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भार

सूची भार

भौतिकी में किसी वस्तु पर पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के माप को भार या वज़न कहते हैं। पृथ्वी की सतह पर गुरुत्वाकर्षण के कारण त्वरण लगभग समान होता है, इसलिए किसी वस्तु का भार उसके द्रव्यमान के अनुपाती होता है। श्रेणी:मापन vi:Tương tác hấp dẫn#Trọng lực.

22 संबंधों: तुला, तोला (वज़न का माप), नेल्सन स्मारक, एडिनबर्ग, पदार्थ की मात्रा, बर्मा में प्रचलित मापन इकाइयाँ, बल (भौतिकी), भारतीय गणित, भौतिकी की शब्दावली, मापन प्रणालियाँ, माशा (वज़न का माप), मुक्केबाज़ी, रत्ती (वज़न का माप), रिसैट-२, शनि (ज्योतिष), सेर (वज़न का माप), सेंटीमीटर-ग्राम-सैकिण्ड इकाई प्रणाली, वायुमंडलीय दाब, ग़ज़ल, आपेक्षिकता सिद्धांत, किलोग्राम, क्रिस्टलता, अन्तरराष्ट्रीय मात्रक प्रणाली

तुला

पारम्परिक तराजू तुला या तराजू (balance), द्रव्यमान मापने का उपकरण है। भार की सदृशता का ज्ञान करानेवाले उपकरण को तुला कहते हैं। महत्वपूर्ण व्यापारिक उपकरण के रूप में इसका व्यवहार प्रागैतिहासिक सिंध में ईo पूo तीन सहस्राब्दी के पहले से ही प्रचलित था। प्राचीन तुला के जो भी उदाहरण यहाँ से मिलते हैं उनसे यही ज्ञात होता है कि उस समय तुला का उपयोग कीमती वस्तुओं के तौलने ही में होता था। पलड़े प्राय: दो होते थे, जिनमें तीन छेद बनाकर आज ही की तरह डोरियाँ निकाल कर डंडी से बाध दिए जाते थे। जिस डंडी में पलड़े झुलाए जाते थे वह काँसे की होती थी तथा पलड़े प्राय: ताँबे के होते थे। .

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तोला (वज़न का माप)

ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी के एक रुपये के चांदी के सिक्के ठीक एक तोले का वज़न रखते थे तोला भारतीय उपमहाद्वीप का एक पारम्परिक वज़न का माप है, जो आज भी ज़ेवर तोलने के लिए जोहरियों द्वारा प्रयोग किया जाता है। आधुनिक वज़न के हिसाब से एक तोला ११.६६३८०३८ ग्राम के बराबर है। .

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नेल्सन स्मारक, एडिनबर्ग

नेल्सन स्मारक या नेल्सन्स् माॅन्युमेन्ट(Nelson's Monument) एडिनबर्ग के नज़दीक काॅल्टन पहाड़ी पर स्थित एक टावर है जिसे एक ब्रिटिश नौसेना अधिकारी वाइस ऐडमिरल होराशियो नेल्सन की यादगार के तौर पर वर्ष १८०७ से १८१५ के बीच, नेल्सन की ट्रफ़ालगर की लड़ाई में स्पेनियाई और फ़्रान्सिसी सेनाओं पर वजय प्रापती की खुशी के स्मरण में, बनाया गया था। इसी लड़ाई में नेल्सन की मृत्यू भी हो गई थी। यह टावर काॅल्टन पहाड़ के सबसे ऊंचे स्थान पर स्थित है और इसे लीथ बंदर्गाह के किसी भी कोने से साफ़-साफ़ देखा जा सकता है। इसके पास में ही स्काॅटलैन्ड का अधनिर्मित राष्ट्रीय स्मारक भी स्थित है। इस पर एक टाइम बाॅल(कालगेंद) है, जो आज भी हर रोज़ ठीक १ बजे अपने मानक स्थान से गिरता है। हर ट्रफ़ालगर डेऽ(ट्रफ़ालगर दिवस) पर शाही नौसेना के सफेद पर्चम को इस पर से फ़हराया जाता है, जिसपर नेल्सन के प्रसिद्ध संदेश "इंगलेन्ड एक्सपेक्ट्स् दैट एव़्री मैन व़िल डू हिज़ ड्यूटी"("इंगलैंड उम्मीद करती है की हर व्यक्ती अपने करतव्य का पालन करेगा") अंकित होता है। २००९ में अंतिम बार इसकी मरम्मत की गई थी। .

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पदार्थ की मात्रा

किसी नमूने या प्रणाली के पदार्थ की मात्रा, n, एक भौतिक मात्रा है, जो कि उसमें स्थित मौलिक अस्तित्व कणों की संख्य के अनुपात में है। "मौलिक अस्तित्व कण" अणु, परमाणु, आयन, इलेक्ट्रान या कोई और कण भी हो सकते हैं, जिसका चुनाव सन्दर्भ आधारित है और नियत होना चाहिये.

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बर्मा में प्रचलित मापन इकाइयाँ

बर्मा विश्व के उन तीन देशों में शामिल है जो कि अन्तर्राष्ट्रीय इकाई प्रणाली का उपयोग नहीं करते हैं। हालाँकि कुछ अंग्रेजी मापन इकाईयाँ जैसे कि फर्लांग और एकड़ आज भी उपयोग में हैं पर मुख्यतः बर्मी इकाइयाँ ही उपयोग में ली जाती हैं।.

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बल (भौतिकी)

बल अनेक प्रकार के होते हैं जैसे- गुरुत्वीय बल, विद्युत बल, चुम्बकीय बल, पेशीय बल (धकेलना/खींचना) आदि। भौतिकी में, बल एक सदिश राशि है जिससे किसी पिण्ड का वेग बदल सकता है। न्यूटन के गति के द्वितीय नियम के अनुसार, बल संवेग परिवर्तन की दर के अनुपाती है। बल से त्रिविम पिण्ड का विरूपण या घूर्णन भी हो सकता है, या दाब में बदलाव हो सकता है। जब बल से कोणीय वेग में बदलाव होता है, उसे बल आघूर्ण कहा जाता है। प्राचीन काल से लोग बल का अध्ययन कर रहे हैं। आर्किमिडीज़ और अरस्तू की कुछ धारणाएँ थीं जो न्यूटन ने सत्रहवी सदी में ग़लत साबित की। बीसवी सदी में अल्बर्ट आइंस्टीन ने उनके सापेक्षता सिद्धांत द्वारा बल की आधुनिक अवधारणा दी। प्रकृति में चार मूल बल ज्ञात हैं: गुरुत्वाकर्षण बल, विद्युत चुम्बकीय बल, प्रबल नाभकीय बल और दुर्बल नाभकीय बल। बल की गणितीय परिभाषा है: जहाँ \vec बल, \vec संवेग और t समय हैं। एक ज़्यादा सरल परिभाषा है: जहाँ m द्रव्यमान है और \vec त्वरण है। .

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भारतीय गणित

गणितीय गवेषणा का महत्वपूर्ण भाग भारतीय उपमहाद्वीप में उत्पन्न हुआ है। संख्या, शून्य, स्थानीय मान, अंकगणित, ज्यामिति, बीजगणित, कैलकुलस आदि का प्रारम्भिक कार्य भारत में सम्पन्न हुआ। गणित-विज्ञान न केवल औद्योगिक क्रांति का बल्कि परवर्ती काल में हुई वैज्ञानिक उन्नति का भी केंद्र बिन्दु रहा है। बिना गणित के विज्ञान की कोई भी शाखा पूर्ण नहीं हो सकती। भारत ने औद्योगिक क्रांति के लिए न केवल आर्थिक पूँजी प्रदान की वरन् विज्ञान की नींव के जीवंत तत्व भी प्रदान किये जिसके बिना मानवता विज्ञान और उच्च तकनीकी के इस आधुनिक दौर में प्रवेश नहीं कर पाती। विदेशी विद्वानों ने भी गणित के क्षेत्र में भारत के योगदान की मुक्तकंठ से सराहना की है। .

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भौतिकी की शब्दावली

* ढाँचा (Framework).

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मापन प्रणालियाँ

मापन प्रणाली एक इकाइयों का समूह है, जो कि प्रत्येक उस वस्तु के परिमाण को दर्शाने हेतु प्रयोग होता है, जिसे मापा जा सकता है। क्योंकि यह व्यापार और आंतरिक वाणिज्य हेतु महत्वपूर्ण थीं, इसलिये, इन्हें इन्हें संशोधित, नियमित कर मानकीकृत किया गया था। वैज्ञानिक दृष्टि से, जब शोध किये गये, तो पता चला, कि कुछ इकाइयां मानक होतीं हैं, जिनसे कि अन्य सभी को व्युत्पन्न किया जा सकता है। पूर्व में यह राज्यों के शासकों द्वारा निर्धारित कर लागू किये जाती थीं। इसलिये ये आवश्यक रूप से सर्वानुकूल, या आपस में सामन्जस्य रखने वाली नहीं होती थीं। चाहे हम यह राय बनायें, कि मिस्र निवासियों ने मापन कला की खोज की थी; परन्तु वे यूनानी ही थे, जिन्होंने मापन कला खोजी थी। यूनानियों की ज्यामिती का ज्ञान और उनके आरम्भिक भार एवं मापों के प्रयोग, जल्दी ही वैज्ञानिक स्तर पर उनकी मापन प्रणाली को स्थान देने लगे.

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माशा (वज़न का माप)

"रत्ती" एक प्रकार का बीज होता है जिसपर "रत्ती" नाम का वज़न आधारित है - एक माशे में ८ रत्तियाँ होती हैं माशा भारतीय उपमहाद्वीप का एक पारम्परिक वज़न का माप है। आधुनिक वज़न के हिसाब से एक माशा लगभग ०.९७ ग्राम के बराबर है, यानि एक ग्राम से ज़रा कम। .

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मुक्केबाज़ी

मुक्केबाज़ी लड़ाई का एक खेल और एक मार्शल कला है, जिसमें दो लोग अपनी मुट्ठियों का प्रयोग करके लड़ते हैं। विशिष्ट रूप से मुक्केबाज़ी का संचालन एक-से तीन-मिनटों के अंतरालों, जिन्हें चक्र (Rounds) कहा जाता है, की एक श्रृंखला के दौरान एक रेफरी के द्वारा किया जाता है, तथा मुक्केबाज़ सामान्यतः एक समान भार वाले होते हैं। जीतने के तीन तरीके हैं; यदि विरोधी को गिरा दिया जाए तथा वह रेफरी द्वारा दस सेकंड की गिनती किये जाने से पूर्व उठ पाने में सक्षम न हो सके (एक नॉक-आउट या KO) अथवा यदि यह प्रतीत हो कि विरोधी इतना अधिक घायल हो चुका है कि वह खेल जारी रख पाने में असमर्थ है (एक तकनीकी नॉक-आउट या TKO).

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रत्ती (वज़न का माप)

" मुलेठी का बीज जिसे घुँघची कहा जाता है जिसपर "रत्ती" नाम का वज़न आधारित है रत्ती भारतीय उपमहाद्वीप का एक पारम्परिक वज़न का माप है, जो आज भी ज़ेवर तोलने के लिए जोहरियों द्वारा प्रयोग किया जाता है। आधुनिक वज़न के हिसाब से एक रत्ती लगभग ०.१२१२५ ग्राम के बराबर है। .

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रिसैट-२

रिसैट-२ (RISAT-2) भारत का एक कृत्रिम उपग्रह है। 'रिसैट', रडार इमैजिंग सैटेलाइट का लघुरूप है। यह सभी मौसमों में सुरक्षात्मक-निगरानी (surveillance) करने वाला उपग्रह है। इसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने २० अप्रैल को श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपित किया। रिसैट-दो किसी भी मौसम में पृथ्वी की तस्वीर खींचने में सक्षम है और बाढ़ एवं भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं के बारे में भी पता लगाने में उपयोगी है। रीसैट-२ में सिथेंटिक एपर्चर राडार (Synthetic Aperture Radar या एसएआर) लगा है जो पूर्व में प्रक्षेपित भारत के सुदूर संवेदन उपग्रहों से अलग है। यह सिग्नल के लिए कई एंटीना से लैस है, जिससे स्पष्ट तस्वीरें खींची जा सकती हैं। एसएआर का निर्माण इसराइल की एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज ने किया है, जो रक्षा क्षमताओं से युक्त है। एसएआर दिन-रात किसी भी मौसम और बादल वाले मौसम में भी तस्वीर खींच सकता है। इससे पहले भारतीय उपग्रहों में ऐसी क्षमता नहीं थी। .

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शनि (ज्योतिष)

बण्णंजी, उडुपी में शनि महाराज की २३ फ़ीट ऊंची प्रतिमा शनि ग्रह के प्रति अनेक आखयान पुराणों में प्राप्त होते हैं।शनिदेव को सूर्य पुत्र एवं कर्मफल दाता माना जाता है। लेकिन साथ ही पितृ शत्रु भी.शनि ग्रह के सम्बन्ध मे अनेक भ्रान्तियां और इस लिये उसे मारक, अशुभ और दुख कारक माना जाता है। पाश्चात्य ज्योतिषी भी उसे दुख देने वाला मानते हैं। लेकिन शनि उतना अशुभ और मारक नही है, जितना उसे माना जाता है। इसलिये वह शत्रु नही मित्र है।मोक्ष को देने वाला एक मात्र शनि ग्रह ही है। सत्य तो यह ही है कि शनि प्रकृति में संतुलन पैदा करता है, और हर प्राणी के साथ उचित न्याय करता है। जो लोग अनुचित विषमता और अस्वाभाविक समता को आश्रय देते हैं, शनि केवल उन्ही को दण्डिंत (प्रताडित) करते हैं। वैदूर्य कांति रमल:, प्रजानां वाणातसी कुसुम वर्ण विभश्च शरत:। अन्यापि वर्ण भुव गच्छति तत्सवर्णाभि सूर्यात्मज: अव्यतीति मुनि प्रवाद:॥ भावार्थ:-शनि ग्रह वैदूर्यरत्न अथवा बाणफ़ूल या अलसी के फ़ूल जैसे निर्मल रंग से जब प्रकाशित होता है, तो उस समय प्रजा के लिये शुभ फ़ल देता है यह अन्य वर्णों को प्रकाश देता है, तो उच्च वर्णों को समाप्त करता है, ऐसा ऋषि महात्मा कहते हैं। .

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सेर (वज़न का माप)

"रत्ती" एक प्रकार का बीज होता है जिसपर "रत्ती" नाम का वज़न आधारित है - एक "सेर" में ७,६८० रत्तियाँ आती हैं सेर भारतीय उपमहाद्वीप का एक पारम्परिक वज़न का माप है। आधुनिक वज़न के हिसाब से ऐक सेर लगभग ९३३ ग्राम के बराबर है, यानि एक किलोग्राम से ज़रा कम। .

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सेंटीमीटर-ग्राम-सैकिण्ड इकाई प्रणाली

। सेन्टीमीटर मापने का टेपसेंटीमीटर-ग्राम-सैकिण्ड इकाई प्रणाली (CGS) भौतिक इकाइयों के मापन की प्रणाली है। यह या~ंत्रिक इकाइयों हेतु सर्वदा समान है, पर्म्तु कई विद्युत इकाइयाँ जुडी़ हैं। इसका स्थान बाद में MKS इकाई प्रणाली ने ले लिया था, जिसमें मीटर, किलोग्राम सैकिण्ड प्रयोग होते थे,। वह भी बाद में अन्तर्राष्ट्रीय इकाई प्रणाली से बदली गयी। इस नयी प्रणाली में MKS प्रणाली की ही इकैयाँ थी, जिनके साथ साथ एम्पीयर, मोल, कैण्डेला और कैल्विन शामिल थे। .

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वायुमंडलीय दाब

ऊँचाई बढ़ने पर वायुमण्डलीय दाब का घटना (१५ डिग्री सेल्सियस); भू-तल पर वायुमण्डलीय दाब १०० लिया गया है। वायुमंडलीय दबाव पृथ्वी के वायुमंडल में किसी सतह की एक इकाई पर उससे ऊपर की हवा के वजन द्वारा लगाया गया बल है। अधिकांश परिस्थितियों में वायुमंडलीय दबाव का लगभग सही अनुमान मापन बिंदु पर उसके ऊपर वाली हवा के वजन द्वारा लगाए गए द्रवस्थैतिक दबाव द्वारा लगाया जाता है। कम दबाव वाले क्षेत्रों में उन स्थानों के ऊपर वायुमंडलीय द्रव्यमान कम होता है, जबकि अधिक दबाव वाले क्षेत्रों में उन स्थानों के ऊपर अधिक वायुमंडलीय द्रव्यमान होता है। इसी प्रकार, जैसे-जैसे ऊंचाई बढ़ती जाती है उस स्तर के ऊपर वायुमंडलीय द्रव्यमान कम होता जाता है, इसलिए बढ़ती ऊंचाई के साथ दबाव घट जाता है। समुद्र तल से वायुमंडल के शीर्ष तक एक वर्ग इंच अनुप्रस्थ काट वाले हवा के स्तंभ का वजन 6.3 किलोग्राम होता है (और एक वर्ग सेंटीमीटर अनुप्रस्थ काट वाले वायु स्तंभ का वजन एक किलोग्राम से कुछ अधिक होता है)। .

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ग़ज़ल

यह अरबी साहित्य की प्रसिद्ध काव्य विधा है जो बाद में फ़ारसी, उर्दू, नेपाली और हिंदी साहित्य में भी बेहद लोकप्रिय हुइ। संगीत के क्षेत्र में इस विधा को गाने के लिए इरानी और भारतीय संगीत के मिश्रण से अलग शैली निर्मित हुई। .

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आपेक्षिकता सिद्धांत

सामान्य आपेक्षिकता में वर्णित त्रिविमीय स्पेस-समय कर्वेचर की एनालॉजी के का द्विविमीयप्रक्षेपण। आपेक्षिकता सिद्धांत अथवा सापेक्षिकता का सिद्धांत (अंग्रेज़ी: थ़िओरी ऑफ़ रॅलेटिविटि), या केवल आपेक्षिकता, आधुनिक भौतिकी का एक बुनियादी सिद्धांत है जिसे अल्बर्ट आइंस्टीन ने विकसित किया और जिसके दो बड़े अंग हैं - विशिष्ट आपेक्षिकता (स्पॅशल रॅलॅटिविटि) और सामान्य आपेक्षिकता (जॅनॅरल रॅलॅटिविटि)। फिर भी कई बार आपेक्षिकता या रिलेटिविटी शब्द को गैलीलियन इन्वैरियन्स के संदर्भ में भी प्रयोग किया जाता है। थ्योरी ऑफ् रिलेटिविटी नामक इस शब्द का प्रयोग सबसे पहले सन १९०६ में मैक्स प्लैंक ने किया था। यह अंग्रेज़ी शब्द समूह "रिलेटिव थ्योरी" (Relativtheorie) से लिया गया था जिसमें यह बताया गया है कि कैसे यह सिद्धांत प्रिंसिपल ऑफ रिलेटिविटी का प्रयोग करता है। इसी पेपर के चर्चा संभाग में अल्फ्रेड बुकरर ने प्रथम बार "थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी" (Relativitätstheorie) का प्रयोग किया था। .

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किलोग्राम

एक किलोग्राम (साथ में क्रेडित कार्ड) यह चित्र, अन्तराष्ट्रीय मूलरूप किलोग्राम का एक कम्प्यूटर निर्मित चित्र है। इसके समीप रखा एक इंच का पैमाना है। इस भार को IPK भी कहते हैं। यह प्लैटिनम-इर्रीडियम मिश्रण का बना है और BIPM, सेवर्स, फ़्रांस में रखा है। किलोग्राम (चिन्ह: kg) भार की SI इकाई है। एक किलोग्राम की परिभाषानुसार,.

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क्रिस्टलता

क्रिस्टलता (crystallinity) किसी ठोस पदार्थ में ढांचे की सुव्यवस्था के माप को कहते हैं। क्रिस्टलों में परमाणु या अणु एक नियत व आवर्ती क्रम में सज्जित होते हैं। क्रिस्टलता काष्ठा (degree of crystallinity) का पदार्थ की कठोरता, घनत्व, पारदर्शिता और विसरण के गुणों पर भारी प्रभाव पड़ता है। .

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अन्तरराष्ट्रीय मात्रक प्रणाली

अन्तर्राष्ट्रीय मात्रक प्रणाली (संक्षेप में SI; फ्रेंच Le Système International d'unités का संक्षिप्त रूप), मीटरी पद्धति का आधुनिक रूप है। इसे सामान्य रूप में दशमलव एवं दस के गुणांकों में बनाया गया है। यह विज्ञान एवं वाणिज्य के क्षेत्र में विश्व की सर्वाधिक प्रयोग की जाने वाली प्रणाली है। पुरानी मेट्रिक प्रणाली में कई इकाइयों के समूह प्रयोग किए जाते थे। SI को 1960 में पुरानी मीटर-किलोग्राम-सैकण्ड यानी (MKS) प्रणाली से विकसित किया गया था, बजाय सेंटीमीटर-ग्राम-सैकण्ड प्रणाली की, जिसमें कई कठिनाइयाँ थीं। SI प्रणाली स्थिर नहीं रहती, वरन इसमें निरंतर विकास होते रहते हैं, परंतु इकाइयां अन्तर्राष्ट्रीय समझौतों के द्वारा ही बनाई और बदली जाती हैं। यह प्रणाली लगभग विश्वव्यापक स्तर पर लागू है और अधिकांश देश इसके अलावा अन्य इकाइयों की आधिकारिक परिभाषाएं भी नहीं समझते हैं। परंतु इसके अपवाद संयुक्त राज्य अमरीका और ब्रिटेन हैं, जहाँ अभी भी गैर-SI इकाइयों उनकी पुरानी प्रणालियाँ लागू हैं।भारत मॆं यह प्रणाली 1 अप्रैल, 1957 मॆं लागू हुई। इसके साथ ही यहां नया पैसा भी लागू हुआ, जो कि स्वयं दशमलव प्रणाली पर आधारित था। इस प्रणाली में कई नई नामकरण की गई इकाइयाँ लागू हुई। इस प्रणाली में सात मूल इकाइयाँ (मीटर, किलोग्राम, सैकण्ड, एम्पीयर, कैल्विन, मोल, कैन्डेला, कूलम्ब) और अन्य कई व्युत्पन्न इकाइयाँ हैं। कुछ वैज्ञानिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में एस आई प्रणाली के साथ अन्य इकाइयाँ भी प्रयोग में लाई जाती हैं। SI उपसर्गों के माध्यम से बहुत छोटी और बहुत बड़ी मात्राओं को व्यक्त करने में सरलता होती है। तीन राष्ट्रों ने आधिकारिक रूप से इस प्रणाली को अपनी पूर्ण या प्राथमिक मापन प्रणाली स्वीकार्य नहीं किया है। ये राष्ट्र हैं: लाइबेरिया, म्याँमार और संयुक्त राज्य अमरीका। .

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