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भारत सरकार की नई दूरसंचार नीति

सूची भारत सरकार की नई दूरसंचार नीति

(एनटीपी 1999) • प्रस्तावना दूरसंचार का महत्तव भारत सरकार (सरकार) ने यह माना है कि विश्व-स्तर की दूरसंचार - अवसंरचना तथा सूचना की व्यवस्था करना देश के त्चरित आर्थिक एवं सामाजिक विकास के लिये काफी महत्त्वपूर्ण है। यह न केवल सूचना-प्रौदयोगिकी के विकास के लिये महत्त्वपूर्ण है, बल्कि देश की समूची अर्थव्यवस्था पर भी इसका व्यापका प्रभाव पडेगा ऐसा भी अनुमान लगाया गया है कि आगे चलकर देश की जीडीपी में इस सेक्टर का बहुत योगदान रहेगा तदानुसार, देश के लिये यह बहुत ही महत्त्वपूर्ण बात है, कि उसकी अपनी एक ऐसी व्यापक एवं दूरगामी दूरसंचार नीति हो जो इस उदयोग के विकास के लिये एक संरचना का निर्माण करे। राष्ट्रीय दूरसंचार नीति1994-उद्देश्य एवं उपलब्धियाँ 1994 में, सरकार ने राष्ट्रीय दूरसंचार नीति की धोषणा की, जिसमें कुछ महत्त्वपूर्ण उद्दश्यों को परिभाषित किया गया। इसमें माँग पर टेलीफोन उपलब्ध कराना, उचित मूल्य पर विश्व स्तर की सेवाये प्रदान करना, भारत के प्रमुख विनिर्माण/निर्यात-आधार के रूप में उभरने की बात सुनिश्चित करना तथा सभी गावों में सार्वभौमिक बुनियादी दूरसंचार-सेवायें उपलबध कराना शामिल था। सरकार ने 1997 तक प्रप्त किये जाने वाले कई विशेष लक्ष्यों की भी घोषणा की। राष्ट्रीय दूरसंचार नीति, 1994 में 500 की शहरी जनसंख्या के लिये पीसीओ तथा 6 लाख गॉवों में टेलीफोन सुविधा प्रदान करने की तुलना में दूरसंचार विभाग ने प्रति 522 की शहरी जनसंख्या के लिये 1 पीसीओ प्रदान करने का लक्ष्य प्रप्त किया, तथा केवल 3.1 लाख गावों में ही टेलीफोन-सुविधा प्रदान करा पाया जहॉ तक देश में कुल टेलीफोन -लाइनों की व्यवस्था का सम्बन्ध हौ, दूरसंचार-विभाग ने ऑठवी योजना के 7.5 मिलियन लाइनों के लक्ष्य की तुलना में 8.73 मिलियन टेलीफोन लाइनें प्रदान की हैं। राष्ट्रीय दूरसंचार-नीति, 1994 में भी यह स्वीकार किया गया है कि इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये अपेक्षित संसाधन, मात्र सरकारी-स्रोत से ही उपलब्ध नही हो पाएंगे और यह निर्ष्कष निकाला है कि संसाधनों के इस अंतराल को पूरा करने के लिये निजी निवेश और निजी क्षेत्र की भागीदारी का होना आवश्यक था। सरकार ने 1990 के प्रारंभ से एक चरणबध्द तरीके से निजी क्षेत्र भागीदारी आमंत्रित की जिसमें शुरू में पेजिंग सेवा-और सेल्यूलर मोबाइल टेलीफोन सेवायें (सीएमटीएस) जैसी मूल्यवर्धित सेवायें और तत्पश्चात स्थिर टेलीफोन सेवायें (एफ एस टी) निजी क्षेत्राप्त को देने का निर्णय लिय। बोली की एक प्रतियोगी प्रक्रिया के बाद, चार माहनगरों में 8 सीएमटी-प्रचालकों, 18 राज्यों के सर्किलों में 14 सीएमटीएस प्रचालकों, 6 राज्यों के सर्किलों में 6 बीटीएस प्रचालकों तथा 27 शहरों एवं 18 राज्यों के सर्किलों में पेजिंग-प्रचालकों को लाइसेंस दिये गये थे। क्लोज्ड यूजर ग्रुपों के लिये डाटा-सेवायें प्रदान करने के लिए वी-सेट सेवाओं को उदार वनाया गया। निजी क्षेत्रों के 14 प्रचालाकों को लाइसेंस जारी किए गये, जिसमें से केवल 9 लाइसेंस धारक काम कर रहे हैं। सरकार ने हाल में निजी प्रचालकों द्वारा इन्टरनैट सर्विस-प्रोविजन (आईएसपी) के लिए नीति धोषित की और इसके लिए लाइसेंस देना शुरू किया है। सरकार ने उपग्रह द्वारा ग्लोबल माबाइल परसनल कम्युनीकेशन (जीएसपीसीएस) प्रारम्भ करने की भी घोषणा की और इसके लिए एक अस्थाई लाइसेंस जारी किया। अन्य प्रत्याशित जीएमपीसीएस प्रचालकों को लाइसेंस जारी करने पर विचार किया जा रहा है। सरकार ने स्वीकार किया है कि अब तक निजीकरण का परिणाम पूरी तरह से संतोषजनक नहीं रहा। यद्यपि, महानगरों और राज्यों में सेल्यूलर माप्रबाइल नेटवर्क योजना में तेजी से वृध्दि हुई है और इस समय इसके एक मिलियन से भी अधिक उपभोक्ता हो गये है, लेकिन अधिकांश परियोजनाओं को मुश्किलों का सामना करना पड रहा है। सेल्यूलर और बुनियादी सेवा प्रचालकों के अनुसार इसका मुख्य कारण इन पिरयोजनाओं द्वारा अनुमान से काफी कम राजस्व की वसूली किया जाना रहा हैं तथा इसके परिणामस्वरूप, प्रचालक अपनी परियोजनाओं के लिये वित्त-व्यवस्था करने में असमर्थ हैं और इस लिये वे अपनी परियोजनाओं को पूरा नही कर पा रहें हैं। निजी प्रचालकों द्वारा लाइसेंस प्राप्त 6 सर्किलों में से केवल दो में ही बुनियादी दूरसंचार सेवाएं शुरू की गयी हैं। इसके कारण, राष्ट्रीय दूरसचार नीति, 1994 के उद्देश्यों में यथा -प्रस्तावित कुछ एक लक्ष्य पूरे नही किये जा सके हैं। राष्ट्रीय दूरसचार नीति, 1994 में हमने जो परिकल्पना की थी, उसकी तुलना में निजी क्षेत्र का प्रवेश कम रह है। सरकार ने, उपराप्रक्त गतिविधियों के प्रति चिन्ता जताई, क्योंकि इससे इस सेक्टर के आगे के विकास पर बुरा प्रभाव पडेगा तथा सरकार ने इस सेक्टर के लिये दूरसचार नीति, के ढॉचे पर नये सिरे से सोचने की आवश्यक्ता को स्वीकार किया है। नई दूरसंचार नीति की आवश्यक्ता राष्ट्रीय दूरसंचार नीति, 1994 के पूरे नही किये जा रहे कुछ उद्देश्यों के अलावा हाल ही में दूरसंचार, सूचना-प्रौद्योगिकी, उपभोक्ता-इलेक्ट्रॉनिक और मीडिया उद्योग में विश्वभर में व्यापक विकास हुआ है। मार्केट और प्रौद्योगिकियॉ दोंनो का एक दूसरे के प्रति अभिमुख होना एक ऐसी वास्तविकता है, जो उद्योग के 'रिएलाइनमेंट' पर दबाव डाल रही है। एक ओर, टेलीफोन और प्रसारण उद्योग एक-दूसरे के बाजार में प्रवेश कर रहे हैं, तो दूसरी ओर वायरलाइन और वायरलेस-जैसी भिन्न कण्डयूट-प्रणालियों के बीच के अंतर को प्रौद्योगिकी कम कर रही है। अधिकाँश देशों की भांति, हमारे देश में बुनियादी सेल्यूलर, आईएसपी, उपग्रह और केबल टीवी-प्रचालकों को अलग-अलग लाइसेंस जारी किए गऐ हैं। अपना बुनियादी ढांचा तैयार करने के लिए, इनमें प्रत्येक का अपने उद्योग का अलग स्वरूप होगा, कार्य-क्षेत्र में प्रवेश की शर्तें तथा जरूरतें भी अलग-अलग होंगी तथापि, इस अभिमुखता से, अब तकनीकि दृष्टि से, प्रचालक अपनी सुविधाओं से कुछ एसी सुविधायें देने की स्थिति में हो गये हैं जो दूसरे प्रचालकों के लिये आरक्षित हैं। इस मौजूदा नीतिगत ढॉचे से यह भी अपेक्षा की जाती है कि इससे भारत को सूचना-पौद्योगिकी के क्षेत्र में एक महाशक्ति बनने और देश में विश्व स्तरीय दूरसंचार ढाँचा विकसित करने में सहायता मिलेगी। नई दूरसंचार नीति, 1999 के उद्देश्य एवं लक्ष्य नई दूरसंचार नीति, 1999 के उद्देश्य निम्नानुसार हैः- देश के सामाजिक एवं आर्थिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये दूर संचार-सुविधा का होना अति महत्तव पूर्ण हैं सभी नागरिकाप्त के लिये वहनीय और प्रभावकारी सचांर सुविधायें प्रदान करना दूरसचांर नीति की दूर द्रष्टि तथा ल्क्ष्य है। उन सभी क्षेत्रों और विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में सार्वभौमिक दूरसंचार सेवा की व्यवस्था को बराबर बनाए रखना, जहाँ यह सुविधा उपलब्ध नही करायी गयी है तथा देश की अर्थव्यवस्था की जरूरतों को पूरा करने में उच्च स्तर की समर्थ सेवाएं प्रदान करना। • देश के दूरवर्ती, पहाड़ी और जनजातीय क्षेत्रों में दूरसंचार सुविधाओं के विकास को प्रोत्साहन देना। • सूचना-प्रौद्योगिकी, मीडिया, दूर संचार और उपभोक्ता-इलेंक्ट्रोनिक की अभिमुख्ता को ध्यान में रखते हुए, एक आधुनिक और सक्षम दूरसंचार का बुनियादी ढॉचा तैयार करना और फिर भारत को सूचना-प्रौद्ययोगिकी में एक महाशक्ति बनने के लिये प्रेरित करना। • पीसीओ को मल्टी मीडिया क्षमता वाले और विशेषकर आईएसडीएन सेवाएं, दूरवर्ती डेटा बेस एक्सेस, सहकारी एवं कम्यूनिटी सूचना प्रणालियों आदि को पब्लिक टेली-इनफो-केन्द्रों में बदलना। • शहरी और ग्रामीण, दोनों ही क्षेत्रों में दूरसंचा-सेक्टर को एक समयबध्द तरीके से ऐसे प्रतिस्पर्धात्मक वातावरण में बदलना, जहाँ सभी सेवा-प्रदाताओं को समान अवार मिले सके। • देश में अनुसंधान एवं विकास संबधी प्रयासों को मजबूत बनाना तथा विश्व स्तर की विनिर्माण-क्षमताऐं तैयार करने के लिये एक प्रेरणा शक्ति प्रदान करना और • स्पैक्ट्रम-मैनेजमेंन्ट में कार्य कुशलता एवं पारदर्शिता प्राप्त करना। • देश की रक्षा और सुरक्षा हितों को संरक्षण प्रदान करना • भारतीय दूरसंचार-कम्पनियों को विश्वभर में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने के योग्य बनाना। उपराप्रक्त उद्देश्यों के उनुसार, राष्ट्रीय दूरसंचार नीति, 1999 में विशेष लक्ष्यों को प्राप्त करने का प्रयास किया जाना हैं, वे निम्नानुसार होंगे o वर्ष 2002 तक मॉग पर टेलीफोन उपलब्ध कराना तथा बाद में भी इसे कायम रखना, ताकि वर्ष 2005 तक 7 और 2010 तक 15 का टेली-धनत्तव प्राप्त किया जा सके। o ग्रमीण क्षेत्रों में दूरसंचार के विकास को बढावा देना, उपयुक्त किराया ढॉचा तैयार करके इसे और वहनीय बनाना तथा सभी स्थायी सेवा प्रदाताओं के लिये ग्रामीण संचार प्रदान करने को अनिवार्य बनाना। o वर्ष 2010 तक ग्रामीण टेली-धनत्तव के 0.4 के वर्तमान स्तर को बढ़ाकर 4 तक पहूॅचाना तथा सभी ग्रामीण क्षेत्रों में विश्वसनीय संचारण मीडिया प्रदान करना। o देश के सभी गावों में टेलीफोन -सुविधायें प्रदान करने का लक्ष्य प्राप्त करना व वर्ष 2002 तक सभी एक्सचेन्जों में विश्वसनीय मीडिया प्रदान करना। o वर्ष 2000 तक सभी जिला मुख्यालयों में इंटरनेट-सुविधायें प्रादान करना। o वर्ष 2002 तक 2 लाख से अधिक आबादी वालप्र सभी कसबाप्त में आई-एस-डी-एप्रन सहित उच्च गति डेटा तथा मल्टी मीडिया कप्रपप्रबिलिटी वाली प्रौद्याप्रगिकी प्रदान करना। नया नीतिगत ढॉचा नया नीतिगत ढॉचा, एक ऐसा वातावरण तैयार करने पर केन्दित हो, जो इस क्षेत्र में निवेश को बराबर आकर्षित करता रहे तथा प्रौद्योगिकीय विकास का लाभ उठाकर संचार का बुनियादी ढॉचा तैयार करने में सहायक हो सके। इसके लिये नया नीतिगत ढॉचा दूरसंचार सेवा -क्षेत्र पर निम्नानुसार विचार करेगाः- • सेल्यूलर मोबाइल सेवा प्रदाता-फिक्स्ड सेवा प्रदाता और केबिल सेवा प्रदाता, जिन्हैं संयुक्त रूप से 'एक्सेस-प्रोवाइडर्स ' कहा गया है। • 'रेडियो पेजिंग -सेवा-प्रदाता ' • 'सार्वजिनिक मोबाइल रेडियो ट्रकिंग -सेवा-प्रदाता '। • राष्टीय लम्बी दूरी के प्रचालक • अतंराष्ट्रीय लम्बी दूरी के प्रचालक • अन्य सेवा प्रदाता • ग्लोबल मोबाइल पर्सनल कम्यूनीकेशन बाई सेटलाइट (जीएमपीसीएस) सेवा प्रदाता। • वी-सैट आधारित सेवा प्रदाता। अभिगम्यता प्रदाता सेल्यूलर मोबाइल सेवा प्रदाता सेल्यूलर मोबाइल सेवा प्रदाता (सीएमएसपी) को किसी अतिरिक्त लाइसेंस के बिना अपने सेवा क्षेत्र में अपने लंबी दूरी परियात को ले जाने की अनुमति सहित मोबाइल टेलींफोन सेवा प्रदान करने की अनुमति होगी। लाइसेंसधारी सेल्यूलर मोबाईल सेवा प्रदाता को अपने प्रचालन क्षेत्र में किसी अन्य सेवा प्रदाता (किसी अन्य सेल्यूलर मोबाइल सेवा प्रदाता सहित) के साथ अवसंरचनात्मक भागीदारी सहित, सीधी कनेक्टेविटी की अनुमति होगी। विभिन्न सेवा क्षेत्रों में सेवा प्रदाताओं के बीच इंटरकनेक्टेविटी की समीक्षा भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण के परामर्श से की जाएगी तथा राष्ट्रीय लंबी दूरी सेवा को खोलने के लिये संरचना के एक अंग के रूप में इसकी घोषणा 15 अगस्त 1999 तक कर दी जायगी। सेल्यूलर मोबाइल सेवा प्रदाता की 1 जनवरी 2000 से राष्ट्रीय लंबी दूरी सेवा शूरू करने के बाद सीधे इंटरकनेक्ट करने की अनुमति होगी। सेल्यूलर मोबाइल सेवा प्रदाताओं अपने सेवा प्रचालन क्षेत्र में वायस, नान वायस संदेशो, डाटा सेवाओं तथा पीसीओ सहित किसी प्रकार की सेवा प्रदान करने की स्वतंत्रता होगी। इस प्रयोजन हेतु ये सेवा प्रदाता सर्किट तथा/या पैकेट स्विचों सहित किसी प्रकार के नेटवर्क उपस्कर प्रयोग कर सकते है बर्शते कि ये उपस्कर अंतराष्ट्रीय दूरसंचार यूनियन (आईटीयू) दूरसंचार इंजीनियरी केन्द्र के संगत मानकों के अनुसार है। सेल्यूलर मोबाइल सेवा प्रदाताओं को प्रत्येक सेवा क्षेत्र के लिये पृथक लाइसेंस दिया जायेगा। यह लाइसेंस प्रारम्भ में बीस वषों की अवधि के लिये दिया जायेगा तथा इसके बाद इसे दस वर्षो की अवधि के लिये बढाया जा सकेगा। इसके लिये सेवा क्षेत्रों को मौजूदा दूरसंचार नीति के अनुसार 4 बडे सर्किलों तथा दूरसंचार सर्किलों की श्रेणियों में बॉटा जायेगा। सेल्यूलर मोबाइल सेवा प्रदाता चाहें कितने ही सेवा क्षेत्रों के लिये लाइसेंस लेने के पात्र होंगे। प्रत्येक प्रचालक को पर्याप्त आवृति स्पैक्ट्रम की उपलब्धता न केवल इष्टतम बैंडबिडथ मुहैया करवाने के लिये अनिवार्य हैं बल्कि अतिरिक्त प्रचालको के प्रवेश के लिये भी यह जरूरी हैं। आवृति स्पैक्टस बैंड की तत्काल उपलब्धता के आधार पर पहले से ही लाइसेंस प्राप्त दो प्रचालको के अलावा दूरसंचार विभाग/महानगर टेलीफोन निगम लि0, यदि चाहें तो समयबध्द आधार पर तीसरे प्रचालक के रूप में प्रवेश कर सकते हैं। एक ही प्रकार की परिस्थितियों में विभिन्न प्रदाता के बीच बराबरी की सुनिश्चितता के लिये दूरसंचार विभाग को भी लाइसेंस शुल्क का भुगतान करना होगा। तथापि, चूकिं दूरसंचार विभाग राष्ट्रीय सेवा प्रदाता है तथा उसकी कई ग्रामीण तथा सामाजिक बाध्यताएं है, अतः सरकार दूरसंचार विभाग को पूरे लाइसेंस शुल्क को उपयुक्त प्रतिपूर्ति कर देगी। यह प्रस्ताव है कि स्पैक्ट्रम की उपलब्धता के उभरते परिदृश्य, स्पैक्ट्रम इष्टतम उपयोग बाजार की अपेक्षाएं, प्रतिस्पर्धा तथा जनता के अन्य हितों को घ्यान में रखते हुए समय-समय पर स्पैक्टम के उपयोग की समीक्षा की जानी चाहिये। किसी सेवा क्षेत्र में अधिक प्रचालकों को प्रवेश की अनुमति भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण की सिफारिसों के आधार पर होगी जो इसकी समीक्षा अपेक्षा अनुसार तथा हर हालत में दो वषों में करेगा। सेल्यूलर मोबाइल सेवा प्रदाताओं से प्रवेश शुल्क का एकबार भुगतान करना अपेक्षित होगा। प्रवेश-शुल्क निर्धारित करने तथा अतरिक्त प्रचालको के चयन का आधार भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण द्वारा निर्धारित किया जायेगा। एक बार के प्रवेश शुल्क के अलावा सेल्यूलर मोबाइल सेवा प्रदाताओं से यह भी अपेक्षा होगी कि वे राजस्व बटवारे के आधार पर लाइसेंस शुल्क का भुगतान करें। नई दूरसंचार नीति के उद्दश्यों को ध्यान में रखते हुए यह प्रस्ताव किया जाता है कि भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण उपयुक्त प्रवेश शुल्क तथा विभिन्न सेवा क्षेत्रों के लिये राजस्व बटवारे की व्यवस्था के बारे में समयबध्द रूप से सिफारिस करेगा। स्थिर (फिक्सड) सेवा प्रदाता स्थिर सेवा प्रदाता को अपने सेवा क्षेत्र में फिक्सड सेवा प्रदान करने के तथा लंबी दूरी परियात के लिये किसी अतरिक्त लाइसेंस के बगैर 'लास्ट माइल' लिंकेज स्थापित करने की अनुमति होगी। फिक्सड सेवा प्रदाताओं के बीच अथवा किसी अन्य सेवा प्रदाता (फिक्सड सेवा प्रदाता सहित) के बीच अपने प्रचालन क्षेत्र में अवसंरनात्मक भागीदारी सहित किसी अन्य सेवा के साथ सीधी कनेक्टिविटी की अनुमति होगी। विभिन्न सेवा क्षेत्रों में विभिन्न सेवा प्रदाताओं के बीच इंटरकनेक्टिविटी की समीक्षा भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण के परामर्श से की जायेगी जिसकी घोषण राष्ट्रीय लंबी दूरी सेवा शुरू करने के लिये ढाँचे के एक अंग के रूप में 15 अगस्त 1999 तक कर दी जाय

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