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मुरैना

सूची मुरैना

मुरैना भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त का एक नगर है। यह मुरैना जिला मुख्यालय भी है। उत्तरी मध्य प्रदेश में स्थित मुरैना चंबल घाटी का प्रमुख जिला है। 5000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले इस जिले से चंबल, कुंवारी, आसन और सांक नदियां बहती हैं। पर्यटन के लिए आने वालों के देखने के लिए यहां अनेक दर्शनीय स्थल हैं। इन दर्शनीय स्थलों में सिहोनिया, पहाडगढ़, मीतावली, नूराबाद, सबलगढ़ का किला और राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य प्रमुख हैं। यहां एक पुरातात्विक संग्रहालय और गैलरी भी देखी जा सकती है। यह जिला ग्वालियर नगर से लगभग 46 किलोमीटर की दूरी पर है। मुरैना का प्राचीन नाम मयूरवन है जो की महाभारत काल के समय बहुत प्रसिद्ध था। इसी जिले का एक छोटा सा साॅटा नामक गांव हैं जिसमें जिले के सभी गांवों की अपेक्षाकृत अधिक मोर पाये जाते हैं यह मुरैना नगर से १० किलो मीटर की दूरी पर स्थित है । .

21 संबंधों: चंबल संभाग, चौदहवीं लोकसभा, झेलम एक्स्प्रेस १०७७, नरेन्द्र सिंह तोमर, नोरार, पहाड़गढ़, पान सिंह तोमर, बटेश्वर हिन्दू मंदिर, मध्य प्रदेश, भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों की राजमार्ग संख्या अनुसार सूची, भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची - प्रदेश अनुसार, भारत के शहरों की सूची, मध्य प्रदेश का पर्यटन, मध्य प्रदेश के शहरों की सूची, महेंद्र भटनागर, मुझे जीने दो (1963 फ़िल्म), मुरैना ज़िला, मुरैना विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, राम प्रसाद 'बिस्मिल', शिखर खेल अलंकरण, सबलगढ़ किला, सिहोनिया

चंबल संभाग

चंबल संभाग के एक प्रशासनिक भौगोलिक इकाई के मध्य प्रदेश राज्य का भारतहै। मुरैना के प्रशासनिक मुख्यालय है विभाजन.

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चौदहवीं लोकसभा

भारत में चौदहवीं लोकसभा का गठन अप्रैल-मई 2004 में होनेवाले आमचुनावोंके बाद हुआ था। .

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झेलम एक्स्प्रेस १०७७

झेलम एक्स्प्रेस झेलम एक्स्प्रेस १०७७ भारतीय रेल द्वारा संचालित एक मेल एक्स्प्रेस ट्रेन है। यह ट्रेन पुणे जंक्शन रेलवे स्टेशन (स्टेशन कोड:PUNE) से ०५:२०PM बजे छूटती है और जम्मू तवी रेलवे स्टेशन (स्टेशन कोड:JAT) पर ०८:५५AM बजे पहुंचती है। इसकी यात्रा अवधि है ३९ घंटे ३५ मिनट। झेलम एक्सप्रेस भारतीय रेल पर एक दैनिक ट्रेन है। यह पुणे से, जो महाराष्ट्र की सांस्कृतिक राजधानी है से लेकर जम्मू तवी, जम्मू-कश्मीर की शीतकालीन राजधानी से उत्तर भारत मे चलती है। इसके अलावा, यह ट्रेन सामरिक रूप से महत्वपूर्ण है; क्युंकि यह भारतीय सेना के मुख्यालय के दक्षिण कमान, पुणे को एक महत्त्वपूर्ण सीमा स्थित शहर से जोड़ता है। यह ट्रेन कुल मिलाकर ६५ स्टेशनों पर रूकती हैl यह ट्रैन कुल मिलाकर जम्मू तवी और पुणे के बीच २१७३ किलोमीटर का फासला तय करती हैl .

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नरेन्द्र सिंह तोमर

नरेन्द्र सिंह तोमर भारत के एक राजनेता हैं। वे सम्प्रति प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मंत्रिमंडल में भारत के वर्तमान केंद्रीय ग्रामीण विकास, पंचायतीराज स्वच्छता एवं पेयजल मंत्री हैं। .

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नोरार

मुरैना के निकट, 8वीं से 12वीं शताब्दी का जालेश्‍वर आज का नोरार है। यहां अनेक मंदिर बने हुए हैं। इन मंदिरों में 21 मंदिर आज भी देखे जा सकते हैं जो पहाड़ी की तीन दिशाओं में है। प्रतिहार नागर शैली में बना जानकी मंदिर यहां का लोकप्रिय मंदिर है। पहाड़ी पर अनेक दुर्लभ कुंड देखे जा सकते हैं। इन कुंडों को पहाड़ी के पत्थरों को काटकर बनाया गया था। यहां अनेक देवी-देवताओं की मूर्तियां भी देखी जा सकती है। श्रेणी:मुरैना.

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पहाड़गढ़

मुरैना के निकट, पहाडगढ़ से 12 मील की दूरी पर 86 गुफाओं की श्रृंखला देखी जा सकती है। इन गुफाओं को भोपाल की भीमबेटका गुफाओं का समकालीन माना जाता है। सभ्यता के प्रारंभ में लोग इन गुफाओं में आश्रय लेते थे। गुफाओं में पुरूष, महिला, चिड़िया, पशु, शिकार और नृत्य से संबंधित अनेक चित्र देखे जा सकते हैं। यह चित्र बताते हैं कि प्रागैतिहासिक काल में भी मनुष्य की कला चंबल घाटी में जीवंत थी। श्रेणी:मुरैना श्रेणी:भारत का इतिहास.

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पान सिंह तोमर

पान सिंह तोमर (1932 – 1 अक्टूबर 1981) एक भारतीय सैनिक, खिलाड़ी (एथलीट) और बागी थे। यह ग्राम भिड़ौसा के निवासी थे। इन्हें इनकी दौड़ने की ख़ूबी का पता भारतीय सेना में जाने के बाद चला। यह सात बार राष्ट्रीय प्रतियोगिता में विजेता रह चुके हैं। इन्होंने 1958 में एशियाई खेलों में भी हिस्सा लिया था। .

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बटेश्वर हिन्दू मंदिर, मध्य प्रदेश

बटेश्वर हिन्दू मंदिर, मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में लगभग २०० बलुआ पत्थर से बने हिंदू मंदिरों है,ये मंदिर समूह उत्तर भारतीय मंदिर वास्तुकला की शुरुआती गुर्जर-प्रतिहार शैली के मंदिर समूह हैं। यह ग्वालियर के उत्तर में लगभग ३५ किलोमीटर (२२ मील) और मुरैना शहर से लगभग ३० किलोमीटर (१९ मील) है। मंदिरों में ज्यादातर छोटे हैं और लगभग 25 एकड़ (10 हेक्टेयर) में फैले हुए हैं। वे शिव, विष्णु और शक्ति को समर्पित हैं - हिंदू धर्म के भीतर तीन प्रमुख परंपराओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह स्थल चंबल नदी घाटी के किले के भीतर है, इसकी प्रमुख मध्ययुगीन युग विष्णु मंदिर के लिए जाना जाता पदावली के निकट एक पहाड़ी के उत्तर-पश्चिमी ढलान पर है। बटेश्वर मंदिर ८ वीं और १० वीं शताब्दी के बीच बनाए गए थे। जिन मंदिरों के रूप में वे अब दिख रहे हैं, वे कई मामलों में २००५ में भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा शुरू की गई एक परियोजना में, खंडहर के पत्थरों से पुनर्निर्मित हुए हैं। .

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भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों की राजमार्ग संख्या अनुसार सूची

भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची इस प्रकार से है। इसे राज्य, राजमार्ग संख्या, कुल लंबाई इत्यादि किसी भी क्रम से चुना व छांटा जा सकता है। .

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भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची - प्रदेश अनुसार

भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों का संजाल भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची भारतीय राजमार्ग के क्षेत्र में एक व्यापक सूची देता है, द्वारा अनुरक्षित सड़कों के एक वर्ग भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण। ये लंबे मुख्य में दूरी roadways हैं भारत और के अत्यधिक उपयोग का मतलब है एक परिवहन भारत में। वे में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा भारतीय अर्थव्यवस्था। राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 2 laned (प्रत्येक दिशा में एक), के बारे में 65,000 किमी की एक कुल, जिनमें से 5,840 किमी बदल सकता है गठन में "स्वर्ण Chathuspatha" या स्वर्णिम चतुर्भुज, एक प्रतिष्ठित परियोजना राजग सरकार द्वारा शुरू की श्री अटल बिहारी वाजपेयी.

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भारत के शहरों की सूची

कोई विवरण नहीं।

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मध्य प्रदेश का पर्यटन

मध्य प्रदेश भारत के ठीक मध्य में स्थित है। अधिकतर पठारी हिस्से में बसे मध्यप्रदेश में विन्ध्य और सतपुडा की पर्वत श्रृखंलाएं इस प्रदेश को रमणीय बनाती हैं। ये पर्वत श्रृखंलाएं हैं कई नदियों के उद्गम स्थलों को जन्म देती हैं, ताप्ती, नर्मदा,चम्बल, सोन,बेतवा, महानदी जो यहां से निकल भारत के कई प्रदेशों में बहती हैं। इस वैविध्यपूर्ण प्राकृतिक देन की वजह से मध्यप्रदेश एक बेहद खूबसूरत हर्राभरा हिस्सा बन कर उभरता है। जैसे एक हरे पत्ते पर ओस की बूंदों सी झीलें, एक दूसरे को काटकर गुजरती पत्ती की शिराओं सी नदियां। इतना ही विहंगम है मध्य प्रदेश जहां, पर्यटन की अपार संभावनायें हैं। हालांकि 1956 में मध्यप्रदेश भारत के मानचित्र पर एक राज्य बनकर उभरा था, किन्तु यहां की संस्कृति प्राचीन और ऐतिहासिक है। असंख्य ऐतिहासिक सांस्कृतिक धरोहरें विशेषत: उत्कृष्ट शिल्प और मूर्तिकला से सजे मंदिर, स्तूप और स्थापत्य के अनूठे उदाहरण यहां के महल और किले हमें यहां उत्पन्न हुए महान राजाओं और उनके वैभवशाली काल तथा महान योध्दाओं, शिल्पकारों, कवियों, संगीतज्ञों के साथ-साथ हिन्दु, मुस्लिम,जैन और बौध्द धर्म के साधकों की याद दिलाते हैं। भारत के अमर कवि, नाटककार कालिदास और प्रसिध्द संगीतकार तानसेन ने इस उर्वर धरा पर जन्म ले इसका गौरव बढाया है। मध्यप्रदेश का एक तिहाई हिस्सा वन संपदा के रूप में संरक्षित है। जहां पर्यटक वन्यजीवन को पास से जानने का अदभुत अनुभव प्राप्त कर सकते हैं। कान्हा नेशनल पार्क,बांधवगढ़, शिवपुरी आदि ऐसे स्थान हैं जहां आप बाघ, जंगली भैंसे, हिरणों, बारहसिंघों को स्वछंद विचरते देख पाने का दुर्लभ अवसर प्राप्त कर सकते हैं। मध्यप्रदेश के हर इलाके की अपनी संस्कृति है और अपनी धार्मिक परम्पराएं हैं जो उनके उत्सवों और मेलों में अपना रंग भरती हैं। खजुराहो का वार्षिक नृत्यउत्सव पर्यटकों को बहुत लुभाता है और ओरछा और पचमढी क़े उत्सव वहा/ कि समृध्द लोक और आदिवासी संस्कृति को सजीव बनाते हैं। मध्यप्रदेश की व्यापकता और विविधता को खयाल में रख हम इसे पर्यटन की सुविधानुसार पांच भागों में बांट सकते र्हैं मध्य प्रदेश राज्य में अत्यधिक पर्यटन स्थल हैं। .

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मध्य प्रदेश के शहरों की सूची

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महेंद्र भटनागर

डॉ महेंद्र भटनागर (Mahendra Bhatnagar जन्म 26 जून,1926) भारतीय समाजार्थिक-राष्ट्रीय-राजनीतिक चेतना-सम्पन्न द्वि-भाषिक (हिन्दी एवं अंग्रेजी) कवि एवं लेखक हैं। ये सन् 1946 से प्रगतिवादी काव्यान्दोलन से सक्रिय रूप से सम्बद्ध प्रगतिशील हिन्दी कविता के द्वितीय उत्थान के चर्चित हस्ताक्षरों में से एक हैं। .

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मुझे जीने दो (1963 फ़िल्म)

मुझे जीने दो (अंग्रेजी: Mujhe Jeene Do) सन 1963 में बनी एक मशहूर हिन्दी फिल्म का नाम है जिसका निर्देशन मणि भट्टाचार्य ने किया था। अजन्ता आर्ट के बैनर तले बनी व डकैतों के वास्तविक जीवन पर आधारित बालीवुड की इस फिल्म में सुनील दत्त, वहीदा रहमान, निरूपा रॉय, राजेन्द्र नाथ एवं मुमताज़ ने अभिनय किया था। चम्बल घाटी के डाकू समस्याग्रस्त इलाके भिण्ड एवं मुरैना जिलों के खतरनाक बीहड़ों में मध्य प्रदेश पुलिस के सुरक्षा कवच में फिल्मायी गयी, तथा मोहन स्टूडियो मुम्बई में बनी इस फिल्म में वहीदा रहमान व सुनील दत्त के अभिनय की बेहतरीन प्रतिभा का प्रदर्शन हुआ था। जयदेव के संगीत निर्देशन ने इसे सर्वश्रेष्ठ फिल्म का दर्ज़ा दिलाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी। .

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मुरैना ज़िला

मुरैना मध्य प्रदेश राज्य का एक जिला है। इसका मुख्यालय मुरैना में है। जिले के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 50 प्रतिशत भाग खेती योग्य है। जिले का 42.94 प्रतिशत क्षेत्र सिंचित हैं। नहर इस क्षेत्र की सिंचाई का मुख्य साधन है। जिले की मुख्य फसल गेहूँ है। सरसों का उत्पादन भी जिले में प्रचुर मात्रा में होता है। खरीफ की मुख्य फसल बाजरा है। यह जिला कच्ची घानी के सरसों के तेल के लिये पूरे मध्य प्रदेश में जाना जाता है। इस जिले में पानी की आपूर्ति चम्बल, कुँवारी, आसन और शंक नदियों द्वारा होती है। चम्बल नदी का उद्गम इन्दौर जिले से हुआ है। यह नदी राजस्थानी इलाके से लगती हुई उत्तर-पश्चिमी सीमा में बहती है। .

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मुरैना विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र

मुरैना विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, २३० विधानसभा, का एक निर्वाचन क्षेत्र है.

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राम प्रसाद 'बिस्मिल'

राम प्रसाद 'बिस्मिल' (११ जून १८९७-१९ दिसम्बर १९२७) भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की क्रान्तिकारी धारा के एक प्रमुख सेनानी थे, जिन्हें ३० वर्ष की आयु में ब्रिटिश सरकार ने फाँसी दे दी। वे मैनपुरी षड्यन्त्र व काकोरी-काण्ड जैसी कई घटनाओं में शामिल थे तथा हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के सदस्य भी थे। राम प्रसाद एक कवि, शायर, अनुवादक, बहुभाषाभाषी, इतिहासकार व साहित्यकार भी थे। बिस्मिल उनका उर्दू तखल्लुस (उपनाम) था जिसका हिन्दी में अर्थ होता है आत्मिक रूप से आहत। बिस्मिल के अतिरिक्त वे राम और अज्ञात के नाम से भी लेख व कवितायें लिखते थे। ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी (निर्जला एकादशी) विक्रमी संवत् १९५४, शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर में जन्मे राम प्रसाद ३० वर्ष की आयु में पौष कृष्ण एकादशी (सफला एकादशी), सोमवार, विक्रमी संवत् १९८४ को शहीद हुए। उन्होंने सन् १९१६ में १९ वर्ष की आयु में क्रान्तिकारी मार्ग में कदम रखा था। ११ वर्ष के क्रान्तिकारी जीवन में उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं और स्वयं ही उन्हें प्रकाशित किया। उन पुस्तकों को बेचकर जो पैसा मिला उससे उन्होंने हथियार खरीदे और उन हथियारों का उपयोग ब्रिटिश राज का विरोध करने के लिये किया। ११ पुस्तकें उनके जीवन काल में प्रकाशित हुईं, जिनमें से अधिकतर सरकार द्वारा ज़ब्त कर ली गयीं। --> बिस्मिल को तत्कालीन संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध की लखनऊ सेण्ट्रल जेल की ११ नम्बर बैरक--> में रखा गया था। इसी जेल में उनके दल के अन्य साथियोँ को एक साथ रखकर उन सभी पर ब्रिटिश राज के विरुद्ध साजिश रचने का ऐतिहासिक मुकदमा चलाया गया था। --> .

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शिखर खेल अलंकरण

शिखर खेल अलंकरण हेतु राज्य सम्मान,मध्यप्रदेश शासन द्वारा स्थापित राष्ट्रीय एवं राज्यस्तरीय सम्मान है। .

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सबलगढ़ किला

मुरैना के सबलगढ़ नगर में स्थित यह किला मुरैना से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर है। मध्यकाल में बना यह किला एक पहाड़ी के शिखर बना हुआ है। इस किले की नींव सबला गुर्जर ने डाली थी जबकि करौली के महाराजा गोपाल सिंह ने 18वीं शताब्दी में इसे पूरा करवाया था। कुछ समय बाद सिंकदर लोदी ने इस किले को अपने नियंत्रण में ले लिया था लेकिन बाद में करौली के राजा ने मराठों की मदद से इस पर पुन: अधिकार कर लिया। किले के पीछे सिंधिया काल में बना एक बांध है, जहां की सुंदरता देखते ही बनती है। सबलगढ़ का किला अत्यंत सुन्दर एवं मनमोहक है। श्रेणी:मध्य प्रदेश दुर्ग श्रेणी:मुरैना श्रेणी:भारत के किले श्रेणी:क़िले.

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सिहोनिया

मुरैना के पास स्थित सिहोनिया या सिहुनिया कुशवाहों की राजधानी थी। इस साम्राज्य की स्थापना 11वीं शताब्दी में 1015 से 1035 के मध्य हुई थी। कछवाह राजा ने यहां एक शिव मंदिर बनवाया था, जिसे काकनमठ नाम से जाना जाता है। माना जाता है कि मंदिर का निर्माण राजा कीर्तिराज ने रानी काकनवटी की इच्छा पूरी करने के लिए करवाया था। खजुराहो मंदिर की शैली में बना यह मंदिर 115 फीट ऊंचा है। सिहोनिया जैन धर्म के अनुयायियों के लिए भी काफी प्रसिद्ध है। यहां 11वीं शताब्दी के अनेक जैन मंदिरों के अवशेष देखे जा सकते हैं। इस मंदिरों में शांतिनाथ, कुंथनाथ, अराहनाथ, आदिनाथ, पार्श्‍वनाथ आदि जैन र्तीथकरों की प्रतिमाएं स्थापित हैं। .

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