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मकर राशि

सूची मकर राशि

मकर राशि बारह राशियों के समूह में १०वीं है। इसका स्वामी शनि है। लम्‍बे और पतले मकर लग्‍न अथवा राशि के जातकों को एक बारगी देखने पर यकीन नहीं होता कि ये लोग बड़े समूह या संगठन का सफल संचालन कर रहे हैं। बचपन में इन्‍हें देखें तो लगता है पता नहीं कब बड़े होंगे और कब अपने पैरों पर खड़े होंगे। पर, किशोरावस्‍था में अचानक तेजी से बढ़ते हैं और इतना विकास करते हैं कि अचानक युवा दिखाई देने लगते हैं। यह अवस्‍था भी इतने अधिक लम्‍बे समय तक रहती है कि साथ के युवक अधेड़ दिखने लगते हैं और इन पर जैसे अवस्‍था का असर ही दिखाई नहीं देता। यह त्‍याग और बलिदान की राशि है। कृष्‍णामूर्ति बताते हैं कि जो व्‍यक्ति पिछले जन्‍म में अपना बलिदान देता है वह इस जन्‍म में मकर राशि में पैदा होता है। ये जातक मितव्‍ययी, नीतिज्ञ, विवेक बुद्धियुक्‍त, विचारशील, व्‍यावहारिक बुद्धि वाले होते हैं। इनमें विशिष्‍ट संगठन क्षमता होती है। असाधारण सहनशीलता, धैर्य और स्थिर प्रवृत्ति इन्‍हें बड़ा संगठन खड़ा करने में मदद करती है। इन लोगों को उपहास से हमेशा भय लगा रहता है। इस कारण समूह में बोल नहीं पाते। ऐसे में लोग समझते हैं कि ये लोग अंतर्मुखी हैं। इस राशि का स्‍वामी शनि है। शनि अच्‍छा होने पर ये लोग ईमानदार, सजग और विश्‍वसनीय होते हैं और शनि खराब होने पर ठीक उल्‍टा होता है। इन्‍हें एक साथी हमेशा साथ में चाहिए। तब इनका कार्य अधिक उत्‍तम होता है। इन जातकों में अहंकार, निराशावाद, अत्‍यधिक परिश्रम की कमियां होती हैं। इन्‍हें चिंतन पक्षाघात (एनालिसिस पैरालिसिस) की समस्‍या होती है। जातकों को सजग रहकर इन समस्‍याओं से बचने की कोशिश करनी चाहिए। ये लोग अपने परिजनों से प्रेम करते हैं लेकिन उसका प्रदर्शन नहीं करते। इसलिए परिवार के लोग, यहां तक कि इनकी संतान भी ही समझती है कि उनके पिता उन पर ध्‍यान नहीं देते। एक बात है जो इनके व्‍यवहार के विपरीत होती है वह यह कि जहां समूह में एक भी बाहर का व्‍यक्ति हो तो ये लोग चुप्‍पी मार जाते हैं, लेकिन यदि परिवार के लोग या सभी निकट के परिचित लोग हो तों परिहास की हल्‍की फुल्‍की ऐसी बातें करते हैं कि सभा में उपस्थित सभी लोगों का हंसते हंसते बुरा हाल हो जाता है। इनके लिए शुभ दिन शुक्रवार, मंगलवार और शनिवार होता है। शुभ रंग लाल, नीला और सफेद है। .

10 संबंधों: चीनी राशि, बृहस्पति (ज्योतिष), मंगल (ज्योतिष), मकर तारामंडल, मकर संक्रान्ति, राशिचक्र, राशियाँ, कालपुरुष, कुण्डली, अपरा एकादशी

चीनी राशि

इस चीनी राशि वर्गीकरण है योजना प्रदान करती है कि एक जानवर के लिए प्रत्येक वर्ष में एक दोहरा बारह साल का चक्र है। 12 साल के चक्र की चीनी राशि चक्र के लिए एक सन्निकटन है 11.86 वर्ष के चक्र में बृहस्पति सबसे बड़ा ग्रह सौर प्रणाली के.

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बृहस्पति (ज्योतिष)

बृहस्पति, जिन्हें "प्रार्थना या भक्ति का स्वामी" माना गया है, और ब्राह्मनस्पति तथा देवगुरु (देवताओं के गुरु) भी कहलाते हैं, एक हिन्दू देवता एवं वैदिक आराध्य हैं। इन्हें शील और धर्म का अवतार माना जाता है और ये देवताओं के लिये प्रार्थना और बलि या हवि के प्रमुख प्रदाता हैं। इस प्रकार ये मनुष्यों और देवताओं के बीच मध्यस्थता करते हैं। बृहस्पति हिन्दू देवताओं के गुरु हैं और दैत्य गुरु शुक्राचार्य के कट्टर विरोधी रहे हैं। ये नवग्रहों के समूह के नायक भी माने जाते हैं तभी इन्हें गणपति भी कहा जाता है। ये ज्ञान और वाग्मिता के देवता माने जाते हैं। इन्होंने ही बार्हस्पत्य सूत्र की रचना की थी। इनका वर्ण सुवर्ण या पीला माना जाता है और इनके पास दण्ड, कमल और जपमाला रहती है। ये सप्तवार में बृहस्पतिवार के स्वामी माने जाते हैं। ज्योतिष में इन्हें बृहस्पति (ग्रह) का स्वामी माना जाता है। .

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मंगल (ज्योतिष)

भारतीय ज्योतिष में मंगल इसी नाम के ग्रह के लिये प्रयोग किया जाता है। इस ग्रह को अंगारक (यानि अंगारे जैसा रक्त वर्ण), भौम (यानि भूमि पुत्र) भी कहा जाता है। मंगल युद्ध का देवता कहलाता है और कुंवारा है। यह ग्रह मेष एवं वृश्चिक राशियों का स्वामी कहलाता है। मंगल रुचक महापुरुष योग या मनोगत विज्ञान का प्रदाता माना जाता है। इसे रक्त या लाल वर्ण में दिखाया जाता है एवं यह त्रिशूल, गदा, पद्म और भाला या शूल धारण किये दर्शाया जाता है। इसका वाहन भेड़ होता है एवं सप्तवारों में यह मंगलवार का शासक कहलाता है। .

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मकर तारामंडल

मकर तारामंडल बिना दूरबीन के रात में मकर तारामंडल की एक तस्वीर (जिसमें काल्पनिक लक़ीरें डाली गयी हैं) मकर या कैप्रिकॉर्न (अंग्रेज़ी: Capricorn या Capricornus) तारामंडल राशिचक्र का एक तारामंडल है। पुरानी खगोलशास्त्रिय पुस्तकों में इसे अक्सर एक सींगों वाले बकरे के रूप में या एक ऐसे जीव के रूप में जो आधा बकरा और एक शार्क मछली हो दर्शाया जाता था। आकाश में इसके पश्चिम में धनु तारामंडल होता है और इसके पूर्व में कुम्भ तारामंडल। दूसरी शताब्दी ईसवी में टॉलमी ने जिन ४८ तारामंडलों की सूची बनाई थी यह उनमें से एक है और अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची में भी यह शामिल है। मकर तारामंडल आकाश में काफ़ी धुंधला नज़र आता है और कर्क तारामंडल के बाद राशिचक्र का दूसरा सब से धुंधला तारामंडल है। .

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मकर संक्रान्ति

मकर संक्रान्ति हिन्दुओं का प्रमुख पर्व है। मकर संक्रान्ति पूरे भारत और नेपाल में किसी न किसी रूप में मनाया जाता है। पौष मास में जब सूर्य मकर राशि पर आता है तभी इस पर्व को मनाया जाता है। वर्तमान शताब्दी में यह त्योहार जनवरी माह के चौदहवें या पन्द्रहवें दिन ही पड़ता है, इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है। एक दिन का अंतर लौंद वर्ष के ३६६ दिन का होने ही वजह से होता है | मकर संक्रान्ति उत्तरायण से भिन्न है। मकर संक्रान्ति पर्व को कहीं-कहीं उत्तरायणी भी कहते हैं, यह भ्रान्ति गलत है कि उत्तरायण भी इसी दिन होता है । उत्तरायण का प्रारंभ २१ या २२ दिसम्बर को होता है | लगभग १८०० वर्ष पूर्व यह स्थिति उत्तरायण की स्थिति के साथ ही होती थी, संभव है की इसी वजह से इसको व उत्तरायण को कुछ स्थानों पर एक ही समझा जाता है | तमिलनाडु में इसे पोंगल नामक उत्सव के रूप में मनाते हैं जबकि कर्नाटक, केरल तथा आंध्र प्रदेश में इसे केवल संक्रांति ही कहते हैं। .

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राशिचक्र

इज़राइल के बेत ऐल्फ़ा क़स्बे से मिला एक ६वी सदी की यूनानी लहजे में बनी सड़क की एक टाइल जिसपर राशिचक्र बना हुआ है - हर राशि का एक ख़ाना है राशिचक्र वह तारामंडलों का चक्र है जो क्रांतिवृत्त (ऍक्लिप्टिक) में आते है, यानि उस मार्ग पर आते हैं जो सूरज एक साल में खगोलीय गोले में लेता है। ज्योतिषी में इस मार्ग को बाराह बराबर के हिस्सों में बाँट दिया जाता है जिन्हें राशियाँ कहा जाता है। हर राशि का नाम उस तारामंडल पर डाला जाता है जिसमें सूरज उस माह में (रोज़ दोपहर के बारह बजे) मौजूद होता है। हर वर्ष में सूरज इन बाराहों राशियों का दौरा पूरा करके फिर शुरू से आरम्भ करता है। .

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राशियाँ

राशियाँ राशिचक्र के उन बारह बराबर भागों को कहा जाता है जिन पर ज्योतिषी आधारित है। हर राशि सूरज के क्रांतिवृत्त (ऍक्लिप्टिक) पर आने वाले एक तारामंडल से सम्बन्ध रखती है और उन दोनों का एक ही नाम होता है - जैसे की मिथुन राशि और मिथुन तारामंडल। यह बारह राशियां हैं -.

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कालपुरुष

कालपुरुष की परिकल्पना भारतीय ज्योतिष में मिलती है जिसमें समस्त राशिचक्र को मनुष्य के शरीर के समतुल्य वर्णित किया जाता है। सारावली ग्रंथ में कहा गया है कि: १२ राशियां के रूप में कालपुरुष के शरीर के अवयव इस प्रकार से हैं.

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कुण्डली

जातक के जन्म के बाद जो ग्रह स्थिति आसमान में होती है, उस स्थिति को कागज पर या किसी अन्य प्रकार से अंकित किये जाने वाले साधन से भविष्य में प्रयोग गणना के प्रति प्रयोग किये जाने हेतु जो आंकडे सुरक्षित रखे जाते हैं, वह कुन्डली या जन्म पत्री कहलाती है। कुन्डली में सम्पूर्ण भचक्र को बारह भागों में विभाजित किया जाता है और जिस प्रकार से एक वृत के ३६० अंश होते हैं, उसी प्रकार से कुन्डली में भी ३६० अंशों को १२ भागों में विभाजित करने पर हर भाग के ३० अंश बनाकर एक राशि का नाम दिया जाता है। इस प्रकार ३६० अंशों को बारह राशियों में विभाजित किया जाता है, बारह राशियों को अलग भाषाओं में अलग अलग नाम दिये गये हैं, भारतीय संस्कृत और वेदों के अनुसार नाम इस प्रकार से है-मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुम्भ, मीन इन राशियों को भावों या भवनो का नाम भी भी दिया गया है जैसे पहले भाव को नम्बर से लिखने पर १ नम्बर मेष राशि के लिये प्रयोग किया गया है। शरीर को ही ब्रह्माण्ड मान कर प्रत्येक भावानुसार शरीर की व्याख्या की गई है, संसार के प्रत्येक जीव, वस्तु, के भी अलग अलग भावों व्याख्या करने का साधन बताया जाता है। .

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अपरा एकादशी

हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रत्येक वर्ष चौबीस एकादशियाँ होती हैं। जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। ज्येष्ठ मास कृष्ण पक्ष की एकादशी को अपरा एकादशी कहा जाता है। .

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