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बान्द्रा-वर्ली समुद्रसेतु

सूची बान्द्रा-वर्ली समुद्रसेतु

बांद्रा-वर्ली समुद्रसेतु (आधिकारिक राजीव गांधी सागर सेतु) ८-लेन का, तार-समर्थित कांक्रीट से निर्मित पुल है। यह बांद्रा को मुम्बई के पश्चिमी और दक्षिणी (वर्ली) उपनगरों से जोड़ता है और यह पश्चिमी-द्वीप महामार्ग प्रणाली का प्रथम चरण है। १६ अरब रुपये (४० करोड़ $) की महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम की इस परियोजना के इस चरण को हिन्दुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा पूरा किया गया है। इस पुल का उद्घाटन ३० जून, २००९ को संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन प्रमुख श्रीमती सोनिया गांधी द्वारा किया गया लेकिन जन साधारण के लिए इसे १ जुलाई, २००९ को मध्य-रात्रि से खोला गया। साढ़े पांच किलोमीटर लंबे इस पुल के बनने से बांद्रा और वर्ली के बीच यात्रा में लगने वाला समय ४५ मिनट से घटकर मात्र ६-८ मिनट रह गया है। इस पुल की योजना १९८० के दशक में बनायी गई थी, किंतु यह यथार्थ रूप में अब जाकर पूर्ण हुआ है। यह सेतु मुंबई और भारत में अपने प्रकार का प्रथम पुल है। इस सेतु-परियोजना की कुल लागत १६.५० अरब रु है। इस पुल की केवल प्रकाश-व्यवस्था करने के लिए ही ९ करोड़ रु का व्यय किया गया है। इसके कुल निर्माण में ३८,००० कि.मी इस्पात रस्सियां, ५,७५,००० टन कांक्रीट और ६,००० श्रमिक लगे हैं। इस सेतु में लगने वाले इस्पात के खास तारों को चीन से मंगाया गया था। जंग से बचाने के लिए इन तारों पर खास तरह का पेंट लगाने के साथ प्लास्टिक के आवरण भी चढ़ाए गए हैं। अब तैयार होने पर इस पुल से गुजरने पर यात्रियों को चुंगी (टोल) कर देना तय हुआ है। यह चुंगी किराया प्रति वाहन ४०-५० रु तक होगा। इस पुल की कुल ७ कि.मी (ढान सहित) के यात्रा-समय में लगभग १ घंटे की बचत और कई सौ करोड़ वाहन संचालन व्यय एवं ईंधन की भी कटौती होगी। इस बचत को देखते हुए इसकी चुंगी नगण्य है। प्रतिदिन लगभग सवा लाख वाहन इस पुल पर से गुजरेंगे। File:Bandra_Worli_Sea_Link_at_night.jpg|रात्रि दृश्य File:Sealinkup.JPG|माहिम से दृश्य File:Bandra-Worli_Sea_Link_8.jpg|दूर-दृश्य .

8 संबंधों: चिंगदाओ, चिंगदाओ-हाइवान सेतु, दीघा-सोनपुर रेल-सह-सड़क पुल, भूपेन हज़ारिका सेतु, महात्मा गाँधी सेतु, मुम्बई, सेवरी-नहावा शेवा पारपोत सेतु, विद्यासागर सेतु

चिंगदाओ

चिंगदाओ के नज़ारे चिंगदाओ (चीनी: 青岛, अंग्रेज़ी: Qingdao या Tsingtao) जनवादी गणराज्य चीन के पूर्वी भाग में स्थित शानदोंग प्रांत का सबसे बड़ा नगर है। २०१० की जनगणना में इसकी आबादी ८७.१५ लाख थी जिसमें से ४३.४६ लाख शहरी नागरिक और बाक़ी ग्रामीण क्षेत्रों के निवासी थे। 'चिंगदाओ' का मतलब 'हरा द्वीप' होता है। चीन की प्रशासन प्रणाली में इस शहर को "उप-प्रांतीय नगर' का दर्जा हासिल है। यह पीले सागर के छोर पर शानदोंग प्रायद्वीप पर स्थित एक महत्वपूर्ण बंदरगाह, नौसैनिक छावनी और औद्योगिक शहर है। विश्व का सबसे लम्बा समुद्री पुल, ४२.५ किमी लम्बा चिंगदाओ-हाइवान सेतु, यहीं स्थित है। इसकी तुलना में मुम्बई में स्थित बान्द्रा-वर्ली समुद्रसेतु मात्र ५.५ किमी लम्बा है। चिंगदाओ शहर से इसी 'चिंगदाओ' (Tsingtao) नाम का एक प्रसिद्ध बीयर दुनिया-भर में निर्यात होता है।, David Leffman, Martin Zatko, Penguin, 2011, ISBN 978-1-4053-8908-2,...

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चिंगदाओ-हाइवान सेतु

चिंगदाओ-हाइवान सेतु (मन्दारिन: 胶州湾大桥) पूर्वी चीन के शान्दोंग प्रान्त में स्थित एक सेतु है। यह सेतु जिआओझोउ खाड़ी से होकर गुजरता है और हुआंग्दो जिले, चिंगदाओ नगर और होंग्दाओ द्वीप को आपस में जोड़ता है। इस सेतु पर तीन प्रवेश-निकास मार्ग हैं। यह सेतु ३० जून २०११ को खोला गया था और इसने चिंगदाओ और हुआंग्दो के मध्य सड़क की दूरी को बहुत कम कर दिया है। इस सेतु की लम्बाई ४२.५ किमी है जो इसे विश्व का सबसे लम्बा समुद्री सेतु बनता है और यह २०११ की स्थिति तक गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के अनुसार सबसे लम्बा पुल है। इसकी तुलना में मुम्बई में स्थित बान्द्रा-वर्ली समुद्रसेतु मात्र ५.५ किमी लम्बा है। .

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दीघा-सोनपुर रेल-सह-सड़क पुल

दीघा-सोनपुर रेल-सह-सड़क पुल अथवा जे पी सेतु (लोकनायक जय प्रकाश नारायण सेतु), गंगा पर बना पुल है जो पटना और सोनपुर को जोड़ता है। इसकी लम्बाई 4,556 मीटर है। दीघा-गाँधी मैदान सड़क से दीघा सड़क सेतु की दूरी 1.7 किलोमीटर है। दीघा सह सम्पर्क पथ छह लेन का है। दीघा सड़क सेतु के 2.56 कि॰मी॰ लम्बे सोनपुर एप्रोच के लिए जमीन मालिकों की आपसी सहमति से उनकी जमीन का 99 साल के लिए अनवरत लीज/ परपीचुअल लीज (Perpetual lease) रजिस्टर्ड एग्रीमेण्ट कर सरकार ने उन्हें जमीन की कीमत का चौगुनी मुआवजा देकर एग्रीमेण्ट किया है। सोनपुर एप्रोच के 600 मीटर दूरी में एलिवेटेड स्ट्रक्चर है। 2.56 कि॰मी॰ सोनपुर एप्रोच में सारण जिला के गंगाजल, चौसिया, भरपुरा और सुलतानपुर गाँव की जमीन है। जेपी सेतु को नेशनल हाइवे-19 से हाजीपुर-छपरा फोर लेन सड़क से जोड़ा जायेगा। एम्स दीघा एलिवेटेड रोड (12.4 किमी लंबा), गंगा पाथ वे (21.1 किमी) और जेपी सेतु (4.5 किमी)- गांधी सेतु से मिलकर यह एक ऐसा थ्रू वे(threeway) बनाएगा, जिससे सोनपुर की तरफ से आसानी से पश्चिमी पटना, फुलवारीशरीफ और एम्स पटना पहुंच जायेगा। इसके बन जाने से दीदारगंज, पटना सिटी, गुलजारबाग, व गायघाट जैसे सुदुर पूर्वी क्षेत्र के व्यक्ति को दीघा, दानापुर, खगौल, फुलवारीशरीफ, एम्स व जानीपुर जैसे सुदुर पश्चिमी क्षेत्रों में जाने-आने के लिए गांधी मैदान या पटना जंक्शन आने-जाने और शहर की मुख्य ट्रैफिक व्यवस्था पर दबाव बढ़ाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। .

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भूपेन हज़ारिका सेतु

भूपेन हज़ारिका सेतु या ढोला-सदिया सेतु भारत का सबसे लम्बा पुल है।जिसका उदघाटन 26 मई 2017 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कर दिया गया। यह 9.15 किलोमीटर (5.69 मील) लम्बा सेतु लोहित नदी को पार करता है, जो ब्रह्मपुत्र नदी की एक मुख्य उपनदी है। इसका एक छोर अरुणाचल प्रदेश के ढोला कस्बे में और दूसरा छोर असम के तिनसुकिया ज़िले के सदिया क़स्बे में है। इस से अरुणाचल प्रदेश और असम के बीच के यातायात के समय में चार घंटे की कमी आएगी।"," Ratnadip Choudhury, 15 April 2017, NDTV ढोला-सदिया सेतु महाराष्ट्र के मुंबई नगर के बान्द्रा-वर्ली समुद्रसेतु से 3.55 किमी (2.21 मील) अधिक लम्बा है। .

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महात्मा गाँधी सेतु

महात्मा गाँधी सेतु। महात्मा गांधी सेतु पटना से हाजीपुर को जोड़ने को लिये गंगा नदी पर उत्तर-दक्षिण की दिशा में बना एक पुल है। यह दुनिया का सबसे लम्बा, एक ही नदी पर बना सड़क पुल है। इसकी लम्बाई 5,750 मीटर है। भारत की प्रधान मंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी ने इसका उद्घाटन मई 1982 में किया था। इसका निर्माण गैमोन इंडिया लिमिटेड ने किया था। वर्तमान में यह राष्ट्रीय राजमार्ग 19 का हिस्सा है। .

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मुम्बई

भारत के पश्चिमी तट पर स्थित मुंंबई (पूर्व नाम बम्बई), भारतीय राज्य महाराष्ट्र की राजधानी है। इसकी अनुमानित जनसंख्या ३ करोड़ २९ लाख है जो देश की पहली सर्वाधिक आबादी वाली नगरी है। इसका गठन लावा निर्मित सात छोटे-छोटे द्वीपों द्वारा हुआ है एवं यह पुल द्वारा प्रमुख भू-खंड के साथ जुड़ा हुआ है। मुम्बई बन्दरगाह भारतवर्ष का सर्वश्रेष्ठ सामुद्रिक बन्दरगाह है। मुम्बई का तट कटा-फटा है जिसके कारण इसका पोताश्रय प्राकृतिक एवं सुरक्षित है। यूरोप, अमेरिका, अफ़्रीका आदि पश्चिमी देशों से जलमार्ग या वायुमार्ग से आनेवाले जहाज यात्री एवं पर्यटक सर्वप्रथम मुम्बई ही आते हैं इसलिए मुम्बई को भारत का प्रवेशद्वार कहा जाता है। मुम्बई भारत का सर्ववृहत्तम वाणिज्यिक केन्द्र है। जिसकी भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 5% की भागीदारी है। यह सम्पूर्ण भारत के औद्योगिक उत्पाद का 25%, नौवहन व्यापार का 40%, एवं भारतीय अर्थ व्यवस्था के पूंजी लेनदेन का 70% भागीदार है। मुंबई विश्व के सर्वोच्च दस वाणिज्यिक केन्द्रों में से एक है। भारत के अधिकांश बैंक एवं सौदागरी कार्यालयों के प्रमुख कार्यालय एवं कई महत्वपूर्ण आर्थिक संस्थान जैसे भारतीय रिज़र्व बैंक, बम्बई स्टॉक एक्स्चेंज, नेशनल स्टऑक एक्स्चेंज एवं अनेक भारतीय कम्पनियों के निगमित मुख्यालय तथा बहुराष्ट्रीय कंपनियां मुम्बई में अवस्थित हैं। इसलिए इसे भारत की आर्थिक राजधानी भी कहते हैं। नगर में भारत का हिन्दी चलचित्र एवं दूरदर्शन उद्योग भी है, जो बॉलीवुड नाम से प्रसिद्ध है। मुंबई की व्यवसायिक अपॊर्ट्युनिटी, व उच्च जीवन स्तर पूरे भारतवर्ष भर के लोगों को आकर्षित करती है, जिसके कारण यह नगर विभिन्न समाजों व संस्कृतियों का मिश्रण बन गया है। मुंबई पत्तन भारत के लगभग आधे समुद्री माल की आवाजाही करता है। .

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सेवरी-नहावा शेवा पारपोत सेतु

मानचित्र पर सेवरी-नहावा शेवा पारपोत सेतु सेवरी-नहावा शेवा पारपोत सेतु २२ किमी लम्बा एक सेतु है जो सेवरी, दक्षिण मुम्बई से आरम्भ होकर नहावा सेवा पर समाप्त होगा। ६० अरब रू की लागत से बनने वाले इस सेतु का प्रस्ताव अनिल धीरूभाई अम्बानी समूह द्वारा समर्थित रिलायन्स एनर्जी ने महाराष्ट्र सरकार के समक्ष २००८ में रखा था। कुछ ऐसा दिखेगा यह सेतु महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम, जो इस परियोजना की केन्द्रीय संस्था है, यह विचार कर रही है की रिलायन्स एनर्जी और ह्यून्दे के संकाय से ५० अरब रू की प्रतिभू राशि रखवा ली जाए जो कुल लागत का ८५% है। यह सेतु पिछ्ले चार दशकों से कागज़ों तक ही सिमटा हुआ है। पहले इसका निष्पादन एमएसाआरडीसी द्वारा किया जाना था लेकिन अब इसका ठेका एमएमाआरडीए ने ले लिया है। यह सेतु ६ लेन का होगा और भविष्य में मेट्रो की सुविधा जोड़ने के लिए भी इस सेतु पर दोनो ओर कुछ स्थान रखने का प्रावधान है। इस सेतु के २०१३ या २०१४ तक बन जाने का अनुमान है। पूरा हो जाने के बाद निर्माण कम्पनियों द्वारा इसपर से गुजरने वाले वाहनों से चुंगीकर वसूला जाएगा। .

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विद्यासागर सेतु

विद्यासागर सेतु (प्रचलित नाम: दूसरा हावड़ा ब्रिज) हुगली नदी पर कोलकाता से हावड़ा को जोड़ता हुआ सेतु है। यह सेतु टोल ब्रिज है, किंतु साइकिलों के लिए निःशुल्क है। यह अपने प्रकार के सेतुओं में भारत में सबसे लंबा और एशिया के सबसे लंबे सेतुओं में से एक है। इस सेतु का नाम उन्नीसवीं शताब्दी के बंगाली समाज-सुधारक ईश्वर चंद्र विद्यासागर के नाम पर रखा गया है। इस सेतु के दोनों ओर ही नदी पर दो अन्य बड़े सेतु भी हैं.

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

बांद्रा वर्ली समुद्र सेतु, बांद्रा वर्ली सी लिंक, बांद्रा-वर्ली समुद्रसेतु, बांद्रा-वर्ली समुद्री पुल

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