सामग्री की तालिका
26 संबंधों: एच॰ वी॰ आर॰ आयंगर, एनिमल फार्म, एल के झा, डी॰ के॰ रवि, दौलत सिंह कोठारी, नरेश चन्द्रा, ब्रज कुमार नेहरू, बी एन आदरकार, भारत सारावली, भारतीय भाषाई सर्वेक्षण, भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस), मास्ती वेंकटेश अयंगार, राज्य सिविल सेवा, लॉर्ड कॉर्नवालिस, सी॰ डी॰ देशमुख, हेनरी बेवरीज, जयपाल सिंह मुंडा, जग मोहन, जॉर्ज ऑरवेल, वाराणसी, विष्णु सहाय, इरा सिंघल, कंपनी राज, के जी अम्बेगाओंकर, अन्ना राजम मल्होत्रा, अकबर के नवरत्न।
एच॰ वी॰ आर॰ आयंगर
हूराव वरदराज आयंगर 1 मार्च 1957 से लेकर 28 फ़रवरी 1962 तक भारतीय रिज़र्व बैंक के छठे गवर्नर थे। अपनी नियुक्ति के पूर्व वह भारतीय सिविल सेवा के सदस्य और भारतीय स्टेट बैंक के अध्यक्ष रह चुके हैं। .
देखें भारतीय सिविल सेवा और एच॰ वी॰ आर॰ आयंगर
एनिमल फार्म
एनिमल फार्म (Animal Farm) अंग्रेज उपन्यासकार जॉर्ज ऑरवेल की कालजयी रचना है। बीसवीं सदी के महान अंग्रेज उपन्यासकार जॉर्ज ऑरवेल ने अपनी इस कालजयी कृति में सुअरों को केन्द्रीय चरित्र बनाकर बोलशेविक क्रांति की विफलता पर करारा व्यंग्य किया था। अपने आकार के लिहाज से लघु उपन्यास की श्रेणी में आनेवाली यह रचना पाठकों के लिए आज भी उतनी ही असरदार है। जॉर्ज ऑरवेल (1903-1950) के संबंध में खास बात यह है कि उनका जन्म भारत में ही बिहार के मोतिहारी नामक स्थान पर हुआ था। उनके पिता ब्रिटिश राज की भारतीय सिविल सेवा के अधिकारी थे। ऑरवेल का मूल नाम 'एरिक आर्थर ब्लेयर' था। उनके जन्म के साल भर बाद ही उनकी मां उन्हें लेकर इंग्लैण्ड चलीं गयीं थीं, जहां सेवानिवृत्ति के बाद उनके पिता भी चले गए। वहीं पर उनकी शिक्षा हुई। एनीमल फॉर्म 1944 ई.
देखें भारतीय सिविल सेवा और एनिमल फार्म
एल के झा
लक्ष्मी कांत झा (22 नवम्बर 1913-16 जनवरी 1988) (जन्म: दरभंगा,बिहार ) जिन्हें एल के झा के नाम से जाना जाता था, 1 जुलाई 1967 से लेकर 3 मई 1970 तक भारतीय रिज़र्व बैंक के आठवें गवर्नर थे। भारतीय सिविल सेवा के 1937 बैच के सदस्य झा ने आपूर्ति विभाग ने उप सचिव का पद हासिल किया। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में उनकी नियुक्ति पहले उन्होंने प्रधानमंत्री के सचिव के रूप में सेवा की। उनके कार्यकाल में महात्मा गांधी की जन्म शताब्दी के उपलक्ष्य में 2 अक्टूबर 1969 को 2, 5, 10 और 100 के मूल्यवर्ग के भारतीय नोट, जारी किये गए थे। इन नोटों पर उनके हस्ताक्षर हैं, जबकि इसके बाद वाली नोटों की श्रृंखला पर बी एन आदरकार के हस्ताक्षर हैं। .
देखें भारतीय सिविल सेवा और एल के झा
डी॰ के॰ रवि
डी॰ के॰ रवि (पूरा नाम दोड्डकोप्पलू करियप्पा रवि, १० जून १९७९ - १६ मार्च २०१५) भारतीय प्रशासनिक सेवा के एक अधिकारी थे। वे भारतीय प्रशासनिक सेवा के कर्नाटक कैडर के २००९ समूह के अधिकारी थे। ज़ी न्यूज़ (Zee News), १७ मार्च २०१५ एक कर्मठ और ईमानदार प्रशासक के रूप में उन्हें तब जनता के बीच में पहचान मिली जब कोलार ज़िले के उपायुक्त के रूप में कार्य करते हुए उन्होंने ज़िले में सरकारी भूमि पर किये गए अतिक्रमण और बेरोकटोक रूप से चल रहे अवैध रेत खनन के विरुद्ध अभियान चलाया। कोलार ज़िले में लगभग चौदह माह के कार्यकाल के बाद अक्टूबर २०१४ में कर्नाटक सरकार द्वारा उन्हें बंगलौर में वाणिज्य कर (प्रवर्तन) के अतिरिक्त आयुक्त के पद पर स्थानान्तरित कर दिया गया। राजस्थान पत्रिका, १७ मार्च २०१५ अतिरिक्त आयुक्त के रूप में पांच माह तक कार्य करते हुए वे १६ मार्च २०१५ को अपने आवास पर संदिग्ध परिस्थितियों में मृत पाए गए। अपने पांच माह के इस छोटे कार्यकाल में ही उनके द्वारा बीस से अधिक कर चोरी कर रही कम्पनियों, फर्मों और बिल्डरों पर की गयी छापेमारी, और इनसे की गयी करोड़ों रूपये की कर उगाही ने उनकी अचानक मृत्यु को संदेहास्पद बना दिया। राजस्थान पत्रिका, १८ मार्च २०१५ .
देखें भारतीय सिविल सेवा और डी॰ के॰ रवि
दौलत सिंह कोठारी
भारत के महान रक्षावैज्ञानिक '''श्री दौलत सिंह कोठारी''' दौलत सिंह कोठारी (1905–1993) भारत के प्रसिद्ध वैज्ञानिक थे। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की विज्ञान नीति में जो लोग शामिल थे उनमें डॉ॰ कोठारी, होमी भाभा, डॉ॰ मेघनाथ साहा और सी.वी.
देखें भारतीय सिविल सेवा और दौलत सिंह कोठारी
नरेश चन्द्रा
नरेश चन्द्रा (जन्म 1934) पूर्व भारतीय सिविल सेवक हैं जो केबिनेट सचिव (1990–92) और संयुक्त राज्य अमेरिका में भारतीय राजदूत (1996–2001) रह चुके हैं। उन्हें २००७ में भारत के द्वितीय सर्वोच्य नागरीक सम्मान पद्म विभूषण से नव़ाज़ा गया। .
देखें भारतीय सिविल सेवा और नरेश चन्द्रा
ब्रज कुमार नेहरू
ब्रज कुमार नेहरू, आयसीएस (4 सितम्बर 1909 – 31 अक्टूबर 2001) एक भारतीय राजनयिक और संयुक्त राज्य अमेरिका में भारतीय राजदूत (1961-1968) थे। वो भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के चचेरे भाई बृजलाल और रामेश्वरी नेहरू के पुत्र थे। .
देखें भारतीय सिविल सेवा और ब्रज कुमार नेहरू
बी एन आदरकार
बी एन आदरकार 4 मई 1970 में से 15 जून 1970 तक भारतीय रिज़र्व बैंक के नौवें गवर्नर थे। उनका कार्यकाल केवल 42 दिनों का रहा, जो की अमिताभ घोष (20 दिन) के बाद दूसरा सबसे छोटा था। उनका कार्यकाल इतना छोटा इसलिए था क्यूंकि वह एस जगन्नाथन के पदभार सँभालने के पहले केवल अंतरिम रूप से इस पद को भर रहे थे। अपने पूर्ववर्तियों के विपरीत, जो की भारतीय सिविल सेवा से थे, आदरकार एक अर्थशास्त्री थे और भारत सरकार के आर्थिक सलाहकार के कार्यालय में काम किया। इससे पहले वह वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों का कार्यभार संभाल चुके थे। अंतरिम गवर्नर बनने के पूर्व वह रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर थे। उनके कार्यकाल में महात्मा गांधी की जन्म शताब्दी के उपलक्ष्य में 24 अगस्त 1970 को 2, 5, 10 और 100 के मूल्यवर्ग के भारतीय नोट, फिर से जारी किये गए थे। इन नोटों पर उनके हस्ताक्षर हैं, जबकि इसके पहले जारी की गयी नोट श्रृंखला पर एल के झा के हस्ताक्षर हैं। .
देखें भारतीय सिविल सेवा और बी एन आदरकार
भारत सारावली
भुवन में भारत भारतीय गणतंत्र दक्षिण एशिया में स्थित स्वतंत्र राष्ट्र है। यह विश्व का सातवाँ सबसे बड़ देश है। भारत की संस्कृति एवं सभ्यता विश्व की सबसे पुरानी संस्कृति एवं सभ्यताओं में से है।भारत, चार विश्व धर्मों-हिंदू धर्म, सिख धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म के जन्मस्थान है और प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता का घर है। मध्य २० शताब्दी तक भारत अंग्रेजों के प्रशासन के अधीन एक औपनिवेशिक राज्य था। अहिंसा के माध्यम से महात्मा गांधी जैसे नेताओं ने भारत देश को १९४७ में स्वतंत्र राष्ट्र बनाया। भारत, १२० करोड़ लोगों के साथ दुनिया का दूसरे सबसे अधिक आबादी वाला देश और दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाला लोकतंत्र है। .
देखें भारतीय सिविल सेवा और भारत सारावली
भारतीय भाषाई सर्वेक्षण
भारतीय भाषाई सर्वेक्षण (Linguistic Survey of India) ब्रिटिश राज के आधीन भारत का एक प्रमुख सर्वेक्षण परियोजना थी। इसके अन्तर्गत सन् १८९४ से लेकर सन् १९२८ तक भारतीय सिविल सेवा के अधिकारी जॉर्ज ग्रियर्सन के निर्देशन में कार्य हुआ। इसमें कुल ३६४ भारतीय भाषाओं एवं बोलियों का विस्तृत सर्वेक्षण किया गया। .
देखें भारतीय सिविल सेवा और भारतीय भाषाई सर्वेक्षण
भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस)
भारतीय राजस्व सेवा (अंग्रेज़ी: Indian Revenue Services), laGu rUp IRS, भारत सरकार की भारतीय सिविल सेवा के अन्तर्गत्त राजस्व सेवा है। यह सेवा वित्त मंत्रालय (भारत) के अधीन राजस्व विभाग के अन्तर्गत्त कार्यरत है। इसका मुख्य उद्देश्य विभिन्न प्रत्यक्ष कर एवं अप्रत्यक्ष करों का संग्रह क केन्द्र सरकार को उपलब्ध कराना है। 1924 में केन्द्रीय राजस्व बोर्ड अधिनियम ने आयकर अधिनियम के प्रशासन के लिए प्रकार्यात्मक जिम्मेदारी के साथ केन्द्रीय राजस्व बोर्ड सांविधिक निकाय का गठन किया। प्रत्येक प्रांत के लिए आयकर आयुक्त नियुक्त किए गए तथा सहायक आयुक्त तथा आयकर अधिकारी उनके नियंत्रणाधीन रखे गये। सर्वोच्य पदों के लिए आई सी एस से अधिकारियों को लिया गया और निम्नतर सोपान पदों को प्रोन्नति के माध्यम से भरा गया। आयकर सेवा की स्थापना 1944 में की गई, जो बाद में भारतीय राजस्व सेवा (आयकर) के नाम से जानी गई। आयकर अधिकारियों (वर्ग-II) का पहला बैच आई ए और ए एस तथा संबंद्ध सेवाओं के लिए संधीय सेवा आयोग द्वारा संचालित 1943 परीक्षा के माध्यम से बर्ष 1944 में सीधे भर्ती किया गया। .
देखें भारतीय सिविल सेवा और भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस)
मास्ती वेंकटेश अयंगार
मास्ती वेंकटेश अयंगार (६ जून १८९१ - ६ जून १९८६) कन्नड भाषा के एक जाने माने साहित्यकार थे। वे भारत के सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किये गये हैं। यह सम्मान पाने वाले वे कर्नाटक के चौथे लेखक थे। 'चिक्कवीरा राजेंद्र' नामक कथा के लिये उनको सन् १९८३ में ज्ञानपीठ पंचाट से प्रशंसित किया गया था। मास्तीजी ने कुल मिलाकर १३७ पुस्तकें लिखीं जिसमे से १२० कन्नड भाषा में थीं तथा शेष अंग्रेज़ी में। उनके ग्रन्थ सामाजिक, दार्शनिक, सौंदर्यात्मक विषयों पर आधारित हैं। कन्नड भाषा के लोकप्रिय साहित्यिक संचलन, "नवोदया" में वे एक प्रमुख लेखक थे। वे अपनी क्षुद्र कहानियों के लिये बहुत प्रसिद्ध थे। वे अपनी सारी रचनाओं को 'श्रीनिवास' उपनाम से लिखते थे। मास्तीजी को प्यार से मास्ती कन्नडदा आस्ती कहा नजाता था, क्योंकि उनको कर्नाटक के एक अनमोल रत्न माना जाता था। मैसूर के माहाराजा नलवाडी कृष्णराजा वडियर ने उनको राजसेवासकता के पदवी से सम्मानित किया था।। .
देखें भारतीय सिविल सेवा और मास्ती वेंकटेश अयंगार
राज्य सिविल सेवा
भारतीय सिविल सेवाके अनुरूप राज्य स्तर पर प्रशासन की सहायता के लिये राज्य सिविल सेवाऐं होती हैं, जिसे राज्य सिविल सेवा के रूप में भी जाना जाता है, यह राज्य स्तर की सिविल सेवा है और इसमें राज्य सरकार की स्थायी नौकरशाही होती हैं। 1947 से 50 की अवधि में इन सेवाओं की स्थापना तथा तत्संबंधी अन्य निश्चयों के साथ ही साथ संविधान सभा ने स्वतंत्र भारत के लिए एक संविधान का निर्माण कर दिया और विभिन्न रियासतों के विलयन के बाद देश में राजनीतिक एकता स्थापित हो गई। संविधान का स्वरूप, जिसके अधीन ये लोकसेवाएँ थीं, इन राजनीतिक परिवर्तनों को ध्यान में रखकर स्थिर किया गया था। राज्यों का ढाँचा संघात्मक बनाया गया था, तथापि सार्वजनिक सेवारत कर्मचारियों की मनमानी पदच्युति, स्थानांतरण, पदों के न्यूनीकरण आदि से बचाव के लिए सारे देश में एक जैसी व्यवस्था संविधान द्वारा की गई। समस्त देश में सार्वजनिक सेवाओं और पदों पर भरती और नियुक्ति लोकसेवा आयोगों के माध्यम से करने की व्यवस्था की गई। सेवा की स्थितियों, उन्नति, स्थानांतरण, अनुशासनिक कार्यवाही तथा सेवाकाल में हुई क्षति अथवा विवाद आदि की अवस्था में इन कर्मचारियों के अधिकारों से संबंधित नियमादि बनाने के संबंध में भी इन आयोगों की राय लेना आवश्यक माना गया।.
देखें भारतीय सिविल सेवा और राज्य सिविल सेवा
लॉर्ड कॉर्नवालिस
लॉर्ड कॉर्नवालिस फोर्ट विलियम प्रेसिडेंसी के गवर्नर जनरल रहे थे। वह बंगाल का गवर्नर जनरल था। इन्होंने 1793 ईस्वी में बंगाल में स्थायी बन्दोबस्त के रूप में एक नई राजस्व पद्धति की शुरूआत की। इसके समय में जिले के सभी अधिकार कलेक्टर को दिया गया और इसे ही भारतीय सिविल सेवा का जनक माना जाता है। इसने कंपनी के कर्मचारियों के व्यक्तिगत व्यापार पर प्रतिबन्ध लगा दिया। .
देखें भारतीय सिविल सेवा और लॉर्ड कॉर्नवालिस
सी॰ डी॰ देशमुख
सी॰ डी॰ देशमुख (पूरा नाम: चिन्तामणि द्वारकानाथ देशमुख, जन्म: 14 जनवरी 1896, मृत्यु: 2 अक्टूबर 1982) भारतीय रिजर्व बैंक के पहले भारतीय गवर्नर थे, जिन्हें 1943 में ब्रिटिश राज द्वारा नियुक्त किया गया। ब्रिटिश राज ने उन्हें सर की उपाधि दी थी। इसके पश्चात् उन्होंने केंद्रीय मंत्रिमंडल में भारत के तीसरे वित्त मंत्री के रूप में भी सेवा की। .
देखें भारतीय सिविल सेवा और सी॰ डी॰ देशमुख
हेनरी बेवरीज
हेनरी बेवरीज। हेनरी बेवरिज (Henry Beveridge १८३७-१९२९) भारत में अंग्रेजी राज के समय का अईसीएस अधिकारी तथा भारतविद था। उसका बेटा विलियम बेवरीज प्रसिद्ध ब्रिटिश अर्थशास्त्री हुआ। उसका दादा नानाबाई था और पिता, हेनरी बेवरिज, क्रमश: पादरी, बैरिस्टर, दिवालिया और भाड़े का लेखक रहा। उसकी पुस्तक, 'कॉम्प्रीहेन्सिव हिस्ट्री ऑव इंडिया' तीन जिल्दों में १८६२ में छपी। अत:, शैशवकाल से ही हेनरी बेवरिज (छोटा) घर में भारत की चर्चा सुनता रहता था। .
देखें भारतीय सिविल सेवा और हेनरी बेवरीज
जयपाल सिंह मुंडा
जयपाल सिंह मुंडा (3 जनवरी 1903 – 20 मार्च 1970) भारतीय आदिवासियों और झारखंड आंदोलन के एक सर्वोच्च नेता थे। वे एक जाने माने राजनीतिज्ञ, पत्रकार, लेखक, संपादक, शिक्षाविद् और 1925 में ‘ऑक्सफोर्ड ब्लू’ का खिताब पाने वाले हॉकी के एकमात्र अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी थे। उनकी कप्तानी में १९२८ के ओलिंपिक में भारत ने पहला स्वर्ण पदक प्राप्त किया। जयपाल सिंह छोटा नागपुर (अब झारखंड) राज्य की मुंडा जनजाति के थे। मिशनरीज की मदद से वह ऑक्सफोर्ड के सेंट जॉन्स कॉलेज में पढ़ने के लिए गए। वह असाधारण रूप से प्रतिभाशाली थे। उन्होंने पढ़ाई के अलावा खेलकूद, जिनमें हॉकी प्रमुख था, के अलावा वाद-विवाद में खूब नाम कमाया। उनका चयन भारतीय सिविल सेवा (आईसीएस) में हो गया था। आईसीएस का उनका प्रशिक्षण प्रभावित हुआ क्योंकि वह 1928 में एम्सटरडम में ओलंपिक हॉकी में पहला स्वर्णपदक जीतने वाली भारतीय टीम के कप्तान के रूप में नीदरलैंड चले गए थे। वापसी पर उनसे आईसीएस का एक वर्ष का प्रशिक्षण दोबारा पूरा करने को कहा गया (बाबूगीरी का आलम तब भी वही था जो आज है!)। उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया। उन्होंने बिहार के शिक्षा जगत में योगदान देने के लिए तत्कालीन बिहार कांग्रेस अध्यक्ष डा.
देखें भारतीय सिविल सेवा और जयपाल सिंह मुंडा
जग मोहन
जगमोहन मल्होत्रा (जन्म: 25 सितम्बर, 1927) भारतीय सिविल सेवा के भूतपूर्व नौकरशाह तथा भारतीय जनता पार्टी के राजनेता हैं। उन्हें प्रायः केवल 'जगमोहन' नाम से पुकारा जाता है। वे दिल्ली तथा गोवा के उपराज्यपाल तथा जम्मू और कश्मीर के राज्यपाल रहे। वे लोकसभा में भी निर्वाचित हुए थे तथा नगरीय विकास मंत्री तथा पर्यटन मंत्री रहे। उन्हे सन १९७७ में भारत सरकार द्वारा प्रशासकीय सेवा के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। .
देखें भारतीय सिविल सेवा और जग मोहन
जॉर्ज ऑरवेल
जॉर्ज ऑरवेल जॉर्ज ऑरवेल (अंग्रेज़ी: George Orwell, मूल नाम एरीक अर्तुर ब्लेर, Eric Arthur Blair; 25 जून 1903 - 21 जनवरी 1950) — अंग्रेज़ी लेखक तथा लोक प्रचारक। जॉर्ज ऑरवेल (1903-1950) के संबंध में खास बात यह है कि उनका जन्म भारत में ही बिहार के मोतिहारी नामक स्थान पर हुआ था। उनके पिता ब्रिटिश राज की भारतीय सिविल सेवा के अधिकारी थे। ऑरवेल का मूल नाम 'एरिक आर्थर ब्लेयर' था। उनके जन्म के साल भर बाद ही उनकी मां उन्हें लेकर इंग्लैण्ड चलीं गयीं थीं, जहां सेवानिवृत्ति के बाद उनके पिता भी चले गए। वहीं पर उनकी शिक्षा हुई। श्रेणी:अंग्रेज लेखक श्रेणी:ब्रिटिश लेखक श्रेणी:फ्रांसीसी भाषा के साहित्यकार श्रेणी:अंग्रेज़ी भाषा के साहित्यकार श्रेणी:1903 में जन्मे लोग श्रेणी:१९५० में निधन.
देखें भारतीय सिविल सेवा और जॉर्ज ऑरवेल
वाराणसी
वाराणसी (अंग्रेज़ी: Vārāṇasī) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का प्रसिद्ध नगर है। इसे 'बनारस' और 'काशी' भी कहते हैं। इसे हिन्दू धर्म में सर्वाधिक पवित्र नगरों में से एक माना जाता है और इसे अविमुक्त क्षेत्र कहा जाता है। इसके अलावा बौद्ध एवं जैन धर्म में भी इसे पवित्र माना जाता है। यह संसार के प्राचीनतम बसे शहरों में से एक और भारत का प्राचीनतम बसा शहर है। काशी नरेश (काशी के महाराजा) वाराणसी शहर के मुख्य सांस्कृतिक संरक्षक एवं सभी धार्मिक क्रिया-कलापों के अभिन्न अंग हैं। वाराणसी की संस्कृति का गंगा नदी एवं इसके धार्मिक महत्त्व से अटूट रिश्ता है। ये शहर सहस्रों वर्षों से भारत का, विशेषकर उत्तर भारत का सांस्कृतिक एवं धार्मिक केन्द्र रहा है। हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत का बनारस घराना वाराणसी में ही जन्मा एवं विकसित हुआ है। भारत के कई दार्शनिक, कवि, लेखक, संगीतज्ञ वाराणसी में रहे हैं, जिनमें कबीर, वल्लभाचार्य, रविदास, स्वामी रामानंद, त्रैलंग स्वामी, शिवानन्द गोस्वामी, मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, पंडित रवि शंकर, गिरिजा देवी, पंडित हरि प्रसाद चौरसिया एवं उस्ताद बिस्मिल्लाह खां आदि कुछ हैं। गोस्वामी तुलसीदास ने हिन्दू धर्म का परम-पूज्य ग्रंथ रामचरितमानस यहीं लिखा था और गौतम बुद्ध ने अपना प्रथम प्रवचन यहीं निकट ही सारनाथ में दिया था। वाराणसी में चार बड़े विश्वविद्यालय स्थित हैं: बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइयर टिबेटियन स्टडीज़ और संपूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय। यहां के निवासी मुख्यतः काशिका भोजपुरी बोलते हैं, जो हिन्दी की ही एक बोली है। वाराणसी को प्रायः 'मंदिरों का शहर', 'भारत की धार्मिक राजधानी', 'भगवान शिव की नगरी', 'दीपों का शहर', 'ज्ञान नगरी' आदि विशेषणों से संबोधित किया जाता है। प्रसिद्ध अमरीकी लेखक मार्क ट्वेन लिखते हैं: "बनारस इतिहास से भी पुरातन है, परंपराओं से पुराना है, किंवदंतियों (लीजेन्ड्स) से भी प्राचीन है और जब इन सबको एकत्र कर दें, तो उस संग्रह से भी दोगुना प्राचीन है।" .
देखें भारतीय सिविल सेवा और वाराणसी
विष्णु सहाय
विष्णु सहाय (22 नवम्बर 1901– 3 अप्रैल 1989) पूर्व आयसीएस अधिकारी और केबिनेट सचिव थे जिन्होंने अपनी सेवानिवृत्ति के पश्चात नागालैण्ड और असम के राज्यपाल के रूप में अपनी सेवायें दी। .
देखें भारतीय सिविल सेवा और विष्णु सहाय
इरा सिंघल
इरा सिंघल भारतीय सिविल सेवा में कार्यरत हैं। वह संघ लोक सेवा आयोग द्वारा वर्ष 2014 में आयोजित सिविल सेवा परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त कर चुकी हैं। सिंघल चौथी बार में ये कामियाबी प्राप्त कर सकी हैं और वह पहली अपाहिज महिला हैं जिन्होंने सर्वजनिक श्रेणी में ऊँचा स्थान पाया है। .
देखें भारतीय सिविल सेवा और इरा सिंघल
कंपनी राज
कंपनी राज का अर्थ है ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी द्वारा भारत पर शासन। यह 1773 में शुरू किया है, जब कंपनी कोलकाता में एक राजधानी की स्थापना की है, अपनी पहली गवर्नर जनरल वार्रन हास्टिंग्स नियुक्त किया और संधि का एक परिणाम के रूप में बक्सर का युद्ध के बाद सीधे प्रशासन, में शामिल हो गया है लिया जाता है1765 में, जब बंगाल के नवाब कंपनी से हार गया था, और दीवानी प्रदान की गई थी, या बंगाल और बिहार में राजस्व एकत्रित करने का अधिकार हैशा सन १८५८ से,१८५७ जब तक चला और फलस्वरूप भारत सरकार के अधिनियम १८५८ के भारतीय विद्रोह के बाद, ब्रिटिश सरकार सीधे नए ब्रिटिश राज में भारत के प्रशासन के कार्य ग्रहण किया। .
देखें भारतीय सिविल सेवा और कंपनी राज
के जी अम्बेगाओंकर
के जी अम्बेगाओंकर 14 जनवरी 1957 से लेकर 28 फ़रवरी 1957 तक भारतीय रिज़र्व बैंक के पांचवे गवर्नर थे। वह भारतीय सिविल सेवा के सदस्य थे और भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर के रूप में अपनी नियुक्ति से पहले वित्त सचिव के रूप में सेवा कर चुके थे। .
देखें भारतीय सिविल सेवा और के जी अम्बेगाओंकर
अन्ना राजम मल्होत्रा
अन्ना राजम मल्होत्रा (जन्म: 1927) भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल होने वाली पहली भारतीय महिला हैं। वे 1951 बैच की आई॰ ए॰ एस॰ अधिकारी हैं। ये महाराष्ट्र से हैं। अन्ना का जन्म एर्नाकुलम में हुआ। पहले कालीकट और बाद में मद्रास में शिक्षा ग्रहण करने के पश्चात उन्होने 1951 में भारतीय सिविल सेवा की परीक्षा उत्तीर्ण की और भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल होने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। 1951 में संघ लोक सेवा आयोग द्वारा संचालित आर एन बनर्जी और चार आईसीएस अधिकारियों के शामिल साक्षात्कार बोर्ड में उन्हें काफी हतोत्साहित किया गया और उन्हें विदेश सेवा और केन्द्रीय सेवाओं को चुनने हेतु कहा गया, किन्तु उन्होने बिना हतोत्साहित हुये मद्रास काडर चुना और पहले प्रयास में ही उसी वर्ष उनका चयन हुआ। उनका प्रारंभिक नाम अन्ना जॉर्ज है। उन्हें १९८९ में भारत सरकार द्वारा प्रशासकीय सेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य हेतु पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। .
देखें भारतीय सिविल सेवा और अन्ना राजम मल्होत्रा
अकबर के नवरत्न
अकबर के नवरत्न: टोडरमल, तानसेन, अबुल फजल, फैजी, अब्दुल रहीम भारत का महान मुगल बादशाह अकबर स्वयं निरक्षर होते हुए भी इतिहासज्ञों, चित्रकारों, सुलेख लिखने वाले केलिग्राफिस्ट, विचारकों, धर्म-गुरुओं, कलाकारों एवं बुद्धिजीवियो का विशेष प्रेमी था। कहा जाता है अकबर के दरबार में ऐसे नौ (९) गुणवान दरबारी थे जिन्हें कालांतर में अकबर के नवरत्न के नाम से भी जाना गया। .
देखें भारतीय सिविल सेवा और अकबर के नवरत्न
भारतीय सिविल सेवाएं के रूप में भी जाना जाता है।