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ब्रिटिश राज

सूची ब्रिटिश राज

ब्रिटिश राज 1858 और 1947 के बीच भारतीय उपमहाद्वीप पर ब्रिटिश द्वारा शासन था। क्षेत्र जो सीधे ब्रिटेन के नियंत्रण में था जिसे आम तौर पर समकालीन उपयोग में "इंडिया" कहा जाता था‌- उसमें वो क्षेत्र शामिल थे जिन पर ब्रिटेन का सीधा प्रशासन था (समकालीन, "ब्रिटिश इंडिया") और वो रियासतें जिन पर व्यक्तिगत शासक राज करते थे पर उन पर ब्रिटिश क्राउन की सर्वोपरिता थी। .

623 संबंधों: चन्नपट्न रामस्वामि सिंह, चारसद्दा ज़िला, चार्ल्स ब्रेडलॉफ, चारीकार, चिट्टागोंग, चक्रवर्ती राजगोपालाचारी, चौधरी चरण सिंह, चेन्नामनेनी विद्यासागर राव, चेन्नई में पर्यटन, टनकपुर, टी.एस.आर. सुब्रमण्यन, ऍच॰ डी॰ देवगौड़ा, एझावा, एन॰ श्रीनिवासन, एम एम कलबुर्गी, एम॰ एस॰ सुब्बुलक्ष्मी, एम॰के॰ इंदिरा, एक इकाई व्यवस्था, ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम, झण्डा गीत, झ़ोब, झाँसी की रानी (उपन्यास), झारखंड आंदोलन, झेलम ज़िला, डाफला पहाड़ियाँ, डेनिश भारत, डॉन (अखबार), ढाका, तमिल नाडु, तारकनाथ दास, ताजुद्दीन अहमद, तंजावुर रंगानायकी राजयी, तुकोजीराव होलकर तृतीय, त्रवनकोर, तृतीय आंग्ल-बर्मी युद्ध, तोरु दत्त, द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया, दया प्रकाश सिन्हा, दादासाहब फालके, दार्जिलिंग, दिल्ली, दिल्ली मण्डल, दुर्गा दल, द्वितीय विश्व युद्घ, द्वितीय विश्वयुद्ध में भारत, देशभक्ति गीत, देविका रानी, देवेन वर्मा, देवेन्द्र स्वरूप, धर्मवीर भारती, ..., ध्यानचंद सिंह, ध्रोल राज्य, नथुराम विनायक गोडसे, नन्दमूरि तारक रामाराव, नन्दा, नरगिस (अभिनेत्री), नरेन्द्रमण्डल, नसीम हिजाज़ी, नारोमुरार, नालापत बालमणि अम्मा, नासिर हुसैन, 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हत्याकांड, इलाहाबाद उच्च न्यायालय, इल्बर्ट विधेयक, इस्तोर-ओ-नल, इस्मत चुग़ताई, इस्लाम की आलोचना, इंतिज़ार हुसैन, इंदौर जंक्शन बीजी रेलवे स्टेशन, इंपीरियल इंडियन मेल, कन्हाई लाल दत्त, कपूर परिवार, कमल चौधरी, कमल नाथ, कमल कपूर, कमला सुरय्या, कम्मा (जाति), करणी सिंह, करम सिंह, करुणानिधि, कर्तार सिंह सराभा, कलात, कलात ख़ानत, कल्पना दत्त, कादम्बिनी गांगुली, कादर ख़ान, कालिंजर दुर्ग, काली नदी, उत्तराखण्ड, कालीप्रसन्न सिंह, काशीपुर का इतिहास, काशीपुर, उत्तराखण्ड, काजी जफर अहमद, काइज़र, काकोरी (बहुविकल्पी), काकोरी (मंगल ग्रह), काकोरी काण्ड, किशन पटनायक, किशोर कुमार, कंपनी राज, कुँवर मोहिंदर सिंह बेदी 'सहर', कुमकुम (अभिनेत्री), कुलदीप सिंह चांदपुरी, कुशवाहा (कोइरी ) बिहार, क्रान्तिकारी (घोषणा पत्र), कैथी, के एस भगवान, केशवराव सोनवणे, के॰ जी॰ बालकृष्णन, कोल्हापुर रियासत, कोहाट ज़िला, कोहिस्तानी भाषा, कीनियाई भारतीय, अचला सचदेव, अताउर रहमान खान, अनुशीलन समिति, अनूप कुमार, अफ़ग़ानिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान का इतिहास, अबुल फ़ज़ल मोहम्मद अहसानुद्दीन चौधरी, अब्दुर्रहमान बिस्वास, अब्दुल रशीद करदार, अब्दुल हामिद (बांग्लादेशी राजनीतिज्ञ), अब्दुल कदीर खान, अब्दुल्ला यूसुफ़ अली, अब्बास अली बेग, अभयचरणारविंद भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद, अमरनाथ विद्यालंकार, अमरीश पुरी, अमजद अली ख़ान, अमज़द ख़ान, अमीता, अराकन अभियान, अरविन्द घोष, अरुणा आसफ़ अली, अर्देशिर ईरानी, अर्जन सिंह, अर्जुन सिंह, अलवर रियासत, अल्मोड़ा, अशफ़ाक़ुल्लाह ख़ाँ, अशोक मित्र, अशोक कुमार (अभिनेता), असद अली खान, असम बंगाल रेलवे, असीमा चटर्जी, अज़ीम प्रेमजी, अजीत जोगी, अवध रियासत, अखिल भारतीय मुस्लिम लीग, अकमल खान, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों की सूची, उत्तर-पश्चिमी प्रान्त, उदगमंदलम, उधम सिंह, उप्रेती, उमेश चन्द्र बनर्जी, छोटूराम, १५ अगस्त, १९२० ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में भारत, १९२४ ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में भारत, १९२८ ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में भारत, १९३२ ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में भारत, १९३६ ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में भारत, 1942: अ लव स्टोरी सूचकांक विस्तार (573 अधिक) »

चन्नपट्न रामस्वामि सिंह

चन्नपट्न रामस्वामि सिंह (ಚನ್ನಪಟ್ನ ರಾಮಸ್ವಾಮಿ ಸಿಂಹ), जिन्हें मुख्यतः सी॰आर॰ सिंह (ಸಿ.) के नाम से जाना जाता है (16 जून 1942 – 28 फ़रवरी 2014), भारतीय अभिनेता, फ़िल्म निर्देशक और नाटककार थे। उन्हें मुख्यतः कन्नड़ फ़िल्मों और स्टेज शो में उनके योगदानों के लिए जाना जाता है। उन्होंने अपना कैरियर बंगलौर स्थित एक रंगमंच से किया था। २८ फ़रवरी २०१४ को बंगलौर के एक निजी अस्पताल में उनका निधन हो गया। .

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चारसद्दा ज़िला

ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रांत में चारसद्दा ज़िला (लाल रंग में) चारसद्दा का मशहूर चप्पल बाज़ार चारसद्दा (उर्दू:, पश्तो:, अंग्रेज़ी: Charsadda) पाकिस्तान के ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रांत के मध्य भाग में स्थित एक ज़िला है। इस ज़िले की राजधानी चारसद्दा नाम का ही शहर है। यह ज़िला पहले पेशावर महानगर का हिस्सा हुआ करता था। माना जाता है कि भारतीय उपमहाद्वीप की प्राचीन नगरी पुष्कलावती, जिसका रामायण में भी ज़िक्र आता है, इसी चारसद्दा ज़िले में स्थित थी।, Raj Kumar Pruthi, APH Publishing, 2004, ISBN 978-81-7648-581-4,...

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चार्ल्स ब्रेडलॉफ

चार्ल्स ब्रेडलॉफ (26 सितम्बर 1833 - 30 जनवरी 1891) एक राजनैतिक कार्यकर्ता एवं उन्नीसवीं शताब्दी इंग्लैंड के एक बहुचर्चित नास्तिक थे। उन्होंने 1866 में नेशनल सेक्युलर सोसाइटी की स्थापना की.

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चारीकार

चारीकार में जानवरों की एक डाक्टर चारीकार (दरी फ़ारसी:, अंग्रेज़ी: Charikar) उत्तर-पूर्वी अफ़ग़ानिस्तान के परवान प्रान्त की राजधानी है। यह कोहदामन (अर्थ:पहाड़ का दामन) नामक वादी का मुख्य शहर है और ग़ोरबंद नदी के किनारे स्थित है।, Ludwig W. Adamec, pp.

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चिट्टागोंग

चिट्टागोंग एक भारतीय ऐतिहासिक युद्ध वाली फिल्म है, जिसका निर्माण बेबब्रता पैन ने किया है। इसमें मुख्य किरदार में मनोज बाजपई हैं। यह कहानी ब्रिटिश भारत के एक गाँव की है, जो अब बांग्लादेश में है। इसका प्रदर्शन सिनेमाघरों में 12 अक्टूबर 2012 में हुआ था। इसने कुल 31 लाख रुपये की कमाई की थी। इस फिल्म को पहले फिल्म के सर्वश्रेष्ठ निर्देशक हेतु राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिला है। .

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चक्रवर्ती राजगोपालाचारी

चक्रवर्ती राजगोपालाचारी (तमिल: சக்ரவர்தி ராஜகோபாலாச்சாரி) (दिसम्बर १०, १८७८ - दिसम्बर २५, १९७२), राजाजी नाम से भी जाने जाते हैं। वे वकील, लेखक, राजनीतिज्ञ और दार्शनिक थे। वे स्वतन्त्र भारत के द्वितीय गवर्नर जनरल और प्रथम भारतीय गवर्नर जनरल थे। १० अप्रैल १९५२ से १३ अप्रैल १९५४ तक वे मद्रास प्रांत के मुख्यमंत्री रहे। वे दक्षिण भारत के कांग्रेस के प्रमुख नेता थे, किन्तु बाद में वे कांग्रेस के प्रखर विरोधी बन गए तथा स्वतंत्र पार्टी की स्थापना की। वे गांधीजी के समधी थे। (राजाजी की पुत्री लक्ष्मी का विवाह गांधीजी के सबसे छोटे पुत्र देवदास गांधी से हुआ था।) उन्होंने दक्षिण भारत में हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए बहुत कार्य किया। .

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चौधरी चरण सिंह

चौधरी चरण सिंह (२३ दिसम्बर १९०२ - २९ मई १९८७) भारत के पांचवें प्रधानमन्त्री थे। उन्होंने यह पद २८ जुलाई १९७९ से १४ जनवरी १९८० तक सम्भाला। चौधरी चरण सिंह ने अपना सम्पूर्ण जीवन भारतीयता और ग्रामीण परिवेश की मर्यादा में जिया। .

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चेन्नामनेनी विद्यासागर राव

चेन्नामनेनी विद्यासागर राव एक भारतीय राजनीतिज्ञ है। वर्तमान में वे महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं। वे भारतीय जनता पार्टी के राजनेता हैं। .

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चेन्नई में पर्यटन

मरीना बीच में एमजीआर (MGR) समाधि अपने ऐतिहासिक स्थलों और इमारतों, लंबी रेतीले समुद्र तट, सांस्कृतिक और कला केन्द्रों और पार्कों के साथ, चेन्नई का पर्यटन आगंतुकों को कई मनोरम स्थान प्रदान करता है। चेन्नई का एक सर्वाधिक महत्वपूर्ण पर्यटक आकर्षण वास्तव में निकटवर्ती शहर महाबलीपुरम में अपने प्राचीन मंदिरों एवं 7वीं सदी के पल्लव साम्राज्य के चट्टान की नक्काशियों के साथ स्थित है। दिल्ली एवं मुंबई के बाद चेन्नई विदेशियों द्वारा तीसरा सर्वाधिक भ्रमण किया जाने वाला शहर है। 2007 में संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएसए), युनाइटेड किंगडम (यूके), श्रीलंका, मलेशिया, एवं सिंगापुर के लगभग 65,000 पर्यटकों ने शहर का भ्रमण किया है। .

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टनकपुर

टनकपुर भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक प्रमुख नगर है। चम्पावत जनपद के दक्षिणी भाग में स्थित टनकपुर नेपाल की सीमा पर बसा हुआ है। टनकपुर, हिमालय पर्वत की तलहटी में फैले भाभर क्षेत्र में स्थित है। शारदा नदी टनकपुर से होकर बहती है। इस नगर का निर्माण १८९८ में नेपाल की ब्रह्मदेव मंडी के विकल्प के रूप में किया गया था, जो शारदा नदी की बाढ़ में बह गई थी। कुछ समय तक यह चम्पावत तहसील के उप-प्रभागीय मजिस्ट्रेट का शीतकालीन कार्यालय भी रहा। १९०१ में इसकी जनसंख्या ६९२ थी। सुनियोजित ढंग से निर्मित बाजार, चौड़ी खुली सड़कें, फैले हुए फुटपाथ, खुली हवादार कालोनियां इस नगर की विशेषताएं हैं। पूर्णागिरि मन्दिर के मुख्य द्वार के रूप में शारदा नदी के तट पर बसा हुआ यह नगर पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों के आकर्षण का केन्द्र है। .

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टी.एस.आर. सुब्रमण्यन

तिरुमनीलायूर सितपति रामन सुब्रमण्यम (11 दिसंबर 1938 – 26 फरवरी 2018) एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे, जो अगस्त 1996 से मार्च 1998 तक भारत के कैबिनेट सचिव के के पद पर कार्यरत थे। वे 1961 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी उत्तर प्रदेश केडर से थे। .

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ऍच॰ डी॰ देवगौड़ा

हरदनहल्ली डोडेगौडा देवगौडा (कन्नड़: ಹರದನಹಳ್ಳಿ ದೊಡ್ಡೇಗೌಡ ದೇವೇಗೌಡ) (जन्म १८ मई १९३३) भारत के बारहवें प्रधानमंत्री थे। उनका कार्यकाल सन् १९९६ से १९९७ तक रहा। इसके पूर्व १९९४ से १९९६ तक वे कर्नाटक राज्य के मुख्यमंत्री भी रहे। .

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एझावा

ईळवा (ഈഴവര്‍) केरल के हिन्दू समुदायों के बीच में सबसे बड़ा समूह है। उन्हें प्राचीन तमिल चेर राजवंश के विलावर संस्थापकों का वंशज माना जाता है, जिनका कभी दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों पर शासन हुआ करता था। मालाबार में उन्हें थिय्या कहा जाता है, जबकि तुलु नाडू में वे बिल्लवा नाम से जाने जाते हैं। उन्हें पहले 'ईलवर' नाम से जाना जाता था। वे आयुर्वेद के वैद्य, योद्धा, कलारी प्रशिक्षणकर्ता, सैनिक, किसान, खेत मजदूर, सिद्ध चिकित्सक और व्यापारी हुआ करते थे। कुछ लोग कपड़ा बनाने, शराब के व्यापार और ताड़ी निकालने के कामों में भी शामिल थे। इझाथु मन्नानर जैसे एझावा (थिय्या) राजवंशों का भी केरल में अस्तित्व है। इस समुदाय के अंतर्गत का योद्धा वर्गए.

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एन॰ श्रीनिवासन

न. श्रीनिवासन एक भारतीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद के अध्यक्ष है ' श्रेणी:जीवित लोग श्रेणी:चेन्नई के लोग .

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एम एम कलबुर्गी

मालेशाप्पा मादीवलाप्पा कलबुर्गी (ಮಲ್ಲೇಶಪ್ಪ ಮಡಿವಾಳಪ್ಪ ಕಲಬುರ್ಗಿ; 28 नवम्बर 1938 – 30 अगस्त 2015) प्रसिद्ध कन्नड विद्वान और हम्पी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति थे। उन्हें अपने शोध लेखों के एक संग्रह मार्ग 4 के लिए 2006 में राष्ट्रीय साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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एम॰ एस॰ सुब्बुलक्ष्मी

श्रीमती मदुरै षण्मुखवडिवु सुब्बुलक्ष्मी (16 सितंबर, 1916-2004) कर्णाटक संगीत की मशहूर संगीतकार थीं। आप शास्तीय संगीत की दुनिया में एम.

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एम॰के॰ इंदिरा

एम॰के॰ इंदिरा (पूरा नाम: मंडगड्डे कृष्णराव इंदिरा) (ಮಂಡಗದ್ದೆ ಕೃಷ್ಣರಾವ್ ಇಂದಿರ)(5 जनवरी 1917 - 15 मार्च 1994) कन्नड़ भाषा की एक प्रसिद्ध उपन्यासकार थी।Susie J. Tharu, Ke Lalita (1991), p138 .

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एक इकाई व्यवस्था

एक इकाई व्यवस्था या नीति, (अथवा वन-यूनिट् सिस्टम्), पाकिस्तान की एक पुर्वतः परवर्तित प्रशासनिक व्यवस्था थी, जिसके अंतर्गत, तत्कालीन पाकिस्तानी भूमि के दोनों भिन्न टुकड़ों को "एक प्रशासनिक इकाई" के रूप में ही शासित किये जाने की योजना रखी गई थी। इस तरह की प्रशासनिक नीति को अपनाने का मुख्य कारण, सर्कार द्वारा, पाकिस्तानी अधिराज्य के दो विभक्त एवं पृथक भौगोलिक आंचलों की एक ही केंद्रीय व्यवस्था के अंतर्गत शासन में आने वाली घोर प्रशासनिक असुविधाएँ, एवं भौगोलिक कठिनाईयाँ बताई गई थी। अतः इस भौगोलिक व प्रशासनिक विषय के समाधान के रूप में, सरकार ने इन दो भौगोलीय हिस्सों को ही, एक महासंघीय ढांचे के अंतर्गत, पाकिस्तान के दो वाहिद प्रशासनिक इकाइयों के रूप में स्थापित करने की नीति बनाई गई। इस्के तहत, तत्कालीन मुमलिकात-ए-पाकिस्तान के, पूर्वी भाग में मौजूद स्थिति के अनुसार ही, पश्चिमी भाग के पाँचों प्रांतों व उनकी प्रांतीय सरकारों को भंग कर, एक प्रांत, पश्चिमी पाकिस्तान गठित किया गया, वहीं पूर्वी भाग (जो अब बांग्लादेश है) को पूर्वी पाकिस्तान कह कर गठित किया गया। तत्प्रकार, पाकिस्तान, एक इकाई योजना के तहत, महज दो प्रांतों में विभाजित एक राज्य बन गया। वन यूनिट योजना की घोषणा प्रधानमंत्री मोहम्मद अली बोगरा के शासनकाल के दौरान 22 नवंबर 1954 को की गई, और 14 अक्टूबर 1955 को देश के पश्चिमी भाग के सभी प्रांतों को एकीकृत कर, पश्चिमी पाकिस्तान प्रांत गठित किया गया, जिसमें, सभी प्रांतों के अलावा तत्कालीन, राजशाहियों और कबाइली इलाके भी शामिल थे। इस प्रांत में 12 प्रमंडल थे, और इसकी राजधानी लाहौर थी। दूसरी ओर पूर्वी बंगाल के प्रांत को पूर्वी पाकिस्तान का नाम दिया गया, जिसकी राजधानी ढाका थी। संघीय राजधानी(कार्यपालिका) को वर्ष 1959 में कराँची से रावलपिंडी स्थानांतरित किया गया, जहां सेना मुख्यालय था, और नई राजधानी, इस्लामाबाद के पूरा होने तक यहां मौजूद रहा जबकि संघीय विधानपालिका को ढाका में स्थापित किया गया। इस नीति का उद्देश्य बज़ाहिर प्रशासनिक सुधार लाना था लेकिन कई लिहाज से यह बहुत विनाशकारी कदम था। पश्चिमी पाकिस्तान में मौजूद बहुत सारी राज्यों ने इस आश्वासन पर विभाजन के समय पाकिस्तान में शामिल हो गए थे कि उनकी स्वायत्तता कायम रखी जाएगी लेकिन वन इकाई बना देने के फैसले से सभी स्थानीय राज्यों का अंत हो गया। इस संबंध में बहावलपुर, खीरिपोर और कलात के राज्य विशेषकर उल्लेखनीय हैं। मामले इस समय अधिक गंभीर समय 1958 ई। के तख्तापलट के बाद मुख्यमंत्री का पद समाप्त कर दिया गया और राष्ट्रपति ने पश्चिमी पाकिस्तान के विकल्प अपने पास रख लिए। राजनीतिक विशेषज्ञों यह भी समझते हैं कि पश्चिमी पाकिस्तान के सभी प्रांतों को एकजुट करने के उद्देश्य पूर्वी पाकिस्तान की भाषाई और राजनीतिक इकाई का जोर तोड़ना था। अंततः एक जुलाई 1970 को राष्ट्रपति याह्या खान ने एक इकाई का सफाया करते हुए पश्चिमी पाकिस्तान के सभी प्रांतों बहाल कर दिया। .

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ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम

अबुल पकिर जैनुलाअबदीन अब्दुल कलाम अथवा ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम (A P J Abdul Kalam), (15 अक्टूबर 1931 - 27 जुलाई 2015) जिन्हें मिसाइल मैन और जनता के राष्ट्रपति के नाम से जाना जाता है, भारतीय गणतंत्र के ग्यारहवें निर्वाचित राष्ट्रपति थे। वे भारत के पूर्व राष्ट्रपति, जानेमाने वैज्ञानिक और अभियंता (इंजीनियर) के रूप में विख्यात थे। इन्होंने मुख्य रूप से एक वैज्ञानिक और विज्ञान के व्यवस्थापक के रूप में चार दशकों तक रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) संभाला व भारत के नागरिक अंतरिक्ष कार्यक्रम और सैन्य मिसाइल के विकास के प्रयासों में भी शामिल रहे। इन्हें बैलेस्टिक मिसाइल और प्रक्षेपण यान प्रौद्योगिकी के विकास के कार्यों के लिए भारत में मिसाइल मैन के रूप में जाना जाने लगा। इन्होंने 1974 में भारत द्वारा पहले मूल परमाणु परीक्षण के बाद से दूसरी बार 1998 में भारत के पोखरान-द्वितीय परमाणु परीक्षण में एक निर्णायक, संगठनात्मक, तकनीकी और राजनैतिक भूमिका निभाई। कलाम सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी व विपक्षी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस दोनों के समर्थन के साथ 2002 में भारत के राष्ट्रपति चुने गए। पांच वर्ष की अवधि की सेवा के बाद, वह शिक्षा, लेखन और सार्वजनिक सेवा के अपने नागरिक जीवन में लौट आए। इन्होंने भारत रत्न, भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त किये। .

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झण्डा गीत

भारत के झण्डा गीत की रचना श्यामलाल गुप्त 'पार्षद' ने की थी। 7 पद वाले इस मूल गीत से बाद में कांग्रेस नें तीन पद (पद संख्या 1, 6 व 7) को संशोधित करके ‘झण्डागीत’ के रूप में मान्यता दी। यह गीत न केवल राष्ट्रीय गीत घोषित हुआ बल्कि अनेक नौजवानों और नवयुवतियों के लिये देश पर मर मिटने हेतु प्रेरणा का स्रोत भी बना। .

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झ़ोब

झ़ोब (पश्तो: ژوب, अंग्रेज़ी: Zhob) पाकिस्तान के बलोचिस्तान प्रान्त के झ़ोब ज़िले की राजधानी है। यह झ़ोब नदी के किनारे स्थित एक छोटा-सा शहर है। मूल रूप से यह पास में स्थित गाँव के नाम पर अप्पोज़ई (اپوزئی, Appozai) कहलाता था। ब्रिटिशकाल में इसका नाम बदलकर फ़ोर्ट सैन्डमैन (Fort Sandeman) रखा गया जिसे १९७६ में बदलकर झ़ोब कर दिया गया। .

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झाँसी की रानी (उपन्यास)

झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई हिंदी लेखक वृंदावनलाल वर्मा द्वारा लिखित एक ऐतिहासिक उपन्यास है। इसका प्रथम प्रकाशन सन् 1946 में हुआ। 1946 से 1948 के बीच लेखक ने इसी शीर्षक से एक नाटक भी लिखा जिसे 1955 में मंचित किया गया हालाँकि, उपन्यास अधिक प्रसिद्ध हुआ और इसे हिंदी भाषा में ऐतिहासिक उपन्यासों की श्रेणी में एक मील का पत्थर माना जाता है। 1951 में इस उपन्यास का पुनर्प्रकाशन हुआ। उपन्यास का कथानक भारत में ब्रिटिश राज के काल में मराठा शासित झाँसी राज्य की रानी लक्ष्मीबाई के चरित्र पर आधारित है। साथ ही यह 1857 के विद्रोह की आधुनिक व्याख्या भी प्रस्तुत करता है। .

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झारखंड आंदोलन

झारखंड का अर्थ है "वन क्षेत्र", झारखंड वनों से आच्छादित छोटानागपुर के पठार का हिस्सा है जो गंगा के मैदानी हिस्से के दक्षिण में स्थित है। झारखंड शब्द का प्रयोग कम से कम चार सौ साल पहले सोलहवीं शताब्दी में हुआ माना जाता है। अपने बृहत और मूल अर्थ में झारखंड क्षेत्र में पुराने बिहार के ज्यादतर दक्षिणी हिस्से और छत्तीसगढ, पश्चिम बंगाल और उड़ीसा के कुछ आदिवासी जिले शामिल है। देश की लगभग नब्बे प्रतिशत अनुसूचित जनजाति का यह निवास स्थल है। इस आबादी का बड़ा हिस्सा 'मुंडा', 'हो' और 'संथाल' आदि जनजातियों का है, लेकिन इनके अलावे भी बहुत सी दूसरी आदिवासी जातियां यहां मौजूद हैं जो इस झारखंड आंदोलन में काफी सक्रिय रही हैं। चूँकि झारखंड पठारी और वनों से आच्छादित क्षेत्र है इसलिये इसकी रक्षा करना तुलनात्मक रूप से आसान है। परिणामस्वरुप, पारंपरिक रूप से यह क्षेत्र सत्रहवीं शताब्दी के शुरुआत तक, जब तक मुगल शासक यहाँ नहीं पहुँचे, यह क्षेत्र स्वायत्त रहा है। मुगल प्रशासन ने धीरे धीरे इस क्षेत्र में अपना प्रभुत्व स्थापित करना शुरु किया और फलस्वरुप यहाँ की स्वायत्त भूमि व्यवस्था में आमूल चूल परिवर्तन हुआ, सारी व्यवस्था ज़मींदारी व्यवस्था में बदल गयी जबकि इससे पहले यहाँ भूमि सार्वजनिक संपत्ति के रूप में मानी जाती थी। यह ज़मींदारी प्रवृति ब्रिटिश शासन के दौरान और भी मज़बूत हुई और जमीने धीरे धीरे कुछ लोगों के हाथ में जाने लगीं जिससे यहाँ बँधुआ मज़दूर वर्ग का उदय होने लगा। ये मजदू‍र हमेशा कर्ज के बोझ तले दबे होते थे और परिणामस्वरुप बेगार करते थे। जब आदिवासियों के ब्रिटिश न्याय व्यवस्था से कोई उम्मीद किरण नहीं दिखी तो आदिवासी विद्रोह पर उतर आये। अठारहवीं शताब्दी में कोल्ह, भील और संथाल समुदायों द्वारा भीषण विद्रोह किया गया। अंग्रेजों ने बाद मेंउन्निसवीं शताब्दी और बीसवीं शताब्दी में कुछ सुधारवादी कानून बनाये। 1845 में पहली बार यहाँ ईसाई मिशनरियों के आगमन से इस क्षेत्र में एक बड़ा सांस्कृतिक परिवर्तन और उथल-पुथल शुरु हुआ। आदिवासी समुदाय का एक बड़ा और महत्वपूर्ण हिस्सा ईसाईयत की ओर आकृष्ट हुआ। क्षेत्र में ईसाई स्कूल और अस्पताल खुले। लेकिन ईसाई धर्म में बृहत धर्मांतरण के बावज़ूद आदिवासियों ने अपनी पारंपरिक धार्मिक आस्थाएँ भी कायम रखी और ये द्वंद कायम रहा। झारखंड के खनिज पदार्थों से संपन्न प्रदेश होने का खामियाजा भी इस क्षेत्र के आदिवासियों को चुकाते रहना पड़ा है। यह क्षेत्र भारत का सबसे बड़ा खनिज क्षेत्र है जहाँ कोयला, लोहा प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है और इसके अलावा बाक्साईट, ताँबा चूना-पत्थर इत्यादि जैसे खनिज भी बड़ी मात्रा में हैं। यहाँ कोयले की खुदाई पहली बार 1856 में शुरु हुआ और टाटा आयरन ऐंड स्टील कंपनीकी स्थापना 1907 में जमशेदपुर में की गई। इसके बावजूद कभी इस क्षेत्र की प्रगति पर ध्यान नहीं दिया गया। केंद्र में चाहे जिस पार्टी की सरकार रही हो, उसने हमेशा इस क्षेत्र के दोहन के विषय में ही सोचा था। .

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झेलम ज़िला

पाकिस्तानी पंजाब प्रांत में झेलम ज़िला (लाल रंग में) झेलम (उर्दू:, अंग्रेज़ी: Jhelum) पाकिस्तान के 2 श्रेणी:पाकिस्तानी पंजाब के ज़िले श्रेणी:पाकिस्तान के ज़िले श्रेणी:भारतीय उपमहाद्वीप के ज़िले.

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डाफला पहाड़ियाँ

डाफला पहाड़ियाँ पूर्वोत्तर भारत में असम और अरुणाचल प्रदेश राज्यों की सीमा के पश्चिमी भाग पर स्थित एक पहाड़ी शृंख्ला है। यह तेज़पुर और लखीमपुर ज़िले से उत्तर में खड़ी हुई हैं। .

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डेनिश भारत

डेनिश भारत, भारत में डेनमार्क के पूर्व उपनिवेशवादी के लिए शब्द है। डेनमार्क के शहर सहित, 225 वर्षों से भारत में औपनिवेशिक संपत्ति आयोजित त्रन्क़ुएबर वर्तमान में तमिलनाडु राज्य, श्रीरामपुर वर्तमान में पश्चिम बंगाल और निकोबार द्वीप समूह, भारत की वर्तमान हिस्सा केंद्र शासित प्रदेश की अंडमान और निकोबार द्वीप समूह। भारत में डेनिश उपस्थिति वे सैन्य और न ही मर्केंटाइल खतरा न तो मुद्रित सह प्रमुख यूरोपीय शक्तियों को थोड़ा महत्व का था। डेनिश भारत में वेंचर्स, कहीं सह, आम तौर पर और डोमिना करने में सक्षम नहीं पूंजीकृत अंडर या व्यापार मार्गों पर एकाधिकार गया पुर्तगाल, हॉलैंड और ब्रिटेन की कंपनियां शामिल हैं। सकता है कि एक ही रास्ते में सभी बाधाओं के खिलाफ हालांकि वे अपने औपनिवेशिक की सम्पत्ति से जुड़े हुए करने में कामयाब रहे और समय पर, के बीच युद्ध का लाभ ट्रैकिंग द्वारा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में मूल्यवान आला बाहर उत्कीर्ण देश और तटस्थ ध्वज के तहत बड़ा विदेशी व्यापार की पेशकश की। इस कारण से उनकी उपस्थिति फ्रांस के साथ उनके गठबंधन के नेतृत्व में जब 1845, जब तक सहन कर रहा था कॉलोनी के ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को सौंप दिया जा रहा है हार। .

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डॉन (अखबार)

डॉन पाकिस्तान का सबसे पुराना और सबसे अधिक पढ़ा जाने वाला अंग्रेजी अखबार है। .

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ढाका

ढाका (बांग्ला: ঢাকা) बांग्लादेश की राजधानी है। बूढ़ी गंगा नदी के तट पर स्थित यह देश का सबसे बड़ा शहर है। राजधानी होने के अलावा यह बांग्लादेश का औद्यौगिक और प्रशासनिक केन्द्र भी है। यहाँ पर धान, गन्ना और चाय का व्यापार होता है। ढाका की जनसंख्या लगभग 1.1 करोड़ है (२००१ की जनसंख्या: ९,०००,०२)) जो इसे दुनिया के ग्यारहवें सबसे बड़ी जनसंख्या वाले शहर का दर्जा भी दिलाता है। ढाका का अपना इतिहास रहा है और इसे दुनिया में मस्जिदों के शहर के नाम से जाना जाता है। मुगल सल्तनत के दौरान इस शहर को १७ वीं सदी में जहांगीर नगर के नाम से भी जाना जाता था, यह न सिर्फ प्रादेशिक राजधानी हुआ करती थी बल्कि यहाँ पर निर्मित होने वाले मलमल के व्यापार में इस शहर का पूरी दुनिया में दबदबा था। आधुनिक ढाका का निर्माण एवं विकास ब्रिटिश शासन के दौरान उन्नीसवीं शताब्दी में हुआ और जल्द ही यह कोलकाता के बाद पूरे बंगाल का दूसरा सबसे बड़ा शहर बन गया। भारत विभाजन के बाद १९४७ में ढाका पूर्वी पाकिस्तान की प्रशासनिक राजधानी बना तथा १९७२ में बांग्लादेश के स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में अस्तित्व में आने पर यह राष्ट्रीय राजधानी घोषित हुआ। आधुनिक ढाका देश की राजनीति, अर्थव्यवस्था, एवं संस्कृति का मुख्य केन्द्र है। ढाका न सिर्फ देश का सबसे साक्षर (६३%) शहर है- - बल्कि बांग्लादेश के शहरों में सबसे ज्यादा विविधता वाला शहर भी है। हालांकि आधुनिक ढाका का शहरी आधारभूत ढांचा देश में सबसे ज्यादा विकसित है परंतु प्रदूषण, यातायात कुव्यवस्था, गरीबी, अपराध जैसी समस्यायें इस शहर के लिए बड़ी चुनौतियां हैं। सारे देश से लोगों का ढाका की ओर पलायन भी सरकार के लिए एक बड़ी समस्या का रूप लेता जा रहा है। .

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तमिल नाडु

तमिल नाडु (तमिल:, तमिऴ् नाडु) भारत का एक दक्षिणी राज्य है। तमिल नाडु की राजधानी चेन्नई (चेऩ्ऩै) है। तमिल नाडु के अन्य महत्त्वपूर्ण नगर मदुरै, त्रिचि (तिरुच्चि), कोयम्बतूर (कोऽयम्बुत्तूर), सेलम (सेऽलम), तिरूनेलवेली (तिरुनेल्वेऽली) हैं। इसके पड़ोसी राज्य आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल हैं। तमिल नाडु में बोली जाने वाली प्रमुख भाषा तमिल है। तमिल नाडु के वर्तमान मुख्यमन्त्री एडाप्पडी  पलानिस्वामी  और राज्यपाल विद्यासागर राव हैं। .

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तारकनाथ दास

तारकनाथ दास या तारक नाथ दास (बंगला: তারকানাথ দাস, 15 जून 1884 - 22 दिसम्बर 1958), एक ब्रिटिश-विरोधी भारतीय बंगाली क्रांतिकारी और अंतर्राष्ट्रवादी विद्वान थे। वे उत्तरी अमेरिका के पश्चमी तट में एक अग्रणी आप्रवासी थे और टॉल्स्टॉय के साथ अपनी योजनाओं के बारे में चर्चा किया करते थे, जबकि वे भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के पक्ष में एशियाई भारतीय आप्रवासियों को सुनियोजित कर रहे थे। वे कोलंबिया विश्वविद्यालय में राजनीतिक विज्ञान के प्रोफेसर थे और साथ ही कई अन्य विश्वविद्यालयों में अतिथि प्रोफेसर के रूप में भी कार्यरत थे। .

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ताजुद्दीन अहमद

ताजुद्दीन अहमद, (बांग्ला: তাজউদ্দীন আহমদ) (जुलाई 23, 1925 – नवंबर 3, 1975) एक बांग्लादेशी राजनयिक और स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने बांग्लादेश के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में युद्धकालीन अंतरिम सरकार का मुक्ति युद्ध में निर्णायक नेतृत्व किया था। उन्हें बांग्लादेश के जन्म एवं स्वतंत्रता के सबसे प्रभावशाली, निर्णायक एवं सूत्रधारी शख़्सियतों में गिना जाता है। 1971 में अंतरिम सरकार के उनके नेतृत्व नें बांग्लादेशी राष्ट्रवादियों के विभिन्न राजनीतिक, सामरिक, जातिगत एवं सांस्कृतिक खेमों को एकजुट कर दिया था। .

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तंजावुर रंगानायकी राजयी

तंजावुर रंगानायकी राजयी जिन्हे टी आर राजकुमारी के नाम से भी जाना जाता है, एक भारतीय फिल्म अभिनेत्री, कर्नाटक गायक और नर्तकी थीं। उन्हें तमिल सिनेमा की पहली "ड्रीम गर्ल" कहा गया है। वह तमिल की फिल्मों एक कामयाब अभिनेत्री थीं। .

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तुकोजीराव होलकर तृतीय

महाराजाधिराज सर राज राजेश्वर सवाई श्री तुकोजीराव तृतीय होलकर तेरहवें बहादूर (26 नवम्बर 1890 – 21 मई 1978) इंदौर (होलकर साम्राज्य) के होलकर राजवंश के महाराजा थे जो शिवाजीराव होलकर के पुत्र और उत्तराधिकारी थे। वो ३१ जनवरी १९०३ को राजा बने। उनकी माता अखण्ड सोभाग्यवती श्रीमंत महारानी सीता बाई साहिब होलकर थीं। उन्होंने अपनी शिक्षा डाली कॉलेज, इंदौर और आईसीसी देहरादून से पूर्ण की। .

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त्रवनकोर

त्रवनकोर या तिरुवितामकूर (मलयालम: തിരുവിതാംകൂർ) सन् १९४९ से पहले एक भारतीय राज्य (रियासत) था। इसपर त्रवनकोर राजपरिवार का शासन था, जिनकी गद्दी पहले पद्मनाभपुरम और फिर तिरुवनन्तपुरम में थी। अपने चरम पर त्रवनकोर राज्य का विस्तार भारत के आधुनिक केरल के मध्य और दक्षिणी भाग पर और तमिल नाडु के कन्याकुमारी ज़िले पर था। राजकीय ध्वज पर लाल पृष्टभूमि के ऊपर चांदी का शंख बना हुआ था। १९वीं शताब्दी में यह ब्रिटिश-अधीन भारत की एक रियासत बन गई और इसके राजा को स्थानीय रूप से २१ तोपों की और राज्य से बाहर १९ तोपों की सलामी की प्रतिष्ठा दी गई। महाराज श्री चितिरा तिरुनल बलराम वर्मा के १९२४-१९४९ के राजकाल में राज्य सरकार ने सामाजिक और आर्थिक उत्थान के लिये कई प्रयत्न किये जिनसे यह ब्रिटिश-अधीन भारत का दूसरा सबसे समृद्ध रियासत बन गया और शिक्षा, राजव्यवस्था, जनहित कार्यों और सामाजिक सुधार के लिये जाना जाने लगा।"Travancore." Encyclopædia Britannica.

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तृतीय आंग्ल-बर्मी युद्ध

तीसरा आंग्ल-बर्मी युद्ध 14-27 नवम्बर 1885 के बीच हुआ संघर्ष था, इसके बाद 1887 तक छिट-पुट प्रतिरोध तथा विद्रोह चलते रहे थे। यह 19वीं सदी में बर्मन तथा ब्रिटिश लोगों के बीच लड़े गए तीन युद्धों में से अंतिम था। इस युद्ध के परिणामस्वरुप कोनबौंग राजवंश द्वारा संचालित स्वतन्त्र बर्मा ने अपनी प्रभुसत्ता खो दी, जिनका शासन पहले ही ऊपरी बर्मा के नाम से ज्ञात क्षेत्र तक सीमित हो चुका था, निचले बर्मा को ब्रिटिश लोगों द्वारा 1853 के, दूसरे आंग्ल-बर्मी युद्ध में जीत के फलस्वरूप अपने शासन में ले लिया गया था। इस युद्ध के पश्चात बर्मा, भारत के एक प्रदेश के रूप में, ब्रिटिश राज के अंतर्गत आ गया था। इसके बाद 1937 से, ब्रिटिश लोग बर्मा को भारत से अलग करके एक अलग उपनिवेश के रूप में शासन करने लगे। बर्मा ने 1948 में एक गणतंत्र के रूप में स्वतंत्रता प्राप्त की। .

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तोरु दत्त

तोरु दत्त (তরু দত্ত) (4 मार्च 1856 – 30 अगसत 1877) एक भारतीय कवि थी जो अंग्रेजी और फ्रेंच में लिखती थी। उनका जन्म रामगोपाल दत्त परिवार के पिता गोविंद चंदर दत्त और मां क्षेत्रमौनी से हुआ था। बहन अरु और भाई अबू के बाद तोरू सबसे कम उम्र की थी। रोमेश चन्दर दत्त, लेखक और भारतीय सिविल सेवक, उनके चचेरे भाई थे। उनका परिवार 1862 (तोरु दत्त जब केवल 6 वर्ष की थी) में ईसाई बन गया। .

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द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया

द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया (The Times of India, TOI के रूप में संक्षेपाक्षरित) भारत में प्रकाशित एक अंग्रेज़ी भाषा का दैनिक समाचार पत्र है। इसका प्रबन्धन और स्वामित्व बेनेट कोलेमन एंड कम्पनी लिमिटेड के द्वारा किया जाता है। दुनिया में सभी अंग्रेजी भाषा के व्यापक पत्रों में इस अखबार की प्रसार संख्या सर्वाधिक है। 2005 में, अखबार ने रिपोर्ट दी कि (24 लाख से अधिक प्रसार के साथ) इसे ऑडिट बुरो ऑफ़ सर्क्युलेशन के द्वारा दुनिया के सबसे ज्यादा बिकने वाले अंग्रेजी भाषा के सामान्य समाचार पत्र के रूप में प्रमाणित किया गया है। इसके वावजूद भारत के भाषायी समाचार पत्रों (विशेषत: हिन्दी के अखबारों) की तुलना में इसका प्रसार बहुत कम है। टाइम्स ऑफ इंडिया को मीडिया समूह बेनेट, कोलेमन एंड कम्पनी लिमिटेड के द्वारा प्रकाशित किया जाता है, इसे टाइम्स समूह के रूप में जाना जाता है, यह समूह इकॉनॉमिक टाइम्स, मुंबई मिरर, नवभारत टाइम्स (एक हिंदी भाषा का दैनिक), दी महाराष्ट्र टाइम्स (एक मराठी भाषा का दैनिक) का भी प्रकाशन करता है। .

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दया प्रकाश सिन्हा

दया प्रकाश सिन्हा (जन्म: २ मई १९३५, कासगंज, जिला एटा, उत्तर प्रदेश) एक अवकाशप्राप्त आई०ए०एस० अधिकारी होने के साथ-साथ हिन्दी भाषा के प्रतिष्ठित लेखक, नाटककार, नाट्यकर्मी, निर्देशक व चर्चित इतिहासकार हैं। प्राच्य इतिहास, पुरातत्व व संस्कृति में एम० ए० की डिग्री तथा लोक प्रशासन में मास्टर्स डिप्लोमा प्राप्त सिन्हा जी विभिन्न राज्यों की प्रशासनिक सेवाओं में रहे। साहित्य कला परिषद, दिल्ली प्रशासन के सचिव, भारतीय उच्चायुक्त, फिजी के प्रथम सांस्कृतिक सचिव, उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी व ललित कला अकादमी के अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ के निदेशक जैसे अनेकानेक उच्च पदों पर रहने के पश्चात सन् १९९३ में भारत भवन, भोपाल के निदेशक पद से सेवानिवृत्त हुए। नाट्य-लेखन के साथ-साथ रंगमंच पर अभिनय एवं नाट्य-निर्देशन के क्षेत्र में लगभग ५० वर्षों तक सक्रिय रहे सिन्हा जी की नाट्य कृतियाँ निरन्तर प्रकाशित, प्रसारित व मंचित होती रही हैं। अनेक देशों में भारत के सांस्कृतिक प्रतिनिधि के रूप में भ्रमण कर चुके श्री सिन्हा को कई पुरस्कार व सम्मान भी मिल चुके हैं। .

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दादासाहब फालके

धुंडिराज गोविन्द फालके उपाख्य दादासाहब फालके (मराठी: दादासाहेब फाळके) (३० अप्रैल १८७० - १६ फ़रवरी १९४४) वह महापुरुष हैं जिन्हें भारतीय फिल्म उद्योग का 'पितामह' कहा जाता है। दादा साहब फालके, सर जे.

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दार्जिलिंग

दार्जिलिंग भारत के राज्य पश्चिम बंगाल का एक नगर है। यह नगर दार्जिलिंग जिले का मुख्यालय है। यह नगर शिवालिक पर्वतमाला में लघु हिमालय में अवस्थित है। यहां की औसत ऊँचाई २,१३४ मीटर (६,९८२ फुट) है। दार्जिलिंग शब्द की उत्त्पत्ति दो तिब्बती शब्दों, दोर्जे (बज्र) और लिंग (स्थान) से हुई है। इस का अर्थ "बज्रका स्थान है।" भारत में ब्रिटिश राज के दौरान दार्जिलिंग की समशीतोष्ण जलवायु के कारण से इस जगह को पर्वतीय स्थल बनाया गया था। ब्रिटिश निवासी यहां गर्मी के मौसम में गर्मी से छुटकारा पाने के लिए आते थे। दार्जिलिंग अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर यहां की दार्जिलिंग चाय के लिए प्रसिद्ध है। दार्जिलिंग की दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे एक युनेस्को विश्व धरोहर स्थल तथा प्रसिद्ध स्थल है। यहां की चाय की खेती १८०० की मध्य से शुरु हुई थी। यहां की चाय उत्पादकों ने काली चाय और फ़र्मेन्टिंग प्रविधि का एक सम्मिश्रण तैयार किया है जो कि विश्व में सर्वोत्कृष्ट है। दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे जो कि दार्जिलिंग नगर को समथर स्थल से जोड़ता है, को १९९९ में विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था। यह वाष्प से संचालित यन्त्र भारत में बहुत ही कम देखने को मिलता है। दार्जिलिंग में ब्रिटिश शैली के निजी विद्यालय भी है, जो भारत और नेपाल से बहुत से विद्यार्थियों को आकर्षित करते हैं। सन १९८० की गोरखालैंड राज्य की मांग इस शहर और इस के नजदीक का कालिम्पोंग के शहर से शुरु हुई थी। अभी राज्य की यह मांग एक स्वायत्त पर्वतीय परिषद के गठन के परिणामस्वरूप कुछ कम हुई है। हाल की दिनों में यहां का वातावरण ज्यादा पर्यटकों और अव्यवस्थित शहरीकरण के कारण से कुछ बिगड़ रहा है। .

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दिल्ली

दिल्ली (IPA), आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (अंग्रेज़ी: National Capital Territory of Delhi) भारत का एक केंद्र-शासित प्रदेश और महानगर है। इसमें नई दिल्ली सम्मिलित है जो भारत की राजधानी है। दिल्ली राजधानी होने के नाते केंद्र सरकार की तीनों इकाइयों - कार्यपालिका, संसद और न्यायपालिका के मुख्यालय नई दिल्ली और दिल्ली में स्थापित हैं १४८३ वर्ग किलोमीटर में फैला दिल्ली जनसंख्या के तौर पर भारत का दूसरा सबसे बड़ा महानगर है। यहाँ की जनसंख्या लगभग १ करोड़ ७० लाख है। यहाँ बोली जाने वाली मुख्य भाषाएँ हैं: हिन्दी, पंजाबी, उर्दू और अंग्रेज़ी। भारत में दिल्ली का ऐतिहासिक महत्त्व है। इसके दक्षिण पश्चिम में अरावली पहाड़ियां और पूर्व में यमुना नदी है, जिसके किनारे यह बसा है। यह प्राचीन समय में गंगा के मैदान से होकर जाने वाले वाणिज्य पथों के रास्ते में पड़ने वाला मुख्य पड़ाव था। यमुना नदी के किनारे स्थित इस नगर का गौरवशाली पौराणिक इतिहास है। यह भारत का अति प्राचीन नगर है। इसके इतिहास का प्रारम्भ सिन्धु घाटी सभ्यता से जुड़ा हुआ है। हरियाणा के आसपास के क्षेत्रों में हुई खुदाई से इस बात के प्रमाण मिले हैं। महाभारत काल में इसका नाम इन्द्रप्रस्थ था। दिल्ली सल्तनत के उत्थान के साथ ही दिल्ली एक प्रमुख राजनैतिक, सांस्कृतिक एवं वाणिज्यिक शहर के रूप में उभरी। यहाँ कई प्राचीन एवं मध्यकालीन इमारतों तथा उनके अवशेषों को देखा जा सकता हैं। १६३९ में मुगल बादशाह शाहजहाँ ने दिल्ली में ही एक चारदीवारी से घिरे शहर का निर्माण करवाया जो १६७९ से १८५७ तक मुगल साम्राज्य की राजधानी रही। १८वीं एवं १९वीं शताब्दी में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने लगभग पूरे भारत को अपने कब्जे में ले लिया। इन लोगों ने कोलकाता को अपनी राजधानी बनाया। १९११ में अंग्रेजी सरकार ने फैसला किया कि राजधानी को वापस दिल्ली लाया जाए। इसके लिए पुरानी दिल्ली के दक्षिण में एक नए नगर नई दिल्ली का निर्माण प्रारम्भ हुआ। अंग्रेजों से १९४७ में स्वतंत्रता प्राप्त कर नई दिल्ली को भारत की राजधानी घोषित किया गया। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् दिल्ली में विभिन्न क्षेत्रों से लोगों का प्रवासन हुआ, इससे दिल्ली के स्वरूप में आमूल परिवर्तन हुआ। विभिन्न प्रान्तो, धर्मों एवं जातियों के लोगों के दिल्ली में बसने के कारण दिल्ली का शहरीकरण तो हुआ ही साथ ही यहाँ एक मिश्रित संस्कृति ने भी जन्म लिया। आज दिल्ली भारत का एक प्रमुख राजनैतिक, सांस्कृतिक एवं वाणिज्यिक केन्द्र है। .

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दिल्ली मण्डल

दिल्ली मण्डल ब्रिटिश भारत में एक प्रशासनिक क्षेत्र था। इस क्षेत्र में दिल्ली के अतिरिक्त वर्तमान हरियाणा राज्य के गुड़गांव, रोहतक, हिसार, पानीपत और करनाल जिले भी शामिल थे। .

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दुर्गा दल

भारत में ब्रिटिश राज के विरुद्ध झांसी की रानी लक्ष्मीबाई द्वारा गठित महिला सेना थी, जिसको रानी ने हिंदु देवी दुर्गा के नाम पर दुर्गा दल नाम दिया था। इसका नेतृत्व रानी लक्ष्मीबाई और झलकारी बाई ने किया था। .

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द्वितीय विश्व युद्घ

विश्व युद्ध II, अथवा द्वितीय विश्व युद्ध, (इसको संक्षेप में WWII या WW2 लिखते हैं), ये एक वैश्विक सैन्य संघर्ष था जिसमें, सभी महान शक्तियों समेत दुनिया के अधिकांश देश शामिल थे, जो दो परस्पर विरोधी सैन्य गठबन्धनों में संगठित थे: मित्र राष्ट्र एवं धुरी राष्ट्र.इस युद्ध में 10 करोड़ से ज्यादा सैन्य कर्मी शामिल थे, इस वजह से ये इतिहास का सबसे व्यापक युद्ध माना जाता है।"पूर्ण युद्ध" की अवस्था में, प्रमुख सहभागियों ने नागरिक और सैन्य संसाधनों के बीच के अंतर को मिटा कर युद्ध प्रयास की सेवा में अपनी पूरी औद्योगिक, आर्थिक और वैज्ञानिक क्षमताओं को झोक दिया। इसमें सात करोड़ से अधिक लोग मारे गए थे, जिनमें से अधिकांश साधारण नागरिक थे, इसलिए इसको मानव इतिहास का सबसे खूनी संघर्ष माना जाता है। युद्ध की शुरुआत को आम तौर पर 1 सितम्बर 1939 माना जाता है, जर्मनी के पोलैंड के ऊपर आक्रमण करने और परिणामस्वरूप ब्रिटिश साम्राज्य और राष्ट्रमंडल के अधिकांश देशों और फ्रांस द्वारा जर्मनी पर युद्ध की घोषणा के साथ.

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द्वितीय विश्वयुद्ध में भारत

द्वितीय विश्वयुद्ध के समय भारत पर ब्रिटिश उपनिवेश था। इसलिए आधिकारिक रूप से भारत ने भी नाज़ी जर्मनी के विरुद्ध १९३९ में युद्ध की घोषणा कर दी। ब्रिटिश राज ने २० लाख से अधिक सैनिक युद्ध के लिए भेजा जिन्होने ब्रिटिश कमाण्ड के अधीन धुरी शक्तियों के विरुद्ध लड़ा। इसके अलावा सभी देसी रियासतों ने युद्ध के लिए बड़ी मात्रा में अंग्रेजों को धनराशि प्रदान की। .

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देशभक्ति गीत

देशभक्त देश गीत गा रहे हैं। देशभक्ति गीत ऐसे गीत हैं जिनमें राष्ट्रीयता की भावना का रस निहित हो। प्रायः देश पर विकट समस्या आने पर या राष्ट्रीय सुधारों के लिये इन गीतों का प्रयोग किया जाता है। इससे देशवासियों में राष्ट्रीयता की भावना जागृत होती है। राजनीति, खेल, अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम और राष्ट्र पर आधारित चलचित्र इत्यादि में इन गीतों का प्रयोग आम बात है। कई भारतीय कवियों ने देशभक्ति गीतों की रचना की है। सुमित्रानंदन पंत की जय जन भारत, कवि प्रदीप की ऐ मेरे वतन के लोगों, तथा गिरिजाकुमार माथुर की हम होंगे कामयाब उपकार (मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हिरा मोती) इत्यादि प्रचलित हैं। .

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देविका रानी

देविका रानी (जन्म: 30 मार्च, 1908 निधन: 8 मार्च, 1994) हिन्दी फ़िल्मों की एक अभिनेत्री हैं। निःसंदेह भारतीय सिनेमा के लिये देविका रानी का योगदान अपूर्व रहा है और यह हमेशा हमेशा याद रखा जायेगा। जिस जमाने में भारत की महिलायें घर की चारदीवारी के भीतर भी घूंघट में मुँह छुपाये रहती थीं, देविका रानी ने चलचित्रों में काम करके अदम्य साहस का प्रदर्शन किया था। उन्हें उनके अद्वितीय सुंदरता के लिये भी याद किया जाता रहेगा। .

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देवेन वर्मा

देवेन वर्मा हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध हास्य अभिनेता थे।इनका जन्म २३ अक्टूबर १९३७ को कच्छ राज्य, (ब्रिटिश भारत) में हुआ था। वह एक अभिनेता और निर्माता थे, जिन्हे अंगूर (१९८२),गोल माल (1979 फ़िल्म), खट्टा मीठा (1978 फ़िल्म), नास्तिक, रंग बिरंगी,अंदाज अपना अपना (१९९४) और दिल तो पागल है (१९९७) ही नहीं वरन कई हास्य फ़िल्मों के लिए जाना जाता था।2 दिसंबर, 2014 को पुणे, महाराष्ट्र, भारत में उनका निधन हो गया। .

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देवेन्द्र स्वरूप

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ देवेन्द्र स्वरूप (जन्म: 30 मार्च 1926 काँठ (मुरादाबाद जिला) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व प्रचारक, पाञ्चजन्य (पत्र) के पूर्व सम्पादक, भारतीय इतिहास तथा संस्कृति के गहन अध्येता है। 88 वर्ष की आयु में वे आज भी पूर्ण रूप से सक्रिय रहते हुए राष्ट्रवादी पत्रकारिता के लिये समर्पित हैं। जीवन में सादगी और विचारधारा से क्रान्तिकारी सोच के कारण उन्हें मीडिया में विशेष रूप से जाना जाता है। पाञ्चजन्य, मंथन और नवभारत टाइम्स में समय-समय पर विभिन्न विषयों पर लिखे गये लेखों की पुस्तक माला का लोकार्पण भारत के पूर्व प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किया। .

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धर्मवीर भारती

धर्मवीर भारती (२५ दिसंबर, १९२६- ४ सितंबर, १९९७) आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रमुख लेखक, कवि, नाटककार और सामाजिक विचारक थे। वे एक समय की प्रख्यात साप्ताहिक पत्रिका धर्मयुग के प्रधान संपादक भी थे। डॉ धर्मवीर भारती को १९७२ में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। उनका उपन्यास गुनाहों का देवता सदाबहार रचना मानी जाती है। सूरज का सातवां घोड़ा को कहानी कहने का अनुपम प्रयोग माना जाता है, जिस श्याम बेनेगल ने इसी नाम की फिल्म बनायी, अंधा युग उनका प्रसिद्ध नाटक है।। इब्राहीम अलकाजी, राम गोपाल बजाज, अरविन्द गौड़, रतन थियम, एम के रैना, मोहन महर्षि और कई अन्य भारतीय रंगमंच निर्देशकों ने इसका मंचन किया है। .

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ध्यानचंद सिंह

मेजर ध्यानचंद सिंह (२९ अगस्त, १९०५ -३ दिसंबर, १९७९) भारतीय फील्ड हॉकी के भूतपूर्व खिलाड़ी एवं कप्तान थे। भारत एवं विश्व हॉकी के सर्वश्रेष्ठ खिलाडड़ियों में उनकी गिनती होती है। वे तीन बार ओलम्पिक के स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम के सदस्य रहे (जिनमें १९२८ का एम्सटर्डम ओलोम्पिक, १९३२ का लॉस एंजेल्स ओलोम्पिक एवं १९३६ का बर्लिन ओलम्पिक)। उनकी जन्मतिथि को भारत में "राष्ट्रीय खेल दिवस" के के रूप में मनाया जाता है। children.co.in/india/festivals/national-sports-day.htm उनके छोटे भाई रूप सिंह भी अच्छे हॉकी खिलाड़ी थे जिन्होने ओलम्पिक में कई गोल दागे थे। उन्हें हॉकी का जादूगर ही कहा जाता है। उन्होंने अपने खेल जीवन में 1000 से अधिक गोल दागे। जब वो मैदान में खेलने को उतरते थे तो गेंद मानों उनकी हॉकी स्टिक से चिपक सी जाती थी। उन्हें १९५६ में भारत के प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा बहुत से संगठन और प्रसिद्ध लोग समय-समय पर उन्हे 'भारतरत्न' से सम्मानित करने की माँग करते रहे हैं किन्तु अब केन्द्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार होने से उन्हे यह सम्मान प्रदान किये जाने की सम्भावना बहुत बढ़ गयी है। .

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ध्रोल राज्य

ध्रोल रियासत, ब्रिटिश भारत के बॉम्बे प्रेसीडेंसी की काठियावाड़ एजेंसी और बाद में, भारत गणराज्य के काठियावाड़ और सौराष्ट्र एजेंसी का एक शाही राज्य था। ध्रोल, ब्रिटिशकालीन भारत के उन ५६२ शाही रियासतों में से एक था, जिनके शाशकों को क्षेत्रीय स्वायत्तता प्राप्त थी। ध्रोल रियासत को ब्रिटिश ताज द्वारा ९-तोपी सलामी रियासत होने का सम्मान प्राप्त था। इस रियासत की राजधानी था काठियावाड़ के ऐतिहासिक हालार क्षेत्र में अवस्थित ध्रोल नगर। .

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नथुराम विनायक गोडसे

नथुराम विनायक गोडसे, या नथुराम गोडसे(१९ मई १९१० - १५ नवंबर १९४९) एक कट्टर हिन्दू राष्ट्रवादी समर्थक थे, जिसने ३० जनवरी १९४८ को नई दिल्ली में गोली मारकर मोहनदास करमचंद गांधी की हत्या कर दी थी। गोडसे, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पुणे से पूर्व सदस्य थे। गोडसे का मानना था कि भारत विभाजन के समय गांधी ने भारत और पाकिस्तान के मुसलमानों के पक्ष का समर्थन किया था। जबकि हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार पर अपनी आंखें मूंद ली थी। गोडसे ने नारायण आप्टे और ६ लोगों के साथ मिल कर इस हत्याकाण्ड की योजना बनाई थी। एक वर्ष से अधिक चले मुकद्दमे के बाद ८ नवम्बर १९४९ को उन्हें मृत्युदंड प्रदान किया गया। हालाँकि गांधी के पुत्र, मणिलाल गांधी और रामदास गांधी द्वारा विनिमय की दलीलें पेश की गई थीं, परंतु उन दलीलों को तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, महाराज्यपाल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी एवं उपप्रधानमंत्री वल्लभभाई पटेल, तीनों द्वारा ठुकरा दिया गया था। १५ नवम्बर १९४९ को गोडसे को अम्बाला जेल में फाँसी दे दी गई। .

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नन्दमूरि तारक रामाराव

हैदराबाद-श्रीसैलम मार्ग पर स्थित एन टी रामाराव की मूर्ति नन्दमूरि तारक रामाराव (तेलुगू: నందమూరి తారక రామా రావు) या एन.टी.

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नन्दा

नन्दा (8 जनवरी 1939 - 25 मार्च 2014) हिन्दी फ़िल्मों की एक अभिनेत्री थीं। .

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नरगिस (अभिनेत्री)

नरगिस दत्त (१ जून १९२८ – ३ मई १९८१), जन्म नाम फ़ातिमा रशिद लेकिन बाद में नाम परिवर्तित कर दिया गया था। इनका जन्म कोलकाता,पश्चिम बंगाल में हुआ था। List of Nominated members, Rajya Sabha Official website.ये एक भारतीय सिनेमा की प्रसिद्ध अभिनेत्री थीं जिन्होंने हिन्दी फ़िल्म अभिनेता सुनील दत्त से शादी की थी। इन्होंने अपने फ़िल्मी सफर की शुरुआत बचपन तलाश-ए-हक़ (१९३५) में ही कर दी थी लेकिन इन्होंने एक्टिंग करनी १९४२ में तमन्ना फ़िल्म से शुरू की थी। १९५७ की मदर इंडिया फ़िल्म के लिए इनको एकेडमी अवॉर्ड के लिए नामांकित किया गया था साथ ही इस फ़िल्म के लिए इन्हें सबसे अच्छी फ़िल्म अभिनेत्री का फिल्मफेयर पुरस्कार भी दिया गया था। इसके बाद इन्हें १९६७ में बनी रात और दिन फ़िल्म के लिए राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार से सम्मानित की गई थीं। .

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नरेन्द्रमण्डल

नरेन्द्रमण्डल अथवा नरेशमण्डल(अन्य वर्तनीयां: "नरेन्द्र मंडल", "नरेंद्र मंडल" या "नरेश मंडल")(Chamber of Princes.; उच्चारण:"चेम्बर आॅफ़ प्रिन्सेज़") भारतवर्ष का एक पूर्व विधान मंडल था। यह ब्रिटिशकालीन भारत के विधान मंडल का एक उच्च व शाही सदन था। इसकी स्थापना सन 1920 में ब्रिटेन के राजा, सम्राट जौर्ज पंचम के शाही फ़रमान द्वारा हुई थी। इस्की स्थापना करने का मूल उद्देश्य ब्रिटिशकालीन भारत की रियासतों को एक विधानमण्डल रूपी मंच प्रदान करना था ताकी ब्रिटिश-संरक्षित रियासतों के साशक ब्रिटिश सरकार से अपनी आशाओं और आकांशाओं को प्रस्तुत कर सकें। इस्की बैठक "संसद भवन" के तीसरे कक्ष में होती थी जिसे अब "सांसदीय पुस्तकालय" में परिवर्तित कर दिया गया है। इस सदन को 1947 में ब्रिटिश राज के समापन के पश्चात भारत की स्वतंत्रता व गणराज्य की स्थापना के बाद विस्थापित कर दिया गया। .

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नसीम हिजाज़ी

नसीम हिजाज़ी (नस्तालीक़) उर्दू के मशहूर लेखक और उपन्यासकार थे जो ऐतिहासिक उपन्यासकारी के क्षितिज पर भी वे एक प्रभाव छोड़ गए। उनका असली नाम शरीफ़ हुसैन (नस्तालीक़) था लेकिन वे इनके क़लमी नाम नसीम हिजाज़ी से जाने जाते हैं। भारत का विभाजन से पहले उनका जन्म 1914 को गुरदासपुर ज़िला, पंजाब, ब्रिटिश भारत में हुआ था। ब्रिटिश राज से आज़ादी के वक़्त उनका ख़ानदान हिजरत करके पाकिस्तान चला गया और बाक़ी की ज़िन्दगी उन्होंने वहाँ गुज़ारी। मार्च 1996 में उनकी मौत हो गई। .

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नारोमुरार

नारोमुरार वारिसलीगंज प्रखण्ड के प्रशाशानिक क्षेत्र के अंतर्गत राष्ट्रीय राजमार्ग 31 से 10 KM और बिहार राजमार्ग 59 से 8 KM दूर बसा एकमात्र गाँव है जो बिहार के नवादा और नालंदा दोनों जिलों से सुगमता से अभिगम्य है। वस्तुतः नार का शाब्दिक अर्थ पानी और मुरार का शाब्दिक अर्थ कृष्ण, जिनका जन्म गरुड़ पुराण के अनुसार विष्णु के 8वें अवतार के रूप में द्वापर युग में हुआ, अर्थात नारोमुरार का शाब्दिक अर्थ विष्णुगृह - क्षीरसागर है। प्रकृति की गोद में बसा नारोमुरार गाँव, अपने अंदर असीम संस्कृति और परंपरा को समेटे हुए है। यह भारत के उन प्राचीनतम गांवो में से एक है जहाँ 400 वर्ष पूर्व निर्मित मर्यादा पुरुषोत्तम राम व् परमेश्वर शिव को समर्पित एक ठाकुर वाड़ी के साथ 1920 इसवी, भारत की स्वतंत्रता से 27 वर्ष पूर्व निर्मित राजकीयकृत मध्य विद्यालय और सन 1956 में निर्मित एक जनता पुस्तकालय भी है। पुस्तकालय का उद्घाटन श्रीकृष्ण सिंह के समय बिहार के शिक्षा मंत्री द्वारा की गयी थी। .

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नालापत बालमणि अम्मा

नालापत बालमणि अम्मा (मलयालम: എൻ. ബാലാമണിയമ്മ; 19 जुलाई 1909 – 29 सितम्बर 2004) भारत से मलयालम भाषा की प्रतिभावान कवयित्रियों में से एक थीं। वे हिन्दी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक महादेवी वर्मा की समकालीन थीं। उन्होंने 500 से अधिक कविताएँ लिखीं। उनकी गणना बीसवीं शताब्दी की चर्चित व प्रतिष्ठित मलयालम कवयित्रियों में की जाती है। उनकी रचनाएँ एक ऐसे अनुभूति मंडल का साक्षात्कार कराती हैं जो मलयालम में अदृष्टपूर्व है। आधुनिक मलयालम की सबसे सशक्त कवयित्रियों में से एक होने के कारण उन्हें मलयालम साहित्य की दादी कहा जाता है। अम्मा के साहित्य और जीवन पर गांधी जी के विचारों और आदर्शों का स्पष्ट प्रभाव रहा। उनकी प्रमुख कृतियों में अम्मा, मुथास्सी, मज़्हुवींट कथाआदि हैं। उन्होंने मलयालम कविता में उस कोमल शब्दावली का विकास किया जो अभी तक केवल संस्कृत में ही संभव मानी जाती थी। इसके लिए उन्होंने अपने समय के अनुकूल संस्कृत के कोमल शब्दों को चुनकर मलयालम का जामा पहनाया। उनकी कविताओं का नाद-सौंदर्य और पैनी उक्तियों की व्यंजना शैली अन्यत्र दुर्लभ है। वे प्रतिभावान कवयित्री के साथ-साथ बाल कथा लेखिका और सृजनात्मक अनुवादक भी थीं। अपने पति वी॰एम॰ नायर के साथ मिलकर उन्होने अपनी कई कृतियों का अन्य भाषाओं में अनुवाद किया। अम्मा मलयालम भाषा के प्रखर लेखक एन॰ नारायण मेनन की भांजी थी। उनसे प्राप्त शिक्षा-दीक्षा और उनकी लिखी पुस्तकों का अम्मा पर गहरा प्रभाव पड़ा था। अपने मामा से प्राप्त प्रेरणा ने उन्हें एक कुशल कवयित्री बनने में मदद की। नालापत हाउस की आलमारियों से प्राप्त पुस्तक चयन के क्रम में उन्हें मलयालम भाषा के महान कवि वी॰ नारायण मेनन की पुस्तकों से परिचित होने का अवसर मिला। उनकी शैली और सृजनधर्मिता से वे इस तरह प्रभावित हुई कि देखते ही देखते वे अम्मा के प्रिय कवि बन गए। अँग्रेजी भाषा की भारतीय लेखिका कमला दास उनकी सुपुत्री थीं, जिनके लेखन पर उनका खासा असर पड़ा था। अम्मा को मलयालम साहित्य के सभी महत्त्वपूर्ण पुरस्कार प्राप्त करने का गौरव प्राप्त है। गत शताब्दी की सर्वाधिक लोकप्रिय मलयालम महिला साहित्यकार के रूप में वे जीवन भर पूजनीय बनी रहीं। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार, सरस्वती सम्मान और 'एज्हुथाचन पुरस्कार' सहित कई उल्लेखनीय पुरस्कार व सम्मान प्राप्त हुए। उन्हें 1987 में भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से अलंकृत किया गया। वर्ष 2009, उनकी जन्म शताब्दी के रूप में मनाया गया। .

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नासिर हुसैन

नासिर हुसैन (16 नवंबर 1926 - 13 मार्च 2002) भारतीय फिल्म निर्माता, निर्देशक और पटकथा लेखक थे। दशकों तक फैले अपने करियर के साथ, हुसैन को हिंदी सिनेमा के इतिहास में एक प्रमुख पथ जनक के रूप में जाना जाता है। उदाहरण के लिए, उन्होंने यादों की बारात (1973) को निर्देशित किया, जिसने बॉलीवुड मसाला फिल्म शैली बनाई जिसने 1970 और 1980 के दशक में हिंदी सिनेमा को परिभाषित किया। साथ ही उन्होंने कयामत से कयामत तक (1988) को लिखा और निर्मित किया, जिसने 1990 के दशक में हिंदी सिनेमा को परिभाषित करने वाले बॉलीवुड संगीतमय रोमांस रूपरेखा को स्थापित किया। इनके ऊपर एक किताब म्यूजिक, मस्ती और मॉडर्निटी- द सिनेमा ऑफ नासिर हुसैन भी लिखी गई है। .

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नागा

नागा (နာဂ, Naga) भारत की एक प्रमुख जनजाति हैं। इनका निवास क्षेत्र भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र व म्यांमार के पश्चिमोत्तर क्षेत्र में है। भारत में ये नागालैंड राज्य में बहुसंख्यक है। २०१२ में यहाँ पर इनकी संख्या १७ लाख दर्ज की गयी। इसके अलावा ये मणिपुर, असम, अरुणाचल प्रदेश में भी इनकी अच्छी खासी जनसंख्या है। वही म्यांमार में ये जनजाति कुछ क्षेत्रों में बहुसंख्यक है। वहाँ पर इनके इलाकों को स्वायत्त क्षेत्र घोषित किया गया है जहाँ का प्रशासन ये खुद ही सँभालते हैं। इन इलाकों को नागा स्वायत्त क्षेत्र कहा जाता है। .

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नागा पर्वत

नागा पर्वत शृंखला, जिन्हें नागा पहाड़ियाँ भी कहते हैं, भारत और बर्मा म्यान्मार की सीमा पर लगने वाली पर्वत शृंखला है। इसकी ऊँचाई लगभग है। यह जटिल पहाड़ प्रणाली का एक भाग है जिसमें से कुछ भाग भारतीय राज्य नागालैण्ड में तथा बर्मा में आते हैं। ब्रितानी राज्य के दौरान इनमें से अधिकतर पहाड़ी क्षेत्र नागा हिल्स जिले के अन्तर्गता आता थी। शब्द "नागा", नागा लोगों के लिए काम में लिया जाता है जिसे बर्मी भाषा में "नागा" अथवा "नाका" कहा जाता है और इसका अर्थ "छेदे हुये कान वाले लोगों" के साथ जोड़ा जाता है। ब्रितानी भारत में नागा पर्वत शृंखला का एक भाग १८६६ में एक जिलें में कर दिया गया। नागा हिल्स जिले की सीमायें धीरे-धीरे बढ़ती चली गयी और इसमें और अधिक नागा प्रजातियों को शामिल किया गया जैसे एयोस अथव एओ नागा (१८८९), सेमास (१९०४) और कोन्याक (१९१०)। सन् १९१२ में इस जिले को असम प्रान्त का जिला घोषित कर दिया गया। भारत के विभाजन के समय इसका ट्वेनसांग जिले में विलय कर दिया गया जिससे १९६३ में नागालैण्ड राज्य निर्मित किया गया। .

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नागौद रियासत

नागौद रियासत (जिसे 'नागोड`' और 'नागौद' के नाम से भी जाना जाता है), मध्य प्रदेश के आधुनिक सतना जिले में स्थित ब्रिटिशकालीन भारत का एक रियासत था। 18वीं शताब्दी तक रियासत को उसकी राजधानी उचेहरा के मूल नाम 'उचेहरा' से भी जाना जाता था। .

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निर्मलजीत सिंह सेखों

फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों (17 जुलाई 1943 - 14 दिसंबर 1971) भारतीय वायु सेना के एक अधिकारी थे। भारत-पाकिस्तान युद्ध 1971 के दौरान पाकिस्तानी वायु सेना के हवाई हमले के खिलाफ श्रीनगर एयर बेस के बचाव में शहीद हो गए थे। उन्हें मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र से वर्ष १९६१ से सम्मानित किया गया। .

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निसीम इजेकिल

निसीम इजेकिल (24 दिसंबर 1924 - 9 जनवरी 2004) एक यहूदी मूल के अंग्रेज़ी भाषा के भारतीय लेखक थे। उनका जन्म मुंबई (तत्कालीन बंबई) में हुआ था। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह लैटर–डे साम्स के लिये उन्हें सन् 1983 में अंग्रेज़ी भाषा के साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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निखिल कुमार

निखिल कुमार भारत के केरल राज्य के पूर्व राज्यपाल हैं। भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उन्हें नागालैंड के राज्यपाल के पद से स्थानांतरित करके केरल का राज्यपाल नियुक्त किया था। वे औरंगाबाद, बिहार के रहने वाले है एवं वहाँ से सांसद रह चुके हैं। निखिल कुमार भारतीय पुलिस सेवा के 1963 बैच के अधिकारी है। वे दिल्ली के पुलिस आयुक्त, नेशनल सिक्योरिटी गार्ड के निदेशक, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस और सीमा सुरक्षा बल में निदेशक रहने के अलावा भारत सरकार के गृह मंत्रालय में विशेष सचिव भी रहे हैं। सेवानिवृत्ति के उपरांत उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद का सलाहकार भी बनाया गया था। बाद में वे राजनीति में आये एवं औरंगाबाद से कांग्रेस के टिकट पर सांसद बने। .

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निकोबारी लोग

निकोबारी भारत के निकोबार द्वीपसमूह में रहने वाले ऑस्ट्रो-एशियाई भाषा-परिवार की निकोबारी भाषाएँ बोलने वाला एक समुदाय है। .

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नज़ीर अहमद देहलवी

नज़ीर अहमद देहलवी (१८३०-१९१२), जिन्हें औमतौर पर डिप्टी नज़ीर अहमद (उर्दू) बुलाया जाता था, १९वीं सदी के एक विख्यात भारतीय उर्दू-लेखक, विद्वान और सामाजिक व धार्मिक सुधारक थे। उनकी लिखी कुछ उपन्यास-शैली की किताबें, जैसे कि 'मिरात-उल-उरूस' और 'बिनात-उल-नाश' और बच्चों के लिए लिखी पुस्तकें, जैसे कि 'क़िस्से-कहानियाँ' और 'ज़ालिम भेड़िया', आज तक उत्तर भारत व पाकिस्तान में पढ़ी जाती हैं। .

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नवानगर रियासत

नवानगर, सौराष्ट्र के ऐतिहासिक हालार क्षेत्र में अवस्थित एक देसी राज्य था। यह कच्छ की खाड़ी के दक्षिणी तट पर स्थित था जिसके केन्द्र में वर्त्तमान जामनगर था। इसकी स्थापना सन १५४० ईस्वी में हुई थी, और यह राज्य भारत के स्वतन्त्र होने तक विद्यमान था। वर्ष १९४८ में, आधिकारिक रूप से भारतीय संघ में अधिग्रहित कर लिया गया। इसकी राजधानी नवानगर थी, जिसे वर्तमान समय में जामनगर के नाम से जाना जाता है। नवानगर रियासत के कुल भूभाग का क्षेत्रफल था और १९०१ की जनगणना के अनुसार इसकी कुल जनसंख्या ३,३६,७७९ थी। नवानगर राज्य पर, जडेजा गोत्र के हिन्दू राजपूत वंश का राज था, जिन्हें "जाम साहब" की उपाधि से संबोधित किया जाता था। नवानगर और कच्छ राज्य के राजकुटुंब एक ही वंश के थे। ब्रिटिश संरक्षणाधीन काल में नवानगर के जाम साहब को १५ तोपों की सलामी का सम्मान प्राप्त था। ब्रिटिश राज में नवानगर, बॉम्बे प्रेसिडेंसी के काठियावाड़ एजेंसी का हिस्सा था। नवानगर में एक मुक्‍ता मात्स्यकालय (मोती समुपयोजनागार) थी, जो नवानगर की धन का सबसे बड़ा स्रोत था। इसके अलावा, नवानगर राज्य ने भारत में क्रिकेट को प्रसिद्ध करने में अहन भूमिका थी, जिसका श्रेय जाम साहब रणजीतसिंहजी जडेजा को जाता है, जो स्वयं भी एक प्रसिद्ध क्रिकेट खिलाड़ी थे। रणजीतसिंहजी नवानगर के तमाम जाम साहबों में सबसे प्रसिद्ध थे, उन्हें विशेष तौर पर, भारत में क्रिकेट के विकास में उनके योगदान के लिए जाना जाता है। .

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नवीन निश्चल

नवीन निश्चल हिन्दी फ़िल्मों के एक अभिनेता हैं। .

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नवीन पटनायक

नवीन पटनायक (जन्म 16 अक्टूबर 1946) भारतीय राज्य ओडिशा के १४वें और वर्तमान मुख्यमंत्री हैं। वे बीजू जनता दल के संस्थापक मुखिया हैं और वे लेखक भी हैं। .

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नक़्श लायलपुरी

जसवंत राय शर्मा उपनाम: नक़्श लायलपुरी (نقش لایل پوری)(24 फरवरी 1928 – 22 जनवरी 2017), उर्दू शायर और हिन्दी फिल्मों के गीतकार थे। .

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नून मीम राशिद

नजर मुहम्मद राशिद (उर्दू: نذرِ مُحَمَّد راشِد‎), (अगस्त 1910 – 9 अक्तूबर 1975) नून मीम राशीद (उर्दू: ن۔ م۔ راشد) के नाम से विख्यात आधुनिक उर्दू शायरी के एक प्रभावशाली पाकिस्तानी कवि थे। जिन्होंने उर्दू शायरी को छंद और बहर के पारंपरिक बंधनों से आज़ाद करने का बड़ा काम किया। उन्होने सिर्फ शिल्‍प की दृष्टि से ही उर्दू कविता को आज़ाद नहीं किया बल्कि उर्दू काव्‍य में उन भावों और संवेदनाओं को भी दाखिला दिलाया, जो इससे पहले असंभव माना जाता था। .

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नेपाल

नेपाल, (आधिकारिक रूप में, संघीय लोकतान्त्रिक गणराज्य नेपाल) भारतीय उपमहाद्वीप में स्थित एक दक्षिण एशियाई स्थलरुद्ध हिमालयी राष्ट्र है। नेपाल के उत्तर मे चीन का स्वायत्तशासी प्रदेश तिब्बत है और दक्षिण, पूर्व व पश्चिम में भारत अवस्थित है। नेपाल के ८१ प्रतिशत नागरिक हिन्दू धर्मावलम्बी हैं। नेपाल विश्व का प्रतिशत आधार पर सबसे बड़ा हिन्दू धर्मावलम्बी राष्ट्र है। नेपाल की राजभाषा नेपाली है और नेपाल के लोगों को भी नेपाली कहा जाता है। एक छोटे से क्षेत्र के लिए नेपाल की भौगोलिक विविधता बहुत उल्लेखनीय है। यहाँ तराई के उष्ण फाँट से लेकर ठण्डे हिमालय की श्रृंखलाएं अवस्थित हैं। संसार का सबसे ऊँची १४ हिम श्रृंखलाओं में से आठ नेपाल में हैं जिसमें संसार का सर्वोच्च शिखर सागरमाथा एवरेस्ट (नेपाल और चीन की सीमा पर) भी एक है। नेपाल की राजधानी और सबसे बड़ा नगर काठमांडू है। काठमांडू उपत्यका के अन्दर ललीतपुर (पाटन), भक्तपुर, मध्यपुर और किर्तीपुर नाम के नगर भी हैं अन्य प्रमुख नगरों में पोखरा, विराटनगर, धरान, भरतपुर, वीरगंज, महेन्द्रनगर, बुटवल, हेटौडा, भैरहवा, जनकपुर, नेपालगंज, वीरेन्द्रनगर, त्रिभुवननगर आदि है। वर्तमान नेपाली भूभाग अठारहवीं सदी में गोरखा के शाह वंशीय राजा पृथ्वी नारायण शाह द्वारा संगठित नेपाल राज्य का एक अंश है। अंग्रेज़ों के साथ हुई संधियों में नेपाल को उस समय (१८१४ में) एक तिहाई नेपाली क्षेत्र ब्रिटिश इंडिया को देने पड़े, जो आज भारतीय राज्य हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड तथा पश्चिम बंगाल में विलय हो गये हैं। बींसवीं सदी में प्रारंभ हुए जनतांत्रिक आन्दोलनों में कई बार विराम आया जब राजशाही ने जनता और उनके प्रतिनिधियों को अधिकाधिक अधिकार दिए। अंततः २००८ में जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि माओवादी नेता प्रचण्ड के प्रधानमंत्री बनने से यह आन्दोलन समाप्त हुआ। लेकिन सेना अध्यक्ष के निष्कासन को लेकर राष्ट्रपति से हुए मतभेद और टीवी पर सेना में माओवादियों की नियुक्ति को लेकर वीडियो फुटेज के प्रसारण के बाद सरकार से सहयोगी दलों द्वारा समर्थन वापस लेने के बाद प्रचण्ड को इस्तीफा देना पड़ा। गौरतलब है कि माओवादियों के सत्ता में आने से पहले सन् २००६ में राजा के अधिकारों को अत्यंत सीमित कर दिया गया था। दक्षिण एशिया में नेपाल की सेना पांचवीं सबसे बड़ी सेना है और विशेषकर विश्व युद्धों के दौरान, अपने गोरखा इतिहास के लिए उल्लेखनीय रहे हैं और संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों के लिए महत्वपूर्ण योगदानकर्ता रही है। .

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नेफ़ा

नेफ़ा (NEFA), जो नॉर्थ-ईस्ट फ़्रंटियर एजेंसी (North-East Frontier Agency, अर्थ: उत्तर-पूर्व सीमांत प्रदेश) का संक्षिप्तिकरण था, ब्रिटिश राज काल का और स्वतंत्र भारत में १९७२ तक का एक प्रशासनिक विभाग था। १९७२ में यह अरुणाचल प्रदेश नामक केन्द्र प्रशासित क्षेत्र बन गया और फिर १९८७ में इसे पूर्ण राज्य का दर्जा मिल गया। १९७४ तक इसका प्रशासनिक मुख्यालय शिलांग था लेकिन उसके बाद बदलकर ईटानगर हो गया। .

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नेमाई घोष

नेमाई घोष (Nemai Ghosh) (जन्म 1934) एक प्रसिद्ध भारतीय फोटोग्राफर हैं जो सत्यजीत राय के साथ काम करने के लिए जाने जाते हैं। इन्होने सत्यजीत राय के साथ गोपी गने (1969) से लेखर सत्यजीत जी की अंतिम फिल्म अगंटुक (1991) तक दो दशक से अधिक समय तक फोटोग्राफी की। वह 2007 के राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में एक न्यायपीठ सदस्य थे। और उन्हे 2010 में भारत सरकार द्वारा पद्म श्री से सम्मानित किया गया। .

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नीलगिरि पर्वतीय रेल

नीलगिरि पर्वतीय रेल (अंग्रेजी:Nilgiri Mountain Railway; तमिल: நீலகிரி மலை ரயில்), भारत के राज्य तमिलनाडु में स्थित एक रेल प्रणाली है, जिसे 1908 में ब्रिटिश राज के दौरान बनाया गया था। शुरूआत में इसका संचालन मद्रास रेलवे द्वारा किया जाता था। इस रेलवे का परिचालन आज भी भाप इंजनों द्वारा किया जाता है। नीलगिरि पर्वतीय रेल, नवगठित सलेम मण्डल के अधिकार क्षेत्र में आता है। जुलाई 2005 में यूनेस्को ने नीलगिरि पर्वतीय रेल को दार्जिलिंग हिमालयी रेल के विश्व धरोहर स्थल के एक विस्तार के रूप में मान्यता दी थी और तब से इन्हें संयुक्त रूप से "भारत की पर्वतीय रेल" के नाम से जाना जाता है। इसे यह मान्यता मिलने के बाद इसकी आधुनिकीकरण की योजना का परित्याग कर दिया गया। पिछले कई वर्षों से कुन्नूर और उदगमंडलम के बीच के खंड पर भाप के इंजनों के स्थान पर लिए डीजल इंजनों का प्रयोग किया जा रहा है। स्थानीय लोगों और पर्यटकों ने इस खंड पर एक बार फिर से भाप इंजनों द्वारा रेलगाड़ी चलाने की मांग की है। शाहरुख खान द्वारा अभिनीत हिंदी फिल्म "दिल से" के प्रसिद्ध हिंदी गीत छैंया छैंया का फिल्मांकन इसी रेलवे की रेलगाड़ी की छत पर किया गया है। | .

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पथेइन

पथेइन (बर्मी: ပုသိမ်မြို့), जिसे ब्रिटिश राज के काल में बसेइन (Bassein) कहते थे, बर्मा के इरावदी मण्डल की राजधानी है। यह बंगाल की खाड़ी पर स्थित एक बंदरगाह नगर है जो इरावदी नदी की एक पश्चिमी शाखा - पथेइन नदी - के किनारे बसा हुआ है। यह इतिहास में मोन लोगों की राजधानी हुआ करता था लेकिन वर्तमान में यहाँ बहुत कम मोन लोग रहते हैं। पथेइन में भारतीय मूल के बहुत से लोग बसे हुए हैं। .

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परमानन्द श्रीवास्तव

परमानन्द श्रीवास्तव (जन्म: 10 फ़रवरी 1935 - मृत्यु: 5 नवम्बर 2013) हिन्दी के प्रतिष्ठित साहित्यकार थे। उनकी गणना हिन्दी के शीर्ष आलोचकों में होती है। गोरखपुर विश्वविद्यालय में प्रेमचन्द पीठ की स्थापना में उनका विशेष योगदान रहा। कई पुस्तकों के लेखन के अतिरिक्त उन्होंने हिन्दी भाषा की साहित्यिक पत्रिका आलोचना का सम्पादन भी किया था। आलोचना के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिये उन्हें व्यास सम्मान और भारत भारती पुरस्कार प्रदान किया गया। लम्बी बीमारी के बाद उनका गोरखपुर में निधन हो गया। .

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परवान प्रान्त

अफ़्ग़ानिस्तान का परवान प्रान्त (लाल रंग में) परवान (फ़ारसी:, अंग्रेजी: Parwan) अफ़्ग़ानिस्तान का एक प्रांत है जो उस देश के पूर्व में स्थित है। इस प्रान्त का क्षेत्रफल ५,९७४ वर्ग किमी है और इसकी आबादी सन् २००९ में लगभग ५.६ लाख अनुमानित की गई थी।, Central Intelligence Agency (सी आइ ए), Accessed 27 दिसम्बर 2011 इस प्रान्त की राजधानी चारीकार शहर है। यहाँ के ज़्यादातर लोग फ़ारसी बोलने वाले ताजिक लोग हैं, हालाँकि यहाँ पश्तून समुदाय के लोग भी रहते हैं। .

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पलसदरी

पलसदरी, (पहले पलसधरी; मराठी: पळसदरी), मुंबई उपनगरीय रेल के कर्जत -खोपोली खंड पर स्थित एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल और एक रेलवे जंक्शन है। यह कर्जत-लोनावला लाइन पर भी पड़ता है। खोपोली मार्ग पर इससे अगला स्टेशन केलावली है। पलसदरी का नाम "पलास" के पेड़ और "दरी" यानि "दर्रा" (पहाड़ियों के बीच से जाने वाला मार्ग) नामक दो शब्दों के मेल से बना है। यह कर्जत खोपोली राज्य राजमार्ग सं 35 पर स्थित है। पलसदरी में ही प्रसिद्ध पलसदरी बांध स्थित है। पलसदरी में ब्रिटिश राज काल और उससे भी पुराने कई मंदिर उपस्थित हैं। विशेष रूप से बरसात के मौसम में, मुंबई, पनवेल और नवी मुंबई से बहुत से पर्यटक यहाँ आते हैं। मानसून के दौरान पूरे क्षेत्र के झरने सक्रिय हो जाते हैं और चारों ओर हरियाली छा जाती है। पलसदरी का एक अन्य आकर्षण यहाँ स्थित श्री स्वामी समर्थ महाराज अक्कलकोट का "मठ" है जो एक बहुत ही खूबसूरत जगह पर स्थित है। पलसदरी को इसकी प्राकृतिक सुंदरता और कठिन रास्तों के लिए जाना जाता है। पहाड़ों पर पैदल यात्रा, पर्यटकों में विशेष रूप से लोकप्रिय है। लेकिन पर्यटकों को इन यात्राओं के दौरान यहाँ की कंटीली झाड़ियों से सावधान रहना चाहिए। यह कंटीली झाड़ियां किसी लापरवाह पथिक के लिए खतरनाक साबित हो सकती हैं। पलसदरी में कई स्थान निजी स्वामित्व में हैं और इनसे होकर गुजरना अवैध है। .

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पश्चिमी पाकिस्तान

पश्चिमी पाकिस्तान(مغربی پاکستان, मग़रिबी पाकिस्तान, পশ্চিম পাকিস্তান, पोश्चिम पाकिस्तान), एक इकाई व्यवस्था के तहत, तत्कालीन पाकिस्तान (पाकिस्तान अधिराज्य) की पश्चिमी इकाई थी, जो अब, (बांग्लादेश के अलग होने के बाद से) वर्तमान पाकिस्तान है। .

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पाटीदार

पाटीदार गुजरात और राजस्थान में निवास करने वाली जाति है। पटेल उपनाम इनमें काफ़ी इस्तेमाल होता है। .

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पान सिंह तोमर

पान सिंह तोमर (1932 – 1 अक्टूबर 1981) एक भारतीय सैनिक, खिलाड़ी (एथलीट) और बागी थे। यह ग्राम भिड़ौसा के निवासी थे। इन्हें इनकी दौड़ने की ख़ूबी का पता भारतीय सेना में जाने के बाद चला। यह सात बार राष्ट्रीय प्रतियोगिता में विजेता रह चुके हैं। इन्होंने 1958 में एशियाई खेलों में भी हिस्सा लिया था। .

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पाक जलडमरूमध्य

मन्नार की खाड़ी, रामसेतु, पाक खाड़ी, पाक जलडमरूमध्य, बंगाल की खाड़ी पाक जलडमरूमध्य (अंग्रेजी: Palk Strait), भारत के राज्य तमिलनाडु और द्वीप राष्ट्र श्रीलंका के उत्तरी भाग के बीच स्थित एक जलसंयोगी है। यह बंगाल की खाड़ी को पूर्वोत्तर में पाक खाड़ी और दक्षिणपश्चिम में मन्नार की खाड़ी के साथ को जोड़ता है। इस जलडमरूमध्य की चौड़ाई 53-80 किमी (33-50 मील) है। इसमें कई नदियों विसर्जित होती हैं जिसमें तमिलनाडु के वैगई नदी प्रमुख है। इस जलडमरूमध्य का नाम रॉबर्ट पाक (अंग्रेजी: Robert Palk) जो ब्रिटिश राज के दौरान मद्रास प्रेसीडेंसी (1755-1763) का एक गवर्नर था, के नाम पर है। .

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पाकिस्तान दिवस

पाकिस्तान दिवस(یوم پاکستان; यौम-ए पाकिस्तान) या(पूर्वतः) गणतंत्रता दिवस(यौम-ए-जम्हूरिया) पाकिस्तान में मनाया जाने वाला एक राष्ट्रीय दिवस है। इसे लाहौर संकल्प और पाकिस्तान के पहले संविधान के पारित होने के उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष 23 मार्च को मनाया जाता है। इस दिन को पाकिस्तान में पाकिस्तानी इतिहास का एक बहुत महत्वपूर्ण दिवस माना जाता है, क्योंकि इसी दिन सन 1940 में, 22 से 24 मार्च तक चले, अखिल भारतीय मुस्लिम लीग के लाहौर सत्र में, लाहौर प्रस्ताव(जिसे पाकिस्तान में क़रारदाद-ए पाकिस्तान(पाकिस्तान संकल्पना) भी कहा जाता है) की पेशकश की गई थी जिसके आधार पर ही मुस्लिम लीग ने भारत के मुसलमानों के लिये अलग देश के अधिग्रहण के लिए आंदोलन शुरू किया था। साथ ही 23 मार्च 1956 को पाकिस्तान के पहले संविधान को अपनाया गया था, जिसने रियासत-ए-पाकिस्तान को, अधिराजकीय, पाकिस्तान अधिराज्य से विश्व के पहले इस्लामी गणराज्य, इस्लामी गणराज्य पाकिस्तान में परिवर्तित कर दिया। इस दिन ("23 मार्च") को पूरे पाकिस्तान में आम छुट्टी होती है। .

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पाकिस्तान में परिवहन

पाकिस्तान परिवहन नेटवर्क कराची में एक व्यस्त चौराहा, अन्य प्रकार के परिवहन दिखाते हुए पाकिस्तान में परिवहन विस्तृत और विविध प्रकार के हैं लेकिन यह अभी भी विकास की प्रक्रिया में है और 170 मिलियन से भी अधिक व्यक्तियों को सेवा प्रदान कर रहा है।پاکِستان نقل و حمل नए हवाई अड्डों, सड़कों और रेलवे मार्गों के निर्माण के फलस्वरूप देश में रोजगारों की संख्या में भी वृद्धि हुई है। पाकिस्तान का अधिकांश मार्ग तंत्र (राष्ट्रीय राजमार्ग) और रेलवे मार्ग तंत्र 1947 के पहले के बने हुए हैं, मुख्यतया ब्रिटिश राज के दौरान.

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पाकिस्तान में हिन्दू धर्म

पाकिस्तान में हिंदु धर्म का अनुसरण करने वाले कुल जनसंख्या के लगभग 2% है। पूर्वतन जनगणना के समय पाकिस्तानी हिंदुओं को जाति (1.6%) और अनुसूचित जाति (0.25%) में विभाजित किया गया।  पाकिस्तान को ब्रिटेन से स्वतन्त्रता 14 अगस्त, 1947 मिली उसके बाद 44 लाख हिंदुओं और सिखों ने आज के भारत की ओर स्थानान्तरण किया, जबकि भारत से 4.1 करोड़ मुसलमानों ने पाकिस्तान में रहने के लिये स्थानातरण किया।Boyle, Paul; Halfacre, Keith H.; Robinson, Vaughan (2014).

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पाकिस्तान ज़िन्दाबाद

पाकिस्तान ज़िन्दाबाद (پاکستان زِنده باد —,; मतलब: पाकिस्तान की जय हो) देश पाकिस्तान के प्रति देशभक्ति और विजय के अवसर पर ख़ुशी व्यक्त करने हेतु एक नारा है। इसके अतिरिक्त इसे राजनीतिक और राष्ट्रीय भाषणों में भी प्रयोग किया जाता है। पाकिस्तान ज़िन्दाबाद के नारे सबसे पहले पाकिस्तान आंदोलन के दौरान लगाए गए थे, जब भारतीय उपमहाद्वीप के कई मुसलमान ब्रिटिश भारत में एक अलग इस्लामी राष्ट्र की माँग कर रहे थे। ऑल इंडिया मुस्लिम लीग के समर्थकों के दरम्यान ये नारे एक दूसरे से अभिवादित करने का तरीक़ा था। आज 'पाकिस्तान ज़िन्दाबाद' पाकिस्तान देश का राष्ट्रीय नारा भी है। .

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पाकिस्तान आंदोलन

पाकिस्तान आन्दोलन या तहरीकए पाकिस्तान (تحریک پاکستان) २०वीं सदी के भारतीय उपमहाद्वीप में हुए एक राजनीतिक आंदोलन का नाम था, जिसने अंत्यतः भारतवर्ष को धार्मिक आधार पर विभाजित कर दिया। इसके परिणाम स्वरूप उपमहाद्वीप के भारतीय ब्रिटिश साम्रराज्य के उत्तर पश्चिमी के चार प्रांतों व पूर्व में पूर्वी बंगाल की स्वतंत्रता संयोजन से स्थापना हुई पाकिस्तान नामक एक स्वतंत्र इस्लामिक गणरज्य की। यह आन्दोलन भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के समानांतर ही चला था। हालांकि, दोनो आंदोलनो का उद्देश्य एक ही था, परन्तु, पाकिस्तान आंदोलन का मुख्य उद्देश्य "भारतीय उपमहाद्वीप के मुसलमानों की धार्मिक पहचान और राजनीतिक हितों का संरक्षित व सुरक्षा था।" इस प्रसंग का पहला संगठित आंदोलन सैय्यद अहमद खान द्वारा अलीगढ़ में हुआ था, जिसे अलीगढ़ आंदोलन के रूप में जाना जाने लगा था। यह आन्दोलन पाकिस्तान आंदोलन का आधार था। १९०६ में, एक शैक्षिक सम्मेलन आयोजित किया गया जो धीरे धीरे मुस्लिम सुधारकों के आंदोलन से राजनीतिक चरण में तब्दील हो गया। इस बीच में, ऑल इंडिया मुस्लिम लीग का गठन किया गया था। गुरुत्वपूर्ण मुसलिम नेताओं द्वारा इसके गठन के पीछे का मूल उद्देश्य ब्रिटिश भारत में मुसलमानों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करना था। आंदोलन के प्रारंभिक दौर में मुस्लिम लीग के वार्षिक सत्रों ने अल्लामा इकबाल की दार्शनिक दृष्टिकोण व नेतृत्व में आंदोलन को आगे बढ़ाया। जिस्के पश्चात मुहम्मद अली जिन्ना के संवैधानिक प्रयासों ने आंदोलन के लिए जनसमर्थन बनाने के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया। उर्दू शायर इकबाल और फैज के साहित्य, कविता एवं भाषणों ने भी राजनीतिक चेतना के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इनके अलावा बेगम राणा लियाकत अली खान और फातिमा जिन्नाह जैसी महिलाओं ने भी अपनी भूमिका निभाई थी। नौकरीपेशे वाले लोगों ने भी पाकिस्तान आंदोलन में भाग लिया था। बाद में, भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, १९४७ पारित किया गया, जिसके अंतर्गत भारत अधिराज्य और पाकिस्तान अधिराज्य नामक दो स्वतंत्र स्वायत्य-उपनिवेश(डोमीनियन) की स्थापना की गई। पाकिस्तान आंदोलन कई माएनों में, सामाजिक, राजनैतिक एवं बौद्धिक प्रक्रिया का परिणाम था। इसके बाद पाकिस्तान के संस्थापकों ने एक मजबूत सरकार बनाने की प्रयास की जो की नवस्थापित देश के दोनों खंडों पर सफल नियंत्रण बनाए रख सके। १९५८ में बाद में, पाकिस्तान में सैन्य तख्तापलट हुआ और राजनीतिक एवं आर्थिक भेदभाव, एवं अन्य कई मसलों के परिणामस्वरूप बांग्लादेश १९७१ में एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में उभरा जो की उस समय तक पूर्वी पाकिस्तान था। .

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पाकिस्तान के गवर्नर जनरल

यहाँ पाकिस्तान के स्वतंत्रता उपरांत गवर्नर-जनरल गण की सूची दी गयी है। इनका पूर्ण काल1947 – 1958 के बीच रहा। उसके बाद पाकिस्तान गणतंत्र बन गया। तब वहाँ राष्ट्रपति होने लगे।.

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पाकिस्तान अधिराज्य

पाकिस्तानी अधिराज्य (ﻣﻤﻠﮑﺖِ ﭘﺎﮐﺴﺘﺎﻥ., मुम्लिक़ात्'ए पाकिस्तान; পাকিস্তান অধিরাজ্য, पाकिस्तान ओधिराज्जो) नवनिर्मित देश, पाकिस्तान की स्वायत्त्योपनिवेशिय अवस्था थी। इस शासनप्रणाली के तहत पाकिस्तान को भारत विभाजन के बाद, ब्रिटिश साम्राज्य का एक स्वशासित व स्वतंत्र इकाइ(अधिराज्य) के रूप मे स्थापित किया गया था। पाकिस्तानी अधिराज्य की स्थापना भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम १९४७ के तहत ब्रिटिश भारत के विभाजन के बाद तथाकथित तौर पर भारतिय उपमहाद्वीप की मुस्लिम आबादी के लिए हुआ था। एसकी कुल भूभाग मौजूदा इस्लामिक गणराज्य पाकिस्तान व बांग्लादेश के बराबर थी। 1956 में पाकिस्तान का पहला संविधान के लागू होने के साथ ही "पाकिस्तान अधिराज्य" की विस्थापना हो गई जब अधिराजकिय राजतांत्रिक व्यवस्था को इस्लामिक गणराज्य से बदल दिया गया। इस व्यवस्था के तहत पाकिस्तान ब्रिटिश हुक़ूमत से स्वतंत्र हो गया एवं ब्रिटिश राष्ट्रमंडल का हिस्सा होने के नाते अन्य ब्रिटिश स्वायत्त्योपनिवेशों की ही तरह, ब्रिटेन के राजा(ततकालीन जार्ज षष्ठम) को पाकिस्तान के राजा का प्रभार भी सौंप दिया गया, हालांकी, (तथ्यस्वरूप) पाकिस्तान के राजा का लग-भग सारा संवैधानिक व कार्याधिकार पाकिस्तान में उनके प्रतिनिधी पाकिस्तान के महाराज्यपाल (गवर्नर-जनरल) के अधिकार में था। ऐसी व्यवस्था सारे ब्रिटिश-स्वायत्त्योपनिवेशों में रहती है। पाकिस्तान अधिराज्य कुल 9 सालों तक, १९४७ से १९५६ तक अस्तित्व में रहा था, जिस बीच 4 महाराज्यपालों की नियुक्ती हुई थी। भारत विभाजन व स्वतंत्रता के बाद संयुक्त राष्ट्र में ब्रिटिश भारत की सदस्यता भारतीय अधिराज्य को दे दी गई जबकी पाकिस्तान ने नई सदस्यता प्राप्त की। .

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पख़्तूनिस्तान

दक्षिणी अफ़ग़ानिस्तान में जनजातीय एवं धार्मिक नेता पख़्तूनिस्तान का प्रस्तावित ध्वज पख़्तूनिस्तान या पठानिस्तान, शब्द "पठान" (पश्तून) और "स्तान" (जगह या क्षेत्र) के संयोजन है। इसका अर्थ संसार का वह ऐतिहासिक क्षेत्र जिसमें पठान लोगों की जनसंख्या सर्वाधिक है और जहाँ पश्तो भाषा बोली जाती है। पख़्तूनिस्तान का अधिक हिस्सा अफ़्ग़ानिस्तान और पाकिस्तान की भूमि में है लेकिन भारत और ईरान का भी छोटा सा हिस्सा शामिल है। पख़्तूनिस्तान शब्द का उपयोग अंग्रेज़ों ने तब किया जब वह भारत पर शासन कर रहे थे, ब्रिटिश राज ने पश्चिमी-उत्तरी क्षेत्रों को पख़्तूनिस्तान कहा करते थे और यही कारण से इस नाम संपूर्ण भारतीय उपमहाद्वीप में प्रसिद्ध हुआ और फिर इस क्षेत्र को पख़्तूनिस्तान कहा गया है। .

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पंचानन भट्टाचार्य

पंचानन भट्टाचार्य' (1853–1919) भारत के एक योगी थे। वे लाहिड़ी महाशय के शिष्य थे। लाहिड़ी महाशय ने उनको ही सबसे पहले क्रिया योग की शिक्षा देने के लिये अधिकृत किया था। उन्होने आर्य मिशन नामक सम्स्था बनाकर लाहिड़ी महाशय की शिक्षाओं का बंगाल में प्रचार-प्रसार किया। .

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पंजाब प्रांत (ब्रिटिश भारत)

पंजाब ब्रिटिश भारत का प्रांत था। 1849 में इसपर सिख साम्राज्य से ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा कब्जा कर लिया गया था। यह अंग्रेजों के नियंत्रण में आने वाला भारतीय उपमहाद्वीप के अंतिम क्षेत्रों में से एक था। इसमें पांच प्रशासनिक प्रभाग शामिल थे — दिल्ली, जलंधर, लाहौर, मुल्तान और रावलपिंडी। इसमें कई रियासतें भी थी। भारत के विभाजन के बाद इसको पूर्व पंजाब और पश्चिम पंजाब में बाट दिया गया। जो अब मौजूदा पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और पंजाब (पाकिस्तान) है। श्रेणी:भारत में ब्रिटिश शासन श्रेणी:पंजाब का इतिहास.

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पंजाब का इतिहास

पंजाब शब्द का सबसे पहला उल्लेख इब्न-बतूता के लेखन में मिलता है, जिसनें 14वीं शताब्दी में इस क्षेत्र की यात्रा की थी। इस शब्द का 16वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में व्यापक उपयोग होने लगा, और इस शब्द का प्रयोग तारिख-ए-शेरशाही सूरी (1580) नामक किताब में किया गया था, जिसमें "पंजाब के शेरखान" द्वारा एक किले के निर्माण का उल्लेख किया गया था। 'पंजाब' के संस्कृत समकक्षों का पहला उल्लेख, ऋग्वेद में "सप्त सिंधु" के रूप में होता है। यह नाम फिर से आईन-ए-अकबरी (भाग 1) में लिखा गया है, जिसे अबुल फजल ने लिखा था, उन्होंने यह भी उल्लेख किया है कि पंजाब का क्षेत्र दो प्रांतों में विभाजित है, लाहौर और मुल्तान। इसी तरह आईन-ए-अकबरी के दूसरे खंड में, एक अध्याय का शीर्षक इसमें 'पंजाद' शब्द भी शामिल है। मुगल राजा जहांगीर ने तुज-ए-जान्हगेरी में भी पंजाब शब्द का उल्लेख किया है। पंजाब, जो फारसी भाषा की उत्पत्ति है और भारत में तुर्की आक्रमणकारियों द्वारा प्रयोग किया जाता था। पंजाब का शाब्दिक अर्थ है "पांच" (पंज) "पानी" (अब), अर्थात पांच नदियों की भूमि, जो इस क्षेत्र में बहने वाली पाँच नदियां का संदर्भ देते हैं। अपनी उपज भूमि के कारण इसे ब्रिटिश भारत का भंडारगृह बनाया गया था। वर्तमान में, तीन नदियाँ पंजाब (पाकिस्तान) में बहती हैं, जबकि शेष दो नदियाँ हिमाचल प्रदेश और पंजाब (भारत) से निकलती है, और अंततः पाकिस्तान में चली जाता है। .

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पंजाब के राज्यपाल (पाकिस्तान)

पंजाब के राज्यपाल पंजाब, पाकिस्तान की प्रांतीय सरकार के आधिकारिक प्रमुख एवं सूबे के सर्वोच्च पदाधिकारी हैं। राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति पाकिस्तान, प्रधानमंत्री पाकिस्तान की परामर्श पर करते हैं और सामान्यतः यह एक औपचारिक पद होता है अर्थात् उसके पास अधिक संवैधानिक अधिकार नहीं होते हैं। हालांकि इतिहास में कई बार ऐसे अवसर आए हैं जब प्रांतीय गवर्नरों को अतिरिक्त व पूर्ण अधिकार मिलता रहा है, विशेषकर उन मामलों में जब प्रांतीय विधायिका भंग कर दी गई हो, तब प्रशासनिक अधिकार सीधे राज्यपाल के अधिकारक्षेत्र के अंतर्गत आ जाते हैं; जैसा कि 1958 के बाद से 1972 और 1977 से 1985 तक, सैन्य शासन और 1999 से 2002 तक के राज्यपाल शासन में हुआ था। पंजाब में 1949 से 1951 तक राज्यपाल शासन लागू रहा था। इसके अलावा, एक इकाई व्यवस्था के अंतर्गत 1955 से 1970 तक पंजाब प्रांत को स्थगित कर उस समय के पाकिस्तान के पश्चिमी भाग के सारे प्रांतों के संयोजन से, एक प्रांत, पश्चिमी पाकिस्तान बनाया गया था, इस बीच यह पद निलंबित रहा था। .

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पंकज मलिक

पंकज मलिक (পঙ্কজ কুমার মল্লিক) बंगाली संगीत निर्देशक थे जिन्होंने बंगाली तथा हिन्दी फ़िल्म संगीत में अपना अद्वितीय योगदान दिया। भारतीय सिनेमा में पार्श्व गायन लाने वालों में वे अग्रणी थे। .

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पुष्पलता दास

पुष्पलता दास (1915-2003) उत्तर-पूर्वी भारतीय राज्य असम एक भारतीय स्वतंत्रता कार्यकर्ता, सामाजिक कार्यकर्ता, गांधीवादी और विधायक थी। वह 1951 से 1961 तक एक राज्य सभा सदस्य, असम विधान सभा की सदस्य और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की कार्य समिति की सदस्य थी। उसने कस्तूरबा गांधी राष्ट्रीय स्मारक ट्रस्ट और खादी और ग्रामोद्योग आयोग के असम के अध्यायों के अध्यक्ष के रूप में सेवा की।  समाज के लिए उसके योगदान के लिए भारत सरकार ने 1999 में उसे तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया। .

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प्रणब मुखर्जी

प्रणव कुमार मुखर्जी (প্রণবকুমার মুখোপাধ্যায়, जन्म: 11 दिसम्बर 1935, पश्चिम बंगाल) भारत के तेरहवें वें व पूर्व राष्ट्रपति रह चुके हैं। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे हैं। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन ने उन्हें अपना उम्मीदवार घोषित किया। सीधे मुकाबले में उन्होंने अपने प्रतिपक्षी प्रत्याशी पी.ए. संगमा को हराया। उन्होंने 25 जुलाई 2012 को भारत के तेरहवें राष्ट्रपति के रूप में पद और गोपनीयता की शपथ ली। प्रणब मुखर्जी ने किताब 'द कोलिएशन ईयर्स: 1996-2012' लिखा है। .

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प्रतिभा देवीसिंह पाटिल

प्रतिभा देवीसिंह पाटिल (जन्म १९ दिसंबर १९३४) स्वतन्त्र भारत के ६० साल के इतिहास में पहली महिला राष्ट्रपति तथा क्रमानुसार १२वीं राष्ट्रपति रही हैं। राष्ट्रपति चुनाव में प्रतिभा पाटिल ने अपने प्रतिद्वंदी भैरोंसिंह शेखावत को तीन लाख से ज़्यादा मतों से हराया था। प्रतिभा पाटिल को ६,३८,११६ मूल्य के मत मिले, जबकि भैरोंसिंह शेखावत को ३,३१,३०६ मत मिले। उन्होंने २५ जुलाई २०१२ को संसद के सेण्ट्रल हॉल में आयोजित समारोह में नव निर्वाचित राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को अपना कार्यभार सौंपते हुए राष्ट्रपति भवन से विदा ली। .

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प्रद्युम्न रंधावा

प्रद्युम्न रंधावा (अंग्रेजी: Parduman Randhawa) एक भारतीय अभिनेता है, वे प्रसिध्द पहलवान व अभिनेता दारा सिंह के ज्येष्ठ पुत्र हैं। .

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प्रफुल्ल चन्द्र राय

डाक्टर प्रफुल्लचंद्र राय (2 अगस्त 1861 -- 16 जून 1944) भारत के महान रसायनज्ञ, उद्यमी तथा महान शिक्षक थे। आचार्य राय केवल आधुनिक रसायन शास्त्र के प्रथम भारतीय प्रवक्ता (प्रोफेसर) ही नहीं थे बल्कि उन्होंने ही इस देश में रसायन उद्योग की नींव भी डाली थी। 'सादा जीवन उच्च विचार' वाले उनके बहुआयामी व्यक्तित्व से प्रभावित होकर महात्मा गांधी ने कहा था, "शुद्ध भारतीय परिधान में आवेष्टित इस सरल व्यक्ति को देखकर विश्वास ही नहीं होता कि वह एक महान वैज्ञानिक हो सकता है।" आचार्य राय की प्रतिभा इतनी विलक्षण थी कि उनकी आत्मकथा "लाइफ एण्ड एक्सपीरियेंसेस ऑफ बंगाली केमिस्ट" (एक बंगाली रसायनज्ञ का जीवन एवं अनुभव) के प्रकाशित होने पर अतिप्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय विज्ञान पत्रिका "नेचर" ने उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए लिखा था कि "लिपिबद्ध करने के लिए संभवत: प्रफुल्ल चंद्र राय से अधिक विशिष्ट जीवन चरित्र किसी और का हो ही नहीं सकता।" आचार्य प्रफुल्ल चंद्र राय भारत में केवल रसायन शास्त्र ही नहीं, आधुनिक विज्ञान के भी प्रस्तोता थे। वे भारतवासियों के लिए सदैव वंदनीय रहेंगे। .

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प्राण (अभिनेता)

प्राण (जन्म: 12 फ़रवरी 1920; मृत्यु: 12 जुलाई 2013) हिन्दी फ़िल्मों के एक प्रमुख चरित्र अभिनेता थे जो मुख्यतः अपनी खलनायक की भूमिका के लिये जाने जाते हैं। कई बार फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार तथा बंगाली फ़िल्म जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन अवार्ड्स जीतने वाले इस भारतीय अभिनेता ने हिन्दी सिनेमा में 1940 से 1990 के दशक तक दमदार खलनायक और नायक का अभिनय किया। उन्होंने प्रारम्भ में 1940 से 1947 तक नायक के रूप में फ़िल्मों में अभिनय किया। इसके अलावा खलनायक की भूमिका में अभिनय 1942 से 1991 तक जारी रखा। उन्होंने 1948 से 2007 तक सहायक अभिनेता की तर्ज पर भी काम किया। अपने उर्वर अभिनय काल के दौरान उन्होंने 350 से अधिक फ़िल्मों में काम किया। उन्होंने खानदान (1942), पिलपिली साहेब (1954) और हलाकू (1956) जैसी फ़िल्मों में मुख्य अभिनेता की भूमिका निभायी। उनका सर्वश्रेष्ठ अभिनय मधुमती (1958), जिस देश में गंगा बहती है (1960), उपकार (1967), शहीद (1965), आँसू बन गये फूल (1969), जॉनी मेरा नाम (1970), विक्टोरिया नम्बर २०३ (1972), बे-ईमान (1972), ज़ंजीर (1973), डॉन (1978) और दुनिया (1984) फ़िल्मों में माना जाता है। प्राण ने अपने कैरियर के दौरान विभिन्न पुरस्कार और सम्मान अपने नाम किये। उन्होंने 1967, 1969 और 1972 में फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता पुरस्कार और 1997 में फ़िल्मफेयर लाइफटाइम एचीवमेंट अवार्ड जीता। उन्हें सन् 2000 में स्टारडस्ट द्वारा 'मिलेनियम के खलनायक' द्वारा पुरस्कृत किया गया। 2001 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया और भारतीय सिनेमा में योगदान के लिये 2013 में दादा साहब फाल्के सम्मान से नवाजा गया। 2010 में सीएनएन की सर्वश्रेष्ठ 25 सर्वकालिक एशियाई अभिनेताओं में चुना गया। .

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प्राण कुमार शर्मा

प्राण द्वारा रचित कॉमिक पात्र चाचा चौधरी कार्टूनिस्ट प्राण कुमार शर्मा (१५ अगस्त १९३८ – ६ अगस्त २०१४) जिन्हें प्राण के नाम से भी जाना जाता है। भारतीय कॉमिक जगत के सबसे सफल और लोकप्रिय कार्टूनिस्ट प्राण ने १९६० से कार्टून बनाने की शुरुआत की। प्राण को सबसे ज्यादा लोकप्रिय उनके पात्र चाचा चौधरी और साबू ने बनाया। सर्वप्रथम लोटपोट के लिए बनाये उनके ये कार्टून पात्र बेहद लोकप्रिय हुए और आगे चलकर प्राण ने चाचा चौधरी और साबू को केन्द्र में रखकर स्वतंत्र कॉमिक पत्रिकाएं प्रकाशित की। उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्र मिलाप से कार्टून बनाने की शुरुआत की थी। ६ अगस्त २०१४ को उनका कैंसर से निधन हो गया। .

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प्रिनीत कौर

प्रिनीत कौर भारत के पंजाब की एक राजनेत्री हैं। उनको भारत सरकार की पंद्रहवीं लोकसभा के मंत्रीमंडल में विदेश राज्यमंत्री में मंत्री बनाया गया था। वह पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की धर्मपत्नी हैं। .

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प्रेम चंद पाण्डेय

डॉ॰ प्रेम चंद पाण्डेय भारतीय वैज्ञानिक और शिक्षाविद हैं। वे राष्ट्रीय अंटार्कटिक एवं समुद्री अनुसंधान केंद्र के संस्थापक निदेशक है और वर्तमान में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर में आचार्य के पद पर कार्यरत हैं। पाण्डेय भारतीय विज्ञान के सर्वोच्च पुरस्कार, शांतिस्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित हैं। उन्होने सुदूर संवेदन, उपग्रह महासागरीय विज्ञान, वायुमण्डलीय विज्ञान, अंटार्कटिक और जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में कार्य किया है। .

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प्रेम चोपड़ा

प्रेम चोपड़ा हिन्दी फ़िल्मों के एक अभिनेता हैं। .

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प्रेम नज़ीर

अब्दुल खादिर (7 अप्रैल 1926 - 16 जनवरी 1989), जिन्हें उनके सिनेमाई नाम प्रेम नज़ीर (मलयालम: നസീര് പ്രേം) से बेहतर जाना जाता है, एक भारतीय फिल्म अभिनेता थे। इन्हें मलयालम सिनेमा के सबसे बड़े सितारों में से एक माना जाता है, साथ ही इन्हें नित्य हरित नायकन यानि सदाबहार नायक कह कर भी पुकारा जाता है। नज़ीर के नाम चार गिनीज रिकॉर्ड दर्ज है; पहला: 610 फिल्मों में नायक की भूमिका निभाने का कीर्तिमान, दूसरा: 107 फिल्मों में एक ही नायिका (शीला के साथ) नायक की भूमिका निभाने का कीर्तिमान, तीसरा: एक साल में प्रदर्शित अधिकतम फिल्मों का कीर्तिमान (1979 में उनतालीस फिल्में) और चौथा: 80 नायिकाओं के साथ नायक की भूमिका निभाने का कीर्तिमान। इन्हें भारतीय सिनेमा के सबसे सफल अभिनेताओं में से एक माना जाता है। भारत सरकार द्वारा नज़ीर को उनके भारतीय सिनेमा में योगदान को देखते हुए तीसरे और चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान क्रमशः पद्म भूषण और पद्म श्री से सम्मानित किया गया है। .

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प्रेमनाथ

प्रेमनाथ (जन्म: 21 नवंबर, 1926 निधन: 3 नवंबर, 1992) हिन्दी फ़िल्मों के एक अभिनेता थे। .

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प्रेमकृष्ण खन्ना

प्रेमकृष्ण खन्ना (अंग्रेजी: Prem Krishna Khanna, जन्म: २ फ़रवरी १८९४ मृत्यु:३ अगस्त १९९३) हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के एक प्रमुख सदस्य थे। शाहजहाँपुर के रेल विभाग में ठेकेदार (काण्ट्रेक्टर) थे। इन्हें ब्रिटिश सरकार ने माउजर पिस्तौल का लाइसेन्स दे रखा था। सुप्रसिद्ध क्रान्तिकारी राम प्रसाद 'बिस्मिल' से इनकी घनिष्ठ मित्रता थी। क्रान्तिकारी कार्यों के लिये वे इनका माउजर प्राय: माँग कर ले जाया करते थे। यही नहीं, आवश्यकता पडने पर कभी कभी इनके लाइसेन्स पर कारतूस भी खरीद लिया करते थे। काकोरी काण्ड में प्रयुक्त माउजर पिस्तौल के कारतूस इन्हीं के शस्त्र-लाइसेन्स पर खरीदे गये थे जिसके पर्याप्त साक्ष्य मिल जाने के कारण इन्हें ५ वर्ष की कठोर कैद की सजाभुगतनी पडी थी। २ वर्ष तक काकोरी-काण्ड का मुकदमा चला अत: कुल मिलाकर सन १९२५ से १९३२ तक ७ वर्ष कारागार में बिताये। छूटकर आये तो आजीवन अविवाहित रहकर देश-सेवा का व्रत ले लिया। ४० वर्षाँ तक कांग्रेस की कार्यकारिणी के सदस्य रहे। कांग्रेस के टिकट पर कई वर्ष (१९६२ से १९७१ तक) लोकसभा के सांसद भी रहे। ३ अगस्त १९९३ को शाहजहाँपुर के जिला अस्पताल में उस समय प्राणान्त हुआ जब जीवन का शतक पूर्ण करने में मात्र ६ महीने शेष रह गये थे। बडे ही जीवट के व्यक्ति थे। .

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पूर्वोत्तर भारत

पूर्वोत्तर भारत से आशय भारत के सर्वाधिक पूर्वी क्षेत्रों से है जिसमें एक साथ जुड़े 'सात बहनों' के नाम से प्रसिद्ध राज्य, सिक्किम तथा उत्तरी बंगाल के कुछ भाग (दार्जीलिंग, जलपाईगुड़ी और कूच बिहार के जिले) शामिल हैं। पूर्वोत्तर भारत सांस्कृतिक दृष्टि से भारत के अन्य राज्यों से कुछ भिन्न है। भाषा की दृष्टि से यह क्षेत्र तिब्बती-बर्मी भाषाओँ के अधिक प्रचलन के कारण अलग से पहचाना जाता है। इस क्षेत्र में वह दृढ़ जातीय संस्कृति व्याप्त है जो संस्कृतीकरण के प्रभाव से बची रह गई थी। इसमें विशिष्ट श्रेणी के मान्यता प्राप्त आठ राज्य भी हैं। इन आठ राज्यों के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए 1971 में पूर्वोतर परिषद (नॉर्थ ईस्टर्न काउंसिल / NEC) का गठन एक केन्द्रीय संस्था के रूप में किया गया था। नॉर्थ ईस्टर्न डेवेलपमेंट फाइनेंस कारपोरेशन लिमिटेड (NEDFi) का गठन 9 अगस्त 1995 को किया गया था और उत्तरपूर्वीय क्षेत्र विकास मंत्रालय (DoNER) का गठन सितम्बर 2001 में किया गया था। उत्तरपूर्वीय राज्यों में सिक्किम 1947 में एक भारतीय संरक्षित राज्य और उसके बाद 1975 में एक पूर्ण राज्य बन गया। पश्चिम बंगाल में स्थित सिलीगुड़ी कॉरिडोर जिसकी औसत चौड़ाई 21 किलोमीटर से 40 किलोमीटर के बीच है, उत्तरपूर्वीय क्षेत्र को मुख्य भारतीय भू-भाग से जोड़ता है। इसकी सीमा का 2000 किलोमीटर से भी अधिक क्षेत्र अन्य देशों: नेपाल, चाइना, भूटान, बर्मा और बांग्लादेश के साथ लगती है। .

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पूर्वी पाकिस्तान

पूर्वी पाकिस्तान(পূর্ব পাকিস্তান,; مشرقی پاکستان,; East Pakistan, ईस्ट पाकिस्तान), एक इकाई व्यवस्था के तहत, तत्कालीन पाकिस्तान की पूर्वी इकाई थी। यह वर्तमान बांग्लादेश के स्थान पर, १९५५ से १९७१ तक विद्यमान था। इसकी राजधनी ढाका थी, एवं राजभाषा बांग्ला थी। पूर्वी पाकिस्तान का कुल भूक्षेत्र, १,४७,५७० वर्ग की•मी• था। यह पूर्व, उत्तर व पश्चिम दिशाओं में भारत से घिरा हुआ था, और दक्षिण की ओर, बंगाल की खाड़ी के तट पर था। साथ ही पूर्व में यह एक छोटी सी सीमा रेखा, बर्मा के साथ साझा करता था। यह पाकिस्तान के सबसे बड़े प्रंशन में से एक रहा है, और अर्थव्यवस्था, राजनैतिक प्रतिनिधितिव व जनसंख्या के आधार पर, तत्कालीन पाकिस्तान का सबसे बड़ा राज्य था। अंत्यतः, १६ दिसंबर १९७१ को, नौ महीनों तक चले युद्ध के पश्चात्, पूर्वी पाकिस्तान ने बांग्लादेश के रूप में स्वतंत्रता घोषित कर दी। .

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पी जयराज

पैदी जयराज, पी जयराज या जयराज (तेलुगू: పైడి జైరాజ్) विख्यात अभिनेता, निर्देशक व निर्माता थे। सन् 1980 में उन्हे उनकी जीवनकाल उपलब्धियों के लिए दादासाहेब फाल्के पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया था। .

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पीरू सिंह

कंपनी हवलदार मेजर पीरू सिंह (पीरू सिंह शेखावत भी) (२० मई १९१८ – १८ जुलाई १९४८) भारतीय सैनिक थे। उनका १९४७ के भारत-पाक युद्ध में निधन हुआ। उन्हें 1952 में मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया जो शत्रु के सामने वीरता प्राप्त करने के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च भारतीय सम्मान है। .

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फ़ातिमा जिन्नाह

फ़ातिमा जिन्नाह पार्क, इस्लामाबाद, पाकिस्तान फ़ातिमा जिन्नाह (उर्दू) मादर-ए मिल्लत यानी जनता की माँ, क़ायदे आज़म के जीवन में मादर-ए मिल्लत उनके हमर उह प्रभावी रूप से १९ साल रहें यानी १९२९ से १९४८ तक और मृत्यु शुक्रवार के बाद भी इतना ही समय जीवित रहीं। हमारे विशेषज्ञ इतिहास ऑसाज्य ने मादर मिल्लत को कायदे आजम के घर की देखभाल करने वाली बहन को लेकर बहुत बुलंद स्थान दिया है लेकिन उन्होंने स्थापना पाकिस्तान और खासकर १९६५ के बाद के राजनीतिक नक्शे पर जो आश्चर्यजनक प्रभाव छोड़े हैं उनकी तरफ अधिक ध्यान नहीं। यह एक सार्थक बात है कि कायदे आजम के जीवन में मादर मिल्लत उनके हमर उह प्रभावी रूप से १९ साल रहें यानी १९२९ से १९४८ तक और मृत्यु शुक्रवार के बाद भी इतना ही समय जीवित रहीं यानी १९४६ से १९६७ तक लेकिन इस दूसरे दौर में उनकी अपनी व्यक्ति कुछ इस तरह उभरी और उनके विचारों भूमिका कुछ इस तरह नखरे कर सामने आए कि उन्हें बजा लिए कायदे आजम की लोकतांत्रिक 'बे बाक और पारदर्शी राजनीतिक मूल्यों को आज़सर नौ जीवित करने का श्रेय दिया जा सकता है जिन्हें शासक भूल चुके थे। इस सिलसिले में मादर मिल्लत ने जिन आरा जताई उनसे समकालीन राजनीतिशास्त्र और मामलों पर उनकी ज़हनी पकड़ ना योग्य विश्वास हद तक और मजबूत नजर आती है। १९६५ के राष्ट्रपति चुनाव के मौके पर अय्यूब खान की आलोचना के जवाब में मादर मिल्लत ने ख़ुद कहा था कि अय्यूब सैन्य मामलों का विशेषज्ञ हो सकता है लेकिन राजनीतिक समझ और फ़्रासत मैंने कायदे आजम सीधे प्राप्त है और यह ऐसा क्षेत्र है जिसमें अमर बिल्कुल ना देशांतर है। १९६५ के बाद उत्पन्न होने वाली घटनाओं मादरमलत के इस बयान की पुष्टि करने के लिए काफी हैं। उदाहरण के मादर मिल्लत ने जिन खतरों की बार बार पहचान की उनमें से कुछ हैं.

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फ़ज़ल इल्लाही चौधरी

फ़ज़ल इल्लाही एक पाकिस्तानी राजनेता और पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति थे। वे 1973 के संविधान के परवर्तन के बाद, पूर्व राष्ट्रपति ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो के उत्तराधिकारी के रूप में बतौर राष्ट्रपति नियुक्त हुए थे, औए 1078 में, मुहम्मद ज़िया-उल-हक़ के सैन्य तख्तापलट तक, इस पद पर विराजमान रहे। इसके अलावा वे पाकिस्तान की क़ौमी असेम्बली के सदस्य थे। और उन्हें 15 अगस्त 1972 - 7 अगस्त 1973, के बीच पाकिस्तान की क़ौमी असेम्बली के अध्यक्ष के पद पर नियुक्त किया गया था। पाकिस्तान की क़ौमी असेंबली के अध्यक्ष का पद, पाकिस्तान की संविधान द्वारा स्थापित एक संवैधानिक पद है, जोकी पाकिस्तान की क़ौमी असेम्बली के सभापति एवं अधिष्ठाता होते हैं। .

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फ़ख़रुद्दीन अहमद

फकरुद्दीन अहमद, (बांग्ला:ফাকরুদ্দীন আহমেদ, जन्म 1 मई 1940) एक बांग्लादेशी अर्थशास्त्री, नौकरशाह और बांग्लादेश बैंक (बांग्लादेश का केंद्रीय बैंक) के गवर्नर थे। 12 जनवरी 2007 को उन्हें, राजनीतिक संकट के बीच, निष्पक्ष अंतरिम सरकार का मुख्य सलाहकार नियुक्त किया गया था। वे इस पद पर तकरीबन 2 वर्ष तक विराजमान रहे, जोकि साधारण कार्यकाल से कहीं अधिक है। तत्पश्चात 29 दिसंबर 2008 को साधारण चुनाव घोषित किए गए और अवामी लीग सत्ता पर काबिज हुई। .

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फिरोज़ गांधी

फिरोज और इन्दिरा का विवाह फिरोज गांधी फिरोज़ गांधी (12 अगस्त 1912 – 8 सितम्बर 1960) भारत के एक राजनेता तथा पत्रकार थे। वे लोकसभा के सदस्य भी रहे। सन् १९४२ में उनका इन्दिरा गांधी से विवाह हुआ जो बाद में भारत की प्रधानमंत्री बनीं। उनके दो पुत्र हुए - राजीव गांधी और संजय गांधी .

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फौजा सिंह

फ़ौजा सिंह (जन्म: १ अप्रैल, १९११) भारतीय मूल के वृद्ध सिख खिलाड़ी हैं। वे ब्रिटिश नागरिक हैं। २००३ में उन्होंने टोरंटो मैराथन में ९२ वर्ष की आयु में दौड़ कर एक विश्व रिकॉर्ड स्थापित किया। इतनी वृद्धावस्था में मैराथन में भाग लेने के कारण मीडिया ने इन्हें कई नाम भी दिये हैं। जिसमें पगड़ी वाला तूफ़ान, दौड़ने वाला बाबा, सुपर मैंन सिक्ख आदि नाम हैं। खेलों से संबंधित कई अंतर्राष्ट्रीय ब्रांड्स ने भी उन्हें प्रचार हेतु अनुबंधित किया है। २००४ में खेलविन्यास के निर्माता एडिडास के प्रचार में वे विश्व विख्यात खिलाड़ी डेविड बेखम व मुहम्मद अली के समकक्ष खड़े दिखाई दिए। फौजा सिंह के नाम अपने आयु वर्ग (९०+) में यूनाइटेड किंगडम के २०० मी०, ४०० मी०, ८०० मी०, मील तथा ३००० मी० के रिकॉर्ड दर्ज हैं। गौरतलब है कि ये तमाम रिकॉर्ड उन्होंने ९४ मिनट के अंतराल में एक साथ बनाए। .

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फोर्ट विलियम

फोर्ट विलियम कोलकाता में हुगली नदी के पूर्वी किनारे पर बना एक किला है, जिसे ब्रिटिश राज के दौरान बनवाया गया था। इसे इंग्लैंड के राजा विलियम तृतीय के नाम पर बनवाया गया था। इसके सामने ही मैदान है, जो कि किले का ही भाग है और कलकत्ता का सबसे बड़ा शहरी पार्क है। .

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बच्चन परिवार

बच्चन परिवार, भारत का सुप्रसिद्ध परिवार है जिसके मुखिया सम्प्रति अमिताभ बच्चन हैं। इस परिवार के लोग हिन्दी साहित्यकार तथा बम्बई फिल्म उद्योग से जुड़े रहे हैं। .

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बटाईदारी

अमेरिका में काम करता एक बटाईदार (शेयरक्रॉपर) किसान परिवार बटाईदारी कृषि की उस व्यवस्था को कहा जाता है जिसमें ज़मीन का मालिक उसपर काम करने वाले किसान को अपनी ज़मीन का प्रयोग करने का अधिकार इस शर्त पर देता है कि किसान अपनी फ़सल का कुछ हिस्सा उसके हवाले कर देगा। दुनिया भर में बटाईदारी की बहुत सी प्रणालियाँ रही हैं। उदाहरण के लिए भारतीय उपमहाद्वीप में मुग़ल और अंग्रेज़ी ज़माने की ज़मींदारी व्यवस्था में किसी गाँव की ज़मीन को उस गाँव के ज़मींदार की सम्पत्ति माना जाता था और वह गाँव के अन्य निवासियों को उसपर तभी काम करने देता था अगर वे उसे अपनी फ़सल का हिस्सा दें। अमेरिका में 'शेयरक्रॉपिन्ग' (sharecropping), इटली में 'मेत्ज़ाद्रिया' (mezzadria), फ़्रांस में 'मेतायाझ़' (métayage) और स्पेन में 'मेदियेरो' (mediero) इसके अन्य उदाहरण हैं। इस्लामी शरिया क़ानून में भी बाग़ों पर काम करने के लिए एक 'मुसाक़त' नाम की बटाईदारी व्यवथा का उल्लेख है।, Bijit Kumar Dutta, Mittal Publications, 2003, ISBN 978-81-7099-917-1,...

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बन्दूक

बन्दूक (अंग्रेजी: Coach gun) बीसवीं सदी तक सैनिकों द्वारा प्रयुक्त एक प्रमुख हथियार रहा है। यह आकार में बड़ा एवं वजनी होता है। साम्राज्यवाद के दौर में मुख्यतः इसी अस्त्र के कारण यूरोपीय सेनाओं ने एशियाई, अफ्रीकी एवं अमेरिकी भूभागों पर अपना प्रभुत्व स्थापित कर लिया था। इकनाली बन्दूक में एक बार मे केवल एक ही गोली भर कर दागी जाती है जबकि दुनाली बन्दूक में दो गोलियाँ भरकर क्रमश: दागी जा सकती हैं। आजकल भारत की आम जनता में जो लाइसेंसी बन्दूकें मिलती हैं उनमें प्राय: बारह बोर के ही कारतूस प्रयोग में लाये जाते हैँ। ब्रिटिश भारत में प्राय: विदेश में बनी बन्दूकें ही अमीर लोगों के पास होती थीं किन्तु अब भारतीय आयुध निर्माणी द्वारा बनायी गयीं इकनाली व दुनाली बन्दूकें यहाँ के शस्त्र विक्रेता अपने पास रखने लगे हैं। इन्हें कोई भी शस्त्र अनुज्ञप्ति धारक उनसे सीधे मूल्य देकर खरीद सकता है। .

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बन्नू ज़िला

ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रांत में बन्नू ज़िला (लाल रंग में) बन्नू शहर का एक दृश्य बन्नू शहर में बन्नू (उर्दू और पश्तो:, अंग्रेज़ी: Bannu) पाकिस्तान के ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रांत का एक ज़िला है। यह करक ज़िले के दक्षिण में, लक्की मरवत ज़िले के उत्तर में और उत्तर वज़ीरिस्तान नामक क़बाइली क्षेत्र के पूर्व में स्थित है। इस ज़िले के मुख्य शहर का नाम भी बन्नू है। यहाँ बहुत-सी शुष्क पहाड़ियाँ हैं हालांकि वैसे इस ज़िले में बहुत हरियाली दिखाई देती है और यहाँ की धरती बहुत उपजाऊ है। ब्रिटिश राज के ज़माने में यहाँ के क़ुदरती सौन्दर्य से प्रभावित होकर बन्नू की 'स्वर्ग' से तुलना भी की जाती थी। .

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बरकत अली खान

उस्ताद बरकत अली खान (जन्म: १९०५ मृत्यु: १९ जून १९६३) पंजाब से संबंध रखने वाले, पटियाला घराने के प्रख्यात शास्त्रीय संगीतकार और गायक थे। वे उस्ताद अली बक्श खान कसूरी के पुत्र और उस्ताद बड़े ग़ुलाम अली साहब के छोटे भाई और मुबारक अली के बड़े भाई थे। .

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बरेली कॉलेज

बरेली कालेज, बरेली (सन 1837 में स्थापित) बरेली कालेज, बरेली (अंग्रेजी: Bareilly College, Bareilly) रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय का एक प्राचीन एवं प्रमुख महाविद्यालय है। इसकी स्थापना ब्रिटिश काल में सन १८३७ में हुई थी। मात्र ५७ छात्रों से प्रारम्भ इस विद्यालय के पहले हेड मास्टर मि० रोजर्स थे। सन १८५० में इसे राजकीय विद्यालय का दर्जा दिया गया। .

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बरोग़िल दर्रा

बरोग़िल (Baroghil) या बोरोग़िल या ब्रोग़िल या ब्रोग़ोल (Broghol) हिन्दु कुश पर्वतमाला में स्थित एक पहाड़ी दर्रा है जो पाकिस्तान के ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रान्त के चित्राल क्षेत्र की मस्तुज वादी को अफ़ग़ानिस्तान के वाख़ान गलियारे से जोड़ता है। अन्य क्षेत्रीय दर्रों की तुलना में इसकी ऊँचाई कम है। साल में तीन महीने बर्फ़ग्रस्त होने से यह बन्द रहता है लेकिन बाक़ी के नौ महीने खुला होता है।, Royal Geographical Society (Great Britain), pp.

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बलदेव राज चोपड़ा

बी आर चोपड़ा (22 अप्रैल 1914 – 5 नवम्बर 2008) हिन्दी फ़िल्मों के एक निर्देशक थे। .

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बल्लभगढ़

बल्लभगढ़ हरियाणा राज्य के फ़रीदाबाद ज़िले (लाल रंग) में है बल्लभगढ़ (Ballabhgarh) भारत के हरियाणा राज्य के दक्षिण-पूर्वी भाग के फ़रीदाबाद ज़िले में एक शहर और तहसील का नाम है। दिल्ली से लगभग ३० किमी दूर स्थित यह शहर भारत के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (ऍन सी आर) का हिस्सा है। बल्लभगढ़ में एक जाट रियासत थी जिसकी स्थापना सन् १७३९ में बलराम सिंह ने की थी। यहाँ पर प्रसद्ध नाहर सिंह महल भी खड़ा है और इसका निर्माण भी बलराम सिंह ने ही करवाया था। बल्लभगढ़ का राष्ट्रीय संग्रामों में एक विशेष स्थान रहा है। बलराम सिंह मुग़ल साम्राज्य को अक्सर छेड़ते रहते थे जिस से १७५३ में मुग़लों ने उन्हें मरवा दिया। उनके मित्र सूरज मल (भरतपुर राज्य के नरेश) ने उनके पुत्रों को फिर बल्लभगढ़ की गद्दी दिलवाई। बाद में जब अफ़ग़ानिस्तान से अहमद शाह अब्दाली ने हमला किया तो बल्लभगढ़ ने उसका सख़्त विरोध किया, लेकिन ३ मार्च १७५७ को हराया गया। और भी आगे चलकर बल्लभगढ़ के राजा नाहर सिंह (१८२३-१८५८) ने १८५७ की आज़ादी की लड़ाई में हिस्सा लिया और उसके लिए ब्रिटिश सरकार ने उन्हें विद्रोह कुचलने के बाद सन् १८५८ में फांसी दी।, Oswald Wood and R. Maconachie, Settlement Officer, Delhi Division, Government of India, Victoria Press, 1882,...

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बानो कुदसिया

बानो कुदसिया (بانو قدسیه, 28 नवंबर 1928 – 4 फरवरी 2017), 'बानो आप्पा' नाम से विख्यात। पाकिस्तानी उर्दू उपन्यासकार और पटकथा लेखिका थी। ‘राजा गिद्ध’ उनका प्रसिद्ध उपन्यास है। उनकी अन्य प्रमुख रचनाओं में आतिश-ए-जोरि -पा, एक दिन, अमर बेल, चहर चमन, फुटपाथ की घास और हवा के नाम आदि शामिल हैं। उनका जन्म 28 नवंबर, 1928 को फिरोजपुर पंजाब (ब्रिटिश भारत) में हुआ था। उन्हें पाकिस्तान सरकार द्वारा वर्ष 1983 में सितारा-ए-इम्तियाज और वर्ष 2010 में हिलाल-ए-इम्तियाज पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 4 फरवरी, 2017 को लाहौर में उनका निधन हो गया। .

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बापू नाडकर्णी

रमेशचंद्र गंगाराम 'बापू' नाडकर्णी (जन्म ०४ अप्रैल १९३३) एक पूर्व भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी है। वह मुख्य रूप से एक इकोनॉमिकल गेंदबाज होने के लिए जाने जाते है। इन्होंने भारतीय क्रिकेट टीम के लिए १९५५ से १९६८ तक टेस्ट क्रिकेट खेला है, जिसमें इनकी इकोनॉमी रेट १.६७ रही है जो कि किसी भी गेंदबाज से सबसे कम है। .

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बाबा आमटे

डॉ॰ मुरलीधर देवीदास आमटे (26 दिसंबर, 1914 - 9 फरवरी, 2008), जो कि बाबा आमटे के नाम से ख्यात हैं, भारत के प्रमुख व सम्मानित समाजसेवी थे। समाज से परित्यक्त लोगों और कुष्ठ रोगियों के लिये उन्होंने अनेक आश्रमों और समुदायों की स्थापना की। इनमें चन्द्रपुर, महाराष्ट्र स्थित आनंदवन का नाम प्रसिद्ध है। इसके अतिरिक्त आमटे ने अनेक अन्य सामाजिक कार्यों, जिनमें वन्य जीवन संरक्षण तथा नर्मदा बचाओ आंदोलन प्रमुख हैं, के लिये अपना जीवन समर्पित कर दिया। 9 फ़रवरी 2008 को बाबा का 94 साल की आयु में चन्द्रपुर जिले के वड़ोरा स्थित अपने निवास में निधन हो गया। .

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बाल गंगाधर तिलक

बाल गंगाधर तिलक (अथवा लोकमान्य तिलक,; २३ जुलाई १८५६ - १ अगस्त १९२०), जन्म से केशव गंगाधर तिलक, एक भारतीय राष्ट्रवादी, शिक्षक, समाज सुधारक, वकील और एक स्वतन्त्रता सेनानी थे। ये भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के पहले लोकप्रिय नेता हुएँ; ब्रिटिश औपनिवेशिक प्राधिकारी उन्हें "भारतीय अशान्ति के पिता" कहते थे। उन्हें, "लोकमान्य" का आदरणीय शीर्षक भी प्राप्त हुआ, जिसका अर्थ हैं लोगों द्वारा स्वीकृत (उनके नायक के रूप में)। इन्हें हिन्दू राष्ट्रवाद का पिता भी कहा जाता है। तिलक ब्रिटिश राज के दौरान स्वराज के सबसे पहले और मजबूत अधिवक्ताओं में से एक थे, तथा भारतीय अन्तःकरण में एक प्रबल आमूल परिवर्तनवादी थे। उनका मराठी भाषा में दिया गया नारा "स्वराज्य हा माझा जन्मसिद्ध हक्क आहे आणि तो मी मिळवणारच" (स्वराज यह मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर ही रहूँगा) बहुत प्रसिद्ध हुआ। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कई नेताओं से एक क़रीबी सन्धि बनाई, जिनमें बिपिन चन्द्र पाल, लाला लाजपत राय, अरविन्द घोष, वी० ओ० चिदम्बरम पिल्लै और मुहम्मद अली जिन्नाह शामिल थे। .

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बालमणि अम्मा का रचनात्मक योगदान

बालमणि अम्मा की पेंटिंग बालमणि अम्मा का रचनात्मक योगदान अत्यंत व्यापक है। जिसमें गद्य, पद्य, अनुवाद और बाल साहित्य सभी समाए हुए हैं। उनका रचनाकाल भी 50 से अधिक वर्षों तक फैला हुआ है और वे अपने अंतिम समय तक कुछ न कुछ रचती ही रहीं। इस लेख में उनकी लगभग समस्त रचनाओं को सम्मिलित करने का प्रयास किया गया है। .

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बालमणि अम्मा का जीवन परिचय

बालमणि अम्मा की पेंटिंग बालमणि अम्मा बीसवीं शताब्दी की चर्चित व प्रतिष्ठित मलयालम कवयित्रियों में से एक हैं। उनका जन्म 19 जुलाई 1909 को केरल के मालाबार जिला के पुन्नायुर्कुलम (तत्कालीन मद्रास प्रैज़िडन्सी, ब्रिटिश राज) में पिता चित्तंजूर कुंज्जण्णि राजा और माँ नालापत कूचुकुट्टीअम्मा के यहाँ "नालापत" में हुआ था। यद्यपि उनका जन्म 'नालापत' के नाम से पहचाने-जाने वाले एक रूढ़िवादी परिवार में हुआ, जहां लड़कियों को विद्यालय भेजना अनुचित माना जाता था। इसलिए उनके लिए घर में शिक्षक की व्यवस्था कर दी गयी थी, जिनसे उन्होने संस्कृत और मलयालम भाषा सीखी। नालापत हाउस की अलमारियाँ पुस्तकों से भरी-पड़ी थीं। इन पुस्तकों में कागज पर छपी पुस्तकों के साथ हीं ताड़पत्रों पर उकेरी गई हस्तलिपि वाली पुस्तकें भी थीं। इन पुस्तकों में बाराह संहिता से लेकर टैगोर तक का रचना संसार सम्मिलित था। उनके मामा एन॰ नारायण मेनन कवि और दार्शनिक थे, जिन्होने उन्हें साहित्य सृजन के लिए प्रोत्साहित किया। कवि और विद्वान घर पर अतिथि के रूप में आते और हफ्तों रहते थे। इस दौरान घर में साहित्यिक चर्चाओं का घटाटोप छाया रहता था। इस वातावरण ने उनके चिंतन को प्रभावित किया। उनका विवाह 19 वर्ष की आयु में वर्ष 1928 में वी॰एम॰ नायर से हुआ, जो आगे चलकर मलयालम भाषा के दैनिक समाचार पत्र 'मातृभूमि'के प्रबंध संपादक और प्रबंध निदेशक बनें। विवाह के तुरंत बाद अम्मा ने अपने पति के साथ कोलकाता छोड़ दिया। उस समय उनके पति "वेलफोर्ट ट्रांसपोर्ट कम्पनी" में वरिष्ठ अधिकारी थे। यह कंपनी ऑटोमोबाइल कंपनी "रोल्स रॉयस मोटर कार्स" और "बेंटले" के उपकरणों को बेचती थी। 1977 में उनके पति की मृत्यु हुई। वे अँग्रेजी व मलयालम भाषा की प्रसिद्ध भारतीय लेखिका कमला दास की माँ थीं, जिन्हें उनकी आत्मकथा ‘माई स्टोरी’से अत्यधिक प्रसिद्धि मिली थी और उन्हें साहित्य में नोबेल पुरस्कार हेतु नामित किया गया था। कमला के लेखन पर अम्मा का अत्यंत प्रभाव पड़ा था।इसके अलावा वे क्रमश: सुलोचना, मोहनदास और श्याम सुंदर की भी माँ थीं। लगभग पाँच वर्षों तक अलजाइमर रोग से जूझने के बाद 95 वर्ष की अवस्था में 29 सितंबर 2004 को शाम 4 बजे कोच्चि में उनकी मृत्यु हो गई। अपने पति की मृत्यु के बाद से वे यहाँ अपने बच्चों क्रमश: श्याम सुंदर (पुत्र) और सुलोचना (पुत्री) के साथ रह रहीं थीं। उनका अंतिम संस्कार कोच्चि के रविपुरम शव दाह गृह में हुई। .

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बालमणि अम्मा की काव्यगत विशेषताएँ

बालमणि अम्मा की पेंटिंग बालमणि अम्मा केरल की राष्ट्रवादी कवयित्री थीं। उन्होंने राष्ट्रीय उद्बोधन वाली कविताओं की रचना की। वे मुख्यतः वात्सल्य, ममता, मानवता के कोमल भाव की कवयित्री के रूप में विख्यात हैं। फिर भी स्वतंत्रतारूपी दीपक की उष्ण लौ से भी वे अछूती नहीं रहीं। सन् 1929-39 के बीच लिखी उनकी कविताओं में देशभक्ति, गाँधी का प्रभाव, स्वतंत्रता की चाह स्पष्ट परिलक्षित होती है। इसके बाद भी उनकी रचनाएँ प्रकाशित होती रहीं। अपने सृजन से वे भारतीय आजादी में अनोखा कार्य किया। वर्ष 1928 में अम्मा का विवाह वी॰ एम॰ नायर के साथ हुआ और वे उनके साथ कलकत्ता में रहने लगीं। कलकत्ता- वास के अनुभवों ने उनकी काव्य चेतना को प्रभावित किया। अपनी प्रथम प्रकाशित और चर्चित कविता 'कलकत्ते का काला कुटिया'उन्होने अपने पतिदेव के अनुरोध पर लिखी थी, जबकि अंतररतमा की प्रेरणा से लिखी गई उनकी पहली कविता 'मातृचुंबन' है। उनकी प्रारंभिक कविताओं में से एक 'गौरैया' शीर्षक कविता उस दौर में अत्यंत लोकप्रिय हुई। इसे केरल राज्य की पाठ्य-पुस्तकों में सम्मिलित किया गया। बाद में उन्होने गर्भधारण, प्रसव और शिशु पोषण के स्त्रीजनित अनुभवों को अपनी कविताओं में पिरोया। उनकी प्रारंभिक कविताओं में से एक 'गौरैया' शीर्षक कविता उस दौर में अत्यंत लोकप्रिय हुई। इसे केरल राज्य की पाठ्य-पुस्तकों में सम्मिलित किया गया। बाद में उन्होने गर्भधारण, प्रसव और शिशु पोषण के स्त्रीजनित अनुभवों को अपनी कविताओं में पिरोया। इसके एक दशक बाद उन्होने घर और परिवार की सीमाओं से निकलकर अध्यात्मिकता के क्षेत्र में दस्तक दी। तब तक यह क्षेत्र उनके लिए अपरिचित जैसा था। थियोसाफ़ी का प्रारंभिक ज्ञान उनके मामा से उन्हें मिला। हिन्दू शास्त्रों का सहज ज्ञान उन्हें पहले से ही था। इसलिए थियोसाफ़ी और हिन्दू मनीषा का संयोजित स्वरूप ही उनके विचारों के रूप में लेखन में उतरा। अम्मा के दो दर्जन से अधिक काव्य-संकलन, कई गद्य-संकलन और अनुवाद प्रकाशित हुए हैं। उन्होंने छोटी अवस्था से ही कविताएँ लिखना शुरू कर दिया था। उनकी पहला कविता संग्रह "कूप्पुकई" 1930 में प्रकाशित हुआ था। उन्हें सर्वप्रथम कोचीन ब्रिटिश राज के पूर्व शासक राम वर्मा परीक्षित थंपूरन के द्वारा "साहित्य निपुण पुरस्कारम" प्रदान किया गया। 1987 में प्रकाशित "निवेद्यम" उनकी कविताओं का चर्चित संग्रह है। कवि एन॰ एन॰ मेनन की मौत पर शोकगीत के रूप में उनका एक संग्रह "लोकांठरांगलील" नाम से आया था। उनकी कविताएँ दार्शनिक विचारों एवं मानवता के प्रति अगाध प्रेम की अभिव्यक्ति होती हैं। बच्चों के प्रति प्रेम-पगी कविताओं के कारण मलयालम-कविता में वे "अम्मा" और "दादी" के नाम से समादृत हैं। केरल साहित्य अकादमी, अखितम अच्युतन नंबूथरी में एक यादगार वक्तव्य के दौरान उन्हें "मानव महिमा के नबी" के रूप में वर्णित किया गया था और कविताओं की प्रेरणास्त्रोत कहा गया था।उन्हें 1987 में भारत सरकार ने साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया था। .

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बालासरस्वती

तंजौर बालासरस्वती एक भारतीय नर्तक है जो भरतनाट्यम, शास्त्रीय नृत्य के लिए जानी जाती है। १९५७ में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया और १९७७ में पद्म विभूषण, भारत सरकार द्वारा दिए गए तीसरे और दूसरे उच्चतम नागरिक सम्मान से सम्मानीत किया। १९८१ में उन्हें भारतीय फाइन आर्ट्स सोसाइटी, चेन्नई के संगीता कलासिखमनी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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बासमाची विद्रोह

ऍनवर पाशा एक तुर्की सिपहसालार थे जिन्होंने बासमाची विद्रोहियों को अपने नेतृत्व में संगठित करने का असफल प्रयास किया बासमाची विद्रोह (रूसी: Басмачество, बासमाचेस्त्वो, Basmachi) सोवियत संघ और, सोवियत संघ के बनने से पहले, रूस की शाही सरकार के विरुद्ध मध्य एशिया में बसने वाले तुर्की भाषाएँ बोलने वाले मुस्लिम समुदायों के विद्रोहों के एक सिलसिले को कहते हैं जो सन् १९१६ से १९३१ तक चले। 'बासमाची' शब्द उज़बेक भाषा से लिया गया है, जिसमें इसका अर्थ 'डाकू' होता है और यह हिन्दी भाषा में पाए जाने वाले 'बदमाश' शब्द का एक रूप है।, Dilip Hiro, Penguin, 2009, ISBN 978-1-59020-221-0,...

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बांटवा माणावदर

बांटवा माणावदर (गुजराती: બાંટવામાણાવદર, अंग्रेज़ी: Bantva Manavadar) भारत में ब्रिटिश राज के काल में एक रियासत थी। यह गुजरात के काठियावाड़ प्रायद्वीप पर स्थित थी। इस रियासत का क्षेत्रफल लगभग ५७४ वर्ग किमी था और इसके २६ गाँवों में सन् १९४१ में लगभग २६,२०९ लोगों की आबादी थी, जो मुख्य रूप से हिन्दू थी। .

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बांग्लादेश की सर्वोच्च न्यायालय

बांग्लादेश की सर्वोच्च न्यायालय(बंगला: বাংলাদেশ সুপ্রীম কোর্ট, बांलादेश सूप्रीम कोर्ट), गणप्रजातंत्री बांग्लादेश की सर्वोच्च अदालत है और बांग्लादेश की न्यायिक व्यवस्था का शीर्षतम् निकाय है और देश की न्यायिक क्रम का शिखर बिंदू है। यह कानूनी और संवैधानिक मामलों में फैसला करने वाली अंतिम मध्यस्थ भी है। संविधान की धारा १०० के अनुसार, सर्वोच्च न्यायालय का आसन, राजधानी ढाका में अवस्थित है। इसे बांग्लादेश के संविधान की षष्ठम् भाग के चतुर्थ पाठ के द्वारा स्थापित किया गया था। सर्वोच्च न्यायालय, पाकिस्तान को कई संवैधानिक व न्यायिक विकल्प प्राप्त होते हैं, जिनकी व्याख्या बांग्लादेश के संविधान में की गई है। इस संसथान के दो "विभाग" है: अपीलीय विभाग और उच्च न्यायलय विभाग, तथा यह बांग्लादेश के मुख्य न्यायाधीश व अपीलीय विभाग व उच्च न्यायालय विभाग के न्यायाधीशों का भी स्थायी कार्यालय की भी मेज़बानी भी करता है। अप्रैल 2018 की स्थिति अनुसार, अपीलीय विभाग में 4 और उच्च न्यायालय विभाग में 80 न्यायाधीश हैं, जिनमें 80 स्थायी हैं। इस न्यायालय को सामान्य बोलचाल में अक्सर हाई कोर्ट भी कहा जाता है, क्योंकि स्वतंत्रता पूर्व, अर्थात् १९७१ से पहले तक, इस भवन में पूर्वी पाकिस्तान की उच्च न्यायालय वास करती थी। .

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बिभूतिभूषण बंधोपाध्याय

बिभूतिभूषण बंद्योपाध्याय (बांग्ला: বিভুতিভূষণ বন্দ্যোপাধ্যায়) बांग्ला के सुप्रसिद्ध लेखक और उपन्यासकार थे। वे अपने महाकाव्य पाथेर पांचाली के लिए विशेष रूप से जाने जाते हैं। जिसके ऊपर प्रसिद्ध फ़िल्मकार सत्यजित राय ने एक लोकप्रिय फ़िल्म का निर्माण भी किया था। श्रेणी:व्यक्तिगत जीवन श्रेणी:बांग्ला साहित्यकार.

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बिशन सिंह बेदी

बिशन सिंह बेदी (जिन्हें कभी-कभी बिशेन सिंह बेदी भी कहा जाता है) का जन्म 25 सितम्बर 1946 को अमृतसर में हुआ था; वे पूर्व भारतीय क्रिकेटर और मुख्यतः बाएं हाथ के परंपरागत गेंदबाज़ थे। उन्होंने भारत के लिए 1966 से 1979 तक टेस्ट क्रिकेट खेला है और वे प्रसिद्ध भारतीय स्पिन चौकड़ी का हिस्सा भी थे। उन्होंने 22 टेस्ट मैचों में भारत की कप्तानी की है। बेदी को हमेशा एक रंगीन पटका पहनने और बेबाकी से क्रिकेट पर अपने विचार रखने के लिए भी जाना जाता है। .

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बंबई प्रेसीडेंसी

बंबई प्रेसीडेंसी, १९०९, उत्तरी भाग बंबई प्रेसीडेंसी, १९०९, दक्षिणी भाग बंबई प्रेसीडेंसी ब्रिटिश भारत का एक पूर्व-प्रान्त था। इसकी स्थापना १७वीं शताब्दी में हुई थी। इसे १८४३ से १९३६ तक 'बॉम्बे और सिन्ध' तथा 'बॉम्बे प्रोविन्स' कहा जाता था। इसका मुख्यालय मुम्बई था। अपने सबसे बड़े आकार में इस प्रेसिडेन्सी के अन्तर्गत कोंकण, वर्तमान महाराष्ट्र के नासिक तथा पुणे मण्डल, वर्तमान गुजरात के अहमदाबाद, आणन्द, भरूच गांधीनगर, खेड़ा, पंचमहल और सूरत जिले, वर्तमान कर्नाटक के बगलकोट, बेलागवी, बीजापुर, धारवाड़, गडग, हावेरी तथा उत्तर कन्नडा जिले, पाकिस्तान का वर्तमान सिन्ध प्रान्त, तथा यमन का अडेन कॉलोनी आते थे। श्रेणी:मुम्बई का इतिहास श्रेणी:ब्रिटिशकालीन भारत श्रेणी:भारत का इतिहास.

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बंगभवन

बंगभवन (বঙ্গভবন बाॅड़्गोभाॅबोन, बंग(बंगाल) का भवन), बांग्लादेश की राजधानी ढाका में स्थित, बांग्लादेश के राष्ट्रपति का आधिकारिक निवास है। यह ढाका के केंद्र में, बंगभवन रोड, दिलखुशा एॅवेन्यू पर अवस्थित है। यह हर दिशा में बंगभवन उद्यान से घिरा हुआ है (पूर्व में नवाब दिलखुशा उद्यान)। ब्रिटिश राज के समय यह स्थल, दिलखुशा गवर्नमेंट हाउस की मेज़बानी किया करता था, जिसे किसी समय भारत के राजप्रतिनिधि वाइसराॅय एवं बंगाल के ब्रिटिशकालीन राज्यपाल उपयोगित किया करते थे। भारत विभाजन पश्चात् यह पूर्वी पाकिस्तान का राज्यपाल भवन बन गया। राष्ट्रपति अबू सईद चौधरी, 12 जनवरी 1972 को शपथ-ग्रहण पश्चात्, बतौर राष्ट्रपति, इस भवन में निवास कर इसकी शोभा बढ़ाने वाले प्रथम बांग्लादेशी राष्ट्रपति बने। .

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बंगाल प्रेसीडेंसी

बंगाल प्रेसीडेंसी ब्रिटिश भारत का एक उपनिवेशित क्षेत्र था; यह क्षेत्र अविभाजित बंगाल से बना था। बंगाल के ये क्षेत्र आज बांग्लादेश और भारत के निम्न राज्यों में विभाजित हैं.

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बंगाली थियेटर

बांग्ला रंगमंच मुख्य रूप से बंगाली भाषा में थिएटर को कहते हैं। बंगाली थिएटर मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल, और बांग्लादेश में चलता है। शब्द कुछ हिंदी थियेटरों का उल्लेख करने के लिए भी हो सकता है जो बंगाली लोगों को स्वीकार हों। बांग्ला रंगमंच का मूल ब्रिटिश भारत है। यह 19 वीं सदी के आरंभ में निजी मनोरंजन के रूप में शुरू हुआ।Kundu, Pranay K. Development of Stage and Theatre Music in Bengal. आजादी के पूर्व बंगाली थिएटर ने ब्रिटिश राज के प्रति नापसंदगी प्रकट करने में एक निर्णायक भूमिका निभाई। 1947 में भारत की आजादी के बाद, वामपंथी आंदोलनों ने पश्चिम बंगाल में सामाजिक जागरूकता के एक उपकरण के  रूप में थिएटर को इस्तेमाल किया। इस ने कला के इस रूप में कुछ अनूठी विशेषताओं को जोड़ा जिस का अभी भी मजबूत प्रभाव पड़ता है। यह समूह खुद को वाणिज्यिक बंगाली रंगमंच से वैचारिक रूप से अलग स्थापत करते हैं। [प्रशस्ति पत्र की जरूरत] .

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ब्रिटिश भारत में रियासतें

15 अगस्त 1947 से पूर्व संयुक्त भारत का मानचित्र जिसमें देशी रियासतों के तत्कालीन नाम साफ दिख रहे हैं। ब्रिटिश भारत में रियासतें (अंग्रेजी:Princely states; उच्चारण:"प्रिंस्ली स्टेट्स्") ब्रिटिश राज के दौरान अविभाजित भारत में नाममात्र के स्वायत्त राज्य थे। इन्हें आम बोलचाल की भाषा में "रियासत", "रजवाड़े" या व्यापक अर्थ में देशी रियासत कहते थे। ये ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा सीधे शासित नहीं थे बल्कि भारतीय शासकों द्वारा शासित थे। परन्तु उन भारतीय शासकों पर परोक्ष रूप से ब्रिटिश शासन का ही नियन्त्रण रहता था। सन् 1947 में जब हिन्दुस्तान आज़ाद हुआ तब यहाँ 565 रियासतें थीं। इनमें से अधिकांश रियासतों ने ब्रिटिश सरकार से लोकसेवा प्रदान करने एवं कर (टैक्स) वसूलने का 'ठेका' ले लिया था। कुल 565 में से केवल 21 रियासतों में ही सरकार थी और मैसूर, हैदराबाद तथा कश्मीर नाम की सिर्फ़ 3 रियासतें ही क्षेत्रफल में बड़ी थीं। 15 अगस्त,1947 को ब्रितानियों से मुक्ति मिलने पर इन सभी रियासतों को विभाजित हिन्दुस्तान (भारत अधिराज्य) और विभाजन के बाद बने मुल्क पाकिस्तान में मिला लिया गया। 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश सार्वभौम सत्ता का अन्त हो जाने पर केन्द्रीय गृह मन्त्री सरदार वल्लभभाई पटेल के नीति कौशल के कारण हैदराबाद, कश्मीर तथा जूनागढ़ के अतिरिक्त सभी रियासतें शान्तिपूर्वक भारतीय संघ में मिल गयीं। 26 अक्टूबर को कश्मीर पर पाकिस्तान का आक्रमण हो जाने पर वहाँ के महाराजा हरी सिंह ने उसे भारतीय संघ में मिला दिया। पाकिस्तान में सम्मिलित होने की घोषणा से जूनागढ़ में विद्रोह हो गया जिसके कारण प्रजा के आवेदन पर राष्ट्रहित में उसे भारत में मिला लिया गया। वहाँ का नवाब पाकिस्तान भाग गया। 1948 में सैनिक कार्रवाई द्वारा हैदराबाद को भी भारत में मिला लिया गया। इस प्रकार हिन्दुस्तान से देशी रियासतों का अन्त हुआ। .

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ब्रिटिश भारतीय सेना

भारतीय मुसलमान सैनिकों का एक समूह जिसे वॉली फायरिंग के आदेश दिए गए। ~1895 ब्रिटिश भारतीय सेना 1947 में भारत के विभाजन से पहले भारत में ब्रिटिश राज की प्रमुख सेना थी। इसे अक्सर ब्रिटिश भारतीय सेना के रूप में निर्दिष्ट नहीं किया जाता था बल्कि भारतीय सेना कहा जाता था और जब इस शब्द का उपयोग एक स्पष्ट ऐतिहासिक सन्दर्भ में किसी लेख या पुस्तक में किया जाता है, तो इसे अक्सर भारतीय सेना ही कहा जाता है। ब्रिटिश शासन के दिनों में, विशेष रूप से प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, भारतीय सेना न केवल भारत में बल्कि अन्य स्थानों में भी ब्रिटिश बलों के लिए अत्यधिक सहायक सिद्ध हुई। भारत में, यह प्रत्यक्ष ब्रिटिश प्रशासन (भारतीय प्रान्त, अथवा, ब्रिटिश भारत) और ब्रिटिश आधिपत्य (सामंती राज्य) के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए उत्तरदायी थी। पहली सेना जिसे अधिकारिक रूप से "भारतीय सेना" कहा जाता था, उसे 1895 में भारत सरकार के द्वारा स्थापित किया गया था, इसके साथ ही ब्रिटिश भारत की प्रेसीडेंसियों की तीन प्रेसिडेंसी सेनाएं (बंगाल सेना, मद्रास सेना और बम्बई सेना) भी मौजूद थीं। हालांकि, 1903 में इन तीनों सेनाओं को भारतीय सेना में मिला दिया गया। शब्द "भारतीय सेना" का उपयोग कभी कभी अनौपचारिक रूप से पूर्व प्रेसिडेंसी सेनाओं के सामूहिक विवरण के लिए भी किया जाता था, विशेष रूप से भारतीय विद्रोह के बाद.

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ब्रिटिश राज का इतिहास

ब्रिटिश राज का इतिहास, 1947 और 1858 के बीच भारतीय उपमहाद्वीप पर ब्रिटिश शासन की अवधि को संदर्भित करता है। शासन प्रणाली को 1858 में स्थापित किया गया था जब ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सत्ता को महारानी विक्टोरिया के हाथों में सौंपते हुए राजशाही के अधीन कर दिया गया (और विक्टोरिया को 1876 में भारत की महारानी घोषित किया गया).

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ब्रिटिश राज के दौरान भारत में प्रमुख अकाल की समयरेखा

१८७६-७८ का बड़ा अकाल ये ब्रिटिश राज के दौरान भारत में प्रमुख अकालों की समयसरेखा है। ये सन् १७६५ से १९४७ तक का कालखन्ड दर्शाती है। बक्सर के युद्ध के बाद ब्रिटिशोंको १७६५ में बंगाल प्रेसीडेंसी की दिवानी मिली और १७८४ में निजामत जिससे वो सिधा प्रशासन करने लगे। १९४७ में ब्रिटिश राज खतम हो कर भारत के भारतीय अधिराज्य और पाकिस्तान अधिराज्य एसे दो विभाग हुए। .

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ब्रिटिश साम्राज्य

ब्रिटिश साम्राज्य एक वैश्विक शक्ति था, जिसके अंतर्गत वे क्षेत्र थे जिनपर ग्रेट ब्रिटेन का अधिकार था। यह एक बहुत बड़ा साम्राज्य था और अपने चरम पर तो विश्व के कुल भूभाग और जनसंख्या का एक चौथाई भाग इसके अधीन था। उस समय लगभग ५० करोड़ लोग ब्रिटिश ताज़ के नियंत्रण में थे। आज इसके अधिकांश सदस्य राष्ट्रमण्डल के सदस्य हैं और इस प्रकार आज भी ब्रिटिश साम्राज्य का ही एक अंग है। ब्रिटिश साम्राज्य का सबसे महत्वपूर्ण भाग था ईस्ट इंडिया ट्रेडिंग कंपनी जो एक छोटे व्यापार के साथ आरंभ की गई थी और बाद में एक बहुत बड़ी कंपनी बन गई जिसपर बहुत से लोग निर्भर थे। यह विदेशी कालोनियों और व्यापार पदों के द्वरा 16 वीं और 17 वीं सदी में इंग्लैंड द्वारा स्थापित किया गया| १९२१ में ब्रिटिश साम्राज्य सर्वाधिक क्षेत्र में फैला हुआ था। .

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ब्रिटिशकालीन भारत के रियासतों की सूची

सन १९१९ में भारतीय उपमहाद्वीप की मानचित्र। ब्रितिश साशित क्षेत्र व स्वतन्त्र रियासतों के क्षेत्रों को दरशाया गया है सन १९४७ में स्वतंत्रता और विभाजन से पहले भारतवर्ष में ब्रिटिश शासित क्षेत्र के अलावा भी छोटे-बड़े कुल 565 स्वतन्त्र रियासत हुआ करते थे, जो ब्रिटिश भारत का हिस्सा नहीं थे। ये रियासतें भारतीय उपमहाद्वीप के वो क्षेत्र थे, जहाँ पर अंग्रेज़ों का प्रत्यक्ष रूप से शासन नहीं था, बल्कि ये रियासत सन्धि द्वारा ब्रिटिश राज के प्रभुत्व के अधीन थे। इन संधियों के शर्त, हर रियासत के लिये भिन्न थे, परन्तु मूल रूप से हर संधि के तहत रियासतों को विदेश मामले, अन्य रियासतों से रिश्ते व समझौते और सेना व सुरक्षा से संबंधित विषयों पर ब्रिटिशों की अनुमति लेनी होती थी, इन विषयों का प्रभार प्रत्यक्ष रूप से अंग्रेजी शासन पर था और बदले में ब्रिटिश सरकार, शासकों को स्वतन्त्र रूप से शासन करने की अनुमती देती थी। सन १९४७ में भारत की स्वतंत्रता व विभाजन के पश्चात सिक्किम के अलावा अन्य सभी रियासत या तो भारत या पाकिस्तान अधिराज्यों में से किसी एक में शामिल हो गए, या उन पर कब्जा कर लिया गया। नव स्वतंत्र भारत में ब्रिटिश भारत की एजेंसियों को "दूसरी श्रेणी" के राज्यों का दर्जा दिया गया (उदाहरणस्वरूप: "सेंट्रल इण्डिया एजेंसी", "मध्य भारत राज्य" बन गया)। इन राज्यों के मुखिया को राज्यपाल नहीं राजप्रमुख कहा जाता था। १९५६ तक "राज्य पुनर्गठन अयोग" के सुझाव पर अमल करते हुए भारत सरकार ने राज्यों को पुनर्गठित कर वर्तमान स्थिती में लाया। परिणामस्वरूप सभी रियासतों को स्वतंत्र भारत के राज्यों में विलीन कर लिया गया। इस तरह रियासतों का अंत हो गया। सन १९६२ में प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के शासनकाल के दौरान इन रियासतों के शासकों के निजी कोशों को एवं अन्य सभी ग़ैर-लोकतान्त्रिक रियायतों को भी रद्ध कर दिया गया .

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ब्रज कुमार नेहरू

ब्रज कुमार नेहरू, आयसीएस (4 सितम्बर 1909 – 31 अक्टूबर 2001) एक भारतीय राजनयिक और संयुक्त राज्य अमेरिका में भारतीय राजदूत (1961-1968) थे। वो भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के चचेरे भाई बृजलाल और रामेश्वरी नेहरू के पुत्र थे। .

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बैडमिंटन

बैडमिंटन रैकेट से खेला जानेवाला एक खेल है, जो दो विरोधी खिलाडियों (एकल) या दो विरोधी जोड़ों (युगल) द्वारा नेट से विभाजित एक आयताकार कोर्ट में आमने-सामने खेला जाता है खिलाड़ी अपने रैकेट से शटलकॉक को मारकर के अपने विरोधी पक्ष के कोर्ट के आधे हिस्से में गिराकर प्वाइंट्स प्राप्त करते हैं। एक रैली तब समाप्त हो जाती है जब शटलकॉक मैदान पर गिर जाता है। प्रत्येक पक्ष शटलकॉक के उस पार जाने से पहले उस पर सिर्फ़ एक बार वार कर सकता है। शटलकॉक (या शटल) चिड़ियों के पंखों से बना प्रक्षेप्य है, जिसकी अनोखी उड़ान भरने की क्षमता के कारण यह अधिकांश रैकेट खेलों की गेंदों की तुलना में अलग तरह से उड़ा करती है। खासतौर पर, पंख कहीं ज़्यादा ऊंचाई तक खिंची जा सकती हैं, जिस कारण गेंद की तुलना में शटलकॉक कहीं अधिक तेज़ी से अवत्वरण करता है। अन्य रैकेट के खेलों की तुलना में शटलकॉक की शीर्ष गति बहुत अधिक होती है। चूंकि शटलकॉक की उड़ान हवा से प्रभावित होती है, इसीलिए बैडमिंटन प्रतिस्पर्धा इनडोर में ही खेलना अच्छा होता है। कभी-कभी मनोरंजन के लिए बगीचे या समुद्र तट पर भी खुले में बैडमिंटन खेला जाता है। सन् 1992 से, पांच प्रकार के आयोजनों के साथ बैडमिंटन एक ओलम्पिक खेल रहा है: पुरुषों और महिलाओं के एकल, पुरुषों और महिलाओं के युगल और मिश्रित युगल, जिसमें प्रत्येक जोड़ी में एक पुरूष और एक महिला होती है। खेल के उच्च स्तर पर, खेल उत्कृष्ट शारीरिक फिटनेस की मांग करता है: खिलाड़ियों को एरोबिक क्षमता, दक्षता, शक्ति, गति और दुरूस्तता की आवश्यकता होती है। यह एक तकनीकी खेल भी है, इसमें अच्छे संचालन समन्वय और परिष्कृत रैकेट जुम्बिशों के विकास की ज़रुरत होती है। .

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बैंकर्स बैंक

बैंकर्स बैंक या "बैंकों का बैंक" से अभिप्राय केन्द्रीय बैंक से हैं। किसी देश का केन्द्रीय बैंक इस नाम से इसलिए जाना जाता है कि देश के मौद्रिक तथा बैँकिंग क्षेत्र में उसका स्थान केन्द्रीय होता है। केन्द्रीय बैंकों में सबसे पुराना बैंक इग्लैंड का बैंक ऑफ इंग्लैंड है जिसकी स्थापना १६९४ ईसवी में हुई थी। इसके पहले सन् १६६८ ईसवी में ही स्वीडन में स्टेट बैंक ऑफ स्वीडन की स्थापना हो चुकी थी। अगर भारत में इसकी बात की जाय तो केन्द्रीय बैंक की स्थापना का प्रयास १७७३ में बंगाल के गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स ने किया था। परन्तु यहाँ पर केन्द्रीय बैंक की स्थापना १ अप्रैल १९३५ को हुई थी। चूँकि यहाँ पहले से ही सेण्ट्रल बैंक ऑफ़ इण्डिया नाम से एक स्वदेशी बैंक चल रहा था अत: ब्रिटिश राज को विवश होकर इसका नाम रिजर्व बैंक ऑफ़ इण्डिया रखना पड़ा। १५ अगस्त १९४७ को भारत विभाजन के बाद बने नये देश पाकिस्तान के लिए भी भारतीय रिजर्व बैंक ने ३० जून १९४८ तक केन्द्रीय बैंक के रूप में कार्य किया। बाद में इसका राष्ट्रीयकरण १ जनवरी १९४९ को कर दिया गया।.

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बूँदी रियासत

बूँदी रियासत बूँदी का दुर्ग बूँदी रियासत भारत में अंग्रेजी राज के समय एक राज्य (रियासत) था। १९४९ में इस रियासत ने भारत में विलय के अनुबन्ध पर हस्ताक्षर किये। श्रेणी:भारत की रियासतें.

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बेलापुर का किला

बेलापुर दुर्ग (या बेलापुर किला) महाराष्ट्र के नवी मुम्बई में स्थित एक दुर्ग है। इस दुर्ग का निर्माण जंजीरा के सिद्दियों ने करवाया था। कालान्तर में इस पर पुर्तगाली साम्राज्य का और फ़िर मराठा साम्राज्य का आधिपत्य हो गया। १९वीं शताब्दी के आरम्भ में यहां ब्रिटिश राज का अधिकार हुआ। ब्रिटिश लोगों के इस क्षेत्र पर अधिकार करने और फ़िर बम्बई प्रेज़िडेन्सी के विस्तार होने से इस दुर्ग का महत्त्व कम हो गया। और यह प्रयोग से बाहर हो गया। .

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बेगम पारा

बेगम पारा (जन्म 25 दिसम्बर 1926 - मृत्यू 8 दिसम्बर 2008) एक भारतीय फ़िल्म अभिनेत्री थी। इन्होंने कई फ़िल्मों में कार्य किया। .

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बॉस्टन चाय पार्टी

नाथानियल कुरीर द्वारा यह 1846 आयरोनिक लिथोग्राफ "द डेसट्रकशन ऑफ़ टी ऐट बॉस्टन हार्बर" पर वाक्यांश किया है; पर "बॉस्टन टी पार्टी" अभी तक मानक नहीं माना गया है। चमार के चित्रण के विपरीत, कुछ पुरुष जो चाय डंप कर रहे थे वास्तव में वे अमेरिकी भारतीय थे।यंग, शूमेकर, 183–85. बॉस्टन चाय पार्टी ब्रिटिश उपनिवेश मैसाचुसेट्स के एक उपनिवेश बॉस्टन के उपनिवेशवासियों द्वारा ब्रिटिश सरकार के खिलाफ प्रत्यक्ष कार्यवाही थी। 16 दिसम्बर 1773 को जब बॉस्टन के अधिकारियों द्वारा करयुक्त चाय के तीन जहाज़ों को ब्रिटेन को लौटने से इंकार कर दिया गया तो, उपनिवेशवासियों का एक समूह जहाज़ पर सवार हुआ और चाय को बॉस्टन हार्बर में फेंक कर नष्ट कर दिया गया। यह घटना अमेरिकी इतिहास की एक प्रमुख घटना है और अन्य राजनीतिक प्रदर्शन अक्सर इसका हवाला देते हैं। चाय पार्टी की शुरुआत सम्पूर्ण ब्रिटिश अमेरिका में चाय अधिनियम के खिलाफ एक प्रतिरोध आन्दोलन के दौरान हुई थी, जिसे ब्रिटिश संसद ने 1773 में पारित किया था। उपनिवेशवासियों ने कई कारणों से इसका विरोध किया, खासकर इसलिए क्योंकि वे मानते थे कि इससे उनके द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा कर लगाने के अधिकार का उल्लंघन हुआ है। प्रदर्शनकारियों ने सफलतापूर्वक कर युक्त चाय को तीन अन्य उपनिवेशों में उतरने से रोक दिया, लेकिन बॉस्टन में समस्याओं से घिरे शाही राज्यपाल थॉमस हचिसन ने ब्रिटेन को चाय लौटाने से इंकार कर दिया। उन्हें प्रत्यक्ष तौर पर यह उम्मीद नहीं थी कि प्रदर्शनकारी कानून के अधिकार को मानने की बजाए, जिसमे उनका सीधे तौर पर प्रतिनिधित्व नहीं था, चाय को नष्ट करने का चुनाव करेंगे। बॉस्टन चाय पार्टी का अमेरिकी क्रांति के विकास में महत्वपूर्ण योगदान था। जवाब में 1774 में संसद ने एक अनिवार्य नियम बनाया जिसमे अन्य प्रावधानों के साथ बॉस्टन के व्यापार पर तब तक रोक लगा दी गयी जब तक कि ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी को नष्ट की गयी चाय का भुगतान नहीं किया गया। इसके जवाब में उपनिवेशवासियों ने अनिवार्य नियम का और अधिक प्रदर्शनों के साथ विरोध किया और पहली कांटिनेंटल कांग्रेस का आयोजन किया जिसने ब्रिटिश शासन को नियम निरस्त करने के लिए कहा और उपनिवेशवासियों के प्रतिरोध में सहायता की। संकट बढ़ा और 1775 में बॉस्टन के पास अमेरिकी क्रन्तिकारी युद्ध शुरू हुआ। .

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बी॰ एस॰ चंद्रशेखर

बी॰ एस॰ चंद्रशेखर जिनका पूरा नाम भागवत सुब्रमणय चंद्रशेखर है। ये एक पूर्व भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी है जिन्होंने भारतीय क्रिकेट टीम के लिए ५८ टेस्ट और एक वनडे मैच खेला था। इनका जन्म १७ मई १९४५ को मैसूर, ब्रितानी भारत में हुआ था और पहला टेस्ट मैच इंग्लैंड क्रिकेट टीम के खिलाफ २१ जनवरी १९६४ में खेला था। बी॰ एस॰ चंद्रशेखर अपने समय में मुख्य रूप से अपनी गेंदबाजी के लिए जाने जाते थे जो दाहिने हाथ से लेग ब्रेक करते थे। अपने पूरे कैरियर में इन्होंने ५८ टेस्ट क्रिकेट मैचों में कुल २४२ विकेट लिए थे जिसमें १६ बार किसी पारी में ५ या इससे ज्यादा विकेट चटकाए थे। साथ ही इन्होंने दो बार मैच में १० विकेट भी लिए, तो एकमात्र वनडे मैच में इन्होंने ३ विकेट चटके थे। इन्होंने अपना आखिरी मुकाबला साल १२ जुलाई १९७९ को इंग्लैंड के ही खिलाफ खेला था। .

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बी॰ एस॰ येदयुरप्पा

डॉ॰ बूकानाकेरे सिद्धलिंगप्पा येदियुरप्पा, (कन्नड़: ಬೊಕನಕೆರೆ ಸಿದ್ಧಲಿಂಗಪ್ಪ ಯಡಿಯೂರಪ್ಪ), (जन्म: 27 फ़रवरी 1943) एक भारतीय राजनेता और भारत के राज्य कर्नाटक के पच्चीसवें मुख्यमंत्री है, जिन्होंने 30 मई 2008 शपथ ग्रहण किया। येदियुरप्पा कर्नाटक राज्य की विधानसभा में शिकारीपुरा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के विधायक हैं। उन्होने साल भारतीय आम चुनाव, 2014 में शिमोगा से विशाल अंतर से जीता। भाजपा संगठन में उन्हे राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का पद दिया गया लेकिन राज्य की राजनीति में उनकी सक्रियता को देखते हुए उन्हे राज्य का अध्यक्ष बना दिया गया। कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2008 में जीत के बाद कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने थे। वे साल 2007 में जद(एस) के साथ गठबंधन टूटने से पहले भी थोड़े समय के लिए कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे। वे किसी भी दक्षिण भारतीय राज्य में भाजपा के पहले मुख्यमंत्री हैं। मुख्यमंत्री रहते हुए उन पर जमीन आवंटन में गड़बड़ी के आरोप लगे लेकिन हाल ही में उनको क्लीनचीट मिल गई है। .

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भारत

भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .

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भारत में दशलक्ष-अधिक शहरी संकुलनों की सूची

भारत दक्षिण एशिया में एक देश है। भौगोलिक क्षेत्र के अनुसार, वह सातवाँ सबसे बड़ा देश है, और १.२ अरब से अधिक लोगों के साथ, वह दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है। भारत में उनतीस राज्य और सात संघ राज्यक्षेत्र हैं। वह विश्व की जनसंख्या के १७.५ प्रतिशत का घर हैं। .

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भारत में धर्म

तवांग में गौतम बुद्ध की एक प्रतिमा. बैंगलोर में शिव की एक प्रतिमा. कर्नाटक में जैन ईश्वरदूत (या जिन) बाहुबली की एक प्रतिमा. 2 में स्थित, भारत, दिल्ली में एक लोकप्रिय पूजा के बहाई हॉउस. भारत एक ऐसा देश है जहां धार्मिक विविधता और धार्मिक सहिष्णुता को कानून तथा समाज, दोनों द्वारा मान्यता प्रदान की गयी है। भारत के पूर्ण इतिहास के दौरान धर्म का यहां की संस्कृति में एक महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। भारत विश्व की चार प्रमुख धार्मिक परम्पराओं का जन्मस्थान है - हिंदू धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म तथा सिक्ख धर्म.

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भारत में पर्यटन

हर साल, 3 मिलियन से अधिक पर्यटक आगरा में ताज महल देखने आते हैं। भारत में पर्यटन सबसे बड़ा सेवा उद्योग है, जहां इसका राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 6.23% और भारत के कुल रोज़गार में 8.78% योगदान है। भारत में वार्षिक तौर पर 5 मिलियन विदेशी पर्यटकों का आगमन और 562 मिलियन घरेलू पर्यटकों द्वारा भ्रमण परिलक्षित होता है। 2008 में भारत के पर्यटन उद्योग ने लगभग US$100 बिलियन जनित किया और 2018 तक 9.4% की वार्षिक वृद्धि दर के साथ, इसके US$275.5 बिलियन तक बढ़ने की उम्मीद है। भारत में पर्यटन के विकास और उसे बढ़ावा देने के लिए पर्यटन मंत्रालय नोडल एजेंसी है और "अतुल्य भारत" अभियान की देख-रेख करता है। विश्व यात्रा और पर्यटन परिषद के अनुसार, भारत, सर्वाधिक 10 वर्षीय विकास क्षमता के साथ, 2009-2018 से पर्यटन का आकर्षण केंद्र बन जाएगा.

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भारत में बैंकिंग

भारत की बैंकिंग-संरचना भारत में आधुनिक बैंकिंग सेवाओं का इतिहास दो सौ वर्ष पुराना है। भारत के आधुनिक बैंकिंग की शुरुआत ब्रिटिश राज में हुई। १९वीं शताब्दी के आरंभ में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने ३ बैंकों की शुरुआत की - बैंक ऑफ बंगाल १८०९ में, बैंक ऑफ बॉम्बे १८४० में और बैंक ऑफ मद्रास १८४३ में। लेकिन बाद में इन तीनों बैंको का विलय एक नये बैंक 'इंपीरियल बैंक' में कर दिया गया जिसे सन १९५५ में 'भारतीय स्टेट बैंक' में विलय कर दिया गया। इलाहाबाद बैंक भारत का पहला निजी बैंक था। भारतीय रिजर्व बैंक सन १९३५ में स्थापित किया गया था और बाद में पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ़ इंडिया, केनरा बैंक और इंडियन बैंक स्थापित हुए। प्रारम्भ में बैंकों की शाखायें और उनका कारोबार वाणिज्यिक केन्द्रों तक ही सीमित होती थी। बैंक अपनी सेवायें केवल वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों को ही उपलब्ध कराते थे। स्वतन्त्रता से पूर्व देश के केन्द्रीय बैंक के रूप में भारतीय रिजर्व बैंक ही सक्रिय था। जबकि सबसे प्रमुख बैंक इम्पीरियल बैंक ऑफ इण्डिया था। उस समय भारत में तीन तरह के बैंक कार्यरत थे - भारतीय अनुसूचित बैंक, गैर अनुसूचित बैंक और विदेशी अनुसूचित बैंक। स्वतन्त्रता के उपरान्त भारतीय रिजर्व बैंक को केन्द्रीय बैंक का दर्जा बरकरार रखा गया। उसे 'बैंकों का बैंक' भी घोषित किया गया। सभी प्रकार की मौद्रिक नीतियों को तय करने और उसे अन्य बैंकों तथा वित्तीय संस्थाओं द्वारा लागू कराने का दायित्व भी उसे सौंपा गया। इस कार्य में भारतीय रिजर्व बैंक की नियंत्रण तथा नियमन शक्तियों की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। .

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भारत में महिलाएँ

ताज परिसर में भारतीय महिलाएँऐश्वर्या राय बच्चन की अक्सर उनकी सुंदरता के लिए मीडिया द्वारा प्रशंसा की जाती है।"विश्व की सर्वाधिक सुंदर महिला?"cbsnews.com. अभिगमन तिथि २७ अक्टूबर २००७01 भारत में महिलाओं की स्थिति ने पिछली कुछ सदियों में कई बड़े बदलावों का सामना किया है। प्राचीन काल में पुरुषों के साथ बराबरी की स्थिति से लेकर मध्ययुगीन काल के निम्न स्तरीय जीवन और साथ ही कई सुधारकों द्वारा समान अधिकारों को बढ़ावा दिए जाने तक, भारत में महिलाओं का इतिहास काफी गतिशील रहा है। आधुनिक भारत में महिलाएं राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, लोक सभा अध्यक्ष, प्रतिपक्ष की नेता आदि जैसे शीर्ष पदों पर आसीन हुई हैं। .

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भारत में मानवाधिकार

देश के विशाल आकार और विविधता, विकसनशील तथा संप्रभुता संपन्न धर्म-निरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणतंत्र के रूप में इसकी प्रतिष्ठा, तथा एक भूतपूर्व औपनिवेशिक राष्ट्र के रूप में इसके इतिहास के परिणामस्वरूप भारत में मानवाधिकारों की परिस्थिति एक प्रकार से जटिल हो गई है। भारत का संविधान मौलिक अधिकार प्रदान करता है, जिसमें धर्म की स्वतंत्रता भी अंतर्भूक्त है। संविधान की धाराओं में बोलने की आजादी के साथ-साथ कार्यपालिका और न्यायपालिका का विभाजन तथा देश के अन्दर एवं बाहर आने-जाने की भी आजादी दी गई है। यह अक्सर मान लिया जाता है, विशेषकर मानवाधिकार दलों और कार्यकर्ताओं के द्वारा कि दलित अथवा अछूत जाति के सदस्य पीड़ित हुए हैं एवं लगातार पर्याप्त भेदभाव झेलते रहे हैं। हालांकि मानवाधिकार की समस्याएं भारत में मौजूद हैं, फिर भी इस देश को दक्षिण एशिया के दूसरे देशों की तरह आमतौर पर मानवाधिकारों को लेकर चिंता का विषय नहीं माना जाता है। इन विचारों के आधार पर, फ्रीडम हाउस द्वारा फ्रीडम इन द वर्ल्ड 2006 को दिए गए रिपोर्ट में भारत को राजनीतिक अधिकारों के लिए दर्जा 2, एवं नागरिक अधिकारों के लिए दर्जा 3 दिया गया है, जिससे इसने स्वाधीन की संभतः उच्चतम दर्जा (रेटिंग) अर्जित की है। .

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भारत में यूरोपीय आगमन

१५०१ से १७३९ के बीच भारत में यूरोपीय बस्तियाँ भारत के सामुद्रिक रास्तों की खोज 15वीं सदी के अन्त में हुई जिसके बाद यूरोपीयों का भारत आना आरंभ हुआ। यद्यपि यूरोपीय लोग भारत के अलावा भी बहुत स्थानों पर अपने उपनिवेश बनाने में सफल हुए पर इनमें से कइयों का मुख्य आकर्षण भारत ही था। सत्रहवीं शताब्दी के अंत तक यूरोपीय कई एशियाई स्थानों पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुके थे और अठारहवीं सदी के उत्तरार्ध में वे कई जगहों पर अधिकार भी कर लिए थे। किन्तु उन्नासवीं सदी में जाकर ही अंग्रेजों का भारत पर एकाधिकार हो पाया था। भारत की समृद्धि को देखकर पश्चिमी देशों में भारत के साथ व्यापार करने की इच्छा पहले से थी। यूरोपीय नाविकों द्वारा सामुद्रिक मार्गों का पता लगाना इन्हीं लालसाओं का परिणाम था। तेरहवीं सदी के आसपास मुसलमानों का अधिपत्य भूमध्य सागर और उसके पूरब के क्षेत्रों पर हो गया था और इस कारण यूरोपी देशों को भारतीय माल की आपूर्ति ठप्प पड़ गई। उस पर भी इटली के वेनिस नगर में चुंगी देना उनको रास नहीं आता था। कोलंबस भारत का पता लगाने अमरीका पहुँच गया और सन् 1487-88 में पेडरा द कोविल्हम नाम का एक पुर्तगाली नाविक पहली बार भारत के तट पर मालाबार पहुँचा। भारत पहुचने वालों में पुर्तगाली सबसे पहले थे इसके बाद डच आए और डचों ने पुर्तगालियों से कई लड़ाईयाँ लड़ीं। भारत के अलावा श्रीलंका में भी डचों ने पुर्तगालियों को खडेड़ दिया। पर डचों का मुख्य आकर्षण भारत न होकर दक्षिण पूर्व एशिया के देश थे। अतः उन्हें अंग्रेजों ने पराजित किया जो मुख्यतः भारत से अधिकार करना चाहते थे। आरंभ में तो इन यूरोपीय देशों का मुख्य काम व्यापार ही था पर भारत की राजनैतिक स्थिति को देखकर उन्होंने यहाँ साम्राज्यवादी और औपनिवेशिक नीतियाँ अपनानी आरंभ की। .

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भारत में राजभत्ता

राजभत्ता, निजी कोश, प्रिवी पर्स किसी संवैधानिक या लोकतांत्रिक राजतंत्र में राज्य के स्वायत्त शासक एवं राजपरिवार को मिलने वाले विशेष धनराशी को कहा जाता है।   भारतवर्ष में राजभत्ता देने की परियोजना की शुरुआत सन १९५०में लोकतांत्रिक गणराज्य की स्थापना के बाद हुई थी। इंगलैण्ड, जापान या अन्य यूरोपिय देशों(जहां केवल एक राजवंश या राजपरिवार होते हैं) के विपरीत भारत में(गणराज्य के शुरुआती वर्षों में) कुल ५६२राजवंश थे। ये भारत के उन पूर्व राज्यों के राजवंश थे जिन्होंने नव-स्वतंत्र भारत(अर्थात भारत अधीराज्य; Dominion of India) में अपनी रियासतों को संधि द्वारा भारतीय संघ में, पहले शामिल किया एवं बाद में, अपने राज्यों को भारत गणराज्य में संपूर्णतः विलीन कर आधूनिक भारत को स्थापित किया था। जिसके कारणवश उन्होंने अपना शासनाधिकार पूर्णतः भारत सरकार के हाथों सौंप दिया था। भारतीय संघ में सम्मिलित होने की संधि के शर्तों में रियासतों के तत्कालीन शासकों एवं उनके उत्तराधिकारियों को आजीवन, जीवनयापन हेतु भारत सरकार द्वारा विशेष धनराशि एवं भत्ते (राजभत्ता) दिये जाने का प्रावधान था। इस विशेष वार्षिक धनराशि को राजभत्ता, निजी कोश या प्रिवी पर्स कहा जाता था। इस व्यवस्था को ब्रिटेन में चल रहे राजभत्ते (प्रिवी पर्स) की व्यवस्था के आधार पर पारित किया गया था। इस "अलोकतांत्रिक" व्यवस्था को सन १९७१में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासनकाल के दैरान पूर्णतः स्थगित कर दिया गया।   .

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भारत में सबसे बड़े साम्राज्यों की सूची

भारत में सबसे बडे साम्राज्यों की सूची इसमें 10 लाख से अधिक वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र पर राज करने वाले भारत के सबसे बड़े साम्राज्यों की ऐतिहासिक सूची है। (भारतीय उपमहाद्वीप में अपनी पूंजी के साथ है, ब्रिटिश राज और सिकंदर महान साम्राज्य की तरह विदेशी शासित साम्राज्य को छोड़कर) एक साम्राज्य बाहरी प्रदेशों के ऊपर एक राज्य की संप्रभुता का विस्तार शामिल है। सम्राट अशोक का मौर्य साम्राज्य भारत का सबसे बडा साम्राज्य और सबसे शक्तिशाली साम्राज्य था। .

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भारत में संचार

भारतीय दूरसंचार उद्योग दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ता दूरसंचार उद्योग है, जिसके पास अगस्त 2010http://www.trai.gov.in/WriteReadData/trai/upload/PressReleases/767/August_Press_release.pdf तक 706.37 मिलियन टेलीफोन (लैंडलाइन्स और मोबाइल) ग्राहक तथा 670.60 मिलियन मोबाइल फोन कनेक्शन्स हैं। वायरलेस कनेक्शन्स की संख्या के आधार पर यह दूरसंचार नेटवर्क मुहैया करने वाले देशों में चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारतीय मोबाइल ग्राहक आधार आकार में कारक के रूप में एक सौ से अधिक बढ़ी है, 2001 में देश में ग्राहकों की संख्या लगभग 5 मिलियन थी, जो अगस्त 2010 में बढ़कर 670.60 मिलियन हो गयी है। चूंकि दूरसंचार उद्योग दुनिया में तेजी से बढ़ रहा है, इसलिए यह अनुमान लगाया जा रहा है कि 2013 तक भारत में 1.159 बिलियन मोबाइल उपभोक्ता हो जायेंगे.

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भारत में सैन्य अकादमियाँ

भारतीय सैन्य सेवा ने पेशेवर सैनिकों को नई पीढ़ी के सैन्य विज्ञान, युद्ध कमान तथा रणनीति और सम्बंधित प्रौद्योगिकियों में प्रशिक्षण देने के उद्देश्य से भारत के विभिन्न हिस्सों में कई प्रतिष्ठित अकादमियों और स्टाफ कॉलेजों की स्थापना की है। .

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भारत में इस्लाम

भारतीय गणतंत्र में हिन्दू धर्म के बाद इस्लाम दूसरा सर्वाधिक प्रचलित धर्म है, जो देश की जनसंख्या का 14.2% है (2011 की जनगणना के अनुसार 17.2 करोड़)। भारत में इस्लाम का आगमन करीब 7वीं शताब्दी में अरब के व्यापारियों के आने से हुआ था (629 ईसवी सन्‌) और तब से यह भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का एक अभिन्न अंग बन गया है। वर्षों से, सम्पूर्ण भारत में हिन्दू और मुस्लिम संस्कृतियों का एक अद्भुत मिलन होता आया है और भारत के आर्थिक उदय और सांस्कृतिक प्रभुत्व में मुसलमानों ने महती भूमिका निभाई है। हालांकि कुछ इतिहासकार ये दावा करते हैं कि मुसलमानों के शासनकाल में हिंदुओं पर क्रूरता किए गए। मंदिरों को तोड़ा गया। जबरन धर्मपरिवर्तन करा कर मुसलमान बनाया गया। ऐसा भी कहा जाता है कि एक मुसलमान शासक टीपू शुल्तान खुद ये दावा करता था कि उसने चार लाख हिंदुओं का धर्म परिवर्तन करवाया था। न्यूयॉर्क टाइम्स, प्रकाशित: 11 दिसम्बर 1992 विश्व में भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां सरकार हज यात्रा के लिए विमान के किराया में सब्सिडी देती थी और २००७ के अनुसार प्रति यात्री 47454 खर्च करती थी। हालांकि 2018 से रियायत हटा ली गयी है। .

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भारत सारावली

भुवन में भारत भारतीय गणतंत्र दक्षिण एशिया में स्थित स्वतंत्र राष्ट्र है। यह विश्व का सातवाँ सबसे बड़ देश है। भारत की संस्कृति एवं सभ्यता विश्व की सबसे पुरानी संस्कृति एवं सभ्यताओं में से है।भारत, चार विश्व धर्मों-हिंदू धर्म, सिख धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म के जन्मस्थान है और प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता का घर है। मध्य २० शताब्दी तक भारत अंग्रेजों के प्रशासन के अधीन एक औपनिवेशिक राज्य था। अहिंसा के माध्यम से महात्मा गांधी जैसे नेताओं ने भारत देश को १९४७ में स्वतंत्र राष्ट्र बनाया। भारत, १२० करोड़ लोगों के साथ दुनिया का दूसरे सबसे अधिक आबादी वाला देश और दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाला लोकतंत्र है। .

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भारत का विभाजन

माउण्टबैटन योजना * पाकिस्तान का विभाजन * कश्मीर समस्या .

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भारत के ध्वजों की सूची

यह सूची भारत में प्रयोग हुए सभी ध्वजों की है.

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भारत के महाराज्यपाल

भारत के महाराज्यपाल या गवर्नर-जनरल (१८५८-१९४७ तक वाइसरॉय एवं गवर्नर-जनरल अर्थात राजप्रतिनिधि एवं महाराज्यपाल) भारत में ब्रिटिश राज का अध्यक्ष और भारतीय स्वतंत्रता उपरांत भारत में, ब्रिटिश सम्प्रभु का प्रतिनिधि होता था। इनका कार्यालय सन 1773 में बनाया गया था, जिसे फोर्ट विलियम की प्रेसीडेंसी का गवर्नर-जनरल के अधीन रखा गया था। इस कार्यालय का फोर्ट विलियम पर सीधा नियंत्रण था, एवं अन्य ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारियों का पर्यवेक्षण करता था। सम्पूर्ण ब्रिटिश भारत पर पूर्ण अधिकार 1833 में दिये गये और तब से यह भारत के गवर्नर-जनरल बन गये। १८५८ में भारत ब्रिटिश शासन की अधीन आ गया था। गवर्नर-जनरल की उपाधि उसके भारतीय ब्रिटिश प्रांत (पंजाब, बंगाल, बंबई, मद्रास, संयुक्त प्रांत, इत्यादि) और ब्रिटिष भारत, शब्द स्वतंत्रता पूर्व काल के अविभाजित भारत के इन्हीं ब्रिटिश नियंत्रण के प्रांतों के लिये प्रयोग होता है। वैसे अधिकांश ब्रिटिश भारत, ब्रिटिश सरकार द्वारा सीधे शासित ना होकर, उसके अधीन रहे शासकों द्वारा ही शासित होता था। भारत में सामंतों और रजवाड़ों को गवर्नर-जनरल के ब्रिटिश सरकार के प्रतिनिधि होने की भूमिका को दर्शित करने हेतु, सन १८५८ से वाइसरॉय एवं गवर्नर-जनरल ऑफ इंडिया (जिसे लघुरूप में वाइसरॉय कहा जाता था) प्रयोग हुई। वाइसरॊय उपाधि १९४७ में स्वतंत्रता उपरांत लुप्त हो गयी, लेकिन गवर्नर-जनरल का कार्यालय सन १९५० में, भारतीय गणतंत्रता तक अस्तित्व में रहा। १८५८ तक, गवर्नर-जनरल को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के निदेशकों द्वारा चयनित किया जाता था और वह उन्हीं को जवाबदेह होता था। बाद में वह महाराजा द्वारा ब्रिटिश सरकार, भारत राज्य सचिव, ब्रिटिश कैबिनेट; इन सभी की राय से चयन होने लगा। १९४७ के बाद, सम्राट ने उसकी नियुक्ति जारी रखी, लेकिन भारतीय मंत्रियों की राय से, ना कि ब्रिटिश मंत्रियों की सलाह से। गवर्नर-जनरल पांच वर्ष के कार्यकाल के लिये होता था। उसे पहले भी हटाया जा सकता था। इस काल के पूर्ण होने पर, एक अस्थायी गवर्नर-जनरल बनाया जाता था। जब तक कि नया गवर्नर-जनरल पदभार ग्रहण ना कर ले। अस्थायी गवर्नर-जनरल को प्रायः प्रान्तीय गवर्नरों में से चुना जाता था। .

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भारत के मूल अधिकार, निदेशक तत्त्व और मूल कर्तव्य

भारत के संविधान की प्रस्तावना - भारत के मौलिक और सर्वोच्च कानून मूल अधिकार, राज्य की नीति के निदेशक तत्त्व और मूल कर्तव्य भारत के संविधान के अनुच्छेद हैं जिनमें अपने नागरिकों के प्रति राज्य के दायित्वों और राज्य के प्रति नागरिकों के कर्तव्यों का वर्णन किया गया है। इन अनुच्छेदों में सरकार के द्वारा नीति-निर्माण तथा नागरिकों के आचार एवं व्यवहार के संबंध में एक संवैधानिक अधिकार विधेयक शामिल है। ये अनुच्छेद संविधान के आवश्यक तत्व माने जाते हैं, जिसे भारतीय संविधान सभा द्वारा 1947 से 1949 के बीच विकसित किया गया था। ''मूल अधिकारों'' को सभी नागरिकों के बुनियादी मानव अधिकार के रूप में परिभाषित किया गया है। संविधान के भाग III में परिभाषित ये अधिकार नस्ल, जन्म स्थान, जाति, पंथ या लिंग के भेद के बिना सभी पर लागू होते हैं। ये विशिष्ट प्रतिबंधों के अधीन अदालतों द्वारा प्रवर्तनीय हैं। राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत सरकार द्वारा कानून बनाने के लिए दिशानिदेश हैं। संविधान के भाग IV में वर्णित ये प्रावधान अदालतों द्वारा प्रवर्तनीय नहीं हैं, लेकिन जिन सिद्धांतों पर ये आधारित हैं, वे शासन के लिए मौलिक दिशानिदेश हैं जिनको राज्य द्वारा कानून तैयार करने और पारित करने में लागू करने की आशा की जाती है। मौलिक कर्तव्यों को देशभक्ति की भावना को बढ़ावा देने तथा भारत की एकता को बनाए रखने के लिए भारत के सभी नागरिकों के नैतिक दायित्वों के रूप में परिभाषित किया गया है। संविधान के चतुर्थ भाग में वर्णित ये कर्तव्य व्यक्तियों और राष्ट्र से संबंधित हैं। निदेशक सिद्धांतों की तरह, इन्हें कानूनी रूप से लागू नहीं किया जा सकता। .

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भारत के राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों की सूची

भारत में, राष्ट्रीय महत्व के स्मारक, भारत में स्थित वे ऐतिहासिक, प्राचीन अथवा पुरातात्विक संरचनाएँ, स्थल या स्थान हैं, जोकि, प्राचीन संस्मारक तथा पुरातत्वीय स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 किए अधीन, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के माध्यम से भारत की संघीय सरकार या राज्य सरकारों द्वारा संरक्षिक होती हैं। ऐसे स्मारकों को "राष्ट्रीय महत्व का स्मारक" होने के मापदंड, प्राचीन संस्मारक तथा पुरातत्वीय स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 द्वारा परिभाषित किये गए हैं। ऐसे स्मारकों को इस अधिनियम के मापदंडों पर खरा उतरने पर, एक वैधिक प्रक्रिया के तहत पहले "राष्ट्रीय महत्व" का घोषित किया जाता है, और फिर भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण के संसाक्षणाधीन कर दिया जाता है, ताकि उनकी ऐतिहासिक महत्व क्व मद्देनज़र, उनकी उचित देखभाल की जा सके। वर्त्तमान समय में, राष्ट्रीय महत्व के कुल 3650 से अधिक प्राचीन स्मारक तथा पुरातत्वीय स्थल और अवशेष देश भर में विद्यमान हैं। ये स्मारक विभिन्न अवधियों से संबंधित है जो प्रागैतिहासिक अवधि से उपनिवेशी काल तक के हैं, जोकि विभिन्न भूगोलीय स्थितियों में स्थित हैं। इनमें मंदिर, मस्जिद, मकबरे, चर्च, कब्रिस्तान, किले, महल, सीढ़ीदार, कुएं, शैलकृत गुफाएं, दीर्घकालिक वास्तुकला तथा साथ ही प्राचीन टीले तथा प्राचीन आवास के अवशेषों का प्रतिनिधित्व करने वाले स्थल शामिल हैं। इन स्मारकों तथा स्थलों का रखरखाव तथा परिरक्षण भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के विभिन्न मंडलों द्वारा किया जाता है जो पूरे देश में फैले हुए हैं। .

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भारत के राज्य तथा केन्द्र-शासित प्रदेश

भारत राज्यों का एक संघ है। इसमें उन्तीस राज्य और सात केन्द्र शासित प्रदेश हैं। ये राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश पुनः जिलों और अन्य क्षेत्रों में बांटे गए हैं।.

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भारत के सम्राट

ऑर्डर ऑफ द स्टार ऑफ इंडिया का सितारा, जो ब्रिटिश साम्राज्यिक भारत के बिल्ले (चिह्न) के रूप में प्रयोग होता था। ”’भारत के सम्राट’”/”’साम्राज्ञी”, ”’ बादशाह-ए-हिं””, ”’ एम्परर/एम्प्रैस ऑफ इण्डिय”” वह उपाधि थी, जो कि अंतिम भारतीय मुगल शासक बहादुर_शाह_द्वितीय एवं भारत में ब्रिटिश राज के शासकों हेतु प्रयोग होती थी। कभी भारत के सम्राट उपाधि, भारतीय सम्राटों, जैसे मौर्य वंश के अशोक-महान। या मुगल_बादशाह अकबर-महान के लिये भी प्रयोग होती है। वैसे उन्होंने कभी भी यह उपाधियां अपने लिये नहीं घोषित कीं। .

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भारत के गवर्नर जनरलों की सूची

भारत के गवर्नर जनरल (या, 1857 से 1947 तक, भारत के वायसराय और गवर्नर जनरल) भारतीय उपमहाद्वीप पर ब्रिटिश राज का प्रधान पद था। यह सूची भारत और पाकिस्तान के आजादी से पहले के सभी वायसराय और गवर्नर-जनरल, भारतीय संघ के दो गवर्नर-जनरल और पाकिस्तानी अधिराज्य के चार गवर्नर-जनरल को प्रदर्शित करती है। गवर्नर जनरल ऑफ द प्रेसीडेंसी ऑफ फोर्ट विलियम के शीर्षक के साथ इस कार्यालय को 1773 में सृजित किया गया था। 1947 में जब भारत और पाकिस्तान को आजादी मिली तब वायसराय की पदवी को हटा दिया गया, लेकिन दोनों नई रियासतों में गवर्नर-जनरल के कार्यालय को तब तक जारी रखा गया जब तक उन्होंने क्रमशः 1950 और 1956 में गणतंत्र संविधान को अपनाया.

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भारत की संस्कृति

कृष्णा के रूप में नृत्य करते है भारत उपमहाद्वीप की क्षेत्रीय सांस्कृतिक सीमाओं और क्षेत्रों की स्थिरता और ऐतिहासिक स्थायित्व को प्रदर्शित करता हुआ मानचित्र भारत की संस्कृति बहुआयामी है जिसमें भारत का महान इतिहास, विलक्षण भूगोल और सिन्धु घाटी की सभ्यता के दौरान बनी और आगे चलकर वैदिक युग में विकसित हुई, बौद्ध धर्म एवं स्वर्ण युग की शुरुआत और उसके अस्तगमन के साथ फली-फूली अपनी खुद की प्राचीन विरासत शामिल हैं। इसके साथ ही पड़ोसी देशों के रिवाज़, परम्पराओं और विचारों का भी इसमें समावेश है। पिछली पाँच सहस्राब्दियों से अधिक समय से भारत के रीति-रिवाज़, भाषाएँ, प्रथाएँ और परंपराएँ इसके एक-दूसरे से परस्पर संबंधों में महान विविधताओं का एक अद्वितीय उदाहरण देती हैं। भारत कई धार्मिक प्रणालियों, जैसे कि हिन्दू धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म और सिख धर्म जैसे धर्मों का जनक है। इस मिश्रण से भारत में उत्पन्न हुए विभिन्न धर्म और परम्पराओं ने विश्व के अलग-अलग हिस्सों को भी बहुत प्रभावित किया है। .

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भारत की जनगणना २०११

भारत की जनगणना 2011 भारत की जनगणना २०११, जनगणना आयुक्त सी.

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भारतीय नेपाली

भारतीय नेपाली या भारतीय गोरखा वह लोग हैं जो नेपाली मूल के लोग हैं लेकिन भारत में रहते आ रहें हैं, जिन्हें भारतीय नागरिकता प्राप्त है। वह लोग नेपाली भाषा के अलावा भी कई भाषाएं बोलते हैं, नेपाली भाषा भारत के कार्यालयी भाषाओं में से एक है, इतिहास में नेपाल अधिराज्य के वह भाग जो ब्रिटिश राज के समय भारत में आ गये जैसे, पश्चिम बंगाल का दार्जीलिंग जिला जो सिक्किम का भू-भाग था और कुछ समय के लिए नेपाल का भी भू-भाग रहा, सिक्किम-एक मात्र ऐसा राज्य है जहाँ मुख्य रूप से नेपाली रहते हैं जो 1975 में भारत का हिस्सा बना। दूसरे राज्य जहाँ नेपालीयों कि बहुलता है वह हैं:- उत्तराखण्ड, असम, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर और मेघालय। भारत के कई बड़े शहरों में भी नेपालीयों कि बहुलता पाई जाती है, मुख्यत: दिल्ली, कोलकाता, बैंगलोर, मुम्बई, चेन्नई, हैदराबाद और विशाखापटनम। .

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भारतीय मीडिया

भारत के संचार माध्यम (मीडिया) के अन्तर्गत टेलीविजन, रेडियो, सिनेमा, समाचार पत्र, पत्रिकाएँ, तथा अन्तरजालीय पृष्ट आदि हैं। अधिकांश मीडिया निजी हाथों में है और बड़ी-बड़ी कम्पनियों द्वारा नियंत्रित है। भारत में 70,000 से अधिक समाचार पत्र हैं, 690 उपग्रह चैनेल हैं (जिनमें से 80 समाचार चैनेल हैं)। आज भारत विश्व का सबसे बड़ा समाचार पत्र का बाजार है। प्रतिदिन १० करोड़ प्रतियाँ बिकतीं हैं। .

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भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, अधिकतर कांग्रेस के नाम से प्रख्यात, भारत के दो प्रमुख राजनैतिक दलों में से एक हैं, जिन में अन्य भारतीय जनता पार्टी हैं। कांग्रेस की स्थापना ब्रिटिश राज में २८ दिसंबर १८८५ में हुई थी; इसके संस्थापकों में ए ओ ह्यूम (थियिसोफिकल सोसाइटी के प्रमुख सदस्य), दादा भाई नौरोजी और दिनशा वाचा शामिल थे। १९वी सदी के आखिर में और शुरूआती से लेकर मध्य २०वी सदी में, कांग्रेस भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में, अपने १.५ करोड़ से अधिक सदस्यों और ७ करोड़ से अधिक प्रतिभागियों के साथ, ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के विरोध में एक केन्द्रीय भागीदार बनी। १९४७ में आजादी के बाद, कांग्रेस भारत की प्रमुख राजनीतिक पार्टी बन गई। आज़ादी से लेकर २०१६ तक, १६ आम चुनावों में से, कांग्रेस ने ६ में पूर्ण बहुमत जीता हैं और ४ में सत्तारूढ़ गठबंधन का नेतृत्व किया; अतः, कुल ४९ वर्षों तक वह केन्द्र सरकार का हिस्सा रही। भारत में, कांग्रेस के सात प्रधानमंत्री रह चुके हैं; पहले जवाहरलाल नेहरू (१९४७-१९६५) थे और हाल ही में मनमोहन सिंह (२००४-२०१४) थे। २०१४ के आम चुनाव में, कांग्रेस ने आज़ादी से अब तक का सबसे ख़राब आम चुनावी प्रदर्शन किया और ५४३ सदस्यीय लोक सभा में केवल ४४ सीट जीती। तब से लेकर अब तक कोंग्रेस कई विवादों में घिरी हुई है, कोंग्रेस द्वारा भारतीय आर्मी का मनोबल गिराने का देश में विरोध किया जा रहा है । http://www.allianceofdemocrats.org/index.php?option.

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भारतीय रिज़र्व बैंक

भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) भारत का केन्द्रीय बैंक है। यह भारत के सभी बैंकों का संचालक है। रिजर्व बैक भारत की अर्थव्यवस्था को नियन्त्रित करता है। इसकी स्थापना १ अप्रैल सन १९३५ को रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया ऐक्ट १९३४ के अनुसार हुई। बाबासाहेब डॉ॰ भीमराव आंबेडकर जी ने भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना में अहम भूमिका निभाई हैं, उनके द्वारा प्रदान किये गए दिशा-निर्देशों या निर्देशक सिद्धांत के आधार पर भारतीय रिजर्व बैंक बनाई गई थी। बैंक कि कार्यपद्धती या काम करने शैली और उसका दृष्टिकोण बाबासाहेब ने हिल्टन यंग कमीशन के सामने रखा था, जब 1926 में ये कमीशन भारत में रॉयल कमीशन ऑन इंडियन करेंसी एंड फिनांस के नाम से आया था तब इसके सभी सदस्यों ने बाबासाहेब ने लिखे हुए ग्रंथ दी प्राब्लम ऑफ दी रुपी - इट्स ओरीजन एंड इट्स सोल्यूशन (रुपया की समस्या - इसके मूल और इसके समाधान) की जोरदार वकालात की, उसकी पृष्टि की। ब्रिटिशों की वैधानिक सभा (लेसिजलेटिव असेम्बली) ने इसे कानून का स्वरूप देते हुए भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम 1934 का नाम दिया गया। प्रारम्भ में इसका केन्द्रीय कार्यालय कोलकाता में था जो सन १९३७ में मुम्बई आ गया। पहले यह एक निजी बैंक था किन्तु सन १९४९ से यह भारत सरकार का उपक्रम बन गया है। उर्जित पटेल भारतीय रिजर्व बैंक के वर्तमान गवर्नर हैं, जिन्होंने ४ सितम्बर २०१६ को पदभार ग्रहण किया। पूरे भारत में रिज़र्व बैंक के कुल 22 क्षेत्रीय कार्यालय हैं जिनमें से अधिकांश राज्यों की राजधानियों में स्थित हैं। मुद्रा परिचालन एवं काले धन की दोषपूर्ण अर्थव्यवस्था को नियन्त्रित करने के लिये रिज़र्व बैंक ऑफ इण्डिया ने ३१ मार्च २०१४ तक सन् २००५ से पूर्व जारी किये गये सभी सरकारी नोटों को वापस लेने का निर्णय लिया है। .

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भारतीय रुपया

भारतीय रुपया (प्रतीक-चिह्न: 8px; कोड: INR) भारत की राष्ट्रीय मुद्रा है। इसका बाज़ार नियामक और जारीकर्ता भारतीय रिज़र्व बैंक है। नये प्रतीक चिह्न के आने से पहले रुपये को हिन्दी में दर्शाने के लिए 'रु' और अंग्रेजी में Re.

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भारतीय रेल

यार्ड में खड़ी एक जनशताब्दी रेल। भारतीय रेल (आईआर) एशिया का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क तथा एकल सरकारी स्वामित्व वाला विश्व का दूसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। यह १६० वर्षों से भी अधिक समय तक भारत के परिवहन क्षेत्र का मुख्य घटक रहा है। यह विश्व का सबसे बड़ा नियोक्ता है, जिसके १३ लाख से भी अधिक कर्मचारी हैं। यह न केवल देश की मूल संरचनात्‍मक आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है अपितु बिखरे हुए क्षेत्रों को एक साथ जोड़ने में और देश राष्‍ट्रीय अखंडता का भी संवर्धन करता है। राष्‍ट्रीय आपात स्थिति के दौरान आपदाग्रस्त क्षेत्रों में राहत सामग्री पहुंचाने में भारतीय रेलवे अग्रणी रहा है। अर्थव्यस्था में अंतर्देशीय परिवहन का रेल मुख्य माध्यम है। यह ऊर्जा सक्षम परिवहन मोड, जो बड़ी मात्रा में जनशक्ति के आवागमन के लिए बड़ा ही आदर्श एवं उपयुक्त है, बड़ी मात्रा में वस्तुओं को लाने ले जाने तथा लंबी दूरी की यात्रा के लिए अत्यन्त उपयुक्त है। यह देश की जीवनधारा है और इसके सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए इनका महत्वपूर्ण स्थान है। सुस्थापित रेल प्रणाली देश के दूरतम स्‍थानों से लोगों को एक साथ मिलाती है और व्यापार करना, दृश्य दर्शन, तीर्थ और शिक्षा संभव बनाती है। यह जीवन स्तर सुधारती है और इस प्रकार से उद्योग और कृषि का विकासशील त्वरित करने में सहायता करता है। .

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भारतीय शांति रक्षा सेना

भारतीय शांति रक्षा सेना (IPKF; भारतीय शान्ति सेना) भारतीय सेना दल था जो 1987 से 1990 के मध्य श्रीलंका में शांति स्थापना ऑपरेशन क्रियान्वित कर रहा था। इसका गठन भारत-श्रीलंका संधि के अधिदेश के अंतर्गत किया गया था जिस पर भारत और श्रीलंका ने 1987 में हस्ताक्षर किये थे जिसका उद्देश्य युद्धरत श्रीलंकाई तमिल राष्ट्रवादियों जैसे लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) और श्रीलंकाई सेना के मध्य श्रीलंकाई गृहयुद्ध को समाप्त करना था। IPKF का मुख्य कार्य केवल LTTE ही नहीं बल्कि विभिन्न उग्रवादी गुटों को निःशस्त्र करना था। इसके शीघ्र बाद एक अंतरिम प्रशासनिक परिषद का गठन किया जाना था। ये भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की आज्ञा से भारत और श्रीलंका के बीच हस्ताक्षरित समझौते की शर्तों के अनुसार था। श्रीलंका में संघर्ष के स्तर में वृद्धि को देखते हुए और भारत में शरणार्थियों की घनघोर भीड़ उमड़ पड़ने पर, राजीव गांधी, ने इस समझौते को बढाने के लिए निर्णायक कदम उठाया.

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भारतीय साम्राज्य खेल

भारतीय साम्राज्य खेल, एक राष्ट्रीय खेल स्पर्धा थी जिसका आयोजन भारतीय साम्राज्य ब्रिटिश राज में किया गया था। स्पर्धा सिर्फ एक बार 1909 में मद्रास में, आयोजित की गयी थी, जिसमें ब्रिटेन के समूचे भारतीय साम्राज्य के खिलाड़ियों ने भाग लिया था। भारतीय साम्राज्य में आधुनिक राष्ट्र, भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका (सीलोन), म्यांमार (बर्मा), भूटान और ओमान शामिल थे। .

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भारतीय सिविल सेवा

भारतीय सिविल सेवा भारत सरकार की नागरिक सेवा तथा स्थायी नौकरशाही है। सिविल सेवा देश की प्रशासनिक मशीनरी की रीढ है। भारत के संसदीय लोकतंत्र में जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों, जो कि मंत्रीगण होते हैं, के साथ वे प्रशासन को चलाने के लिए जिम्मेदार होते हैं। ये मंत्री विधायिकाओं के लिए उत्तरदायी होते हैं जिनका निर्वाचन सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के आधार पर आम जनता द्वारा होता है। मंत्रीगण परोक्ष रूप से लोगों के लिए भी जिम्मेदार हैं। लेकिन आधुनिक प्रशासन की कई समस्याओं के साथ मंत्रीगण द्वारा व्यक्तिगत रूप से उनसे निपटने की उम्मीद नहीं की जा सकती है। इस प्रकार मंत्रियों ने नीतियों का निर्धारण किया और नीतियों के निर्वाह के लिए सिविल सेवकों की नियुक्ति की जाती है। कार्यकारी निर्णय भारतीय सिविल सेवकों द्वारा कार्यान्वित किया जाता है। सिविल सेवक, भारतीय संसद के बजाए भारत सरकार के कर्मचारी हैं। सिविल सेवकों के पास कुछ पारंपरिक और सांविधिक दायित्व भी होते हैं जो कि कुछ हद तक सत्ता में पार्टी के राजनैतिक शक्ति के लाभ का इस्तेमाल करने से बचाता है। वरिष्ठ सिविल सेवक संसद के स्पष्टीकरण के लिए जिम्मेवार हो सकते हैं। सिविल सेवा में सरकारी मंत्रियों (जिनकी नियुक्ति राजनैतिक स्तर पर की गई हो), संसद के सदस्यों, विधानसभा विधायी सदस्य, भारतीय सशस्त्र बलों, गैर सिविल सेवा पुलिस अधिकारियों और स्थानीय सरकारी अधिकारियों को शामिल नहीं किया जाता है। .

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भारतीय स्टेट बैंक

मुंबई में भारतीय स्टेट बैंक का आँचलिक कार्यालय स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (State Bank of India / SBI) भारत की सबसे बड़ी एवं सबसे पुरानी बैंक है। 2 जून 1806 को कलकत्ता में 'बैंक ऑफ़ कलकत्ता' की स्थापना हुई थी। तीन वर्षों के पश्चात इसको चार्टर मिला तथा इसका पुनर्गठन बैंक ऑफ़ बंगाल के रूप में 2 जनवरी 1809 को हुआ। यह अपने तरह का अनोखा बैंक था जो साझा स्टॉक पर ब्रिटिश भारत तथा बंगाल सरकार द्वारा चलाया जाता था। बैंक ऑफ़ बॉम्बे तथा बैंक ऑफ़ मद्रास की शुरुआत बाद में हुई। ये तीनों बैंक आधुनिक भारत के प्रमुख बैंक तब तक बने रहे जब तक कि इनका विलय इंपिरियल बैंक ऑफ़ इंडिया (हिन्दी अनुवाद - भारतीय शाही बैंक) में 28 जनवरी 1921 को नहीं कर दिया गया। सन 1941 में पहली पंचवर्षीय योजना की नींव डाली गई जिसमें गांवों के विकास पर जोर डाला गया था। इस समय तक इंपिरियल बैंक ऑफ़ इंडिया का कारोबार सिर्फ़ शहरों तक सीमित था। अतः ग्रामीण विकास के मद्देनजर एक ऐसे बैंक की कल्पना की गई जिसकी पहुंच गांवों तक हो तथा ग्रामीण जनता को जिसका लाभ हो सके। इसके फलस्वरूप 1 जुलाई 1944 को स्टेट बैंक आफ़ इंडिया की स्थापना की गई, जिसमे सरकार की हिस्सेदारी 61.58% हैं। अपने स्थापना काल में स्टेट बैंक के कुल ४८० कार्यालय थे जिसमें शाखाएं, उप शाखाएं तथा तीन स्थानीय मुख्यालय शामिल थे, जो इम्पीरियल बैंकों के मुख्यालयों को बनाया गया था। .

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भारतीय सैन्य अकादमी

इंडियन मिलिटरी ऐकडमी (भारतीय सैन्य अकादमी) भारतीय सेना के अधिकारियों के प्रशिक्षण के लिए प्रमुख प्रशिक्षण स्कूल है। .

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भारतीय सेना की आर्मर्ड कोर

आर्मर्ड (बख्तरबंद) कोर भारतीय सेना के लड़ाकू हथियारों में से एक है। इसे ब्रिटिश राज के भारतीय बख्तरबंद कोर की दो-तिहाई संपत्ति और कर्मियों से 1947 में बनाया गया। वर्तमान में राष्ट्रपति के अंगरक्षकों सहित इसमें 63 बख्तरबंद रेजिमेंटों हैं। रेजिमेंटों के नामकरण भिन्न हैं। "कैवेलरी", "हॉर्स" और "लांसर्स" शब्द,आजादी के बाद ली गयी इकाइयों में तिरस्कृत कर दिये गये। आर्मड कोर स्कूल और केंद्र अहमदनगर में है। परंपरा के रूप में, प्रत्येक बख्तरबंद रेजिमेंट का अपना "रेजिमेंट कर्नल" होता है जो रेजिमेंट की इकाई के मुद्दों की देखरेख करता है। .

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भारतीय अधिराज्य

भारत अधिराज्य, मौजूदा भारत(अर्थात् भारत गणराज्य) की संक्रमणकालीन अवस्था थी। यह ३ साल तक; १९४७ से १९५० में संविधान के प्रवर्तन तक, अस्तित्व में रही थी। रह मूल रूप से भारत में ब्रिटिश-उपनिवैषिक शासिन अवस्था से स्वतंत्र, स्वायत्त, लोकतांत्रिक, भारतिय गणराज्य के बीच की अस्थाई शासन अथ्वा राज्य थी। इसे आधिकारिक रूप से हिंदी में भारत अधिराज्य एवं अंग्रेज़ी में डोमीनियन ऑफ़ इंडिया(Dominion of India) कहा जाता था। सन १९४७ में ब्रितानियाई संसद में भारतिय स्वतंत्रता अधीनियम पारित होने के बाद, अधिकारिक तौर पर, यूनाईटेड किंगडम की सरकार ने भारत पर अपनी प्रभुता त्याग दी और भारत में स्वशासन अथवा स्वराज लागू कर दिया। इसके साथ ही ब्रिटिश भारत(ब्रिटिश-भारतिय उपनिवेष) का अंत हो गया और भारत कैनडा और ऑस्ट्रेलिया की हि तरह एक स्वायत्त्योपनिवेष(डोमीनियन) बन गय, (अर्थात ब्रिटिश साम्राज्य में ही स्वायत्त्य इकाई)। ब्रिटिश संसद के भारत-संबंधित सारे विधानाधिकारों को (1945 में गठित) भारत की संविधान सभा के अधिकार में सौंप दिया गया, भारत, ब्रिटिश-राष्ट्रमंडल प्रदेश का सहपद सदस्य भी बन गया साथ ही ब्रिटेन के राजा ने भारत के सम्राट का शाही ख़िताब त्याग दिया। ब्रिटिश स्वयत्तयोपनिवेष एवं रष्ट्रमंडल प्रदेश का हिस्सा होने के नाते इंगलैंड के राजा ज्यौर्ज (षष्ठम) को भारत का राष्ट्राध्यक्ष बनाया गया एवं आन्य राष्ट्रमंडल देशों की तरह ही भारतिय लैहज़े में उन्हें भारत के राजा की उपादी से नवाज़ा गया(यह पद केवल नाम-मात्र एवं शिश्टाचार के लिये था), भारत में उनका प्रतिनिधित्व भारत के महाराज्यपाल(गवरनर-जनरल) के द्वारा होता था। 1950 में संविधान के लागू होने के साथ ही भारत एक पूर्णतः स्वतंत्र गणराज्य बन गया और साथ ही भारत के राजा के पद को हमेशा के लिये स्थगित कर दिया गया, और भारत के संवंधान द्वरा स्थापित लोकतांत्रिक प्रकृया द्वारा चुने गए भारत के महामहिं राष्ट्रपति के पद से बदल दिया गया। इस बीच भारत में दो महाराज्यपालों को नियुक्त किया गया, महामहिं महाराज्यपाल लाॅर्ड माउण्टबैटन और महामहिं महाराज्यपाल चक्रवर्ती राजागोपालाचारी। .

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भारतीय उपमहाद्वीप

भारतीय उपमहाद्वीप का भौगोलिक मानचित्र भारतीय उपमहाद्वीप, एशिया के दक्षिणी भाग में स्थित एक उपमहाद्वीप है। इस उपमहाद्वीप को दक्षिण एशिया भी कहा जाता है भूवैज्ञानिक दृष्टि से भारतीय उपमहाद्वीप का अधिकांश भाग भारतीय प्रस्तर (या भारतीय प्लेट) पर स्थित है, हालाँकि इस के कुछ भाग इस प्रस्तर से हटकर यूरेशियाई प्रस्तर पर भी स्थित हैं। .

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भिलाला

भिलाला (दरबार/ठाकुर) जाति मूल रूप से मिश्रित राजपूत और भील क्षत्रिय जाति है जो के राजपूत योद्धाओं के भील सरदारों/शासक/जमींदारों की कन्याओं से विवाह से उत्पन्न हुई| ये मुख्य रूप से मालवा, मेवाड और निमाड़ में रहते है| इन्हें दरबार/ठाकुर कहा जाता है और इनके रिति रिवाज और पोशाक राजपूती है और अधिकांश लोगो की रीति रिवाज पुराने ही हैं। सभी भीलाला हिन्दू हैं | .

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भगत सिंह

भगत सिंह (जन्म: २८ सितम्बर या १९ अक्टूबर, १९०७, मृत्यु: २३ मार्च १९३१) भारत के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे। चन्द्रशेखर आजाद व पार्टी के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर इन्होंने देश की आज़ादी के लिए अभूतपूर्व साहस के साथ शक्तिशाली ब्रिटिश सरकार का मुक़ाबला किया। पहले लाहौर में साण्डर्स की हत्या और उसके बाद दिल्ली की केन्द्रीय संसद (सेण्ट्रल असेम्बली) में बम-विस्फोट करके ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध खुले विद्रोह को बुलन्दी प्रदान की। इन्होंने असेम्बली में बम फेंककर भी भागने से मना कर दिया। जिसके फलस्वरूप इन्हें २३ मार्च १९३१ को इनके दो अन्य साथियों, राजगुरु तथा सुखदेव के साथ फाँसी पर लटका दिया गया। सारे देश ने उनके बलिदान को बड़ी गम्भीरता से याद किया। भगत सिंह को समाजवादी,वामपंथी और मार्क्सवादी विचारधारा में रुचि थी। सुखदेव, राजगुरु तथा भगत सिंह के लटकाये जाने की ख़बर - लाहौर से प्रकाशित ''द ट्रिब्युन'' के मुख्य पृष्ठ --> .

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भैरोंसिंह शेखावत

भैरोंसिंह शेखावत (२३ अक्टूबर १९२३ - १५ मई २०१०) भारत के उपराष्ट्रपति थे। वे १९ अगस्त २००२ से २१ जुलाई २००७ तक इस पद पर रहे। वे १९७७ से १९८०, १९९० से १९९२ और १९९३ से १९९८ तक राजस्थान के मुख्यमंत्री भी रहे। वे भारतीय जनता पार्टी के सदस्य थे। भैरोंसिंह शेखावत का जन्म तत्कालिक जयपुर रियासत के गाँव खाचरियावास में हुआ था। यह गाँव अब राजस्थान के सीकर जिले में है। इनके पिता का नाम श्री देवी सिंह शेखावत और माता का नाम श्रीमती बन्ने कँवर था। गाँव की पाठशाला में अक्षर-ज्ञान प्राप्त किया। हाई-स्कूल की शिक्षा गाँव से तीस किलोमीटर दूर जोबनेर से प्राप्त की, जहाँ पढ़ने के लिए पैदल जाना पड़ता था। हाई स्कूल करने के पश्चात जयपुर के महाराजा कॉलेज में दाखिला लिया ही था कि पिता का देहांत हो गया और परिवार के आठ प्राणियों का भरण-पोषण का भार किशोर कंधों पर आ पड़ा, फलस्वरूप हल हाथ में उठाना पड़ा। बाद में पुलिस की नौकरी भी की; पर उसमें मन नहीं रमा और त्यागपत्र देकर वापस खेती करने लगे। स्वतंत्रता-प्राप्ति के पश्चात लोकतंत्र की स्थापना में आम नागरिक के लिए उन्नति के द्वार खोल दिए। राजस्थान में वर्ष १९५२ में विधानसभा की स्थापना हुई तो शेखावत ने भी भाग्य आजमाया और विधायक बन गए। फिर पीछे मुड़ कर नहीं देखा तथा सीढ़ी-दर-सीढ़ी चढ़ते हुए विपक्ष के नेता, मुख्यमंत्री और उपराष्ट्रपति पद तक पहुँच गए। .

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भूपेन्द्र सिंह

भूपेन्द्र सिंह (अंग्रेजी: Bhupinder Singh (musician), जन्म: 8 अप्रैल 1939 पटियाला) हिन्दी फ़िल्मों के पार्श्वगायक एवं संगीतकार हैं। भारत में जन्मे भूपेन्द्र सिंह बहुत अच्छा गिटार भी बजाते हैं। उनकी पत्नी मिताली सिंह भी एक गायिका हैं। दोनों पति-पत्नी ने मिलकर संगीत के क्षेत्र में विशेष रूप से गज़ल-गायिकी में पर्याप्त ख्याति अर्जित की है। .

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भोपाल

भोपाल भारत देश में मध्य प्रदेश राज्य की राजधानी है और भोपाल ज़िले का प्रशासनिक मुख्यालय भी है। भोपाल को झीलों की नगरी भी कहा जाता है,क्योंकि यहाँ कई छोटे-बड़े ताल हैं। यह शहर अचानक सुर्ख़ियों में तब आ गया जब १९८४ में अमरीकी कंपनी, यूनियन कार्बाइड से मिथाइल आइसोसाइनेट गैस के रिसाव से लगभग बीस हजार लोग मारे गये थे। भोपाल गैस कांड का कुप्रभाव आज तक वायु प्रदूषण, भूमि प्रदूषण, जल प्रदूषण के अलावा जैविक विकलांगता एवं अन्य रूपों में आज भी जारी है। इस वजह से भोपाल शहर कई आंदोलनों का केंद्र है। भोपाल में भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल) का एक कारखाना है। हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र ने अपना दूसरा 'मास्टर कंट्रोल फ़ैसिलटी' स्थापित की है। भोपाल में ही भारतीय वन प्रबंधन संस्थान भी है जो भारत में वन प्रबंधन का एकमात्र संस्थान है। साथ ही भोपाल उन छह नगरों में से एक है जिनमे २००३ में भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान खोलने का निर्णय लिया गया था तथा वर्ष २०१५ से यह कार्यशील है। इसके अतिरिक्त यहाँ अनेक विश्वविद्यालय जैसे राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय,बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय,अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय,मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय,माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय,भारतीय राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय। इसके अतिरिक्त अनेक राष्ट्रीय संस्थान जैसे अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान,भारतीय वन प्रबंधन संस्थान,भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान,राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान मानित विश्वविद्यालय भोपाल इंजीनियरिंग महाविद्यालय,गाँधी चिकित्सा महाविद्यालय तथा अनेक शासकीय एवं पब्लिक स्कूल हैं। .

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मणिलाल गांधी

मणिलाल मोहनदास गाँधी (28 अक्तूबर1892 – 4 अप्रैल 1956) महात्मा गाँधी और कस्तूरबा गाँधी का चार में से दूसरा पुत्र था। वे इंग्लिश और गुजराती में छपने वाले इंडियन ओपिनयन के संपादक थे। वे 1917 में दक्षिण अफ्रीका से भारत आए थे पर वापस लौट गए। उनकी शादी सुशीला मशरुवाला से 1927 में हुई। उनकी दो पुत्रियां सीता (1928) और इला (1940) और एक पुत्र अरुण (1934) है। .

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मदनमोहन मालवीय

महामना मदन मोहन मालवीय (25 दिसम्बर 1861 - 1946) काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रणेता तो थे ही इस युग के आदर्श पुरुष भी थे। वे भारत के पहले और अन्तिम व्यक्ति थे जिन्हें महामना की सम्मानजनक उपाधि से विभूषित किया गया। पत्रकारिता, वकालत, समाज सुधार, मातृ भाषा तथा भारतमाता की सेवा में अपना जीवन अर्पण करने वाले इस महामानव ने जिस विश्वविद्यालय की स्थापना की उसमें उनकी परिकल्पना ऐसे विद्यार्थियों को शिक्षित करके देश सेवा के लिये तैयार करने की थी जो देश का मस्तक गौरव से ऊँचा कर सकें। मालवीयजी सत्य, ब्रह्मचर्य, व्यायाम, देशभक्ति तथा आत्मत्याग में अद्वितीय थे। इन समस्त आचरणों पर वे केवल उपदेश ही नहीं दिया करते थे अपितु स्वयं उनका पालन भी किया करते थे। वे अपने व्यवहार में सदैव मृदुभाषी रहे। कर्म ही उनका जीवन था। अनेक संस्थाओं के जनक एवं सफल संचालक के रूप में उनकी अपनी विधि व्यवस्था का सुचारु सम्पादन करते हुए उन्होंने कभी भी रोष अथवा कड़ी भाषा का प्रयोग नहीं किया। भारत सरकार ने २४ दिसम्बर २०१४ को उन्हें भारत रत्न से अलंकृत किया। .

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मदनलाल ढींगरा

मदनलाल धींगड़ा (१८ सितम्बर १८८३ - १७ अगस्त १९०९) भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के अप्रतिम क्रान्तिकारी थे। वे इंग्लैण्ड में अध्ययन कर रहे थे जहाँ उन्होने विलियम हट कर्जन वायली नामक एक ब्रिटिश अधिकारी की गोली मारकर हत्या कर दी। यह घटना बीसवीं शताब्दी में भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन की कुछेक प्रथम घटनाओं में से एक है। .

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मद्रास की घेराबंदी

मद्रास घेराबंदी मद्रास, ब्रिटिश भारत से मद्रास की दिसंबर १७५८ से फरवरी १७५९ के बीच की गयी घेराबंदी को कहा जाता है। यह फ़्रांस की सेनाओं ने सेनापति थोमस अर्थर, लाली की कमान में सप्त वर्षीय युद्ध में की थी। ब्रिटिश दुर्ग युद्ध बंदी होने तक किसी तरह अस्तित्व बनाये रहा। ब्रिटिश सेनाओं ने 26,554 तोप के गोले छोड़े और २ लाख से अधिक बंदूक की गोलियां शहर की सुरक्षा हेतु प्रयोग कीं। फ्रेंच सेनाओं के लिये दुर्ग और मद्रास को न ले पाना बहुत बड़ी निराशा का विषय बना, जिसने उनके भारत विजय के अभियान को गहरा धक्का पहुंचाया। इसमें वंडीवाश के युद्ध ने और बढोत्तरी की। विलियम ड्रेपर जिसने मद्रास घेराबंदी में ब्रिटिश सेना की कमान संभाली .

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मध्यकालीन भारत

मध्ययुगीन भारत, "प्राचीन भारत" और "आधुनिक भारत" के बीच भारतीय उपमहाद्वीप के इतिहास की लंबी अवधि को दर्शाता है। अवधि की परिभाषाओं में व्यापक रूप से भिन्नता है, और आंशिक रूप से इस कारण से, कई इतिहासकार अब इस शब्द को प्रयोग करने से बचते है। अधिकतर प्रयोग होने वाले पहली परिभाषा में यूरोपीय मध्य युग कि तरह इस काल को छठी शताब्दी से लेकर सोलहवीं शताब्दी तक माना जाता है। इसे दो अवधियों में विभाजित किया जा सकता है: 'प्रारंभिक मध्ययुगीन काल' 6वीं से लेकर 13वीं शताब्दी तक और 'गत मध्यकालीन काल' जो 13वीं से 16वीं शताब्दी तक चली, और 1526 में मुगल साम्राज्य की शुरुआत के साथ समाप्त हो गई। 16वीं शताब्दी से 18वीं शताब्दी तक चले मुगल काल को अक्सर "प्रारंभिक आधुनिक काल" के रूप में जाना जाता है, लेकिन कभी-कभी इसे "गत मध्ययुगीन" काल में भी शामिल कर लिया जाता है। एक वैकल्पिक परिभाषा में, जिसे हाल के लेखकों के प्रयोग में देखा जा सकता है, मध्यकालीन काल की शुरुआत को आगे बढ़ा कर 10वीं या 12वीं सदी बताया जाता है। और इस काल के अंत को 18वीं शताब्दी तक धकेल दिया गया है, अत: इस अवधि को प्रभावी रूप से मुस्लिम वर्चस्व (उत्तर भारत) से ब्रिटिश भारत की शुरुआत के बीच का माना जा सकता है। अत: 8वीं शताब्दी से 11वीं शताब्दी के अवधि को "प्रारंभिक मध्ययुगीन काल" कहा जायेगा। .

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मनमोहन (अभिनेता)

मनमोहन हिन्दी फ़िल्मों के एक चरित्र अभिनेता थे जो मुख्यतः खलनायक की भूमिका के लिये जाने जाते हैं। उन्होनें कई बंगाली, पंजाबी तथा गुजराती फ़िल्मों में भी कार्य किया है। .

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मनमोहन सिंह

मनमोहन सिंह (ਮਨਮੋਹਨ ਸਿੰਘ; जन्म: २६ सितंबर १९३२) भारत गणराज्य के १३वें प्रधानमन्त्री थे। साथ ही साथ वे एक अर्थशास्त्री भी हैं। लोकसभा चुनाव २००९ में मिली जीत के बाद वे जवाहरलाल नेहरू के बाद भारत के पहले ऐसे प्रधानमन्त्री बन गये हैं, जिनको पाँच वर्षों का कार्यकाल सफलता पूर्वक पूरा करने के बाद लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने का अवसर मिला है। इन्हें २१ जून १९९१ से १६ मई १९९६ तक पी वी नरसिंह राव के प्रधानमंत्रित्व काल में वित्त मन्त्री के रूप में किए गए आर्थिक सुधारों के लिए भी श्रेय दिया जाता है। .

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मन्ना डे

मन्ना डे (1 मई 1919 - 24 अक्टूबर 2013), जिन्हें प्यार से मन्ना दा के नाम से भी जाना जाता है, फिल्म जगत के एक सुप्रसिद्ध भारतीय पार्श्व गायक थे। उनका वास्तविक नाम प्रबोध चन्द्र डे था। मन्ना दा ने सन् 1942 में फ़िल्म तमन्ना से अपने फ़िल्मी कैरियर की शुरुआत की और 1942 से 2013 तक लगभग 3000 से अधिक गानों को अपनी आवाज दी। मुख्यतः हिन्दी एवं बंगाली फिल्मी गानों के अलावा उन्होंने अन्य भारतीय भाषाओं में भी अपने कुछ गीत रिकॉर्ड करवाये। भारत सरकार ने उन्हें 1971 में पद्म श्री, 2005 में पद्म भूषण एवं 2007 में दादासाहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया। .

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मनोहर आइच

मनोहर आइच (17 मार्च 1912 - 5 जून 2016) एक भारतीय बॉडी बिल्डर थे। ‘पॉकेट हरक्यूलिस’ के नाम से प्रसिद्ध मनोहर आइच ने वर्ष 1950 में 36 वर्ष की आयु में मिस्टर हरक्यूलिस टाइटल जीता था। आज़ादी के पश्चात (1951 में मोनोतोष राय के बाद) वर्ष 1952 में मिस्टर यूनिवर्स का खिताब जीतने वाले वे दूसरे भारतीय थे। वर्ष 1942 में वे रॉयल इंडियन एयर फोर्स में शामिल हुए थे। वर्ष 2015 में पश्चिम बंगाल सरकार ने उन्हें ‘बंगविभूषण अवॉर्ड’ से सम्मानित किया था। .

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ममनून हुसैन

ममनून हुसैन (ممنون حسین (जन्म:2 मार्च 1940) एक पाकिस्तानी कपड़ा व्यापारी और राजनेता हैं, जिन्हें जुलाई 2013 में पाकिस्तान का राष्ट्रपति चुना गया। हुसैन 1999 में छोटे समय के लिए सिंध के राज्यपाल बने। राज्यपाल के रूप में उनका कार्यकाल सैन्य तख्तापलट के कारण अक्टूबर 1999 तक ही सीमित रहा। 30 जुलाई 2013 को उन्हें पाकिस्तान के 12वें राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित किया गया, अथवा वह 8 सितम्बर 2013 को अपने पूर्ववर्ती आसिफ अली जरदारी को प्रतिस्थापित करते हुए शपथ ग्रहण करेंगे। .

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मरी, तुर्कमेनिस्तान

प्राचीन मर्व शहर के कुछ खँडहर मरी (तुर्कमेनी: Mary, Мары; अंग्रेज़ी: Mary; फ़ारसी:, मर्व) तुर्कमेनिस्तान के मरी प्रांत की राजधानी है। इसके पुराने नाम 'मर्व' (Merv), 'मेरु' और 'मारजियाना' (Margiana) हुआ करते थे। यह काराकुम रेगिस्तान में मुरग़ाब नदी के किनारे बसा हुआ एक नख़लिस्तान (ओएसिस) है। सन् २००९ में इसकी आबादी १,२३,००० थी जो १९८९ में ९२,००० से बढ़ी हुई थी। .

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मल्लिकार्जुन खड़गे

श्री मल्लिकार्जुन खड़गे को भारत सरकार की पंद्रहवीं लोकसभा के मंत्रीमंडल में श्रम एवं रोज़गार में मंत्री बनाया गया था। मल्लिकार्जुन खड़गे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से संबंधित भारतीय राजनीतिज्ञ हैं। वे २००९ में हुए आमचुनाव में कर्नाटक के गुलबर्गा चुनाव क्षेत्र से १५ वीं लोकसभा के लिए सदस्य निर्वाचित हुए थे। वे भारत के वर्तमान लोक सभा में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस नेता हैं। .

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मशीहुर रहमान

महीशुर रहमान, (19241979) बांग्लादेश के एक वरिष्ठ मंत्री थे, जिनपर रेलमार्ग, सड़कों और राजमार्गों का प्रभार था। पद व औदे की हैसियत से वे 29 जून 1978 से 12 मार्च 1979 के बीच प्रधानमंत्री की हैसियत रखते थे। वे बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की स्थापना में निर्णायक थे। बांग्लादेश के प्रधानमंत्री के पद को, शेख मुजीबुर्रहमान की हत्या के कारणवश 15 अगस्त 1975 से बर्खास्त कर दिया गया था। जियाउर रहमान के राष्ट्रपति बनने के पश्चात, एक मंत्रित्वीय व्यवस्था को पुनर्स्थापित किया गया, और जून 1978 से उन्होंने बतौर मुख्य मंत्री/वरिष्ठ मंत्री कार्य किया। उनको प्रधानमंत्री बनने की बात थी, परंतु 12 मार्च 1979 को उनकी अकाल मृत्यु के कारण शाह अजीजुर रहमान को 15 अप्रैल 1979 को बांग्लादेश का प्रधानमंत्री बना दिया गया। .

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महमूद

महमूद अली (१९३२-जुलाई २३, २००४) (आम तौर पर महमूद) एक भारतीय अभिनेता और फ़िल्म निर्देशक थे। हिन्दी फ़िल्मों में उनके हास्य कलाकार के तौर पर किये गये अदभुत अभिनय के लिये वे जाने और सराहे गये है। तीन दशक लम्बे चले उनके करीयर में उन्होने 300 से ज़्यादा हिन्दी फ़िल्मों में काम किया। महमूद अभिनेता और नृत्य कलाकार मुम्ताज़ अली के नौ बच्चों में से एक थे। जुलाई २३, २००४ को अमरीका में पेनसिल्वेनिया शहर में नींद में ही गुज़र गये। वे बरसों से ह्रदयरोग से पीडीत थे। पिछले बरसों में उनकी सेहत बहुत खराब रेहती थी। .

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महात्मा गांधी

मोहनदास करमचन्द गांधी (२ अक्टूबर १८६९ - ३० जनवरी १९४८) भारत एवं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनैतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे। वे सत्याग्रह (व्यापक सविनय अवज्ञा) के माध्यम से अत्याचार के प्रतिकार के अग्रणी नेता थे, उनकी इस अवधारणा की नींव सम्पूर्ण अहिंसा के सिद्धान्त पर रखी गयी थी जिसने भारत को आजादी दिलाकर पूरी दुनिया में जनता के नागरिक अधिकारों एवं स्वतन्त्रता के प्रति आन्दोलन के लिये प्रेरित किया। उन्हें दुनिया में आम जनता महात्मा गांधी के नाम से जानती है। संस्कृत भाषा में महात्मा अथवा महान आत्मा एक सम्मान सूचक शब्द है। गांधी को महात्मा के नाम से सबसे पहले १९१५ में राजवैद्य जीवराम कालिदास ने संबोधित किया था।। उन्हें बापू (गुजराती भाषा में બાપુ बापू यानी पिता) के नाम से भी याद किया जाता है। सुभाष चन्द्र बोस ने ६ जुलाई १९४४ को रंगून रेडियो से गांधी जी के नाम जारी प्रसारण में उन्हें राष्ट्रपिता कहकर सम्बोधित करते हुए आज़ाद हिन्द फौज़ के सैनिकों के लिये उनका आशीर्वाद और शुभकामनाएँ माँगीं थीं। प्रति वर्ष २ अक्टूबर को उनका जन्म दिन भारत में गांधी जयंती के रूप में और पूरे विश्व में अन्तर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के नाम से मनाया जाता है। सबसे पहले गान्धी ने प्रवासी वकील के रूप में दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय के लोगों के नागरिक अधिकारों के लिये संघर्ष हेतु सत्याग्रह करना शुरू किया। १९१५ में उनकी भारत वापसी हुई। उसके बाद उन्होंने यहाँ के किसानों, मजदूरों और शहरी श्रमिकों को अत्यधिक भूमि कर और भेदभाव के विरुद्ध आवाज उठाने के लिये एकजुट किया। १९२१ में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बागडोर संभालने के बाद उन्होंने देशभर में गरीबी से राहत दिलाने, महिलाओं के अधिकारों का विस्तार, धार्मिक एवं जातीय एकता का निर्माण व आत्मनिर्भरता के लिये अस्पृश्‍यता के विरोध में अनेकों कार्यक्रम चलाये। इन सबमें विदेशी राज से मुक्ति दिलाने वाला स्वराज की प्राप्ति वाला कार्यक्रम ही प्रमुख था। गाँधी जी ने ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों पर लगाये गये नमक कर के विरोध में १९३० में नमक सत्याग्रह और इसके बाद १९४२ में अंग्रेजो भारत छोड़ो आन्दोलन से खासी प्रसिद्धि प्राप्त की। दक्षिण अफ्रीका और भारत में विभिन्न अवसरों पर कई वर्षों तक उन्हें जेल में भी रहना पड़ा। गांधी जी ने सभी परिस्थितियों में अहिंसा और सत्य का पालन किया और सभी को इनका पालन करने के लिये वकालत भी की। उन्होंने साबरमती आश्रम में अपना जीवन गुजारा और परम्परागत भारतीय पोशाक धोती व सूत से बनी शाल पहनी जिसे वे स्वयं चरखे पर सूत कातकर हाथ से बनाते थे। उन्होंने सादा शाकाहारी भोजन खाया और आत्मशुद्धि के लिये लम्बे-लम्बे उपवास रखे। .

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महादेव देसाईं

महादेव देसाईं (गुजराती: મહાદેવ દેસાઈ) (१ जनवरी १८९२ - १५ अगस्त १९४२) भारत के स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी एवं राष्ट्रवादी लेखक थे। किन्तु उनकी प्रसिद्धि इस कारण से ज्यादा है कि वे लम्बे समय (लगभग २५ वर्ष) तक गांधीजी के निज सचिव रहे। .

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महाराज गुलाब सिंह

महाराज गुलाब सिंह(शाहमुखी: ﮔﻼﺏ ﺳﻨﮕﮫ ﮈﻭﮔﺮﺍ; गुरुमुखी: ਮਹਾਰਾਜਾ ਗੁਲਾਬ ਸਿੰਘ) (१७९२-१८५७) डोगरा राजवंश एवं जम्मू और कश्मीर राजघराने के संस्थापक और जम्मू और कश्मीर रियासत के पहले महाराज थे। उनका जन्म सन् १७९२ में जामवल कुल के एक डोगरा राजपूत परिवार में हुआ था, जो जम्मू के राजपरिवार से ताल्लुख़ रखता था। उन्हों ने अपनी क्षत्रिय जीवन की शुरुआत जम्मू रियासल के अधीपति, महाराज रणजीत सिंह की सेना में एक पैदल सैनिक के रूप में की थी पर आगे चल कर वे स्वतंत्र जम्मू और कश्मीर रियासत के पहले स्वतंत्र नरेश बन कर उबरे थे। उन्हें,सिख साम्राज्य के अधिपत्य, "जम्मू के राजा" का पद राजा जीत सिंह से उत्तराधिकृत किया था और प्रथम आंग्ल-सिख युद्ध में, जिसमें उन्होंने अंग्रेज़ों के साथ संधी कर ली थी, सिख साम्राज्य की पराजय के बाद स्वतंत्र जम्मू और कश्मीर रियासत की स्थापना की और महाराज के पद पर ख़ुद को विराजमान किया था। १८४६ की अमृतसर संधि के आधार पर आधिकारिक तौर पर महाराज ने ७५,००,००० नानकशाही रुपययों के भुकतान के बाद कश्मीर का पूरा भूखंड अंग्रेज़ों से खरीद लिया था जिसे अंग्रेज़ों ने लाहौर संधि द्वारा हासिल की थी। इसके अलावा भी महाराज गुलाब सिंह ने अपनी जीवनकाल के दौरान कई प्रदेशों और रियासतों पर फ़तह हासिल किया था। .

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मात्रिका प्रसाद कोइराला

मात्रिका प्रसाद कोइराला वा मातृका प्रसाद कोईराला (Matrika Prasad Koirala (मातृका प्रसाद कोईराला; १ जनवरी १९१२ – ११ सितम्बर १९९७) एक नेपाल के प्रधानमंत्री थे, ये दो बार प्रधानमंत्री पद पर रहे थे जो (१६ नवम्बर १९५१ से १४ अगस्त १९५२) और १५ जून १९५३ से १४ अप्रैल १९५५) तक नेपाल के प्रधानमंत्री रह चूके है। इनका निधन १९९७ को नेपाल के विराटनगर में हुआ था। .

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माधवराव सिंधिया

माधवराव सिंधिया का जन्म 10 मार्च को मुंबई में हुआ था। उनकी मृत्यु 30 सितंबर 2001 को हुई थी। श्रेणी:सिंधिया परिवार श्रेणी:भारत के रेल मंत्री.

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मानसून

जब ITCZ(उष्ण कटिबंधीय संरक्षित क्षेत्र)से जब व्यापारिक एवं समाॅगी हवाये ऊपर की ओर कोरियोलिस बल के कारण भारत के राज्य केरल मे 2महिना 10दिन मे मानसून पहुंचता है जो कि यहां सबसे पहले सबसे बाद मे भी मानसून यही होता है लेकिन भारत मे सबसे ज्यादा मानसून मासिनराम(मेघालय) मे होती है जो कि वहा पर औषतन बरसात 11873मिमी॰ की होती है । तमिलनाडु के नागरकायल (कन्याकुमारी के पास) में मानसून के बादल मानसून मूलतः हिन्द महासागर एवं अरब सागर की ओर से भारत के दक्षिण-पश्चिम तट पर आनी वाली हवाओं को कहते हैं जो भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश आदि में भारी वर्षा करातीं हैं। ये ऐसी मौसमी पवन होती हैं, जो दक्षिणी एशिया क्षेत्र में जून से सितंबर तक, प्रायः चार माह सक्रिय रहती है। इस शब्द का प्रथम प्रयोग ब्रिटिश भारत में (वर्तमान भारत, पाकिस्तान एवं बांग्लादेश) एवं पड़ोसी देशों के संदर्भ में किया गया था। ये बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से चलने वाली बड़ी मौसमी हवाओं के लिये प्रयोग हुआ था, जो दक्षिण-पश्चिम से चलकर इस क्षेत्र में भारी वर्षाएं लाती थीं। हाइड्रोलोजी में मानसून का व्यापक अर्थ है- कोई भी ऐसी पवन जो किसी क्षेत्र में किसी ऋतु-विशेष में ही अधिकांश वर्षा कराती है। यहां ये उल्लेखनीय है, कि मॉनसून हवाओं का अर्थ अधिकांश समय वर्षा कराने से नहीं लिया जाना चाहिये। इस परिभाषा की दृष्टि से संसार के अन्य क्षेत्र, जैसे- उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, उप-सहारा अफ़्रीका, आस्ट्रेलिया एवं पूर्वी एशिया को भी मानसून क्षेत्र की श्रेणी में रखा जा सकता है। ये शब्द हिन्दी व उर्दु के मौसम शब्द का अपभ्रंश है। मॉनसून पूरी तरह से हवाओं के बहाव पर निर्भर करता है। आम हवाएं जब अपनी दिशा बदल लेती हैं तब मॉनसून आता है।.

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मार्शल आर्ट

मार्शल आर्ट या लड़ाई की कलाएं विधिबद्ध अभ्यास की प्रणाली और बचाव के लिए प्रशिक्षण की परंपराएं हैं। सभी मार्शल आर्ट्स का एक समान उद्देश्य है: ख़ुद की या दूसरों की किसी शारीरिक ख़तरे से रक्षा । मार्शल आर्ट को विज्ञान और कला दोनों माना जाता है। इनमें से कई कलाओं का प्रतिस्पर्धात्मक अभ्यास भी किया जाता है, ज़्यादातर लड़ाई के खेल में, लेकिन ये नृत्य का रूप भी ले सकती हैं। मार्शल आर्ट्स का मतलब युद्ध की कला से है और ये लड़ाई की कला से जुड़ा पंद्रहवीं शताब्दी का यूरोपीय शब्द है जिसे आज एतिहासिक यूरोपीय मार्शल आर्ट्स के रूप में जाना जाता है। मार्शल आर्ट के एक कलाकार को मार्शल कलाकार के रूप में संदर्भित किया जाता है। मूल रूप से 1920 के दशक में रचा गया ये शब्द मार्शल आर्ट्स मुख्य तौर पर एशिया के युद्ध के तरीके के संदर्भ में था, विशेष तौर पर पूर्वी एशिया में जन्मे लड़ाई के तरीके के.

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माशेरब्रुम

माशेरब्रुम पाक अधिकृत कश्मीर के बल्तिस्तान क्षेत्र में स्थित काराकोरम पर्वतों के माशेरब्रुम पर्वत समूह का सबसे ऊँचा पर्वत है। ७,८२१ मीटर (२५,६५९ फ़ुट) की बुलंदी के साथ यह विश्व का २२वाँ सबसे ऊँचा और पाकिस्तान-नियंत्रित क्षेत्रों का ९वाँ सबसे ऊँचा पहाड़ है। इसे के१ (K1) भी बुलाया जाता है क्योंकि १९वीं सदी में काराकोरम शृंखला के निरिक्षण के दौरान यह पहला मापा गया पर्वत था। माशेरब्रुम समूह बाल्तोरो हिमानी से दक्षिण में स्थित है। .

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मास्टर तारा सिंह

मास्टर तारा सिंह (जन्म 24 जून 1885, रावलपिंडी, पंजाब में - मौत 22 नवंबर 1967, चंडीगढ़ में) शुरूआती तथा मध्य 20वीं सदी के एक प्रमुख सिक्ख राजनीतिक और धार्मिक नेता थे। उन्होंने अंग्रेज़ सरकार के दौरान सिक्ख धर्म को बृहत् हिन्दू धर्म से पृथक् करने में योग दिया। सरकार को प्रसन्न करने के लिए सेना में अधिकाधिक सिक्खों को भर्ती होने के लिए प्रेरित किया। उनके कारण ही सिक्खों को भी मुसलमानों की भाँति इंडिया ऐक्ट 1919 में पृथक् सांप्रदायिक प्रतिनिधित्व प्रदान किया गया। प्रथम विश्वयुद्ध के बाद मास्टर ने सिक्ख राजनीति को कांग्रेस के साथ संबद्ध किया और सिक्ख गुरुद्वारों और धार्मिक स्थलों का प्रबंध हिंदू मठाधीशों और हिंदू पुजारियों के हाथ से छीनकर उनपर अधिकार कर लिया। इससे अकाली दल की शक्ति में अप्रत्याशित वृद्धि हुई। मास्टर तारा सिंह शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रथम महामंत्री चुने गए। ग्रंथियों की नियुक्ति उनके हाथ में आ गई। इनकी सहायता से अकालियों का आंतकपूर्ण प्रभाव संपूर्ण पंजाब में छा गया। मास्टर तारा सिंह बाद में कई बार शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष चुने गए। .

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माउज़र पिस्तौल

माउज़र पिस्तौल (अंग्रेजी: Mauser C96) मूल रूप से जर्मनी में बनी एक अर्द्ध स्वचालित पिस्तौल है। इस पिस्तौल का डिजाइन जर्मनी निवासी दो माउज़र बन्धुओं ने सन् 1895 में तैयार किया था। बाद में 1896 में जर्मनी की ही एक शस्त्र निर्माता कम्पनी माउज़र ने इसे माउज़र सी-96 के नाम से बनाना शुरू किया। 1896 से 1937 तक इसका निर्माण जर्मनी में हुआ। 20वीं शताब्दी में इसकी नकल करके स्पेन और चीन में भी माउज़र पिस्तौलें बनीं। इसकी मैगज़ीन ट्रिगर के आगे लगती थी जबकि सामान्यतया सभी पिस्तौलों में मैगज़ीन ट्रिगर के पीछे और बट के अन्दर होती है। इस पिस्तौल का एक अन्य मॉडल लकड़ी के कुन्दे के साथ सन 1916 में बनाया गया। इसमें बट के साथ लकड़ी का बड़ा कुन्दा अलग से जोड़ कर किसी रायफल या बन्दूक की तरह भी प्रयोग किया जा सकता था। विंस्टन चर्चिल को यह पिस्तौल बहुत पसन्द थी। भारतीय क्रान्तिकारी रामप्रसाद 'बिस्मिल' ने महज़ 4 माउज़र पिस्तौलों के दम पर 9 अगस्त 1925 को काकोरी के पास ट्रेन रोक कर सरकारी खजाना लूट लिया था। स्पेन ने सन् 1927 में इसी की नक़ल करते हुए अस्त्र मॉडल बनाया। रेलवे गार्डों की सुरक्षा हेतु सन् 1929 में चीन ने इसकी नकल करके.45 कैलिबर का माउज़र बनाया। .

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मित्रपक्ष शक्तियाँ

१९४३ के तेहरान सम्मलेन में मित्रपक्ष शक्तियों के तीन प्रमुख नेता - सोवियत संघ के जोसेफ़ स्टालिन, संयुक्त राज्य अमेरिका के फ्रेंकलिन रोज़वेल्ट और ब्रिटेन के विंस्टन चर्चिल मित्रपक्ष शक्तियाँ या ऐलाइड शक्तियाँ (अंग्रेज़ी: Allied powers) उन देशों का गुट था जिन्होनें द्वितीय विश्वयुद्ध में ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमेरिका, सोवियत संघ और चीन का साथ दिया और अक्ष शक्तियों (ऐक्सिस शक्तियों) के ख़िलाफ़ लड़े। भिन्न मित्रपक्ष देश द्वितीय विश्वयुद्ध की मुठभेड़ में या तो इसलिए शामिल हुए क्योंकि उनपर अक्ष देश या देशों ने आक्रमण कर दिया, या उन्हें अपने ऊपर आक्रमण होने का डर था, या फिर उन्हें चिंता थी कि अक्ष शक्तियाँ अगर जीत गयी तो पूरी दुनिया पर हावी हो जाएँगी।, U. S. Army Center of Military History and World War II History, Accessed 17 सितंबर 2009 १ सितम्बर १९३९ में युद्ध की शुरआत में फ़्रांस, पोलैंड और संयुक्त राजशाही (ब्रिटेन) ही मित्रपक्ष में थे। जल्द ही ब्रिटेन के कुछ अधीन देश - ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यू ज़ीलैंड और दक्षिण अफ़्रीका भी इस गुट में सम्मिलित हो गए। १९४१ के बाद मित्रपक्ष का नेतृत्व ब्रिटेन, अमेरिका और सोवियत संघ ने मिलकर किया। भारत (जो ब्रिटिश राज के अधीन था), बेल्जियम, यूनान, मेक्सिको, चेकोस्लोवाकिया, नॉर्वे, नेदरलैंड्ज़, इथियोपिया और ब्राज़ील में मित्रपक्ष में थे। १९४५ में जाकर मित्रपक्ष शक्तियों की जीत होने पर अक्ष शक्तियों का गुट ख़त्म हो गया। .

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मिजानुर्रहमान चौधरी

मिजानुर्रहमान चौधरी, एक बांग्लादेशी राजनेता थे, एवं 9 जुलाई 1986 से 27 मार्च 1988 के बीच वे, बांग्लादेश के प्रधानमंत्री थे। .

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मजरुह सुल्तानपुरी

मजरुह सुल्तानपुरी (مجرُوح سُلطانپُوری) (1 अक्टूबर 1919 − 24 मई 2000) एक भारती उर्दू शायर थे। हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध गीतकार और प्रगतिशील आंदोलन के उर्दू के सबसे बड़े शायरों में से एक थे। Retrieved 11 May 2018 वह 20वीं सदी के उर्दु साहिती जगत के बेहतरीन शायरों में गिना जाता है। बॉलीवुड में गीतकार के रूप में प्रसिद्ध हुवे। उन्होंने अपनी रचनाओं के जरिए देश, समाज और साहित्य को नयी दिशा देने का काम किया। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा सुल्तानपुर जिले के गनपत सहाय कालेज में मजरुह सुल्तानपुरी ग़ज़ल के आइने में शीर्षक से मजरूह सुल्तानपुरी पर राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। देश के प्रमुख विश्वविद्यालयों के शिक्षाविदों ने इस सेमिनार में हिस्सा लिया और कहा कि वे ऐसी शख्सियत थे जिन्होंने उर्दू को एक नयी ऊंचाई दी है। लखनऊ विश्वविद्यालय की उर्दू विभागाध्यक्ष डॉ॰सीमा रिज़वी की अध्यक्षता व गनपत सहाय कालेज की उर्दू विभागाध्यक्ष डॉ॰जेबा महमूद के संयोजन में राष्ट्रीय सेमिनार को सम्बोधित करते हुए इलाहाबाद विश्वविद्यालय के उर्दू विभागाध्यक्ष प्रो॰अली अहमद फातिमी ने कहा मजरूह, सुल्तानपुर में पैदा हुए और उनके शायरी में यहां की झलक साफ मिलती है। वे इस देश के ऐसे तरक्की पसंद शायर थे जिनकी वजह से उर्दू को नया मुकाम हासिल हुआ। उनकी मशहूर पंक्तियों में 'मै अकेला ही चला था, जानिबे मंजिल मगर लोग पास आते गये और कारवां बनता गया' का जिक्र भी वक्ताओं ने किया। लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो॰मलिक जादा मंजूर अहमद ने कहा कि यूजीसी ने मजरूह पर राष्ट्रीय सेमिनार उनकी जन्मस्थली सुल्तानपुर में आयोजित करके एक नयी दिशा दी है। .

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मुझे जीने दो (1963 फ़िल्म)

मुझे जीने दो (अंग्रेजी: Mujhe Jeene Do) सन 1963 में बनी एक मशहूर हिन्दी फिल्म का नाम है जिसका निर्देशन मणि भट्टाचार्य ने किया था। अजन्ता आर्ट के बैनर तले बनी व डकैतों के वास्तविक जीवन पर आधारित बालीवुड की इस फिल्म में सुनील दत्त, वहीदा रहमान, निरूपा रॉय, राजेन्द्र नाथ एवं मुमताज़ ने अभिनय किया था। चम्बल घाटी के डाकू समस्याग्रस्त इलाके भिण्ड एवं मुरैना जिलों के खतरनाक बीहड़ों में मध्य प्रदेश पुलिस के सुरक्षा कवच में फिल्मायी गयी, तथा मोहन स्टूडियो मुम्बई में बनी इस फिल्म में वहीदा रहमान व सुनील दत्त के अभिनय की बेहतरीन प्रतिभा का प्रदर्शन हुआ था। जयदेव के संगीत निर्देशन ने इसे सर्वश्रेष्ठ फिल्म का दर्ज़ा दिलाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी। .

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मुम्बई

भारत के पश्चिमी तट पर स्थित मुंंबई (पूर्व नाम बम्बई), भारतीय राज्य महाराष्ट्र की राजधानी है। इसकी अनुमानित जनसंख्या ३ करोड़ २९ लाख है जो देश की पहली सर्वाधिक आबादी वाली नगरी है। इसका गठन लावा निर्मित सात छोटे-छोटे द्वीपों द्वारा हुआ है एवं यह पुल द्वारा प्रमुख भू-खंड के साथ जुड़ा हुआ है। मुम्बई बन्दरगाह भारतवर्ष का सर्वश्रेष्ठ सामुद्रिक बन्दरगाह है। मुम्बई का तट कटा-फटा है जिसके कारण इसका पोताश्रय प्राकृतिक एवं सुरक्षित है। यूरोप, अमेरिका, अफ़्रीका आदि पश्चिमी देशों से जलमार्ग या वायुमार्ग से आनेवाले जहाज यात्री एवं पर्यटक सर्वप्रथम मुम्बई ही आते हैं इसलिए मुम्बई को भारत का प्रवेशद्वार कहा जाता है। मुम्बई भारत का सर्ववृहत्तम वाणिज्यिक केन्द्र है। जिसकी भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 5% की भागीदारी है। यह सम्पूर्ण भारत के औद्योगिक उत्पाद का 25%, नौवहन व्यापार का 40%, एवं भारतीय अर्थ व्यवस्था के पूंजी लेनदेन का 70% भागीदार है। मुंबई विश्व के सर्वोच्च दस वाणिज्यिक केन्द्रों में से एक है। भारत के अधिकांश बैंक एवं सौदागरी कार्यालयों के प्रमुख कार्यालय एवं कई महत्वपूर्ण आर्थिक संस्थान जैसे भारतीय रिज़र्व बैंक, बम्बई स्टॉक एक्स्चेंज, नेशनल स्टऑक एक्स्चेंज एवं अनेक भारतीय कम्पनियों के निगमित मुख्यालय तथा बहुराष्ट्रीय कंपनियां मुम्बई में अवस्थित हैं। इसलिए इसे भारत की आर्थिक राजधानी भी कहते हैं। नगर में भारत का हिन्दी चलचित्र एवं दूरदर्शन उद्योग भी है, जो बॉलीवुड नाम से प्रसिद्ध है। मुंबई की व्यवसायिक अपॊर्ट्युनिटी, व उच्च जीवन स्तर पूरे भारतवर्ष भर के लोगों को आकर्षित करती है, जिसके कारण यह नगर विभिन्न समाजों व संस्कृतियों का मिश्रण बन गया है। मुंबई पत्तन भारत के लगभग आधे समुद्री माल की आवाजाही करता है। .

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मुरली मनोहर जोशी

डॉ॰ मुरली मनोहर जोशी, भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख नेता हैं। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के शासनकाल में वे भारत के मानव संसाधन विकास मंत्री थे। .

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मुरारी शर्मा

मुरारी शर्मा (अंग्रेजी: Murari Sharma, जन्म: १ जनवरी १९०१, मृत्यु: २ अप्रैल १९८२) विश्वविख्यात काकोरी काण्ड में प्रत्यक्ष रूप से हिस्सा लेने वाले क्रान्तिकारी थे जिन्हें अन्त तक पुलिस गिरफ्तार नहीं कर पायी। इनका वास्तविक नाम मुरारीलाल गुप्त था परन्तु मुरारी शर्मा के छद्म नाम से इन्होंने हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन की सदस्यता ली, काकोरी काण्ड में भाग लिया और फरार हो गये। यह रहस्योद्घाटन उनके यशस्वी पुत्र दामोदर स्वरूप 'विद्रोही' ने १९ जून १९९७ को हिन्दी अकादमी, दिल्ली द्वारा राजेन्द्र भवन दिल्ली में आयोजित "राम प्रसाद 'बिस्मिल' जयन्ती" समारोह में बोलते हुए किया था। मुरारीलाल जी कुछ दिनों दिल्ली जाकर छिपे रहे फिर शाहजहाँपुर जनपद स्थित अपने गाँव मुडिया पँवार चले गये। आप पक्के आर्य समाजी थे कभी भी रिक्शे पर नहीं बैठे। कहा करते थे इसे आदमी खींचता है मैं एक आदमी होकर एक आदमी से अपना बोझा उठवाऊँ यह नहीं हो सकता। २ अप्रैल १९८२ को आपने अपने घर पर स्वेच्छा से प्राण त्याग दिये। .

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मुल्ताई

मुलताई भारत के मध्य प्रदेश राज्य में बैतूल जिले का एक शहर है मुल्ताई पुण्य सलिला मां ताप्ती नदी का उद्गम स्थल है इसके निकट प्रभात पट्टन और बेतुल प्रमुख शहर है। यह मुल्ताई मध्य-प्रदेश.

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मुहम्मद हिदायतुल्लाह

मुहम्मद हिदायतुल्लाह, (17 दिसम्बर 1905 - 18 सितंबर 1992) भारत के पहले मुस्लिम मुख्य न्यायाधीश थे। उन्होंने दो अवसरों पर भारत के कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में भी कार्यभार संभाला था। इसके साथ ही वो एक पूरे कार्यकाल के लिए भारत के छठे उपराष्ट्रपति भी रहे। नया रायपुर में स्थित हिदायतुल्लाह राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय का नाम उनके नाम पर रखा गया है। .

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मुख्तार अहमद अंसारी

डॉ॰ मुख्तार अहमद अंसारी (मुख़्तार अहमद अंसारी, مُختار احمد انصاری) एक भारतीय राष्ट्रवादी और राजनेता होने के साथ-साथ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और मुस्लिम लीग के पूर्व अध्यक्ष थे। वे जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के संस्थापकों में से एक थे, 1928 से 1936 तक वे इसके कुलाधिपति भी रहे। .

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मुग़ल साम्राज्य

मुग़ल साम्राज्य (फ़ारसी:, मुग़ल सलतनत-ए-हिंद; तुर्की: बाबर इम्परातोरलुग़ु), एक इस्लामी तुर्की-मंगोल साम्राज्य था जो 1526 में शुरू हुआ, जिसने 17 वीं शताब्दी के आखिर में और 18 वीं शताब्दी की शुरुआत तक भारतीय उपमहाद्वीप में शासन किया और 19 वीं शताब्दी के मध्य में समाप्त हुआ। मुग़ल सम्राट तुर्क-मंगोल पीढ़ी के तैमूरवंशी थे और इन्होंने अति परिष्कृत मिश्रित हिन्द-फारसी संस्कृति को विकसित किया। 1700 के आसपास, अपनी शक्ति की ऊँचाई पर, इसने भारतीय उपमहाद्वीप के अधिकांश भाग को नियंत्रित किया - इसका विस्तार पूर्व में वर्तमान बंगलादेश से पश्चिम में बलूचिस्तान तक और उत्तर में कश्मीर से दक्षिण में कावेरी घाटी तक था। उस समय 40 लाख किमी² (15 लाख मील²) के क्षेत्र पर फैले इस साम्राज्य की जनसंख्या का अनुमान 11 और 13 करोड़ के बीच लगाया गया था। 1725 के बाद इसकी शक्ति में तेज़ी से गिरावट आई। उत्तराधिकार के कलह, कृषि संकट की वजह से स्थानीय विद्रोह, धार्मिक असहिष्णुता का उत्कर्ष और ब्रिटिश उपनिवेशवाद से कमजोर हुए साम्राज्य का अंतिम सम्राट बहादुर ज़फ़र शाह था, जिसका शासन दिल्ली शहर तक सीमित रह गया था। अंग्रेजों ने उसे कैद में रखा और 1857 के भारतीय विद्रोह के बाद ब्रिटिश द्वारा म्यानमार निर्वासित कर दिया। 1556 में, जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर, जो महान अकबर के नाम से प्रसिद्ध हुआ, के पदग्रहण के साथ इस साम्राज्य का उत्कृष्ट काल शुरू हुआ और सम्राट औरंगज़ेब के निधन के साथ समाप्त हुआ, हालाँकि यह साम्राज्य और 150 साल तक चला। इस समय के दौरान, विभिन्न क्षेत्रों को जोड़ने में एक उच्च केंद्रीकृत प्रशासन निर्मित किया गया था। मुग़लों के सभी महत्वपूर्ण स्मारक, उनके ज्यादातर दृश्य विरासत, इस अवधि के हैं। .

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म्यान्मार

म्यांमार यो ब्रह्मदेश दक्षिण एशिया का एक देश है। इसका आधुनिक बर्मी नाम 'मयन्मा' (မြန်မာ .

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मौदूद अहमद

मौदूद अहमद, एक बांग्लादेशी राजनेता थे, एवं 27 मार्च 1988 से 12 अगस्त 1989 के बीच वे, बांग्लादेश के प्रधानमंत्री थे। इसके अलावा भी वे कई पदों पर रह चुके हैं: उपप्रधानमंत्री (1976-1978 और 1987-1988), उपराष्ट्रपति (1989-1990) विधी, न्याय एवं संसदीय कार्य मंत्री (2001-2006)। साथ ही वे नोआखाली से छह बार सांसद चुने गए थे। .

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मौलाना वहीदुद्दीन खान

मौलाना वाहिद्दीन खान: (जन्म 1 जनवरी 1 9 25) एक विख्यात इस्लामिक विद्वान और शांति कार्यकर्ता है। उन्होंने सोवियत राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचेव के संरक्षण में, दूसरों के बीच, डेमिर्गुस पीस इंटरनेशनल अवॉर्ड प्राप्त किया है; पद्म भूषण, जनवरी 2000 में भारत का तीसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान; मदर टेरेसा और राजीव गांधी राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार (2009) द्वारा प्रस्तुत राष्ट्रीय नागरिक पुरस्कार। अबूज़हबी में सैयदियाना इमाम अल हसन इब्न अली शांति पुरस्कार (2015) से उन्हें सम्मानित किया गया था। इन्हों ने कुरान को सरल और समकालीन अंग्रेजी में अनुवाद किया है और कुरान पर एक टिप्पणी भी लिखा है। और ईटीवी उर्दू, ज़ी सलाम, ब्रिज टीवी, आईटीवी, एआरआई डिजिटल, क्यू टीवी, आज टीवी आदि पर व्याख्यान देते रहते हैं। .

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मौलि चन्द्र शर्मा

मौलि चन्द्र शर्मा भारत के एक वरिष्ट राजनेता तथा वकील थे। वे मूलतः भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कार्यकर्ता थे किन्तु स्वतन्त्रता के उपरान्त जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में से एक थे और उसके उपाध्यक्ष तथा अध्यक्ष बने। श्रेणी:भारतीय राजनीतिज्ञ.

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मृणाल सेन

मृणाल सेन (बांग्ला: মৃণাল সেন मृणाल् शेन्) भारतीय फ़िल्मों के प्रसिद्ध निर्माता व निर्देशक हैं। इनकी अधिकतर फ़िल्में बांग्ला भाषा में हैं। उनका जन्म फरीदपुर नामक शहर में (जो अब बंगला देश में है) में १४ मई १९२३ में हुआ था। हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण करने बाद उन्होंने शहर छोड़ दिया और कोलकाता में पढ़ने के लिये आ गये। वह भौतिक शास्त्र के विद्यार्थी थे और उन्होंने अपनी शिक्षा स्कोटिश चर्च कॉलेज़ एवं कलकत्ता यूनिवर्सिटी से पूरी की। अपने विद्यार्थी जीवन में ही वे वह कम्युनिस्ट पार्टी के सांस्कृतिक विभाग से जुड़ गये। यद्यपि वे कभी इस पार्टी के सदस्य नहीं रहे पर इप्टा से जुड़े होने के कारण वे अनेक समान विचारों वाले सांस्कृतिक रुचि के लोगों के परिचय में आ गए | .

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मैथिलीशरण गुप्त

राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त (३ अगस्त १८८६ – १२ दिसम्बर १९६४) हिन्दी के प्रसिद्ध कवि थे। हिन्दी साहित्य के इतिहास में वे खड़ी बोली के प्रथम महत्त्वपूर्ण कवि हैं। उन्हें साहित्य जगत में 'दद्दा' नाम से सम्बोधित किया जाता था। उनकी कृति भारत-भारती (1912) भारत के स्वतंत्रता संग्राम के समय में काफी प्रभावशाली साबित हुई थी और इसी कारण महात्मा गांधी ने उन्हें 'राष्ट्रकवि' की पदवी भी दी थी। उनकी जयन्ती ३ अगस्त को हर वर्ष 'कवि दिवस' के रूप में मनाया जाता है। महावीर प्रसाद द्विवेदी जी की प्रेरणा से आपने खड़ी बोली को अपनी रचनाओं का माध्यम बनाया और अपनी कविता के द्वारा खड़ी बोली को एक काव्य-भाषा के रूप में निर्मित करने में अथक प्रयास किया। इस तरह ब्रजभाषा जैसी समृद्ध काव्य-भाषा को छोड़कर समय और संदर्भों के अनुकूल होने के कारण नये कवियों ने इसे ही अपनी काव्य-अभिव्यक्ति का माध्यम बनाया। हिन्दी कविता के इतिहास में यह गुप्त जी का सबसे बड़ा योगदान है। पवित्रता, नैतिकता और परंपरागत मानवीय सम्बन्धों की रक्षा गुप्त जी के काव्य के प्रथम गुण हैं, जो 'पंचवटी' से लेकर जयद्रथ वध, यशोधरा और साकेत तक में प्रतिष्ठित एवं प्रतिफलित हुए हैं। साकेत उनकी रचना का सर्वोच्च शिखर है। .

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मैनपुरी षड्यन्त्र

पं० गेंदालाल दीक्षित (मैनपुरी काण्ड के नेता) का चित्र परतन्त्र भारत में स्वतन्त्रता संग्राम के दौरान अंग्रेजों को देश से बाहर निकालने के लिये उत्तर प्रदेश के जिला मैनपुरी में सन् १९१५-१६ में एक क्रान्तिकारी संस्था की स्थापना हुई थी जिसका प्रमुख केन्द्र मैनपुरी ही रहा। मुकुन्दी लाल, दम्मीलाल, करोरीलाल गुप्ता, सिद्ध गोपाल चतुर्वेदी, गोपीनाथ, प्रभाकर पाण्डे, चन्द्रधर जौहरी और शिव किशन आदि ने औरैया जिला इटावा निवासी पण्डित गेंदालाल दीक्षित के नेतृत्व में अंग्रेजों के विरुद्ध काम करने के लिये उनकी संस्था शिवाजी समिति से हाथ मिलाया और एक नयी संस्था मातृवेदी की स्थापना की। इस संस्था के छिप कर कार्य करने की सूचना अंग्रेज अधिकारियों को लग गयी और प्रमुख नेताओं को पकड़कर उनके विरुद्ध मैनपुरी में मुकदमा चला। इसे ही बाद में अंग्रेजों ने मैनपुरी षडयन्त्र कहा। इन क्रान्तिकारियों को अलग-अलग समय के लिये कारावास की सजा हुई। मैनपुरी षडयन्त्र की विशेषता यह थी कि इसकी योजना प्रमुख रूप से उत्तर प्रदेश के निवासियों ने ही बनायी थी। यदि इस संस्था में शामिल मैनपुरी के ही देशद्रोही गद्दार दलपतसिंह ने अंग्रेजी सरकार को इसकी मुखबिरी न की होती तो यह दल समय से पूर्व इतनी जल्दी टूटने या बिखरने वाला नहीं था। मैनपुरी काण्ड में शामिल दो लोग - मुकुन्दीलाल और राम प्रसाद 'बिस्मिल' आगे चलकर सन् १९२५ के विश्वप्रसिद्ध काकोरी काण्ड में भी शामिल हुए। मुकुन्दीलाल को आजीवन कारावास की सजा हुई जबकि राम प्रसाद 'बिस्मिल' को तो फाँसी ही दे दी गयी क्योंकि वे भी मैनपुरी काण्ड में गेंदालाल दीक्षित को आगरा के किले से छुडाने की योजना बनाने वाले मातृवेदी दल के नेता थे। यदि कहीं ये लोग अपने अभियान में कामयाब हो जाते तो न तो सन् १९२७ में राजेन्द्र लाहिडी व अशफाक उल्ला खाँ सरीखे होनहार नवयुवक फाँसी चढते और न ही चन्द्रशेखर आजाद जैसे नर नाहर तथा गणेशशंकर विद्यार्थी सरीखे प्रखर पत्रकार की सन् १९३१ में जघन्य हत्याएँ हुई होतीं। .

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मैक मोहन

मैक मोहन  (२४ अप्रैल १९३८ – १० मई २०१०) हिन्दी फ़िल्मों के एक अभिनेता थे। मैक मोहन एक विलेन के किरदार के लिए जाने जाते हैं मैक मोहन रवीना टंडन के मामा है। .

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मैकमहोन रेखा

मैकमोहन रेखा पूर्वी-हिमालय क्षेत्र के चीन-अधिकृत एवं भारत अधिकृत क्षेत्रों के बीच सीमा चिह्नित करती है। यही सीमा-रेखा १९६२ के भारत-चीन युद्ध का केन्द्र एवं कारण थी। यह क्षेत्र अत्यधिक ऊंचाई का पर्वतीय स्थान है, जो मानचित्र में लाल रंग से दर्शित है। मैकमहोन रेखा भारत और तिब्बत के बीच सीमा रेखा है। यह अस्तित्व में सन् १९१४ में भारत की तत्कालीन ब्रिटिश सरकार और तिब्बत के बीच शिमला समझौते के तहत आई थी। १९१४ के बाद से अगले कई वर्षो तक इस सीमारेखा का अस्तित्व कई अन्य विवादों के कारण कहीं छुप गया था, किन्तु १९३५ में ओलफ केरो नामक एक अंग्रेज प्रशासनिक अधिकारी ने तत्कालीन अंग्रेज सरकार को इसे आधिकारिक तौर पर लागू करने का अनुरोध किया। १९३७ में सर्वे ऑफ इंडिया के एक मानचित्र में मैकमहोन रेखा को आधिकारिक भारतीय सीमारेखा के रूप में पर दिखाया गया था। इस सीमारेखा का नाम सर हैनरी मैकमहोन के नाम पर रखा गया था, जिनकी इस समझौते में महत्त्वपूर्ण भूमिका थी और वे भारत की तत्कालीन अंग्रेज सरकार के विदेश सचिव थे। अधिकांश हिमालय से होती हुई सीमारेखा पश्चिम में भूटान से ८९० कि॰मी॰ और पूर्व में ब्रह्मपुत्र तक २६० कि॰मी॰ तक फैली है। जहां भारत के अनुसार यह चीन के साथ उसकी सीमा है, वही, चीन १९१४ के शिमला समझौते को मानने से इनकार करता है। चीन के अनुसार तिब्बत स्वायत्त राज्य नहीं था और उसके पास किसी भी प्रकार के समझौते करने का कोई अधिकार नहीं था। चीन के आधिकारिक मानचित्रों में मैकमहोन रेखा के दक्षिण में ५६ हजार वर्ग मील के क्षेत्र को तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र का हिस्सा माना जाता है। इस क्षेत्र को चीन में दक्षिणी तिब्बत के नाम से जाना जाता है। १९६२-६३ के भारत-चीन युद्ध के समय चीनी फौजों ने कुछ समय के लिए इस क्षेत्र पर अधिकार भी जमा लिया था। इस कारण ही वर्तमान समय तक इस सीमारेखा पर विवाद यथावत बना हुआ है, लेकिन भारत-चीन के बीच भौगोलिक सीमा रेखा के रूप में इसे अवश्य माना जाता है। .

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मेघालय

मेघालय पूर्वोत्तर भारत का एक राज्य है। इसका अर्थ है बादलों का घर। २०१६ के अनुसार यहां की जनसंख्या ३२,११,४७४ है। मेघालय का विस्तार २२,४३० वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में है, जिसका लम्बाई से चौडाई अनुपात लगभग ३:१ का है। IBEF, India (2013) राज्य का दक्षिणी छोर मयमनसिंह एवं सिलहट बांग्लादेशी विभागों से लगता है, पश्चिमी ओर रंगपुर बांग्लादेशी भाग तथा उत्तर एवं पूर्वी ओर भारतीय राज्य असम से घिरा हुआ है। राज्य की राजधानी शिलांग है। भारत में ब्रिटिश राज के समय तत्कालीन ब्रिटिश शाही अधिकारियों द्वारा इसे "पूर्व का स्काटलैण्ड" की संज्ञा दी थी।Arnold P. Kaminsky and Roger D. Long (2011), India Today: An Encyclopedia of Life in the Republic,, pp.

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मोनटेक सिंह आहलूवालिया

मोनटेक सिंह आहलूवालिया (जन्म 24 नवंबर 1943) एक भारतीय अर्थशास्त्री हैं और पूर्व यूपीए सरकार के समय वे भारतीय योजना आयोग के उपाध्यक्ष थे, यह दर्जा मंत्रिमंडल के एक मंत्री के बराबर है। .

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मोहन लाल ज़ुत्शी

मोहन लाल ज़ुत्शी (Mohan Lal Zutshi), जिन्हें मोहन लाल कश्मीरी भी कहते थे, 19वीं शताब्दी में एक यात्री, राजनयिक और लेखक थे। उन्होंने 1838–1842 के प्रथम आंग्ल-अफ़ग़ान युद्ध में एक अहम भूमिका निभाई थी। उनके द्वारा लिखी काबुल के अमीर दोस्त मुहम्मद ख़ान की जीवनी उस युद्ध का प्राथमिक वर्णन स्रोत है। इसके अलावा उन्होंने भारत से लेकर कैस्पियन सागर तक के कई क्षेत्रों का भ्रमण करा और जानकारी एकत्रित कर के ब्रिटिश राज की सरकार को उपलब्ध करी। इन क्षेत्रों में अफ़्ग़ानिस्तान, बल्ख़, बुख़ारा और ख़ोरासान शामिल थे। प्रसिद्ध ब्रिटिश यात्री व जासूस अलेक्ज़ेंडर बर्न्स का मार्गदर्शन उन्होंने ही करा था। .

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मोहन आगाशे

डॉ मोहन महादेव आगाशे (जन्म 23 जुलाई 1947) एक भारतीय रंगमंच और फिल्म अभिनेता और मनोचिकित्सक है। 1996 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। .

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मोहम्मद बुरहानुद्दीन

सैयदना मोहम्मद बुरहानुद्दीन (محمد برھان الدین) (अबुल-क़ाइद जोहर मोहम्म्द बुरहानुद्दीन) (६ मार्च १९१५ – १७ जनवरी २०१४) दाऊदी बोहरा के ५२ वें दाई-उल-मुत्लक़ (दाऊदी बोहरा समुदाय के ५२वें धर्मगुरु) थे। दाऊदी बोहरा समुदाय इस्लाम के शिया समुदाय का एक पंथ है। .

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मोहम्मद मंसूर अली

मुहम्मद मंसूर अली, (बंगाली: মোঃ মনসুর আলী; 1919 – नवंबर 3, 1975) एक बांग्लादेशी राजनेता व स्वतंत्रता सेनानी थे। वे शेख मुजीबुर्रहमान के करीब विश्वासपात्रों में शामिल थे, और 60-70 के दशकों के अवामी लीग के वरिष्ठ नेता थे। वे 25 जनवरी 1975 से 15 अगस्त 1975 तक बांग्लादेश के प्रधानमंत्री थे। 15 अगस्त 1975 को शेख मुजीब की हत्या कर, सैन्य तख्तापलट किया गया। 22 अगस्त को मंसूर को, अन्य अनेक राजनीतिज्ञों के साथ, जेल में बंद कर दिया गया, और 3 नवंबर 1975 की, जेल हत्या दिवस के नाम से कुख्यात, रात को उन्हें और उनके तीन साथियों समेत सेना द्वारा, बिना-मुकदमा, जेल में ही मार दिया गया। .

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मोहम्मद हबीबुर्रहमान

मोहम्मद हबीबुर्रहमान (बांग्ला: মুহাম্মদ হাবিবুর রহমান‎; 3 दिसंबर 1928 – 11 जनवरी 2014) 1995 में बांग्लादेश के मुख्य न्यायाधीश थे। साथ ही वे 1996 की सामयिक सरकार के मुख्य सलाहकार भी थे, जिसने, सप्तम संसदीय चुनाव के निगरानी की थी। .

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मोहम्मद हामिद अंसारी

मोहम्मद हामिद अंसारी (जन्म १ अप्रैल १९३४), भारत के उपराष्ट्रपति थे। वे भारतीय अल्पसंख्यक आयोग के भूतपूर्व अध्यक्ष भी हैं। वे एक शिक्षाविद, तथा प्रमुख राजनेता हैं, एवं अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के उपकुलपति भी रह चुके हैं। वे 10 अगस्त 2007 को भारत के 13वें उपराष्ट्रपति चुने गये। .

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मोहम्मद इब्राहिम ज़ौक़

मोहम्मद इब्राहिम ज़ौक़ (1789-1854) उर्दू अदब के एक मशहूर शायर थे। इनका असली नाम शेख़ इब्राहिम था। ग़ालिब के समकालीन शायरों में ज़ौक़ बहुत ऊपर का दर्जा रखते हैं। उनका जन्म 1789 में शेख़ मुहम्मद रमज़ान के घर हुआ। .

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मोहम्मद अली जिन्नाह

मोहम्मद अली जिन्ना (उर्दू:, जन्म: 25 दिसम्बर 1876 मृत्यु: 11 सितम्बर 1948) बीसवीं सदी के एक प्रमुख राजनीतिज्ञ थे जिन्हें पाकिस्तान के संस्थापक के रूप में जाना जाता है। वे मुस्लिम लीग के नेता थे जो आगे चलकर पाकिस्तान के पहले गवर्नर जनरल बने। पाकिस्तान में, उन्हें आधिकारिक रूप से क़ायदे-आज़म यानी महान नेता और बाबा-ए-क़ौम यानी राष्ट्र पिता के नाम से नवाजा जाता है। उनके जन्म दिन पर पाकिस्तान में अवकाश रहता है। भारतीय राजनीति में जिन्ना का उदय 1916 में कांग्रेस के एक नेता के रूप में हुआ था, जिन्होने हिन्दू-मुस्लिम एकता पर जोर देते हुए मुस्लिम लीग के साथ लखनऊ समझौता करवाया था। वे अखिल भारतीय होम रूल लीग के प्रमुख नेताओं में गिने जाते थे। काकोरी काण्ड के चारो मृत्यु-दण्ड प्राप्त कैदियों की सजायें कम करके आजीवन कारावास (उम्र-कैद) में बदलने हेतु सेण्ट्रल कौन्सिल के ७८ सदस्यों ने तत्कालीन वायसराय व गवर्नर जनरल एडवर्ड फ्रेडरिक लिण्डले वुड को शिमला जाकर हस्ताक्षर युक्त मेमोरियल दिया था जिस पर प्रमुख रूप से पं॰ मदन मोहन मालवीय, मोहम्मद अली जिन्ना, एन॰ सी॰ केलकर, लाला लाजपत राय व गोविन्द वल्लभ पन्त आदि ने हस्ताक्षर किये थे। भारतीय मुसलमानों के प्रति कांग्रेस के उदासीन रवैये को देखते हुए जिन्ना ने कांग्रेस छोड़ दी। उन्होंने देश में मुसलमानों के अधिकारों की रक्षा और स्वशासन के लिए चौदह सूत्रीय संवैधानिक सुधार का प्रस्ताव रखा। लाहौर प्रस्ताव के तहत उन्होंने मुसलमानों के लिए एक अलग राष्ट्र का लक्ष्य निर्धारित किया। 1946 में ज्यादातर मुस्लिम सीटों पर मुस्लिम लीग की जीत हुई और जिन्ना ने पाकिस्तान की आजादी के लिए त्वरित कार्रवाई का अभियान शुरू किया। कांग्रेस की कड़ी प्रतिक्रिया के कारण भारत में व्यापक पैमाने पर हिंसा हुई। मुस्लिम लीग और कांग्रेस पार्टी, गठबन्धन की सरकार बनाने में असफल रहे, इसलिए अंग्रेजों ने भारत विभाजन को मंजूरी दे दी। पाकिस्तान के गवर्नर जनरल के रूप में जिन्ना ने लाखों शरणार्थियो के पुनर्वास के लिए प्रयास किया। साथ ही, उन्होंने अपने देश की विदेश नीति, सुरक्षा नीति और आर्थिक नीति बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। गौरतलब है कि पाकिस्तान और भारत का बटवारा जिन्ना और नेहरू के राजनीतिक लालच की वजह से हुआ है ! .

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मोहम्‍मद उस्मान

ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान, एमवीसी (15 जुलाई 1912 - 3 जुलाई 1948) (जिन्हें उस्मान मोहम्मद भी कहा जाता है) 1947 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में शहीद हुए भारतीय सैन्य अधिकारी थे। भारत के विभाजन के समय उन्होंने कई अन्य मुस्लिम अधिकारियों के साथ पाकिस्तान सेना में जाने से इनकार कर दिया और भारतीय सेना के साथ सेवा जारी रखी। जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तानी सैनिकों से लड़ते हुए 3 जुलाई 1948 में वो शहीद हो गए थे। तदोपरान्त उन्हें दुश्मन के सामने बहादुरी के लिए भारत के दूसरे सबसे बड़े सैन्य पदक महावीर चक्र से सम्मानित किया गया। .

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मोइन कुरेशी

पाकिस्तान के प्रधान मन्त्री '''मोइनुद्दीन अहमद क़ुरेशी''' मोइनुद्दीन अहमद क़ुरैशी का जन्म 26 जून सन 1930 में पाकिस्तान के लाहोर में ब्रिटिश राज के दौरान हुआ। उनके पिता मोह्येद्दीन अहमद कुरेशी, जनसेवक थे और उनकी माता खुर्शीद जबीं, गृहिणी थीं। उन्होंने अपनी पढ़ाई लाहौर के इस्लामिया कॉलेज से की जहाँ उन्होंने अर्थशानस्त्र में स्नातक की डिग्री प्राप्त की और स्नातकोत्तर उपाधि पंजाब यूनिवर्सिटी से। उन्होंने अपनी पीएचडी की डिग्री सन १९५५ में ब्लूमिंहटों के इंडिआना यूनिवर्सिटी से प्राप्त की। मोईन क़ुरैशी पाकिस्तानी कार्यवाहक प्रधानमंत्री तो थे ही, वे अर्थशास्त्री भी थे। १९५५ में जब वे पाकिस्तान वापिस लौटे तो वे पाकिस्तान की जान सेवा में लग गए। उनका पहला हस्तातंरण योजना आयोग में हुआ। सन १९५६ में उन्होंने योजना आयोग से इस्तीफा दे दिया और वे अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष में शामिल होने के लिए अमेरिका चले गए। सन १९६० में उन्होंने ने घाना में आर्थिक सलाहकार के रूप में भी काम किया। उसके बाद उन्हीने सन १९७४ से १९७७ तक कार्यकारी अद्यक्ष के रूप में अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम में भी कार्य किया। सन १९८१ में उन्हें रोबर्ट मक्नॉर्म, जो की विश्व बैंक के तब के अद्यक्ष थे, द्वारा वित्त के वरिष्ठ उपाध्याय बनने का निमंत्रण मिला, जहाँ वे सन १९८७ तक कार्यवृत रहे। सन १९९१-९२ के दौरान उन्होंने विश्व बैंक छोड़ दिया और अमेरिका में ही खुद का एक प्राइवेट हेज फण्ड का गठन किया। सन १९९३ के दौरान एक समझौते पर पाकिस्तानी सेना के मध्यस्थता के बाद प्रधानमंत्री नवाज शरीफ एवं राष्ट्रपति गुलाम इश्क़ खान ने अपने सम्बंधित पदों से इस्तीफा दे दिया। यह संकल्प अद्वितीय था क्योंकि एक निर्वाचित सरकार ने स्वेछा से आदेश संभावित सैन्य हस्तक्षेप से बचने के लिए नीचे कदम रखा था और इस्तीफा एक संवैधानिक प्रक्रिया के माध्यम से आया। आर्मी चीफ ऑफ़ स्टाफ, जनरल अब्दुल वाहिद कक्कड़ और स्टाफ समिति की संयुक्त कमान के अद्यक्ष, जनरल शमीम अलम, समझौते के कार्यवाह के गवाह के रूप में प्रस्तुत थे जहाँ सीनेट के अद्यक्ष वसीम सज्जाद ने कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभाला। इस बीच कुरैशी ने १९९३ में सिंगापुर का दौरा किया जहाँ उन्हें राष्ट्रपति गुलाम इशाक का टेलीफोन कॉल आया जहाँ उन्हें तर्चनोक्रेटिक सरकार बनाने का प्रस्ताव मिला, जो उन्होंने स्वीकार कर लिया और इस्लामाबाद लौट गए। उनकी नियुक्ति के समय कुरैशी बड़े पैमाने पर सार्वजानिक और राजनितिक हलकों से अंजान थे और यह महसूस हुआ की एक राजनितिक, बाहरी व्यक्ति होने के नाते तथास्ट रहेगा। वे तीन माह तक कार्यालय में थे। उस दौरान उनके द्वारा कई सुधार किये गए जो की आईएमएफ स्टैंडबाई सरकार द्वारा समर्थित किया गया। उन्होंने करदाताओं की सूचि प्रकाशन करने का आदेश दिया जिससे पता चला की देश में छोटा कर -आधार है और कुछ ही लोग करों का भुगतान करते हैं। सन १९९३ में पाकिस्तान ने बेनज़ीर भुट्टो के नेतृत्व में पीपल पार्टी की वापसी देखी। सन २०१४ में कुरैशी पार्किन्सन रोग से पीड़ित पाये गए। नवम्बर २३, २०१६ को अमेरिका के वाशिंगटन में उनका निधन हो गया। .

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मीना कुमारी

मीना कुमारी (1 अगस्त, 1933 - 31 मार्च, 1972) भारत की एक मशहूर अभिनेत्री थीं। इन्हें खासकर दुखांत फ़िल्मों में इनकी यादगार भूमिकाओं के लिये याद किया जाता है। मीना कुमारी को भारतीय सिनेमा की ट्रैजेडी क्वीन भी कहा जाता है। अभिनेत्री होने के साथ-साथ मीना कुमारी एक उम्दा शायारा एवम् पार्श्वगायिका भी थीं। मीना कुमारी का असली नाम महजबीं बानो था और ये बंबई में पैदा हुई थीं। उनके पिता अली बक्श पारसी रंगमंच के एक मँझे हुए कलाकार थे और उन्होंने "ईद का चाँद" फिल्म में संगीतकार का भी काम किया था। उनकी माँ प्रभावती देवी (बाद में इकबाल बानो), भी एक मशहूर नृत्यांगना और अदाकारा थी। मीना कुमारी की बड़ी बहन खुर्शीद बानो भी फिल्म अभिनेत्री थीं जो आज़ादी के बाद पाकिस्तान चलीं गईं।कहा जाता है कि दरिद्रता से ग्रस्त उनके पिता अली बक़्श उन्हें पैदा होते ही अनाथाश्रम में छोड़ आए थे चूँकि वे उनके डाॅक्टर श्रीमान गड्रे को उनकी फ़ीस देने में असमर्थ थे।हालांकि अपने नवजात शिशु से दूर जाते-जाते पिता का दिल भर आया और तुरंत अनाथाश्रम की ओर चल पड़े।पास पहुंचे तो देखा कि नन्ही मीना के पूरे शरीर पर चीटियाँ काट रहीं थीं।अनाथाश्रम का दरवाज़ा बंद था, शायद अंदर सब सो गए थे।यह सब देख उस लाचार पिता की हिम्मत टूट गई,आँखों से आँसु बह निकले।झट से अपनी नन्हीं-सी जान को साफ़ किया और अपने दिल से लगा लिया।अली बक़्श अपनी चंद दिनों की बेटी को घर ले आए।समय के साथ-साथ शरीर के वो घाव तो ठीक हो गए किंतु मन में लगे बदकिस्मती के घावों ने अंतिम सांस तक मीना का साथ नहीं छोड़ा। महजबीं पहली बार 1939 में फिल्म निर्देशक विजय भट्ट की फिल्म फ़रज़न्द-ए-वतन में बेबी महज़बीं के रूप में नज़र आईं। 1940 की फिल्म "एक ही भूल" में विजय भट्ट ने इनका नाम बेबी महजबीं से बदल कर बेबी मीना कर दिया। 1946 में आई फिल्म बच्चों का खेल से बेबी मीना 14 वर्ष की आयु में मीना कुमारी बनीं। मार्च 1947 में लम्बे समय तक बीमार रहने के कारण उनकी माँ की मृत्यु हो गई। मीना कुमारी की प्रारंभिक फिल्में ज्यादातर पौराणिक कथाओं पर आधारित थीं जिनमें हनुमान पाताल विजय, वीर घटोत्कच व श्री गणेश महिमा प्रमुख हैं। 1952 में आई फिल्म बैजू बावरा ने मीना कुमारी के फिल्मी सफ़र को नई उड़ान दी। मीना कुमारी द्वारा चित्रित गौरी के किरदार ने उन्हें घर-घर में प्रसिद्धि दिलाई। फिल्म 100 हफ्तों तक परदे पर रही और 1954 में उन्हें इसके लिए पहले फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 1953 तक मीना कुमारी की तीन फिल्में आ चुकी थीं जिनमें: दायरा, दो बीघा ज़मीन और परिणीता शामिल थीं। परिणीता से मीना कुमारी के लिये एक नया युग शुरु हुआ। परिणीता में उनकी भूमिका ने भारतीय महिलाओं को खास प्रभावित किया था चूँकि इस फिल्म में भारतीय नारी की आम जिंदगी की कठिनाइयों का चित्रण करने की कोशिश की गयी थी। उनके अभिनय की खास शैली और मोहक आवाज़ का जादू छाया रहा और लगातार दूसरी बार उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के पुरस्कार के लिए चयनित किया गया। वर्ष 1951 में फिल्म तमाशा के सेट पर मीना कुमारी की मुलाकात उस ज़माने के जाने-माने फिल्म निर्देशक कमाल अमरोही से हुई जो फिल्म महल की सफलता के बाद निर्माता के तौर पर अपनी अगली फिल्म अनारकली के लिए नायिका की तलाश कर रहे थे।मीना का अभिनय देख वे उन्हें मुख्य नायिका के किरदार में लेने के लिए राज़ी हो गए।दुर्भाग्यवश 21 मई 1951 को मीना कुमारी महाबलेश्वरम के पास एक सड़क दुर्घटना का शिकार हो गईं जिससे उनके बाहिने हाथ की छोटी अंगुली सदा के लिए मुड़ गई। मीना अगले दो माह तक बम्बई के ससून अस्पताल में भर्ती रहीं और दुर्घटना के दूसरे ही दिन कमाल अमरोही उनका हालचाल पूछने पहुँचे। मीना इस दुर्घटना से बेहद दुखी थीं क्योंकि अब वो अनारकली में काम नहीं कर सकती थीं। इस दुविधा का हल कमाल अमरोही ने निकाला, मीना के पूछने पर कमाल ने उनके हाथ पर अनारकली के आगे 'मेरी' लिख डाला।इस तरह कमाल मीना से मिलते रहे और दोनों में प्रेम संबंध स्थापित हो गया। 14 फरवरी 1952 को हमेशा की तरह मीना कुमारी के पिता अली बख़्श उन्हें व उनकी छोटी बहन मधु को रात्रि 8 बजे पास के एक भौतिक चिकित्सकालय (फिज़्योथेरेपी क्लीनिक) छोड़ गए। पिताजी अक्सर रात्रि 10 बजे दोनों बहनों को लेने आया करते थे।उस दिन उनके जाते ही कमाल अमरोही अपने मित्र बाक़र अली, क़ाज़ी और उसके दो बेटों के साथ चिकित्सालय में दाखिल हो गए और 19 वर्षीय मीना कुमारी ने पहले से दो बार शादीशुदा 34 वर्षीय कमाल अमरोही से अपनी बहन मधु, बाक़र अली, क़ाज़ी और गवाह के तौर पर उसके दो बेटों की उपस्थिति में निक़ाह कर लिया। 10 बजते ही कमाल के जाने के बाद, इस निक़ाह से अपरिचित पिताजी मीना को घर ले आए।इसके बाद दोनों पति-पत्नी रात-रात भर बातें करने लगे जिसे एक दिन एक नौकर ने सुन लिया।बस फिर क्या था, मीना कुमारी पर पिता ने कमाल से तलाक लेने का दबाव डालना शुरू कर दिया। मीना ने फैसला कर लिया की तबतक कमाल के साथ नहीं रहेंगी जबतक पिता को दो लाख रुपये न दे दें।पिता अली बक़्श ने फिल्मकार महबूब खान को उनकी फिल्म अमर के लिए मीना की डेट्स दे दीं परंतु मीना अमर की जगह पति कमाल अमरोही की फिल्म दायरा में काम करना चाहतीं थीं।इसपर पिता ने उन्हें चेतावनी देते हुए कहा कि यदि वे पति की फिल्म में काम करने जाएँगी तो उनके घर के दरवाज़े मीना के लिए सदा के लिए बंद हो जाएँगे। 5 दिन अमर की शूटिंग के बाद मीना ने फिल्म छोड़ दी और दायरा की शूटिंग करने चलीं गईं।उस रात पिता ने मीना को घर में नहीं आने दिया और मजबूरी में मीना पति के घर रवाना हो गईं। अगले दिन के अखबारों में इस डेढ़ वर्ष से छुपी शादी की खबर ने खूब सुर्खियां बटोरीं। लेकिन स्वछंद प्रवृति की मीना अमरोही से 1964 में अलग हो गयीं। उनकी फ़िल्म पाक़ीज़ा को और उसमें उनके रोल को आज भी सराहा जाता है। शर्मीली मीना के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं कि वे कवियित्री भी थीं लेकिन कभी भी उन्होंने अपनी कवितायें छपवाने की कोशिश नहीं की। उनकी लिखी कुछ उर्दू की कवितायें नाज़ के नाम से बाद में छपी। .

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मीनार-ए-जाम

मीनार-ए-जाम मीनार-ए-जाम (फ़ारसी) या जाम की मीनार (अंग्रेज़ी: Minaret of Jam) पश्चिमी अफ़ग़ानिस्तान के ग़ोर प्रांत के शहरक ज़िले में हरी नदी (हरीरूद) के किनारे खड़ी एक प्रसिद्ध ईंटों की बनी मीनार है। यह ६५ मीटर ऊँची मीनार दिल्ली के क़ुतुब मीनार के बाद दुनिया की दूसरी सबसे ऊँची मीनार है, हालांकि क़ुतुब मीनार वास्तव में इसी मीनार से प्रेरित होकर बनवाया गया था। मीनार-ए-जाम जाम नदी और हरी नदी के संगम के पास है और चारों तरफ़ से २,४०० मीटर ऊँचे पहुँचने वाले पहाड़ों से घिरी हुई है। सन् ११९० के दशक में बनी इस मीनार पर ईंट, गच पलस्तर (स्टक्को) और टाइलें लगी हुई हैं जिनपर क़ुरान की आयतें और आकर्षक लकीरें व आकृतियाँ बनी हुई हैं। .

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मीर जाफ़र

मीर जाफ़र १७५७ से १७६० तक बंगाल का नवाब था। शुरु में वह सिराजुद्दौला का सेनापति था। वह ऐसा आदमी था जो दिन रात एक ही सपना देखता था की वो कब बंगाल का नवाब बनेगा। वह प्लासी के युद्ध में रोबर्ट क्लाइव के साथ मिल गया क्योंकि रोबर्ट क्लाइव ने मीर जाफ़र को बंगाल का नवाब बनाने का लालच दे दिया था। इस घटना को भारत में ब्रिटिश राज की स्थापना की शुरुआत माना जाता है और आगे चलकर मीर जाफ़र का नाम भारतीय उपमहाद्वीप में 'देशद्रोही' व 'ग़द्दार' का पर्रयायवाची बन गया। .

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मीरा कुमार

श्रीमति मीरा कुमार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में से हैं। वे पंद्रहवीं लोकसभा में बिहार के सासाराम लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती हैं। वह लोकसभा की पहली महिला स्पीकर के रूप में 3 जून 2009 को निर्विरोध चुनी गयी।.

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मीराजी

मीराजी: (25 मई, 1912 - 3 नवंबर, 1949) में पैदा हुए.

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यतीन्द्रनाथ दास

यतीन्द्र नाथ दास अथवा जतीन्द्र नाथ दास (যতীন দাস) (27 अक्टूबर 1904 – 13 सितम्बर 1929), जिन्हें जतिन दास के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय स्वतंत्रता कार्यकरता और हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के सदस्य थे। उनका ६३ दिन की भूख हड़ताल के बाद लाहौर सेण्ट्रल जेल में निधन हो गया। .

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यदुनाथ सिंह

नायक यदुनाथ सिंह परमवीर चक्र से सम्मानित भारतीय सैनिक हैं। इन्होने भारत-पाकिस्तान युद्ध 1947 में अद्वितीय साहस का योगदान दिया तथा वीरगति को प्राप्त हुए। इन्हे यह सम्मान सन 1950 में मरणोपरांत मिला था। श्री सिंह को 1941 में ब्रिटिश भारतीय सेना में शामिल किया गया था। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इन्होने बर्मा में जापान के खिलाफ लड़ाई में भाग लिया था। उन्होंने बाद में भारतीय सेना के सदस्य के रूप में 1947 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में भाग लिया। 6 फरवरी 1948 को नौशेरा, जम्मू और कश्मीर के उत्तर में युद्ध में योगदान के कारण नायक सिंह को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। .

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यश चोपड़ा

यश चोपड़ा (अंग्रेजी: Yash Chopra जन्म: 27 सितम्बर 1932 – मृत्यु: 21 अक्टूबर 2012) हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध निर्देशक थे। बाद में उन्होंने कुछ अच्छी फिल्मों का निर्माण भी किया। उन्होंने अपने भाई बी० आर० चोपड़ा और आई० एस० जौहर के साथ बतौर सहायक निर्देशक फिल्म जगत में प्रवेश किया। 1959 में उन्होंने अपनी पहली फिल्म धूल का फूल बनायी थी। उसके बाद 1961 में धर्मपुत्र आयी। 1965 में बनी फिल्म वक़्त से उन्हें अपार शोहरत हासिल हुई। उन्हें फिल्म निर्माण के क्षेत्र में कई पुरस्कार व सम्मान प्राप्त हुए। बालीवुड जगत से फिल्म फेयर पुरस्कार, राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, दादा साहेब फाल्के पुरस्कार के अतिरिक्त भारत सरकार ने उन्हें 2005 में भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया। .

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यशवंत सिन्हा

यशवंत सिन्हा (जन्म: 6 नवम्बर 1937, पटना) एक भारतीय राजनीतिज्ञ और भारतीय जनता पार्टी के एक वरिष्ठ नेता हैं, जो इस समय सत्ताधारी पार्टी है। वे भारत के पूर्व वित्त मंत्री रहने के साथ-साथ अटल बिहारी वाजपेयी मंत्रिमंडल में विदेश मंत्री भी रह चुके हैं। .

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यासीन वादी

यासीन (Yasin) या वोरशीगूम (Worshigum) पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बलतिस्तान क्षेत्र के ग़िज़र ज़िले की एक घाटी है। प्रशासनिक दृष्टि से यह ग़िज़र ज़िले की एक तहसील भी है। यासीन वादी हिन्दु कुश पर्वतों में स्थित है और यहाँ से पूर्व में इश्कोमन वादी पहुँचने के लिए असम्बर दर्रे नामक एक पर्वतीय दर्रे से गुज़रना पड़ता है।, Robert W. Bradnock, Trade & Travel Publications, 1994,...

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यज्ञदत्त शर्मा

वीर यज्ञदत्त शर्मा (२१ अक्टूबर १९२२ - ४ जुलाई १९९६), एक भारतीय राजनेता थे। वे दो बार सांसद रहे और उड़ीसा के राज्यपाल रहे। यज्ञदत्त शर्मा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े नेता भारतीय जनसंघ के संस्थापकों में से एक थे। उन्होने तत्कालीन पंजाब के कांगड़ा, उना, हमीरपुर और शिमला के ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंघ का आधार मजबूत करने में महती भूमिका निभायी। १९९० से ९३ तक वे उड़ीसा के राज्यपाल थे। वे पेशे से आयुर्वेदिक चिकित्सक थे और उन्होने इसके उन्नयन के लिये कार्य किया। .

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युगाण्डा से भारतीयों का निष्कासन

युगाण्डा पूर्वी अफ़्रीका में स्थित एक देश है जहाँ 1970 के दशक के शुरुआती वर्षों से पहले भारतीय मूल की अच्छी-ख़ासी आबादी रहती थी। ये भारतीय ब्रिटिश नागरिकता के साथ युगाण्डा में रहते थे और तब के राष्ट्रपति ईदी अमीन के 4 अगस्त 1972 को दिए आदेश पर मजबूरन युगाण्डा छोड़ना पड़ा था। चूँकि इन भारतीयों के पूर्वज विभाजन से पहले वहाँ बसे थे इसलिए इनमें पाकिस्तानी और बांग्लादेशी भी शामिल थे। अमीन के निष्कासन आदेश के बाद लगभग आधे भारतीयों ने ब्रिटेन में शरण ली और बाक़ी अमेरिका, कनाडा और भारत चले गए। .

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येल्लप्रगड सुब्बाराव

येल्लप्रगड सुब्बाराव (యెల్లప్రగడ సుబ్బారావు) (12 जनवरी 1895–9 अगस्त 1948) एक भारतीय वैज्ञानिक थे जिन्होंने कैंसर के उपचार में महत्वपूर्ण योगदान दिया। अपने कैरियर का अधिकतर भाग इन्होने अमेरिका में बिताया था लेकिन इसके बावजूद भी ये वहाँ एक विदेशी ही बने रहे और ग्रीन कार्ड नहीं लिया, हालांकि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका के कुछ सबसे महत्वपूर्ण चिकित्सा अनुसंधानों का इन्होने नेतृत्व किया था। एडीनोसिन ट्राइफॉस्फेट (ए.टी.पी.) के अलगाव के बावजूद इन्हें हार्वर्ड विश्वविद्यालय में प्राध्यापक पद नहीं दिया गया।.

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रतन नवल टाटा

रतन नवल टाटा (28 दिसंबर 1937, को मुम्बई, में जन्मे) टाटा समुह के वर्तमान अध्यक्ष, जो भारत की सबसे बड़ी व्यापारिक समूह है, जिसकी स्थापना जमशेदजी टाटा ने की और उनके परिवार की पीढियों ने इसका विस्तार किया और इसे दृढ़ बनाया। 1971 में रतन टाटा को राष्ट्रीय रेडियो और इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी लिमिटेड (नेल्को) का डाईरेक्टर-इन-चार्ज नियुक्त किया गया, एक कंपनी जो कि सख्त वित्तीय कठिनाई की स्थिति में थी। रतन ने सुझाव दिया कि कम्पनी को उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स के बजाय उच्च-प्रौद्योगिकी उत्पादों के विकास में निवेश करना चाहिए जेआरडी नेल्को के ऐतिहासिक वित्तीय प्रदर्शन की वजह से अनिच्छुक थे, क्यों कि इसने पहले कभी नियमित रूप से लाभांश का भुगतान नहीं किया था। इसके अलावा, जब रतन ने कार्य भार संभाला, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स नेल्को की बाज़ार में हिस्सेदारी २% थी और घाटा बिक्री का ४०% था। फिर भी, जेआरडी ने रतन के सुझाव का अनुसरण किया। 1972 से 1975 तक, अंततः नेल्को ने अपनी बाज़ार में हिस्सेदारी २०% तक बढ़ा ली और अपना घाटा भी पूरा कर लिया। लेकिन 1975 में, भारत की प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी ने आपात स्थिति घोषित कर दी, जिसकी वजह से आर्थिक मंदी आ गई। इसके बाद 1977 में यूनियन की समस्यायें हुईं, इसलिए मांग के बढ़ जाने पर भी उत्पादन में सुधार नहीं हो पाया। अंततः, टाटा ने यूनियन की हड़ताल का सामना किया, सात माह के लिए तालाबंदी (lockout) कर दी गई। रतन ने हमेशा नेल्को की मौलिक दृढ़ता में विश्वास रखा, लेकिन उद्यम आगे और न रह सका। 1977 में रतन को Empress Mills सोंपा गया, यह टाटा नियंत्रित कपड़ा मिल थी। जब उन्होंने कम्पनी का कार्य भार संभाला, यह टाटा समुह की बीमार इकाइयों में से एक थी। रतन ने इसे संभाला और यहाँ तक की एक लाभांश की घोषणा कर दी। चूँकि कम श्रम गहन उद्यमों की प्रतियोगिता ने इम्प्रेस जैसी कई उन कंपनियों को अलाभकारी बना दिया, जिनकी श्रमिक संख्या बहुत ज्यादा थी और जिन्होंने आधुनिकीकरण पर बहुत कम खर्च किया था रतन के आग्रह पर, कुछ निवेश किया गया, लेकिन यह पर्याप्त नहीं था। चूंकि मोटे और मध्यम सूती कपड़े के लिए बाजार प्रतिकूल था (जो कि एम्प्रेस का कुल उत्पादन था), एम्प्रेस को भारी नुकसान होने लगा। बॉम्बे हाउस, टाटा मुख्यालय, अन्य ग्रुप कंपनिओं से फंड को हटाकर ऐसे उपक्रम में लगाने का इच्छुक नहीं था, जिसे लंबे समय तक देखभाल की आवश्यकता हो। इसलिए, कुछ टाटा निर्देशकों, मुख्यतः नानी पालखीवाला (Nani Palkhivala) ने ये फैसला लिया कि टाटा को मिल समाप्त कर देनी चाहिए, जिसे अंत में 1986 में बंद कर दिया गया। रतन इस फैसले से बेहद निराश थे और बाद में हिन्दुस्तान टाईम्स के साथ एक साक्षात्कार में उन्होंने दावा किया कि एम्प्रेस को मिल जारी रखने के लिए सिर्फ़ ५० लाख रुपये की जरुरत थी। वर्ष 1981 में, रतन टाटा इंडस्ट्री््ज और समूह की अन्य होल्डिंग कंपनियों के अध्यक्ष बनाए गए, जहाँ वे समूह के कार्यनीतिक विचार समूह को रूपांतरित करने के लिए उत्तरदायी तथा उच्च प्रौद्योगिकी व्यापारों में नए उद्यमों के प्रवर्तक थे। 1991 में उन्होंने जेआरडी से ग्रुप चेयर मेन का कार्य भार संभाला.

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रबीन्द्रनाथ ठाकुर

रवीन्द्रनाथ ठाकुर (बंगाली: রবীন্দ্রনাথ ঠাকুর रोबिन्द्रोनाथ ठाकुर) (७ मई, १८६१ – ७ अगस्त, १९४१) को गुरुदेव के नाम से भी जाना जाता है। वे विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार, दार्शनिक और भारतीय साहित्य के एकमात्र नोबल पुरस्कार विजेता हैं। बांग्ला साहित्य के माध्यम से भारतीय सांस्कृतिक चेतना में नयी जान फूँकने वाले युगदृष्टा थे। वे एशिया के प्रथम नोबेल पुरस्कार सम्मानित व्यक्ति हैं। वे एकमात्र कवि हैं जिसकी दो रचनाएँ दो देशों का राष्ट्रगान बनीं - भारत का राष्ट्र-गान जन गण मन और बाँग्लादेश का राष्ट्रीय गान आमार सोनार बाँग्ला गुरुदेव की ही रचनाएँ हैं। .

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रमाबाई रानडे

रमाबाई रानडे (25 जनवरी 1863 – 1924) एक भारतीय समाजसेवी और 19वीं शताब्दी में पहली महिला अधिकार कार्यकर्ताओं में से एक थी। वह 1863 में कुरलेकर परिवार में पैदा हुई थी। 11 वर्ष की आयु में, उन्होंने जस्टिस महादेव गोविंद रानडे से विवाह किया, जो एक प्रतिष्ठित भारतीय विद्वान और सामाजिक सुधारक थे। सामाजिक असमानता के उस युग में, महिलाओं को स्कूल जाने और साक्षर बनने की इजाजत नहीं थी, रमाबाई, उनकी शादी के कुछ ही समय बाद, महादेव गोविंद रानडे के मजबूत समर्थन और प्रोत्साहन के साथ पढ़ने और लिखना सीखने लगी। अपनी मूल भाषा मराठी के साथ शुरू करके, रमाबाई ने अंग्रेजी और बंगाली की मास्टरी करने के लिए कड़ी मेहनत की। अपने पति से प्रेरित होकर, रमाबाई ने महिलाओं में सार्वजनिक बोलने को विकसित करने के लिए मुंबई में 'हिंदू लेडीज सोशल क्लब' की शुरुआत की। रमाबाई पुणे में 'सेवा सदन सोसाइटी' की संस्थापक और अध्यक्ष थी। रमाबाई ने अपने जीवन को महिलाओं के जीवन में सुधार के लिए समर्पित किया। रमाबाई रानडे ने अपने पति और अन्य सहयोगियों के साथ 1886 में पुणे में लड़कियों का पहला उच्च विद्यालय, प्रसिद्ध हुजूरपागा स्थापित किया। .

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रमेशचन्द्र दत्त

रमेशचन्द्र दत्त रमेशचंद्र दत्त (13 अगस्त 1848 -- 30 नवम्बर 1909) भारत के प्रसिद्ध प्रशासक, आर्थिक इतिहासज्ञ तथा लेखक तथा रामायण व महाभारत के अनुवादक थे। भारतीय राष्ट्रवाद के पुरोधाओं में से एक रमेश चंद्र दत्त का आर्थिक विचारों के इतिहास में प्रमुख स्थान है। दादाभाई नौरोज़ी और मेजर बी. डी. बसु के साथ दत्त तीसरे आर्थिक चिंतक थे जिन्होंने औपनिवेशिक शासन के तहत भारतीय अर्थव्यवस्था को हुए नुकसान के प्रामाणिक विवरण पेश किये और विख्यात ‘ड्रेन थियरी’ का प्रतिपादन किया। इसका मतलब यह था कि अंग्रेज अपने लाभ के लिए निरंतर निर्यात थोपने और अनावश्यक अधिभार वसूलने के जरिये भारतीय अर्थव्यवस्था को निचोड़ रहे हैं। .

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रहमान (अभिनेता)

रहमान हिन्दी फ़िल्मों के एक अभिनेता थे। .

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राँची

राँची भारत का एक प्रमुख नगर और झारखंड प्रदेश की राजधानी है। यह झारखंड का तीसरा सबसे प्रसिद्ध शहर है। इसे झरनों का शहर भी कहा जाता है। पहले जब यह बिहार राज्य का भाग था तब गर्मियों में अपने अपेक्षाकृत ठंडे मौसम के कारण प्रदेश की राजधानी हुआ करती थी। झारखंड आंदोलन के दौरान राँची इसका केन्द्र हुआ करता था। राँची एक प्रमुख औद्योगिक केन्द्र भी है। जहाँ मुख्य रूप से एच ई सी (हेवी इंजिनियरिंग कारपोरेशन), भारतीय इस्पात प्राधिकरण, मेकन इत्यादि के कारखाने हैं। राँची के साथ साथ जमशेदपुर और बोकारो इस प्रांत के दो अन्य प्रमुख औद्योगिक केन्द्र हैं। राँची को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्मार्ट सिटीज मिशन के अन्तर्गत एक स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित किये जाने वाले सौ भारतीय शहरों में से एक के रूप में चुना गया है। राँची भारतीय क्रिकेट कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का गृहनगर होने के लिए प्रसिद्ध है। झारखंड की राजधानी राँची में प्रकृति ने अपने सौंदर्य को खुलकर लुटाया है। प्राकृतिक सुन्दरता के अलावा राँची ने अपने खूबसूरत पर्यटक स्थलों के दम पर विश्व के पर्यटक मानचित्र पर भी पुख्ता पहचान बनाई है। गोंडा हिल और रॉक गार्डन, मछली घर, बिरसा जैविक उद्यान, टैगोर हिल, मैक क्लुस्किगंज और आदिवासी संग्राहलय इसके प्रमुख पर्यटक स्थल हैं। इन पर्यटक स्थलों की सैर करने के अलावा यहां पर प्रकृति की बहुमूल्य देन झरनों के पास बेहतरीन पिकनिक भी मना सकते हैं। राँची के झरनों में पांच गाघ झरना सबसे खूबसूरत है क्योंकि यह पांच धाराओं में गिरता है। यह झरने और पर्यटक स्थल मिलकर राँची को पर्यटन का स्वर्ग बनाते हैं और पर्यटक शानदार छुट्टियां बिताने के लिए हर वर्ष यहां आते हैं। राँची का नाम उराँव गांव के पिछले नाम से एक ही स्थान पर, राची के नाम से लिया गया है। "राँची" उराँव शब्द 'रअयची' से निकला है जिसका मतलब है रहने दो। पौराणिक कथाओं के अनुसार, आत्मा के साथ विवाद के बाद,एक किसान ने अपने बांस के साथ आत्मा को हराया। आत्मा ने रअयची रअयची चिल्लाया और गायब हो गया। रअयची राची बन गई, जो राँची बन गई। राची के ऐतिहासिक रूप से एक महत्वपूर्ण पड़ोस में डोरांडा (दुरन "दुरङ" का अर्थ है गीत और दाह "दएः" का अर्थ मुंदारी भाषा में जल है)। डोरांडा हीनू (भुसूर) और हरमू नदियों के बीच स्थित है, जहां ब्रिटिश राज द्वारा स्थापित सिविल स्टेशन, ट्रेजरी और चर्च सिपाही विद्रोह के दौरान विद्रोही बलों द्वारा नष्ट किए गए थे। .

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राणा भगवानदास

न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) राणा भगवानदास (20 दिसम्बर 1942 - 23 फ़रवरी 2015), पाकिस्तानी न्यायपालिका के एक उच्च सम्मानित व्यक्ति पाकिस्तानी सर्वोच्य न्यायालय के न्यायधीश एवं कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश थे। वो पाकिस्तान में २००७ के न्यायिक संकट और संक्षिप्त समय के लिए जब पदधारी इफ़्तिख़ार मोहम्मद चौधरी २००५ और २००६ के दौरान विदेश यात्रा पर गये तब कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश का कार्यभार सम्भाला http://timesofindia.indiatimes.com/world/pakistan/Rana-Bhagwandas-first-Hindu-chief-justice-of-Pakistan-dies/articleshow/46346596.cms और इस प्रकार वो प्रथम हिन्दू और दूसरे गैर-मुस्लिम व्यक्ति हैं जिन्होंने पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय के प्रमुखा का कार्यभार सम्भाला। राणा भगवानदास ने पाकिस्तान के संघीय लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया था। 2009 में वो संघीय नागरिक सेवा के चयन के लिए पैनल के प्रमुख का कार्य भी किया। .

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राधेश्याम कथावाचक

राधेश्याम कथावाचक (1890 - 1963) पारसी रंगमंच शैली के हिन्दी नाटककारों में एक प्रमुख नाम है। उनका जन्म 25 नवम्बर 1890 को उत्तर-प्रदेश राज्य के बरेली शहर में हुआ था। अल्फ्रेड कम्पनी से जुड़कर उन्होंने वीर अभिमन्यु, भक्त प्रहलाद, श्रीकृष्णावतार आदि अनेक नाटक लिखे। परन्तु सामान्य जनता में उनकी ख्याति राम कथा की एक विशिष्ट शैली के कारण फैली। लोक नाट्य शैली को आधार बनाकर खड़ी बोली में उन्होंने रामायण की कथा को 25 खण्डों में पद्यबद्ध किया। इस ग्रन्थ को राधेश्याम रामायण के रूप में जाना जाता है। आगे चलकर उनकी यह रामायण उत्तरप्रदेश में होने वाली रामलीलाओं का आधार ग्रन्थ बनी। 26 अगस्त 1963 को 73 वर्ष की आयु में उनका निधन हुआ। 24 नवम्बर 2012 दैनिक ट्रिब्यून, अभिगमन तिथि: 27 दिसम्बर 2013 .

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राना लियाक़त अली ख़ान

बेगम रआना की एक तस्वीर, 1961 बेगम र'आना लियाक़त अली ख़ान (जन्म का नाम: शीला आइरीन पंत), पाकिस्तान की प्रथम महिला, पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाक़त अली ख़ान की बेगम, पाकिस्तान आंदोलन के सदस्य और सिंध की पहली महिला राज्यपाल थीं। .

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रानी रासमणि

रानी रासमणि, बंगाल में, नवजागरण काल की एक व्यक्तित्व थीं। वे एक सामाजिक कार्यकर्ता, एवं कोलकाता के जानबाजार की जनहितैषी ज़मीन्दार के रूप में प्रसिद्ध थीं। वे दक्षिणेश्वर काली मंदिर की संस्थापिका थीं, एवं नवजागरण काल के प्रसिद्ध दार्शनिक एवं धर्मगुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंस की मुख्य पृष्ठपोषिका भी हुआ करती थी। प्रचलित लोककथन के अनुसार, उन्हें एक स्वप्न में हिन्दू देवी काली ने भवतारिणी रूप में दर्शन दिया था, जिसके बाद, उन्होंने उत्तर कोलकाता में, हुगली नदी के किनारे देवी भवतारिणी के भव्य मंदिर का निर्माण करवाया था। रानी रासमणि ने अपने विभिन्न जनहितैषी कार्यों के माध्यम से प्रसिद्धि अर्जित की थी। उन्होंने तीर्थयात्रियों की सुविधा हेतु, कलकत्ता से पूर्व पश्चिम की ओर स्थित, सुवर्णरेखा नदी से जगन्नाथ पुरी तक एक सड़क का निर्माण करवाया था। इसके अलावा, कलकत्ता के निवासियों के लिए, गङ्गास्नान की सुविधा हेतु उन्होंने केन्द्रीय और उत्तर कलकत्ता में हुगली के किनारे बाबुघट, अहेरिटोला घाट और नीमताल घाट का निर्माण करवाया था, जो आज भी कोलकाता के सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण घाटों में से एक हैं। तथा उन्होंने, स्थापना के दौर में, इम्पीरियल लाइब्रेरी (वर्त्तमान भारतीय राष्ट्रीय पुस्तकालय, कोलकाता) एवं हिन्दू कॉलेज (वर्त्तमान प्रेसिडेन्सी विश्वविद्यालय, कोलकाता) वित्तीय सहायता प्रदान किया था। रानी रासमणि को अक्सर लोकसंस्कृति में सम्मानजनक रूपसे "लोकमाता" कहा जाता है। .

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रानी लक्ष्मीबाई

रानी लक्ष्मीबाई (जन्म: 19 नवम्बर 1828 के अनुसार रानी लक्ष्मीबाई की जन्मतिथि 19 नवम्बर 1835 है – मृत्यु: 18 जून 1858) मराठा शासित झाँसी राज्य की रानी और 1857 के प्रथम भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम की वीरांगना थीं। उन्होंने सिर्फ़ 23 साल की उम्र में अंग्रेज़ साम्राज्य की सेना से जद्दोजहद की और रणभूमि में उनकी मौत हुई थी। .

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राम नारायण

thumbnail राम नारायण (२५ दिसम्बर १९२७) भारतीय संगीतज्ञ हैं। उन्हें सामान्यतः पण्डित राम नारायण भी पुकारा जाता है। ये महाराष्ट्र से हैं। उन्हें हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत एकल संगीत सारंगी वादन ने लोकप्रिय बनाया और प्रथम अन्तरराष्ट्रीय सारंगीवादक बने। नारायण का जन्म उदयपुर के पास हुआ और छोटी आयु में सारंगीवादन की शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने विभिन्न सारंगी वादन के शिक्षकों और गायकों से शिक्षा प्राप्त की और किशोरावस्था में संगीत शिक्षक और यात्रा संगीतकार के रूप में कार्य किया। आकाशवाणी, लाहौर ने नारायण को १९४४ में गायकों के संगतकार के रूप में रखा। वो १९४७ में भारत के विभाजन के समय दिल्ली आ गये लेकिन संगतकार की भूमिका से आगे बढ़ने के स्थान पर सहायक भूमिका में निराश होकर, नारायण १९४९ में भारतीय सिनेमा के लिए काम करने मुम्बई विस्थापित हो गये। १९५४ में एक असफल प्रयास के बाद नारायण १९५६ में सहवादन एकल कलाकार बने और तत्पश्चात संगत को त्याग दिया। उन्होंने एकल एलबम अभिलिखित किया और १९६० में अमेरिका और यूरोप की यात्रा आरम्भ कर दी। नारायण ने भारतीय और विदेशी छात्रों को शिक्षा दी और २००० के दशक में भारत के बाहर भी प्रस्तुतियाँ दी। उन्हें २००५ में भारत के द्वितीय सर्वोच्य नागरीक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। .

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राम प्रसाद 'बिस्मिल'

राम प्रसाद 'बिस्मिल' (११ जून १८९७-१९ दिसम्बर १९२७) भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की क्रान्तिकारी धारा के एक प्रमुख सेनानी थे, जिन्हें ३० वर्ष की आयु में ब्रिटिश सरकार ने फाँसी दे दी। वे मैनपुरी षड्यन्त्र व काकोरी-काण्ड जैसी कई घटनाओं में शामिल थे तथा हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के सदस्य भी थे। राम प्रसाद एक कवि, शायर, अनुवादक, बहुभाषाभाषी, इतिहासकार व साहित्यकार भी थे। बिस्मिल उनका उर्दू तखल्लुस (उपनाम) था जिसका हिन्दी में अर्थ होता है आत्मिक रूप से आहत। बिस्मिल के अतिरिक्त वे राम और अज्ञात के नाम से भी लेख व कवितायें लिखते थे। ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी (निर्जला एकादशी) विक्रमी संवत् १९५४, शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर में जन्मे राम प्रसाद ३० वर्ष की आयु में पौष कृष्ण एकादशी (सफला एकादशी), सोमवार, विक्रमी संवत् १९८४ को शहीद हुए। उन्होंने सन् १९१६ में १९ वर्ष की आयु में क्रान्तिकारी मार्ग में कदम रखा था। ११ वर्ष के क्रान्तिकारी जीवन में उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं और स्वयं ही उन्हें प्रकाशित किया। उन पुस्तकों को बेचकर जो पैसा मिला उससे उन्होंने हथियार खरीदे और उन हथियारों का उपयोग ब्रिटिश राज का विरोध करने के लिये किया। ११ पुस्तकें उनके जीवन काल में प्रकाशित हुईं, जिनमें से अधिकतर सरकार द्वारा ज़ब्त कर ली गयीं। --> बिस्मिल को तत्कालीन संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध की लखनऊ सेण्ट्रल जेल की ११ नम्बर बैरक--> में रखा गया था। इसी जेल में उनके दल के अन्य साथियोँ को एक साथ रखकर उन सभी पर ब्रिटिश राज के विरुद्ध साजिश रचने का ऐतिहासिक मुकदमा चलाया गया था। --> .

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राम शरण शर्मा

राम शरण शर्मा (जन्म 26 नवम्बर 1919 - 20 अगस्त 2011) एक भारतीय इतिहासकार हैं। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय (1973-85) और टोरंटो विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य किया है और साथ ही लंदन विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज में एक सीनियर फेलो, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नेशनल फेलो (1958-81) और 1975 में इंडियन हिस्ट्री कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। 1970 के दशक में दिल्ली विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के डीन के रूप में प्रोफेसर आर.एस.

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राम जेठमलानी

राम जेठमलानी (पूरा नाम: राम भूलचन्द जेठमलानी, رام جيٺملاڻي, जन्म: 14 सितम्बर 1923, सिंध, ब्रिटिश भारत के शिकारपुर शहर में) एक सुप्रसिद्ध भारतीय वकील और राजनीतिज्ञ हैं। 6ठी व 7वीं लोक सभा में वे भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर मुंबई से दो बार चुनाव जीते। बाद में अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार में केन्द्रीय कानून मन्त्री व शहरी विकास मन्त्री रहे। किसी विवादास्पद बयान के चलते उन्हें जब भाजपा से निकाल दिया तो उन्होंने वाजपेयी के ही खिलाफ लखनऊ लोकसभा सीट से 2004 का चुनाव लड़ा किन्तु हार गये। 7 मई 2010 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन का अध्यक्ष चुना गया। 2010 में उन्हें फिर से भाजपा ने पार्टी में शामिल कर लिया और राजस्थान से राज्य सभा का सांसद बनाया। राम जेठमलानी उच्च प्रोफाइल से सम्बन्धित मामलों के मुकदमे की पैरवी करने के कारण विवादास्पद रहे और उसके लिए उन्हें कई बार कड़ी आलोचना का सामना भी करना पड़ा। यद्यपि वे उच्चतम न्यायालय के सबसे महँगे वकील हैं इसके बावजूद उन्होंने कई मामलों में नि:शुल्क पैरवी की। .

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रामदुलारे त्रिवेदी

रामदुलारे त्रिवेदी (जन्म: 1902, मृत्यु: 1975) संयुक्त राज्य आगरा व अवध (वर्तमान उत्तर प्रदेश) के एक प्रमुख क्रान्तिकारी थे। उन्होंने असहयोग आन्दोलन में भाग लिया था जिसके कारण उन्हें छ: महीने के कठोर कारावास की सज़ा काटनी पड़ी। जेल से छूटकर आये तो राम प्रसाद 'बिस्मिल' द्वारा गठित हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के सक्रिय सदस्य बन गये। वे एक सच्चे स्वतन्त्रता सेनानी थे। उन्हें काकोरी काण्ड में केवल पाँच वर्ष के सश्रम कारावास का दण्ड मिला था। स्वतन्त्र भारत में उनका देहान्त 11 मई 1975 को कानपुर में हुआ। 1921 से 1945 तक कई बार जेल गये किन्तु स्वर नहीं बदला। प्रताप और टंकार जैसे दो दो साप्ताहिक समाचार पत्रों का सम्पादन किया। त्रिवेदी जी ने कुछ पुस्तकें भी लिखी थीं जिनमें उल्लेखनीय थी-काकोरी के दिलजले जो 1939 में छपते ही ज़ब्त हो गयी। उनकी यह पुस्तक इतिहास का एक दुर्लभ दस्तावेज़ है। .

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रामानंद सेनगुप्ता

रामानंद सेनगुप्ता (8 मई 1916 – 23 अगस्त 2017), भारतीय सिनेमा के चलचित्रकार थे। उन्हें अपना पहला ब्रेक मिला जब उन्होंने कोलकाता में फिल्म कॉर्पोरेशन (तब कलकत्ता) में एक सहायक कैमरामैन के रूप में कार्य किया। एक पूर्णकालिक चलचित्रकार के रूप में उनकी पहली फिल्म ‘पूर्वाराग’ थी, जिसका निर्देशन वर्ष 1946 में अरेंदु मुखर्जी ने किया था। उन्होंने जीन रेनोइर, रित्विक घटक एवं मृणाल सेन जैसे महान एवं श्रेष्ठ लोगों के साथ काम किये थे। उन्होंने 70 से अधिक फिल्मों में काम किया। .

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रामकृष्ण खत्री

रामकृष्ण खत्री (जन्म: ३ मार्च १९०२ महाराष्ट्र, मृत्यु: १८ अक्टूबर १९९६ लखनऊ) भारत के एक प्रमुख क्रान्तिकारी थे। उन्होंने हिन्दुस्तान प्रजातन्त्र संघ का विस्तार मध्य भारत और महाराष्ट्र में किया था। उन्हें काकोरी काण्ड में १० वर्ष के कठोर कारावास की सजा दी गयी। हिन्दी, मराठी, गुरुमुखी तथा अंग्रेजी के अच्छे जानकार खत्री ने शहीदों की छाया में शीर्षक से एक पुस्तक भी लिखी थी जो नागपुर से प्रकाशित हुई थी। स्वतन्त्र भारत में उन्होंने भारत सरकार से मिलकर स्वतन्त्रता संग्राम के सेनानियों की सहायता के लिये कई योजनायें भी बनवायीं। काकोरी काण्ड की अर्द्धशती पूर्ण होने पर उन्होंने काकोरी शहीद स्मृति के नाम से एक ग्रन्थ भी प्रकाशित किया था। लखनऊ से बीस मील दूर स्थित काकोरी शहीद स्मारक के निर्माण में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। १८ अक्टूबर १९९६ को ९४ वर्ष की आयु में उनका देहान्त हुआ। .

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राय बहादुर

राय बहादुर सर गंगाराम राय बहादुर या राव बहादुर या रॉय बहादुर भारत में ब्रिटिश शासन काल में प्रदान किया जाने वाला एक सम्मान था। राव का अर्थ हैं - राजा और बहादुर का अर्थ अधिक सम्माननीय। राय बहादुर की उपाधि हिन्दू और ईसाईयों को दी जाती थी। मुस्लिम को खान बहादुर और सिख को सरदार बहादुर की उपाधि दी जाती थी। .

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राष्ट्रीय शिक्षा दिवस

यह दिवस भारत सरकार भारत के पहले शिक्षा मंत्री एवं भारत रत्न से सम्मानित मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की याद में हर 11 नवंबर को मनाया जाता है। वैधानिक रूप से इसका प्रारम्भ 11 नवम्बर 2008 से किया गया है। .

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रासबिहारी बोस

रासबिहारी बोस (बांग्ला: রাসবিহারী বসু, जन्म:२५ मई १८८६ - मृत्यु: २१ जनवरी १९४५) भारत के एक क्रान्तिकारी नेता थे जिन्होने ब्रिटिश राज के विरुद्ध गदर षडयंत्र एवं आजाद हिन्द फौज के संगठन का कार्य किया। इन्होंने न केवल भारत में कई क्रान्तिकारी गतिविधियों का संचालन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी, अपितु विदेश में रहकर भी वह भारत को स्वतन्त्रता दिलाने के प्रयास में आजीवन लगे रहे। दिल्ली में तत्कालीन वायसराय लार्ड चार्ल्स हार्डिंग पर बम फेंकने की योजना बनाने, गदर की साजिश रचने और बाद में जापान जाकर इंडियन इंडिपेंडेस लीग और आजाद हिंद फौज की स्थापना करने में रासबिहारी बोस की महत्वपूर्ण भूमिका रही। यद्यपि देश को स्वतन्त्र कराने के लिये किये गये उनके ये प्रयास सफल नहीं हो पाये, तथापि स्वतन्त्रता संग्राम में उनकी भूमिका का महत्व बहुत ऊँचा है। .

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राज कपूर

राज कपूर (१९२४-१९८८) प्रसिद्ध अभिनेता, निर्माता एवं निर्देशक थे। नेहरूवादी समाजवाद से प्रेरित अपनी शुरूआती फ़िल्मों से लेकर प्रेम कहानियों को मादक अंदाज से परदे पर पेश करके उन्होंने हिंदी फ़िल्मों के लिए जो रास्ता तय किया, इस पर उनके बाद कई फ़िल्मकार चले। भारत में अपने समय के सबसे बड़े 'शोमैन' थे। सोवियत संघ और मध्य-पूर्व में राज कपूर की लोकप्रियता दंतकथा बन चुकी है। उनकी फ़िल्मों खासकर श्री ४२० में बंबई की जो मूल तस्वीर पेश की गई है, वह फ़िल्म निर्माताओं को अभी भी आकर्षित करती है। राज कपूर की फ़िल्मों की कहानियां आमतौर पर उनके जीवन से जुड़ी होती थीं और अपनी ज्यादातर फ़िल्मों के मुख्य नायक वे खुद होते थे। .

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राजभवन (तमिल नाडु), ऊटी

ऊटी स्थित तमिल नाडु का राजभवन। राजभवन ऊटी भारत के तमिल नाडु राज्य के राज्यपाल का आधिकारिक ग्रीष्मकालीन आवास है। यह तमिल नाडु के हिल स्टेशन ऊटी में स्थित है। के. रोसइया यहाँ के वर्तमान राज्यपाल हैं जिन्होंने ३१ अगस्त २०११ को पदभार ग्रहण किया था। .

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राजभवन (पश्चिम बंगाल), दार्जिलिंग

राजभवन दार्जिलिंग भारत के पश्चिम बंगाल राज्य के राज्यपाल का ग्रीष्मकालीन आधिकारिक आवास है। यह राज्य के दार्जिलिंग नामक नगर में स्थित है। मयंकोटे केलथ नारायणन राज्य के वर्तमान राज्यपाल हैं। .

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राजभवन (महाराष्ट्र), मुम्बई

राजभवन मुम्बई भारत के महाराष्ट्र राज्य के राज्यपाल का आधिकारिक आवास है। यह राज्य की राजधानी मुम्बई में स्थित है। कतीकल शंकरनारायणन राज्य के वर्तमान राज्यपाल हैं जो दूसरी बार ७ मई २०१२ को राज्यपाल नियुक्त हुए थे। .

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राजमाता मोहिंदर कौर

राजमाता मोहिंदर कौर (14 सितंबर 1922 - 24 जुलाई 2017), पटियाला की नौवीं महारानी थी, पटियाला के महाराजा यादविंदर सिंह (1914-1974) की पत्नी थी | वह महाराजा अमरिंदर सिंह की माता थीं | वे पूर्व लोकसभा की सांसद थी | .

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राजा रवि वर्मा

राजा रवि वर्मा की कलाकृति- '''ग्वालिन''' राजा रवि वर्मा (१८४८ - १९०६) भारत के विख्यात चित्रकार थे। उन्होंने भारतीय साहित्य और संस्कृति के पात्रों का चित्रण किया। उनके चित्रों की सबसे बड़ी विशेषता हिंदू महाकाव्यों और धर्मग्रन्थों पर बनाए गए चित्र हैं। हिन्दू मिथकों का बहुत ही प्रभावशाली इस्‍तेमाल उनके चित्रों में दिखता हैं। वडोदरा (गुजरात) स्थित लक्ष्मीविलास महल के संग्रहालय में उनके चित्रों का बहुत बड़ा संग्रह है। .

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राजा ज्वालाप्रसाद

ज्वालाप्रसाद (१८७२ - १६ सितंबर १९४४) भारत के प्रसिद्ध सिविल इंजीनियर, व काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के उप कुलपति (वाईस चांसलर) थे। ज्वाला प्रसाद की पौत्रवधू रूचि वीरा सदर से विधायक व इनके पौत्र कुंवर उदयन वीरा सपा नेता हैं। .

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राजिंदर सिंह बेदी

राजिंदर सिंह बेदी एक हिन्दी और उर्दू उपन्यासकार, निर्देशक, पटकथा लेखक, नाटककार थे। इनका जन्म 1 सितम्बर 1915 को सियालकोट, पंजाब, ब्रिटिश भारत में हुआ था। यह पहले अखिल भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ के उर्दू लेखक थे। जो बाद में हिन्दी फ़िल्म निर्देशक, पटकथा लेखक, संवाद लेखक बन गए। यह पटकथा और संवाद में ऋषिकेश मुखर्जी की फ़िल्म अभिमान, अनुपमा और सत्यकाम; और बिमल रॉय की मधुमती के कारण जाने जाते हैं। यह निर्देशक के रूप में दस्तक (1970) की फ़िल्म जिसमें संजीव कुमार और रेहना सुल्तान थे, के कारण जानते जाते हैं। .

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राजगुरु

अमर शहीद '''शिवराम हरि राजगुरु''' शिवराम हरि राजगुरु (मराठी: शिवराम हरी राजगुरू, जन्म:२४अगस्त१९०८-मृत्यु:२३ मार्च १९३१) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख क्रान्तिकारी थे। इन्हें भगत सिंह और सुखदेव के साथ २३ मार्च १९३१ को फाँसी पर लटका दिया गया था। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में राजगुरु की शहादत एक महत्वपूर्ण घटना थी। शिवराम हरि राजगुरु का जन्म भाद्रपद के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी सम्वत् १९६५ (विक्रमी) तदनुसार सन् १९०८ में पुणे जिला के खेडा गाँव में हुआ था। ६ वर्ष की आयु में पिता का निधन हो जाने से बहुत छोटी उम्र में ही ये वाराणसी विद्याध्ययन करने एवं संस्कृत सीखने आ गये थे। इन्होंने हिन्दू धर्म-ग्रंन्थों तथा वेदो का अध्ययन तो किया ही लघु सिद्धान्त कौमुदी जैसा क्लिष्ट ग्रन्थ बहुत कम आयु में कण्ठस्थ कर लिया था। इन्हें कसरत (व्यायाम) का बेहद शौक था और छत्रपति शिवाजी की छापामार युद्ध-शैली के बड़े प्रशंसक थे। वाराणसी में विद्याध्ययन करते हुए राजगुरु का सम्पर्क अनेक क्रान्तिकारियों से हुआ। चन्द्रशेखर आजाद से इतने अधिक प्रभावित हुए कि उनकी पार्टी हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी से तत्काल जुड़ गये। आजाद की पार्टी के अन्दर इन्हें रघुनाथ के छद्म-नाम से जाना जाता था; राजगुरु के नाम से नहीं। पण्डित चन्द्रशेखर आज़ाद, सरदार भगत सिंह और यतीन्द्रनाथ दास आदि क्रान्तिकारी इनके अभिन्न मित्र थे। राजगुरु एक अच्छे निशानेबाज भी थे। साण्डर्स का वध करने में इन्होंने भगत सिंह तथा सुखदेव का पूरा साथ दिया था जबकि चन्द्रशेखर आज़ाद ने छाया की भाँति इन तीनों को सामरिक सुरक्षा प्रदान की थी। २३ मार्च १९३१ को इन्होंने भगत सिंह तथा सुखदेव के साथ लाहौर सेण्ट्रल जेल में फाँसी के तख्ते पर झूल कर अपने नाम को हिन्दुस्तान के अमर शहीदों की सूची में अहमियत के साथ दर्ज करा दिया। .

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राजेन्द्र प्रसाद

राजेन्द्र प्रसाद (3 दिसम्बर 1884 – 28 फरवरी 1963) भारत के प्रथम राष्ट्रपति थे। वे भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से थे जिन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में प्रमुख भूमिका निभाई। उन्होंने भारतीय संविधान के निर्माण में भी अपना योगदान दिया था जिसकी परिणति २६ जनवरी १९५० को भारत के एक गणतंत्र के रूप में हुई थी। राष्ट्रपति होने के अतिरिक्त उन्होंने स्वाधीन भारत में केन्द्रीय मन्त्री के रूप में भी कुछ समय के लिए काम किया था। पूरे देश में अत्यन्त लोकप्रिय होने के कारण उन्हें राजेन्द्र बाबू या देशरत्न कहकर पुकारा जाता था। .

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राजेन्द्र यादव

राजेन्द्र यादव (अंग्रेजी: Rajendra Yadav, जन्म: 28 अगस्त 1929 आगरा – मृत्यु: 28 अक्टूबर 2013 दिल्ली) हिन्दी के सुपरिचित लेखक, कहानीकार, उपन्यासकार व आलोचक होने के साथ-साथ हिन्दी के सर्वाधिक लोकप्रिय संपादक भी थे। नयी कहानी के नाम से हिन्दी साहित्य में उन्होंने एक नयी विधा का सूत्रपात किया। उपन्यासकार मुंशी प्रेमचन्द द्वारा सन् 1930 में स्थापित साहित्यिक पत्रिका हंस का पुनर्प्रकाशन उन्होंने प्रेमचन्द की जयन्ती के दिन 31 जुलाई 1986 को प्रारम्भ किया था। यह पत्रिका सन् 1953 में बन्द हो गयी थी। इसके प्रकाशन का दायित्व उन्होंने स्वयं लिया और अपने मरते दम तक पूरे 27 वर्ष निभाया। 28 अगस्त 1929 ई० को उत्तर प्रदेश के शहर आगरा में जन्मे राजेन्द्र यादव ने 1951 ई० में आगरा विश्वविद्यालय से एम०ए० की परीक्षा हिन्दी साहित्य में प्रथम श्रेणी में प्रथम स्थान के साथ उत्तीर्ण की। उनका विवाह सुपरिचित हिन्दी लेखिका मन्नू भण्डारी के साथ हुआ था। वे हिन्दी साहित्य की सुप्रसिद्ध हंस पत्रिका के सम्पादक थे। हिन्दी अकादमी, दिल्ली द्वारा राजेन्द्र यादव को उनके समग्र लेखन के लिये वर्ष 2003-04 का सर्वोच्च सम्मान (शलाका सम्मान) प्रदान किया गया था। 28 अक्टूबर 2013 की रात्रि को नई दिल्ली में 84 वर्ष की आयु में उनका निधन हुआ। .

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राजेन्द्र शाह

राजेन्द्र केशवलाल शाह (રાજેન્દ્ર કેશવલાલ શાહ; २८ जनवरी १९१३, कपाड़वनज, भारत - २ जनवरी २०१०) एक गुजराती भाषा के साहित्यकार थे। उन्होंने गुजराती में २० से अधिक काव्य और गीतों के संकलन रचे हैं, ज़्यादातर प्रकृति की सुंदरता और जनजाति और मछुआरों की रोज़मर्रा की ज़िन्दगी के विषयों पर। संस्कृत छंदों में रची उनकी कविताओं पर रविन्द्रनाथ टगोर की कृतियों का गहरा असर रहा है। उनके अनेक पेशों में उन्होंने बम्बई में प्रिंटिंग प्रेस भी चलाया है, जहाँ से उन्होंने कविलोक नाम की कविता पत्रिका छापी। हर रविवार सुबह उनके प्रेस में कवि आया करते थे, जो अपने आप में एक अहम प्रथा बन गयी। काव्यों के अलावा शाह ने गुजराती में कई अनुवाद भी किए हैं, जिनमें से कुछ: टगोर का कविता संकलन बलाक, जयदेव रचित गीतगोविन्द, अंग्रेज़ी कवि कॉलरिज की द राइम ऑफ़ द एन्शियंट मेरिनर और इटली के दांते की प्रसिद्ध कृति डिवाइन कॉमेडी हैं। शाह को वर्ष २००१ के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। निर्णायकों का कहना था, "इनके जज़बातों की तीव्रता और इनके काव्यों के रूप और अभिव्यक्ति में नयापन इन्हें एक ख़ास और मह्त्वपूर्ण कवि बतलाता है। इनकी कविता की आद्यात्मिकता कबीर और नरसी मेहता जैसे मध्यकालीन महान कवियों की परम्परा में है।" .

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राजेन्द्र कुमार (अभिनेता)

राजेन्द्र कुमार (२० जुलाई १९२९ – १२ जुलाई १९९९) ६० तथा ७० के दशकों में बॉलीवुड के सफलतम अभिनेताओं में से एक थे। ८० के दशक में वह कई फ़िल्मों के निर्माता थे जिनमें उनके पुत्र कुमार गौरव ने अभिनय किया है। उनका जन्म ब्रिटिश भारत के पंजाब प्रान्त के सियालकोट शहर में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है। .

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राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी

राजेन्द्र लाहिडी की दुर्लभ फोटो राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी (अंग्रेजी:Rajendra Nath Lahiri, बाँग्ला:রাজেন্দ্র নাথ লাহিড়ী, जन्म:१९०१-मृत्यु:१९२७) भारत के स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण स्वतंत्रता सेनानी थे। युवा क्रान्तिकारी लाहिड़ी की प्रसिद्धि काकोरी काण्ड के एक प्रमुख अभियुक्त के रूप में हैं। .

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राजेश खन्ना

राजेश खन्ना (जन्म: 29 दिसम्बर 1942 - मृत्यु: 18 जुलाई 2012) एक भारतीय बॉलीवुड अभिनेता, निर्देशक व निर्माता थे। उन्होंने कई हिन्दी फ़िल्में बनायीं और राजनीति में भी प्रवेश किया। वे नई दिल्ली लोक सभा सीट से पाँच वर्ष 1991-96 तक कांग्रेस पार्टी के सांसद रहे। बाद में उन्होंने राजनीति से सन्यास ले लिया। उन्होंने कुल 180 फ़िल्मों और 163 फीचर फ़िल्मों में काम किया, 128 फ़िल्मों में मुख्य भूमिका निभायी, 22 में दोहरी भूमिका के अतिरिक्त 17 छोटी फ़िल्मों में भी काम किया। व तीन साल 1969-71 के अंदर १५ solo हिट फ़िल्मों में अभिनय करके बॉलीवुड का सुपरस्टार कहे जाने लगे। उन्हें फ़िल्मों में सर्वश्रेष्ठ अभिनय के लिये तीन बार फिल्म फेयर पुरस्कार मिला और १४ बार मनोनीत किया गया। बंगाल फ़िल्म जर्नलिस्ट एसोसिएशन द्वारा हिन्दी फ़िल्मों के सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार भी अधिकतम चार बार उनके ही नाम रहा और २५ बार मनोनीत किया गया। 2005 में उन्हें फ़िल्मफेयर का लाइफटाइम अचीवमेण्ट अवार्ड दिया गया। राजेश खन्ना हिन्दी सिनेमा के पहले सुपर स्टार थे। 1966 में उन्होंने आखिरी खत नामक फ़िल्म से अपने अभिनय की शुरुआत की। राज़, बहारों के सपने, आखिरी खत - उनकी लगातार तीन कामयाब फ़िल्में रहीं और बहारों के सपने पूर्णतः असफल हुई। उन्होंने 1966-1991 में 74 स्वर्ण जयंती फ़िल्में की। (golden jubilee hits)। उन्होंने 1966-1991 में 22 रजत जयंती फ़िल्में किया। उन्होंने 1966-1996 में 9 सामान्य हित्त फ़िल्म किया। उन्होंने 1966-2013 में 163 फ़िल्म किया और 105 हिट रहे। .

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राव तुला राम

राव तुलाराम सिंह (09 दिसम्बर 1825 -23 सितम्बर 1863) 1857 का प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेताओं में से एक थे। उन्हे हरियाणा राज्य में " राज नायक" माना जाता है। विद्रोह काल मे, हरियाणा के दक्षिण-पश्चिम इलाके से सम्पूर्ण बिटिश हुकूमत को अस्थायी रूप से उखाड़ फेंकने तथा दिल्ली के ऐतिहासिक शहर में विद्रोही सैनिको की, सैन्य बल, धन व युद्ध सामाग्री से सहता प्रदान करने का श्रेय राव तुलाराम को जाता है। अंग्रेजों से भारत को मुक्त कराने के उद्देश्य से एक युद्ध लड़ने के लिए मदद लेने के लिए उन्होंने भारत छोड़ा तथा ईरान और अफगानिस्तान के शासकों से मुलाकात की, रूस के ज़ार के साथ सम्पर्क स्थापित करने की उनकी योजनाएँ थीं। इसी मध्य 37 वर्ष की आयु में 23 सितंबर 1863 को काबुल में पेचिश से उनकी मृत्यु हो गई। .

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रियासत

रियासत ब्रिटिश राज के दौरान हिन्दुस्तान में हिन्दू राजा-महाराजाओं व मुस्लिम शासकों जिन्हें आम बोलचाल की भाषा में नवाब कहा जाता था, के स्वामित्व में स्वतन्त्र इकाइयों को कहा जाता था। भारत १५ अगस्त,१९४७ को ब्रिटिश आधिपत्य से मुक्त हुआ। इससे पहले जब यहाँ की पूरी केन्द्रीय शासन व्यवस्था ब्रिटिश शासन के अधीन थी उस समय भी ऐसी बहुत सी इकाइयाँ (अथवा क्षेत्र) स्वतन्त्र रूप से स्थानीय राजाओं व नवाबों के अधीन थीं। उस समय इन क्षेत्रों को रियासत कहा जाता था। १५ अगस्त,१९४७ को स्वतन्त्रता से पूर्व हिन्दुस्तान में ५६५ रियासतें थीं। .

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रवि शंकर

पण्डित रवि शंकर (রবি শংকর; जन्म: रवीन्द्र शंकर चौधरी, ७ अप्रैल १९२०, बनारस - ११ दिसम्बर २०१२) एक सितार वादक और संगीतज्ञ थे। उन्होंने विश्व के कई मह्त्वपूर्ण संगीत उत्सवों में हिस्सा लिया है। उनके युवा वर्ष यूरोप और भारत में अपने भाई उदय शंकर के नृत्य समूह के साथ दौरा करते हुए बीते। .

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रंधावा (पहलवान)

सरदारा सिंह रंधावा (पंजाबी: ਸਰਦਾਰਾ ਸਿੰਘ ਰੰਧਾਵਾ) एक भारतीय पहलवान व अभिनेता थे जो रंधावा नाम से बेहतर जाने जाते थे। वे प्रसिध्द पहलवान व अभिनेता दारा सिंह के छोटे भाई तथा अभिनेत्री मुमताज़ के जीजा थे। .

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रुडयार्ड किपलिंग

रुडयार्ड किपलिंग (30 दिसम्बर 1865 - 18 जनवरी 1936) एक ब्रिटिश लेखक और कवि थे। ब्रिटिश भारत में बंबई में जन्मे, किपलिंग को मुख्य रूप से उनकी पुस्तक द जंगल बुक(1894) (कहानियों का संग्रह जिसमें रिक्की-टिक्की-टावी भी शामिल है), किम 1901 (साहस की कहानी), द मैन हु वुड बी किंग (1888) और उनकी कविताएं जिसमें मंडालय (1890), गंगा दीन (1890) और इफ- (1910) शामिल हैं, के लिए जाने जाते हैं। उन्हें "लघु कहानी की कला में एक प्रमुख अन्वेषक" माना जाता हैरूदरफोर्ड, एंड्रयू (1987).

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रुपए का इतिहास

भारतीय १० रुपये के नोटों की गड्डियां भारतीय १ रुपये का सिक्का भारत विश्व कि उन प्रथम सभ्यताओं में से है जहाँ सिक्कों का प्रचलन लगभग छठी सदी ईसापूर्व में शुरू हुआ। रुपए शब्द का अर्थ शब्द रूपा से जोड़ा जा सकता है जिसका अर्थ होता है चाँदी। संस्कृत में रूप्यकम् का अर्थ है चाँदी का सिक्का। रुपया शब्द सन 1540 - 1545 के बीच शेरशाह सूरी के द्वारा जारी किए गए चाँदी के सिक्कों लिए उपयोग में लाया गया। मूल रुपया चाँदी का सिक्का होता था, जिसका वजन 11.34 ग्राम था। यह सिक्का ब्रिटिश भारत के शासन काल में भी उपयोग मे लाया जाता रहा। बीसवीं सदी में फ़ारस की खाड़ी के देशों (खाड़ी देश) तथा अरब मुल्कों में भारतीय रुपया मुद्रा के तौर पर प्रचलित था। सोने की तस्करी को रोकने तथा भारतीय मुद्रा के बाहर में प्रयोग को रोकने के लिए मई १९५९ में भारतीय रिज़र्व बैंक ने गल्फ़ रुपी (खाड़ी रुपया) का विपणन किया। साठ के दशक में कुवैत तथा बहरीन ने अपनी स्वतंत्रता के बाद अपनी ख़ुद की मुद्रा प्रयोग में लानी शुरु की तथा १९६६ में भारतीय रुपये में हुए अवमूल्यन से बचने के लिए क़तर ने भी अपनी मुद्रा शुरु कर दी। .

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रैडक्लिफ़ अवार्ड

रैडक्लिफ़ रेखा 17 अगस्त 1947 को भारत विभाजन के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा बन गई। सर सिरिल रैडक्लिफ़ की अध्यक्षता में सीमा आयोग द्वारा रेखा का निर्धारण किया गया, जो 88 करोड़ लोगों के बीच क्षेत्र को न्यायोचित रूप से विभाजित करने के लिए अधिकृत थे। भारत का विभाजन .

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रेजिनाल्ड एडवर्ड डायर

कर्नल रेजिनाल्ड एडवर्ड हैरी डायर (अंग्रेज़ी: Colonel Reginald Edward Harry Dyer) ब्रिटिश सेना का एक अधिकारी था जिसे अस्थायी ब्रिगेडियर जनरल बनाया गया था जो पंजाब (ब्रिटिश भारत) के शहर अमृतसर में जलियांवाला बाग़ नरसंहार के लिए उत्तरदायी था। डायर अपना पद से हटा दिया गया था, लेकिन वह ब्रिटेन में एक प्रसिद्ध नायक बन गया, ख़ासकर ब्रिटिश राज से संबंधित लोगों के दरम्यान। कुछ इतिहासकारों का यह मानना है कि इस दुर्घटना ब्रिटिश राज के अंत तक एक निर्णायक क़दम था। .

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रोमिला थापर

रोमिला थापर रोमिला थापर भारतीय इतिहासकार है, तथा इनके अध्ययन का मुख्य विषय "प्राचीन भारतीय इतिहास" रहा है। इनका जन्म ३० नवम्बर १९३१ में हुआ था। .

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रोहिलखन्ड मंडल

वर्तमान उत्तर प्रदेश के क्षेत्रों के मानचित्र में रोहिलखंड का स्थान रोहिलखंड मंडल ब्रिटिश भारत के प्रान्त यूनाइटेड प्रौविन्सेज़ ऑफ़ ऐग्रा ऐण्ड औध के 9 प्रशासनिक मंडलों में से एक था। इसमें रोहिलखंड क्षेत्र के जिले शामिल थे। .

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लतीफुर रहमान

लतीफ उर रहमान, (बांग्ला: লতিফুর রহমান; जन्म 1 मार्च 1936) बांग्लादेश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एवं मुख्य सलाहकार थे। उनका जन्म जेस्सोर में, मार्च 1936 को हुआ था। वर्ष 1986 में उन्हें अस्थाई रूप से उच्च न्यायालय विभाग में, बतौर न्यायाधीश नियुक्त किया गया था, और 1981 में वह उसी विभाग में स्थाई न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुए। 15 जनवरी 1991 में वह बांग्लादेश की सर्वोच्च न्यायालय के अपीलीय विभाग में भतार न्यायाधीश नियुक्त किए गए, तथा 1 जनवरी सन 2000 में वह बांग्लादेश के मुख्य न्यायाधीश के पद पर विराजमान हुए। 28 फरवरी को उन्होंने सेवानिवृत्ति ली। तत्पश्चात् सन 2000 की सामायिक सरकार में उन्हें मुख्य सलाहकार बनाया गया, जिसने अष्टम संसदीय चुनाव की देखरेख की थी। वे इस पद पर 15 जुलाई 2000 से 1 अक्टूबर 2001 तक रहे। .

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ललिता पवार

ललिता पवार हिन्दी फिल्मों की एक अभिनेत्री हैं। .

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ललितामहल

ललिता महल मैसूर का दूसरा सबसे बड़ा महल है। यह चामुंडी हिल के निकट, मैसूर शहर के पूर्वी ओर कर्नाटक राज्य में स्थित है। इस महल का निर्माण १९२१ में मैसूर के तत्कालीन महाराजा कृष्णराज वोडेयार चतुर्थ के आदेशानुसार हुआ था। इस महल के निर्माण का प्रमुख उद्देश्य तत्कालीन भारत के वाइसरॉय को मैसूर यात्रा के दौरान ठहराना था। वर्तमान में ललितामहल भारत का अतिथिगृह एवं भारत पर्यटन विकास निगम (आईटीडीसी) होटल है। यह महल लंदन के सेंट पॉल कैथेड्रल की तर्ज पर बना हुआ है। यह मैसूर शहर की भव्य संरचनाओं में से एक है। इस भव्य महल को शुद्ध सफेद रंग से पोता गया है। इसे 1974 में एक विरासत होटल के रूप में परिवर्तित किया गया था। यह अब भारत सरकार के तहत भारत पर्यटन विकास निगम (आईटीडीसी) के अन्तर्गत अशोक ग्रुप के एक विशिष्ट होटल के रूप में चलाया जाता है। हालांकि, महल के मूल शाही माहौल को पहले जैसा ही बनाए रखा गया है। .

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लसबेला ज़िला

लसबेला या लस बेला (उर्दू व बलोच:, अंग्रेज़ी: Lasbela) पाकिस्तान के बलोचिस्तान प्रान्त का एक तटवर्ती ज़िला है। इसे सिन्धी लहजे में लस बेलो कहते हैं। यह ३० जून १९५४ को उस समय के कलात विभाग के अन्दर एक अलग ज़िले के रूप में गठित किया गया था। इस ज़िले में ९ तहसीलें और २१ संघीय काउंसिल​ आती हैं। .

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लालबहादुर शास्त्री

लालबहादुर शास्त्री (जन्म: 2 अक्टूबर 1904 मुगलसराय - मृत्यु: 11 जनवरी 1966 ताशकन्द), भारत के दूसरे प्रधानमन्त्री थे। वह 9 जून 1964 से 11 जनवरी 1966 को अपनी मृत्यु तक लगभग अठारह महीने भारत के प्रधानमन्त्री रहे। इस प्रमुख पद पर उनका कार्यकाल अद्वितीय रहा। भारत की स्वतन्त्रता के पश्चात शास्त्रीजी को उत्तर प्रदेश के संसदीय सचिव के रूप में नियुक्त किया गया था। गोविंद बल्लभ पंत के मन्त्रिमण्डल में उन्हें पुलिस एवं परिवहन मन्त्रालय सौंपा गया। परिवहन मन्त्री के कार्यकाल में उन्होंने प्रथम बार महिला संवाहकों (कण्डक्टर्स) की नियुक्ति की थी। पुलिस मन्त्री होने के बाद उन्होंने भीड़ को नियन्त्रण में रखने के लिये लाठी की जगह पानी की बौछार का प्रयोग प्रारम्भ कराया। 1951 में, जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में वह अखिल भारत काँग्रेस कमेटी के महासचिव नियुक्त किये गये। उन्होंने 1952, 1957 व 1962 के चुनावों में कांग्रेस पार्टी को भारी बहुमत से जिताने के लिये बहुत परिश्रम किया। जवाहरलाल नेहरू का उनके प्रधानमन्त्री के कार्यकाल के दौरान 27 मई, 1964 को देहावसान हो जाने के बाद साफ सुथरी छवि के कारण शास्त्रीजी को 1964 में देश का प्रधानमन्त्री बनाया गया। उन्होंने 9 जून 1964 को भारत के प्रधान मन्त्री का पद भार ग्रहण किया। उनके शासनकाल में 1965 का भारत पाक युद्ध शुरू हो गया। इससे तीन वर्ष पूर्व चीन का युद्ध भारत हार चुका था। शास्त्रीजी ने अप्रत्याशित रूप से हुए इस युद्ध में नेहरू के मुकाबले राष्ट्र को उत्तम नेतृत्व प्रदान किया और पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी। इसकी कल्पना पाकिस्तान ने कभी सपने में भी नहीं की थी। ताशकन्द में पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब ख़ान के साथ युद्ध समाप्त करने के समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद 11 जनवरी 1966 की रात में ही रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गयी। उनकी सादगी, देशभक्ति और ईमानदारी के लिये मरणोपरान्त भारत रत्न से सम्मानित किया गया। .

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लाला हनुमन्त सहाय

लाला हनुमन्त सहाय एक भारतीय क्रान्तिकारी थे। वे 1907 में सूफी अम्बा प्रसाद के नेतृत्व में बनी भारत माता सोसायटी के सक्रिय सदस्य थे। चाँदनी चौक दिल्ली में अंग्रेज वायसराय लार्ड हार्डिंग पर बम फेंकने के षड्यन्त्र में उन्हें भी सह-अभियुक्त बनाया गया। न्यायालय ने उन्हें आजीवन कालेपानी की सजा दी जो बाद में अपील किये जाने पर सात वर्ष के कठोर कारावास में बदल दी गयी। वे जाति के कायस्थ थे जिसके कारण सभी लोग उन्हें "लाला जी" कहकर सम्बोधित करते थे। उन्हें अन्तिम बार चाँदनी चौक, दिल्ली की एक सुनसान कोठरी में एक अंग्रेज लेखक आर० वी० स्मिथ ने 1965 की सर्दियों में देखा था। .

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लाला हरदयाल

लाला हरदयाल (१४ अक्टूबर १८८४, दिल्ली -४ मार्च १९३९) भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के उन अग्रणी क्रान्तिकारियों में थे जिन्होंने विदेश में रहने वाले भारतीयों को देश की आजादी की लडाई में योगदान के लिये प्रेरित व प्रोत्साहित किया। इसके लिये उन्होंने अमरीका में जाकर गदर पार्टी की स्थापना की। वहाँ उन्होंने प्रवासी भारतीयों के बीच देशभक्ति की भावना जागृत की। काकोरी काण्ड का ऐतिहासिक फैसला आने के बाद मई, सन् १९२७ में लाला हरदयाल को भारत लाने का प्रयास किया गया किन्तु ब्रिटिश सरकार ने अनुमति नहीं दी। इसके बाद सन् १९३८ में पुन: प्रयास करने पर अनुमति भी मिली परन्तु भारत लौटते हुए रास्ते में ही ४ मार्च १९३९ को अमेरिका के महानगर फिलाडेल्फिया में उनकी रहस्यमय मृत्यु हो गयी। उनके सरल जीवन और बौद्धिक कौशल ने प्रथम विश्व युद्ध के समय ब्रिटिश साम्राज्यवाद के विरुद्ध लड़ने के लिए कनाडा और अमेरिका में रहने वाले कई प्रवासी भारतीयों को प्रेरित किया। .

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लालकृष्ण आडवाणी

लालकृष्ण आडवाणी, (जन्म: 8 नवम्बर 1927) भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं। भारतीय जनता पार्टी को भारतीय राजनीति में एक प्रमुख पार्टी बनाने में उनका योगदान सर्वोपरि कहा जा सकता है। वे कई बार भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं। जनवरी २००८ में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एन डी ए) ने लोकसभा चुनावों को आडवाणी के नेतृत्व में लड़ने तथा जीत होने पर उन्हें प्रधानमंत्री बनाने की घोषणा की थी। भारतीय जनता पार्टी के जिन नामों को पूरी पार्टी को खड़ा करने और उसे राष्ट्रीय स्तर तक लाने का श्रेय जाता है उसमें सबसे आगे की पंक्ति का नाम है लालकृष्ण आडवाणी। लालकृष्ण आडवाणी कभी पार्टी के कर्णधार कहे गए, कभी लौह पुरुष और कभी पार्टी का असली चेहरा। कुल मिलाकर पार्टी के आजतक के इतिहास का अहम अध्याय हैं लालकृष्ण आडवाणी। .

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लाहौर संकल्पना

लाहौर प्रस्तावना,(قرارداد لاہور, क़रारदाद-ए-लाहौर; बंगाली: লাহোর প্রস্তাব, लाहोर प्रोश्ताब), सन 1940 में अखिल भारतीय मुस्लिम लीग द्वारा प्रस्तावित एक आधिकारिक राजनैतिक संकल्पना थी जिसे मुस्लिम लीग के 22 से 24 मार्च 1940 में चले तीन दिवसीय लाहौर सत्र के दौरान पारित किया गया था। इस प्रस्ताव द्वारा ब्रिटिश भारत के उत्तर पश्चिमी पूर्वी क्षेत्रों में, तथाकथित तौर पर, मुसलमानों के लिए "स्वतंत्र रियासतों" की मांग की गई थी एवं उक्तकथित इकाइयों में शामिल प्रांतों को स्वायत्तता एवं संप्रभुता युक्त बनाने की भी बात की गई थी। तत्पश्चात, यह संकल्पना "भारत के मुसलमानों" के लिए पाकिस्तान नामक मैं एक अलग स्वतंत्र स्वायत्त मुल्क बनाने की मांग करने में परिवर्तित हो गया। हालांकि पाकिस्तान नाम को चौधरी चौधरी रहमत अली द्वारा पहले ही प्रस्तावित कर दिया गया था परंतु सन 1933 तक मजलूम हक मोहम्मद अली जिन्ना एवं अन्य मुसलमान नेता हिंदू मुस्लिम एकता के सिद्धांत पर दृढ़ थे, परंतु अंग्रेजों द्वारा लगातार प्रचारित किए जा रहे विभाजन प्रोत्साह गलतफहमियों मैं हिंदुओं में मुसलमानों के प्रति अविश्वास और द्वेष की भावना को जगा दिया था इन परिस्थितियों द्वारा खड़े हुए अतिसंवेदनशील राजनैतिक माहौल ने भी पाकिस्तान बनाने के उस प्रस्ताव को बढ़ावा दिया था इस प्रस्ताव की पेशी के उपलक्ष में प्रतीवर्ष 23 मार्च को पाकिस्तान में यौम-ए-पाकिस्तान(पाकिस्तान दिवस) के रूप में मनाया जाता है। .

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लियाक़त अली ख़ान

नवबजादा लियाक़त अली ख़ान पाकिस्तान के प्रथम प्रधानमंत्री थे जिन्होंने पाकिस्तान आंदोलन के दौरान मुहम्मद अली जिन्ना के साथ कई दौरे किये। भारत के प्रथम वाणिज्य मंत्री भी थे (अंग्रेज़ो के अधीन भारत)। इनका परिवार अंग्रेजों से अच्छे संबंध रखता था। सन् १९५१ में रावलपिण्डी में इनका क़त्ल हो गया - जिसकी गुत्थी अभी तक नहीं सुलझी है। साद अकबर बाबरक नामक हत्यारा एक अफ़ग़ान था। यह पाकिस्तान के प्रथम रक्षा मंत्री भी रहे और पाकिस्तान के प्रथम विदेश मंत्री भी रहे | पाकिस्तान के प्रधान मन्त्री श्रेणी:पाकिस्तान के प्रधान मन्त्री श्रेणी:पाकिस्तानी राजनीतिज्ञ.

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लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल

लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल एक लोकप्रिय भारतीय संगीतकार की जोड़ी है, लक्ष्मीकांत शांताराम कुदलकर (१९३७-१९९८) और प्यारेलाल रामप्रसाद शर्मा (जन्म १९४०) से मिलकर बनी थी। उन्होंने १९६३ से १९९८ तक ६३५ हिंदी फिल्मों के लिए संगीत रचना की और इस समय के लगभग सभी उल्लेखनीय फिल्म निर्माताओं के लिए काम किया जिसमे सम्मिलित थे राज कपूर, देव आनंद, बी.आर.

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लेफ्टिनेंट कर्नल ए॰ बी॰ तारापोर

लेफ्टिनेंट कर्नल ए॰ बी॰ तारापोर (अर्देशिर बुर्जोरजी तारापोर- Ardeshir Burzorji Tarapore) भारतीय सेना के अधिकारी थे। इन्होंने भारत-पाकिस्तान युद्ध 1965 में अद्वितीय साहस व वीरता का परिचय दिया तथा देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया। फिल्लौर की लड़ाई में अद्भुत शौर्य का प्रदर्शन करने के लिए इन्हें वर्ष 1965 में मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। .

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लॉर्ड डलहौजी

लॉर्ड डलहौजी भारत में ब्रिटिश राज का गवर्नर जनरल था और उसका प्रशासन चलाने का तरीका साम्राज्यवाद से प्रेरित था। उसके काल मे राज्य विस्तार का काम अपने चरम पर था। .

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लॉर्ड विलिंग्डन

लॉर्ड विलिंग्डन ब्रिटिश राज में १८ अप्रैल १९३१ से १८ अप्रैल १९३६ तक भारत के वाइसरॉय एवं गवर्नर-जनरल रहे थे। श्रेणी:भारत के गवर्नर जनरल.

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शचीन्द्रनाथ बख्शी

शचीन्द्रनाथ बख्शी (जन्म: 25 दिसम्बर 1904, मृत्यु: 23 नवम्बर 1984) भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के एक प्रमुख क्रान्तिकारी थे। ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध सशस्त्र क्रान्ति के लिये गठित हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के सक्रिय सदस्य होने के अलावा इन्होंने रामप्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में काकोरी काण्ड में भाग लिया था और फरार हो गये। बख्शी को भागलपुर से पुलिस ने उस समय गिरफ्तार किया जब काकोरी-काण्ड के मुख्य मुकदमे का फैसला सुनाया जा चुका था। स्पेशल जज जे॰आर॰डब्लू॰ बैनेट की अदालत में काकोरी षड्यन्त्र का पूरक मुकदमा दर्ज़ हुआ और 13 जुलाई 1927 को उन्हें आजीवन कारावास की सजा दी गयी। 1937 में जेल से छूटकर आये तो काँग्रेस पार्टी के लिये जी-जान से काम किया। स्वतन्त्र भारत में काँग्रेस से उनका मोहभंग हुआ और वे जनसंघ में शामिल हो गये। उन्होंने उत्तर प्रदेश विधान सभा का चुनाव जीता और लखनऊ जाकर रहने लगे। अपने जीवन काल में उन्होंने दो पुस्तकें भी लिखीं। सुल्तानपुर (उत्तर प्रदेश) में 80 वर्ष का आयु में 23 नवम्बर 1984 को उनका निधन हुआ। .

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शमशेर बहादुर प्रथम

शमशेर बहादुर प्रथम (उर्फ कृष्णा राव उर्फ कृष्णासिंह) (१७३४ - १७६१) उत्तरी भारत में कालपी और बांदा के एक मराठा शासक थे। वह पेशवा बाजीराव प्रथम और उनकी दूसरी पत्नी मस्तानी के पुत्र थे। .

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शम्मी (अभिनेत्री)

नरगिस रबादी (24 अप्रैल 1929 - 6 मार्च 2018) एक भारतीय कलाकारा थी जिन्होंने 200 से अधिक हिंदी चलचित्रों में अभिनय किया था। वे अपने हास्य प्रतिभा के लिए प्रसिद्ध थीं। वे एक पारसी परिवार में जन्मी थी और उनके बचपन का नाम नरगिस रबादी था। उन्होंने ‘उस्ताद पेड्रो’, ‘भाई-बहन’, ‘दिल अपना और प्रीत परायी’,‘हाफ टिकट’, ‘जब जब फूल खिले’, ‘इत्तेफाक’, द बर्निग ट्रेन, ‘कुदरत’, ‘आवारा बाप’ आदि फिल्मों में अभिनय किया था। इसके अलावा उन्होंने ‘देख भाईदेख’, ‘जबान संभाल के’, ‘श्रीमान श्रीमती’, कभी ये कभी वो’ और ‘फिल्मी चक्कर’ जैसे लोकप्रिय टीवी धारावाहिकों में भी अभिनय किया था। .

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शशि कपूर

शशि कपूर (जन्म: 18 मार्च, 1938, निधन: 04 दिसम्बर 2017) हिन्दी फ़िल्मों के एक अभिनेता थे। शशि कपूर हिन्दी फ़िल्मों में लोकप्रिय कपूर परिवार के सदस्य थे। वर्ष २०११ में उनको भारत सरकार ने पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया। वर्ष २०१५ में उनको २०१४ के दादासाहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया। इस तरह से वे अपने पिता पृथ्वीराज कपूर और बड़े भाई राजकपूर के बाद यह सम्मान पाने वाले कपूर परिवार के तीसरे सदस्य बन गये। .

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शहीद (1965 फ़िल्म)

शहीद (1965 फ़िल्म) भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम पर हिन्दी भाषा की फिल्म है। भगत सिंह के जीवन पर 1965 में बनी यह देशभक्ति की सर्वश्रेष्ठ फिल्म है। जिसकी कहानी स्वयं भगत सिंह के साथी बटुकेश्वर दत्त ने लिखी थी। इस फ़िल्म में अमर शहीद राम प्रसाद 'बिस्मिल' के गीत थे। मनोज कुमार ने इस फिल्म में शहीद भगत सिंह का जीवन्त अभिनय किया था। भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम पर आधारित यह अब तक की सर्वश्रेष्ठ प्रामाणिक फ़िल्म है। 13वें राष्ट्रीय फ़िल्म अवार्ड की सूची में इस फ़िल्म ने हिन्दी की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म के पुरस्कार के साथ-साथ राष्ट्रीय एकता पर बनी सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म के लिये नर्गिस दत्त पुरस्कार भी अपने नाम किया। बटुकेश्वर दत्त की कहानी पर आधारित सर्वश्रेष्ठ पटकथा लेखन के लिये दीनदयाल शर्मा को पुरस्कृत किया गया था। यह भी महज़ एक संयोग ही है कि जिस साल यह फ़िल्म रिलीज़ हुई थी उसी साल बटुकेश्वर दत्त का निधन भी हुआ। .

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शान्ति स्वरूप भटनागर

सर शांति स्वरूप भटनागर, OBE, FRS (२१ फरवरी १८९४ – १ जनवरी १९५५) जाने माने भारतीय वैज्ञानिक थे। इनका जन्म शाहपुर (अब पाकिस्तान में) में हुआ था। इनके पिता परमेश्वरी सहाय भटनागर की मृत्यु तब हो गयी थी, जब ये केवल आठ महीने के ही थे। इनका बचपन अपने ननिहाल में ही बीता। इनके नाना एक इंजीनियर थे, जिनसे इन्हें विज्ञान और अभियांत्रिकी में रुचि जागी। इन्हें यांत्रिक खिलौने, इलेक्ट्रानिक बैटरियां और तारयुक्त टेलीफोन बनाने का शौक रहा। इन्हें अपने ननिहाल से कविता का शौक भी मिला और इनका उर्दु एकांकी करामाती प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पाया था। भारत में स्नातकोत्तर डिग्री पूर्ण करने के उपरांत, शोध फ़ैलोशिप पर, ये इंगलैंड गये। इन्होंने युनिवर्सिटी कालेज, लंदन से १९२१ में, रसायन शास्त्र के प्रोफ़ैसर फ़्रेड्रिक जी डोन्नान की देख रेख में, विज्ञान में डाक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। भारत लौटने के बाद, उन्हें बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से प्रोफ़ैसर पद हेतु आमंत्रण मिला। सन १९४१ में ब्रिटिश सरकार द्वारा इनकी शोध के लिये, इन्हें नाइटहुड से सम्मानित किया गया। १८ मार्च १९४३ को इन्हें फ़ैलो आफ़ रायल सोसायटी चुना गया। इनके शोध विषय में एमल्ज़न, कोलाय्ड्स और औद्योगिक रसायन शास्त्र थे। परन्तु इनके मूल योगदान चुम्बकीय-रासायनिकी के क्षेत्र में थे। इन्होंने चुम्बकत्व को रासायनिक क्रियाओं को अधिक जानने के लिये औजार के रूप में प्रयोग किया था। इन्होंने प्रो॰ आर.एन.माथुर के साथ भटनागर-माथुर इन्टरफ़ेयरेन्स संतुलन का प्रतिपादन किया था, जिसे बाद में एक ब्रिटिश कम्पनी द्वारा उत्पादन में प्रयोग भी किया गया। इन्होंने एक सुन्दर कुलगीत नामक विश्वविद्यालय गीत की रचना भी की थी। इसका प्रयोग विश्वविद्यालय में कार्यक्रमों के पहले होता आया है। भारत के प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू वैज्ञानिक प्रसार के प्रबल समर्थक थे। १९४७ में, भारतीय स्वतंत्रता के उपरांत, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की स्थापना, श्री भटनागर की अध्यक्षता में की गयी। इन्हें सी.एस.आई.आर का प्रथम महा-निदेशक बनाया गया। इन्हें शोध प्रयोगशालाओं का जनक कहा जाता है व भारत में अनेकों बड़ी रासायनिक प्रयोगशालाओं के स्थापन हेतु स्मरण किया जाता है। इन्होंने भारत में कुल बारह राष्ट्रीय प्रयोगशालाएं स्थापित कीं, जिनमें प्रमुख इस प्रकार से हैं.

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शाह अजीजुर रहमान

शाह अजिजुर रहमान,(बांग्ला: শাহ আজিজুর রহমান; 1925–1988) एक बांग्लादेशी राजनेता थे, जो बांग्लादेश के प्रधानमंत्री भी थे। बहरहाल, पाकिस्तानी सेना से उनके संबंधों के कारण, उनका कार्यकाल, भीषण विवादों का पात्र रहा था। उन्हें पद के बीच ही राष्ट्रपति पद को बर्खास्त कर उन्हें निलंबित कर, सैन्य शासन स्थापित कर दिया गया था। .

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शाकाहार

दुग्ध उत्पाद, फल, सब्जी, अनाज, बादाम आदि बीज सहित वनस्पति-आधारित भोजन को शाकाहार (शाक + आहार) कहते हैं। शाकाहारी व्यक्ति मांस नहीं खाता है, इसमें रेड मीट अर्थात पशुओं के मांस, शिकार मांस, मुर्गे-मुर्गियां, मछली, क्रस्टेशिया या कठिनी अर्थात केंकड़ा-झींगा आदि और घोंघा आदि सीपदार प्राणी शामिल हैं; और शाकाहारी चीज़ (पाश्चात्य पनीर), पनीर और जिलेटिन में पाए जाने वाले प्राणी-व्युत्पन्न जामन जैसे मारे गये पशुओं के उपोत्पाद से बने खाद्य से भी दूर रह सकते हैं। हालाँकि, इन्हें या अन्य अपरिचित पशु सामग्रियों का उपभोग अनजाने में कर सकते हैं। शाकाहार की एक अत्यंत तार्किक परिभाषा ये है कि शाकाहार में वे सभी चीजें शामिल हैं जो वनस्पति आधारित हैं, पेड़ पौधों से मिलती हैं एवं पशुओं से मिलने वाली चीजें जिनमें कोई प्राणी जन्म नहीं ले सकता। इसके अतिरिक्त शाकाहार में और कोई चीज़ शामिल नहीं है। इस परिभाषा की मदद से शाकाहार का निर्धारण किया जा सकता है। उदाहरण के लिये दूध, शहद आदि से बच्चे नहीं होते जबकि अंडे जिसे कुछ तथाकथित बुद्धजीवी शाकाहारी कहते है, उनसे बच्चे जन्म लेते हैं। अतः अंडे मांसाहार है। प्याज़ और लहसुन शाकाहार हैं किन्तु ये बदबू करते हैं अतः इन्हें खुशी के अवसरों पर प्रयोग नहीं किया जाता। यदि कोई मनुष्य अनजाने में, भूलवश, गलती से या किसी के दबाव में आकर मांसाहार कर लेता है तो भी उसे शाकाहारी ही माना जाता है। पूरी दुनिया का सबसे पुराना धर्म सनातन धर्म भी शाकाहार पर आधारित है। इसके अतिरिक्त जैन धर्म भी शाकाहार का समर्थन करता है। सनातन धर्म के अनुयायी जिन्हें हिन्दू भी कहा जाता है वे शाकाहारी होते हैं। यदि कोई व्यक्ति खुद को हिन्दू बताता है किंतु मांसाहार करता है तो वह धार्मिक तथ्यों से हिन्दू नहीं रह जाता। अपना पेट भरने के लिए या महज़ जीभ के स्वाद के लिए किसी प्राणी की हत्या करना मनुष्यता कदापि नहीं हो सकती। इसके अतिरिक्त एक अवधारणा यदि भी है कि शाकाहारियों में मासूमियत और बीमारियों से लड़ने की क्षमता ज़्यादा होती है। नैतिक, स्वास्थ्य, पर्यावरण, धार्मिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, सौंदर्य, आर्थिक, या अन्य कारणों से शाकाहार को अपनाया जा सकता है; और अनेक शाकाहारी आहार हैं। एक लैक्टो-शाकाहारी आहार में दुग्ध उत्पाद शामिल हैं लेकिन अंडे नहीं, एक ओवो-शाकाहारी के आहार में अंडे शामिल होते हैं लेकिन गोशाला उत्पाद नहीं और एक ओवो-लैक्टो शाकाहारी के आहार में अंडे और दुग्ध उत्पाद दोनों शामिल हैं। एक वेगन अर्थात अतिशुद्ध शाकाहारी आहार में कोई भी प्राणी उत्पाद शामिल नहीं हैं, जैसे कि दुग्ध उत्पाद, अंडे और सामान्यतः शहद। अनेक वेगन प्राणी-व्युत्पन्न किसी अन्य उत्पादों से भी दूर रहने की चेष्टा करते हैं, जैसे कि कपड़े और सौंदर्य प्रसाधन। अर्द्ध-शाकाहारी भोजन में बड़े पैमाने पर शाकाहारी खाद्य पदार्थ हुआ करते हैं, लेकिन उनमें मछली या अंडे शामिल हो सकते हैं, या यदा-कदा कोई अन्य मांस भी हो सकता है। एक पेसेटेरियन आहार में मछली होती है, मगर मांस नहीं। जिनके भोजन में मछली और अंडे-मुर्गे होते हैं वे "मांस" को स्तनपायी के गोश्त के रूप में परिभाषित कर सकते हैं और खुद की पहचान शाकाहार के रूप में कर सकते हैं। हालाँकि, शाकाहारी सोसाइटी जैसे शाकाहारी समूह का कहना है कि जिस भोजन में मछली और पोल्ट्री उत्पाद शामिल हों, वो शाकाहारी नहीं है, क्योंकि मछली और पक्षी भी प्राणी हैं।शाकाहारी मछली नहीं खाते हैं, शाकाहारी सोसाइटी, 2 मई 2010 को पुनःप्राप्त.

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शिमला

शिमला, हिमाचल प्रदेश की राजधानी है। 1864 में, शिमला को भारत में ब्रिटिश राज की ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया गया था। एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल, शिमला को अक्सर पहाड़ों की रानी के रूप में जाना जाता है। .

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शिव पूजन राय

शिव पूजन राय, भारतीय स्वाधीनता संग्राम में सन् 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में मुहम्मदाबाद तहसील मुख्यालय पर तिरंगा फहराने के प्रयास में शहीद हुए थे। ब्रिटिश सिपाहियों द्वारा गोलीबारी में डॉ शिवपूजन राय के साथ वंश नारायण राय, वंश नारायण राय द्वितीय, वशिष्ठ नारायण राय, ऋषिकेश राय, राजा राय, नारायण राय और राम बदन उपाध्याय भी शहीद हुए थे जिन्हें अष्ट शहीद कहा जाता है। शिवपूजन राय शेरपुर गाँव के निवासी थे। .

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शिवमंगल सिंह 'सुमन'

शिवमंगल सिंह 'सुमन' (1 915-2002) एक प्रसिद्ध हिंदी कवि और शिक्षाविद् थे। उनकी मृत्यु के बाद, भारत के तत्कालीन प्रधान मंत्री ने कहा, "डॉ शिव मंगल सिंह 'सुमन' केवल हिंदी कविता के क्षेत्र में एक शक्तिशाली हस्ताक्षर ही नहीं थे, बल्कि वह अपने समय की सामूहिक चेतना के संरक्षक भी थे। न केवल अपनी भावनाओं का दर्द व्यक्त किया, बल्कि युग के मुद्दों पर भी निर्भीक रचनात्मक टिप्पणी भी थी। " .

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शक्ति सामंत

शक्ति सामंत (जन्म: १३ जनवरी १९२६ बर्धमान, पश्चिम बंगाल, ब्रिटिश भारत - मृत्यु: १४ अप्रैल २००९, मुम्बई, भारत) एक प्रसिद्ध चित्र निर्माता एवं निर्देशक थे। .

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श्याम सरन नेगी

श्याम सरन नेगी, (जन्म:1 जुलाई 1917) कल्पा, हिमाचल प्रदेश में एक सेवानिवृत्त स्कूल शिक्षक हैं जिन्होंने 1951 में हुए स्वतंत्र भारत के पहले आम चुनाव में सबसे पहला मतदान किया। 1947 में ब्रिटिश राज के अंत के बाद देश के पहले चुनाव हालांकि फरवरी 1952 में हुए, किंतु सर्दी के मौसम में भारी बर्फबारी की संभावनाओं के कारण हिमाचल प्रदेश के निवासियों को पांच महीने पहले ही वोट करने के लिए का मौका दिया गया।, by Gautam Dhmeer, in the; published 30 October 2012; retrieved 7 April 2014 नेगी ने 1951 के बाद से हर आम चुनाव में मतदान किया है, और उन्हें भारत के सबसे पुराने मतदाता के रूप में माना जा रहा है। श्याम सरन ने एक हिंदी फिल्म सनम रे में एक विशेष उपस्थिति भी दर्ज कराई। .

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श्यामाचरण लाहिड़ी

श्यामाचरण लाहिड़ी (30 सितम्बर 1828 – 26 सितम्बर 1895) 18वीं शताब्दी के उच्च कोटि के साधक थे जिन्होंने सद्गृहस्थ के रूप में यौगिक पूर्णता प्राप्त कर ली थी। आपका जन्म बंगाल के नदिया जिले की प्राचीन राजधानी कृष्णनगर के निकट धरणी नामक ग्राम के एक संभ्रांत ब्राह्मण कुल में अनुमानत: 1825-26 ई. में हुआ था। आपका पठनपाठन काशी में हुआ। बंगला, संस्कृत के अतिरिक्त अपने अंग्रेजी भी पड़ी यद्यपि कोई परीक्षा नहीं पास की। जीविकोपार्जन के लिए छोटी उम्र में सरकारी नौकरी में लग गए। आप दानापुर में मिलिटरी एकाउंट्स आफिस में थे। कुछ समय के लिए सरकारी काम से अल्मोड़ा जिले के रानीखेत नामक स्थान पर भेज दिए गए। हिमालय की इस उपत्यका में गुरुप्राप्ति और दीक्षा हुई। आपके तीन प्रमुख शिष्य युक्तेश्वर गिरि, केशवानंद और प्रणवानंद ने गुरु के संबंध में प्रकाश डाला है। योगानंद परमहंस ने 'योगी की आत्मकथा' नामक जीवनवृत्त में गुरु को बाबा जी कहा है। दीक्षा के बाद भी इन्होंने कई वर्षों तक नौकरी की और इसी समय से गुरु के आज्ञानुसार लोगों को दीक्षा देने लगे थे। सन्‌ 1880 में पेंशन लेकर आप काशी आ गए। इनकी गीता की आध्यात्मिक व्याख्या आज भी शीर्ष स्थान पर है। इन्होंने वेदांत, सांख्य, वैशेषिक, योगदर्शन और अनेक संहिताओं की व्याख्या भी प्रकाशित की। इनकी प्रणाली की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि गृहस्थ मनुष्य भी योगाभ्यास द्वारा चिरशांति प्राप्त कर योग के उच्चतम शिखर पर आरूढ़ हो सकता है। आपने अपने सहज आडंबररहित गार्हस्थ्य जीवन से यह प्रमाणित कर दिया था। धर्म के संबंध में बहुत कट्टरता के पक्षपाती न होने पर भी आप प्राचीन रीतिनीति और मर्यादा का पूर्णतया पालन करते थे। शास्त्रों में आपका अटूट विश्वास था। जब आप रानीखेत में थे तो अवकाश के समय शून्य विजन में पर्यटन पर प्राकृतिक सौंदर्यनिरीक्षण करते। इसी भ्रमण में दूर से अपना नाम सुनकर द्रोणगिरि नामक पर्वत पर चढ़ते-चढ़ते एक ऐसे स्थान पर पहुँचे जहाँ थोड़ी सी खुली जगह में अनेक गुफाएँ थीं। इसी एक गुफा के करार पर एक तेजस्वी युवक खड़े दीख पड़े। उन्होंने हिंदी में गुफा में विश्राम करने का संकेत किया। उन्होंने कहा 'मैंने ही तुम्हें बुलाया था'। इसके बाद पूर्वजन्मों का वृत्तांत बताते हुए शक्तिपात किया। बाबा जी से दीक्षा का जो प्रकार प्राप्त हुआ उसे क्रियायोग कहा गया है। क्रियायोग की विधि केवल दीक्षित साधकों को ही बताई जाती है। यह विधि पूर्णतया शास्त्रोक्त है और गीता उसकी कुंजी है। गीता में कर्म, ज्ञान, सांख्य इत्यादि सभी योग है और वह भी इतने सहज रूप में जिसमें जाति और धर्म के बंधन बाधक नहीं होते। आप हिंदू, मुसलमान, ईसाई सभी को बिना भेदभाव के दीक्षा देते थे। इसीलिए आपके भक्त सभी धर्मानुयायी हैं। उन्होंने अपने समय में व्याप्त कट्टर जातिवाद को कभी महत्व नहीं दिया। वह अन्य धर्मावलंबियों से यही कहते थे कि आप अपनी धार्मिक मान्यताओं का आदर और अभ्यास करते हुए क्रियायोग द्वारा मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं। पात्रानुसार भक्ति, ज्ञान, कर्म और राजयोग के आधार पर व्यक्तित्व और प्रवृत्तियों के अनुसार साधना करने की प्रेरणा देते। उनके मत से शास्त्रों पर शंका अथवा विवाद न कर उनका तथ्य आत्मसात्‌ करना चाहिए। अपनी समस्याओं के हल करने का आत्मचिंतन से बढ़कर कोई मार्ग नहीं। लाहिड़ी महाशय के प्रवचनों का पूर्ण संग्रह प्राप्य नहीं है किंतु गीता, उपनिषद्, संहिता इत्यादि की अनेक व्याख्याएँ बँगला में उपलब्ध हैं। भगवद्गीताभाष्य का हिंदी अनुवाद लाहिड़ी महाशय के शिष्य श्री भूपेंद्रनाथ सान्याल ने प्रस्तुत किया है। श्री लाहिड़ी की अधिकांश रचनाएँ बँगला में हैं। .

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शैतान सिंह

मेजर शैतान सिंह (जन्म 1 दिसम्बर 1924 तथा मृत्यु 18 नवम्बर 1962) भारतीय सेना के एक अधिकारी थे। इन्हें वर्ष 1963 में मरणोपरांत परमवीर चक्र का सम्मान दिया गया। इनका निधन 1962 के भारत-चीन युद्ध में हुआ था, इन्होंने अपने वतन के लिए काफी संघर्ष किया लेकिन अंत में शहीद हो गये तथा भारत देश का नाम रौशन कर गये। मेजर सिंह स्नातक स्तर की पढ़ाई पूरी करने पर सिंह जोधपुर राज्य बलों में शामिल हुए। जोधपुर की रियासत का भारत में विलय हो जाने के बाद उन्हें कुमाऊं रेजिमेंट में स्थानांतरित कर दिया गया। उन्होंने नागा हिल्स ऑपरेशन तथा 1961 में गोवा के भारत में विलय में हिस्सा लिया था। 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान, कुमाऊं रेजिमेंट की 13वीं बटालियन को चुशूल सेक्टर में तैनात किया गया था। सिंह की कमान के तहत सी कंपनी रेज़ांग ला में एक पोस्ट पर थी। 18 नवंबर 1962 की सुबह चीनी सेना ने हमला कर दिया। सामने से कई असफल हमलों के बाद चीनी सेना ने पीछे से हमला कर किया। भारतीयों ने आखिरी दौर तक लड़ा परन्तु अंततः चीनी हावी हो गए। युद्ध के दौरान सिंह लगातार पोस्टों के बीच सामंजस्य तथा पुनर्गठन बना कर लगातार जवानों का हौसला बढ़ाते रहे। चूँकि वह एक पोस्ट से दूसरी पोस्ट पर बिना किसी सुरक्षा के जा रहे थे अतः वह गंभीर रूप से घायल हो गए और वीर गति को प्राप्त हो गए। उनके इन वीरता भरे देश प्रेम को सम्मान देते हुए भारत सरकार ने वर्ष 1963 में उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया। .

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शेख रज्जाक अली

शेख रज्जाक अली (28 अगस्त 1928 – 7 जून 2015)एक बांग्लादेशी राजनेता, उप कानून मंत्री और बांग्लादेशी संसद के उपाध्यक्ष व दो बार के अध्यक्ष थे। 7 जून 2015 को उनका निधन हो गया। उनका जन्म, 1928 में खुलना जिला के पाईकगाछा के हितमपुर गाँव में हुआ था। और उन्होंने ढाका विश्वविद्यालय से 1952 मे अर्थशास्त्र में एॅमए की डिगरी प्राप्त की और बाद में उसी विश्वविद्यालय से बंगाली साहित्य में एॅमए भी किया, और फिर वहीं से एॅलएॅलबी भी 1954 में किया। उन्होंने बांग्लादेशी स्वतंत्रता संग्राम में रकृय भागीदारी दीथी। और 1952 के भाषा आंदोलन, 1969 के जन आंदोलन और 1971 की बांग्लादेश मुक्ति युद्ध में जम कर हिस्सा लिया था। साथ ही 1982-90 के एकतंत्र के खिलाफ आंदोलन मेंभी वे सक्रिय थे। .

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सत्यनारायण गोयनका

सत्यनारायण गोयनका (जनवरी 30, 1924 – सितम्बर 29, 2013) विपासना ध्यान के प्रसिद्ध बर्मी-भारतीय गुरु थे। उनका जन्म बर्मा में हुआ, उन्होंने सायागयी उ बा खिन का अनुसरण करते हुए १४ वर्षों तक प्रशिक्षण प्राप्त किया। १९६९ में वो भारत प्रतिस्थापित हो गये और ध्यान की शिक्षा देना आरम्भ कर दिया और इगतपुरी में, नासिक के पास १९७६ में एक ध्यान केन्द्र की स्थापना की। .

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सत्यपाल

डॉ॰ सत्यपाल भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के नेताओं में से एक थे। अप्रैल 1919 में उन्हें और सैफ़ुद्दीन किचलू को रॉलेट एक्ट के विरोध में भाषण देने के कारण ब्रिटिश सरकार द्वारा गिरफ़्तार करके जेल भेज दिया गया था जिसके विरोध में जलियाँवाला बाग़ में आयोजित जनसभा में डायर द्वारा निहत्थे लोगों पर गोलियाँ चलवाई गयीं, जिसे जलियाँवाला बाग़ हत्याकांड के नाम से जाना है। .

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सत्यभूषण वर्मा

डॉ॰ सत्यभूषण वर्मा (जन्म: 4 दिसम्बर 1932 रावलपिंडी मृत्यु:13 जनवरी 2005 दिल्ली), जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय दिल्ली में जापानी भाषा के पहले प्रोफेसर थे। हिन्दी हाइकु का भारत में प्रचार-प्रसार करने में उनकी बड़ी भूमिका रही है। .

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सत्यजित राय

सत्यजित राय (बंगाली: शॉत्तोजित् राय्) (२ मई १९२१–२३ अप्रैल १९९२) एक भारतीय फ़िल्म निर्देशक थे, जिन्हें २०वीं शताब्दी के सर्वोत्तम फ़िल्म निर्देशकों में गिना जाता है। इनका जन्म कला और साहित्य के जगत में जाने-माने कोलकाता (तब कलकत्ता) के एक बंगाली परिवार में हुआ था। इनकी शिक्षा प्रेसिडेंसी कॉलेज और विश्व-भारती विश्वविद्यालय में हुई। इन्होने अपने कैरियर की शुरुआत पेशेवर चित्रकार की तरह की। फ़्रांसिसी फ़िल्म निर्देशक ज़ाँ रन्वार से मिलने पर और लंदन में इतालवी फ़िल्म लाद्री दी बिसिक्लेत (Ladri di biciclette, बाइसिकल चोर) देखने के बाद फ़िल्म निर्देशन की ओर इनका रुझान हुआ। राय ने अपने जीवन में ३७ फ़िल्मों का निर्देशन किया, जिनमें फ़ीचर फ़िल्में, वृत्त चित्र और लघु फ़िल्में शामिल हैं। इनकी पहली फ़िल्म पथेर पांचाली (পথের পাঁচালী, पथ का गीत) को कान फ़िल्मोत्सव में मिले “सर्वोत्तम मानवीय प्रलेख” पुरस्कार को मिलाकर कुल ग्यारह अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले। यह फ़िल्म अपराजितो (অপরাজিত) और अपुर संसार (অপুর সংসার, अपु का संसार) के साथ इनकी प्रसिद्ध अपु त्रयी में शामिल है। राय फ़िल्म निर्माण से सम्बन्धित कई काम ख़ुद ही करते थे — पटकथा लिखना, अभिनेता ढूंढना, पार्श्व संगीत लिखना, चलचित्रण, कला निर्देशन, संपादन और प्रचार सामग्री की रचना करना। फ़िल्में बनाने के अतिरिक्त वे कहानीकार, प्रकाशक, चित्रकार और फ़िल्म आलोचक भी थे। राय को जीवन में कई पुरस्कार मिले जिनमें अकादमी मानद पुरस्कार और भारत रत्न शामिल हैं। .

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सतीश गुजराल

सतीश गुजराल भारत के महान चित्रकार माने जाते हैं। सतीश गुजराल का जन्म 25 दिसम्बर, 1925 को ब्रिटिश इंडिया के झेलम (अब पाकिस्तान) में हुआ था। उन्होंने लाहौर स्थित मेयो स्कूल ऑफ आर्ट में पाँच वर्षों तक अन्य विषयों के साथ-साथ मृत्तिका शिल्प और ग्राफिक डिज़ायनिंग का अध्ययन किया। इसके पश्चात सन 1944 में वे बॉम्बे चले गए जहाँ उन्होंने प्रसिद्ध सर जे जे स्कूल ऑफ आर्ट में दाखिला लिया पर बीमारी के कारण सन 1947 में उन्हें पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी। बचपन में इनका स्वास्थ्य काफ़ी अच्छा था। आठ साल की उम्र में पैर फिसलने के कारण इनकी टांगे टूट गई और सिर में काफी चोट आने के कारण इन्हें कम सुनाई पड़ने लगा। परिणाम स्वरूप लोग सतीश गुजराल को लंगड़ा, बहरा और गूंगा समझने लगे। सतीश चाहकर भी आगे की पढ़ाई नहीं कर पाए। ख़ाली समय बिताने के लिए चित्र बनाने लगे। इनकी भावना प्रधान चित्र देखते ही बनती थी। इनके अक्षर एवं रेखाचित्र दोनों ही ख़ूबसूरत थी। .

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सन्यासी विद्रोह

अट्ठारहवीँ शती के अन्तिम वर्षों में अंग्रेजी शासन के विरुद्ध तत्कालीन भारत के कुछ भागों में सन्यासियों ने बडे ही उग्र आन्दोलन किये थे जिसे इतिहास में सन्यासी विद्रोह कहा जाता है। यह आन्दोलन अधिकांशतः उस समय ब्रिटिश भारत के बंगाल प्रान्त में हुआ था। बांग्ला भाषा के सुप्रसिद्ध उपन्यासकार बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय का सन १८८२ में रचित उपन्यास आनन्द मठ इसी विद्रोह की घटना पर आधारित है। देशभक्ति से परिपूर्ण कालजयी रचना वन्दे मातरम् इसी उपन्यास की उपज है जो आगे चलकर भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम का मूलमन्त्र बनी। .

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सफदरजंग विमानक्षेत्र

सफ़दरजंग विमानक्षेत्र (जिसे सफ़दरजंग वायुसेना स्टेशन भी कहा जाता है) भारत की राजधानी नई दिल्ली के दक्षिणी भाग में इसी नाम से बसे क्षेत्र में बना एक विमानक्षेत्र या हवाई अड्डा है। ब्रिटिश राज के समय स्थापित यह हवाई अड्डा तब विलिंग्डन एयरफ़ील्ड के नाम से आरंभ हुआ था। १९२९ में यहां प्रचालन प्रारंभ हुआ जब यह दिल्ली का पहला एवं भारत का दूसरा हवाई अड्डा बना। साउथ एटलांटिक एयर फ़ेरी मार्ग में आने के कारण इसका भरपूर उपयोग द्वितीय विश्व युद्ध में, तथा कालांतर में भारत पाक युद्ध १९७४ में हुआ। कभी लूट्यन्स देल्ही के दक्षिणी छोर पर बसा यह हवाई अड्डा अब पूरे नयी दिल्ली शहर के लगभग बीच में आ गया है। १९६२ तक यह शहर का प्रमुख हवाई अड्डा बना रहा और दशक के अंत तक पूरा प्रचालन नये हवाई अड्डे पालम विमानक्षेत्र को स्थानांतरित हुआ। इसका प्रमुख कारण था इस विमानक्षेत्र का जेट विमान जैसे बड़े वायुयानों को उतार पाने में असमर्थता। १९२८ में यहीं दिल्ली फ़्लाइंग क्लब की स्थापना हुई। तब यहां देल्ही एवं रोशनारा नामक २ दे हैविलैण्ड मोठ यान हुआ करते थे। हवाई अड्डे पर प्रचालन २००१ तक चला, किन्तु जनवरी २००२ से सरकार ने ९/११ की घटना को देखते हुए उरक्षा की दृष्टि से इस हवाई अड्डे पर प्रचालन को पूर्ण विराम दिया। तब से यह क्लब यहां केवल वायुयान अनुरक्षण एवं मरम्मत पाठ्यक्रम चलाता है। आजकल इसका प्रयोग मात्र राष्ट्रपति एवं प्रधान मंत्री सहित अन्य वीवीआईपी हेलिकॉप्टर्स की पालम हवाई अड्डे तक की यात्राओं के लिये प्रयोग किया जाता है। १९० एकड़ के इस हवाई अड्डे के परिसर में, राजीव गाँधी भवन परिसर बना है, जहां भारतीय नागर विमानन मंत्रालय तथा भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण का निगमित मुख्यालय स्थापित है। .

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सय्यद अबिद अली

सय्यद अबिद अली (Syed Abid Ali) (इनका जन्म ९ सितम्बर १९४१) को हुआ था,एक पूर्व भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी है। ये मुख्य रूप से बल्लेबाज और गेंदबाज दोनों के लिए जाने है इसलिए ये हरफनमौला खिलाड़ियों की श्रेणी में आते हैं। सय्यद अबिद अली निचले क्रम पर बल्लेबाजी किया करते थे जबकि मध्यम तेज गेंदबाजी करते थे। .

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सर सोराबजी पोचखानवाला

सर सोराबजी पोचखानवाला (अंग्रेजी: Sir Sorabji Pochkhanawala, जन्म: 9 अगस्त 1881, मृत्यु: 4 जुलाई 1937) एक भारतीय पारसी बैंकर थे। स्वदेशी आन्दोलन से प्रभावित होकर उन्होंने 102 वर्ष पूर्व 1911 में सेण्ट्रल बैंक ऑफ़ इण्डिया की स्थापना की थी जो आज भारत का एक प्रमुख बैंक है। सोराबजी पोचखानवाला को उनकी बैकिंग के क्षेत्र में उल्लेखनीय सेवाओं के लिये ब्रिटिश राज द्वारा 1 मार्च 1935 को सर की उपाधि दी गयी थी। .

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सामाजिक वर्ग

सामाजिक वर्ग समाज में आर्थिक और सांस्कृतिक व्यवस्थाओं का समूह है। समाजशास्त्रियों के लिये विश्लेषण, राजनीतिक वैज्ञानिकों, अर्थशास्त्रियों, मानवविज्ञानियों और सामाजिक इतिहासकारों आदि के लिये वर्ग एक आवश्यक वस्तु है। सामाजिक विज्ञान में, सामाजिक वर्ग की अक्सर 'सामाजिक स्तरीकरण' के संदर्भ में चर्चा की जाती है। आधुनिक पश्चिमी संदर्भ में, स्तरीकरण आमतौर पर तीन परतों: उच्च वर्ग, मध्यम वर्ग, निम्न वर्ग से बना है। प्रत्येक वर्ग और आगे छोटे वर्गों (जैसे वृत्तिक) में उपविभाजित हो सकता है। शक्तिशाली और शक्तिहीन के बीच ही सबसे बुनियादी वर्ग भेद है। महान शक्तियों वाले सामाजिक वर्गों को अक्सर अपने समाजों के अंदर ही कुलीन वर्ग के रूप में देखा जाता है। विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक सिद्धांतों का कहना है कि भारी शक्तियों वाला सामाजिक वर्ग कुल मिलाकर समाज को नुकसान पहुंचाने के लिये अपने स्वयं के स्थान को अनुक्रम में निम्न वर्गों के ऊपर मज़बूत बनाने का प्रयास करता है। इसके विपरीत, परंपरावादियों और संरचनात्मक व्यावहारिकतावादियों ने वर्ग भेद को किसी भी समाज की संरचना के लिए स्वाभाविक तथा उस हद तक अनुन्मूलनीय रूप में प्रस्तुत किया है। मार्क्सवाधी सिद्धांत में, दो मूलभूत वर्ग विभाजन कार्य और संपत्ति की बुनियादी आर्थिक संरचना की देन हैं: बुर्जुआ और सर्वहारा.

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सारजेंट शिक्षा योजना

सारजेंट योजना का ध्येय हर भारतीय को १९८४ तक साक्षर बनाना था (१९२७ में खींची गई आंध्र प्रदेश के कस्तूरी देवी पाठशाला की तस्वीर) सारजेंट शिक्षा योजना (अंग्रेज़ी: Sergeant Scheme) भारतीय स्वतंत्रता से पहले सन् १९४४ में ब्रिटिश-भारतीय सरकार द्वारा तैयार की गई एक योजना थी जिसका ध्येय भारत को ४० वर्षों के अन्दर (यानि सन् १९८४ तक) पूर्णतः साक्षर बनाना था। इसमें शिक्षा और साक्षरता के विस्तार के मनसूबे थे जिनके परिपालन से ब्रिटिश सरकार देशभर में पाठशालाओं का जाल फैलाने और हर भारतीय को १९८४ तक पढ़ा-लिखा बनाने का ज़िम्मा लेने वाली थी।, Ram Nath Sharma, Rajendra Kumar Sharma, Atlantic Publishers & Distributors, 1996,...

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सारगढ़ी का युद्ध

सारगढ़ी युद्ध १२ सितम्बर १८९७ को ब्रिटिश भारतीय सेना और अफ़्ग़ान ओराक्ज़ई जनजातियों के मध्य तिराह अभियान से पहले लड़ा गया। यह उत्तर-पश्चिम फ्रण्टियर प्रान्त (वर्तमान खैबर-पखतुन्खवा, पाकिस्तान में) में हुआ। ब्रितानी भारतीय सैन्यदल में ३६ सिखों (सिख पलटन की चौथी बटालियन) के २१ सिख थे, जिन पर १०,००० अफ़्ग़ानों ने हमला किया। सिखों का नेतृत्व कर रहे हवालदार ईशर सिंह ने मृत्यु पर्यन्त युद्ध करने का निर्णय लिया। इसे सैन्य इतिहास में इतिहास के सबसे महान अन्त वाले युद्धों में से एक माना जाता है। युद्ध के दो दिन बाद अन्य ब्रिटिश भारतीय सैना द्वारा उस स्थान पर पुनः अधिकार प्राप्त किया गया। सिख सैन्य कर्मियों द्वारा इस युद्ध की याद में १२ सितम्बर को सारगढ़ी दिवश के रूप में मनाते हैं। .

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सारे जहाँ से अच्छा

सारे जहाँ से अच्छा या तराना-ए-हिन्दी उर्दू भाषा में लिखी गई देशप्रेम की एक ग़ज़ल है जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ब्रिटिश राज के विरोध का प्रतीक बनी और जिसे आज भी देश-भक्ति के गीत के रूप में भारत में गाया जाता है। इसे अनौपचारिक रूप से भारत के राष्ट्रीय गीत का दर्जा प्राप्त है। इस गीत को प्रसिद्ध शायर मुहम्मद इक़बाल ने १९०५ में लिखा था और सबसे पहले सरकारी कालेज, लाहौर में पढ़कर सुनाया था। यह इक़बाल की रचना बंग-ए-दारा में शामिल है। उस समय इक़बाल लाहौर के सरकारी कालेज में व्याख्याता थे। उन्हें लाला हरदयाल ने एक सम्मेलन की अध्यक्षता करने का निमंत्रण दिया। इक़बाल ने भाषण देने के बजाय यह ग़ज़ल पूरी उमंग से गाकर सुनाई। यह ग़ज़ल हिन्दुस्तान की तारीफ़ में लिखी गई है और अलग-अलग सम्प्रदायों के लोगों के बीच भाई-चारे की भावना बढ़ाने को प्रोत्साहित करती है। १९५० के दशक में सितार-वादक पण्डित रवि शंकर ने इसे सुर-बद्ध किया। जब इंदिरा गांधी ने भारत के प्रथम अंतरिक्षयात्री राकेश शर्मा से पूछा कि अंतरिक्ष से भारत कैसा दिखता है, तो शर्मा ने इस गीत की पहली पंक्ति कही। .

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साहिब सिंह वर्मा

साहिब सिंह वर्मा (अंग्रेजी: Sahib Singh Verma, जन्म:15 मार्च 1943 - मृत्यु: 30 जून 2007) भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष व तेरहवीं लोक सभा के सांसद (1999–2004) थे। 2002 में उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी सरकार में श्रम मन्त्री नियुक्त किया। इससे पूर्व साहब सिंह 1996 से 1998 तक दिल्ली प्रदेश के मुख्यमन्त्री भी रहे। 30 जून्, 2007 को जयपुर-दिल्ली हाईवे पर एक कार-दुर्घटना में अचानक उनका देहान्त हो गया। उस समय वे सीकर जिला से नीम का थाना में एक विद्यालय की आधारशिला रखकर वापस अपने घर दिल्ली आ रहे थे। .

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सावित्री देवी मुखर्जी

सावित्री देवी मुखर्जी (30 सितंबर 1905 - 22 अक्टूबर 1982) यूनानी-फ्रांसीसी लेखक मैक्सिमियानी पोर्टास का उपनाम था (मैक्सिमिन पोर्टा भी लिखा गया) (1998).

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सिन्ध प्रान्त (1936–55)

सिन्ध, वर्ष १९३६ से १९४७ तक ब्रितानी भारत का एक प्रान्त था। १९४७ बाद से १९५५ तक यह पाकिस्तान का प्रान्त रहा। ब्रितानी काल में सिन्ध प्रान्त के अन्तर्गत खैरपुर रियासत को छोड़कर सिन्ध के सभी भाग आते थे और इसकी राजधानी कराची थी। पाकिस्तान बनने पर कराची, पाकिस्तान की राजधानी बन गया।.

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सिंध

सिंध सिंध पाकिस्तान के चार प्रान्तों में से एक है। यह देश के दक्षिण-पूर्व में बसा हुआ है जिसके दक्षिण में अरब की खाड़ी है। सिन्ध का सबसे बड़ा शहर कराँची है और यहाँ देश की 15 प्रतिशत जनता वास करती है। यह सिन्धियों का मूल स्थान है साथ ही यहाँ विभाजन के दौरान आकर बसे मोहाज़िरों की भी बहुतायात है। .

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सिंगापुर का इतिहास

सिंगापुर के इतिहास का विवरण 11वीं सदी से उपलब्ध है। 14वीं सदी के दौरान श्रीविजयन राजकुमार परमेश्वर के शासनकाल में इस द्वीप का महत्त्व बढ़ना शुरु हुआ और यह एक महत्वपूर्ण बंदरगाह बन गया, लेकिन दुर्भाग्यवश 1613 में पुर्तगाली हमलावरों द्वारा इसे नष्ट कर दिया गया। आधुनिक सिंगापुर के इतिहास की शुरुआत 1819 में हुई, जब एक अंग्रेज सर थॉमस स्टैमफोर्ड रैफल्स द्वारा इस द्वीप पर एक ब्रिटिश बंदरगाह की स्थापना की गयी। ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के तहत दक्षिण-पूर्व एशिया में भारत-चीन व्यापार और भंडारगृह (एंट्रीपोट) व्यापार, दोनों के एक केंद्र के रूप में इसका महत्त्व काफी बढ़ गया और यह बड़ी तेजी से एक प्रमुख बंदरगाह शहर में तब्दील हो गया। द्वितीय विश्व युद्घ के समय जापानी साम्राज्य ने सिंगापुर को अपने अधीन कर लिया और 1942 से 1945 तक इसे अपने अधीन रखा। युद्ध समाप्त होने के बाद सिंगापुर वापस अंग्रेजों के नियंत्रण में चला गया और स्व-शासन के अधिकार के स्तर को वढ़ाया गया और अंततः 1963 में फेडरेशन ऑफ मलाया के साथ सिंगापुर का विलय कर मलेशिया का निर्माण किया गया। हालांकि, सामाजिक अशांति और सिंगापुर की सत्तारूढ़ पीपुल्स एक्शन पार्टी तथा मलेशिया की एलायंस पार्टी के बीच विवादों के परिणाम स्वरूप सिंगापुर को मलेशिया से अलग कर दिया गया। 9 अगस्त 1965 को सिंगापुर एक स्वतंत्र गणतंत्र बन गया। गंभीर बेरोजगारी और आवासीय संकट का सामना करने के कारण, सिंगापुर ने एक आधुनिकीकरण कार्यक्रम पर काम करना शुरू कर दिया जिसमें विनिर्माण उद्योग की स्थापना, बड़े सार्वजनिक आवासीय एस्टेट के विकास और सार्वजनिक शिक्षा पर भारी निवेश करने पर ध्यान केंद्रित किया गया। आजादी के बाद से सिंगापुर की अर्थव्यवस्था में प्रति वर्ष औसतन नौ प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी है। 1990 के दशक तक यह एक अत्यंत विकसित मुक्त बाजार अर्थव्यवस्था, सुदृढ़ अंतरराष्ट्रीय व्यावसायिक संबंध और जापान के बाहर एशिया में सर्वोच्च प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद के साथ दुनिया के सबसे समृद्ध देशों में से एक बन गया था। .

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सिक्किम अधिराज्य

पूर्वी हिमालय में 1642 से 16 मई 1975 के बीच सिक्किम अधिराज्य एक वंशानुगत राजशाही राज्य था। यह राज्य चोग्याल राजाओं के द्वारा शाषित था। .

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संथाल परगना

संथाल परगना भारत के झारखंड राज्य की प्रशासनिक इकाइयों में से एक है। यह झारखंड की एक कमीशनरी है जिसका मुख्यालय दुमका में है। इस इकाई में झारखंड के छह जिले - गोड्डा, देवघर, दुमका, जामताड़ा, साहिबगंज और पाकुड़ शामिल हैं। ब्रिटिश राजमें पहले संथाल परगना नाम से ही संयुक्त बिहार में एक जिला हुआ करता था जिसे 1855 में ब्रिटिशों ने जिला घोषित किया था और यह बंगाल प्रेसिडेंसी का हिस्सा हुआ करता था। संथाल परगना दो शब्दों संथाल (जिसे कुछ लोग संताल एवं सांथाल भी कहते हैं) - जो एक आदिवासी समुदाय है और परगना (उर्दू) - जिसका अर्थ प्रांता या राज्य होता है - से बना है। संथाल परगना के सभी छह जिलों में सांथाल आदिवासियों की बहुतायत है जो आस्ट्रो एशियाटिक भाषा परिवार की सांथाली और भारतीय आर्य भाषा परिवार की अंगिका भाषा का प्रयोग करते हैं। ब्रिटिश राज के दौरान आदिवासियों द्वारा यहाँ कई विद्रोह हुए थे जिसमें तिलका मांझी, बिरसा मुंडा, कान्हू मुर्मू और सिद्धू मुर्मू इत्यादि जैसे आदिवासियों ने काफी प्रमुख भूमिका निभाई थी। .

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संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध

संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध (अंग्रेजी: United Provinces of Agra and Oudh; उच्चारण: यूनाईटेड प्राॅविन्सेज़ ऑफ ऐग्रा ऐण्ड औध) ब्रिटिश भारत में स्वाधीनता से पूर्व एकीकृत प्रान्त का नाम था जो 22 मार्च 1902 को आगरा व अवध नाम की दो प्रेसीडेंसी को मिलाकर बनाया गया था। उस समय सामान्यतः इसे संयुक्त प्रान्त (अंग्रेजी में यू॰पी॰) के नाम से भी जानते थे। यह संयुक्त प्रान्त लगभग एक शताब्दी 1856 से 1947 तक अस्तित्व में बना रहा। इसका कुल क्षेत्रफल वर्तमान भारतीय राज्यों उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड के संयुक्त क्षेत्रफल के बराबर था। जिसे आजकल उत्तर प्रदेश या अंग्रेजी में यू॰पी॰ कहते हैं उसमें ब्रिटिश काल के दौरान रामपुर व टिहरी गढ़वाल जैसी स्वतन्त्र रियासतें भी शामिल थीं। 25 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान की घोषणा से एक दिन पूर्व सरदार बल्लभ भाई पटेल ने इन सभी रियासतों को मिलाकर इसे उत्तर प्रदेश नाम दिया था। 3 जनवरी 1921 को जो राज्य पूर्णत: ब्रिटिश भारत का अंग बन गया था उसे स्वतन्त्र भारत में 20वीं सदी के जाते-जाते सन् 2000 में पुन: विभाजित कर उत्तरांचल (और बाद में उत्तराखण्ड) राज्य को स्थापित किया गया। .

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संस्था पंजीकरण अधिनियम-1860

भारतीय संस्था पंजीकरण अधिनियम-1860, भारत में ब्रिटिश राज के अंतर्गत अधिनियमित किया गया था। इस अधिनियम के अंतर्गत साहित्यिक, वैज्ञानिक, धर्मार्थ व कल्याणकारी संस्थाओं का पंजीकरण कराया या किया जा सकता है। इस अधिनियम के तहत, साहित्यिक, वैज्ञानिक, धर्मार्थ या सामाज कल्याण के उद्देश्य से जुड़े कोई भी सात व्यक्ति एक संस्था के बहिर्नियम के द्वारा एक संस्था गठित कर सकते थे। .

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संजीव कुमार

संजीव कुमार (मूल नाम: हरीभाई जरीवाला; जन्म: 9 जुलाई 1938, मृत्यु: 6 नवम्बर 1985) हिन्दी फ़िल्मों के एक प्रसिद्ध अभिनेता थे। उनका पूरा नाम हरीभाई जरीवाला था। वे मूल रूप से गुजराती थे। इस महान कलाकार का नाम फ़िल्मजगत की आकाशगंगा में एक ऐसे धुव्रतारे की तरह याद किया जाता है जिनके बेमिसाल अभिनय से सुसज्जित फ़िल्मों की रोशनी से बॉलीवुड हमेशा जगमगाता रहेगा। उन्होंने नया दिन नयी रात फ़िल्म में नौ रोल किये थे। कोशिश फ़िल्म में उन्होंने गूँगे बहरे व्यक्ति का शानदार अभिनय किया था। शोले फ़िल्म में ठाकुर का चरित्र उनके अभिनय से अमर हो गया। उन्हें श्रेष्ठ अभिनेता के लिए राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार के अलावा फ़िल्मफ़ेयर क सर्वश्रेष्ठ अभिनेता व सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता पुरस्कार दिया गया। वे आजीवन कुँवारे रहे और मात्र 47 वर्ष की आयु में सन् 1984 में हृदय गति रुक जाने से बम्बई में उनकी मृत्यु हो गयी। 1960 से 1984 तक पूरे पच्चीस साल तक वे लगातार फ़िल्मों में सक्रिय रहे। उन्हें उनके शिष्ट व्यवहार व विशिष्ट अभिनय शैली के लिये फ़िल्मजगत में हमेशा याद किया जायेगा। .

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सुचित्रा सेन

सुचित्रा सेन (जन्म: ६ अप्रैल १९३१ - १७ जनवरी २०१४) हिन्दी एवं बांग्ला फिल्मों की एक अभिनेत्री थीं। वह मुनमुन सेन की माँ थी। विशेषकर उत्तम कुमार के साथ अभिनय करन के कारण वे सारे बंगाल में अत्यन्त जनप्रिय हुईं। उत्तम-सुचित्रा की जोड़ी आज भी बांग्ला चलचित्र की श्रेष्ठ जोड़ी मानी जाती है। वे प्रथम भारतीय अभिनेत्री हैं जिनको किसी अन्तर्राष्ट्रीय चलचित्र महोत्सव में पुरस्कार प्रदान किया गया (श्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार - 'सात पाके बाँधा' १९६३ के लिए, मास्को चलचित्र उत्सव)। .

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सुनीति चौधुरी

सुनीति चौधुरी (22 मई 1917) भारत की एक क्रान्तिकारी नारी थीं। स्वतंत्रता संग्राम में बहुत कम अवस्था में बडा कारनामा करके दिखाने वाली सुनीति उस समय के प्रसिद्ध दीपाली संघ की सदस्या थीं। आजादी की लडाई में सुनीति चौधुरी का कारनामा सुनकर लोग आज भी दाँतों तले अँगुली दबा लेते हैं। २४ दिसम्बर १९३१, त्रिपुरा फैजुन्निसा बालिका विद्यालय की दो छात्राओं कुमारी शांति घोष और कुमारी सुनीति चौधरी ने मजिस्ट्रेट बी जी स्टीवेंसन से मिलने की अनुमति मांगी | कारण पूछने पर उन्होंने उत्तर दिया की वो लडकियों की तैराकी प्रतियोगिता के सन्दर्भ में उनसे कुछ बात करना चाहती हैं। मजिस्ट्रेट के कमरे में पंहुचते ही उन्होंने गोली चला दी। उन वीरांगनाओं का निशाना अचूक था, स्टीवेंसन वहीं मर गया। दोनों वीर बालाएं गिरफ्तार कर ली गयीं। २७ फ़रवरी १९३२ को उन्हें अजन्म काला पानी का दंड हुआ। सत्तावनी क्रांति के बाद यह पहली घटना थी जिसमे किसी महिला ने राजनीतिक हत्या की थी। जहाँ इस वीरतापूर्ण कार्य की सराहना होनी चाहिए थी वहीँ गांधीवाद और अहिंसा के नशे में चूर सरदार बल्लभ भाई पटेल ने कहा कि ये दोनों लड़कियां भारतीय नारियों के लिए कलंक स्वरूप हैं। महान क्रांतिकारी मन्मथनाथ गुप्त जी लिखते हैं -" इतिहास ही बताएगा कि ये लड़कियां भारत के इतिहास का कलंक नहीं हैं | हाँ इस प्रकार का बयान अवश्य कलंक था |" श्रेणी:भारतीय स्वतंत्रता सेनानी श्रेणी:क्रान्तिकारी महिलाएँ.

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सुनील दत्त

सुनील दत्त (अंग्रेजी: Sunil Dutt, पंजाबी: ਸੁਨੀਲ ਦੱਤ, जन्म: 6 जून 1929, मृत्यु: 25 मई 2005), जिनका असली नाम बलराज दत्त था, भारतीय फिल्मों के विख्यात अभिनेता, निर्माता व निर्देशक थे, जिन्होंने कुछ पंजाबी फिल्मों में भी अभिनय किया। इसके अतिरिक्त उन्होंने भारतीय राजनीति में भी सार्थक भूमिका निभायी। मनमोहन सिंह की सरकार में 2004 से 2005 तक वे खेल एवं युवा मामलों के कैबिनेट मन्त्री रहे। उनके पुत्र संजय दत्त भी फिल्म अभिनेता हैं। उन्होंने 1984 में कांग्रेस पार्टी के टिकट पर मुम्बई उत्तर पश्चिम लोक सभा सीट से चुनाव जीता और सांसद बने। वे यहाँ से लगातार पाँच बार चुने जाते रहे। उनकी मृत्यु के बाद उनकी बेटी प्रिया दत्त ने अपने पिता से विरासत में मिली वह सीट जीत ली। भारत सरकार ने 1968 में उन्हें पद्म श्री सम्मान प्रदान किया। इसके अतिरिक्त वे बम्बई के शेरिफ़ भी चुने गये। .

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सुनील गंगोपाध्याय

सुनील गंगोपाध्याय या सुनील गांगुली (সুনীল গঙ্গোপাধ্যায়), (7 सितम्बर 1934 – 23 अक्टूबर 2012) सरस्वती सम्मान से सम्मानित साहित्यकार थे। वो कवि और उपन्यासकार थे। .

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सुब्रह्मण्यन् चन्द्रशेखर

सुब्रह्मण्यन् चन्द्रशेखर (१९ अक्टूबर, १९१०-२१ अगस्त, १९९५) विख्यात भारतीय-अमेरिकी खगोलशास्त्री थे। भौतिक शास्त्र पर उनके अध्ययन के लिए उन्हें विलियम ए. फाउलर के साथ संयुक्त रूप से सन् १९८३ में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला। चन्द्रशेखर सन् १९३७ से १९९५ में उनके देहांत तक शिकागो विश्वविद्यालय के संकाय पर विद्यमान थे। .

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सुभाष चन्द्र बोस

सुभाष चन्द्र बोस (बांग्ला: সুভাষ চন্দ্র বসু उच्चारण: शुभाष चॉन्द्रो बोशु, जन्म: 23 जनवरी 1897, मृत्यु: 18 अगस्त 1945) जो नेता जी के नाम से भी जाने जाते हैं, भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रणी नेता थे। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान, अंग्रेज़ों के खिलाफ लड़ने के लिये, उन्होंने जापान के सहयोग से आज़ाद हिन्द फौज का गठन किया था। उनके द्वारा दिया गया जय हिन्द का नारा भारत का राष्ट्रीय नारा बन गया है। "तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा" का नारा भी उनका था जो उस समय अत्यधिक प्रचलन में आया। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि जब नेता जी ने जापान और जर्मनी से मदद लेने की कोशिश की थी तो ब्रिटिश सरकार ने अपने गुप्तचरों को 1941 में उन्हें ख़त्म करने का आदेश दिया था। नेता जी ने 5 जुलाई 1943 को सिंगापुर के टाउन हाल के सामने 'सुप्रीम कमाण्डर' के रूप में सेना को सम्बोधित करते हुए "दिल्ली चलो!" का नारा दिया और जापानी सेना के साथ मिलकर ब्रिटिश व कामनवेल्थ सेना से बर्मा सहित इम्फाल और कोहिमा में एक साथ जमकर मोर्चा लिया। 21 अक्टूबर 1943 को सुभाष बोस ने आजाद हिन्द फौज के सर्वोच्च सेनापति की हैसियत से स्वतन्त्र भारत की अस्थायी सरकार बनायी जिसे जर्मनी, जापान, फिलीपींस, कोरिया, चीन, इटली, मान्चुको और आयरलैंड ने मान्यता दी। जापान ने अंडमान व निकोबार द्वीप इस अस्थायी सरकार को दे दिये। सुभाष उन द्वीपों में गये और उनका नया नामकरण किया। 1944 को आजाद हिन्द फौज ने अंग्रेजों पर दोबारा आक्रमण किया और कुछ भारतीय प्रदेशों को अंग्रेजों से मुक्त भी करा लिया। कोहिमा का युद्ध 4 अप्रैल 1944 से 22 जून 1944 तक लड़ा गया एक भयंकर युद्ध था। इस युद्ध में जापानी सेना को पीछे हटना पड़ा था और यही एक महत्वपूर्ण मोड़ सिद्ध हुआ। 6 जुलाई 1944 को उन्होंने रंगून रेडियो स्टेशन से महात्मा गांधी के नाम एक प्रसारण जारी किया जिसमें उन्होंने इस निर्णायक युद्ध में विजय के लिये उनका आशीर्वाद और शुभकामनायें माँगीं। नेताजी की मृत्यु को लेकर आज भी विवाद है। जहाँ जापान में प्रतिवर्ष 18 अगस्त को उनका शहीद दिवस धूमधाम से मनाया जाता है वहीं भारत में रहने वाले उनके परिवार के लोगों का आज भी यह मानना है कि सुभाष की मौत 1945 में नहीं हुई। वे उसके बाद रूस में नज़रबन्द थे। यदि ऐसा नहीं है तो भारत सरकार ने उनकी मृत्यु से सम्बंधित दस्तावेज़ अब तक सार्वजनिक क्यों नहीं किये? 16 जनवरी 2014 (गुरुवार) को कलकत्ता हाई कोर्ट ने नेताजी के लापता होने के रहस्य से जुड़े खुफिया दस्तावेजों को सार्वजनिक करने की माँग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई के लिये स्पेशल बेंच के गठन का आदेश दिया। .

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सुम्गल

अंतरिक्ष से ली गई इस तस्वीर में लद्दाख़ का सुम्गल बस्ती, ख़ोतान क्षेत्र की पूषा बस्ती और उन्हें जोड़ता हुआ हिन्दूताश दर्रा (लाल रंग में) देखा जा सकता है सन् १९११ में बनाए भारतीय भौगोलिक निरीक्षण में ओरल स्टाइन द्वारा बनाये गए इस नक़्शे में सुम्गल और हिन्दूताश दवान देखे जा सकते हैं सुम्गल लद्दाख़ के अक्साई चीन क्षेत्र में काराकाश नदी की वादी में स्थित एक उजड़ी हुई बस्ती है। यह उस क्षेत्र में पड़ता है जिसे भारत अपना अंग मानता है लेकिन जिसपर चीन का क़ब्ज़ा है। चीन ने इसे शिनजियांग प्रान्त का हिस्सा घोषित कर दिया है। लद्दाख़ क्षेत्र के सुम्गल से लगभग उत्तर में हिन्दूताश दर्रा है जिस से कुनलुन पर्वत शृंखला पार करके ऐतिहासिक ख़ोतान क्षेत्र पहुँचा जा सकता है, इसलिए सुम्गल भारत की मुख्यभूमि को ख़ोतान राज्य से जोड़ने वाले महत्वपूर्ण मार्ग पर एक अहम पड़ाव हुआ करता था। .

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सुरिन्द्र कपूर

सुरिन्दर कपूर (23 दिसम्बर 1925 – 24 सितम्बर 2011) एक भारतीय फ़िल्म निर्माता थे इनका जन्म पेशावर पाकिस्तान में हुआ था। .

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सुरजीत सिंह बरनाला

सुरजीत सिंह बरनाला (21 अक्टूबर 1925 – 14 जनवरी 2017) एक भारतीय राजनीतिज्ञ था। वह एक पूर्व पंजाब के मुख्यमंत्री, तमिलनाडु, उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पूर्व राज्यपाल और एक पूर्व केंद्रीय मंत्री था। .

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सुरेश ओबेरॉय

सुरेश ओबेरॉय हिन्दी फ़िल्मों के एक अभिनेता हैं। इनका जन्म 17 दिसम्बर 1946 को ब्रिटिश भारत के क्वेटा (वर्तमान पाकिस्तान में) में 'विशाल कुमर ओबेरॉय' नामसे एक हिन्दू खत्री परिवार में हुआ| भारत के विभाजन के बाद पिता आनंद सरूप ओबेरॉय व माता करतार देवी के साथ अमृतसर से होते हैदराबाद पहुंचे| हिंदी फिल्म जगत में इन्होने चरित्र अभिनेता के रूप में अपनी पहचान बनाई है| इसका उदहारण फिल्म मिर्च मसाला में दिया, जिसपर इन्हें सन 1987 का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार अंतर्गत सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता पुरस्कार दिया गया| ये रूमानी एवं दार्शनिक कविता (शायरी, उर्दू में) का पठन व लेखन में भी रुचि रखते है| यदि आप इनसे किसी पंक्ति कहने में चूके तो उसे सुधार, उसके लेखक का नाम भी बता देते है| फिल्म यादों का मौसम का गीत "दिल में फिर तेरी यादों का मौसम" में गायिका अनुराधा पौडवाल के साथ कुछ पंक्तियाँ सुनाकर इसका परिचय दिया है| इसके अतिरिक्त मधुर व स्पष्ट स्वर के कारण ये कुछ एक कार्यक्रम व फिल्मों में सूत्रधार का भूमिका निभाये है| फ़िल्म अशोका (2001) के ये सूत्रधार थे| ज़ी टीवी कार्यक्रम 'जीना इसी का नाम है' के संचालक भी थे| .

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सुरेंद्रनाथ बैनर्जी

सर सुरेन्द्रनाथ बैनर्जी (10 नवम्बर 1848 - 6 अगस्त 1925) ब्रिटिश राज के दौरान प्रारंभिक दौर के भारतीय राजनीतिक नेताओं में से एक थे। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय समिति की स्थापना की, जो प्रारंभिक दौर के भारतीय राजनीतिक संगठनों में से एक था और बाद में वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता बन गए। वह राष्ट्रगुरू (राष्ट्र के शिक्षक) के नाम से भी जाने जाते थे, जो उन्हें उपाधि के रूप में दी गई थी। .

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सुलभ समाचार

सुलभ समाचार, कोलकाता से प्रकाशित एक बांग्ला साप्ताहिक पत्र था। यह १९वीं शताब्दी के बंगाल की पत्रकारिता का अग्रदूत था। इसका प्रकाशन कोलकाता से १६ नवम्बर १८७० से शुरू हुआ। इसे केशव चन्द्र सेन ने शुरू किया था। .

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सुल्तान राही

सुल्तान राही या सुल्तान खान पाकिस्तान फिल्म उद्योग के सुल्तान (जन्म 1938, लाहौर, पाकिस्तान, 9 जनवरी 1996 को निधन) एक पाकिस्तानी पंजाबी अभिनेता था। वह 1996 में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।.

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सुशील कुमार शिंदे

सुशील कुमार शिंदे (जन्म: 4 सितम्बर 1941) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से संबंद्ध एक भारतीय राजनीतिज्ञ है। पूर्व में भारत गणराज्य के केन्द्रीय गृह मंत्री थे तथा पंद्रहवीं लोकसभा के महाराष्ट्र से सांसद है। वे पूर्व में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और आन्ध्र प्रदेश के राज्यपालरह चुके है। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार में केन्द्रीय बिजली मंत्री भी रह चुके है। .

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सुखदेव

सुखदेव (पंजाबी: ਸੁਖਦੇਵ ਥਾਪਰ, जन्म: 15 मई 1907 मृत्यु: 23 मार्च 1931) का पूरा नाम सुखदेव थापर था। वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख क्रान्तिकारी थे। उन्हें भगत सिंह और राजगुरु के साथ २३ मार्च १९३१ को फाँसी पर लटका दिया गया था। इनकी शहादत को आज भी सम्पूर्ण भारत में सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। सुखदेव भगत सिंह की तरह बचपन से ही आज़ादी का सपना पाले हुए थे। ये दोनों 'लाहौर नेशनल कॉलेज' के छात्र थे। दोनों एक ही सन में लायलपुर में पैदा हुए और एक ही साथ शहीद हो गए। .

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सुगौली संधि

सुगौली संधि के क्षेत्रीय प्रभाव सुगौली संधि, ईस्ट इंडिया कंपनी और नेपाल के राजा के बीच हुई एक संधि है, जिसे 1814-16 के दौरान हुये ब्रिटिश-नेपाली युद्ध के बाद अस्तित्व में लाया गया था। इस संधि पर 2 दिसम्बर 1815 को हस्ताक्ष्रर किये गये और 4 मार्च 1816 का इसका अनुमोदन किया गया। नेपाल की ओर से इस पर राज गुरु गजराज मिश्र (जिनके सहायक चंद्र शेखर उपाध्याय थे) और कंपनी ओर से लेफ्टिनेंट कर्नल पेरिस ब्रेडशॉ ने हस्ताक्षर किये थे। इस संधि के अनुसार नेपाल के कुछ हिस्सों को ब्रिटिश भारत में शामिल करने, काठमांडू में एक ब्रिटिश प्रतिनिधि की नियुक्ति और ब्रिटेन की सैन्य सेवा में गोरखाओं को भर्ती करने की अनुमति दी गयी थी, साथ ही इसके द्वारा नेपाल ने अपनी किसी भी सेवा में किसी अमेरिकी या यूरोपीय कर्मचारी को नियुक्त करने का अधिकार भी खो दिया। (पहले कई फ्रांसीसी कमांडरों को नेपाली सेना को प्रशिक्षित करने के लिए तैनात किया गया था) संधि के तहत, नेपाल ने अपने नियंत्रण वाले भूभाग का लगभग एक तिहाई हिस्सा गंवा दिया जिसमे नेपाल के राजा द्वारा पिछ्ले 25 साल में जीते गये क्षेत्र जैसे कि पूर्व में सिक्किम, पश्चिम में कुमाऊं और गढ़वाल राजशाही और दक्षिण में तराई का अधिकतर क्षेत्र शामिल था। तराई भूमि का कुछ हिस्सा 1816 में ही नेपाल को लौटा दिया गया। 1860 में तराई भूमि का एक बड़ा हिस्सा नेपाल को 1857 के भारतीय विद्रोह को दबाने में ब्रिटिशों की सहायता करने की एवज में पुन: लौटाया गया। काठमांडू में तैनात ब्रिटिश प्रतिनिधि मल्ल युग के बाद नेपाल में रहने पहला पश्चिमी व्यक्ति था। (यह ध्यान देने योग्य है कि 18 वीं सदी के मध्य में गोरखाओं ने नेपाल पर विजय प्राप्ति के बाद बहुत से ईसाई धर्मप्रचारकों को नेपाल से बाहर निकाल दिया था)। नेपाल में ब्रिटिशों के पहले प्रतिनिधि, एडवर्ड गार्डनर को काठमांडू के उत्तरी हिस्से में तैनात किया गया था और आज यह स्थान लाज़िम्पाट कहलाता है और यहां ब्रिटिश और भारतीय दूतावास स्थित हैं। दिसम्बर 1923 में सुगौली संधि को अधिक्रमित कर "सतत शांति और मैत्री की संधि", में प्रोन्नत किया गया और ब्रिटिश निवासी के दर्जे को प्रतिनिधि से बढ़ाकर दूत का कर दिया गया। 1950 में भारत (अब स्वतंत्र) और नेपाल ने एक नयी संधि पर दो स्वतंत्र देशों के रूप में हस्ताक्षर किए गए जिसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच संबंधों को एक नए सिरे से स्थापित करना था। .

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स्वदेशी आन्दोलन

१९३० के दशक का पोस्टर जिसमें गाँधीजी को जेल के अन्दर चरखा कातते हुए दिखाया गया है, और लिखा है- ''चरखा और स्वदेशी पर ध्यान दो।'' स्वदेशी आन्दोलन भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन का एक महत्वपूर्ण आन्दोलन, सफल रणनीति व दर्शन था। स्वदेशी का अर्थ है - 'अपने देश का'। इस रणनीति के लक्ष्य ब्रिटेन में बने माल का बहिष्कार करना तथा भारत में बने माल का अधिकाधिक प्रयोग करके साम्राज्यवादी ब्रिटेन को आर्थिक हानि पहुँचाना व भारत के लोगों के लिये रोजगार सृजन करना था। यह ब्रितानी शासन को उखाड़ फेंकने और भारत की समग्र आर्थिक व्यवस्था के विकास के लिए अपनाया गया साधन था। वर्ष 1905 के बंग-भंग विरोधी जनजागरण से स्वदेशी आन्दोलन को बहुत बल मिला। यह 1911 तक चला और गान्धीजी के भारत में पदार्पण के पूर्व सभी सफल अन्दोलनों में से एक था। अरविन्द घोष, रवीन्द्रनाथ ठाकुर, वीर सावरकर, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक और लाला लाजपत राय स्वदेशी आन्दोलन के मुख्य उद्घोषक थे। आगे चलकर यही स्वदेशी आन्दोलन महात्मा गांधी के स्वतन्त्रता आन्दोलन का भी केन्द्र-बिन्दु बन गया। उन्होने इसे "स्वराज की आत्मा" कहा। .

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स्वामी सोमदेव

स्वामी सोमदेव आर्य समाज के एक विद्वान धर्मोपदेशक थे। ब्रिटिश राज के दौरान पंजाब प्रान्त के लाहौर शहर में जन्मे सोमदेव का वास्तविक नाम ब्रजलाल चोपड़ा था। सन १९१५ में जिन दिनों वे स्वास्थ्य लाभ के लिये आर्य समाज शाहजहाँपुर आये थे उन्हीं दिनों समाज की ओर से राम प्रसाद 'बिस्मिल' को उनकी सेवा-सुश्रूषा में नियुक्त किया गया था। किशोरावस्था में स्वामी सोमदेव की सत्संगति पाकर बालक रामप्रसाद आगे चलकर 'बिस्मिल' जैसा बेजोड़ क्रान्तिकारी बन सका। रामप्रसाद बिस्मिल ने अपनी आत्मकथा में मेरे गुरुदेव शीर्षक से उनकी संक्षिप्त किन्तु सारगर्भित जीवनी लिखी है। सोमदेव जी उच्चकोटि के वक्‍ता तो थे ही, बहुत अच्छे लेखक भी थे। उनके लिखे हुए कुछ लेख तथा पुस्तकें उनके ही एक भक्‍त के पास थीं जो उसकी लापरवाही से नष्‍ट हो गयीं। उनके कुछ लेख प्रकाशित भी हुए थे। लगभग 57 वर्ष की आयु में उनका निधन हुआ। .

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स्वामी विवेकानन्द

स्वामी विवेकानन्द(স্বামী বিবেকানন্দ) (जन्म: १२ जनवरी,१८६३ - मृत्यु: ४ जुलाई,१९०२) वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे। उनका वास्तविक नाम नरेन्द्र नाथ दत्त था। उन्होंने अमेरिका स्थित शिकागो में सन् १८९३ में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था। भारत का आध्यात्मिकता से परिपूर्ण वेदान्त दर्शन अमेरिका और यूरोप के हर एक देश में स्वामी विवेकानन्द की वक्तृता के कारण ही पहुँचा। उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी जो आज भी अपना काम कर रहा है। वे रामकृष्ण परमहंस के सुयोग्य शिष्य थे। उन्हें प्रमुख रूप से उनके भाषण की शुरुआत "मेरे अमरीकी भाइयो एवं बहनों" के साथ करने के लिये जाना जाता है। उनके संबोधन के इस प्रथम वाक्य ने सबका दिल जीत लिया था। कलकत्ता के एक कुलीन बंगाली परिवार में जन्मे विवेकानंद आध्यात्मिकता की ओर झुके हुए थे। वे अपने गुरु रामकृष्ण देव से काफी प्रभावित थे जिनसे उन्होंने सीखा कि सारे जीव स्वयं परमात्मा का ही एक अवतार हैं; इसलिए मानव जाति की सेवा द्वारा परमात्मा की भी सेवा की जा सकती है। रामकृष्ण की मृत्यु के बाद विवेकानंद ने बड़े पैमाने पर भारतीय उपमहाद्वीप का दौरा किया और ब्रिटिश भारत में मौजूदा स्थितियों का पहले हाथ ज्ञान हासिल किया। बाद में विश्व धर्म संसद 1893 में भारत का प्रतिनिधित्व करने, संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए कूच की। विवेकानंद के संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैंड और यूरोप में हिंदू दर्शन के सिद्धांतों का प्रसार किया, सैकड़ों सार्वजनिक और निजी व्याख्यानों का आयोजन किया। भारत में, विवेकानंद को एक देशभक्त संत के रूप में माना जाता है और इनके जन्मदिन को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। .

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स्‍वतंत्रता दिवस (भारत)

भारत का स्वतंत्रता दिवस (अंग्रेज़ी: Independence Day of India, हिंदी:इंडिपेंडेंस डे ऑफ़ इंडिया) हर वर्ष 15 अगस्त को मनाया जाता है। सन् 1947 में इसी दिन भारत के निवासियों ने ब्रिटिश शासन से स्‍वतंत्रता प्राप्त की थी। यह भारत का राष्ट्रीय त्यौहार है। प्रतिवर्ष इस दिन भारत के प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से देश को सम्बोधित करते हैं। 15 अगस्त 1947 के दिन भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने, दिल्ली में लाल किले के लाहौरी गेट के ऊपर, भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराया था। महात्मा गाँधी के नेतृत्व में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में लोगों ने काफी हद तक अहिंसक प्रतिरोध और सविनय अवज्ञा आंदोलनों में हिस्सा लिया। स्वतंत्रता के बाद ब्रिटिश भारत को धार्मिक आधार पर विभाजित किया गया, जिसमें भारत और पाकिस्तान का उदय हुआ। विभाजन के बाद दोनों देशों में हिंसक दंगे भड़क गए और सांप्रदायिक हिंसा की अनेक घटनाएं हुईं। विभाजन के कारण मनुष्य जाति के इतिहास में इतनी ज्यादा संख्या में लोगों का विस्थापन कभी नहीं हुआ। यह संख्या तकरीबन 1.45 करोड़ थी। 1951 की विस्थापित जनगणना के अनुसार विभाजन के एकदम बाद 72,26,000 मुसलमान भारत छोड़कर पाकिस्तान गये और 72,49,000 हिन्दू और सिख पाकिस्तान छोड़कर भारत आए। इस दिन को झंडा फहराने के समारोह, परेड और सांस्कृतिक आयोजनों के साथ पूरे भारत में मनाया जाता है। भारतीय इस दिन अपनी पोशाक, सामान, घरों और वाहनों पर राष्ट्रीय ध्वज प्रदर्शित कर इस उत्सव को मनाते हैं और परिवार व दोस्तों के साथ देशभक्ति फिल्में देखते हैं, देशभक्ति के गीत सुनते हैं। - archive.india.gov.in .

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सैम मानेकशॉ

सैम होर्मूसजी फ्रेमजी जमशेदजी मानेकशॉ (३ अप्रैल १९१४ - २७ जून २००८) भारतीय सेना के अध्यक्ष थे जिनके नेतृत्व में भारत ने सन् 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध में विजय प्राप्त किया था जिसके परिणामस्वरूप बंगलादेश का जन्म हुआ था। .

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सूबेदार जोगिंदर सिंह

सूबेदार जोगिंदर सिंह (26 सितंबर 1921 - 23 अक्टूबर 1962) (पिता: शेर सिंह, माता किशन कौर) सिख रेजिमेंट के एक भारतीय सैनिक थे। इन्हें १९६२ के भारत-चीन युद्ध में असाधारण वीरता के लिए मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। सिंह 1936 में ब्रिटिश भारतीय सेना में शामिल हुए और सिख रेजिमेंट की पहली बटालियन में कार्यरत रहे। 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान वह नार्थ ईस्ट फ्रॉंटियर एजेंसी (नेफा / NEFA) में तान्पेंगला, बुम ला मोर्चे पर एक टुकड़ी का नेतृत्व कर रहे थे। उन्होंने बहादुरी से अपनी टुकड़ी का नेतृत्व किया तथा जब तक वह घायल नहीं हुए, तब तक अपनी पोस्ट का बचाव किया। श्री सिंह इस युद्ध में लापता हो गए थे तथा चीनी सेना की ओर से भी कोई उनके बारे में कोई सूचना नहीं मिली। .

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सूरी साम्राज्य

शेर शाह सूरी द्वारा ज़र्ब किया गया सिक्का, (बाई तरफ़) अरबी-फ़ारसी लिपि और देवनागरी के एक रूप में लिखा है 'सुलतान शेर शाह' दिल्ली के पुराने क़िले के आगे स्थित 'लाल दरवाज़ा' जिसे 'सूरी गेट' भी कहते हैं सूरी साम्राज्य (पश्तो:, द सूरियानो टोलवाकमन​ई) भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी भाग में स्थित पश्तून नस्ल के शेर शाह सूरी द्वारा स्थापित एक साम्राज्य था जो सन् १५४० से लेकर १५५७ तक चला। इस दौरान सूरी परिवार ने बाबर द्वारा स्थापित मुग़ल सल्तनत को भारत से बेदख़ल कर दिया और ईरान में शरण मांगने पर मजबूर कर दिया। शेर शाह ने दुसरे मुग़ल सम्राट हुमायूँ को २६ जून १५३९ में (पटना के क़रीब) चौसा के युद्ध में और फिर १७ मई १५४० में बिलग्राम के युद्ध में परास्त किया। सूरी साम्राज्य पश्चिमोत्तर में ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा से पूर्व में बंगाल तक विस्तृत था। .

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सूखा

अकाल भोजन का एक व्यापक अभाव है जो किसी भी पशुवर्गीय प्रजाति पर लागू हो सकता है। इस घटना के साथ या इसके बाद आम तौर पर क्षेत्रीय कुपोषण, भुखमरी, महामारी और मृत्यु दर में वृद्धि हो जाती है। जब किसी क्षेत्र में लम्बे समय तक (कई महीने या कई वर्ष तक) वर्षा कम होती है या नहीं होती है तो इसे सूखा या अकाल कहा जाता है। सूखे के कारण प्रभावित क्षेत्र की कृषि एवं वहाँ के पर्यावरण पर अत्यन्त प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था डगमगा जाती है। इतिहास में कुछ अकाल बहुत ही कुख्यात रहे हैं जिसमें करोंड़ों लोगों की जाने गयीं हैं। अकाल राहत के आपातकालीन उपायों में मुख्य रूप से क्षतिपूरक सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे कि विटामिन और खनिज पदार्थ देना शामिल है जिन्हें फोर्टीफाइड शैसे पाउडरों के माध्यम से या सीधे तौर पर पूरकों के जरिये दिया जाता है।, बीबीसी न्यूज़, टाइम सहायता समूहों ने दाता देशों से खाद्य पदार्थ खरीदने की बजाय स्थानीय किसानों को भुगतान के लिए नगद राशि देना या भूखों को नगद वाउचर देने पर आधारित अकाल राहत मॉडल का प्रयोग करना शुरू कर दिया है क्योंकि दाता देश स्थानीय खाद्य पदार्थ बाजारों को नुकसान पहुंचाते हैं।, क्रिश्चियन साइंस मॉनिटर लंबी अवधि के उपायों में शामिल हैं आधुनिक कृषि तकनीकों जैसे कि उर्वरक और सिंचाई में निवेश, जिसने विकसित दुनिया में भुखमरी को काफी हद तक मिटा दिया है।, न्यूयॉर्क टाइम्स, 9 जुलाई 2009 विश्व बैंक की बाध्यताएं किसानों के लिए सरकारी अनुदानों को सीमित करते हैं और उर्वरकों के अधिक से अधिक उपयोग के अनापेक्षित परिणामों: जल आपूर्तियों और आवास पर प्रतिकूल प्रभावों के कारण कुछ पर्यावरण समूहों द्वारा इसका विरोध किया जाता है।, न्यूयॉर्क टाइम्स, 2 दिसम्बर 2007, दी अटलांटिक .

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सेना दिवस (भारत)

सेना दिवस, भारत में हर वर्ष 15 जनवरी को लेफ्टिनेंट जनरल (बाद में फ़ील्ड मार्शल) के. एम. करियप्पा के भारतीय थल सेना के शीर्ष कमांडर का पदभार ग्रहण करने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। उन्होंने 15 जनवरी 1949 को ब्रिटिश राज के समय के भारतीय सेना के अंतिम अंग्रेज शीर्ष कमांडर जनरल रॉय फ्रांसिस बुचर से यह पदभार ग्रहण किया था। यह दिन सैन्य परेडों, सैन्य प्रदर्शनियों व अन्य आधिकारिक कार्यक्रमों के साथ नई दिल्ली व सभी सेना मुख्यालयों में मनाया जाता है। इस दिन उन सभी बहादुर सेनानियों को सलामी भी दी जाती है जिन्होंने कभी ना कभी अपने देश और लोगों की सलामती के लिये अपना सर्वोच्च न्योछावर कर दिया। .

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सेवरी किला

सिवरी दुर्ग (सेवरी किला) ब्रिटिश द्वारा मुम्बई के सिवरी में बनवाया गया था। इस दुर्ग का निर्माण १६८० में एक उत्खनित पहाड़ी पर मुंबई बंदरगाह पर दृष्टि बनाये रखने हेतु एक पहरे की मीनार के रूप में किया गया था। .

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सेंट जॉन्स चर्च, कोलकाता

सेंट जॉन्स चर्च (अंग्रेजी:St. John’s Church), जो मूल रूप से एक गिरजाघर था, ब्रिटिश भारत में कोलकाता के प्रभावी रूप से राजधानी बनने के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा बनवाई गयी कुछ पहली सार्वजनिक इमारतों में से एक था। राजभवन के उत्तर-पश्चिमी कोने में स्थित इस चर्च, का निर्माण 1784 में एक सार्वजनिक लॉटरी के माध्यम से जुटाये गये 30,000 रुपयों से शुरू किया थाऔर यह निर्माण कार्य 1787 में पूरा हो गया। अर्मेनियाई और पुराने मिशन चर्च के बाद निर्मित यह गिरजा कलकत्ता (कोलकाता) का तीसरा सबसे पुराना चर्च है।Roy, Nishitranjan,Swasato Kolkata Ingrej Amaler Sthapathya,, pp.

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सोमनाथ शर्मा

मेजर सोमनाथ शर्मा भारतीय सेना की कुमाऊँ रेजिमेंट की चौथी बटालियन की डेल्टा कंपनी के कंपनी-कमांडर थे जिन्होने अक्टूबर-नवम्बर, १९४७ के भारत-पाक संघर्ष में हिस्सा लिया था। उन्हें भारत सरकार ने मरणोपरान्त परमवीर चक्र से सम्मानित किया। परमवीर चक्र पाने वाले वे प्रथम व्यक्ति हैं। १९४२ में शर्मा की नियुक्ति उन्नीसवीं हैदराबाद रेजिमेन्ट की आठवीं बटालियन में हुई। उन्होंने बर्मा में द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अराकन अभियान में अपनी सेवाएँ दी जिसके कारण उन्हें मेन्शंड इन डिस्पैचैस में स्थान मिला। बाद में उन्होंने १९४७ के भारत-पाक युद्ध में भी लड़े और ३ नवम्बर १९४७ को श्रीनगर विमानक्षेत्र से पाकिस्तानी घुसपैठियों को बेदख़ल करते समय वीरगति को प्राप्त हो गये। उनके युद्ध क्षेत्र में इस साहस के कारण मरणोपरान्त परम वीर चक्र मिला। .

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सी एस वेंकटाचारी

सी एस वेंकटाचारी एक भारतीय राजनेता है और राजस्थान के मुख्यमंत्री रह चुके है। .

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सीता राम गोयल

सीता राम गोयल (१९२१ - २००३) भारत के बीसवीं शती के प्रमुख इतिहाकार, लेखक, उपन्यासकार और प्रकाशक थे। उन्होने हिन्दी और अंग्रेजी भाषाओं में पुस्तकों का प्रकाशन किया। विख्यात ऋषि और दार्शनिक राम स्वरूप उनके गुरु और सहयोगी थे। १९४० के दशक में उनका झुकाव मार्क्सवाद की तरफ था किन्तु बाद में वे घोर साम्यवाद-विरोधी हो गये। बाद में वे इसाईयत, इस्लाम एवं भारतीय इतिहास एवं राजनीति के प्रमुख व्याख्याता (कमेंटेटर) बनकर उभरे। .

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सीताराम केसरी

सीताराम केसरी (नवम्बर 1919 – 24 अक्टूबर 2000) भारतीय राजनेता थे। वो वर्ष 1996 से 1998 तक केन्द्रीय मंत्री और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। .

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सी॰ डी॰ देशमुख

सी॰ डी॰ देशमुख (पूरा नाम: चिन्तामणि द्वारकानाथ देशमुख, जन्म: 14 जनवरी 1896, मृत्यु: 2 अक्टूबर 1982) भारतीय रिजर्व बैंक के पहले भारतीय गवर्नर थे, जिन्हें 1943 में ब्रिटिश राज द्वारा नियुक्त किया गया। ब्रिटिश राज ने उन्हें सर की उपाधि दी थी। इसके पश्चात् उन्होंने केंद्रीय मंत्रिमंडल में भारत के तीसरे वित्त मंत्री के रूप में भी सेवा की। .

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हमीदा हबीबुल्ला

हमीदा हबीबुल्ला (20 नवंबर 1916 – 13 मार्च 2018) पूर्व राज्य सभा सदस्य, शिक्षाविद् और सामाजिक कार्यकर्ता थीं। वे भारत के पहले मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्लाह की मां थीं। वे वर्ष 1969 से 1974 तक बाराबंकी (उ.प्र.) जिले की हैदरगढ़ सीट से विधानसभा सदस्य रहीं और उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री भी रहीं। वर्ष 1976-1982 तक वे राज्यसभा सदस्य भी रहीं। .

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हरिपुर ज़िला

हरिपुर (उर्दू:, पश्तो:, अंग्रेज़ी: Mansehra) पाकिस्तान के ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रांत का एक ज़िला है। इसके पश्चिम में स्वाबी ज़िला, पश्चिमोत्तर में बुनेर ज़िला, उत्तर में मानसेहरा ज़िला, पूर्वोत्तर में ऐब्टाबाद ज़िला और दक्षिण में पंजाब प्रांत पड़ता है। हरिपुर ज़िला ऐतिहासिक हज़ारा क्षेत्र का हिस्सा है, जो ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा में होने के बावजूद एक पंजाबी प्रभावित क्षेत्र माना जाता है। .

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हरिवंश राय बच्चन

हरिवंश राय श्रीवास्तव "बच्चन" (२७ नवम्बर १९०७ – १८ जनवरी २००३) हिन्दी भाषा के एक कवि और लेखक थे। इलाहाबाद के प्रवर्तक बच्चन हिन्दी कविता के उत्तर छायावाद काल के प्रमुख कवियों मे से एक हैं। उनकी सबसे प्रसिद्ध कृति मधुशाला है। भारतीय फिल्म उद्योग के प्रख्यात अभिनेता अमिताभ बच्चन उनके सुपुत्र हैं। उन्होने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अध्यापन किया। बाद में भारत सरकार के विदेश मंत्रालय में हिन्दी विशेषज्ञ रहे। अनन्तर राज्य सभा के मनोनीत सदस्य। बच्चन जी की गिनती हिन्दी के सर्वाधिक लोकप्रिय कवियों में होती है। .

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हल्द्वानी का इतिहास

कुमाऊँ का प्रवेश द्वार, हल्द्वानी उत्तराखण्ड के नैनीताल ज़िले में स्थित हल्द्वानी राज्य के सर्वाधिक जनसँख्या वाले नगरों में से है। इसे "कुमाऊँ का प्रवेश द्वार" भी कहा जाता है। .

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हसरत मोहानी

मौलाना हसरत मोहानी (1 जनवरी 1875 - 1 मई 1951) साहित्यकार, शायर, पत्रकार, इस्लामी विद्वान, समाजसेवक और "इंक़लाब ज़िन्दाबाद" का नारा देने वाले आज़ादी के सिपाही थे। .

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हाफ़िज़ महमूद ख़ान शीरानी

हाफ़िज़ महमूद ख़ान शीरानी (1880 - 1946, नस्तालीक़) बर्तानवी काल के एक भारतीय शोधकर्ता और कवि थे। 1921 में उन्होंने इस्लामिया कॉलेज, लाहौर में उर्दू भाषा का शिक्षण देना शुरू किया था। 1928 में वे वहाँ से ओरिएंटल कॉलेज, लाहौर आए। वे अपनी शोधपुस्तक "पंजाब में उर्दू" के लिए प्रसिद्ध है। उर्दू का मशहूर शायर अख़्तर शीरानी इनका पुत्र है। .

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हावड़ा

हावड़ा(अंग्रेज़ी: Howrah, बांग्ला: হাওড়া), भारत के पश्चिम बंगाल राज्य का एक औद्योगिक शहर, पश्चिम बंगाल का दूसरा सबसे बड़ा शहर एवं हावड़ा जिला एवं हावड़ सदर का मुख्यालय है। हुगली नदी के दाहिने तट पर स्थित, यह शहर कलकत्ता, के जुड़वा के रूप में जाना जाता है, जो किसी ज़माने में भारत की अंग्रेज़ी सरकार की राजधानी और भारत एवं विश्व के सबसे प्रभावशाली एवं धनी नगरों में से एक हुआ करता था। रवीन्द्र सेतु, विवेकानन्द सेतु, निवेदिता सेतु एवं विद्यासागर सेतु इसे हुगली नदी के पूर्वी किनारे पर स्थित पश्चिम बंगाल की राजधानी, कोलकाता से जोड़ते हैं। आज भी हावड़, कोलकाता के जुड़वा के रूप में जाना जाता है, समानताएं होने के बावजूद हावड़ा नगर की भिन्न पहचान है इसकी अधिकांशतः हिंदी भाषी आबादी, जोकि कोलकाता से इसे थोड़ी अलग पहचान देती है। समुद्रतल से मात्र 12 मीटर ऊँचा यह शहर रेलमार्ग एवं सड़क मार्गों द्वारा सम्पूर्ण भारत से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। यहाँ का सबसे प्रमुख रेलवे स्टेशन हावड़ा जंक्शन रेलवे स्टेशन है। हावड़ा स्टेशन पूर्व रेलवे तथा दक्षिणपूर्व रेलवे का मुख्यालय है। हावड़ स्टेशन के अलावा हावड़ा नगर क्षेत्र मैं और 6 रेलवे स्टेशन हैं तथा एक और टर्मिनल शालीमार रेलवे टर्मिनल भी स्थित है। राष्ट्रीय राजमार्ग 2 एवं राष्ट्रीय राजमार्ग 6 इसे दिल्ली व मुम्बई से जोड़ते हैं। हावड़ा नगर के अंतर्गत सिबपुर, घुसुरी, लिलुआ, सलखिया तथा रामकृष्णपुर उपनगर सम्मिलित हैं। .

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हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन

हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन ऐसोसिएशन भारतीय स्वतन्त्रता के लिए सशस्त्र संघर्ष के माध्यम से ब्रिटिश राज को समाप्त करने के उद्देश्य को लेकर गठित एक क्रान्तिकारी संगठन था।। 1928 तक इसे हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के रूप में जाना जाता था।। .

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हिन्दी या उर्दू मूल के अंग्रेजी शब्दों की सूची

यह हिन्दी तथा उर्दू मूल के अंग्रेजी शब्दों की सूची है। कई हिन्दी तथा उर्दू समकक्ष शब्द संस्कृत से निकले हैं; देखें संस्कृत मूल के अंग्रेज़ी शब्दों की सूची। कई अन्य फारसी भाषा मूल के हैं। कुछ बाद वाले अरबी तथा तुर्की मूल के हैं। कई मामलों में शब्द अंग्रेजी भाषा में कई रास्तों से आये हैं जिससे अन्ततः विभिन्न अर्थ, वर्तनी तथा उच्चारण हो गये हैं जैसा कि यूरोपीय मूल के शब्दों के साथ हुआ है। कई शब्द अंग्रेजी में ब्रिटिश राज के दौरान आये जब कई लोग हिन्दी तथा उर्दू को हिन्दुस्तानी की किस्म मानते थे। इन उपनिवेशकाल के उधार आये हुये शब्दों को, प्रायः ऐंग्लो इंडियन कहा जाता है। .

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हिंदु-जर्मन षडयंत्र

हिन्दु जर्मन षडयन्त्र(नाम), १९१४ से १९१७ के (प्रथम विश्व युद्ध) दौरान ब्रिटिश राज के विरुद्ध एक अखिल भारतीय विद्रोह का प्रारम्भ करने के लिये बनाई योजनायो से सम्बद्ध है। इस षडयन्त्र मे भारतीय राष्ट्वादी सन्गठन के भारत, अमेरिका और जर्मनी के सदस्य शामिल थे। Irish Republicans और जर्मन विदेश विभाग ने इस षड्यन्त्र में भारतीयो का सहयोग किया था। यह षडयन्त्र अमेरिका मे स्थित गदर पार्टी, जर्मनी मे स्थित बर्लिन कमिटी, भारत मे स्थित Indian revolutionary Underground और सान फ़्रांसिसको स्थित दूतावास के द्वारा जर्मन विदेश विभाग ने साथ मिलकर रचा था। सबसे महत्वपूर्ण योजना पंजाब से लेकर सिंगापुर तक सम्पूर्ण भारत में ब्रिटिश भारतीय सेना के अन्दर बगावत फैलाकर विद्रोह का प्रयास करने की थी। यह योजना फरवरी १९१५ मे क्रियान्वित करके, हिन्दुस्तान से ब्रिटिश साम्राज्य को नेस्तनाबूत करने का उद्देश्य लेकर बनाई गयी थी। अन्ततः यह योजना ब्रिटिश गुप्तचर सेवा ने, गदर आन्दोलन मे सेंध लगाकर और कुछ महत्वपूर्ण लोगो को गिरफ्तार करके विफल कर दी थी। उसी तरह भारत की छोटी इकाइयों मे और बटालियनो मे भी विद्रोह को दबा दिया गया था। युगांतर जर्मन साजिश, अन्य संबंधित घटनाओं 1915 सिंगापुर विद्रोह, एनी लार्सन हथियार साजिश एनी लार्सन चक्कर शामिल हैंकाबुल, के विद्रोह.

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हकीम अजमल ख़ान

हकीम अजमल ख़ान या अजमल ख़ान (1868-1927) (1284 Shawwal 17) एक यूनानी चिकित्सक और भारतीय मुस्लिम राष्ट्रवादी राजनेता एवं स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्हें बीसवीं शताब्दी के आरम्भ में दिल्ली में तिब्बिया कॉलेज की स्थापना करके भारत में यूनानी चिकित्सा का पुनरुत्थान करने के लिए जाना जाता है और साथ ही एक रसायनज्ञ डॉ॰ सलीमुज्ज़मन सिद्दीकी को सामने लाने का श्रेय भी उन्हीं को जाता है जिनके यूनानी चिकित्सा में उपयोग होने वाले महत्वपूर्ण चिकित्सीय पौधों पर किये गए आगामी शोधों ने इसे एक नई दिशा प्रदान की थी।.

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हैदर बख़्श जतोई

हैदर बख़्स जतोई (सिन्धी: حيدر بخش جتوئي) (1970 - 1901) सिन्ध, पाकिस्तान से एक इंक़लाबी, वामपन्थी, किसान अगुआ थे। उनके समर्थक उनको "बाबा-ए-सिन्ध" के नाम से सम्बोधित करते थे। वे सिन्धी ज़बान के लेखक और कवि भी थे। वे कई साल सिन्ध हरी समिति (सिंध किसान समिति) के प्रधान रहे थे जो नैशनल आवामी पार्टी का एक हिस्सा थी। .

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हेमन्त कुमार मुखोपाध्याय

हेमंत कुमार मुखोपाध्याय(16 जून,1920- 26 सितंबर 1989) एक प्रसिद्ध गायक, संगीतकार और फिल्म निर्माता थे। उन्होंने हेमन्त कुमार के नाम से हिंदी फिल्मों में अनेक गीत गाए थे। .

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होशियार सिंह

मेजर (बाद में ब्रिगेडियर) होशियार सिंह दहिया (5 मई 1937 - 6 दिसम्बर 1998), परमवीर चक्र से सम्मानित भारतीय सैनिक थे। इनका जन्म हरियाणा के सोनीपत जिले के सिसाणा गांव में हिंदू जाट परिवार में चौधरी हीरा सिंह के यहाँ हुआ था। उन्होंने भारतीय सेना में समर्पण के साथ सेवा की और ब्रिगेडियर के रूप में सेवानिवृत्त हुए। उन्हें भारत के सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था। 6 दिसंबर 1998 को प्राकृतिक कारणों से उनका निधन हो गया। .

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जमनालाल बजाज

जमनालाल बजाज (४ नवम्बर १८८४ - ११ फ़रवरी १९४२) भारत के एक उद्योगपति, मानवशास्त्री एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। वे महात्मा गांधी के अनुयायी थे तथा उनके बहुत करीबी व्यक्ति थे। गांधीजी ने उन्हें अपने पुत्र की तरह माना। .

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जमरूद किला

जमरूद किला ख़ैबर दर्रे के मुख पर स्थित बाब-ए-ख़ैबर के पास स्थित एक क़िला है। प्रशासनिक रूप से यह पाकिस्तान के ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा के संघ-शासित जनजातीय क्षेत्र में पड़ता है। .

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जम्मू

जम्मू (جموں, पंजाबी: ਜੰਮੂ), भारत के उत्तरतम राज्य जम्मू एवं कश्मीर में तीन में से एक प्रशासनिक खण्ड है। यह क्षेत्र अपने आप में एक राज्य नहीं वरन जम्मू एवं कश्मीर राज्य का एक भाग है। क्षेत्र के प्रमुख जिलों में डोडा, कठुआ, उधमपुर, राजौरी, रामबन, रियासी, सांबा, किश्तवार एवं पुंछ आते हैं। क्षेत्र की अधिकांश भूमि पहाड़ी या पथरीली है। इसमें ही पीर पंजाल रेंज भी आता है जो कश्मीर घाटी को वृहत हिमालय से पूर्वी जिलों डोडा और किश्तवार में पृथक करता है। यहाम की प्रधान नदी चेनाब (चंद्रभागा) है। जम्मू शहर, जिसे आधिकारिक रूप से जम्मू-तवी भी कहते हैं, इस प्रभाग का सबसे बड़ा नगर है और जम्मू एवं कश्मीर राज्य की शीतकालीन राजधानी भी है। नगर के बीच से तवी नदी निकलती है, जिसके कारण इस नगर को यह आधिकारिक नाम मिला है। जम्मू नगर को "मन्दिरों का शहर" भी कहा जाता है, क्योंकि यहां ढेरों मन्दिर एवं तीर्थ हैं जिनके चमकते शिखर एवं दमकते कलश नगर की क्षितिजरेखा पर सुवर्ण बिन्दुओं जैसे दिखाई देते हैं और एक पवित्र एवं शांतिपूर्ण हिन्दू नगर का वातावरण प्रस्तुत करते हैं। यहां कुछ प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ भी हैं, जैसे वैष्णो देवी, आदि जिनके कारण जम्मू हिन्दू तीर्थ नगरों में गिना जाता है। यहाम की अधिकांश जनसंख्या हिन्दू ही है। हालांकि दूसरे स्थान पर यहां सिख धर्म ही आता है। वृहत अवसंरचना के कारण जम्मू इस राज्य का प्रमुख आर्थिक केन्द्र बनकर उभरा है। .

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जम्मू (शहर)

जम्मू शहर जम्मू क्षेत्र का सबसे बड़ा शहर है और साथ ही भारत के उत्तरतम राज्य जम्मू एवं कश्मीर की शीतकालीन राजधानी भी है। यह नगरमहापालिका वाला शहर तवी नदी के तट पर बसा है। नगर में ढेरों पुराने व नये मन्दिरों के बाहुल्य के कारण इसे मन्दिरों का शहर भी कहा जाता है। तेजी से फैलती शहरी आबादी एवं बढ़ते अवसंरचना के कारण ये शीतकालीन राजधानी राज्य का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। .

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जसदण राज्य

जजरान या जसदण ब्रितानी भारत में भूतपूर्व काठियावाड़ पोलिटिकल ऐजेंसी (बंबई) का एक राज्य (रियासत) था। इसमें ५६ गाँव थे। भारत द्वारा स्वतंत्रताप्राप्ति (१९४७) के बाद १५ फरवरी १९४८ को इसे वर्तमान गुजरात राज्य में दिया गया। इसकी राजधानी जसदण थी जो राजकोट-भानगढ़ मार्ग पर आकोट से ६ किमी मील उत्तर-पूर्व में स्थित है। .

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ज़ोहरा सहगल

ज़ोहरा सहगल (२७ अप्रैल १९१२ – १० जुलाई २०१४) हिन्दी फ़िल्मों की एक अभिनेत्री थीं। .

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जाट रेजिमेंट

जाट रेजिमेंट भारतीय सेना की एक पैदल सेना रेजिमेंट है। यह सेना की सबसे पुरानी और सबसे ज्यादा वीरता पुरस्कार विजेता रेजिमेंट है। रेजिमेंट ने वर्ष 1839-1947 के बीच 19 और स्वंत्रता के पश्चात आठ महावीर चक्र, आठ कीर्ति चक्र, 32 शौर्य चक्र, 39 वीर चक्र और 170 सेना पदक जीते हैं। अपने 200 से अधिक वर्षों के जीवन में, रेजिमेंट ने पहले और दूसरे विश्व युद्ध सहित भारत और विदेशों में अनेक युद्धों में भाग लिया है। .

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जाँनिसार अख्तर

जाँनिसार अख्तर (उर्दू: جان نثار اختر;अंग्रेजी:Jan Nisar Akhtar, 18 फ़रवरी 1914 – 19 अगस्त 1976) भारत से 20 वीं सदी के एक महत्वपूर्ण उर्दू शायर, गीतकार और कवि थे। वे प्रगतिशील लेखक आंदोलन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थे। उन्होंने हिंदी फिल्मों के लिए भी गाने लिखे.

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जाडेजा

महाराव देशलजी द्वितीय, 1838. इस जाडेजा एक राजपूत कबीले, जो दावा करने के लिए होने से उतरा हिंदू भगवान कृष्ण और इस प्रकार करने के लिए संबंधित यदुवंश राजपूतों, जो बारी में का एक भाग के रूप चन्द्रवंशी(चंद्र राजवंश).

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जिम कॉर्बेट

जेम्स ए. जिम कार्बेट (25 जुलाई 1875 - 19 अप्रैल 1955) आयरिश मूल के भारतीय लेखक व दार्शनिक थे। उन्होंने मानवीय अधिकारों के लिए संघर्ष किया तथा संरक्षित वनों के आंदोलन का भी प्रारंभ किया। उन्होंने नैनीताल के पास कालाढूंगी में आवास बनाया था। यह स्थान आज भी यहां आने वाले प्रर्यटकों को उस व्यक्ति के जीवन का ज्ञान कराता है जो न केवल एक शिकारी था बल्कि एक संरक्षक, चमड़े का कार्य करने वाला, जंगली जानवरों का फ़ोटो खीचने वाला तथा बढ़ई था। इन्होने उत्तराखण्ड के गढ़वाल जिले मे अनेक आदमखोर बाघों को मारा था जिनमें रुद्रप्रयाग का आदमखोर तेंदुआ भी शामिल था। मगर बाद मे उनके विचार पलटने से और बाघों की घटती संख्या देखकर इन्होने सिर्फ छायाचित्रकारिता ही अपनाई। जिम कार्बेट आजीवन अविवाहित रहे। उन्हीं की तरह उनकी बहन ने भी विवाह नहीं किया। दोनों भाई-बहन सदैव साथ-साथ रहे और एक दूसरे का दु:ख बाँटते रहे। कुमाऊँ तथा गढ़वाल में जब कोई आदमखोर शेर आ जाता था तो जिम कार्बेट को बुलाया जाता था। जिम कार्बेट वहाँ जाकर सबकी रक्षा कर और आदमखोर शेर को मारकर ही लौटते थे। जिम कार्बेट एक कुशल शिकारी थे। वे शिकार करनें में यहाँ दक्ष थे, वहीं एक अत्यन्त प्रभावशील लेखक भी थे। शिकार-कथाओं के कुशल लेखकों में जिम कार्बेट का नाम विश्व में अग्रणीय है। उनकी 'भाई इण्डिया' पुस्तक बहुत चर्चित है। भारत-प्रेम उनका इतना अधिक था कि वे उसके यशगान में लग रहते थे। कुमाऊँ और गढ़वाल उन्हें बहुत प्रिय था। ऐसे कुमाऊँ - गढ़वाल के हमदर्द व्यक्ति के नाम पर गढ़वाल-कुमाऊँ की धरती पर स्थापित पार्क का होना उन्हें श्रद्धा के फूल चढ़ाने के ही बराबर है। अत: जिम कार्बेट के नाम पर यह जो पार्क बना है, उससे हमारा राष्ट्र बी गौरान्वित हुआ है, जिम कार्बेट के प्रति यह कुमाऊँ-गढ़वाल और भारत की सच्ची श्रद्धांजलि है। इस लेखक ने भारत का नाम बढ़ाया है। आज विश्व में उनका नाम प्रसिद्ध शिकारी के रूप में आदर से लिया जाता है। .

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जवाहरलाल नेहरू

जवाहरलाल नेहरू (नवंबर १४, १८८९ - मई २७, १९६४) भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री थे और स्वतन्त्रता के पूर्व और पश्चात् की भारतीय राजनीति में केन्द्रीय व्यक्तित्व थे। महात्मा गांधी के संरक्षण में, वे भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के सर्वोच्च नेता के रूप में उभरे और उन्होंने १९४७ में भारत के एक स्वतन्त्र राष्ट्र के रूप में स्थापना से लेकर १९६४ तक अपने निधन तक, भारत का शासन किया। वे आधुनिक भारतीय राष्ट्र-राज्य – एक सम्प्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, और लोकतान्त्रिक गणतन्त्र - के वास्तुकार मानें जाते हैं। कश्मीरी पण्डित समुदाय के साथ उनके मूल की वजह से वे पण्डित नेहरू भी बुलाएँ जाते थे, जबकि भारतीय बच्चे उन्हें चाचा नेहरू के रूप में जानते हैं। स्वतन्त्र भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री का पद सँभालने के लिए कांग्रेस द्वारा नेहरू निर्वाचित हुएँ, यद्यपि नेतृत्व का प्रश्न बहुत पहले 1941 में ही सुलझ चुका था, जब गांधीजी ने नेहरू को उनके राजनीतिक वारिस और उत्तराधिकारी के रूप में अभिस्वीकार किया। प्रधानमन्त्री के रूप में, वे भारत के सपने को साकार करने के लिए चल पड़े। भारत का संविधान 1950 में अधिनियमित हुआ, जिसके बाद उन्होंने आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक सुधारों के एक महत्त्वाकांक्षी योजना की शुरुआत की। मुख्यतः, एक बहुवचनी, बहु-दलीय लोकतन्त्र को पोषित करते हुएँ, उन्होंने भारत के एक उपनिवेश से गणराज्य में परिवर्तन होने का पर्यवेक्षण किया। विदेश नीति में, भारत को दक्षिण एशिया में एक क्षेत्रीय नायक के रूप में प्रदर्शित करते हुएँ, उन्होंने गैर-निरपेक्ष आन्दोलन में एक अग्रणी भूमिका निभाई। नेहरू के नेतृत्व में, कांग्रेस राष्ट्रीय और राज्य-स्तरीय चुनावों में प्रभुत्व दिखाते हुएँ और 1951, 1957, और 1962 के लगातार चुनाव जीतते हुएँ, एक सर्व-ग्रहण पार्टी के रूप में उभरी। उनके अन्तिम वर्षों में राजनीतिक मुसीबतों और 1962 के चीनी-भारत युद्ध में उनके नेतृत्व की असफलता के बावजूद, वे भारत के लोगों के बीच लोकप्रिय बने रहें। भारत में, उनका जन्मदिन बाल दिवस के रूप में मनाया जाता हैं। .

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जगदीश चन्द्र बसु

डॉ॰ (सर) जगदीश चन्द्र बसु (बंगाली: জগদীশ চন্দ্র বসু जॉगोदीश चॉन्द्रो बोशु) (30 नवंबर, 1858 – 23 नवंबर, 1937) भारत के प्रसिद्ध वैज्ञानिक थे जिन्हें भौतिकी, जीवविज्ञान, वनस्पतिविज्ञान तथा पुरातत्व का गहरा ज्ञान था। वे पहले वैज्ञानिक थे जिन्होंने रेडियो और सूक्ष्म तरंगों की प्रकाशिकी पर कार्य किया। वनस्पति विज्ञान में उन्होनें कई महत्त्वपूर्ण खोजें की। साथ ही वे भारत के पहले वैज्ञानिक शोधकर्त्ता थे। वे भारत के पहले वैज्ञानिक थे जिन्होंने एक अमरीकन पेटेंट प्राप्त किया। उन्हें रेडियो विज्ञान का पिता माना जाता है। वे विज्ञानकथाएँ भी लिखते थे और उन्हें बंगाली विज्ञानकथा-साहित्य का पिता भी माना जाता है। ब्रिटिश भारत के बंगाल प्रांत में जन्मे बसु ने सेन्ट ज़ैवियर महाविद्यालय, कलकत्ता से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। ये फिर लंदन विश्वविद्यालय में चिकित्सा की शिक्षा लेने गए, लेकिन स्वास्थ्य की समस्याओं के चलते इन्हें यह शिक्षा बीच में ही छोड़ कर भारत वापिस आना पड़ा। इन्होंने फिर प्रेसिडेंसी महाविद्यालय में भौतिकी के प्राध्यापक का पद संभाला और जातिगत भेदभाव का सामना करते हुए भी बहुत से महत्त्वपूर्ण वैज्ञानिक प्रयोग किये। इन्होंने बेतार के संकेत भेजने में असाधारण प्रगति की और सबसे पहले रेडियो संदेशों को पकड़ने के लिए अर्धचालकों का प्रयोग करना शुरु किया। लेकिन अपनी खोजों से व्यावसायिक लाभ उठाने की जगह इन्होंने इन्हें सार्वजनिक रूप से प्रकाशित कर दिया ताकि अन्य शोधकर्त्ता इनपर आगे काम कर सकें। इसके बाद इन्होंने वनस्पति जीवविद्या में अनेक खोजें की। इन्होंने एक यन्त्र क्रेस्कोग्राफ़ का आविष्कार किया और इससे विभिन्न उत्तेजकों के प्रति पौधों की प्रतिक्रिया का अध्ययन किया। इस तरह से इन्होंने सिद्ध किया कि वनस्पतियों और पशुओं के ऊतकों में काफी समानता है। ये पेटेंट प्रक्रिया के बहुत विरुद्ध थे और मित्रों के कहने पर ही इन्होंने एक पेटेंट के लिए आवेदन किया। हाल के वर्षों में आधुनिक विज्ञान को मिले इनके योगदानों को फिर मान्यता दी जा रही है। .

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जगमोहन डालमिया

कलकत्ता death जगमोहन डालमिया (30 मई 1940 – 20 सितम्बर 2015) बीसीसीआई के अध्यक्ष और व्यापारी थे। इनका जन्म ब्रिटिश राज के दौरान कलकत्ता में हुआ था। इनकी मृत्यु 20 सितम्बर 2015 को कोलकाता के निजी अस्पताल में इलाज के दौरान हृदय की गति रुकने से हुई। .

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जगजीत सिंह अरोड़ा

जगजीत सिंह अरोड़ा (13 फरवरी, 1916 – 3 मई 2005) भारतीय सेना के तीन-सितारा जनरल थे जिन्होने बंगलादेश मुक्ति संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। १९७१ के भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय वे पूर्वी कमान के जनरल आफिसर कमाण्डिंग-इन चीफ थे। भारत सरकार द्वारा उन्हें सन १९७२ में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। .

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ज्योति बसु

ज्योति बसु (बंगला: জ্যোতি বসু) (८ जुलाई १९१४ - १७ जनवरी २०१०) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के जानेमाने राजनेता थे। वे सन् १९७७ से लेकर २००० तक पश्चिम बंगाल राज्य के मुख्यमंत्री रहकर भारत के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री बने रहने का कीर्तिमान स्थापित किए। वे सन् १९६४ से सन् २००८ तक सीपीएम पॉलित ब्यूरो के सदस्य रहे। .

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ज्योतिराव गोविंदराव फुले

ज्योतिराव गोविंदराव फुले (जन्म - ११ अप्रैल १८२७, मृत्यु - २८ नवम्बर १८९०) एक भारतीय विचारक, समाजसेवी, लेखक, दार्शनिक तथा क्रान्तिकारी कार्यकर्ता थे। इन्हें 'महात्मा फुले' एवं 'ज्‍योतिबा फुले' के नाम से भी जाना जाता है। सितम्बर १८७३ में इन्होने महाराष्ट्र में सत्य शोधक समाज नामक संस्था का गठन किया। महिलाओं व दलितों के उत्थान के लिय इन्होंने अनेक कार्य किए। समाज के सभी वर्गो को शिक्षा प्रदान करने के ये प्रबल समथर्क थे। वे भारतीय समाज में प्रचलित जाति पर आधारित विभाजन और भेदभाव के विरुद्ध थे। .

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जैन धर्म के घटनाक्रम

कोई विवरण नहीं।

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जेम्स जॉर्ज स्मिथ नील

जेम्स जॉर्ज स्मिथ नील (अंग्रेजी:James George Smith Neill) (२७ मई १८१० – २५ सितम्बर १८५७)Dictionary of Indian Biography p314 स्कॉटलैंड के मूल निवासी व ब्रिटिश भारत में ईस्ट इण्डिया कम्पनी के सैन्य अधिकारी थे। इन्होंने १८५७ के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में कार्य किया था।. .

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जॉन मथाई

डॉ जॉन मथाई भारत के शिक्षाविद, अर्थशास्त्री एवं न्यायविद् थे। जॉन मथाई का जन्म त्रिवेंद्रम नगर में 10 जनवरी 1886 ई को एक धनी कुटुंब में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा त्रिवेंद्रम में ही हुई। इसके उपरांत उन्होंने मद्रास क्रिश्चियन कालेज में शिक्षा प्राप्त की। बी ए तथा बी एल की डिग्रियाँ प्राप्त कर वे लंदन गए और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से बी लिट् की डिग्री प्राप्त की। फिर उन्होंने डी एस-सी की डिग्री लंदन विश्वविद्यालय से प्राप्त की। 1910 ई से 1918 ई तक वे मद्रास हाईकोर्ट के वकील रहे। 1920 ई से 1925 ई तक मद्रास के प्रेजीडेंसी कालेज में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर रहे। 1922 ई से 1925 ईदृ तक वे मद्रास लेजिस्लेटिव कौंसिल के तथा 1925 से 1931 तक इंडियन टैरिफ बोर्ड के सदस्य रहे। 1935 में वे कामर्शियल इंटेलिजेंस तथा स्टैटिस्टिक्स के महा निदेशक नियुक्त हुए। 10 जनवरी 1940 ई को उन्हें अवकाश प्राप्त हुआ। 1944 ई से 1946 ई तक टाटा संस लिमिटेड के निदेशक रहने के बाद केंद्र में परिवहन मंत्री बने। इसके बाद 1950 तक उन्होंने वित्त मंत्री का कार्यभार सम्हाला और फिर यहाँ से त्यागपत्र देकर वे पुन: टाटा संस लिमिटेड के निदेशक नियुक्त हुए। जुलाई, 1955 ई से सितंबर, 1956 ई तक वे भारतीय स्टेट बैंक के बोर्ड ऑव डाइरेक्टर्स के अध्यक्ष रहे। इसी बीच वे मुंबई विश्वविद्यालय के उपकुलपति नियुक्त हुए और फिर 1958 से 1959 तक केरल विश्वविद्यालय के उपकुलपति रहे। 1959 ई में भारत सरकार ने उन्हें पद्मविभूषण की उपाधि से विभूषित किया। उनकी मृत्यु 1959 ई में हुई। डाक्टर जॉन मथाई ने ये पुस्तकें लिखी हैं: (1) विलेज गवर्नमेंट इन ब्रिटिश इंडिया (2) ऐग्रीकलचरल कोआपरेशन इन इंडिया, (3) एक्साइज ऐंड लिकर कंट्रोल। श्रेणी:पद्मविभूषण.

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जॉन अब्राहम

जॉन अब्राहम (जन्म 17 दिसम्बर 1972) एक भारतीय अभिनेता और पूर्व मॉडल हैं जो बॉलीवुड की फिल्मों में दिखाई देते हैं। कई विज्ञापनों और कंपनियों के लिए मॉडलिंग करने के बाद, अब्राहम ने जिस्म (2003) से अपना फ़िल्मी सफ़र प्रारंभ किया, जिसने उन्हें फ़िल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ नवागत पुरस्कार नामांकन दिलाया। इसके बाद उन्हें अपनी पहली व्यावसायिक सफलता धूम (2004) के द्वारा मिली उन्हें नकारात्मक भूमिका के लिए दो फ़िल्म फेयर नामांकन प्राप्त हुए, धूम और फिर जिंदा (2006) में बाद में वह एक बड़ी महत्वपूर्ण सफल फिल्म वाटर (2005) में दिखाई दिए। 2007 में फ़िल्म बाबुल के लिए उनका नामांकन फ़िल्म फेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक की श्रेणी में किया गया। .

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जॉब चार्नक

जॉब चार्नक (अंग्रेजी: Job Charnock; जीवनकाल: 1630-1692) अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी का एक कर्मचारी और प्रशासक था। जॉब चार्नक को पारंपरिक रूप से कलकत्ता शहर जिसे अब कोलकाता कहा जाता है का संस्थापक माना जाता है। हालांकि, 16 मई 2003 के कलकत्ता उच्च न्यायालय के एक फैसले के बाद उसका नाम उन सभी सरकारी दस्तावेजों से हटा दिया गया है जिनमें उसे कोलकाता के संस्थापक के रूप में दर्ज किया गया था। .

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जॉर्ज कनंघम

जाॅर्ज कनिंघम, एक ब्रिटिश प्रशासक थे, वे ब्रिटिश भारतीय प्रांत(एवं तत्पश्चात, पाकिस्तानी प्रंत), ख़ैबर पख़्तूनख़्वा के पूर्व कार्यवाहक राज्यपाल थे। तत्पूर्व, वे एक विशिष्ट रग्बी खिलाड़ी एवं, स्काॅटिश राष्ट्रीय रग्बी टीम के सदस्य व कप्तान भी रह चुके थे। .

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जॉर्ज १ (ग्रेट ब्रिटेन का महाराजा)

जॉर्ज १ ग्रेट ब्रिटन और आयरलैंड का महाराजा था। उनका जन्म हनोवर में हुआ था।वह ब्रून्स्विक-लूनबर्ग के शासक का पहला पुत्र था। ५४ की उम्र में इंगलैंड पहूँचा था।राणी ऐनी की म्रत्यु के बाद उन्होने ब्रिटिश सिंहासन चढा।जार्ज ऐनी का निकटतम रिश्तेदार था। उनका राज्य काल में एकाधिपत्य बंध होने लगा। .

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जोश मलिहाबादी

जोश मलिह्बादी (جوش ملیح آبادی) (जन्म नाम शब्बीर हसन खां) (५ दिसंबर, १८९८ – २२ फरवरी, १९८२)लखनऊ से उर्दु के प्रख्यात शायर रहे हैं। उनको साहित्य एवं शिक्षा क्षेत्र में पद्म भूषण से १९५४ में सम्मानित किया गया। श्रेणी:शायर श्रेणी:लखनऊ के लोग श्रेणी:१९५४ पद्म भूषण.

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जोगिन्दर जसवन्त सिंह

जनरल जोगिन्दर जसवन्त सिंह पीवीएसएम, एवीएसएम, वीएसएम, एडीसी (जन्म: ११ सितम्बर १९४५) भारतीय थल सेना के बाईसवें सेनाध्यक्ष थे। वह ३१ जनवरी २००५ से ३० सितम्बर २००७ तक सेना प्रमुख के रूप में कार्यरत रहे। सिंह को २७ नवंबर २००४ को जनरल एन सी विज की सेवानिवृति के बाद सेनाध्यक्ष नियुक्त किया गया था, और ३१ जनवरी २००५ को सेवानिवृत्त होने तक वह इस पद पर रहे। उनके बाद जनरल दीपक कपूर थल सेना के अगले सेनाध्यक्ष बने। जोगिन्दर जसवन्त सिंह भारतीय सेना का नेतृत्व करने वाले पहले सिख सिपाही हैं, और चण्डीमन्दिर में स्थित पश्चिमी कमान से आने वाले ग्यारहवें सैन्य प्रमुख हैं। सेवानिवृत्ति के बाद वह २७ जनवरी २००८ को अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल बने। .

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जोगेन्द्र नाथ मंडल

जोगेन्द्र नाथ मंडल पाकिस्तान के आधुनिक राज्य के मध्य और प्रमुख संस्थापक पिता में से एक थे, और देश के पहले कानून मंत्री और श्रमिक के रूप में सेवा करने वाले विधायक थे और यह राष्ट्रमंडल और कश्मीर मामलों के दूसरे मंत्री भी थे। एक भारतीय और बाद में पाकिस्तानी नेता जो पाकिस्तान में कानून और श्रम के पहले मंत्री थे। अनुसूचित जातियों (दलितों) के नेता के रूप में, जोगेंद्रनाथ ने मुस्लिम लीग के साथ पाकिस्तान के लिए अपनी मांग के साथ आम कारण बना दिया था, उम्मीद करते थे कि अनुसूचित जातियों को इसके लाभ मिलेगा और पाकिस्तान के पहले कैबिनेट में शामिल हो गए थे। कानून और श्रम पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमन्त्री लियाकत अली खान को अपना इस्तीफा देने के बाद पाकिस्तान के विभाजन के कुछ सालों बाद वह भारत में आकर चले गए, पाकिस्तानी प्रशासन के कथित हिंदू-विरोधी पूर्वाग्रह का हवाला देते हुए। .

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जीवाजीराव सिंधिया

महाराजा जीवाजीराव सिंधिया (26 जून 1916 - 16 जुलाई 1961) एक ग्वालियर के महाराजा है | .

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ई अहमद

श्री एडपपकथ अहमद (29 अप्रैल 1938http://www.archive.india.gov.in/govt/loksabhampbiodata.php?mpcode.

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ईरान की इस्लामी क्रांति

ईरान की इस्लामिक क्रांति (फ़ारसी: इन्क़लाब-ए-इस्लामी) सन् 1979 में हुई थी जिसके फलस्वरूप ईरान को एक इस्लामिक गणराज्य घोषित कर दिया गया था। इस क्रांति को फ्रांस की राज्यक्रांति और बोल्शेविक क्रांति के बाद विश्व की सबसे महान क्रांति कहा जाता है। इसके कारण पहलवी वंश का अंत हो गया था और अयातोल्लाह ख़ोमैनी ईरान के प्रमुख बने थे।। ईरान का नया शासन एक धर्मतन्त्र है जहाँ सर्वोच्च नेता धार्मिक इमाम (अयातोल्लाह) होता है पर शासन एक निव्राचित राष्ट्रपति चलाता है। ग़ौरतलब है कि ईरान एक शिया बहुल देश है। इस क्रांति के प्रमुख कारणों में ईरान के पहलवी शासकों का पश्चिमी देशों के अनुकरण तथा अनुगमन करने की नीति तथा सरकार के असफल आर्थिक प्रबंध थे। इसके तुरत बाद इराक़ के नए शासक सद्दाम हुसैन ने अपने देश में ईरान समर्थित शिया आन्दोलन भड़कने के डर से ईरान पर आक्रमण कर दिया था जो 8 साल तक चला और अनिर्णीत समाप्त हुआ। .

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घण्टाघर, देहरादून

देहरादून का घण्टाघर। घण्टाघर देहरादून भारत के उत्तराखण्ड राज्य की राजधानी देहरादून में स्थित घण्टाघर है। इसका निर्माण ब्रिटिश शासन काल के दौरान अंग्रेज़ो द्वारा करवाया गया था। travelomy.com पर। यह घण्टाघर षट्कोणीय आकार का है जिसके शीर्ष पर छः मुखों पर छः घड़ियाँ लगी हुई हैं, हालांकि यह घड़िया चालू हालत में नहीं हैं। देहरादून का यह घण्टाघर बिना घण्टानाद का सबसे बड़ा घण्टाघर है। इसका षट्कोणनुमा ढाँचा अपने प्रकार का एशिया में विरला है। Doonsafari पर। यह घण्टाघर ईंटों और पत्थरों से निर्मित है और इसके षट्कोणीय आकार की हर दीवार पर प्रवेशमार्ग बना हुआ है। इसके मध्य में स्थित सीढ़ियाँ इसके ऊपरी तल तक जाती हैं जहाँ अर्धवृत्ताकार खिड़कियाँ हैं। देहरादून का घण्टाघर नगर में सबसे सौन्दर्यपूर्ण संरचना है। यह घण्टाघर देहरादून की सबसे व्यस्त राजपुर रोड के मुहाने पर स्थित है और यह यहाँ की प्रमुख व्यवसायिक गतिविधियों का केन्द्र है। घण्टाघर को दूरी से भी देखा जा सकता है। पहले घण्टाघर का घण्टानाद देहरादून के दूर-दूर के स्थानों से भी श्रव्य था, लेकिन अब यह घण्टाघर देहरादून का केवल स्थलचिह्न मात्र है अब जिसके चारों ओर दुकानें, सिनेमाघर, सरकारी भवन, पर्यटक स्थल इत्यादि बन आए हैं। .

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वर्ली फोर्ट

वर्ली किला (या वर्ली दुर्ग या फ़ोर्ट) मुम्बई में वर्ली में ब्रिटिश द्वारा बनाया गया था। काफ़ी समय तक इसे पुर्तगालियों ा निर्माण माना जाता रहा था, परंतु यह किला असल में ब्रिटिश ने १६७५ में बनाया था। यह किला वर्ली पहाड़ी पर बना था, माहिम की खाड़ी पर नजर रखने के लिए, जब मुम्बई शहर सिर्फ सात द्वीपों से बना था। यह दुश्मन के जहाजों और डाकुओं पर नजर रखने के लिए बनाया था। .

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वल्लभ भाई पटेल

श्रेणी: सरदार वल्लभ भाई पटेल (સરદાર વલ્લભભાઈ પટેલ; 31 अक्टूबर, 1875 - 15 दिसंबर, 1950) भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। भारत की आजादी के बाद वे प्रथम गृह मंत्री और उप-प्रधानमंत्री बने। बारडोली सत्याग्रह का नेतृत्व कर रहे पटेल को सत्याग्रह की सफलता पर वहाँ की महिलाओं ने सरदार की उपाधि प्रदान की। आजादी के बाद विभिन्न रियासतों में बिखरे भारत के भू-राजनीतिक एकीकरण में केंद्रीय भूमिका निभाने के लिए पटेल को भारत का बिस्मार्क और लौह पुरूष भी कहा जाता है। .

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वहीदा रहमान

वहीदा रहमान (जन्म: 14 मई, 1938) हिन्दी फ़िल्मों की एक अभिनेत्री हैं। .

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विट्ठल माल्या

विट्ठल माल्या (1924 - 1983) भारतीय उद्योगपति थे। यह यूबी समूह के पूर्व अध्यक्ष भी थे। .

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विनायक दामोदर सावरकर

विनायक दामोदर सावरकर (जन्म: २८ मई १८८३ - मृत्यु: २६ फ़रवरी १९६६) भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के अग्रिम पंक्ति के सेनानी और प्रखर राष्ट्रवादी नेता थे। उन्हें प्रायः स्वातंत्र्यवीर, वीर सावरकर के नाम से सम्बोधित किया जाता है। हिन्दू राष्ट्र की राजनीतिक विचारधारा (हिन्दुत्व) को विकसित करने का बहुत बडा श्रेय सावरकर को जाता है। वे न केवल स्वाधीनता-संग्राम के एक तेजस्वी सेनानी थे अपितु महान क्रान्तिकारी, चिन्तक, सिद्धहस्त लेखक, कवि, ओजस्वी वक्ता तथा दूरदर्शी राजनेता भी थे। वे एक ऐसे इतिहासकार भी हैं जिन्होंने हिन्दू राष्ट्र की विजय के इतिहास को प्रामाणिक ढँग से लिपिबद्ध किया है। उन्होंने १८५७ के प्रथम स्वातंत्र्य समर का सनसनीखेज व खोजपूर्ण इतिहास लिखकर ब्रिटिश शासन को हिला कर रख दिया था।वे एक वकील, राजनीतिज्ञ, कवि, लेखक और नाटककार थे। उन्होंने परिवर्तित हिंदुओं के हिंदू धर्म को वापस लौटाने हेतु सतत प्रयास किये एवं आंदोलन चलाये। सावरकर ने भारत के एक सार के रूप में एक सामूहिक "हिंदू" पहचान बनाने के लिए हिंदुत्व का शब्द गढ़ा । उनके राजनीतिक दर्शन में उपयोगितावाद, तर्कवाद और सकारात्मकवाद, मानवतावाद और सार्वभौमिकता, व्यावहारिकता और यथार्थवाद के तत्व थे। सावरकर एक नास्तिक और एक कट्टर तर्कसंगत व्यक्ति थे जो सभी धर्मों में रूढ़िवादी विश्वासों का विरोध करते थे । .

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विनोद भट्ट

विनोद भट्ट (14 जनवरी 1938 और 23 मई 2018), भारत से गुजरात के एक गुजराती के हास्य व्यंग्य लेखक और जीवनी लेखक थे। उनका जन्म 1938 में गांधीनगर के नादोल गांव में हुआ था। उन्होंने साहित्य की विविध विधाओं में 45 किताबें लिखीं। वे गुजराती साहित्य परिषद के (वर्ष 1996 से 1997 के बीच) अध्यक्ष भी रहे हैं। .

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विनोद खन्ना

विनोद खन्ना (जन्म: रविवार, ६ अक्टूबर, १९४६ - निधन: गुरुवार, २७ अप्रैल २०१७) हिन्दी फ़िल्मों के एक अभिनेता थे जिनका जन्म पेशावर (ब्रितानी भारत) में हुआ था जबकि इनका लम्बे समय से कैंसर से पीड़ित रहने की वजह से २७ अप्रैल २०१७ को मुम्बई के एच एन रिलायंस अस्पताल में निधन हो गया । .

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विपिनचंद्र पाल

बिपिन चंद्र पाल (बांग्ला:বিপিন চন্দ্র পাল) (७ नवंबर, १८५८ - २० मई १९३२) एक भारतीय क्रांतिकारी थे। भारतीय स्वाधीनता आंदोलन की रूपरेखा तैयार करने में प्रमुख भूमिका निभाने वाली लाल-बाल-पाल की तिकड़ी में से एक विपिनचंद्र पाल राष्ट्रवादी नेता होने के साथ-साथ शिक्षक, पत्रकार, लेखक व वक्ता भी थे और उन्हें भारत में क्रांतिकारी विचारों का जनक भी माना जाता है। लाला लाजपत राय, बालगंगाधर तिलक एवं विपिनचन्द्र पाल (लाल-बाल-पाल) की इस तिकड़ी ने १९०५ में बंगाल विभाजन के विरोध में अंग्रेजी शासन के विरुद्ध आंदोलन किया जिसे बड़े स्तर पर जनता का समर्थन मिला। 'गरम' विचारों के लिए प्रसिद्ध इन नेताओं ने अपनी बात तत्कालीन विदेशी शासक तक पहुँचाने के लिए कई ऐसे तरीके अपनाए जो एकदम नए थे। इन तरीकों में ब्रिटेन में तैयार उत्पादों का बहिष्कार, मैनचेस्टर की मिलों में बने कपड़ों से परहेज, औद्योगिक तथा व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में हड़ताल आदि शामिल हैं। उनके अनुसार विदेशी उत्पादों के कारण देश की अर्थव्यवस्था खस्ताहाल हो रही थी और यहाँ के लोगों का काम भी छिन रहा था। उन्होंने अपने आंदोलन में इस विचार को भी सामने रखा। राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान गरम धड़े के अभ्युदय को महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इससे आंदोलन को एक नई दिशा मिली और इससे लोगों के बीच जागरुकता बढ़ी। राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान जागरुकता पैदा करने में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही। उनका विश्वास था कि केवल प्रेयर पीटिशन से स्वराज नहीं मिलने वाला है। .

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विलायत (प्रशासनिक विभाग)

ولایت यानि प्रान्त) विलायत (फ़ारसी), विलायाह (अरबी) या विलोयती (उज़बेक: вилояти) अरब और मध्य एशिया के देशों में प्रान्त या ज़िले के स्तर के प्रशासनिक विभाग को कहते हैं। यह अरबी भाषा के 'वली' शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ है 'देखरेख या प्रशासन करने वाला'।, Miangul Jahanzeb, Fredrik Barth, Columbia University Press, 1985, ISBN 978-0-231-06162-9,...

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विश्वेश्वर प्रसाद कोइराला

विश्वेश्वर प्रसाद कोइराला (1914 - 21 जून 1982) नेपाल के प्रथम जन निर्वाचित प्रधानमन्त्री थे। वे नेपाली व हिन्दी भाषा के साहित्यकार भी हैं। उन्होंने अपने जीवन के अधिकांश समय नेपाली कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व किया ‍और 1959 से 1960 तक नेपाल के प्रधानमन्त्री रहे। वे नेपाली में लोकतंत्र की स्थापना के लिए मृत्यु पर्यन्त लड़ते रहे। श्री कोइराला ने नेपाली भाषा साहित्य में मनोवैज्ञानिक कथा का नया प्रयोग आरम्भ किया। .

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विष्णुप्रसाद राभा

विष्णुप्रसाद राभा (বিষ্ণুপ্ৰসাদ ৰাভা) असम के एक प्रसिद्ध साहित्यकार एवं संस्कृतिकर्मी थे। वे 'लोक संस्कृति आन्दोलन' के पक्षधर थे और इसलिए उन्होने शास्त्रीय एवं लोक संस्कृति पर बहुत ध्यान दिया। स्थानीय लोग उन्हें 'कलागुरु' कहते हैं। वे एक मेधावी विद्यार्थी थे किन्तु भारत के स्वतन्त्रता संग्राम में भाग लेने के कारण उनकी शिक्षा अधूरी रह गयी। ब्रितानी पुलिस ने उन्हें बहुत सारी यातनाएँ दीं। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में उनके नटरा नृत्य पर मुग्ध होकर तत्कालीन उपकुलपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने बिष्णुप्रसाद राभा को 'कलागुरु' की उपाधि दी थी। .

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विजय सिंह पथिक

विजय सिंह पथिक उर्फ़ भूप सिंह गुर्जर (अंग्रेजी:Vijay Singh Pathik, जन्म: 27 फ़रवरी 1882, निधन: 28 मई 1954) भारत के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्हें राष्ट्रीय पथिक के नाम से भी जाना जाता है। उनका जन्म बुलन्दशहर जिले के ग्राम गुठावली कलाँ के एक गुर्जर परिवार में हुआ था। उनके दादा इन्द्र सिंह बुलन्दशहर स्थित मालागढ़ रियासत के दीवान (प्रधानमंत्री) थे जिन्होंने 1857 के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम में अंग्रेजों से लड़ते हुए वीरगति प्राप्त की थी। पथिक जी के पिता हमीर सिंह गुर्जर को भी क्रान्ति में भाग लेने के आरोप में सरकार ने गिरफ्तार किया था। पथिक जी पर उनकी माँ कमल कुमारी और परिवार की क्रान्तिकारी व देशभक्ति से परिपूर्ण पृष्ठभूमि का बहुत गहरा असर पड़ा। युवावस्था में ही उनका सम्पर्क रास बिहारी बोस और शचीन्द्र नाथ सान्याल आदि क्रान्तिकारियों से हो गया था। 1915 के लाहौर षड्यन्त्र के बाद उन्होंने अपना असली नाम भूपसिंह गुर्जर से बदल कर विजयसिंह पथिक रख लिया था। मृत्यु पर्यन्त उन्हें इसी नाम से लोग जानते रहे। मोहनदास करमचंद गांधी के सत्याग्रह आन्दोलन से बहुत पहले उन्होंने बिजौलिया किसान आंदोलन के नाम से किसानों में स्वतंत्रता के प्रति अलख जगाने का काम किया था। .

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विजय हजारे

विजय सैमुअल हज़ारे (११ मार्च १९१५ – १८ दिसम्बर २००४) भारतीय राज्य महाराष्ट्र से भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी थे। वो १९५१ से १९५३ के मध्य भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान रहे। उन्होंने अपनी कप्तानी में भारत को टेस्ट-क्रिकेट में प्रथम सफलता दिलाई। सन् १९६० में उन्हें भारत सरकार ने पद्म श्री से सम्मानित किया। उनका १८ दिसम्बर २००४ को निधन हो गया। .

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विजय कुमार मलहोत्रा

विजय कुमार मलहोत्रा विजय कुमार मलहोत्रा (जन्म: ३ दिसम्बर १९३१ लाहौर) भारत के एक राजनेता तथा शिक्षाविद हैं। वे लोक सभा सांसद, खेलकूद प्रशासक व शिक्षा जगत से सम्बद्ध प्रोफेसर हैं। लोग उन्हें प्रोफेसर विजय कुमार मलहोत्रा के नाम से भी जानते हैं। उन्होंने दिल्ली सदर व दक्षिणी दिल्ली से क्रमाश: ९वीं व १४वीं लोकसभा का प्रतिनिधित्व किया। कई संसदीय समितियों के सदस्य से लेकर अध्यक्ष रह चुके श्री मलहोत्रा आजकल ग्रेटर कैलाश नई दिल्ली से दिल्ली विधान सभा के सदस्य हैं। उनकी गणना भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ सदस्यों में की जाती है। .

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विजया राजे सिंधिया

विजया राजे सिंधिया (पूरा नाम लेखा देवीेश्वरी देवी), जोकि ग्वालियर की राजमाता के रूप में लोकप्रिय थी, एक प्रमुख भारतीय राजशाही व्यक्तित्व के साथ-साथ एक राजनीतिक व्यक्तित्व भी थी। ब्रिटिश राज के दिनों में, ग्वालियर के आखिरी सत्ताधारी महाराजा जिवाजीराव सिंधिया की पत्नी के रूप में, वह राज्य के सर्वोच्च शाही हस्तियों में शामिल थी। बाद में, भारत से राजशाही समाप्त होने पर वे राजनीति में उतर गई और कई बार भारतीय संसद के दोनों सदनों में चुनी गई। वह कई दशकों तक जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी की सक्रिय सदस्य भी रही। .

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विजित एवं सत्तांतरित प्रांत

विजित एवं सत्तान्तरित प्रान्त १८०५ से १८३४ तक ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा शासित उत्तर भारत का एक क्षेत्र था;इसकी सीमाएं वर्तमान उत्तर प्रदेश राज्य के समान थी, हालांकि अवध के लखनऊ और फ़ैज़ाबाद मण्डल इसमें शामिल नहीं थे; इसके अलावा, इसमें दिल्ली क्षेत्र और, १८१६ के बाद, वर्तमान उत्तराखंड राज्य के कुमाऊँ मण्डल और गढ़वाल मंडल का एक बड़ा हिस्सा भी शामिल था।  १८३६ में यह क्षेत्र एक लेफ्टिनेंट-गवर्नर द्वारा प्रशासित उत्तर-पश्चिमी प्रान्त बन गया, और १९०४ में संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध के भीतर आगरा प्रान्त बन गया.

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विज्ञान भवन, नई दिल्ली

विज्ञान भवन,नई दिल्ली विज्ञान भवन, नई दिल्ली (अंग्रेजी: Vigyan Bhavan) भारत की राजधानी नई दिल्ली में मौलाना आज़ाद रोड पर स्थित एक सरकारी इमारत है। सन् 1956 में बनी यह इमारत राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय आयोजनों के लिये प्रयोग में लायी जाती है। विज्ञान भवन में कॉमनवेल्थ मीटिंग नॉन एलाइण्ड मूवमेण्ट और सार्क समिट्स जैसे कई महत्वपूर्ण आयोजन भारत सरकार द्वारा आयोजित किये जा चुके हैं। भारत सरकार का शहरी विकास मन्त्रालय इसकी पूरी देखरेख व अनुरक्षण करता है। इस इमारत में वे सभी आयोजन सम्पन्न होते हैं जिनमें भारत के राष्ट्रपति अथवा प्रधान मन्त्री उपस्थित हों। इसके अलावा राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार व हिन्दी दिवस जैसे सरकारी आयोजन भी यहीं होते हैं। .

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व्यपगत का सिद्धान्त

व्यपगत का सिद्धान्त या हड़प नीति (अँग्रेजी: The Doctrine of Lapse, 1848-1856) भारतीय इतिहास में हिन्दू भारतीय राज्यों के उत्तराधिकार संबंधी प्रश्नों से निपटने के लिए ब्रिटिश भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड डलहौजी द्वारा 1848 में तैयार किया गया नुस्खा था। यह परमसत्ता के सिद्धान्त का उपसिद्धांत था, जिसके द्वारा ग्रेट ब्रिटेन ने भारतीय उपमहाद्वीप के शासक के रूप में अधीनस्थ भारतीय राज्यों के संचालन तथा उनकी उत्तराधिकार के व्यवस्थापन का दावा किया।John Keay,India: A History.

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वैजयन्ती माला

वैजयन्ती माला बाली (जन्म: 13 अगत 1936 --) को अधिकांश रूप से एक ही नाम "वैजयन्ती" के नाम से जाना जाता है, एक हिन्दी फिल्मों की प्रसिद्ध अभिनेत्री रही हैं और एक राजनीतिज्ञा हैं। वह भरतनाट्यम की नृत्यांगना, कर्नाटक गायिका, नृत्य प्रशिक्षक और सांसद की भी भूमिका निभा चुकी हैं। उसने अपनी शुरुआत तमिल भाषीय फ़िल्म "वड़कई" से 1949 में की। इसके पश्चात उसने तमिल फ़िल्म "जीवितम" में 1950 में काम किया। इसके बाद वह दक्षिण भारत की प्रमुख नायिकाओं में से एक बनी और बॉलिवुड के सुनहरे दौर की अभिनेत्रियों में एक रही। वैजयन्ती माला हिन्दी फ़िल्मों पर लगभग दो दशकों तो राज करती रही। दक्षिण भारत से आकर राष्ट्रीय अभिनेत्री का दर्जा पाने वह पहली महिला हैं। वैजयन्ती माला एक प्रसिद्ध नृत्यांगना है। उसी ने हिन्दी फ़िल्मों में अर्थ-शास्त्रीय नृत्य के लिए जगह बनाई। वैजयन्ती माला के थिरकते पाँवों ने उसे "ट्विन्कल टोज़" (twinkle toes) का खिताब दिलाया। 1950-1960 के दशके उसे प्रथम श्रेणी की नायिका के नाम से जाना जाता था। .

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वेद प्रताप वैदिक

डॉ॰ वेद प्रताप वैदिक (जन्म: 30 दिसम्बर 1944, इंदौर, मध्य प्रदेश) भारतवर्ष के वरिष्ठ पत्रकार, राजनैतिक विश्लेषक, पटु वक्ता एवं हिन्दी प्रेमी हैं। हिन्दी को भारत और विश्व मंच पर स्थापित करने की दिशा में सदा प्रयत्नशील रहते हैं। भाषा के सवाल पर स्वामी दयानन्द सरस्वती, महात्मा गांधी और डॉ॰ राममनोहर लोहिया की परम्परा को आगे बढ़ाने वालों में डॉ॰ वैदिक का नाम अग्रणी है। वैदिक जी अनेक भारतीय व विदेशी शोध-संस्थानों एवं विश्वविद्यालयों में ‘विजिटिंग प्रोफेसर’ रहे हैं। भारतीय विदेश नीति के चिन्तन और संचालन में उनकी भूमिका उल्लेखनीय है। अपने पूरे जीवन काल में उन्होंने लगभग 80 देशों की यात्रायें की हैं। अंग्रेजी पत्रकारिता के मुकाबले हिन्दी में बेहतर पत्रकारिता का युग आरम्भ करने वालों में डॉ॰ वैदिक का नाम अग्रणी है। उन्होंने सन् 1958 से ही पत्रकारिता प्रारम्भ कर दी थी। नवभारत टाइम्स में पहले सह सम्पादक, बाद में विचार विभाग के सम्पादक भी रहे। उन्होंने हिन्दी समाचार एजेन्सी भाषा के संस्थापक सम्पादक के रूप में एक दशक तक प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया में काम किया। सम्प्रति भारतीय भाषा सम्मेलन के अध्यक्ष तथा नेटजाल डाट काम के सम्पादकीय निदेशक हैं। .

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वेल्लोर किला

वेल्लोर किला (या वेल्लोर फोर्ट या दुर्ग) तमिल नाडु राज्य के वेल्लोर के केंद्र में स्थित है। किले में श्री जलागांडीश्‍वर मंदिर, एक मस्जिद, चर्च, मुतु मंडपम, प्रसिद्ध वेल्लोर ईसाई अस्पताल और राज्य सरकार संग्रहालय भी स्थित हैं। इसी किले में टीपू महल भी स्थित है और मान्यता यह भी है कि टीपू सुल्तान ब्रिटिश युद्ध के समय अपने परिवार के साथ कुछ समय यहां रहे थे। ब्रिटिश राज के दौरान वेल्लोर फोर्ट में कई शाही कैदियों जैसे कैंडी के अंतिम राजा विक्रम राजासिंहा और टीपू सुल्तान के परिवार के सदस्यों को रखा गया था। १८०६ के सिपाही विद्रोह की अग्नि सर्वप्रथम वेल्लोर किले में ही भड़की थी। वेल्लोर फोर्ट एक विख्यात पर्यटक आकर्षण है और राष्ट्रीय महत्व की एक ऐतिहासिक इमारत में गिना जाता है। .

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वी गोपाल

वी गोपाल (पंजाबी: ਵੀ ਗੋਪਾਲ) हिन्दी फ़िल्मों के एक हास्य अभिनेता थे। उनहोनें फ़िल्म "चम्बे दी काली" (1940) से अपने अभिनय सफर शुरूआत की थी, फिर 20 वर्ष के अंतराल के बाद "पासपोर्ट" (1961) से वापसी की। उनकी अटक-अटक के संवाद कहने की भिन्न शैली थी। .

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वी के कृष्ण मेनन

वेंङालिल कृष्णन कृष्ण मेनोन (വി., ३ मई १८९६ - ६ अक्टूबर १९७४), जिन्हें सामान्यतः कृष्ण मेनोन कहा जाता है, एक भारतीय राष्ट्रवादी, राजनीतिज्ञ, कूटनीतिज्ञ, तथा सन् १९५७ से १९६२ तक भारत के रक्षा मंत्री थे। .

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वीना (अभिनेत्री)

वीना (4 जुलाई 1926 – 14 नवम्बर 2004), जिन्हें वीना कुमारी तथा असली नाम तजौर सुल्ताना के नाम से भी जाना जाता था। ये एक पहले भारतीय फ़िल्म अभिनेत्री थीं। .

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वी॰ वी॰ गिरि

वराहगिरी वेंकट गिरी या वी वी गिरी (10 अगस्त 1894 - 23 जून 1980) भारत के चौथे राष्ट्रपति थे। उनका जन्म ब्रह्मपुर, ओड़िशा में हुआ था। .

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ख़सरा

---- भारत और पाकिस्तान में ख़सरा एक कृषि-सम्बन्धी क़ानूनी दस्तावेज़ होता है जिसमें किसी गाँव के ज़मीन के किसी टुकड़े और उस पर उगाई जा रही फसलों का ब्यौरा लिखा होता है।, Baden Henry Baden-Powell, Clarendon Press, 1892,...The shajra or village map...

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ख़ान (उपाधि)

ओगदाई ख़ान, चंग़ेज़ ख़ान का तीसरा पुत्र ख़ान या ख़ाँ (मंगोल: хан, फ़ारसी:, तुर्की: Kağan) मूल रूप से एक अल्ताई उपाधि है तो शासकों और अत्यंत शक्तिशाली सिपहसालारों को दी जाती थी। यह समय के साथ तुर्की-मंगोल क़बीलों द्वारा पूरे मध्य एशिया में इस्तेमाल होने लगी। जब इस क्षेत्र के सैन्य बलों ने भारतीय उपमहाद्वीप, ईरान, अफ़्ग़ानिस्तान और अन्य क्षेत्रों पर क़ब्ज़ा कर के अपने साम्राज्य बनाने शुरू किये तो इसका प्रयोग इन क्षेत्रों की कई भाषाओँ में आ गया, जैसे कि हिन्दी-उर्दू, फ़ारसी, पश्तो, इत्यादि। इसका एक और रूप 'ख़ागान' है जिसका अर्थ है 'ख़ानों का ख़ान' या 'ख़ान-ए-ख़ाना', जो भारत में कभी प्रचलित नहीं हुआ। इसके बराबरी की स्त्रियों की उपाधियाँ ख़ानम और ख़ातून हैं।, Elena Vladimirovna Boĭkova, R. B. Rybakov, Otto Harrassowitz Verlag, 2006, ISBN 978-3-447-05416-4 .

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ख़ारान (रियासत)

ख़ारान (बलोच: خاران, अंग्रेज़ी: Kharan) बलोचिस्तान में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप में ब्रिटिश राज के काल में एक रियासत थी। भारत व पाकिस्तान की स्वतंत्रता के बाद यह अगस्त १९४७ से लेकर अक्तूबर १९४८ तक एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में था, जिसके बाद इसका पाकिस्तान में विलय कर दिया गया। सन् १६९७ में हुई अपनी स्थापना के बाद से ही यह कलात ख़ानत की अधीनता स्वीकारती थी और यह दर्जा १९४० तक स्थापित रहा। रियासत के अधिकतर लोग बलोच भाषा बोलते थे हालांकि ब्राहुई भाषा बोलने वाले छोटे समुदाय भी रियासत-भर में विस्तृत थे। .

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ख़्वाजा अहमद अब्बास

ख़्वाजा अहमद अब्बास प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक, पटकथा लेखक और उर्दू लेखक थे। उन्होंने 'अलीगढ़ ओपिनियन' शुरू किया। 'बॉम्बे क्रॉनिकल' में ये लंबे समय तक बतौर संवाददाता और फ़िल्म समीक्षक काम किया। इनका स्तंभ 'द लास्ट पेज' सबसे लंबा चलने वाले स्तंभों में गिना जाता है। यह 1941 से 1986 तक चला। अब्बास इप्टा के संस्थापक सदस्य थे। .

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ख़ैबर दर्रा

ख़ैबर दर्रा ख़ैबर दर्रा ख़ैबर दर्रा या दर्र-ए-ख़ैबर (Khyber Pass) उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान की सीमा और अफगानिस्तान के काबुलिस्तान मैदान के बीच हिंदुकुश के सफेद कोह पर्वत शृंखला में स्थित एक प्रख्यात ऐतिहासिक दर्रा है। यह दर्रा ५० किमी लंबा है और इसका सबसे सँकरा भाग केवल १० फुट चौड़ा है। यह सँकरा मार्ग ६०० से १००० फुट की ऊँचाई पर बल खाता हुआ बृहदाकार पर्वतों के बीच खो सा जाता है। इस दर्रे के ज़रिये भारतीय उपमहाद्वीप और मध्य एशिया के बीच आया-जाया सकता है और इसने दोनों क्षेत्रों के इतिहास पर गहरी छाप छोड़ी है। ख़ैबर दर्रे का सबसे ऊँचा स्थान पाकिस्तान के संघ-शासित जनजातीय क्षेत्र की लंडी कोतल (لنڈی کوتل, Landi Kotal) नामक बस्ती के पास पड़ता है। इस दर्रे के इर्द-गिर्द पश्तून लोग बसते हैं। पेशावर से काबुल तक इस दर्रे से होकर अब एक सड़क बन गई है। यह सड़क चट्टानी ऊसर मैदान से होती हुई जमरूद से, जो अंग्रेजी सेना की छावनी थी और जहाँ अब पाकिस्तानी सेना रहती है, तीन मील आगे शादीबगियार के पास पहाड़ों में प्रवेश करती है और यहीं से खैबर दर्रा आरंभ होता है। कुछ दूर तक सड़क एक खड्ड में से होकर जाती है फिर बाई और शंगाई के पठार की ओर उठती है। इस स्थान से अली मसजिद दुर्ग दिखाई पड़ता है जो दर्रे के लगभग बीचोबीच ऊँचाई पर स्थित है। यह दुर्ग अनेक अभियानों का लक्ष्य रहा है। पश्चिम की ओर आगे बढ़ती हुई सड़क दाहिनी ओर घूमती है और टेढ़े-मेढ़े ढलान से होती हुई अली मसजिद की नदी में उतर कर उसके किनारे-किनारे चलती है। यहीं खैबर दर्रे का सँकरा भाग है जो केवल पंद्रह फुट चौड़ा है और ऊँचाई में २,००० फुट है। ५ किमी आगे बढ़ने पर घाटी चौड़ी होने लगती है। इस घाटी के दोनों और छोटे-छोटे गाँव और जक्काखेल अफ्रीदियों की लगभग साठ मीनारें है। इसके आगे लोआर्गी का पठार आता है जो १० किमी लंबा है और उसकी अधिकतम चौड़ाई तीन मील है। यह लंदी कोतल में जाकर समाप्त होता है। यहाँ अंगरेजों के काल का एक दुर्ग है। यहाँ से अफगानिस्तान का मैदानी भाग दिखाई देता है। लंदी कोतल से आगे सड़क छोटी पहाड़ियों के बीच से होती हुई काबुल नदी को चूमती डक्का पहुँचती है। यह मार्ग अब इतना प्रशस्त हो गया है कि छोटी लारियाँ और मोटरगाड़ियाँ काबुल तक सरलता से जा सकती हैं। इसके अतिरिक्त लंदी खाना तक, जिसे खैबर का पश्चिम कहा जाता है, रेलमार्ग भी बन गया है। इस रेलमार्ग का बनना १९२५ में आरंभ हुआ था। सामरिक दृष्टि में संसार भर में यह दर्रा सबसे अधिक महत्व का समझा जाता रहा है। भारत के 'प्रवेश द्वार' के रूप में इसके साथ अनेक स्मृतियाँ जुड़ी हुई हैं। समझा जाता है कि सिकन्दर के समय से लेकर बहुत बाद तक जितने भी आक्रामक शक-पल्लव, बाख्त्री, यवन, महमूद गजनी, चंगेज खाँ, तैमूर, बाबर आदि भारत आए उन्होंने इसी दर्रे के मार्ग से प्रवेश किया। किन्तु यह बात पूर्णतः सत्य नहीं है। दर्रे की दुर्गमता और इस प्रदेश के उद्दंड निविसियों के कारण इस मार्ग से सबके लिए बहुत साल तक प्रवेश सहज न था। भारत आनेवाले अधिकांश आक्रमणकारी या तो बलूचिस्तान होकर आए या 2 साँचा:पाकिस्तान के प्रमुख दर्रे श्रेणी:भारत का इतिहास श्रेणी:पाकिस्तान के पहाड़ी दर्रे श्रेणी:अफ़्गानिस्तान के पहाड़ी दर्रे श्रेणी:पश्तून लोग श्रेणी:ऐतिहासिक मार्ग.

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ख़ैबर पख़्तूनख़्वा के राज्यपाल

राज्यपाल खैबर पख्तूनख्वा, प्रांत ख़ैबर पख़्तूनख़्वा, पाकिस्तान की प्रांतीय सरकार के प्रमुख एवं औप्चारिक तौरपर उच्चतम् पदाधिकारी हैं। इनकी नियुक्ति राष्ट्रपति पाकिस्तान, प्रधानमंत्री की परामर्श पर करते हैं और, पाकिस्तान के अन्य प्रांतीय राज्यपाल पदों के समान ही, आमतौर पर यह भी एक औपचारिक पद है, यानी राज्यपाल पास बहुत अधिक अधिकार नहीं होते हैं। हालांकि इतिहास में कई बार ऐसे अवसर आए हैं जब प्रांतीय गवर्नरों को अतिरिक्त व पूर्ण कार्याधिकार मिला है, खासकर इस मामले में जब प्रांतीय विधायिका भंग कर दी गई हो, तब प्रशासनिक विकल्प सीधे राज्यपाल के अधिकार-अंतर्गत आ जाते हैं जैसा 1958 से 1972 और 1977 से 1985 तक सैन्य शासन और 1999 से 2002 के राज्यपाल शासनों के दौरान राज्यपालों को जबरदस्त प्रशासनिक शक्ति मिलते रहे हैं। ख़ैबर पख़्तूनख़्वा में दो बार, 1975 और 1994 में, राज्यपाल शासन लागू किया जा चुका है, जब मुख्यमंत्री और विधानसभा को बर्खास्त कर दिया गया था। .

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गढ़वाल रियासत

गढ़वाल राज्य(Garhwal Kingdom) वर्तमान उत्तराखंड, भारत के विस्तार-क्षेत्र के पश्चिमी हिस्से वाले इलाके में पुराने समय में एक राज्य था यह 1358 ई. में स्थापित एक राजसी राज्य था जिस पर गोरखाओं द्वारा 1803 में कब्जा कर लिया गया था। एंग्लो नेपाली युद्ध और 1815 की सुगौली की संधि के बाद एक छोटे टिहरी गढ़वाल राज्य के गठन के साथ गढ़वाल राज्य को बहाल कर दिया गया, जोकि 1949 में भारत में सम्मिलित कर लिया गया। .

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गढ़वाल जिला

संयुक्त प्रान्त का मानचित्र गढ़वाल जिला ब्रिटिश साशित भारत का एक पूर्व जिला था। यह जिला ब्रिटिश प्रांत, संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध के कुमाउं मंडल का हिस्सा था। इसका कुल क्षेत्रफल 5629 वर्ग मील था। भारत की आज़ादी के बाद यह उत्तर प्रदेश राज्य का हिस्सा हो गया। बाद में विभाजित कर दिया गया। श्रेणी: भारत.

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ग़ुलाम अली

thumb ग़ुलाम अली पाकिस्तान के एक ग़जल गायक तथा हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत के पटियाला घराने के जाने माने गायक तथा संगीतकार हैं। इनका जन्म 1940 में सियालकोट(पाकिस्तान) के पास हुआ था। इन्होने उस्ताद बड़े ग़ुलाम अली ख़ान साहब से तालीम ली है। वे अपनी ग़जलों में प्रायः ख़ुद संगीत देते हैं। इसके अलावा भी उन्होने दूसरों की सुरबद्ध ग़जलें भी गाई हैं। .

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गायत्री चक्रवर्ती स्पीवाक

गायत्री चक्रवर्ती स्पीवाक (जन्म २४ फ़रवरी १९४२) एक भारतीय साहित्यिक विचारक, दार्शनिक और कोलंबिया विश्वविद्यालय में विश्वविद्यालय प्राध्यापिका है, जहां ये तुलनात्मक साहित्य और समाज संस्थान की एक संस्थापक सदस्य है। वर्ष २०१२ मे उन्हे कला और दर्शनशास्र में क्योटो पुरस्कार से सम्मानित किया गया। २०१३ में उन्हें भारत गणराज्य के द्वारा दिए गए तीसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण से नवाज़ा गया। स्पीवाक उनकी समकालीन सांस्कृतिक और "उपनिवेशवाद की विरासत" को चुनौती देने वाली आलोचनात्मक सिद्धांतों के लिए प्रसिद्ध है। ये पाठकों के साहित्य और संस्कृति के साथ संलग्न पर भी चिंतन करना चाहती है। ये ज्यादातर उन लोगों के सांस्कृतिक ग्रंथों पर अपना ध्यान केंद्रित करती है जो प्रमुख पश्चिमी संस्कृति द्वारा अधिकारहीन किये गए हो: श्रमिक वर्ग, औरत, नए आप्रवासी सबाल्टर्न के अन्य स्थान। .

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गांधी हॉल, इन्दौर

महात्मा गांधी टाउन हॉल मध्य भारत के राज्य मध्य प्रदेश के नगर इन्दौर की एक ऐतिहासिक इमारत है। यह इमारत ब्रिटिश काल की है और तब समय बताने का कार्य भी करती थी और इसे घंटाघर भी कहते थे। इस इमारत में वर्ष पर्यन्त विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते रहते हैं। इस इमारत का निर्माण १९०४ में किया गया था और तब इसका नाम किंग एडवर्ड हॉल रखा गया था। सन् १९४७ में भारत के स्वतंत्र होने के बाद इसका नाम गांधी हाल कर दिया गया। हॉल में बच्चों के लिए पार्क और एक पुस्तकालय भी है। .

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गिरिजा देवी

गिरिजा देवी (8 मई 1929 - 24 अक्टूबर 2017) सेनिया और बनारस घरानों की एक प्रसिद्ध भारतीय शास्त्रीय गायिका थीं। वे शास्त्रीय और उप-शास्त्रीय संगीत का गायन करतीं थीं। ठुमरी गायन को परिष्कृत करने तथा इसे लोकप्रिय बनाने में इनका बहुत बड़ा योगदान है। गिरिजा देवी को सन २०१६ में पद्म विभूषण एवं १९८९ में भारत सरकार द्वारा कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। .

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गिरीश कर्नाड

गिरीश कार्नाड (जन्म 19 मई, 1938 माथेरान, महाराष्ट्र) भारत के जाने माने समकालीन लेखक, अभिनेता, फ़िल्म निर्देशक और नाटककार हैं। कन्नड़ और अंग्रेजी भाषा दोनों में इनकी लेखनी समानाधिकार से चलती है। 1998 में ज्ञानपीठ सहित पद्मश्री व पद्मभूषण जैसे कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों के विजेता कार्नाड द्वारा रचित तुगलक, हयवदन, तलेदंड, नागमंडल व ययाति जैसे नाटक अत्यंत लोकप्रिय हुये और भारत की अनेकों भाषाओं में इनका अनुवाद व मंचन हुआ है। प्रमुख भारतीय निदेशको - इब्राहीम अलकाजी, प्रसन्ना, अरविन्द गौड़ और बी.वी. कारंत ने इनका अलग- अलग तरीके से प्रभावी व यादगार निर्देशन किया हैं। .

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गवर्न्मेंट आफ इंडिया एक्ट १८५८

यह ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के बाद संयुक्त राजशाही (यूनाइटेड किंगडम) ब्रिटेन सरकार की संसद द्वारा पास किया गया अधिनियम था। .

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गगनेन्द्रनाथ ठाकुर

१९१५ में चित्रित ''प्रतिमा विसर्जन'' गगनेन्द्रनाथ ठाकुर (१७ सितम्बर, १८६७ - १९३८) भारत के बंगाल प्रदेश में जन्मे एक चित्रकार एवं कार्टूनकार थे। वह और उनके भाई अवनीन्द्रनाथ ठाकुर भारत के आधुनिक कलाकारों में अग्रणी थे।। वह ठाकुर परिवार के थे और चित्रकार थे। .

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गंदमक की संधि

गंदमक की संधि ब्रिटिश भारत तथा अफ़गान अमीर याकुब ख़ान के बीच सन् 1879 में 26 मई को हुई थी जिसमें ब्रिटिश अफ़गान क्षेत्रों पर और आक्रमण नहीं करने पर सहमत हुआ था जिसके एवज़ में उनको सीमान्त अफ़ग़ान क्षेत्रों पर अधिकार मिल गया। इसके साथ ही याक़ुब ख़ान सभी आक्रांताओं और उनके साथियों को क्षमादान देने पर राज़ी हुआ था। ब्रिटिश याक़ूब को सालाना 60000 रुपये देने पर सहमत हुए थे। जब इसी संधि के तहत पियरे केवेग्नेरी काबुल जुलाई में पहुँचे तो दो महीने बाद एक विद्रोही अफ़ग़ान टुकड़ी ने हेरात से आकर उनके दल पर हमला बोला और केवेन्गेरी सहित कईयों को मार डाला। इसके बाद द्वितीय आंग्ल अफ़ग़ान युद्ध का दूसरा चरण आरंभ हुआ था। श्रेणी:अफ़ग़ानिस्तान का इतिहास.

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गुरबचन सिंह सलारिया

कैप्टन गुरबचन सिंह सलारिया परमवीर चक्र (29 नवंबर 1935 - 5 दिसंबर 1961) एक भारतीय सैन्य अधिकारी और संयुक्त राष्ट्र शांति अभियान के सदस्य थे। वह परमवीर चक्र प्राप्त करने वाले एकमात्र संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षक हैं। वह किंग जॉर्ज के रॉयल मिलिट्री कॉलेज और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के पूर्व छात्र थे। इन्हें यह सम्मान सन 1962 में मरणोपरांत मिला। दिसंबर 1961 में कांगो में संयुक्त राष्ट्र के ऑपरेशन के तहत कांगो गणराज्य में तैनात भारतीय सैनिकों में सलारिया भी शामिल थे। 5 दिसंबर को सलारिया की बटालियन को दो बख्तरबंद कारों पर सवार पृथकतावादी राज्य कातांगा के 150 सशस्त्र पृथकतावादियों द्वारा एलिज़ाबेविले हवाई अड्डे के मार्ग के अवरुद्धीकरण को हटाने का कार्य सौंपा गया। उनकी रॉकेट लांचर टीम ने कातांगा की बख्तरबंद कारों पर हमला किया और नष्ट कर दिया। इस अप्रत्याशित कदम ने सशस्त्र पृथकतावादियों को भ्रमित कर दिया, और सलारिया ने महसूस किया कि इससे पहले कि वे पुनर्गठित हो जाएं, उन पर हमला करना सबसे अच्छा होगा। हालांकि उनकी सेना की स्थिति अच्छी नहीं थी फिर भी उन्होंने पृथकतावादियों पर हमला करवा दिया और 40 लोगों को कुकरियों से हमले में मार गिराया। हमले के दौरान सलारिया को गले में दो बार गोली मार दी और वह वीर गति को प्राप्त हो गए। बाकी बचे पृथकतावादी अपने घायल और मरे हुए साथियों को छोड़ कर भाग खड़े हुए और इस प्रकार मार्ग अवरुद्धीकरण को साफ़ कर दिया गया। अपने कर्तव्य और साहस के लिए और युद्ध के दौरान अपनी सुरक्षा की उपेक्षा करते हुए कर्तव्य करने के कारण सलारिया को भारत सरकार द्वारा वर्ष 1962 में मरणोपरांत परम वीर चक्र से सम्मानित किया गया। .

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गुरुग्राम

गुरुग्राम (पूर्व नाम: गुड़गाँव), हरियाणा का एक नगर है जो राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली से सटा हुआ है। यह दिल्ली से ३२ किमी.

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गुलज़ार (गीतकार)

ग़ुलज़ार नाम से प्रसिद्ध सम्पूर्ण सिंह कालरा (जन्म-१८ अगस्त १९३६) हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध गीतकार हैं। इसके अतिरिक्त वे एक कवि, पटकथा लेखक, फ़िल्म निर्देशक तथा नाटककार हैं। उनकी रचनाए मुख्यतः हिन्दी, उर्दू तथा पंजाबी में हैं, परन्तु ब्रज भाषा, खङी बोली, मारवाड़ी और हरियाणवी में भी इन्होने रचनाये की। गुलजार को वर्ष २००२ में सहित्य अकादमी पुरस्कार और वर्ष २००४ में भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है। वर्ष २००९ में डैनी बॉयल निर्देशित फिल्म स्लम्डाग मिलियनेयर में उनके द्वारा लिखे गीत जय हो के लिये उन्हे सर्वश्रेष्ठ गीत का ऑस्कर पुरस्कार पुरस्कार मिल चुका है। इसी गीत के लिये उन्हे ग्रैमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। .

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ग्रैंड ट्रंक रोड

ग्रैंड ट्रंक रोड, दक्षिण एशिया के सबसे पुराने एवं सबसे लम्बे मार्गों में से एक है। दो सदियों से अधिक काल के लिए इस मार्ग ने भारतीय उपमहाद्वीप के पूर्वी एवं पश्चिमी भागों को जोड़ा है। यह हावड़ा के पश्चिम में स्थित बांगलादेश के चटगाँव से प्रारंभ होता है और लाहौर (पाकिस्तान) से होते हुए अफ़ग़ानिस्तान में काबुल तक जाता है। पुराने समय में इसे, उत्तरपथ,शाह राह-ए-आजम,सड़क-ए-आजम और बादशाही सड़क के नामों से भी जाना जाता था। यह मार्ग, मौर्य साम्राज्य के दौरान अस्तित्व में था और इसका फैलाव गंगा के मुँह से होकर साम्राज्य के उत्तर-पश्चिमी सीमा तक हुआ करता था। आधुनिक सड़क की पूर्ववर्ती का पुनःनिर्माण शेर शाह सूरी द्वारा किया गया था। सड़क का काफी हिस्सा १८३३-१८६० के बीच ब्रिटिशों द्वारा उन्नत बनाया गया था। .

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गोपाल स्वरूप पाठक

गोपाल स्वरूप पाठक पूर्व भारत के उपराष्ट्रपति थे। .

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गोपालदास नीरज

गोपालदास नीरज (जन्म: 4 जनवरी 1925), हिन्दी साहित्यकार, शिक्षक, एवं कवि सम्मेलनों के मंचों पर काव्य वाचक एवं फ़िल्मों के गीत लेखक हैं। वे पहले व्यक्ति हैं जिन्हें शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में भारत सरकार ने दो-दो बार सम्मानित किया, पहले पद्म श्री से, उसके बाद पद्म भूषण से। यही नहीं, फ़िल्मों में सर्वश्रेष्ठ गीत लेखन के लिये उन्हें लगातार तीन बार फिल्म फेयर पुरस्कार भी मिला। .

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गोरखा

इंग्लैण्ड के रक्षा मंत्रालय के बाहर स्थापित एक गोरखा की मूर्ति,हॉर्स गार्डस अवेन्यु, वेस्टमिन्सटर शहर, लण्डन. गोरखा (नेपाली: गोरखाली) नेपाल के लोग हैं। जिन्होने ये नाम 8 वीं शताब्दी के हिन्दू योद्धा संत श्री गुरु गोरखनाथ से प्राप्त किया था। उनके शिष्य बप्पा रावल ने राजकुमार कलभोज/राजकुमार शैलाधिश को जन्माया था, जिनका घर मेवाड़, राजस्थान (राजपुताना) में पाया गया था। बाद में बप्पा रावल के वंश सुदूर पूर्व के तरफ बढ़ें और गोरखा में अपना राज्य स्थापित किया और बाद में उन्होने नेपाल अधिराज्य को स्थापित किया। उस वंश में चितौड़गढ़ के मनमथ राणाजी राव के पुत्र भूपाल राणाजी राव नेपाल के रिडी पहुंचे। गोरखा जिला आधुनिक नेपाल के 75 जिलों में से एक है। खास्तोर्पे नेपाल के मध्य पश्चिम के पहाडी लडाकु जातिया जैसे कि मगर, गुरुंग, सुदुरपश्चिम के लडाकु जातिया जो कि खस/क्षेत्री और ठकुरी और पूर्व से किरात जातिया होति हैं। गोरखाली लोग अपने साहस और हिम्मत के लिए विख्यात हैं और वे नेपाली आर्मी और भारतीय आर्मी के गोरखा रेजिमेन्ट और ब्रिटिश आर्मी के गोरखा ब्रिगेज के लिए भी खुब जाने जाते हैं। गोरखालीयों को ब्रिटिश भारत के अधिकारियों ने मार्शल रेस की उपाधि दी थी। उनके अनुसार गोरखाली प्राकृतिक रूप से ही योद्धा होते हैं और युद्ध में आक्रामक होते हैं, वफादारी और साहस का गुण रखते हैं, आत्म निर्भर होते हैं, भौतिक रूप से मजबूत और फुर्तीले, सुव्यवस्थित होते हैं, लम्बे समय तक कड़ी मेहनत करने वाले, हठी लड़ाकू, मिलेट्री रणनीतिके होते हैं। ब्रिटिश भारतीय आर्मी में इन "मार्शल रेसेज़" को भारी मात्रा में भर्ती किया गया था। भारतीय आर्मी के भूतपूर्व चीफ ऑफ स्टाफ जनरल सैम मानेकशॉ ने एक बार प्रख्यात रूप से कहा था:- अर्थात: "यदि कोई कहता है कि मुझे मौत से डर नहीं लगता, वह या तो झूठ बोल रहा है या गोरखा है।" अंग्रेजों ने अपनी फौज में 1857 से पहले ही गोरखा सैनिकों को रखना आरम्भ कर दिया था। 1857 के भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में इन्होंने ब्रिटिश सेना का साथ दिया था क्योंकि उस समय वे ईस्ट इंडिया कम्पनी के लिए अनुबंध पर काम करते थे। महाराजा रणजीत सिंह ने भी इन्हें अपनी सेना में स्थान दिया। अंग्रेजों के लिए गोरखों ने दोनों विश्वयुद्धों में अपने अप्रतिम साहस और युद्ध कौशल का परिचय दिया। पहले विश्व युद्ध में दो लाख गोरखा सैनिकों ने हिस्सा लिया था, जिनमें से लगभग 20 हजार ने रणभूमि में वीरगति प्राप्त की। दूसरे विश्वयुद्ध में लगभग ढाई लाख गोरखा जवान सीरिया, उत्तर अफ्रीका, इटली, ग्रीस व बर्मा भी भेजे गए थे। उस विश्वयुद्ध में 32 हजार से अधिक गोरखों ने शहादत दी थी। भारत के लिए भी गोरखा जवानों ने पाकिस्तान और चीन के खिलाफ हुई सभी लड़ाइयों में शत्रु के सामने अपनी बहादुरी का लोहा मनवाया था। गोरखा रेजिमेंट को इन युद्धों में अनेक पदको़ व सम्मानों से अलंकृत किया गया, जिनमें महावीर चक्र और परम वीर चक्र भी शामिल हैं। वर्तमान में हर वर्ष लगभग 1200-1300 नेपाली गोरखे भारतीय सेना में शामिल होते है। गोरखा राइफल्स में लगभग 80 हजार नेपाली गोरखा सैनिक हैं, जो कुल संख्या का लगभग 70 प्रतिशत है। शेष 30 प्रतिशत में देहरादून, दार्जिलिंग और धर्मशाला असम आदि के स्थानीय भारतीय गोरखे शामिल हैं। इसके अतिरिक्त रिटायर्ड गोरखा जवानों और असम राइफल्स में गोरखों की संख्या करीब एक लाख है। .

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गोलघर

गोलघरगोलघर, बिहार प्रांत की राजधानी पटना में गाँधी मैदान के पश्चिम में स्थित है। 1770 में आई भयंकर सूखे के दौरान लगभग एक करोड़ लोग भुखमरी के शिकार हुए थे। तब के गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग ने गोलघर के निर्माण की योजना बनाई थी, ब्रिटिश इंजिनियर कैप्टन जान गार्स्टिन ने अनाज़ के (ब्रिटिश फौज के लिए) भंडारण के लिए इस गोल ढाँचे का निर्माण 20 जनवरी 1784 को शुरु करवाया था। इसका निर्माण कार्य ब्रिटिश राज में 20 जुलाई 1786 को संपन्न हुआ था। इसमें एक साथ 140000 टन अनाज़ रखा जा सकता है। इसका आकार 125 मीटर और ऊँचाई 29 मीटर है। इसमें कोई स्तंभ नहीं है और इसकी दीवारें आधार में 3.6 मीटर मोटी हैं। गोलघर के शिखर पर लगभग तीन मीटर तक ईंट की जगह पत्थरों का प्रयोग किया गया है। गोलघर के शीर्ष पर दो फीट 7 इंच व्यास का छिद्र अनाज डालने के लिये छोड़ा गया था, जिसे बाद में भर दिया गया। 145 सीढियों के सहारे आप इसके उपरी सिरे पर जा सकते हैं जहाँ से शहर का एक बड़ा हिस्सा देखा जा सकता है और गंगा के मनोहारी दृश्य को यहाँ से निहारा जा सकता है। .

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गोविन्द बल्लभ पन्त

नैनीताल में गोविन्द वल्लभ पन्त की प्रतिमा पंडित गोविन्द बल्लभ पन्त या जी॰बी॰ पन्त (जन्म १० सितम्बर १८८७ - ७ मार्च १९६१) प्रसिद्ध स्वतन्त्रता सेनानी और वरिष्ठ भारतीय राजनेता थे। वे उत्तर प्रदेश राज्य के प्रथम मुख्य मन्त्री और भारत के चौथे गृहमंत्री थे। सन 1957 में उन्हें भारतरत्न से सम्मानित किया गया। गृहमंत्री के रूप में उनका मुख्य योगदान भारत को भाषा के अनुसार राज्यों में विभक्त करना तथा हिन्दी को भारत की राजभाषा के रूप में प्रतिष्ठित करना था। .

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ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन या एआईएमआईएम (हिंदी अनुवादः अखिल भारतीय मुस्लिम संघ) भारत सरकार के तेलंगाना राज्य में स्थित एक मान्यताप्राप्त राजकीय राजनीतिक दल है, जिसका हैदराबाद के पुराने शहर में प्रधान कार्यालय है, जिसकी जड़ें मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन से हैं जो 1927 में ब्रिटिश भारत के हैदराबाद स्टेट में स्थापित हुई थी।। एआईएमआईएम ने 1984 से हैदराबाद निर्वाचन क्षेत्र लोकसभा सीट जीती है। 2014 के तेलंगाना विधानसभा चुनावों में, एआईएमआईएम ने सात सीटों पर जीत हासिल की और भारत के चुनाव आयोग द्वारा 'राज्य पार्टी' के रूप में मान्यता प्राप्त की। इस पार्टी के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी हैं। .

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ओझा

ख़कास जाति की एक स्त्री ओझा की सन् १९०८ में ली गई तस्वीर ओझा (अंग्रेज़ी: shaman, शेमन या शामन) पारम्परिक समाजों में ऐसे व्यक्ति को कहा जाता है जिनके बारे में यह विश्वास हो कि उनमें प्रत्यक्ष दुनिया से बाहर किसी रूहानी दुनिया, आत्माओं, देवी-देवताओं या ऐसे अन्य ग़ैर-सांसारिक तत्वों से सम्पर्क रखने या उनकी शक्तियों से लाभ उठाने की क्षमता है। ओझाओं के बारे में यह धारणा होती है कि वे अच्छी और बुरी आत्माओं तक पहुँचकर उनपर प्रभाव डाल सकते हैं और अक्सर ऐसा करते हुए वे किसी विशेष चेतना की अवस्था में होते हैं। ऐसी अवस्था को अक्सर किसी देवी-देवता या आत्मा का 'चढ़ना' या 'हावी हो जाना' कहतें हैं। पारम्परिक समाजों में अक्सर चिकित्सा के उपचार भी ओझा ही जाना करते थे। अक्सर जनजातियों या पारम्परिक क़बीलों में ओझाओं का प्रभाव ज़्यादा होता है और उन्हें धर्म और चिकित्सा दोनों का स्रोत माना जाता है।, Michael Harner, Michael J. Harner, HarperCollins, 1990, ISBN 978-0-06-250373-2,...

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ओम प्रकाश मुंजाल

हेरो साईकिल सबसे उपर और सबसे अच्छी साईकल् ओम प्रकाश मुंजाल (26 अगस्त 1928 - 13 अगस्त 2015), हीरो साइकिल के सेवानिवृत्त अध्यक्ष और हीरो ग्रुप के सह-संस्थापक थे। उन्होंने वर्ष 1956 में ‘हीरो ग्रुप’ कंपनी के गठन के साथ ही भारत की पहली साइकिल का निर्माण करने वाली ईकाई की शुरूआत की थी, जो वर्ष 1980 के दौर में दुनिया में सबसे ज्यादा साइकिल की निर्माता कंपनी बन गई। विश्व के सबसे बड़े साइकिल निर्माता के तौर पर वर्ष 1986 में हीरो साइकिल का नाम ‘गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड’ में भी दर्ज हुआ।वे अपने काम के प्रति बेहद ईमानदार थे। वे अपने ग्राहकों को कभी भी निराश नहीं करते थे। एक बार जब उनकी कंपनी के कार्यकर्ता हड़ताल पर थे तो उन्होने खुद ही फैक्ट्री में काम करना शुरू कर दिया। इसे देखते हुए कार्यकर्ताओं ने हड़ताल बंद कर वापस काम में लग गए थे। .

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ओम प्रकाश जिंदल

ओम प्रकाश जिंदल(जन्म: 7 अगस्त, 1930) भारत के इस्पात उद्योग के एक बड़े कारोबारी एवं राजनीतिज्ञ थे। वे जिंदल समूह के संस्थापक थे तथा हरियाणा राज्य की अर्थव्यवस्था में इस औद्योगिक परिवार का भारी योगदान माना जाता है। ओम प्रकाश जिंदल हरियाणा के ऊर्जा मंत्री रहे हैं और 11वीं लोकसभा के सदस्य भी रहे। मैन ऑफ स्टील के अलंकरण से सुशोभित ओम प्रकाश जिंदल तकनीकी एवं इंजीनियरिंग कार्यों में अत्यधिक रूचि रखते थे। उन्होंने तकनीकी एवं इंजीनियरिंग की कोई विधिवत शिक्षा नहीं ली थी लेकिन इन विषयों के प्रति गहरे लगाव और गहन अभिरूचि ने उन्हें एक सफल उद्योगपति बनाया। वे सर्वप्रथम किसान थे, फिर साधारण व्यापारी, उसके बाद बाल्टी निर्माता और अंत में अंतरराष्ट्रीय ख्याति के उद्योगपति एवं हरियाणा के लोकप्रिय नेता हुए। .

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औपनिवेशिक भारत

20 मई 1498 को वास्को डा गामा के कालीकट पहुंचने के साथ ही भारत के यूरोपीय उपनिवेशीकरण का ग्रहण आरम्भ हो गया। औपनिवेशिक भारत, भारतीय उपमहाद्वीप का वह भूभाग है जिसपर यूरोपीय साम्राज्य था। .

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आनंदीबाई जोशी

आनंदीबाई जोशी आनंदीबाई जोशी (31 मार्च 1865-26 फ़रवरी 1887) पुणे शहर में जन्‍मी पहली भारतीय महिला थीं, जिन्‍होंने डॉक्‍टरी की डिग्री ली थी। जिस दौर में महिलाओं की शिक्षा भी दूभर थी, ऐसे में विदेश जाकर डॉक्‍टरी की डिग्री हासिल करना अपने-आप में एक मिसाल है। उनका विवाह नौ साल की अल्‍पायु में उनसे करीब 20 साल बड़े गोपालराव से हो गया था। जब 14 साल की उम्र में वे माँ बनीं और उनकी एकमात्र संतान की मृत्‍यु 10 दिनों में ही गई तो उन्‍हें बहुत बड़ा आघात लगा। अपनी संतान को खो देने के बाद उन्‍होंने यह प्रण किया कि वह एक दिन डॉक्‍टर बनेंगी और ऐसी असमय मौत को रोकने का प्रयास करेंगी। उनके पति गोपालराव ने भी उनको भरपूर सहयोग दिया और उनकी हौसलाअफजाई की। आनंदीबाई जोशी का व्‍यक्तित्‍व महिलाओं के लिए प्रेरणास्‍त्रोत है। उन्‍होंने सन् 1886 में अपने सपने को साकार रूप दिया। जब उन्‍होंने यह निर्णय लिया था, उनकी समाज में काफी आलोचना हुई थी कि एक शादीशुदा हिंदू स्‍त्री विदेश (पेनिसिल्‍वेनिया) जाकर डॉक्‍टरी की पढ़ाई करे। लेकिन आनंदीबाई एक दृढ़निश्‍चयी महिला थीं और उन्‍होंने आलोचनाओं की तनिक भी परवाह नहीं की। यही वजह है कि उन्‍हें पहली भारतीय महिला डॉक्‍टर होने का गौरव प्राप्‍त हुआ। डिग्री पूरी करने के बाद जब आनंदीबाई भारत वापस लौटीं तो उनका स्‍वास्‍थ्‍य बिगड़ने लगा और बाईस वर्ष की अल्‍पायु में ही उनकी मृत्‍यु हो गई। यह सच है कि आनंदीबाई ने जिस उद्देश्‍य से डॉक्‍टरी की डिग्री ली थी, उसमें वे पूरी तरह सफल नहीं हो पाईंं, परन्तु उन्‍होंने समाज में वह स्थान प्राप्त किया, जो आज भी एक मिसाल है। .

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आर के नारायण

आर के नारायण (अक्टूबर 10, 1906- मई 13, 2001) का पूरा नाम रासीपुरम कृष्णस्वामी अय्यर नारायणस्वामी था। नारायण अंग्रेजी साहित्य के भारतीय लेखकों में तीन सबसे महान् उपन्यासकारों में गिने जाते हैं। मुल्कराज आनंद तथा राजा राव के साथ उनका नाम भारतीय अंग्रेजी लेखन के आरंभिक समय में 'बृहत्त्रयी' के रूप में प्रसिद्ध है। मुख्यतः उपन्यास तथा कहानी विधा को अपनाते हुए उन्होंने विभिन्न स्तरों तथा रूपों में मानवीय उत्थान-पतन की गाथा को अभिव्यक्त करते हुए अपने गंभीर यथार्थवाद के माध्यम से रचनात्मक कीर्तिमान स्थापित किया है। .

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आर्य वंश

आर्य वंश ऐतिहासिक रूप से 19वीं शताब्दी के अंत और 20वीं शताब्दी के आरम्भ में पश्चिमी सभ्यता में आर्यवंशी काफी प्रभावशाली लोग हुआ करते थे। माना जाता है कि इस विचार से यह व्यूत्पन्न है कि हिंद युरोपीय भाषा के बोलने वाले मूल लोगों और उनके वंशजों ने विशिष्ट जाति या वृहद श्वेत नस्ल की स्थापना की। ऐसा माना जाता है कि कभी-कभी आर्यन जाति से ही आर्यवाद अस्तित्व में आया। आरम्भ में इसे मात्र भाषाई आधार पर जाना जाता था लेकिन नाज़ी और नव-नाज़ी में जातिवाद की उत्पत्ति के बाद सैधांतिक रूप से इसका प्रयोग जादू-टोना और श्वेत प्रतिष्ठा को स्थापित करने के लिए किया जाने लगा। .

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आशारानी व्होरा

आशारानी व्होरा (जन्म: ७ अप्रैल १९२१ - मृत्यु: २१ दिसम्बर २००९) ब्रिटिश भारत में झेलम जिले में जन्मी एक हिन्दी लेखिका थीं जिन्होंने सौ से अधिक पुस्तकों की रचना की। जीवन की अन्तिम साँस तक वह निरन्तर लिखती रहीं। ८८ वर्ष की आयु में उनका निधन नई दिल्ली में अपने बेटे डॉ॰ शशि व्होरा के घर पर हुआ। आशारानी को अपने जीवन काल में कई पुरस्कार व सम्मान प्राप्त हुए। उन्होंने अपनी सारी सम्पत्ति एक ट्रस्ट बनाकर नोएडा स्थित सूर्या संस्थान को दान कर दी। .

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आई॰ एस॰ जौहर

आई एस जौहर नाम से विख्यात इंदरजीत सिंह जौहर हिन्दी फ़िल्मों के एक अभिनेता थे। .

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आवान लोग

आवान (अंग्रेज़ी: Awan, उर्दु: اعوان‎) पाकिस्तानी पंजाब में बसने वाला एक पंजाबी समुदाय है। कुछ हद तक आवान लोग पाक-अधिकृत कश्मीर, ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा, सिन्ध और बलोचिस्तान में भी बसे हुए हैं। यह गक्खर समुदाय से सम्बन्धित हैं, जिनकी बहुसंख्या ने १२वीं से १४वीं शताब्दी में हिन्दू से इस्लाम धर्म-परिवर्तन करा था, हालांकि कुछ आधुनिक आवान गुटों में यह मान्यता है कि वे अरब लोगों के वंशज हैं। पाकिस्तानी इतिहासकार अहमद हसन दानी के अनुसार आवान उत्तरी पंजाब के मूल निवासियों में से हैं। मुख्य रूप से इनका व्यवसाय कृषि था लेकिन ब्रिटिश राज के समय से इन्होंने भारी मात्रा में सेनिक व्यवसायों को अपनाया है। .

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आगरा प्रेसीडेंसी

आगरा प्रेसीडेंसी ब्रिटिश भारत के छह पश्चिमोत्तर प्रांतों में से एक थी। यह ९,४७९ वर्ग मीटर क्षेत्र में फैला हुआ था और १८३५ में इसकी जनसंख्या ४,५००,००० थी। आगरा प्रेसीडेंसी की स्थापना १४ नवंबर १८३४ को गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया एक्ट १८३३ के प्रावधानों के तहत की गयी थी। उससे पहले यह विजित एवं सत्तांतरित प्रांत कहलाता था। सर चार्ल्स मैटकाफ को इस प्रेसीडेंसी का पहला गवर्नर नियुक्त किया गया था। हालांकि, १८३५ में इस प्रेसीडेंसी का नाम बदलकर उत्तर-पश्चिमी प्रान्त कर दिया गया। १ जून १८३६ को आगरा प्रेसीडेंसी को भंग कर दिया गया। .

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इडर के प्रताप सिंह

लेफ्टिनेंट जनरल प्रताप सिंह (22 अक्टूबर 1845 – 4 सितम्बर 1922) इडर राज्य (गुजरात) के महाराजा तथा ब्रितानी भारतीय सेना के अधिकारी थे। १९०२ से १९११ तक वे अहमदनगर (हिम्मतनगर) के महाराजा भी थे। प्रताप सिंह का जन्म 21 अक्टूबर 1845 को हुआ था। वह जोधपुर के तख्त सिंह (1819 -13 फरवरी 1873) जोधपुर के महाराजा के तीसरे बेटे थे और उनकी पहली पत्नी, गुलाब कुंवरजी माजी थीं, और उनके शुरुआती जीवन के बारे में बहुत कम जानकारी है। उन्होंने जयपुर के महाराजा राम सिंह के अधीन प्रशासनिक प्रशिक्षण प्राप्त किया, जिसके भाई महाराजा जसवंत सिंह जोधपुर ने उन्हें अपने राज्य में आमंत्रित किया। .

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इण्डिया गेट

भारत की राजधानी नई दिल्ली का इण्डिया गेट इण्डिया गेट, (मूल रूप से अखिल भारतीय युद्ध स्मारक कहा जाता है), नई दिल्ली के राजपथ पर स्थित ४३ मीटर ऊँचा विशाल द्वार है। यह स्वतन्त्र भारत का राष्ट्रीय स्मारक है, जिसे पूर्व में किंग्सवे कहा जाता था। इसका डिजाइन सर एडवर्ड लुटियन्स ने तैयार किया था। यह स्मारक पेरिस के आर्क डे ट्रॉयम्फ़ से प्रेरित है। इसे सन् १९३१ में बनाया गया था। मूल रूप से अखिल भारतीय युद्ध स्मारक के रूप में जाने वाले इस स्मारक का निर्माण अंग्रेज शासकों द्वारा उन ९०००० भारतीय सैनिकों की स्मृति में किया गया था जो ब्रिटिश सेना में भर्ती होकर प्रथम विश्वयुद्ध और अफ़ग़ान युद्धों में शहीद हुए थे। यूनाइटेड किंगडम के कुछ सैनिकों और अधिकारियों सहित 13,300 सैनिकों के नाम, गेट पर उत्कीर्ण हैं। लाल और पीले बलुआ पत्थरों से बना हुआ यह स्मारक दर्शनीय है। जब इण्डिया गेट बनकर तैयार हुआ था तब इसके सामने जार्ज पंचम की एक मूर्ति लगी हुई थी। जिसे बाद में ब्रिटिश राज के समय की अन्य मूर्तियों के साथ कोरोनेशन पार्क में स्थापित कर दिया गया। अब जार्ज पंचम की मूर्ति की जगह प्रतीक के रूप में केवल एक छतरी भर रह गयी है। इण्डिया गेट के नीचे अमर जवान ज्योति भारत की स्वतन्त्रता के पश्चात् इण्डिया गेट भारतीय सेना के अज्ञात सैनिकों के मकबरे की साइट मात्र बनकर रह गया है। इसकी मेहराब के नीचे अमर जवान ज्योति स्थापित कर दी गयी है। अनाम सैनिकों की स्मृति में यहाँ एक राइफ़ल के ऊपर सैनिक की टोपी सजा दी गयी है जिसके चारो कोनों पर सदैव एक ज्योति जलती रहती है। इस अमर जवान ज्योति पर प्रति वर्ष प्रधान मन्त्री व तीनों सेनाध्यक्ष पुष्प चक्र चढ़ाकर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। इण्डिया गेट की दीवारों पर हजारों शहीद सैनिकों के नाम खुदे हैं और सबसे ऊपर अंग्रेजी में लिखा हैः दिल्ली की कई महत्वपूर्ण सड़कें इण्डिया गेट के कोनों से निकलती हैं। रात के समय यहाँ मेले जैसा माहौल होता है। .

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इन्दिरा गांधी

युवा इन्दिरा नेहरू औरमहात्मा गांधी एक अनशन के दौरान इन्दिरा प्रियदर्शिनी गाँधी (जन्म उपनाम: नेहरू) (19 नवंबर 1917-31 अक्टूबर 1984) वर्ष 1966 से 1977 तक लगातार 3 पारी के लिए भारत गणराज्य की प्रधानमन्त्री रहीं और उसके बाद चौथी पारी में 1980 से लेकर 1984 में उनकी राजनैतिक हत्या तक भारत की प्रधानमंत्री रहीं। वे भारत की प्रथम और अब तक एकमात्र महिला प्रधानमंत्री रहीं। .

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इन्द्र कुमार गुजराल

इ Indra kumar raj Mistar sang m k न्द् र कुमार गुजराल (अंग्रेजी: I. K. Gujral जन्म: ४ दिसम्बर १९१९, झेलम - मृत्यु: ३० नवम्बर २०१२, गुड़गाँव) भारतीय गणराज्य के १३वें प्रधानमन्त्री थे। उन्होंने भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में सक्रिय रूप से हिस्सा लिया था और १९४२ के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान वे जेल भी गये। अप्रैल १९९७ में भारत के प्रधानमंत्री बनने से पहले उन्होंने केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल में विभिन्न पदों पर काम किया। वे संचार मन्त्री, संसदीय कार्य मन्त्री, सूचना प्रसारण मन्त्री, विदेश मन्त्री और आवास मन्त्री जैसे महत्वपूर्ण पदों पर रहे। राजनीति में आने से पहले उन्होंने कुछ समय तक बीबीसी की हिन्दी सेवा में एक पत्रकार के रूप में भी काम किया था। १९७५ में जिन दिनों वे इन्दिरा गान्धी सरकार में सूचना एवं प्रसारण मन्त्री थे उसी समय यह बात सामने आयी थी कि १९७१ के चुनाव में इन्दिरा गान्धी ने चुनाव जीतने के लिये असंवैधानिक तरीकों का इस्तेमाल किया है। इन्दिरा गान्धी के बेटे संजय गांधी ने उत्तर प्रदेश से ट्रकों में भरकर अपनी माँ के समर्थन में प्रदर्शन करने के लिये दिल्ली में लोग इकट्ठे किये और इन्द्र कुमार गुजराल से दूरदर्शन द्वारा उसका कवरेज करवाने को कहा। गुजराल ने इसे मानने से इन्कार कर दिया क्योंकि संजय गांधी को कोई सरकारी ओहदा प्राप्त नहीं था। बेशक वे प्रधानमन्त्री के पुत्र थे। इस कारण से उन्हें सूचना एवं प्रसारण मन्त्रालय से हटा दिया गया और विद्याचरण शुक्ल को यह पद सौंप दिया गया। लेकिन बाद में उन्हीं इन्दिरा गान्धी की सरकार में मास्को में राजदूत के तौर पर गुजराल ने १९८० में सोवियत संघ के द्वारा अफ़गानिस्तान में हस्तक्षेप का विरोध किया। उस समय भारतीय विदेश नीति में यह एक बहुत बड़ा बदलाव था। उस घटना के बाद ही आगे चलकर भारत ने सोवियत संघ द्वारा हंगरी और चेकोस्लोवाकिया में राजनीतिक हस्तक्षेप का विरोध किया। .

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इन्दौर

इन्दौर (अंग्रेजी:Indore) जनसंख्या की दृष्टि से भारत के मध्य प्रदेश राज्य का सबसे बड़ा शहर है। यह इन्दौर ज़िला और इंदौर संभाग दोनों के मुख्यालय के रूप में कार्य करता है। इंदौर मध्य प्रदेश राज्य की वाणिज्यिक राजधानी भी है। यह राज्य के शिक्षा हब के रूप में माना जाता है। इंदौर भारत का एकमात्र शहर है, जहाँ भारतीय प्रबन्धन संस्थान (IIM इंदौर) व भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT इंदौर) दोनों स्थापित हैं। मालवा पठार के दक्षिणी छोर पर स्थित इंदौर शहर, राज्य की राजधानी से १९० किमी पश्चिम में स्थित है। भारत की जनगणना,२०११ के अनुसार २१६७४४७ की आबादी सिर्फ ५३० वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में वितरित है। यह मध्यप्रदेश में सबसे अधिक घनी आबादी वाले प्रमुख शहर है। यह भारत में के तहत आता है। इंदौर मेट्रोपोलिटन एरिया (शहर व आसपास के इलाके) की आबादी राज्य में २१ लाख लोगों के साथ सबसे बड़ी है। इंदौर अपने स्थापना के इतिहास में १६वीं सदी क डेक्कन (दक्षिण) और दिल्ली के बीच एक व्यापारिक केंद्र के रूप में अपने निशान पाता है। मराठा पेशवा बाजीराव प्रथम के मालवा पर पूर्ण नियंत्रण ग्रहण करने के पश्चात, १८ मई १७२४ को इंदौर मराठा साम्राज्य में सम्मिलित हो गया था। और मल्हारराव होलकर को वहाँ का सुबेदार बनाया गया। जो आगे चल कर होलकर राजवंश की स्थापना की। ब्रिटिश राज के दिनों में, इन्दौर रियासत एक १९ गन सेल्यूट (स्थानीय स्तर पर २१) रियासत था जो की उस समय (एक दुर्लभ उच्च रैंक) थी। अंग्रेजी काल के दौरान में भी यह होलकर राजवंश द्वारा शासित रहा। भारत के स्वतंत्र होने के कुछ समय बाद यह भारत अधिराज्य में विलय कर दिया गया। इंदौर के रूप में सेवा की राजधानी मध्य भारत १९५० से १९५६ तक। इंदौर एक वित्तीय जिले के समान, मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी के रूप में कार्य करता है। और भारत का तीसरा सबसे पुराने शेयर बाजार, मध्यप्रदेश स्टॉक एक्सचेंज इंदौर में स्थित है। यहाँ का अचल संपत्ति (रीयल एस्टेट) बज़ार, मध्य भारत में सबसे महंगा है। यह एक औद्योगिक शहर है। यहाँ लगभग ५,००० से अधिक छोटे-बडे उद्योग हैं। यह सारे मध्य प्रदेश में सबसे अधिक वित्त पैदा करता है। पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में ४०० से अधिक उद्योग हैं और इनमे १०० से अधिक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के उद्योग हैं। पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र के प्रमुख उद्योग व्यावसायिक वाहन बनाने वाले व उनसे सम्बन्धित उद्योग हैं। व्यावसायिक क्षेत्र में मध्य प्रदेश की प्रमुख वितरण केन्द्र और व्यापार मंडीयाँ है। यहाँ मालवा क्षेत्र के किसान अपने उत्पादन को बेचने और औद्योगिक वर्ग से मिलने आते है। यहाँ के आस पास की ज़मीन कृषि-उत्पादन के लिये उत्तम है और इंदौर मध्य-भारत का गेहूँ, मूंगफली और सोयाबीन का प्रमुख उत्पादक है। यह शहर, आस-पास के शहरों के लिए प्रमुख खरीददारी का केन्द्र भी है। इन्दौर अपने नमकीनों व खान-पान के लिये भी जाना जाता है। प्र.म. नरेंद्र मोदी के स्मार्ट सिटी मिशन में १०० भारतीय शहरों को चयनित किया गया है जिनमें से इंदौर भी एक स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित किया जाएगा। स्मार्ट सिटी मिशन के पहले चरण के अंतर्गत बीस शहरों को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित किया जायेगा और इंदौर भी इस प्रथम चरण का हिस्सा है। 'स्वच्छ सर्वेक्षण २०१७' के परिणामों के अनुसार इन्दौर भारत का सबसे स्वच्छ नगर है। .

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इन्दौर रियासत

इन्दौर रियासत, जिसे होल्कर रियासत भी कहा जाता है, ब्रिटिश राज के दौरान भारत का एक मराठा रियासत था। उसके शासक होलकर राजवंश के थे और मध्य भारत एजेंसी के अधीन था। इन्दौर रियासत को 19 गन सैल्यूट (21 स्थानीय स्तर) प्राप्त था। इन्दौर रियासत, वर्तमान-भारतीय राज्य मध्य प्रदेश में स्थित था। रियासत की राजधानी इन्दौर शहर थी। रियासत का क्षेत्रफल 24,605 ​​किमी² था और 1931 में इसकी आबादी 1,325,089 थी; इन्दौर के अलावा अन्य महत्वपूर्ण शहरों में महेश्वर, रामपुरा, खरगोन, मेहदपुर, बड़वाह और भानपुर थे। यहाँ कुल 3,368 गांव भी थे। .

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इम्पीरियल गजेटियर आफ़ इण्डिया

'इम्पीरियल गजेटियर आफ़ इण्डिया' का आवरण चित्र, 1931, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस द्वारा जारी। द इम्पीरियल गजेटियर आफ़ इण्डिया (The Imperial Gazetteer of India, भारत का आनुभाविक भौगोलिक कोश) भारतीय ब्रितानी साम्राज्य द्वारा तैयार किया गया भौगोलिक कोश है जो वर्तमान में एक सन्दर्भ कार्य के रूप में काम में लिया जाता है। अंग्रेजी राज में 19वी शताब्दी के अंत और 20वीं शताब्दी के आरम्भिक दो दशकों में गजेटियर तैयार हुऐ थे। सन् 1881 में इम्पिरियल गजेटियर आॅफ इंडिया का प्रकाशन हुआ। इसकी रूपरेखा विलियम विल्सन हंटर ने सन् 1869 में ही आरम्भ कर दी थी। यह 9 वाल्यूम में प्रकाशित हुआ। इसका दूसरा संस्करण सन् 1885-87 में प्रकाशित हुआ, जिसमें 14 वाल्यूम थे। हंटर भारत में गजेटियर के जन्मदाता कहे जाते है। आपकी मृत्यु के बाद इंपीरियल गजेटियर आॅफ इंडिया का नया संस्करण 26 वाल्यूम में प्रकाशित हुआ। इसी के साथ प्रोविंस सीरिज (1908-1909) के 19 प्रोविंस गजेटियर्स तथा डिस्ट्रिक्ट सीरिज (1903-1914) के गजट भी प्रकाशित हुई। उसने ग्लासगो, पेरिस तथा बान में शिक्षा प्राप्त कर 1862 ई. में 'इंडियन सिविल सर्विस' (भारतीय प्रशासनिक सेवा) में प्रवेश किया और बंगाल में नियुक्त हुआ। उसमें धारा प्रवाह लिखने की अद्भुत शक्ति थी। हन्टर ने 'ग्रामीण बंगाल का क्रमानुसार इतिहास' लिखकर एक राजनेता के रूप में अच्छा नाम कमाया। चार साल बाद 'भारत की अनार्य भाषाओं का तुलनात्मक कोश' प्रकाशित करके अपने पांडित्य का भी परिचय दिया। भारत के सांख्यिकीय सर्वेक्षण का प्रबन्ध किया और 1875-1877 ई. में 'बंगाल का सांख्यिकीय विवरण' 20 खंडों में प्रकाशित किया। 'इम्पीरियल गजेटियर ऑफ़ इंडिया' भी 23 खंडों में तैयार कियाl .

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इम्पीरियल इकाईयाँ

इम्पीरियल इकाईयाँ (imperial units) ब्रिटेन में आरम्भ हुई एक मापन प्रणाली है जो समय के साथ-साथ उन सभी देशों में फैल गई थी जहाँ ब्रिटिश साम्राज्य का विस्तार था। इसकी इकाईयों में फ़ुट, मील, पाउंड और एकड़ शामिल हैं। इन्हें प्रयोग करने वाले अधिकांश देश इस प्रणाली को औपचारिक रूप से छोड़कर मीटरी पद्धति अपना चुके हैं, लेकिन अनौपचारिक रूप से इसकी इकाईयों का प्रयोग अभी भी जारी है। मसलन भारत का सरकारी लम्बाई नापने का माप मीटर व सेंटीमीटर है लेकिन लोकसंस्कृति में अभी भी लोगों का कद फ़ुटों व इन्चों में बताया जाता है।Acharya, Anil Kumar.

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इराम हत्याकांड

इराम ओडिशा में एक छोटा सा गांव है, यह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में  एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।  यह रक्त तीर्थ इराम  या भारत के दूसरे जलियांवाला बाग के रूप में जाना जाता है। .

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इलाहाबाद उच्च न्यायालय

इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का उच्च न्यायालय है। भारत में स्थापित सबसे पुराने उच्च न्यायालयों में से एक है। यह १८६९ से कार्य कर रहा है। .

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इल्बर्ट विधेयक

इल्बर्ट विधेयक (Ilbert Bill) भारत में सन् १८८३ में ब्रिटिश राज के दौरान वाइसराय रिपन द्वारा सुझाया गया एक कानून था जिसके अंतर्गत ज़िले-स्तर के भारतीय न्यायाधीशों को ब्रिटिश मुल्ज़िमों पर न्यायिक आदेश जारी करने का अधिकार दिया जाना था। उस समय से पहले भारतीयों को ब्रिटिश अपराधियों से सम्बंधित मुक़द्दमे सुनने का हक़ नहीं था। इस विधेयक का नाम कोर्टनी इल्बेर्ट (Courtenay Ilbert) पर रखा गया जो वाइसराय की भारत परिषद् के क़ानूनी सलाहकार थे।, Karuna Mantena, pp.

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इस्तोर-ओ-नल

इस्तोर-ओ-नल या इस्तोरो नल (Istor-o-Nal) हिन्दु कुश पर्वत शृंखला का तीसरा सबसे ऊँचा पहाड़ है और दुनिया का ६८वाँ सबसे ऊंचा पहाड़ है। ७,४०३ मीटर (२४,२८८ फ़ुट) ऊँचा यह पर्वत प्रशासनिक रूप से पाकिस्तान के ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रान्त के चित्राल ज़िले में पड़ता है। यह हिन्दु कुश के सबसे ऊंचे पहाड़ तिरिच मीर से कुछ की किलोमीटर उत्तर-पूर्व में स्थित है और इन दोनों पहाड़ों के बीच में तिरिच हिमानी (ग्लेशियर) चलता है। बहुत से स्थानों से इस्तोर-ओ-नल तिरिच मीर की ज़्यादा ऊंची चोटी के पीछे छिपा होता है इसलिए कम विख्यात है। .

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इस्मत चुग़ताई

इस्मत चुग़ताई (عصمت چغتائی) (जन्म: 15 अगस्त 1915-निधन: 24 अक्टूबर 1991) भारत से उर्दू की एक लेखिका थीं। उन्हें ‘इस्मत आपा’ के नाम से भी जाना जाता है। वे उर्दू साहित्य की सर्वाधिक विवादास्पद और सर्वप्रमुख लेखिका थीं, जिन्होंने महिलाओं के सवालों को नए सिरे से उठाया। उन्होंने निम्न मध्यवर्गीय मुस्लिम तबक़ें की दबी-कुचली सकुचाई और कुम्हलाई लेकिन जवान होती लड़कियों की मनोदशा को उर्दू कहानियों व उपन्यासों में पूरी सच्चाई से बयान किया है। .

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इस्लाम की आलोचना

इस्लाम की आलोचना उसके उद्भव के शुरुआती चरणों से ही अस्तित्व में है। सबसे पहले सन् 1000 ई में भी पहले ईसाइयों के द्वारा इसकी आलोचना शुरू हुई। वो इस्लाम को इसाईयत का एक परिवर्तित रूप या नया सम्प्रदाय के रूप में मानते थे। बाद में इस्लामी दुनिया से भी आलोचना के स्वर निकलने लगे और साथ ही साथ यहूदी लेखक और चर्च से जुड़े इसाई इसकी आलोचना करते पाये गये।De Haeresibus by John of Damascus.

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इंतिज़ार हुसैन

इंतिज़ार हुसैन (7 दिसंबर,1923 - 2 फरवरी,2016) उर्दू के एक उपन्यासकार, कहानीकार और आलोचक थे। फ़्रांस की हुकूमत ने उनको सितंबर 2014 में ऑफीसर आफ़ दी आर्डर आफ़ आर्टस ऐंड लेटर्ज़ अता किया। इंतिज़ार हुसैन का इंतिक़ाल 2 फरवरी 2016 को 92 साल की उम्र में लाहौर के एक हस्पताल में हुआ। .

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इंदौर जंक्शन बीजी रेलवे स्टेशन

इंदौर जंक्शन बीजी रेलवे स्टेशन भारतीय रेल का एक रेलवे स्टेशन है। यह इंदौर शहर में स्थित है। इसकी ऊंचाई 552 मी.

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इंपीरियल इंडियन मेल

इंपीरियल इंडियन मेल (या ओवरलैंड मेल), ब्रिटिश राज के दौरान बंबई से कलकत्ता के मध्य संचालित होने वाली एक प्रमुख रेलगाड़ी थी। .

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कन्हाई लाल दत्त

कन्हाई लाल दत्त (बांग्ला: কানাইলাল দত্ত; 30 अगस्त 1888 – 10 नवम्बर 1908) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक क्रान्तिकारी थे। वे युगान्तर से सम्बद्ध थे। उनका जन्म पश्चिम बंगाल के चन्दननगर में हुआ था। .

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कपूर परिवार

कपूर परिवार एक प्रसिद्ध भारतीय परिवार है, इस परिवार के लोग ज्यादातर सिनेमा,अभिनेता,फ़िल्म निर्देशक और फ़िल्म निर्माता है। इस परिवार की कई पीढियों ने हिन्दी फ़िल्मों के विकास में बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इस परिवार ने हिन्दी सिनेमा और बॉलीवुड में बहुत सम्मान और लोकप्रियता हासिल की है। यह ख़ानदान मुख्यतः पंजाबी-हिन्दू है। .

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कमल चौधरी

कमल चौधरी (जन्म 3 जुलाई 1947) भारतीय राजनीतिज्ञ हैं। वो होशियारपुर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से 1984, 1989, 1992 और 1998 में भारतीय संसद के निम्न सदन लोकसभा के सदस्य रहे हैं। .

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कमल नाथ

कमल नाथ (जन्म 18 नवम्बर 1946) एक भारतीय राजनीतिज्ञ और पूर्व शहरी विकास मंत्री है । वह था के रूप में नियुक्त प्रो मंदिर के अध्यक्ष वर्तमान में 16 वीं लोकसभा के भारत और सबसे लंबे समय तक सेवारत सदस्य हैं भारतीय संसद.

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कमल कपूर

कमल कपूर (पंजाबी: ਕਮਲ ਕਪੂਰ) एक भारतीय बॉलीवुड अभिनेता थे जिन्होंने लगभग 600 हिन्दी, पंजाबी और गुजराती फ़िल्मों मे काम किया था। .

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कमला सुरय्या

कमला सुरय्या पूर्व नाम कमला दास (अँग्रेजी: Kamala Surayya, मलयालम: കമല സുറയ്യ, 31 मार्च 1934- 31 मई 2009) अँग्रेजी वो मलयालम भाषा की भारतीय लेखिका थीं। वे मलयालम भाषा में माधवी कुटटी के नाम से लिखती थीं। उन्हें उनकी आत्मकथा ‘माई स्टोरी’ से अत्यधिक प्रसिद्धि मिली। .

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कम्मा (जाति)

कम्मा కమ్మ या कम्मावारु एक सामाजिक समुदाय है जो ज्यादातर दक्षिण भारतीय राज्यों आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक में पाया जाता है। वर्ष 1881 में कम्मा जाति की जनसंख्या 795,732 थी। 1921 की जनगणना के अनुसार आंध्रप्रदेश की जनसंख्या में उनका हिस्सा 4.0% का था और तमिलनाडु एवं कर्नाटक में वे एक बड़ी संख्या में मौजूद थे। पिछली सदी के अंतिम दशकों में इनकी एक बड़ी तादाद दुनिया के अन्य हिस्सों विशेषकर अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया में प्रवासित हो गयी। .

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करणी सिंह

महाराजा करणी सिंह (21 अप्रैल 1924 - 6 सितंबर 1988) भी डॉ.

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करम सिंह

लांस नायक करम सिंह (बाद में सूबेदार एवं मानद कैप्टन) (15 सितम्बर 1915 - 20 जनवरी 1993), परमवीर चक्र प्राप्त करने वाले प्रथम जीवित भारतीय सैनिक थे। श्री सिंह 1941 में सेना में शामिल हुए थे और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बर्मा की ओर से भाग लिया था जिसमे उल्लेखनीय योगदान के कारण उन्हें ब्रिटिश भारत द्वारा मिलिट्री मैडल (एमएम) दिया गया। उन्होंने भारत-पाकिस्तान युद्ध 1947 में भी लड़ा था जिसमे टिथवाल के दक्षिण में स्थित रीछमार गली में एक अग्रेषित्त पोस्ट को बचाने में उनकी सराहनीय भूमिका के लिए सन 1948 में परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। वह 1947 में आजादी के बाद पहली बार भारतीय ध्वज को उठाने के लिए चुने गए पांच सैनिकों में से एक थे। सिंह बाद में सूबेदार के पद पर पहुंचे और सितंबर 1969 में उनकी सेवानिवृत्ति से पहले उन्हें मानद कैप्टन का दर्जा मिला। .

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करुणानिधि

मुत्तुवेल करुणानिधि (மு. கருணாநிதி.) (जन्म 3 जून 1924) एक भारतीय राजनेता और तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री हैं। वे तमिलनाडु राज्य के एक द्रविड़ राजनीतिक दल द्रविड़ मुन्नेत्र कज़गम (डीएमके) के प्रमुख हैं। वे 1969 में डीएमके के संस्थापक सी. एन. अन्नादुरई की मौत के बाद से इसके नेता हैं और पांच बार (1969–71, 1971–76, 1989–91, 1996–2001 और 2006–2011) मुख्यमंत्री रह चुके हैं। उन्होंने अपने 60 साल के राजनीतिक करियर में अपनी भागीदारी वाले हर चुनाव में अपनी सीट जीतने का रिकॉर्ड बनाया है। 2004 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने तमिलनाडु और पुदुचेरी में डीएमके के नेतृत्व वाली डीपीए (यूपीए और वामपंथी दल) का नेतृत्व किया और लोकसभा की सभी 40 सीटों को जीत लिया। इसके बाद 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने डीएमके द्वारा जीती गयी सीटों की संख्या को 16 से बढ़ाकर 18 कर दिया और तमिलनाडु और पुदुचेरी में यूपीए का नेतृत्व कर बहुत छोटे गठबंधन के बावजूद 28 सीटों पर विजय प्राप्त की। वे तमिल सिनेमा जगत के एक नाटककार और पटकथा लेखक भी हैं। उनके समर्थक उन्हें कलाईनार (கலைஞர்., "कला का विद्वान") कहकर बुलाते हैं। .

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कर्तार सिंह सराभा

कर्तार सिंह सराभा (जन्म: २४ मई १८९६ - फांसी: १६ नवम्बर १९१५) भारत को अंग्रेजों की दासता से मुक्त करने के लिये अमेरिका में बनी गदर पार्टी के अध्यक्ष थे। भारत में एक बड़ी क्रान्ति की योजना के सिलसिले में उन्हें अंग्रेजी सरकार ने कई अन्य लोगों के साथ फांसी दे दी। १६ नवम्बर १९१५ को कर्तार को जब फांसी पर चढ़ाया गया, तब वे मात्र साढ़े उन्नीस वर्ष के थे। प्रसिद्ध क्रांतिकारी भगत सिंह उन्हें अपना आदर्श मानते थे। .

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कलात

कलात (उर्दू: قلات‎), बलोची: Kalát,قلات) पाकिस्तान के बलुचिस्तान प्रान्त के कलात जिले में स्थित एक ऐतिहासिक नगर एवं मुख्यालय है। इस नगर पर अंग्रेजों ने १९३९ ई. में अपना अधिकार जमाया था। यह पहले ब्रिटिश भारत का और इसके उपरान्त पाकिस्तान का एक स्वतंत्र राज्य था, जो १२ अप्रैल, १९५२ ई. से बलूचिस्तान के अन्य स्वतंत्र राज्य, लास बेला, खुरान और मकरान के साथ पाकिस्तान में सम्मिलित कर लिया गया। १९४७ ई. में पाकिस्तान के निर्माण के उपरान्त भी कलात एक स्वतंत्र राज्य था और बलूचिस्तान के उपर्युक्त तीनों स्वतंत्र राज्यों पर भी सामान्यत: कलात का ख़ान ही राज्य करता था। पाकिस्तान में सम्मिलित होने पर एक आज्ञा द्वारा पाकिस्तान सरकार ने कलात के वर्तमान खान को, अपने अंतिम समय तक के लिए, उपर्युक्त राज्यों के अध्यक्ष पद पर रहने की स्वीकृति दे दी है। उसके बाद अध्यक्ष का चुनाव शासकों की एक सभा द्वारा हुआ करेगा। कलात है जो क्वेटा से १३५ किमी दक्षिण में समुद्रतल से ६,७८० फुट की ऊँचाई पर स्थित है। यह नगर दीवारों से घिरा है, परंतु अब इनके बाहर भी आबादी का विस्तार हो गया है। कलात के खान का राजभवन एक दर्शनीय गढ़ के भीतर स्थित है, परंतु नगर के अधिकांश गृह मिट्टी द्वारा निर्मित हैं। उपर्युक्त गढ़ के चारों ओर स्थित घाटियाँ घनी बसी हैं जिनमें ऊँचाई की अधिकता तथा तापक्रम की विषमता होते हुए भी खेती खूब होती है। यह नगर कुज़दर, गंडावा, नुश्की, क्वेटा और अन्य नगरों को जानेवाले यात्रीमार्गो का केंद्र है। श्रेणी:पाकिस्तान के शहर श्रेणी:बलोचिस्तान, पाकिस्तान के आबाद स्थान श्रेणी:कलात ज़िला.

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कलात ख़ानत

कलात ख़ानत (बलोच: خانیت قلات, अंग्रेज़ी: Khanate of Kalat) ब्रिटिश राज के काल में एक रियासत थी जो सन् १६६६ से १४ अक्तूबर १९५५ तक अस्तित्व में रही। भारत व पाकिस्तान की स्वतंत्रता के बाद यह अगस्त १९४७ से लेकर मार्च १९४८ तक एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में था, जिसके बाद इसका पाकिस्तान में विलय कर दिया गया। कलात शहर इस राज्य की राजधानी थी। इसके शासक की उपाधि ख़ान थी इसलिये इस रियासत को औपचारिक रूप से ख़ानत कहा जाता था।"Baluchistan" Imperial Gazetteer of India Vol.

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कल्पना दत्त

यह प्रसिद्ध भारतीय महिला क्रान्तिकारी थी जिन्होंने अंग्रेजी सरकार को भारत से मिटाने के लिए हिंसात्मक गतिविधियों का मार्ग अपनाया था। श्रेणी:हिन्द की बेटियाँ श्रेणी:विकिपरियोजना हिन्द की बेटियाँ दत्त, कल्पना श्रेणी:1913 में जन्मे लोग श्रेणी:१९९५ में निधन.

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कादम्बिनी गांगुली

कादम्बिनी गांगुली (जन्म- 18 जुलाई, 1861, भागलपुर, बिहार; मृत्यु- 3 अक्टूबर, 1923, कलकत्ता, ब्रिटिश भारत) भारत की पहली महिला स्नातक और पहली महिला फ़िजीशियन थीं। यही नहीं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में सबसे पहले भाषण देने वाली महिला का गौरव भी कादम्बिनी गांगुली को ही प्राप्त है। कादम्बिनी गांगुली पहली दक्षिण एशियाई महिला थीं, जिन्होंने यूरोपियन मेडिसिन में प्रशिक्षण लिया था। इन्होंने कोयला खदानों में काम करने वाली महिलाओं की लचर स्थिति पर भी काफ़ी कार्य किया। बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय की रचनाओं से कादम्बिनी बहुत प्रभावित थीं। उनमें देशभक्ति की भावना बंकिमचन्द्र की रचनाओं से ही जागृत हुई थी। .

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कादर ख़ान

कादर ख़ान एक हिन्दी फ़िल्म हास्य अभिनेता होने के साथ साथ एक फ़िल्म निर्देशक भी हैं। उन्होंने अबतक 300 से अधिक फ़िल्मो में काम किया है। उनकी पहली फ़िल्म दाग (1973) थी जिसमे उन्होंने अभियोगपक्ष के वकील की भूमिका निभाई थी। उन्होंने स्नातक की पढ़ाई इस्माइल यूसुफ कॉलेज से की पूरी की। उन्होंने एक शिक्षक के रूप में भी कार्य किया। .

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कालिंजर दुर्ग

कालिंजर, उत्तर प्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र के बांदा जिले में कलिंजर नगरी में स्थित एक पौराणिक सन्दर्भ वाला, ऐतिहासिक दुर्ग है जो इतिहास में सामरिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण रहा है। यह विश्व धरोहर स्थल प्राचीन मन्दिर नगरी-खजुराहो के निकट ही स्थित है। कलिंजर नगरी का मुख्य महत्त्व विन्ध्य पर्वतमाला के पूर्वी छोर पर इसी नाम के पर्वत पर स्थित इसी नाम के दुर्ग के कारण भी है। यहाँ का दुर्ग भारत के सबसे विशाल और अपराजेय किलों में एक माना जाता है। इस पर्वत को हिन्दू धर्म के लोग अत्यंत पवित्र मानते हैं, व भगवान शिव के भक्त यहाँ के मन्दिर में बड़ी संख्या में आते हैं। प्राचीन काल में यह जेजाकभुक्ति (जयशक्ति चन्देल) साम्राज्य के अधीन था। इसके बाद यह दुर्ग यहाँ के कई राजवंशों जैसे चन्देल राजपूतों के अधीन १०वीं शताब्दी तक, तदोपरांत रीवा के सोलंकियों के अधीन रहा। इन राजाओं के शासनकाल में कालिंजर पर महमूद गजनवी, कुतुबुद्दीन ऐबक, शेर शाह सूरी और हुमांयू जैसे प्रसिद्ध आक्रांताओं ने आक्रमण किए लेकिन इस पर विजय पाने में असफल रहे। अनेक प्रयासों के बाद भी आरम्भिक मुगल बादशाह भी कालिंजर के किले को जीत नहीं पाए। अन्तत: मुगल बादशाह अकबर ने इसे जीता व मुगलों से होते हुए यह राजा छत्रसाल के हाथों अन्ततः अंग्रेज़ों के अधीन आ गया। इस दुर्ग में कई प्राचीन मन्दिर हैं, जिनमें से कई तो गुप्त वंश के तृतीय -५वीं शताब्दी तक के ज्ञात हुए हैं। यहाँ शिल्पकला के बहुत से अद्भुत उदाहरण हैं। .

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काली नदी, उत्तराखण्ड

काली नदी, जिसे महाकाली, कालीगंगा या शारदा के नाम से भी जाना जाता है, भारत के उत्तराखण्ड राज्य में बहने वाली एक नदी है। इस नदी का उद्गम स्थान वृहद्तर हिमालय में ३,६०० मीटर की ऊँचाई पर स्थित कालापानी नामक स्थान पर है, जो उत्तराखण्ड राज्य के पिथौरागढ़ जिले में है। इस नदी का नाम काली माता के नाम पर पड़ा जिनका मंदिर कालापानी में लिपु-लीख दर्रे के निकट भारत और तिब्बत की सीमा पर स्थित है। अपने उपरी मार्ग पर यह नदी नेपाल के साथ भारत की निरंतर पूर्वी सीमा बनाती है, जहां इसे महाकाली कहा जाता है। यह नदी उत्तराखण्ड और उत्तर प्रदेश के मैदानी क्षेत्रों में पहुँचने पर शारदा नदी के नाम से भी जानी जाती है। काली नदी का झुकाव क्षेत्र लगभग १५,२६० वर्ग किलोमीटर है, जिसका एक बड़ा हिस्सा (लगभग ९,९४३ वर्ग किमी) उत्तराखण्ड में है, और शेष नेपाल में है। काली नदी उत्तराखण्ड राज्य की चार प्रमुख नदियों में एक है, और इस कारण इसे उत्तराखण्ड के राज्य-चिह्न पर भी दर्शाया गया है।यह नदी कालापानी में ३,६०० मीटर से उतरकर २०० मीटर ऊँचे तराई मैदानों में प्रवेश करती है, और इस कारण यह जल विद्युत उत्पादन के लिए अपार संभावना उपलब्ध कराती है। भारतीय नदियों को इंटर-लिंक करने की परियोजना के हिमालयी घटक में कई परियोजनाओं के लिए इस नदी को भी स्रोत के रूप में प्रस्तावित किया गया है। सरयू नदी काली की सबसे बड़ी सहायक नदी है। कूटी, धौलीगंगा, गोरी, चमेलिया, रामगुण, लढ़िया अन्य प्रमुख सहायक नदियां हैं। तवाघाट, धारचूला, जौलजीबी, झूलाघाट, पंचेश्वर, टनकपुर, बनबसा तथा महेन्द्रनगर इत्यादि नदी के तट पर बसे प्रमुख नगर हैं। .

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कालीप्रसन्न सिंह

कालीप्रसन्न सिंह (23 फरवरी 1841 – 24 जुलाई 1870) एक बंगाली साहित्यकार थे। उन्होने महाभारत का बांग्ला में अनुवाद किया। वे एक मानवतावादी व्यक्ति थे जिन्होने विपत्तिग्रस्त अनेकों लोगों एवं आन्दोलनों की सहायता की। श्रेणी:बांग्ला साहित्यकार.

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काशीपुर का इतिहास

काशीपुर, भारत के उत्तराखण्ड राज्य के उधम सिंह नगर जनपद का एक महत्वपूर्ण पौराणिक एवं औद्योगिक शहर है। .

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काशीपुर, उत्तराखण्ड

काशीपुर भारत के उत्तराखण्ड राज्य के उधम सिंह नगर जनपद का एक महत्वपूर्ण पौराणिक एवं औद्योगिक शहर है। उधम सिंह नगर जनपद के पश्चिमी भाग में स्थित काशीपुर जनसंख्या के मामले में कुमाऊँ का तीसरा और उत्तराखण्ड का छठा सबसे बड़ा नगर है। भारत की २०११ की जनगणना के अनुसार काशीपुर नगर की जनसंख्या १,२१,६२३, जबकि काशीपुर तहसील की जनसंख्या २,८३,१३६ है। यह नगर भारत की राजधानी, नई दिल्ली से लगभग २४० किलोमीटर, और उत्तराखण्ड की अंतरिम राजधानी, देहरादून से लगभग २०० किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। काशीपुर को पुरातन काल से गोविषाण या उज्जयनी नगरी भी कहा जाता रहा है, और हर्ष के शासनकाल से पहले यह नगर कुनिन्दा, कुषाण, यादव, और गुप्त समेत कई राजवंशों के अधीन रहा है। इस जगह का नाम काशीपुर, चन्दवंशीय राजा देवी चन्द के एक पदाधिकारी काशीनाथ अधिकारी के नाम पर पड़ा, जिन्होंने इसे १६-१७ वीं शताब्दी में बसाया था। १८ वीं शताब्दी तक यह नगर कुमाऊँ राज्य में रहा, और फिर यह नन्द राम द्वारा स्थापित काशीपुर राज्य की राजधानी बन गया। १८०१ में यह नगर ब्रिटिश शासन के अंतर्गत आया, जिसके बाद इसने १८१४ के आंग्ल-गोरखा युद्ध में कुमाऊँ पर अंग्रेजों के कब्जे में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। काशीपुर को बाद में कुमाऊँ मण्डल के तराई जिले का मुख्यालय बना दिया गया। ऐतिहासिक रूप से, इस क्षेत्र की अर्थव्यस्था कृषि तथा बहुत छोटे पैमाने पर लघु औद्योगिक गतिविधियों पर आधारित रही है। काशीपुर को कपड़े और धातु के बर्तनों का ऐतिहासिक व्यापार केंद्र भी माना जाता है। आजादी से पहले काशीपुर नगर में जापान से मखमल, चीन से रेशम व इंग्लैंड के मैनचेस्टर से सूती कपड़े आते थे, जिनका तिब्बत व पर्वतीय क्षेत्रों में व्यापार होता था। बाद में प्रशासनिक प्रोत्साहन और समर्थन के साथ काशीपुर शहर के आसपास तेजी से औद्योगिक विकास हुआ। वर्तमान में नगर के एस्कॉर्ट्स फार्म क्षेत्र में छोटी और मझोली औद्योगिक इकाइयों के लिए एक इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रियल एस्टेट निर्माणाधीन है। भौगोलिक रूप से काशीपुर कुमाऊँ के तराई क्षेत्र में स्थित है, जो पश्चिम में जसपुर तक तथा पूर्व में खटीमा तक फैला है। कोशी और रामगंगा नदियों के अपवाह क्षेत्र में स्थित काशीपुर ढेला नदी के तट पर बसा हुआ है। १८७२ में काशीपुर नगरपालिका की स्थापना हुई, और २०११ में इसे उच्चीकृत कर नगर निगम का दर्जा दिया गया। यह नगर अपने वार्षिक चैती मेले के लिए प्रसिद्ध है। महिषासुर मर्दिनी देवी, मोटेश्वर महादेव तथा मां बालासुन्दरी के मन्दिर, उज्जैन किला, द्रोण सागर, गिरिताल, तुमरिया बाँध तथा गुरुद्वारा श्री ननकाना साहिब काशीपुर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हैं। .

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काजी जफर अहमद

मौदूद अहमद, एक बांग्लादेशी राजनेता थे, एवं 12 अगस्त 1989 से 6 दिसंबर 1990 के बीच वे, बांग्लादेश के प्रधानमंत्री थे। .

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काइज़र

काइज़र (Kaiser) जर्मन भाषा में सम्राट के लिये शब्द है। रूसी भाषा व अन्य स्लावी भाषाओं के त्सार शब्द की तरह यह भी लातिन भाषा के "सीज़र" शब्द से लिया गया है। ब्रिटिश राज के दौरान भारत पर राज करने वाले अंग्रेज़ शासक भी स्वयं को "केसर-ए-हिन्द" की उपाधि देते थे, लेकिन ध्यान दें कि जर्मन का "काइज़र" उच्चारण हिन्दी के "कैसर" उच्चारण से अलग है। .

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काकोरी (बहुविकल्पी)

* काकोरी, भारतवर्ष का एक ऐतिहासिक शहर।.

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काकोरी (मंगल ग्रह)

काकोरी (मंगल ग्रह) पृथ्वी से करोड़ों मील दूर मंगल ग्रह पर स्थित एक क्रेटर का नाम है। इसका व्यास 29.7 किलोमीटर है और यह मंगल ग्रह के अक्षांश 41.8 व देशांतर 29.9 पर स्थित है। सन् 1976 में इसका नामकरण भारत के एक ऐतिहासिक शहर काकोरी के नाम पर किया गया था। .

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काकोरी काण्ड

काकोरी-काण्ड के क्रान्तिकारी सबसे ऊपर या प्रमुख बिस्मिल थे राम प्रसाद 'बिस्मिल' एवं अशफाक उल्ला खाँ नीचे ग्रुप फोटो में क्रमश: 1.योगेशचन्द्र चटर्जी, 2.प्रेमकृष्ण खन्ना, 3.मुकुन्दी लाल, 4.विष्णुशरण दुब्लिश, 5.सुरेशचन्द्र भट्टाचार्य, 6.रामकृष्ण खत्री, 7.मन्मथनाथ गुप्त, 8.राजकुमार सिन्हा, 9.ठाकुर रोशानसिंह, 10.पं० रामप्रसाद 'बिस्मिल', 11.राजेन्द्रनाथ लाहिडी, 12.गोविन्दचरण कार, 13.रामदुलारे त्रिवेदी, 14.रामनाथ पाण्डेय, 15.शचीन्द्रनाथ सान्याल, 16.भूपेन्द्रनाथ सान्याल, 17.प्रणवेशकुमार चटर्जी काकोरी काण्ड (अंग्रेजी: Kakori conspiracy) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के क्रान्तिकारियों द्वारा ब्रिटिश राज के विरुद्ध भयंकर युद्ध छेड़ने की खतरनाक मंशा से हथियार खरीदने के लिये ब्रिटिश सरकार का ही खजाना लूट लेने की एक ऐतिहासिक घटना थी जो ९ अगस्त १९२५ को घटी। इस ट्रेन डकैती में जर्मनी के बने चार माउज़र पिस्तौल काम में लाये गये थे। इन पिस्तौलों की विशेषता यह थी कि इनमें बट के पीछे लकड़ी का बना एक और कुन्दा लगाकर रायफल की तरह उपयोग किया जा सकता था। हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के केवल दस सदस्यों ने इस पूरी घटना को अंजाम दिया था। क्रान्तिकारियों द्वारा चलाए जा रहे आजादी के आन्दोलन को गति देने के लिये धन की तत्काल व्यवस्था की जरूरत के मद्देनजर शाहजहाँपुर में हुई बैठक के दौरान राम प्रसाद बिस्मिल ने अंग्रेजी सरकार का खजाना लूटने की योजना बनायी थी। इस योजनानुसार दल के ही एक प्रमुख सदस्य राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी ने ९ अगस्त १९२५ को लखनऊ जिले के काकोरी रेलवे स्टेशन से छूटी "आठ डाउन सहारनपुर-लखनऊ पैसेन्जर ट्रेन" को चेन खींच कर रोका और क्रान्तिकारी पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में अशफाक उल्ला खाँ, पण्डित चन्द्रशेखर आज़ाद व ६ अन्य सहयोगियों की मदद से समूची ट्रेन पर धावा बोलते हुए सरकारी खजाना लूट लिया। बाद में अंग्रेजी हुकूमत ने उनकी पार्टी हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के कुल ४० क्रान्तिकारियों पर सम्राट के विरुद्ध सशस्त्र युद्ध छेड़ने, सरकारी खजाना लूटने व मुसाफिरों की हत्या करने का मुकदमा चलाया जिसमें राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी, पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खाँ तथा ठाकुर रोशन सिंह को मृत्यु-दण्ड (फाँसी की सजा) सुनायी गयी। इस मुकदमें में १६ अन्य क्रान्तिकारियों को कम से कम ४ वर्ष की सजा से लेकर अधिकतम काला पानी (आजीवन कारावास) तक का दण्ड दिया गया था। .

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किशन पटनायक

किशन पटनायक (30 जुन 1930 – 27 सितंबर 2004) भारत के प्रखर समाजवादी चिन्तक, लेखक एवं राजनेता थे। वह राममनोहर लोहिया के शिष्य थे और उन्होंने समाजवादी जन परिषद की स्थापना की थी। वो सामयिक वार्ता के संपादक भी रहे। .

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किशोर कुमार

किशोर कुमार (जन्म: 4 अगस्त, 1929 खंडवा मध्यप्रदेश निधन: 13 अक्टूबर, 1987) भारतीय सिनेमा के मशहूर पार्श्वगायक समुदाय में से एक रहे हैं। वे एक अच्छे अभिनेता के रूप में भी जाने जाते हैं। हिन्दी फ़िल्म उद्योग में उन्होंने बंगाली, हिंदी, मराठी, असमी, गुजराती, कन्नड़, भोजपुरी, मलयालम, उड़िया और उर्दू सहित कई भारतीय भाषाओं में गाया था। उन्होंने सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक के लिए 8 फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार जीते और उस श्रेणी में सबसे ज्यादा फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार जीतने का रिकॉर्ड बनाया है। उसी साल उन्हें मध्यप्रदेश सरकार द्वारा लता मंगेशकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उस वर्ष के बाद से मध्यप्रदेश सरकार ने "किशोर कुमार पुरस्कार"(एक नया पुरस्कार) हिंदी सिनेमा में योगदान के लिए चालु कर दिया था। .

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कंपनी राज

कंपनी राज का अर्थ है ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी द्वारा भारत पर शासन। यह 1773 में शुरू किया है, जब कंपनी कोलकाता में एक राजधानी की स्थापना की है, अपनी पहली गवर्नर जनरल वार्रन हास्टिंग्स नियुक्त किया और संधि का एक परिणाम के रूप में बक्सर का युद्ध के बाद सीधे प्रशासन, में शामिल हो गया है लिया जाता है1765 में, जब बंगाल के नवाब कंपनी से हार गया था, और दीवानी प्रदान की गई थी, या बंगाल और बिहार में राजस्व एकत्रित करने का अधिकार हैशा सन १८५८ से,१८५७ जब तक चला और फलस्वरूप भारत सरकार के अधिनियम १८५८ के भारतीय विद्रोह के बाद, ब्रिटिश सरकार सीधे नए ब्रिटिश राज में भारत के प्रशासन के कार्य ग्रहण किया। .

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कुँवर मोहिंदर सिंह बेदी 'सहर'

कुंवर मोहिंदर सिंह बेदी सहर (उर्दू کنور مہیندرا سنگھ بیدی سحر, तखल्लुस: सहर) एक भारतीय उर्दू शायर थे। वे दिल्ली में प्रशासनिक सेवा के आला अफसर थे और मुशायरों के सिद्धहस्त शायर माने जाते थे। .

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कुमकुम (अभिनेत्री)

कुमकुम (जन्मनाम: ज़ैबुनिस्सा) हिन्दी व भोजपुरी फिल्मो की एक अभिनेत्री है। अपने सफर के दौरान उन्होनें 100 से अधिक फिल्मों में काम किया, जिसमे उस दौर के प्रमुख अभिनेता भी शामिल थे। उन्होने इतिहास की पहली भोजपुरी फिल्म "गंगा मैया तोहे पियारी चढाईबो" (1963) में भी अभिनय किया था। .

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कुलदीप सिंह चांदपुरी

ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह MVC, वीएसएम (जन्म 22 नवंबर 1940) भारतीय सेना में एक सेवानिवृत्त अधिकारी है। उन्होंने लोंगावाला के प्रसिद्ध लड़ाई भारतीय सेना का वीरता के साथ नेतृत्व किया जिसके लिए उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया। बाॅलिवुड की फिल्म 'बाॅर्डर' लोंगावाला के युद्ध पर आधारित है। इसमें ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह जी का किरदार सन्नी देओल ने निभाया था। .

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कुशवाहा (कोइरी ) बिहार

कुशवाहा (कोइरी) एक उत्तर भारतीय जाति है। यह भारतीय समाज की की सबसे प्राचीन वैदिक क्षेत्रीय कृषक जाति भी मानी जाती है। इसका निवास क्षेत्र बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखण्ड मध्यप्रदेश और झारखण्ड है। इस जाति का कई स्वतंत्र राज्यों व रियासतों पर शासन रहा हैं । कोईरी,काछी,मुराव और कछवाहा राजपूत जो राजपूत जाति में आते है राम के पुत्र कुश का वंशज मानते हैं जिनके अंदर ब्रिटिश काल में चार उपजातियां कोइरी,काछी, मुराव,कछवाहा को शामिल किया गया था। उसी समय इन चारो उपजाति ने एक उपनाम कुशवाहा पर जोर दिया लेकिन कालांतर में कछवाहा से इनकी दूरी बढ़ गयी क्योकि कछवाहा राजपूत का हिस्सा थे जबकि कुशवाहा एक जाति के रूप में थी। कोइली गणराज्य कोइरियो का था जो कुश्वंशी क्षत्रिय थे। इसके प्रमाणस्वरूप कुशवाहा क्षत्रिय उत्त्पत्ति मीमांसा जैसे ग्रंथो के अतिरिक्त इतिहासकार गंगा प्रसाद गुप्ता,जेम्स कर्नल टाड के आलावा कई आर्य समाजी विद्वानों के पाठ उपलब्ध हैं। .

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क्रान्तिकारी (घोषणा पत्र)

क्रान्तिकारी (घोषणा पत्र) हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन द्वारा ब्रिटिश राज में १ जनवरी १९२५ को मूलत: अंग्रेजी में दि रिवोल्यूशनरी के नाम से प्रकाशित किया गया था। भारत की क्रान्तिकारी पार्टी का यह घोषणा पत्र काकोरी काण्ड में एक दस्तावेज़ के रूप में ख़ुफ़िया पुलिस द्वारा अदालत में पेश किया गया था। इसकी भाषा इतनी खतरनाक थी कि इसे पढ़ते ही ब्रिटिश साम्राज्य का सिंहासन की चूलें लन्दन तक में हिल उठीं थीं। इसका अविकल हिन्दी काव्यानुवाद सन् २००६ में प्रकाशित हुआ था। क्रान्तिकारी के नाम से प्रकाशित ४ पृष्ठ के इस घोषणा पत्र पर शीर्षक के दोनों ओर इसके ध्येय वाक्य इस प्रकार लिखे हुए थे - "चाहें छोटा हो या बड़ा, गरीब हो या अमीर, प्रत्येक को मुफ्त न्याय और समान अवसर मिलेगा।" घोषणा पत्र के प्रारम्भ में ही लिखा गया था- "प्रत्येक सच्चे भारतीय को चाहिये कि वह इसे पूरा पढ़े और अपने आत्मीय व इष्ट-मित्रों तक पहुँचाये।" घोषणा पत्र के अन्त में भारतीय प्रजातन्त्र संघ (हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन) के अध्यक्ष के रूप में विजयकुमार के नाम से हस्ताक्षर किये गये थे। हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन की ओर से १ जनवरी १९२५ को प्रकाशित चार पृष्ठ का यह घोषणा पत्र एक इश्तहार के रूप में जनवरी १९२५ के अन्तिम सप्ताह में हिन्दुस्तान के सभी प्रमुख स्थानों पर वितरित किया गया था। यह इश्तहार जानबूझ कर अंग्रेज़ी में दि रिवोल्यूशनरी के नाम से इसलिए छापा गया था ताकि सभी अंग्रेज़ इसका मतलब समझ सकें। इसमें विजय कुमार के छद्म नाम से रामप्रसाद 'बिस्मिल' ने अपनी पार्टी की विचार-धारा का खुलासा करते हुए साफ़ शब्दों में बताया था कि क्रान्तिकारी इस देश की शासन व्यवस्था में किस प्रकार का बदलाव करना चाहते हैं और इसके लिये वे क्या-क्या कर सकते हैं। केवल इतना ही नहीं, इस पत्र में गान्धी जी की नीतियों का मजाक बनाते हुए यह प्रश्न भी उछाला गया था कि जो व्यक्ति स्वयं को आध्यात्मिक और महात्मा कहता है परन्तु अंग्रेज़ों से खुलकर बात करने में हमेशा ही डरता रहता है। आखिर इसका रहस्य क्या है?" घोषणा पत्र की ये पंक्तियाँ देखें- करने को वे आदर्शों का ढोंग खूब करते हैं। सत्य हमेशा कहने का खोखला दम्भ भरते हैं। पूर्ण स्वराज्य चाहिये यह सच साफ-साफ कहने में, पता नहीं क्यों वे इतना अंग्रेजों से डरते हैं? आदर्शों को जीने वाले दुःख ही दुःख सहते हैं। राष्ट्र तभी बनते हैं जब आदर्श उच्च रहते हैं। पूर्ण स्वराज्य माँगने से हरदम डरने वाले भी, जाने कैसे वे अपने को आध्यात्मिक कहते हैं? ऊपर से दिखते हों पर क्या वे सचमुच ऐसे हैं? जिसे 'महात्मा’ कहते हो क्या उसमें गुण वैसे हैं? समय आ गया है यह सच्चाई सबको बतला दो, ऊपर से जो दिखते हैं, वे अन्दर से कैसे हैं? घोषणा पत्र में हिन्दुस्तान के सभी नौजवानों को ऐसे छद्मवेषी महात्मा के बहकावे में न आने की सलाह भी दी गयी थी। इसके अतिरिक्त सभी नवयुवकों से इस गुप्त क्रान्तिकारी पार्टी में शामिल होकर अंग्रेज़ों से दो-दो हाथ करने का खुला आवाहन भी किया गया था। दि रिवोल्यूशनरी के नाम से अंग्रेज़ी में प्रकाशित इस घोषणा पत्र में क्रान्तिकारियों के वैचारिक चिन्तन को भली-भाँति समझा जा सकता है। .

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कैथी

कैथी लिपि का प्रिन्ट रूप (१९वीं शताब्दी के मध्य) कैथी लिपि का हस्तलिखित रूप कैथी एक ऐतिहासिक लिपि है जिसे मध्यकालीन भारत में प्रमुख रूप से उत्तर-पूर्व और उत्तर भारत में काफी बृहत रूप से प्रयोग किया जाता था। खासकर आज के उत्तर प्रदेश एवं बिहार के क्षेत्रों में इस लिपि में वैधानिक एवं प्रशासनिक कार्य किये जाने के भी प्रमाण पाये जाते हैं ।। इसे "कयथी" या "कायस्थी", के नाम से भी जाना जाता है। पूर्ववर्ती उत्तर-पश्चिम प्रांत, मिथिला, बंगाल, उड़ीसा और अवध में। इसका प्रयोग खासकर न्यायिक, प्रशासनिक एवं निजी आँकड़ों के संग्रहण में किया जाता था। .

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के एस भगवान

के एस भगवान (जन्म 14 जुलाई 1945) स्वतंत्र विचारक, लेखक एवं एक सेवामुक्त प्रोफ़ैसर है। कन्नड़ में लिखने के इलावा, उन्होंने विलिअम शेक्सपियर के कई नाटकों का अनुवाद भी किआ है। वह राज्योत्सव पुरस्कार, कुवेम्पु पुरस्कार और लोकायुकता पुरस्कार सहित कई पुरस्कारों के प्राप्तकर्ता है। .

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केशवराव सोनवणे

केशवरावजी सोनवणे (१९२४-२००६) महाराष्ट्र राज्य के सहकार मंत्री थे। वे दो बार लातुर से और दो बार औसा विधानसभा से ऐसे कुल चार बार महाराष्ट्र की विधानसभा के विधायक रह चुके थे। स्व वैकुंठ मेहताजी ने उनके सहकार क्षेत्र के योगदान के लिये उनका "सहकार महर्षि " की पदवी देकर उनका गौरव किया था। उन्होने महाराष्ट्र की कृषि उत्पादन बाजार समिति के कानून का गठन १९६३ मे किया था। एस कानून का मसौदा उन्होने खुद ही बनाया था। .

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के॰ जी॰ बालकृष्णन

कोनकुप्पकतिल गोपिनाथन बालकृष्णन (കൊനകുപ്പക്കാട്ടില്‍ ഗോപിനാഥന്‍ ബാലകൃഷ്ണന്‍) (जन्म: 12 मई 1945) जिन्हें के.जी.बालकृष्णन के नाम से ज्यादा जाना जाता है, भारत के 37 वें मुख्य न्यायाधीश थे। ये पहले मलयाली मुख्य न्यायाधीश बने थे। .

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कोल्हापुर रियासत

कोल्हापुर रियासत (१७०७ से १९४९) एक ब्रिटिश भारत के समय भारतीय मराठा राजकीय रियासत थीं। जो कि दक्कन विभाग के अंतर्गत आती थी। यह मराठा साम्राज्य का चौथी सबसे महत्वपूर्ण रियासत थी। इनके अलावा ये रियासतें थी - बड़ोदा रियासत,ग्वालियर रियासत और इंदौर रियासत। इस रियासत में भोंसले राजवंश के शासक १९ तोपों की सलामी के हकदार थे। इस प्रकार कोल्हापुर भी एक १९ तोपों के राज्य के रूप में जाना जाता था। कोल्हापुर रियासत के राज्य का झंडा एक निगल पूंछ नारंगी पताका था। .

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कोहाट ज़िला

ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रांत में कोहाट ज़िला (लाल रंग में) कोहाट (उर्दू:, पश्तो:, अंग्रेज़ी: Kohat) पाकिस्तान के ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रांत का एक ज़िला है। यह करक ज़िले के उत्तर में और फ़ाटा नाम के क़बीलाई इलाक़ों के दक्षिण में स्थित है। इसमें बहुत से पश्तून क़बीलों के लोग रहते हैं, जैसे कि अफ़रीदी, ख़टक, बन्गश और ओरकज़ई। इस पूरे क्षेत्र में पश्तो बोली जाती है। कोहाट दो तहसीलों में बँटा हुआ है - कोहाट तहसील और लाची तहसील। .

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कोहिस्तानी भाषा

कोहिस्तानी भाषा ख़ैबर​-पख़्तूनख़्वा के कोहिस्तान ज़िले (लाल रंग) में बोली जाती है कोहिस्तानी या सिन्धु-कोहिस्तानी हिन्द-आर्य भाषा-परिवार की दार्दी भाषाओँ वाली शाखा की एक भाषा है जो पश्चिमोत्तरी पाकिस्तान के ख़ैबर​-पख़्तूनख़्वा राज्य के कोहिस्तान ज़िले में बोली जाती है। सन् १९९३ में इसे बोलने वालों की संख्या लगभग २,२०,००० अनुमानित की गई थी। .

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कीनियाई भारतीय

कीनियाई भारतीय कीनिया के वो नागरिक हैं जिन के पूर्वज दक्षिण एशियाई राष्ट्र भारत के मूल निवासी थे। शुरुआत में अधिकतर भारतीयों को गिरमिटिया मजदूरों के तौर पर कीनिया लाया गया था। वर्तमान समय में हजारों कीनियाई अपनी पैतृक जड़ें भारत से जुड़ी पाते हैं। ये मुख्यतः देश की राजधानी नैरोबी और दूसरे सबसे बड़े शहर मोम्बासा के प्रमुख शहरी क्षेत्रों में और कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं। 1963 में देश को ब्रटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त हुई, परन्तु इसके पश्चात भारतीयों को वहाँ नस्लीय उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाने वाले भारतीयों की कानूनी स्थिति में समय के साथ-साथ सुधार आया है। .

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अचला सचदेव

अचला सचदेव (३ मई १९२० – ३० अप्रैल २०१२) हिंदी चलचित्र की मशहूर अभिनेत्री जिन्होंने लगभग २५० फिल्मों में अभिनय किया था। .

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अताउर रहमान खान

अताउर रहमान खान, (আতাউর রহমান খান; 1907–1991) एक बांग्लादेशी, वकील, लेखक व राजनेता थे, जो 1956–1958 के बीच, पूर्वी पाकिस्तान के मुख्यमंत्री थे, और 30 मार्च 1984 से 1 जनवरी 1985 तक बांग्लादेश के प्रधानमंत्री थे। .

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अनुशीलन समिति

अनुशीलन समिति का प्रतीक: अखण्ड भारत (United India) अनुशीलन समिति भारत के स्वतंत्रता संग्राम के समय बंगाल में बनी अंग्रेज-विरोधी, गुप्त, क्रान्तिकारी, सशस्त्र संस्था थी। इसका उद्देश्य वन्दे मातरम् के प्रणेता व प्रख्यात बांग्ला उपन्यासकार बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय के बताये गये मार्ग का 'अनुशीलन' करना था। अनुशीलन का शाब्दिक अर्थ यह होता है: इसका आरम्भ १९०२ में अखाड़ों से हुआ तथा इसके दो प्रमुख (तथा लगभग स्वतंत्र) रूप थे- ढाका अनुशीलन समिति तथा युगान्तर। यह बीसवीं शताब्दी के आरम्भिक दिनों में समूचे बंगाल में कार्य कर रही थी। पहले-पहल कलकत्ता और उसके कुछ बाद में ढाका इसके दो ही प्रमुख गढ़ थे। इसका आरम्भ अखाड़ों से हुआ। बाद में इसकी गतिविधियों का प्रचार प्रसार ग्रामीण क्षेत्रों सहित पूरे बंगाल में हो गया। इसके प्रभाव के कारण ही ब्रिटिश भारत की सरकार को बंग-भंग का निर्णय वापस लेना पडा था। इसकी प्रमुख गतिविधियों में स्थान स्थान पर शाखाओं के माध्यम से नवयुवकों को एकत्र करना, उन्हें मानसिक व शारीरिक रूप से शक्तिशाली बनाना ताकि वे अंग्रेजों का डटकर मुकाबला कर सकें। उनकी गुप्त योजनाओं में बम बनाना, शस्त्र-प्रशिक्षण देना व दुष्ट अंग्रेज अधिकारियों वध करना आदि सम्मिलित थे। अनुशीलन समिति के सक्रिय सदस्य उन भारतीय अधिकारियों का वध करने में भी नहीं चूकते थे जिन्हें वे 'अंग्रेजों का पिट्ठू' व हिन्दुस्तान का 'गद्दार' समझते थे। इसके प्रतीक-चिन्ह की भाषा से ही स्पष्ठ होता है कि वे इस देश को एक (अविभाजित) रखना चाहते थे। .

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अनूप कुमार

अनूप कुमार हिन्दी फ़िल्मों के एक अभिनेता थे। .

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अफ़ग़ानिस्तान

अफ़ग़ानिस्तान इस्लामी गणराज्य दक्षिणी मध्य एशिया में अवस्थित देश है, जो चारो ओर से जमीन से घिरा हुआ है। प्रायः इसकी गिनती मध्य एशिया के देशों में होती है पर देश में लगातार चल रहे संघर्षों ने इसे कभी मध्य पूर्व तो कभी दक्षिण एशिया से जोड़ दिया है। इसके पूर्व में पाकिस्तान, उत्तर पूर्व में भारत तथा चीन, उत्तर में ताजिकिस्तान, कज़ाकस्तान तथा तुर्कमेनिस्तान तथा पश्चिम में ईरान है। अफ़ग़ानिस्तान रेशम मार्ग और मानव प्रवास का8 एक प्राचीन केन्द्र बिन्दु रहा है। पुरातत्वविदों को मध्य पाषाण काल ​​के मानव बस्ती के साक्ष्य मिले हैं। इस क्षेत्र में नगरीय सभ्यता की शुरुआत 3000 से 2,000 ई.पू.

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अफ़ग़ानिस्तान का इतिहास

प्राचीन अफ़गानिस्तान पर कई फ़ारसी साम्राज्यों का अधिकार रहा। इनमें हख़ामनी साम्राज्य (ईसापूर्व 559– ईसापूर्व 330) का नाम प्रमुख हैआज जो अफ़गानिस्तान है उसका मानचित्र उन्नीसवीं सदी के अन्त में तय हुआ। अफ़ग़ानिस्तान शब्द कितना पुराना है इसपर तो विवाद हो सकता है पर इतना तय है कि १७०० इस्वी से पहले दुनिया में अफ़ग़ानिस्तान नाम का कोई राज्य नहीं था। सिकन्दर का आक्रमण ३२८ ईसापूर्व में उस समय हुआ जब यहाँ प्रायः फ़ारस के हखामनी शाहों का शासन था। उसके बाद के ग्रेको-बैक्ट्रियन शासन में बौद्ध धर्म लोकप्रिय हुआ। ईरान के पार्थियन तथा भारतीय शकों के बीच बँटने के बाद अफ़ग़निस्तान के आज के भूभाग पर सासानी शासन आया। फ़ारस पर इस्लामी फ़तह का समय कई साम्राज्यों के रहा। पहले बग़दाद स्थित अब्बासी ख़िलाफ़त, फिर खोरासान में केन्द्रित सामानी साम्राज्य और उसके बाद ग़ज़ना के शासक। गज़ना पर ग़ोर के फारसी शासकों ने जब अधिपत्य जमा लिया तो यह गोरी साम्राज्य का अंग बन गया। मध्यकाल में कई अफ़ग़ान शासकों ने दिल्ली की सत्ता पर अधिकार किया या करने का प्रयत्न किया जिनमें लोदी वंश का नाम प्रमुख है। इसके अलावा भी कई मुस्लिम आक्रमणकारियोंं ने अफगान शाहों की मदत से हिन्दुस्तान पर आक्रमण किया था जिसमें बाबर, नादिर शाह तथा अहमद शाह अब्दाली शामिल है। अफ़गानिस्तान के कुछ क्षेत्र दिल्ली सल्तनत के अंग थे। अहमद शाह अब्दाली ने पहली बार अफ़गानिस्तान पर एकाधिपत्य कायम किया। वो अफ़ग़ान (यानि पश्तून) था। ब्रिटिश इंडिया के साथ हुए कई संघर्षों के बाद अंग्रेज़ों ने ब्रिटिश भारत और अफ़गानिस्तान के बीच सीमा उन्नीसवीं सदी में तय की। १९३३ से लेकर १९७३ तक अफ़ग़ानिस्तान पर ज़ाहिर शाह का शासन रहा जो शांतिपूर्ण रहा। इसके बाद कम्यूनिस्ट शासन और सोवियत अतिक्रमण हुए। १९७९ में सोवियतों को वापस जाना पड़ा। इनकों भगाने में मुजाहिदीन का प्रमुख हाथ रहा। १९९७ में तालिबान जो अडिगपंथी सुन्नी कट्टर थे ने सत्तासीन निर्वाचित राष्ट्रपति को बेदखल कर दिया। इनको अमेरिका का साथ मिला पर बाद में वे अमेरिका के विरोधी हो गए। २००१ में अमेरिका पर हमले के बाद यहाँ पर नैटो की सेना बनी हुई है। .

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अबुल फ़ज़ल मोहम्मद अहसानुद्दीन चौधरी

अबुल फ़ज़ल मोहम्मद अहसानुद्दीन चौधरी (1 जुलाई 1915-30 अगस्त 2001) बांग्लादेश के नौवें राष्ट्रपति थे। इनका कार्यकाल २७ मार्च १९८२ से ११ दिसम्बर १९८३ तक रहा। चौधरी, अबुल फ़ज़ल मोहम्मद अहसानुद्दीन श्रेणी:1915 में जन्मे लोग श्रेणी:चित्र जोड़ें.

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अब्दुर्रहमान बिस्वास

अबुर्रहमान विश्वास (1926-2017) बांग्लादेश के राष्ट्रपति थे। इनका कार्यकाल १० अक्टूबर १९९१ से ९ अक्टूबर १९९६ तक रहा।.

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अब्दुल रशीद करदार

अब्दुल रशीद करदार (१९०४-१९८९), जिन्हें ए.आर.

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अब्दुल हामिद (बांग्लादेशी राजनीतिज्ञ)

अब्दुल हमीद(আব্দুল হামিদ) (जन्म:1 जनवरी 1944) एक बांग्लादेशी राजनेता हैं। वे अवामी लीग से संबंधित हैं। हामिद, किशोरगंज जिले के मीठामोनी में पैदा हुए थे। वह पेशे से वकील है। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन शुरू किया था जब वह किशोरगंज में एक छात्र था। वे गुरुदयाल गवर्नमेंट कॉलेज के उपाध्यक्ष थे। बाद में वे किशोरगंज जज कोर्ट में एक वकील बन गये। वह किशोरगंज बार एसोसिएशन में कई बार अध्यक्ष रह चुके हैं। 1970 से 2009 तक, वह एक सांसद के रूप में 7 बार बांग्लादेशी संसद में निर्वाचित हो चुके है। 25 जनवरी 2009 को, वह बांग्लादेश की राष्ट्रीय संसद के अध्यक्ष बए। वर्तमान में वह बांग्लादेश के 20 वें बांग्लादेश के राष्ट्रपति हैं। .

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अब्दुल कदीर खान

डॉ॰ अब्दुल क़दीर ख़ान, (जन्मः १ अप्रैल १९३६ भोपाल, ब्रिटिश भारत) एक पाकिस्तानी परमाणु वैज्ञानिक और धातुकर्म इंजीनियर, जिन्हें पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम के संस्थापक माना जाता है। इन्हें पाकिस्तान में प्यार से मोहसिन ए पाकिस्तान कहा जाता है। जनवरी २००४ में ख़ान ने पाकिस्तान के परमाणु हथियार प्रौद्योगिकी प्रसार के एक गुप्त अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क में लीबिया, ईरान और उत्तर कोरिया को शामिल करने की बात स्वीकार की थी। इस बात के सबूत होने के बावजूद कि परमाणु हथियार विकसित करने की दिशा में हैं कि ख़ान और उनके नेटवर्क ने खतरनाक कुचक्र रचा था, पाकिस्तान राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ ने ५ फ़रवरी २००४ को कट्टरपंथी गुटों के दबाव में क्षमादान देने की घोषणा की। तमाम आरोपों के बावजूद अब्दुल कदीर ख़ान को पाकिस्तान में नायक के रूप में स्वीकार किया जाता है। ६ फ़रवरी २००९ को पाकिस्तान के इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश सरदार मुहम्मद असलम ने डॉ॰ ख़ान को एक स्वतंत्र नागरिक घोषित करते हुए उन्हें पाकिस्तान में कहीं भी आने-जाने की स्वतंत्रता प्रदान की। खान, अब्दुल कदीर श्रेणी:चित्र जोड़ें.

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अब्दुल्ला यूसुफ़ अली

अब्दुल्ला यूसुफ़ अली, (डिग्रियां: सीबीई, एमए, एलएलएम, एफआरएसए, एफआरएसएल) (उर्दू: عبدللہ یوسف علی) जन्म 14 अप्रैल 1872 - 10 दिसंबर 1953) एक ब्रिटिश-भारतीय बैरिस्टर और विद्वान थे, जिन्होंने इस्लाम के बारे में कई किताबें लिखीं और अंग्रेजी में कुरान का अनुवाद सबसे व्यापक रूप से जाना जाता है और अंग्रेजी भाषी दुनिया में उपयोग किया जाता है। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश युद्ध के प्रयास के समर्थक, अली ने 1917 में सीबीआई को उस कारण से अपनी सेवाओं के लिए प्राप्त किया। 1953 में लंदन में उनकी मृत्यु हो गई। .

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अब्बास अली बेग

अब्बास अली बेग (जन्म; १९ मार्च १९३९, हैदराबाद, ब्रितानी भारत) एक पूर्व भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी है। ये मुख्य रूप से बल्लेबाजी के लिए जाते है जो अपने कैरियर में दाहिने हाथ से बल्लेबाजी करते थे और गेंदबाजी में ये लेग ब्रेक गेंदबाजी करते थे। इन्हें एक बार ड्रेसिंग रूप में जाते समय एक क्रिकेट प्रशंसक ने उनके गाल को चूम लिया था और इस घटना के कारण ही ये ज्यादा लोकप्रिय हुए है। .

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अभयचरणारविंद भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद

अभयचरणारविंद भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद (1 सितम्बर 1896 – 14 नवम्बर 1977) जिन्हें स्वामी श्रील भक्तिवेदांत प्रभुपाद के नाम से भी जाना जाता है, बीसवीं सदी के एक प्रसिद्ध गौडीय वैष्णव गुरु तथा धर्मप्रचारक थे। उन्होंने वेदान्त, कृष्ण-भक्ति और इससे संबंधित क्षेत्रों पर शुद्ध कृष्ण भक्ति के प्रवर्तक श्री ब्रह्म-मध्व-गौड़ीय संप्रदाय के पूर्वाचार्यों की टीकाओं के प्रचार प्रसार और कृष्णभावना को पश्चिमी जगत में पहुँचाने का काम किया। ये भक्तिसिद्धांत ठाकुर सरस्वती के शिष्य थे जिन्होंने इनको अंग्रेज़ी भाषा के माध्यम से वैदिक ज्ञान के प्रसार के लिए प्रेरित और उत्साहित किया। इन्होने इस्कॉन (ISKCON) की स्थापना की और कई वैष्णव धार्मिक ग्रंथों का प्रकाशन और संपादन स्वयं किया। इनका पूर्वाश्रम नाम "अभयचरण डे" था और ये कलकत्ता में जन्मे थे। सन् १९२२ में कलकत्ता में अपने गुरुदेव श्री भक्तिसिद्धांत सरस्वती ठाकुर से मिलने के बाद उन्होंने श्रीमद्भग्वद्गीता पर एक टिप्पणी लिखी, गौड़ीय मठ के कार्य में सहयोग दिया तथा १९४४ में बिना किसी की सहायता के एक अंगरेजी आरंभ की जिसके संपादन, टंकण और परिशोधन (यानि प्रूफ रीडिंग) का काम स्वयं किया। निःशुल्क प्रतियाँ बेचकर भी इसके प्रकाशन क जारी रखा। सन् १९४७ में गौड़ीय वैष्णव समाज ने इन्हें भक्तिवेदान्त की उपाधि से सम्मानित किया, क्योंकि इन्होने सहज भक्ति के द्वारा वेदान्त को सरलता से हृदयंगम करने का एक परंपरागत मार्ग पुनः प्रतिस्थापित किया, जो भुलाया जा चुका था। सन् १९५९ में सन्यास ग्रहण के बाद उन्होंने वृंदावन में श्रीमदभागवतपुराण का अनेक खंडों में अंग्रेजी में अनुवाद किया। आरंभिक तीन खंड प्रकाशित करने के बाद सन् १९६५ में अपने गुरुदेव के अनुष्ठान को संपन्न करने वे ७० वर्ष की आयु में बिना धन या किसी सहायता के अमेरिका जाने के लिए निकले जहाँ सन् १९६६ में उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ (ISKCON) की स्थापना की। सन् १९६८ में प्रयोग के तौर पर वर्जीनिया (अमेरिका) की पहाड़ियों में नव-वृन्दावन की स्थापना की। दो हज़ार एकड़ के इस समृद्ध कृषि क्षेत्र से प्रभावित होकर उनके शिष्यों ने अन्य जगहों पर भी ऐसे समुदायों की स्थापना की। १९७२ में टेक्सस के डैलस में गुरुकुल की स्थापना कर प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा की वैदिक प्रणाली का सूत्रपात किया। सन १९६६ से १९७७ तक उन्होंने विश्वभर का १४ बार भ्रमण किया तथा अनेक विद्वानों से कृष्णभक्ति के विषय में वार्तालाप करके उन्हें यह समझाया की कैसे कृष्णभावना ही जीव की वास्तविक भावना है। उन्होंने विश्व की सबसे बड़ी आध्यात्मिक पुस्तकों की प्रकाशन संस्था- भक्तिवेदांत बुक ट्रस्ट- की स्थापना भी की। कृष्णभावना के वैज्ञानिक आधार को स्थापित करने के लिए उन्होंने भक्तिवेदांत इंस्टिट्यूट की भी स्थापना की। .

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अमरनाथ विद्यालंकार

अमरनाथ विद्यालंकार(8 दिसम्बर 1901 – 21 सितम्बर 1985) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता तथा सांसद थे। उन्होने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य थे। स्वतन्त्रता के बाद १९५७ से १९६२ तक वे पंजाब सरकार में शिक्षा, श्रम तथा भाषा के मन्त्री थे। वे प्रथम लोकसभा (1952-56), तीसरी लोकसभा (1962-67) और पाँचवीं लोकसभा (1971-1977) के सांसद भी रहे .

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अमरीश पुरी

अमरीश पुरी (जन्म:२२ जून १९३२ -मृत्यु:१२ जनवरी २००५) चरित्र अभिनेता मदन पुरी के छोटे भाई अमरीश पुरी हिन्दी फिल्मों की दुनिया का एक प्रमुख स्तंभ रहे हैं। अभिनेता के रूप निशांत, मंथन और भूमिका जैसी फ़िल्मों से अपनी पहचान बनाने वाले श्री पुरी ने बाद में खलनायक के रूप में काफी प्रसिद्धी पायी। उन्होंने १९८४ मे बनी स्टीवेन स्पीलबर्ग की फ़िल्म "इंडियाना जोन्स एंड द टेम्पल ऑफ़ डूम" (अंग्रेज़ी- Indiana Jones and the Temple of Doom) में मोलाराम की भूमिका निभाई जो काफ़ी चर्चित रही। इस भूमिका का ऐसा असर हुआ कि उन्होंने हमेशा अपना सिर मुँडा कर रहने का फ़ैसला किया। इस कारण खलनायक की भूमिका भी उन्हें काफ़ी मिली। व्यवसायिक फिल्मों में प्रमुखता से काम करने के बावज़ूद समांतर या अलग हट कर बनने वाली फ़िल्मों के प्रति उनका प्रेम बना रहा और वे इस तरह की फ़िल्मों से भी जुड़े रहे। फिर आया खलनायक की भूमिकाओं से हटकर चरित्र अभिनेता की भूमिकाओं वाले अमरीश पुरी का दौर। और इस दौर में भी उन्होंने अपनी अभिनय कला का जादू कम नहीं होने दिया .

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अमजद अली ख़ान

अमजद अली खान एक प्रसिद्ध सरोद वादक हैं जिनको भारत सरकार द्वारा सन १९९१ में कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया था। ये दिल्ली से हैं। .

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अमज़द ख़ान

अमज़द ख़ान (जन्म: 12 नवंबर, 1940 निधन: 27 जुलाई, 1992) हिन्दी फ़िल्मों के एक अभिनेता थे। .

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अमीता

अमीता (जन्म; ११ अप्रैल १९४०) एक भारतीय फिल्म अभिनेत्री है। इनका जन्म कोलकाता में ब्रितानी भारत के समय हुआ था। इन्होंने अपने कैरियर १९५३ से १९६८ तक कई बड़ी-बड़ी भारतीय हिंदी फिल्मों में कार्य किया था। इन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत १९५३-१९५४ में बनी श्री चैतन्य महाप्रभु फिल्म से की थी। .

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अराकन अभियान

१९४२-४३ का अराकान अभियान द्वितीय विश्व युद्ध के मित्र देशों द्वारा बर्मा में प्रथम आक्रमण था, जिसके बाद १९४२ के आरम्भ में जापानी बर्मा विजय अभियान आरम्भ हुए। .

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अरविन्द घोष

अरविन्द घोष या श्री अरविन्द (बांग्ला: শ্রী অরবিন্দ, जन्म: १८७२, मृत्यु: १९५०) एक योगी एवं दार्शनिक थे। वे १५ अगस्त १८७२ को कलकत्ता में जन्मे थे। इनके पिता एक डाक्टर थे। इन्होंने युवा अवस्था में स्वतन्त्रता संग्राम में क्रान्तिकारी के रूप में भाग लिया, किन्तु बाद में यह एक योगी बन गये और इन्होंने पांडिचेरी में एक आश्रम स्थापित किया। वेद, उपनिषद ग्रन्थों आदि पर टीका लिखी। योग साधना पर मौलिक ग्रन्थ लिखे। उनका पूरे विश्व में दर्शन शास्त्र पर बहुत प्रभाव रहा है और उनकी साधना पद्धति के अनुयायी सब देशों में पाये जाते हैं। यह कवि भी थे और गुरु भी। .

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अरुणा आसफ़ अली

अरुणा आसफ़ अली (बंगाली: অরুণা আসফ আলী) (१६ जुलाई १९०९ – २९ जुलाई १९९६) भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थीं। उनका जन्म का नाम अरुणा गांगुली था। उन्हे 1942 में भारत छोडो आंदोलन के दौरान, मुंबई के गोवालीया मैदान में कांग्रेस का झंडा फ्हराने के लिये हमेशा याद किया जाता है। .

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अर्देशिर ईरानी

खान बहादुर अर्देशिर ईरानी (5 दिसम्बर 1886;– 14 अक्टूबर 1969); बॉलीवुड की प्रथम ध्वनि चलचित्र आलम आरा के निर्देशक थे। .

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अर्जन सिंह

पद्म विभूषण अर्जन सिंह,(ਅਰਜਨ ਸਿੰਘ) डीएफसी, (पूरा नाम: अर्जन सिंह औलख, जन्म: 15 अप्रैल 1919, निधन: 16 सितंबर 2017) भारतीय वायु सेना के एकमात्र अधिकारी थे जिन्हें वायु सेना मार्शल (पांच सितारा स्तर) पर पदोन्नत किया गया था। 16 सितंबर 2017 को 98 वर्ष की आयु में इनका निधन हुआ। ये भारतीय वायुसेना में प्रमुख पद पर १९६४-६९ तक आसीन रहे। १९६५ के भारत पाक युद्ध के समय वायु सेना की कमान को सफलतापूर्वक संभालने हेतु इन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया एवं १९६६ में एयर चीफ़ मार्शल पद पर पदोन्नत किया गया। वायु सेना से सेवानिवृत्ति उपरान्त इन्होंने भारत सरकार के राजनयिक, राजनीतिज्ञ एवं परामर्शदाता के रूप में भी कार्य किया। १९८९ से १९९० तक ये दिल्ली के उपराज्यपाल पद पर रहे। २००२ में भारतीय वायु सेना के मार्शल के पद पर आसीन किया गया। ये प्रथम अवसर था कि जब भारतीय वायु सेना का कोई अधिकारी पांच सितारा स्तर पर पहुंचा हो। .

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अर्जुन सिंह

अर्जुन सिंह एक भारतीय राजनेता थे और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। इन के समय में 1984 में भोपाल में मिथाइल इसिसैनैत (MIC GAS) हुई। श्रेणी:मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्रेणी:इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र श्रेणी:चित्र जोड़ें श्रेणी:राजनेता श्रेणी:1930 में जन्मे लोग श्रेणी:२०११ में निधन.

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अलवर रियासत

अलवर रियासत ब्रिटिश भारत में कछवाहा राजपूत राजवंश द्वारा शासित एक रियासत थी, जिसकी राजधानी अलवर नगर में थी। रियासत की स्थापना १७७० में प्रभात सिंह प्रभाकर ने की थी। इस रियासत के अंतिम राजा एच एच महाराज सर तेज सिंह प्रभाकर बहादुर थे, जिन्होंने ७ अप्रैल १९४९ को विलय-पत्र पर हस्ताक्षर किए, जिसके बाद यह रियासत भारत का हिस्सा बन गयी। जिला अलवर के मुख्यालय शहर के बाद जाना जाता है। अलवर नाम की व्युत्पत्ति के बारे में कई सिद्धांत हैं। कनिंघम मानते हैं कि शहर ने अपना नाम साल्वा जनजाति से प्राप्त किया था और मूल रूप से सैलवौपुर, तब सलवार, हल्वार और अंततः अलवर किसी अन्य विद्यालय के अनुसार यह अरावलपुर या अरावली शहर (राजस्थान को लगभग तीसरे और दो-तिहाई हिस्से में विभाजित करते हुए एक पहाड़ी प्रणाली) के रूप में जाना जाता था। कुछ अन्य लोगों का कहना है कि शहर का नाम अलवल खान मेवाती है। अलवर के महाराजा जय सिंह के शासनकाल के दौरान किए गए शोध से पता चला कि आमेर के महाराजा काकिल के दूसरे बेटे (जयपुर राज्य की पुरानी सीट) महाराज अलाघराज ने ग्यारहवीं शताब्दी में इस इलाके पर शासन किया और उनके क्षेत्र में वर्तमान शहर अलवर तक विस्तार हुआ। उन्होंने 1106 विक्रमी संवत (1049 ए.डि.) में अपने नाम के बाद अल्पुर शहर की स्थापना की, जो अंततः अलवर बने। इसे पूर्व में उल्वर के रूप में वर्णित किया गया था लेकिन जय सिंह के शासनकाल में वर्तनी को अलवर में बदल दिया गया था। इतिहास अलवर राज्य को अलग, स्वतंत्र राज्य के रूप में स्थापित किया जा सकता है, जब इसके संस्थापक रावप्रताप सिंह ने पहली बार 25 नवंबर, 1775 को अलवर किला के ऊपर अपना स्तर बढ़ाया था। अपने शासनकाल में थानाजीज़ी, राजगढ़, मलखेरा, अजबगढ़, बलदेगढ़, कंकर्वरी, अलवर, रामगढ़ और लक्ष्मणगढ़ और बेहर और आसपास के इलाकों के आसपास के इलाकों को राज्य बनाने के लिए एकीकृत किया गया। जैसा कि राज्य को समेकित किया जा रहा था, स्वाभाविक रूप से, कोई निश्चित प्रशासनिक मशीनरी, अस्तित्व में हो सकती थी। उस समय, राज्य का राजस्व 6-7 लाख रुपए प्रतिवर्ष था। अगले शासक महाराव राजा बख्तरवार सिंह (179 1 -1815) ने भी राज्य के क्षेत्र के विस्तार और एकीकरण के काम को समर्पित किया। वह अलमार राज्य में इस्माइलपुर और मंडवार के पंचगानों और दरबपुर, रूतई, नीमराना, मंडन, बीजवर्ड़ और काकोमा के तालुकाओं को एकजुट करने में सफल रहे। मरावरा और जाट शक्तियों को तोड़ने में राज्य सेनाओं ने उन्हें सहायता प्रदान की जब महावराव बख्तरवार सिंह ने लाकर झील के लिए बहुमूल्य सेवाओं को मराठों के खिलाफ मराठों के खिलाफ अभियान में लेस्वरी की लड़ाई में पेश किया। नतीजतन, 1803 में, आपत्तिजनक और रक्षात्मक गठबंधन की पहली संधि अलवर राज्य और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच बनाई गई थी। इस प्रकार, ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ संधि संबंधों में प्रवेश करने के लिए अलवर भारत का पहला रियासत था। लेकिन उनके समय में, राज्य प्रशासन बहुत अपूर्ण था और लूट और डकैती के मामलों, यहां तक ​​कि व्यापक दिन की रोशनी में, कभी-कभार ही नहीं होती थीं। राज्य बाहर से धन उधार ले रहा था क्योंकि इसकी वित्तीय स्थिति खराब और कुप्रबंधित थी। अधिकांश भूमि राजस्व का उपयोग ऋण वापस करने के लिए किया गया था और कई बार, किसानों को कठिनाई दी गई थी राज्य भारी ऋणी था, जब अगले शासक महारो विनय सिंह सिंहासन के उत्तराधिकारी हो गए। महावरा राजा विनय सिंह (1815-1857) ने सामाजिक अराजकता को दबा दिया और काफी हद तक राज्य में सामान्य परिस्थितियों को स्थिर करने में सफल रहा। यह उनके समय में था कि अलवर राज्य प्रशासन ने आकार लेना शुरू किया। भारत के इंपीरियल गैजेटर के मुताबिक "सरकार पहले किसी भी प्रणाली के बिना ही चल रही थी लेकिन 1838 में दिल्ली से आए कुछ मुसलमानों की सहायता से और 1838 में नियुक्त मंत्रियों ने बड़े बदलाव किए। भूमि राजस्व को नकदी में जमा करना शुरू हुआ दयालु और सिविल और आपराधिक अदालतों की बजाय "की स्थापना की गई थी महावत राजा विनय सिंह 1857 में निधन हो गए और उनके पुत्र शेडान सिंह (1857-1874) ने इसका उत्तराधिकारी बना लिया। वह बारहों का एक लड़का था वह एक बार दिल्ली के मोहम्मद दीवंस के प्रभाव में गिर गए। उनकी कार्यवाही उत्साहित थी और 1858 में राजपूतों के विद्रोह में, जिन में दीवान के कई अनुयायी मारे गए और मंत्रियों को खुद को राज्य से निष्कासित कर दिया गया, कैप्टन निक्सन, भरतपुर के राजनीतिक एजेंट, एक बार अलवर को भेजा गया, जिन्होंने एक परिषद का गठन किया रीजेंसी। राज्य के प्रशासन के लिए तीन सदस्यों के साथ एक पंचायत का गठन किया गया था, लेकिन प्रशासन की हर शाखा को फिर से संगठित करने में वह सफल नहीं हो सका। निश्चित नकद मूल्यांकन की प्रणाली शुरू की गई थी। राज्य का वार्षिक राजस्व रु। 14,29,425 और राज्य के लिए तीन साल के निपटारे पर काम शुरू किया गया था। इस समझौते को पूरा करने के बाद, मेजर इम्पी ने राज्य में दस साल के निपटान पर काम शुरू किया और वार्षिक राजस्व रु। 17,19,875 महावरा राजा शीओडन सिंह ने 14 सितंबर, 1863 को शासक शक्तियां ग्रहण कीं और शीघ्र ही एजेंसी को समाप्त कर दिया गया। लेकिन प्रशासन जल्द ही बूढ़े दीवानों के हाथों में गिर गया, जो अभी भी शासक के साथ संबंध था। 1870 में, राजपूत घुड़सवार और जगीर के थोक जब्ती का खंडन, मुख्य और उसकी मुसलमान समर्थकों की अपव्यय को अनुदान देता है, परिणामस्वरूप राजपूतों के एक सामान्य विद्रोह के बारे में लाया गया, जिसके परिणामस्वरूप ब्रिटिश सरकार ने फिर से हस्तक्षेप किया। कप्तान ब्लेयर, 1867 में पूर्वी राज्यों के एजेंट के लिए राजनीतिक एजेंट, और भारत सरकार की मंजूरी के साथ, एक परिषद की स्थापना राजनीतिक एजेंट के साथ राष्ट्रपति के रूप में हुई, बोर्ड में एक सीट होने वाली महाराव राजा थी। प्रशासन का कार्मिक बदल गया था और पूरे प्रशासन को साफ किया गया था। इंजीनियरिंग का एक नया विभाग शुरू किया गया था। तहसीलदारों को अधिक नागरिक और आपराधिक शक्तियों के साथ सौंपा गया था उन्हें दंड के लिए दंड लगाने का अधिकार था 20 और एक महीने की कारावास 1871 में, शहर की सुरक्षा के लिए कोतवाली की स्थापना की गई थी। अगले साल 16 साल के समझौते पर काम शुरू हुआ। ब्रिटिश रुपए पर टैक्स को खत्म कर दिया गया और राव-शि सिक्कों को परिसंचरण से हटा दिया गया। ब्रिटिश तांबे के सिक्के संचलन से बाहर रखा गया था। 1873 में ब्रिटिश तांबे के सिक्के राज्य में पेश किए गए थे और यार्ड और द्रष्टा की लंबाई और वजन के उपायों को भी उपयोग में लाया गया था। पोस्टल प्रबंधन में सुधार हुआ था और तहसील से पत्र जो पहले, राजधानी तक पहुंचने में तीन दिन लगे थे, अब बारह घंटों के साथ आया था। निचली अदालतों के निर्णयों को फिर से सुनवाई के लिए सुनवाई के लिए एक अपीली विभाग को 'अपील' नामक एक स्वतंत्र विभाग बनाया गया था। दिल्ली से बांदीकुई की रेलवे लाइन अलवर से गुजर रही है, जिसे 1874 में रखा गया था। मंगल सिंह (1874-18 9 2), एक अलगाववादी भी था जब वह अलवर राज्य के सिंहासन में सफल हो गए और राज्य को राजनीतिक एजेंट और रीजेंसी काउंसिल द्वारा दिसंबर, 1877 तक प्रशासित किया जाता था, जब उन्हें शासन के साथ निवेश किया गया शक्तियों। 188 9 में महाराजा के वंशानुगत शीर्षक को उनके द्वारा दिया गया। 1877 में, उन्होंने 1876 के मूल निवासी अधिनियम के तहत ब्रिटिश सरकार के साथ अनुबंध में प्रवेश किया था जिसके अनुसार अलवर उपकरण वाले चांदी के सिक्कों को कलकत्ता पुदीना। कर्नल (तब मेजर) ओ। मूर क्रेग के मार्गदर्शन में राज्य के सैनिकों को नवंबर 1888 में फिर से संगठित किया गया था, जिनकी सेवाओं को विशेष रूप से भारत सरकार द्वारा प्रयोजन के लिए दिया गया था। स्टाफ कार्यालय नवंबर 1888 में स्थापित किया गया था और महाराजा मंगल सिंह ने स्वयं सैन्य बलों के पुन: संगठन की देखरेख की। 18 9 2 में उनकी मृत्यु पर, उनके एकमात्र पुत्र जय सिंह उन्हें सफल हुए। और यह जय सिंह के समय में था कि अलवर राज्य ने नाम कमाया। खुद एक सक्षम व्यक्ति, महाराजा जय सिंह ने अलवर को एक बहुत अच्छी तरह से प्रशासित राज्य बनाया। वह उत्तराधिकार के समय एक नाबालिग था और इसलिए राज्य प्रशासन एक परिषद द्वारा किया गया था, जिसे राज्य परिषद कहा जाता है, राजनीतिक एजेंट के सामान्य पर्यवेक्षण के तहत कार्य करता है। स्टेट काउंसिल चार सदस्यों से बना था और समय के लिए राजनीतिक एजेंट की सलाह और मार्गदर्शन के तहत संयुक्त रूप से सदस्यों द्वारा प्रशासन के सभी व्यवसाय किए गए थे। राज्य परिषद ने राजनीतिक एजेंट के संशोधित प्राधिकरण के अधीन, उच्च न्यायालय की शक्तियों का प्रयोग किया। राजस्व और न्यायिक अपील और मामलों का निपटान परिषद द्वारा किया गया था। राज्य प्रशासन आकार ले रहा था। श्रेणी:भारत की रियासतें.

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अल्मोड़ा

अल्मोड़ा भारतीय राज्य उत्तराखण्ड का एक महत्वपूर्ण नगर है। यह अल्मोड़ा जिले का मुख्यालय भी है। अल्मोड़ा दिल्ली से ३६५ किलोमीटर और देहरादून से ४१५ किलोमीटर की दूरी पर, कुमाऊँ हिमालय श्रंखला की एक पहाड़ी के दक्षिणी किनारे पर स्थित है। भारत की २०११ की जनगणना के अनुसार अल्मोड़ा की कुल जनसंख्या ३५,५१३ है। अल्मोड़ा की स्थापना राजा बालो कल्याण चंद ने १५६८ में की थी। महाभारत (८ वीं और ९वीं शताब्दी ईसा पूर्व) के समय से ही यहां की पहाड़ियों और आसपास के क्षेत्रों में मानव बस्तियों के विवरण मिलते हैं। अल्मोड़ा, कुमाऊं राज्य पर शासन करने वाले चंदवंशीय राजाओं की राजधानी थी। स्वतंत्रता की लड़ाई में तथा शिक्षा, कला एवं संस्कृति के उत्थान में अल्मोड़ा का विशेष हाथ रहा है। .

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अशफ़ाक़ुल्लाह ख़ाँ

अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ, (उर्दू: اشفاق اُللہ خان, अंग्रेजी:Ashfaq Ulla Khan, जन्म:22 अक्तूबर १९००, मृत्यु:१९२७) भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के एक प्रमुख क्रान्तिकारी थे। उन्होंने काकोरी काण्ड में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। ब्रिटिश शासन ने उनके ऊपर अभियोग चलाया और १९ दिसम्बर सन् १९२७ को उन्हें फैजाबाद जेल में फाँसी पर लटका कर मार दिया गया। राम प्रसाद बिस्मिल की भाँति अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ भी उर्दू भाषा के बेहतरीन शायर थे। उनका उर्दू तखल्लुस, जिसे हिन्दी में उपनाम कहते हैं, हसरत था। उर्दू के अतिरिक्त वे हिन्दी व अँग्रेजी में लेख एवं कवितायें भी लिखा करते थे। उनका पूरा नाम अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ वारसी हसरत था। भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के सम्पूर्ण इतिहास में बिस्मिल और अशफ़ाक़ की भूमिका निर्विवाद रूप से हिन्दू-मुस्लिम एकता का अनुपम आख्यान है। .

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अशोक मित्र

अशोक मित्र (10 अप्रैल 1928 – 1 मई 2018)पश्चिम बंगाल से एक अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार थे। वे पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चे की सरकार में वर्ष 1977 से 1987 तक वित्त मंत्री रहे। इसके अलावा वे वर्ष 1970 से 1972 तक केंद्र सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार भी थे। बंगाली साहित्य में योगदान के लिए उन्हें साहित्य अकादमी अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। इनके द्वारा रचित एक निबंध ताल बेताल के लिये उन्हें सन् 1996 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अशोक कुमार (अभिनेता)

अशोक कुमार (অশোক কুমার; १३ अक्टूबर १९११, भागलपुर, कुमुद कुमार गांगुली - १० दिसम्बर २००१, मुंबई) हिन्दी फ़िल्मों के एक अभिनेता थे। सन् १९९९ में भारत सरकार ने उन्हें कला के क्षेत्र में उनके योगदानों के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया। ये महाराष्ट्र राज्य से थे। .

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असद अली खान

असद अली खान को सन २००८ में भारत सरकार द्वारा कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया था। ये दिल्ली से हैं। खान, असद अली श्रेणी:1937 में जन्मे लोग श्रेणी:जीवित लोग.

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असम बंगाल रेलवे

ब्रिटिश भारत में असम बंगाल रेलवे, अग्रणी रेल कंपनियों में से एक थी। 1892 से लेकर 1952 तक यह कार्यरत थी। 1942-1947 के बीच भारत में संचालित एक रेलवे प्रणाली बंगाल असम रेलवे की शुरुआत 1880 के दशक में शुरु की गयी असम बंगाल रेलवे में निहित है।, Banglapedia: The National Encyclopedia of Bangladesh, Asiatic Society of Bangladesh, Dhaka, Retrieved: 2007-01-11 .

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असीमा चटर्जी

असीमा चटर्जी (Asima Chatterjee, অসীমা চট্টোপাধ্যায়)(२३ सितंबर १९१७- २२ नवंबर २००६) एक भारतीय रसायनशास्त्री थीं। उन्होंने जैव-रसायन विज्ञान और फाइटोमेडिसिन के क्षेत्र में काम किया।The Shaping of Indian Science.

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अज़ीम प्रेमजी

अजीम हाशिम प्रेमजी (24 जुलाई 1945) का जन्म एक भारतीय है व्यापार के व्यवसायी के अध्यक्ष कौन है और परोपकारी विप्रो लिमिटेड सॉफ्टवेयर उद्योग में भारतीय नेताओं में से एक के रूप में उभरने के लिए विविधीकरण और विकास के चार दशकों के माध्यम से कंपनी का मार्गदर्शन,.

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अजीत जोगी

अजीत प्रमोद कुमार जोगी एक भारतीय राजनेता है तथा प्रथम छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। बिलासपुर के पेंड्रा में जन्में अजीत जोगी ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद पहले भारतीय पुलिस सेवा और फिर भारतीय प्रशासनिक की नौकरी की। बाद में वे मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के सुझाव पर राजनीति में आये। वे विधायक और सांसद भी रहे। बाद में 1 नवंबर 2000 को जब छत्तीसगढ़ बना तो राज्य का पहला मुख्यमंत्री अजीत जोगी को बनाया गया। .

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अवध रियासत

नवाब सआदत अली खान द्वितीय. अवध रियासत (अथवा अवध) ब्रिटिश राज में 1856 तक अवध क्षेत्र की एक रियासत होती थी। इस रियासत का नाम अयोध्या नगर से व्युत्पन्न है। अवध की राजधानी फ़ैज़ाबाद में होती थी, पर ब्रिटिश एजेंट, जिनको "निवासी" कहलाया जाता था, लखनऊ में रहते थे। अवध के नवाब ने इनके लिए लखनऊ में निवास बनवाया था नागरिक विकास करने के दौरान। 1858 में अवध ने दूसरों भारतीय रियासतें से मिलकर ब्रिटिश राज के ख़िलाफ़ विद्रोह में हिस्सा लिया, प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के आख़िरी सैनिक अभियान में। इस विद्रोह को बंबई के ब्रिटिश सेना ने हरा दिया शीघ्र अभियान में। 1859 तक विद्रोहियों छापेमार लड़ाई लड़ते रहे। इस बग़ावत को "अवध अभियान" भी कहलाया जाता है। व्यपगत का सिद्धान्त के ज़रिए अवध के राज्य-हरण करने के बाद ब्रिटिश ने अवध क्षेत्र को उत्तर-पश्चिमी प्रान्त का हिस्सा बना दिया। .

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अखिल भारतीय मुस्लिम लीग

ऑल इंडिया मुस्लिम लीग का ध्वज अखिल भारतीय मुस्लिम लीग (ऑल इंडिया मुस्लिम लीग) ब्रिटिश भारत में एक राजनीतिक पार्टी थी और उपमहाद्वीप में मुस्लिम राज्य की स्थापना में सबसे कारफरमा शक्ति थी। भारतीय विभाजन के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम लीग इंडिया में एक महत्त्वपूर्ण दल के रूप में स्थापित रही। खासकर कीरलह दूसरी पार्टियों के साथ शामिल हो कर सरकार बनाने की। पाकिस्तान के गठन के बाद मुस्लिम लीग अक्सर मौकों पर सरकार में शामिल रही। .

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अकमल खान

अकमल खान या अकमल (जन्म 11 नवंबर 1929, लाहौर, पाकिस्तान, 11 जून 1967 को निधन) एक पाकिस्तानी फिल्म अभिनेता और गायक थे। एक बहुत ही लघु फिल्म कैरियर, वह पाकिस्तानी फिल्म के इतिहास में प्रसिद्धि की ऊंचाइयों को छुआ। सुधीर के बाद वे दूसरी सबसे ज्यादा प्यार वाले पंजाबी कलाकार थे, जिनके नाम की कोई पंजाबी फिल्म की गारंटी थी। उनकी व्यक्तित्व, चमकदार व्यक्तित्व, पंजाब के विशिष्ट घबरुओं को प्रदर्शित करता है, जिसमें उन्होंने अनोखी शैली के संवाद के साथ पूरक बनाया, उन्हें पाकिस्तान के पंजाबी सिनेमा के लिए सबसे उपयुक्त फिल्म नायक बनाया। उनकी फिल्मों में से एक मलांगी एक फिल्म थी, जो तब रिलीज हुई थी, वह बॉक्स ऑफिस का व्यवसाय करती थी। एक बार वह जवान होकर मर गया और एक उसकी लोकप्रियता की कल्पना कर सकता है कि उनके निधन के कई सालों बाद उनकी फिल्मों का फिल्म पसंद का पसंदीदा पसंद रहा। वास्तव में पाकिस्तान के पंजाबी सिनेमा का एक प्रतीकात्मक नायक।.

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों की सूची

उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री उत्तर भारत के राज्य उत्तर प्रदेश का प्रमुख होता है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों की सूची यहाँ दी गई है। उत्तर प्रदेश में अब तक 20 व्यक्ति मुख्यमंत्री रह चुके हैं। इन 20 व्यक्तियों के अतरिक्त, तीन व्यक्ति राज्य के कार्यकारी मुख्यमंत्री भी रहे हैं जिनका कार्यकाल बहुत छोटा है। वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी हैं जो कि 19 मार्च 2017 से इस पद पर आसीन हैं। .

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उत्तर-पश्चिमी प्रान्त

उत्तर-पश्चिमी प्रांत ब्रिटिश भारत का एक प्रशासनिक क्षेत्र था जो विभिन्न मिलाए गए और जीते गए प्रांतो से मिलकर बना था और किसी ना किसी रूप में १८३६ से १९०२ तक अस्तित्व में रहा, जब यह आगरा और अवध का संयुक्त प्रांत (या उ प्र) के भीतर आगरा प्रांत बना।.

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उदगमंदलम

उटकमंडलम या ऊटी तमिलनाडु राज्य का एक शहर है। कर्नाटक और तमिलनाडु की सीमा पर बसा यह शहर मुख्य रूप से एक पर्वतीय स्थल (हिल स्टेशन) के रूप में जाना जाता है। कोयंबतूर यहाँ का निकटतम हवाई अड्डा है। सड़को द्वारा यह तमिलनाडु और कर्नाटक के अन्य हिस्सों से अच्छी तरह जुड़ा है परन्तु यहाँ आने के लिये कन्नूर से रेलगाड़ी या ट्वाय ट्रेन किया जाता है। यह तमिलनाडु प्रान्त में नीलगिरि की पहाडियो में बसा हुआ एक लोकप्रिय पर्वतीय स्थल है। उधगमंडलम शहर का नया आधिकारिक तमिल नाम है। ऊटी समुद्र तल से लगभग ७,४४० फीट (२,२६८ मीटर) की ऊचाई पर स्थित है। .

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उधम सिंह

अंगूठाकार सरदार उधम सिंह (26 दिसम्बर 1899 से 31 जुलाई 1940) का नाम भारत की आज़ादी की लड़ाई में पंजाब के क्रान्तिकारी के रूप में दर्ज है। उन्होंने जलियांवाला बाग कांड के समय पंजाब के गर्वनर जनरल रहे माइकल ओ' ड्वायर (en:Sir Michael Francis O'Dwyer) को लन्दन में जाकर गोली मारी। कई इतिहासकारों का मानना है कि यह हत्याकाण्ड ओ' ड्वायर व अन्य ब्रिटिश अधिकारियों का एक सुनियोजित षड्यंत्र था, जो पंजाब पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए पंजाबियों को डराने के उद्देश्य से किया गया था। यही नहीं, ओ' ड्वायर बाद में भी जनरल डायर के समर्थन से पीछे नहीं हटा था। मिलते जुलते नाम के कारण यह एक आम धारणा है कि उधम सिंह ने जालियाँवाला बाग हत्याकांड के उत्तरदायी जनरल डायर (पूरा नाम - रेजिनाल्ड एडवार्ड हैरी डायर, Reginald Edward Harry Dyer) को मारा था, लेकिन इतिहासकारों का मानना है कि प्रशासक ओ' ड्वायर जहां उधम सिंह की गोली से मरा (सन् १९४०), वहीं गोलीबारी को अंजाम देने वाला जनरल डायर १९२७ में पक्षाघात तथा कई तरह की बीमारियों से ग्रसित होकर मरा। उत्तर भारतीय राज्य उत्तराखण्ड के एक ज़िले का नाम भी इनके नाम पर उधम सिंह नगर रखा गया है। .

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उप्रेती

उप्रेती मुख्यतः भारत के उत्तराखण्ड राज्य के कुमाऊँ क्षेत्र में रहने वाले कुमाऊँनी समुदाय के सारस्वत ब्राह्मण हैं। इस समुदाय के लोग नेपाल और सिक्किम में भी पाए जाते हैं। अपनी परम्पराओं के अनुसार, वे ऋषि भारद्वाज के वंशज हैं जो कि शैव सम्प्रदाय के अनुयायी हैं, भगवान शिव को अपना ईष्ट आराध्य मानते हैं। पण्डित बद्री दत्त पाण्डेय की प्रसिद्ध पुस्तक कुमाऊँ और गढ़वाल का इतिहास के अनुसार उप्रेती मूल रूप से पश्चिमी भारत क्षेत्र के महाराष्ट्र राज्य के निवासी थे। जहाँ से वे १२ वीं शताब्दी में इस्लामी आक्रमण के परिणाम स्वरूप उत्तर में हिमालय की ओर पलायन कर गए। वर्तमान उत्तराखण्ड का कुमाऊँ क्षेत्र, सन् १८१४ ईस्वी में ब्रिटिश इण्डिया और गोरखा साम्राज्य के मध्य हुई सुगौली संधि से पूर्व तक गोरखाओं के नियन्त्रण में था, जब वे हिन्दू राज्य के शाही संरक्षण में अल्मोड़ा ज़िले से अन्य ब्राह्मणों के साथ नेपाल की ओर प्रवास कर गए। .

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उमेश चन्द्र बनर्जी

उमेश चन्द्र बनर्जी (29 दिसम्बर 1844 – 21 जुलाई 1906, व्योमेश चन्द्र बनर्जी के रूप में भी जाने जाते हैं) भारतीय बैरिस्टर एवं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रथम अध्यक्ष थे। ब्रिटेन के हाउस ऑफ कॉमन्स के लिये चुनाव लड़ने वाले वे प्रथम भारतीय थे (किन्तु वे जीत नहीं पाये)। ब्रितानी संसद में प्रवेश पाने की उन्होने दो कोशिशें की किन्तु असफल रहे। .

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छोटूराम

thumb सर छोटूराम का जन्म २४ नवम्बर १८८१ में झज्जर के छोटे से गांव गढ़ी सांपला में बहुत ही साधारण परिवार में हुआ (झज्जर उस समय रोहतक जिले का ही अंग था)। छोटूराम का असली नाम राय रिछपाल था। अपने भाइयों में से सबसे छोटे थे इसलिए सारे परिवार के लोग इन्हें छोटू कहकर पुकारते थे। स्कूल रजिस्टर में भी इनका नाम छोटूराम ही लिखा दिया गया और ये महापुरुष छोटूराम के नाम से ही विख्यात हुए। उनके दादाश्री रामरत्‍न के पास 10 एकड़ बंजर व बारानी जमीन थी। छोटूराम जी के पिता श्री सुखीराम कर्जे और मुकदमों में बुरी तरह से फंसे हुए थे। .

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१५ अगस्त

15 अगस्त ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 227वॉ (लीप वर्ष मे 228 वॉ) दिन है। साल मे अभी और 138 दिन बाकी है। .

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१९२० ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में भारत

भारत ने १९२० ग्रीष्मकालीन ऑलंपिक्स में एन्ट्वर्प, बेल्जियम में भाग लिया था। यह प्रथम अवसर था जब इस राष्ट्र ने एक टीम को ऑलंपिक खेलों में भेजा था। अब तक केवल एक एथलीट (नॉर्मैन प्रिचर्ड) ने ही बीस (२०) वर्ष पूर्व १९०० ग्रीष्मकालीन ऑलंपिक्स में भारत में भाग लिया था। .

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१९२४ ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में भारत

भारत ने फ़्रांस की राजधानी पैरिस में आयोजित हुए १९२४ ग्रीष्मकालीन ऑलंपिक्स में भाग लिया था। .

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१९२८ ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में भारत

१९२८ के एम्स्टर्डैम में हुए ऑलंपिक खेलों में हॉकी मैच खेलते हुए भारत की टीम भारत ने नीदरलैंड्स की राजध्धानी एम्स्टर्डैम में आयोजित १९२८ ग्रीष्मकालीन ऑलंपिक्स में भाग लिया था। इन खेलों में पुरुष फ़ील्ड हॉकी टीम ने स्वर्ण पदक जीता था। यह परिपाटी फ़िर १९५६ के ऑलंपिक खेलों तक चली थी। .

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१९३२ ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में भारत

भारत ने लॉस एन्जिलीस, संयुक्त राज्य में आयोजित हुए १९३२ ग्रीष्मकालीन ऑलंपिक्स में भाग लिया था। इन खेलों में पुरुष फ़ील्ड हॉकी स्पर्धा में लगातार दूसरी बार स्वर्ण पदक प्राप्त किया था। .

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१९३६ ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में भारत

भारत ने बर्लिन, जर्मनी में आयोजित हुए १९३६ ग्रीष्मकालीन ऑलंपिक्स में भाग लिया था। इन खेलों में भारत की पुरुष हॉकी टीम ने अपना तीसरा स्वर्ण पदक जीता था। .

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1942: अ लव स्टोरी

1942: अ लव स्टोरी 1993/1994 में बनी हिन्दी भाषा की प्रेमकहानी फ़िल्म है। मुख्य भूमिकाओं में अनिल कपूर, मनीषा कोइराला, जैकी श्रॉफ, अनुपम खेर, डैनी डेन्जोंगपा और प्राण हैं। इस फिल्म को अपने संगीत, गीत, चित्रण, छायांकन, बोल और अपनी प्रमुख अभिनेत्री मनीषा कोइराला के चित्रण के लिए अत्यधिक प्रशंसित किया गया था। यह फिल्म संगीत निर्देशक राहुल देव बर्मन की मौत के कुछ समय बाद रिलीज हुई थी। .

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ब्रितानी भारत, ब्रिटिश भारत, ब्रिटिश शासन, ब्रिटिश इंडिया, ब्रिटिश-अधीन भारत, भारतीय ब्रिटिश साम्रराज्य, अंग्रेजी हुकूमत

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