोधपुर जिले का सबसे बड़ा मंदिर है इसका निर्माण 9वीं या 10वीं सदी में उपेन्द्र ने करवाया था। सच्चियाय माता की पूजा ओसवाल, जैन, परमार, पंवार, कुमावत, राजपूत, चारण तथा पारिक इत्यादि जातियों के लोग पूजते हैं। .

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समर-विद्या

युद्ध में शत्रु से लड़ने एवं उसे पराजित करने के लिये सैनिक शक्ति को संगठित करना, हथियारों का समन्वय एवं उपयोग करने की तकनीक के विज्ञान एवं कला को सामरिकी या समर-विद्या या युद्ध-विद्या (Military tactics) कहते हैं। .

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समाजवाद

समाजवाद (Socialism) एक आर्थिक-सामाजिक दर्शन है। समाजवादी व्यवस्था में धन-सम्पत्ति का स्वामित्व और वितरण समाज के नियन्त्रण के अधीन रहते हैं। आर्थिक, सामाजिक और वैचारिक प्रत्यय के तौर पर समाजवाद निजी सम्पत्ति पर आधारित अधिकारों का विरोध करता है। उसकी एक बुनियादी प्रतिज्ञा यह भी है कि सम्पदा का उत्पादन और वितरण समाज या राज्य के हाथों में होना चाहिए। राजनीति के आधुनिक अर्थों में समाजवाद को पूँजीवाद या मुक्त बाजार के सिद्धांत के विपरीत देखा जाता है। एक राजनीतिक विचारधारा के रूप में समाजवाद युरोप में अठारहवीं और उन्नीसवीं सदी में उभरे उद्योगीकरण की अन्योन्यक्रिया में विकसित हुआ है। ब्रिटिश राजनीतिक विज्ञानी हैरॉल्ड लॉस्की ने कभी समाजवाद को एक ऐसी टोपी कहा था जिसे कोई भी अपने अनुसार पहन लेता है। समाजवाद की विभिन्न किस्में लॉस्की के इस चित्रण को काफी सीमा तक रूपायित करती है। समाजवाद की एक किस्म विघटित हो चुके सोवियत संघ के सर्वसत्तावादी नियंत्रण में चरितार्थ होती है जिसमें मानवीय जीवन के हर सम्भव पहलू को राज्य के नियंत्रण में लाने का आग्रह किया गया था। उसकी दूसरी किस्म राज्य को अर्थव्यवस्था के नियमन द्वारा कल्याणकारी भूमिका निभाने का मंत्र देती है। भारत में समाजवाद की एक अलग किस्म के सूत्रीकरण की कोशिश की गयी है। राममनोहर लोहिया, जय प्रकाश नारायण और नरेन्द्र देव के राजनीतिक चिंतन और व्यवहार से निकलने वाले प्रत्यय को 'गाँधीवादी समाजवाद' की संज्ञा दी जाती है। समाजवाद अंग्रेजी और फ्रांसीसी शब्द 'सोशलिज्म' का हिंदी रूपांतर है। 19वीं शताब्दी के पूर्वार्ध में इस शब्द का प्रयोग व्यक्तिवाद के विरोध में और उन विचारों के समर्थन में किया जाता था जिनका लक्ष्य समाज के आर्थिक और नैतिक आधार को बदलना था और जो जीवन में व्यक्तिगत नियंत्रण की जगह सामाजिक नियंत्रण स्थापित करना चाहते थे। समाजवाद शब्द का प्रयोग अनेक और कभी कभी परस्पर विरोधी प्रसंगों में किया जाता है; जैसे समूहवाद अराजकतावाद, आदिकालीन कबायली साम्यवाद, सैन्य साम्यवाद, ईसाई समाजवाद, सहकारितावाद, आदि - यहाँ तक कि नात्सी दल का भी पूरा नाम 'राष्ट्रीय समाजवादी दल' था। समाजवाद की परिभाषा करना कठिन है। यह सिद्धांत तथा आंदोलन, दोनों ही है और यह विभिन्न ऐतिहासिक और स्थानीय परिस्थितियों में विभिन्न रूप धारण करता है। मूलत: यह वह आंदोलन है जो उत्पादन के मुख्य साधनों के समाजीकरण पर आधारित वर्गविहीन समाज स्थापित करने के लिए प्रयत्नशील है और जो मजदूर वर्ग को इसका मुख्य आधार बनाता है, क्योंकि वह इस वर्ग को शोषित वर्ग मानता है जिसका ऐतिहासिक कार्य वर्गव्यवस्था का अंत करना है। .

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समुद्री युद्ध

ट्रफ़ैलगर का युद्ध समुद्र या किसी विशाल जलराशि के भीतर और सतह पर किये जाने वाले युद्ध समुद्री युद्ध या नौसैनिक युद्ध (Naval warfare) कहलाते हैं। श्रेणी:सेना.

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सर्वेक्षण

सर्वेक्षण उपकरणो की तालिका सर्वेक्षण (Surveying) उस कलात्मक विज्ञान को कहते हैं जिससे पृथ्वी की सतह पर स्थित बिंदुओं की समुचित माप लेकर, किसी पैमाने पर आलेखन (plotting) करके, उनकी सापेक्ष क्षैतिज और ऊर्ध्व दूरियों का कागज या, दूसरे माध्यम पर सही-सही ज्ञान कराया जा सके। इस प्रकार का अंकित माध्यम लेखाचित्र या मानचित्र कहलाता है। ऐसी आलेखन क्रिया की संपन्नता और सफलता के लिए रैखिक और कोणीय, दोनों ही माप लेना आवश्यक होता है। सिद्धांतत: आलेखन क्रिया के लिए रेखिक माप का होना ही पर्याप्त है। मगर बहुधा ऊँची नीची भग्न भूमि पर सीधे रैखिक माप प्राप्त करना या तो असंभव होता है, या इतना जटिल होता है कि उसकी यथार्थता संदिग्ध हो जाती है। ऐसे क्षेत्रों में कोणीय माप रैखिक माप के सहायक अंग बन जाते हैं और गणितीय विधियों से अज्ञात रैखिक माप ज्ञात करना संभव कर देते हैं। इस प्रकार सर्वेक्षण में तीन कार्य सम्मिलित होते हैं -.

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संव्याध

संव्याध (Combat) एक उद्देश्यपूर्ण हिंसक संघर्ष है जिसका मकसद विरोधी को कमज़ोर करने, उस पर प्रभुत्व स्थापित करने, या उसे मारने से हैं, या विरोधी को किसी ऐसे स्थान से दूर करने के लिए प्रेरित करने से है जहाँ उसकी कोई चाहत या ज़रूरत नहीं हैं। युद्धकारी में संव्याध आम तौर पर विरोधी सैन्य बलों के बीच होता हैं। संव्याध हिंसा एकतरफी हो सकती है, जबकि लड़ाई (फाइटिंग) में कम से कम एक रक्षात्मक प्रतिक्रिया होती है। एक बड़े पैमाने पर झगड़ा (फाइट) एक लड़ाई (बैटल) के रूप में जाना जाता है। एक मौखिक झगड़ा (फाइट) आम तौर पर एक बहस के रूप में जाना जाता है .

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संगीत

नेपाल की नुक्कड़ संगीत-मण्डली द्वारा पारम्परिक संगीत सुव्यवस्थित ध्वनि, जो रस की सृष्टि करे, संगीत कहलाती है। गायन, वादन व नृत्य ये तीनों ही संगीत हैं। संगीत नाम इन तीनों के एक साथ व्यवहार से पड़ा है। गाना, बजाना और नाचना प्रायः इतने पुराने है जितना पुराना आदमी है। बजाने और बाजे की कला आदमी ने कुछ बाद में खोजी-सीखी हो, पर गाने और नाचने का आरंभ तो न केवल हज़ारों बल्कि लाखों वर्ष पहले उसने कर लिया होगा, इसमें संदेह नहीं। गान मानव के लिए प्राय: उतना ही स्वाभाविक है जितना भाषण। कब से मनुष्य ने गाना प्रारंभ किया, यह बतलाना उतना ही कठिन है जितना कि कब से उसने बोलना प्रारंभ किया। परंतु बहुत काल बीत जाने के बाद उसके गान ने व्यवस्थित रूप धारण किया। जब स्वर और लय व्यवस्थित रूप धारण करते हैं तब एक कला का प्रादुर्भाव होता है और इस कला को संगीत, म्यूजिक या मौसीकी कहते हैं। .

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संगीत का इतिहास

युद्ध, उत्सव और प्रार्थना या भजन के समय मानव गाने बजाने का उपयोग करता चला आया है। संसार में सभी जातियों में बाँसुरी इत्यादि फूँक के वाद्य (सुषिर), कुछ तार या ताँत के वाद्य (तत), कुछ चमड़े से मढ़े हुए वाद्य (अवनद्ध या आनद्ध), कुछ ठोंककर बजाने के वाद्य (घन) मिलते हैं। .

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संकेतन

संकेतन (Signalling), या संकेत संप्रेषण, का युद्ध में दीर्घ काल से प्रयोग हो रहा है। साधारण जीवन में भी संदेश भेजने की आवश्यकता बहुधा पड़ती ही है, पर सेना की एक टुकड़ी से दूसरी को, अथवा एक पोत से अन्य को, सूचनाएँ, आदेश आदि भेजने के कार्य का महत्व विशेष है। इसके लिए प्रत्येक संभव उपाय काम में लाए जाते हैं। पैदल और घुड़सवार, संदेशवाहकों के सिवाय, प्राचीन काल में झंडियों, प्रकाश तथा धुएँ द्वारा संकेतों से संदेश भेजने के प्रमाण मिलते हैं। अफ्रीका में यही कार्य नगाड़ों से लिया जाता रहा है। आधुनिक काल में संकेतन का उपयोग सड़कों पर आवागमन तथा रेलगाड़ियों के नियंत्रण में भी किया जा रहा है। .

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स्टार ट्रेक

स्टार ट्रेक एक अमेरिकी कल्पित विज्ञान मनोरंजन श्रृंखला है। मूल स्टार ट्रेक, जीन रॉडेनबेरी द्वारा निर्मित एक अमेरिकी टेलीविज़न श्रृंखला थी, जो पहली बार 1966 में प्रसारित हुई और तीन सीज़नों तक चली, जिसमें कैप्टन जेम्स टी. कर्क और फ़ेडरेशन स्टारशिप ''एंटरप्राइज़'' के चालक दल के अंतरातारकीय रोमांचक कारनामों का अनुगमन किया गया.

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सैनिक सिद्धान्त

सैनिक सिद्धान्त (Military doctrine) वे सिद्धान्त हैं जो अभियानों (campaigns), बड़ी कार्यवाइयों (ऑपरेशन्स), युद्धों एवं समाघात (engagements) के संचालन के तरीकों की विवेचना करते हैं। .

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सैन्य नीति

अन्तरराष्ट्रीय सुरक्षा तथा सेना से सम्बन्धित सार्वजनिक नीति को सैन्य नीति (Military policy या defence policy) कहते हैं। सैन्य नीति यह सुनिश्चित करने के लिये बनायी जाती है कि शत्रुओं द्वारा पैदा की गयी कठिनाइयों को दूर करते हुए स्वतन्त्र बने रहें और विकास करते रहें। 'शत्रु' के अन्तर्गत राज्य, अर्ध-राज्य (quasi-state) समूह, गैर-राज्य समूह आदि सभी आते हैं। सैन्य नीति में शान्ति बनाये रखने से लेकर, विवादों के निपटान के लिये, संकट के परबन्धन, और शत्रुओं से युद्ध आदि से सम्बन्धित सभी नीतियों का समावेश होता है। सैन्य नीति के अन्तर्गत वे सभी उच्चस्तरीय विकल्प और सिद्धान्त आते हैं जो सरकारें अपनी रक्षा के लिये अपनातीं हैं-.

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सैन्य विज्ञान

सैन्य विज्ञान (Military Science) के अन्तर्गत युद्ध एवं सशस्त्र संघर्ष से सम्बन्धित तकनीकों, मनोविज्ञान एवं कार्य-विधि (practice) आदि का अध्ययन किया जाता है। भारत सहित दुनिया के कई प्रमुख देश जैसे अमेरिका, इजराइल, जर्मनी, पाकिस्तान, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैण्ड, रूस, इंगलैंड, चीन, फ्रांस, कनाडा, जापान, सिंगापुर, मलेशिया में सैन्य विज्ञान विषय को सुरक्षा अध्ययन (Security Studies), रक्षा एवं सुरक्षा अध्ययन (Defence and Security Studies), रक्षा एवं स्त्रातेजिक अध्ययन (Defence and Strategic studies), सुरक्षा एवं युद्ध अध्ययन नाम से भी अध्ययन-अध्यापन किया जाता है। सैन्य विज्ञान ज्ञान की वह शाखा है जिसमें सैनिक विचारधारा, संगठन सामग्री और कौशल का सामाजिक संदर्भ में अध्ययन किया जाता है। आदिकाल से ही युद्ध की परम्परा चली आ रही है। मानव जाति का इतिहास युद्ध के अध्ययन के बिना अधूरा है और युद्ध का इतिहास उतना ही पुराना है जितनी मानव जाति की कहानी। युद्ध मानव सभ्यता के विकास के प्रमुख कारणों में से एक हैं। अनेक सभ्यताओं का अभ्युदय एवं विनाश हुआ, परन्तु युद्ध कभी भी समाप्त नहीं हुआ। जैसे-जैसे सभ्यता का विकास हुआ वैसे-वैसे नवीन हथियारों के निर्माण के फलस्वरूप युद्ध के स्वरूप में परिवर्तन अवश्य आया है। सैन्य विज्ञान के अन्तर्गत युद्ध एवं सशस्त्र संघर्ष से सम्बन्धित तकनीकों, मनोविज्ञान एवं कार्य-विधि आदि का अध्ययन किया जाता है। सैन्य विज्ञान के निम्नलिखित छः मुख्य शाखायें हैं.

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सूर्य देवता

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सूखा

अकाल भोजन का एक व्यापक अभाव है जो किसी भी पशुवर्गीय प्रजाति पर लागू हो सकता है। इस घटना के साथ या इसके बाद आम तौर पर क्षेत्रीय कुपोषण, भुखमरी, महामारी और मृत्यु दर में वृद्धि हो जाती है। जब किसी क्षेत्र में लम्बे समय तक (कई महीने या कई वर्ष तक) वर्षा कम होती है या नहीं होती है तो इसे सूखा या अकाल कहा जाता है। सूखे के कारण प्रभावित क्षेत्र की कृषि एवं वहाँ के पर्यावरण पर अत्यन्त प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था डगमगा जाती है। इतिहास में कुछ अकाल बहुत ही कुख्यात रहे हैं जिसमें करोंड़ों लोगों की जाने गयीं हैं। अकाल राहत के आपातकालीन उपायों में मुख्य रूप से क्षतिपूरक सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे कि विटामिन और खनिज पदार्थ देना शामिल है जिन्हें फोर्टीफाइड शैसे पाउडरों के माध्यम से या सीधे तौर पर पूरकों के जरिये दिया जाता है।, बीबीसी न्यूज़, टाइम सहायता समूहों ने दाता देशों से खाद्य पदार्थ खरीदने की बजाय स्थानीय किसानों को भुगतान के लिए नगद राशि देना या भूखों को नगद वाउचर देने पर आधारित अकाल राहत मॉडल का प्रयोग करना शुरू कर दिया है क्योंकि दाता देश स्थानीय खाद्य पदार्थ बाजारों को नुकसान पहुंचाते हैं।, क्रिश्चियन साइंस मॉनिटर लंबी अवधि के उपायों में शामिल हैं आधुनिक कृषि तकनीकों जैसे कि उर्वरक और सिंचाई में निवेश, जिसने विकसित दुनिया में भुखमरी को काफी हद तक मिटा दिया है।, न्यूयॉर्क टाइम्स, 9 जुलाई 2009 विश्व बैंक की बाध्यताएं किसानों के लिए सरकारी अनुदानों को सीमित करते हैं और उर्वरकों के अधिक से अधिक उपयोग के अनापेक्षित परिणामों: जल आपूर्तियों और आवास पर प्रतिकूल प्रभावों के कारण कुछ पर्यावरण समूहों द्वारा इसका विरोध किया जाता है।, न्यूयॉर्क टाइम्स, 2 दिसम्बर 2007, दी अटलांटिक .

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हिन्दी पुस्तकों की सूची/य

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हिन्दी पुस्तकों की सूची/श

संवाद शीर्षक से कविता संग्रह-ईश्वर दयाल गोस्वाामी.

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हैन्रिख़ हिम्म्लर

हैन्रिख़ लुइटपोल्ड हिम्म्लर (जर्मन: Heinrich Himmler;; 7 अक्टूबर 1900 - 23 मई 1945) एस एस के राइखफ्यूहरर, एक सैन्य कमांडर और नाज़ी पार्टी के एक अगुवा सदस्य थे। जर्मन पुलिस के प्रमुख और बाद में आतंरिक मंत्री, हिमलर गेस्टापो सहित सभी आतंरिक व बाह्य पुलिस तथा सुरक्षा बलों के काम देखा करते.

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हेमा उपाध्याय

हेमा उपाध्याय एक भारतीय कलाकार थीं.

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जल संसाधन

जल संसाधन पानी के वह स्रोत हैं जो मानव के लिए उपयोगी हों या जिनके उपयोग की संभावना हो। पानी के उपयोगों में शामिल हैं कृषि, औद्योगिक, घरेलू, मनोरंजन हेतु और पर्यावरणीय गतिविधियों में। वस्तुतः इन सभी मानवीय उपयोगों में से ज्यादातर में ताजे जल की आवश्यकता होती है। पृथ्वी पर पानी की कुल उपलब्ध मात्रा अथवा भण्डार को जलमण्डल कहते हैं। पृथ्वी के इस जलमण्डल का ९७.५% भाग समुद्रों में खारे जल के रूप में है और केवल २.५% ही मीठा पानी है, उसका भी दो तिहाई हिस्सा हिमनद और ध्रुवीय क्षेत्रों में हिम चादरों और हिम टोपियों के रूप में जमा है। शेष पिघला हुआ मीठा पानी मुख्यतः जल के रूप में पाया जाता है, जिस का केवल एक छोटा सा भाग भूमि के ऊपर धरातलीय जल के रूप में या हवा में वायुमण्डलीय जल के रूप में है। मीठा पानी एक नवीकरणीय संसाधन है क्योंकि जल चक्र में प्राकृतिक रूप से इसका शुद्धीकरण होता रहता है, फिर भी विश्व के स्वच्छ पानी की पर्याप्तता लगातार गिर रही है दुनिया के कई हिस्सों में पानी की मांग पहले से ही आपूर्ति से अधिक है और जैसे-जैसे विश्व में जनसंख्या में अभूतपूर्व दर से वृद्धि हो रही हैं, निकट भविष्य मैं इस असंतुलन का अनुभव बढ़ने की उम्मीद है। पानी के प्रयोक्ताओं के लिए जल संसाधनों के आवंटन के लिए फ्रेमवर्क (जहाँ इस तरह की एक फ्रेमवर्क मौजूद है) जल अधिकार के रूप में जाना जाता है। आज जल संसाधन की कमी, इसके अवनयन और इससे संबंधित तनाव और संघर्ष विश्वराजनीति और राष्ट्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण मुद्दे हैं। जल विवाद राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर महत्वपूर्ण विषय बन चुके हैं। .

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जामा का युद्ध

PAGENAME जामा का युद्ध (Battle of Zama) 19 अक्टूबर 202 ईसापूर्व लड़ा गया था और द्वितीय प्यूनिक युद्ध का अंतिम और निर्णायक युद्ध था। .

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ज्वारासुर

हिंदू पौराणिक कथाओं अनुसार, ज्वारासुर बुखार के दानव और शीतला देवी का जीवनसाथी है। .

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जैगुआर कारें

जैगुआर कार्स लिमिटेड, जिसे विशेष रूप से जैगुआर के रूप में जाना जाता है एक ब्रिटिश लगज़री कार निर्माता है जिसका मुख्यालय कॉवेंट्री, इंग्लैंड में है। यह मार्च 2008 से भारतीय कंपनी टाटा मोटर्स लिमिटेड (Tata Motors Ltd.) के पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है और व्यापार जैगुआर लैंड रोवर व्यवसाय के रूप में संचालित है। जैगुआर की स्थापना सर विलियम लॉयन्स द्वारा 1922 में, स्वालो साइडकार कंपनी के रूप में, मुख्य रूप से यात्री कार में आने से पहले मोटर साइकिल साइडकार बनाने के लिए की गई थी। विश्व युद्ध II के बाद, SS आद्यक्षर की प्रतिकूल अभिधानों के कारण इसके नाम को बदलकर जैगुआर कर दिया गया था। 1960 के दशक में स्वामित्व के कई परिवर्तनों के बाद, जैगुआर को लंदन स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कर दिया गया था और 1989 में फोर्ड में शामिल किए जाने तक FTSE 100 सूचकांक का अंग रही। जैगुआर को HM महारानी एलिजाबेथ II और HRH प्रिंस चार्ल्स से रॉयल वारंट भी दिए गए। अब जैगुआर कारें कॉवेंट्री के विटले प्लांट और वार्विकशॉयर के गेयडॉन प्लांट के जैगुआर लैंड रोवर्स इंजीनियरिंग सेंटर में डिज़ाइन की जाती हैं और जैगुआर लैंड रोबर्स प्लांट, बर्मिंघम के कासल ब्रोमविक असेंबली प्लांट और लिवरपूल के पास हलेवुड बॉडी एंड असेंबली निर्मित होती हैं। .

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जॉन डेविस (अंग्रेज नाविक)

जॉन डेविस (१५५०-१६०५ ई०) एलिजावेथ प्रथम के युग के अंग्रेज नाविकों तथा अन्वेषकों में एक महान् व्यक्ति थे। इनका जन्म संभवत: १५५०ई० में डेवनशिर (इंग्लैड) के सैड्रिज नामक स्थान पर (डार्टमथ के समीप) हुआ था। इन्होंने प्रारंभिक जीवन में ऐड्रियन गिल्बर्ट के साथ कई सामुद्रिक यात्राएँ कीं। १५८५ ई० में इन्होंने घटनापूर्ण उत्तर पश्चिमी क्षेत्र की यात्रा प्रारंभ की। फिर मुड़कर पश्चिमी तथा उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र से होते हुए आगे बढ़े और चीन जाने के मार्ग का अन्वेषण करने की योजना बनाई। उसी धुन में चलते हुए ६६ डिग्री उत्तर अक्षांश पर बैफिनलैंड से होकर कंवरलैंड साउंड में कुछ दूर तक गए और वहाँ से अगस्त के अनंत में लौट पड़े। १५८६ तथा १५८७ ई० में बैफिनलैंड में स्थित डेविस जलडमरूमध्य का, जिसका नामकरण इन्हीं के नाम पर हुआ है, पता लगाया और ग्रीनलैंड के पश्चिमी समुद्रक्षेत्र में ७३ डिग्री उत्तर अक्षांश में ऊपरनावक (Upernavik) नामक स्थान तक पहुँचे। इस उत्तर ध्रुवीय क्षेत्र में यात्रा करते हुए इन्होंने कंबरलैंड, केप वाल्सिंघम, एक्सटर साउंड आदि का स्थानांकन तथा नामकरण किया। ऐग्लों-स्पैनिश युद्ध में इन्होंने स्वदेश की ओर से स्पैनिश आर्मेडा के विरूद्ध युद्ध में भी भाग लिया। १९९१ ई० में य टॉमस कैवेंडिश के नेतृत्व में अमरीका के पार्श्ववर्ती उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र का विशद ज्ञान प्राप्त करने के लिये चले, किंतु इनके जहाज के अतिरिक्त अन्य जहाज लौट गए। इनका जहाज आगे बढ़ता गया और इन्होंने फॉकलैंड द्वीपों का अन्वेषण किया। सन् १५६९ में लौटने पर, इन्होंने 'समुद्रयात्री के रहस्य' (Secrets of Seaman) नामक एक प्रयोगात्मक पुस्तक (१५९४ई०) तथा 'संसार की जलीय रूपरेखा' (The world' s Hydrographical Description) नामक सैद्धान्तिक (theoretical) पुस्तक (१५९५ ई०) लिखी। मलय प्रायद्वीप के परातटवर्ती क्षेत्र में बिंटन के समीप २९ या ३० दिसंबर, १६०५ को इनकी मृत्यु हो गई। श्रेणी:समुद्री नाविक.

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जोखिम प्रबंधन

जोखिम प्रबंधन के उदाहरण: अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए उच्च प्रभाव जोखिम क्षेत्रों को दर्शाते हुए NASA का दृष्टान्त. जोखिम प्रबंधन का अर्थ है जोखिम की पहचान, मूल्यांकन एवं प्राथमिकीकरण के साथ-साथ संसाधनों का समन्वित तथा आर्थिक प्रयोग कर दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं की संभाव्यता अथवा प्रभाव को न्यूनतम करना, परखना और नियंत्रित करना। डगलस हबॉर्ड "द फ्यूचर ऑफ़ रिस्क मैनेजमेंट: व्हाइ इट्स ब्रॉकेन ऐंड हाउ टु फिक्स इट" पृष्ठ 46, जॉन विले ऐंड संस, 2009 जोखिम वित्तीय बाजारों में अनिश्चितता, परियोजना की असफलता, वैधानिक देयताएं, ऋण जोखिम, दुर्घटनाएं, प्राकृतिक कारणों और अपदाओं यहां तक कि विरोधियों के जान-बूझकर किए गए आक्रमणों के कारण हो सकते हैं। अनेक जोखिम प्रबंधन मानक विकसित किये गए हैं जिनमे परियोजना प्रबंधन संस्थान, राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, बीमांकिक संस्थाएं तथा ISO मानक शामिल हैं। क्या जोखिम प्रबंधन पद्वति परियोजना प्रबंधन, सुरक्षा, अभियांत्रिकी, औद्योगिक प्रक्रियाओं, वित्तीय विभागों, बीमांकिक आकलनों अथवा सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा से सन्दर्भित है - इस बारे में पद्धतियां, परिभाषाएं एवं उद्देश्य व्यापक रूप से भिन्न है। जोखिम प्रबंधन की रणनीतियों में दूसरे पक्ष को जोखिम का हस्तांतरण, जोखिम को टालना, जोखिम में नकारात्मक प्रभाव को कम करना और किसी खास जोखिम के थोड़े बहुत या सभी नतीजों को मान लेना शामिल हैं। जोखिम प्रबंधन के मानकों के कई पहलुओं की आलोचना की जा चुकी है क्योंकि मूल्यांकनों और निर्णयों में विशवास के बढ़ने के बावजूद कोई मापनीय सुधार नहीं हुआ है। .

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वनोन्मूलन

वनोन्मूलन का अर्थ है वनों के क्षेत्रों में पेडों को जलाना या काटना ऐसा करने के लिए कई कारण हैं; पेडों और उनसे व्युत्पन्न चारकोल को एक वस्तु के रूप में बेचा जा सकता है और मनुष्य के द्वारा उपयोग में लिया जा सकता है जबकि साफ़ की गयी भूमि को चरागाह (pasture) या मानव आवास के रूप में काम में लिया जा सकता है। पेडों को इस प्रकार से काटने और उन्हें पुनः न लगाने के परिणाम स्वरुप आवास (habitat) को क्षति पहुंची है, जैव विविधता (biodiversity) को नुकसान पहुंचा है और वातावरण में शुष्कता (aridity) बढ़ गयी है। साथ ही अक्सर जिन क्षेत्रों से पेडों को हटा दिया जाता है वे बंजर भूमि में बदल जाते हैं। आंतरिक मूल्यों के लिए जागरूकता का अभाव या उनकी उपेक्षा, उत्तरदायी मूल्यों की कमी, ढीला वन प्रबन्धन और पर्यावरण के कानून, इतने बड़े पैमाने पर वनोन्मूलन की अनुमति देते हैं। कई देशों में वनोन्मूलन निरंतर की जाती है जिसके परिणामस्वरूप विलोपन (extinction), जलवायु में परिवर्तन, मरुस्थलीकरण (desertification) और स्वदेशी लोगों के विस्थापन जैसी प्रक्रियाएं देखने में आती हैं। .

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वर्मा

वर्मा (अंग्रेजी: Varma, (अन्य नाम) वर्मन या बर्मन) हिन्दू धर्म का एक जाति सूचक उपनाम है जिसे वर्तमान भारतवर्ष एवं दक्षिण पूर्व एशिया में निवास करने वाले सभी हिन्दू अपने नाम के आगे गर्व से लिखते हैं। मुख्यत: क्षत्रिय वर्ण से उत्पन्न जाति के लोग ही वर्मा लिखते हैं परन्तु आधुनिकता के इस दौर में अन्य जातियों के लोग भी इस उपनाम को अपने नाम के आगे लगाने लगे हैं। .

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वामदेव

वामदेव ऋग्वेद के चतुर्थ मंडल के सूत्तद्रष्टा, गौतम ऋषि के पुत्र तथा "जन्मत्रयी" के तत्ववेत्ता हैं जिन्हें गर्भावस्था में ही अपने विगत दो जन्मों का ज्ञान हो गया था और उसी अवस्था में इंद्र के साथ तत्वज्ञान पर इसकी चर्चा हुई थी। वैदिक उल्लेखानुसार सामान्य मनुष्यों की भाँति जन्म न लेने की इच्छा से इन्होंने माता का उदर फाड़कर उत्पन्न होने का निश्चय किया। किंतु माता द्वारा अदिति का आवाहन करने और इंद्र से तत्वज्ञानचर्चा होने के कारण ये वैसा न कर सके। तब यह श्येन पक्षी के रूप में गर्भ से बाहर आए (ऋ. 4.27.1)। एक बार यह कुत्ते की आंत पका रहे थे। उसी समय इंद्र श्येन पक्षी (बाज) के रूप में अवतीर्ण हुए। युद्ध में इन्होंने इंद्र को परास्त किया और उन्हें ऋषियों के हाथ बेच दिया (बृहद्देवता 4,126, 131)। ये सारी कथाएँ प्रतीकात्मक तथा रूपकात्मक होने के कारण असंगतियों से युक्त और अस्पष्ट हैं। .

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वायुसेना

एक वायुसेनिक अड्डा, चित्र में उड़नपट्टी पे गोर करे वायुसेना एक राष्ट्र की सैन्य संगठन की एक शाखा होती है जिसका मुख्य कार्य उस देश की वायु सुरक्षा, वायु चौकसी एव जरूरत होने पर वायु युद्ध करना होता है। इस सेन्य संगठन की संरचना थलसेना, नौसेना या अन्य शाखाओं से अलग और स्वतंत्र होती है। आमतौर पर वायुसेना अपना कर्तव्य पालन करने के लिए वायु नियंत्रण करती है जिसमे की दुश्मन सेना के विमान विशेष तोर पर लड़ाकू विमानों को नष्ट करना, शत्रु पर बमबारी और सतेही सेना को सामरिक सहायता प्रदान करना होता है। वायुसेना कई प्रकार के साजो सामान काम में लेती है व जिसमे विभिन्न प्रकार के हथियार व विमान शामिल होते है। किसी भी वायुसेना के बेड़े में कई प्रकार के लड़ाकू, बम डोही, टोही, तेल टेंकर व सेन्य परिवहन विमान शामिल हो सकते है। सुखोई एसयु-३० एमकेआई लड़ाकू विमान .

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विल्नुस विश्वविद्यालय का पुस्तकालय

श्रेणी:पुस्तकालय विल्नुस विश्वविद्यालय का पुस्तकालय (VUB) - सब से पुराना पुस्तकालय लिथुआनिया में है। वह जेशूइट के द्वारा स्थापित किया गया था। पुस्तकालय विल्नुस विश्वविद्यालय से पुराना है - पुस्तकालय १५७० में और विश्वविद्यालय १५७९ में स्थापित किया गया था। कहने तो लायक है कि अभी तक पुस्तकालय समान निर्माण में रहा है।पहले पुस्तकालय वर्तमान भाषाशास्त्र (फ़िलोलोजी) के वाचनालय में रहा था। आज पुस्तकालय में लगभग ५४ लाख दस्तावेज रखे हैं। ताक़ों की लम्बाई - १६६ किलोमीटर ।अभी पुस्तकालय के २९ हज़ार प्रयोक्ते हैं। १७५३ में यहाँ लिथुआनिया की प्रथम वेधशाला स्थापित की गयी थी। प्रतिवर्ष विल्नुस विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में बहुत पर्यटक आते हैं - न केवल लिथुआनिया से बल्कि भारत, स्पेन, चीन, अमरीका से, वगैरह। विल्नुस विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में प्रसिद्ध व्यक्तित्व भी आते हैं। उदाहरण के लिये - राष्ट्रपति, पोप, दलाई लामा, वगैरह। विल्नुस विश्वविद्यालय के पुस्तकालय का सदर मकान उनिवेर्सितेतो ३ में, राष्ट्रपति भवन के पास स्थापित किया गया है। यहाँ १३ वाचनालय और ३ समूहों के कमरे हैं। दूसरे विल्नुस के स्थानों में अन्य पुस्तकालय के भाग मिलते हैं। .

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विल्फ्रेड ओवेन

प्रथम विश्व युद्ध के खिलाफ एक जानी-मानी आवाज के रूप में विख्यात विल्फ्रेड एडवर्ड साल्टर ओवेन (१८९३-१९१८) का जन्म वेल्श की सीमा पर ओस्वेस्ट्री में हुआ। उनका लालन पालन बर्केनहेड और श्रेसबरी में हुआ। .

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विजय

विजय शब्द का प्रयोग मूलतः युद्ध में जीत के लिये किया जाता था। .

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वज्र

वज्र संस्कृत शब्द है जिसके दो अर्थ हैं- आकाशीय बिजली और हीरा। इसके अतिरिक्त वज्र का अर्थ युद्ध में जीता गया शस्त्र भी है। .

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खाकी चुनाव

खाकी एलेक्शन (Khaki election) ग्रेट ब्रिटेन के दो संसद् निर्वाचनों के लिए प्रयुक्त शब्द जिनका संबंध युद्ध से था। पहला खाकी एलेक्शन १९०० ई. में हुआ था उस समय संयुक्तवादी बड़ी संख्या में चुने गए। उन्होंने अपनी इस विजय का यह अर्थ लगाया कि जनता ने उन दिनों चल रहे दक्षिणी अफ्रीका के युद्ध का सफल अंत करने का अधिकार उन्हें प्रदान किया है। दूसरा खाकी एलेक्शन प्रथम महायुद्ध की समाप्ति के तत्काल बाद १९१८ को दिसम्बर में हुआ था। १९११ ई. के बाद यह पहला निर्वाचन था और इसमें भी संयुक्त दल विजयी रहा। मतदाताओं की धारणा थी कि इसी दल ने युद्ध को सफल बनाया था। श्रेणी:यूके का इतिहास.

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गिरियुद्ध

पर्वतीय क्षेत्र में लड़ा जानेवाला युद्ध गिरियुद्ध कहलाता है। गिरियुद्ध के कोई विशेष सिद्धांत नहीं हैं। इसमें भी युद्ध का उद्देश्य शत्रु के मुख्य स्थानों पर अधिकार करना तथा उसकी शक्ति एवं सामग्री को समूल नष्ट करना है। यह युद्ध चाहे पर्वतीय क्षेत्र में राजद्रोहियो के विरूद्ध हो, जैसा अँगरेजी शासनकाल में भारत के उत्तर-पश्चिम सीमांत में कबायलियों के साथ हुआ था, अथवा संगठित सेनाओं के विरूद्ध हुआ युद्ध, इसके कौशल और सिद्धांत एक ही प्रकार के होते हैं। .

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गोनन्द

गोनन्द,काश्मीर के शासक थे। भारत के इतिहास में गोनन्द नाम के तीन राजा हुए जो प्राचीन काश्मीर के शासक थे। उन्हीं के लिये इस नाम का विशेष प्रयोग हुआ और कल्हण ने अपने काश्मीर के इतिहास राजतरंगिणी में उनका यथास्थान काफी वर्णन किया है। प्रथम गोनन्द तो प्रागैतिहासिक युग का राजा प्रतीत होता है और कल्हण ने उसे कलियुग के प्रारंभ होने के पूर्व का एक प्रतापी शासक माना है। उसके राज्य का विस्तार गंगा के उद्गमस्थान कैलाश पर्वत तक बताया गया है (काश्मीरेंद्र से गोनदो वेल्लगंगादुकूलया। दिशा कैलासहासिन्या प्रतापी पर्य्युपासत - राजतरंगिणी, १.५७)। यह गोनंद मगध के राजा जरासंध का संबंधी (भाई) था ओर वृष्णियों के विरुद्ध मथुरानगरी के पश्चिमी द्वार पर अवरोध किया था ताकि कृष्ण आदि उधर से भाग न निकलें। परंतु अंत में वह बलराम के हाथों संभवत: युद्ध करते मारा गया। द्वितीय गोनन्द उसके थोड़े दिन बाद शासक हुआ और कल्हण का कथन है कि उसी के समय महाभारत का युद्ध लड़ा गया। किंतु उस समय वह अभी बालक ही था और कौरवों पांडवों में किसी ने भी उससे महाभारत युद्ध में भाग लेने को नहीं कहा। उसकी माता का नाम यशोमति था, जिसकी कल्हण ने प्रशंसापूर्ण चर्चा की है। तृतीय गोनन्द काश्मीर के ऐतिहासिक युग का राजा प्रतीत होता है, परंतु उसका ठीक ठीक समय निश्चित कर सकना कठिन कार्य है। इतना निश्चित है कि व मौर्यवंशी अशोक और जालौक के बाद हुआ था। (अशोक और जालौक दोनों ही काश्मीर पर अधिकार बनाए रखने में सफल रहे थे।) वह परंपरागत वैदिक धर्म का माननेवाला था, क्योंकि उसके द्वारा बौद्धधर्मावलंबियों की कुरीतियों की समाप्ति, वैदिक आचरों की पुन: प्रतिष्ठा और दुष्ट (?) बौद्धों के अत्याचारों की समाप्ति की बात राजतंरगिणी में कल्हण ने कही है। यह भी वर्णन मिलता है कि उसके राज्य में सुखशांति की कमी नहीं थी और प्रजा धनधान्य से पूर्ण थी। स्पष्ट है कि वह शक्तिशाली और सुशासक था और प्रजा के हित की चिंता करता था। राजतंरगिणी के अनुसार उसने ३५ वर्षों तक राज्य किया। इतिहास की आधुनिक कृतियों में गोनंद नामधारी राजाओं की काश्मीर में बहुतायत के कारण उस प्रदेश के विशिष्ट राजवंश का नाम ही गोनंद वंश से अभिहित होता है। .

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ओड़िशा का इतिहास

प्राचीन काल से मध्यकाल तक ओडिशा राज्य को कलिंग, उत्कल, उत्करात, ओड्र, ओद्र, ओड्रदेश, ओड, ओड्रराष्ट्र, त्रिकलिंग, दक्षिण कोशल, कंगोद, तोषाली, छेदि तथा मत्स आदि नामों से जाना जाता था। परन्तु इनमें से कोई भी नाम सम्पूर्ण ओडिशा को इंगित नहीं करता था। अपितु यह नाम समय-समय पर ओडिशा राज्य के कुछ भाग को ही प्रस्तुत करते थे। वर्तमान नाम ओडिशा से पूर्व इस राज्य को मध्यकाल से 'उड़ीसा' नाम से जाना जाता था, जिसे अधिकारिक रूप से 04 नवम्बर, 2011 को 'ओडिशा' नाम में परिवर्तित कर दिया गया। ओडिशा नाम की उत्पत्ति संस्कृत के शब्द 'ओड्र' से हुई है। इस राज्य की स्थापना भागीरथ वंश के राजा ओड ने की थी, जिन्होने अपने नाम के आधार पर नवीन ओड-वंश व ओड्र राज्य की स्थापना की। समय विचरण के साथ तीसरी सदी ई०पू० से ओड्र राज्य पर महामेघवाहन वंश, माठर वंश, नल वंश, विग्रह एवं मुदगल वंश, शैलोदभव वंश, भौमकर वंश, नंदोद्भव वंश, सोम वंश, गंग वंश व सूर्य वंश आदि सल्तनतों का आधिपत्य भी रहा। प्राचीन काल में ओडिशा राज्य का वृहद भाग कलिंग नाम से जाना जाता था। सम्राट अशोक ने 261 ई०पू० कलिंग पर चढ़ाई कर विजय प्राप्त की। कर्मकाण्ड से क्षुब्द हो सम्राट अशोक ने युद्ध त्यागकर बौद्ध मत को अपनाया व उनका प्रचार व प्रसार किया। बौद्ध धर्म के साथ ही सम्राट अशोक ने विभिन्न स्थानों पर शिलालेख गुदवाये तथा धौली व जगौदा गुफाओं (ओडिशा) में धार्मिक सिद्धान्तों से सम्बन्धित लेखों को गुदवाया। सम्राट अशोक, कला के माध्यम से बौद्ध धर्म का प्रचार करना चाहते थे इसलिए सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म को और अधिक विकसित करने हेतु ललितगिरि, उदयगिरि, रत्नागिरि व लगुन्डी (ओडिशा) में बोधिसत्व व अवलोकेतेश्वर की मूर्तियाँ बहुतायत में बनवायीं। 232 ई०पू० सम्राट अशोक की मृत्यु के पश्चात् कुछ समय तक मौर्य साम्राज्य स्थापित रहा परन्तु 185 ई०पू० से कलिंग पर चेदि वंश का आधिपत्य हो गया था। चेदि वंश के तृतीय शासक राजा खारवेल 49 ई० में राजगद्दी पर बैठा तथा अपने शासन काल में जैन धर्म को विभिन्न माध्यमों से विस्तृत किया, जिसमें से एक ओडिशा की उदयगिरि व खण्डगिरि गुफाऐं भी हैं। इसमें जैन धर्म से सम्बन्धित मूर्तियाँ व शिलालेख प्राप्त हुए हैं। चेदि वंश के पश्चात् ओडिशा (कलिंग) पर सातवाहन राजाओं ने राज्य किया। 498 ई० में माठर वंश ने कलिंग पर अपना राज्य कर लिया था। माठर वंश के बाद 500 ई० में नल वंश का शासन आरम्भ हो गया। नल वंश के दौरान भगवान विष्णु को अधिक पूजा जाता था इसलिए नल वंश के राजा व विष्णुपूजक स्कन्दवर्मन ने ओडिशा में पोडागोड़ा स्थान पर विष्णुविहार का निर्माण करवाया। नल वंश के बाद विग्रह एवं मुदगल वंश, शैलोद्भव वंश और भौमकर वंश ने कलिंग पर राज्य किया। भौमकर वंश के सम्राट शिवाकर देव द्वितीय की रानी मोहिनी देवी ने भुवनेश्वर में मोहिनी मन्दिर का निर्माण करवाया। वहीं शिवाकर देव द्वितीय के भाई शान्तिकर प्रथम के शासन काल में उदयगिरी-खण्डगिरी पहाड़ियों पर स्थित गणेश गुफा (उदयगिरी) को पुनः निर्मित कराया गया तथा साथ ही धौलिगिरी पहाड़ियों पर अर्द्यकवर्ती मठ (बौद्ध मठ) को निर्मित करवाया। यही नहीं, राजा शान्तिकर प्रथम की रानी हीरा महादेवी द्वारा 8वीं ई० हीरापुर नामक स्थान पर चौंसठ योगनियों का मन्दिर निर्मित करवाया गया। 6वीं-7वीं शती कलिंग राज्य में स्थापत्य कला के लिए उत्कृष्ट मानी गयी। चूँकि इस सदी के दौरान राजाओं ने समय-समय पर स्वर्णाजलेश्वर, रामेश्वर, लक्ष्मणेश्वर, भरतेश्वर व शत्रुघनेश्वर मन्दिरों (6वीं सदी) व परशुरामेश्वर (7वीं सदी) में निर्माण करवाया। मध्यकाल के प्रारम्भ होने से कलिंग पर सोमवंशी राजा महाशिव गुप्त ययाति द्वितीय सन् 931 ई० में गद्दी पर बैठा तथा कलिंग के इतिहास को गौरवमयी बनाने हेतु ओडिशा में भगवान जगन्नाथ के मुक्तेश्वर, सिद्धेश्वर, वरूणेश्वर, केदारेश्वर, वेताल, सिसरेश्वर, मारकण्डेश्वर, बराही व खिच्चाकेश्वरी आदि मन्दिरों सहित कुल 38 मन्दिरों का निर्माण करवाया। 15वीं शती के अन्त तक जो गंग वंश हल्का पड़ने लगा था उसने सन् 1038 ई० में सोमवंशीयों को हराकर पुनः कलिंग पर वर्चस्व स्थापित कर लिया तथा 11वीं शती में लिंगराज मन्दिर, राजारानी मन्दिर, ब्रह्मेश्वर, लोकनाथ व गुन्डिचा सहित कई छोटे व बड़े मन्दिरों का निर्माण करवाया। गंग वंश ने तीन शताब्दियों तक कलिंग पर अपना राज्य किया तथा राजकाल के दौरान 12वीं-13वीं शती में भास्करेश्वर, मेघेश्वर, यमेश्वर, कोटी तीर्थेश्वर, सारी देउल, अनन्त वासुदेव, चित्रकर्णी, निआली माधव, सोभनेश्वर, दक्क्षा-प्रजापति, सोमनाथ, जगन्नाथ, सूर्य (काष्ठ मन्दिर) बिराजा आदि मन्दिरों को निर्मित करवाया जो कि वास्तव में कलिंग के स्थापत्य इतिहास में अहम भूमिका का निर्वाह करते हैं। गंग वंश के शासन काल पश्चात् 1361 ई० में तुगलक सुल्तान फिरोजशाह तुगलक ने कलिंग पर राज्य किया। यह वह दौर था जब कलिंग में कला का वर्चस्व कम होते-होते लगभग समाप्त ही हो चुका था। चूँकि तुगलक शासक कला-विरोधी रहे इसलिए किसी भी प्रकार के मन्दिर या मठ का निर्माण नहीं हुअा। 18वीं शती के आधुनिक काल में ईस्ट इण्डिया कम्पनी का सम्पूर्ण भारत पर अधिकार हो गया था परन्तु 20वीं शती के मध्य में अंग्रेजों के निगमन से भारत देश स्वतन्त्र हुआ। जिसके फलस्वरूप सम्पूर्ण भारत कई राज्यों में विभक्त हो गया, जिसमें से भारत के पूर्व में स्थित ओडिशा (पूर्व कलिंग) भी एक राज्य बना। .

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आतंकवाद

विभाग राज्य Department of State) आतंकवाद एक प्रकार के erहौल को कहा जाता है। इसे एक प्रकार के हिंसात्मक गतिविधि के रूप में परिभाषित किया जाता है, जो कि अपने आर्थिक, धार्मिक, राजनीतिक एवं विचारात्मक लक्ष्यों की प्रतिपूर्ति के लिए गैर-सैनिक अर्थात नागरिकों की सुरक्षा को भी निशाना बनाते हैं। गैर-राज्य कारकों द्वारा किये गए राजनीतिक, वैचारिक या धार्मिक हिंसा को भी आतंकवाद की श्रेणी का ही समझा जाता है। अब इसके तहत गैर-क़ानूनी हिंसा और युद्ध को भी शामिल कर लिया गया है। अगर इसी तरह की गतिविधि आपराधिक संगठन द्वारा चलाने या को बढ़ावा देने के लिए करता है तो सामान्यतः उसे आतंकवाद नहीं माना जाता है, यद्यपि इन सभी कार्यों को आतंकवाद का नाम दिया जा सकता है। गैर-इस्लामी संगठनों या व्यक्तित्वों को नजरअंदाज करते हुए प्रायः इस्लामी या जिहादी के साथ आतंकवाद की अनुचित तुलना के लिए इसकी आलोचना भी की जाती है। .

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आत्महत्या

आत्महत्या (लैटिन suicidium, sui caedere से, जिसका अर्थ है "स्वयं को मारना") जानबूझ कर अपनी मृत्यु का कारण बनने के लिए कार्य करना है। आत्महत्या अक्सर निराशा के चलते की जाती है, जिसके लिए अवसाद, द्विध्रुवीय विकार, मनोभाजन, शराब की लत या मादक दवाओं का सेवनजैसे मानसिक विकारों को जिम्मेदार ठहराया जाता है। तनाव के कारक जैसे वित्तीय कठिनाइयां या पारस्परिक संबंधों में परेशानियों की भी अक्सर एक भूमिका होती है। आत्महत्या को रोकने के प्रयासों में आग्नेयास्त्रों तक पहुंच को सीमित करना, मानसिक बीमारी का उपचार करना तथा नशीली दवाओं के उपयोग को रोकना तथा आर्थिक विकास को बेहतर करना शामिल हैं। आत्महत्या करने के लिए उपयोग की जाने वाली सबसे आम विधि, देशों के अनुसार भिन्न-भिन्न होती है और आंशिक रूप से उपलब्धता से संबंधित है। आम विधियों में निम्नलिखित शामिल हैं: लटकना, कीटनाशक ज़हर पीना और बंदूकें। लगभग 8,00,000 से 10,00,000 लोग हर वर्ष आत्महत्या करते हैं, जिस कारण से यह दुनिया का दसवे नंबर का मानव मृत्यु का कारण है। पुरुषों से महिलाओं में इसकी दर अधिक है, पुरुषों में महिलाओं की तुलना में इसके होने का समभावना तीन से चार गुना तक अधिक है। अनुमानतः प्रत्येक वर्ष 10 से 20 मिलियन गैर-घातक आत्महत्या प्रयास होते हैं। युवाओं तथा महिलाओं में प्रयास अधिक आम हैं। इतिहास सम्मान और जीवन का अर्थ जैसे व्यापक अस्तित्व विषयों द्वारा आत्महत्या के विचारों पर प्रभाव पड़ता है। अब्राहमिक धर्म पारम्परिक रूप से आत्महत्या को ईश्वर के समक्ष किया जाने वाला पाप मानते हैं क्योंकि वे जीवन की पवित्रतामें विश्वास करते हैं। जापान में सामुराई युग में, सेप्पुकू को विफलता का प्रायश्चित या विरोध का एक रूप माना जाता था। सती, जो अब कानूनन निषिद्ध है हिंदू दाह संस्कार है, जो पति की चिता पर विधवा द्वारा खुद को बलिदान करने से संबंधित है, यह अपनी इच्छा या परिवार व समाज के दबाव में किया जाता था। आत्महत्या और आत्महत्या का प्रयास, पूर्व में आपराधिक रूप से दंडनीय था लेकिन पश्चिमी देशों में अब ऐसा नहीं है। बहुत से मुस्लिम देशों में यह आज भी दंडनीय अपराध है। 20वीं और 21 वीं शताब्दी में आत्मदाह के रूप में आत्महत्या विरोध का एक तरीका है और कामीकेज़ और आत्मघाती वम विस्फोट को फौजी या आतंकवादी युक्ति के रूप में उपयोग किया जाता है। .

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आपदा

आपदा एक प्राकृतिक या मानव निर्मित जोखिम का प्रभाव है जो समाज या पर्यावरण को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है आपदाशब्द ज्योतिष विज्ञान से आया है इसका अर्थ होता है कि जब तारे बुरी स्थिति में होते हैं तब बुरी घटनायें होती हैं समकालीन शिक्षा में, आपदा अनुचित प्रबंधित जोखिम के परिणाम के रूप में देखी जाती है, ये खतरे आपदा और जोखिम के उत्पाद हैं। आपदा जो कम जोखिम के क्षेत्र में होते हैं, वे आपदा नहीं कहे जाते हैं, जैसे-निर्जन क्षेत्र मेंQuarantelli E.L.(१९९८).हम कहा रहे हैं और हमें कहाँ जाना है Quarantelli E.L. (ed).आपदा क्या है ?लंदन: Routledge.

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आबाजी सोनदेव

आबाजी सोनदेव प्रख्यात मराठा वीर और छत्रपति शिवाजी के सेनापति थे। इन्होंने अपनी सैनिक सूझबुझ और अनुभव से कई युद्धों में सफलता प्राप्त की। सन् १६४८ ई. में इन्होंने अचानक आक्रमण करके मुम्बई के थाना जिले के कल्याणनगर को मुसलमानों से छीन लिया था। .

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आयरन मेडेन

आयरन मेडेन पूर्वी लंदन के लेटन का एक इंगलिश हेवी मेटल बैंड है, जिसका गठन 1975 में हुआ। बैंड का निर्देशन संस्थापक, बासिस्ट और गीतकार स्टीव हैरिस करते हैं। अपनी स्थापना के बाद से इस समूह के कुल 30 ऐल्बम रिलीज हो चुके हैं, जिनमें 14 स्टूडियो ऐल्बम, 7 लाइव ऐल्बम, 4 EPS और चार संकलन शामिल हैं। ब्रिटिश हेवी मेटल बैंड की नयी लहर पैदा करने में अग्रणी रहे आयरन मेडेन ने 1980 के दशक के प्रारंभ में कामयाबी पायी और कई लाइनअप परिवर्तनों के बाद कई प्लैटिनम और गोल्ड ऐल्बमों की श्रृंखला जारी की.

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आर्थिक शिथिलता

एक निरंतर अवधि के दौरान सामान्य आर्थिक गतिविधि में कमी आने या व्यापार चक्र में संकुचन को अर्थशास्त्र में व्यापारिक मंदी कहा जाता है। मंदी के दौरान कई व्यापक-आर्थिक संकेतक समान रूप से परिवर्तित होते हैं। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) द्वारा मापा जाने वाला उत्पादन, रोजगार, निवेश, क्षमता उपयोग, घरेलू आय और व्यवसायिक लाभ, इन सभी में मंदी के दौरान घटोत्तरी होती है। सरकारें आमतौर पर मंदी का सामना विस्तारी व्यापक-आर्थिक नीतियों को अपना कर करती हैं, जैसे कि धन आपूर्ति में वृद्धि, सरकारी खर्च में बढोत्तरी और कर में घटोत्तरी.

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आवर्न

फ्रांस का आर्वन प्रशासनिक क्षेत्र आवर्न (Auvergne) (फ्रांसीसी उच्चारण) फ्रांस से 27 प्रशानिक क्षेत्रों में से एक क्षेत्र है। इसमें चार डिपार्टमेन्त आते हैं - अलिर (Allier), पुई-डी-डोम (Puy de Dome), कैंटल (Cantal) और हौट ल्वायर (Haute Loire)। आवर्न पूर्वकाल में फ्रांस का एक प्रांत था। वर्तमान आवर्न क्षेत्र, ऐतिहासिक आवर्न प्रान्त से बड़ा है जिसमें अब वे भी क्षेत्र मिला लिये गये हैं जो पूर्व मे इससे अलग थे। इसकी प्राचीन और वर्तमान राजधनियां क्रमश: क्लेरमांट और क्लेरमांट-फेरंड हैं। 'आवर्न' शब्द की उत्पत्ति आवर्नी से हुई है। आवर्नी रोमन काल में एक जातिसमुदाय था, जिसकी प्रभुता अक्वीटानिया के अधिकांश पर फैली हुई थी। इस समुदाय ने जूलिएस सीज़र के विरुद्ध युद्ध में भाग लिया था। आवर्न 1532 ई. में स्थायी रूप से फ्रांसीसी राजसत्ता के अधीन आ गया। यहाँ स्थित पर्वत अधिकतर ज्वालामुखी हैं। महत्वपूर्ण पर्वतशिखर मांट डोर (ऊँचाई 6,188 फुट), प्लंब डी कैंटल (ऊँचाई 6,096) फुट और पुई-डी-डोम (ऊँचाई 4,806 फुट) हैं। यहां के सुप्त ज्वालामुखियों की संख्या लगभग 300 हैं। यहाँ विस्तृत चरागाह और औषधीय सोते (धाराएँ) भी हैं। .

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इन्फेंट्री

इन्फेंट्री या पैदल सेना सेना की एक सामान्य शाखा है जो पैरों पर सैन्य युद्ध में जुड़ी होती है। इस शाखा के सैनिक दुश्मन के साथ काफी करीब से लड़ते हैं इस कारण यह शाखा काफी फिजिकल फिटनेस की मांग करती है। .

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कल्ला जी राठौड़

कल्ला जी राठौड़ जसोल,मेहवा के रावल मेघराज के ज्येष्ठ पुत्र थे,इनकी मृत्यू तीसरे साका युद्ध (विक्रम संवत 1624) में चितौड़गढ में अकबर से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हो गये थे ' ये मेवाड़ के लिये महाराणा प्रताप के साथ अकबर से युद्ध किया था ' .

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कार्बधातुक यौगिक

उन रासायनिक वस्तुओं को, जिनमें एक या अधिक हाइड्रोकार्बन मूलक धातु या उपधातु (metalloid) से ऋजु संयोजित होते हैं, कार्बधातुक यौगिक (Organomettllic Compounds) कहते हैं। प्रकृति में ये अप्राप्य हैं, पर प्रयोगशाला में संश्लेषित इन यौगिकों की संख्या बहुत बड़ी है। फ़्रैंकलैंड ने सर्वप्रथम 1849 ई. में डाइ-एथिल जस्ता नामक एक कार्बधातुक यौगिक का पृथक्करण किया और उसकी संरचना निर्धारित की। बाद में अनेक धातुओं और उपधातुओं के संयोग से कई यौगिकों का संश्लेषण किया गया। इन यौगिकों ने आधुनिक रसायन की उन्नति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जैसे टेट्रा-एथिल सीस (Lead) एक बेहद उपयोगी प्रत्याघात (antiknock) है, जिसका उपयोग मोटर ईंधन में होता है। ये यौगिक कई प्रकार के हैं, जिन्हें साधारणत दो भागों में विभाजित किया जाता है: (1) "सरल" कार्बधातुक यौगिक, जिनमें कार्बनिक समूह आर (R) (ऐल्किल, ऐरिल आदि) धातु से संयोजित हैं और (2) कार्बधातुक यौगिक "मिश्रित", जब आर (R) और एक्स (X) (हैलोजन, हाइड्राक्सिल, हाइड्रोजन आदि) दोनों ही धातु से संबद्ध हों। इन यौगिकों का संश्लेषण प्राय: जस्ता, मैग्नीशियम, पारद आदि धातुओं और ऐल्किल आयोडाइडों की अभिक्रिया से होता है। विशेष क्रियाशील होने के कारण इनका उपयोग रासायनिक संश्लेषण क्रियाओं में अधिकता से होता है। सोडियम मेथिल (NaCH3) जैसे सोडियम ऐल्किल की प्राप्ति, पारद ऐल्किलों पर सोडियम की अभिक्रिया से, होती है। शुद्ध रूप में ये अमणिभीय पदार्थ हैं, जो भिन्न-भिन्न विलायकों में अविलेय हैं। गर्म करने पर बिना द्रवित हुए ही विच्छेदित होते हैं। .

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कार्ल फॉन क्लाउज़विट्स

कार्ल फॉन क्लाउज़विट्स का चित्र कार्ल फॉन क्लाउज़विट्स (Carl Philipp Gottfried "Gottlieb" von Clausewitz; 1 जून, 1780 – 16 नवम्बर, 1831) जर्मनी (प्रुशिया) के सेनानायक तथा सैन्य-सिद्धान्तकार थे। उन्होने युद्ध के मनोवैज्ञानिक तथा राजनैतिक पक्ष को अधिक महत्व दिया था। 'ऑन वार' (Vom Kriege) उनकी प्रसिद्ध रचना है जो उनके मृत्यु के कारण अपूर्ण रह गयी। .

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कावालम माधव पणिक्कर

कावालम् माधव पणिक्कर कावालम माधव पणिक्कर (३ जून १८९५ - १० दिसम्बर १९६३) भारत के विद्वान, पत्रकार, इतिहासकार, प्रशासक तथा राजनयज्ञ थे। वे सरदार के एम पणिक्कर के नाम से अधिक प्रसिद्ध हैं। .

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किरातार्जुनीयम्

अर्जुन शिव को पहचान जाते हैं और नतमस्तक हो जाते हैं। (राजा रवि वर्मा द्वारा१९वीं शती में चित्रित) किरातार्जुनीयम् महाकवि भारवि द्वारा सातवीं शती ई. में रचित महाकाव्य है जिसे संस्कृत साहित्य में महाकाव्यों की 'वृहत्त्रयी' में स्थान प्राप्त है। महाभारत में वर्णित किरातवेशी शिव के साथ अर्जुन के युद्ध की लघु कथा को आधार बनाकर कवि ने राजनीति, धर्मनीति, कूटनीति, समाजनीति, युद्धनीति, जनजीवन आदि का मनोरम वर्णन किया है। यह काव्य विभिन्न रसों से ओतप्रोत है किन्तु यह मुख्यतः वीर रस प्रधान रचना है। संस्कृत के छ: प्रसिद्ध महाकाव्य हैं – बृहत्त्रयी और लघुत्रयी। किरातार्जनुयीयम्‌ (भारवि), शिशुपालवधम्‌ (माघ) और नैषधीयचरितम्‌ (श्रीहर्ष)– बृहत्त्रयी कहलाते हैं। कुमारसम्भवम्‌, रघुवंशम् और मेघदूतम् (तीनों कालिदास द्वारा रचित) - लघुत्रयी कहलाते हैं। किरातार्जुनीयम्‌ भारवि की एकमात्र उपलब्ध कृति है, जिसने एक सांगोपांग महाकाव्य का मार्ग प्रशस्त किया। माघ-जैसे कवियों ने उसी का अनुगमन करते हुए संस्कृत साहित्य भण्डार को इस विधा से समृद्ध किया और इसे नई ऊँचाई प्रदान की। कालिदास की लघुत्रयी और अश्वघोष के बुद्धचरितम्‌ में महाकाव्य की जिस धारा का दर्शन होता है, अपने विशिष्ट गुणों के होते हुए भी उसमें वह विषदता और समग्रता नहीं है, जिसका सूत्रपात भारवि ने किया। संस्कृत में किरातार्जुनीयम्‌ की कम से कम 37 टीकाएँ हुई हैं, जिनमें मल्लिनाथ की टीका घंटापथ सर्वश्रेष्ठ है। सन 1912 में कार्ल कैप्पलर ने हारवर्ड ओरियेंटल सीरीज के अंतर्गत किरातार्जुनीयम् का जर्मन अनुवाद किया। अंग्रेजी में भी इसके भिन्न-भिन्न भागों के छ: से अधिक अनुवाद हो चुके हैं। .

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कुम्भलगढ़ दुर्ग

कुम्भलगढ़ दुर्ग का विशालकाय द्वार; इसे '''राम पोल''' कहा जाता है। कुम्भलगढ़ का दुर्ग राजस्थान ही नहीं भारत के सभी दुर्गों में विशिष्ठ स्थान रखता है। उदयपुर से ७० किमी दूर समुद्र तल से १,०८७ मीटर ऊँचा और ३० किमी व्यास में फैला यह दुर्ग मेवाड़ के यशश्वी महाराणा कुम्भा की सूझबूझ व प्रतिभा का अनुपम स्मारक है। इस दुर्ग का निर्माण सम्राट अशोक के द्वितीय पुत्र संप्रति के बनाये दुर्ग के अवशेषों पर १४४३ से शुरू होकर १५ वर्षों बाद १४५८ में पूरा हुआ था। दुर्ग का निर्माण कार्य पूर्ण होने पर महाराणा कुम्भा ने सिक्के डलवाये जिन पर दुर्ग और उसका नाम अंकित था। वास्तुशास्त्र के नियमानुसार बने इस दुर्ग में प्रवेश द्वार, प्राचीर, जलाशय, बाहर जाने के लिए संकटकालीन द्वार, महल, मंदिर, आवासीय इमारतें, यज्ञ वेदी, स्तम्भ, छत्रियां आदि बने है। बादल महल .

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कुर्स्क युद्ध

कुर्स्क युद्ध (Battle of Kursk) द्वितीय विश्वयुद्ध के समय जुलाई-अगस्त १९४३ में कुर्स्क के निकट जर्मनी और सोवियत संघ के बीच लड़ा गया एक युद्ध था। .

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क्रान्ति

क्रान्ति (Revolution) अधिकारों या संगठनात्मक संरचना में होने वाला एक मूलभूत परिवर्तन है जो अपेक्षाकृत कम समय में ही घटित होता है। अरस्तू ने दो प्रकार की राजनीतिक क्रान्तियों का वर्णन किया है.

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कोल्ड स्टार्ट

'कोल्ड स्टार्ट' भारत की सेना द्वारा विकसित नवीन सैन्य सिद्धान्त है, जिसे भारतीय सेना ने पाकिस्तान के खिलाफ संभावित युद्ध को ध्यान में रखकर विकसित किया है। 'कोल्ड स्टार्ट' सिद्धांत के अनुसार आदेश मिलने के 48 घंटों के भीतर हमला शुरू किया जा सकता है। इतने कम समय में हमला करने से भारतीय सेना पाकिस्तानी सेना को आश्चर्यचकित कर देगी। इस पद्धति में भारतीय सेना के विभिन्न हिस्सों को आक्रमण के लिए एकीकृत करने पर जोर दिया गया है। इस तरह का अभियान पंजाब और राजस्थान के सीमावर्ती इलाकों में होगा। कोल्ड स्टार्ट सिद्धांत का एक उद्देश्य युद्ध की स्थिति में पाकिस्तान को परमाणु हमले से रोकना है, क्योंकि उसे परमाणु हमले के लिए जरा भी समय नहीं देना है। इस योजना में मूलत: तेजी से हमले पर जोर दिया गया है। बख्तरबंद वाहन और तोपखाना पाकिस्तान के इलाके में कम-से-कम समय में प्रवेश कराया जा सकता है। पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय सेनाओं को कुछ हफ्तों के स्थान पर केवल कुछ दिनों में ही तैनात करने के लिए कोल्ड स्टार्ट सिद्धांत बनाया गया था। इसका परीक्षण अभी युद्ध में किया जाना शेष है। इसका उद्देश्य है कि तत्काल लामबंदी और त्वरित हमले से पाकिस्तान को आश्चर्यचकित कर देना। .

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अधिप्रचार

सैम चाचा के बाहों में बाहें डाले ब्रितानिया: प्रथम विश्वयुद्ध में अमेरिकी-ब्रितानी सन्धि का प्रतीकात्मक चित्रण अधिप्रचार (Propaganda) उन समस्त सूचनाओं को कहते हैं जो कोई व्यक्ति या संस्था किसी बड़े जन समुदाय की राय और व्यवहार को प्रभावित करने के लिये संचारित करती है। सबसे प्रभावी अधिप्रचार वह होता है जिसकी सामग्री प्रायः पूर्णतः सत्य होती है किन्तु उसमें थोडी मात्रा असत्य, अर्धसत्य या तार्किक दोष से पूर्ण कथन की भी हो। अधिप्रचार के बहुत से तरीके हैं। दुष्प्रचार का उद्देश्य सूचना देने के बजाय लोगों के व्यवहार और राय को प्रभावित करना (बदलना) होता है। .

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अभिमन्यु (अर्जुनपुत्र)

अभिमन्यु चक्रव्यूह में। हिंदुओं की पौराणिक कथा महाभारत के एक महत्त्वपूर्ण पात्र अभिमन्यु पूरु कुल के राजा व पंच पांडवों में से अर्जुन के पुत्र थे। कथा में उनका छल द्वारा कारुणिक अंत बताया गया है। अभिमन्यु महाभारत के नायक अर्जुन और सुभद्रा, जो बलराम व कृष्ण की बहन थीं, के पुत्र थे। उन्हें चंद्र देवता का पुत्र भी माना जाता है। धारणा है कि समस्त देवताओ ने अपने पुत्रों को अवतार रूप में धरती पर भेजा था परंतु चंद्रदेव ने कहा कि वे अपने पुत्र का वियोग सहन नही कर सकते अतः उनके पुत्र को मानव योनि में मात्र सोलह वर्ष की आयु दी जाए। अभिमन्यु का बाल्यकाल अपनी ननिहाल द्वारका में ही बीता। उनका विवाह महाराज विराट की पुत्री उत्तरा से हुआ। अभिमन्यु के पुत्र परीक्षित, जिसका जन्म अभिमन्यु के मृत्योपरांत हुआ, कुरुवंश के एकमात्र जीवित सदस्य पुरुष थे जिन्होंने युद्ध की समाप्ति के पश्चात पांडव वंश को आगे बढ़ाया। अभिमन्यु एक असाधारण योद्धा थे। उन्होंने कौरव पक्ष की व्यूह रचना, जिसे चक्रव्यूह कहा जाता था, के सात में से छह द्वार भेद दिए थे। कथानुसार अभिमन्यु ने अपनी माता की कोख में रहते ही अर्जुन के मुख से चक्रव्यूह भेदन का रहस्य जान लिया था। पर सुभद्रा के बीच में ही निद्रामग्न होने से वे व्यूह से बाहर आने की विधि नहीं सुन पाये थे। अभिमन्यु की म्रृत्यु का कारण जयद्रथ था जिसने अन्य पांडवों को व्यूह में प्रवेश करने से रोक दिया था। संभवतः इसी का लाभ उठा कर व्यूह के अंतिम चरण में कौरव पक्ष के सभी महारथी युद्ध के मानदंडों को भुलाकर उस बालक पर टूट पड़े, जिस कारण उसने वीरगति प्राप्त की। अभिमन्यु की मृत्यु का प्रतिशोध लेने के लिये अर्जुन ने जयद्रथ के वध की शपथ ली थी। .

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अमेरिकी गृहयुद्ध

गॅटीस्बर्ग की लड़ाई अमेरिका के संघीय राज्य (यूनियन, नीले रंग में) और अलगाववादी परिसंघीय राज्य (कन्फ़ेडरेसी, ख़ाक़ी रंग में) उत्तरी सैनिक खाइयों में वर्जिनिया में दक्षिणी शहर फ़्रेड्रिक्सबर्ग पर हमला करने से पहले दक्षिणी कन्फ़ेडरेसी की घटती ज़मीन का वार्षिक नक्शा अमेरिकी गृहयुद्ध (अंग्रेजी: American Civil War, अमॅरिकन सिविल वॉर) सन् १८६१ से १८६५ के काल में संयुक्त राज्य अमेरिका के उत्तरी राज्यों और दक्षिणी राज्यों के बीच में लड़ा जाने वाला एक गृहयुद्ध था जिसमें उत्तरी राज्य विजयी हुए। इस युद्ध में उत्तरी राज्य अमेरिका की संघीय एकता बनाए रखना चाहते थे और पूरे देश से दास प्रथा हटाना चाहते थे। अमेरिकी इतिहास में इस पक्ष को औपचारिक रूप से 'यूनियन' (Union यानि संघीय) कहा जाता है और अनौपचारिक रूप से 'यैन्की' (Yankee) कहा जाता है। दक्षिणी राज्य अमेरिका से अलग होकर 'परिसंघीय राज्य अमेरिका' (Confederate States of America, कन्फ़ेडरेट स्टेट्स ऑफ़ अमॅरिका) नाम का एक नया राष्ट्र बनाना चाहते थे जिसमें यूरोपीय मूल के श्वेत वर्णीय (गोरे) लोगों को अफ्रीकी मूल के कृष्ण वर्णीय (काले) लोगों को गुलाम बनाकर ख़रीदने-बेचने का अधिकार हो। दक्षिणी पक्ष को औपचारिक रूप से 'कन्फ़ेडरेसी' (Confederacy यानि परिसंघीय) और अनौपचारिक रूप से 'रेबेल' (Rebel, रॅबॅल, यानि विद्रोही) या 'डिक्सी' (Dixie) कहा जाता है।, Donald J. Meyers, Algora Publishing, 2005, ISBN 978-0-87586-358-0 इस युद्ध में ६ लाख से अधिक अमेरिकी सैनिक मारे गए (सही संख्या ६,२०,०००) अनुमानित की गई है।, Therese Shea, The Rosen Publishing Group, 2005, ISBN 978-1-4042-0415-7,...

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अहस्तक्षेपवाद

अहस्तक्षेपवाद या अहस्तक्षेप एक विदेश नीति है, जिसकी यह धारणा है कि राजनीतिक शासकों को अन्य राष्ट्रों से सन्धि करने से बचना चाहिए, पर फिर भी कूटनीति जारी रखनी चाहिए और सभी युद्धों से बचना चाहिए, जब तक वह प्रत्यक्ष आत्म-रक्षा से सम्बन्धित न हो। Category:अन्तरराष्ट्रीय विधि Category:अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्ध सिद्धान्त Category:मुक्तिवादी सिद्धान्त Category:पुरातनमुक्तिवाद Category:अहस्तक्षेपवाद Category:राजनीतिक सिद्धान्त Category:पृथकतावाद.

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अवतार (२००९ फ़िल्म)

अवतार (Avatar) २००९ में बनी अमेरिकी काल्पनिक विज्ञान पर आधारित फ़िल्म है जिसका लेखन व निर्देशन जेम्स कैमरून द्वारा किया गया है और इसमें सैम वर्थिंगटन, ज़ोई साल्डाना, स्टीफन लैंग, मिशेल रोड्रिग्स जोएल डेविड मूर, जिओवानी रिबिसी व सिगौरनी व्हिवर मुख्य भूमिकाओं में है। फ़िल्म २२वि सदी में रची गई है जब मानव एक बेहद महत्वपूर्ण खनिज अनओब्टेनियम को पैंडोरा पर खोद रहे होते है जो एक एक बड़े गैस वाले गृह का रहने लायक चन्द्रमा है जो अल्फ़ा सेंटारी अंतरिक्षगंगा में स्थित है। इस खनन कॉलोनी का बढ़ना पैंडोरा की प्रजातियों व कबीलो के लिए खतरा बन जाता है। पैंडोरा की प्रजाति नाह्वी, जो मानवों के सामान प्रजाति है इसका विरोध करती है। फ़िल्म का शीर्षक जेनेटिक्स अभियांत्रिकी द्वारा निर्मित नाह्वी शरीरों से जुड़ा है जिन्हें मानव अपने मस्तिक्ष से नियंत्रित कर सकते है ताकि पैंडोरा के निवासियों से संवाद साध सके। अवतार का विकास कार्य १९९४ में शुरू हुआ जब कैमरून ने ८० पन्नों की कहानी फ़िल्म के लिए लिखी। इसका चित्रीकरण कैमरून की १९९७ की फ़िल्म टाइटैनिक के पूर्ण होने पर शुरू होना था व १९९९ में रिलीज़ किया जाना था परन्तु कैमरून के अनुसार उस वक्त उनकी कल्पना को चित्रित करने के लायक तकनीक उपलब्ध नहीं थी। अवतार में नाह्वी की भाषा पर कार्य २००५ की गर्मियों में शुरू हुआ और कैमरून ने कथानक का व एक काल्पनिक ब्रह्मांड का विकास २००६ की शुरुआत में शुरू किया। फ़िल्म का अधिकृत बजट $२३७ मिलियन था। बाकी कार्य मिलकर इसकी लागत $२८० मिलियन से $३१० मिलियन निर्माण व $१५० मिलियन प्रचार के लिए लग गई। फ़िल्म का चित्रीकरण बेहद नई व उत्तीर्ण मोशन कैप्चर तकनीक का उपयोग करके किया गया व इसे आम प्रिंट के साथ ३डी में भी रिलीज़ किया गया। साथ ही इसका ४डी प्रिंट दक्षिण कोरिया के कुछ सिनेमाघरों में रिलीज़ किया गया। अवतार का प्रिमियर लंदन में १० दिसम्बर २००९ को हुआ व इसे १६ दिसम्बर को विश्वभर में और १८ दिसम्बर को अमेरिका व कनाडा में बेहद सकारात्मक समीक्षाओं के साथ रिलीज़ किया गया। यह एक बेहद बड़ी व्यापारिक सफलता साबित हुई। फ़िल्म ने रिलीज़ के पश्च्यात कई बॉक्स ऑफिस रिकॉर्ड्स तोड़ दिए और उत्तरी अमेरिका व विश्वभर की अबतक की सर्वाधिक कमाई वाली फ़िल्म बन गई जिसने टाइटैनिक का रिकॉर्ड तोड़ दिया जो उस फ़िल्म ने पिछली बारह वर्षों तक पकडे रखा था। यह पहली फ़िल्म है जिसने $2 बिलियन का आंकड़ा पर किया है। अवतार को नौ एकेडेमी पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया जिनमे सर्वश्रेष्ठ पिक्चर और सर्वश्रेष्ठ निर्देशक शामिल है व इसने तिन श्रेणियों में जित हासिल की जिनमे सर्वश्रेष्ठ सिनेमेटोग्राफी, सर्वश्रेष्ठ विज़्वल इफेक्ट्स और सर्वश्रेष्ठ कला निर्देशन शामिल है। फ़िल्म की मिडिया पर रिलीज़ ने कई बिक्री के रिकॉर्ड तोड़ दिए व सर्वाधिक बिक्री बाली ब्लू-रे बन गई। फ़िल्म की सफलता के बाद कैमरून ने 20यथ सेंचुरी फॉक्स के साथ इस श्रेणि के चार भाग बनाने का समझौता कर लिया। .

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अंतर्वैयक्तिक संबंध

अंतर्वैयक्तिक संबंध, दो या अधिक लोगों के बीच का संबंध है जो अस्थायी या स्थिर स्वरूप का हो सकता है। यह संबंध विवाहेतर, प्रेम और पसंद, सामान्य व्यावसायिक मेलजोल या किसी अन्य प्रकार की सामाजिक प्रतिबद्धता पर आधारित हो सकता है। अंतर्वैयक्तिक संबंध सामाजिक, सांस्कृतिक और अन्य प्रभावों के संदर्भ में निर्मित होते हैं। संदर्भ पारिवारिक संबंध, दोस्ती, विवाह, सहयोगियों से संबंध, कार्य, क्लब, पड़ोस तथा पूजास्थलों के अनुसार भिन्न हो सकता है। वे कानून, प्रथा और आपसी समझौते द्वारा नियंत्रित हो सकते हैं, तथा सामाजिक समूहों एवं संपूर्ण समाज का आधार होते हैं। यद्यपि मानव मूलतः एक सामाजिक प्राणी है, किन्तु अंतर्वैयक्तिक संबंध सदैव स्वस्थ नहीं होते हैं। अस्वस्थ संबंधों के उदाहरणों में अत्याचारपूर्ण रिश्ते एवं सह-निर्भरता शामिल हैं। किसी भी रिश्ते को सामान्यतः दो व्यक्तियों के बीच के संबंध के तौर पर देखा जाता है, जैसे कि रूमानी या घनिष्ठ संबंध, या अभिभावक-संतान संबंध.

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उत्तर प्रदेश के लोकनृत्य

लोकनृत्य में उत्तर प्रदेश के प्रत्येक अंचल की अपनी विशिष्ट पहचान है। समृद्ध विरासत की विविधता को संजोये हुए ये आंगिक कलारूप लोक संस्कृति के प्रमुख वाहक हैं। .

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उमराव सिंह (स्वतंत्रता संग्राम सेनानी)

उमराव सिंह गुर्जर (१८३२ - १८५७) - सन १८५७ की क्रान्ति के एक नायक थे। राव उमरावसिंह गुर्जर का जन्म सन् 1832 में दादरी (उ. प्र) के निकट ग्राम कटेहडा में राव किशन भाटी गुर्जर के पुत्र के रूप में हुआ था। 10 मई को मेरठ से 1857 की जन-क्रान्ति की शुरूआत कोतवाल धनसिंह गुर्जर द्वारा हो चुकी थी। राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत भारत-पुत्र उमरावसिंह गुर्जर ने आसपास के ग्रामीणो को प्रेरित कर 12 मई 1857 को सिकन्द्राबाद तहसील पर धावा बोल दिया। वहाँ के खजाने को अपने अधिकार में कर लिया। इसकी सूचना मिलते ही बुलन्दशहर से सिटी मजिस्ट्रेट सैनिक बल सिक्नद्राबाद आ धमका। 7 दिन तक क्रान्तिकारी सैना अंग्रेज सैना से ट्क्कर लेती रही। अंत में 19 मई को सश्स्त्र सैना के सामने क्रान्तिकारी वीरो को हथियार डालने पडे 46 लोगो को बंदी बनाया गया। उमरावसिंह गुर्जर बच निकले। इस क्रान्तिकारी सैना में गुर्जर समुदाय की मुख्य भूमिका होने के कारण उन्हे ब्रिटिश सत्ता का कोप भाजन होना पडा। उमरावसिंह गुर्जर अपने दल के साथ 21 मई को बुलन्दशहर पहुचे एवं जिला कारागार पर घावा बोलकर अपने सभी राजबंदियो को छुडा लिया। बुलन्दशहर से अंग्रेजी शासन समाप्त होने के बिंदु पर था लेकिन बाहर से सैना की मदद आ जाने से यह संभव नहीं हो सका। हिंडन नदी के तट पर 30 व 31 मई को क्रान्तिकारी सैना और अंग्रेजी सैना के बीच एक ऐतिहासिक युद्ध हुआ। 26 सितम्बर, 1857 को कासना-सुरजपुर के बीच उमरावसिंह गुर्जर की अंग्रेजी सैना से भारी टक्कर हुई। लेकिन दिल्ली के पतन के कारण क्रान्तिकारी सैना का उत्साह भंग हो चुका था। भारी जन हानि के बाद क्रान्तिकारी सेना ने पराजय स्वीकार करली। उमरावसिंह गुर्जर को गिरफ्तार कर लिया गया। बुलन्दशहर में कालेआम के चौहराहे पर हाथी के पैर से कुचलवाकर फाँसी पर लटका दिया गया। श्रेणी:भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम श्रेणी:भारतीय क्रांतिकारी श्रेणी:चित्र जोड़ें.

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१९४३ का बंगाल का अकाल

भूख से मरा एक बच्चा 1943-44 में बंगाल (वर्तमान बांग्लादेश, भारत का पश्चिम बंगाल, बिहार और उड़ीसा) एक भयानक अकाल पड़ा था जिसमें लगभग 30 लाख लोगों ने भूख से तड़पकर अपनी जान जान गंवाई थी। ये द्वितीय विश्वयुद्ध का समय था। माना जाता है कि अकाल का कारण अनाज के उत्पादन का घटना था, जबकि बंगाल से लगातार अनाज का निर्यात हो रहा था। हालांकि, विशेषज्ञों के तर्क इससे अलग हैं। एक नई पुस्तक का कहना है कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन के प्रधानमंत्री रहे विंस्टन चर्चिल ने जानबूझकर लाखों भारतीयों को भूखे मरने दिया। बर्मा पर जापान के कब्जे के बाद वहां से चावल का आयात रुक गया था और ब्रिटिश शासन ने अपने सैनिकों और युद्ध में लगे अन्य लोगों के लिए चावल की जमाखोरी कर ली थी, जिसकी वजह से 1943 में बंगाल में आए सूखे में तीस लाख से अधिक लोग मारे गए थे। चावल की कमी होने के कारण कीमतें आसमान छू रही थी और जापान के आक्रमण के डर से बंगाल में नावों और बैलगाड़ियों को जब्त या नष्ट किए जाने के कारण आपूर्ति व्यवस्था ध्वस्त हो गई। बाजार में चावल मिल नहीं रहा था, गावों में भूखमरी फैल रही थी और चर्चिल ने खाद्यान्न की आपात खेप भेजने की मांग बार बार ठुकरा दी। 1943 के बंगाल में कोलकाता की सड़कों पर भूख से हड्डी हड्डी हुई मांएं सड़कों पर दम तोड़ रही थीं। लोग सड़े खाने के लिए लड़ते दिखते थे तो ब्रिटिश अधिकारी और मध्यवर्ग भारतीय अपने क्लबों और घरों पर गुलछर्रे उड़ा रहे थे। बंगाल की मानव-रचित भुखमरी ब्रिटिश राज के इतिहास के काले अध्यायों में से एक रही है, लेकिन लेखक मधुश्री मुखर्जी का कहना है कि उन्हें ऐसे सबूत मिले हैं जो दिखाते हैं कि लोगों की दुःस्थिति के लिए चर्चिल सीधे तौर पर जिम्मेदार थे। .

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युद्धकारी, संग्राम

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