लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

भूगोल

सूची भूगोल

पृथ्वी का मानचित्र भूगोल (Geography) वह शास्त्र है जिसके द्वारा पृथ्वी के ऊपरी स्वरुप और उसके प्राकृतिक विभागों (जैसे पहाड़, महादेश, देश, नगर, नदी, समुद्र, झील, डमरुमध्य, उपत्यका, अधित्यका, वन आदि) का ज्ञान होता है। प्राकृतिक विज्ञानों के निष्कर्षों के बीच कार्य-कारण संबंध स्थापित करते हुए पृथ्वीतल की विभिन्नताओं का मानवीय दृष्टिकोण से अध्ययन ही भूगोल का सार तत्व है। पृथ्वी की सतह पर जो स्थान विशेष हैं उनकी समताओं तथा विषमताओं का कारण और उनका स्पष्टीकरण भूगोल का निजी क्षेत्र है। भूगोल शब्द दो शब्दों भू यानि पृथ्वी और गोल से मिलकर बना है। भूगोल एक ओर अन्य शृंखलाबद्ध विज्ञानों से प्राप्त ज्ञान का उपयोग उस सीमा तक करता है जहाँ तक वह घटनाओं और विश्लेषणों की समीक्षा तथा उनके संबंधों के यथासंभव समुचित समन्वय करने में सहायक होता है। दूसरी ओर अन्य विज्ञानों से प्राप्त जिस ज्ञान का उपयोग भूगोल करता है, उसमें अनेक व्युत्पत्तिक धारणाएँ एवं निर्धारित वर्गीकरण होते हैं। यदि ये धारणाएँ और वर्गीकरण भौगोलिक उद्देश्यों के लिये उपयोगी न हों, तो भूगोल को निजी व्युत्पत्तिक धारणाएँ तथा वर्गीकरण की प्रणाली विकसित करनी होती है। अत: भूगोल मानवीय ज्ञान की वृद्धि में तीन प्रकार से सहायक होता है: सर्वप्रथम प्राचीन यूनानी विद्वान इरैटोस्थनिज़ ने भूगोल को धरातल के एक विशिष्टविज्ञान के रूप में मान्यता दी। इसके बाद हिरोडोटस तथा रोमन विद्वान स्ट्रैबो तथा क्लाडियस टॉलमी ने भूगोल को सुनिइतिहासश्चित स्वरुप प्रदान किया। इस प्रकार भूगोल में 'कहाँ' 'कैसे 'कब' 'क्यों' व 'कितनें' प्रश्नों की उचित वयाख्या की जाती हैं। .

142 संबंधों: चौधरी बंसी लाल विश्वविद्यालय, एण्ड्र्यू जॉन हरबर्टसन, एवरेस्ट पर्वत, एकलव्य फ़ाउंडेशन, ऐतिहासिक भूगोल, डेविड थामस, डेविड हार्वे, तावी-तावी, तुलनात्मक भूगोल, त्रिबिन्दु, दयाल सिंह कॉलेज, करनाल, द्वीपसमूह, ध्रुव, ध्रुव (भूगोल), नक्षा, नैश्नल जिओग्रैफ़िक​ मैगज़ीन, नेपाली व्यंजन, पठार, पर्यटन भूगोल, पर्यावरण, पर्यावरण संरक्षण, पर्यावरण अभियांत्रिकी, पशु बीमा, पश्चिम, पारिभाषिक शब्दावली, पारिस्थितिकी, पारिक्षेत्र, पुनर्जागरण, प्रतापगढ़, राजस्थान, प्राकृतिक दृश्य, प्लिनी, पूर्व, पीटर हैगेट, पीटर क्रोपोत्किन, फर्डिनेण्ड वॉन रिचथोफेन, फेंग शुई, बन्द जलसम्भर, बसीलन, बाड़मेर जिला, बानी यादव, बाल्कन, भारतविद, भाषाविज्ञान, भुज, भौतिक भूगोल, भौमिकी, भौगोलिक सूचना तंत्र, भू-आकारमिति, भू-आकृति विज्ञान, भूमितिकी, ..., भूराजनीति, भूगोल की रूपरेखा, मध्यदेश, मरुस्थल, मरूद्यान, महाद्वीप, माधोपुर, माधोपुर, पंजाब, मानव पारिस्थितिकी, मानव प्रजातियां, मानव भूगोल, मानवतावाद, माल्कम २, मुहम्मद इब्न मूसा अल-ख़्वारिज़्मी, मुक्त स्रोत सॉफ्टवेयर पैकेजों की सूची, मैदान (भूगोल), यूरोपीय संघ, रबीन्द्रनाथ ठाकुर, राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (भारत), राष्ट्रीय शक्ति, राजनीति विज्ञान, राजस्थान विश्वविद्यालय, रिचार्ड जे० चोर्ले, रवीन्द्र प्रभात, रॉबर्ट श्लागिंटवाईट, रोजर बेकन, लिंगानुपात, लोकोक्ति, शिक्षण विधियाँ, श्री शङ्कराचार्य संस्कृत सर्वकलाशाला, सामाजिक विज्ञान, सामाजिक अध्ययन, सायन पर्वत शृंखला, सांख्यिकी, सिविल इंजीनियरी, संयुक्त राज्य भूगर्भ सर्वेक्षण, संगम, सुलु प्रान्त, स्थलमण्डल, स्थलरूप, स्थलाकृति, स्नेहलता श्रीवास्तव, स्वामी भारती कृष्ण तीर्थ, हरबर्ट जान फ़ल्यूर, हरकिमर हीरा, हिप्पारकस, जनसंख्या भूगोल, ज्यामिति का इतिहास, जॉर्ज एवरेस्ट, जीन ब्रून्स, जीववैज्ञानिक वर्गीकरण, घाटी, वनोन्मूलन, विलियम मॉरिस डेविस, विल्हेम वॉन हम्बोल्ट, विश्व के सभी देश, विष्णुधर्मोत्तर पुराण, विक्रमशिला का इतिहास, वैज्ञानिक, खगोल विज्ञानी, गिरिजाकुमार माथुर, ग्रेट रिफ़्ट घाटी, गूगल धरती, गोलीय निर्देशांक पद्धति, ऑस्टिन मर्दों, आयो (उपग्रह), कारमल, इंडियाना, कार्ल रिटर, काका कालेलकर, कुसल राजेंद्रन, क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान,भुवनेश्वर, क्विज़, कौटिल्य पण्डित, कृति करंत, कृष्य भूमि, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, लॉस एंजिल्स, कोटा जिला, अथर्ववेद संहिता, अन्तरिक्ष, अपरांत, अफगानिस्तान में हिन्दू धर्म, अमेरिगो वेस्पूची, अरबी प्रायद्वीप, अर्ग, अल-इदरीसी, अलेक्जेण्डर वॉन हम्बोल्ट, अहमदपुर पवन, इलाहाबाद (इलाहाबाद), अवस्थिति (भूगोल), अग्निपुराण, अंतर्विषयकता, उच्चबिन्दु प्राप्ति, उपजाति सूचकांक विस्तार (92 अधिक) »

चौधरी बंसी लाल विश्वविद्यालय

चौधरी बंसी लाल विश्वविद्यालय (CBLU), हरियाणा के भिवानी में स्थित एक राज्य विश्वविद्यालय है। २०१४ में स्थापित इस विश्वविद्यालय में विभिन्न विषयों के स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम है। महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय, रोहतक इससे ५२ किमी की दूरी पर है। .

नई!!: भूगोल और चौधरी बंसी लाल विश्वविद्यालय · और देखें »

एण्ड्र्यू जॉन हरबर्टसन

एण्ड्र्यू जॉन हरबर्टसन, ब्रिटेन के प्रसिद्ध भूगोलवेत्ता थे। श्रेणी:भूगोलवेत्ता श्रेणी:ब्रिटिश भूगोलवेत्ता.

नई!!: भूगोल और एण्ड्र्यू जॉन हरबर्टसन · और देखें »

एवरेस्ट पर्वत

एवरेस्ट पर्वत (नेपाली:सागरमाथा, संस्कृत: देवगिरि) दुनिया का सबसे ऊँचा पर्वत शिखर है, जिसकी ऊँचाई 8,850 मीटर है। पहले इसे XV के नाम से जाना जाता था। माउंट एवरेस्ट की ऊँचाई उस समय 29,002 फीट या 8,840 मीटर मापी गई। वैज्ञानिक सर्वेक्षणों में कहा जाता है कि इसकी ऊंचाई प्रतिवर्ष 2 से॰मी॰ के हिसाब से बढ़ रही है। नेपाल में इसे स्थानीय लोग सागरमाथा (अर्थात स्वर्ग का शीर्ष) नाम से जानते हैं, जो नाम नेपाल के इतिहासविद बाबुराम आचार्य ने सन् 1930 के दशक में रखा था - आकाश का भाल। तिब्बत में इसे सदियों से चोमोलंगमा अर्थात पर्वतों की रानी के नाम से जाना जाता है। सर्वे ऑफ नेपाल द्वारा प्रकाशित, (1:50,000 के स्केल पर 57 मैप सेट में से 50वां मैप) “फर्स्ट जॉईन्ट इन्सपेक्सन सर्वे सन् 1979-80, नेपाल-चीन सीमा के मुख्य पाठ्य के साथ अटैच” पृष्ठ पर ऊपर की ओर बीच में, लिखा है, सीमा रेखा, की पहचान की गई है जो चीन और नेपाल को अलग करते हैं, जो ठीक शिखर से होकर गुजरता है। यह यहाँ सीमा का काम करता है और चीन-नेपाल सीमा पर मुख्य हिमालयी जलसंभर विभाजित होकर दोनो तरफ बहता है। .

नई!!: भूगोल और एवरेस्ट पर्वत · और देखें »

एकलव्य फ़ाउंडेशन

एकलव्य फाउण्डेशन भारत के मध्य प्रदेश राज्य में कार्यरत एक अशासकीय संस्था (NGO) है। यह बच्चों की शिक्षा के क्षेत्र में आधारभूत कार्य कर रही है। यह सन् १९८२ में एक अखिल भारतीय संस्था के रूप में पंजीकृत हुई थी। प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में वैज्ञानिक पद्धति एंव बाल-शिक्षा में तकनीकी विकास पर एकलव्य फाउण्डेशन द्वारा क्रियान्वन कराया जा रहा है। भोपाल स्थित संस्था के कार्यालय द्वारा विभिन्न शैक्षणिक कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। महाभारत के पात्र एकलव्य के जीवन चरित्र से प्रभावित इस संस्था का दर्शन शिक्षा के उन्न्यन में समाज में महत्वपूर्ण भूमिका रखता है। .

नई!!: भूगोल और एकलव्य फ़ाउंडेशन · और देखें »

ऐतिहासिक भूगोल

ऐतिहासिक भूगोल किसी स्थान अथवा क्षेत्र की भूतकालीन भौगोलिक दशाओं का या फिर समय के साथ वहाँ के बदलते भूगोल का अध्ययन है। यह अपने अध्ययन क्षेत्र के सभी मानवीय और भौतिक पहलुओं का अध्ययन किसी पिछली काल-अवाधि के सन्दर्भ में करता है या फिर समय के साथ उस क्षेत्र के भौगोलिक दशाओं में परिवर्तन का अध्ययन करता है। बहुत सारे भूगोलवेत्ता किसी स्थान का इस सन्दर्भ में अध्ययन करते हैं कि कैसे वहाँ के लोगों ने अपने पर्यावरण के साथ अंतर्क्रियायें कीं और किस प्रकार इन क्रियाओं के परिणामस्वरूप उस स्थान के भूदृश्यों का उद्भव और विकास हुआ। आज के परिप्रेक्ष्य में भूगोल की इस शाखा का जो रूप दिखाई पड़ता है उसका सर्वप्रथम प्रतिनिधित्व करने वाली रचनाओं में हेरोडोटस के उन वर्णनों को माना जा सकता है जिनमें उन्होंने नील नदी के डेल्टाई क्षेत्रों के विकास का वर्णन किया है, हालाँकि तब ऐतिहासिक भूगोल जैसी कोई शब्दावली नहीं बनी थी। आधुनिक रूप में इसका विकास जर्मनी में फिलिप क्लूवर के साथ शुरू माना जाता है जिन्होंने जर्मनी का ऐतिहासिक भूगोल लिखकर इस शाखा का प्रतिपादक बनने का श्रेय हासिल किया। १९७५ में जर्नल ऑफ हिस्टोरिकल ज्याग्रफी के पहले अंक के साथ ही इसके विषय क्षेत्र और अध्ययनकर्ताओं के समूह जो एक व्यापक विस्तार मिला। अमेरिका में इस शाखा को सबसे अधिक बल कार्ल सॉअर के सांस्कृतिक भूगोल के अध्ययन से मिला जिसके द्वारा उन्होंने सांस्कृतिक भूदृश्यों के ऐतिहासिक विकास के अध्ययन को प्रेरित किया। हालाँकि अब वर्तमान समय में इसमें कई अन्य थीम शामिल हो चुकी हैं जिनमें पर्यावरण का ऐतिहासिक अध्ययन और पर्यावरणीय ज्ञान के ऐतिहासिक अध्ययन को भी शामिल किया जाता है। अब ऐतिहासिक भूगोल रुपी भूगोल की यह शाखा इतिहास, पर्यावरणीय इतिहास और ऐतिहासिक पारिस्थितिकी इत्यादि शाखाओं से काफ़ी करीब मानी जा सकती है। .

नई!!: भूगोल और ऐतिहासिक भूगोल · और देखें »

डेविड थामस

डेविड थामस, ब्रिटेन के प्रसिद्ध भूगोलवेत्ता थे। श्रेणी:भूगोलवेत्ता श्रेणी:ब्रिटिश भूगोलवेत्ता.

नई!!: भूगोल और डेविड थामस · और देखें »

डेविड हार्वे

डेविड हार्वे (जन्म १९३५), ब्रिटेन के प्रसिद्ध मार्क्सवादी और सामाजिक भूगोलवेत्ता और सामाजिक सिद्धांतकार हैं। ये विश्व के सबसे ज्यादा उद्धृत अकादमिक भूगोलवेत्ता हैं (एन्ड्रू बॉडमॅन, Transactions of the IBG, 1991,1992)। .

नई!!: भूगोल और डेविड हार्वे · और देखें »

तावी-तावी

तावी-तावी (Tawi-Tawi) दक्षिणपूर्वी एशिया के फ़िलिपीन्ज़ देश का एक द्वीप है जो प्रशासनिक व्यवस्था में प्रान्त का दर्जा रखता है। भौगोलिक रूप से यह सुलु द्वीपसमूह हिस्सा है और मुस्लिम मिन्दनाओ में स्वशासित क्षेत्र नामक प्रशासनिक क्षेत्र में शामिल है। यह देश का सबसे दक्षिणी प्रान्त भी है और पश्चिम में बोर्नियो द्वीप पर स्थित मलेशिया के साबाह राज्य और इण्डोनेशिया के उत्तर कालिमंतान प्रान्त से समुद्री सीमा रखता है। .

नई!!: भूगोल और तावी-तावी · और देखें »

तुलनात्मक भूगोल

तुलनात्मक भूगोल (अंग्रेजी: Comparative geography) भूगोल विषय का एक उपागम है जिसमें विभिन्न स्थानों अथवा क्षेत्रों के तुलनात्मक भौगोलिक अध्ययन को अधिक महत्व प्रदान करते हुए उनकी विशिष्टताओं का एक दूसरे के सापेक्ष वर्णन, विश्लेषण एवं व्याख्या की जाती है। इसके जनक के रूप में कार्ल रिटर को माना जाता है और यह प्रादेशिक भूगोल के अध्ययन का पूर्ववर्ती उपागम माना जाता है। .

नई!!: भूगोल और तुलनात्मक भूगोल · और देखें »

त्रिबिन्दु

त्रिबिन्दु (tripoint) या त्रिसीमा क्षेत्र (tri-border area) ऐसा भौगोलिक स्थान होता है जहाँ तीन देश या अन्य राजनैतिक भौगोलिक इकाईयाँ मिलें। अनुमानित किया जाता है कि विश्व में लगभग 176 त्रिबिन्दु हैं, जिनमें से क़रीब आधे नदियों, झीलों या सागरों पर स्थित हैं। जहाँ यह त्रिबिन्दु थल पर हैं वहाँ अक्सर स्तम्भों या अन्य निर्माणों द्वारा उन्हें अंकित किया जाता है। .

नई!!: भूगोल और त्रिबिन्दु · और देखें »

दयाल सिंह कॉलेज, करनाल

दयाल सिंह कॉलेज, करनाल, हरियाणा में एक स्नातकोत्तर महाविद्यालय है। यह सरदार दयाल सिंह मजीठिया द्वारा १९१० में स्थापित किया गया था, जिन्होंने दयाल सिंह कालेज, लाहौर और दयाल सिंह कॉलेज, दिल्ली की भी स्थापना की थी। यह दयाल सिंह कॉलेज ट्रस्ट सोसाइटी दिल्ली द्वारा प्रबंधित है। .

नई!!: भूगोल और दयाल सिंह कॉलेज, करनाल · और देखें »

द्वीपसमूह

भारत के पड़ौसी देश बर्मा में स्थित मेरगुई द्वीपसमूह द्वीपसमूह किसी सागर, महासागर या झील में स्थित द्वीपों की शृंखला को कहते हैं। भारत के अण्डमान, निकोबार और लक्षद्वीप द्वीपसमूहों के उदहारण हैं। .

नई!!: भूगोल और द्वीपसमूह · और देखें »

ध्रुव

कोई विवरण नहीं।

नई!!: भूगोल और ध्रुव · और देखें »

ध्रुव (भूगोल)

दक्षिणी ध्रुव भूगोल के सन्दर्भ में, किसी ग्रह, बौना ग्रह, उपग्रह, या किसी घूर्णन गति करने वाले विशाल पिण्ड या गोले के ऊपर स्थित उन दो बिन्दुओं को ध्रुव (पोल) कहते हैं जहाँ उस वस्तु का घूर्ण-अक्ष उसके सतह से मिलता है। जिस प्रकार धरती पर उत्तरी ध्रुव तथा दक्षिणी ध्रुव हैं, उसी प्रकार अन्य पिण्डों में भी दो ध्रुव होते हैं जिन्हें उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव कहते हैं। श्रेणी:पृथ्वी.

नई!!: भूगोल और ध्रुव (भूगोल) · और देखें »

नक्षा

नक्शा किसी भी क्षेत्र का एक दृश्य प्रतिनिधित्व है- एक प्रतीकात्मक चित्रण जो कि उस जगह के तत्वों के बीच संबंधों पर प्रकाश डालता है, जैसे की वस्तुएँ, क्षेत्र और विषय.

नई!!: भूगोल और नक्षा · और देखें »

नैश्नल जिओग्रैफ़िक​ मैगज़ीन

नैश्नल जिओग्रैफ़िक​ मैगज़ीन​ (National Geographic Magazine), जिसका अर्थ राष्ट्रीय भौगोलिक पत्रिका है, संयुक्त राज्य अमेरिका में छपने वाली एक मासिक पत्रिका है। इसका सर्वप्रथम अंक सन् १८८८ में प्रकशित हुआ और यह तब से इसमें भूगोल, लोक-दिलचस्पी के विज्ञान, इतिहास और संस्कृति के विषयों पर लेख छपे जा रहे हैं। इसका प्रकाशन-गृह 'नैश्नल जिओग्रैफ़िक सोसाइटी' (National Geographic Society, राष्ट्रीय भौगोलिक मंडली) नामक एक संसथान है जो ख़ुद भी विश्व के विभिन्न भागों में अध्ययन करने वाले विशेषज्ञों के दस्ते भेजती है। यह पत्रिका अपने रंगीन और आकर्षक फ़ोटो के लिए जानी जाती है।, Michael R. Peres, pp.

नई!!: भूगोल और नैश्नल जिओग्रैफ़िक​ मैगज़ीन · और देखें »

नेपाली व्यंजन

दाल भात तरकारी नेपाली व्यंजन का तात्पर्य उन विशेष खाद्य पदार्थों से है जो नेपाली लोग आहार के रूप में प्रयोग करते हैं। नेपाली वे लोग हैं जो नेपाल, भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों तथा पश्चिम बंगाल आदि स्थानों के निवासी हैं। संस्कृति, परंपरा और भौगोलिक विभिन्नता के चलते उनके खाद्य पदार्थ भी उसी हिसाब से अलग पाए जाते हैं। जैसे कि पहाड़ों में रहने वाले नेपाली और मैदान के निवासी में भी भोजनों में अन्तर पाए जाता है। उनके खाद्यों में विशेषतया दाल, भात, तरकारी और चटनी (अचार) दैनिक आहार हैं। मैदानी इलाकों में रहने वाले लोग रोटी और भात दोनों का भोजन करते हैं। म:म: .

नई!!: भूगोल और नेपाली व्यंजन · और देखें »

पठार

भूमि पर मिलने वाले द्वितीय श्रेणी के स्थल रुपों में पठार अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं और सम्पूर्ण धरातल के ३३% भाग पर इनका विस्तार पाया जाता हैं।अथवा धरातल का विशिष्ट स्थल रूप जो अपने आस पास की जमींन से प्रयाप्त ऊँचा होता है,और जिसका ऊपरी भाग चौड़ा और सपाट हो पठार कहलाता है। सागर तल से इनकी ऊचाई ३०० मीटर तक होती हैं लेकिन केवल ऊचाई के आधार पर ही पठार का वर्गिकरण नही किया जाता हैं। .

नई!!: भूगोल और पठार · और देखें »

पर्यटन भूगोल

वास्को डि गामा कालीकट, भारत के तट पर 20 मई 1498। पर्यटन भूगोल या भू-पर्यटन, मानव भूगोल की एक प्रमुख शाखा हैं। इस शाखा में पर्यटन एवं यात्राओं से सम्बन्धित तत्वों का अध्ययन, भौगोलिक पहलुओं को ध्यान में रखकर किया जाता है। नेशनल जियोग्रेफ़िक की एक परिभाषा के अनुसार किसी स्थान और उसके निवासियों की संस्कृति, सुरुचि, परंपरा, जलवायु, पर्यावरण और विकास के स्वरूप का विस्तृत ज्ञान प्राप्त करने और उसके विकास में सहयोग करने वाले पर्यटन को "पर्यटन भूगोल" कहा जाता है। भू पर्यटन के अनेक लाभ हैं। किसी स्थल का साक्षात्कार होने के कारण तथा उससे संबंधित जानकारी अनुभव द्वारा प्राप्त होने के कारण पर्यटक और निवासी दोनों का अनेक प्रकार से विकास होता हैं। पर्यटन स्थल पर अनेक प्रकार के सामाजिक तथा व्यापारिक समूह मिलकर काम करते हैं जिससे पर्यटक और निवासी दोनों के अनुभव अधिक प्रामाणिक और महत्त्वपूर्ण बन जाते है। भू पर्यटन परस्पर एक दूसरे को सूचना, ज्ञान, संस्कार और परंपराओं के आदान-प्रदान में सहायक होता है, इससे दोनों को ही व्यापार और आर्थिक विकास के अवसर मिलते हैं, स्थानीय वस्तुओं कलाओं और उत्पाद को नए बाज़ार मिलते हैं और मानवता के विकास की दिशाएँ खुलती हैं साथ ही बच्चों और परिजनों के लिए सच्ची कहानियाँ, चित्र और फिल्में भी मिलती हैं जो पर्यटक अपनी यात्रा के दौरान बनाते हैं। पर्यटन भूगोल के विकास या क्षय में पर्यटन स्थल के राजनैतिक, सामाजिक और प्राकृतिक कारणों का बहुत महत्त्व होता है और इसके विषय में जानकारी के मानचित्र आदि कुछ उपकरणों की आवश्यकता होती है। .

नई!!: भूगोल और पर्यटन भूगोल · और देखें »

पर्यावरण

पर्यावरण प्रदूषण - कारखानों द्वारा धुएँ का उत्सर्जन पर्यावरण (Environment) शब्द का निर्माण दो शब्दों से मिल कर हुआ है। "परि" जो हमारे चारों ओर है और "आवरण" जो हमें चारों ओर से घेरे हुए है। पर्यावरण उन सभी भौतिक, रासायनिक एवं जैविक कारकों की समष्टिगत इकाई है जो किसी जीवधारी अथवा पारितंत्रीय आबादी को प्रभावित करते हैं तथा उनके रूप, जीवन और जीविता को तय करते हैं। सामान्य अर्थों में यह हमारे जीवन को प्रभावित करने वाले सभी जैविक और अजैविक तत्वों, तथ्यों, प्रक्रियाओं और घटनाओं के समुच्चय से निर्मित इकाई है। यह हमारे चारों ओर व्याप्त है और हमारे जीवन की प्रत्येक घटना इसी के अन्दर सम्पादित होती है तथा हम मनुष्य अपनी समस्त क्रियाओं से इस पर्यावरण को भी प्रभावित करते हैं। इस प्रकार एक जीवधारी और उसके पर्यावरण के बीच अन्योन्याश्रय संबंध भी होता है। पर्यावरण के जैविक संघटकों में सूक्ष्म जीवाणु से लेकर कीड़े-मकोड़े, सभी जीव-जंतु और पेड़-पौधे आ जाते हैं और इसके साथ ही उनसे जुड़ी सारी जैव क्रियाएँ और प्रक्रियाएँ भी। अजैविक संघटकों में जीवनरहित तत्व और उनसे जुड़ी प्रक्रियाएँ आती हैं, जैसे: चट्टानें, पर्वत, नदी, हवा और जलवायु के तत्व इत्यादि। .

नई!!: भूगोल और पर्यावरण · और देखें »

पर्यावरण संरक्षण

पर्यावरण शब्द परि+आवरण के संयोग से बना है। 'परि' का आशय चारों ओर तथा 'आवरण' का आशय परिवेश है। दूसरे शब्दों में कहें तो पर्यावरण अर्थात वनस्पतियों,प्राणियों,और मानव जाति सहित सभी सजीवों और उनके साथ संबंधित भौतिक परिसर को पर्यावरण कहतें हैं वास्तव में पर्यावरण में वायु,जल,भूमि,पेड़-पौधे, जीव-जन्तु,मानव और उसकी विविध गतिविधियों के परिणाम आदि सभी का समावेश होता हैं। .

नई!!: भूगोल और पर्यावरण संरक्षण · और देखें »

पर्यावरण अभियांत्रिकी

औद्योगिक वायु प्रदूषण के स्रोत पर्यावरण इंजीनियरिंग पर्यावरण (हवा, पानी और/या भूमि संसाधनों) में सुधार करने, मानव निवास और अन्य जीवों के लिए स्वच्छ जल, वायु और ज़मीन प्रदान करने और प्रदूषित स्थानों को सुधारने के लिए विज्ञान और इंजीनियरिंग के सिद्धांतों का अनुप्रयोग है। पर्यावरण इंजीनियरिंग में शामिल हैं जल और वायु प्रदूषण नियंत्रण, पुनरावर्तन, अपशिष्ट निपटान और सार्वजनिक स्वास्थ्य के मुद्दे और साथ ही साथ पर्यावरण इंजीनियरिंग कानून से संबंधित ज्ञान.

नई!!: भूगोल और पर्यावरण अभियांत्रिकी · और देखें »

पशु बीमा

परवरिश पशुओ और बेचने के लिए पोल्ट्री अप्रत्याशित और जोखिम भरा हो सकता है। यही कारण है कि एक ठोस और पशुधन या मुर्गी बीमा पॅलिसी एक आवश्यकता है वह है। यह बीमा उन अप्रत्याशित घटनाओं और दुर्घटनाओं कि अपने जानवरों और अपनी आजीविका तबाह कर सकते हैं से अपने निवेश की सुरक्षा करता है। फ़ार्म पशु बीमा अपने विशेष पशु समूह को कवर के लिए अनुकूलित किया जा सकता है, तो पशु, सूअर, भेड, एमु, बकरी, मुर्गी या अपने खेत पर इनमें से किसी भी संयोजन है या नहीं। भारतीय कृषि उद्योग, एक और हरित क्रांति कि इसे और अधिक आकर्षक और लाभदायक बनाता के कगार पर भारत में कुल कृषि उत्पादन के रूप में अगले दस साल में दोगुना होने की संभावना है और वह भी एक जैविक तरीके से| पशु बीमा पॉलिसी अपने मवेशियों है, जो एक ग्रामीण समुदाय की सबसे मूल्यवान संपत्ति है कि मृत्यु के कारण वित्तीय नुकसान से भारतीय ग्रामीन लोगों की सुरक्षा के लिए प्रदान की जाती है। नीति होने गाय, बैल या तो सेक्स एक पशु चिकित्सक/ सर्जन द्वारा ध्वनि और उत्तम स्वास्थ्य और चोट या रोग से मुक्त होने के रूप में प्रमाणित की भैंस और जो माइक्रो फ़ाइनेंस संस्थानों, गैर सरकारी संगठनों के सदस्य कर रहे हैं व्यक्तियों को शामिल किया, सरकार प्रायोजित संगठनों और इस तरह के संबंध समूहों/ ग्रामीण और सामाजिक क्षेत्र में संस्थानों| पशु बीमा .

नई!!: भूगोल और पशु बीमा · और देखें »

पश्चिम

पश्चिम दिशा दिखाता एक कम्पास पश्चिम सामान्य: एक संज्ञा, विशेषण या क्रियाविशेषण है जो एक दिशा या भूगोल की ओर इंगित करता है। पश्चिम, चार प्रमुख दिशाओं मे से एक है साथ ही यह कुतुबनुमा के दिशासंकेतों मे से भी एक प्रमुख संकेत है। यह पूर्व का विपरीत है और उत्तर और दक्षिण के लंबवत होता है। मानकानुसार एक मानचित्र के बाईं ओर पश्चिम होता है। पश्चिम की ओर नौगमन (नेविगेशन) हेतु, कुतुबनुमा (कम्पास) के दिगंश को 270° पर बिठाना (सेट करना) पड़ता है। पृथ्वी अपनी धुरी पर पश्चिम दिशा की विपरीत दिशा मे घूमती है, इसलिए सूर्य इस दिशा मे अस्त होता है। श्रेणी:दिशाएँ.

नई!!: भूगोल और पश्चिम · और देखें »

पारिभाषिक शब्दावली

पारिभाषिक शब्दावली या परिभाषा कोश, "ग्लासरी" (glossary) का प्रतिशब्द है। "ग्लासरी" मूलत: "ग्लॉस" शब्द से बना है। "ग्लॉस" ग्रीक भाषा का glossa है जिसका प्रारंभिक अर्थ "वाणी" था। बाद में यह "भाषा" या "बोली" का वाचक हो गया। आगे चलकर इसमें और भी अर्थपरिवर्तन हुए और इसका प्रयोग किसी भी प्रकार के शब्द (पारिभाषिक, सामान्य, क्षेत्रीय, प्राचीन, अप्रचलित आदि) के लिए होने लगा। ऐसे शब्दों का संग्रह ही "ग्लॉसरी" या "परिभाषा कोश" है। ज्ञान की किसी विशेष विधा (कार्य क्षेत्र) में प्रयोग किये जाने वाले शब्दों की उनकी परिभाषा सहित सूची पारिभाषिक शब्दावली (glossary) या पारिभाषिक शब्दकोश कहलाती है। उदाहरण के लिये गणित के अध्ययन में आने वाले शब्दों एवं उनकी परिभाषा को गणित की पारिभाषिक शब्दावली कहते हैं। पारिभाषिक शब्दों का प्रयोग जटिल विचारों की अभिव्यक्ति को सुचारु बनाता है। महावीराचार्य ने गणितसारसंग्रहः के 'संज्ञाधिकारः' नामक प्रथम अध्याय में कहा है- इसके बाद उन्होने लम्बाई, क्षेत्रफल, आयतन, समय, सोना, चाँदी एवं अन्य धातुओं के मापन की इकाइयों के नाम और उनकी परिभाषा (परिमाण) दिया है। इसके बाद गणितीय संक्रियाओं के नाम और परिभाषा दी है तथा अन्य गणितीय परिभाषाएँ दी है। द्विभाषिक शब्दावली में एक भाषा के शब्दों का दूसरी भाषा में समानार्थक शब्द दिया जाता है व उस शब्द की परिभाषा भी की जाती है। अर्थ की दृष्टि से किसी भाषा की शब्दावली दो प्रकार की होती है- सामान्य शब्दावली और पारिभाषिक शब्दावली। ऐसे शब्द जो किसी विशेष ज्ञान के क्षेत्र में एक निश्चित अर्थ में प्रयुक्त होते हैं, वह पारिभाषिक शब्द होते हैं और जो शब्द एक निश्चित अर्थ में प्रयुक्त नहीं होते वह सामान्य शब्द होते हैं। प्रसिद्ध विद्वान आचार्य रघुवीर बड़े ही सरल शब्दों में पारिभाषिक और साधारण शब्दों का अन्तर स्पष्ट करते हुए कहते हैं- पारिभाषिक शब्दों को स्पष्ट करने के लिए अनेक विद्वानों ने अनेक प्रकार से परिभाषाएं निश्चित करने का प्रयत्न किया है। डॉ॰ रघुवीर सिंह के अनुसार - डॉ॰ भोलानाथ तिवारी 'अनुवाद' के सम्पादकीय में इसे और स्पष्ट करते हुए कहते हैं- .

नई!!: भूगोल और पारिभाषिक शब्दावली · और देखें »

पारिस्थितिकी

260 px 95px 173px 115px 125px पारिस्थितिकी का वैज्ञानिक साम्राज्य वैश्विक प्रक्रियाओं (ऊपर), से सागरीय एवं पार्थिव सतही प्रवासियों (मध्य) से लेकर अन्तर्विशःइष्ट इंटरैक्शंस जैसे प्रिडेशन एवं परागण (नीचे) तक होता है। पारिस्थितिकी (अंग्रेज़ी:इकोलॉजी) जीवविज्ञान की एक शाखा है जिसमें जीव समुदायों का उसके वातावरण के साथ पारस्परिक संबंधों का अध्ययन करतें हैं। प्रत्येक जन्तु या वनस्पति एक निशिचत वातावरण में रहता है। पारिस्थितिज्ञ इस तथ्य का पता लगाते हैं कि जीव आपस में और पर्यावरण के साथ किस तरह क्रिया करते हैं और वह पृथ्वी पर जीवन की जटिल संरचना का पता लगाते हैं।। हिन्दुस्तान लाइव। २ मई २०१०। पारिस्थितिकी को एन्वायरनमेंटल बायोलॉजी भी कहा जाता है। इस विषय में व्यक्ति, जनसंख्या, समुदायों और इकोसिस्टम का अध्ययन होता है। इकोलॉजी अर्थात पारिस्थितिकी (जर्मन: Oekologie) शब्द का प्रथम प्रयोग १८६६ में जर्मन जीववैज्ञानिक अर्नेस्ट हैकल ने अपनी पुस्तक "जनरेल मोर्पोलॉजी देर ऑर्गैनिज़्मेन" में किया था। बीसवीं सदी के आरम्भ में मनुष्य और उसके पर्यावरण के बीच संबंधों पर अध्ययन प्रारंभ हुआ और एक साथ कई विषयों में इस ओर ध्यान दिया गया। परिणामस्वरूप मानव पारिस्थितिकी की संकलपना आयी। प्राकृतिक वातावरण बेहद जटिल है इसलिए शोधकर्ता अधिकांशत: किसी एक किस्म के प्राणियों की नस्ल या पौधों पर शोध करते हैं। उदाहरण के लिए मानवजाति धरती पर निर्माण करती है और वनस्पति पर भी असर डालती है। मनुष्य वनस्पति का कुछ भाग सेवन करते हैं और कुछ भाग बिल्कुल ही अनोपयोगी छोड़ देते हैं। वे पौधे लगातार अपना फैलाव करते रहते हैं। बीसवीं शताब्दी सदी में ये ज्ञात हुआ कि मनुष्यों की गतिविधियों का प्रभाव पृथ्वी और प्रकृति पर सर्वदा सकारात्मक ही नहीं पड़ता रहा है। तब मनुष्य पर्यावरण पर पड़ने वाले गंभीर प्रभाव के प्रति जागरूक हुए। नदियों में विषाक्त औद्योगिक कचरे का निकास उन्हें प्रदूषित कर रहा है, उसी तरह जंगल काटने से जानवरों के रहने का स्थान खत्म हो रहा है। पृथ्वी के प्रत्येक इकोसिस्टम में अनेक तरह के पौधे और जानवरों की प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनके अध्ययन से पारिस्थितिज्ञ किसी स्थान विशेष के इकोसिस्टम के इतिहास और गठन का पता लगाते हैं। इसके अतिरिक्त पारिस्थितिकी का अध्ययन शहरी परिवेश में भी हो सकता है। वैसे इकोलॉजी का अध्ययन पृथ्वी की सतह तक ही सीमित नहीं, समुद्री जनजीवन और जलस्रोतों आदि पर भी यह अध्ययन किया जाता है। समुद्री जनजीवन पर अभी तक अध्ययन बहुत कम हो पाया है, क्योंकि बीसवीं शताब्दी में समुद्री तह के बारे में नई जानकारियों के साथ कई पुराने मिथक टूटे और गहराई में अधिक दबाव और कम ऑक्सीजन पर रहने वाले जीवों का पता चला था। .

नई!!: भूगोल और पारिस्थितिकी · और देखें »

पारिक्षेत्र

पारिक्षेत्र (ecoregion) या पारिस्थितिक क्षेत्र (ecological region) किसी विशेष पारिस्थितिक या भौगोलिक लक्षणों द्वारा परिभाषित एक ऐसा क्षेत्र होता है जो जैवक्षेत्र (bioregion) से छोटा हो, जो क्रम में प्राणिक्षेत्र (ecozone) से छोटा होता है। पारिक्षेत्र साधारण रूप से बड़े क्षेत्रफल वाले भूमीय या जलीय इलाक़ों पर विस्तृत होते हैं और उनमें अन्य पारिक्षेत्रों से भिन्न जीववैज्ञानिक जातियाँ और जीव समूह होते हैं। किसी पारिक्षेत्र में मिलने वाली जातियाँ उस पारिक्षेत्र में कहीं भी घर बना सकती हैं क्योंकि उस पारिक्षेत्र के सभी भागों में परिस्थितियाँ लगभग सामान होती हैं। .

नई!!: भूगोल और पारिक्षेत्र · और देखें »

पुनर्जागरण

फ्लोरेंस पुनर्जागरण का केन्द्र था पुनर्जागरण या रिनैंसा यूरोप में मध्यकाल में आये एक संस्कृतिक आन्दोलन को कहते हैं। यह आन्दोलन इटली से आरम्भ होकर पूरे यूरोप फैल गया। इस आन्दोलन का समय चौदहवीं शताब्दी से लेकर सत्रहवीं शताब्दी तक माना जाता है।.

नई!!: भूगोल और पुनर्जागरण · और देखें »

प्रतापगढ़, राजस्थान

प्रतापगढ़, क्षेत्रफल में भारत के सबसे बड़े राज्य राजस्थान के ३३वें जिले प्रतापगढ़ जिले का मुख्यालय है। प्राकृतिक संपदा का धनी कभी इसे 'कान्ठल प्रदेश' कहा गया। यह नया जिला अपने कुछ प्राचीन और पौराणिक सन्दर्भों से जुड़े स्थानों के लिए दर्शनीय है, यद्यपि इसके सुविचारित विकास के लिए वन विभाग और पर्यटन विभाग ने कोई बहुत उल्लेखनीय योगदान अब तक नहीं किया है। .

नई!!: भूगोल और प्रतापगढ़, राजस्थान · और देखें »

प्राकृतिक दृश्य

स्विस आल्प्स की ऐशिना झील, एक अत्यंत विविधतापूर्ण प्राकृतिक दृश्य का एक उदाहरण. तोलिमा कोलम्बिया की प्राकृतिक दृश्य संबंधी तस्वीर बर्न में आरे नदी प्राकृतिक दृश्य भूमि के किसी एक हिस्से की सुस्पष्ट विशेषताएं हैं, जिनमें इसके प्राकृतिक स्वरूपों के भौतिक तत्त्व, जल निकाय जैसे कि नदियाँ, झीलें एवं समुद्र, प्राकृतिक रूप से उगनेवाली वनस्पतियों सहित धरती पर रहने वाले जीव-जंतु, मिट्टी से बनी उपयोगी मानव निर्मित वस्तुओं सहित भवन एवं संरचनाएं और अस्थायी तत्त्व जैसे कि विद्युत व्यवस्था एवं मौसम संबंधी परिस्थितियाँ शामिल हैं | मानवीय संस्कृति की छवि, जो बनने में सहस्राब्दियाँ लग जाती हैं, दोनों मिलकर दृश्य किसी भी स्थल के लोग तथा वह स्थल दोनों की स्थानीय तथा राष्ट्रीय पहचान को प्रतिबिंबित करते हैं। प्राकृतिक दृश्य, इनकी विशेषता और गुणवत्ता, किसी क्षेत्र की आत्म छवि और, उस स्थान की भावनात्मक अनुभूतियाँ, जो इसे दूसरे क्षेत्रों से अलग करती है, को परिभाषित करने में मदद करती है। यह लोगों के जीवन की गतिशील पृष्ठभूमि है। पृथ्वी पर प्राकृतिक दृश्यों का एक व्यापक विस्तार है जिसमें ध्रुवीय क्षेत्रों के बर्फीले प्राकृतिक दृश्य, पहाड़ी प्राकृतिक दृश्य, विस्तृत मरुस्थलीय प्राकृतिक दृश्य, द्वीपों और समुद्रतटों केप्राकृतिक दृश्य, घने जंगलों या पेड़ों के प्राकृतिक दृश्यों सहित पुराने उदीच्य वन एवं उष्णकटिबंधीय वर्षावन और शीतोष्ण एवं उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के कृषि योग्य प्राकृतिक दृश्य शामिल हैं। प्राकृतिक दृश्यों की समीक्षा आगे 2 श्रेणी:प्राकृतिक दृश्य (लैंडस्केप) श्रेणी:सांस्कृतिक भूगोल श्रेणी:भूदृश्य ar:منظر طبيعى bg:Пейзаж ca:Paisatge (geografia) cs:Krajina da:Landskab de:Landschaft en:Landscape eo:Pejzaĝo es:Paisaje et:Maastik fi:Maisema fr:Paysage hr:Krajolik id:Lanskap it:Paesaggio ja:ランドスケープ lt:Kraštovaizdis lv:Ainava mwl:Paisage nds:Landschap nl:Landschap nn:Landskap pl:Kraina geograficzna pt:Paisagem ro:Peisaj ru:Ландшафт sk:Geografická krajina sr:Пејзаж sv:Landskap (terräng) uk:Ландшафт yi:לאנדשאפט zh:风景.

नई!!: भूगोल और प्राकृतिक दृश्य · और देखें »

प्लिनी

बड़ा प्लिनी प्लिनी (Pliny the Elder) एक प्रमुख रोमन भूगोलवेत्ता था। .

नई!!: भूगोल और प्लिनी · और देखें »

पूर्व

east direction पूर्ण ब्रहामाण्ड को शुन्य माना गया है। शुन्या की आकृति ३६० अंश होकर गोलकार है। यहि नहीं इस अकाश म्ंड्ल में जितने भी गृह है वह लगभग गोल ही है। हमारी पृथ्वी भी गोलकार है। अगर गोलाकार है तो इसका आरम्भ कहां से होगा यह एक बहुत बड़ा प्रशन है जिसका उतर हितचिंतक एस्टरोलोजिकल इंस्टीयट के अनुसन्धान केन्द्र में प्रचार्या विकास ग्रोवर एव्ं डा;सनिया गर्ग के साथ अन्य सह्योगियो के मनन से मत इस प्रकार है कि- दिशा ग्यान को पुरातण वास्तु शास्त्रो में अति महत्वपूर्ण मान गया है।इसके बोध के बिना निर्माण को कुल्नाश तक घातक बताया गया है। अर्थात: श्ंडकु को स्थापित कर संक्राति के अनुसार इसकी छाया को राशि में प्रवेश के स्थान पर चिन्हित कर भुखन्ड पर भवन बनाने वालो के लिये भविषवानिययो का विवरण भी प्रपात होता है परन्तु समतय अनुसार इस विधि में कम्पास से धरती के चुम्वभकिया क्षेत्र प्रभाव का आंकलण आसान होने के कारण शंड्कु स्थपना क प्रचलण लगभग बन्द हो गया है। वास्तु में शंड्कु स्थापित कर दिशा क बेह्द विस्तृत एवं व्यापक अर्थ है।इन चिन्हो द्वारा भुमि के प्रभावित होने वाले खण्डोपर प्राभाव कर परीक्षण तथा शोधन करने के उपारान्त ही उसके ऊपर किये जाने वाले निर्माण आदि क निर्णय किय जात रहा है। Bold textपूर्व दिशा को अगर सधारण्त:देखे तो यह २२।५ अंश ईशान की ओर तथा २२।५ अंश अग्नेय की ओर कुल ४५ अंश होती है। एक कम्पास गुलाब पूर्व भूगोल में एक दिशा है।यह एक के चार प्रमुख दिशा में से एक है ओं या अंक, पश्चिम के विपरीत कम्पास और सही कोण उत्तर और दक्षिण के लिए हैं।पूर्व की ओर, जो पृथ्वी अपने अक्ष के बारे में rotates दिशा है और इसलिए जिसमें से सूर्य की वृद्धि करने के लिए प्रकट होता है जो सामान्य दिशा है। हालांकि, सूरज के खगोल विज्ञान में पूर्व की ओर विपरीत दिशा में रोटेशन के संबंध में है, तो यह जो से rotates दिशा है परिभाषित किया गया है। .

नई!!: भूगोल और पूर्व · और देखें »

पीटर हैगेट

पीटर हैगेट, ब्रिटेन के प्रसिद्ध भूगोलवेत्ता थे। .

नई!!: भूगोल और पीटर हैगेट · और देखें »

पीटर क्रोपोत्किन

युवा क्रोपोत्किन (१८७०) पीटर अलेक्सेविच क्रोपोत्किन (१८४२-१९२१ ई.) रूस के भूगोलवेत्ता, अर्थशास्त्री, वाड़मीमांसक (philologist), जन्तुविज्ञानी, क्रमविकास सिद्धान्ती, दार्शनिक, लेखक एवं प्रमुख अराजकतावादी थे। .

नई!!: भूगोल और पीटर क्रोपोत्किन · और देखें »

फर्डिनेण्ड वॉन रिचथोफेन

फडिनेण्ड वॉन रिचथोफन''' फर्डिनेण्ड वॉन रिचथोफेन (१८३३ - १९०५ ई.) एक प्रमुख भूगोलवेत्ता था। उसका जन्म पश्चिमी जर्मनी के साइलेसिया क्षेत्र में मई ५, १८३३ को हुवा। वह शाही परिवार के सदस्यों में से था। वह जर्मन भाषा के अतिरिक्त इंग्लिश एवं फ्रेंच का भी ज्ञाता था। उसने ब्रुसेल्स एंव बर्लिन में भूविज्ञान, जीव विज्ञान एंव भूगोल की उच्च शिक्षा प्राप्त की। एसा कहा जाता है कि रिचथोफन भू-विज्ञानिक की भांती चीन गया और वहां से १८७२ मे माना हुवा भूगोलवेत्ता बनकर लौटा। .

नई!!: भूगोल और फर्डिनेण्ड वॉन रिचथोफेन · और देखें »

फेंग शुई

फेंग शुई (पहले) सौन्दर्यशास्त्र की एक प्राचीन चीनी पद्धति है जिसके बारे में लोगों का विश्वास है कि इसमें स्वर्ग (ज्योतिष) और धरती (भूगोल) दोनों के नियम प्रयुक्त होते हैं जिसके द्वारा सकारात्मक ची (qi) प्राप्त करके किसी के जीवन में सुधार लाया जा सकता है। इस कला का मूल पदनाम कान यु (Kan yu) (शाब्दिक अर्थ: स्वर्ग और धरती का ताओ).

नई!!: भूगोल और फेंग शुई · और देखें »

बन्द जलसम्भर

मंगोलिया का एक बंद जलसंभर जहाँ सारा बहता जल समुद्र की बजाय उएउएरेग नूर झील में आकर ठहर जाता है बंद जलसंभर या समावृत जलसंभर भूगोल में ऐसे जलसंभर क्षेत्र को कहा जाता है जिसमें वर्षा अथवा पिघलती बर्फ़ का पानी एकत्रित हो कर किसी नदी के ज़रिये समुद्र या महासागर में बहने की बजाय किसी सरोवर, दलदली क्षेत्र या शुष्क क्षेत्र में जाकर वहीँ रुक जाता है। आम तौर पर जो भी पानी धरती पर बारिश या हिमपात के कारण पड़ता है वो नदियों, नेहरों और झरनों के द्वारा ऊंचे इलाकों से निचले इलाकों की ओर बहता है। यह चलते पानी के समूह एक-दुसरे से संगम करते रहते हैं जब तक के एक ही बड़ी नदी न बन जाए। फिर यह नदी आगे चलकर किसी सागर में मिल जाती है। लेकिन जो क्षेत्र सागरों से ढलान, पहाड़ों या रेगिस्तानों की वजह से पृथक हैं वहाँ पर पानी सब से निचले स्थान पर पहुँच कर रुक जाता है। ऐसे स्थानों पर या तो झीलें बन जाती हैं या धरती पानी को सोख लेती है। दुनिया की सब से बड़ी झीलों में ऐसे ही बंद जलसंभारों की वजह से बनी हुई कुछ झीलें हैं, जैसे की अरल सागर और कैस्पियन सागर। .

नई!!: भूगोल और बन्द जलसम्भर · और देखें »

बसीलन

बसीलन (Basilan) दक्षिणपूर्वी एशिया के फ़िलिपीन्ज़ देश का एक द्वीप है जो प्रशासनिक व्यवस्था में प्रान्त का दर्जा रखता है। भौगोलिक रूप से यह सुलु द्वीपसमूह का सबसे बड़ा और सबसे उत्तरी द्वीप है। यह अपने से बहुत बड़े मिन्दनाओ द्वीप के समीप है और मुस्लिम मिन्दनाओ में स्वशासित क्षेत्र नामक प्रशासनिक क्षेत्र में शामिल है। .

नई!!: भूगोल और बसीलन · और देखें »

बाड़मेर जिला

बाड़मेर जिला भारतीय राज्य राजस्थान का एक जिला है। जिले का मुख्यालय बाड़मेर नगर है, जबकि अन्य मुख्य कस्बे बालोतरा,गुड़ामलानी, बायतु,सिवाना,जसोल,चौहटन,धोरीमन्ना और उत्तरलाई हैं। बाड़मेर में एक रिफ़ाइनरी भी प्रस्तावित है। .

नई!!: भूगोल और बाड़मेर जिला · और देखें »

बानी यादव

बानी यादव (जन्म-७ सितम्ब, १९७१), एक भारतीय महिला कार रैलीसिस्ट, भारत की सबसे तेज़ महिला ड्राईवर, मोटरस्पोर्ट्स प्रमोटर, और सोशल राइट्स समर्थक है। वह भारत में एक साल में सभी प्रमुख रैली टाइटल जीतने वाली अकेली भारतीये महिला है। .

नई!!: भूगोल और बानी यादव · और देखें »

बाल्कन

दक्षिण-पूर्वी यूरोप का बाल्कन प्रायद्वीप बाल्कन या बाल्कन प्रायद्वीप दक्षिण-पूर्वी यूरोप का एक क्षेत्र है जो भौगोलिक तथा ऐतिहासिक दृष्टि से अपना अलग पहचान बना चुका है। इसका कुल क्षेत्रफल 5,50,000 वर्ग किलोमीटर तथा जनसंख्या लगभग साढ़े 5 करोड़ है। इसे बाल्कन प्रायद्वीप भी कहा जाता है जिसका कारण इसकी भौगोलिक स्थिति है। दक्षिणी यूरोप का यह सबसे पूर्वी प्रायद्वीप है। यह तीन ओर से समुद्र से घिरा हुआ है - इसके पूर्व में काला सागर, ईजियन सागर, मरमरा सागर, दक्षिण में भूमध्यसागर, पश्चिम में इयोनियन सागर तथा एड्रियाटिक सागर हैं तथा उत्तर में सावा, कूपा और डैन्यूब नदियाँ बहती हैं। इस प्रकार संपूर्ण अल्बानिया, यूनान, बुल्गारिया, यूगोस्लाविया और रोमानिया के कुछ भाग को बॉल्कन प्रायद्वीप कहा जाता है। इन छह देशों को 'बॉल्कन स्टेट' भी कहा जाता है। यह पहाड़ी क्षेत्र है तथा इसकी मुख्य पर्वतमालाएँ डिनैरिक ऐल्प्स, बॉल्कन पर्वत तथा रोड़ोषे पर्वत हैं। यहाँ की मुख्य नदियाँ मोरावा, वारदार, स्ट्रूमा (struma), मेस्ता तथा मैरित्सा हैं। जलवायु महाद्वीपीय है परंतु एड्रिऐटिक, इयोनियन तथा इजिऐन समुद्रों के तट पर रूमसागरीय जलवायु पाई जाती है, यह संपूर्ण क्षेत्र कृषिप्रधान है। इसके अलावा यहाँ पर लोहा, कोयला, मैंगनीज, ताँबा, जस्ता तथा सीस आदि के कीमती खनिज भी पाए जाते हैं। यहाँ पर अनेक मानव जातियाँ बसी हुई हैं। ऐतिहासिक दृष्टि से यह कई बड़े संघर्षों तथा आन्दोलनों का केन्द्र रहा है। .

नई!!: भूगोल और बाल्कन · और देखें »

भारतविद

भारत की सभ्यता संस्कृति परम्परा भाषा रीति-रिवाज़ लोगों भूगोल आदि का अध्येता विशेषज्ञ विद्वान जो भारतीय भी हो सकता है - विदेशी मूल का अ-भारतीय भी.

नई!!: भूगोल और भारतविद · और देखें »

भाषाविज्ञान

भाषाविज्ञान भाषा के अध्ययन की वह शाखा है जिसमें भाषा की उत्पत्ति, स्वरूप, विकास आदि का वैज्ञानिक एवं विश्लेषणात्मक अध्ययन किया जाता है। भाषा विज्ञान के अध्ययेता 'भाषाविज्ञानी' कहलाते हैं। भाषाविज्ञान, व्याकरण से भिन्न है। व्याकरण में किसी भाषा का कार्यात्मक अध्ययन (functional description) किया जाता है जबकि भाषाविज्ञानी इसके आगे जाकर भाषा का अत्यन्त व्यापक अध्ययन करता है। अध्ययन के अनेक विषयों में से आजकल भाषा-विज्ञान को विशेष महत्त्व दिया जा रहा है। .

नई!!: भूगोल और भाषाविज्ञान · और देखें »

भुज

भुज भारत के गुजरात प्रांत का एक प्रमुख शहर है। भुज शहर की स्थापना 1548 में राव खेंगारजी ने की थी। राव लखपतिजी के शासनकाल में निर्मित आइना महल स्थापत्य कला का एक सुंदर नमूना है, जिसे अब संग्रहालय में बदल दिया गया है। २००१ में ईस ईलाके में भयनकार भूकंप आया था। .

नई!!: भूगोल और भुज · और देखें »

भौतिक भूगोल

पृथ्वी के धरातल और वतावरण का रंगीन चित्र भौतिक भूगोल (Physical geography) भूगोल की एक प्रमुख शाखा है जिसमें पृथ्वी के भौतिक स्वरूप का अध्ययन किया जाता हैं। यह धरातल पर अलग अलग जगह पायी जाने वाली भौतिक परिघटनाओं के वितरण की व्याख्या व अध्ययन करता है, साथ ही यह भूविज्ञान, मौसम विज्ञान, जन्तु विज्ञान और रसायनशास्त्र से भी जुड़ा हुआ है। इसकी कई उपशाखाएँ हैं जो विविध भौतिक परिघटनाओं की विवेचना करती हैं। .

नई!!: भूगोल और भौतिक भूगोल · और देखें »

भौमिकी

भौमिकी (Earth science या geoscience) धरती से सम्बन्धित सभी विज्ञानों को समेटने वाला शब्द है। इसे ग्रह विज्ञान (planetary science) की शाखा माना जा सकता है किन्तु इसका इतिहास ग्रह विज्ञान से भी पुराना है। भौमिकी के अन्तर्गत भूविज्ञान (geology), स्थलमंडल (lithosphere), तथा पृथ्वी के अन्दर की वृहत-स्तरीय संरचना के साथ-साथ वायुमण्डल, जलमंडल (hydrosphere) तथा जैवमंडल (biosphere) आदि सब आ जाते हैं। भौमिकी के वैज्ञानिक भूगोल, भौतिकी, रसायन, जीवविज्ञान, कालानुक्रमिकी (क्रोनोलोजी) तथा गणित आदि के औजारों (और विधियों) का उपयोग करते हैं। .

नई!!: भूगोल और भौमिकी · और देखें »

भौगोलिक सूचना तंत्र

डिजिटल एलिवेशन प्रतिरूप, मानचित्र और वेक्टर डाटा भौगोलिक सूचना तंत्र या भौगोलिक सूचना प्रणाली अथवा संक्षेप में जी॰आई॰एस॰, (अंग्रेज़ी Geographic information system (GIS)) कंप्यूटर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर को भौगोलिक सूचना के साथ एकीकृत कर इनके लिए आंकड़े एकत्रण, प्रबंधन, विश्लेषण, संरक्षण और निरूपण की व्यवस्था करता है।। हिन्दुस्तान लाइव। १० मार्च २०१० भूगोलीय निर्देशांक प्रणाली को मुख्यत: तीन तरीकों से देखा जा सकता है।.

नई!!: भूगोल और भौगोलिक सूचना तंत्र · और देखें »

भू-आकारमिति

भू-आकारमिति (अंग्रेज़ी:Geomorphometry) भूगोल के अंतर्गत भू-आकृति विज्ञान की एक उपशाखा है जो पृथ्वी के धरातल की ज्यामिति का अध्ययन करने वाला विज्ञान है और यह स्थलरूपों के लक्षणों का मात्रात्मक निरूपण, वर्णन एवं विश्लेषण करता है। आसान शब्दों में यह धरातल का मात्रात्मक विश्लेषण (en:Quantitative research) करने वाला विज्ञान है। इवांस ने इसे दो प्रकारों में बाँटा है: विशिष्ट भूआकारमिति, जो असतत रूप से अलग-अलग स्थलरूप का अध्ययन करे और, सामान्य भूआकारमिति, पूरे धरातल को सतत इकाई के रूप में लेकर अध्ययन करे। भू आकृति विज्ञान की यह शाखा नयी नहीं है और भूगोल में कंप्यूटर के प्रयोग से पहले से रही है। किन्तु भूगोल में कम्प्यूटरों के प्रयोग और रिमोट सेंसिंग, जीआइएस और भूसूचना विज्ञान के क्षेत्र में हुई अभिवृद्धि ने भूआकारमिति के अध्ययन विधि में आमूल-चूल परिवर्तन कर दिया है। पुराने समय में यह स्थलाकृतिक नक्शों पर आधारित मापन के द्वारा संपन्न की जाती थी जिनसे विभिन्न प्राचलों की गणना होती थी। अब डिजिटल ऊँचाई मॉडल (DEM) के प्रयोग ने इसके विधितंत्र में काफ़ी बदलाव किया है। रिमोट सेंसिंग के बढ़ते उपयोग के चलते डिजिटल तुंगता मॉडल (DEM) की गुणवत्ता में और इसके परिणाम स्वरूप भूआकारमिति की गणनाओं की शुद्धता में भी काफ़ी परिष्कार हुआ है। .

नई!!: भूगोल और भू-आकारमिति · और देखें »

भू-आकृति विज्ञान

धरती की सतह भू-आकृति विज्ञान (Geomorphology) (ग्रीक: γῆ, ge, "पृथ्वी"; μορφή, morfé, "आकृति"; और λόγος, लोगोस, "अध्ययन") भू-आकृतियों और उनको आकार देने वाली प्रक्रियाओं का वैज्ञानिक अध्ययन है; तथा अधिक व्यापक रूप में, उन प्रक्रियाओं का अध्ययन है जो किसी भी ग्रह के उच्चावच और स्थलरूपों को नियंत्रित करती हैं। भू-आकृति वैज्ञानिक यह समझने की कोशिश करते हैं कि भू-दृश्य जैसे दिखते हैं वैसा दिखने के पीछे कारण क्या है, वे भू-आकृतियों के इतिहास और उनकी गतिकी को जानने का प्रयास करते हैं और भूमि अवलोकन, भौतिक परीक्षण और संख्यात्मक मॉडलिंग के एक संयोजन के माध्यम से भविष्य के बदलावों का पूर्वानुमान करते हैं। भू-आकृति विज्ञान का अध्ययन भूगोल, भूविज्ञान, भूगणित, इंजीनियरिंग भूविज्ञान, पुरातत्व और भू-तकनीकी इंजीनियरिंग में किया जाता है और रूचि का यह व्यापक आधार इस विषय के तहत अनुसंधान शैली और रुचियों की व्यापक विविधता को उत्पन्न करता है। पृथ्वी की सतह, प्राकृतिक और मानवोद्भव विज्ञान सम्बन्धी प्रक्रियाओं के संयोजन की प्रतिक्रिया स्वरूप विकास करती है और सामग्री जोड़ने वाली और उसे हटाने वाली प्रक्रियाओं के बीच संतुलन के साथ जवाब देती है। ऐसी प्रक्रियाएं स्थान और समय के विभिन्न पैमानों पर कार्य कर सकती हैं। सर्वाधिक व्यापक पैमाने पर, भू-दृश्य का निर्माण विवर्तनिक उत्थान और ज्वालामुखी के माध्यम से होता है। अनाच्छादन, कटाव और व्यापक बर्बादी से होता है, जो ऐसे तलछट का निर्माण करता है जिसका परिवहन और जमाव भू-दृश्य के भीतर या तट से दूर कहीं अन्य स्थान पर हो जाता है। उत्तरोत्तर छोटे पैमाने पर, इसी तरह की अवधारणा लागू होती है, जहां इकाई भू-आकृतियां योगशील (विवर्तनिक या तलछटी) और घटाव प्रक्रियाओं (कटाव) के संतुलन के जवाब में विकसित होती हैं। आधुनिक भू-आकृति विज्ञान, किसी ग्रह के सतह पर सामग्री के प्रवाह के अपसरण का अध्ययन है और इसलिए तलछट विज्ञान के साथ निकट रूप से संबद्ध है, जिसे समान रूप से उस प्रवाह के अभिसरण के रूप में देखा जा सकता है। भू-आकृतिक प्रक्रियाएं विवर्तनिकी, जलवायु, पारिस्थितिकी, और मानव गतिविधियों से प्रभावित होती हैं और समान रूप से इनमें से कई कारक धरती की सतह पर चल रहे विकास से प्रभावित हो सकते हैं, उदाहरण के लिए, आइसोस्टेसी या पर्वतीय वर्षण के माध्यम से। कई भू-आकृति विज्ञानी, भू-आकृतिक प्रक्रियाओं की मध्यस्थता वाले जलवायु और विवर्तनिकी के बीच प्रतिपुष्टि की संभावना में विशेष रुचि लेते हैं। भू-आकृति विज्ञान के व्यावहारिक अनुप्रयोग में शामिल है संकट आकलन जिसमें शामिल है भूस्खलन पूर्वानुमान और शमन, नदी नियंत्रण और पुनर्स्थापना और तटीय संरक्षण। .

नई!!: भूगोल और भू-आकृति विज्ञान · और देखें »

भूमितिकी

भूमितिकी अथवा भूगणित विज्ञान की वह शाखा है जो भौगोलिक रूप से संदर्भित आंकड़ों के संग्रहण, समायोजन, परिरक्षण, विश्लेषण व्याख्या का कार्य करती है। यह मुख्यतः भूगोल, सर्वेक्षण और भू-सूचना विज्ञान जैसी शाखाओं के साथ अपनी विषय-वस्तु शेयर करने वाली शाखा है। .

नई!!: भूगोल और भूमितिकी · और देखें »

भूराजनीति

प्रथम विश्व (नीला), द्वितीय विश्व (लाल), तृतीय विश्व (हरा) अन्तरराष्ट्रीय राजनीति तथा अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्धों पर भूगोल के प्रभावों का अध्ययन भूराजनीति (Geopolitics) कहलाती है। दूसरे शब्दों में, भूराजनीति, विदेश नीति के अध्ययन की वह विधि है जो भौगोलिक चरों के माध्यम से अन्तरराष्ट्रीय राजनैतिक गतिविधियों को समझने, उनकी व्याख्या करने और उनका अनुमान लगाने का कार्य करती है। 'भौगोलिक चर' के अन्तर्गत उस क्षेत्र का क्षेत्रफल, जलवायु, टोपोग्राफी, जनसांख्यिकी, प्राकृतिक संसाधन, तथा अनुप्रयुक्त विज्ञान आदि आते हैं। यह शब्द सबसे पहले रुडोल्फ ज़ेलेन ने सन् १८९९ में प्रयोग किया था। भूराजनीति का उद्देश्य राज्यों के मध्य संबंध एवं उनकी परस्पर स्थिति के भौगोलिक आयामों के प्रभाव का अध्ययन करना है। इसके अध्ययन के अनेक ऐतिहासिक चरण हैं, जैसे कि औपनिवेशिक काल में ब्रिटिश साम्राज्यवाद एवं रूसी ज़ारशाही के मध्य एशिया में प्रतिस्पर्धा, तदुपरांत शीत युद्ध काल में अमेरिकी साम्राज्यवाद व सोवियत संघ के मध्य स्पर्धा आदि ऐसे अनेक उदाहरण हैं, जो कि भूराजनीति के महत्वपूर्ण चरण कहे जा सकते हैं। भूराजनीति के प्रमुख विचारकों में हेल्फोर्ड जॉन मैकिण्डर का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। उनका सन् १९०४ में छपा लेख द जियॉग्राफिकल पॉइवट ऑफ हिस्टरी, भूराजनीति के लेखन में एक अद्भुत मिसाल है। भूराजनीति प्रथम एवं द्वितीय विश्व युद्ध के मध्य तीव्रता से प्रसिद्ध हुई, परंतु जर्मन विचारकों ने इसे स्वयं की साम्राज्यी महत्वाकांक्षाओं का स्रोत बना लिया, जिसके चलते यह अन्वेषी विचारधारा वदनाम हुई। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद इसे लगभग नकार दिया गया। शीत युद्ध का ९० के दशक में चरम पर होना व ब्रजेंस्की जैसे विचारकों द्वारा इस चिंतन को पुनः मान्यता देना, भूराजनीति के लिए पुनर्जीवन का आधार साबित हुई। भूराजनीति के विकास क्रम में शीत युद्ध के अनेक चरणों का महत्व है, जैसे, क्युबा मिसाइल संकट (१९६२), १५ वर्षों तक चलने वाला वियतनाम युद्ध (१९७५), १० वर्षीय अफग़ानिस्तान गृह युद्ध (१९८९), बर्लिन दीवार व जर्मनी एकीकरण (१९८९) तथा सबसे महत्वपूर्ण सोवियत संघ का विघटन (१९८९)। भूराजनीति की अवधारणा की प्रबलता का संबंध १९वीं शताब्दी के अंत में साम्राज्यवाद में हो रहे गुणात्मक परिवर्तन से भी है। ब्रिटेन के भारत में अनुभव साम्राज्यवाद के अत्यंत महत्वपूर्ण अनुभवों में से एक थे। राजनैतिक शासन की सीमाएँ स्पष्ट रूप से दिखाई देती थी। तथा ब्रितानी सूरज अस्ताचल की ओर गतिमान था। इसका दूरगामी प्रभाव अफ्रीकी मुल्कों पर भी पङा, तथा अनेक देशों ने साम्राज्यवाद के विरुद्ध स्वतंत्रता प्राप्त की। भूराजनीति में इसके महत्व को इस प्रकार से समझा जा सकता है, कि भौगोलिक परिस्थितियों ने साम्राज्यवाद के विरुद्ध चेतना को प्रभावित किया, जैसे कि अफ्रीकी महाद्वीप में रंगभेद औपनिवेशवाद का घटक माना गया, तो दक्षिण एशिया में सांप्रदायिकता को उपनिवेशवाद की उपज माना गया। इस प्रकार महाद्वीपों में राष्ट्रों के निर्माण के बाद उनके महाद्वीपीय संबंध व अंतर-महाद्वीपीय संबंध उनके साम्राज्यवाद के विरुद्ध संघर्ष के अनुभवों से प्रभावित दिखे। एक और दृष्टिकोण इस संबंध में उद्धृत करना उचित रहेगा। भूराजनीति औपनिवेशिक शक्तियों के अनुभवों से जुङी विश्व व्यवस्था का दिशाबोध है, अतः इसका चिंतन प्रत्येक राष्ट्र के उपनिवेशकाल के अनुभवों का प्रतिबिंब है। भूराजनीति की एक अन्य महत्वपूर्ण अवधारणा ग्रेट गेम संकल्पना है। यह १९वीं शताब्दी की दो महान शक्तियों के टकराहट की एक रोचक संकल्पना है। ब्रिटेन का सर्वप्रिय उपनिवेश भारतीय उपमहाद्वीप था, उसके संसाधन को चुनौती को विफल करना उस समय ब्रिटेन की प्राथमिकता थी। यूरोपीय शक्तियों में नेपोलियन के नेतृत्व में फ्रांस एक चुनौती प्रतीत हुआ, परंतु यह अवतरित नहीं हो सकी। तत्पश्चात् रूस एक महाद्वीपीय शक्ति के रूप में प्रकट हुआ। यह उपनिवेशकाल के महत्वपूर्ण चरणों में से एक है, कि विश्व व्यवस्था के दो स्पष्ट आधार दिखाई देने लगे। एक व्यवस्था जो कि महासागरों द्वारा पृथ्वी के संसाधनों को नियंत्रित करने की थी, तो दूसरी व्यवस्था एशिया महाद्वीप में सर्वोच्चता के नवीन संघर्ष की ओर प्रवृत थी। औपनिवेशवाद एक ऐतिहासिक अनुभव है। परंतु राष्ट्रों के निर्माण की प्रक्रिया एवं उनके मध्य व्यवहार का निर्माण एक वैश्विक व्यवस्था को इंगित करती है। संबंधों की परिभाषा वर्गीय चेतना द्वारा निर्धारित होती है। यूरोपीय समाजों के अनुभव, व अन्य समाजों के अनुभवों में तुलनात्मक रूप से अधिक भिन्नता है। भूराजनीति का एक और महत्वपूर्ण आयाम शीत युद्ध है। शीत युद्ध काल में सोवियत संघ व संयुक्त राज्य अमेरिका के मध्य विचारधारा पर भीषण संघर्ष हुआ है। कम्यूनिझम या मार्क्सवाद की विचारधारा ने नवीन राष्ट्रों में अपनी पहचान बनाई, जिसके चलते पूँजीवादी देशों से टकराहट हुई। यह प्रतिद्वंदिता तीसरी दुनियाँ के देशों में भी फैलती गई। तथा भूराजनीति ऐसे समय में इन देशों को अपनी ओर खींचने की होङ के रूप में प्रकट हुई। इसके परिणाम सकारात्मक एवं नकारात्मक भी रहे। कुछ देशों ने इसे लाभ के अवसर के रूप में देखा, अतः वे अपने आर्थिक विकास के अवसरों को भुनाने लगे। जबकि कुछ देशों के लिए विघटन, युद्ध व अशांति का पर्याय बना। .

नई!!: भूगोल और भूराजनीति · और देखें »

भूगोल की रूपरेखा

ज्ञान के फलक का तात्पर्य एक ऐसे त्रिविमीय विन्यास है जिसे पूर्णरूपेण समझने के लिए हमें तीन दृष्टि बिन्दुओं से निरीक्षण करना चाहिए। इनमें से किसी भी एक बिन्दु वाला निरीक्षण एक पक्षीय ही होगा और वह संपूर्ण को प्रदर्शित नहीं करेगा। एक बिन्दु से हम सदृश वस्तुओं के संबंध देखते हैं। दूसरे से काल के संदर्भ में उसके विकास का और तीसरे से क्षेत्रीय संदर्भ में उनके क्रम और वर्गीकरण का निरीक्षण करते हैं। इस प्रकार प्रथम वर्ग के अंतर्गत वर्गीकृत विज्ञान (classified science), द्वितीय वर्ग में ऐतिहासिक विज्ञान (historial sciences), और तृतीय वर्ग में क्षेत्रीय या स्थान-संबंधी विज्ञान (spatial sciences) आते हैं। वर्गीकृत विज्ञान पदार्थो या तत्वों की व्याख्या करते हैं अतः इन्हें पदार्थ विज्ञान (material sciences) भी कहा जाता है। ऐतिहासिक विज्ञान काल (time) के संदर्भ में तत्वों या घटनाओं के विकासक्रम का अध्ययन करते हैं। क्षेत्रीय विज्ञान तत्वों या घटनाओं का विश्लेषण स्थान या क्षेत्र के संदर्भ में करते हैं। पदार्थ विज्ञानों के अध्ययन का केन्द्र बिन्दु ‘क्यों ’, ‘क्या’ और ‘कैसे’ है। ऐतिहासिक विज्ञानों का केन्द्र बिन्दु ‘कब’ है तथा क्षेत्रीय विज्ञानों का केन्द्र बिन्दु ‘कहां ’ है। स्थानिक विज्ञानों (Spatial sciences) को दो प्रधान वर्गों में विभक्त किया जाता है-.

नई!!: भूगोल और भूगोल की रूपरेखा · और देखें »

मध्यदेश

मध्यदेश (नेपाली भाषा: मधेश) उत्तर में हिमालय और दक्षिणमे विन्ध्य पर्वत तक पुर्वमे प्रयाग,पस्चिममे सरस्वती नदीतक फैला सम भुभागोको कहाँ जाता है। इस नाम का प्रयोग पुरातनकाल में भारत और नेपाल के एक भौगोलिक क्षेत्र के लिए किया गया था और आजके आधूनिक युगमे नेपालके तराई-दुआर सवाना और घासभूमिके लिये किया जाता हे। इसका क्षेत्र संपूर्ण आर्यावर्त के क्षेत्र का एक भाग है। श्रेणी:नेपाल का भूगोल.

नई!!: भूगोल और मध्यदेश · और देखें »

मरुस्थल

अटाकामा मरुस्थल मरुस्थल या रेगिस्तान ऐसे भौगोलिक क्षेत्रों को कहा जाता है जहां जलपात (वर्षा तथा हिमपात का योग) अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा काफी कम होती है। प्रायः (गलती से) रेतीले रेगिस्तानी मैदानों को मरुस्थल कहा जाता है जोकि गलत है। यह बात और है कि भारत में सबसे कम वर्षा वाला क्षेत्र (थार) एक रेतीला मैदान है। मरूस्थल (कम वर्षा वाला क्षेत्र) का रेतीला होना आवश्यक नहीं। मरुस्थल का गर्म होना भी आवश्यक नहीं है। अंटार्कटिक, जोकि बर्फ से ढका प्रदेश है, विश्व का सबसे बड़ा मरुस्थल है ! विश्व के अन्य देशों में कई ऐसे मरुस्थल हैं जो रेतीले नहीं है। .

नई!!: भूगोल और मरुस्थल · और देखें »

मरूद्यान

ईनकेल्ट, यहूदिया मरूस्थल, इस्राइल में एक नखलिस्तान भौगोलिक संदर्भों में मरूद्यान, शाद्वल, मरूद्वीप अथवा नख़लिस्तान, किसी मरूस्थल में किसी झरने, चश्मा या जल-स्रोत के आसपास स्थित एक ऐसा क्षेत्र होता है जहां किसी वनस्पति के उगने के लिए पर्याप्त अनुकूल परिस्थितियां उपलब्ध होती हैं। यदि यह क्षेत्र पर्याप्त रूप से बड़ा हो, तो यह पशुओं और मनुष्यों को भी प्राकृतिक आवास उपलब्ध कराता है। मरूस्थलीय इलाकों में मरूद्यानों का हमेशा से व्यापार तथा परिवहन मार्गों के लिए विशेष महत्व का रहा है। पानी एवं खाद्य सामग्री की आपूर्ति के लिए काफिलों का मरूद्यानों से होकर गुज़रना आवश्यक है इसीलिए अधिकतर मामलों में किसी मरूद्यान पर राजनीतिक अथवा सैन्य नियंत्रण का तात्पर्य उस मार्ग पर होने वाले व्यापार पर नियंत्रण से भी है। उदहारण के तौर पर आधुनिक लीबिया में स्थित औजिला, घडामेस एवं कुफ्रा के मरूद्यान कई अवसरों पर सहारा के उत्तर-दक्षिणी एवं पूर्व-पश्चिमी व्यापार के लिए महत्वपूर्ण रहे हैं। इका, पेरू में हुआकाचीना नखलिस्तान मरूद्यान किसी जलस्रोत जैसे कि भूमिगत नदी अथवा आर्टीसियन कूप आदि से निर्मित होते हैं, जहां जल दबाव द्वारा प्राकृतिक रूप से अथवा मानव निर्मित कुओं द्वारा सतह तक पहुंच सकता है। समय समय पर होने वाली वृष्टि भी किसी मरूद्यान के भूमिगत स्रोत को प्राकृतिक को जल उपलब्ध कराती है, जैसे कि टुयात.

नई!!: भूगोल और मरूद्यान · और देखें »

महाद्वीप

महाद्वीपों को समाहित या विभाजित किया जा सकता है, उदाहरणतः यूरेशिया को प्रायः यूरोप तथा एशिया में विभाजित किया जाता है लाल रंग में। बक्मिन्स्टर फुलर द्वारा डायमैक्सियम नक्शा जो दर्शित करता है भूमिखण्ड कम से कम विरूपण समेत, एक एक लगातार महाद्वीप में बंटे हुए विश्व के महाद्वीप महाद्वीप (en:Continent) एक विस्तृत ज़मीन का फैलाव है जो पृथ्वी पर समुद्र से अलग दिखाई देतै हैं। महाद्वीप को व्यक्त करने के कोई स्पष्ट मापदण्ड नहीं है। अलग-अलग सभ्यताओं और वैज्ञानिकों नें महाद्वीप की अलग परिभाषा दी है। पर आम राय ये है कि एक महाद्वीप धरती बहुत बड़ा का विस्तृत क्षेत्र होता है जिसकी सीमाएं स्पष्ट पहचानी जा सके.

नई!!: भूगोल और महाद्वीप · और देखें »

माधोपुर

माधोपुर, भारत के राज्य पंजाब के गुरदासपुर जिले की पठानकोट तहसील में स्थित एक छोटा पर अत्यंत सुन्दर क़स्बा है। यह पंजाब के अंतिम छोर पर स्थित है और यहां से रावी नदी को पार करके जम्मू एवं कश्मीर राज्य प्रारंभ हो जाता है। व्यापारिक, सामरिक और भौगोलिक रूप से इसका महत्व और भी ज्यादा हो जाता है, क्योंकि भारत को जम्मू और कश्मीर से जोड़ने वाला एकमात्र राष्ट्रीय राजमार्ग और भारतीय रेल यहीं से होकर गुज़रती है। इस कारण इसे पंजाब के प्रवेशद्वार के रूप से जाना जाता है। यह क्षेत्र पर्यटन की दृष्टि से एक अच्छा स्थान है। हिमालय की शिवालिक पहाड़ियो और रावी के किनारे किनारे बनी सड़क का नजारा अत्यंत ही मनमोहक है। Historical Church of British-era .

नई!!: भूगोल और माधोपुर · और देखें »

माधोपुर, पंजाब

माधोपुर पंजाब के अंतिम छोर पर स्तिथ एक छोटा पर अत्यंत सुन्दर क़स्बा है और वहां से रावी नदी को पार करके जम्मू एवं कश्मीर राज्य प्रारंभ हो जाता है। व्यापारिक, सामरिक और भूगोलिक रूप से इसका महत्व और भी ज्यादा हो जाता है, क्योंकि भारत को जम्मू और कश्मीर से जोड़ने वाला एकमात्र रास्ट्रीय राजमार्ग और भारतीय रेल यहीं से होकर गुज़रती है। जिसके कारण इसे पंजाब के प्रवेशद्वार के रूप से जाना जाता है। यह क्षेत्र पर्यटन की दृष्टि से एक अच्छा स्थान है। हिमालय की शिवालिक पहाडि़यो और रवि के किनारे बनी सड़क का नजारा यहाँ से अत्यंत ही मनमोहक है। .

नई!!: भूगोल और माधोपुर, पंजाब · और देखें »

मानव पारिस्थितिकी

मानव पारिस्थितिकी (अंग्रेज़ी: Human Ecology) एक अंतर्विषयक विज्ञान है जो मनुष्य, मानव समाज और मानव निर्मित पर्यावरण के प्राकृतिक पर्यावरण के साथ अन्योन्याश्रय संबंधों का अध्ययन करता है। विज्ञान की इस शाखा का विकास बीसवीं सदी के आरम्भ में एक साथ कई शास्त्रों के चिंतनफ़लक में हुए परिवर्तन का परिणाम है। यह विज्ञान अपनी अध्ययन सामग्री और विधियों तथा सिद्धांतों के लिये जीव विज्ञान, पारिस्थितिकी, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र और भूगोल आदि पर आश्रित है। "मानव पारिस्थितिकी" शब्द का पहली बार प्रयोग एलेन स्वैलो रिचर्ड्स (Ellen Swallow Richards) द्वारा उनके लेख "Sanitation in Daily Life", में हुआ जिसमें उन्होंने इसे "मनुष्य के आसपास के पर्यावरण के मानव जीवन पर प्रभावों के अध्ययन" के रूप में परिभाषित किया।" प्रसिद्द भूगोलवेत्ता हार्लेन एच॰ बैरोज ने एसोशियेशन ऑफ अमेरिकन ज्याग्रफर्स के 1922 ई॰ के वार्षिक अधिवेशन में मानव भूगोल को मानव पारिस्थितिकी के रूप में विकसित करने का पुरजोर समर्थन किया। वर्तमान परिप्रेक्ष्यों में पर्यावरण (जो एक पारितंत्र है) में परिवर्तन और मानव पर उसके प्रभाव, मानव स्वास्थ्य, सामाजिक सरोकारों का पारिस्थितिकीय अध्ययन, आर्थिक क्रियाओं की संधारणीयता, प्रकृति प्रदत्त पारितंत्रीय सेवाओं का मूल्यांकन और पारिस्थितिकीय अर्थशास्त्र का विकास मानव पारिस्थितिकी के मूल अध्ययन-विषय हैं। .

नई!!: भूगोल और मानव पारिस्थितिकी · और देखें »

मानव प्रजातियां

प्रजाति (race) का तात्पर्य वर्तमान मेधावी मानव की जीव वैज्ञानिक विशेषताओं के आधार पर उसके उस वर्गीकरण से हैं, जिसका प्रत्येक वर्ग वंशानुक्रम के द्वारा शारीरिक लक्षणों में पर्याप्त समानता रखता हैं। किसी प्रजातिय वर्ग जे सभी लोगों के बीच नस्ल या जन्मजात सम्बन्ध पाए जाते हैं और उनके द्वारा पीड़ी-दर-पीड़ी उनका वहन किया जाता हैं। प्रसिद्ध भूगोलवेत्ता क्रोबर के अनुसार "प्रजाति एक प्रमाणिक प्राणिशास्त्रीय अवधारणा हैं। यह एक समूह है जो वंशानुक्रमण, वश या प्रजातीय गुण अथवा उप-समुह के द्वारा जुडा होता हैं। यह सामाजिक -सांस्क्रतिक अवधारणा नही हैं।" .

नई!!: भूगोल और मानव प्रजातियां · और देखें »

मानव भूगोल

देशों के अनुसार जनसंख्या का घनत्व, 2006 मानव भूगोल, भूगोल की प्रमुख शाखा हैं जिसके अन्तर्गत मानव की उत्पत्ति से लेकर वर्तमान समय तक उसके पर्यावरण के साथ सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता हैं। मानव भूगोल की एक अत्यन्त लोकप्रिय और बहु अनुमोदित परिभाषा है, मानव एवं उसका प्राकृतिक पर्यावरण के साथ समायोजन का अध्ययन। मानव भूगोल में पृथ्वी तल पर मानवीय तथ्यों के स्थानिक वितरणों का अर्थात् विभिन्न प्रदेशों के मानव-वर्गों द्वारा किये गये वातावरण समायोजनों और स्थानिक संगठनों का अध्ययन किया जाता है। मानव भूगोल में मानव-वर्गो और उनके वातावरणों की शक्तियों, प्रभावों तथा प्रतिक्रियाओं के पारस्परिक कार्यात्मक सम्वन्धों का अध्ययन, प्रादेशिक आधार पर किया जाता है। मानव भूगोल का महत्व दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। यूरोपीय देशों, पूर्ववर्ती सोवियत संघ, संयुक्त राज्य अमेरिका तथा भारत के विश्वविद्यालयों में इसके अध्ययन में अधिकाधिक रूचि ली जा रही है। पिछले लगभग ४० वर्षों में मानव भूगोल के अध्ययन क्षेत्र का वैज्ञानिक विकास हुआ है और संसार के विभिन्न देशों में वहाँ की जनसंख्या की आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक उन्नति के लिये संसाधन-योजना में इसके ज्ञान का प्रयोग किया जा रहा है। .

नई!!: भूगोल और मानव भूगोल · और देखें »

मानवतावाद

मानवतावाद मानव मूल्यों और चिंताओं पर ध्यान केंद्रित करने वाला अध्ययन, दर्शन या अभ्यास का एक दृष्टिकोण है। इस शब्द के कई मायने हो सकते हैं, उदाहरण के लिए.

नई!!: भूगोल और मानवतावाद · और देखें »

माल्कम २

ब्रिटेन का शासक।.

नई!!: भूगोल और माल्कम २ · और देखें »

मुहम्मद इब्न मूसा अल-ख़्वारिज़्मी

अबू अब्दल्लाह मुहम्मद इब्न मूसा अल-ख़्वारिज़्मी (अरबी:, अंग्रेज़ी: Muḥammad ibn Mūsā al-Khwārizmī; जन्म: लगभग ७८० ई; देहांत: लगभग ८५० ई), जिन्हें पश्चिमी देशों में ग़लती से अल्गोरित्मी (Algoritmi) और अलगौरिज़िन​ (Algaurizin) भी कहा जाता था, एक ईरानी-मूल के गणितज्ञ, खगोलशास्त्री और भूगोलवेत्ता थे।, Cristopher Moore, Stephan Mertens, pp.

नई!!: भूगोल और मुहम्मद इब्न मूसा अल-ख़्वारिज़्मी · और देखें »

मुक्त स्रोत सॉफ्टवेयर पैकेजों की सूची

कोई विवरण नहीं।

नई!!: भूगोल और मुक्त स्रोत सॉफ्टवेयर पैकेजों की सूची · और देखें »

मैदान (भूगोल)

भौगोलिक दृष्टि से मैदान उस भूमि क्षेत्र को कहतें हैं जो समतल हो (या जिसमे बहुत थोड़ा उतार-चढ़ाव हो) और जिसकी समुद्र तट से ऊंचाई ५०० फुट से कम हो। .

नई!!: भूगोल और मैदान (भूगोल) · और देखें »

यूरोपीय संघ

यूरोपियन संघ (यूरोपियन यूनियन) मुख्यत: यूरोप में स्थित 28 देशों का एक राजनैतिक एवं आर्थिक मंच है जिनमें आपस में प्रशासकीय साझेदारी होती है जो संघ के कई या सभी राष्ट्रो पर लागू होती है। इसका अभ्युदय 1957 में रोम की संधि द्वारा यूरोपिय आर्थिक परिषद के माध्यम से छह यूरोपिय देशों की आर्थिक भागीदारी से हुआ था। तब से इसमें सदस्य देशों की संख्या में लगातार बढोत्तरी होती रही और इसकी नीतियों में बहुत से परिवर्तन भी शामिल किये गये। 1993 में मास्त्रिख संधि द्वारा इसके आधुनिक वैधानिक स्वरूप की नींव रखी गयी। दिसम्बर 2007 में लिस्बन समझौता जिसके द्वारा इसमें और व्यापक सुधारों की प्रक्रिया 1 जनवरी 2008 से शुरु की गयी है। यूरोपिय संघ सदस्य राष्ट्रों को एकल बाजार के रूप में मान्यता देता है एवं इसके कानून सभी सदस्य राष्ट्रों पर लागू होता है जो सदस्य राष्ट्र के नागरिकों की चार तरह की स्वतंत्रताएँ सुनिश्चित करता है:- लोगों, सामान, सेवाएँ एवं पूँजी का स्वतंत्र आदान-प्रदान.

नई!!: भूगोल और यूरोपीय संघ · और देखें »

रबीन्द्रनाथ ठाकुर

रवीन्द्रनाथ ठाकुर (बंगाली: রবীন্দ্রনাথ ঠাকুর रोबिन्द्रोनाथ ठाकुर) (७ मई, १८६१ – ७ अगस्त, १९४१) को गुरुदेव के नाम से भी जाना जाता है। वे विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार, दार्शनिक और भारतीय साहित्य के एकमात्र नोबल पुरस्कार विजेता हैं। बांग्ला साहित्य के माध्यम से भारतीय सांस्कृतिक चेतना में नयी जान फूँकने वाले युगदृष्टा थे। वे एशिया के प्रथम नोबेल पुरस्कार सम्मानित व्यक्ति हैं। वे एकमात्र कवि हैं जिसकी दो रचनाएँ दो देशों का राष्ट्रगान बनीं - भारत का राष्ट्र-गान जन गण मन और बाँग्लादेश का राष्ट्रीय गान आमार सोनार बाँग्ला गुरुदेव की ही रचनाएँ हैं। .

नई!!: भूगोल और रबीन्द्रनाथ ठाकुर · और देखें »

राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (भारत)

राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, भारतीय सशस्त्र सेना की एक संयुक्त सेवा अकादमी है, जहां तीनों सेवाओं, थलसेना, नौसेना और वायु सेना के कैडेटों को उनके संबंधित सेवा अकादमी के पूर्व-कमीशन प्रशिक्षण में जाने से पहले, एक साथ प्रशिक्षित किया जाता है। यह महाराष्ट्र, पुणे के करीब खडकवासला में स्थित है। जबसे अकादमी की स्थापना हुई है तब से एनडीए के पूर्व छात्रों ने सभी बड़े संघर्ष का नेतृत्व किया है जिसमें भारतीय थलसेना को कार्यवाही के लिए आमंत्रित किया जाता रहा है। पूर्व छात्रों में तीन परमवीर चक्र प्राप्तकर्ता और 9 अशोक चक्र प्राप्तकर्ता शामिल हैं। .

नई!!: भूगोल और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (भारत) · और देखें »

राष्ट्रीय शक्ति

अन्तरराष्ट्रीय राजनीति के सन्दर्भ में किसी राष्ट्र के पास उपलब्ध सभी संसाधनों का योग राष्ट्रीय शक्ति (National power) कहलाता है, जो उसे राष्ट्रीय उद्देश्यों की पूर्ति के लिये आवश्यक होते हैं। .

नई!!: भूगोल और राष्ट्रीय शक्ति · और देखें »

राजनीति विज्ञान

राजनीति विज्ञान एक सामाजिक विज्ञान है जो सरकार और राजनीति के अध्ययन से सम्बन्धित है। राजनीति विज्ञान अध्ययन का एक विस्तृत विषय या क्षेत्र है। राजनीति विज्ञान में ये तमाम बातें शामिल हैं: राजनीतिक चिंतन, राजनीतिक सिद्धान्त, राजनीतिक दर्शन, राजनीतिक विचारधारा, संस्थागत या संरचनागत ढांचा, तुलनात्मक राजनीति, लोक प्रशासन, अंतर्राष्ट्रीय कानून और संगठन आदि। .

नई!!: भूगोल और राजनीति विज्ञान · और देखें »

राजस्थान विश्वविद्यालय

राजस्थान विश्वविद्यालय, राजस्थान का सबसे पुराना विश्वविद्यालय है। यह मानविकी, समाज विज्ञान, विज्ञान, वाणिज्य, एवं विधि अध्ययन आदि विषयों में उच्च स्तर की शिक्षा और शोध कार्य में संलग्न भारत के अग्रणी शिक्षण संस्थानों में से है। .

नई!!: भूगोल और राजस्थान विश्वविद्यालय · और देखें »

रिचार्ड जे० चोर्ले

रिचार्ड जे० चोर्ले रिचार्ड जे० चोर्ले, ब्रिटेन के प्रसिद्ध भूगोलवेत्ता थे। .

नई!!: भूगोल और रिचार्ड जे० चोर्ले · और देखें »

रवीन्द्र प्रभात

रवीन्द्र प्रभात (जन्म: ५ अप्रैल १९६९) भारत के हिन्दी कवि, कथाकार, उपन्यासकार, व्यंग्यकार, स्तंभकार, सम्पादक और ब्लॉग विश्लेषक हैं। उन्होंने लगभग सभी साहित्यिक विधाओं में लेखन किया है परंतु व्यंग्य और गज़ल में उनकी प्रमुख उपलब्धियाँ हैं। १९९१ में प्रकाशित अपने पहले गज़ल संग्रह "हमसफर" से पहली बार वे चर्चा में आये। लखनऊ से प्रकाशित हिन्दी दैनिक 'जनसंदेश टाईम्स' और 'डेली न्यूज एक्टिविस्ट' के वे नियमित स्तंभकार रह चुके हैं। .

नई!!: भूगोल और रवीन्द्र प्रभात · और देखें »

रॉबर्ट श्लागिंटवाईट

रॉबर्ट श्लागिंटवाईट​ (Robert Schlagintweit, जन्म: २४ अक्टूबर १८३३, देहांत: ६ जून १८८५) एक जर्मन खोजयात्री था जिसने १९वीं सदी में ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी के लिए मध्य एशिया में कई यात्राएँ करीं और अपने संयुक्त राज्य अमेरिका के दौरों के बारे में भी लिखा। .

नई!!: भूगोल और रॉबर्ट श्लागिंटवाईट · और देखें »

रोजर बेकन

रोजर बेकन इंग्लैंड के प्रसिद्ध वैज्ञानिक और दार्शनिक थे। इन्होंने काँच की सहायता से सूक्ष्मदर्शी यंत्र बनाने की कोशिश की थी। इन्होंने तर्कवाद के आधार पर सत्य और धर्म की विवेचना करने पर जोर दिया। रॉजर बेकन के भूगोल, खगोल, गणित, विज्ञान आदि के क्षेत्र में यगदान को सराहनीय माना जाता है। .

नई!!: भूगोल और रोजर बेकन · और देखें »

लिंगानुपात

लिंगानुपात या लिंग का अनुपात से तात्पर्य किसी क्षेत्र विशेष में पुरुष एवं स्त्री की संख्या के अनुपात को कहते हैं। प्राय: किसी भौगोलिक क्षेत्र में प्रति हजार पुरुषों के मुकाबले स्त्रियों की संख्या को इसका मानक माना जाता है। श्रेणी:मानव विज्ञान श्रेणी:तकनीकी शब्दावली.

नई!!: भूगोल और लिंगानुपात · और देखें »

लोकोक्ति

बहुत अधिक प्रचलित और लोगों के मुँहचढ़े वाक्य लोकोक्ति के तौर पर जाने जाते हैं। इन वाक्यों में जनता के अनुभव का निचोड़ या सार होता है। इनकी उत्पत्ति एवं रचनाकार ज्ञात नहीं होते। लोकोक्तियाँ आम जनमानस द्वारा स्थानीय बोलियों में हर दिन की परिस्थितियों एवं संदर्भों से उपजे वैसे पद एवं वाक्य होते हैं जो किसी खास समूह, उम्र वर्ग या क्षेत्रीय दायरे में प्रयोग किया जाता है। इसमें स्थान विशेष के भूगोल, संस्कृति, भाषाओं का मिश्रण इत्यादि की झलक मिलती है। लोकोक्ति वाक्यांश न होकर स्वतंत्र वाक्य होते हैं। .

नई!!: भूगोल और लोकोक्ति · और देखें »

शिक्षण विधियाँ

जिस ढंग से शिक्षक शिक्षार्थी को ज्ञान प्रदान करता है उसे शिक्षण विधि कहते हैं। "शिक्षण विधि" पद का प्रयोग बड़े व्यापक अर्थ में होता है। एक ओर तो इसके अंतर्गत अनेक प्रणालियाँ एवं योजनाएँ सम्मिलित की जाती हैं, दूसरी ओर शिक्षण की बहुत सी प्रक्रियाएँ भी सम्मिलित कर ली जाती हैं। कभी-कभी लोग युक्तियों को भी विधि मान लेते हैं; परंतु ऐसा करना भूल है। युक्तियाँ किसी विधि का अंग हो सकती हैं, संपूर्ण विधि नहीं। एक ही युक्ति अनेक विधियों में प्रयुक्त हो सकती है। .

नई!!: भूगोल और शिक्षण विधियाँ · और देखें »

श्री शङ्कराचार्य संस्कृत सर्वकलाशाला

श्री शंकराचार्य संस्कृत सर्वकलाशाला का प्रतीकचिह्न श्री शंकराचार्य संस्कृत सर्वकलाशाला (या, श्री शंकराचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय) केरल में कोच्चि के निकट कालटि में स्थापित एक सार्वजनिक विश्वविद्यालय है। इसकी स्थापना १९९३ में हुई थी। इसका नाम आदि शंकराचार्य के नाम पर किया गया है। यह पूर्णा नदी के तट पर स्थित है। विश्वविद्यालय का आदर्शवाक्य है: ज्ञानादेव तु कैवल्यम् (ज्ञान से की कैवल्य प्राप्त होता है।) यह विश्वविद्यालय संस्कृत तथा अन्य भाषाओं की पाण्डुलिपियों के प्रकाशन एवं संरक्षण के लिये कार्य करती है। इसके नौ क्षेत्रीय केन्द्र हैं- कालटि (मुख्य केन्द्र), तिरुवनन्तपुरम, त्रिश्शूर, पन्मन, तुरवूर, एर्रुमानूर, तिरूर, कोइलाण्टि और पय्यन्नूर। .

नई!!: भूगोल और श्री शङ्कराचार्य संस्कृत सर्वकलाशाला · और देखें »

सामाजिक विज्ञान

सामाजिक विज्ञान (Social science) मानव समाज का अध्ययन करने वाली शैक्षिक विधा है। प्राकृतिक विज्ञानों के अतिरिक्त अन्य विषयों का एक सामूहिक नाम है 'सामाजिक विज्ञान'। इसमें नृविज्ञान, पुरातत्व, अर्थशास्त्र, भूगोल, इतिहास, विधि, भाषाविज्ञान, राजनीति शास्त्र, समाजशास्त्र, अंतरराष्ट्रीय अध्ययन और संचार आदि विषय सम्मिलित हैं। कभी-कभी मनोविज्ञान को भी इसमें शामिल कर लिया जाता है। .

नई!!: भूगोल और सामाजिक विज्ञान · और देखें »

सामाजिक अध्ययन

सामाजिक अध्ययन सामाजिक विज्ञान, मानविकी और इतिहास का समाकलित अध्ययन हैं। शालेय कार्यक्रम में, सामाजिक अध्ययन, एक समन्वित व्यवस्थित अध्ययन प्रदान करता है, जो मानवशास्त्र, पुरातत्वशास्त्र, अर्थशास्त्र, भूगोल, इतिहास, विधिशास्त्र, दर्शन, राजनीति विज्ञान, मनोविज्ञान, धर्म, और समाजशास्त्र जैसे अनुशासनों से, और साथ ही, मानविकी, गणित, और प्राकृतिक विज्ञान की उचित सामग्री से, लिया जाता हैं। .

नई!!: भूगोल और सामाजिक अध्ययन · और देखें »

सायन पर्वत शृंखला

सायन की पूर्वी और पश्चिमी शाखाओं का नक़्शा, जिसमें अल्ताई पर्वत भी देखे जा सकते हैं लटकती चट्टान, पश्चिमी सायन के ऍरगाकी इलाक़े सायन पर्वत शृंखला (रूसी: Саяны, सायनी; मंगोल: Саяаны нуруу, सायनी नुउरी) रूस के साइबेरिया क्षेत्र के दक्षिणी भाग में स्थित एक पर्वत शृंखला है। भौगोलिक दृष्टि से इसके दो खंड हैं - पूर्वी और पश्चिमी। पूर्वी सायन के पहाड़ येनिसेय नदी (जो रेखांश ९२°पूर्व पर स्थित है) से शुरू होकर पूर्व की ओर १,००० किमी फैला हुआ है ओर बायकल झील पर जा के रुकते हैं (जो 106°पूर्व पर है)। पश्चिमी सायन अल्ताई पर्वत श्रंखला के पूर्वी छोर (89°पूर्व) से शुरू होकर पूर्वोत्तर की तरफ़ जाते हैं और करीब ६०० किमी बाद पूर्वी सायन श्रंखला से बीच में (९६°पूर्व पर) जा मिलते हैं। तूवा के इलाक़े से ज़रा दक्षिण-पश्चिम में सायन के ऊंचे पहाड़ और ठंडी झीलों के इर्द-गिर्द के जलसंभर के झरने सारे येनिसेय नदी में मिल जाते हैं। यह नदी उत्तर की ओर ३,२०० किमी (२,००० मील) का सफ़र तय कर के उत्तरध्रुवीय महासागर में जा मिलती है। १९४४ के बाद, कई दशकों तक सोवियत संघ ने इस इलाक़े को बाहरी दुनिया से बंद किया हुआ था, जिस वजह से आज भी यहाँ का वातावरण साफ़ और सुरक्षित है। .

नई!!: भूगोल और सायन पर्वत शृंखला · और देखें »

सांख्यिकी

एक ग्राफ जिसमें सामान्य वितरण (Normal distribution) प्रदर्शित है। सांख्यिकी, गणित की वह शाखा है जिसमें आँकड़ों का संग्रहण, प्रदर्शन, वर्गीकरण और उसके गुणों का आकलन का अध्ययन किया जाता है। सांख्यिकी एक गणितीय विज्ञान है जिसमें किसी वस्तु/अवयव/तंत्र/समुदाय से सम्बन्धित आकड़ों का संग्रह, विश्लेषण, व्याख्या या स्पष्टीकरण और प्रस्तुति की जाती है। यह विभिन्न क्षेत्रों में लागू है - अकादमिक अनुशासन (academic disciplines), इस से प्राकृतिक विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, मानविकी, सरकार और व्यापार आदि। सांख्यिकीय तरीकों को डेटा के संग्रह के संग्रहण अथवा वर्णन के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इसे वर्णनात्मक सांख्यिकी (descriptive statistics) कहा जाता है। इसके अतिरिक्त, डेटा में पैटर्न को इस तरह से मॉडल किया जा सकता है कि वह निष्कर्षों की यादृच्छिकता और अनिश्चितता का कारण बने और फिर इस प्रक्रिया को उस विधि, या जिस जनसंख्या का अध्ययन किया जा रहा हो, उसके बारे में अनुमान लगाने के लिए किया जाता है। इसे अनुमानित सांख्यिकी (inferential statistics) कहा जाता है। वर्णनात्मक तथा अनुमानित सांख्यिकी, दोनों में व्यावहारिक सांख्यिकी सम्मिलित है। एक और विद्या है - गणितीय सांख्यिकी (mathematical statistics), जो विषय के सैद्धान्तिक आधार से सम्बन्ध रखती है। आप किरण किसी श्रेणी में पदों के बेकरार को प्रदर्शित करता है जबकि विषमता का संबंध उसकी आकृति की विशिष्टताओं से होता है अन्य शब्दों में अवकरण हमें श्रेणी की संरचना के बारे में बताता है जबकि विषमता हमें वक्र की आकृति के बारे में बताता है अपकिरण हमें श्रेणी के पदों के मानक रूप में स्वीकृत अन्य किसी पद के व्यक्तिगत अंतरों की ओर संकेत करता है विषमता विचलनों की दशा की ओर संकेत करता है अब करण द्वितीय श्रेणी के माध्यम पर आधारित है .

नई!!: भूगोल और सांख्यिकी · और देखें »

सिविल इंजीनियरी

द पेट्रोनस ट्विन टावर्स, जिसे वास्तुकार सीज़र पेली और थोरनटन-टोमेसिटी और रेन हिल बरसेकुटू एस.डी. एन. बी. एच. डी. इंजीनियरों ने बनाया था। ये इमारत 1998-2004 तक दुनिया की सबसे ऊँची इमारत थी। सिविल इंजीनियरी, व्यावसायिक इंजीनियरिंग की एक शाखा है जो कि भौतिक और प्राकृतिक रूप से बने परिवेश में पुल, सड़क,नहरें, बाँध और भवनों आदि के डिजाइन, निर्माण और रखरखाव से जुड़ी है।सिविल इंजीनियरिंग, सैन्य अभियान्त्रिकी के बाद आने वाली इंजीनियरिंग की सबसे पुरानी शाखा है। इसे सैन्य इंजीनियरिंग से अलग करने के लिए 'असैनिक इंजीनियरिंग' (सिविल इंजीनियरी) के रूप में परिभाषित किया गया। परंपरागत रूप से इसे कई उप-शाखाओं में बांटा गया है, जिनमें -पर्यावरण इंजीनियरिंग, भू-तकनीक इंजीनियरिंग, संरचनात्मक इंजीनियरिंग, परिवहन इंजीनियरिंग, नगरपालिका या शहरी इंजीनियरिंग, जल संसाधन इंजीनियरिंग, पदार्थ इंजीनियरिंग, तटीय इंजीनियरिंग, सर्वेक्षण और निर्माण इंजीनियरिंग. सिविल इंजीनियरिंग हर स्तर पर होती है: सार्वजनिक क्षेत्र में नगरपालिका के क्षेत्र से संघीय स्तरों तक और निजी क्षेत्र में व्यक्तिगत घरों के मालिकों से अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों तक.

नई!!: भूगोल और सिविल इंजीनियरी · और देखें »

संयुक्त राज्य भूगर्भ सर्वेक्षण

संयुक्त राज्य भूगर्भ सर्वेक्षण (अंग्रेज़ी: United States Geological Survey या USGS) अमेरिकी सरकार की वैज्ञानिक संस्था है। यूएसजीएस के वैज्ञानिक अमेरिकी धरती, प्राकृतिक संसाधन और प्राकृतिक आपदाओं इत्यादि के बारे में शोधकार्य करते हैं। इस संस्था की चार प्रमुख विज्ञान शाखाएं है जो हैं: भूगोल, जीव विज्ञान, भूगर्भविद्या और जलविज्ञान। यूएसजीएस एक अनुसंधान संस्था है और इसपर कोई विनियामक दायित्व नहीं है। यह संयुक्त राज्य का एकमात्र आंतरिक वैज्ञानिक विभाग है। यूएसजीएस में लगभग १०,००० लोग कार्यरत हैं और इसका मुख्यालय रेस्टन (वर्जीनिया) में स्थित है और अन्य प्रमुख कार्यालय डेनवर (कोलोरैडो) और मेन्लो पार्क (कैलीफोर्निया) में भी स्थित हैं। यूएसजीएस का भूकम्प सूचना केन्द्र गोल्डन (कोलोरैडो) में स्थित है और यह विभाग विश्वभर में भूकम्पों की स्थिति और तीव्रता का पता लगाने का काम करता है। .

नई!!: भूगोल और संयुक्त राज्य भूगर्भ सर्वेक्षण · और देखें »

संगम

संगम के अन्य अर्थों के लिये यहां जाएं - संगम (बहुविकल्पी) संगम का अर्थ है मिलन, सम्मिलन। भूगोल में संगम उस जगह को कहते हैं जहाँ पानी की दो या दो से अधिक धाराएँ मिल रही होती हैं। जैसे इलाहाबाद में गंगा, यमुना (और, लोककथाओं के अनुसार, सरस्वती) के मिलन स्थल को त्रिवेणी संगम कहते हैं। .

नई!!: भूगोल और संगम · और देखें »

सुलु प्रान्त

सुलु (Sulu) दक्षिणपूर्वी एशिया के फ़िलिपीन्ज़ देश का एक प्रान्त है। भौगोलिक रूप से इसमें सुलु द्वीपसमूह के कई द्वीप शामिल हैं और इसकी राजधानी जोलो द्वीप है। यह प्रान्त मुस्लिम मिन्दनाओ में स्वशासित क्षेत्र नामक प्रशासनिक क्षेत्र में शामिल है। .

नई!!: भूगोल और सुलु प्रान्त · और देखें »

स्थलमण्डल

स्थलमंडल या स्थलमण्डल (अंग्रेज़ी: lithosphere) भूगोल और भूविज्ञान में किसी पथरीले ग्रह या प्राकृतिक उपग्रह की सबसे ऊपरी पथरीली या चट्टान निर्मित परत को कहते हैं। पृथ्वी पर इसमें भूपटल (क्रस्ट) और भूप्रावार (मैन्टल) की सबसे ऊपर की परत शामिल हैं जो कई टुकड़ों में विभक्त है और इन टुकड़ों को प्लेट कहा जाता है।, Brian J. Skinner, Stephen C. Porter & Jeffrey Park, pp.

नई!!: भूगोल और स्थलमण्डल · और देखें »

स्थलरूप

आस्ट्रेलिया मे स्थित आयर्स चट्टान या उल्लेर्रू का एक दृश्य अर्जेंटीना मे स्थित एक शंक्वाकार पहाड़ी स्थलरूप अथवा स्थलाकृति (अंग्रेज़ी: Landform) भूगोल और अन्य पृथ्वी विज्ञानों में प्रयुक्त शब्द है जिसका आशय एक भू-आकृतिक इकाई से है जिसे सामान्यतः उसकी धरातलीय बनावट अर्थात आकृति के द्वारा पहचाना जाता है। सामान्य भाषा में जमीन की ऊँचाई-निचाई द्वारा जो आकृतियाँ बनती हैं उन्हें स्थलरूप कहते हैं। .

नई!!: भूगोल और स्थलरूप · और देखें »

स्थलाकृति

स्थलाकृति (अंग्रेज़ी: Topography, टोपॉग्रफ़ी) ग्रहविज्ञान की एक शाखा है जिसमें पृथ्वी या किसी अन्य ग्रह, उपग्रह या क्षुद्रग्रह की सतह के आकार व आकृतियों का अध्ययन किया जाता है। नक़्शों के निर्माण में स्थलाकृति का विशेष महत्व है। .

नई!!: भूगोल और स्थलाकृति · और देखें »

स्नेहलता श्रीवास्तव

श्रीमति स्नेहलता श्रीवास्तव (जन्म 18 सितंबर 1957) लोकसभा की पहली महिला महासचिव हैं। वे 29 नवंबर, 2017 को लोकसभा की पहली महिला महासचिव नियुक्त हुईं। इस पद पर उनका कार्यकाल 1 दिसंबर, 2017 से 30 नवंबर, 2018 तक है। इसके पूर्व वे भारत के राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक की अध्यक्ष रह चुकी हैं। वे मध्य प्रदेश कैडर के 1982 बैच की भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी हैं और वित्तीय सेवा विभाग, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार में अपर सचिव के पद पर हैं। वे आईडीबीआई बैंक लिमिटेड, आईडीएफसी लिमिटेड और भारतीय साधारण बीमा निगम के निदेशक मंडल में एक निदेशक भी हैं। ०१ दिसंबर २०१७ को भारत के लोकसभा की प्रथम महिला महासचिव पद पर उनकी नियुक्ति हुयी है। .

नई!!: भूगोल और स्नेहलता श्रीवास्तव · और देखें »

स्वामी भारती कृष्ण तीर्थ

स्वामी भारती कृष्ण तीर्थ जी महाराज स्वामी भारती कृष्णतीर्थ जी महाराज (14 मार्च 1884 - 2 फ़रवरी 1960) जगन्नाथपुरी के शंकराचार्य थे। शास्त्रोक्त अष्टादश विद्याओं के ज्ञाता, अनेक भाषाओं के प्रकांड पंडित तथा दर्शन के अध्येता पुरी के शंकराचार्य स्वामी भारती कृष्णतीर्थ जी महाराज ने वैदिक गणित की खोज कर समस्त विश्व को आश्चर्यचकित कर दिया था। वे एक ऐसे अनूठे धर्माचार्य थे जिन्होंने शिक्षा के प्रसार से लेकर स्वदेशी, स्वाधीनता तथा सामाजिक क्रांति में अनूठा योगदान कर पूरे संसार में ख्याति अर्जित की थी। .

नई!!: भूगोल और स्वामी भारती कृष्ण तीर्थ · और देखें »

हरबर्ट जान फ़ल्यूर

डेविड थामस, ब्रिटेन के प्रसिद्ध भूगोलवेत्ता थे। श्रेणी:भूगोलवेत्ता श्रेणी:ब्रिटिश भूगोलवेत्ता.

नई!!: भूगोल और हरबर्ट जान फ़ल्यूर · और देखें »

हरकिमर हीरा

२X३.१ सें.मी. का हरकिमर हीरा हरकिमर हीरे दोहरे टर्माइटेड क्वार्ट्ज क्रिस्टलों को कहते हैं, जो देखने में एकदम असली हीरे जैसे लगते हैं। इनकी खोज सर्वप्रथम न्यू यॉर्क के हरकिमर काउण्टी स्थित लिटिल प्रपात एवं मोहॉक नदी घाटी से प्राप्त डोलोमाइट से हुई थी। १७०० के दशक के अंत में मोहॉक घाटी में इनकी बड़ी मात्रा प्राप्त हुई और तब ये बहुत प्रचलित हुए थे। भूगर्भशास्त्रियों ने हरकिमर काउंटी में इन्हें खुले में ही पाया और वहीं खोज व खनन आरंभ किया। यही से सबसे खास क्लीपर क्वार्ट्ज़ स्टोन भी सबसे पहले मिला था, वहीं से इनको अपना वर्तमान नाम भी मिला। ये खूबसूरत नगीने हूबहू हीरों की तरह लगते हैं, लेकिन असल में हैं ये क्वाट्र्ज ही। इसीलिए ‘ड्रीम स्टोन’ भी कहलाते हैं। कहीं-कहीं स्मोकी हरकिमर का प्रयोग इमारतों की बाहरी शोभा बढ़ाने के लिए भी किया जाता है। मात्र सजावट के लिए नहीं, बल्कि विद्युतचुम्बकत्व या भौगोलिक प्रदूषण की मार से बचाने के लिए भी ये प्रयोग किया जाता है।|हिन्दुस्तान लाइव। १२ जनवरी २०१०। अमिताभ सिंह फेंग्शुई में भी हरकिमर का बखान आता है। इसके अनुसार हरकिमर को आसपास रखने से ऊर्जा को आवश्यकता की जगहों पर लगाने की समझ आती है। अपने शयन-कक्ष, अध्ययन कक्ष या कार्यालय के उत्तर पूर्व दिशा में हरकिमर रखने से ज्ञान और समझ ग्रहण करने हेतु ऊर्जा ग्रहण करने की गति तेज होती जाती है। मिडविले, न्यू यॉर्क से प्राप्त हरकिमर डायमंड, सिलिकॉन डाईऑक्साइड लोगों की मान्यता अनुसार इसके द्वारा सोच-विचार, ऊर्जा और संतुष्टि की गहरी भावना बढ़ने और फिर समाने लगती है। हरकिमर बेहतरीन हीलिंग स्टोन के रूप में भी प्रसिद्ध हुआ है। यह दैनिक जीवन की समस्याओं, दबाव यानी स्ट्रेस और तनाव को नियंत्रण में रखते हुए इनसे जुड़े रोगों से प्रतिरक्षा करता है। शारीरिक हानि होने से पूर्व ही लक्षणों को भांप कर, हरकिमर पहनने या संग-अंग रखने वाला सचेत होने लगता है। किसी भी राशि वालों को इसे पहनने की मनाही नहीं है। यह वृश्चिक, कर्क और सिंह राशियों का जन्म-रत्न है। गोल्डन हरकिमर लिंग बदलने वालों के लिए जबरदस्त सहायक स्टोन है। .

नई!!: भूगोल और हरकिमर हीरा · और देखें »

हिप्पारकस

हिप्पारकस (Ἵππαρχος) हिप्पारकस (यूनानी: Ἵππαρχος, हिप्पारख़ोस, अंग्रेज़ी: Hipparchus, जन्म: अंदाज़न १९० ई॰पु॰, देहांत: अंदाज़न १२० ई॰पु॰) एक यूनानी ज्योतिषी, खगोलशास्त्री, भूगोलशास्त्री और गणितज्ञ थे। उन्हें पश्चिमी इतिहासकार त्रिकोणमिति (ट्रिगनोमॅट्री) का जन्मदाता मानते हैं। .

नई!!: भूगोल और हिप्पारकस · और देखें »

जनसंख्या भूगोल

जनसंख्या भूगोल मानव भूगोल की एक प्रमुख शाखा हैं। इसमें स्वंय मानव की जनसंख्या, लोगो का वितरण, आयु संरचना, घनत्व, व्रधि, लिंग अनुपात, स्थानान्तरण, व्यावसायिक संरचना तथा उनके आवासों का अध्ययन किया जाता हैं। .

नई!!: भूगोल और जनसंख्या भूगोल · और देखें »

ज्यामिति का इतिहास

1728 साइक्लोपीडिया से ज्यामिति की तालिका. ज्यामिति (यूनानी भाषा γεωμετρία; जियो .

नई!!: भूगोल और ज्यामिति का इतिहास · और देखें »

जॉर्ज एवरेस्ट

कर्नल सर जॉर्ज एवरेस्ट (४ जुलाई, १७९० - १ दिसंबर, १८६६) एक सर्वेक्षणकर्ता, भूगोलज्ञ और १८३०-१८४३ तक भारत के महा सर्वेयर रहे थे। .

नई!!: भूगोल और जॉर्ज एवरेस्ट · और देखें »

जीन ब्रून्स

जीन ब्रून्स, जीन ब्रून्ज अथवा ज्याँ ब्रून्स (Jean Brunhes) फ्रांस के प्रसिद्ध भूगोलवेत्ता थे। इन्होंने मानव भूगोल से संबंधित ला जियोग्राफी ह्यूमेन (La Géographie humaine) नामक किताब लिखी। श्रेणी:भूगोलवेत्ता श्रेणी:फ्रांसीसी भूगोलवेत्ता श्रेणी:1869 में जन्मे लोग श्रेणी:१९३० में निधन.

नई!!: भूगोल और जीन ब्रून्स · और देखें »

जीववैज्ञानिक वर्गीकरण

जीवजगत के समुचित अध्ययन के लिये आवश्यक है कि विभिन्न गुणधर्म एवं विशेषताओं वाले जीव अलग-अलग श्रेणियों में रखे जाऐं। इस तरह से जन्तुओं एवं पादपों के वर्गीकरण को वर्गिकी या वर्गीकरण विज्ञान अंग्रेजी में वर्गिकी के लिये दो शब्द प्रयोग में लाये जाते हैं - टैक्सोनॉमी (Taxonomy) तथा सिस्टेमैटिक्स (Systematics)। कार्ल लीनियस ने 1735 ई. में सिस्तेमा नातूरै (Systema Naturae) नामक पुस्तक सिस्टेमैटिक्स शब्द के आधार पर लिखी थी।, David E. Fastovsky, David B. Weishampel, pp.

नई!!: भूगोल और जीववैज्ञानिक वर्गीकरण · और देखें »

घाटी

दो (या अधिक) पहाड़ो के बीच के समतल मैदान को घाटी कहते है। भूगोल में नदियों के उपजाऊ मैदान को भी उस नदी की घाटी कहते हैं। .

नई!!: भूगोल और घाटी · और देखें »

वनोन्मूलन

वनोन्मूलन का अर्थ है वनों के क्षेत्रों में पेडों को जलाना या काटना ऐसा करने के लिए कई कारण हैं; पेडों और उनसे व्युत्पन्न चारकोल को एक वस्तु के रूप में बेचा जा सकता है और मनुष्य के द्वारा उपयोग में लिया जा सकता है जबकि साफ़ की गयी भूमि को चरागाह (pasture) या मानव आवास के रूप में काम में लिया जा सकता है। पेडों को इस प्रकार से काटने और उन्हें पुनः न लगाने के परिणाम स्वरुप आवास (habitat) को क्षति पहुंची है, जैव विविधता (biodiversity) को नुकसान पहुंचा है और वातावरण में शुष्कता (aridity) बढ़ गयी है। साथ ही अक्सर जिन क्षेत्रों से पेडों को हटा दिया जाता है वे बंजर भूमि में बदल जाते हैं। आंतरिक मूल्यों के लिए जागरूकता का अभाव या उनकी उपेक्षा, उत्तरदायी मूल्यों की कमी, ढीला वन प्रबन्धन और पर्यावरण के कानून, इतने बड़े पैमाने पर वनोन्मूलन की अनुमति देते हैं। कई देशों में वनोन्मूलन निरंतर की जाती है जिसके परिणामस्वरूप विलोपन (extinction), जलवायु में परिवर्तन, मरुस्थलीकरण (desertification) और स्वदेशी लोगों के विस्थापन जैसी प्रक्रियाएं देखने में आती हैं। .

नई!!: भूगोल और वनोन्मूलन · और देखें »

विलियम मॉरिस डेविस

विलियम मॉरिस डेविस (Davis, William Morris, सन् १८५०-१९३४) अमरीकी भूगोलवेत्ता तथा भूवैज्ञानिक थे। डेविस ने भू-आकृतिविज्ञान के क्षेत्र में गवेषणाओं और सिद्धान्तों पर कई पुस्तकें तथा कई सौ शोधपत्र लिखे थे। वह अपरदनचक्र के सिद्धान्त का जन्मदाता था। विलियम मॉरिस डेविस का जन्म संयुक्त राज्य अमेरीका के पेन्सलवानिया राज्य में फिलाडेल्फिया नगर में २ फरवरी १८५० में हुआ। १८६९ ई० में हार्वर्ड विश्वविद्यालय में शिक्षा समाप्त करके सन् १७७० से ७३ तक अज्रेटीना की कार्बोना स्थित राष्ट्रीय वेधशाला में ज्योतिर्विद् के रूप में इन्होंने कार्य किया। १८७६ ई० में इन्होंने हार्वर्ड विश्वविद्यालय में अध्ययपन कार्य प्रारंभ किया और १८९० ई० में भौतिक भूगोल के आचार्य नियुक्त हुए। तत्पश्चात् १८९९-१९१२ ई० तक इन्होंने वहीं पर भौताकृतिकतत्व (physiography) के आचार्य के रूप में कार्य किया। १९०३, १९०४ तथा १९०९ ई० में ये अमरीकी भूगोलवेत्ताओं के संस्थान के अध्यक्ष रहे। सन् १९११ में इन्हें अमरीकी भूविज्ञान का भी अध्यक्ष बनाया गया। इन्होंने बर्लिन विश्वविद्यालय तथा सारबॉन (फ्राँस) में भी अध्यापन कार्य किया। डेविस अमरीकी भौताकृतिकत्तत्व विज्ञान के जनक माने जाते हैं। इन्होंने उपर्युक्त विज्ञान में पहले किए गए कार्यो को सैद्धांतिक प्रतिरूप दिया तथा वैज्ञानिक शब्दावली प्रदान की। इन्होंने भौताकृतिक तत्वों के विकास के अध्ययन में संरचना, प्रक्रिया तथा अवस्था (structure, process and stage) को महत्वपूर्ण बताया है और अपक्षरण चक्र (erosion cycle) के प्रकरण में भौताकृतिक तत्वों के आद्योपांत विकास के क्रमों को किशोरावस्था, प्रौढ़ावस्था तथा वृद्धावस्था की संज्ञाएँ दी हैं। इनके अनुसार इस क्रमिक विकासचक्र का कभी अंत नहीं होता। अत: उत्तर वृद्धावस्था में समतल सद्दृश्य जिस भौताकृति का विकास होता है, उसे इन्होंने प्राय: समभूमि तल (peneplain) की संज्ञा दी। इन्होंने जल अपक्षरण के अतिरिक्त हिमनदियों (glaciers) तथा शुद्ध प्रदेशीय भौताकृतिक तत्वों पर भी शोधपूर्ण निबंध लिखे और प्रवालनिर्माण (Formation of coral reef) के प्रकरण में महत्वपूर्ण सिद्धांत प्रतिपादित किए। अपने जीवन के लंबे काल में इन्होंने लगभग ४०० पुस्तकें तथा निबंध लिखे। भौताकृतिक तत्व विज्ञान के अतिरिक्त, जिसे वे भूगोल की एक शाखा मानते थे, भूगर्भ विज्ञान में भी इन्होंने महत्वपूर्ण कार्य किए। भैम्याकृति सिद्धांत पर उनकी प्रथम पुस्तक जर्मन भाषा में प्रकाशित (१९१२ ई०) हुई। इसके अतिरिक्त उनकी रचनाओं में "भौगोलिक निबंध" (१९०९ ई०), "प्रारभिक ऋतु विज्ञान" (१८९४ई०) भौतिक भूगोल (१८९८ ई०) तथा कोरल रीफ प्रॉब्लेम (१९२८ई०) महत्वपूर्ण हैं। .

नई!!: भूगोल और विलियम मॉरिस डेविस · और देखें »

विल्हेम वॉन हम्बोल्ट

विल्हेम वॉन हम्बोल्ट (अंग्रेजी:Friedrich Wilhelm Christian Karl Ferdinand von Humboldt; २२ जून, १७६७ - ८ अप्रैल, १८३५) एक जर्मन दार्शनिक, भाषा विज्ञानी और तत्कालीन प्रशा की सरकार में प्रशासक थे। उनका योगदान तत्कालीन शिक्षा नीतियों को निर्मित करने में रहा था। हम्बोल्ट का सर्वाधिक प्रभाव भाषाई दर्शन और इसके चिंतकों पर पड़ा है जिनमें नॉम चौम्स्की और मार्टिन हाइडेगर जैसे प्रसिद्द दार्शनिक और भाषा विज्ञानी शामिल हैं। विल्हेम के छोटे भाई अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट एक प्रसिद्द भूगोलवेत्ता, जलवायु विज्ञानी और वनस्पति शास्त्री रहे हैं। .

नई!!: भूगोल और विल्हेम वॉन हम्बोल्ट · और देखें »

विश्व के सभी देश

यह विश्व के देशों की सूची, एक सिंहावलोकन कराती है, विश्व के राष्ट्रों का, जो कि देवनागरी वर्णक्रमानुसार व्यवस्थित है। इसमें स्वतंत्र राज्य भी सम्मिलित हैं। (जो कि अन्तराष्ट्रीय मान्यताप्राप्त हैं और जो अमान्यता प्राप्त), हैं, बसे हुए हैंपरतंत्र क्षेत्र, एवं खास शासकों के क्षेत्र भी। ऐसे समावेश मानदण्ड अनुसार यह सूची शब्द `देश' एवं `सार्वभौम राष्ट्र' को पर्यायवाची नहीं मानती। जैसा कि प्रायः साधारण बोलचाल में प्रयोग किया जाता है। कृप्या ध्यान रखें कि किन्हीं खास परिस्थितिवश एवं किन्हीं खास भाषाओं में 'देश' शब्द को सर्वथा प्रतिबंधात्मक अर्थ समझा जाता है। अतः केवल 193 निम्नलिखित प्रविष्टियाँ ही प्रथम शब्द (देश या राष्ट्र) में समझे जाएं। यह सूची दिए गए देशों के क्षेत्राधिकार में आने वाले सभी क्षेत्रों को आवृत्त करती है, अर्थात क्षेत्र, जलीय क्षेत्र (जिसमें जलीय आंतरिक क्षेत्र एवं थल से लगे जलीय क्षेत्र भी आते हैं), विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र, कॉण्टीनेण्टल शैल्फ, एवं हवाई क्षेत्र.

नई!!: भूगोल और विश्व के सभी देश · और देखें »

विष्णुधर्मोत्तर पुराण

विष्णुधर्मोत्तर पुराण एक उपपुराण है। इसकी प्रकृति विश्वकोशीय है। कथाओं के अतिरिक्त इसमें ब्रह्माण्ड, भूगोल, खगोलशास्त्र, ज्योतिष, काल-विभाजन, कूपित ग्रहों एवं नक्षत्रों को शान्त करना, प्रथाएँ, तपस्या, वैष्णवों के कर्तव्य, कानून एवं राजनीति, युद्धनीति, मानव एवं पशुओं के रोगों की चिकित्सा, खानपान, व्याकरण, छन्द, शब्दकोश, भाषणकला, नाटक, नृत्य, संगीत और अनेकानेक कलाओं की चर्चा की गयी है। यह विष्णुपुराण का परिशिष्‍ट माना जाता है। वृहद्धर्म पुराण में दी हुई १८ पुराणों की सूची में विष्णुधर्मोत्तर पुराण भी है। विष्णुधर्मोत्तर पुराण के 'चित्रसूत्र' नामक अध्याय में चित्रकला का महत्त्व इन शब्दों में बताया गया है- (अर्थ: कलाओं में चित्रकला सबसे ऊँची है जिसमें धर्म, अर्थ, काम एवम् मोक्ष की प्राप्ति होती है। अतः जिस घर में चित्रों की प्रतिष्ठा अधिक रहती है, वहाँ सदा मंगल की उपस्थिति मानी गई है।) .

नई!!: भूगोल और विष्णुधर्मोत्तर पुराण · और देखें »

विक्रमशिला का इतिहास

विक्रमशिला का इतिहासलेखक परशुराम ठाकुर ब्रह्मवादी द्वारा शोधित एवं लिखित ऐतिहासिक ग्रंथ है। यह ग्रंथ प्रभात प्रकाशन, नई दिल्ली से प्रकाशित है। इस ग्रंथ में विक्रमशिला विश्वविद्यालय सहित प्राचीन सभ्यता और संस्कृति का प्रमाणिक वर्णन देखने को मिलता है। ग्रंथ के मुख्य पृष्ठ पर यह कहा गया है कि " पुरातत्व की खोज और पहचान विश्व इतिहास को आश्चर्यचकित कर सकते है। विक्रमशिला के पुरावशेषों का ऐतिहासिक, भौगोलिक, भूगर्भिक एवं सांस्कृतिक अध्ययन करने से अरबों वर्षों का इतिहास सामने आया है जो हड़प्पा, सिंधु,सुमेरु, सुर,असुर, देव, गंधर्व, नाग, कोलविंध्वंशी, शिव, इंद्र, राम, कृष्ण, आर्या देवी सभ्यताओं एवं संस्कृति के साथ साथ विश्व विकास के मूल इतिहास का प्रमाणिक साक्ष्य प्रस्तुत करते हैं। विक्रमशिला खुदाई स्थल से प्राप्त पुरातात्विक सामाग्रियों में कांस्य मूर्तियां, मृदभांड,स्तंभ, मुहरें, मृण मूर्तियां, आदि के अतिरिक्त हजारों किस्म की प्रस्तर कला भवन निर्माण कला,लोहा, तांबा, सोना, चांदी, विभिन्न पशुओं की अस्थियां, नवरत्न की माला, मातृदेवी, शिवयोगी के विभिन्न रुप, विष्णु, वरुण, ब्रह्मा, कृष्ण, राम, संदीपनी मुनि, आदि बुद्ध, तारा, वृहस्पति, पुरुरवा, उर्वशी आदि की प्रतिमाएं मिली हैं जो हिमयुग की सभ्यता संस्कृति से लेकर वैदिक युग, रामायण युग,महाभारत युग, सिद्धार्थ बुद्ध तक के साक्ष्य प्रस्तुत करती है। विक्रमादित्य की राजधानी का ऐतिहासिक दस्तावेज "बत्तीसी आसन" अभी भी यहां अवशेष के रूप में मौजूद है। ग्रंथ विक्रमशिला का इतिहास प्राचीन बिहार की सभ्यता संस्कृति का इतिहास ही नहीं है, बल्कि विश्व इतिहास को भी एक नई दृष्टि देने में समर्थ है। .

नई!!: भूगोल और विक्रमशिला का इतिहास · और देखें »

वैज्ञानिक

रूस शोधकर्ता नई पृथ्वी की खाड़ी में प्रयोगशाला अनुसंधान के लिए सामग्री इकट्ठा। कोई भी व्यक्ति जो ज्ञान प्राप्ति के लिये विधिवत (systematic) रूप से कार्यरत हो उसे वैज्ञानिक (scientist) कहते हैं। किन्तु एक सीमित परिभाषा के अनुसार वैज्ञानिक विधि का अनुसरण करते हुए किसी क्षेत्र में ज्ञानार्जन करने वाले व्यक्ति को वैज्ञानिक कहते हैं। .

नई!!: भूगोल और वैज्ञानिक · और देखें »

खगोल विज्ञानी

खगोल विज्ञानी अथवा खगोल शास्त्री वे वैज्ञानिक अध्ययनकर्ता हैं जी आकाशीय पिण्डों, उनकी गतियों और अंतरिक्ष में मौजूद विविध प्रकार की चीजों की खोज और अध्ययन का कार्य करते हैं। पश्चिमी संस्कृति में गैलीलियो नामक खगोल विज्ञानी को आधुनिक खगोलशास्त्र का पिता माना जाता है। हालाँकि कुछ लोग यह नाम कॉपरनिकस को देते हैं। .

नई!!: भूगोल और खगोल विज्ञानी · और देखें »

गिरिजाकुमार माथुर

गिरिजा कुमार माथुर (२२ अगस्त १९१९ - १० जनवरी १९९४) का जन्म ग्वालियर जिले के अशोक नगर कस्बे में हुआ। वे एक कवि, नाटककार और समालोचक के रूप में जाने जाते हैं। उनके पिता देवीचरण माथुर स्कूल अध्यापक थे तथा साहित्य एवं संगीत के शौकीन थे। वे कविता भी लिखा करते थे। सितार बजाने में प्रवीण थे। माता लक्ष्मीदेवी मालवा की रहने वाली थीं और शिक्षित थीं। गिरिजाकुमार की प्रारम्भिक शिक्षा घर पर ही हुई। उनके पिता ने घर ही अंग्रेजी, इतिहास, भूगोल आदि पढाया। स्थानीय कॉलेज से इण्टरमीडिएट करने के बाद १९३६ में स्नातक उपाधि के लिए ग्वालियरचले गये। १९३८ में उन्होंने बी.ए. किया, १९४१ में उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय में एम.ए. किया तथा वकालत की परीक्षा भी पास की। सन १९४० में उनका विवाह दिल्ली में कवयित्री शकुन्त माथुर से हुआ। गिरिजाकुमार की काव्यात्मक शुरुआत १९३४ में ब्रजभाषा के परम्परागत कवित्त-सवैया लेखन से हुई। वे विद्रोही काव्य परम्परा के रचनाकार माखनलाल चतुर्वेदी, बालकृष्ण शर्मा नवीन आदि की रचनाओं से अत्यधिक प्रभावित हुए और १९४१ में प्रकाशित अपने प्रथम काव्य संग्रह 'मंजीर' की भूमिका उन्होंने निराला से लिखवायी। उनकी रचना का प्रारम्भ द्वितीय विश्वयुद्ध की घटनाओं से उत्पन्न प्रतिक्रियाओं से युक्त है तथा भारत में चल रहे राष्ट्रीय स्वतंत्रता आन्दोलन से प्रभावित है। सन १९४३ में अज्ञेय द्वारा सम्पादित एवं प्रकाशित 'तारसप्तक' के सात कवियों में से एक कवि गिरिजाकुमार भी हैं। यहाँ उनकी रचनाओं में प्रयोगशीलता देखी जा सकती है। कविता के अतिरिक्त वे एकांकी नाटक, आलोचना, गीति-काव्य तथा शास्त्रीय विषयों पर भी लिखते रहे हैं। उनके द्वारा रचित मंदार, मंजीर, नाश और निर्माण, धूप के धान, शिलापंख चमकीले आदि काव्य-संग्रह तथा खंड काव्य पृथ्वीकल्प प्रकाशित हुए हैं। भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद की साहित्यिक पत्रिका 'गगनांचल' का संपादन करने के अलावा उन्होंने कहानी, नाटक तथा आलोचनाएँ भी लिखी हैं। उनका ही लिखा एक भावान्तर गीत "हम होंगे कामयाब" समूह गान के रूप में अत्यंत लोकप्रिय है। १९९१ में आपको कविता-संग्रह "मै वक्त के सामने" के लिए हिंदी का साहित्य अकादमी पुरस्कार तथा १९९३ में के के बिरला फ़ाउंडेशन द्वारा दिया जाने वाला प्रतिष्ठित व्यास सम्मान प्रदान किया गया। उन्हें शलाका सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है। गिरिजाकुमार माथुर की समग्र काव्य-यात्रा से परिचित होने के लिए उनकी पुस्तक "मुझे और अभी कहना है" अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। .

नई!!: भूगोल और गिरिजाकुमार माथुर · और देखें »

ग्रेट रिफ़्ट घाटी

ग्रेट रिफ़्ट घाटी का नक़्शा (फ़्रांसिसी में) महान रिफ़्ट घाटी अथवा ग्रेट रिफ़्ट घाटी (एक भौगोलिक वादी है जो पूर्वी अफ़्रीका और मध्य पूर्व में उत्तर-दक्षिण दिशा में स्थित है। अलग-अलग स्रोत इसकी परिभाषा अलग तरह से करते हैं। कुछ के अनुसार यह उत्तर सीरिया से शुरू होकर लगातार 6,000 किमी तक चलकर पूर्वी अफ़्रीका के मोज़ाम्बीक देश में अंत होती है। साधारण प्रयोग में महान रिफ़्ट घाटी का नाम केवल इसके पूर्वी अफ़्रीका में स्थित हिस्से के लिए इस्तेमाल होता है जो अफ़ार द्रोणी से आरम्भ होकर मोज़ाम्बीक में ख़त्म होता है। यहाँ अफ़्रीकी प्लेट के दो भागों में टूटने से रिफ़्ट का निर्माण हुआ है। .

नई!!: भूगोल और ग्रेट रिफ़्ट घाटी · और देखें »

गूगल धरती

गूगल अर्थ वास्तविक भूमंडल (virtual globe) चित्रण का एक ऐसा कार्यक्रम है जिसे प्रारम्भ में अर्थ व्यूअर नाम दिया गया, तथा इसे कीहोल, इंक (Keyhole, Inc) द्वारा तैयार किया गया है, जो 2004 में गूगल द्वारा अधिगृहीत की गई एक कंपनी है। यह कार्यक्रम उपग्रह चित्रावली (satellite imagery), हवाई छायांकन (aerial photography) तथा भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) त्रि आयामी (3D) भूमंडल से प्राप्त चित्रों का अध्यारोपण (superimposition) करते हुए धरती का चित्रण करता है। यह तीन विभिन्न अनुज्ञप्तियों के अधीन उपलब्ध है: गूगल अर्थ, सीमित कार्यात्मकता के साथ एक मुक्त संस्करण; गूगल अर्थ प्लस ($ २० प्रति वर्ष), जो अतिरिक्त विशेषताओं से युक्त है तथा गूगल अर्थ प्रो ($ ४०० प्रति वर्ष), जो कि वाणिज्यिक कार्यों में उपयोग हेतु तैयार किया गया है। २००६ में इस उत्पाद का नाम बदलकर गूगल अर्थ कर दिया गया, जो कि वर्तमान में माइक्रोसॉफ्ट विन्डोज़ (Microsoft Windows) २००० (2000), एक्स पी अथवा विस्ता, मैक ओएस एक्स (Mac OS X) १०.३.९ तथा उससे अधिक, लिनुक्स(१२ जून, २००६ को जारी) तथा फ्री BSD (FreeBSD) से युक्त निजी कंप्यूटरों (personal computer) पर उपयोग के लिए उपलब्ध है। गूगल अर्थ फायरफॉक्स, आई ई 6 (IE6) अथवा आई ई 7 (IE7) के लिए एक ब्राउज़र प्लगइन (02 जून, 2008 को जारी) के रूप में भी उपलब्ध है। एक अद्यतन कीहोल आधारित क्लाइंट को जारी करने के साथ, गूगल ने अपने वेब आधारित प्रतिचित्रण सॉफ़्टवेयर में अर्थ डेटाबेस की चित्रावली भी शामिल की है। वर्ष २००६ के मध्य जनता के लिए गूगल अर्थ जारी होने के साथ २००६ तथा २००७ के बीच आभासी भूमंडल (virtual globes) पर मीडिया कवरेज में दस गुना से भी अधिक की वृद्धि हुई तथा भूस्थानिक (geospatial) तकनीकों तथा अनुप्रयोगों में जनता की रूचि बढ़ गई। .

नई!!: भूगोल और गूगल धरती · और देखें »

गोलीय निर्देशांक पद्धति

गोलीय निर्देशांक (''r'', ''θ'', ''φ'') भौतिकी में आमतौर पर प्रयोग होते हैं: त्रिज्या दूरी 'r', ध्रुवीय कोण 'θ' (थीटा) और दिगंश कोण 'φ' (फ़ाई). कभी-कभी 'r' के स्थान पर 'ρ' (रो) का चिह्न इस्तेमाल होता है अक्षांश-रेखांश (लैटिट्यूड-लॉन्गिट्यूड) प्रणाली एक गोलीय निर्देशांक पद्धति है गोलीय निर्देशांक पद्धति (अंग्रेजी: spherical coordinate system) तीन आयामों (डायमेंशनों) वाले दिक् (स्पेस) में प्रयोग होने वाली ऐसी निर्देशांक पद्धति होती है जिसमें उस दिक् में मौजूद किसी भी बिंदु का स्थान तीन अंकों से निर्धारित हो जाता है:, Ian P. Howard, Brian J. Rogers, pp.

नई!!: भूगोल और गोलीय निर्देशांक पद्धति · और देखें »

ऑस्टिन मर्दों

ऑस्टिन  अल्बर्ट मर्दों, Ph.D. (जन्म जून २५, १९६२) एक लेखक, और एक समुद्दय  के नेता हैं जिन्होंने समुदाय आधारित  स्वयंसेवा में भाग लिया हैं। इसके आलावा, वे विकलांगून के लिए वकील हैं। वे John Dossetor Health Ethics Centre, University of Alberta में अनुबंधक अध्यापक हैं। मध्य ८० के दशक में उन्होंने अन्तार्तिक इंस्टिट्यूट ऑफ़ कनाडा (Antarctic Institute of Canada), एडमोंटों मैं आधारित, एक गैर लाभ संस्था, की स्थापना करे थे। व आज भी इस संस्था के डायरेक्टर हैं। .

नई!!: भूगोल और ऑस्टिन मर्दों · और देखें »

आयो (उपग्रह)

आयो (Io), हमारे सौर मण्डल के पाँचवे ग्रह बृहस्पति का तीसरा सब से बड़ा उपग्रह है और यह पूरे सौर मंडल का चौथा सब से बड़ा चन्द्रमा है। आयो का व्यास (डायामीटर) 3,642 किमी है। बृहस्पति के चार प्रमुख उपग्रहों (गैनिमीड, कलिस्टो, आयो और यूरोपा) में यह बृहस्पति की सब से क़रीबी कक्षा में परिक्रमा करने वाला चन्द्रमा है। बृहस्पति के इतना समीप होने की वजह से उस ग्रह के भयंकर गुरुत्वाकर्षण से पैदा होने वाला ज्वारभाटा बल आयो को गूंथता रहता है जिस से इस उपग्रह पर बहुत से ज्वालामुखी हैं। सन् 2010 तक आयो पर 400 से भी अधिक सक्रीय ज्वालामुखी गिने जा चुके थे। पूरे सौर मंडल में और कोई वस्तु नहीं जहाँ आयो से ज़्यादा भौगोलिक उथल-पुथल हो रही हो। सौर मंडल के बाहरी चंद्रमाओं की बनावट में ज़्यादातर बर्फ़ की बहुतायत होती है लेकिन आयो पर ऐसा नहीं है। आयो अधिकतर पत्थरीले पदार्थों का बना हुआ है। .

नई!!: भूगोल और आयो (उपग्रह) · और देखें »

कारमल, इंडियाना

कार्मेल हैमिल्टन काउंटी, इंडियाना, संयुक्त राज्य अमेरिका में एक उपनगरीय शहर तुरंत इंडियानापोलिस के उत्तर में स्थित है। यह देश में सबसे तेजी से बढ़ते समुदायों में से एक हो गया है। 2012 में, कार्मेल बेस्ट सीएनएन मनी पत्रिका ने संयुक्त राज्य अमेरिका में रहने के लिए जगह का चयन किया गया। जनसंख्या 2014 में 85,927 अनुमान लगाया गया था अमेरिकी जनगणना ब्यूरो द्वारा, यह इंडियाना में पांचवां सबसे बड़ा शहर बन गया है। कार्मेल, इंडियाना .

नई!!: भूगोल और कारमल, इंडियाना · और देखें »

कार्ल रिटर

कार्ल रिटर का रेखाचित्र कार्ल रिटर (जर्मन:Karl Ritter; 7 अगस्त, 1779 ई॰ - 28 सितम्बर 1859 ई॰) विश्वविख्यात जर्मन भूगोलवेत्ता थे। ये आधुनिक भूगोल के संस्थापक तथा भूगोल के एक महत्वपूर्ण क्षेत्र तुलनात्मक भूगोल के जनक माने जाते हैं। .

नई!!: भूगोल और कार्ल रिटर · और देखें »

काका कालेलकर

काका कालेलकर (1885 - 21 अगस्त 1981) के नाम से विख्यात दत्तात्रेय बालकृष्ण कालेलकर भारत के प्रसिद्ध शिक्षाशास्त्री, पत्रकार और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। काकासाहेब कालेलकर ने गुजराती और हिन्दी में साहित्यरचना की। उन्होने हिन्दी की महान सेवा की। उनके द्वारा रचित जीवन–व्यवस्था नामक निबन्ध–संग्रह के लिये उन्हें सन् 1965 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वे साबरमती आश्रम के सदस्य थे और अहमदाबाद में गुजरात विद्यापीठ की स्थापना में उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया। गांधी जी के निकटतम सहयोगी होने का कारण ही वे 'काका' के नाम से जाने गए। वे सर्वोदय पत्रिका के संपादक भी रहे। 1930 में पूना का यरवदा जेल में गांधी जी के साथ उन्होंने महत्वपूर्ण समय बिताया। .

नई!!: भूगोल और काका कालेलकर · और देखें »

कुसल राजेंद्रन

कुसल राजेंद्रन एक भारतीय भूकंपविज्ञानी हैं और वर्तमान में पृथ्वी विज्ञान केंद्र, भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु, भारत में प्रोफेसर हैं। वह खुद को पृथ्वी वैज्ञानिक कहती है। उन्होंने मुख्य रूप से पृथ्वी के भूकंपों और उनके स्रोत तंत्र पर काम किया है। उन्होंने भारत में पृथ्वी के भूकंप पैटर्न पर बड़े पैमाने पर काम किया है और इस क्षेत्र में अग्रणी लोगों में से एक माना जाता है। .

नई!!: भूगोल और कुसल राजेंद्रन · और देखें »

क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान,भुवनेश्वर

क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान,भुवनेश्वर, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद का संघटक ईकाईयो में से एक हँ, जो कि पूर्वी क्षेत्र के अध्यापको की शैक्षिक जरुरतें (पुर्व सेवा और सेवारत शिक्षा) पूरी करता हँ। इसका पूर्व नाम 'क्षेत्रीय शिक्षा महाविद्यालय' (Regional College of Education) था। यह ओडिशा,बिहार,झारखण्ड,पश्चिम बंगाल,असम,अरुणाचल प्रदेश,त्रिपुरा, नागालैण्ड,मिज़ोरम,मेघालय,सिक्किम, मणिपुर राज्यो और संघ राज्य प्रदेश अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह में विद्यालयी शिक्षा के सभी क्षेत्रों, विशेश रूप से स्कूली शिक्षा के संसाधन केन्द्र के रूप में कार्य करता हैं। .

नई!!: भूगोल और क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान,भुवनेश्वर · और देखें »

क्विज़

क्विज़ एक प्रकार का खेल अथवा दिमागी कसरत है जिसमें खिलाड़ी (अकेले या टीम में) सवालों के सही उत्तर देने का प्रयास करते हैं। क्विज़ एक प्रकार के संक्षिप्त मूल्यांकन को भी कहते हैं जिसका प्रयोग शिक्षा या इसी प्रकार के अन्य क्षेत्रों में ज्ञान, योग्यता और/या कौशल में वृद्धि को मापने के लिए किया जाता है। आमतौर पर प्रश्नोत्तारियों में उत्तरों के लिए अंक दिए जाते हैं और कई प्रश्नोत्तरियों का उद्देश्य प्रतिभागियों के एक समूह में से सबसे ज्यादा अंक पाने वाले विजेता का चुनाव करना होता है। .

नई!!: भूगोल और क्विज़ · और देखें »

कौटिल्य पण्डित

कौटिल्य पण्डित (अंग्रेजी: Kautilya Pandit, जन्म: 24 दिसम्बर 2007) भारत में हरियाणा प्रान्त के करनाल जिले के कोहँड़ गाँव में जन्मा एक असाधारण प्रतिभासम्पन्न बच्चा है जिसने महज 5 वर्ष 10 महीने की आयु में ही विश्व भूगोल, प्रति व्यक्ति आय, घरेलू उत्पाद व राजनीति जैसे विभिन्न विषयों से सम्बन्धित प्रश्नों के चुटकी बजाते उत्तर देकर सबको आश्चर्यचकित कर दिया है। जहाँ इस उम्र में बच्चे एबीसी, कखग और नर्सरी कवितायें रटते है वहाँ इस बच्चे ने असाधारण रूप से अपने मानव मष्तिष्क की क्षमता में कम्प्यूटर को भी मात दे दी है। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ मनोवैज्ञानिक उसकी स्मृति क्षमता (बुद्धि लब्धि) का अध्ययन कर रहे हैं। 4 अक्टूबर 2013 को हरियाणा के मुख्यमन्त्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने विलक्षण प्रतिभावान कौटिल्य को 10 लाख रुपये का चेक व प्रशस्ति पत्र प्रदान किया। 14 अक्टूबर 2013 को कौन बनेगा करोड़पति (केबीसी) जैसे लोकप्रिय टीवी कार्यक्रम में अमिताभ बच्चन के सामने हॉटसीट पर पहुँचकर कौटिल्य ने अपनी तीक्ष्ण बुद्धि और हाजिरजवाबी का परिचय दिया। कौटिल्य अपने दादा जयकृष्ण शर्मा को अपना सर्वश्रेष्ठ मित्र व गुरु मानता है। उसके पिता सतीश शर्मा चाहते हैं कि कौटिल्य अपनी रुचि के विषय में दक्षता के साथ अपनी शिक्षा पूर्ण करे। विभिन्न टीवी चैनलों पर उसके कार्यक्रम देखकर लोगबाग उसे गूगल बॉय (गूगल बच्चा) तक कहने लगे हैं। .

नई!!: भूगोल और कौटिल्य पण्डित · और देखें »

कृति करंत

कृति करंत एक संरक्षण जीवविज्ञानी है जो बंगलौर, भारत में स्थित है। वह वर्तमान में वन्यजीव संरक्षण समिति न्यूयॉर्क के साथ एक एसोसिएट संरक्षण वैज्ञानिक हैं और वन्यजीव अध्ययन केंद्र, बैंगलोर के कार्यकारी निदेशक हैं। वह मानव पशु संघर्ष और भूमि उपयोग परिवर्तन जैसे मुद्दों पर काम करती है। .

नई!!: भूगोल और कृति करंत · और देखें »

कृष्य भूमि

विश्व के विभिन्न भागों में कृष्य भूमि का प्रतिशत भूगोल तथा कृषि के सन्दर्भ में कृष्य भूमि (arable land) उस भूमि को कहते हैं जिसका उपयोग फसल उत्पादन के लिए किया जा सकता हो। इसमें वह सब भूमि आ जाती है जिसमें वार्षिक फसलें उगाई जाती हैं। इसके अलावा अस्थायी चरागाह, कोला (किचन गार्डेन) आदि की भूमि भी इसके अन्दर समाहित है। सन् २००८ में विश्व की सकल कृष्य भूमि का क्षेत्रफल 13,805,153 वर्ग किमी था। नदियों एवं समुद्र द्वारा जमा की गई मिट्टी सर्वाधिक उर्वर कृष्य भूमि होती है। .

नई!!: भूगोल और कृष्य भूमि · और देखें »

कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, लॉस एंजिल्स

कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, लॉस एंजिल्स (यूसीएलए) एक सरकारी अनुसंधान विश्वविद्यालय है जो वैस्टवुड में स्थित है। यह जगह लॉस एंजिल्स, कैलिफोर्निया, यूनाइटेड स्टेट्स के पड़ोस में स्थित है। इसकी स्थापना 1919 में हुई थी और यह कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से सम्बद्ध दस परिसरों में दूसरा सबसे पुराना परिसर है। यूसीएलए विविध विषयों में 300 से अधिक पूर्वस्नातक और स्नातक डिग्री कार्यक्रम प्रस्तावित करता है और यूनाइटेड स्टेट्स और सम्पूर्ण विश्व के तकरीबन 26,000 पूर्व स्नातक और 11,000 स्नातक छात्र नामांकन करता है। यह विश्वविद्यालय 5 पूर्व स्नातक महाविद्यालयों, 7 व्यावसायिक विद्यालयों और 5 पांच पेशेवर स्वास्थ्य विज्ञान विद्यालयों में विभाजित है। ग्यारह नोबेल पुरस्कार विजेता इस विश्वविद्यालय से अध्यापक, शोधकर्ता अथवा भूतपूर्व छात्रों के रूप में जुड़े रहे हैं, 37 लोग नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेस में चुन लिए गए, 20 लोग नेशनल एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग और 97 लोग अमेरिकन अकादमी ऑफ आर्ट्स एंड साइंसेस में चुन लिए गए। यूसीएलए को लगातार महाविद्यालयों और विश्विद्यालयों की रैंकिंग में उच्च स्थान मिला है। इसकी गणना देश के शीर्ष 10 विद्यालयों में होती है और इसे अधिकतम संकाय पुरस्कार मिलते हैं। वैज्ञानिक सूचना संस्थान के अनुसार अपने शोधकार्य की वजह से यहाँ के अध्यापकों के कार्य को अधिकतम लोग अपने कार्य में उल्लेख करते हैं। यूसीएलए के छात्र-एथलीट ब्रुइंस के रूप में प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं। पैसिफिक-10 सम्मलेन के सदस्य के रूप में 2010 तक, ब्रुइंस ने 125 राष्ट्रीय चैंपियनशिप जीती है जिसमे 106 एनसीसीए (एनसीएए) चैंपियनशिप भी शामिल हैं, इतनी चैंपियनशिप किसी भी दूसरे विश्वविद्यालय ने कभी नहीं। जीती.

नई!!: भूगोल और कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, लॉस एंजिल्स · और देखें »

कोटा जिला

कोटा भारतीय राज्य राजस्थान का एक जिला है। जिले का मुख्यालय कोटा है। क्षेत्रफल - १२,४३६ (12,436) वर्ग कि॰मी॰ जनसंख्या - १,५६८,५२५ (1,568,525) (2001 जनगणना) साक्षरता - पुरुष - ७८%, महिला - ६३% एस॰टी॰डी॰ कोड - ०७४४ जिलाधिकारी - (जुलाई 200८ में) अभय कुमार समुद्र तल से उचाई - २७१(271) m (889 ft) अक्षांश - उत्तर देशांतर - पूर्व औसत वर्षा - मि॰मी॰ कोटा शहर भारत के राजस्थान प्रदेश मे आता है। यह चम्बल नदी के किनारे बसा हुआ है। यहा कई प्रकार की कारखाने है, जिनमे रसायन तथा प्रोध्योगिकी सम्बन्धित कारखाने प्रमुख है। यह कई प्रमुख शहरो से रैल व सडक से जुडा हुआ है।देश की ईमानदार टॉप 10 सूची मे भी कोटा शहर के पुलिसकर्मी कमलेश बिशनोई का नाम पहले नम्बर पर है 2015 मे ईमानदारी हेतु माननीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी ने राष्ट्रपति भवन में इसे सम्मानित किया .

नई!!: भूगोल और कोटा जिला · और देखें »

अथर्ववेद संहिता

अथर्ववेद संहिता हिन्दू धर्म के पवित्रतम और सर्वोच्च धर्मग्रन्थ वेदों में से चौथे वेद अथर्ववेद की संहिता अर्थात मन्त्र भाग है। इसमें देवताओं की स्तुति के साथ जादू, चमत्कार, चिकित्सा, विज्ञान और दर्शन के भी मन्त्र हैं। अथर्ववेद संहिता के बारे में कहा गया है कि जिस राजा के रज्य में अथर्ववेद जानने वाला विद्वान् शान्तिस्थापन के कर्म में निरत रहता है, वह राष्ट्र उपद्रवरहित होकर निरन्तर उन्नति करता जाता हैः अथर्ववेद के रचियता श्री ऋषि अथर्व हैं और उनके इस वेद को प्रमाणिकता स्वंम महादेव शिव की है, ऋषि अथर्व पिछले जन्म मैं एक असुर हरिन्य थे और उन्होंने प्रलय काल मैं जब ब्रह्मा निद्रा मैं थे तो उनके मुख से वेद निकल रहे थे तो असुर हरिन्य ने ब्रम्ह लोक जाकर वेदपान कर लिया था, यह देखकर देवताओं ने हरिन्य की हत्या करने की सोची| हरिन्य ने डरकर भगवान् महादेव की शरण ली, भगवन महादेव ने उसे अगले अगले जन्म मैं ऋषि अथर्व बनकर एक नए वेद लिखने का वरदान दिया था इसी कारण अथर्ववेद के रचियता श्री ऋषि अथर्व हुए| .

नई!!: भूगोल और अथर्ववेद संहिता · और देखें »

अन्तरिक्ष

अन्तरिक्ष (स्पेस) असीम, तीन-आयामी विस्तार है जिसमें वस्तुएं और घटनाएं होती है और उनकी सापेक्ष स्थिति और दिशा होती है। भौतिक अन्तरिक्ष अक्सर तीन रैखिक आयाम की तरह समझा जाता है, हालांकि आधुनिक भौतिकविद आमतौर पर इसे, समय के साथ, असीम चार-आयामी सातत्यक जिसे स्पेस टाइम कहते है, का एक भाग समझते हैं। गणित में 'अन्तरिक्ष' को विभिन्न आधारभूत संरचनाओं और आयामों की विभिन्न संख्या के साथ समझा जाता है। भौतिक ब्रह्मांड को समझने के लिए अन्तरिक्ष की अवधारणा को बहुत महत्त्वपूर्ण माना जाता है हालांकि दार्शनिकों के मध्य इस तथ्य को लेकर असहमति जारी है कि यह स्वयं एक इकाई है, या इकाइयों के मध्य एक सम्बन्ध है, या वैचारिक ढांचे का एक हिस्सा है। पारम्परिक यांत्रिकी के प्रारंभिक विकास के दौरान, 17 वीं शताब्दी में कई दार्शनिक प्रश्न उजागर हुए थे। इसाक न्यूटन के अनुसार, अन्तरिक्ष निरपेक्ष था - अर्थात् यह स्थायी रूप से अस्तित्व में है और इस बात पर निर्भर नहीं करता है कि क्या अन्तरिक्ष में कोई विषयवस्तु थी या नहीं। अन्य प्राकृतिक दार्शनिक, विशेष रूप से गोटफ्राइड लेबनिज़, ने इसके बजाय सोचा कि अन्तरिक्ष वस्तुओं के बीच संबंधों का एक संग्रह था, जो एक दूसरे से उनकी दूरी और दिशा के द्वारा दिया जाता है। 18वीं सदी में, इम्मानुएल काण्ट ने अन्तरिक्ष और समय को संरचनात्मक ढांचे के तत्वों के रूप में वर्णित किया है जिसको मनुष्य अपने अनुभव के निर्माण हेतु उपयोग करते है। 19वीं और 20वीं सदी में गणितज्ञों ने गैर इयूक्लिडियन रेखागणित का परीक्षण करना शुरू कर दिया था जिसमें अन्तरिक्ष को समतल के बजाय वक्रित कह सकते है। अल्बर्ट आइंस्टाइन का सामान्य सापेक्षता सिद्धांत के अनुसार गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र के आसपास का अन्तरिक्ष इयूक्लिडियन अन्तरिक्ष से विसामान्य होता है। सामान्य सापेक्षता के प्रायोगिक परीक्षण ने यह पुष्टि की है कि गैर इयूक्लिडियन अन्तरिक्ष प्रकाशिकी और यांत्रिकी के और मौजूदा सिद्धांतो की व्याख्या हेतु एक बेहतर मॉडल उपलब्ध कराता है। .

नई!!: भूगोल और अन्तरिक्ष · और देखें »

अपरांत

अपरांत भारतवर्ष की पश्चिम दिशा का देशविशेष। 'अपरांत' (अपर + अंत) का अर्थ है पश्चिम का अंत। आजकल यह 'कोंकण' प्रदेश माना जाता है। तालेमी नामक भूगोलवेता ने इस प्रदेश को, जिसे वह 'अरिआके' या 'अबरातिके' के नाम से पुकारा है, चार भागों मे विभक्त बतलया है। समुद्रतट से लगा हुआ उत्तरी भाग थाणा और कोलांबो जिलों से। इसी प्रकार समुद्र से भीतरी प्रदेश के भी दो भाग हैं। उत्तरी भाग में गोदावरी नदी बहती है और दक्षिणी में कन्नड़ भाषाभाषियों का निवास है। महाभारत (आदिपर्व) तथा मार्कडेय-पुराण के अनुसार यह समस्त प्रदेश 'अपरांत' के अंतर्गत है। बृहत्‌संहिता (14/20) ने इस प्रदेश के निवासियों का 'अपरांतक' नाम से उल्लेख किया है जिनका निर्देश रूद्रदामन्‌ जूनागढ़ शिलालेखों में भी है। रधुवंश (4/53) से भी स्पष्ट है कि अपरांत स्ह्रा पर्वत तथा पश्चिम सागर मे बीच का वह सँकरा भूभाग है जिसे परशुराम ने पुराणानुसार समुद्र को दूर हटाकर अपने निवास के लिए प्रस्तुत किया था। श्रेणी:भारत का भूगोल श्रेणी:चित्र जोड़ें.

नई!!: भूगोल और अपरांत · और देखें »

अफगानिस्तान में हिन्दू धर्म

एक मुखी लिंग (शिव लिंग के साथ एक मुख), अफगानिस्तान काबुल संग्रहालय मूर्ति अफगानिस्तान में हिन्दू धर्म  का अनुसरण करने वाले बहुत कम लोग हैं। इनकी संख्या कोई 1,000 अनुमानित है। ये लोग अधिकतर काबुल एवं अफगानिस्तान के अन्य प्रमुख नगरों में रहते हैं।, by Tony Cross.

नई!!: भूगोल और अफगानिस्तान में हिन्दू धर्म · और देखें »

अमेरिगो वेस्पूची

अमेरिगो वेस्पूची अमेरिगो वेस्पुक्की (Vespucci, Amerigo, १४५४ - १५१२ ई.) इटली के नाविक तथा सौदागर थे। इनके पैतृक नाम 'अमेरिगो' पर अमरीका महादेश का वर्तमान नाम पड़ा, क्योंकि सर्वप्रथम इन्होंने इसे 'नई दुनिया' के रूप में पहचाना। .

नई!!: भूगोल और अमेरिगो वेस्पूची · और देखें »

अरबी प्रायद्वीप

अरबी प्रायद्वीप अरबी प्रायद्वीप (अरबी: شبه الجزيرة العربية सिब्ह अल-जजी़रा अल-अरबिया या جزيرة العرب जजी़रत अल-अरब) दक्षिण पश्चिम एशिया का एक प्रायद्वीप है। यह एशिया एवं अफ्रीका की संधि पर है। यह मुख्यतः रेगिस्तान है। यह मध्य एशिया का एक महत्वपूर्ण भाग है, एवं अपने खनिज तेल एवं प्राकृतिक गैस के विशाल भण्डार के कारण महत्वपूर्ण राजनैतिक भूमिका निभाता है। प्रायद्वीप के तट, पश्चिम छोर पर लाल सागर एवं अकाबा की खाडी़, दक्षिण-पश्चिम में अरब सागर (हिंद महासागर का भाग), उत्तर-पश्चिम में ओमान की खाडी़ एवं हॉर्मज़ जलडमरुमध्य तथा फारस की खाडी़ हैं। इसकी उत्तरी सीमा ज़गरोस कोलीजज्ञ जो़न है, जहाँ अरबी प्लेट एवं एशिया के बीच संयोजन/टक्कर होने से महाद्वीपीय उठाव है। यह सीरियाई रेगिस्तान से जा मिलता है, बिना किसी रेखांकित सीमा के। भौगोलिक दृष्टि से अरबी प्रायद्वीप में ईराक एवं सीरिया के भाग आते हैं। राजनैतिक रूप से प्रायद्वीप को शेष एशिया से अलग करता है उत्तरी सीमाएं। ये उत्तरी सीमाएं कुवैत एवं सऊदी अरब की सीमाएं। निम्न राष्ट्र इस प्रायद्वीप के भाग माने जाते हैं.

नई!!: भूगोल और अरबी प्रायद्वीप · और देखें »

अर्ग

अल्जीरिया के इसाऊवान अर्ग की अंतरिक्ष से खींची गई तस्वीर अर्ग (अंग्रेज़ी: Erg, अरबी) ऐसे चौड़े और चपटे रेगिस्तानी क्षेत्र को कहते हैं जो हवा से उड़ाई जाने वाली रेत से ढका हुआ हो और जहाँ वृक्ष-पौधे बहुत कम हों या बिलकुल ही न हों।, NASA Earth Observatory, Accessed 2006-05-18 भूगोल में अर्ग की कड़ी परिभाषा है कि यह १२५ वर्ग किमी से बड़ा क्षेत्र होना चाहिए जिसमें २०% से अधिक धरती रेत से ढकी हो और हवा से रेत बड़ी मात्रा में उड़ती हो।, Judith Totman Parrish, Columbia University Press, Page 166, 2001, ISBN 978-0-231-10207-0 विश्व के सबसे बड़े रेगिस्तान सहारा मरूस्थल में कई सारे अर्ग हैं, जिनमें से चेच अर्ग (Chech Erg) और अल्जीरिया का इसाऊवान अर्ग (Issaouane Erg) दो जाने-माने अर्ग हैं। पृथ्वी की लगभग ८५% हिलने वाले रेत ३२,००० वर्ग किमी से बड़े क्षेत्रफल की अर्गों में सम्मिलित है।, Andrew Warren, Ronald U. Cooke, University of California Press, Page 322, 1973, ISBN 978-0-520-02280-5 पृथ्वी के अलावा अर्ग हमारे सौर मंडल के और भी ग्रहों-उपग्रहों पर मिले हैं, जिनमें शुक्र, मंगल और शनि का चन्द्रमा टाइटन शामिल हैं। .

नई!!: भूगोल और अर्ग · और देखें »

अल-इदरीसी

अल-इदरीसी एक प्रमुख अरब भूगोलवेत्ता था। उसका जन्म मोरक्को के उत्तर में क्वेटा नामक स्थान में हुवा था। उसका परिवार मोहम्मद साहब के वंश से सम्बन्धित था। अलयाज़ इदरीसी .

नई!!: भूगोल और अल-इदरीसी · और देखें »

अलेक्जेण्डर वॉन हम्बोल्ट

अलेक्जेण्डर वॉन हम्बोल्ट''' 1859 में 89 साल की उम्र में अलेक्जेण्डर वॉन हम्बोल्ट (Alexander von Humboldt या Friedrich Wilhelm Heinrich Alexander von Humboldt; जन्म १७६९- मृत्यु १८५९ ई.) जर्मनी (तत्कालीन प्रशा) के भूगोलवेत्ता, प्रकृति विज्ञानी, और खोजकर्ता थे। उनका जन्म बर्लिन में तत्कालीन शाही परिवार में हुआ। हम्बोल्ट के बड़े भाई विल्हेम वॉन हम्बोल्ट एक प्रसिद्द भाषा विज्ञानी और प्रशा कि सरकार में मंत्री थे। हम्बोल्ट ने सर्वप्रथम वनस्पति विज्ञान में परिमाणात्मक विधियों का प्रयोग किया जिनसे जैव भूगोल की मजबूत आधारशिला का निर्माण हुआ। यह हम्बोल्ट ही थे जिनके द्वारा भूगोलीय घटनाओं की दीर्घावधिक मॉनिटरिंग वकालत की गयी और इस कार्य ने आधुनिक भूचुम्बकीय और मौसम वैज्ञानिक प्रेक्षणों का मार्ग प्रशस्त किया। हम्बोल्ट एक अनुभववादी विचारक थे और घटनाओं के प्रेक्षण और मापन में यकीन रखते थे। उन्होंने घर में बैठकर चिंतन करके लेखन करने की बजाय भ्रमण करके घटनाओं के प्रेक्षण के बाद उनके निरूपण की विधा पर कार्य किया। हम्बोल्ट ने अपने जीवन में लगबग साढ़े छह हजार किलोमीटर की यात्रायें कीं जिनमें सबसे प्रमुख उनकी दक्षिण अमेरिका की यात्रा है। वे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने इस महादीप की यात्रा और इसका वर्णन वैज्ञानिक दृष्टिकोण से की। इस यात्रा के दौरान उन्होंने दूरबीन, तापमापी, साइनोमीटर, सेक्सटैंट, वायुदाबमापी इत्यादि उपकरणों से लैस होकर मापन कार्य किये और उनकी इस यात्रा के वर्णन का प्रकाशन २१ खण्डों में हुआ। हम्बोल्ट उन पहले लोगों में से थे जिन्होंने दक्षिण अमेरिका और अफ्रीका के कभी जुड़े हुए होने की बात कही थी। हम्बोल्ट कि सबसे प्रमुख कृति कॉसमॉस है जिसमें उन्होंने संश्लेषणात्मक विचारों के साथ ज्ञान की विभिन्न शाखाओं में सामंजस्य और एकता लाने का प्रयास किया है। इस कार्य में वे ब्रह्माण्ड को एक एकीकृत इकाई के रूप में भी पुरःस्थापित किया। वे अनेकता में एकता के सिद्धांत के पुरोधा थे। .

नई!!: भूगोल और अलेक्जेण्डर वॉन हम्बोल्ट · और देखें »

अहमदपुर पवन, इलाहाबाद (इलाहाबाद)

अहमदपुर पावन, इलाहाबाद (इलाहाबाद) इलाहाबाद जिले के इलाहाबाद प्रखंड का एक गाँव है। जनगणना २०११ की जानकारी के अनुसार अहमदापुर पावन गांव का स्थान कोड या गांव कोड १६१७५० है। अहमदपुर पावन गांव उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद जिले के इलाहाबाद तहसील में स्थित है। यह उप जिला मुख्यालय सदर से २५ किमी दूर स्थित है और जिला मुख्यालय इलाहाबाद से २५ किमी दूर है। २००९ के आंकड़ों के अनुसार, अहमदपुर पावन गांव एक ग्राम पंचायत भी है। गांव का कुल भौगोलिक क्षेत्र ५२४।९१ हेक्टेयर है। अहमदपुर पावन की कुल जनसंख्या ७०९० जनसंख्या है अहमदपुर पावन गांव में लगभग ११५१ घर हैं। इलाहाबाद अहमदपुर पावन के सबसे निकटतम शहर है। यह स्थान इलाहाबाद जिले और कौशंबी जिले की सीमा में है। कौशंबी जिला चायल पश्चिम की ओर है। .

नई!!: भूगोल और अहमदपुर पवन, इलाहाबाद (इलाहाबाद) · और देखें »

अवस्थिति (भूगोल)

भूगोल में, भौगोलिक अवस्थिति पृथ्वी की सतह पर किसी वस्तु अथवा अवघटना की सटीक स्थिति है। यह जगह या स्थान (अंग्रेजी के प्लेस) से भिन्न है क्योंकि, स्थान मानवीय अवबोध द्वारा चिह्नित होता है जबकि अवस्थिति स्थान-निर्धारण की अधिक सटीक और ज्यामितीय विधि है। भौगोलिक निर्देशांक पद्धति का प्रयोग करते हुए यदि पृथ्वी पर किसी बिंदु को मात्र अक्षांस-देशांतर के मानों द्वारा ही बताया जाय तो यह अवस्थिति की जानकारी देना हुआ, वहीं यदि अक्षांश-देशांतर के मानों के साथ कोई भौतिक-सांस्कृतिक लक्षण अथवा पहचान भी बताई जाय तो यह उस बिंदु को "स्थान" के रूप में चिह्नित करना कहलायेगा। अवस्थिति की अवधारणा का विकास और अनुप्रयोग, भूगोल में '50 के दशक के बाद आयी मात्रात्मक क्रान्ति, और स्थानिक विश्लेषण के विकास दौरान हुआ और इसी काल में "अवस्थिति" और "स्थान" में अंतर स्पष्ट करने पर बल दिया गया। इस अवधारणा के विकास में यी फू तुआन, जॉन एग्न्यू, पीटर हैगेट इत्यादि का योगदान महत्वपूर्ण है। श्रेणी:भूगोल.

नई!!: भूगोल और अवस्थिति (भूगोल) · और देखें »

अग्निपुराण

अग्निपुराण पुराण साहित्य में अपनी व्यापक दृष्टि तथा विशाल ज्ञान भंडार के कारण विशिष्ट स्थान रखता है। विषय की विविधता एवं लोकोपयोगिता की दृष्टि से इस पुराण का विशेष महत्त्व है। अनेक विद्वानों ने विषयवस्‍तु के आधार पर इसे 'भारतीय संस्‍कृति का विश्‍वकोश' कहा है। अग्निपुराण में त्रिदेवों – ब्रह्मा, विष्‍णु एवं शिव तथा सूर्य की पूजा-उपासना का वर्णन किया गया है। इसमें परा-अपरा विद्याओं का वर्णन, महाभारत के सभी पर्वों की संक्षिप्त कथा, रामायण की संक्षिप्त कथा, मत्स्य, कूर्म आदि अवतारों की कथाएँ, सृष्टि-वर्णन, दीक्षा-विधि, वास्तु-पूजा, विभिन्न देवताओं के मन्त्र आदि अनेक उपयोगी विषयों का अत्यन्त सुन्दर प्रतिपादन किया गया है। इस पुराण के वक्‍ता भगवान अग्निदेव हैं, अतः यह 'अग्निपुराण' कहलाता है। अत्‍यंत लघु आकार होने पर भी इस पुराण में सभी विद्याओं का समावेश किया गया है। इस दृष्टि से अन्‍य पुराणों की अपेक्षा यह और भी विशिष्‍ट तथा महत्‍वपूर्ण हो जाता है। पद्म पुराण में भगवान् विष्‍णु के पुराणमय स्‍वरूप का वर्णन किया गया है और अठारह पुराण भगवान के 18 अंग कहे गए हैं। उसी पुराणमय वर्णन के अनुसार ‘अग्नि पुराण’ को भगवान विष्‍णु का बायां चरण कहा गया है। .

नई!!: भूगोल और अग्निपुराण · और देखें »

अंतर्विषयकता

अंतर्विषयकता (interdisciplinarity) दो या उस से अधिक विद्यार्जन विषयों के मिश्रित अध्ययन क्षेत्र को कहते हैं। उदाहरण के लिये भूमंडलीय ऊष्मीकरण में भौतिकी, भूगोल, जीव विज्ञान और कई अन्य विद्या शाखाओं का एक अंतर्विषयक क्षेत्र है। .

नई!!: भूगोल और अंतर्विषयकता · और देखें »

उच्चबिन्दु प्राप्ति

उच्चबिन्दु प्राप्ति (Highpointing) एक खेल है जिसमें किसी भी परिभाषित भौगोलिक क्षेत्र के सबसे ऊँचे बिन्दु तक पहुँचने की चेष्टा की जाती है। पर्वतारोहण में शिखर प्राप्ति इसका एक विशेष उदाहरण है। .

नई!!: भूगोल और उच्चबिन्दु प्राप्ति · और देखें »

उपजाति

उपजाति, जिसे अंग्रेज़ी में Subspecies कहते हैं, जीवों के किसी जाति के अंतर्गत एक से अधिक वर्गीकरण को कहते। कोई उपजाति अपने आप में नहीं पहचानी जा सकती है: एक उपजाति किसी जाति की दो या अधिक उपजातियों में से एक हो सकती है। जाति की एक उपजाति नहीं हो सकती। यह संभव है कि किसी जाति की केवल एक ही उपजाति जीवित हो - जैसा कि मनुष्य में पाया जाता है। वह प्राणी जो एक ही जाति की विभिन्न उपजातियों के सदस्य हैं, एक दूसरे से समागम करने में समर्थ होते हैं और उपजाऊ संतानें पैदा कर सकते हैं। उपजातियों के आपस के लक्षण उतने भिन्न नहीं होते हैं जितना जातियों के आपस में, लेकिन उनके लक्षण वंश (race या breed) से ज़्यादा भिन्न होते हैं। उपजाति के अभिलक्षण मूलतः भौगोलिक दृष्टि से अलग-थलग पड़ने के कारण विकसित होते हैं। .

नई!!: भूगोल और उपजाति · और देखें »

यहां पुनर्निर्देश करता है:

भौगोलिक, भूगोलवेत्ता, भूगोलशास्त्री

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »