हम Google Play स्टोर पर Unionpedia ऐप को पुनर्स्थापित करने के लिए काम कर रहे हैं
निवर्तमानआने वाली
🌟हमने बेहतर नेविगेशन के लिए अपने डिज़ाइन को सरल बनाया!
Instagram Facebook X LinkedIn

बेरिलियम

सूची बेरिलियम

बेरिलियम एक रासायनिक तत्व है। यह प्रकृति में शुद्ध रूप में कभी नहीं मिलता बल्कि केवल अन्य तत्वों के साथ यौगिकों में ही पाया जाता है। इसे फ़ीरोज़ा (beryl) नामक रत्न में पाया जाता है जिस कारण से आम-भाषा में कभी-कभी बेरिलियम को भी फ़ीरोज़ा कह दिया जाता है। अपने शुद्ध रूप में यह तत्व लौह-भूरे रंग का, हल्का और भंगुर (ब्रिटल, आसानी से टूट जाने वाला) पदार्थ होता है। रासायनिक दृष्टि से यह क्षारीय पार्थिव धातु समूह का सदस्य है। जब बेरिलियम को ताम्बे, लोहे, ऐल्युमिनियम या निकल से मिलाकर मिश्रित धातु (ऐलोय) बनाई जाती है तो वह अधिक सख़्त और हलकी हो जाती है। ताम्बे-बेरिलियम की मिश्रधातु से बने औज़ार जब लोहे या इस्पात पर प्रहार करते हैं तो चिंगारियाँ नहीं छोड़ते, जो कई औद्योगिक स्थितियों में काम आता है। अपने कम-घनत्व और हल्केपन के कारण इन मिश्रधातुओं को विमानों और उपग्रहों में भी इस्तेमाल किया जाता है। अपने कम घनत्व की वजह से यह एक्स-रे किरणों को भी नहीं रोकता, इसलिये एक्स-रे के साथ प्रयोग होने वाले ढांचे अक्सर बेरिलियम मिश्रधातु के बने होते हैं। .

सामग्री की तालिका

  1. 15 संबंधों: तत्वों की सूची (नाम अनुसार), तत्वों की विद्युत प्रतिरोधकता के आंकड़े, फुफ्फुस कैन्सर, बेरिल, बेरी, रत्न, रासायनिक तत्व, रासायनिक तत्वों की सूची, रासायनिक प्रतीक, विशिष्ट ऊष्मा धारिता, आयनन ऊर्जा, आवर्त सारणी के नमूने, क्षारीय पार्थिव धातु, कृत्रिम तत्वान्तरण, अधातु

तत्वों की सूची (नाम अनुसार)

नीचे प्रत्येक तत्व के सबसे स्थिर समस्थानिक का तत्व प्रतीक, परमाणु क्रमांक और परमाणु भार का विवरण दिया गया है। साथ ही उनका समूह और आवर्त सारणी मे उनकी स्थिति भी प्रदर्शित है। |-style.

देखें बेरिलियम और तत्वों की सूची (नाम अनुसार)

तत्वों की विद्युत प्रतिरोधकता के आंकड़े

तत्वों की विद्युत चालकता यहाँ दी गयी है- .

देखें बेरिलियम और तत्वों की विद्युत प्रतिरोधकता के आंकड़े

फुफ्फुस कैन्सर

फुफ्फुस के दुर्दम अर्बुद (malignant tumor) को फुफ्फुस कैन्सर या 'फेफड़ों का कैन्सर' (Lung cancer या lung carcinoma) कहते हैं। इस रोग में फेफड़ों के ऊतकों में अनियंत्रित वृद्धि होने लगती है। यदि इसे अनुपचारित छोड़ दिया जाय तो यह वृद्धि विक्षेप कही जाने वाली प्रक्रिया से, फेफड़े से आगे नज़दीकी कोशिकाओं या शरीर के अन्य भागों में फैल सकता है। अधिकांश कैंसर जो फेफड़े में शुरु होते हैं और जिनको फेफड़े का प्राथमिक कैंसर कहा जाता है कार्सिनोमस होते हैं जो उपकलीय कोशिकाओं से निकलते हैं। मुख्य प्रकार के फेफड़े के कैंसर छोटी-कोशिका फेफड़ा कार्सिनोमा (एससीएलसी) हैं, जिनको ओट कोशिका कैंसर तथा गैर-छोटी-कोशिका फेफड़ा कार्सिनोमा भी कहा जाता है। सबसे आम लक्षणों में खांसी (खूनी खांसी शामिल), वज़न में कमी तथा सांस का फूंलना शामिल हैं। फेफड़े के कैंसर का सबसे आम कारण तंबाकू के धुंए से अनावरण है, जिसके कारण 80–90% फेफड़े के कैंसर होता है। धूम्रपान न करने वाले 10–15% फेफड़े के कैंसर के शिकार होते हैं, और ये मामले अक्सर आनुवांशिक कारक, रैडॉन गैस, ऐसबेस्टस, और वायु प्रदूषण के संयोजन तथा अप्रत्यक्ष धूम्रपान से होते हैं। सीने के रेडियोग्राफ तथा अभिकलन टोमोग्राफी (सीटी स्कैन) द्वारा फेफड़े के कैंसर को देखा जा सकता है। निदान की पुष्टि बायप्सी से होती है जिसे ब्रांकोस्कोपी द्वारा किया जाता है या सीटी- मार्गदर्शन में किया जाता है। उपचार तथा दीर्घ अवधि परिणाम कैंसर के प्रकार, चरण (फैलाव के स्तर) तथा प्रदर्शन स्थितिसे मापे गए, व्यक्ति के समग्र स्वास्थ्य पर निर्भर करते हैं। आम उपचारों में शल्यक्रिया, कीमोथेरेपी तथा रेडियोथेरेपी शामिल है। एनएससीएलसी का उपचार कभी-कभार शल्यक्रिया से किया जाता है जबकि एससीएलसी का उपचार कीमोथेरेपी तथा रेडियोथेरेपी से किया जाता है। समग्र रूप से, अमरीका के लगभग 15 प्रतिशत लोग फेफड़े के कैंसर के निदान के बाद 5 वर्ष तक बचते हैं। पूरी दुनिया में पुरुषों व महिलाओं में फेफड़े का कैंसर, कैंसर से होने वाली मौतों में सबसे आम कारण है और यह 2008 में वार्षिक रूप से 1.38 मिलियन मौतों का कारण था। .

देखें बेरिलियम और फुफ्फुस कैन्सर

बेरिल

बेरिल के तरह-तरह के क्रिस्टल बैडूर्य (संस्कृत) या बेरिल (Beryl) आधुनिक युग का महत्वपूर्ण खनिज है। इससे बेरिलियम धातु निकाली जाती है, जो हलकी किंतु कठोर तथा दृढ़ होती है। अत: इसका उपयोग वायुयानों में किया जाता है। अन्य धातुओं के साथ इसकी अनेक मिश्रधातुएँ तैयार की जाती हैं, जो विद्युत्, कैमरा आदि उद्योगों में काम आती हैं। बेरिल की पारदर्शक किस्म को 'पन्ना' कहते हैं, जो एक रत्न पत्थर है तथा जिसका उपयोग आभूषणों में किया जाता है। इसका सूत्र Be3Al2(Si O3)6 है। बेरिल खनिज को क्षेत्र में सरलता से पहचाना जा सकता है। यह षट्कोणीय समुदाय में क्रिस्टलीकृत होता है तथा इसके क्रिस्टल प्रिज़्मीय होते हैं। इसका रंग नीला, हरा, या हल्का पीला होता है। कभी कभी यह सफेद रंग में भी मिलता है। इसकी टूट शंखाभ (conchoidal), कठोरता ७.५ से ८ तथा आपेक्षिक घनत्व २.७ है। बेरिल के आर्थिक निक्षेप पेग्मेटाइट शिलाओं में मिलते हैं। भारत में यह खनिज राजस्थान, झराखण्ड तथा नेलोर की पेग्मेटाइट शिलाओं से प्राप्त किया जाता है। विश्व में बेरिल उत्पादन में भारत का स्थान दूसरा है। परमाणवीय महत्व का होने के कारण इसके उत्पादन काँकडे गोपनीय हैं। .

देखें बेरिलियम और बेरिल

बेरी

बेरी निम्न में से एक हो सकता है: .

देखें बेरिलियम और बेरी

रत्न

रत्न प्रकृति प्रदत्त एक मूल्यवान निधि है। मनुष्य अनादिकाल से ही रत्नों की तरफ आकर्षित रहा है, वर्तमान में भी है तथा भविष्य में भी रहेगा। रत्न सुवासित, चित्ताकर्षक, चिरस्थायीव दुर्लभ होने तथा अपने अद्भुत प्रभाव के कारण भी मनुष्य को अपने मोहपाश में बाँधे हुए हैं। रत्न आभूषणों के रूप में शरीर की शोभा तो बढ़ाते ही हैं, साथ ही अपनी दैवीय शक्ति के प्रभाव के कारण रोगों का निवारण भी करते हैं। रत्नों में चिरस्थायित्व का ऐसा गुण है कि ये ऋतुओं के परिवर्तन के कारण तथा समय-समय पर प्रकृति के भीषण उथल-पुथल से तहस-नहस होने के कारण भी प्रभावित नहीं होते। .

देखें बेरिलियम और रत्न

रासायनिक तत्व

रासायनिक तत्वों की आवर्त सारणी रासायनिक तत्व (या केवल तत्व) ऐसे उन शुद्ध पदार्थों को कहते हैं जो केवल एक ही तरह के परमाणुओं से बने होते हैं। या जो ऐसे परमाणुओं से बने होते हैं जिनके नाभिक में समान संख्या में प्रोटॉन होते हैं। सभी रासायनिक पदार्थ तत्वों से ही मिलकर बने होते हैं। हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, आक्सीजन, तथा सिलिकॉन आदि कुछ तत्व हैं। सन २००७ तक कुल ११७ तत्व खोजे या पाये जा चुके हैं जिसमें से ९४ तत्व धरती पर प्राकृतिक रूप से विद्यमान हैं। कृत्रिम नाभिकीय अभिक्रियाओं के परिणामस्वरूप उच्च परमाणु क्रमांक वाले तत्व समय-समय पर खोजे जाते रहे हैं। .

देखें बेरिलियम और रासायनिक तत्व

रासायनिक तत्वों की सूची

नीचे परमाणु क्रमांक के बढते हुए क्रम में रासायनिक तत्वों की सूची दी गयी है। अलग-अलग प्रकार के तत्वों को अलग-अलग रंगों से चिन्हित किया गया है। इस सूची में प्रत्येक तत्व का नाम, उसका रासायनिक प्रतीक, आवर्त सारणी में उसका समूह एवं पिरियड, रासायनिक श्रेणी, तथा परमाणु द्रब्यमान (सबसे स्थायी समस्थानिक का) दिये गये हैं। .

देखें बेरिलियम और रासायनिक तत्वों की सूची

रासायनिक प्रतीक

रासायनिक तत्वों के नामों के संक्षिप्त रूपों को रासायनिक प्रतीक कहते हैं। उदाहरण के लिये, नीचे एक रासायनिक अभिक्रिया को प्रतीकात्मक रूप में अभिव्यक्त किया गया है। इसमें उ (H) उदजन (हाइड्रोजन) के लिये एवं जा (O) जारक (आक्सीजन) के लिये प्रयुक्त हुई है। तत्वों के विशिष्ट समस्थानिक दिखाने, उनके परमाणु भार दिखाने एवं उनके आयनन की अवस्था या आक्सीकरण अवस्था आदि दिखाने के लिये रासायनिक संकेतों के साथ 'उपलिपि' (सबस्क्रिप्ट) एवं 'अधिकलिपि' (सुपरस्क्रिप्ट) भी जोड़े जाते हैं। .

देखें बेरिलियम और रासायनिक प्रतीक

विशिष्ट ऊष्मा धारिता

यह एक सामान्य अनुभव है कि किसी वस्तु का ताप बढ़ाने के लिये उसे उष्मा देनी पड़ती है। किन्तु अलग-अलग पदार्थों की समान मात्रा का ताप समान मात्रा से बढ़ाने के लिये अलग-अलग मात्रा में उष्मा की जरूरत होती है। किसी पदार्थ की इकाई मात्रा का ताप एक डिग्री सेल्सियस बढ़ाने के लिये आवश्यक उष्मा की मात्रा को उस पदार्थ का विशिष्ट उष्मा धारिता (Specific heat capacity) या केवल विशिष्ट उष्मा कहा जाता है। इससे स्पष्ट है कि जिस पदार्थ की विशिष्ट उष्मा अधिक होगी उसे गर्म करने के लिये अधिक उष्मा की आवश्यकता होगी। उदाहरण के लिये, शीशा (लेड) का ताप १ डिग्री सेल्सियस बढ़ाने के लिये जितनी उष्मा लगती है उससे आठ गुना उष्मा एक किलोग्राम मग्नीशियम का ताप १ डिग्री सेल्सियस बढ़ाने के लिये आवश्यक होती है। किसी भी पदार्थ की विशिष्ट उष्मा मापी जा सकती है। .

देखें बेरिलियम और विशिष्ट ऊष्मा धारिता

आयनन ऊर्जा

किसी विलगित (आइसोलेटेड) गैसीय अवस्था वाले परमाणु के सबसे शिथिलतः बद्ध (लूजली बाउण्ड) इलेक्ट्रान को परमाणु से अलग करने के लिये आवश्यक ऊर्जा, आयनन ऊर्जा (ionization energy (IE)) या 'आयनन विभव' या 'आयनन एन्थैल्पी' कहलाती है। \ A_ + E_ \to A^+_ \ + e^-.

देखें बेरिलियम और आयनन ऊर्जा

आवर्त सारणी के नमूने

नमूनों द्वारा प्रदर्शित रासायनिक तत्व, जिन्हें परमाणु अंक से क्रमबद्ध किया गया है। इन रासायनिक तत्वों के बारे में अधिक जानकारी के लिये उनके लेखों पर जायें। .

देखें बेरिलियम और आवर्त सारणी के नमूने

क्षारीय पार्थिव धातु

क्षारीय पार्थिव धातुएँ (alkaline earth metals) आवर्त सारणी के समूह-२ में स्थित रासायनिक तत्त्वों वह समूह है जिसमें बेरिलियम (Be), मैग्नेशियम (Mg), कैल्शियम (Ca), स्ट्रॉन्शियम (Sr), बेरियम (Ba) एवं रेडियम (Ra) हैं। .

देखें बेरिलियम और क्षारीय पार्थिव धातु

कृत्रिम तत्वान्तरण

कृत्रिम तत्वान्तरण का उपयोग कर कृत्रिम रूप से किसी अन्य तत्व में परिवर्तन करने में किया जाता है, यही कृत्रिम तत्वान्तरण कहलाता है।, प्रमुख आविष्कार एवं उनके आविष्कारक .

देखें बेरिलियम और कृत्रिम तत्वान्तरण

अधातु

अधातु (non-metals) रासायनिक वर्गीकरण में प्रयुक्त होने वाला एक शब्द है। आवर्त सारणी का प्रत्येक तत्व अपने रासायनिक और भौतिक गुणों के आधार पर धातु अथवा अधातु श्रेणी में वर्गीकृत किया जा सकता है। (कुछ तत्व जिनमें दोनों के गुण पाये जाते हैं उन्हें उपधातु (metaloid) की श्रेणी में रखा जाता है।) आवर्त सारणी में ये १४वें (XIV) से लेकर १८वें (XVIII) समूह में दाहिने-ऊपरी कोने में स्थित हैं। इसके अलावा प्रथम समूह में सबसे उपर स्थित उदजन भी अधातु है। हाइड्रोजन के अलावा जारक, प्रांगार, भूयाति, गंधक, भास्वर, हैलोजन, तथा अक्रिय गैसें अधातु मानी जाती हैं। प्रायः आवर्त सारणी के केवल 18 तत्व अधातु की श्रेणी में गिने जाते हैं जबकि धातु की श्रेणी में 80 से भी अधिक तत्व आते हैं। फिर भी पृथ्वी के गर्भ का, वायुमण्डल और जलमण्डल का अधिकांश भाग अधातुएँ ही हैं। जीवों की संरचना में भी अधातुओं का ही अधिकांशता है। .

देखें बेरिलियम और अधातु