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मलय प्रायद्वीप

सूची मलय प्रायद्वीप

स्थिति मानचित्र मलय प्रायद्वीप या थाई-मलय प्रायद्वीप (सेमेनान्जुंग तनह मेलयु, คาบสมุทรมลายู) दक्षीन पूर्वी एशिया में एक प्रायद्वीप है। यह भूमिखंड उत्तर-दक्षिण दिशा में स्थित है व टेमिनस एशियाई मुख्यभूमि के दक्षिणतम बिन्दु पर है। इस क्षेत्र में बर्मा, मलेशिया, सिंगापुर एवं थाईलैंड देश हैं। .

46 संबंधों: चुमफोन प्रान्त, ताम्रलिप्त, ताक प्रान्त, तितिवंगसा पहाड़ियाँ, त्रंग प्रान्त, दक्षिण-पूर्व एशिया में हिन्दू धर्म, दक्षिणपूर्व एशिया पर भारतीय प्रभाव का इतिहास, नराथिवात प्रान्त, नखोन सी थम्मारात प्रान्त, पत्तानी प्रान्त, पान, पाहांग नदी, प्रचुअप खीरी खन प्रान्त, प्रायद्वीपीय मलेशिया, पूर्व मलेशिया, पेरलिस, फत्थलुंग प्रान्त, फंग अंगा प्रान्त, फेत्चबुरी प्रान्त, बहुसंस्कृतिवाद, बिल्व, बंदर मेलाका, बुगिनी भाषा, मलय द्वीपसमूह, मलेशिया के राज्य व संघीय क्षेत्र, मेलाका, याला प्रान्त, रनोंग प्रान्त, रात्चाबुरी प्रान्त, लार गिबन, श्रीविजय राजवंश, सतून प्रान्त, साम्भर (हिरण), सुन्दा ताक, सूरत थानी प्रान्त, सेलांगोर, सोंगख्ला प्रान्त, जॉन डेविस (अंग्रेज नाविक), जोहोर बाहरू, गटापारचा, इंडोचायना, काकड़, क्रबी प्रान्त, क्रा थलसंधि, अलोर सेतार, अंडमान सागर

चुमफोन प्रान्त

चुमफोन थाईलैण्ड का एक प्रान्त है। यह दक्षिणी थाईलैण्ड क्षेत्र में मलय प्रायद्वीप के क्रा थलसंधि भाग में स्थित है और इसकी पश्चिमी सीमा बर्मा के तनीन्थार्यी मण्डल के साथ सटी हुई है। दोनों देश की यहाँ की सीमा पर तेनासेरिम पहाड़ियाँ एक प्राकृतिक सरहद के रूप में विस्तृत हैं। यह पूर्वी दिशा में थाईलैण्ड की खाड़ी के साथ तटवर्ती है। .

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ताम्रलिप्त

ताम्रलिप्त या ताम्रलिप्ति (তাম্রলিপ্ত) बंगाल की खाड़ी में स्थित एक प्राचीन नगर था। विद्वानों का मत है कि वर्तमान तामलुक ही प्राचीन ताम्रलिप्ति था। ऐसा माना जाता है कि मौर्य साम्राज्य के दक्षिण एशिया तथा दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए यह नगर व्यापारिक निकास बिन्दु था। पश्चिमी बंगाल के मिदनापुर जिले का आधुनिक तामलुक अथवा तमलुक जो कलकत्ता से ३३ मील दक्षिण पश्चिम में रूपनारायण नदी के पश्चिमी किनारे पर स्थित है। यद्यपि समुद्र से इसकी वर्तमान दूरी ६० मील है, प्राचीन और मध्यकालीन युग में १७वीं शताब्दी तक समुद्र उसको छूता था और वह भारतवर्ष के दक्षिण-पूर्वी तट का एक प्रसिद्ध बंदरगाह था। ताम्रलिप्ति, नगर की ही नहीं, एक विशाल जनपद की भी संज्ञा थी। उन दिनों गंगा नदी भी उसके नगर के पास से होकर ही बहती थी और उसके द्वारा समुद्र से मिले होने के कारण नगर का बहुत बड़ा व्यापारिक महत्व था। भारतवर्ष के संबंध में लिखनेवाला सुप्रसिद्ध भूगोलशास्त्री प्लिनी उसे 'तामलिटिज' की संज्ञा देता है। प्राचीन ताम्रलिप्ति नगर के खंडहर नदी की उपजाऊ घाटी में अब भी देखे जा सकते हैं। .

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ताक प्रान्त

ताक थाईलैण्ड का एक प्रान्त है। यह पश्चिमी थाईलैण्ड क्षेत्र में मलय प्रायद्वीप के उत्तरी भाग में स्थित है और इसकी पश्चिमी सीमा बर्मा के कयिन राज्य के साथ सटी हुई है। दोनों देश की यहाँ की सीमा पर तेनासेरिम पहाड़ियाँ और दावना पहाड़ियाँ एक प्राकृतिक सरहद के रूप में विस्तृत हैं। .

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तितिवंगसा पहाड़ियाँ

तितिवंगसा पहाड़ियाँ (अंग्रेज़ी: Titiwangsa Mountains, मलय: Banjaran Titiwangsa, بنجرن تيتيوڠسا) एक पर्वतमाला है जो मलय प्रायद्वीप में रीढ़ के रूप में खड़ी है। इसका उत्तरी भाग थाईलैण्ड में और दक्षिणी भाग मलेशिया में आता है। थाईलैण्ड में इसे शंकालाखीरी पहाड़ियाँ (Sankalakhiri Range, थाई: ทิวเขาสันกาลาคีรี) नाम से जाना जाता है। यह दक्षिणतम थाईलैण्ड और प्रायद्वीपीय मलेशिया में एक प्राकृतिक दीवार के रूप में खड़ी है और इसे पूर्वी तटीय और पश्चिम तटीय भागों में बांटती है। उत्तर-से-दक्षिण यह लगभग ४८० किमी तक चलती है। .

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त्रंग प्रान्त

त्रंग थाईलैण्ड का एक प्रान्त है। यह दक्षिणी थाईलैण्ड क्षेत्र में मलय प्रायद्वीप के क्रा थलसंधि भाग में स्थित है। पश्चिम में यह अंडमान सागर से तटवर्ती है और यह प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर क्षेत्र माना जाता है। प्रान्त का अधिकतर भाग पहाड़ी है। .

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दक्षिण-पूर्व एशिया में हिन्दू धर्म

दक्षिण-पूर्व एशिया में हिन्दू धर्म का प्रसार हुआ तथा इसने मध्य वियतनाम के दक्षिणी भागों में चम्पा सभ्यता को जन्म दिया, कम्बोडिया में फुनान, हिन्दचीन में ख्मेर, मलय प्रायद्वीप में लंगकासुक राज्य, गंगा नगर, तथा पुराना केदा को जन्म दिया। इसी प्रकार सुमात्रा में श्रीविजयन राज्य, जावा, बाली और फिलिपीन में सिंगोसरी राज्य, और मजापहित साम्राज्य को जन्म दिया। इतना ही नहीं, भारत की सभ्यता ने इन क्षेत्रों की भाषा, लिपि, पंचांग, तथा कला और जीवन शैली को भी प्रभावित किया। दक्षिण-पूर्व एशिया में हिन्दू धर्म का प्रसार .

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दक्षिणपूर्व एशिया पर भारतीय प्रभाव का इतिहास

२०० ईसापूर्व से ही दक्षिणपूर्व एशिया भारत द्वारा प्रभावित होता र्हा है। यह प्रभाव १५वीं शताब्दी तक अनवरत चलता रहा। उसके पश्चात स्थानीय राजनीति अधिक प्रभावी हो गयी। भारत ने दक्षिणपूर्व के राज्यों, जैसे बर्मा (ब्रह्मदेश), थाईलैण्ड (स्याम), इण्डोनेशिया, मलय प्रायद्वीप, कम्बोडिया (कम्बोज) और कुछ सीमा तक वियतनाम के साथ व्यापारिक, सांस्कृतिक और राजनैतिक सम्बन्ध स्थापित किये थे। .

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नराथिवात प्रान्त

नराथिवात थाईलैण्ड का एक प्रान्त है। यह दक्षिणी थाईलैण्ड क्षेत्र में मलय प्रायद्वीप में स्थित है। दक्षिण में इसकी सीमाएँ मलेशिया के केलंतन राज्य से लगती हैं और पूर्व में यह थाईलैण्ड की खाड़ी से तटवर्ती है। .

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नखोन सी थम्मारात प्रान्त

नखोन सी थम्मारात थाईलैण्ड का एक प्रान्त है। यह दक्षिणी थाईलैण्ड क्षेत्र में मलय प्रायद्वीप के क्रा थलसंधि भाग में स्थित है। यह पूर्व में थाईलैण्ड की खाड़ी के साथ तटवर्ती है। .

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पत्तानी प्रान्त

पत्तानी थाईलैण्ड का एक प्रान्त है। यह दक्षिणी थाईलैण्ड क्षेत्र में मलय प्रायद्वीप में स्थित है। उत्तर और पूर्व में यह थाईलैण्ड की खाड़ी से तटवर्ती है। .

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पान

पान भारत के इतिहास एवं परंपराओं से गहरे से जुड़ा है। इसका उद्भव स्थल मलाया द्वीप है। पान विभिन्न भारतीय भाषाओं में अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे ताम्बूल (संस्कृत), पक्कू (तेलुगू), वेटिलाई (तमिल और मलयालम) और नागुरवेल (गुजराती) आदि। पान का प्रयोग हिन्दू संस्कार से जुड़ा है, जैसे नामकरण, यज्ञोपवीत आदि। वेदों में भी पान के सेवन की पवित्रता का वर्णन है। यह तांबूली या नागवल्ली नामक लता का पत्ता है। खैर, चूना, सुपारी के योग से इसका बीड़ा लगाया जाता है और मुख की सुंदरता, सुगंधि, शुद्धि, श्रृंगार आदि के लिये चबा चबाकर उसे खाया जाता है। इसके साथ विभिन्न प्रकार के सुगंधित, असुगंधित तमाखू, तरह तरह के पान के मसाले, लवंग, कपूर, सुगंधद्रव्य आदि का भी प्रयोग किया जाता है। मद्रास में बिना खैर का भी पान खाया जाता है। विभिन्न प्रदेशों में अपने अपने स्वाद के अनुसार इसके प्रयोग में तरह तरह के मसालों के साथ पान खाने का रिवाज है। जहाँ भोजन आदि के बाद, तथा उत्सवादि में पान बीड़ा लाभकर और शोभाकर होता है वहीं यह एक दुर्व्यसन भी हो जाता है। तम्बाकू के साथ अधिक पान खानेवाले लोग प्राय: इसके व्यसनी हो जाते हैं। अधिक पान खाने के कारण बहुतों के दाँत खराब हो जाते हैं- उनमें तरह तरह के रोग लग जाते हैं और मुँह से दुर्गंध आने लगती है। इस लता के पत्ते छोटे, बड़े अनेक आकार प्रकार के होते हैं। बीच में एक मोटी नस होती है और प्राय: इस पत्ते की आकृति मानव के हृदय (हार्ट) से मिलती जुलती होती है। भारत के विभिन्न भागों में होनेवाले पान के पत्तों की सैकड़ों किस्में हैं - कड़े, मुलायम, छोटे, बड़े, लचीले, रूखे आदि। उनके स्वाद में भी बड़ा अंतर होता है। कटु, कषाय, तिक्त और मधुर-पान के पत्ते प्राय: चार स्वाद के होते हैं। उनमें औषधीय गुण भी भिन्न भिन्न प्रकार के होते हैं। देश, गंध आदि के अनुसार पानों के भी गुणर्धममूलक सैकड़ों जातिनाम हैं जैसे- जगन्नाथी, बँगाली, साँची, मगही, सौंफिया, कपुरी (कपूरी) कशकाठी, महोबाई आदि। गर्म देशों में, नमीवाली भूमि में ज्यादातर इसकी उपज होती है। भारत, बर्मा, सिलोन आदि में पान की अघिक पैदायश होती है। इसकी खेती कि लिये बड़ा परिश्रम अपेक्षित है। एक ओर जितनी उष्णता आवश्यक है, दूसरी ओर उतना ही रस और नमी भी अपेक्षित है। देशभेद से इसकी लता की खेती और सुरक्षा में भेद होता है। पर सर्वत्र यह अत्यंत श्रमसाध्य है। इसकी खेती के स्थान को कहीं बरै, कहीं बरज, कहीं बरेजा और कहीं भीटा आदि भी कहते हैं। खेती आदि कतरनेवालों को बरे, बरज, बरई भी कहते हैं। सिंचाई, खाद, सेवा, उष्णता सौर छाया आदि के कारण इसमें बराबर सालभर तक देखभाल करते रहना पड़ता है और सालों बाद पत्तियाँ मिल पानी हैं और ये भी प्राय: दो तीन साल ही मिलती हैं। कहीं कहीं 7-8 साल तक भी प्राप्त होती हैं। कहीं तो इस लता को विभिन्न पेड़ों-मौलसिरी, जयंत आदि पर भी चढ़ाया जाता है। इसके भीटों और छाया में इतनी ठंढक रहती है कि वहाँ साँप, बिच्छू आदि भी आ जाते हैं। इन हरे पत्तों को सेवा द्वारा सफेद बनाया जाता है। तब इन्हें बहुधा पका या सफेद पान कहते हैं। बनारस में पान की सेवा बड़े श्रम से की जाती है। मगह के एक किस्म के पान को कई मास तक बड़े यत्न से सुरक्षित रखकर पकाते हैं जिसे "मगही पान" कहा जाता है और जो अत्यंत सुस्वादु एवं मूल्यवान् जाता है। समस्त भारत में (विशेषत: पश्चिमी भाग को छोड़कर) सर्वत्र पान खाने की प्रथा अत्यधिक है। मुगल काल से यह मुसलमानों में भी खूब प्रचलित है। संक्षेप में, लगे पान को भारत का एक सांस्कृतिक अंग कह सकते हैं। पान के पौधे वैज्ञानिक दृष्टि से पान एक महत्वपूर्ण वनस्पति है। पान दक्षिण भारत और उत्तर पूर्वी भारत में खुली जगह उगाया जाता है, क्योंकि पान के लिए अधिक नमी व कम धूप की आवश्यकता होती है। उत्तर और पूर्वी प्रांतों में पान विशेष प्रकार की संरक्षणशालाओं में उगाया जाता है। इन्हें भीट या बरोज कहते हैं। पान की विभिन्न किस्मों को वैज्ञानिक आधार पर पांच प्रमुख प्रजातियों बंगला, मगही, सांची, देशावरी, कपूरी और मीठी पत्ती के नाम से जाना जाता है। यह वर्गीकरण पत्तों की संरचना तथा रासायनिक गुणों के आधार पर किया गया है। रासायनिक गुणों में वाष्पशील तेल का मुख्य योगदान रहता है। ये सेहत के लिये भी लाभकारी है। खाना खाने के बाद पान का सेवन पाचन में सहायक होता है। पान की दुकान पर बिकते पान पान में वाष्पशील तेलों के अतिरिक्त अमीनो अम्ल, कार्बोहाइड्रेट और कुछ विटामिन प्रचुर मात्रा में होते हैं। पान के औषधीय गुणों का वर्णन चरक संहिता में भी किया गया है। ग्रामीण अंचलों में पान के पत्तों का प्रयोग लोग फोड़े-फुंसी उपचार में पुल्टिस के रूप में करते हैं। हितोपदेश के अनुसार पान के औषधीय गुण हैं बलगम हटाना, मुख शुद्धि, अपच, श्वांस संबंधी बीमारियों का निदान। पान की पत्तियों में विटामिन ए प्रचुर मात्रा में होता है। प्रात:काल नाश्ते के उपरांत काली मिर्च के साथ पान के सेवन से भूख ठीक से लगती है। ऐसा यूजीनॉल अवयव के कारण होता है। सोने से थोड़ा पहले पान को नमक और अजवायन के साथ मुंह में रखने से नींद अच्छी आती है। यही नहीं पान सूखी खांसी में भी लाभकारी होता है।। वेब दुनिया .

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पाहांग नदी

पाहांग नदी (मलय: Sungai Pahang, सुंगइ पाहांग) दक्षिणपूर्व एशिया के मलेशिया देश के पाहांग राज्य में बहने वाली एक नदी है। ४५९ किमी के मार्ग वाली यह नदी मलय प्रायद्वीप की सबसे लम्बी नदी है। यह तितिवंगसा पहाड़ियों में उभरने वाली जेलाइ और तेम्बलिंग नदियों के संगम से बनती है और आगे चलकर दक्षिण चीन सागर में बह जाती है। .

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प्रचुअप खीरी खन प्रान्त

प्रचुअप खीरी खन थाईलैण्ड का एक प्रान्त है। यह पश्चिमी थाईलैण्ड क्षेत्र में मलय प्रायद्वीप के उत्तरी भाग में क्रा थलसंधि पर स्थित है और इसकी पश्चिमी सीमा बर्मा के तनीन्थार्यी मण्डल के साथ सटी हुई है। .

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प्रायद्वीपीय मलेशिया

प्रायद्वीपीय मलेशिया या पश्चिमी मलेशिया दक्षिणपूर्व एशिया के मलेशिया देश का वह हिस्सा है जो मलय प्रायद्वीप के दक्षिणी भाग और उसके समीप के कुछ द्वीपों पर स्थित है। इसकी सीमाएँ उत्तर में थाईलैण्ड से मिलती हैं और दक्षिण में सिंगापुर का द्वीप देश इसके पास है। दक्षिणपूर्व में मलक्का जलसन्धि के पार इण्डोनेशिया का सुमात्रा द्वीप है। मलेशिया का एक दूसरा भाग, जो पूर्व मलेशिया कहलाता है, प्रायद्वीपीय मलेशिया से पूर्व में दक्षिण चीन सागर के पार बोर्नियो द्वीप पर स्थित है। मलेशिया की लगभग ८०% आबादी व अर्थव्यवस्था प्रायद्वीपीय मलेशिया में है। मलेशिया के १३ राज्यों व ३ संघीय क्षेत्रों में से ११ राज्य और २ संघीय क्षेत्र प्रायद्वीपीय मलेशिया मे स्थित हैं। .

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पूर्व मलेशिया

पूर्व मलेशिया (East Malaysia) या मलेशियाई बोर्नियो (Malaysian Borneo) दक्षिणपूर्व एशिया के मलेशिया देश का वह भाग है जो बोर्नियो द्वीप के उत्तरी हिस्से में स्थित है। इसमें साबाह राज्य, सारावाक राज्य और लबूअन संघीय क्षेत्र आते हैं। यह मलय प्रायद्वीप पर स्थित प्रायद्वीपीय मलेशिया से पूर्व में अवस्थित है। मलेशिया के इन दोनो भागों के बीच दक्षिण चीन सागर आता है। हालांकि पूर्व मलेशिया का विकास स्तर प्रायद्वीपीय मलेशिया से कहीं कम है, फिर भी क्षेत्रफल और प्राकृतिक संसाधन की दृष्टि से पूर्व मलेशिया देश के पश्चिमी भाग से अधिक है। .

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पेरलिस

पेरलिस मलेशिया का एक राज्य है। यह देश का सबसे छोटा राज्य है और मलेशिया के उत्तरतम भाग में थाईलैण्ड के साथ सटा हुआ है। यह कभी थाई साम्राज्य का भाग हुआ करता था और थाई भाषा में इसे पालित (ปะลิส, Palit) कहा जाता है। ब्रिटिश काल में ब्रिटेन ने मलेशिया से लड़कर उनसे पेरलिस ले लिया और उसे अपने मलय प्रायद्वीप के उपनिवेश में सम्मिलित कर लिया। पेरलिस में आबादी का ८८% मुस्लिम है, १०% बौद्ध और १% हिन्दू। .

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फत्थलुंग प्रान्त

फत्थलुंग थाईलैण्ड का एक प्रान्त है। यह दक्षिणी थाईलैण्ड क्षेत्र में मलय प्रायद्वीप के क्रा थलसंधि के पूर्वी भाग में स्थित है। यह पूर्वी दिशा में सोंगख्ला झील के साथ तटवर्ती है। .

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फंग अंगा प्रान्त

फंग अंग या फंगंगा थाईलैण्ड का एक प्रान्त है। यह दक्षिणी थाईलैण्ड क्षेत्र में मलय प्रायद्वीप के क्रा थलसंधि भाग में स्थित है। पश्चिम में यह अंडमान सागर से तटवर्ती है और यह प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर क्षेत्र माना जाता है। .

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फेत्चबुरी प्रान्त

फेत्चबुरी थाईलैण्ड का एक प्रान्त है। यह पश्चिमी थाईलैण्ड क्षेत्र में मलय प्रायद्वीप के उत्तरतम भाग में स्थित है। .

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बहुसंस्कृतिवाद

बहुसंस्कृतिवाद, बहु जातीय संस्कृति की स्वीकृति देना या बढ़ावा देना होता है, एक विशिष्ट स्थान के जनसांख्यिकीय बनावट पर यह लागू होती है, आमतौर पर यह स्कूलों, व्यापारों, पड़ोस, शहरों या राष्ट्रों जैसे संगठनात्मक स्तर पर होते हैं। इस संदर्भ में, बहुसंस्कृतिवादी, केन्द्र के रूप में कोई विशेष जातीय, धार्मिक समूह और/ या सांस्कृतिक समुदाय को बढ़ावा देने के बिना विशिष्ट जातीय और धार्मिक समूहों के लिए विस्तारित न्यायसम्मत मूल्य स्थिति की वकालत करते हैं। बहुसंस्कृतिवाद की नीति अक्सर आत्मसातकरण और सामाजिक एकीकरण अवधारणाओं के साथ विपरीत होती है। .

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बिल्व

बिल्व, बेल या बेलपत्थर, भारत में होने वाला एक फल का पेड़ है। इसे रोगों को नष्ट करने की क्षमता के कारण बेल को बिल्व कहा गया है। इसके अन्य नाम हैं-शाण्डिल्रू (पीड़ा निवारक), श्री फल, सदाफल इत्यादि। इसका गूदा या मज्जा बल्वकर्कटी कहलाता है तथा सूखा गूदा बेलगिरी। बेल के वृक्ष सारे भारत में, विशेषतः हिमालय की तराई में, सूखे पहाड़ी क्षेत्रों में ४००० फीट की ऊँचाई तक पाये जाते हैं।।अभिव्यक्ति पर। दीपिका जोशी मध्य व दक्षिण भारत में बेल जंगल के रूप में फैला पाया जाता है। इसके पेड़ प्राकृतिक रूप से भारत के अलावा दक्षिणी नेपाल, श्रीलंका, म्यांमार, पाकिस्तान, बांग्लादेश, वियतनाम, लाओस, कंबोडिया एवं थाईलैंड में उगते हैं। इसके अलाव इसकी खेती पूरे भारत के साथ श्रीलंका, उत्तरी मलय प्रायद्वीप, जावा एवं फिलीपींस तथा फीजी द्वीपसमूह में की जाती है।। वेबग्रीन पर धार्मिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण होने के कारण इसे मंदिरों के पास लगाया जाता है। हिन्दू धर्म में इसे भगवान शिव का रूप ही माना जाता है व मान्यता है कि इसके मूल यानि जड़ में महादेव का वास है तथा इनके तीन पत्तों को जो एक साथ होते हैं उन्हे त्रिदेव का स्वरूप मानते हैं परंतु पाँच पत्तों के समूह वाले को अधिक शुभ माना जाता है, अतः पूज्य होता है। धर्मग्रंथों में भी इसका उल्लेख मिलता है।।अखिल विश्व गायत्री परिवार इसके वृक्ष १५-३० फीट ऊँचे कँटीले एवं मौसम में फलों से लदे रहते हैं। इसके पत्ते संयुक्त विपत्रक व गंध युक्त होते हैं तथा स्वाद में तीखे होते हैं। गर्मियों में पत्ते गिर जाते हैं तथा मई में नए पुष्प आ जाते हैं। फल मार्च से मई के बीच आ जाते हैं। बेल के फूल हरी आभा लिए सफेद रंग के होते हैं व इनकी सुगंध भीनी व मनभावनी होती है। .

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बंदर मेलाका

बंदर मेलाका या मेलाका शहर या मलक्का शहर मलेशिया के मेलाका राज्य की राजधानी है और मलक्का जलसन्धि पर स्थित एक बंदरगाह है। इसकी स्थापना १४वीं शताब्दी में सिंगापुर के अंतिम राजा, परमेश्वर, ने की थी जिनके पूर्व राज्य सिंगापुर पर मजापहित साम्राज्य ने सन् १३९८ में आक्रमण किया था। इसके बाद राजा परमेश्वर ने मलय प्रायद्वीप पर आकर सन् १४०२ में एक नए शहर व राज्य की स्थापना करी जो आज का बंदर मेलाका है। द्वितीय विश्वयुद्ध में इसपर जापानियों का अधिकार बन गया और १९५१ में यह नये स्वतंत्र हुए मलय गण्तंत्र का भाग बन गया। प्राचीन काल से ही भारत तथा चीन से इसका व्यापारिक संबंध है पर इसकी अत्यधिक वृद्धि अंग्रेजों के आने के बाद ही हुई। नवीन बंदर मेलाका में अब भी पुर्तगाली और हॉलैंड वासियों के प्राचीन भवनों के ध्वंसावशेष मिलते हैं। यह पूर्वी एशिया का सबसे महत्वूपर्ण तथा बड़ा औद्योगिक केंद्र है। इसके पृष्ठप्रदेश में भूमध्यरेखीय सघन सदाबहार वन पाए जाते हैं। तटीय भागों में पश्चिम की ओर मैंग्रोव जाति के वृक्ष अधिक पाए जाते हैं। यहाँ का मुख्य उद्यम कृषि है। यहाँ के निवासी, रबर, धान, नारियल, अनन्नास तथा गरम मसालों की खेती करते हैं। इस बंदरगाह से रबर, नारियल, चावल तथा गरम मसालों का निर्यात होता है। .

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बुगिनी भाषा

बुगिनी भाषा इंडोनेशिया के दक्षिणी प्रांत सुलावेसी के दक्षिणी भाग में बोली जाती है। यह ऑस्ट्रोनेशियाई भाषाओं की मलय-पोलीनेशिया शाखा की "सुलावेशियाई" शाखा से संबंधित है। इस भाषा को बोलने वालो की संख्या ३५ से ४० लाख है। इस शाखा के अंदर भी, बुगिनी भाषा कांपालागियाई के साथ एक समूह में है, जो सुमात्रा, रिआउ, कालिमांटन, सबह, मलय प्रायद्वीप इत्यादि में बोली जाती है। .

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मलय द्वीपसमूह

मलय द्वीपसमूह (Malay Archipelago) दक्षिणपूर्वी एशिया की मुख्यभूमि और ऑस्ट्रेलिया के बीच में विस्तृत एक द्वीपसमूह है। हिन्द महासागर से लेकर प्रशांत महासागर तक फैले हुए इस द्वीपसमूह में २५,००० द्वीप हैं। क्षेत्रफल के आधार पर यह दुनिया का सबसे बड़ा और द्वीप-संख्या के आधार पर विश्व का चौथा सबसे बड़ा द्वीपसमूह है। ब्रुनेई, पूर्वी मलेशिया, इण्डोनेशिया, पूर्वी तिमोर, सिंगापुर और फ़िलिपीन्स इसमें आते हैं। पापुआ न्यू गिनी इसमें सम्मिलित नहीं किया जाता हालांकि कुछ परिभाषाओं में नया गिनी द्वीप का पश्चिमी भाग (जो इण्डोनेशिया का हिस्सा है) मलय द्वीपसमूह में गिना जाता है। .

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मलेशिया के राज्य व संघीय क्षेत्र

प्रशासनिक रूप से मलेशिया एक संघीय राष्ट्र है, जो तेराह राज्यों और तीन संघीय क्षेत्रों में संगठित है। मलय भाषा में राज्यों को "नेगेरी" (Negeri) कहते हैं, जो संस्कृत के "नगर" शब्द से उत्पन्न है। संघीय क्षेत्रों को मलय में "विलायाह पेरसेकुतुअन" (Wilayah Persekutuan) कहते हैं जो अरबी भाषा के "विलायत" शब्द से आया है। मलेशिया के ग्याराह राज्य और दो संघीय क्षेत्र दक्षिणपूर्व एशिया की मुख्यभूमि में मलय प्रायद्वीप पर स्थित है, जो क्षेत्र पश्चिमी मलेशिया कहलाता है। बाक़ी के दो राज्य और एक संघीय क्षेत्र बोर्नियो द्वीप पर स्थित हैं और यह सामूहिक रूप से पूर्वी मलेशिया कहलाते हैं। .

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मेलाका

मलाका या मलक्का मलेशिया का एक राज्य है। यह मलय प्रायद्वीप के दक्षिणी छोर पर मलक्का जलसन्धि के तट पर स्थित है, जिसके पार इण्डोनेशिया का सुमात्रा द्वीप है। मेलाका मलय इतिहास का सबसे पुराना सल्तनत था, लेकिन सन् १५११ में इसपर पुर्तगालियों ने कब्ज़ा कर लिया और सल्तनत को समाप्त कर दिया। आधुनिक काल में यहाँ अब "यांग दि-पेरतुआ नेगेरी" (अर्थ: नगराध्यक्ष) नामक अधिकारी राज्यपाल का पद धारण करता है। यह मलाया प्रायद्वीप के पश्चिमी समुद्रतट पर १६६४ वर्ग किमी में फैले हुए मलाका प्रदेश की राजधानी तथा बंदरगाह है। यह एक अति प्राचीन यूरोपीय बस्ती है। कहा जाता है, मलाया के राजा ने सन् १४०३ में इस नगर की स्थापना की थी। द्वितीय विश्वयुद्ध के समय यह जापानियों के अधीन रहा एवं १९५१ ईo में स्वतंत्र हुआ और मलाया गणतंत्र का एक भाग हो गया। प्राचीन काल से ही भारत तथा चीन से इसका व्यापारिक संबंध है पर इसकी अत्यधिक वृद्धि अंग्रेजों के आने के बाद ही हुई। नवीन मलाका में अब भी पुर्तगाली और हॉलैंड वासियों के प्राचीन भवनों के ध्वंसावशेष मिलते हैं। यह पूर्वी एशिया का सबसे महत्वूपर्ण तथा बड़ा औद्योगिक केंद्र है। इसके पृष्ठप्रदेश में भूमध्यरेखीय सघन सदाबहार वन पाए जाते हैं। तटीय भागों में पश्चिम की ओर मैंग्रोव जाति के वृक्ष अधिक पाए जाते हैं। यहाँ का मुख्य उद्यम कृषि है। यहाँ के निवासी, रबर, धान, नारियल, अनन्नास तथा गरम मसालों की खेती करते हैं। इस बंदरगाह से रबर, नारियल, चावल तथा गरम मसालों का निर्यात होता है। मलाका जलडमरूमध्य, सुमात्रा तथा मलाया प्रायद्वीप को एक दूसरे से अलग करनेवाला एक जलडमरूमध्य है जो दक्षिणी चीन सागर तथा हिन्द महासागर को आपस में मिलाता है। इस जलसंधि की लंबाई ५०० मील तथा चौड़ाई २५ मील से १०० मील तक है। इसके दक्षिण-पूर्वी छोर पर स्थित एक छोटे द्वीप पर सिंगापुर स्थित है। इस जलसंधि के द्वारा संसार का सबसे अधिक माल आता जाता है। .

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याला प्रान्त

याला थाईलैण्ड का एक प्रान्त है। यह दक्षिणी थाईलैण्ड क्षेत्र में मलय प्रायद्वीप में स्थित है। दक्षिण में इसकी सीमाएँ मलेशिया के पेराक और केदाह राज्यों से लगती हैं और यह दक्षिणी थाईलैण्ड का अकेला राज्य है जो समुद्र से तटवर्ती नहीं। .

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रनोंग प्रान्त

रनोंग थाईलैण्ड का एक प्रान्त है। यह दक्षिणी थाईलैण्ड क्षेत्र में मलय प्रायद्वीप के क्रा थलसंधि के मध्य भाग में स्थित है। इसकी पूर्वी सीमा बर्मा के तनीन्थार्यी मण्डल के साथ लगती है और दक्षिणपूर्व में यह अण्डमान सागर के साथ तटवर्ती है। .

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रात्चाबुरी प्रान्त

रात्चाबुरी थाईलैण्ड का एक प्रान्त है। यह पश्चिमी थाईलैण्ड क्षेत्र में मलय प्रायद्वीप के उत्तरी भाग में स्थित है और इसकी पश्चिमी सीमा बर्मा के तनीन्थार्यी मण्डल के साथ सटी हुई है। दोनों देश की यहाँ की सीमा पर तेनासेरिम पहाड़ियाँ एक प्राकृतिक सरहद के रूप में विस्तृत हैं। .

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लार गिबन

लार गिबन (Lar gibbon), जो श्वेत-हस्त गिबन (white-handed gibbon) भी कहलाता है, गिबन के हायलोबेटीस वंश की एक जाति है। यह अन्य गिबनों से अधिक जाना जाता है और अक्सर विश्व के चिड़ियाघरों में मिलता है। इसका निवास स्थान युन्नान, पूर्वी बर्मा, थाईलैण्ड, मलय प्रायद्वीप और पश्चिमी सुमात्रा द्वीप है। इनका शरीर काला या भूरा होता है लेकिन हाथ-पाँव सफ़ेद होते हैं और मुखों पर अक्सर श्वेत रंग के बालों का एक चक्र होता है। .

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श्रीविजय राजवंश

८वीं शताब्दी के आसपास श्रीविजय साम्राज्य का विस्तार सर्वाधिक था। श्रीविजय शैली का पगोड़ा (चैय, थाइलैण्ड) श्रीविजय राजवंश इंडोनेशिया का एक प्राचीन राजवंश था। इस राज्य की स्थापना चौथी शती ई. में या उससे भी पहले हुई थी।सातवीं शताब्दी में 'श्रीविजय' या 'श्रीभोज' वैभव के शिखर पर था। .

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सतून प्रान्त

सतून थाईलैण्ड का एक प्रान्त है। यह दक्षिणी थाईलैण्ड क्षेत्र में मलय प्रायद्वीप के क्रा थलसंधि भाग में स्थित है। पश्चिम में यह अंडमान सागर से तटवर्ती है और इसकी दक्षिणीपूर्व सीमा मलेशिया के पेरलिस राज्य से लगी हुई है। .

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साम्भर (हिरण)

साम्भर (Rusa unicolor) दक्षिण तथा दक्षिण पूर्वी एशिया में पाया जाने वाला एक बड़ा हिरन है। .

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सुन्दा ताक

सुन्दा ताक (Sunda Shelf) दक्षिणपूर्वी एशिया की महाद्वीपीय ताक (कॉन्टीनेन्टल शेल्फ़) का दक्षिणपूर्वी विस्तार है। सुन्दा ताक पर मलय प्रायद्वीप, सुमात्रा, जावा, बोर्नियो, मादूरा, बाली और हज़ारों छोटे द्वीप स्थित हैं। १८.५ करोड़ वर्ग किमी क्षेत्रफल वाले इस समुद्री इलाक़े की गहराई लगभग सभी जगह ५० मीटर से कम है और कुछ जगहों पर केवल २० मीटर ही है। फ़िलीपीन्स, सुलावेसी और लघुतर सुन्दा द्वीपसमूह इस ताक से कुछ गहरी समुद्री खाईयों द्वारा विभाजित हैं। .

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सूरत थानी प्रान्त

सूरत थानी, जिसे कभी-कभी केवल सूरत भी कहते हैं, थाईलैण्ड का एक प्रान्त है। यह दक्षिणी थाईलैण्ड क्षेत्र में मलय प्रायद्वीप के क्रा थलसंधि भाग में स्थित है। यह पूर्व में थाईलैण्ड की खाड़ी के साथ तटवर्ती है और दक्षिणी थाईलैण्ड का सबसे बड़ा प्रान्त है। .

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सेलांगोर

सेलांगोर मलेशिया का एक राज्य है। यह मलय प्रायद्वीप के पश्चिमी तट पर स्थित है। सेलांगोर का क्षेत्र कुआला लम्पुर और पुत्रजय के संघीय क्षेत्रों को घेरे हुए है, जो कभी इसी राज्य का हिस्सा हुआ करते थे। सकल घरेलू उत्पाद (जी॰डी॰पी॰) के हिसाब से सेलांगोर की अर्थव्यवस्था पूरे मलेशिया की अर्थव्यवस्था की २३% है और यह अन्य किसी भी राज्य से अधिक है। इस राज्य की जनसंख्या भी किसी अन्य राज्य से अधिक है और जीवन स्तर सबसे ऊँचा है। .

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सोंगख्ला प्रान्त

सोंगख्ला थाईलैण्ड का एक प्रान्त है। यह दक्षिणी थाईलैण्ड क्षेत्र में मलय प्रायद्वीप में स्थित है। दक्षिण में इसकी सीमाएँ मलेशिया के पेरलिस और केदाह राज्यों से लगती हैं और यह पूर्व में थाईलैण्ड की खाड़ी से तटवर्ती है। .

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जॉन डेविस (अंग्रेज नाविक)

जॉन डेविस (१५५०-१६०५ ई०) एलिजावेथ प्रथम के युग के अंग्रेज नाविकों तथा अन्वेषकों में एक महान् व्यक्ति थे। इनका जन्म संभवत: १५५०ई० में डेवनशिर (इंग्लैड) के सैड्रिज नामक स्थान पर (डार्टमथ के समीप) हुआ था। इन्होंने प्रारंभिक जीवन में ऐड्रियन गिल्बर्ट के साथ कई सामुद्रिक यात्राएँ कीं। १५८५ ई० में इन्होंने घटनापूर्ण उत्तर पश्चिमी क्षेत्र की यात्रा प्रारंभ की। फिर मुड़कर पश्चिमी तथा उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र से होते हुए आगे बढ़े और चीन जाने के मार्ग का अन्वेषण करने की योजना बनाई। उसी धुन में चलते हुए ६६ डिग्री उत्तर अक्षांश पर बैफिनलैंड से होकर कंवरलैंड साउंड में कुछ दूर तक गए और वहाँ से अगस्त के अनंत में लौट पड़े। १५८६ तथा १५८७ ई० में बैफिनलैंड में स्थित डेविस जलडमरूमध्य का, जिसका नामकरण इन्हीं के नाम पर हुआ है, पता लगाया और ग्रीनलैंड के पश्चिमी समुद्रक्षेत्र में ७३ डिग्री उत्तर अक्षांश में ऊपरनावक (Upernavik) नामक स्थान तक पहुँचे। इस उत्तर ध्रुवीय क्षेत्र में यात्रा करते हुए इन्होंने कंबरलैंड, केप वाल्सिंघम, एक्सटर साउंड आदि का स्थानांकन तथा नामकरण किया। ऐग्लों-स्पैनिश युद्ध में इन्होंने स्वदेश की ओर से स्पैनिश आर्मेडा के विरूद्ध युद्ध में भी भाग लिया। १९९१ ई० में य टॉमस कैवेंडिश के नेतृत्व में अमरीका के पार्श्ववर्ती उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र का विशद ज्ञान प्राप्त करने के लिये चले, किंतु इनके जहाज के अतिरिक्त अन्य जहाज लौट गए। इनका जहाज आगे बढ़ता गया और इन्होंने फॉकलैंड द्वीपों का अन्वेषण किया। सन् १५६९ में लौटने पर, इन्होंने 'समुद्रयात्री के रहस्य' (Secrets of Seaman) नामक एक प्रयोगात्मक पुस्तक (१५९४ई०) तथा 'संसार की जलीय रूपरेखा' (The world' s Hydrographical Description) नामक सैद्धान्तिक (theoretical) पुस्तक (१५९५ ई०) लिखी। मलय प्रायद्वीप के परातटवर्ती क्षेत्र में बिंटन के समीप २९ या ३० दिसंबर, १६०५ को इनकी मृत्यु हो गई। श्रेणी:समुद्री नाविक.

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जोहोर बाहरू

जोहोर बाहरू (Johor Bahru) दक्षिणपूर्व एशिया के मलेशिया देश के जोहोर राज्य की राजधानी है। यह कुआला लुम्पुर के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा शहर भी है। जोहोर बाहरू मलय प्रायद्वीप का दक्षिणतम शहर है और यह सिंगापुर द्वीप देश के बहुत पास स्थित है। .

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गटापारचा

गटापारचा (पैलाक्विम), एक उष्णकटिबंधीय वृक्ष का वंश है, जो दक्षिण-पूर्व एशिया और उत्तरी आस्ट्रेलिया की एक मूल प्रजाति है। इसका विस्तार ताइवान से मलय प्रायद्वीप के दक्षिण और पूर्व में सोलोमन द्वीप तक है। इससे प्राप्त एक अप्रत्यास्थ प्राकृतिक रबड़ को भी गटापारचा के नाम से ही जाना जाता है जिसे इस पौधे के रस से तैयार किया जाता है। यह रबड़ विशेष रूप से पैलाक्विम गटा नामक प्रजाति के पौधों के रस से तैयार किया जाता है। रासायनिक रूप से, गटापारचा एक पॉलीटरपीन है, जो आइसोप्रीन या पॉलीआइसोप्रीन का एक बहुलक है, विशेष रूप से है (ट्रांस-1,4-पॉलीआइसोप्रीन)। 'गटापारचा' शब्द मलय भाषा में इस पौधे के नाम गेटाह पर्चा से आया है, जिसका अनुवाद “पर्चा का सार” है। .

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इंडोचायना

इंडोचायना '''इंडोचायना''': गहरा हरा: हमेशा सम्मिलित, हल्का हरा: साधारणत: सम्मिलित, लाल: कभी-कभी सम्मिलित। इंडोचायना प्रायद्वीप दक्षिण पूर्व एशिया का एक उप क्षेत्र है। यह इलाक़ा लगभग चीन के दक्षिण-पश्चिम और भारत के पूर्व में पड़ता है। सही मायने में इंडोचायना के अंतर्गत भूतपूर्व फ्रा़न्सीसी इंडोचायना के अधिकार क्षेत्र आते हैं, जैसे:-.

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काकड़

काकड़ या कांकड़ (Barking Deer) एक छोटा हिरन होता है। यह हिरनों में शायद सबसे पुराना है, जो इस धरती में १५०-३५० लाख वर्ष पूर्व देखा गया और जिसके जीवाश्म फ्रा़ंस, जर्मनी और पोलैंड में पाये गये हैं। आज की जीवित प्रजाति दक्षिणी एशिया की मूल निवासी है और भारत से लेकर श्रीलंका, चीन, दक्षिण पूर्वी एशिया (इंडोचाइना और मलय प्रायद्वीप के उत्तरी इलाके)। यह कम आबादी में पूर्वी हिमालय और म्यानमार में भी पाया जाता है। ऊष्णकटिबंधीय इलाकों में रहने के कारण इसका कोई समागम मौसम नहीं होता है और वर्ष के किसी भी समय में यह समागम कर लेते हैं; यही बात उस आबादी पर भी लागू होती है जिसे शीतोष्णकटिबन्धीय इलाकों में दाख़िल किया गया है। नर के दोबारा उग सकने वाले सींग होते हैं, हालांकि इलाके की लड़ाई में वह अपने लंबे श्वानदंतों (Canine teeth) का इस्तेमाल करते हैं। काकड़ क्रम विकास के अध्ययन में बहुत अहम भूमिका निभाते हैं क्योंकि इनकी विभिन्न प्रजातियों के गुणसूत्र में काफ़ी घटबढ़ देखी गयी है। जहाँ भारतीय काकड़ में सबसे कम गुणसूत्र पाये जाते हैं: नर में ७ तथा मादा में सिर्फ़ ६, वहीं चीनी कांकड़ में ४६ गुणसूत्र होते हैं। .

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क्रबी प्रान्त

क्रबी थाईलैण्ड का एक प्रान्त है। यह दक्षिणी थाईलैण्ड क्षेत्र में मलय प्रायद्वीप के क्रा थलसंधि भाग में स्थित है। पश्चिम में यह अंडमान सागर से तटवर्ती है और यह प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर क्षेत्र माना जाता है। .

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क्रा थलसंधि

क्रा थलसंधि (थाई:คอคอดกระ, अंग्रेज़ी: Kra Isthmus) दक्षिणपूर्व एशिया में मलय प्रायद्वीप का सबसे कम चौड़ाई वाला भाग है। इसके पूर्व ओर थाईलैण्ड की खाड़ी है जबकि पश्चिमी तरफ़ अंडमान सागर है। इस थलसंधि का पूर्वी भाग थाईलैण्ड में आता है और पश्चिमी भाग बर्मा के तनीन्थार्यी मण्डल का हिस्सा है। अपने सबसे तंग बिन्दु पर क्रा थलसन्धि की चौड़ाई केवल ४४ किमी है। यदि यहाँ खोदने से एक जलमार्ग थाईलैण्ड की खाड़ी को अंडमान सागर से जोड़ दे तो पूर्वी एशिया से पश्चिमी एशिया के जल यातायात को नीचे से मलक्का जलसन्धि से जाने की आवश्यकता नहीं रहेगी। लेकिन यह करना कठिन है क्योंकि क्रा थलसंधि पर तेनासेरिम पहाड़ियाँ नामक एक पहाड़ी शृंखला खड़ी हुई है। .

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अलोर सेतार

अलोर सेतार मलेशिया के केदाह राज्य की राजधानी और उस राज्य का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। यह मलेशिया व थाईलैण्ड के बीच चलने वाले रेलमार्ग पर स्थित होनें के कारण उत्तरी मलय प्रायद्वीप का एक महत्वपूर्ण नगर है। अलोर सेतार के दफ़्तर मलेशिया के अन्य शहरों से अलग हैं क्योंकि उनमें रविवार से बृहस्पतिवार तक काम चलता है और शुक्रवार व शनिवार को छुट्टी होती है। .

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अंडमान सागर

अंडमान सागर को नीले रंग से दर्शाया गया है अंडमान सागर बंगाल की खाड़ी के दक्षिण पूर्व, म्यान्मार के दक्षिण, थाईलैंड के पश्चिम और अंडमान द्वीप समुह के पूर्व मे स्थित एक जल संग्रह है। यह हिन्द महासागर का एक भाग है। ये उत्तर से दक्षिण तक लगभग १,२०० किमी और पूर्व से पश्चिम तक लगभग ६५० किमी में फैला हुआ है और इसका कुल भौगोलिक क्षेत्रफल ७,९७,००० वर्ग किमी है। इसकी औसत गहराई ८७० मीटर है और अधिकतम गहराई ३,७७७ मीटर है। अपने दक्षिण पश्चिमी कोने पर अंडमान सागर संकरा होता जाता है और मलाक्का की खाड़ी का निर्माण करता है, जो मलेशिया के मलय प्रायद्वीप और इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप को अलग करता है। श्रेणी:भारत श्रेणी:म्यान्मार श्रेणी:बंगाल की खाड़ी श्रेणी:हिन्द महासागर के सागर * श्रेणी:एशिया के सागर.

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