सामग्री की तालिका
24 संबंधों: थाती, दोआब, पाकिस्तान, पंडोह झील, पीर पंजाल पर्वतमाला, भारत की नदियों की सूची, मनाली, हिमाचल प्रदेश, महाराणा प्रताप सागर, रैडक्लिफ़ अवार्ड, रोहतांग दर्रा, सतलुज नदी, सिन्धु नदी, सिन्धु-गंगा के मैदान, सिंधु जल समझौता, सिकंदर, संधोल, व्यास, पंजाब, गुरु हर किशन, इंदिरा गांधी नहर, कश्मीर हिमालय, काली बेईं नदी, क्षुद्रक, अपवाह तन्त्र, 2014 भारत - पाकिस्तान बाढ़।
थाती
थाती भारत देश के हिमाचल प्रदेश के जिला मण्डी की सरकाघाट तहसील के अन्तर्गंत बसने वाला एक सुन्दर गांव है। यह ब्यास नदी के किनारे मैं बसा है। गांव की आबादी लगभग 1000 है। श्रेणी:मंडी जिला.
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दोआब
भारत का प्रसिद्ध दोआब: गंगा-यमुना का दोआब उत्तरी भारतीय उपमहाद्वीप के प्रसिद्ध दोआब दोआब दो नदियों के बीच के क्षेत्र को कहते हैं। यह 'दो' और 'आब' (यानि 'पानी') शब्दों के जोड़ से बना है, जैसे गंगा और यमुना के बीच की भूमि। दुनियाँ में इस प्रकार के अनेक दोआब हैं, जैसे दजला और फरात का दोआब आदि। पर भारत में दोआब विशेष रूप से गंगा और यमुना के मध्य की भूमि को ही कहते हैं, जो उत्तर प्रदेश में शिवालिक पहाड़ियों से लेकर इलाहाबाद में दोनों नदियों के संगमस्थल तक फैला हुआ है। निम्न दोआब, जो इटावा जिले से लेकर इलाहाबाद तक फैला है, अंतर्वेद कहलाता है। .
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पाकिस्तान
इस्लामी जम्हूरिया पाकिस्तान या पाकिस्तान इस्लामी गणतंत्र या सिर्फ़ पाकिस्तान भारत के पश्चिम में स्थित एक इस्लामी गणराज्य है। 20 करोड़ की आबादी के साथ ये दुनिया का छठा बड़ी आबादी वाला देश है। यहाँ की प्रमुख भाषाएँ उर्दू, पंजाबी, सिंधी, बलूची और पश्तो हैं। पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद और अन्य महत्वपूर्ण नगर कराची व लाहौर रावलपिंडी हैं। पाकिस्तान के चार सूबे हैं: पंजाब, सिंध, बलोचिस्तान और ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा। क़बाइली इलाक़े और इस्लामाबाद भी पाकिस्तान में शामिल हैं। इन के अलावा पाक अधिकृत कश्मीर (तथाकथित आज़ाद कश्मीर) और गिलगित-बल्तिस्तान भी पाकिस्तान द्वारा नियंत्रित हैं हालाँकि भारत इन्हें अपना भाग मानता है। पाकिस्तान का जन्म सन् 1947 में भारत के विभाजन के फलस्वरूप हुआ था। सर्वप्रथम सन् 1930 में कवि (शायर) मुहम्मद इक़बाल ने द्विराष्ट्र सिद्धान्त का ज़िक्र किया था। उन्होंने भारत के उत्तर-पश्चिम में सिंध, बलूचिस्तान, पंजाब तथा अफ़गान (सूबा-ए-सरहद) को मिलाकर एक नया राष्ट्र बनाने की बात की थी। सन् 1933 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के छात्र चौधरी रहमत अली ने पंजाब, सिन्ध, कश्मीर तथा बलोचिस्तान के लोगों के लिए पाक्स्तान (जो बाद में पाकिस्तान बना) शब्द का सृजन किया। सन् 1947 से 1970 तक पाकिस्तान दो भागों में बंटा रहा - पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान। दिसम्बर, सन् 1971 में भारत के साथ हुई लड़ाई के फलस्वरूप पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश बना और पश्चिमी पाकिस्तान पाकिस्तान रह गया। .
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पंडोह झील
पंडोह बांध हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में व्यास नदी पर बना एक तटबन्ध (embankment) बाँध है। व्यास परियोजना के अन्तर्गत यह बाँध १९७७ में बनकर तैयार हुआ। इसका मुख्य उद्देश्य जलविद्युत शक्ति जनन है। ये बाँध 76 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। कुल्लू और मनाली इन दोनों स्थानों की बिजली आपूर्ति यहीं से होती है। कुल्लू से मनाली मार्ग पर पड़ने के कारण और अपनी मन को मोह लेने वाली सुन्दरता के कारण ये हमेशा ही पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है। यहां की सुन्दरता किसी भी यात्री का मन आसानी से मोह सकती है ! भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) बांध के विकास, प्रबंधन, और बांध के रखरखाव के लिए जिम्मेदार है। श्रेणी:भारत के बाँध श्रेणी:हिमाचल प्रदेश की झीलें.
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पीर पंजाल पर्वतमाला
पीर पंजाल पर्वतमाला (Pir Panjal Range) हिमालय की एक पर्वतमाला है जो भारत के हिमाचल प्रदेश व जम्मू और कश्मीर राज्यों और पाक-अधिकृत कश्मीर में चलती है। हिमालय में धौलाधार और पीर पंजाल शृंख्लाओं की ओर ऊँचाई बढ़ने लगती है और पीर पंजाल निचले हिमालय की सर्वोच्च शृंख्ला है। सतलुज नदी के किनारे यह हिमालय के मुख्य भाग से अलग होकर अपने एक तरफ़ ब्यास और रावी नदियाँ और दूसरी तरफ़ चेनाब नदी रखकर चलने लगती है। पश्चिम में आगे जाकर उत्तरी पाकिस्तानी पंजाब और ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा की पहाड़ी गलियाँ इसी पीर पंजाल शृंख्ला का अंतिम कम-ऊँचाई वाला भाग है। इसी में उत्तरी पंजाब का मरी हिल-स्टेशन स्थित है। पाक-अधिकृत कश्मीर के बाग़ ज़िले में गंगा चोटी पीर पंजाल शृंख्ला का एक प्रसिद्ध ३,०४४ मीटर (९,९८७ फ़ुट) ऊँचा पर्वत व पर्यटन-स्थल है। .
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भारत की नदियों की सूची
भारत में मुख्यतः चार नदी प्रणालियाँ है (अपवाह तंत्र) हैं। उत्तरी भारत में सिंधु, उत्तरी-मध्य भारत में गंगा, और उत्तर-पूर्व भारत में ब्रह्मपुत्र नदी प्रणाली है। प्रायद्वीपीय भारत में नर्मदा, कावेरी, महानदी, आदि नदियाँ विस्तृत नदी प्रणाली का निर्माण करती हैं। यहाँ भारत की नदियों की एक सूची दी जा रही है: .
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मनाली, हिमाचल प्रदेश
मनाली (ऊंचाई 1,950 मीटर या 6,398 फीट) कुल्लू घाटी के उत्तरी छोर के निकट व्यास नदी की घाटी में स्थित, भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य की पहाड़ियों का एक महत्वपूर्ण पर्वतीय स्थल (हिल स्टेशन) है। प्रशासकीय तौर पर मनाली कुल्लू जिले का एक हिस्सा है, जिसकी जनसंख्या लगभग 30,000 है। यह छोटा सा शहर लद्दाख और वहां से होते हुए काराकोरम मार्ग के आगे तारीम बेसिन में यारकंद और ख़ोतान तक के एक अतिप्राचीन व्यापार मार्ग का शुरुआत था। मनाली और उसके आस-पास के क्षेत्र भारतीय संस्कृति और विरासत के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इसे सप्तर्षि या सात ऋषियों का घर बताया गया है। .
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महाराणा प्रताप सागर
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के शिवालिक पहाड़ियों के आर्द्र भूमि पर ब्यास नदी पर बाँध बनाकर एक जलाशय का निर्माण किया गया है जिसे महाराणा प्रताप सागर नाम दिया गया है। इसे पौंग जलाशय या पौंग बांध के नाम से भी जाना जाता है। यह बाँध 1975 में बनाया गया था। महाराणा प्रताप के सम्मान में नामित यह जलाशय या झील (1572–1597) एक प्रसिद्ध वन्यजीव अभयारण्य है और रामसर सम्मेलन द्वारा भारत में घोषित 25 अंतरराष्ट्रीय आर्द्रभूमि साइटों में से एक है।"Salient Features of some prominent wetlands of India", pib.nic.in, Release ID 29706, web: सूर्योदय पौंग जलाशय और गोविन्दसागर जलाशय हिमाचल प्रदेश में हिमालय की तलहटी में दो सबसे महत्वपूर्ण मछली वाले जलाशय हैं।, इन जलाशयों में हिमालय राज्यों के भीतर मछली के प्रमुख स्रोत हैं। .
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रैडक्लिफ़ अवार्ड
रैडक्लिफ़ रेखा 17 अगस्त 1947 को भारत विभाजन के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा बन गई। सर सिरिल रैडक्लिफ़ की अध्यक्षता में सीमा आयोग द्वारा रेखा का निर्धारण किया गया, जो 88 करोड़ लोगों के बीच क्षेत्र को न्यायोचित रूप से विभाजित करने के लिए अधिकृत थे। भारत का विभाजन .
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रोहतांग दर्रा
रोहतांग दर्रा रोहतांग दर्रा हिमालय का एक प्रमुख दर्रा हैं। भारत के पर्यटन स्थलों की अधिक से अधिक जानकारी हिंदी में देने का यह एक लघु प्रयास है। रोहतांग दर्रा-- भारत देश के हिमाचल प्रदेश में 13,050 फीट/समुद्री तल से 4111 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है 'रोहतांग दर्रा 'हिमालय का एक प्रमुख दर्रा है। रोहतांग इस जगह का नया नाम है। पुराना नाम है-'भृगु-तुंग'! यह दर्रा मौसम में अचानक अत्यधिक बदलावों के कारण भी जाना जाता है। उत्तर में मनाली, दक्षिण में कुल्लू शहर से ५१ किलोमीटर दूर यह स्थान मनाली-लेह के मुख्यमार्ग में पड़ता है। इसे लाहोल और स्पीति जिलों का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है। पूरा वर्ष यहां बर्फ की चादर बिछी रहती है। राज्य पर्यटन विभाग के अनुसार पिछले वर्ष 2008में करीब 100,000 विदेशी पर्यटक यहां आए थे। यहाँ से हिमालय श्रृंखला के पर्वतों का विहंगम दृश्य देखने को मिलता है। बादल इन पर्वतों से नीचे दिखाई देते हैं। यहाँ ऐसा नजारा दिखता है, जो पृथ्वी पर बिरले ही स्थानों पर देखने को मिले.
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सतलुज नदी
सतलुज (पंजाबी: ਸਤਲੁਜ, अँग्रेजी:Sutlej River, उर्दू: درياۓ ستلُج) उत्तरी भारत में बहनेवाली एक सदानीरा नदी है। इसका पौराणिक नाम शतद्रु है। जिसकी लम्बाई पंजाब में बहने वाली पाँचों नदियों में सबसे अधिक है। यह पाकिस्तान में होकर बहती है। .
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सिन्धु नदी
पाकिस्तान में बहती सिन्घु सिन्धु नदी (Indus River) एशिया की सबसे लंबी नदियों में से एक है। यह पाकिस्तान, भारत (जम्मू और कश्मीर) और चीन (पश्चिमी तिब्बत) के माध्यम से बहती है। सिन्धु नदी का उद्गम स्थल, तिब्बत के मानसरोवर के निकट सिन-का-बाब नामक जलधारा माना जाता है। इस नदी की लंबाई प्रायः 2880 किलोमीटर है। यहां से यह नदी तिब्बत और कश्मीर के बीच बहती है। नंगा पर्वत के उत्तरी भाग से घूम कर यह दक्षिण पश्चिम में पाकिस्तान के बीच से गुजरती है और फिर जाकर अरब सागर में मिलती है। इस नदी का ज्यादातर अंश पाकिस्तान में प्रवाहित होता है। यह पाकिस्तान की सबसे लंबी नदी और राष्ट्रीय नदी है। सिंधु की पांच उपनदियां हैं। इनके नाम हैं: वितस्ता, चन्द्रभागा, ईरावती, विपासा एंव शतद्रु.
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सिन्धु-गंगा के मैदान
सिन्धु-गंगा मैदान का योजनामूलक मानचित्र सिन्धु-गंगा का मैदान, जिसे उत्तरी मैदानी क्षेत्र तथा उत्तर भारतीय नदी क्षेत्र भी कहा जाता है, एक विशाल एवं उपजाऊ मैदानी इलाका है। इसमें उत्तरी तथा पूर्वी भारत का अधिकांश भाग, पाकिस्तान के सर्वाधिक आबादी वाले भू-भाग, दक्षिणी नेपाल के कुछ भू-भाग तथा लगभग पूरा बांग्लादेश शामिल है। इस क्षेत्र का यह नाम इसे सींचने वाली सिन्धु तथा गंगा नामक दो नदियों के नाम पर पड़ा है। खेती के लिए उपजाऊ मिट्टी होने के कारण इस इलाके में जनसंख्या का घनत्व बहुत अधिक है। 7,00,000 वर्ग किमी (2,70,000 वर्ग मील) जगह पर लगभग 1 अरब लोगों (या लगभग पूरी दुनिया की आबादी का 1/7वां हिस्सा) का घर होने के कारण यह मैदानी इलाका धरती की सर्वाधिक जनसंख्या वाले क्षेत्रों में से एक है। सिन्धु-गंगा के मैदानों पर स्थित बड़े शहरों में अहमदाबाद, लुधियाना, अमृतसर, चंडीगढ़, दिल्ली, जयपुर, कानपुर, लखनऊ, इलाहाबाद, वाराणसी, पटना, कोलकाता, ढाका, लाहौर, फैसलाबाद, रावलपिंडी, इस्लामाबाद, मुल्तान, हैदराबाद और कराची शामिल है। इस क्षेत्र में, यह परिभाषित करना कठिन है कि एक महानगर कहां शुरू होता है और कहां समाप्त होता है। सिन्धु-गंगा के मैदान के उत्तरी छोर पर अचानक उठने वाले हिमालय के पर्वत हैं, जो इसकी कई नदियों को जल प्रदान करते हैं तथा दो नदियों के मिलन के कारण पूरे क्षेत्र में इकट्ठी होने वाली उपजाऊ जलोढ़ मिटटी के स्रोत हैं। इस मैदानी इलाके के दक्षिणी छोर पर विंध्य और सतपुड़ा पर्वत श्रृंखलाएं तथा छोटा नागपुर का पठार स्थित है। पश्चिम में ईरानी पठार स्थित है। .
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सिंधु जल समझौता
सिंधु जल संधि पानी के वितरण लिए भारत और पाकिस्तान के बीच हुई एक संधि है। इस सन्धि में विश्व बैंक (तत्कालीन पुनर्निर्माण और विकास हेतु अंतरराष्ट्रीय बैंक) ने मध्यस्थता की। द गार्डियन, Monday 3 June 2002 01.06 BST इस संधि पर कराची में 19 सितंबर, 1960 को भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते के अनुसार, तीन "पूर्वी" नदियों — ब्यास, रावी और सतलुज — का नियंत्रण भारत को, तथा तीन "पश्चिमी" नदियों — सिंधु, चिनाब और झेलम — का नियंत्रण पाकिस्तान को दिया गया। हालाँकि अधिक विवादास्पद वे प्रावधान थे जनके अनुसार जल का वितरण किस प्रकार किया जाएगा, यह निश्चित होना था। क्योंकि पाकिस्तान के नियंतरण वाली नदियों का प्रवाह पहले भारत से होकर आता है, संधि के अनुसार भारत को उनका उपयोग सिंचाई, परिवहन और बिजली उत्पादन हेतु करने की अनुमति है। इस दौरान इन नदियों पर भारत द्वारा परियोजनाओं के निर्माण के लिए सटीक नियम निश्चित किए गए। यह संधि पाकिस्तान के डर का परिणाम थी कि नदियों का आधार (बेसिन) भारत में होने के कारण कहीं युद्ध आदि की स्थिति में उसे सूखे और अकाल आदि का सामना न करना पड़े। 1960 में हुए संधि के अनुसमर्थन के बाद से भारत और पाकिस्तान में कभी भी "जलयुद्ध" नहीं हुआ। हर प्रकार के असहमति और विवादों का निपटारा संधि के ढांचे के भीतर प्रदत्त कानूनी प्रक्रियाओं के माध्यम से किया गया है। Strategic Foresight Group, --> इस संधि के प्रावधानों के अनुसार सिंधु नदी के कुल पानी का केवल 20% का उपयोग भारत द्वारा किया जा सकता है। .
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सिकंदर
सिकंदर (Alexander) (356 ईपू से 323 ईपू) मकदूनियाँ, (मेसेडोनिया) का ग्रीक प्रशासक था। वह एलेक्ज़ेंडर तृतीय तथा एलेक्ज़ेंडर मेसेडोनियन नाम से भी जाना जाता है। इतिहास में वह कुशल और यशस्वी सेनापतियों में से एक माना गया है। अपनी मृत्यु तक वह उन सभी भूमि मे से लगभग आधी भूमि जीत चुका था, जिसकी जानकारी प्राचीन ग्रीक लोगों को थी(सत्य ये है की वह पृथ्वी के मात्र 5 प्रतीशत हिस्से को ही जीत पाया था) और उसके विजय रथ को रोकने में सबसे मुख्य भूमिका भारत के महान राजा पुरु (जिन्हे युनानी इतिहासकारों नें पोरस से सम्बोधित किया है।)और भारत के क्षेत्रीय सरदारो की थी, जिन्होंने सिकंदर की सेना में अपने पराक्रम के दम पर भारत के प्रति खौफ पैदा कर उसके हौसले पस्त कर दिये और उसे भारत से लौटने पर मजबूर कर दिया।। उसने अपने कार्यकाल में इरान, सीरिया, मिस्र, मसोपोटेमिया, फिनीशिया, जुदेआ, गाझा, बॅक्ट्रिया और भारत में पंजाब(जिसके राजा पुरु थे।) तक के प्रदेश पर विजय हासिल की थी परन्तु बाद में वो मगध की विशाल सेना से डर कर लौट गया ।।उल्लेखनीय है कि उपरोक्त क्षेत्र उस समय फ़ारसी साम्राज्य के अंग थे और फ़ारसी साम्राज्य सिकन्दर के अपने साम्राज्य से कोई 40 गुना बड़ा था। फारसी में उसे एस्कंदर-ए-मक्दुनी (मॅसेडोनिया का अलेक्ज़ेंडर, एस्कन्दर का अपभ्रंश सिकन्दर है) औऱ हिंदी में अलक्षेन्द्र कहा गया है। .
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संधोल
संधोल हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले का एक इलाका है, जिसके अंतर्गत बहुत से गांव आते हैं-ऊपर्ला घनाला, बुल्ला घनाला, सोरी, रवाडा, दतोडी, नेंगल। संधोल में मंडियाली भाषा बोली जाती है। संधोल भर में शाहतलाई के बाबा बालकनाथ की पूजा की जाती है। बाबा बालकनाथ ने शाहतलाई में ही शिवजी की तपस्या कर सिध्दि प्राप्त की थी। संधोल का एस.
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व्यास, पंजाब
व्यास (ਬਿਆਸ), इसी नाम की नदी, व्यास नदी के तट पर बसा भारत के पंजाब राझ्य का एक शहर है। यह अमृतसर जिला में पंजाब के पूर्वी सिरे में आता है। .
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गुरु हर किशन
गुरू हर किशन जी सिखों के आठवें गुरू थे। .
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इंदिरा गांधी नहर
इन्दिरा गाँधी नहर राजस्थान की प्रमुख नहर हैं। इसका पुराना नाम "राजस्थान नहर" था। यह राजस्थान प्रदेश के उत्तर-पश्चिम भाग में बहती है। राजस्थान की महत्वाकांक्षी इंदिरा गांधी नहर परियोजना से मरूस्थलीय क्षेत्र में चमत्कारिक बदलाव आ रहा है और इससे मरूभूमि में सिंचाई के साथ ही पेयजल और औद्योगिक कार्यो के लिए॰भी पानी मिलने लगा है। नहर निर्माण से पूर्व लोगों को कई मील दूर से पीने का पानी लाना पड़ता था। लेकिन अब परियोजना के अन्तर्गत बारह सौ क्यूसेक पानी केवल पेयजल उद्योग, सेना एवं ऊर्जा परियोजनाओं के लिए आरक्षित किया गया है। विशेषतौर से चुरू, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर, जैसलमेर, बाडमेर और नागौर जैसे रेगिस्तानी जिलों के निवासियों को इस परियोजना से पेयजल सुविधा उपलब्ध कराने के प्रयास जारी हैं। राजस्थान नहर सतलज और व्यास नदियों के संगम पर निर्मित हरिके बांध से निकाली गई है। यह नहर पंजाब व राजस्थान को पानी की आपूर्ति करती है। पंजाब में इस नहर की लम्बाई 132 किलोमीटर है और वहां इसे राजस्थान फीडर के नाम से जाना जाता है। इससे इस क्षेत्र में सिंचाई नहीं होती है बल्कि पेयजल की उपलब्धि होती है। राजस्थान में इस नहर की लम्बाई 470 किलोमीटर है। राजस्थान में इस नहर को राज कैनाल भी कहते हैं। राजस्थान नहर इसकी मुख्य शाखा या मेन कैनाल 256 किलोमीटर लंबी हे जबकि वितरिकाएं 5606 किलोमीटर और इसका सिंचित क्षेत्र 19.63 लाख हेक्टेयर आंका गया है। इसकी मेनफीडर 204 किलोमीटर लंबी है जिसका 35 किलोमीटर हिस्सा राजस्थान व 169 किलोमीटर हिस्सा पंजाब व हरियाणा में है।यह नहर राजस्थान की एक प्रमुख नहर है। इस नहर का उद्घाटन 31 मार्च 1958 को हुआ जबकि दो नवंबर 1984 को इसका नाम इंदिरा गांधी नहर परियोजना कर दिया गया। श्रेणी:राजस्थान की प्रमुख नहरें.
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कश्मीर हिमालय
कश्मीर हिमालय, जिन्हें पंजाब हिमालय या पश्चिमी हिमालय भी कहा जाता है, हिमालय पर्वत श्रंखला के चार क्षैतिज विभाजनों में से एक है। सिंधु नदी से सतलुज नदी के बीच फैली लगभग ५६० किलोमीटर लम्बी हिमालय श्रंखला को ही कश्मीर हिमालय कहा जाता है। कश्मीर, जम्मू तथा हिमाचल में स्थित इस पर्वत श्रंखला के पूर्व में कुमाऊँ हिमालय स्थित हैं। ज़ंस्कार और पीर पंजाल कश्मीर हिमालय की प्रमुख पर्वतमालाएं हैं। नंगा परबत यहाँ की सबसे ऊँची चोटी है। सिंधु नदी की पाँचों प्रमुख सहयोगी नदियों (झेलम, चेनाब, रावी, व्यास, तथा सतलुज) का उद्गम कश्मीर हिमालय में ही होता है। हिमचाल प्रदेश में स्थित डलहौजी यहाँ का एक प्रसिद्ध हिल स्टेशन है। .
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काली बेईं नदी
काली बेई एक नदी है जो पंजाब के होशियारपुर जिले की मुकेरियां तहसील के ग्राम घनोआ के पास से ब्यास नदी से निकली है और दुबारा 'हरि के छम्ब' में जाकर ब्यास नदी में ही मिल जाती है। काली बेईं का सिख धर्म के लिए बड़ा धार्मिक महत्व है और इसे पवित्र माना जाता है। यही वह नदी है जिसके किनारे पर सिखों के पहले गुरू नानक देव जी ने 14 साल 9 महीने और 13 दिन व्यतीत किये थे। इसके बाद उन्होंने इसी नदी के तट पर सिख धर्म के मूल मंत्र ‘एक ओंकार सतनाम’ का सृजन किया था। बलबीर सिंह सीचेवाल नामक एक संत ने एक सौ साठ किलोमीटर लंबी 'काली बेई' नदी को 'जीवित' किया है। पर्यावरण बचाने के लिए नदियों का संरक्षण भी जरूरी है यह उनका दृढ़ विश्वास है। .
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क्षुद्रक
क्षुद्रक प्राचीन भारत का एक गणराज्य जो सिकन्दर के आक्रमण के विरुद्ध लड़ा था। यह दक्षिण पंजाब में व्यास नदी के किनारे मालवगण के पूर्वभाग में बसा हुआ था। अपने पड़ोस में रहनेवाले मालव लोगों से इनका प्राचीनकाल से वैर था। अपने देश वापस जानेवाले सिकन्दर के द्वारा इन दो गणों पर हमला किये जाने पर, ये दोनों एक हो गये, एवं इन्होंने उससे इतना गहरा मुकाबला किया कि, यद्यपि ये युद्ध में विजय प्राप्त न कर सके, फिर भी सिकन्दर ने इनके साथ अत्यंत सम्मानपूर्वक संधि की। पतंजलि के व्याकरण महाभाष्य में, इन लोगों के द्वारा अकेले ही अपने शत्रु पर विजय प्राप्त करने का निर्देश प्राप्त है (एकाकिभिः क्षुद्रकैः जितम्); ३२१; ४१२। यह निर्देश संभवतः सिकंदर के साथ इन लोगों के किये युद्ध के उपलक्ष्य में ही किया गया होगा। श्रेणी:प्राचीन भारत का इतिहास.
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अपवाह तन्त्र
डेल्टाई भाग में अपवाह तंत्र अपवाह तन्त्र या प्रवाह प्रणाली (drainage system) किसी नदी तथा उसकी सहायक धाराओं द्वारा निर्मित जल प्रवाह की विशेष व्यवस्था है।सोनल गुप्ता - यह एक तरह का जालतन्त्र या नेटवर्क है जिसमें नदियाँ एक दूसरे से मिलकर जल के एक दिशीय प्रवाह का मार्ग बनती हैं। किसी नदी में मिलने वाली सारी सहायक नदियाँ और उस नदी बेसिन के अन्य लक्षण मिलकर उस नदी का अपवाह तन्त्र बनाते हैं। .
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2014 भारत - पाकिस्तान बाढ़
सितम्बर 2014 में, मूसलाधार मानसूनी वर्षा के कारण भारतीय राज्य जम्मू और कश्मीर ने अर्ध शताब्दी की सबसे भयानक बाढ़ आई। यह केवल जम्मू और कश्मीर तक ही सीमित नहीं थी अपितु पाकिस्तान नियंत्रण वाले आज़ाद कश्मीर, गिलगित-बल्तिस्तान व पंजाब प्रान्तों में भी इसका व्यापक असर दिखा। 8 सितम्बर 2014 तक, भारत में लगभग 200 लोगों तथा पाकिस्तान में 190 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। भारत के गृह मंत्रालय के अनुसार 450 गाँव जल समाधि ले चुके हैं। .
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बियास के रूप में भी जाना जाता है।