हम Google Play स्टोर पर Unionpedia ऐप को पुनर्स्थापित करने के लिए काम कर रहे हैं
निवर्तमानआने वाली
🌟हमने बेहतर नेविगेशन के लिए अपने डिज़ाइन को सरल बनाया!
Instagram Facebook X LinkedIn

माना दर्रा

सूची माना दर्रा

माना दर्रा (el.), भारत चीन सीमा पर स्थित हिमालय का एक प्रमुख दर्रा हैं। और यह NH-58 का अन्तिम छोर है। इसे माना-ला, चिरबितया, चिरबितया-ला अथवा डुंगरी-ला के नाम से भी जाना जाता है। भारत की तरफ से यह उत्तराखण्ड के प्रसिद्ध बद्रीनाथ मंदिर के निकट है। .

Google Maps में खोलें

सामग्री की तालिका

  1. 4 संबंधों: दर्रा, माना पर्वत, कामेट पर्वत, उत्तराखण्ड

दर्रा

पहाडियों एव पर्वतिय क्षेत्रों में पाए जाने वाले आवागमन के प्राकृतिक मार्गों को दर्रा कहा जाता हैं। .

देखें माना दर्रा और दर्रा

माना पर्वत

मुकुट पर्वत कामत पर्वत का सहायक शिखर है। माना शिखर ७२७२ मी.

देखें माना दर्रा और माना पर्वत

कामेट पर्वत

कामेट पर्वत (तिब्बती:कांग्मेद), भारत के गढ़वाल क्षेत्र में नंदा देवी पर्वत के बाद सबसे ऊंचा पर्वत शिखर है। तह ७,७५६-मीटर (२५,४४६ फुट) ऊंचा है। यह उत्तराखंड राज्य के चमोली जिला में तिब्बत की सीमा के निकट स्थित है। यह भारत में तीसरा शबसे ऊंचा शिखर है (हालांकि भारत के अनुसार इसका स्थान बहुत बाद में आता है, जो कि पाक अधिकृत कश्मीर में स्थित हिमालय की बहुत सी चोटियों के बाद आता है)। विश्व में इसका २९वां स्थान है। कामेट शिखर को ज़ांस्कर शृंखला का भाग और इसका सबसे ऊंचा शिखर माना जाता है। यह हिमालय की मुख्य शृंखला के उत्तर में सुरु नदी एवं ऊपरी करनाली नदी के बीच स्थित है। देखने में यह एक विशाल पिरामिड जैसा दिखाई देता है, जिसके चपटे शिखर पर दो चोटियां हैं। कामेट शिखर का नाम अंग्रेजी भाषा का नहीं, बल्कि तिब्बती भाषा के शब्द ‘कांग्मेद’ शब्द के आधार पर रखा गया है। इसीलिये इसे कामेट भी कहा जाटा है। तिब्बती लोग इसे कांग्मेद पहाड़ कहते हैं। कामेट पर्वत तीन प्रमुख हिमशिखरों से घिरा है। इनके नाम अबी गामिन, माना पर्वत तथा मुकुट पर्वत हैं। कामेट शिखर के पूर्व में स्थित विशाल ग्लेशियर को पूर्वी कामेट ग्लेशियर कहते हैं और पश्चिम में पश्चिमी कामेट ग्लेशियर है। .

देखें माना दर्रा और कामेट पर्वत

उत्तराखण्ड

उत्तराखण्ड (पूर्व नाम उत्तरांचल), उत्तर भारत में स्थित एक राज्य है जिसका निर्माण ९ नवम्बर २००० को कई वर्षों के आन्दोलन के पश्चात भारत गणराज्य के सत्ताइसवें राज्य के रूप में किया गया था। सन २००० से २००६ तक यह उत्तरांचल के नाम से जाना जाता था। जनवरी २००७ में स्थानीय लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए राज्य का आधिकारिक नाम बदलकर उत्तराखण्ड कर दिया गया। राज्य की सीमाएँ उत्तर में तिब्बत और पूर्व में नेपाल से लगी हैं। पश्चिम में हिमाचल प्रदेश और दक्षिण में उत्तर प्रदेश इसकी सीमा से लगे राज्य हैं। सन २००० में अपने गठन से पूर्व यह उत्तर प्रदेश का एक भाग था। पारम्परिक हिन्दू ग्रन्थों और प्राचीन साहित्य में इस क्षेत्र का उल्लेख उत्तराखण्ड के रूप में किया गया है। हिन्दी और संस्कृत में उत्तराखण्ड का अर्थ उत्तरी क्षेत्र या भाग होता है। राज्य में हिन्दू धर्म की पवित्रतम और भारत की सबसे बड़ी नदियों गंगा और यमुना के उद्गम स्थल क्रमशः गंगोत्री और यमुनोत्री तथा इनके तटों पर बसे वैदिक संस्कृति के कई महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थान हैं। देहरादून, उत्तराखण्ड की अन्तरिम राजधानी होने के साथ इस राज्य का सबसे बड़ा नगर है। गैरसैण नामक एक छोटे से कस्बे को इसकी भौगोलिक स्थिति को देखते हुए भविष्य की राजधानी के रूप में प्रस्तावित किया गया है किन्तु विवादों और संसाधनों के अभाव के चलते अभी भी देहरादून अस्थाई राजधानी बना हुआ है। राज्य का उच्च न्यायालय नैनीताल में है। राज्य सरकार ने हाल ही में हस्तशिल्प और हथकरघा उद्योगों को बढ़ावा देने के लिये कुछ पहल की हैं। साथ ही बढ़ते पर्यटन व्यापार तथा उच्च तकनीकी वाले उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए आकर्षक कर योजनायें प्रस्तुत की हैं। राज्य में कुछ विवादास्पद किन्तु वृहत बाँध परियोजनाएँ भी हैं जिनकी पूरे देश में कई बार आलोचनाएँ भी की जाती रही हैं, जिनमें विशेष है भागीरथी-भीलांगना नदियों पर बनने वाली टिहरी बाँध परियोजना। इस परियोजना की कल्पना १९५३ मे की गई थी और यह अन्ततः २००७ में बनकर तैयार हुआ। उत्तराखण्ड, चिपको आन्दोलन के जन्मस्थान के नाम से भी जाना जाता है। .

देखें माना दर्रा और उत्तराखण्ड