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ब्रिटिश राजतंत्र

सूची ब्रिटिश राजतंत्र

ब्रिटिश एकराट्तंत्र अथवा ब्रिटिश राजतंत्र(British Monarchy, ब्रिटिश मोनार्की, ब्रिटिश उच्चारण:ब्रिठिश मॉंनाऱ्क़़ी), वृहत् ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैंड की संयुक्त राजशाही की संवैधानिक राजतंत्र है। ब्रिटिश एकाधिदारुक को संयुक्त राजशाही समेत कुल १५ राष्ट्रमण्डल प्रदेशों, मुकुटिया निर्भर्ताओं और समुद्रपार प्रदेशों के राजमुकुटों सत्ताधारक एकराजीय संप्रभु होने का गौरव प्राप्त है। वर्तमान सत्ता-विद्यमान शासक, ६ फरवरी वर्ष १९५२ से महारानी एलिजाबेथ द्वितीय हैं जब उन्होंने अपने पिता जॉर्ज षष्ठम् से राजगद्दी उत्तराधिकृत की थी। संप्रभु और उसके तत्काल परिवार के सदस्य देश के विभिन्न आधिकारिक, औपचारिक और प्रतिनिधि कार्यों का निर्वाह करते हैं। सत्ताधारी रानी/राजा पर सैद्धांतिक रूप से एक संवैधानिक शासक के अधिकार निहित है, परंतु सदियों पुराने आम कानून के कारण संप्रभु अपने अधिकतर शक्तियों का अभ्यास केवल संसद और सरकार के विनिर्देशों के अनुसार ही कार्यान्वित करने के लिए बाध्य हैं। इस कारण से, इसे वास्तविक तौर पर एक संसदीय सम्राज्ञता मानी जाता है। संसदीय शासक होने के नाते, शासक के अधिकतर अधिकार, निष्पक्ष तथा गैर-राजनैतिक कार्यों तक सीमित हैं। सम्राट, शासक और राष्ट्रप्रमुख होने के नाते उनके अधिकतर संवैधानिक शासन तथा राजनैतिक-शक्तियों का अभ्यय वे सरकार और अपने मंत्रियों की सलाह और विनिर्देशों पर ही करते हैं। परंपरानुसार शासक, ब्रिटेन के सशस्त्र बाल के अधिपति होते हैं। हालाँकि, संप्रभु के समस्त कार्य-अधिकारों का अभ्यय शासक के राज-परमाधिकार द्वारा होता है। वर्ष १००० के आसपास, इंग्लैंड और स्कॉटलैंड के राज्यों में कई छोटे प्रारंभिक मध्ययुगीन राज्य विकसित हुए थे। इस क्षेत्र में आंग्ल-सैक्सन लोगों का वर्चस्व इंग्लैंड पर नॉर्मन विजय के दौरान १०६६ में समाप्त हो गया, जब अंतिम आंग्ल-सैक्सन राजा हैरल्ड द्वितीय की मृतु हो गयी थी और अंग्रेज़ी सत्ता विजई सेना के नेता, विलियम द कॉंकरर और उनके वंशजों के हाथों में चली गयी। १३वीं सदी में इंग्लैंड ने वेल्स की रियासत को अवशोषित किया तथा मैग्ना कार्टा द्वारा संप्रभु के क्रमिक निःशक्तकरण की प्रक्रिया शुरू हुई। १६०३ में स्कॉटलैंड के राजा जेम्स चतुर्थ, अंग्रेजी सिंहासन पर जेम्स प्रथम के नाम से विराजमान होकर जो दोनों राज्यों को एक व्यक्तिगत संघ की स्थिति में ला खड़ा किया। १६४९ से १६६० के लिए अंग्रेज़ी राष्ट्रमंडल के नाम से एक क्षणिक गणतांत्रिक काल चला, जो तीन राज्यों के युद्ध के बाद अस्तिव में आया, परंतु १६६० के बाद राजशाही को पुनर्स्थापित कर दिया गया। १७०७ में परवर्तित एक्ट ऑफ़ सेटलमेंट, १७०१, जो आज भी परवर्तित है, कॅथॉलिक व्यक्तियों तथा कैथोलिक व्यक्ति संग विवाहित व्यक्तियों को अंग्रज़ी राजसत्ता पर काबिज़ होने से निष्कर्षित करता है। १७०७ में अंग्रेज़ी और स्कॉटियाई राजशाहियों के विलय से ग्रेट ब्रिटेन राजशही की साथपना हुई और इसी के साथ अंग्रज़ी और स्कोटिश मुकुटों का भी विलय हो गया और संयुक्त "ब्रिटिश एकराट्तंत्र" स्थापित हुई। आयरिश राजशही ने १८०१ में ग्रेट ब्रिटेन राजशाही के साथ जुड़ कर ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैंड की संयुक्त राजशाही की स्थापना की। ब्रिटिश एकराट्, विशाल ब्रिटिश साम्राज्य के नाममात्र प्रमुख थे, जो १९२१ में अपने वृहत्तम् विस्तार के समय विष के चौथाई भू-भाग पर राज करता था। १९२२ में आयरलैंड का पाँच-छ्याई हिस्सा आयरिश मुक्त राज्य के नाम से, संघ से बहार निकल गया। बॅल्फोर घोषणा, १९२६ ने ब्रिटिश डोमिनिओनों के औपनिवेशिक पद से राष्ट्रमंडल के भीतर ही विभक्त, स्वशासित, सार्वभौमिक देशों के रूप में परिवर्तन को मान्य करार दिया। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ब्रिटिश साम्राज्य सिमटता गया, और ब्रिटिश साम्राज्य के अधिकतर पूर्व उपनिवेश व प्रदेश स्वतंत्र हो गए। जो पूर्व उपनिवेश, ब्रिटिश शासक को अपना शासक मानते है, उन देशों को ब्रिटिश राष्ट्रमण्डल प्रमंडल या राष्ट्रमण्डल प्रदेश कहा जाता है। इन अनेक राष्ट्रों के चिन्हात्मक समानांतर प्रमुख होने के नाते, ब्रिटिश एकराट् स्वयं को राष्ट्रमण्डल के प्रमुख के ख़िताब से भी नवाज़ते हैं। हालांकि की शासक को ब्रिटिश शासक के नाम से ही संबोधित किया जाता है, परंतु सैद्धान्तिक तौर पर सारे राष्ट्रों का संप्रभु पर सामान अधिकार है, तथा राष्ट्रमण्डल के तमाम देश एक-दुसरे से पूर्णतः स्वतंत्र और स्वायत्त हैं। .

77 संबंधों: ऍक्ट ऑफ़ सेटलमेंट, १७०१, एॅलेक्ज़ॅण्डर होर-रथ्वेन, गाओरी के पहले अर्ल, डेल्नाडैम्फ़ लॉज, तुवालुवी राजतंत्र, थॉमस डेनमैन, तृतीय बॅरन डेनमैन, दक्षिण अफ़्रीकी संघ, न्यूज़ीलैण्ड का राजतंत्र, पापुआ न्यू गिनी का राजतंत्र, पिटकेर्न द्वीपसमूह, प्रिंसेस मार्गरेट, स्नोडन की काउंटेस, पॉल हॅज़लक, पीटर कॉस्ग्रोव, बहामियाई राजतंत्र, बारबाडोस का राजतंत्र, बिल ऑफ़ राइट्स, १६८९, बकिंघॅम पैलस, ब्रिटिश राजतंत्र, ब्रिटिश राजपरिवार, ब्रिटिश राजसत्ता का अनुक्रम, ब्रिटेन के शासक, ब्रिटेन के शाही निवासों की सूची, बेलीज़ियाइ राजतंत्र, बॅल्फ़ोर घोषणा, १९२६, मुकुट के मंत्री, मुकुटिय संपदाएँ, यूनाईटेड किंगडम की सरकार, यूनाइटेड किंगडम में राज-परमाधिकार, यॉर्क की राजकुमारी बियैट्रिस, राष्ट्रमण्डल प्रजाभूमि, राष्ट्रमण्डल के प्रमुख, राजमुकुट, राजकुमार एडवर्ड, वेसेक्स के अर्ल, राजकुमार हेनरी, ग्लॉस्टर के ड्यूक, रिचर्ड केसी, बॅरन केसी, रॉयल मैरेजेज़ ऍक्ट, १७७२, रोनाल्ड मुनरो फ़र्ग्यूसन, प्रथम वाइकाउण्ट नोवार, लेडी लुईज़ विन्ज़र, सिटी ऑफ़ वेस्टमिंस्टर, संयुक्त राजशाही का शाही कुलांक, संयुक्त राजशाही की राजनीति, सेंट लूसिया का राजतंत्र, सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस का राजतंत्र, सेंट किट्स और नेविस का राजतंत्र, सोफ़िया, हॅनोवर की निर्वाचिका, सोफ़ी, वेसेक्स की काउंटेस, सोलोमन द्वीप का राजतंत्र, हेनरी नॉर्थकोट, प्रथम बॅरन नॉर्थकोट, हेनरी फ़ोस्टर, प्रथम बॅरन फ़ोस्टर, हॅलम टेनिसन, दूसरे बॅरन टेनिसन, जमैकन राजतंत्र, ..., जेम्स माउण्टबैटन-विंड्सर, वाइकाउंट सेवर्न, जॉन ब्रेड, प्रथम वाइकाउण्ट स्टोनहॅवेन, जॉन होप, लिनलिथगो के प्रथम मार्क्विस, जॉन कर, वाइटहॉल पैलस, विलय के अधिनियम, १७०७, विलियम मैक्केल, विलियम मॉरिसन, प्रथम वाइकाउण्ट डनरॉसिल, विलियम सिडनी, प्रथम वाइकाउण्ट डी ल्'आइल, विलियम स्लिम, प्रथम वाइकाउण्ट स्लिम, विलियम हम्बल वार्ड, डड्ली के दूसरे अर्ल, वेस्टमिंस्टर की संविधि, १९३१, ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैंड की संयुक्त राजशाही, ग्रेनेडा का राजतंत्र, गैलिक आयरलैंड, ऑस्ट्रेलियाई राजतंत्र, आयरलैंड राजशाही, आयरलैंड की जागीरदारी, आयरिश मुक्त राज्य, आइज़ैक आइज़ैक्स, इंग्लैण्ड राज्य, कैनेडियाइ राजतंत्र, कैंटरबरी के आर्चबिशप, कॅबिनेट मैन्युअल, अण्टीगुआ और बारबुडा का राजतंत्र, अंतर्शासन काल, उत्तराधिकार परिषद् सूचकांक विस्तार (27 अधिक) »

ऍक्ट ऑफ़ सेटलमेंट, १७०१

ऍक्ट ऑफ़ सेटलमेंट(Act of Settlement) अर्थात् समाधान का अधिनियम, इंग्लैंड की संसद द्वारा सन् १७०१ में पारित एक अधिनियम था, जिसे अंग्रेजी और आयरिश राजमुकुटों पर उत्तराधिकार की समस्या का समाधान करने हेतु पारित किया गया था। इस अधिनियम को ब्रिटिश राजतंत्र के इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण विधानों में से एक माना जाता है। इस अधिनियम द्वारा, उत्तराधिकार के समाधान के रूप में, अंग्रेजी राजसत्ता के वारिस होने के हक़ को, हनोवर की निर्वाचिता, सोफ़िया(स्कॉटलैंड के जेम्स सष्टम की पौत्री) और उनके वंश की पुरुष-रेखा के जायज़, ग़ैर-रोमन कैथोलिक वंशजों को सौंप दिया था। इस अधिनियम के मौलिक दस्तावेज़ हनोवर के लोअर सैक्सन स्टेट पुरालेखागार में संरक्षित हैं। इस अधिनियम को विलियम तृतीय और रानी मैरी द्वितीय, और मैरी की बहन रानी ऐनी के कोई जीवित संतान उत्पन्न नहीं कर पाने, तथा स्टुअर्ट घराने के सभी सदस्यों के कैथोलिक धर्म होने के कारण किया गया था। सोफ़िया की वंशरेखा, स्टुअर्ट घराने की अवर्तम् रेखा थी, परंतु उसके सरे सदस्य वश्वास्पात्र प्रोटेस्टेंट थे। सोफ़िय का निधन, 8 जून 1714 को, 1 अगस्त 1714 को रानी ऐनी के देहांत से पहले ही होगई, जिसके पश्चात्, ज्याॅर्ज प्रथम ने सिंहासन पर विराज कर हनोवर वंश की शुरूआत की। इस अधिनियम ने स्काटलैंड और इंग्लैंड के विलय कर यय ग्रेट ब्रिटेन की स्थापना करने में अहम भूमिका निभाई थी। सन 1603 से ही दोनों देशों ने एक ही शासक को साझा किया था, परंतु दो भिन्न सारकारें थीं और ये दो वभक्त रूप से शासित देश थे। अंग्रेज़ी संसद के मुकाबले, स्काॅटियाई संसद, स्टुअर्ट घराने को, जरने स्काॅटलैंड पर इंग्लैण्ड पर हुकूमत करने से कहीं पहले से स्काॅटलैंड पर शासन करते आ रही थी, का त्याग करने का अधिक पक्ष में नहीं थी। एॅक्ट ऑफ़ सेटलमेंट को मंजूरी देने हेतु अंग्रेजी संसद का स्काॅटियाई संसद पर दबाव, इन दोनों देशों के संसदीय विलय का एक अतिमहत्वपूर्ण कारणों में से एक था। इस एॅक्ट के अंतर्गत, हर वो व्यक्ति, जो कि कैथलिक था, या किसी कैथोलिक व्यक्ति के संग विवाहित था, सिंहासन पर अधिकार से आजीवन वंजित होता है। साथ ही यह अधिनियम, विदेशियों का ब्रिटिश सर्कार में हस्तक्षेप तथा शासक का संसदीय कार्यों में हस्तक्षेप पर काफी रोक व सीमाएँ लगता है। हालांकि, इन विधानों में, बाद में, आवश्यक संशोधन भी लाए गए हैं। बिल ऑफ़ राइट्स, 1689 समेत, एॅक्ट ऑफ सेटलमेंट, ब्रिटेन और अन्य राष्ट्रमंडल प्रदेशों के साझा सिंहासन पर उत्तराधिकार के क्रम को अनुशासित करनेवाले मुख्यतम् विधानों में से एक है। इसे साँझा सिंहासन रखनेवाले देश की संसद द्वारा किसी अन्य संसद द्वारा पलटा नहीं जा सकता है, और रीतिनुसार, साआरे राष्ट्रमंडल प्रदेशों की स्वीकृति से ही इसे पलटा जा सकता है। पर्थ समझौते के पश्चात्‌, इसे संशोधित करने के विधानों को साथे प्रदेशों में 26 मार्च 2015 को पारित किया गया, जिसके बाद, कैथोलिक व्यक्ति के संग विवाहित व्यक्ति, उत्तराधिकार के लिए सक्षम हैं। .

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एॅलेक्ज़ॅण्डर होर-रथ्वेन, गाओरी के पहले अर्ल

ब्रिगेडियर जनरल एॅलेक्ज़ॅण्डर गोर आर्कराइट होर-रद़्वेन, गाओरी के पहले अर्ल (Alexander Hore-Ruthven, 1st Earl of Gowrie) एक ब्रिटिश राजनीतिज्ञ थे। उन्हें 23 जनवरी 1936-30 जनवरी 1945 के बीच, महाराज एडवर्ड अष्टम् और उनके उत्तराधिकारी, जॉर्ज षष्ठम् द्वारा, ऑस्ट्रेलिया के गवर्नर-जनरल यानि महाराज्यपाल के पद पर नियुक्त किया गया था। इस काल के दौरान वे, महाराज के प्रतिनिधि के रूप में, उनकी अनुपस्थिति के दौरान शासक के कर्तव्यों का निर्वाह करते थे। इसके अलावा, अपने व्यवसायिक जीवन के दौरान, उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य की सेवा में, विश्व भर में विस्तृत विभिन्न ब्रिटिश उपनिवेशों में, अन्य अनेक महत्वपूर्ण व वर्चस्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवा दी थी। .

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डेल्नाडैम्फ़ लॉज

डेल्नाडैम्फ़ लॉज, बैलमॉरल एस्टेट पर बैलमॉरल कासल से आठ मील की दूरी पर उत्तर दिशा में स्थित है। इसे महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय द्वारा 1978 में, एक अनुमानित £७,५०,००० में खरीद गया था। "The Queen buys grouse moor near Balmoral." The Times, London, 6 Jan.

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तुवालुवी राजतंत्र

तुवालुवी राजतंत्र, तुवालू की संवैधानिक राजतंत्र है। तुवालू के एकाधिदारुक को तुवालू और संयुक्त राजशाही समेत कुल १५ प्रजाभूमियों, का सत्ताधारक एकराजीय संप्रभु होने का गौरव प्राप्त है। वर्तमान सत्ता-विद्यमान शासक, ६ फरवरी वर्ष १९५२ से महारानी एलिजाबेथ द्वितीय हैं। अन्य राष्ट्रमण्डल देशों के सामान ही तुवालू की राजनीतिक व्यवस्था वेस्टमिंस्टर प्रणाली पर आधारित है, जिसमें राष्ट्रप्रमुख का पद नाममात्र होता है, और वास्तविक प्रशासनिक शक्तियां शासनप्रमुख पर निहित होते हैं। तुवालू सैद्धांतिक रूप से एक राजतंत्र है, और तुवालू के शासक के पदाधिकारी इसके राष्ट्रप्रमुख होते हैं, हालाँकि शासक की सारी संवैधानिक शक्तियों का अभ्यास, उनके प्रतिनिधि के रूप में, तुवालू के गवर्नर-जनरल करते हैं। अधिराट् यदी स्त्री हो तो उन्हें " तुवालू की रानी" के नाम हे संबोधित किया जाता है, और एक पुरुष अधिराट् को " तुवालू के राजा के नाम से संबोधित किया जाता है। .

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थॉमस डेनमैन, तृतीय बॅरन डेनमैन

थॉमस डेनमैन, तृतीय बॅरन डेनमैन (Thomas Denman, 3rd Baron Denman) एक ब्रिटिश राजनीतिज्ञ थे। उन्हें 31 जुलाई 1911-18 मई 1914 के बीच, महाराज जॉर्ज पंचम् द्वारा, ऑस्ट्रेलिया के गवर्नर-जनरल यानि महाराज्यपाल के पद पर नियुक्त किया गया था। इस काल के दौरान वे, महाराज के प्रतिनिधि के रूप में, उनकी अनुपस्थिति के दौरान शासक के कर्तव्यों का निर्वाह करते थे। इसके अलावा, अपने व्यवसायिक जीवन के दौरान, उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य की सेवा में, विश्व भर में विस्तृत विभिन्न ब्रिटिश उपनिवेशों में, अन्य अनेक महत्वपूर्ण व वर्चस्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवा दी थी। .

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दक्षिण अफ़्रीकी संघ

दक्षिण अफ़्रीकी संघ यानि यूनियन ऑफ़ साउथ ऍफ़्रिका, वर्त्तमान दक्षिण अफ़्रीका का पुरख राज्य था। इसकी स्थापना, ३१ मई १९१० में, अफ्रीका के दक्षिणी छोर पर ष्टिं चार पूर्व ब्रिटिश उपनिवेश:केप कॉलोनी, नटाल कॉलोनी, ट्रांसवाल उपनिवेश और ऑरेंज रिवर कॉलोनी के एकीकरण से हुई थी। संयुक्त प्रशासन की स्थापना के बाद, इन चार पूर्व उपनिवेशों को, प्रांतों बना दिया गया। द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात, जर्मनी के दक्षिण-पश्चिम अफ़्रीका उपनिवेश को भी लीग ऑफ़ नेशन्स द्वारा दक्षिण अफ़्रीकी संघ के प्रशासन के अंतर्गत एक मैंडेट के रूप में दे दिया गया। हालाँकि सैद्धान्तिक तौर पर यह एक मैंडेट था, परंतु वास्तविक रूप से इसे भी एक प्रान्त के रूप में प्रशासित किया जाता था। इसे ब्रिटिश साम्राज्य के एक डोमिनियन के रूप में स्थापित किया गया था। इसे ब्रिटेन द्वारा एक संवैधानिक राजशाही के रूप में प्रशासित किया जाता था, जिसमें एक गवर्नर-जनरल ब्रिटिश शासक के प्रतिनिधि के रूप में थे। ३१ मई १९६१ को, इस देश ने बिटिश ताज से अपना नाता तोड़ लिया और एक दक्षिण अफ़्रीकी गणराज्य के नाम से एक संप्रभु गणराज्य बन गयी। १९६१ के संविधान के परवर्तन के साथ ही इस राज्य का अंत हो गया। .

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न्यूज़ीलैण्ड का राजतंत्र

न्यूज़ीलैण्ड का राजतंत्र, न्यूज़ीलैण्ड की संवैधानिक राजतंत्र है। न्यूज़ीलैण्ड के एकाधिदारुक को न्यूज़ीलैण्ड और संयुक्त राजशाही समेत कुल १५ प्रजाभूमियों, का सत्ताधारक एकराजीय संप्रभु होने का गौरव प्राप्त है। वर्तमान सत्ता-विद्यमान शासक, ६ फरवरी वर्ष १९५२ से महारानी एलिजाबेथ द्वितीय हैं। अन्य राष्ट्रमण्डल देशों के सामान ही न्यूज़ीलैण्ड की राजनीतिक व्यवस्था वेस्टमिंस्टर प्रणाली पर आधारित है, जिसमें राष्ट्रप्रमुख का पद नाममात्र होता है, और वास्तविक प्रशासनिक शक्तियां शासनप्रमुख पर निहित होते हैं। न्यूज़ीलैण्ड सैद्धांतिक रूप से एक राजतंत्र है, और न्यूज़ीलैण्ड के शासक के पदाधिकारी इसके राष्ट्रप्रमुख होते हैं, हालाँकि शासक की सारी संवैधानिक शक्तियों का अभ्यास, उनके प्रतिनिधि के रूप में, न्यूज़ीलैण्ड के गवर्नर-जनरल करते हैं। अधिराट् यदी स्त्री हो तो उन्हें " न्यूज़ीलैण्ड की रानी" के नाम हे संबोधित किया जाता है, और एक पुरुष अधिराट् को " न्यूज़ीलैण्ड के राजा" के नाम से संबोधित किया जाता है। .

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पापुआ न्यू गिनी का राजतंत्र

पापुआ न्यू गिनी राजतंत्र, पापुआ न्यू गिनी की संवैधानिक राजतंत्र है। पापुआ न्यू गिनी के एकाधिदारुक को पापुआ न्यू गिनी और संयुक्त राजशाही समेत कुल १५ प्रजाभूमियों, का सत्ताधारक एकराजीय संप्रभु होने का गौरव प्राप्त है। वर्तमान सत्ता-विद्यमान शासक, ६ फरवरी वर्ष १९५२ से महारानी एलिजाबेथ द्वितीय हैं। अन्य राष्ट्रमण्डल देशों के सामान ही पापुआ न्यू गिनी की राजनीतिक व्यवस्था वेस्टमिंस्टर प्रणाली पर आधारित है, जिसमें राष्ट्रप्रमुख का पद नाममात्र होता है, और वास्तविक प्रशासनिक शक्तियां शासनप्रमुख पर निहित होते हैं। पापुआ न्यू गिनी सैद्धांतिक रूप से एक राजतंत्र है और पापुआ न्यू गिनी के शासक के पदाधिकारी इसके राष्ट्रप्रमुख होते हैं, हालाँकि शासक की सारी संवैधानिक शक्तियों का अभ्यास, उनके प्रतिनिधि के रूप में, पापुआ न्यू गिनी के गवर्नर-जनरल करते हैं। अधिराट् यदी स्त्री हो तो उन्हें "पापुआ न्यू गिनी की रानी" के नाम हे संबोधित किया जाता है, और एक पुरुष अधिराट् को "पापुआ न्यू गिनी के राजा के नाम से संबोधित किया जाता है। .

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पिटकेर्न द्वीपसमूह

पिटकेर्न द्वीपसमूह (पिटकेर्न: Pitkern Ailen), आधिकारिक नाम पिटकेर्न, हेण्डरसन, डूस तथा ओएनो द्वीपसमूह, दक्षिण प्रशान्त महासागर में चार ज्वालामुखीय द्वीप हैं जो कि ब्रिटिश समुद्रपार प्रदेश के अन्तर्गत आते हैं। ये चार द्वीप पिटकेर्न, हेण्डरसन, डूस तथा ओएनो नाम से जाने जाते हैं। इन सभी द्वीपों का संयुक्त क्षेत्रफल है। हेण्डरसन द्वीप कुल क्षेत्रफल का ८६% है। पिटकेर्न विश्व का सबसे छोटा राष्ट्रीय न्याय क्षेत्र है। अज इस द्वीप पर सिर्फ ५० स्थायी निवासी रहते हैं जो कि चार मुख्य परिवारों से हैं।Rob Solomon and Kirsty Burnett (January 2014).

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प्रिंसेस मार्गरेट, स्नोडन की काउंटेस

राजकुमारी मार्गरेट, स्नोडन की काउंटेस,(मार्गरेट रोज़; २१ अगस्त १९३०-९ फरवरी २००२) जॉर्ज सष्टम् और राजमाता एलिज़ाबेथ की छोटी बेटी और महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय की एकलौती बहन हैं। .

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पॉल हॅज़लक

परममान्य सर पॉल मीर्ना कॅड्वाला हॅज़लक (Paul Hasluck) एक ब्रिटिश राजनीतिज्ञ थे। उन्हें 30 अप्रैल 1969-11 जुलाई 1974 के बीच, महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय द्वारा, ऑस्ट्रेलिया के गवर्नर-जनरल यानि महाराज्यपाल के पद पर नियुक्त किया गया था। इस काल के दौरान वे, महारानी के प्रतिनिधि के रूप में, उनकी अनुपस्थिति के दौरान शासक के कर्तव्यों का निर्वाह करते थे। इसके अलावा, अपने व्यवसायिक जीवन के दौरान, उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य की सेवा में, विश्व भर में विस्तृत विभिन्न ब्रिटिश उपनिवेशों में, अन्य अनेक महत्वपूर्ण व वर्चस्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवा दी थी। .

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पीटर कॉस्ग्रोव

जनरल सर पीटर जॉन कॉस्ग्रोव (Peter Cosgrove) एक ऑस्ट्रेलियाई सैन्य अधिकारी और राजनीतिज्ञ हैं। उन्हें 28 मार्च 2014 को महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय द्वारा, ऑस्ट्रेलिया के गवर्नर-जनरल यानि महाराज्यपाल के पद पर नियुक्त किया गया था। वे ऑस्ट्रेलिया के 26 वेँ गवर्नर-जनरल हैं। .

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बहामियाई राजतंत्र

बहामियाई राजतंत्र, बहामाज़ राष्ट्रमण्डल की संवैधानिक राजतंत्र है। बहामाज़ के एकाधिदारुक को बहामाज़ और संयुक्त राजशाही समेत कुल १५ प्रजाभूमियों, का सत्ताधारक एकराजीय संप्रभु होने का गौरव प्राप्त है। वर्तमान सत्ता-विद्यमान शासक, ६ फरवरी वर्ष १९५२ से महारानी एलिजाबेथ द्वितीय हैं। अन्य राष्ट्रमण्डल देशों के सामान ही बहामाज़ की राजनीतिक व्यवस्था वेस्टमिंस्टर प्रणाली पर आधारित है, जिसमें राष्ट्रप्रमुख का पद नाममात्र होता है, और वास्तविक प्रशासनिक शक्तियां शासनप्रमुख पर निहित होते हैं। बहामाज़ राष्ट्रमण्डल सैद्धांतिक रूप से एक राजतंत्र है, और बहामाज़ के शासक के पदाधिकारी इसके राष्ट्रप्रमुख होते हैं, हालाँकि शासक की सारी संवैधानिक शक्तियों का अभ्यास, उनके प्रतिनिधि के रूप में, बहामाज़ के गवर्नर-जनरल करते हैं। अधिराट् यदी स्त्री हो तो उन्हें " बहामाज़ की रानी" के नाम हे संबोधित किया जाता है, और एक पुरुष अधिराट् को " बहामाज़ के राजा के नाम से संबोधित किया जाता है। .

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बारबाडोस का राजतंत्र

बार्बाडोसियाई राजतंत्र, बारबाडोस की संवैधानिक राजतंत्र है। बारबाडोस एकाधिदारुक को बारबाडोस और संयुक्त राजशाही समेत कुल १५ प्रजाभूमियों, का सत्ताधारक एकराजीय संप्रभु होने का गौरव प्राप्त है। वर्तमान सत्ता-विद्यमान शासक, ६ फरवरी वर्ष १९५२ से महारानी एलिजाबेथ द्वितीय हैं। अन्य राष्ट्रमण्डल देशों के सामान ही बारबाडोस की राजनीतिक व्यवस्था वेस्टमिंस्टर प्रणाली पर आधारित है, जिसमें राष्ट्रप्रमुख का पद नाममात्र होता है, और वास्तविक प्रशासनिक शक्तियां शासनप्रमुख पर निहित होते हैं। बारबाडोस सैद्धांतिक रूप से एक राजतंत्र है, और और बारबाडोस के शासक के पदाधिकारी इसके राष्ट्रप्रमुख होते हैं, हालाँकि शासक की सारी संवैधानिक शक्तियों का अभ्यास, उनके प्रतिनिधि के रूप में, बारबाडोस के गवर्नर-जनरल करते हैं। अधिराट् यदी स्त्री हो तो उन्हें " बारबाडोस की रानी" के नाम हे संबोधित किया जाता है, और एक पुरुष अधिराट् को " बारबाडोस के राजा के नाम से संबोधित किया जाता है। .

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बिल ऑफ़ राइट्स, १६८९

बिल ऑफ़ राइट्स, यानि अधिकाओं का विधेयक, इंग्लैंड की संसद द्वारा १६ दिसंबर १६८९ में पारित एक अधिनियम था, जो संवैधानिक मामलों और नागरिक अधिकारों को स्थापित करता है। यह विधेयक मूलतः, कन्वेन्शन पार्लियामेंट(अनधिकृत-आहूत संसद) द्वारा राजा विलियम और रानी मैरी द्वितीय के समक्ष, फ़रवरी १६८९ को पेश किये गए डिक्लेरेशन ऑफ़ राइट्स(अधिकारों का घोषणापत्र) का ही एक सांविधिक रूप में पुनःकथित अवतार था। इसे इंग्लैंड के गौरवशाली क्रांति के बाद लाया गया था। इस डिक्लेरेशन द्वारा कन्वेंशन पार्लियामेंट ने विलियम और मैरी को इंग्लैंड पर साँझा रूप से शासन करने के लिए आमंत्रित किया था। बिल ऑफ़ राइट्स, संप्रभु के अधिकारों की सीमाएं तय करती है, और साथ ही संसद के अधिकारों को भी अंकित करती है। संसद के लिए निर्धारित किये गए अधिकारों में, नियमित संसदीय सत्र, मुक्त चुनाव और संसद में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे अदिकार शामिल किये गए थे। इसके अलावा यह कई नागरिक अधिकारों को भी स्थापित करता है, जिनमें, क्रूर और असामान्य दण्ड प्रदान करने पर रोक, और न्यायिक दायरे में प्रोटोस्टेंट लोगों को आत्मरक्षा हेतु शस्त्र रखने की अनुमति शामिल हैं। इसके अलावा यह, निष्कासित शासक, इंग्लैंड के जेम्स द्वितीय के अनेक "दुष्कर्मों" को अंकित करता है, और उनकी निंदा करता है। इस विधेयक में दिए गए प्रावधान, प्रसिद्ध राजनीतिक दार्शनिक, जॉन लॉक के विचारों को प्रदर्शित करते हैं, और पारित होने के साथ ही यह विचार, शीघ्र ही पूरे इंग्लैंड में लोकप्रिय हो गए। साथ ही यह राजमुकुट पर, संसद द्वारा प्रतिनिधित, जनता की मनोकामना के समकक्ष कार्य करने हेतु कई संवैधानिक आवश्यक्ताओं को अंकित करता है। ब्रिटेन में, मैगन कार्टा और कुछ अन्य अधिनियमों समेत, ब्रिटेन के असंहितबद्ध संविधान के मूल एवम् सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज़ों में से एक माना जाता है। साथ ही इस बिल को अमेरिकी अधिकार विधेयक की प्रेरणा भी माना जाता है। ऍक्ट ऑफ़ सेटलमेंट, १७०१ के साथ, बिल ऑफ़ राइट्स, ब्रिटेन समेत, तमाम १५ राष्ट्रमण्डल प्रदेशों में आज की तिथि तक लागू है। २०११ के पर्थ समझौते के बाद, इन दोनों को संशोधित करने हेतु विधान, सारे राष्ट्रमण्डल प्रदेशों में २६ मार्च २०१५ से पारित किया गया। इस अधिनियम का पूरा शीर्षक मूल में इस प्रकार दिया हुआ है- प्रजा के अधिकारों और स्वतंत्रता की घोषणा तथा सिंहासन का उत्तराधिकार व्यवस्थित करने वाला अधिनियम। ब्रिटिश लोकसभा द्वारा नियुक्त एक समिति ने अधिकार की घोषणा नामक जो पत्रक प्रस्तुत किया था और जिसे राजदंपति ने 19 फ़रवरी 1689 को अपनी स्वीकृति दी थी वही घोषणा इस अधिनियम की पूर्ववर्ती थी और इसकी धाराएँ प्रायः पूर्णतः उसके अनुरूप थीं। अधिकार की घोषणा में उन शर्तों का भी परिगणन था जिनके अनुसार राजदंपति को उत्तराधिकार मिला था और जिनका पालन करने की उन्होंने शपथ ली थी। इन दोनों अधिनियमों का प्रधान महत्व अंग्रेजी संविधान में राजकीय उत्तराधिकार निश्चित करने में है। .

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बकिंघॅम पैलस

महारानी विक्टोरिया, बकिंघम पैलेस में रहने वाली पहली महारानी, 1837 में अपने राज्याभिषेक के बाद नए बने महल में रहने आ गयीं. बकिंघम पैलेस(Buckingham Palace, ब्रिटिश उच्चारण:बखिंग्हॅम् प़ॅलॆस्) ब्रिटिश राजशाही का लंदन स्थित आधिकारिक निवास है। वेस्टमिंस्टर शहर में स्थित यह राजमहल राजकीय आयोजनों और शाही आतिथ्य का केंद्र है। यह ब्रिटेन वासियों के लिये राष्ट्रीय हर्षोन्माद और संकट के समय चर्चा का विषय रहा है। मूलतः बकिंघम हाउस के रूप में जाना जाने वाला, यह भवन जो आज के महल का महत्वपूर्ण हिस्सा है, 1703 में बकिंघम के ड्यूक के लिये एक ऐसी जगह पर बनाया गया एक विशाल टाउन हाउस था, जो कम से कम 150 सालों तक निजी स्वामित्व के अधीन रहा था। बाद में 1761रॉबिन्सन, पी.

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ब्रिटिश राजतंत्र

ब्रिटिश एकराट्तंत्र अथवा ब्रिटिश राजतंत्र(British Monarchy, ब्रिटिश मोनार्की, ब्रिटिश उच्चारण:ब्रिठिश मॉंनाऱ्क़़ी), वृहत् ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैंड की संयुक्त राजशाही की संवैधानिक राजतंत्र है। ब्रिटिश एकाधिदारुक को संयुक्त राजशाही समेत कुल १५ राष्ट्रमण्डल प्रदेशों, मुकुटिया निर्भर्ताओं और समुद्रपार प्रदेशों के राजमुकुटों सत्ताधारक एकराजीय संप्रभु होने का गौरव प्राप्त है। वर्तमान सत्ता-विद्यमान शासक, ६ फरवरी वर्ष १९५२ से महारानी एलिजाबेथ द्वितीय हैं जब उन्होंने अपने पिता जॉर्ज षष्ठम् से राजगद्दी उत्तराधिकृत की थी। संप्रभु और उसके तत्काल परिवार के सदस्य देश के विभिन्न आधिकारिक, औपचारिक और प्रतिनिधि कार्यों का निर्वाह करते हैं। सत्ताधारी रानी/राजा पर सैद्धांतिक रूप से एक संवैधानिक शासक के अधिकार निहित है, परंतु सदियों पुराने आम कानून के कारण संप्रभु अपने अधिकतर शक्तियों का अभ्यास केवल संसद और सरकार के विनिर्देशों के अनुसार ही कार्यान्वित करने के लिए बाध्य हैं। इस कारण से, इसे वास्तविक तौर पर एक संसदीय सम्राज्ञता मानी जाता है। संसदीय शासक होने के नाते, शासक के अधिकतर अधिकार, निष्पक्ष तथा गैर-राजनैतिक कार्यों तक सीमित हैं। सम्राट, शासक और राष्ट्रप्रमुख होने के नाते उनके अधिकतर संवैधानिक शासन तथा राजनैतिक-शक्तियों का अभ्यय वे सरकार और अपने मंत्रियों की सलाह और विनिर्देशों पर ही करते हैं। परंपरानुसार शासक, ब्रिटेन के सशस्त्र बाल के अधिपति होते हैं। हालाँकि, संप्रभु के समस्त कार्य-अधिकारों का अभ्यय शासक के राज-परमाधिकार द्वारा होता है। वर्ष १००० के आसपास, इंग्लैंड और स्कॉटलैंड के राज्यों में कई छोटे प्रारंभिक मध्ययुगीन राज्य विकसित हुए थे। इस क्षेत्र में आंग्ल-सैक्सन लोगों का वर्चस्व इंग्लैंड पर नॉर्मन विजय के दौरान १०६६ में समाप्त हो गया, जब अंतिम आंग्ल-सैक्सन राजा हैरल्ड द्वितीय की मृतु हो गयी थी और अंग्रेज़ी सत्ता विजई सेना के नेता, विलियम द कॉंकरर और उनके वंशजों के हाथों में चली गयी। १३वीं सदी में इंग्लैंड ने वेल्स की रियासत को अवशोषित किया तथा मैग्ना कार्टा द्वारा संप्रभु के क्रमिक निःशक्तकरण की प्रक्रिया शुरू हुई। १६०३ में स्कॉटलैंड के राजा जेम्स चतुर्थ, अंग्रेजी सिंहासन पर जेम्स प्रथम के नाम से विराजमान होकर जो दोनों राज्यों को एक व्यक्तिगत संघ की स्थिति में ला खड़ा किया। १६४९ से १६६० के लिए अंग्रेज़ी राष्ट्रमंडल के नाम से एक क्षणिक गणतांत्रिक काल चला, जो तीन राज्यों के युद्ध के बाद अस्तिव में आया, परंतु १६६० के बाद राजशाही को पुनर्स्थापित कर दिया गया। १७०७ में परवर्तित एक्ट ऑफ़ सेटलमेंट, १७०१, जो आज भी परवर्तित है, कॅथॉलिक व्यक्तियों तथा कैथोलिक व्यक्ति संग विवाहित व्यक्तियों को अंग्रज़ी राजसत्ता पर काबिज़ होने से निष्कर्षित करता है। १७०७ में अंग्रेज़ी और स्कॉटियाई राजशाहियों के विलय से ग्रेट ब्रिटेन राजशही की साथपना हुई और इसी के साथ अंग्रज़ी और स्कोटिश मुकुटों का भी विलय हो गया और संयुक्त "ब्रिटिश एकराट्तंत्र" स्थापित हुई। आयरिश राजशही ने १८०१ में ग्रेट ब्रिटेन राजशाही के साथ जुड़ कर ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैंड की संयुक्त राजशाही की स्थापना की। ब्रिटिश एकराट्, विशाल ब्रिटिश साम्राज्य के नाममात्र प्रमुख थे, जो १९२१ में अपने वृहत्तम् विस्तार के समय विष के चौथाई भू-भाग पर राज करता था। १९२२ में आयरलैंड का पाँच-छ्याई हिस्सा आयरिश मुक्त राज्य के नाम से, संघ से बहार निकल गया। बॅल्फोर घोषणा, १९२६ ने ब्रिटिश डोमिनिओनों के औपनिवेशिक पद से राष्ट्रमंडल के भीतर ही विभक्त, स्वशासित, सार्वभौमिक देशों के रूप में परिवर्तन को मान्य करार दिया। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ब्रिटिश साम्राज्य सिमटता गया, और ब्रिटिश साम्राज्य के अधिकतर पूर्व उपनिवेश व प्रदेश स्वतंत्र हो गए। जो पूर्व उपनिवेश, ब्रिटिश शासक को अपना शासक मानते है, उन देशों को ब्रिटिश राष्ट्रमण्डल प्रमंडल या राष्ट्रमण्डल प्रदेश कहा जाता है। इन अनेक राष्ट्रों के चिन्हात्मक समानांतर प्रमुख होने के नाते, ब्रिटिश एकराट् स्वयं को राष्ट्रमण्डल के प्रमुख के ख़िताब से भी नवाज़ते हैं। हालांकि की शासक को ब्रिटिश शासक के नाम से ही संबोधित किया जाता है, परंतु सैद्धान्तिक तौर पर सारे राष्ट्रों का संप्रभु पर सामान अधिकार है, तथा राष्ट्रमण्डल के तमाम देश एक-दुसरे से पूर्णतः स्वतंत्र और स्वायत्त हैं। .

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ब्रिटिश राजपरिवार

ब्रिटिश राजपरिवार, ब्रिटिश संप्रभु के परिवार के सबसे करीबी सदस्यों के समूह को कहाजाता है। हालाँकि, ब्रिटेन में ऐसा कोई दृढ़ नियम या विधान नहीं है, जो यह सुनियोजित करता हो की किन व्यक्तियों को इस विशेष समूह में रखा जाए, नाही कोई ऐसा विधान है जो राजपरिवार को विस्तृत रूप से परिभाषित करता हो। बहरहाल, आम तौर पर उन व्यक्तियों को जिनपर हिज़/हर मैजेस्टी(HM) या हिज़/हर रॉयल हाइनेस(HRH) का संबोधन रखते हैं, को आम तौर पर राजपरिवार का सदस्य माना जाता है। इस मापदंड के आधार पर राज परिवार में, अधिराट्, उनके/उनकी सहचारी, पूर्व संप्रभु(ओं) की विधवा(एँ)/विधुरगण, वेल्स के राजकुमार के ज्येष्ठताम् पुत्र के संतान, तथा पूर्व शासक(ओं) के पुत्रों की धर्मपत्नियाँ या उनकी विधवाएँ और उनके पुरुष-रेखा के पौत्र शामिल होंगे। विभिन्न राष्ट्रमण्डल प्रदेशों के सन्दर्भ में, इसी(या इस के सामान) विशेष समूह के लिए भिन्न शब्दावली का उपयोग भी किया जा सकता है, उदाहरण के तौर पर, ऑस्ट्रेलिया में इस समूह को ऑस्ट्रेलियाई राजपरिवार कहा जाता है। राजपरिवार के कई सदस्यों के नाम पर आधिकारिक निवास भी आवंटित किये जाते है, जो इनका आधिकारिक निवास होता है, तथा, कई सादस्यों को निजी अधिकारिणी भी प्रदान की जाती है। राजपरिवार के निजी स्टाफ के वेतन का भुगतान, महारानी के कोष से किया जाता है। राजपरिवार के अधिकांश सदस्य किसी-न-किसी प्रकार से, विंडसॉर घराने से संबंध रखते हैं। राजपरिवार के वरिष्ठ सदस्य, आम तौर पर, कुलनाम नहीं रकजते हैं। .

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ब्रिटिश राजसत्ता का अनुक्रम

ब्रिटिश सिंहासन पर उत्तराधिकार का क्रम, ब्रिटिश समेत विश्व के १५ अन्य राष्ट्रमण्डल प्रदेशों की साँझा एकराट्तंत्र के राजगद्दी पर उत्तराधिकार के क्रम को परिभाषित करती है। यह उत्तराधिकार क्रम कई ऐतिहासिक संविधियाँ, संधियाँ, परंपराएँ, और अधिनियमों द्वारा निर्धारित की जाती है। साथ ही राष्ट्रमण्डल प्रजाभूमियों के साँझ राजतांत्रिक व्यवस्था के कारण, इस क्रम अथवा इससे संबंधित विधानों को समस्त राष्ट्रमण्डल प्रमंडलों की स्वीकृति द्वारा निर्धारत एवं परिवर्तित किया जाता है। वर्तमान में, राजपाट और सिंहासन के वारिस की प्राथमिकता में प्रथम स्थान पर वेल्स के राजकुमार, चार्ल्स हैं, तत्पश्चात् कैम्ब्रिज के ड्यूक, प्रिंस विलियम हैं, और उनके बाद, उनके ज्येष्ठ पुत्र कैम्ब्रिज के प्रिंस जॉर्ज तथा तजपश्चात् उनकी छोटी बहन प्रिंसेस शार्लट हैं। .

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ब्रिटेन के शासक

जेम्स द्वितीय और सातवीं (१४ अक्टूबर १६३३ -16 सितम्बर १७०१) था आयरलैंड और इंग्लैंड के राजा जेम्स द्वितीय और स्कॉटलैंड के राजा के रूप में जेम्स VII, के रूप में जब तक वह 1688 की गौरवशाली क्रांति में अपदस्थ किया गया 6 फरवरी 1685 से। वह के राज्यों इंग्लैंड, स्कॉटलैंड और आयरलैंड पर राज करने के लिए अंतिम रोमन कैथोलिक सम्राट था। चार्ल्स का दूसरा जीवित बेटा मैं, वह अपने भाई, चार्ल्स द्वितीय की मौत पर सिंहासन चढ़ा। ब्रिटेन के कट्टर राजनीतिक अभिजात वर्ग के सदस्यों के तेजी से उसे समर्थक फ्रेंच और समर्थक कैथोलिक होने और एक सिंगे बनने पर डिजाइन होने का संदेह है। जब वह एक कैथोलिक वारिस का उत्पादन किया, अग्रणी रईसों पर अपने कट्टर दामाद और भतीजे विलियम ऑरेंज नीदरलैंड, जो उसने 1688 की गौरवशाली क्रांति में से एक आक्रमण सेना देश के लिए कहा जाता है। जेम्स इंग्लैंड भाग गया (और इस प्रकार छोड़ा है करने के लिए आयोजित किया गया था)। उन्होंने अपने ज्येष्ठ, कट्टर बेटी मरियम और उनके पति विलियम ऑरेंज के द्वारा प्रतिस्थापित किया गया था। जेम्स को पुनर्प्राप्त करने के लिए एक गंभीर प्रयास किया अपने मुकुट से विलियम और मरियम जब वह 1689 में आयरलैंड में उतरा। जुलाई 1690 में बलों के बोय्ने की लड़ाई में विलियम द्वारा जेकोबीन की हार के बाद, जेम्स फ्रांस करने के लिए लौट आए। वह बाहर एक भिखारी के रूप में अपने जीवन के बाकी रहते थे उनके चचेरे भाई और सहयोगी, राजा लुई XIV द्वारा प्रायोजित एक कोर्ट में। जेम्स अंग्रेजी संसद और हिंदी रोमन कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट, अंगरेज़ी स्थापना की इच्छाओं के खिलाफ के लिए धार्मिक स्वतंत्रता बनाने के लिए अपने प्रयास के साथ अपने संघर्ष के लिए सबसे अच्छा जाना जाता है। हालांकि, वह भी स्कॉटलैंड में प्रेस्बिटेरियन का उत्पीड़न जारी रखा। संसद अन्य यूरोपीय देशों में होने वाली थी के विकास के लिए, साथ ही इंग्लैंड के चर्च की कानूनी सर्वोच्चता के नुकसान का विरोध किया, उनकी विपक्ष क्या वे माना जाता है के रूप में पारंपरिक अंग्रेजी स्वतंत्रताओं की रक्षा करने के लिए एक मार्ग के रूप में देखा। यह तनाव बनाया जेम्स के चार-वर्षीय शासनकाल एक अंग्रेजी संसद और मुकुट, उसके बयान, अधिकार का विधेयक के पारित होने, और उसकी बेटी और उसके पति राजा और रानी के रूप में के विलय में जिसके परिणामस्वरूप के बीच वर्चस्व के लिए संघर्ष। .

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ब्रिटेन के शाही निवासों की सूची

यह ब्रिटेन के राजकीय निवासों की सूची है, इस पृष्ठ पर ब्रिटिश राजपरिवार के सदस्यों के विभिन्न राजकीय निवासों व महलों को सूचीबद्ध किया गया है, तथा पारंपरिक रूप से राजकितुंब के उस भवन में रहने का समय भी दिया गया है। ब्रिटेन में सारे राजकीय निवास, महल व किले, शासक की निजी संपत्ति नहीं होती है, सारे राजकीय निवास विधिक रूप से राजमुकुट की संपत्ति होते हैं, जिन्हें क्राउन एस्टेट कहा जाता है, इन्हें आधिकारिक तौर पर शासक के विश्वास में आवंटित किया जाता है। शासक स्वेच्छा से इन्हें बेच नहीं सकते हैं। इसके अलावा शासक व राजकुटुंब, निजी तौर पर महल को खरीद सकते है, या उत्तराधिकृत कर सकते हैं। .

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बेलीज़ियाइ राजतंत्र

बेलीज़ का राजतंत्र, बेलीज़ की संवैधानिक राजतंत्र है। बेलीज़ एकाधिदारुक को बेलीज़ और संयुक्त राजशाही समेत कुल १५ प्रजाभूमियों, का सत्ताधारक एकराजीय संप्रभु होने का गौरव प्राप्त है। वर्तमान सत्ता-विद्यमान शासक, ६ फरवरी वर्ष १९५२ से महारानी एलिजाबेथ द्वितीय हैं। अन्य राष्ट्रमण्डल देशों के सामान ही बेलीज़ की राजनीतिक व्यवस्था वेस्टमिंस्टर प्रणाली पर आधारित है, जिसमें राष्ट्रप्रमुख का पद नाममात्र होता है, और वास्तविक प्रशासनिक शक्तियां शासनप्रमुख पर निहित होते हैं। बेलीज़ सैद्धांतिक रूप से एक राजतंत्र है, और और बेलीज़ के शासक के पदाधिकारी इसके राष्ट्रप्रमुख होते हैं, हालाँकि शासक की सारी संवैधानिक शक्तियों का अभ्यास, उनके प्रतिनिधि के रूप में, बेलीज़ के गवर्नर-जनरल करते हैं। अधिराट् यदी स्त्री हो तो उन्हें " बेलीज़ की रानी" के नाम हे संबोधित किया जाता है, और एक पुरुष अधिराट् को " बेलीज़ के राजा के नाम से संबोधित किया जाता है। .

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बॅल्फ़ोर घोषणा, १९२६

बॅल्फोर घोषणा(अन्य वर्तनी:बाल्फोर घोषणा), सन् १९२६ की ब्रिटिश साम्राज्य की इम्पीरियल कॉन्फ़्रेन्स द्वारा घोषित घोषणा थी, जिसे यूनाइटेड किंगडम के तत्कालीन प्रधानमंत्री और सम्मलेन के अध्यक्ष, आर्थर बॅल्फोर के नाम से पारित किया गया था। यह दस्तावेज़ ब्रिटिश राष्ट्रमण्डल की व्यवस्था और ब्रिटेन और उसके डोमिनियनों के बीच के संबंध, तथा राष्ट्रमंडल के अन्तर्व्यस्था को परिभाषित करने वाला सबसे अहम दस्तावेज़ है। इस के अनुसार, ब्रिटिश साम्राज्य के सारे परिराज्य, ब्रिटिश साम्राज्य के अंदर ही स्वायत्त व सार्वभौमिक इकाइयों के रूप में स्थापित होंगे, तथा, ब्रिटेन समेत सारे डोमिनियन, पद में पूर्णतः सामान होंगे, उनमें से कोई भी किसी भी प्रकार से ऊँचा या नीचा नहीं होगा, तथा यूनाइटेड किंगडम की संसद का इन परिराज्यों में से किसी भी राज्य पर किसी भी प्रकार का विधायिक अधिकार नहीं होगा। तमाम राष्ट्रमंडल प्रदेश, राजनैतिक रूप से एक-दुसरे से स्वतंत्र होंगे, और उनके बीच केवल एक कड़ी होगी: राजमुकुट के प्रति उनकी निष्ठा और वफ़ादारी। अर्थात साम्राज्य के भीतर के सारे राज्य पद में समान होंगे और पूर्णतः स्वाधीन और सार्वभौमिक होंगे, जबकि उनके बीच की एकमात्र कड़ी होगी, एक साँझा राजसत्ता और उसके प्रति निष्ठा। हालाँकि सारे राज्यों के सैद्धांतिक राष्ट्रप्रमुख का दर्जा ब्रिटिश संप्रभु को प्राप्त होगा, परंतु वास्तविक प्रमुख, संबंधित देश के महाराज्यपाल होंगे। .

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मुकुट के मंत्री

मुकुट का मंत्री (Minister of the Crown) वेस्टमिंस्टर की संसदीय प्रणाली में एक आधिकारिक संविधानिक पद है जिसे राष्ट्रमंडल देशों में एक मंत्री को शासक सम्राट से परिचय कराने के लिये बताया जाता है। यह पद यह बताता है कि मंत्री सम्राट/साम्राज्ञी के लिये उनके इच्छानुसार कार्य करता/ती है और संवैधानिक नियमों के अनुरूप मंत्रालय के कार्यवाई के लिए सम्राट या गवर्नर का सलाहकार होता हैं। http://www.parl.gc.ca/parlinfo/Compilations/FederalGovernment/MinisterProvincial.aspx Parliament of Canada – PARLINFO – Ministers of the Crown.

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मुकुटिय संपदाएँ

मुकुटिया संपदाएँ यानि क्राउन एस्टेट, यूनाइटेड किंगडम में कुछ विशिष्ट भूमि-संपदाओं और उपलब्धियों का समूह है, जोकि, संप्रभु के स्वामित्व में, उनके एकव्यक्ति संसथान(राजमुकुट) होने के नाते, हैं। यह संपदाएँ, नाहीं पर्याप्त रूपसे सरकारी संपत्ति है, ना शासक की निजी संवत्ति है। क्योंकि, ये सारे शासक की संपत्तियाँ तो हैं, परंतु इनका प्रबंधन और प्रशासन का अधिकार, अर्ध-स्वतंत्र सार्वजनिक रूप से अधिग्रहित निकायों द्वारा किया जाता है, और इनके प्रबंधन में संप्रभु का निजी रूप से शून्यमात्र या न्यूनतम् नियंत्रण या भागीदारी नहीं होती है। अतः इन्हें "संप्रभु की सार्वजनिक संपत्ति" कहा जा सकता है। मुकुटिया संपदाओं को जिन निकायों द्वारा प्रबंधित किया जाता है, उनपर सरपरस्ती, एक क्राउन एस्टेट कमिश्नर का होता है, जोकि उस विशेष संपत्ति के "स्वामित्व के अधिकारों" का अभ्यास करने हेतु सक्षम होता है। इन विरासती संपत्तियों द्वारा उत्पन्न राजस्व को शासक द्वारा उनकी शाही शान की सरकार के अधिकार में रखा गया है। अतः, इनसे उत्पन्न तमाम राजस्व सीधे सरकारी कोष में जाता है। क्राउन एस्टेट, आधिकारिक तौर पर, संसद के प्रति उत्तरदेह है। मुकुटिया संपदाएँ, ब्रिटेन के सबसे बड़े संपत्तियों के मालिकों में से एक है, और इसकी संपत्ति की कुल मूल्य £१२ बिलियन है, जिनमें ९.१ बिलियन शहरी संपत्तियों का है, और अन्य कुल १.६ बिलियन की ग्रामीण संपत्ति है।, इससे कुल वार्षिक आय, मार्च २०१६ में, £३०४.१ मिलियन हुई थी। इसमें से अधिकांश संपत्तियाँ शहरी इलाकों में है, जिनमे अनेक केंद्रीय लंदन में स्थित हैं। इसके अलावा, क्राउन एस्टेट कुल १,४४,००० हेक्टेयर की कृषि और वनभूमि भी है, तथा यह यूके की आधी से अधिक तटीय भूमियों और अन्य अनेक पारंपरिक उपलब्धियों और हितों पर भी स्वामित्व रखता है, जिनमें ऍस्कॉट रेसकोर्स और विंडसर ग्रेट पार्क शामिल हैं। संसद, संप्रभु के अधिकांश सरकारी खर्चों के लिए राशि संसदीय अनुदान तथा सार्वजनिक धन द्वारा प्रदान करता है, जिसे "नागरिक सूची"(सिविल लिस्ट) कहते हैं। तथा एक वार्षिक अनुदान, शाही निवासों के रखरखाव तथा रानी की आधिकारिक यात्राओं के लिए भी आवंटित की जाती है। कर्मचारियों की लागत, राज्य का दौरा, औपचारिक प्रतिबद्धताओं और आधिकारिक मनोरंजन सहित ज्यादातर खर्चों के लिए धन की पूर्ती नागरिक सूची द्वारा ही हो जाती है। यह राशि संसद द्वारा १० वर्षों की अवधी के लिए निर्धारित की जाती है। वर्ष १७६० तक शासक की वित्तीय आवश्यकताएँ, वंशानुगत राजस्व, मुकुटिय संपदाओं के लाभ(राजमुकुट की संपत्ति के पोर्टफोलियो), द्वारा पूरी होती थी। १७६० में राजा जॉर्ज तृतीय ने अपने वंशानुगत राजवन का परित्याग सिविल लिस्ट के लिए करने की सहमति दे दी, जो वर्ष २०१२ तक रहा। वर्त्तमान समय में मुकुटिया एस्टेटों से आई मुद्रा की मात्रा सिविल लिस्ट या अधिराट् को प्रदान किये जाने वाले अन्य अनुदानों से भी अधिक है। इस प्रकार २००७-०८ के बीच क्राउन एस्टेटों ने राजकोश में £२०० मिलियन(२० करोड़ पाउण्ड) की वृद्धि करवाई, जबकि संसद द्वारा ४० लाख पाउण्ड का भुगतान किया गया था। अतः ७.३ अरब पाउण्ड की संपदा के साथ मुकुटिय संपदाएँ ब्रिटेन के सबसे बड़ी ज़मींदारों में से एक है, यह साड़ी संपत्ति न्यास के अंतर्गत राखी गयी हैं और संप्रभु स्वेच्छा से इनका सौदा नहीं कर सकते हैं। २०१२ के बाद से संसदीय अनुदान और नागरिक सूची को मिला कर एक संकुक्त संप्रभु अनुदान से बदल दिया गया है। .

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यूनाईटेड किंगडम की सरकार

यूनाइटेड किंगडम की सरकार, आधिकारिक तौर पर हर मैजेस्टीज़ गवर्नमेंट यानी "उनकी महिमा की सरकार" अथवा "उनकी शाही शान की सरकार" या "महामहिम/महामहिमा की सरकार", वृहत् ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैंड की संयुक्त राजशाही की केंद्रीय सरकार है।.

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यूनाइटेड किंगडम में राज-परमाधिकार

राज-परमाधिकार, कुछ विशेष प्रथागत अधिकारों, विशेषाधिकारों और प्रतिरक्षा का समूह है, जिसे यूनाइटेड किंगडम में केवल संप्रभु पर निहित हैं। यह विशेषाधिकार, ब्रिटिरह सरकार की कई संवैधानिक शक्तियों का स्रोत भी है। परामधिकारों को पूर्वतः शासक द्वारा अपने विवेक पर प्रयोग किये जाते हैं। बहरहाल, १९वीं सदी के बाद से, प्रथागत रूप से परमाधिकार को प्रधानमंत्री और अन्य कैबिनेट मंत्रियों की सलाह (जिनके प्रति वे संसद में जवाबदेह होते हैं) पर ही प्रयोग करना आवश्यक माना जाता है। हालाँकि, अधिराट् संवैधानिक रूप से प्रधानमंत्री और मंत्रिमण्डल के ख़िलाफ़ शाही परमाधिकार का प्रयोग करने के लिए शसक्त एवं स्वतंत्र हैं, परंतु व्यवहारिक रूप से, ऐसा केवल आपातकालीन स्थिति में, या ऐसी परिस्थितियों में, जहाँ मौजूद मिसाल, पर्याप्त रूप से प्रश्न में आई पैस्थितयों पर लागू नहीं होती हों। आज राज-परमाधिकार ही यूनाइटेड किंगडम की सरकार के कार्यकरण के लिए, विदेश मामले, रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधित कई विषयों के लिए उपलब्ध है। राजसत्ता का इन तथा अन्य मामलों में सार्थक संवैधानिक उपस्थिति है, परंतु राजसत्ता का इन मामलों पर सीमित वास्तविक शक्तियां है, क्योंकि, विशेषाधिकार का प्रयोग करते प्रधानमंत्री और अन्य मंत्रियों या अन्य सरकारी अधिकारियों के हाथों में है। .

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यॉर्क की राजकुमारी बियैट्रिस

यॉर्क की, राजकुमारी बियैट्रिस, (पूरा नाम:बियैट्रिस एलिज़ाबेथ मैरी) ब्रिटिश राजपरिवार की एक सदस्य है। वो राजकुमार एंड्रू, यॉर्क के ड्यूक और सारा, यॉर्क की डचेस के ज्येष्ठ पुत्री है। वह रानी एलिज़ाबेथ द्वि॰ की पौत्री है, और ब्रिटिश सिंघासन के अनुक्रम में सातवें स्थान पर हैं, तथा दूसरी महिला हैं। वह अपनी माता-पिता की पहली संतान हैं। .

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राष्ट्रमण्डल प्रजाभूमि

राष्ट्रमण्डल प्रजाभूमि या राष्ट्रमण्डल प्रदेश, जिन्हें अंग्रेज़ी में कॉमनवेल्थ रॆयल्म कहा जाता है, राष्ट्रों के राष्ट्रमण्डल के उन १६ सार्वभौमिक राष्ट्रों को कहा जाता है, जिनपर एक ही शासक, महारानी एलिज़ाबेथ द्वि॰ का राज है। ये सारे देश एक ही राजसत्ता, शासक, राजपरिवार और उत्तराधिकार क्रम को साँझा करते हैं। इस व्यवस्था की शुरुआत १९३१ की वेस्टमिंस्टर की संविधि के साथ हुई थी, जिसके द्वारा ब्रिटेन के तत्कालीन डोमीनियन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूज़ीलैण्ड, आयरिश मुक्त राज्य और न्यूफाउण्डलैण्ड को ब्रिटिश राष्ट्रमण्डल के बराबर के सदस्य होने के साथ ही पूर्ण या पूर्णात्मत वैधिक स्वतंत्रता प्रदान की गयी थी। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद से, विश्व भर में विस्तृत, ब्रिटिश साम्राज्य के तमाम देशों को एक डोमिनियन के रूप में स्वाधीनता प्रदान कर दी गयी। जिनमे से कुछ राज्यों ने पूर्णतः स्वाधीन होने के बावजूद राजतंत्र के प्रति अपनी वफ़ादारी को बरक़रार रखा, जबकि कुछ राज्यों ने ब्रिटिश राजतंत्र को नाममात्र प्रमुख मानने से इनकार कर स्वयं को गणतांत्रिक राज्य घोषित कर दिया। आज, विश्व बाहर में कुल १६ ऐसे राज्य हैं जो स्वयं को महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय के एक प्रजाभूमि के रूप में पहचान करव्वते हैं। .

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राष्ट्रमण्डल के प्रमुख

राष्ट्रमण्डल के प्रमुख, का पद, ५३ राष्ट्रों के राष्ट्रमण्डल का एक औपचारिक अध्यक्षात्मक पद है। राष्ट्रमण्डल या राष्ट्रकुल, ५३ मुख्यतः राष्ट्रों का एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है, जो पूर्वतः संयुक्त राजशाही के उपनिवेश या परिराज्य हुआ करते थे। यह पद केवल एक रितिस्पद पद है, जिसके पदाधिकारी का इस संगठन के दैनिक कार्यों में किसी भी प्रकार की कोई भूमिका नहीं है। इस पद के कार्यकाल की कोई समय-सीमा नहीं है, और परंपरागत रूप से इस पद व उत्पाद को ब्रिटिश संप्रभु पर निहित किया गया है। ब्रिटिश संप्रभु को पूर्वतः, राष्ट्रमण्डल के सारे देशों के शासक होने का दर्जा प्राप्त था, परंतु भारत की स्वतंत्रता के बाद, भारत ने स्वयं को एक गणराज्य घोषित कर दिया, और भारत के सम्राट के पद को खत्म कर दिया गया। बहरहाल, भारत ने राष्ट्रमण्डल का एक सदस्य रहना स्वीकार किया। इसके पश्चात, राष्ट्रमण्डल के प्रमुख के इस पद को एक गैर-राजतांत्रिक, औपचारिक अध्यक्षात्मक उपदि के रूप में स्थापित किया गया था। कथित तौर पर, राष्ट्रमण्डल के प्रमुख को, "स्वतंत्र सदस्य राष्ट्रों की मुक्त सहचार्यता का प्रतीक" माना गया है। .

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राजमुकुट

राजमुकुट अथवा द क्राउन(The Crown La Couronne, ला कोहुन्न्/लॅ कोऱुन) (अन्यथा "ताज" या सासामान्यतः "मुकुट"), एक विशेष राजनीतिक संकल्पना है, जिसकी ब्रिटेन तथा अन्य राष्ट्रमण्डल प्रदेशों के विधीशास्त्र तथा राजतांत्रिक व्यवस्था में अतिमहत्वपूर्ण भूमिका है। इस सोच का विकास इंग्लैण्ड राज्य में सामंतवादी काल के दौरान शाब्दिक मुकुट तथा राष्ट्रीय संपदाओं को संप्रभु(नरेश) तथा उनके/उनकी व्यक्तिगत संपत्ति से विभक्त कर संबोधित करने हेतु हुआ था। इस सोच के अनुसार राजमुकुट को प्रशासन के समस्त अंगों तथा हर आयाम में राज्य तथा शासन के प्रतीक के रूप में देखा जाता है, तथा ब्रिटिश संप्रभु को राजमुकुट के सतत अवतार के रूप में देखा जाता है। अतः ब्रिटेन तथा राष्ट्रमण्डल प्रदेशों मे इस शब्दावली को शासन अथवा सर्कार के लिए एक उपलक्षण(उपशब्द) के रूप में भी उपयोग किया जाता है, या सीधे-सीधे ऐसा भी कहा जा सकता है की यह राजतंत्र को ही संबोधित करने का एक दूसरा तरीका है। विधिक रूप से "राजमुकुट" को एक एकव्यक्ती संस्थान के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो कि विधानपालिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका के संपूर्ण समुच्च न्यायिक अवतार है। अतः इस संदर्भ में इस शब्द को किसी शाही पोशाक के वास्तविक मुकुट के साथ संभ्रमित नहीं करना चाहिए। एक संस्थान के रूप में, राजमुकुट, ब्रिटेन की राजनीतिकव्यवस्था का सबसे पुराना कार्यशील संस्थान है। बीती सदियों के दौरान, क्रमशः पहले अंग्रेज़ी तथा तत्पश्चात् ब्रिटिश औपनिवेशिक विस्तार द्वारा यह संकल्पना विश्व के अन्य अनेक कोनों तक पहुची, और आज यह यूनाइटेड किंगडम के अतिरिक्त, अन्य 15 स्वतंत्र राष्ट्रों और तीन भिक्त मुकुटीय निर्भरताओं की प्रशासनिक प्रणाली तथा विधिकीय व्यवस्था के मूल आधारभूतियों में जड़ा हुआ है। इनमें से प्रत्येक राष्ट्र के शासन एक-दूसरे से पूर्णतः विभक्त हैं, परंतु सारे के सारे समान रूप से एक ही राजपरिवार को साझा करते हैं। अतः एक नरेश होने के बावजूद इन सारे राष्ट्रों के "राजमुकुट" एक-दूसरे से स्वतंत्र हैं। इस शब्द को और भी कई आधिकारिक शब्दों में देखा जा सकता है, उदाहरणस्वरूप:मुकुट के मंत्री, मुकुटीय भूमि(क्राउन लैण्ड), इत्यादि। .

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राजकुमार एडवर्ड, वेसेक्स के अर्ल

राजकुमार एडवर्ड, वेसेक्स के अर्ल,(पूरा नाम:एडवर्ड एंटनी रिचर्ड लुइस) महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय और राजकुमार फ़िलिप, एडिनबर्ग के ड्यूक के चार संतानों में से सबसे छोटे संतान हैं, वे रानी एलिज़ाबेथ के तीसरे पुत्र हैं। अपने जन्म के सन्मय, वे सिंघासन पर उत्तराधिकार के अनुक्रम में तीसरे स्थान पर थे। हालाँकि, उनके अग्रज भाइयों की संतानों के जन्म के बाद से, आज वे नौंवे स्थान पर हैं। .

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राजकुमार हेनरी, ग्लॉस्टर के ड्यूक

राजकुमार हेनरी विलियम फ़्रेडरिक अॅल्बर्ट, ग्लॉस्टर के ड्यूक (Prince Henry, Duke of Gloucester) जॉर्ज पंचम और रानी मैरी, की सबसे छोटी संतान और तीसरे पुत्र थे। उनका जन्म, 31 मार्च 1900 में हुआ था। अपने जन्म के समय वे, राजगद्दी के अनुक्रम में पाँचवे स्थान पर थे। .

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रिचर्ड केसी, बॅरन केसी

रिचऱ्ड गाऱ्डिनर, बॅरन केय़ेसी (Richard Gardiner Casey, Baron Casey) एक ब्रिटिश राजनीतिज्ञ थे। उन्हें 7 मई 1965-30 अप्रैल 1969 के बीच, महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय द्वारा, ऑस्ट्रेलिया के गवर्नर-जनरल यानि महाराज्यपाल के पद पर नियुक्त किया गया था। इस काल के दौरान वे, महारानी के प्रतिनिधि के रूप में, उनकी अनुपस्थिति के दौरान शासक के कर्तव्यों का निर्वाह करते थे। इसके अलावा, अपने व्यवसायिक जीवन के दौरान, उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य की सेवा में, विश्व भर में विस्तृत विभिन्न ब्रिटिश उपनिवेशों में, अन्य अनेक महत्वपूर्ण व वर्चस्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवा दी थी। .

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रॉयल मैरेजेज़ ऍक्ट, १७७२

रॉयल मॅरेजेज़ ऍक्ट यानि शाही विवाह अधिनियम, वर्ष १७७२ में ब्रिटिश संसद द्वारा पारित एक अधिनियम थी, जिसे ब्रिटिश राजपरिवार के सदस्यों के विवाह की वैधता सिद्ध करने के नियमों को स्थापित करने हेतु और शाही विवाहों के संबंध में अन्य विधानों और नियमों को भी अंकित करने हेतु पारित किया गया था, ताकि शाही परिवार के सदस्यों के उन संबंधों से बचा जा सके, जिससे शाही परिवार की हैसियत या मान कम होती हो। शाही परिवार के सहस्यों के निजी मामलों के संबंध में, संप्रभु को दिए गए अधिकार के कारण यह अधिनियम भारी आलोचना का पात्र रहा था। २०११ के पर्थ समझौते के बाद, इसे पूर्ववत कर दिया गया, और इसके प्रावधानों में हस्तक्षेपों को काफी हद तक सीमित कर दियागया। .

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रोनाल्ड मुनरो फ़र्ग्यूसन, प्रथम वाइकाउण्ट नोवार

प्रथम वाइकाउण्ट नोवार, सर रोनळ्ड क्रॉफ़ऱ्ड मन्रो फ़ऱ्ग्यूसन (Ronald Craufurd Munro Ferguson, 1st Viscount Novar) एक ब्रिटिश राजनीतिज्ञ थे। उन्हें 18 मार्च 1914-6 अक्टूबर 1920 के बीच, महाराज जॉर्ज पंचम् द्वारा, ऑस्ट्रेलिया के गवर्नर-जनरल यानि महाराज्यपाल के पद पर नियुक्त किया गया था। इस काल के दौरान वे, महाराज के प्रतिनिधि के रूप में, उनकी अनुपस्थिति के दौरान शासक के कर्तव्यों का निर्वाह करते थे। इसके अलावा, अपने व्यवसायिक जीवन के दौरान, उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य की सेवा में, विश्व भर में विस्तृत विभिन्न ब्रिटिश उपनिवेशों में, अन्य अनेक महत्वपूर्ण व वर्चस्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवा दी थी। .

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लेडी लुईज़ विन्ज़र

लेडी लुईस विंड्सर, (ब्रिटिश उच्चारण:लुईज़ विन्ज़र्, पूरा नाम:लुईस ऐलिस एलिज़ाबेथ मैरी माउण्टबैटन-विंड्सर) वेसेक्स के अर्ल, राजकुमार एडवर्ड और काउंटेस, सारा की पहली संतान और एकलौती पुत्री हैं। वह महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय का सबसे छोटी पोती हैं। लुईज़ का जन्म ८ नवंबर २००३ में फ़ॉर्मली पार्क अस्पताल, सरी, इंग्लैंड में हुआ था। उनका बपतिस्मा संस्कार २४ अप्रैल २००४ को विंडसर कासल, बर्कशायर में किया गया था। अपने जन्म के समय वे अपनी दादी, रानी एलिज़ाबेथ द्वितीय के बाद ब्रिटिश सिंघासन पर उत्तराधिकार के अनुक्रम में आठवें स्थान पर थीं; अपने छोटे भाई जेम्स के जन्म के बाद वे नौवें स्थान पर चली गयीं, तथा कैम्ब्रिज के राजकुमार जॉर्ज और राजकुमारी शार्लट के जन्म के बाद, वर्त्तमान समय में वो ग्यारहवें स्थान पर हैं। वे अपनी छोटे भाई और माता-पिता के साथ बॅगशॉट् पार्क, सरी में रहती हैं। File:Countess of Wessex and daughter.JPG|लेडी लुईस, अपनी माँ, सोफ़ी, वेसेक्स की काउंटेस के साथ, ट्रूपिंग ऑफ़ कलर्स समारोह, २०१३ में .

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सिटी ऑफ़ वेस्टमिंस्टर

सिटी ऑफ़ वेस्टमिंस्टर (अंग्रेज़ी: City of Westminster) लंदन का एक बरो है। यह क्षेत्र, लंदन शहर के मध्य में, थेम्स नदी के किनारे स्थित है। यह ऐतिहासिक इलाका, मध्यकाल से ही, पूरे इंग्लैंड और संयुक्त अधिराज्य का राजनैतिक केंद्र रहा है। ब्रिटिश राजतंत्र और ब्रिटिश सरकार से संबंधित अनेक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक इमारतें स्थित हैं, जिनमें:ब्रिटिश शासक का आधिकारिक निवास, बकिंघम पैलेस, वेस्ट्मिन्स्टर पैलेस(ब्रिटिश संसद भवन), सेंट जेम्स पैलेस, वेस्ट्मिन्स्टर ऍबी और ब्रिटिश प्रधानमंत्री का आधिकारिक निवास, 10 डाउनिंग स्ट्रीट शामिल हैं। यह थेम्स के बाएँ तीर पर अवस्थित है। कुछ बगीचों और उद्यानों के अलावा, इस क्षेत्र का जनघनत्व काफ़ी अधिक है। .

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संयुक्त राजशाही का शाही कुलांक

250px यूनाइटेड किंगडम का शाही कुल-चिन्ह (Royal coat of arms of the United Kingdom) ब्रिटिश सम्राट, वर्तमान समय में एलिज़ाबेथ द्वितीय, का आधिकारिक कुल-चिन्ह है। यह चिन्ह महारानी द्वारा यूनाइटेड किंगडम सभी आधिकारिक प्रयोजनों में प्रयोग में लाया जाता है, तथा इसे आधिकारिक तौर पर आर्म्स ऑफ़ डोमिनियन (Arms of Dominion) के नाम से जाना जाता है। इस चिन्ह से प्रेरित कई प्रकार के चिन्ह शाही परिवार के अन्य सदस्य और ब्रिटिश सरकार देश से सम्बन्धित अपने प्रशासनिक कार्यो में इस्तेमाल करती है। स्कॉटलैंड में इसका एक अलग संस्करण इस्तेमाल किया जाता है तथा उस से प्रेरित एक अन्य चिन्ह को स्कॉटिश सरकार इस्तेमाल करती है। शाही चिन्ह की ढाल चार भागों में बटी हुई है, जिस के पहले व चौथे भाग में इंग्लैंड का प्रतिनिधित्व करते हुए तीन अंग्रेज़ी शेर हैं, दूसरे भाग में फूलों की मेंड़ के साथ स्कॉटलैंड का प्रतिनिधित्व करता हुआ अनियंत्रित शेर है तथा तीसरे भाग में उत्तरी आयरलैंड का प्रतिनिधित्व करता हुआ क्लैरसच (हार्प) है। ढाल को शाही मुकुट पहने हुए अंग्रेज़ी शेर और जंजीर से बंधे स्कॉटिश यूनिकॉर्न ने संभाला हुआ है। .

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संयुक्त राजशाही की राजनीति

ब्रिटेन की राजनीतिक संरचना एक एकात्मक राज्य और एक संवैधानिक राजतंत्र के सिद्धांतों पर आधारित है। ब्रिटिश राजतांत्रिक व्यवस्था में, अधिराट्(नरेश) को राष्ट्रप्रमुख का दर्ज दिया गया है, जबकि लोकतांत्रिक तौर पर निर्वाचित प्रधानमंत्री शासनप्रमुख होते हैं। ब्रिटेन में प्रचलित यह राजनीतिक तथा सरकार की शासन प्रणाली ब्रिटेन की स्वयं की प्रणाली है, जो ब्रिटेन में ही, हज़ारों वर्षों के कालावधि में, क्रमशः विकसित हुई है। इसे वेस्टमिंस्टर प्रणाली के रूप में जाना जाता है। १८वीं और १९वीं सदी के दौरान ब्रिटेन के औपनिवेशिक विस्तार के कारण यह शासन प्रणाली विश्व के अन्य कई कोनों में फैली। आज, इसे, तथा इस पर आधारित या प्रभावित शासन प्रणालियों को कनाडा, भारत, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, सिंगापुर, मलेशिया और जमैका तथा अन्य राष्ट्रमंडल देशों में देखा जा सकता है। ब्रिटिश संविधान संहिताबद्ध नहीं है और लिखित तथा गैर-लिखा स्रोतों पर आधारित है। इसमें संसदीया अधिनियम, अदालती फैसलों समेत विभिन्न ऐतिहासिक संधियाँ और सभागम समूह तथा अन्य तत्त्व जैसे यूरोपीय विधान भी शामिल हैं, जिन्हें आज सामूहिक रूप से यूनाइटेड किंगडम का संविधान कहा जाता है। राज्य के प्रमुख और शासन-अधिकार के स्रोत, ग्रेट ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैंड की संयुक्त राजशाही के एकादिदेव, पदविराजमान- महारानी एलिजाबेथ द्वितीय- हैं। परंपरा के मुताबिक नरेश, हाउस ऑफ कॉमन्स(आमसदन) में बहुमत प्राप्त करने वाली पार्टी के नेता को ही प्रधानमन्त्री नियुक्त करते हैं, हालांकि सैद्धांतिक रूप से इस पद के लिए कोई भी ब्रिटिश नागरिक जो संसद सदस्य है, चाहे वह हाउस ऑफ लॉर्ड्स या कॉमन्स में से किसी भी एक सदन का सदस्य हो, इस पद पर नियुक्त होने का अधिकार रखता है, बशर्ते की उसके पास आमसदन का समर्थन हासिल हो। सम्पूर्ण ब्रिटिश प्रभुसत्तात् प्रदेश में वैधिक नियमों को बनाने, बदलने तथा लागु करने का संपूर्ण तथा सर्वोच्च विधिवत अधिकार केवल तथा केवल संसद के ही अधिकारक्षेत्र के व्यय पर विद्यमान है(संसदीय सार्वभौमिकता)। ब्रिटिश विधान-प्रक्रिया के अनुसार, संसद द्वारा पारित अधिनियमों को सांविधिक होने के लिए, ब्रिटिश संप्रभु की शाही स्वीकृति प्राप्त करना अनिवार्य होता है, जिसे स्वीकृत या अस्वीकृत करने के लिए वे सैधिन्तिक तौर पर पूणतः स्वतंत्र हैं, परंतु वास्तविक तौर पर अस्वीकृति की घटना अतिदुर्लभ है(पिछली ऐसी घटना 11 मार्च 1708 को हुई थी)। संप्रभु, प्रधानमंत्री की सलाह पर संसद भंग भी कर सकते हैं, लेकिन विधि सम्मत रूप से उनके पास, प्रधानमंत्री की सहमति के बिना भी संसद को भंग करने की शक्ति है। राजमुकुट के अन्य शाही शक्तियों, जिन्हें शाही विशेषाधिकार कहा जाता है, को संप्रभु, प्रधानमंत्री या मंत्रिमंडल की सलाह के बिना, अपने विवेक पर कर सकते हैं। तततिरिक्त, राजमुकुट की सारी कार्यकारी शक्तियों को संप्रभु, ऎतिहासिक परंपरानुसार, प्रधानमंत्री और अपनी मंत्रिमंडल की सलाह पर उपयोग करते हैं। तथा सार्वजनिक नीति में सम्राट की भूमिका औपचारिक कार्यों तक सीमित है। अतः, वर्तमान काल में ब्रिटेन में वास्तविक राजनीतिक शक्तियां प्रधानमंत्री और मंत्रिमण्डल के हाथों में होती है, जबकि अधिराट्, केवल एक पारंपरिक राष्ट्रप्रमुखीय पद है। ब्रिटिश राजनीतिक लहज़े में, संप्रभुता के वास्तविक कार्यवाहक को "ससंसाद माहरानी" कहा जाता है। वर्त्तमान ब्रिटेन, एक बहुदलीय लोकतंत्र है, और १९२० के दशक से, यहाँ की दो वृहदतम् राजनैतिक दल हैं कंजर्वेटिव पार्टी और लेबर पार्टी। ब्रिटिश राजनीति में, लेबर पार्टी के उदय से पहले लिबरल पार्टी एक बड़ी राजनीतिक दल हुआ करती थी। यूके में अल्पसंख्यक या गठबंधन सरकारों का शासन एक प्रासंगिक और यदाकदा की दृश्य है। तथा आम चुनावों में उपयोग होने वाली फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट निर्वाचन पद्यति इस रुझान को बरकरार रखने में और भी सहभागी साबित होती है। बहरहाल, हाल ही में, २०१० से २०१५ तक कंजर्वेटिव पार्टी और लिबरल-डेमोक्रैट पार्टी की गठबंधन सरकार सत्ता पर विद्यमान थी, जोकि १९४५ के बाद पहली गठबंधन सरकार थी। हालाँकि, संयुक्त राजशाही में सर्वोच्च विधानाधिकार, लंदन-स्थित ब्रिटिश संसद को है, परंतु संयुक्त राजशाही के विभिन्न संघटक देशों:स्कॉटलैंड, उत्तरी आयरलैंड, वेल्स तथा लंदन क्षेत्र के लिए भी अनुक्रमित संसदों को स्थापित किया गया है, जिन्हें, संबंधित उपराष्ट्रीय इकाइयों के संदर्भ में सीमित विधानाधिकार प्रदान किया गया है, परंतु इस कारणवश संघीय या महासंघिया ढाँचे के विधानसभाओं के रूप में नहीं देखना चाहिए, ये केवल अनुक्रमित संसद हैं, और इनके द्वारा पारित किसी भी विधान को राष्ट्रीय संसद स्व-इच्छानुसार, कभी भी, पलट सकती है। वर्तमान में, ब्रिटेन, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, आठ के समूह(जी-८), आर्थिक सहयोग और विकास संगठन, राष्ट्रमण्डल तथा यूरोपीय संघ जैसे संगठनों का स्थायी सदस्य है, जिनमें से विशेष रूप से यूरोपीय संघ और उससे सम्बंधित मुद्दे, ब्रिटेन की राजनीती में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। .

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सेंट लूसिया का राजतंत्र

सेंट लूसिया का राजतंत्र, सेंट लूसिया की संवैधानिक राजतंत्र है। सेंट लूसिया के एकाधिदारुक को सेंट लूसिया और संयुक्त राजशाही समेत कुल १५ प्रजाभूमियों, का सत्ताधारक एकराजीय संप्रभु होने का गौरव प्राप्त है। वर्तमान सत्ता-विद्यमान शासक, ६ फरवरी वर्ष १९५२ से महारानी एलिजाबेथ द्वितीय हैं। अन्य राष्ट्रमण्डल देशों के सामान ही सेंट लूसिया की राजनीतिक व्यवस्था वेस्टमिंस्टर प्रणाली पर आधारित है, जिसमें राष्ट्रप्रमुख का पद नाममात्र होता है, और वास्तविक प्रशासनिक शक्तियां शासनप्रमुख पर निहित होते हैं। सेंट लूसिया सैद्धांतिक रूप से एक राजतंत्र है, और सेंट लूसिया के शासक के पदाधिकारी इसके राष्ट्रप्रमुख होते हैं, हालाँकि शासक की सारी संवैधानिक शक्तियों का अभ्यास, उनके प्रतिनिधि के रूप में, सेंट लूसिया के गवर्नर-जनरल करते हैं। अधिराट् यदी स्त्री हो तो उन्हें " सेंट लूसिया की रानी" के नाम हे संबोधित किया जाता है, और एक पुरुष अधिराट् को " सेंट लूसिया के राजा के नाम से संबोधित किया जाता है। .

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सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस का राजतंत्र

सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस का राजतंत्र, सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस की संवैधानिक राजतंत्र है। सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस के एकाधिदारुक को सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस और संयुक्त राजशाही समेत कुल १५ प्रजाभूमियों, का सत्ताधारक एकराजीय संप्रभु होने का गौरव प्राप्त है। वर्तमान सत्ता-विद्यमान शासक, ६ फरवरी वर्ष १९५२ से महारानी एलिजाबेथ द्वितीय हैं। अन्य राष्ट्रमण्डल देशों के सामान ही सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस की राजनीतिक व्यवस्था वेस्टमिंस्टर प्रणाली पर आधारित है, जिसमें राष्ट्रप्रमुख का पद नाममात्र होता है, और वास्तविक प्रशासनिक शक्तियां शासनप्रमुख पर निहित होते हैं। सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस सैद्धांतिक रूप से एक राजतंत्र है, और सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस के शासक के पदाधिकारी इसके राष्ट्रप्रमुख होते हैं, हालाँकि शासक की सारी संवैधानिक शक्तियों का अभ्यास, उनके प्रतिनिधि के रूप में, सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस के गवर्नर-जनरल करते हैं। अधिराट् यदी स्त्री हो तो उन्हें " सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस की रानी" के नाम हे संबोधित किया जाता है, और एक पुरुष अधिराट् को " सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस के राजा के नाम से संबोधित किया जाता है। .

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सेंट किट्स और नेविस का राजतंत्र

सेंट किट्स और नेविस का राजतंत्र, सेंट किट्स और नेविस की संवैधानिक राजतंत्र है। सेंट किट्स और नेविस के एकाधिदारुक को सेंट किट्स और नेविस और संयुक्त राजशाही समेत कुल १५ प्रजाभूमियों, का सत्ताधारक एकराजीय संप्रभु होने का गौरव प्राप्त है। वर्तमान सत्ता-विद्यमान शासक, ६ फरवरी वर्ष १९५२ से महारानी एलिजाबेथ द्वितीय हैं। अन्य राष्ट्रमण्डल देशों के सामान ही सेंट किट्स और नेविस की राजनीतिक व्यवस्था वेस्टमिंस्टर प्रणाली पर आधारित है, जिसमें राष्ट्रप्रमुख का पद नाममात्र होता है, और वास्तविक प्रशासनिक शक्तियां शासनप्रमुख पर निहित होते हैं। सेंट किट्स और नेविस सैद्धांतिक रूप से एक राजतंत्र है, और सेंट किट्स और नेविस के शासक के पदाधिकारी इसके राष्ट्रप्रमुख होते हैं, हालाँकि शासक की सारी संवैधानिक शक्तियों का अभ्यास, उनके प्रतिनिधि के रूप में, सेंट किट्स और नेविस के गवर्नर-जनरल करते हैं। अधिराट् यदी स्त्री हो तो उन्हें " सेंट किट्स और नेविस की रानी" के नाम हे संबोधित किया जाता है, और एक पुरुष अधिराट् को " सेंट किट्स और नेविस के राजा के नाम से संबोधित किया जाता है। .

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सोफ़िया, हॅनोवर की निर्वाचिका

फ़ाल्ज़ की राजकुमारी, सोफ़िया(जर्मन:Sophie, Prinzessin von der Pfalz) जिन्हें अधिक प्रचलित रूप से सोफ़िया ऑफ़ हॅनोवर अर्थात् "हनोवर की सोफ़िया" के नाम से जाना जाता है, का जन्म १७ अक्टूबर १६३० को हेग, नीदरलैण्ड में हुआ था। वे फ़्रेडरिक पंचम, निर्वाचक फ़ाल्ज़ तथा स्कॉटलैंड और इंग्लैंड के राजा, जेम्स (षष्टम् और प्रथम) की पुत्री, एलिज़ाबेथ स्टुअर्ट, की सबसे छोटी पुत्री थी। उनकी पर्वरिश डच गणराज्य में हुई थी। १६५८ में उनका विवाह बर्नस्विक-लूनबर्ग के ड्यूक, अर्नेस्ट ऑगस्टस के साथ हुआ, जिन्हें बाद में पवित्र रोमन साम्राज्य में निर्वाचक का दर्ज प्राप्त हुआ, जिसके कारण सोफ़िया को हनोवर की निर्वाचिका की उपादि प्राप्त हुई। एक ऐसा ख़िताब, जिसके नाम से उन्हें बेहतर जाना जाता है। इंग्लैण्ड में गौरवशाली क्रांति के पश्चात पारित हुए ऍक्ट ऑफ़ सेटलमेंट, १७०१ के अंतर्गत उन्हें, जेम्स प्रथम की पोती होने के नाते, अंग्रेज़ी सिंघासन का एकमात्र वैध वारिस तथा उन्हें और उनके आगामी प्रोटोस्टेंट वंश को इंग्लैंड की राजगद्दी का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया गया था। हालाँकि उनके सिंघासन विराजने से दो महीने पूर्व ही मृत्यु हो गयी; अतः सिंघासन पर उनका अधिकार, विधि द्वारा उनके ज्येष्ठ पुत्र, जॉर्ज लुइस, हनोवर के निर्वाचक के पास चला गया, जिन्होंने १ अगस्त १७१४ को इंग्लैंड के राजा जॉर्ज प्रथम के रूप में सिंघासन पर विराजमान होकर, इंग्लैंड और स्कॉटलैंड में हनोवर वंश के राज को शुरू किया। ऐसा, तत्कालीन राजा विलियम तृतीय और रानी मैरी द्वितीय, और मैरी की बहन रानी ऐनी के कोई जीवित संतान उत्पन्न नहीं कर पाने, तथा स्टुअर्ट घराने के अन्य सभी सदस्यों के कैथोलिक धर्म होने के कारण किया गया था। .

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सोफ़ी, वेसेक्स की काउंटेस

सोफ़ी, वेसेक्स की काउंटेस,(सोफ़ी हेलेन) महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय और राजकुमार फ़िलिप के सबसे छोटे पुत्र, राजकुमार एडवर्ड, वेसेक्स के अर्ल की धर्मपत्नी है। उनका जन्म २० जनवरी १९६५ को हुआ था, और राजकुमार से विवाह से पहले वे पब्लिक रिलेशन्स में काम करती थी। उमके दो संतान हैं, जेम्स और लुईस, जो क्रमशः, ब्रिटिश सिंघासन के अनुक्रम में दसवें और ग्यारहवें स्थान पर हैं। .

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सोलोमन द्वीप का राजतंत्र

सोलोमन द्वीप राजतंत्र, सोलोमन द्वीप की संवैधानिक राजतंत्र है। जमैकी एकाधिदारुक को सोलोमन द्वीप और संयुक्त राजशाही समेत कुल १५ प्रजाभूमियों, का सत्ताधारक एकराजीय संप्रभु होने का गौरव प्राप्त है। वर्तमान सत्ता-विद्यमान शासक, ६ फरवरी वर्ष १९५२ से महारानी एलिजाबेथ द्वितीय हैं। अन्य राष्ट्रमण्डल देशों के सामान ही सोलोमन द्वीप की राजनीतिक व्यवस्था वेस्टमिंस्टर प्रणाली पर आधारित है, जिसमें राष्ट्रप्रमुख का पद नाममात्र होता है, और वास्तविक प्रशासनिक शक्तियां शासनप्रमुख पर निहित होते हैं। सोलोमन द्वीप सैद्धांतिक रूप से एक राजतंत्र है, और और सोलोमन द्वीप के शासक के पदाधिकारी इसके राष्ट्रप्रमुख होते हैं, हालाँकि शासक की सारी संवैधानिक शक्तियों का अभ्यास, उनके प्रतिनिधि के रूप में, सोलोमन द्वीप के गवर्नर-जनरल करते हैं। अधिराट् यदी स्त्री हो तो उन्हें " सोलोमन द्वीप की रानी" के नाम हे संबोधित किया जाता है, और एक पुरुष अधिराट् को " सोलोमन द्वीप के राजा के नाम से संबोधित किया जाता है। .

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हेनरी नॉर्थकोट, प्रथम बॅरन नॉर्थकोट

परममान्य हेनरी स्टॅफ़ऱ्ड नॉर्थकोट, प्रथम बॅरन नॉर्थकोट (Henry Stafford Northcote, 1st Baron Northcote) एक ब्रिटिश राजनीतिज्ञ थे। उन्हें 21 जनवरी 1904-9 सितंबर 1908 के बीच, महाराज एडवर्ड सप्तम् द्वारा, ऑस्ट्रेलिया के गवर्नर-जनरल यानि महाराज्यपाल के पद पर नियुक्त किया गया था। इस काल के दौरान वे, महाराज के प्रतिनिधि के रूप में, उनकी अनुपस्थिति के दौरान शासक के कर्तव्यों का निर्वाह करते थे। इसके अलावा, अपने व्यवसायिक जीवन के दौरान, उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य की सेवा में, विश्व भर में विस्तृत विभिन्न ब्रिटिश उपनिवेशों में, अन्य अनेक महत्वपूर्ण व वर्चस्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवा दी थी। .

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हेनरी फ़ोस्टर, प्रथम बॅरन फ़ोस्टर

हेनरी विलियम फ़ोस्टर, प्रथम बॅरन फ़ोस्टर (Henry Forster, 1st Baron Forster) एक ब्रिटिश राजनीतिज्ञ थे। उन्हें 6 अक्टूबर 1920-8 अक्टूबर 1925 के बीच, महाराज जॉर्ज पंचम् द्वारा, ऑस्ट्रेलिया के गवर्नर-जनरल यानि महाराज्यपाल के पद पर नियुक्त किया गया था। इस काल के दौरान वे, महाराज के प्रतिनिधि के रूप में, उनकी अनुपस्थिति के दौरान शासक के कर्तव्यों का निर्वाह करते थे। इसके अलावा, अपने व्यवसायिक जीवन के दौरान, उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य की सेवा में, विश्व भर में विस्तृत विभिन्न ब्रिटिश उपनिवेशों में, अन्य अनेक महत्वपूर्ण व वर्चस्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवा दी थी। .

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हॅलम टेनिसन, दूसरे बॅरन टेनिसन

हॅलम टेनिसन, दूसरे बॅरन टेनिसन (Hallam Tennyson, 2nd Baron Tennyson) एक ब्रिटिश राजनीतिज्ञ थे। उन्हें 9 जनवरी 1903-21 जनवरी 1904 के बीच, महाराज एडवर्ड सप्तम् द्वारा, ऑस्ट्रेलिया के गवर्नर-जनरल यानि महाराज्यपाल के पद पर नियुक्त किया गया था। इस काल के दौरान वे, महाराज के प्रतिनिधि के रूप में, उनकी अनुपस्थिति के दौरान शासक के कर्तव्यों का निर्वाह करते थे। इसके अलावा, अपने व्यवसायिक जीवन के दौरान, उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य की सेवा में, विश्व भर में विस्तृत विभिन्न ब्रिटिश उपनिवेशों में, अन्य अनेक महत्वपूर्ण व वर्चस्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवा दी थी। वे ऑस्ट्रेलिया के दूसरे गवर्नर-जनरल थे। उन्होंने होपटन के सातवें अर्ल के पदत्याग के बाद गवर्नर-जनरल के पद को संभाला था। .

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जमैकन राजतंत्र

जमैका राजतंत्र, जमैका की संवैधानिक राजतंत्र है। जमैकी एकाधिदारुक को जमैका और संयुक्त राजशाही समेत कुल १५ प्रजाभूमियों, का सत्ताधारक एकराजीय संप्रभु होने का गौरव प्राप्त है। वर्तमान सत्ता-विद्यमान शासक, ६ फरवरी वर्ष १९५२ से महारानी एलिजाबेथ द्वितीय हैं। अन्य राष्ट्रमण्डल देशों के सामान ही जमैका की राजनीतिक व्यवस्था वेस्टमिंस्टर प्रणाली पर आधारित है, जिसमें राष्ट्रप्रमुख का पद नाममात्र होता है, और वास्तविक प्रशासनिक शक्तियां शासनप्रमुख पर निहित होते हैं। जमैका सैद्धांतिक रूप से एक राजतंत्र है, और और जमैका के शासक के पदाधिकारी इसके राष्ट्रप्रमुख होते हैं, हालाँकि शासक की सारी संवैधानिक शक्तियों का अभ्यास, उनके प्रतिनिधि के रूप में, जमैका के गवर्नर-जनरल करते हैं। अधिराट् यदी स्त्री हो तो उन्हें "जमैका की रानी" के नाम हे संबोधित किया जाता है, और एक पुरुष अधिराट् को "जमैका के राजा के नाम से संबोधित किया जाता है। .

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जेम्स माउण्टबैटन-विंड्सर, वाइकाउंट सेवर्न

जेम्स, वाइसकाउंट सेवर्न (पूरा नाम:जेम्स ऐलेग्ज़ैंडर फ़िलिप थ़ीओ माउण्टबेटन-विन्ज़र) वेसेक्स के अर्ल और काउंटेस के छोटा और एकलौता पुत्र है। वह महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय का सबसे छोटा पोत है। जेम्स का जन्म १७ दिसंबर २००७ में फ़ॉर्मली पार्क अस्पताल, सरी, इंग्लैंड में हुआ था। उनका बपतिस्मा संस्कार १९ अप्रैल २००८ को विंडसर कासल, बर्कशायर में किया गया था। अपने जन्म के समय वो अपनी दादी, रानी एलिज़ाबेथ द्वितीय के बाद ब्रिटिश सिंघासन पर उत्तराधिकार के अनुक्रम में आठवें स्थान पर थे; कैम्ब्रिज के राजकुमार जॉर्ज और राजकुमारी शार्लट के जन्म के बाद, वर्त्तमान समय में वो दसवें स्थान पर हैं। वो अपनी बड़ी बहन और माता-पिता के साथ बॅगशॉट् पार्क, सरी में रहते हैं। .

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जॉन ब्रेड, प्रथम वाइकाउण्ट स्टोनहॅवेन

बॅरन स्टोनहॅवेन, जॉन लॉरेन्स ब्रेड (John Baird, 1st Viscount Stonehaven) एक ब्रिटिश राजनीतिज्ञ थे। उन्हें 8 अक्टूबर 1925-21 जनवरी 1931 के बीच, महाराज जॉर्ज पंचम् द्वारा, ऑस्ट्रेलिया के गवर्नर-जनरल यानि महाराज्यपाल के पद पर नियुक्त किया गया था। इस काल के दौरान वे, महाराज के प्रतिनिधि के रूप में, उनकी अनुपस्थिति के दौरान शासक के कर्तव्यों का निर्वाह करते थे। इसके अलावा, अपने व्यवसायिक जीवन के दौरान, उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य की सेवा में, विश्व भर में विस्तृत विभिन्न ब्रिटिश उपनिवेशों में, अन्य अनेक महत्वपूर्ण व वर्चस्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवा दी थी। .

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जॉन होप, लिनलिथगो के प्रथम मार्क्विस

जॉन होप, लिनलिथगो के प्रथम मार्क्विस (John Hope, 1st Marquess of Linlithgow), जिन्हें, 1873 से 1902 के बीच, होपटन के सातवें अर्ल और 1873 से पूर्व, वाइकाउण्ट आइद़री के नाम से जाना जाता था, एक ब्रिटिश राजनीतिज्ञ थे। उन्हें 1 जनवरी 1901-9 जनवरी 1903 के बीच, महारानी विक्टोरिया तथा, उनके उत्तराधिकारी, महाराज एडवर्ड सप्तम् द्वारा, ऑस्ट्रेलिया के गवर्नर-जनरल यानि महाराज्यपाल के पद पर नियुक्त किया गया था। वे ऑस्ट्रेलिया के पहले गवर्नर-जनरल थे। गवर्नर-जनरल के रूप में अपने सेवाकाल के दौरान वे, शासक के प्रतिनिधि के रूप में, उनकी अनुपस्थिति के दौरान शासन के कर्तव्यों का निर्वाह करते थे। इसके अलावा, अपने व्यवसायिक जीवन के दौरान, उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य की सेवा में, विश्व भर में विस्तृत विभिन्न ब्रिटिश उपनिवेशों में, अन्य अनेक महत्वपूर्ण व वर्चस्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवा दी थी। 9 जनवरी 1903 को, ऑस्ट्रेलियाई सर्कार और उनके बीच हुए वित्त और गवर्नर-जनरल के पद की सहूलियतों के संबंध में हुए मतभेदोंके कारणवश उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। 1902 को, उन्हें ब्रिटिश सरकार द्वारा, लिनलिथगो के प्रथम मार्क्विस की उपाधि प्रदान की गई। 29 फरवरी 1908 को 47 वर्ष की आयु में, उनका निधन हो गया। ऑस्ट्रेलिया में इन्हें लाॅर्ड होपटन के नाम से जाना जाता है। .

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जॉन कर

परममान्य सर जॉन रॉबर्ट कर (John Kerr) एक ब्रिटिश राजनीतिज्ञ थे। उन्हें 11 जुलाई 1974-8 दिसंबर 1977 के बीच, महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय द्वारा, ऑस्ट्रेलिया के गवर्नर-जनरल यानि महाराज्यपाल के पद पर नियुक्त किया गया था। इस काल के दौरान वे, महारानी के प्रतिनिधि के रूप में, उनकी अनुपस्थिति के दौरान शासक के कर्तव्यों का निर्वाह करते थे। इसके अलावा, अपने व्यवसायिक जीवन के दौरान, उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य की सेवा में, विश्व भर में विस्तृत विभिन्न ब्रिटिश उपनिवेशों में, अन्य अनेक महत्वपूर्ण व वर्चस्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवा दी थी। .

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वाइटहॉल पैलस

वाइटहॉल पैलेस या पैलेस ऑफ़ वाइटहॉल(Palace of Whitehall, ब्रिटिश उच्चारण:प़ॅलॆस् ऑफ़ व़ाइठ्हाॅल़्) (अर्थात, वाइटहॉल का महल), लंदन के वेस्टमिंस्टर शहर में स्थित एक पूर्व राजमहल था। यह महल 1530 से 1698 तक, अंग्रेजी राजाओं और, लंदन में, क्वींस का मुख्य राजनिवास हुआ करता था। दुर्भाग्यवश १६९८ में एक भीषण आग के कारण यह महल पूरी तरह से नष्ट हो गया था। उस आग में महल के इनिगो जोन्स के 1622 के बैंक्वेट हॉल(दावत घर) को छोड़कर पूरा महल नष्ट हो गया। आग से पहले, यह महल यूरोप में सबसे बड़ा महल हुआ करता था। उस समय, इस महल में कुल 1500 कमरे हुआ करते थे, और एक समय में यह दुनिया की सबसे बड़ी इमारत हुआ करता था। महल के स्थान पर आज अनेक सरकारी भवन व कार्यालय हैं, इतना की, ब्रिटेन में अक्सर सरकार का बोध करने के लिए "वाइटहॉल" शब्द को एक उपलक्षण के रूप में भी उपयोग किया जाता है। इन सरकारी इमारतों के अलावा इस स्थान से "वाइटहॉल रोड" नमक एक सड़क भी गुज़रती है, जिसका नाम इस पूवस्थित महल के नाम पर रखा गया है। .

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विलय के अधिनियम, १७०७

ऍक्ट्स ऑफ यूनियन अर्थात विलय के अधिनियम, तत्कालीन अंग्रेज़ी और स्कॉटिश राजशाही के सांसदों द्वारा पारित दो भिन्न अधिनियमों का नाम है, जिनके बदौलत सन 1707 में इंग्लैंड और स्कॉटलैंड की राजशाहीयाँ, जो उस समय दो भिन्न सांसदों समेत, अलग-अलग रियासतें हुआ करती थी, का, ग्रेट ब्रिटेन नमक, एक देश के रूप में विलय हो गया था। इन दो अधिनियमों का नाम था:यूनियन विथ स्कॉटलैंड एक्ट, जिसे अंग्रेजी संसद में १७०६ में पारित किया गया था, और यूनियन विद इंग्लैंड ऍक्ट जिसे स्कॉटिश संसद में १७०७ में पारित किया गया था। यह अधिनियम दोनों सांसदों के प्रतिनिधियों द्वारा 22 जुलाई १७०६ को हस्ताक्षर किए गए विलय की संधि(ट्रीटी ऑफ़ यूनियन) को लागू करने के लिए पारित किए गए थे। उस समय तक स्कॉटलैंड और इंग्लैंड करीब १०० सालों से एक ही शासक को साझा कर रहे थे। यह सिलसिला 1603 में स्कॉटलैंड के जेम्स षष्टम् द्वारा अपनी चचेरी बहन इंग्लैंड की एलिजाबेथ प्रथम की मृत्यु के बाद अंग्रेजी सिंहासन को उत्तराधिकृत करने तथा दोनों राजमुकुटों के विलय द्वारा शुरू हुआ था। हालाँकि, इसे राजमुकुटों का विलय कहा गया था, परंतु वास्तविक तौर पर, दो भिन्न राजमुकुट थे जिन्हें एक की सर पर सुशोभित किया गया था, अर्थात हालाँकि दोनों देशों के शासक एक ही थे, परंतु दोनों की सरकार और साहसं व्यवस्था बिलकुल विभक्त और भिन्न था। अतः इन दोनों राष्ट्रों का एक ही देश में विलय करवाने क्व प्रयास एक से अधिक बार, १६०६, १६६७ और १६८९ में किया गया था, परंतु १८वीं सदी से पहले तक इस सुझाव को दोनों पक्षों की राजनीतिक व्यवस्थापिक का सकार्थक समर्थन नहीं मिल सका था। ये अधिनियम १ मई १७०७ से लागु हुए। उस दिन से स्कोटियाई संसद और अंग्रेज़ी संसद का विलय होकर ग्रेट ब्रिटेन की संसद की स्थापना हुई। साथ ही इंग्लैंड और स्कॉटलैंड के विलय से ग्रेट ब्रिटेन की स्थापना हुई। इस विलायकृत संसद का आसान लंदन का वेस्टमिंस्टर का महल था, जिसमें पूर्वतः अंग्रेज़ी संसद बैठ करती थी। इस विलय को अक्सर न केवल ब्रिटेन के, बल्कि पूरे यूरोप की राजनीतिक इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाओं में से एक मन जाता है। .

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विलियम मैक्केल

विलियम जोज़ेफ़ मैक्कॅल (William Joseph McKell) एक ब्रिटिश राजनीतिज्ञ थे। उन्हें 11 मार्च 1947-8 मई 1953 के बीच, महाराज जॉर्ज षष्ठम् और उनके उत्तराधिकारी, एलिज़ाबेथ द्वितीय द्वारा, ऑस्ट्रेलिया के गवर्नर-जनरल यानि महाराज्यपाल के पद पर नियुक्त किया गया था। इस काल के दौरान वे, महाराज के प्रतिनिधि के रूप में, उनकी अनुपस्थिति के दौरान शासक के कर्तव्यों का निर्वाह करते थे। इसके अलावा, अपने व्यवसायिक जीवन के दौरान, उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य की सेवा में, विश्व भर में विस्तृत विभिन्न ब्रिटिश उपनिवेशों में, अन्य अनेक महत्वपूर्ण व वर्चस्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवा दी थी। .

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विलियम मॉरिसन, प्रथम वाइकाउण्ट डनरॉसिल

विलियम शेफ़ऱ्ड मॉरिसन, प्रथम वाइकाउण्ट डनरॉसिल (William Morrison, 1st Viscount Dunrossil) एक ब्रिटिश राजनीतिज्ञ थे। उन्हें 2 फ़रवरी 1960-3 अगस्त 1961 के बीच, महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय द्वारा, ऑस्ट्रेलिया के गवर्नर-जनरल यानि महाराज्यपाल के पद पर नियुक्त किया गया था। इस काल के दौरान वे, महारानी के प्रतिनिधि के रूप में, उनकी अनुपस्थिति के दौरान शासक के कर्तव्यों का निर्वाह करते थे। इसके अलावा, अपने व्यवसायिक जीवन के दौरान, उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य की सेवा में, विश्व भर में विस्तृत विभिन्न ब्रिटिश उपनिवेशों में, अन्य अनेक महत्वपूर्ण व वर्चस्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवा दी थी। .

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विलियम सिडनी, प्रथम वाइकाउण्ट डी ल्'आइल

विलियम फ़िलिप सिडनी, प्रथम वाइकाउण्ट डी ल्'आइल (William Sidney, 1st Viscount De L'Isle) एक ब्रिटिश राजनीतिज्ञ थे। उन्हें 3 अगस्त 1961-7 मई 1965 के बीच, महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय द्वारा, ऑस्ट्रेलिया के गवर्नर-जनरल यानि महाराज्यपाल के पद पर नियुक्त किया गया था। इस काल के दौरान वे, महारानी के प्रतिनिधि के रूप में, उनकी अनुपस्थिति के दौरान शासक के कर्तव्यों का निर्वाह करते थे। इसके अलावा, अपने व्यवसायिक जीवन के दौरान, उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य की सेवा में, विश्व भर में विस्तृत विभिन्न ब्रिटिश उपनिवेशों में, अन्य अनेक महत्वपूर्ण व वर्चस्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवा दी थी। .

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विलियम स्लिम, प्रथम वाइकाउण्ट स्लिम

फ़ील्ड मार्शल परममान्य विलियम स्लिम, प्रथम वाइकाउण्ट स्लिम (William Slim, 1st Viscount Slim) एक ब्रिटिश राजनीतिज्ञ थे। उन्हें 8 मई 1953-2 फ़रवरी 1960 के बीच, महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय द्वारा, ऑस्ट्रेलिया के गवर्नर-जनरल यानि महाराज्यपाल के पद पर नियुक्त किया गया था। इस काल के दौरान वे, महारानी के प्रतिनिधि के रूप में, उनकी अनुपस्थिति के दौरान शासक के कर्तव्यों का निर्वाह करते थे। इसके अलावा, अपने व्यवसायिक जीवन के दौरान, उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य की सेवा में, विश्व भर में विस्तृत विभिन्न ब्रिटिश उपनिवेशों में, अन्य अनेक महत्वपूर्ण व वर्चस्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवा दी थी। .

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विलियम हम्बल वार्ड, डड्ली के दूसरे अर्ल

विलियम हम्बल वार्ड, डड्ली के दूसरे अर्ल (William Humble Ward, 2nd Earl of Dudley) एक ब्रिटिश राजनीतिज्ञ थे। उन्हें 9 सितंबर 1908-31 जुलाई 1911 के बीच, महाराज एडवर्ड सप्तम्, तथा, उनके उत्तराधिकारी, जॉर्ज पंचम् द्वारा, ऑस्ट्रेलिया के गवर्नर-जनरल यानि महाराज्यपाल के पद पर नियुक्त किया गया था। इस काल के दौरान वे, महाराज के प्रतिनिधि के रूप में, उनकी अनुपस्थिति के दौरान शासक के कर्तव्यों का निर्वाह करते थे। इसके अलावा, अपने व्यवसायिक जीवन के दौरान, उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य की सेवा में, विश्व भर में विस्तृत विभिन्न ब्रिटिश उपनिवेशों में, अन्य अनेक महत्वपूर्ण व वर्चस्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवा दी थी। .

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वेस्टमिंस्टर की संविधि, १९३१

वेस्टमिंस्टर की संविधि, वर्ष १९३१ में यूनाइटेड किंगडम की संसद द्वारा पारित एक संसदीय अधिनियम है, जिसके भिन्न संस्करण आज भी कैनडा और ऑस्ट्रेलिया में दोनों देशों में विधान के रूप में स्थापित हैं, इसे न्यूज़ीलैण्ड तथा अन्य पूर्व राष्ट्रमण्डल प्रजाभूमियों में पूर्ववत कर दिया गया है। इसे ब्रिटिश संसद में ११ दिसंबर १९३१ में पारित किया गया था, और तत्कालीन ब्रिटिश डोमिनियनों में स्वीकृति के बाद तत्कालीन ब्रिटिश साम्राज्य के सरे डोमिनियनों में स्वराज स्थापित कर दिया। अतः इसके पारित होने से ब्रिटिश साम्राज्य के सारे डोमिनियन, स्वाशासित, संप्रभु देश बन गए, साथ ही, मौलिक स्वायत्तता के अलावा, एक ही राजतंत्र को सांझ करने के कारण, यह सरे देश, राजकीय उपादियों और सिंघासन के उत्तराधिकार क्रम में परिवर्तन हेतु एक-दुसरे की स्वीकृति प्राप्त करने के लिए, इस संविधि द्वारा बाध्य भी है। अतः, इस विधान ने तमाम डोमिनियनों को बराबर का पद दिया, और बॅल्फोर घोषणा, १९२६ में तमाम राष्ट्रमण्डल प्रदेशों की बराबरी के साथ, एक ही राजसत्ता के प्रति वफ़ादारी रखने की घोषणा को वास्तविक रूप दिया, जिसके कारण सारे डोमिनियन स्वशासित, सार्वभौमिक देश बन गए। वर्त्तमान समय में इसकी सार्थकता इस बात से है, की इसने सारे राष्ट्रमण्डल प्रजाभूमियों और उनके साँझा राजतंत्र के बीच के सतत संबंध को बरक़रार रखने की नीव राखी थी। .

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ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैंड की संयुक्त राजशाही

ग्रेट ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैंड की संयुक्त राजशाही, १ जनवरी वर्ष १८०१ में स्थापित, वर्त्तमान संयुक्त राजशाही और आयरिश गणराज्य का पुरख राज्य था। इसकी स्थापना ऍक्ट्स ऑफ़ यूनियन, १८०० द्वारा हुआ था। ततन्तर्गत, आयरिश राजशही का ग्रेट ब्रिटेन राजशाही के साथ विलय होगया तथा ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैंड की संयुक्त राजशाही की स्थापना हुई। वर्ष १९२२ में, आयरलैंड का पाँच-छ्याई हिस्सा आयरिश मुक्त राज्य के नाम से, इस संयुक्त राजशाही से बहार निकल गया, जबकि आयरलैंड द्वीप का पूर्वोत्तर स्थित छायाही भाग, उत्तरी आयरलैंड के नाम से, संयुक्त राज में ही रहा। परिणामस्वरूप, इस राज्य को तथा "ग्रेट ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैंड की संयुक्त राजशाही" नाम देदिया गया। .

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ग्रेनेडा का राजतंत्र

ग्रेनेडियाई राजतंत्र, ग्रेनेडा की संवैधानिक राजतंत्र है। ग्रेनेडा एकाधिदारुक को ग्रेनेडा और संयुक्त राजशाही समेत कुल १५ प्रजाभूमियों, का सत्ताधारक एकराजीय संप्रभु होने का गौरव प्राप्त है। वर्तमान सत्ता-विद्यमान शासक, ६ फरवरी वर्ष १९५२ से महारानी एलिजाबेथ द्वितीय हैं। अन्य राष्ट्रमण्डल देशों के सामान ही ग्रेनेडा की राजनीतिक व्यवस्था वेस्टमिंस्टर प्रणाली पर आधारित है, जिसमें राष्ट्रप्रमुख का पद नाममात्र होता है, और वास्तविक प्रशासनिक शक्तियां शासनप्रमुख पर निहित होते हैं। ग्रेनेडा सैद्धांतिक रूप से एक राजतंत्र है, और और ग्रेनेडा के शासक के पदाधिकारी इसके राष्ट्रप्रमुख होते हैं, हालाँकि शासक की सारी संवैधानिक शक्तियों का अभ्यास, उनके प्रतिनिधि के रूप में, ग्रेनेडा के गवर्नर-जनरल करते हैं। अधिराट् यदी स्त्री हो तो उन्हें " ग्रेनेडा की रानी" के नाम हे संबोधित किया जाता है, और एक पुरुष अधिराट् को " ग्रेनेडा के राजा के नाम से संबोधित किया जाता है। .

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गैलिक आयरलैंड

गेलिक आयरलैंड या आयरलैंड की सेल्टिक सभ्यता, आयरलैंड द्वीप की देशज गेलिक लोगों द्वारा विकिसित राजनैतिक व सामाजिक व्यवस्था की सभ्यता को कहा जाता है, यह प्रागैतिहासिक काल से १७वीं सदी की शुरुआत तक आयरलैंड द्वीप पर अस्तित्व में रही। इस दौरान आयरलैंड अनेक छोटे-बड़े राज्यों और जागीरों में बँटा हुआ था, जिनपर विभिन्न गाइल् राजनों का राज था। समाज कुल-समूहों में विभाजित था और, बाकी के तत्कालीन यूरोप के समान, कुलीनता के आधार पर अनुक्रमित भी था(प्राचीन भारत में वर्ण-व्यवस्था के समान)। नॉर्मन आक्रमण से पूर्व, गेलिक समाज की अर्थव्यवस्था मूलतः पशुचारण पर आधारित थी, और साधारण रूप से मुद्रा का उपयोग नहीं होता था। इस काल के दौरान आयरिश लोगोंकी पारंपरिक पोशाक, संगीत, नृत्य, खेल, वास्तु औए कला का विकास हुआ था, जोकि बाद में एंग्लो-सैक्सन शैली के साथ मिल गया। १६वीं सदी के अंतिम वर्षों के समय, इंग्लैंड राजशाही ने आयरलैंड पर पूरी तरह कब्ज़ा कर लिया और इसी के साथ गेलिक आयरलैंड का अंत हो गया। .

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ऑस्ट्रेलियाई राजतंत्र

ऑस्ट्रेलियाई राजतंत्र, ऑस्ट्रेलिया की संवैधानिक राजतंत्र है। ऑस्ट्रेलिया के एकाधिदारुक को ऑस्ट्रेलिया और संयुक्त राजशाही समेत कुल १५ प्रजाभूमियों, का सत्ताधारक एकराजीय संप्रभु होने का गौरव प्राप्त है। वर्तमान सत्ता-विद्यमान शासक, ६ फरवरी वर्ष १९५२ से महारानी एलिजाबेथ द्वितीय हैं। अन्य राष्ट्रमण्डल देशों के सामान ही ऑस्ट्रेलिया की राजनीतिक व्यवस्था वेस्टमिंस्टर प्रणाली पर आधारित है, जिसमें राष्ट्रप्रमुख का पद नाममात्र होता है, और वास्तविक प्रशासनिक शक्तियां शासनप्रमुख पर निहित होते हैं। ऑस्ट्रेलिया सैद्धांतिक रूप से एक राजतंत्र है, और ऑस्ट्रेलिया के शासक के पदाधिकारी इसके राष्ट्रप्रमुख होते हैं, हालाँकि शासक की सारी संवैधानिक शक्तियों का अभ्यास, उनके प्रतिनिधि के रूप में, ऑस्ट्रेलिया के गवर्नर-जनरल करते हैं। अधिराट् यदी स्त्री हो तो उन्हें " ऑस्ट्रेलिया की रानी" के नाम हे संबोधित किया जाता है, और एक पुरुष अधिराट् को " ऑस्ट्रेलिया के राजा के नाम से संबोधित किया जाता है। .

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आयरलैंड राजशाही

आयरलैंड राजशाही(शास्त्रीय आयरिश:Ríoghacht Éireann; आधुनिक आयरिश:Ríocht Éireann), आयरलैंड द्वीप पर १५४२ से १८०० के बीच विद्यमान अंग्रेज़ी राजशाही का एक कठपुतली राज्य था। यह तब अस्तित्व में आई जब १५४२ में आयरलैंड की संसद ने क्राउन ऑफ़ आयरलैंड ऍक्ट पारित कर इंग्लैंड के राजा हेनरी अष्टम् को आयरलैंड का राजा घोषित कर दिया। राजतंत्र घोषित होने से पहले, इस राज्य को इंग्लैण्ड रियासत की एक जागीर(लॉर्डशिप) होने का पद प्राप्त था। इस राज्य की स्थापन के प्रारंभिक वर्षों में आयरिश राजतन्त्र को अन्य यूरोपीय राज्यों द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं थी। हालाँकि, कुछ प्रोटोस्टेंट राज्यों ने इसे मान्यता दी थी, परंतु किसी भी कैथोलिक राज्य ने आयरलैंड को एक वाजिब राजतंत्र और इंग्लैंड के शासक को आयरिश सिंघासन का वैधिक वारिस मानने से इनकार कर दिया था। वर्ष १९५५ में पोप पॉल चतुर्थ ने रजा हेनरी की बेटी और उत्तराधिकारी, रानी मैरी प्र॰ को आयरलैंड की रानी होने की मान्यता प्रदान की। वर्ष १८०० में ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैंड की सांसदों में एक्ट्स ऑफ़ यूनियन के पारित होने के कारण इसका विलय ग्रेट ब्रिटेन राजशाही के साथ होगया, और आयरलैंड की सरकार, प्रशासन तथा राजमुकुट को ग्रेट ब्रिटेन के साथ मिला कर एक संयुक्त रियासत को स्थापित किया गया। इस संयुक्त राज्य का नाम ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैंड की संयुक्त राजशाही(उनिदेत किंगडम ऑफ़ ग्रेट ब्रिटेन एण्ड आयरलैंड) रखा गया, जिसमे से आयरलैंड के पांच-छ्याई भाग १९२२ में ब्रिटेन से आयरिश मुक्त राज्य के रूप में स्वतंत्र होगया। .

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आयरलैंड की जागीरदारी

आयरलैंड की जागीरदारी(आयरिश:Tiarnas na hÉireann) ११७७ से १५४२ के बीच आयरलैंड में विद्यमान सामंतवादी काल था, जोकि आयरलैंड पर नोएमन आक्रमण के बाद इंग्लैण्ड के राजा के अंदर शुरू हुआ था। इस काल के दौरान इंग्लैण्ड के राजा को आयरलैंड के अधिपति का दर्ज प्राप्त था, और आयरलैंड की ज़मीन पर इंग्लैंड के राजा के अधीन अनेक नॉर्मन सामंतों और जागीरदारों का कब्ज़ा था। आधिकारिक रूप से इस जागीरदारी को एक पेपल संपदा के रूप में, इंग्लैंड के राजा के अंतर्गत आधिकारित किया गया था। हालाँकि, सैद्धान्तिक रूप से इस जागीर की भूमि पूरे आयरलैंड द्वीप पर थी, परंतु वास्तविक रूप से पूरे द्वीप पर राजा का संपूर्ण कब्ज़ा नहीं था, और ऐसे अनेक क्षेत्र थे, जिनपर स्थानीय गैलिक सरदारों और अधिपतिगण का कब्ज़ा था। अंग्रेज़ी हुकूमत के अधीन क्षेत्र का आकार अनेकों बार घटता-बढ़ता था, तथा कई क्षेत्र अंग्रेजों की पहुँच से पूर्णतः बहार थे। सामंतवाद की ढीली व्यवस्था के कारण नॉर्मन सामंतों को काफी कार्यकारी स्वतंत्रता प्राप्त थी, और कई सामंतों ने स्वयं के लिए ज़मींदारी सामान अधिकार जमा लिया था। और स्थानीय गैलिक राजाओं की सामान शक्ति हासिल कर ली थी। .

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आयरिश मुक्त राज्य

आयरिश मुक्त राज्य (Saorstát Éireann, वर्ष १९२२ में, ब्रिटिश राष्ट्रमण्डल के एक परिराज्य(डोमिनियन) के रूप में स्थापित एक स्वतंत्र राज्य था। इसे दिसंबर १९२१ के आंग्ल-आयरिश संधिके तहत स्थापित किया गया था। इस समझौते ने पिछले तीन वर्षों से, सवोऽद्घोषित आयरिश गणराज्य और ब्रिटिश मुकुट के बलों के बीच चली आ रही आयरिश स्वतंत्रता युद्ध को समाप्त कर दिया। दिसंबर १९३७ में आयरलैण्ड के नए संविधान के परवर्तन, तथा गणराज्य की घोषण के बाद यह विस्थापित होगया। प्रारंभिक समय में आयरलैण्ड की तमाम ३२ काउण्टियाँ, मुक्त राज्य के अधिकार में थीं, परंतु बाद में पूर्वोत्तर की ६ कॉउंटियों ने समझौते के अंतर्गत, मुक्त राज्य से बहार निकल कर पुनः संयुक्त राजशाही में शामिल होने का निर्णय किया। परिराज्य (डोमिनियन) होने के नाते, आयरलैंड, इस व्यवस्था के अंतर्गत, ब्रिटेन की सरकार से स्वतंत्र तो था, परंतु देश के नाममात्र राष्ट्रप्रमुख, ब्रिटिश संप्रभु थे, तथा इसकी सरकार, कार्यकारी परिषद् तथा, संप्रभु के प्रतिनिधि के रूप में, गवर्नर-जनरल द्वारा रचित थी। साथ ही एक द्विसदनीय विधायिक भी थी। सरकारी अधिकारियों को शासक के प्रति वफ़ादारी की शपथ लेने की भी अनिवार्यता थी। मुक्त राज्य के प्राथमिक महीने, आयरिश गृहयुद्ध से पस्त थे। यह युद्ध नवस्थापित सरकार की सेना और समझौता-विरोधी आयरिश रिपब्लिकन आर्मी के बीच छिड़ा था, जोकि एक गणराज्य स्थापित करने की इच्छुक थी। यह गृहयुद्ध सरकारी बालों की विजय के साथ समाप्त हुआ, संधि-विरोधी बालों ने मई १९२२ में अपने शास्त्र त्याग दिए और शांतिपूर्ण मार्ग अपनाने का निर्णय किया। संधि तथा राजतंत्र-विरोधी दाल, सिन् फेइन् ने अपने नेता डी वालेरा के नेतृत्व में १९२७ का आम चुनाव लड़ कर राष्ट्रीय विधायक में पहले बार स्थान ग्रहण किया, और १९३२ के चुनाव् के बाद सबसे बड़ी दल के रूप में उबरी। डी वालेरा ने वफादारी की शपथ को बर्खास्त कर दिया, और १९३७ में एक नए गणतांत्रिक संविधान का मसौदा तैयार किया। इस संविधान को तत्वर्ष जुलाई मास में जनमत-संग्रह द्वारा पारित कर दिया गया। २९ दिसंबर १९३७ में नए संविधान के परवर्तन के साथ ही आयरिश मुक्त राज्य का अंत हो गया, और नए संविधान के तहत इस आयरिश राज्य को आयरलैंड का नाम दिया गया। साथ ही शासक और गवर्नर जनरल के पद को समाप्त कर लोकतांत्रिक मूल्यों के आधार पर निर्वाचित राष्ट्रपति के पद से परिवर्तित कर दिया दया। .

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आइज़ैक आइज़ैक्स

परममान्य सर आइज़ैक अॅल्बर्ट आइज़ैक्स (Isaac Albert Isaacs) एक ऑस्ट्रेलियाई न्यायाधीश और राजनीतिज्ञ थे। उन्हें 21 जनवरी 1931-23 जनवरी 1936 के बीच, महाराज जॉर्ज पंचम् और उनके उत्तराधिकारी, एडवर्ड अष्टम् द्वारा, ऑस्ट्रेलिया के गवर्नर-जनरल यानि महाराज्यपाल के पद पर नियुक्त किया गया था। वे इस पद पर नियुक्त होने वाले पहले ऑस्ट्रेलिया में जन्मे व्यक्ति थे। अपने सेवाकाल के दौरान वे, महाराज के प्रतिनिधि के रूप में, उनकी अनुपस्थिति के दौरान शासक के कर्तव्यों का निर्वाह करते थे। वे एक वरिष्ठ न्यायाधीश थे, और इस नियुक्ति से पूर्व, वे अपने व्यवसायिक जीवन के दौरान, ब्रिटिश साम्राज्य की सेवा में, अन्य अनेक महत्वपूर्ण व वर्चस्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवा दी थी। .

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इंग्लैण्ड राज्य

इंग्लैण्ड राजशाही(Kingdom of England) यानि आंग्ल राजतांत्रिक राज्य, जिसे आम वार्ता में केवल इंग्लैण्ड(ब्रिटिश उच्चारण:इंग्लॆन्ड्) कहा जाता था, ग्रेट ब्रिटेन द्वीप पर स्थित एक पूर्व सार्वभौमिक एकराष्टिय राजतांत्रिक राज्य था। इंग्लैंड का उदय १०वीं शताब्दी में विभिन्न आंग्ल-सैक्सन रजवाड़ों में से हुआ था, यह १७०७ में स्कॉटलैंड राजशाही के साथ विलय तथा ग्रेट ब्रिटेन राजशाही की स्थापना तक असतित्व में रहा। ११वीं सदी में वर्त्तमान फ्रांस के नॉरमेंडी के तट से नार्मन लोगों ने आक्रमण कर इंग्लैंड पर विजय प्राप्त कर लिया था, जिस समय इंग्लैंड की राजधानी को विंचेस्टर से लंदन हस्तांतरित कर दिया गया था। अपने इतिहास के दौरान, इंग्लैंड पर चार विभिन्न वंशों का राज रहा था:नॉर्मन वंश १०६६-११५४, प्लैंटेजेनट वंश ११५४-१४८५, ट्यूडर वंश १४८५-१६०३ और स्टुअर्ट वंश १६०३-१७१४, हालाँकि इन सब को विभक्त राजवंश माना जाता है, परंतु ये सारे घराने, अंत्यतः नॉर्मनों के ही वंशज हैं। नार्मन शासन की शुरुआत के बाद से एंग्लो-सैक्सन भाषा(पुरानी अंग्रेज़ी) में फ़्रांसिस भाषा का प्रभाव अत्यंत बढ़ गया और आधुनिक अंग्रेज़ी विकसित हुई। १३वीं सदी के अंत तक इंग्लैंड ने वेल्स रियासत पर अपना अधिकार जमा लिया और १६वीं सदी में वेल्स को इंग्लैंड में पूर्णतः विलीन कर लिया गया। वेल्स पर अधिक्रमण ने इंग्लैंड को यूरोप के एक प्रमुख सैन्य शक्ति के रूप में स्थापित कर दिया। ट्यूडर काल ने अंग्रेज़ी नवजागरण के काल को देखा, जोकि अंग्रेज़ी भाषा और संस्कृति के लिहाज़ से सबसे महत्वपूर्ण काल था। राजा हेनरी अष्टम् के राज ने अंग्रेज़ी पुनःस्थापन के काल को देखा, और तत्पश्चात उनकी पुत्री एलिज़ाबेथ प्र॰ के राज में पारित एलिज़ाबेथन धार्मिक समाधान ने चर्च ऑफ़ इंग्लैंड की स्वायत्तता पुनःस्थापि की, और इसने इंग्लैंड को एक प्राथमिक यूरोपीय महाशक्ति के रूप में स्थापित कर दिया। एलिज़ाबेथन युग में इंग्लैंड ने नई दुनिया(अमरीकी महाद्वीप) के बड़े हिस्से पर अपना अधिकार स्थापित किया और अपने उपनिवेश स्थापित किये, जिसके साथ आगामी ब्रिटिश साम्राज्य की नीव पड़ी। इंग्लैंड में मैग्ना कार्टा और बिल ऑफ़ राइट्स, १६८९ जैसे ऐतिहासिक विधान पारित हुए, जिसके बदौलत संसद की शक्ति बढ़ती गयी, और शासक की शक्तियों व अधिकारों पर अनेक सीमाएँ और अंकुश लगाए गए, जोकि आगे जाकर एक विशेष प्रशासनिक व्यवस्था के रूप में विकसित हुई, जिसे वेस्टमिंस्टर प्रणाली कहा जाता है। १६०३ में रानी एलिज़ाबेथ के निधन के पश्चात स्कॉटलैंड के राजा जेम्स षष्टम् ने इंग्लैंड के सिंघासन को उत्तराधिकृत किया, और इस के साथ इंग्लैंड, स्कॉटलैंड और आयरलैंड के साथ व्यक्तिगत विलय की स्थिति में आ गया, तथा स्टुअर्ट वंश के राज का प्रारम्भ हुआ। स्टुअर्ट काल में, अंग्रेज़ी गृह युद्ध हुआ, जोकि चार्ल्स प्रथम के प्राणदंड के साथ समाप्त हुआ, परंतु इस गृहयुद्ध ने शासक के शासनाधिकार पर अनेक अंकुश लगा दिए, और शासक को संसद की स्वीकृति के बिना शासन करने से वंचित कर दिया। १ मई १७०७ को, विलय के अधिनियमों के तहत इंग्लैंड का स्कॉटलैंड के साथ विलय होगया और संयुक्त ग्रेट ब्रिटेन राजशाही की स्थापम हुई। .

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कैनेडियाइ राजतंत्र

कैनेडियाई राजतंत्र, कैनडा की संवैधानिक राजतंत्र है। कैनेडा के एकाधिदारुक को कैनेडा और संयुक्त राजशाही समेत कुल १५ प्रजाभूमियों, का सत्ताधारक एकराजीय संप्रभु होने का गौरव प्राप्त है। वर्तमान सत्ता-विद्यमान शासक, ६ फरवरी वर्ष १९५२ से महारानी एलिजाबेथ द्वितीय हैं। अन्य राष्ट्रमण्डल देशों के सामान ही कैनेडा की राजनीतिक व्यवस्था वेस्टमिंस्टर प्रणाली पर आधारित है, जिसमें राष्ट्रप्रमुख का पद नाममात्र होता है, और वास्तविक प्रशासनिक शक्तियां शासनप्रमुख पर निहित होते हैं। कैनेडा सैद्धांतिक रूप से एक राजतंत्र है, और कैनेडा के शासक के पदाधिकारी इसके राष्ट्रप्रमुख होते हैं, हालाँकि शासक की सारी संवैधानिक शक्तियों का अभ्यास, उनके प्रतिनिधि के रूप में, कैनेडा के गवर्नर-जनरल करते हैं। अधिराट् यदी स्त्री हो तो उन्हें " कैनेडा की रानी" के नाम हे संबोधित किया जाता है, और एक पुरुष अधिराट् को " कैनेडा के राजा के नाम से संबोधित किया जाता है। .

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कैंटरबरी के आर्चबिशप

कैंटरबरी के आर्चबिशप, चर्च ऑफ़ इंग्लैण्ड के एक वरिष्ठ बिशप और प्रमुख होते हैं। वे विश्वविस्तृत आंगलिकाइ ऐक्य और आंगलिकाइ संप्रदाय के चिन्हनात्मक प्रमुख हैं(जैसे पोप रोमन कैथोलिक संप्रदाय के होते हैं)। तथा वे कैंटरबरी के बिशप-क्षेत्र के प्रदेशीय बिशप होते हैं। वर्त्तमान आर्चबिशप, परणपूज्य आर्चबिशप जस्टिन वेल्बी हैं, जिनका पदस्थापन २१ मार्च २०१३ को हुआ था। वेल्बी, १४०० वर्ष पुराने इस संसथान के १०५वें पदाधिकारी हैं। इस संसथान की शुरुआत कैंटरबरी के ऑगस्टीन के साथ हुई थी, जिन्हें ५९७ ई॰ में रोम से इंग्लैण्ड, ईसाइयत के प्रचार के लिए भेजा गया था। ६ठी शताब्दी में ऑगस्टीन से १६वीं शताब्दी तक, कैंटरबरी की आर्चबिशपी, रोम के गिर्जा के साथ एकमत की स्थिति में थी, परंतु अंग्रेज़ी सुधर के बाद, इंग्लैंड की चर्च ने, पोप और रोमन कैथोलिक चर्च के अधिकार से खुद को अलग कर लिया। सुधर से पहले तक, कैंटरबरी कैथेड्रल के बिशप के चुनाव की प्रक्रिया बदलते रहा करती थी:कभी चुनाव द्वारा या कभी पोप द्वारा, अन्यथा इंग्लैंड के शासक द्वारा। सुधरकाल के बाद से, चर्च ऑफ़ इंग्लैंड, मुख्यतः एक राजकीय गिर्जा की हैसियत रखता है, और तत्पश्चात्, आर्चबिशप के नामांकन का आधिकारिक अधिकार ब्रिटिश मुकुट के पास रहा है। वर्त्तमान समय में, कैंटरबरी के आर्चबिशप की नियुक्ति, ब्रिटिश संप्रभु द्वारा प्रधानमंत्री की सलाह पर होता है, जोकि दो नामों की अनुसूची में से अगले पदाधिकारी का चुनाव किया करते हैं। .

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कॅबिनेट मैन्युअल

कॅबिनेट मैन्युअल(अन्य वर्तनी:कैबिनेट मैनुअल), ब्रिटेन की एक सरकारी दस्तावेज़ है, जोकि शासन के आचार और कार्यान्वयन से संबंधित नियमों, विधानों और सभगमों को संहिताबद्ध रूप से अंकित करती है, जो आज, यूनाइटेड किंगडम की सरकार के आचरण और कार्यप्रक्रिया के मार्गदर्शक के रूप में कार्य करती है। इसे उनकी शाही शान की प्रशासनिक सेवाओं द्वारा, कैबिनेट सचिव सर गस ओ'डॉनेल के नेतृत्व में लिखा गया था। इसे मंत्रिमण्डलीय कार्यालय द्वारा १४ दिसंबर २०१० को प्रकाशित किया गया था। यह मैन्युअल, ब्रिटेन की शासन व्यवस्था के संबंध में एक विहंगावलोकन प्रदान करती है, जिसमे, संसद की महत्ता तथा मंत्रिमण्डलीय सरकार और ब्रिटिश संवैधानिक व्यवस्था के लोकतांत्रिक चरित्र को कार्यपालिका, विधानपालिका, राजमुकुट, अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों(विशेष कर यूरोपीय संघ), राजकीय निर्भर्ताओं, समुद्रपारिया प्रदेशों तथा विभिन्न अवक्रमित प्रशासनों की शक्तियों की व्याख्यित कर, दर्शाता किया गया है। इसे मंत्रिमण्डलीय सदस्यों, अन्य मंत्रियों तथा नौकरशाहों के लिए एक संदर्शिका के तौर पर लिखा गया था, जिसके मदद से उन्हें प्रशासनिक कार्यविधि को समझने में सरलता हो। साथ ही यह पूर्वतः अलिखित कार्यकारी-विधियों को भी अंकित करता है, जिनके मदद से सरकार कार्य करती है। इसकी लेखन शैली किसी लिखित संविधान के सामान है, क्योंकि इसे लिखे जाने के पीछे की वृहन्त योजना, ब्रिटेन के लिए एक सुलिखित संविधान स्थापित करना था। बहरहाल, २०११ में हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स की संविधान समिति ने यह फरमाया की इस मैन्युअल को "एक लिखित संविधान की दिशा में पहले कदम" के रूप में नहीं लिया जाये, क्योंकि यह केवल मौजूद नियमों को संगठित कर संहिताबद्ध करती है, उन नियमों को "पत्थर पर अंकित नहीं करती", अर्थात इसका मूल उद्देश्य चल रही नियमों व तरीकों को अंकित करना है, लिखित नियमों को स्थापित करना नहीं है। इसे वैधिक रूप से संसद द्वारा स्वीकृत होने के आवश्यकता नहीं है, और कैबिनेट सचिव इस स्वेच्छा से कभीभी परिवर्तित कर सकते हैं। .

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अण्टीगुआ और बारबुडा का राजतंत्र

अण्टीगुआ और बारबुडा राजतंत्र, अण्टीगुआ और बारबुडा की संवैधानिक राजतंत्र है। अण्टीगुआ और बारबुडा एकाधिदारुक को अण्टीगुआ और बारबुडा और संयुक्त राजशाही समेत कुल १५ प्रजाभूमियों, का सत्ताधारक एकराजीय संप्रभु होने का गौरव प्राप्त है। वर्तमान सत्ता-विद्यमान शासक, ६ फरवरी वर्ष १९५२ से महारानी एलिजाबेथ द्वितीय हैं। अन्य राष्ट्रमण्डल देशों के सामान ही जमैका की राजनीतिक व्यवस्था वेस्टमिंस्टर प्रणाली पर आधारित है, जिसमें राष्ट्रप्रमुख का पद नाममात्र होता है, और वास्तविक प्रशासनिक शक्तियां शासनप्रमुख पर निहित होते हैं। अण्टीगुआ और बारबुडा सैद्धांतिक रूप से एक राजतंत्र है, और और जमैका के शासक के पदाधिकारी इसके राष्ट्रप्रमुख होते हैं, हालाँकि शासक की सारी संवैधानिक शक्तियों का अभ्यास, उनके प्रतिनिधि के रूप में, अण्टीगुआ और बारबुडा के गवर्नर-जनरल करते हैं। अधिराट् यदी स्त्री हो तो उन्हें " अण्टीगुआ और बारबुडा की रानी" के नाम हे संबोधित किया जाता है, और एक पुरुष अधिराट् को " अण्टीगुआ और बारबुडा के राजा के नाम से संबोधित किया जाता है। .

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अंतर्शासन काल

शासन-अंतराल, राजा-अंतराल या शासन अंतर्काल या केवल अंतर्काल, किसी निरंतर व अविरल शासन व्यवस्था में अनिरंतर्ता या असातत्यता के काल को कहा जाता है। इस शब्द को किसी सरकार, राजतंत्र या संगठन में शीर्ष नेतृत्व के परिवर्तन के मध्य के समय के बोध के लिए भी उपयोग किया जा सकता है। किसी राजतांत्रिक व्यवस्था में एक शासक की मृत्यु या पदत्याग और उसके उत्तराधिकारी के राज्याभिषेक के बीच के काल को कहा जा सकता है, वहीँ किसी गणतांत्रिक व्यवस्था में एक राष्ट्रप्रमुख या शासनप्रमुख के पदत्याग और अगले पदाधिकारी के पदप्रवेश के बीच के समय को भी कहा जा सकता है। तथा एक विशेष प्रकार के शासन-व्यवस्था की निरंतरता के बीच किसी अन्य व्यवस्था के अनिरंतर्ता के काल को कहा जाता है। उदाहरणस्वरूप:वर्ष १५४० से १५५५ के बीच शेर शाह सूरी का राज, मुग़ल शासन का अंतर्काल था, उसी प्रकार १६४९ से १६५० के बीच अंग्रेज़ी गणसंघ और प्रोटेक्टरेट का गणतांत्रिक काल, इंग्लैंड, स्कॉटलैंड और आयरलैंड राजशाही में राजतांत्रिक शासन का अंतर्काल था। ऐतिहासिक तौर पर अमूमन ऐसा देखा गया है की लंबे अंतर्शासन काल, अस्त-व्यस्तता, अराजकता, उत्तराधिकार युद्ध और गृहयुद्ध जैसी परिस्थितियों से ग्रस्त होते हैं। एक विफल राज्य आमतौर पर अंतर्काल का हिस्सा होता है। संसदीय व्यवस्था में संसद के भंग होने और नवीन संसद के निर्वाचन के बीच के काल को अंतर्काल कहा जाता है। कई देशों में इस समय के दौरान एक अंतर्कालीन सरकार या सामायिक सरकार का शासन होता है, जिसे किसी न्यायाधीश या सभापति जैसे निष्पक्ष पदाधिकारी के नेतृत्व में निर्वाचन काल की अघुआई करने हेतु रखा जाता है। कई राजतांत्रिक देशों में ऐसे अंतर्काल से बचने के लिए, तत्क्षणिक उत्तराधिकार की व्यवस्था होती है, जिसके कारण, पूर्वशासक के निधन के साथ ही उनका उत्तराधिकारी, बिना किसी औपचारिकता या समारोह के, सिंघासन पर विराजमान हो जाता है, अतः तकनीकी तौर पर, ऐसी व्यवस्था में, सिंघासन कभी भी रिक्त नहीं रहता है। ऐसी व्यवस्था संयुक्त राजशाही तथा कुछ अन्य योरोपीय देशों में देखि जा सकती है। .

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उत्तराधिकार परिषद्

सेंट जेम्स पैलेस, जहाँ उत्तराधिकार परिषद्, नए उत्तराधिकारी पर स्वीकृति और उत्तराधिकार के सार्वजनिक घोषणापत्र को तैयार करने हेतु एकत्रित होती है। उत्तराधिकार परिषद् यानि ऍक्सेशन काउंसिल(Accession council), यूनाइटेड किंगडम की एक परंपरागत समारोहिक निकाय है, जो शासी राजा या रानी के निधन के पश्चात, सिंघासन पर उत्तराधिकार के बाद, सेंट जेम्स पैलेस में एककृत होती है, ताकि सिंघासन के उत्तराधिकारी के सिंघासन-विराजन और नए शासक के राज की शुरुवात की आधिकारिक घोषणा की जा सके। वर्ष १७०७ में पारित समाधान के अधिनियम के अनुसार, किसी शासक की मृत्यु होने के साथ ही, उत्तराधिकार के नियमों के अनुकूल, उनके वैधिक उत्तराधिकारी, बिना किसी समारोह या औपचारिकता के, तुरंत ही नए शासक बन जाते हैं। अतः उत्तराधिकार परिषद् हमेशा उत्तराधिकार होने के पश्चात् संगठित होती है, एक आधिकारिक घोषणापत्र जारी करने के लिए, जिसके द्वारा नए शासक की नाम और पहचान समेत पुष्टि की जाती है, और पूरे प्रजा को इस पुष्टि और उत्तराधिकार से अवगत कराया जाता है। इस परिषद् में प्रिवी पार्षदगण, राज्य महाधिकारीगण, हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स के सदस्यगण, लण्डन शहर के प्रभु महापौर और एल्डरमेन, राष्ट्रमण्डल प्रजाभूमियों के उच्चायुक्तगण तथा अन्य जनसेवकगण शामिल रहते हैं। यह परिषद् उत्तराधिकार की आधिकारिक घोषणा रचित करती है, जिसे लंदन और एडिनबर्ग समेत संयुक्त राजशाही के तमाम बड़े-छोटे शहरों के महत्वपूर्ण चौराहों और सार्वजनिक स्थानों पर सार्वजनिक रूप से पढ़ा जाता है। अमूमन, परंपरतः इस घोषणा को सबसे पहले सेंट जेम्स पैलेस की फ्रियरी कोर्ट की बाल्कनी से पढ़ा जाता है। इस घोषणा पढ़े जाने के दिन को प्रतिवर्ष, ऍक्सेशन डे के रूप में मनाया जाता है। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

ब्रिटिश एकराट्तंत्र, ब्रिटिश शासक, ब्रिटिश संप्रभु, ब्रिटेन के अधिराट्, यूनाइटेड किंगडम का राजतंत्र

निवर्तमानआने वाली
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