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5 संबंधों: देहरादून जिला, भारत में सैन्य अकादमियाँ, भारतीय सैन्य अकादमी, सोमनाथ शर्मा, गुरबचन सिंह सलारिया।
देहरादून जिला
यह लेख देहरादून जिले के विषय में है। नगर हेतु देखें देहरादून। देहरादून, भारत के उत्तराखंड राज्य की राजधानी है इसका मुख्यालय देहरादून नगर में है। इस जिले में ६ तहसीलें, ६ सामुदायिक विकास खंड, १७ शहर और ७६४ आबाद गाँव हैं। इसके अतिरिक्त यहाँ १८ गाँव ऐसे भी हैं जहाँ कोई नहीं रहता। देश की राजधानी से २३० किलोमीटर दूर स्थित इस नगर का गौरवशाली पौराणिक इतिहास है। प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर यह नगर अनेक प्रसिद्ध शिक्षा संस्थानों के कारण भी जाना जाता है। यहाँ तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग, सर्वे ऑफ इंडिया, भारतीय पेट्रोलियम संस्थान आदि जैसे कई राष्ट्रीय संस्थान स्थित हैं। देहरादून में वन अनुसंधान संस्थान, भारतीय राष्ट्रीय मिलिटरी कालेज और इंडियन मिलिटरी एकेडमी जैसे कई शिक्षण संस्थान हैं। यह एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। अपनी सुंदर दृश्यवाली के कारण देहरादून पर्यटकों, तीर्थयात्रियों और विभिन्न क्षेत्र के उत्साही व्यक्तियों को अपनी ओर आकर्षित करता है। विशिष्ट बासमती चावल, चाय और लीची के बाग इसकी प्रसिद्धि को और बढ़ाते हैं तथा शहर को सुंदरता प्रदान करते हैं। देहरादून दो शब्दों देहरा और दून से मिलकर बना है। इसमें देहरा शब्द को डेरा का अपभ्रंश माना गया है। जब सिख गुरु हर राय के पुत्र रामराय इस क्षेत्र में आए तो अपने तथा अनुयायियों के रहने के लिए उन्होंने यहाँ अपना डेरा स्थापित किया। www.sikhiwiki.org.
देखें भारतीय राष्ट्रीय मिलिट्री कालेज और देहरादून जिला
भारत में सैन्य अकादमियाँ
भारतीय सैन्य सेवा ने पेशेवर सैनिकों को नई पीढ़ी के सैन्य विज्ञान, युद्ध कमान तथा रणनीति और सम्बंधित प्रौद्योगिकियों में प्रशिक्षण देने के उद्देश्य से भारत के विभिन्न हिस्सों में कई प्रतिष्ठित अकादमियों और स्टाफ कॉलेजों की स्थापना की है। .
देखें भारतीय राष्ट्रीय मिलिट्री कालेज और भारत में सैन्य अकादमियाँ
भारतीय सैन्य अकादमी
इंडियन मिलिटरी ऐकडमी (भारतीय सैन्य अकादमी) भारतीय सेना के अधिकारियों के प्रशिक्षण के लिए प्रमुख प्रशिक्षण स्कूल है। .
देखें भारतीय राष्ट्रीय मिलिट्री कालेज और भारतीय सैन्य अकादमी
सोमनाथ शर्मा
मेजर सोमनाथ शर्मा भारतीय सेना की कुमाऊँ रेजिमेंट की चौथी बटालियन की डेल्टा कंपनी के कंपनी-कमांडर थे जिन्होने अक्टूबर-नवम्बर, १९४७ के भारत-पाक संघर्ष में हिस्सा लिया था। उन्हें भारत सरकार ने मरणोपरान्त परमवीर चक्र से सम्मानित किया। परमवीर चक्र पाने वाले वे प्रथम व्यक्ति हैं। १९४२ में शर्मा की नियुक्ति उन्नीसवीं हैदराबाद रेजिमेन्ट की आठवीं बटालियन में हुई। उन्होंने बर्मा में द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अराकन अभियान में अपनी सेवाएँ दी जिसके कारण उन्हें मेन्शंड इन डिस्पैचैस में स्थान मिला। बाद में उन्होंने १९४७ के भारत-पाक युद्ध में भी लड़े और ३ नवम्बर १९४७ को श्रीनगर विमानक्षेत्र से पाकिस्तानी घुसपैठियों को बेदख़ल करते समय वीरगति को प्राप्त हो गये। उनके युद्ध क्षेत्र में इस साहस के कारण मरणोपरान्त परम वीर चक्र मिला। .
देखें भारतीय राष्ट्रीय मिलिट्री कालेज और सोमनाथ शर्मा
गुरबचन सिंह सलारिया
कैप्टन गुरबचन सिंह सलारिया परमवीर चक्र (29 नवंबर 1935 - 5 दिसंबर 1961) एक भारतीय सैन्य अधिकारी और संयुक्त राष्ट्र शांति अभियान के सदस्य थे। वह परमवीर चक्र प्राप्त करने वाले एकमात्र संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षक हैं। वह किंग जॉर्ज के रॉयल मिलिट्री कॉलेज और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के पूर्व छात्र थे। इन्हें यह सम्मान सन 1962 में मरणोपरांत मिला। दिसंबर 1961 में कांगो में संयुक्त राष्ट्र के ऑपरेशन के तहत कांगो गणराज्य में तैनात भारतीय सैनिकों में सलारिया भी शामिल थे। 5 दिसंबर को सलारिया की बटालियन को दो बख्तरबंद कारों पर सवार पृथकतावादी राज्य कातांगा के 150 सशस्त्र पृथकतावादियों द्वारा एलिज़ाबेविले हवाई अड्डे के मार्ग के अवरुद्धीकरण को हटाने का कार्य सौंपा गया। उनकी रॉकेट लांचर टीम ने कातांगा की बख्तरबंद कारों पर हमला किया और नष्ट कर दिया। इस अप्रत्याशित कदम ने सशस्त्र पृथकतावादियों को भ्रमित कर दिया, और सलारिया ने महसूस किया कि इससे पहले कि वे पुनर्गठित हो जाएं, उन पर हमला करना सबसे अच्छा होगा। हालांकि उनकी सेना की स्थिति अच्छी नहीं थी फिर भी उन्होंने पृथकतावादियों पर हमला करवा दिया और 40 लोगों को कुकरियों से हमले में मार गिराया। हमले के दौरान सलारिया को गले में दो बार गोली मार दी और वह वीर गति को प्राप्त हो गए। बाकी बचे पृथकतावादी अपने घायल और मरे हुए साथियों को छोड़ कर भाग खड़े हुए और इस प्रकार मार्ग अवरुद्धीकरण को साफ़ कर दिया गया। अपने कर्तव्य और साहस के लिए और युद्ध के दौरान अपनी सुरक्षा की उपेक्षा करते हुए कर्तव्य करने के कारण सलारिया को भारत सरकार द्वारा वर्ष 1962 में मरणोपरांत परम वीर चक्र से सम्मानित किया गया। .
देखें भारतीय राष्ट्रीय मिलिट्री कालेज और गुरबचन सिंह सलारिया
भारतीय राष्ट्रीय मिलिटरी कालेज, इंडियन मिलिटरी कॉलेज के रूप में भी जाना जाता है।