सामग्री की तालिका
3 संबंधों: सरगासूली, ईसरलाट, विद्याधर चक्रवर्ती।
सरगासूली
महाराजा ईश्वरीसिंह द्वारा सन 1749 ईस्वी में बनवाया युद्ध-विजय-स्मारक: सात खण्डों की मीनार 'सरगासूली' उर्फ़ 'ईसरलाट' अठारहवीं सदी में 1749 में सात खण्डों की इस भव्य जयपुर शहर की सबसे ऊंची मीनार मीनार 'ईसरलाट' उर्फ़ 'सरगासूली' का निर्माण महाराजा ईश्वरी सिंह ने जयपुर के गृहयुद्धों में विरोधी सात दुश्मनों पर अपनी तीन विजयों के बाद करवाया था। .
देखें महाराजा ईश्वरीसिंह और सरगासूली
ईसरलाट
अठारहवीं सदी में निर्मित जयपुर शहर में त्रिपोलिया बाज़ार में दिखलाई देने वाली पुराने शहर की सबसे ऊंची मीनार 'ईसरलाट' उर्फ़ 'सरगासूली' जिसका का निर्माण महाराजा ईश्वरी सिंह ने जयपुर के गृहयुद्धों में अपनी तीन विजयों की स्मृति में करवाया था। श्रेणी:जयपुर की ऐतिहासिक इमारतें.
देखें महाराजा ईश्वरीसिंह और ईसरलाट
विद्याधर चक्रवर्ती
विद्याधर चक्रवर्ती। विद्याधर भट्टाचार्य (?)। विद्याधर (१६९३-१७५१) भारत के नगर-नियोजन के पुरोधा थे। आज से 286 साल पहले जयपुर जैसा सुव्यवस्थित और आधुनिक नगर बसाने के आमेर महाराजा सवाई जयसिंह के सपने को साकार करने में उनकी भूमिका सबसे निर्णायक और महत्वपूर्ण रही। गणित, शिल्पशास्त्र, ज्योतिष और संस्कृत आदि विषयों में उनकी असाधारण गति थी। विद्याधर बंगाल मूल के एक गौड़-ब्राह्मण थे, जिनके दस वैदिक ब्राह्मण पूर्वज आमेर-राज्य की कुलदेवी दुर्गा शिलादेवी की शिला खुलना-उपक्षेत्र के जैसोर (तब पूर्व बंगाल), अब बांग्लादेश) से लाने के समय जयपुर आये थे। उन्हीं में से एक के वंशज विद्याधर थे। .
देखें महाराजा ईश्वरीसिंह और विद्याधर चक्रवर्ती
महाराजा ईश्वरी सिंह के रूप में भी जाना जाता है।