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मोरखाणा

सूची मोरखाणा

यह स्थान बीकानेर से २८ मील दक्षिण-पूर्व में है। यहां का सुसाणीदेवी का मंदिर उल्लेखनीय है। यह मंदिर एक ऊँचे टीले पर बना है तथा इसमें एक तहखाना, खुला हुआ प्रांगण एवं बरामदा है। यह सारा जैसलमेरी पत्थरों का बना है और इसके तहखाने की बाहरी चाहरदीवारों पर देवताओं और नर्तकियों की आकृतियां खुदी है। इसी प्रकार द्वार भाग भी खुदाई के काम से भरा हुआ है। तहखाने के चारों तरफ एक नीची दीवार बनी है। प्रागंण पर छत है जो १६ खंभों पर स्थित है, जिनमें १२ तो चारों ओर घेरे में लगे हैं। शेष ४ मध्य में हैं। मध्य के चारों स्तंभ और तहखाने के सामने के दो स्तंभ घटपल्लभ शैली में बने हैं। घेरे में लगे हुए स्तंभ श्रीधर शैली के हैं। मध्य के स्तंभों में से एक पर बैठे हुए मनुष्य की आकृति खुदी है। तहखाने के सामने दांई तरफ के स्तंभ पर दो लेख खुदे हैं। एक तरफ का लेख स्पष्ट नहीं है तथा दूसरी तरफ का लेख ११७२ ई० का है तथा इसके ऊपरी भाग में एक स्री की आकृति बनी हुई है। .

1 संबंध: बीकानेर के दर्शनीय स्थल

बीकानेर के दर्शनीय स्थल

नगर के मध्य में एक जैन मंदिर है जिसके मध्य से पाँच मार्ग निकले हैं, जो अन्य सड़कों से मिलते हुए शहरपनाह के किसी एक दरवाजे से जा मिलते हैं। कोट दरवाजे के बाहर अलखगिरि मतानुयायी लच्छीराम का बनवाया हुआ 'अलखसागर' नाम का प्रसिद्ध कुआं है, जो बीकानेर के सबसे अच्छे कुओं में से एक माना जाता हैं। अन्य कुओं की संख्या १४ है, जो बहुधा बहुत गहरे हैं। इन कुओं में अधिकांश जल सुस्वादु तथा पीने योग्य है। महाराजा अनूपसिंह का बनवाया हुआ 'अनोपसागर' कुआं भी उल्लेखनीय है। नगर के बाहर के तालाबों में महाराजा सूरसिंह का बनवाया हुआ 'सूरसागर' सबसे अच्छा माना जाता है। .

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