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ब्रजभाषा चलचित्रपट

सूची ब्रजभाषा चलचित्रपट

ब्रजवुड भारतीय चलचित्र उद्योग है। जिसे ब्रजभाषा सिनेमा भी कहते हैं। .

सामग्री की तालिका

  1. 13 संबंधों: चलचित्रपट, झॉलीवुड, ब्रज (बहुविकल्पी), ब्रज भूमि (फिल्म), ब्रज संस्कृति, ब्रजभाषा, भारतीय सिनेमा, भारतीय सिनेमा के सौ वर्ष, राजा बुन्देला, शिव कुमार, हरियाणवी सिनेमा, जय ब्रज जय ब्रजभाषा, १९८२

चलचित्रपट

चलचित्रपट का अर्थ है चलते हुए चित्रों का उद्योग। यह अग्रेजी शब्द सिनेमा (Cinema) का हिन्दी अनुवाद है। चलचित्रपट से निम्न आशय है.

देखें ब्रजभाषा चलचित्रपट और चलचित्रपट

झॉलीवुड

झॉलीवुड झारखंड का सिनेमा है जो मूल रूप से झारी भाषा की फिल्मों का निर्माण करता है।इसके अलावा खोरठा भाषा एवं संथाली में भी फिल्में बनती हैं। .

देखें ब्रजभाषा चलचित्रपट और झॉलीवुड

ब्रज (बहुविकल्पी)

ब्रज उत्तर भारत का एक विशेष धार्मिक क्षेत्र है। ब्रज के आधार पर कई नामकरण हुए हैं।.

देखें ब्रजभाषा चलचित्रपट और ब्रज (बहुविकल्पी)

ब्रज भूमि (फिल्म)

ब्रजभूमि शिव कुमार द्वारा बनाया गया एक ब्रजभाषा चलचित्र है जो वर्ष १९८२ में प्रदर्शित हुआ था। यह ब्रजभाषा का सर्वप्रथम चलचित्र है जिसमें मुख्य भूमिका में शिव कुमार,राजा बुन्देला, अलका नूपुर, और भारती अचरेकर थे। इस चलचित्र के साथ ही ब्रजभाषा चलचित्रपट का आरंभ हुआ। यह चलचित्र सदाबहार रहा। .

देखें ब्रजभाषा चलचित्रपट और ब्रज भूमि (फिल्म)

ब्रज संस्कृति

ब्रज संस्कृति का ज़िक्र आते ही जो सबसे पहली आवाज़ हमारी स्मृति में आती है, वह है घाटों से टकराती हुई यमुना की लहरों की आवाज़… श्री कृष्ण के साथ-साथ खेलकर यमुना ने महात्मा बुद्ध और महावीर स्वामी के प्रवचनों को साक्षात उन्हीं के मुख से अपनी लहरों को थाम कर सुना। यमुना की ये लहरें रसखान और रहीम के दोहों पर झूमी हैं… सूरदास और मीरा के पदों पर नाची हैं।यमुना ने ही जन्म दिया ब्रज-संस्कृति को… ब्रज की संस्कृति के साथ ही 'ब्रज' शब्द का चलन भक्ति आन्दोलन के दौरान पूरे चरम पर पहुँच गया। चौदहवीं-पन्द्रहवीं शताब्दी की कृष्ण भक्ति की व्यापक लहर ने ब्रज शब्द की पवित्रता को जन-जन में पूर्ण रूप से प्रचारित कर दिया। सूर, मीरा और रसख़ान के भजन तो जैसे आज भी ब्रज के वातावरण में गूंजते रहते हैं। कृष्ण भक्ति में ऐसा क्या है जिसने मीरा से राजसी रहन-सहन छुड़वा दिया और सूरदास की रचनाओं की गहराई को जानकर विश्व भर में इस विषय पर ही शोध होता रहा कि सूरदास वास्तव में दृष्टिहीन थे भी या नहीं। कहते हैं कि आस्था के प्रश्नों के उत्तर इतिहास में नहीं खोजे जाते लेकिन आस्था जन्म देती है संस्कृति को और गंगा और यमुना ने भी हमें सभ्यता और संस्कृति दी हैं। यमुना की देन है महाभारत कालीन सभ्यता और ब्रज का ‘प्राचीनतम प्रजातंत्र’ जिसके लिए बुद्ध ने मथुरा प्रवास के समय अपने प्रिय शिष्य (उनके भाई और वैद्य भी) ‘आनन्द’ से कहा था कि 'यह (मथुरा) आदि राज्य है, जिसने अपने लिये महासम्मत (राजा) चुना था।यमुना की देन यह संस्कृति अब ‘ब्रज संस्कृति’ कहलाती है। इस प्रकार ब्रज की संस्कृति यद्यपि एक क्षेत्रीय संस्कृति रही है, परंतु यदि इतिहास के आधार पर हम इसके विकास की चर्चा करें तो हमें ज्ञात होगा कि यह संस्कृति प्रारंभ से ही संघर्षशील, समन्वयकारी और अपनी विशिष्ट परंपराओं के कारण देश की मार्गदर्शिका, क्षेत्रीय होते हुए भी सार्वभौमिक तथा गतिशील व अपराजेय, साथ ही बड़ी उदात्त भी रही है। यह पूरे देश के आकर्षण का केंद्र रही है तथा इसी कारण इसे प्रदेश को सदा श्रद्धा की दृष्टि से देखा जाता रहा है। वैदिक काल से ही यह क्षेत्र तपोवन संस्कृति का केंद्र रहा। .

देखें ब्रजभाषा चलचित्रपट और ब्रज संस्कृति

ब्रजभाषा

ब्रजभाषा मूलत: ब्रज क्षेत्र की बोली है। (श्रीमद्भागवत के रचनाकाल में "व्रज" शब्द क्षेत्रवाची हो गया था। विक्रम की 13वीं शताब्दी से लेकर 20वीं शताब्दी तक भारत के मध्य देश की साहित्यिक भाषा रहने के कारण ब्रज की इस जनपदीय बोली ने अपने उत्थान एवं विकास के साथ आदरार्थ "भाषा" नाम प्राप्त किया और "ब्रजबोली" नाम से नहीं, अपितु "ब्रजभाषा" नाम से विख्यात हुई। अपने विशुद्ध रूप में यह आज भी आगरा, हिण्डौन सिटी,धौलपुर, मथुरा, मैनपुरी, एटा और अलीगढ़ जिलों में बोली जाती है। इसे हम "केंद्रीय ब्रजभाषा" भी कह सकते हैं। ब्रजभाषा में ही प्रारम्भ में काव्य की रचना हुई। सभी भक्त कवियों ने अपनी रचनाएं इसी भाषा में लिखी हैं जिनमें प्रमुख हैं सूरदास, रहीम, रसखान, केशव, घनानंद, बिहारी, इत्यादि। फिल्मों के गीतों में भी ब्रजभाषा के शब्दों का प्रमुखता से प्रयोग किया जाता है। .

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भारतीय सिनेमा

भारतीय सिनेमा के अन्तर्गत भारत के विभिन्न भागों और भाषाओं में बनने वाली फिल्में आती हैं जिनमें आंध्र प्रदेश और तेलंगाना, असम, बिहार, उत्तर प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, जम्मू एवं कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और बॉलीवुड शामिल हैं। भारतीय सिनेमा ने २०वीं सदी की शुरुआत से ही विश्व के चलचित्र जगत पर गहरा प्रभाव छोड़ा है।। भारतीय फिल्मों का अनुकरण पूरे दक्षिणी एशिया, ग्रेटर मध्य पूर्व, दक्षिण पूर्व एशिया और पूर्व सोवियत संघ में भी होता है। भारतीय प्रवासियों की बढ़ती संख्या की वजह से अब संयुक्त राज्य अमरीका और यूनाइटेड किंगडम भी भारतीय फिल्मों के लिए एक महत्वपूर्ण बाजार बन गए हैं। एक माध्यम(परिवर्तन) के रूप में सिनेमा ने देश में अभूतपूर्व लोकप्रियता हासिल की और सिनेमा की लोकप्रियता का इसी से अन्दाजा लगाया जा सकता है कि यहाँ सभी भाषाओं में मिलाकर प्रति वर्ष 1,600 तक फिल्में बनी हैं। दादा साहेब फाल्के भारतीय सिनेमा के जनक के रूप में जाना जाते हैं। दादा साहब फाल्के के भारतीय सिनेमा में आजीवन योगदान के प्रतीक स्वरुप और 1969 में दादा साहब के जन्म शताब्दी वर्ष में भारत सरकार द्वारा दादा साहेब फाल्के पुरस्कार की स्थापना उनके सम्मान में की गयी। आज यह भारतीय सिनेमा का सबसे प्रतिष्ठित और वांछित पुरस्कार हो गया है। २०वीं सदी में भारतीय सिनेमा, संयुक्त राज्य अमरीका का सिनेमा हॉलीवुड तथा चीनी फिल्म उद्योग के साथ एक वैश्विक उद्योग बन गया।Khanna, 155 2013 में भारत वार्षिक फिल्म निर्माण में पहले स्थान पर था इसके बाद नाइजीरिया सिनेमा, हॉलीवुड और चीन के सिनेमा का स्थान आता है। वर्ष 2012 में भारत में 1602 फ़िल्मों का निर्माण हुआ जिसमें तमिल सिनेमा अग्रणी रहा जिसके बाद तेलुगु और बॉलीवुड का स्थान आता है। भारतीय फ़िल्म उद्योग की वर्ष 2011 में कुल आय $1.86 अरब (₹ 93 अरब) की रही। जिसके वर्ष 2016 तक $3 अरब (₹ 150 अरब) तक पहुँचने का अनुमान है। बढ़ती हुई तकनीक और ग्लोबल प्रभाव ने भारतीय सिनेमा का चेहरा बदला है। अब सुपर हीरो तथा विज्ञानं कल्प जैसी फ़िल्में न केवल बन रही हैं बल्कि ऐसी कई फिल्में एंथीरन, रा.वन, ईगा और कृष 3 ब्लॉकबस्टर फिल्मों के रूप में सफल हुई है। भारतीय सिनेमा ने 90 से ज़्यादा देशों में बाजार पाया है जहाँ भारतीय फिल्मे प्रदर्शित होती हैं। Khanna, 158 सत्यजीत रे, ऋत्विक घटक, मृणाल सेन, अडूर गोपालकृष्णन, बुद्धदेव दासगुप्ता, जी अरविंदन, अपर्णा सेन, शाजी एन करुण, और गिरीश कासरावल्ली जैसे निर्देशकों ने समानांतर सिनेमा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और वैश्विक प्रशंसा जीती है। शेखर कपूर, मीरा नायर और दीपा मेहता सरीखे फिल्म निर्माताओं ने विदेशों में भी सफलता पाई है। 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के प्रावधान से 20वीं सेंचुरी फॉक्स, सोनी पिक्चर्स, वॉल्ट डिज्नी पिक्चर्स और वार्नर ब्रदर्स आदि विदेशी उद्यमों के लिए भारतीय फिल्म बाजार को आकर्षक बना दिया है। Khanna, 156 एवीएम प्रोडक्शंस, प्रसाद समूह, सन पिक्चर्स, पीवीपी सिनेमा,जी, यूटीवी, सुरेश प्रोडक्शंस, इरोज फिल्म्स, अयनगर्न इंटरनेशनल, पिरामिड साइमिरा, आस्कार फिल्म्स पीवीआर सिनेमा यशराज फिल्म्स धर्मा प्रोडक्शन्स और एडलैब्स आदि भारतीय उद्यमों ने भी फिल्म उत्पादन और वितरण में सफलता पाई। मल्टीप्लेक्स के लिए कर में छूट से भारत में मल्टीप्लेक्सों की संख्या बढ़ी है और फिल्म दर्शकों के लिए सुविधा भी। 2003 तक फिल्म निर्माण / वितरण / प्रदर्शन से सम्बंधित 30 से ज़्यादा कम्पनियां भारत के नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध की गयी थी जो फिल्म माध्यम के बढ़ते वाणिज्यिक प्रभाव और व्यसायिकरण का सबूत हैं। दक्षिण भारतीय फिल्म उद्योग दक्षिण भारत की चार फिल्म संस्कृतियों को एक इकाई के रूप में परिभाषित करता है। ये कन्नड़ सिनेमा, मलयालम सिनेमा, तेलुगू सिनेमा और तमिल सिनेमा हैं। हालाँकि ये स्वतंत्र रूप से विकसित हुए हैं लेकिन इनमे फिल्म कलाकारों और तकनीशियनों के आदान-प्रदान और वैष्वीकरण ने इस नई पहचान के जन्म में मदद की। भारत से बाहर निवास कर रहे प्रवासी भारतीय जिनकी संख्या आज लाखों में हैं, उनके लिए भारतीय फिल्में डीवीडी या व्यावसायिक रूप से संभव जगहों में स्क्रीनिंग के माध्यम से प्रदर्शित होती हैं। Potts, 74 इस विदेशी बाजार का भारतीय फिल्मों की आय में 12% तक का महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है। इसके अलावा भारतीय सिनेमा में संगीत भी राजस्व का एक साधन है। फिल्मों के संगीत अधिकार एक फिल्म की 4 -5 % शुद्ध आय का साधन हो सकते हैं। .

देखें ब्रजभाषा चलचित्रपट और भारतीय सिनेमा

भारतीय सिनेमा के सौ वर्ष

3 मई 2013 (शुक्रवार) को भारतीय सिनेमा पूरे सौ साल का हो गया। किसी भी देश में बनने वाली फिल्में वहां के सामाजिक जीवन और रीति-रिवाज का दर्पण होती हैं। भारतीय सिनेमा के सौ वर्षों के इतिहास में हम भारतीय समाज के विभिन्न चरणों का अक्स देख सकते हैं।उल्लेखनीय है कि इसी तिथि को भारत की पहली फीचर फ़िल्म “राजा हरिश्चंद्र” का रुपहले परदे पर पदार्पण हुआ था। इस फ़िल्म के निर्माता भारतीय सिनेमा के जनक दादासाहब फालके थे। एक सौ वर्षों की लम्बी यात्रा में हिन्दी सिनेमा ने न केवल बेशुमार कला प्रतिभाएं दीं बल्कि भारतीय समाज और चरित्र को गढ़ने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। .

देखें ब्रजभाषा चलचित्रपट और भारतीय सिनेमा के सौ वर्ष

राजा बुन्देला

राजा बुन्देला एक प्रसिद्ध नेता एवं अभिनेता हैं जो बुन्देलखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष हैं। उन्होंने अलग बुन्देलखंड राज्य की मांग के लिए भी अभियान चला रखा है। .

देखें ब्रजभाषा चलचित्रपट और राजा बुन्देला

शिव कुमार

शिव कुमार प्रसिद्ध भारतीय फ़िल्म अभिनेता हैं। जो ब्रजवुड के जनक हैं। इन्होंने ने ही ब्रजभाषा की सर्वप्रथम फिल्म ब्रज भूमि बनाई थी। इसके अलावा इन्होंने लल्लूराम भी बनाई थी।शिव कुमार का जन्म देदामई ग्राम (तत्कालीन अलीगढ़ जिला) अब हाथरस जिला में हुआ था। उनका हिन्दी चलचित्र जगत में प्रवेश निर्देशक किशोर साहू की फिल्म पूनम की रात (१९६५) से हुआ। .

देखें ब्रजभाषा चलचित्रपट और शिव कुमार

हरियाणवी सिनेमा

हरियाणवी सिनेमा उत्तर भारत के राज्य हरियाणा का प्रमुख सिनेमा है जो हरियाणवी भाषा में फिल्मों को प्रस्तुत करता है। .

देखें ब्रजभाषा चलचित्रपट और हरियाणवी सिनेमा

जय ब्रज जय ब्रजभाषा

जय ब्रज जय ब्रजभाषा एक नारा है जिसे ब्रज एवं ब्रजभाषा के उत्थान के लिए दिया गया था। ब्रज में धार्मिक स्थानों पर पर्यटकों को बढाने तथा ब्रजभाषा फिल्मोद्योग के विकास हेतु यह नारा दिया गया जिससे समस्त ब्रज मंडल में ब्रजभाषा में फिल्म निर्माण की क्रान्ति आई। इस नारे ने नेताओं एवं अभिनेताओं को ब्रज के विकास की ओर आकर्षित किया। .

देखें ब्रजभाषा चलचित्रपट और जय ब्रज जय ब्रजभाषा

१९८२

१९८२ ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

देखें ब्रजभाषा चलचित्रपट और १९८२

बृजवुड के रूप में भी जाना जाता है।