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4 संबंधों: चौदहवीं लोकसभा, दत्तात्रेय विष्णु आप्टे, यवतमाल जिला, उमाकान्त केशव आपटे।
चौदहवीं लोकसभा
भारत में चौदहवीं लोकसभा का गठन अप्रैल-मई 2004 में होनेवाले आमचुनावोंके बाद हुआ था। .
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दत्तात्रेय विष्णु आप्टे
दत्तात्रेय विष्णु आप्टे (जन्म संo 1880, मृत्यु संo 1943) महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, पत्रकार एवं इतिहासकार थे। आपकी प्रारंभिक शिक्षा जमखिंडी में हुई। 1902 में पूना के फर्ग्युसन कालेज से बी.
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यवतमाल जिला
यवतमाल जिला (मराठी:यवतमाळ जिल्हा), भारत के राज्य महाराष्ट्र का एक प्रशासनिक जिला है। यह जिला महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में स्थित है और अमरावती मंडल के अंतर्गत आता है। यवतमाल शहर जिले का मुख्यालय है। यवतमाल जिले मे सबसे ज्यादा कपास का उत्पादन होता है इसलीये ये महाराष्ट्र मे कपास उत्पादन का केंद्र बन चुका हे| इस जिले ने महाराष्ट्र को दो दो मुख्यमंत्री दिये है। इस जिले ने दो राज्यपाल दिए है। यवतमाल जिले में कोयला,चुना,डोलोमाइट,समान खदाने है। आदिवासी बहुल जिला है। कपास का संशोधन जिले के कलम्ब तहसील मुख्यालय पर कई वर्षों पूर्व हुआ था। वर्तमान में मोदी केंद्रीय सरकार ने अधिकृत रूपसे 2015 में वर्धा -यवतमाल-नांदेड़ ब्रॉड गेज रेल लाइन को अनुमति प्रदान की। भूमि सम्पादन कार्य तेज गति से जारी है। कोयला बेल्ट वणी क्षेत्र में ब्रॉड गेज रेल लाइन पर आवा गमन जारी है। विद्युतीकरण करना शेष है। दो अभयारण है वंहा पर्यटन की संभावना रहनेसे विकसित किया जाना जरूरी है। यहां हवाई अड्डा है वहा विकास की अपार सम्भावना बनी है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री श्री हंसराज अहीर इस क्षेत्र से रहनेसे विकास की आस जनता को लगी है। विदर्भ राज्य की मांग जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री कार्य काल से की जा रही है। सभी आयोग व कमिटी की रिपोर्ट में पुष्टि की है। विदर्भवादी नेता जाम्बुवन्त राव धोटे का हाल ही निधन हुआ।कपास,तेंदू पत्ता,अरहर,सोयाबीन,गन्ना,कई फूल,फलों की फसलें यह कि प्रमुख है। सिंचाई सुविधा लगातार बढ़ रही है। डेहनी नामक सिंचाई योजना एशिया की प्रथम योजना है। .
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उमाकान्त केशव आपटे
उमाकान्त केशव आपटे उपाख्य बाबा साहेब आपटे (28 अगस्त सन् 1903 - 26 जुलाई 1972) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रथम प्रचारक एवं उसके अखिल भारतीय प्रचारक-प्रमुख थे। वह एक मौलिक चिन्तक एवं विचारक थे। वे संस्कृत, मराठी, हिंदी एवं इतिहास के विद्वान्, भारतीय-संस्कृति के मनीषी, भारतीय जीवन-मूल्यों, आदर्शों एवं सांस्कृतिक विशिष्टताओं के वह जीवन्त प्रतीक थे। वे भारत के गौरवशाली इतिहास के प्रसार हेतु निरंतर प्रयत्नशील रहे। .