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मयूरासन

सूची मयूरासन

मयूर का अर्थ होता है मोर। इसको करने से शरीर की आकृति मोर की तरह दिखाई देती है, इसलिए इसका नाम मयूरासन है। .

2 संबंधों: योगासनों की सूची, घेरण्ड संहिता

योगासनों की सूची

सुविधापूर्वक एक चित और स्थिर होकर बैठने को आसन कहा जाता है। आसन का शाब्दिक अर्थ है - बैठना, बैठने का आधार, बैठने की विशेष प्रक्रिया आदि। पातंजल योगदर्शन में विवृत्त अष्टांगयोग में आसन का स्थान तृतीय एवं गोरक्षनाथादि द्वारा प्रवर्तित षडंगयोग में प्रथम है। चित्त की स्थिरता, शरीर एवं उसके अंगों की दृढ़ता और कायिक सुख के लिए इस क्रिया का विधान मिलता है। विभिन्न ग्रंथों में आसन के लक्षण हैं - उच्च स्वास्थ्य की प्राप्ति, शरीर के अंगों की दृढ़ता, प्राणायामादि उत्तरवर्ती साधनक्रमों में सहायता, स्थिरता, सुख दायित्व आदि। पंतजलि ने स्थिरता और सुख को लक्षणों के रूप में माना है। प्रयत्नशैथिल्य और परमात्मा में मन लगाने से इसकी सिद्धि बतलाई गई है। इसके सिद्ध होने पर द्वंद्वों का प्रभाव शरीर पर नहीं पड़ता। किंतु पतंजलि ने आसन के भेदों का उल्लेख नहीं किया। उनके व्याख्याताओं ने अनेक भेदों का उल्लेख (जैसे - पद्मासन, भद्रासन आदि) किया है। इन आसनों का वर्णन लगभग सभी भारतीय साधनात्मक साहित्य (अहिर्बुध्न्य, वैष्णव जैसी संहिताओं तथा पांचरात्र जैसे वैष्णव ग्रंथों में एवं हठयोगप्रदीपिका, घेरंडसंहिता, आदि) में मिलता है। .

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घेरण्ड संहिता

महर्शि घेरण्ड की योग शिक्षा। घेरण्डसंहिता हठयोग के तीन प्रमुख ग्रन्थों में से एक है। अन्य दो गर्न्थ हैं - हठयोग प्रदीपिका तथा शिवसंहिता। इसकी रचना १७वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में की गयी थी। हठयोग के तीनों ग्रन्थों में यह सर्वाधिक विशाल एवं परिपूर्ण है। इसमें सप्तांग योग की व्यावहारिक शिक्षा दी गयी है। घेरण्डसंहिता सबसे प्राचीन और प्रथम ग्रन्थ है, जिसमे योग की आसन, मुद्रा, प्राणायाम, नेति, धौति आदि क्रियाओं का विशद वर्णन है। इस ग्रन्थ के उपदेशक घेरण्ड मुनि हैं जिन्होंने अपने शिष्य चंड कपालि को योग विषयक प्रश्न पूछने पर उपदेश दिया था। .

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